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Horror किस्से अनहोनियों के

Shetan

Well-Known Member
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Samaj sakta hu teri bhi problem yar.
Aurat ke uper hajaar jimmedari hoti hai. .ai bas is liye bola tha ki tere reader bhaag na jaye. Baki mai tere saath hamesha hu. Jab tak xf pe hu :yo:
सब ठीक हो जाएगा. लॉन्ग टाइम पर पढ़ने मे ये स्टोरी और ज्यादा मज़ेदार लगेगी.
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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सब ठीक हो जाएगा. लॉन्ग टाइम पर पढ़ने मे ये स्टोरी और ज्यादा मज़ेदार लगेगी.
Chalo koi baat nahi. Jab aapko time mile. Tab kar lena.
 
Last edited:

Baawri Raani

👑 Born to Rule the World 🌏
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Gaun ke Bhole Balbeer ko Komal ka romanchak roop 🤬 dekne mila. Usne police 👮 ko bhi nahi chhoda .. Police se paise 🤑 nikalwa liye!!

Bhola Balbeer ab Komal ke saath kaise rahega dekhnewali baat hai...


Update 14A

कोमल और पलकेश मुंबई से अहमदाबाद के लिए एक शाम निकाल गए. कोमल का मूड ठीक था. हलाकि कोमल को पलकेश के परिवार ने बहोत भला बुरा बोला. वो चाहती तों लीगल एक्शन ले सकती थी.

पर उसने ऐसा नहीं किया. क्यों की वो भी समज़ती थी की घर के बेटे की जान दाव पर लगी थी. पलकेंस भी उस NTT से छुटकारा पाने के बाद खुद की हालत का जिम्मेवार कोमल को ही मान रहा था. पर कोमल ने कोई परवाह नहीं की. बड़ा दिल दिखाते वो उन्हें माफ कर देती है.


और अपने जीवन मे वापिस लौटने की कोसिस करती है. रात के 11 बज चुके थे. और वो दोनों अहमदाबाद के लिए रवाना हो चुके थे. बलबीर ड्राइव कर रहा था. सॉफ्ट म्यूजिक चल रहा था. गीत के बोल थे. तुम आ गए तों नूर आ गया है.

कोमल मुसीबत से छुटकारा पा कर खुश थी. वो भी गुन गुना ने लगी. कोमल का मूड रोमांटिक होने लगा था. वो बलबीर को छेड़ने लगी. वो बलबीर के करीब अपना फेस लेजाकर गाना गति. बलबीर भी मुश्कुराने लगा.


बलबीर : (स्माइल) 4,5 दिन तुम बहोत परेशान रही. अब जाकर तुम्हारे चहेरे पर हसीं देखि है.


कोमल भी थोडा अफ़सोस जाहिर करती है.


कोमल : अममम.. क्या करती. तुमने देखा ना. वैसे तो उस साले को बचाना ही नहीं चाहिये था. पर...


कोमल को पलकेश की हर वो बात बुरी लग रही थी. जब उसके अंदर जिन्न के रहते की थी. पलकेश जिन्न की तरफदारी भी कर रहा था. पर वो सब तो उस से वो जिन्न ही बुलवा रहा था. फिर भी बलबीर एक अच्छा इंसान था. वो कोमल को सही रस्ता दिखाने की कोसिस करता है.


बलबीर : देखो वो केसा भी हो. पर तुमने सही रस्ता चुना. तालाख के बाद भी तुम उसकी मदद करने के लिए गई. ये तुम्हारी अच्छाई है.


कोमल : तुम जान ना चाहते थे ना की हम अलग क्यों हुए. अब समझ आया???


बलबीर : छोडो. जो अपने साथी को आधे रास्ते पर ही छोड़ दे वो इंसान कैसा.


कोमल बात बदलना चाहती थी. अब वो पलकेश और जो भी हुआ. उन सब से ऊब गई थी. वो मज़ाक के जरिये शारारत करती है.


कविता : (स्माइल शारारत) बस तुम कभी मुजे आधे मे मत छोड़ना. वरना मुजे बहोत बुरा लगेगा.


बलबीर सिर्फ मुश्कुराता है. वो समझ गया की कोमल उस से डबल मीनिंग मे बात कर रही है. बलबीर ने कोई जवाब नहीं दिया. कोमल बलबीर से बहोत कुछ बोलना चाहती थी. उसे बताना चाहती थी. पर बलबीर कुछ बोल ही नहीं रहा था.


कोमल : उस जिन्न ने कहा था की मै कभी तुमसे शादी नहीं करुँगी. पर तुमने मुझसे पूछा क्यों नहीं???


बलबीर ने बहोत ही छोटा जवाब दिया.


बलबीर : मै कभी भी बड़े सपने नहीं देखता.


कोमल : (स्माइल) क्या मतलब बड़े??? मै तुम्हे कोई बड़े सपने जैसी लगती हु. हम कितना तो आगे बढ़ चुके है.


बलबीर ने सर घुमाया और पहले कोमल के फेस को और फिर उसके बूब्स की तरफ देखा.


बलबीर : (शारारत) हा वैसे बड़े तो है.


कोमल को मतलब समझ आ गया. उसे हसीं भी आ गई. और थोड़ी सी शर्म भी आई. वो एक हाथ बलबीर के कंधे पर मरती है. बलबीर भी बस हसकर रहे गया. पर कोमल बलबीर को एक्सक्यूज देना चाहती थी.


कोमल : बात ये नहीं की मे तुमसे प्यार नहीं करती. मै तुमसे ही प्यार करती हु. मगर शादी तुमसे कर लुंगी तो मै बंध जाउंगी. मुजे तुम्हारे लिए बहोत से ऐसे काम जो करने है. वो नहीं कर पाऊँगी. हमें ऐसे ही रहना चाहिये. काम से काम कुछ वक्त के लिए.


बलबीर भी ये बात समझ चूका था. पर इन बातो के जरिये वो कोमल का मूड और नहीं ख़राब करना चाहता था. पर बलबीर पे कोमल की रंगत का असर चालू जरूर हो गया था. वो खुद कोमल से सेक्सी मज़ाक करने लगा था.


बलबीर : जब मेरी मालकिन ही मुजे बीवी का प्यार दे रही है तो मै शादी कहा कर पाउँगा.


कोमल मचल गाइ. वो निचले होंठ को अपने दांतो मे दबाते शर्मा गई. और एक बार फिर बलबीर के कंधे पर एक हाथ मरती है. बलबीर हस पड़ा. मगर बातो से ही कोमल का मूड बन गया.


कोमल : ससस रोको ना यार किसी होटल पर.


बलबीर : अरे घर चलते हेना. सुबह तक पहोच जाएंगे.


कोमल जैसे नाराज हो गई. वो बलवीर से प्यारी लड़ाई करने लगी. और बेशर्म हो गई.


कोमल : अबे घोंचू हम सुबह पहोचेगे ना. तुम चुप चाप किसी होटल पर गाड़ी रोको. वो देखो वो रहा. चलो लो वहां.


बलबीर ने देखा और वो समझ गया की वो बहोत सस्ता वाला होटल है. जो ऐसे ही काम के लिए इस्तेमाल होता है. जो सेफ नहीं होता. जहा लोग ज्यादातर रंडिया ही लाते है.


बलबीर : नहीं वो नहीं. वो ठीक नहीं है.


कोमल : ठीक मतलब क्या??? हमें पूरी रात थोड़ी कटनी है. चुप चाप वहां गाड़ी लगाओ.


बलबीर नहीं चाहता था. पर कोमल की जिद की वजह से उसे कार वहां रोकनी पड़ी. वो कार से ही बैठे उस होटल का नाम पढता है. होटल मोहिनी. कोमल तो कोमल थी. वो खट से डोर खोलकर कार से बहार निकाल गई. कोमल सीधा अंदर ही जाने लगी.


कोमल : चलो....


जब कोमल ऐसे होटल मे अंदर जा रही थी. उसे देख कर बलबीर को भी तुरंत उतरना पड़ा. क्यों की एक अच्छे घर की लड़की औरत के लिए वो जगह सेफ नहीं थी. कोमल रिसेप्शन पर पहोच गई. रिसेप्शन पर कोई नहीं था. बलबीर भी कोमल के पीछे ही खड़ा था.


कोमल : कोई है.....


तभी एक दुबला पतला बूढा खड़ा हुआ. जो देखने से ही 50 पार का लग रहा था. चहेरे की चमड़ी लटकी हुई. वो नींद मे था. आंखे मिड़ते जब उसने अचानक कोमल को देखा तो मानो उसकी नींद ही उड़ गई हो. आंखे एकदम से बड़ी हो गई.


कोमल : यहाँ रूम अवेलेबल है क्या??? हमें नाईट के लिए रूम चाहिये.


वो बूढा कोमल को देखता है. फिर उसके पीछे खड़े बलबीर को. और बलबीर को देखते ही मुश्कुराने लगा. सवाल तो कोमल ने पूछा था. पर वो जवाब बलबीर को देता है. वो भी लालची कामिनी मुश्कान से..


बूढा : (स्माइल) कितने घंटे के लिए चाहिये????


कोमल पहले घूम कर बलबीर को देखती है. फिर दोबारा उस बूढ़े को.


कोमल : 2 घंटे का कितना???


बूढा कोमल की तरफ झूक कर रिसेप्शन टेबल पे पैसारने लगा.


बूढा : 2 घंटे का 500 अगर पूरी रात रुकोगे तो 700.


लेकिन कोमल ने जो जवाब दिया. वो सुनके बूढा क्या बलबीर के भी कान खड़े हो गए.


कोमल : तेरा बाप हातिम ताई नहीं है. जो पूरी रात लगा रहेगा. ये ले 500 पकड़.


वो 500 लेकर एक तरफ हिशारा करता है. कोमल का जवाब सुनकर ही बूढ़े की एकदम से जुबान ही हकला गई.


बूढा : (बोखलाहट) वो वो वो तीसरा वाला. लॉक नहीं है. खुला ही है.


कोमल तुरंत ही झटके से मुड़कर जाने लगी. बलबीर भी उसके पीछे जाने लगा. बलबीर कोमल के करीब आया.


बलबीर : हमें यहाँ नहीं आना चाहिये था. तुम्हे पता है वो तुम्हे क्या समझ रहा था.


कोमल ने ही पहोचते डोर खोल दिया. रूम छोटा था. और सामने ही डबल बेड दिख रहा था.


कोमल : पता है मुजे. जब वी मेट मेने भी देखि है. अब अंदर चलो


अंदर आते ही कोमल बलबीर पर लपक पड़ी. और उसे घुमाकर बेड पर गिरा देती है. उसके फेस पर शरारती स्माइल थी.


कोमल : (स्माइल) तो मेरे हातिम ताई. तो निकालो अपनी तलवार.


बलबीर ने भले ही जब वे मेट ना देखि हो. पर उसने टीवी पर आने वाली सीरियल अलिफ़ लैला जरूर देखा था. कोमल के शरारती अंदाज़ को देख कर उसे भी हसीं आ गई. गूथम गुँथा और चूमाबानो की लड़ाई शुरू हो गई. साँसो की तेज रफ़्तार पुरे कमरे मे सुनाई दे रही थी.

कोमल की बिच बिच मे आती मिट्ठी चीखे भी उस रूम मे गूंज रही थी. पर तभी कोई उनकी खुशियों को छीन ने आ गया. अचानक कोई जोरो से उनके रूम का दरवाजा खट खटाने लगा. बलबीर कोमल के ऊपर था. दरवाजा इतनी जोर से खट खटाया की वो दोनों भी उठाकर बैठ गए.

वो दोनों भी सॉक हो गए. की कौन हो सकता है. जब की कोई बहार से लगातार दरवाजा खट खटाए जा रहा था.


दरवाजा खोलो.


कोमल : (सॉक) कौन???


पोलिस


कोमल मामला समझ गई. और तुरंत खड़ी होकर अपनी ट्राउजर पैंट और शर्ट खोलने लगी.


कोमल : रुक जाओ खोल रहे है.


पुलिस : जल्दी कीजिये.


कोमल : अबे रुकना जल्दी वाले. तुझे तमीज नहीं है क्या.


पुलिस बहार से धमकी दिए जा रही थी. कोमल बलबीर की तरफ देखती है. बलबीर के चहेरे पर घबराहट के भाव साफ नजर आ रहे थे.


कोमल : सुनो... तुम बात को उलझाना मत. वो जो पूछे सही जवाब देना समझे.


बलबीर सरीफ था. वो तो डर से कापड़े भी नहीं पहेन पा रहा था. कोमल ने डोर खोला और बिच मे ही खड़ी हो गई.


कोमल : (अकड़) हा... क्या प्रॉब्लम है आप को???


सामने एक दो स्टार सब इंस्पेक्टर रेंक का कोई 45 के आस पास का बूढा दिखने वाला खड़ा था. उसके पीछे दुबले पतले 2 होमगार्ड वाले थे. कोमल वकील थी तो किसकी कितनी औकाद है सब पता चल गई.


पुलिस : चल हट यहाँ से.


वो पुलिस वाला अंदर घुसने लगा तो कोमल ने उसे धक्का मार दिया.


कोमल : ओय... कहा अंदर आ रहा है. तुझे दीखता नहीं क्या. सामने एक लेडीज खड़ी है. तुम्हारे पास कोई महिला पुलिस वाली है??? नहीं ना. तो चल निकाल.


उस पुलिस वाले को गुस्सा आ गया. पर लेडीज के चलते वो रुक गया. वो भी समाजता था की लेडीज के केस मे वो ही फस जाएगा. वो वही खड़ा हो गया.


पुलिस वाला : (अकड़) अंदर कौन है. क्या कर रहे हो तुम.


कोमल : क्या कर रहे है से तुम्हे क्या मतलब. बॉयफ्रेंड है मेरा. मेने रूम रेंट पर लिया है. मै जो मर्जी करू तुम्हे क्या???


पुलिस वाले ऐसी जगह पर हमेशा रेड डालते रहते. कोई रंडी के साथ पकडे गया तो कमाई होती ही. मगर कोइ अच्छे घर के लड़का लड़की पकड़े गए. या कोई मैरिड भी पकडे गए तो बहोत ज्यादा कमाई होती थी. हर कोई घर से छुप कर ही ऐसे लफड़े करते. घर पर पता ना चले इसके डर से वो फसकर मुँह माँगा पैसा फेक देते. कोई पैसे ना दे पाए तो लड़की उन पोलिस वालों का भी बिस्तर गरम कर देती. पट सामने कोमल खड़ी थी. वकीलों की दुनिया मे एक जाना माना नाम.


पुलिस वाला : अपने घर का नंबर दो. घर पे पता है की तुम यहाँ क्या कर रही हो??? हम्म्म्म???


कोमल मुश्कुराई. और अपनी जेब मे से पर्श निकला. वो अपना एक कार्ड निकाल कर उस पुलिस वाले की तरफ अपना हाथ बढाती है.


कोमल : ये ले. इसमें मेरा फ़ोन नंबर अड्रेस सब कुछ है. तुझे जो करना है वो कर ले.


जब उस पुलिस वाले ने कार्ड देखा तो उसकी भी फट गई. एडवोकेट कोमल बस इतना ही पढ़ना काफ़ी था. पर कोमल के हाथ मे मोबाइल था. वो उस पुलिस वाले की नाम प्लेट पढ़ती है.


कोमल : तो सब इंस्पेक्टर शमशेर सिंह जो तुमने आज बतमीजी की है. उसके लिए तुम्हे कितने चक्कर मे कोर्ट मे कटवाउंगी सायद तुम्हे पता नहीं.


बेचारा शमशेर सिंह डर गया. और माफ़ी मांगने लगा.


शमशेर सिंह : वो... माफ करना मैडम. मै किसी और को ढूढ़ रहा था. आप इन्जॉय कीजिये.


कोमल : (स्माइल) नहीं नहीं... मेरा इंजॉय तो तुमने बर्बाद कर दिया. मुझसे बतमीजी की वो अलग. ये देखो. इस मोबाइल मे सब रिकॉर्ड है. जो तुमने बोला. अब तो कोर्ट मे ही फेशला होगा. की मै कौन हु. किसके साथ हु. क्या कर रही थी सब कुछ.


पीछे बलबीर भी आकर खड़े हो गया. पर कुछ बोला नहीं. वो डर रहा था. उसने कोमल का हाथ पकड़ लिया. कोमल ने तुरंत पीछे देखा.


शमशेर सिंह : अरे सर. आप तो मैडम को समझाइये ना. पुलिस को तो ऐसे बोलना ही पड़ता है.


बलबीर बस कोमल को देख कर ना मे गर्दन हिलता है. पर कोमल नहीं मानती. वो घूम कर शमशेर सिंह को धमकाती है.


कोमल : नहीं नई. आप जाइये अब तो हम कोर्ट मे ही मिलेंगे.


शमशेर सिंह तुरंत ही हड़बड़ट मे अपनी जेब मे हाथ डालता है. और कुछ पैसे निकाल कर कोमल की तरफ अपना हाथ बड़ा देता है. वो 500 की कुछ 4,5 नोट नजर आ रही थी.


शमशेर सिंह : (रिक्वेस्ट) मैडम प्लीज. बात को ख़तम करिये ना.


कोमल के फेस पर तुरंत स्माइल आ गई. और उसने झट से पैसे खींच लिए. शमशेर सिंह को राहत महसूस हुई.


कोमल : तुम्हारे तो आ गए. मगर अब उस चूतिये की बारी. जिसने तुम्हे ये खबर दी.


उस गली मे वही रिसेप्शन वाला बूढा दूर से ही सारा खेल देख रहा था. कोमल ने बलवीर का हाथ पकड़ा और रिसेप्शन की तरफ चल दी. शमशेर सिंह और दोनों होमगार्ड भी साथ चल दिये. वो बूढा टेबल के पीछे जाकर 500 का नोट लिए पहले से ही तैयार खड़ा था. उसके चहेरे की तो हवाइया ही उडी हुई थी. कोमल ने आते ही झट से उसके हाथ से वो 500 की नोट खिंच लिया.


कोमल : ये तो मेरा ही है. तू अपना दे.


बूढा : (बोखलाहट) बोनी ही कहा हुआ.


कोमल : साला चुतिया.


कोमल बलबीर का हाथ पकड़ कर होटल से निकाल गई.


कोमल : चलाओ गाड़ी.


वो दोनों कार मे बैठ गए. बलबीर ने कार आगे बढ़ा ली. वो दोनों जैसे ही आगे निकले कोमल खिल खिलाकर हसने लगी. बलबीर का डर निकाल गया.


कोमल : (स्माइल) साढ़े चार हजार रूपए....


कोमल बलबीर को वो नोटे दिखा रही थी. वो पैसे उसके लिए मामूली ही थे. जब की जमीनों के केस मे वो एक डेढ लाख महीने मे कमा ही लेती. उसकी खुद की फिस भी बहोत ज्यादा हाई थी. पर वो पैसे एठने मे उसे बहोत मझा आया.


बलबीर : (स्माइल) ये गलत है. वो चुप चाप मान गया. तो फिर क्यों फालतू मे.


कोमल : अरे क्या फालतू मे. उस साले के कारण मुजे आधे मे उठना पड़ा. ठीक किया साले के साथ.


बलबीर कुछ नहीं बोला. रात के 2 बज चुके थे. सुमशान रोड पर उनकी कार स्पीड मे जा रही थी.


बलबीर : एक बात बोलू.


कोमल : अब इसके लिए भी पूछोगे. दिल मे आए वो बोलो यार.


बलबीर : (स्माइल) थैंक्यू.


कोमल हस पड़ी. वो हेरत से बलबीर को देखने लगी.


कोमल : (स्माइल एक्ससिटेड) वो क्यों???


बलवीर कुछ पल बस मुश्कुराते रहा. जैसे बोलने मे हिचक रहा हो.


बलबीर : (स्माइल) वो...... तुम्हारी वजह से पहेली बार मुजे किसी ने सर बोला.


कोमल को बलबीर के भोलेपन पर प्यार आने लगा. वो थोडा खिसक कर बलबीर के कंधे पर अपना सर रख देती है. बलबीर को भी ये अच्छा लगा.


बलबीर : एक और थैंक्यू.


कोमल ने बलबीर के कंधे से अपना सर नहीं उठती. बस अपना सर थोडा ऊपर खिसकाकर उसके चहेरे को देखती है. इस बार बोलते हुए बलबीर ज्यादा शर्मा रहा था.


बलबीर : (स्माइल शर्माना) वो बॉय... बॉयफ्रेंड बोलने के लिए.


कोमल खिल खिलाकर हस पड़ी. वो बलबीर के गलो को चुम लेती है. कोमल को बलबीर पर बहोत प्यार आने लगा. वो ऐसे ही प्यार भरी बाते करते हुए अहमदाबाद पहोच गए. पहोचने मे देर हो गई थी. सुबह के 8 बज चुके थे.

 

Baawri Raani

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Lagta hai ab Komal ko apne aas paas buri NTT 👻 hone ka eshaas hone laga hai... Balbeer 💪 ko manna padega.. Kuch bura hone ka eshaas hone ke baavajuud bhi usne Komal ka saath nahi chhoda.. 🙋‍♀️
Update 14B

कोमल और बलबीर दोनों अहमदाबाद पहोच गए. वो दोनों जैसे ही अपने अपार्टमेंट की बिल्डिंग तक पहोचे लिफ्ट उन्हें बंद मिली. एक तो पहले से ही सफर की थकान और दूसरा लिफ्ट बंद. कोमल का दिमाग़ ख़राब हो गया.


कोमल : (गुस्सा) क्या यार. लिफ्ट बंद है. और वॉचमैन का कही पता नहीं.


बलबीर : अरे कोई बात नहीं. चलो पैदल चलते है.


कोमल : 5th फ्लोर तक सीढिया चढ़कर. तुम्हारा दिमाग़ तो ख़राब नहीं है. तुम्हे पता है. मै कितना थक गई हु.


बलबीर : पर इसके सिवा कोई चारा भी नहीं है. अब चलो.


बलबीर तो चलने लगा. कोमल बच्चों जैसे रोने जैसा चहेरा बना लेती है.


कोमल : अरे रुको यार. मै भी आ रही हु.


कोमल भी बलबीर के साथ सीढिया चढ़ रही थी.


कोमल : (रोने वाला चहेरा) शिट यार. क्या मज़ाक है.


कोमल धीमे धीमे सीढिया चढ़ती बस अफ़सोस ही जाहिर कर रही थी. जब की बलबीर धीरज रखते बस हलका सा मुस्कुरा रहा था. वैसे तो कोमल फ़िल्मी नहीं थी. बस सीढिया चढने के लिए वो बलबीर को थोडा मस्का लगाने लगी.


कोमल : (रोने वाला चहेरा) ओओ मेरे हीरो... ओओ मेरे तेझाब के अनिल कपूर. कुछ तो रहेम कर इस फूल सी बची पर.


बलबीर ने घूम कर कोमल को देखा. वो दो सीडी निचे अपने घुटने पकड़ के झूकी हुई खड़ी बलबीर को ही देख रही थी.


बलबीर भी बस सीढ़ियों पर खड़ा उसे देख कर मुस्कुरा ही रहा था की कोमल ने और शरतत जारी रखी. वो गाना गाते हुए बलबीर की आँखों मे देखने लगी.


कोमल : (स्माइल) तू मेरा जानू है. तू..... मेरा दिलबर....
पर इस प्रेम ग्रन्थ के पन्नों पर...... तू मेरा हीरो...... है.
हो ओ.... हा हा हीरो है.....


ऐसा प्यारा चुतियापा करते पागली बार कोमल को मझा आ रहा था तो बलबीर भी मुश्कुराते निचे 5 सीढिया उतर आया. वो कोमल को झट से अपनी गोद मे उठा लेता है.


कोमल : साबास मेरे अनिल कपूर.


बलबीर : (स्माइल) इस गाने मे जैकी स्रोफ था. बेवकूफ.


दोनों ही हसने लगे. बलबीर गांव का मजबूत कद काठी वाला मर्द था. कोमल को वो किसी बच्चे की तरह गोद मे उठाए सीढिया चढने लगा. कोमल वैसे तो फ़िल्मी नहीं थी. पर बलबीर उसके लिए हीरो बन चूका था. वो जानती थी की ये सब चुतियापा है. पर ये चुतियापा करने मे कोमल को बड़ा मझा आ रहा था.

अपने हाथो की मला बलबीर के गले मे डाले वो उसे मुश्कुराते हुए देखती ही रही. वो दोनों अपने 5th फ्लोर अपने फ्लेट तक पहोच गए. बलबीर ने उसे निचे उतरा. कोमल बहोत खुश थी. ऐसा फ़िल्मी स्टंट पहेली बार उसके लिए किसी ने किया था. वो बलबीर की पीठ थप थपति है.


कोमल : (स्माइल) शाबाश मेरे हीरो.


बलबीर : अरे दरवाजा खोलो यार. एक तो खा खा के मोटी हो रही हो और.....


कोमल फिर लपक के बलबीर पर चढ़ गई.


कोमल : अच्छा मै मोटी हम्म्म्म....


बलबीर : अरे बाबा.... मै मै मज़ाक कर रहा था.


दोनों बहोत खुश थे. कोमल लॉक खोलने लगी. पर जैसे ही उसने लॉक खोला और डोर पुश किया. अंदर से बड़ी जोरो की बदबू का भाबका आया. कोमल तुरंत ही दूर चली गई. बलबीर ने भी अपनी नाक पर रुमाल दबा दिया. उस फ्लेट मे बहोत जबरदस्त गंध आ रही थी. कोमल का तो जी ख़राब हो गया.


कोमल : उफ्फ्फ... इतनी गन्दी बदबू......


एक बार फिर बलबीर हैरान रहे गया. क्यों की जब बलबीर पहेली बार कोमल के घर आया. तब भी यही बदबू थी. फिलहाल बहोत ज्यादा थी. और उस वक्त थोड़ी कम. मगर वही सैम बदबू तो पलकेश के घर आ रही थी. कोमल को अपने घर वो बदबू महसूस नहीं हुई.

पर पलकेश के घर महसूस हुई. और वापिस लौट ते ही कोमल को वही बदबू महसूस हो रही थी.
बदबू भी ऐसी जैसे की कोई मर गया हो. पर बलबीर कोई रिएक्ट नहीं करता. थोड़ी देर मे बदबू बस थोड़ी सी कम हुई. बलबीर अंदर फ्लेट मे घुसा और बारी बारी सारी विंडो खोल देता है. धीरे धीरे बदबू कम हो गई. लेकिन ख़तम नहीं हुई.


बलबीर : अब आ जाओ. बदबू कम हो गई है.


कोमल घर के अंदर आ गई. वो अपने ही घर को चारो तरफ ऐसे देख रही थी. जैसे अपना घर नहीं किसी और का घर हो.


कोमल : बड़ी घुटन सी हो रही है मुजे.


बलबीर : यही घुटन मुजे तुम्हारे इस घर मे तब से हो रही है. जब पहले दिन. मै तुम्हारे घर आया था.


कोमल : (सॉक) मतलब... मै समझी नहीं???


बलबीर : मतलब मै अपने बच्चों को यहाँ रोकने को क्यों राजी नहीं हुआ. मेने तो तुम्हे पहले दिन ही कहा था. यहाँ मुजे बहोत घुटन हो रही है.


कोमल को पहला दिन याद आया. जब बलबीर पहले दिन उसके घर आया था. वो अपने बच्चों को लेकर तुरंत घर से बहार निकल गया था.


बलबीर : ये घुटन से मै इतना तो समझ गया था की कुछ तो बुरा हो रहा है. और हुआ भी. यही बदबू तुम्हे यहाँ महसूस नहीं हो रही थी. मगर तुम्हारे पति के घर....


कोमल : वो नहीं है अब मेरा पति. पर तुम्हारी बात पर मुजे सोचने पर मजबूर कर रही है. पर फिर भी तुम मेरे लिए यहाँ रुके.


कोमल बहोत ही प्यार भरी नजरों से बलबीर को देखने लगी. कोई है जो हर मुशीबत मे उसके साथ खड़ा है.


बलबीर : उस डॉक्टर सहाब को फोन कर के देखो??


कोमल : अरे... बस इतनी सी बात पर फोन लगा दे. रुको अगर कुछ बुरा हो गया तो सीधा दाई माँ से ही बात करुँगी.


कोमल जानती थी. अगर उसपर कोई बात आई तो दाई माँ कैसे भी आ जाएगी.


कोमल : अच्छा ठीक है. पागले मै नाहा कर कुछ खाने को बना देती हु. फिर तुम नाहा लेना.


बलबीर : नहीं मे ज्यादा थक गया. पहले मुजे नहाने दो.


कोमल के फेस पर स्माइल आ गई. आखिर उसका हीरो उसे 5 मंजिल गोद मे जो उठाके लाया था.


कोमल : (स्माइल) ठीक है जाओ.


बलबीर बाथरूम मे घुस गया. कोमल बहार सोफे पर बैठी शावर से गिर रहे पानी की आवाज सुन रही थी. कोमल को बलबीर पर कुछ ज्यादा ही प्यार आ रहा था. वो सब याद करने लगी. कुछ गलत होने के डर से बलबीर उसे छोड़ कर नहीं गया. बल्कि वही उसके साथ रहा.

होटल मे जब रात पुलिस आ गई. बलबीर डर गया. मगर फिर भी उसके साथ ही रहा. पलकेश के मशले मे तो उसका कोई लेना देना भी नहीं था.
वो सिर्फ कोमल के लिए ही सारी मुशीबते झेलता रहा. कोमल पूरी तरह से बलबीर के प्यार मे पड़ चुकी थी. मगर जितना बलबीर सीधा था. उतनी ही कोमल शरारती.

वो खड़ी हुई और अपनी टीशर्ट ट्राउजर पैंट उतरने लगी. उतारते ही कोमल ब्लैक ब्रा पैंटी मे क़यामत ही लग रही थी. कोमल का पूरा बदन भरा हुआ था. खूबसूरत चहेरा उन्नत व्रक्स पतली कमर और गोरा बदन. कोमल के पेट पर भी चर्बी नहीं थी. एकदम सुतवा पेट, पतली कमर. कोमल आगे बढ़ी और बाथरूम के डोर को नॉक करने लगी.



बलबीर : अब क्या हुआ???


कोमल पीछे हाथ लेजाकर अपनी ब्रा के स्ट्रिप खोल रही थी. वो जैसे ही खुले. ब्रा एकदम से उछाल कर आगे कोमल के बूब्स पर लटक गइ. कोमल बहार उतरने लगी.


कोमल : खोलो एक मिनट.


बलबीर : अरे यार अभी तो साबुन भी नहीं लगाया. थोडा तो सबर करो.


कोमल : बस एक मिनट के लिए. खोलो.


बलबीर ने डोर खोला तो कोमल सिर्फ एक पैंटी मे खड़ी थी. और झूक कर उसे भी उतरने लगी.


कोमल : (स्माइल) साथ मे नहा लेते है. जल्दी कम पूरा हो जाएगा.


कोमल का कामुख खुबशुरत रूप देख कर बलबीर के लोकल कंपनी वाले कच्छे मे तम्बू बन गया. कोमल अंदर गई. और डोर बंद हो गया. अहह... उफ्फ्फ्फ़ ससससस... ऐसी आवाजे उस बाथरूम से आ रही थी. जो काम होटल मे अधूरा रहे गया. वो वहां उस बाथरूम मे पूरा हो रहा था. ठन्डे पानी के बावजूद दोनों के बदन की गर्मी ठंडी नहीं हो पा रही थी. थोड़ी देर बाद बाथरूम का डोर खुला. और सिर्फ कोमल ही बहार निकली.

कोमल भीगा बदन सिर्फ पंजो से ही फर्श को गिला करती अपने रूम मे चली गई. झट से अलमारी खोली. टावल निकला बदन पोछा और एक टावल जैसे गाउन पहेन लिया. वो अलमारी से अपनी ब्रा पैंटी निकाल लेती है. ब्रा तो कोमल ने पहेन ली. पार पैंटी पहेन ने के लिए कोमल पीछे बेड पार बैठी. जो अलमारी मिरर से सिर्फ 3 कदम पीछे था. किनारे पार बैठते सिर्फ पैंटी मे एक पाऊ ही अंदर डाला. कोमल का ध्यान अपने बगल मे गया.

वो एकदम से हैरान रहे गई. पहले तो कोमल अपनी पैंटी पहेन लेती है. फिर अपने बगल मे ध्यान से देखने लगी.
उस बेड पर एक पैंटी रखी हुई थी. और ये वही ब्लैक पैंटी थी. जो कोमल ने बाथरूम मे घुसने से पहले बाथरूम के डोर पर उतरी थी. कोमल एकदम हैरान थी. पर ऐसी बात वो किसी को कैसे बोलती. कोमल ने वो बात किसी को भी नहीं बताई.
 
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Shetan

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Shetan

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Lagta hai ab Komal ko apne aas paas buri NTT 👻 hone ka eshaas hone laga hai... Balbeer 💪 ko mamana padega.. Kuch bura hobe ka eshaas hone ke baavajuud bhi usne Konal ka saath nahi chhoda.. 🙋‍♀️
Thankyou so much Baawri.... आगे बच्चों की NTT पर कई खुलासे है. आगे तंत्र मंत्र पे भी बड़ा अपडेट है.

पर मुजे तुम्हारे वापिस आने की ज्यादा ख़ुशी है.
 

Baawri Raani

👑 Born to Rule the World 🌏
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Shetan Ji.. Komal ke ghar par bhi NTT ne kaaboo kar liya hai... yeh sab gaun ke Khet mei hui ek galti ke wajah se...

Aur Daayi maa toh antaryami nikli yaar.. dur baithe bhi unhe , apni muhboli beti par aayi musibat ka pata chal gaya...

Lekin 4 din toh bahot jyada hai.. pata nahi iss dauraan in dono ki kya halat hone wali hai..

Update 14C

वो दिन निकल गया. कोमल की जिंदगी मे अचानक अजीब से बदलाव आने लगे. कोमल के हाथ से कई केस छूटने लगे. कुछ केस उसके पास पुराने थे. उनकी जीत के बदले तारीख मिल जाती. एक दो केस कोमल जीत भी गई. मगर उसकी पेमेंट नहीं आ रही थी. वैसे तो कोमल के पास बड़ा सेविंग था. तो कोई प्रॉब्लम नहीं थी. मगर कोमल के दिन बुरे चल रहे थे. जिसका एहसास ना उसे हो रहा था. और ना ही बलबीर को.

कोमल कितना भी बहार से नीरस होती. उसका कितना भी नुकशान होता. उसकी परवाह उसे काम होती. मगर घर जल्दी जाने का ख्याल उसे जल्दी रहता. वो तो बस घर पहोचती और बलबीर के साथ रोमांटिक पालो मे खो जाती. हर वक्त वो बलबीर के साथ लगी ही रहती. वैसा ही हाल बलबीर का भी था. वो तो सिर्फ कोमल की कार ही ड्राइव करता था. पर कोमल जब भी उसकी तरफ आगे बढ़ती वो तुरंत तैयार हो जता.

एक बार तो एक जमीन की डील मे पुलिस कोमल के घर के दरवाजे तक आ गई. तब जाकर कोमल और बलबीर को एहसास हुआ की कुछ बुरा हो रहा है. कोमल ने एक इन लीगल डील क़ानून का डर दिखाकर करवा दी. नतीजा उसपर ही डराने धमकाने का केस हो गया. कोमल ने अपनी चालाकी से अपना नाम तो कटवा दिया. मगर पुलिस घर तक पहोच जाए ये एक बेजती ही है. वो जानी मानी वकील थी. पर उस दिन कोमल और बलबीर दोनों ही सोच मे पड़ गए. की हो क्या रहा है. एक दोपहर कोमल और बलबीर इसी मुद्दे पर बात करते है.


कोमल : यार मेरा काम कुछ ठीक नहीं चल रहा.


बलबीर : मे तो वैसे सिर्फ तुम्हारे साथ गाड़ी लेकर घूमता हु. पर जाने का मान ही नहीं करता. दिल करता है. सोता ही राहु. हमें दाई माँ से बात करनी चाहिये.


कोमल : सायद हमें डॉ रुस्तम से बात करनी चाहिये.


तभी डोर नॉक हुआ. कोमल खड़ी हुई और डोर खोलती है. सामने पोस्टमैन खड़ा था. पर जैसे ही डोर खुला उस पोस्टमैन ने अपनी नाक पर हाथ रख दिया.


पोस्टमेन : कितनी बदबू आ रही है मेम. क्या कोई चूहा वुहा मारा क्या???


कोमल ही नहीं अंदर बैठा बलबीर भी हैरान रहे गया. मतलब सायद वो दोनों ही उस गंध के आदि हो गए है. उस पोस्टमैन ने कोमल को एक लिफाफा दिया. और एक कागज़ पर साइन मांगे. वो चले गया. जब कोमल ने वो लिफाफा खोला वो सॉक रहे गई. उसके हाथ से वो कागज़ गिर गया. कोमल की आँखों से अंशू टप टप बहने लगे. बलबीर तुरंत आगे आकर कोमल को संभालता है. उसे बैठता है.


कोमल : पलकेश नहीं रहा.


थोड़ी देर माहौल शांत रहा. कोमल बहोत स्ट्रांग वुमन थी. उसने अपने आप को संभल लिया. वो अपने अंशू पोछती है.


कोमल : पलकेश की फैमली ने इस फ्लेट के लिए दावा ठोका है. उन्हें ये फ्लेट चाहिये.


बलबीर : तो दे दो ना. काम से काम उन्हें इसी से ही शांति मिलेगी.


कोमल भड़क गई.


कोमल : ऐसे कैसे दे दू. इस फेल्ट मे मेरा भी पैसे लगे थे. और हक़ मेरा है. किसी के बाप की ताकत नहीं मुझसे ये फ्लेट लेकर दिखाए.


बलबीर कुछ नहीं बोला. पर उसे अब फ़िक्र होने लगी.


बलबीर : आज क्या हम बच्चों से मिल आए???


बच्चों का नाम सुनकर कोमल का भी मन बच्चों से मिलने का होने लगा. अब कोमल को एहसास हुआ की वो जब से मुंबई से आई है. वो अपनी माँ और बहन से मिली ही नहीं. वैसे कोमल की माँ को नहीं पता था की बलबीर और कोमल दोनों एक साथ रहे रहे है. शाम हो चुकी थी. और दोनों कोमल की माँ के घर चल दिये. वो अपनी माँ के घर बलबीर के साथ पहोच गई. जब कोमल अपनी माँ के घर मे अंदर कदम रखती है. उसे अच्छा फील होता है. अंदर रूम से आरती होने की आवाज आ रही थी. एक छोटी घंटी भी सायद जयश्री बजा रही थी.

कोमल समझ गई की उसकी माँ भगवान की आरती उतर रही है. वो बहोत धार्मिक थी. और सुबह शाम भगवान की आरती पूजा पाठ किया करती थी. बलबीर का बेटा राजू नोटबुक मे पेन्सिल से कुछ लिख रहा था. कोमल की बहन हेमा बलबीर की छोटी सी बेटी नीरा को बोतल से दूध पीला रही थी. वो फर्श पर ही नीरा को गोद मे लिए हुए बैठी थी. बलबीर को देखते ही उसका बेटा राजू खुश हो गया.


राजू : (स्माइल) बाबा....


राजू भाग कर आया और अपने पिता को लपक कर उसकी गोद मे चले गया. वो कोमल से भी मिला. कोमल भी पहले तो अपनी बहन के पास बैठ कर नीरा को खिलाने लगी. राजू भी कोमल के साथ खेलने लगा. बलबीर को ये देख कर बहोत अच्छा लग रहा था. उसके बच्चे कोमल को पसंद करते है. कोमल ही तो उसके बच्चों का सारा खर्चा उठा रही थी. तभी कोमल की माँ जयश्री भी आ गई. वो भी कोमल को देख कर बहोत खुश हुई.


कोमल : (स्माइल) क्या बात है. आज मेरी बेटी मुझसे मिलने आई है. मुजे तो लगा तू मुजे भूल ही गई है.


जयश्री का बोलना जैसे कोमल को लगा की इसने ताना मारा हो. कोमल कुछ बोली नहीं. पर उसका चहेरा मुरझाया साफ दिख रहा था. उस वक्त को जयश्री कुछ नहीं बोली. वो बलबीर से भी मिली. माहौल अच्छा था. और सब खुश थे. सब ने साथ मिलकर डिनर किया. पर जयश्री एक माँ थी. वो समझ गई की कुछ तो बात है. उसे अभी तक ये नहीं पता था की पलकेश अब इस दुनिया मे नहीं रहा. जब कोमल अपनी बहन से बाते कर रही थी. तब जयश्री उसे आवाज देती है.


जयश्री : बेटा कोमल. तू इधर आना. मुजे तुजसे कुछ बात करनी है.


कोमल खड़ी हुई और अपनी माँ के पास आई. वो दोनों घर के बहार चले गए. बरामदे मे एक बड़ा झूला था. जयश्री कोमल को उसपर बैठती है. और खुद भी उसके पास बैठ गई.


जयश्री : अब बता क्या बात है??.


कोमल अपनी मुशीबते अपने परिवार को बताकर उन्हें परेशान नहीं करना चाहती थी. वो जैसे अनजान बन ने की कोसिस कर रही हो.


जयश्री : देख माँ हु तेरी. तुझे पैदा किया है. तू कुछ मुझसे तो छुपाने से रही. अब बोल.


कोमल से रहा नहीं गया. और वो काफ़ी कुछ अपनी माँ को बता देती है.


कोमल : माँ... कुछ गड़बड़ लग रही है. मुजे केस नहीं मिल रहे. पुरानी पेमेंट रुकी पड़ी है. कुछ जमीन का भी काम नहीं हो पा रहा है. मतलब ऐसा मन लो की सब चौपट हो रहा है.


जयश्री : कितने सालो से तू अकेली रहे रही है. कभी घर मे तूने दिया बत्ती की??? कभी हवन वगेरा करवाया??? देख जिस घर मे हम भगवान को जगह नहीं देते तो कोई और उसकी जगह ले लेता है.


कोमल को शक हुआ. कही उसकी माँ भुत प्रेतो के लिए तो नहीं बोल रही.


कोमल : किसका माँ???


जयश्री : दिलदराता, पनोती, मनहूसियत.


कोमल अपनी माँ की बाते बड़े ध्यान से सुन रही थी.


जयश्री : काम करने का मन नहीं होगा. काम बिगड़ने लगते है. बहोत कुछ ख़राब होता है मेरी बच्ची. तूने घर मे भगवान को तो बैठा दिया. मगर उसके बाद तू उन्हें भूल ही गई.


कोमल को अपनी माँ की बात ठीक लगी. शादी कर के जब से कोमल गई. भगवान के फोटोज बस मंदिर मे ऐसे ही रहे. वो नए ज़माने की थी. उसने कभी ध्यान ही नहीं दिया की घर मे पूजा पाठ भी होनी चाहिये थी.


जयश्री : देख जो तुझे पसंद हो. तू किसी को तो अपना मान. ऊपर वाला भी बस हमारे प्यार का भूखा है. तू बस एक बार उन्हें याद कर. वो तुझे तेरी जिंदगी भर ख्याल रखते रहेंगे. रुक तुझे कुछ देती हु.


जयश्री अंदर गई. और एक गणेश भगवान का स्टिकर लेकर आई.


जयश्री : ले. उन्हें दरवाजे के अंदर की तरफ लगा देना. वो तेरा सारा घर देखते रहेंगे.


कोमल बचपन से मौज मस्ती करते जीती थी. नवरात्रा मे गरबे. और गणपति विशर्जन मे वो खूब नाचती थी. कही ना कही उसे एक भगवान से प्रेम था. जिसे वो समझ नहीं पाई. कोमल ने वो स्टिकर ले लिया. इन सब बातो को बलबीर जब घर के बहार आ रहा था. उसने भी सब सुन लिया. और उसे भी एहसास हुआ की ऊपर वाला ही सब ठीक कर सकता है. मगर कोमल ने अभी तक एक बात छुपाए रखी. पर बताते हुए उसे बहोत हिचक भी हो रही थी.


कोमल : एक बात और है माँ.


जयश्री ने हैंरत से कोमल की ओर देखा.


कोमल : (हिचक) माँ... वो.... पलकेश अब इस दुनिया मे नहीं रहा.


जयश्री एकदम से शांत ही हो गई. वो कुछ पल शांत रहने के बाद कोमल को दिलाशा देती है.


जयश्री : चल अब कोई बात नहीं. वो वैसे भी तेरे साथ नहीं था. उसके बारे मे मत सोच.


कोमल को जयश्री ने गले लगाया. कुछ पल बाद दोनों शांत हो गए. कोमल और बलबीर वहां से निकल गए. और अपने फ्लेट पर आ गए. कोमल और बलबीर दोनों को अच्छा ही लग रहा था. पर फ्लेट पे आते जब कोमल ने अपने फ्लेट का डोर ओपन किया तो वही बदबू का जोर दार भापका आया. कोमल और बलबीर दोनों ही हैरान रहे गए. ऐसा कैसे हो सकता है. कोमल और बलबीर वैसे तो सायद उस बदबू के आदि हो गए थे. या उन्हें एहसास होना बंद हो गया था. वो कई बार बहार से आते. वो बदबू तो होती. मगर उन्हें फील नहीं होता. पर अब इस बार उन दोनों का दिमाग़ फिर ख़राब हो गया.

बलबीर आगे हुआ और उसने आते ही सारी विंडो दरवाजे खोल दिए. कुछ पल बाद वो बदबू काम हो गई. कोमल अब भी अपने ही घर के बहार खड़ी थी. उसका अंदर जाने का मन ही नहीं हो रहा था. कोमल को याद आया की उसकी माँ ने उसे कुछ दिया है. कोमल ने अपने पर्स से वो स्टिकर निकला और अंदर आकर डोर बंद कर के उस स्टिकर को अंदर की तरफ डोर पर लगा दिया. वो दोनों उस रात सो गए.


और दोनों को बहोत बढ़िया नींद भी आई. पर जब सुबह कोमल की नींद खुली. और कोमल अपने ड्राइंग रूम तक आई. उसकी नजर वही डोर पर गई. वो स्टिकर डोर पर नहीं था. वो फर्श पर निचे गिरा हुआ था. कोमल हैरान रहे गई. डोर लकड़ी का था. और स्टिकर पर काफ़ी गम था. तो स्टिकर ऐसे तो नहीं निकल सकता. कोमल आगे बढ़ी और उस स्टिकर को उठाकर फिर डोर पर चिपकने लगी. स्टिकर बड़ी आसानी से चिपक गया.

Update 14D

बलबीर कोमल से पहले ही उठ चूका था. कोमल के किचन मे ही मंदिर था. जब कोमल अपने किचन मे घुसी. बलबीर मंदिर की साफ सफाई कर रहा था.


कोमल : (स्माइल) गुडमॉर्निंग. मे भी यही सोच रही थी.


बलबीर ने उस दिन मंदिर की साफ सफाई की. और दिया बत्ती भी की. जब कोमल और पलकेश ने वो फ्लेट लिया था. उस वक्त कोमल की माँ जयश्री ने हवन करवाया था. उसके बाद पहेली बार उस फ्लेट मे किसी ने दिया बत्ती की. भगवान के आगे ज्योत जली. ज्यादा तो नहीं पर कुछ पलों के लिए एक अच्छा माहौल वहां बन गया. कोमल बाथरूम मे चली गई. वो जब नहा कर बाथरूम से निकली और तैयार होकर वो भी किचन मे आई तब उसकी नजर मंदिर पर गई. वो दिया बुझा हुआ था.

मतलब दिया था. अंदर तेल भी था. बाती थी. मगर ज्योत जो जली वो बुझी हुई थी. जब की ना ही बहार से कोई हवा चली. और ना ही किचन का फेन चल रहा था. पर कोमल इन सब बातो को गौर नहीं करती. वो फिर ज्योत जलाकर पहेली बार उस मंदिर के आगे हाथ जोड़ती है. हाथ जोड़ने के वक्त उसने अपनी आंखे बंद कर ली. पर जब वो अपनी आंखे खोलती है. वो ज्योत दोबारा बूझ चुकी थी. कोमल ने एक बार और ज्योत जला दी. और अपने काम मे लग गई. इस बार उसने ध्यान नहीं दिया.

मगर कोमल के मुड़ते ही वो ज्योत एक बार और बूझ चुकी थी. कोमल और पलकेश ने ब्रेकफास्ट और बाकि सभी काम कर लिए. कोमल को एक छोटी सी जमीन डील के किए कोर्ट मे फ़ाइल पेश करनी थी. बलबीर निचे कार मे बैठा कोमल का इंतजार कर रहा था. कोमल को पता था वो फ़ाइल कहा रखती है. वो अपने बेडरूम मे गई. अलमारी की ड्रवार खोली और फ़ाइल निकल ली. पर बंद करते वक्त कोमल की किसी चीज पर नजर गई. और वो हैरान रहे गई. वो कोमल की पैंटी थी.

और ये वही पैंटी थी जो कोमल ने नहाते वक्त उतरी थी. जो पैंटी नहाने की वजह से गीली थी. वो सुखी हुई थी. और कोमल ने तो उसे बाथरूम मे उतरी थी. वो उस ड्रावार मे कैसे आई. कोमल ने उस पैंटी को हाथ मे लिया और जाते हुए बाथरूम मे फेक दिया. वो डोर खिलने ही वाली थी. पर उसकी नजर उस स्टिकर पर गई. जो डोर पर चिपका होने की बजाय निचे गिरा हुआ था. कोमल ने उसे फिर उठाया और चिपकने की कोसिस की. पर वो चिपक ही नहीं रहा था. कोमल ने उस स्टिकर को अपने पर्स मे ही रख लिया. कोमल निचे आई और कार मे बैठ गई. वो अपने काम के लिए निकल गए.

रस्ते मे कोमल ने बलबीर को वो सारी बाते बताई. पर बलबीर को पैंटी वाली बात पर यकीन नहीं हुआ. पर स्टिकर वाली बात पर बलबीर कुछ सोचने लगा. बलबीर कोमल को कोर्ट तक ले गया. जब कोमल अंदर कोर्ट मे गई. बलबीर कही चले गया. कोमल खुश थी. जब वो कोर्ट से बहार आई. बलबीर उसे कोर्ट के बहार ही मिला. वो आई और तुरंत कार का डोर खोलकर अंदर बैठ गई.


बलबीर : (स्माइल) क्या बात है??? आज बहोत खुश नजर आ रही हो.


कोमल : (स्माइल) आज दो पेमेंट भी आ गई. और एक बड़ा जमीन का केस भी मिला है.


बलबीर : वाह ये तो बहोत अच्छी खुश खबरी है. पर मेरे पास भी तुम्हारे लिए कुछ है.


कोमल : (स्माइल) क्या???


बलबीर ने पिछली सीट से एक चीज निकली. जो पेपर से कवर थी. कोमल ने उसे जल्दी जल्दी खोला. उसमे गणेश भगवान की मूर्ति थी. कोमल खुश हो गई. आज का उसका दिन अच्छा था. कोमल की भगवान के प्रति आस्था बढ़ने लगी. वो दोनों घर के लिए वहां से निकल गए.


कोमल : आज का दिन अच्छा है यार.


कोमल इन बातो मे खुद के साथ जो छोटे मोटे इत्तफाक हो रहे थे. उन्हें भूल गई.


बलबीर : हा चलो अच्छा है. अब सायद मनहूशीयत गई. हमें लगता है की हमें घर पर एक हवन रखना चाहिये.


कोमल को अपनी माँ से हुई बात याद आती है. उसकी माँ ने भी यही सलाह दी थी. बाते करते हुए वो दोनों अपने घर आ गए. मूर्ति को मंदिर मे रखा गया. दोनों बहोत खुश थे. एक या दो दिन बाद कोमल ने अपनी माँ से कहकर अपने घर मे हवन भी रखवाया. कोमल की माँ जयश्री को ये पता नहीं चलने दिया गया की बलबीर और कोमल दोनों एक साथ पति पत्नी की तरह साथ रहे रहे है. हवन के दिन सब मौजूद थे. सारा काम जयश्री और बलबीर ने संभल लिया. माहौल बहोत अच्छा था.

कोमल की माँ जयश्री, बहन हेमा, कुछ उनके पडोसी बसलबीर और उसके दोनों बच्चे. कुछ कोमल की पुरानी फ्रेंड शामिल हुए. पंडितजी को कोमल की माँ जयश्री ही लेकर आई थी. एक अच्छा माहौल क्रिएट हुआ. मंत्रो के जाप के साथ हवन शुरू हो गया. पर एक ऐसी घटना हुई. जिसे देख कर सभी अचंबित रहे गए. हवन करती वक्त ना बहार से कोई हवा चल रही थी. ना ही घर मे पंखा. हवन कुंड की आग से निकालने वाला धुँआ सीधा डोर से बहार जा रहा था. ये चीज सभी ने नोटे की.


जयश्री : बेटा हेमा... तू बच्चों को घर लेजा.


अपनी माँ के ऐसे रविये से कोमल को बड़ी हेरत हुई. पर पंडितजी ने हवन बंद नहीं किया. वो मंत्रो को पढता रहा. और जैसे ही वो हवन सामग्री की आहुति देने के लिए हाथ आगे बढ़ता है. एकदम से आग तेज़ हो गई. आग एकदम से तेज़ होकर ऊपर छत को टच कर गई. इसमें बेचारे पंडितजी का हाथ भी जल गया. वो एकदम से पीछे को खिसक गया.


पंडित जी : अहह ससस यहाँ कुछ तो गलत हो रहा है. कुछ ठीक नहीं लग रहा.


तभी हवन कुंड के पास पड़ा नारियल एकदम से जैसे ब्लास्ट हुआ हो. और उसका एक छिलका कोमल की माँ जयश्री को लगने ही वाला होता है. बलबीर बिच मे आ गया. वो सुकर था की बलबीर जयश्री के बगल मे ही था. वो एकदम से जयश्री के आगे ढाल बन गया. वो नारियल का टुकड़ा बलबीर की पिठ पर लगा. सभी महेमान बिना कुछ बोले ही वहा से जाने लगे.

कोमल भी हैरान थी. पर और ज्यादा हैरानी तब बढ़ी जब उस फूटे हुए नारियल को देखा. उसके अंदर से काला पानी था. जो इधर उधर फैला हुआ था. और नारियल के टुकड़ो से बड़ी सड़ी हुई बदबू भी आ रही थी. पंडितजी तुरंत वहां से खड़े हो गए.


पंडितजी : हवन अब खंडित हो गया है. तुम्हे किसी सयाने को बुलाना चाहिये.


बोल कर पंडितजी चले गए. कोमल की माँ, कोमल, बलबीर तीनो हैरान थे.


जयश्री ने जिद की वो उसके साथ घर चले. वो उस घर मे अकेली ना रहे. पर कोमल नहीं मानती. क्यों की फिर बलवीर अकेला हो जता. जयश्री जिद करने लगी की वो भी यही रुकेगी. तब कोमल ने बलबीर का नाम लिया. की वो उसे वहां रोक लेगी. ये बात जयश्री को थोड़ी बुरी तो लगी. लेकिन ऐसे वक्त एक मर्द का होना ज्यादा अच्छा था. कोमल ने अपनी माँ जयश्री को समझा बुझा कर उसके घर भेज दिया. कोमल और बलबीर दोनों ही परेशान थे.


कोमल : ये क्या हो रहा है. मुजे कुछ समझ नहीं आ रहा.


बलबीर : ये कुछ बुरी चीज है. दाई माँ को कैसे भी बुलाओ.


कोमल ने अपना फोन उठाया. और दाई माँ को call लगाया. पर फ़ोन तो स्विच ऑफ आ रहा था.


कोमल : (परेशान) उनका फोन तो बंद है. अब क्या करें.


वो दोनों ही सोचने लगे. तभी बलबीर के मुँह से ही निकला.


बलबीर : क्या डॉक्टर सहाब????


कोमल को सही लगा. उनका नम्बर सेव था. कोमल ने तुरंत ही call लगा दिया. सिर्फ 2 ही रिंग मे डॉ रुस्तम ने call पिक कर लिया.


डॉ : हेलो कोमलजी??? मुजे भुरोसा था. काम से काम आज तो आप का call आएगा..


कोमल : पर मेने तो....


डॉ ने कोमल की बात काट दी.


डॉ : मुसीबत मे होना. दाई माँ का फोन आया था. उन्होंने ही मुजे बताया. तुम खुद मुशीबत मे हो. पर ये अच्छा है. वो तुम दोनों मे से किसी के भी अंदर घुस नहीं पाया.


कोमल : लेकिन उनका फोन तो स्विच ऑफ आ रहा है. उन्हें कैसे पता चला???


डॉ : वो मूर्ति कहा है. जो तुम खरीद कर लाए थे???


कोमल याद करने लगी. उसे याद आया की बलवीर ने एक गणेश भगवान की मूर्ति खरीदी थी. जिसे भगवान के मंदिर मे बैठाया था. कोमल तुरंत ही किचन मे गई. और मंदिर मे देखा. वो मूर्ति वहां नहीं थी.


कोमल : (घबराहट) हेलो.. वो मूर्ति.


डॉ : वो तुम्हारे टेरिस पर है. जाके ले आओ.


कोमल ने फ़ोन कान पे लगाए लगाए ही बलबीर को अपने साथ आने का हिशारा करती है. बलबीर भी कोमल को थोडा डरा घबराया हुआ देख रहा था. वो झट से खड़ा हुआ. और कोमल के पीछे जाने लगा. कोमल तेज़ी से सीढिया चढने लगी. बलबीर भी उसके साथ तेज़ी से ही सीढिया चढ़ रहा था. वो बिल्डिंग भी 10 मंजिला थी. जिसमे कोमल का फ्लेट 5th फ्लोर पर था. धुप बहोत तेज़ थी और कोमल नंगे पाऊ ही ऊपर आ गई.

ऊपर आते ही कोमल यहाँ वहां देखने लगी. बलबीर भी उसके साथ ही था. बस एक मिनट भी नहीं हुआ और कोमल के पाऊ जलने लगे. वो खड़ी यहाँ वहां देख कर एक पाऊ ऊपर निचे कर रही थी.


बलबीर : तुम ढूढ़ क्या रही हो ये तो बताओ???


कोमल : (दर्द हड़बड़ट) अरे... वो मूर्ति.


बलबीर पूरा तो नहीं समझा. पर उसे ये तो पता चल गया की ढूढ़ना क्या है.


बलबीर : तुम वहां चली जाओ. मै देखता हु.


बलबीर खोजने लगा. और उसे वो मूर्ति दिख गई. बलबीर तो देखते ही समझ गया. क्यों की वो खुद ही उसे खरीद कर लाया था. जब कोमल ने मूर्ति देखि तब उसे थोड़ी राहत हुई. वो दोनों निचे आए. कोमल की आँखों से अंशू निकल आए. उसे याद आया की call चालू था.


कोमल : हेलो????


डॉ : दाई माँ कामख्या मे है. वो कल ट्रैन मे बैठ जाएगी. उन्हें तुम तक पहोचने मे 4 दिन लग जाएंगे.


कोमल : उनसे कहो की फ्लाइट मे आ जाए. मै सब अरेंज कर दूंगी.


डॉ : वो प्लेन मे कभी नहीं बैठती. मेने उनकी टिकट कर दी है. तब तक धीरज रखो. और जिसे भी तुम मानते हो उसे पूजते रहो.


वो call कट हो गया. कोमल को समझ ही नहीं आ रहा था की उसपर कोनसी मुशीबत आ गई है.
 

Baawri Raani

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Thankyou so much Baawri.... आगे बच्चों की NTT पर कई खुलासे है. आगे तंत्र मंत्र पे भी बड़ा अपडेट है.

पर मुजे तुम्हारे वापिस आने की ज्यादा ख़ुशी है.
Baccho ki NTT!!! 😯. Horror movies mei bacche hi sabse jyada darate hai.. 👻

Actually mein koi updates miss nahi karna chahti.. is liye sab ek ek padh kar hi waha pahchungi.. shayad ek do din lag jaaye .. lekin sabhi updates padhungi..:cool3:
 

Baawri Raani

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Do do NTT !!👿😈 .. Yeh Komal ke peeche pade hai.. Lagta hai dono mard hi hai.. 😉.. Haan waise bhi mard log in bhooton se kum nahi hote.. 😒

(Next time Balbir ,💪😁 ko bhi nahate hue.. touch karwa do kissi sexy chudail se.. :love3:)

Dr. Aur Daayi Maa jaldi aa jaaye toh raahat mile..


Update 15

उस फोन call के बाद तो कोमल मानो निराश ही हो गई. कामख्या से आने में दाई माँ को 4 दिन लगने थे. कोमल मुशीबत मे है. ये बात देश के एक कोने से दूसरे कोने मे बैठी दाई माँ को पता चल गया. निराश कोमल ने बलबीर को बता दिया की दाई माँ आ रही है.

बलबीर को तो बस इतना सुनकर ही राहत मिल गई. पर कोमल को ऐसे परेशान देख कर बलबीर को अच्छा नहीं लग रहा था. 4 दिन कैसे निकला जाएगा ये भी एक डर बलबीर को सत्ता रहा था. बलबीर कोमल के पास बैठा.

उसे देखते ही कोमल भावुक हो कर उसे गले लगकर रोने लगी. बलबीर ने भी उसे बाहो में भर लिया. जैसे दिलाशा दे रहा हो की वो उसके साथ है.


बलबीर : मै जानता हु तुमपर क्या बीत रही है. पर तुम फ़िक्र मत करो. मै तूम्हारे साथ हु. चाहे कुछ होजाए. मै तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगा.


कोमल रो रही थी. पर बलबीर की प्यार भरी बाते उसे हिम्मत दे रही थी.


कोमल : (रोते हुए) ये पता नहीं क्या हो रहा है. पलकेश मर गया. उसे तो डॉ सहाब ने पकड़ लिया था ना. फिर हमारे साथ ऐसा क्यों हो रहा है.


बलबीर : कोई बात नई. दाई माँ आ रही हेना. वो तुमसे बहोत प्यार करती है. वो तुम्हे कुछ नहीं होने देगी. अब तुम एक काम करो. थोड़ी देर के लिए सो जाओ. तुम्हे अच्छा लगेगा.


कोमल कुछ बोलती नहीं है. बलबीर उसे उठने लगा.


बलबीर : उठो. चलो...


बलबीर कोमल को उठाकर सहारा देता हुआ. बेडरूम तक ले गया. और बड़े बेड पर उसे सुला देता है. कोमल भी अपने आप मे थका हुआ महसूस कर रही थी. उसने अपनी आंखे बंद कर ली. बलबीर काफ़ी देर तक उसके पास बैठा. जब उसे एहसास हुआ की कोमल सो चुकी है. वो खड़ा हुआ और बहार आकर दोबारा सोफे पर बैठ गया.

बलबीर सोच रहा था की आखिर क्या हो सकता है. कैसे कोमल के काम बिगड़ रहे है. घर मे अनहोनीय हो रही है. बहोत देर सोचने के बाद भी कुछ समझ नहीं आया. बलबीर ने भुत प्रेत तो कई दफा देखे थे. पर वो उन्हें छेड़ता नहीं. कोनसे भुत की किस्मे कोनसी ये भी ज्यादा तो नहीं जानता था.

पर कई बार देखने के कारण कुछ एक्सपीरियंस हो ही जता है. बलबीर खड़ा हुआ और कोमल को देखने के लिए बेडरूम की तरफ जाने लगा. बेडरूम मे घुसते ही सामने ही ड्रेसिंग टेबल था. जिसके बड़े मिरर से बेड साफ दीखता था.

क्यों की बेडरूम के डोर के बगल मे ही डबल बेड था. जब बलबीर बेडरूम की तरफ जा रहा था तो सामने अंदर की तरफ उसने एक भयानक नजारा देखा. उस मिरर से चेन से सो रही कोमल दिखी.

पर कोमल के सिरहाने और उसकी कमर के पास कोई बैठा था. बलबीर ने कोमल के पास अजीब से दिखने वाले 2 और ही लोगो को देखा. बलबीर एकदम से सॉक हो गया. उन दोनों सक्स की शकल ही कुछ भयानक थी. मगर दूसरा झटका तो उस से भी अजीब था.

कोमल की कमर के पास बैठे उस सक्स की नजरें मिरर के जरिये बलवीर से मिल गई. बलबीर एकदम स्थब्ध खड़ा बस उन्हें ही देख रहा था. उसने बलबीर को एक इशारा किया. एक ऊँगली अपने होठो पर रखी और.


सससससस.....
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जैसे चुप रहने का कोई आवाज ना करने का हिशारा कर रहा हो. पर इन सब मे बलबीर मानो चिपक ही गया हो. वो हिम्मत कर रहा था चीखने की. मगर चीख ही नहीं पा रहा था. उसके पाऊ भी एक ही जगह जम गए थे. बलबीर पूरा जोर लगता है. और बहोत जोरो से चिखा.


बलबीर : कोमल...................


बलबीर की आवाज से कोमल एकदम से उठ गई. और वो एकदम से दए बाए देखते बलबीर की तरफ आई. वो बलबीर को तुरंत गले लगाती है. वो उसे सँभालने की कोसिस करती है. कोमल ने बलबीर को पहेली बार डरा हुआ महसूस किया.


कोमल : बलबीर... बलबीर.... क्या हुआ बलबीर....???


कोमल बलबीर के गलो को थप थपति है. बलबीर घबराया हुआ बड़ी मुश्किल से बोल पाया.


बलबीर : वो वो वो... तुम्हारे पास बैठा था कोमल. वो वो तुम्हारे पास ही...


कोमल समझ गई की जरूर बलबीर ने कुछ ऐसा देखा है. जिसे देख कर बलबीर डर गया है. कोमल उसे पानी पिलाती है. उसे संभालती है. कुछ देर बाद बलबीर संभल गया. तब वो कोमल को वो पूरी बात बताता है की कैसे उसने किसी को उसके पास बैठा हुआ देखा. कोमल भी सोच मे पड़ गई. शाम हो चुकी थी.

कुछ वक्त बीत गया. शाम के भोजन की तैयारी करनी थी. कोमल बाथरूम मे नहा रही थी. तब कोमल को ऐसा महसूस हुआ की जैसे कोई उसके बालो मे ऊँगली घुमा रहा है. कोमल ने एकदम से उसकी ऊँगली पकड़ने की कोसिस करते वो जोर से पलटी.

पर कोई नहीं था. कोमल को भी डर का एहसास होने लगा. उसने सावर बंद किया. बस वो चिखी नहीं. पर घबरा जरूर गई थी. कोमल जल्दी से अपना बदन पोछने लगी. जब वो अपना बादन पोछ रही थी.

तब उसे ऐसा एहसास हुआ की किसी ने उसकी कमर को छुआ है. कोमल ऐसे ही जल्दी से बाथरूम से नंगी ही बहार आ गई. बलवीर सोफे पर था. कोमल को अचानक ऐसे डरे हुए नंगा बहार निकलते देख वो भी सॉक होकर खड़ा हो गया.


बलबीर : क्या हुआ???


कोमल सीधा ही बलबीर को गले लगा लेती है. वो भी घबराइए हुई थी.


कोमल : (घबराहट) मुजे किसी ने टच किया.


बलबीर भी समझ गया की ये वही होंगे. जिसे उसने कोमल के पास बैठा हुआ देखा था. कोमल की आँखों से अंशू निकल पड़े.


कोमल : (रोते हुए ) ये क्या हो रहा है. हमारे साथ. मुजे कुछ समझ नहीं आ रहा है.


बलबीर : सब ठीक हो जाएगा. धीरज रखो. दाई माँ आ रही हेना. वो सब ठीक कर देगी.


तभी कोमल के मोबाइल पर रिंग बाजी. फोन टेबल पर था. कोमल आगे बढ़ी और मोबाइल उठा लेती है.


कोमल : हेलो.???


सामने डॉ रुस्तम था.


डॉ : डोंट वरी कोमलजी. मै कल सुबह ही आ रहा हु. मुजे शाम की फ्लाइट नहीं मिली. नहीं तो मै शाम को ही आ जता.


कोमल : थैंक्यू सो मच डॉ साहब. प्लीज जल्दी आइयेगा. यहाँ हालत बहोत ख़राब है.


डॉ : हा मे समाजता हु. पर आप फ़िक्र मत कीजिये. दाई मा सुबह ही निकल गई. वो ट्रैन बदल बदल कर आ रही है. वो भी जल्दी ही आ जाएगी. बस आप इंतजार करिये.


फोन कट हो गया. कोमल फोन रखने ही वाली थी की अचानक फोन से किसी की आवाज आई. और वो आवाज कुछ अजीब सी भयानक थी. वो कोई मरदाना आवाज थी.


क्या वो तुम्हे बचा लेगा. उसकी मौत यही होंगी. यहाँ तुम्हारे घर मे.



उस अनजानी आवाज से डरकर कोमल ने एकदम से अपना फोन फेक दिया.
 
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