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Horror किस्से अनहोनियों के

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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मुझको मेरे हाल पर छोड़ कर जाने से पहले आगाह कर दिया होता दिल लगाने से पहले हम एक दिल और भी खुदा से मांग लेते फिर ये दर्द नहीं सहते टूट जाने से पहले।।❣️
 

Baawri Raani

👑 Born to Rule the World 🌏
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265
53
Daayi maa se bachke kaha jaoge. he he he.. chudail 🧙‍♀️ho ya jin👿😈 koi bach na payega..

Bahot tang kiya tha in jin ne Komal ko. Uske upar peshab 🤢 bhi! Bahot gande hai ye toh yaar. Ab daayi maa ne hopefully unhe humesha ke liye bhaga diya..

Hmm chalo yeh kissa toh khatam hua .. ab agle kissa padhti hu.. 📖
A

Update 18A

शाम बीत गई. डॉ रुतम, बलबीर और कोमल मे काफ़ी बातचीत भी हुई. तीनो ने साथ मिलकर डिनर किया. पर रात होते ही सोने की बारी आई. अब कोमल डॉ रुस्तम के सामने ये कैसे शो करें की बलबीर और कोमल दोनों बिना शादी के पति पत्नी की तरह रहे रहे है. कोमल बात को घूमने की भी कोसिस करती है.


कोमल : बलबीर तुम घर जाओगे तो पहोच कर फ़ोन करना. ओके???


बलबीर कभी डॉ रुस्तम को देखता है. तो कभी कोमल को. उसके हाव भाव से ही पता चल गया की कुछ गड़बड़ है. बलबीर भी ये नहीं समझ पाया की कोमल बोलना क्या चाहती है. पर डॉ रुस्तम जरूर समझ गया. और उसे हसीं आ गई. कोमल का चहेरा उतर गया. क्यों की वो भी समझ गई की डॉ रुस्तम समझ गए.


डॉ : (स्माइल) देखो. मुजे किसी की पर्सनल लाइफ से कोई लेने देना नहीं. आप लोग जैसे चाहे वैसे रहिये.


कोमल को थोड़ी राहत हुई.


कोमल : हम दोनों लिविंग मे रहे रहे है.


बलबीर : ये लिविंग क्या??? मतलब???


बलबीर ज्यादा पढ़ा नहीं था. इस लिए उसे ऐसे शब्दो का ज्ञान नहीं था. पर कोमल को बलबीर ने जो रायता फैला दिया था. उसपर कोमल बलबीर से थोडा गुस्सा भी थी.


कोमल : किसी बुद्धू के साथ रहते है. उसे लिविंग कहते है.


बलवीर : पर तुम कहा बुद्धू हो. तुम तो समजदार हो.


कोमल का मज़ाक कोमल पर ही आ गया. डॉ रुस्तम जोरो से हस पड़ा. कोमल सोफे पर बैठे सर निचे किये हसने लगी. उसे शर्म भी आ रही थी. और हसीं भी. बलबीर ने कोई जानबुचकर पंच नहीं मरा था. ये उसका भोलापन ही था. डॉ रुस्तम भी सामने के सोफे ओर बैठ गया.


डॉ : (स्माइल) मान गए बलबीर साहब. मान गए तुम्हे.


बलबीर को अब भी समझ नहीं आया की हुआ क्या.


डॉ : वैसे मे अअअअअ... किसी की प्रसनल लाइफ के बारे मे कभी नहीं बोलता. पर बलबीर साहब को देख कर आप से कुछ कहना चाहता हु.


कोमल भी डॉ रुस्तम की तरफ देखने लगी. डॉ रुस्तम वैसे तो कहे रहे थे. पर लहजा पूछने वाला था. जैसे बोलने की परमिशन मांग रहे हो. वो बात डॉ रुस्तम कोमल की आँखों मे आंखे डालकर कहते है.


डॉ : बलबीर साहब जैसे भोले और सीधे इंसान को अपना ना बहोत ही पुण्य का काम है. अगर सच्चा प्यार है तो जीवन खुशियों से भर जाएगा. पर अगर बिच रास्ते पर ऐसे रिश्ते को यदि छोड़ दिया गया तो बहोत बड़ा पाप होगा.


बलबीर तो बस खड़ा बात समझने की कोसिस मे था. उसे बात समझ भी आ गई. मगर कोमल अच्छे से समझ गई की डॉ रुस्तम क्या कहना चाहते है. कोमल ने प्यार से भावुक होकर बलबीर की तरफ देखती है.


कोमल : (भावुक) कुछ भी हो जाए डॉ साहब. मै बलबीर से कभी अब दूर तो नहीं रहे सकती. ये मेरे साथ तब खड़ा रहा जब मेरे पति ने मेरा साथ छोड़ दिया.


बलबीर भी भावुक होकर मुस्कुरा दिया.


डॉ : (स्माइल) चलो अच्छी बात है. मै यही सोफे पर ही सो जाऊंगा.


रात हो गई. बलबीर और कोमल दोनों अपने रूम मे ही सो गए. उस दिन कोई हरकत कुछ गलत नहीं हुआ. पर रात 1130 पर हरकते शुरू हो गई. एकदम से टीवी ऑन हो गई. वॉल्यूम नहीं था. पर एकदम से सामने रखी टीवी के उजाले से डॉ रुस्तम जाग गया. बलबीर और कोमल को नींद आ चुकी थी. इस लिए उन्हें पता नहीं चला की ड्राइंग रूम क्या हो रहा है. डॉ रुस्तम समझ गए की मामला क्या है.

वो वापिस लेट गए. वॉल्यूम अपने आप धीरे धीरे बढ़ने लगा. पर डॉ रुस्तम वैसे ही लेटे रहे. जैसे उन्हें कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा हो. लेकिन टीवी की आवाज के कारण बलबीर और कोमल दोनों की नींद खुल गई. और वो दोनों ड्राइंग रूम मे आए. वो दोनों सॉक थे. टीवी तेज आवाज मे चालू है. और डॉ रुस्तम मस्ती से लेते हुए है.


डॉ : (सोए सोए ही) चुप चाप उसे जो करना है करने दो. तुम जाकर आराम से लेट जाओ.


कोमल भी समझ गई की मामला क्या है. वो बलबीर का हाथ पकड़ कर अंदर लेजाने लगी.


कोमल : चलो बलबीर.


वो दोनों रूम मे तो आ गए. पर नींद अब कहा आने वाली थी. तभी लैंडलाइन फोन पर रिंग बजने लगी. अब हर चीज को तो पैरानार्मल एक्टिविटी से तो नहीं जोड़ा जा सकता. डॉ रुस्तम ने फोन नहीं उठाया. मगर फ़ोन लगातार बजता रहा. कोमल ने सोचा सायद वो फोन उसके लिए किसी ने किया हो. कोमल से बरदास नहीं हुआ.

और वो बेड से खड़े होकर ड्राइंग रूम मे आ गई. डॉ रुस्तम ने भी उसे देखा. पर वो कुछ बोले नहीं. कोमल कभी डॉ रुस्तम को देखती है. तो कभी अपने लैंड लाइन फोन को. कोमल झटके से उस फोन को उठा लेती है. पर कुछ बोली नहीं. बस रिसीवर कान पे लगाकर सुन ने लगी. पर वो हैरान हो गई. उसे उस दिन जो पलकेश के साथ जो फोन पर बात हुई थी. वही सुन ने को मिली


((( पलकेश : हेलो कोमल. क्या तुम ठीक हो???
कोमल : (सॉक) हा मै ठीक हु.


पसकेश : पर मै ठीक नहीं हु. पर मै ठीक नहीं हु(अन नॉनवॉइस) क्या तुम यहाँ आ सकती हो??? क्या तुम यहाँ आ सकती हो(अन नॉन वॉइस)???


कोमल : क्या हो गया तुम्हे. तुम ठीक तो हो.


पलकेश : (रोते हुए) नहीं मै ठीक नहीं हु. नहीं मै ठीक नहीं हु(अन नॉन वॉइस). तुम प्लीज जल्दी यहाँ आ जाओ. तुम प्लीज जल्दी यहाँ आ जाओ(अन नॉन वॉइस). वो तुमसे बात करना चाहता है. वो तुमसे बात करना चाहता है(अन नॉन वॉइस). ))))


ये बाते पलकेश से तब हुई थी. जब तालाख के बाद पलकेश ने अचानक call कर दिया था. और कोमल बलबीर को लेकर मुंबई गई थी. वही दोहरी आवाज. साथ मे वैसे ही इको होते किसी अन नॉन की आवाज. मतलब डबल आवाज. कोमल हैरान होकर डॉ रुस्तम को देखने लगी.


डॉ : हैरान मत होना. वो तुम्हे कोई ना कोई पास्ट दिखाकर तुम्हारे अंदर डर पैदा करेगा. अगर तुम्हे कोई फर्क नहीं पड़ता तो वो कुछ भी नहीं कर सकता. ये असर 4 बजे तक चलेगा.


बलबीर भी वही आ गया. और तीनो ने मिलकर 4 बजे तक सोफे पर बैठके रात कटी. डॉ रुस्तम और बलबीर अपने जीवन के कई एक्सपीरियंस आपस मे सेर करते रहे. पर कोमल को तो बलबीर के कंधे पर सर रखे नींद आ गई. ये कोमल को भी नहीं पता चली. 4 बजते ही बलबीर भी वैसे बैठे सो गया. तो बलबीर कोमल के बैडरूम मे जाकर सो गया. सुबह के 9 बजे उनकी नींद किसी के डोर नॉक होने से खुली. बलबीर भी उठ गया और कोमल भी.

डोर जोरो से ठोका जा रहा था. इतनी जोर से की कोमल और बलबीर दोनों की नींद खुलने की बजाए उड़ ही गई. वो दोनों एकदम से उठकर डोर की तरफ देखने लगे.


दाई माँ : अरे खोलो दरवाजा. निपुते अब तक सोय रहे है.


दोनों की गांड फट गई. डॉ रुस्तम की भी नींद खुल गई. और वो भी आ गया.


कोमल : (रोने जैसा मुँह) बलबीर अब क्या करें. माँ तो आ गई.


डॉ रुस्तम आगे बढ़ा और उसने डोर खोल ही दिया. दाई माँ अंदर आई और अपने दोनों बैग डॉ रुस्तम के हाथ मे पकड़ा दिये.


दाई माँ : जे ले. तू ज्याए पकड़.


कोमल तुरंत दाई माँ के पास पहोच गई.


कोमल : माँ....


पर दाई माँ ने उसे एक झन्नाटेदार झापड़ मारा.


दाई माँ : (गुस्सा) किस हक़ ते जे तेरे झोर रेह रो है.
(किस हक़ से ये तेरे साथ रहे रहा है.)


कोमल को बचपन मे भी किसी ने नहीं मारा. उसके पापा बेटी पर हाथ कभी नहीं उठाते थे. नहीं उसकी माँ को उठाने देते. लेकिन पहेली बार थप्पड़ से कोमल पूरी हिल गई. दाई माँ फिर बलबीर के पास गई. वो बलबीर को भी थप्पड़ मार ने ही वाली थी. उस से पहले ही कोमल और बलबीर दोनों ही दाई माँ के पाऊ पकड़ लेते है. कोमल की आँखों के अंशू देख कर दाई माँ का दिल पिघल गया.

बलबीर को तो दाई माँ वो छोटा था. तब से जानती थी. वो जानती थी की बलबीर कभी गलत नहीं कर सकता. दाई माँ बलबीर के चहेरे को देख कर भी बात समझने की कोसिस करती है. दाई माँ थोडा लम्बी शांसे लेते दोनों को देखती रही.


दाई माँ : (लम्बी शांसे) छोडो...


कोमल : (रोते हुए ) माँ प्लीज हमें समझने की कोसिस करो.


दाई माँ थोडा चिल्ला कर बोली.


दाई माँ : अरे छोड़ अब.


कोमल ने डर के तुरंत छोड़ दिया. बलबीर भी तुरंत पीछे हट गया. दाई माँ पास मे ही सोफे पर जाकर बैठ गई. बुढ़ापे का असर साफ दिख रहा था. थोड़ी हालत दुरुस्त होते ही कोमल की तरफ देखती है. पर इस बार आँखों मे गुस्सा नहीं था.


दाई माँ : जे गाम को सुधो सादो छोरा है. तू जाके साथ क्यों एसो कर रही है??
(ये गाउ का सीधा सादा लड़का है. तू इसके साथ क्यों ऐसा कर रही है???)


कोमल कभी बलबीर को देखती है. तो कभी दाई माँ को.


कोमल : (हिचक) माँ मे मे बलबीर से प्यार करती हु.


दाई माँ को पलकेश के बारे मे पता था. तलाख और मौत दोनों के बारे मे.


दाई माँ : फिर ज्याते ब्याह कई ना कर रई तू???
(फिर इस से शादी क्यों नहीं कर रही तू???)


कोमल कुछ बोल ही नहीं पाई. पर दाई माँ ने भी वही बात बोली जो रात रुस्तम ने कही थी. तरीका बोलने का चाहे अलग हो पर कहने का मतलब वही था. बलबीर खुद आगे आया और घुटनो के बल दाई माँ के कदमो मे बैठ गया.


बलबीर : माई मुजे कोमल पर भरोसा है. आप मेरी फ़िक्र मत करो.


दाई माँ ने एक नार्मल थप्पड़ बलबीर के गाल पर मार दिया.


दाई माँ : चल बाबाड़ चोदे......(देहाती ब्रज गली )


इस बार कोमल हसीं रोक नहीं पाई. और अपने मुँह पर हाथ रख कर हस दी. दाई माँ ने कोमल को प्यार से देखा तो कोमल तुरंत दाई माँ के पास आ गई. एक माँ कब पिघलेगी ये उसके बच्चों को पता होता है. कोमल दाई माँ के बगल मे सोफे पर बैठ गई. वो दाई माँ को तुरंत बाहो मे भरकर उसके कंधे पर अपना सर टिका देती है.


कोमल : (भावुक) माँ...


दाई माँ ने कन्धा झटक कर कोमल को दूर करने की कोसिस की. पर कोमल जानती थी की ये झूठा विरोध है.


दाई माँ : चल हठ बावरी.


कोमल ने अपनी बाहो के घेरे को बिलकुल ढीला नहीं छोड़ा. उल्टा और ज्यादा कस लिया. कोमल मुस्कुराते अपनी आंखे बंद कर लेती है. उसके फेस पर एक अलग शुकुन को साफ महसूस किया जा सकता था. दाई माँ भी पिघल गई और कोमल के गल को अपने हाथ से सहलाने लगी.


दाई माँ : तोए जोर ते तो ना लगी लाली???
(तुझे जोर से तो नहीं लगी बेटी???)


कोमल ने कोई रियेक्ट नहीं किया. जब की उसे किसी ने पहेली बार थप्पड़ मारा था.


कोमल : कुछ नहीं हुआ माँ.


दाई माँ : चल हट फिर. पहले वो काम कर दऊ. जाके(जिसके) लिए मै आई हु.


कोमल हटी. और दाई माँ ने डॉ रुस्तम की तरफ देखा. वो दाई माँ के दोनों बड़े थैले को ले आया. दाई माँ अपना प्रोग्राम शुरू करने वाली थी.


A

Update 18B


दाई माँ फर्श पर बैठ गई. और अपने थैले से सामान निकालने लगी. कोमल सब देख रही थी. कुछ सामान तो उसे ख्याल था. जो उसने डॉ रुस्तम के हवन क्रिया मे देखा था. दाई माँ ने जो सामग्री निकली उसमे बहोत सी चीजे ऐसी थी. जो मृतक जीवो की थी.

किसी पशु का नाख़ून, दाँत, हड्डी. खोपड़ी. बहोत कुछ. दाई माँ ने एक खिलौना भी निकला. वो एक गुड्डा था. ऐसे और भी दाई माँ के झोले मे थे. दाई माँ ने कोमल की तरफ देखा.


दाई माँ : लाली तेरे घर मे कोउ बड़ो सो शिसा हते का???
(बेटी तेरे घर मे बड़ा सा शिसा है क्या???)


कोमल : हा हा है ना. पर वो मेरा ड्रेसिंग टेबल है.


डॉ रुस्तम : वो तो कुर्बान करना पड़ेगा.


कोमल ने बलबीर की तरफ देखा. वो समझ गया और बेडरूम से उस ड्रेसिंग टेबल को ही ले आया.


कोमल सभी करवाही बड़े ध्यान से देख रही थी. दाई माँ ने एक काला कपड़ा लिया और उस से ड्रेसिंग टेबल का मिरर ढक दिया. उसके एग्जिट सामने उस गुड्डे को रखा. कोमल डॉ रुस्तम के पास खड़ी थी. वो रहे नहीं पाई और डॉ रुस्तम से पूछ ही लेती है.


कोमल : माँ की प्रोसेस तुमसे अलग क्यों है.


डॉ : जो प्रोसेस मेने की वो शत्विक विधया थी. दाई माँ तामशिक प्रोसेस कर रही है.


कोमल : फिर दोनों मे फर्क क्या है????


डॉ : किसी भी भगवान की दो तरीको से सिद्ध हासिल की जा सकती है. एक तामसिक और एक सात्विक. सात्विक प्रवृत्ति में सब कुछ शुद्ध से होता है. जबकि तामसिक प्रवृत्ति में मालीनता का तक उपयोग होता है. तामसिक प्रवृत्ति में बाली भी देनी पड़ती है.


कोमल ने आगे कुछ पूछा नहीं. पर डॉ रुस्तम उसे खास चीज बताते है.


डॉ : दाई माँ ने 9 देवियो को सिद्ध कर रखा है. साथ ही कुछ सुपरनैचुरल पावर्स को भी सिद्ध कर रखा है. वो बहोत पावरफुल है.


कोमल हैरान रहे गई. ये सब सुन के. दाई माँ ने सारा सामान जमा दिया था. फर्श पर गोल और त्रिकोण आकृति बनाई थी. जिसपर कुम कुम वाला रंग लगा हुआ था. एक कटार भी रखी हुई थी. जिसे लेकर दाई माँ मंतर पढ़ रही थी. कई फल और भी कई ऐसे बीज भी थे.

जिसे कोमल नहीं जानती थी. दाई माँ ने अपने हाथ की ऊँगली को थोडा काटा. और खून निकल कर उस नीबू पर चढ़ाया. कोमल जो देख रही थी. उसकी जानकारी डॉ रुतम साथ साथ कोमल को बता रहे थे.


डॉ रुस्तम : ये जो कुम कुम वाले 9 नीबू है. ये 9 देवियो के स्थान है. साथ वो जो गुड्डा है वो एक जरिया है. जिस से वो जिन्न से बात की जा सकती है.


कोमल : फिर उस शीशे पर काला कपड़ा क्यों है???


वो जिन्न गुड्डे के जरिये आएगा. पर बात उस शीशे के जरिये से ही करेगा. उसे देखना अपसगुन है. पर वक्त आने पर तुम्हे देख कर बहोत कुछ समझ आ जाएगा. कोमल का ध्यान एक पत्थर पर गया. जिसे सिलबट्टा कहते है. जो चटनी कूटने के या मसाले कूटने के लिए काम आता है. दाई माँ मंतर पढ़ते पढ़ते रुक गई. और घूम कर डॉ रुस्तम की तरफ देखती है.


दाई माँ : नाय आ रहो बो.
(नहीं आ रहा वो)


रुस्तम : एक बार और कोसिस करो. नहीं तो इंतजार करते है. वो खुद आएगा तब कोसिस करेंगे.


दाई माँ एक बार और कोसिस करती है. कोमल,बलबीर डॉ रुस्तम तीनो देख रहे थे. काफ़ी वक्त हो गया. पर एनटीटी नहीं आई. दाई माँ बूढी थी. इस लिए उनका मुँह दर्द करने लगा. वो रुक गई. और पाऊ फॉल्ट कर के बैठ गई. डॉ रुस्तम सोफे पर बैठे तो कोमल और बलबीर भी दूसरे सोफे पर बैठ गए. दाई माँ तो फर्श पर ही बैठी थी.

कोमल दाई माँ को देख रही थी. और दाई माँ कोमल को. दाई माँ की नजर कोमल की थोड़ी से निचे गर्दन पर पड़े दाग पर गया. दाई माँ के चहेरे पर हलकी सी सिकन आ गई.


दाई माँ : इतउ आ री लाली.
(इधर आ बेटी)


कोमल तुरंत दाई माँ के करीब हुई. दाई माँ ने कोमल की थोड़ी को पकड़ कर हलके से गर्दन ऊपर उठाई. कुछ अजीब सा लाल दाग था. खींचने से कोमल को जलन भी हुई.


कोमल : बहोत दवाई करवाई माँ. पर ये जगह जगह हो जा रहा है.


कोमल को पता नहीं था की वो क्या है. पर दाई माँ को पता था. उन्हें गुस्सा आने लगा. वो जैसे गुस्सा अपने अंदर समेट रही हो.


दाई माँ : जा बैठ जा. सब ठीक हे जाएगो. (सब ठीक हो जाएगा)


कोमल जाकर बैठ गई. दाई माँ फिर घूमी और दूसरी बार अपना खून उन नीबूओ पर डाल के जोश मे मंत्रो का जाप करने लगी. कोमल से वो बेचैनी बरदास नहीं हुई. और वो खड़ी होकर डॉ रुस्तम के पास जाकर खड़ी हो गई. बलबीर उठने गया तो कोमल ने उसे बैठे रहने का हिशारा किया. कोमल बड़ी ही धीमी आवाज से पूछती है.


कोमल : अचानक माँ को गुस्सा क्यों आ रहा है??


डॉ : क्या तुम जानती हो तुम्हारे शरीर पर जो दाग है. वो क्या है??


कोमल : क्या???


डॉ : वो उस जिन्न का पेशाब है. वो तुम्हारे शरीर पर अपना...


डॉ रुस्तम बोल कर रुक गए. कोमल भी समझ गई की वो जिन्न अपने पेशाब कोमल के शरीर पर गिरता था. ये समाज़ते ही कोमल को भी गुस्सा आने लगा.


डॉ : दाई माँ ने उन 9 देवियो को अपना खून दिया. मतलब वो खुद की बली खुद को उन देवियो को अर्पण कर रही है.


कोमल वकील भी बेहद ख़तरनाक थी. उसे उन मर्दो पर बहोत गुस्सा आता था. जो औरत की बिना मर्जी के उन्हें छूते है. कोमल ने पति द्वारा पीड़ित महिलाओ के लिए भी कई केस लड़े थे. कइयों को तो सजा भी दिलवा दी थी. पर खुद को कोई पीड़ित करने लगे और कोमल को गुस्सा ना आए ऐसा मुश्किल है. दाई माँ रुक कर अपनी झंग पर अपना हाथ पटकती है.


दाई माँ : (गुस्सा) सारो आय ना रो. छोडूंगी नई ज्याए.


इन सब मे दोपहर का एक बज गया था. गुस्सा कोमल को भी आ रहा था. वो सोचने लगी की दाई माँ उसके लिए क्या कुछ नहीं कर रही. और वो बस ऐसे ही बैठी सिर्फ दाई माँ के भरोसे बैठी रहे. ऐसे ही दो कोसिस और हो गई. पर वो एंटी.टी आ ही नहीं रही थी. कोमल खड़ी हो गई.


कोमल : मुजे मालूम है की वो कैसे आएगा. तुम शुरू रखो. बेडरूम मे कोई नहीं आना.


कोमल अपने बेडरूम मे चली गई. वहा से बलबीर को बेड रूम के डोर के सामने का नजारा दिखाई दे रहा था. बलबीर ने देखा की कोमल जाते ही अपनी टीशर्ट पजामा ब्रा पैंटी सब कुछ उतर कर बेड पर नंगी लेट गई. बेड पर जाते ही उसे कोमल नहीं दिखाई देती है. क्यों की जिस ड्रेसिंग टेबल से बेडरूम का बेड दीखता था.

ड्रेसिंग टेबल ना होने के कारण वो कोमल को नहीं देख सकता था. बलबीर को कोमल के लिए एक अजीब सा डर लगने लगा. दाई माँ ने मंत्रो के उच्चारण को जोरो से शरू कर दिया. दोपहर के 2 बजते कोमल के फेल्ट का माहोल कुछ और ही हो गया. वहां कुछ अजीब हुआ. बलबीर ने देखा की एकदम जोर से कोमल के बैडरूम वाला डोर बड़ी जोरो से अपने आप बंद हुआ. और बड़ी जोरो की आवाज आई. भट्ट कर के. दाई माँ ने नव देवियो को सिर्फ खून ही नहीं पुष्प, फल, सुपारी पान बहोत कुछ अर्पण किया था.

उन्हें मालूम था की असर शुरू हो चूका है. जो गुड्डा रखा था. वो एकदम से आगे को झूकते गिर गया. गिरते ही उसे बड़े से मिरर का सहारा मिला. गुड्डा मिरर के सहारे टेढ़ा खड़ा था. गुड्डा रबर और प्लास्टिक का था. उसका वजन 5 ग्राम भी नहीं होगा. पर गुड्डे का सर मिरर से टकराते टंग सी आवाज आई. जैसे गुड्डा कोई भरी लोहे का हो.

मिरर और गुड्डे के बिच बस काला कपड़ा ही था. जैसे डोर बंद हुआ और भाग कर गया. डॉ रुस्तम भी उसके पीछे गया. अंदर कोमल जल्दी से खड़ी हुई और अपने कपडे पहेन ने लगी. अंदर अलमारी के दोनों दरवाजे अपने आप जोरो से खुलने बंद होने लगी.

फट फट की आवाजे जोरो से आने लगी. कोमल को भी डर लगने लगा. वही बहार से बलबीर और डॉ रुस्तम बार बार दरवाजा पिट रहे थे.


बलबीर : (घबराहट हड़ बड़ाहट) कोमल कोमल...


कोमल भी कपडे पहनते डोर तक पहोची.


कोमल : (जोर से आवाज) मे ठीक हु. डोर खुल नहीं रहा है.


डॉ : लगता है डोर ही तोडना पड़ेगा.


बलबीर : तुम पीछे हटो दरवाजा तोडना पड़ेगा.


कोमल पीछे हटी. बलबीर जोरो से डोर से कन्धा टकराने लगा. कोई कुण्डी नहीं लगे होने के बावजूद भी डोर खुल नही रहा था. उधर दाई माँ ने मंतर पढ़कर उस गुड्डे की पिठ की तरफ फेके. जैसे गुड्डे की पिठ पर जोर से मारे हो. वहां एकदम से वो डोर खुल गया. बलबीर सीधा अंदर की तरफ गिरने लगा. पर कोमल ने उसे थाम लिया. वो भी गिरते गिरते बची. वो तीनो बेडरूम से बहार दाई माँ के पास आ गए.

अब जो नजारा उन सब के सामने आने वाला था. वो एकदम डरावना था. दाई माँ ने डॉ रुस्तम की तरफ देखा.


दाई माँ : डाक्टर तू हवन तैयार कर.



डॉ रुस्तम भी अपना बैग ले आया. उसमे से सामान निकालने लगा. जगह कम थी. इस लिए सोफे को वहां से पीछे खिसकाना पड़ा. डॉ रुस्तम ने हवन की सामग्री सब अच्छे से सेट किया. उसने हवन मे अग्नि भी दी. पर सब को एहसास हो रहा था की मिरर मे काले कपडे के पीछे कोई हे. एक आकृति सी उभर कर आने लगी थी. वो कपड़ा ट्रांसफार्मेट था. कपडे के पीछे कोई खुले बालो वाला भयानक अक्स नजर आने लगा. पर हड़ तो तब हो गई जब उनहे उस सक्स की हसने की आवाज आने लगी.

A

Update 18C


दाई माँ ने डॉ रुस्तम की तरफ देखा.


दाई माँ : बात कर ज्याते. (बात कर इस से )


डॉ रुस्तम ने भी तुरंत मिर्चा संभाला.


डॉ : कौन है तू???


उस मिरर के पीछे से फिर हसने की आवाज आई.


मै कौन हु ये तू भी जानता है. और ये बुढ़िया भी. मुझसे क्यों पूछते हो.


दाई माँ ने तुरंत कुछ सरसो के दाने उस गुड्डे की पिठ पर फेक के मारे. उस मिरर के पीछे के अक्स से दर्द की आवाज आई.


ससससस मुजे क्यों मार रही है. ये बुढ़िया.


डॉ रुस्तम हसने लगा.


डॉ : तू इन्हे जानता नहीं है लगता है.


जानता हु. पर ये मुजे नहीं बाँध सकती. आज ये बुढ़िया भी मारेगी और तू भी मरेगा.


दाई माँ ने सरसो के दाने. और डॉ रुस्तम ने पानी के छींटे एक साथ उस गुड्डे की पिठ पर मारे. वो एनटीटी बहोत जोरो से चिखी.



आआआ.... देख बुढ़िया. तू सुन ले. मेरी तुजसे कोई दुश्मनी नहीं है. बस हमें ये लड़की चाहिये. हम इसे भोगेंगे और चले जाएंगे.


दाई माँ को गुस्सा आ गया. सवाल पूछने से पहले ही दाई माँ आगे होते एक किल उस गुड्डे की पिठ मे चुबूती है.


आआआ.......आ बुढ़िया ठीक है. मै जता हु.


दाई माँ : अब तोए कितउ मे ना जाने दाऊँगी. तोए अब मे ना छोडूंगी. बाबड़ चोदे. तू मोते मेरी ही बेटी मांग रओ है.
(अब तुझे मै कही जाने नहीं दूंगी. भोसड़ीके. तू मुझसे मेरी ही बेटी मांग रहा है.)


दाई माँ गुस्से मे कुछ भूल रही थी. पर डॉ रुस्तम अपना आपा नहीं खोए थे.


डॉ : एक मिनट. क्या कहा तूने हमें. मतलब तुम और भी हो.


दाई माँ बिच मे बोल पड़ी.


दाई माँ : हे अब जे तो 2 ही है. मेने पहले ही देख लओ.
(अब ये दो ही है. मेने पहले ही देख लिया है)


हा हम दो ही है. हम चले जाएंगे. ये बुढ़िया को बोल हमें जाने दे. वरना ये जिन्दा नहीं बचेगी.


दाई माँ जानती थी की वो दो जिन्न हे. वो तीन थे. जिनमे से एक को तो डॉ रुस्तम ने पकड़ लिया था. और एक सरिनडर कर चूका था. पर एक वही होने के बावजूद नहीं आ रहा था.


दाई माँ : तोए जाने तो ना दूंगी. चुप चाप ज्या मे आजा.
(तुझे जाने तो नहीं दूंगी. चुप चाप इसमें आजा).


दाई माँ ने उस गुड्डे की तरफ हिशारा किया. पर तभी डॉ रुस्तम बोल पड़ा.


डॉ : नई माँ. अगर ये अकेला आया तो वो नहीं आएगा. बहोत चालक है ये.


तभी वो अक्स वाला जिन्न हसने लगा.


जिन्न 1 : बेचारी बुढ़िया. बहोत चालक समज़ती है. अपने को. मेने बोला ना. मै तेरे बस का नहीं. जिन्दा रहना है तो भाग जा. भाग जा इसे छोड़ कर.


दाई माँ को गुस्सा आया. और वो उसे फिर कील चुबूती है.


जिन्न 1 : आआआ.....


दाई माँ : बाबड़ चोदे. बड़ो चालक समझ रओ है तू. बो ना आवे ता का हेगो. तू अब ना जा सके. ना तोए आमन दूंगी ना जाए दूंगी.
(भोसड़ीके. बहोत चालक समझता हे तू. वो नहीं आएगा तो क्या हुआ. मै ना तुझे आने दूंगी. और ना जाने दूंगी.)


दाई माँ समझ गई की दूसर जिन्न पहले वाले से जुडा हुआ है. दोनों को एक साथ पकड़ना पड़ेगा. कोई एक भी छूट गया तो दूसरे को छुड़वा लेगा. वो जिन्न चालाकी कर के दाई माँ को चुतिया बनाने की कोसिस कर रहा था. पर दाई माँ ने पहले वाले जिन्न को भी पकडे रखा था. आईने वो गुड्डा और मंत्रो के जरिये.


दाई माँ : रे तू ज्यापे जल फेकते रे. मे भी देखु. जे भी कब तक झेलेगो. (तू जल फेकते रहे. मै भी देखु. ये कब तक झेलेगा.)


दाई माँ उस जिन्न को वो कील चुबोती रही. और डॉ रुतम भी उसपर जल फेकता रहा. वो जिन्न चीखने लगा.


जिन्न 1 : आआआ...........


हैरानी वाली बात तो ये थी की मिरर के निचले हिस्से से खून तपकने लगा. एक पतली सी खून की लाल लकीर टपक कर गुड्डे की तरफ आ गई. दाई माँ चीखती है.


दाई माँ : बुला वाए. (बुला उसे ).


दाई माँ ने उस जिन्न को इतना परेशान कर दिया. और साथ मे वो तामसिक मंत्र पढ़े की उस जिन्न को आना ही पड़ा. उस अक्स के साथ आधी सी दिखने वाली एक और चीज सबको नजर आने लगी. साथ ही दूसरी पर भयानक डार्विनी आवाज सुनाई देने लगी.


जिन्न 2 : क्यों हमें परेशान कर रही हो. मेने बोला ना. हम जा रहे है.


दाई माँ : ना ना ना... तुम कितउ जाओगे वो मे बताउंगी. चुप चाप दोनों या मे आ जाओ. नई तो.
(नहीं नहीं..... तुम कहा जाओगे ये मे बताउंगी. चुप चाप दोनों इस गुड्डे मे आ जाओ. नहीं तो.)


वो दोनों जिन्न बड़ी आसानी से उस गुड्डे मे आ गए. उस काले कपडे के पूछे जैसे ही अक्स निचे की तरफ मिटने लगा. दाई माँ ने उसी काले कपडे से उस गुड्डे को ढक कर लपेट लिया. दाई माँ ने उस काले कपडे अच्छे से बांध दिया.


दाई माँ : रे डाक्टर. ला रे मटकी. मे ज्याए(इसे) दरगा छोड़ आउं.


कोमल हैरान रहे गई. दाई माँ 4 घंटे पहले तो आई. अब जाने को कहे रही है. कोमल दुखी भावुक हो गई.


कोमल : माँ तुम अभी तो आई हो. और मुजे छोड़ कर.


कोमल के मुँह को अचानक डॉ रुस्तम ने दबोच लिया.


डॉ : कुछ मत बोलना कोमल. उन्हें जाने दो.


दाई माँ : जे साईं के रो हे. तू चुप रहे. मै तोते बाद मे मिलूंगी.


कोमल समझ तो नहीं पाई. पर उसकी आँखों मे अंशू आ गए. वो दाई माँ को सामान समेट ते देखे ही जा रही थी. साथ रोए ही जा रही थी. देख्ग्ते ही देखते दाई माँ जाने के लिए तैयार हो गई. कोमल दाई माँ के जाने के गम मे रोए ही जा रही थी. पर दाई माँ रुक नहीं सकती थी. उन्हें उन जिन्नो को एक दरगा तक लेजाना था.

दाई माँ देश का हर वो कोना घूम चुकी थी. जो उसके मतलब की थी. वो सबसे नज़दीक की जगह के बारे मे जानती थी. वो उन जिन्नो को सारंगपुर दरगा लेजा रही थी. उस जगह की खासियत थी की वहां पर दरगा पर एक पेड़ हे. जिसपर ऐसी बहोत सारी एनटीटी लटक रही है. उन्हें वहां कैद कर के रखा जता है. क्यों की वो ख़तम नहीं होती. वो जब तक उनका वक्त है. जमीन पर ही रहती है.

दाई माँ अपना सामान झोला लेकर दरवाजे पर खड़ी हो गई. जाते जाते भी वो हिदायत देती है.


दाई माँ : जे सीसाए करो कर के फिर लाकडिया समेत पजार दीजो. ( इस मिरर को काला कर के लड़की समेत जला देना)



दाई माँ चली गई. कोमल ये गम बरदास नहीं कर पा रही थी. उसे बलबीर संभालता है. कोमल बलबीर की बाहो मे बहोत देर तक रोती ही रही.
 

Baawri Raani

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Chalawa!!! :evilgrin:

Yaar yeh toh kaafi dangerous hai. jissi ka bhi roop :bot: le leta hai! Kabhi kabhi toh lagta hai..mera husband :what3: bhi ek chalava hi hai.. Har roz uska mood badalte rehta hai... he he he...

Ab usko roz toffee🍬 diya karungi ke woh muhje khaa ja na jaaye.. :cool3:
Update 19A

दाई माँ चली गई. कोमल का रो रो कर बुरा हाल हो गया. दाई माँ उसके घर पहेली बार आई. और उसका भला कर के चली गई. ना उसके साथ रहने का मौका मिला और ना ही दाई माँ की सेवा करने का.

पर दाई माँ भी क्या करती. दो ख़तरनाक जिन्न उनके पास जो थे. दाई माँ अपने काम को लेकर मुल्क के वो सभी इलाके मे घूम चुकी थी. जिस से दाई माँ के पेशे से वास्ता था. सबसे नजदीक जगह दाई माँ को पता था.

गुजरात मे ही एक सारंगपुर नाम की जगह थी. जहापर एक पीर का स्थान था. वहां पर दरगाह के साथ ही एक पेड़ है. जिसपर कई सारी एनटीटी को बांध कर लटका दिया जता है. क्यों की पृथ्वी पर सभी जीवो का वक्त मुकरर है.

ऐसी एनटीटी जो दुसरो को तकलीफ पहोंचा सकती है. वो ऐसी जगह पर ही अपना वक्त बिताई यही सही है. ताकि कोई पजेश ना हो. दाई माँ एक लोकल ट्रैन पकड़ कर सारंगपुर के लिए तुरंत ही निकल गई.

वही कोमल बलबीर की बाहो मे मुँह छीपाए बस रोए ही जा रही थी. पर डॉ रुस्तम आगे की करवाई मे तुरंत ही जुट गए. उस ड्रेसिंग टेबल के शीशे को हवन की कलिक से काला किया. पर इतने बड़े टेबल को जलाने के लिए निचे ले जाना ज्यादा जरुरी था. वो अकेले नहीं लेजा सकते थे. ताकि उस एनटीटी का कोई लिंक ना रहे.


डॉ : ऐसे बैठे रहने से काम नहीं चलेगा. हमें काम ख़तम करना है. इस टेबल को निचे पहोंचाना होगा.


बलबीर तुरंत खड़ा हुआ. दोनों मिलकर टेबल निचे लेजाने लगे. कोमल ये सब खड़े खड़े देख रही थी. पर उसे भी लगा की उसे भी कुछ करना चाहिये. वो भी उनके साथ लग गई. कड़ी महेनत के बस वो तीनो मिलकर उस ड्रेसिंग टेबल को निचे पहोंचा देते है. कोमल की फ्लेट की बिल्डिंग के पास ही एक खाली प्लाट था. जिसमे झाड़िया जंगल टाइप हो गया था.

उस टेबल को वही लेजाकर जला दिया गया. वो तीनो थक गए. उस एनटीटी से जुडी सभी चीजे जल चुकी थी. वो तीनो ऊपर आए और थके हुए सोफे पर ही बैठ गए. कुछ देर कोई नहीं बोला.


डॉ : मेरे ख्याल से मुजे अब जाना चाहिये. मै रात की कोई फ्लाइट बुक कर लेता हु.


कोमल : प्लीज डॉक्टर साहब. आज तो रुक जाइये. देखो माँ भी मुजे छोड़ कर चली गई.


डॉ : उन्हें इस वक्त तो जाना ही बहेतर था. दो खतरनाक एनटीटी को लेकर किसी एक जगह रुकना ठीक नहीं है.


कोमल और सभी को काफ़ी अच्छा फील हो रहा था. माहोल मे एकदम से बदलाव आ चूका था. चारो तरफ पॉजिटिव वाइब्स आने लगी थी. हवन की खुशबु अब भी आ रही थी. कोमल डॉ रुस्तम के कहने का मतलब समझ भी गई. और उसका माइंड भी दाई माँ के दुख से डाइवर्ट हो चूका था.


डॉ : ठीक है. पर मै सिर्फ आज ही रुकूंगा. कल मे चले जाऊंगा.


कोमल : (स्माइल) इसी बात पे गरमा गरम चाय हो जाए.


कोमल तुरंत उठकर किचन मे चली गई. और चाय बनाने लगी. बलबीर और डॉ रुस्तम दोनों आमने सामने थे. कोमल भी उनकी बाते आसानी से सुन भी सकती थी. और बाते भी कर सकती थी.


बलबीर : डॉक्टर साहब आप इस पेशे मे कैसे आए??? मतलब ये सब भुत प्रेत आप ने पहेली बार कैसे देखे मतलब...


कोमल भी ये सब सुन रही थी. डॉ रुस्तम सोच मे पड़ गए. पर उन्होंने अपनी कहानी सुनना स्टार्ट किया.


डॉ : मै पहले एयर फोर्स मे था. मुजे जो सबसे पहेली एनटीटी मिली वो कुछ अलग ही थी. इस से पहले मेने कभी कोई पैरानॉर्मल एक्टिविटीज नहीं देखि थी. और ना ही मुजे किसी हॉरर स्टोरी मे इंटरस था.


कोमल : (किचन से ही) एयरफोर्स वाओ..


डॉ : उस वक्त मे सिर्फ 21 इयर्स का ही था. मै फ़्लाइंग लेफ्टनें की रैंक पर था.


कोमल : (किचन से ही) वाओ मतलब आप पायलट भी थे??


डॉ : जी बिलकुल. जयपुर एयर बेस पर मेरी पोस्टिंग थी. ये मेरी दूसरी पोस्टिंग थी. ये गर्मियों की बात है.

मै अपनी सोटी ख़तम कर के आ रहा था.
उस वक्त कैंप के चारो तरफ दिवार नहीं हुआ करती थी. बस तार से बाउंड्री फेंसिंग बनी हुई होती थी. कैंप हमेशा शहर के बहार की तरफ ही बनाए जाते है. और कैंप के पास कोई रेजिडेंस भी नहीं होते.

बस कुछ 10 या 12 घर ही होते है. जिसका दाना पानी कैंप की वजह से ही चलता है. फ्रेश, दूध, बहोत कुछ सप्लाई करने वाले ही कैंप के पास अपना घर बना लेते है. हा कैंप के बहार बाउंड्री की तरफ पोल लाइट जरूर होती है. बाउंड्री की उस तरफ कच्चा रस्ता भी था.

जिसपर हमारी पेट्रोल पार्टी, शहर जाने के लिए रोड तक का रस्ता हुआ करता था. जब मै अपनी सोटी कम्प्लीट कर के वापिस आ रहा था. मुजे बाउंड्री पर एक बच्चा दिखाई दिया. कुछ 4 या 5 साल का लग रहा था. मेरे आगे मेरे एक साथी भी चल रहे थे. जो मुझसे सीनियर थे. मेने उन्हें आवाज दि.



मै : संदीप सर.


उन्होंने पीछे मुड़कर मुजे देखा. मै उनके पास गया.


मै : सर मेने वहां एक 4,5 साल के बच्चे को देखा. जो बोल से खेल रहा है.


संदीप : हम्म्म्म होगा कोई घर पे माँ बाप सो रहे होंगे. बच्चा बहार निकल गया होगा.


मै : सर मै उसे उसके घर तक पहोंचाकर आता हु.


संदीप : गुड... जाओ मगर अपना बेल्ट और पिस्तौल मुजे दे दो. और छोड़ कर जल्दी आ जाना.


मेने उन्हें पिस्टल और बेल्ट दे दिया. और बाउंड्री की तरफ दोडते हुए जाने लगा. जब मै कैम्प की बाउंड्री की तरफ गया तो देखा की सच मे वो छोटा बच्चा ही था. और अकेला मस्त एक बोल के साथ खेल रहा था.


तभी वहां कोमल चाय की ट्रे लेकर आ गई.


कोमल : कैसे माँ बाप होंगे जिन्हे होश तक नहीं की उनका बच्चा इतनी रात को घर से बहार निकल गया. कितने बज रहे होंगे वो टाइम.


डॉ रुस्तम बस थोडा सा हसे कोमल ने उनकी तरफ चाय का कप बढ़ाया था. उसे ले लेते है.


डॉ : (स्माइल एक्क्सइटेड) रात के एक बज रहे थे उस वक्त.


सुनते ही कोमल के होश ही उड़ गए.


कोमल : फिर तो अच्छा ही हुआ की आप की नजर पड़ गई. कोई जानवर या किसी बदमाश के हाथ आ जाता तो...


डॉ रुस्तम को हसीं आने लगी.


डॉ : (स्माइल) जो दीखता है. हर बार ऐसा नहीं होता. जो तुम सोच रही हो.

मेने भी ऐसा ही सोचा था. मै बाउंड्री तक पहोच कर उस बच्चे को देखने लगा. वो तो मस्त होकर खेल रहा था. कभी बोल को उछालता और खुद ही कैच करने की कोसिस करता. मेने दए बाए भी देखा. वहां कोई नहीं था. मेने उस बच्चे को आवाज दि.


मै : हेलो बेटा हेलो हेलो.


आवाज देते ही वो रुक गया. और मुजे देखने लगा.


मै : हेलो बेटा तुम्हारा घर कहा है????


उसने उस रास्ते की तरफ बस हाथ दिखाया. वो रस्ता कैम्प के साइड से ही कैंप की बाउंड्री बाउंड्री गेट तक जाता है. बस वही सिविलियन के घर भी है. कुछ 10, 12 के आस पास. मै बाउंड्री मेसे बहार निकल गया. और उसके पास गया.


मै : बेटा इतनी रात को बहार नहीं निकलते. चलो मै तुम्हे तुम्हारे घर छोड़ देता हु.


मेने उसे गोदी मे उठा लिया. और कैंप के बहार की तरफ के कच्चे रास्ते पर चलने लगा. वो रस्ता कैंप के साथ साथ ही था. उस वक्त मुजे टॉफी खाने की बहोत आदत थी. चालू सोटी मे भी मै टॉफी खाया करता था. मेने जेब से एक टॉफी निकली और उसे दे दि.


मै : लो बेटा टॉफी खाओ.


उसने वो टॉफी ले ली. उसे गोद मे उठाए मै चले जा रहा था. मै उस से कुछ भी पूछता वो जवाब ही नहीं दे रहा था. पर जो मेरे साथ हो रहा था. वो कुछ अजीब था. उस बच्चे को जब मेने उठाया. वो एकदम हलका ही था. जैसे हर बच्चे का वजन होता है. पर धीरे धीरे मुजे एहसास होने लगा की उसका वेट बढ़ रहा है. अब जो मै बताऊंगा तो तुम्हारे होश उड़ जाएंगे. वो बच्चा धीरे धीरे बड़ा हो रहा था. गांव मे मेने लोगो से ऐसे किस्से सुने थे.

मै समझ गया की ये कोई गलत चीज है. मेने उसे जोर से पटका. और वो बच्चा एकदम बड़ा जमीन पर गिरा. और गिरते ही वो वहां से भागने लगा. मै देखता ही रहे गया. वो वहां से भाग गया.


बलबीर : वो तो फिर छलवा था.


बलबीर गांव का था. और उसने ऐसे किस्से सुन रखे थे. भले ही उसने ऐसा कुछ देखा नहीं था. पर उसे जानकारी थी.


डॉ : बिलकुल सही कहा. हम फौजी किसी चीज से डरते तो नहीं. पर मेरे साथ पहेली बार हुआ था. इस लिए मुजे डर लगने लगा.

मै वहां से कैंप मै आ गया. मै बाउंड्री से नहीं गया. बल्कि रास्ते से ही गेट तक आया. सुबह मेने अपने सीनियर संदीप सर को भी ये किस्सा सुनाया. पर सर बोले की उस वक्त मुजे कोई बच्चा नहीं दिखा. मेने तुम्हारी बात पर यकीन किया.

बाद मे मै और संदीप सर उन सिविल मकानों की तरफ गए. सर सायद किसी को जानते थे. वहां एक बंजारा भी रहता था. जो अपनी भेड़ बकरिया कैंप के पास चराया करता था. हमने उनसे बात करी. और उसने हमें बताया की वो एक छलवा था.


कोमल : चलावा??? वो क्या होता है???


बलबीर : छलवा वो होता है जो सुमसान रास्ते या खेत मे मिले लोगो को छल से फसता है. और उन्हें किसी ना किसी तरह मरवाता है. जैसे की एक्सीडेंट करवाएगा. किसी गाड़ी के निचे ले आएगा. या पानी मे डुबवा देगा. या खाई मे कुड़वा देगा.


कोमल : तो फिर उन्होंने डॉक्टर साहब को कैसे जिन्दा छोड़ दिया??.


बलबीर : क्यों की डॉक्टर साहब ने उसे टॉफी दि थी. अगर उसे कोई चीज दे दो तो वो उन्हें नहीं फसता है. पर डॉक्टर साहब उसे गोद मे लेकर चलने लगे तो उसे उनसे पीछा छुड़ाना था. इस लिए उस छालावे ने ऐसा किया.


कोमल : (स्माइल) वाह बलबीर तुम तो बहोत कुछ जानते हो. पर तुम छालावे के बारे मे इतना सब कैसे जानते हो?.?

Update 19B


बलबीर ने डॉ रुस्तम की तरफ देखा. जैसे बलबीर उनकी परमिसन चाहता हो. डॉ रुस्तम ने भी गर्दन हिलाकर हा मे सहमति दे दि.



डॉ : हा बलबीर पर रुको. इस एनटीटी के बारे मे मै कुछ बताता हु.

ये अमूमन सुमशान रास्ते पर या जंगल या खाली खेतो मे ज्यादा मिलते है. ये लोहे और आग से दूर रहते है. लोग इस से ज़्यादातर पजेश तो गांव के बहार वाले रास्ते पर या खेतो मे अकेले ही होते है. इनकी सबसे खास बात ये है की ये किसी का भी रूप ले सकते है. कभी तो ये कुत्ता या गाय बन जाते है.

तो कभी बकरी. ये इंसान का भी रूप ले लेते है. कभी ये छोटा बच्चा बनाकर मिलेंगे तो कभी बुढ़िया बनकर. ये कभी कभी तो हमारे सामने हमारे माँ बाप भाई बहन या दोस्त के रूप मे भी मिल जाते है. इसी लिए इन्हे छलवा कहते है. बलबीर ने ऐसे किस्से गांव मे सुने ही होंगे. क्यों बलबीर क्या मे सही हु????


बलबीर : हा डॉक्टर साहब. हमारे गांव मे भी ऐसे किस्से हो चुके है. और वो भी मेरे बाबा मतलब मामा के साथ ही.


बलबीर गांव का भांजा था. वो अपने मामा के घर बड़ा हुआ था. छोटा था तब से ही वो अपने मामा मामी को ही माँ बाबा बोलता था.


बलबीर : उस वक्त मे काफ़ी छोटा था. कितनी उम्र होंगी याद नहीं. मेरे बाबा खेतो मे रात पानी देने गए थे.. ठंड बहोत थी. गेहूं का सबसे पहला पानी था. पानी देते वक्त उन्हें किसी ने पुकारा. आवज से जोरावर चाचा लग रहे थे.


जोरावर चाचा : रे भगवान सिंह. हुक्का पजार ले.
(भगवान सिंह हुक्का जला ले )


भगवान सिंह(मामा) : अब सबरे खेतन मे तो पानी हते. आयजा तोए बीड़ी पीबा दाऊ.


बाबा को जोरावर चाचा की आवाज तो सुनाई दि. पर वो दिखे नहीं थे. बाबा ने दो बीड़ी जला ली. पर जोरावर चाचा आए नहीं. बाबा ने आवाज भी दि.


भगवान सिंह : रे जोरावर... ओओ जोरावर. रे कहा रेह गो?? (कहा रहे गया???)


पर कोई नहीं आया. बाबा को शक हो गया. वो इस लिए नहीं आया क्यों की बाबा के हाथो मे फावड़ा था. वो हुक्का के बहाने बाबा से फावड़ा रखवाना चाहता था. वो आग जलाने से पहले बाबा को अपनी चपेट मे ले लेता. बाबा वहां से उसी वक्त चल दिये. ना तो उन्होंने अपना फावड़ा छोड़ा. और ना ही बीड़ी बूझने दी.

जब घर आए तो उन्होंने ये किस्सा माँ को सुनाया. मेने भी तब ही सुना. उन्होंने ये बात जोरावर चाचा को भी बताई. पर वो तो खेतो मे गए ही नहीं थे. अब इस बात के साल भर बाद. जोरावर चाचा बगल वाले गांव के एक लड़के से बात करते हुए गांव मे आ रहे थे. उस वक्त शाम थी. अंधेरा हो चूका था.


जोरावर : रे रामु सबेरे 4 बजे आ जाना. हम दोनों काम शुरू कर देंगे. हमें सुबह सुबह एक बिगा तो काम से काम खोदना ही पड़ेगा.


रामु : मै आ तो जाऊंगा चाचा. पर सबेरे सबेरे दरवाजा खट ख़तऊंगा चाची डांटेगी. पिछली साल भी मुजे खूब खरी खोटी सुनाई.


जोरावर : रे बावरे मै पहले ही कमरे मे सोऊंगा. तू बस आवज देना. दरवाजा मत खट खटाना.


रामु : ठीक है चाचा. 4 बजे मै आवाज लगा दूंगा. खेतो मे ही जंगल पानी( टॉयलेट) चले जाएंगे.


जोरावर : ठीक है.


अब जोरावर चाचा रात सो गए. उनके पास घड़ी थी नहीं. और उस वक्त मोबाइल कहा होता था. रात 2 बजे ही उन्हें रामु की आवाज आई.


रामु : चाचा.... चाचा...


जोरावर चाचा उठ गए. और दरवाजा खोल कर देखते है की रामु बहार खड़ा है.


जोरावर : रे रामु??? बड़ी जल्दी 4 बज गए रे. रुक मै औजार लेकर आता हु.


चाचा दो फावडे लेकर बहार निकले तो रामु आगे आगे चल दिया. अब चाचा को उसे फावडे पकड़वाने थे. मगर रामु तो आगे आगे चल रहा था. चाचा ने दो बीड़ी भी जलाई.


जोरावर : रे ले रामु. इतना तेज कहे चल रहा है. बीड़ी तो ले ले.


पर वो रुका नहीं.


रामु : अरे बीड़ी पिऊंगा तो यही लग जाएगी. जंगल पानी जाते वक्त ही लूंगा. जल्दी चलो सूरज माथे चढ़ गया तो काम होना मुश्किल है.


चाचा अपनी बीड़ी पीते चुप चाप चलने लगे. वो ट्यूबवेल के पास पहोचे और फावडे को अपने पास रखे बैठ कर दूसरी बीड़ी जलाकर पिने लगे. वो सोच रहे थे की पहले टॉयलेट जाए फिर काम शुरू करेंगे. पर आधा घंटा भी नहीं हुआ और रामु आ गया.


रामु : लो चाचा. पूरा खेत खोद दिया. अब चलो पोखर. जंगल पानी हो आए.


चाचा हैरान रहे गए. वो फावड़ा उठाकर खेतो मे गए. बात एक बिगा खोदने की थी. मगर 7 बिगाह खुद चूका था. चाचा हैरान रहे गए. अब चाचा को सक हुआ. पर रामु सामने ही खड़ा था.


रामु : अरे चलो ना चाचा. पोखर मे ही जंगल पानी हो जाएगा. वही धो लेंगे.


चाचा डर गए. और वो उसी के साथ चल पड़े. पर उन्हें ये ध्यान ही नहीं था की उनके हाथ मे फावड़ा है. जब पोखर के करीब पहोचे तब. वो दोनों खड़े हो गए.


रामु : चाचा ये फावड़ा यहाँ रखो. और जाओ हो आओ हलके.


चाचा : नहीं पहले तू जा आ.


रामु जैसे ही आगे गया. चाचा तुरंत वहां से गांव की तरफ चल पड़े. वो समझ गए थे की फावड़ा रखा तो वो जिन्दा नहीं बचेंगे. मगर जाती वक्त उन्हें आवाज भी सुनाई दीं. वो छलवा ही था.


छलावा : (हसना) जोरावर आज तू जिन्दा बच गया. मगर जिस दिन तू मेरे हाथ आया. तुझे जिन्दा नहीं छोडूंगा.


बलबीर शांत हो गया. मगर कोमल फटी आँखों से उसे ही देख रही थी. कोमल को ऐसे देख कर बलबीर डर गया.


बलबीर : कोमल... तुम ठीक...


कोमल : मुजे क्या हुआ. फट्टू हो तुम.


कोमल खड़ी हुई और किचन मे चली गई.


कोमल : मै डिनर बना रही हु. किसी को कुछ खाने का मन हो तो बता दो.



डॉ रुस्तम को हलकी सी हसीं आई. क्यों की बलबीर खुद कहानी सुनते हलका सा डर गया. मगर कोमल को तो बिलकुल डर नहीं था. उल्टा वो लीन होकर किस्सा सुन रही थी. जाने से पहले डॉ रुस्तम कोमल से पूछना चाहते थे की क्या वो इनके साथ पैरानॉरोल इन्वेस्टिगेशन मे काम करना चाहेगी या नहीं.
 

Baawri Raani

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Waah Shetan, :respekt: yaar tum toh kahani master ho. Horror ki tarha romance bhi badhiya hai.

Details mei na jaate hue bhi tumne sex :sex: ki masti bhar di. Ummh geela kar diya yaar tumne toh. :blush1:

Chalo Komal aur Balbir ko ek break toh mila in bhooto se. Mujhe bhi abhi ek break ki zarurat hai. :gaycall:

Update 20A


डाइनिंग टेबल पर बैठे बलबीर और डॉ रुस्तम गरमा गरम खाने का लुफ्त उठा रहे थे. तब ही किचन से कोमल आई और डॉ रुस्तम की थाली मे गरमा गरम रोटी डाल देती है.


डॉ रुस्तम : अरे बस बस हो गया.


कोमल : अरे खाइये ना डॉ साहब.


डॉ : मै ज्यादा नहीं खाता. तुम तो मुजे ऑलरेडी 5 रोटी खिला चुकी हो.


कोमल : ये लास्ट है.


कोमल ने बलबीर की तरफ देखा. जो चुप चाप खा रहा था.


कोमल : बलबीर तुम कुछ लोगे???


बलबीर : नहीं. तुम भी आ जाओ ना.


कोमल : हा बस अभी आई.


कोमल भी कुछ देर मे अपनी थाली लेकर आ गई. और उन दोनों के साथ अपना खाना खाने लगी. वो दोनों खा चुके थे. बस कोमल को कंपनी देने के लिए बैठे हुए थे. डॉ रुस्तम भी सोच ही रहे थे की अपनी फिल्ड मे काम करने के लिए कोमल से कैसे पूछे. कोमल भी अपना डिनर ख़तम कर लेती है. बाकि बचा हुआ काम भी वो जल्द ही कम्पलीट कर देती है. और वो भी उनके सामने आकर बैठ गई.


डॉ : तो कोमल क्या सोचा आप ने????


कोमल : किस बारे मे.


डॉ : हमारे साथ पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेशन और रिसर्च के बारे मे. क्या आप हमारे साथ मे काम करना चाहोगी???


कोमल ने तुरंत ही बलबीर की ओर देखा. कोमल इन सब चीजों से इस लिए दूर रहना चाहती थी. क्यों की बलबीर के बच्चों को वो एक माँ की तरह प्यार कर रही थी. इसी लिए कही कोई बला उनके साथ आ गई. और उन बच्चों को पजेश करने की कोसिस करेंगी तो बलबीर से किया वादा पूरा नहीं हो पाएगा. कोमल बलबीर के बच्चों के एजुकेशन के लिए बहोत बड़ा पैसा खर्च कर रही थी.


कोमल : वो...... दरसल. मै अपने सोख के खातिर अपने लोगो को प्रॉब्लम मे नहीं डाल सकती. आप सायद समझ गए होंगे की मै कहना क्या चाहता हु.


कोमल बोलने के बाद बलबीर की आँखों मे देखती है. जैसे कहना चाहती हो की फ़िक्र मत करो.


डॉ : अगर बात सिक्योरिटी की है तो गजबराओं नहीं. हम अपने लोगो को कभी मुशीबत मे नहीं डालते. लोगो की मदद करते है. और जहा ऐसी कोई बात होती है तो हम खुद आगे रहते है..


कोमल को भले ही भूतिया किस्सों मे बहोत दिलचस्पी थी. मगर बच्चों और अपनी माँ बहन के मामले मे वो बिलकुल रिस्क नहीं लेना चाहती थी.


कोमल : माफ करना डॉ साहब. मेरी तरफ से साफ ना है. आप जानते है की मै खुद अभी क्या क्या भोग चुकी हु. आप प्लीज....


डॉ रुस्तम ने कोमल की बात बिच मे ही काट दीं.


डॉ : वही तो. मै तुमसे यही तो कहना चाहता हु.

आप खुद कितना कुछ सह चुकी हो. अपने अपने एक्स हसबैंड का अंजाम देखा ना. आप जैसे कितने लोग है. जिसने अपना एक्स नहीं फ्यूचर को गवा दिया. नजाने कितनी माँ ने बच्चों को गवा दिया. कितने परिवार इन जादू टोन और बहोत सी ऐसी चूजों से खो दिया. हम लोगो की मदद करते है.


ऐसी दिल को छू लेने वाली बातो से कोमल नहीं पिघली. क्यों की वो एक बेरहेम वकील थी. पर बलबीर बहोत जल्दी भावुक हो गया. क्यों की वो बेचारा गांव का सीधा सादा इंसान था.


बलबीर : ये तो भलाई का काम है कोमल. सायद तुम्हे करना चाहिये. और मै तो तुम्हारे साथ हार वक्त हु ही.


कोमल अब फस गई. वैसे तो ऐसे कोई मामले मे बलबीर के राज़ी हो जाने के बाद भी वो साफ मना कर देती. बलबीर को भी चुप करा देती. पर खुद की दिलचस्पी ही एक अलग ही रोमांच पैदा करने लगी. कोमल मुश्कुराते हुए अब भी यही सोच रही थी की क्या ये फेशला सही होगा.


डॉ : हम परसो शाम इलाहबाद जा रहे है. एक स्कूल है. जिसकी छत गिर जाने से कई बच्चे मर चुके थे. अगर तुम आना चाहो तो...???


डॉ रुस्तम भी बोलते बोलते रुक गए.


कोमल कुछ पल सोचने के बाद बोलती है.


कोमल : ठीक है. पर मुजे अपने काम के लिए जरुरत हुई तो मै बिच मे से ही चली जाउंगी. प्लीज इसके लिए आप को भी समझना होगा.


डॉ रुस्तम ने तुरंत ही स्माइल करते हुए अपना हाथ कोमल की तरफ बढ़ाया. कोमल भी खुश होकर डॉ रुस्तम से हाथ मिलती है. बलबीर भी खुश था की कोमल मान गई. वक्त आ गया सोने का. डॉ रुस्तम पहले की तरह ड्रॉइंगरूम मे ही सो गए. बलबीर कोमल के बेडरूम मे कोमल का इंतजार कर रहा था. उसके हाथ मे कोमल का मोबाइल था. वो कोमल के ही फोटोज देख रहा था.

वैसे तो कोमल ने पलकेश और शादी के सारे फोटोज डिलीट कर दिये थे. पर अपने सिंगल फोटोज को सेव रखा हुआ था. कोमल के साड़ी मे कई फोटोज थे. बहोत सारे फोटोज स्लिवलेस और डीप नेक ब्लाउज वाले थे. ब्रा जैसे दिखने वाले हॉट ब्लाउज मे कोमल बहोत हॉट लग रही थी. और भी कई फोटोज थे.

जिसमे कोमल ने वनपीस गाउन पहना हुआ था. जिसमे टांगो की तरफ लम्बा कट था. बलबीर सिर्फ कोमल की फोटोज देख कर ही अकर्षित हुआ जा रहा था. वो ऊँगली घुमाते हर एक फोटोज को बड़ी गौर से देख रहा था. तभि कोमल के कॉलेज टाइम के फोटोज भी आ गए. जिसमे कोमल की छोटी छोटी ड्रेस मे फोटोज थे.

उस वक्त कोमल भरी हुई महिला नहीं एक टीन गर्ल थी. कोमल तो पहले से ही लम्बी हाईट वाली लड़की थी. कोमल कभी झंगो तक या उस से भी छोटे ड्रेस मे. तो कभी छोटी स्कर्ट मे दिखाई देती. इंडियन आउटफिट मे भी कोमल के फोटोज थे. कोमल बहोत ब्यूटीफुल और हॉट थी. उन फोटोज को देखने के कारण बलबीर का प्यार और अरमान दोनों ही जाग गए. तभि कोमल अंदर आई.

उसके हाथ मे तौलिया था. और वो फुल ढीली ढली मैक्सी मे थी. बलबीर के एक हाथ मे अपना मोबाइल और दूसरे हाथ पाजामे के ऊपर से ही अपने खूंटे पर देख के कोमल के फेस पर भी स्माइल आ गई.


कोमल : (स्माइल) क्या देख रहे हो???


बलबीर ने तुरंत ही मोबाइल साइड रखा. और कोमल को लेटने की जगह दीं.


बलबीर : सब तुम्हारी ही फोटू(फोटोज) देख रहा था.


कोमल भी बलबीर के बगल मे लेट कर बलबीर की तरफ झूक गई. उसकी चेस्ट पर अपना हाथ रख कर हलका हलका साहलाते हुए बलबीर की आँखों मे देखने लगी.


कोमल : (स्माइल) अच्छा??? तो कैसे लगे मेरे..... फोटू(फोटोज)????


कोमल ने जानबुचकर फोटू कहा. उसे बलबीर का देहाती होना और साफ हिंदी बोलते वक्त कुछ ऐसे शब्दो को सुन ना बहोत अच्छा लगता था. वो जानती थी की बलबीर उसकी जब भी तारीफ करता है. जो फील करता है. वही बोलता है.


बलबीर : तुम ना किसी फ़िल्म की हीरोइन की तरह लगती हो.


बस कोमल को और क्या चाहिये था. जब इसे पता हो की वो किसी के लिए कितनी स्पेशल है. उसे केसी लगती है. तब उसे और क्या चाहिये. बलबीर का उस तरह देखना कोमल को मदहोश ही कर रहा था.


कोमल : (स्माइल) अब तो ये हीरोइन तुम्हारी है.


बलबीर कुछ बोलने ही वाला था. की कोमल ने लपक कर उसके होठो से अपने होंठ ही जोड़ दिये. और लिप्स को लॉक कर के उसके ऊपर ही चढ़ गई. पर बलबीर से इतनी जबरदस्त तारीफ मिली की कोमल कुछ ज्यादा ही एक्सएटमेंट फील कर रही थी. मस्ती मे आकर कोमल ने बलबीर की गंजी को ही दोनों हाथो से पकड़ा और जोर से झटका लगाकर फाड़ दिया.


बलबीर : ममममम... (किस तोड़ते) (सॉक) ये क्या किया. फाड़ दीं??? 4 दिन पहले ही तो लाया था. साला नई बनियान फाड़ दीं.


कोमल को हसीं आ रही थी. और बलबीर की हलत पर वो बड़ी जोरो से हस रही थी.


कोमल : अरे यार नई ले लेना. अभी छोडो.


कोमल ने बलबीर को अफ़सोस करने का बाद मे मौका नहीं दिया. और वो उसपर टूट पड़ी. बलबीर भी कोमल के फोटोज देख कर मस्त हो चूका था. आखिर वो उसके सपनों की सहेजादी थी. और सहेजादी भी उसकी खुद की बाहो मे. ब्यूटी और बिस्ट का मिलन हुआ. तंदुरस्त और सुंदरता के समागम मे दोनों ने ही खूब आनंद लेते खुशियाँ बटोरी. प्रेम और वासना के संगम मे कब नींद आई.

कब रात गुजरी पता ही नहीं चला. सुबह 8 बजे खट पट की आवाज से कोमल की नींद खुली तब कोमल बेड पर अकेली थी. कोमल ने एक बेडशीट ओढ़ रखी थी. जिसमे वो अंदर से नंगी थी. कोमल ने दए बाए देखा. उसे अपनी ब्रा तो मिल गई. पर पैंटी नहीं मिली. कोमल फटाफट ब्रा और ऊपर वही ढीली ढली मैक्सी पहन कर बहार आई.

वो दोनों की भी नजरें कोमल पर गई. कोमल के बिखरे हुए बाल हालत बहोत खुबशुरत भूतनी ही लग रही थी.


डॉ : कोमलजी अब मुजे जाना है. बलबीर मुजे छोड़ने जा रहा है.


कोमल : ओह गोड. बलबीर तुम्हे मुजे जगाना चाहिये था ना. डॉ साहब को कम से कम मै एयरपोर्ट तक ड्राप करने तक तो जा सकती थी ना.


बलबीर : हा तो अभी कोनसा ज्यादा टाइम बीत गया. जल्दी तैयार हो जाओ.


कोमल के फेस पर स्माइल आ गई. और वो फटाफट बाथरूम की तरफ भागी. बलबीर ने डॉ रुस्तम को बहोत बढ़िया नास्ता करवाया. और सही टाइम पर तीनो एयरपोर्ट के लिए निकल पड़े.


बलबीर कार ड्राइव कर रहा था. और डॉ रुस्तम उसके बगल मे ही आगे की फ्रंट शीट पर था. कोमल अकेली पीछे बैठी हुई थी. बलबीर शहर के ट्रैफिक को काट ते हुए कार एयरपोर्ट तक पहोंचा रहा था.


डॉ : कोमल मुंबई से हमारी कल दोपहर 3 बजे की फ्लाइट है. हम सायद 04:30 तक इलाहबाद एयरपोर्ट पहोच जाएंगे.


कोमल : मै यही से डाइरेक्ट पहोच जाउंगी. आप फ़िक्र ना करें.


डॉ रुस्तम ने अपने बैग से पहले से ही कुछ सामान निकला हुआ था. जो उसके हाथ मे ही था. वो पीछे मुड़कर कोमल को वो सामान देता है. कोमल ने उसे हाथ मे लिया. एक लाल कपडे मे कुछ 6 किले थी. एक विलचैंग था जो बंधा हुआ था. इसके आलावा नीबू और मिर्ची की छोटी सी मला थी.


डॉ : मेने बलबीर को सब समझा दिया है. वो सब अच्छे से कर लेगा. इसे संभल के रख दो.


कोमल और बलबीर डॉ साहब को एयरपोर्ट छोड़ देते है. और वो मुंबई के लिए निकल जाते है. कोमल और बलबीर घर के लिए वापिस जाने लगे.


बलबीर : तुम पागल तो नहीं हो. ट्रैन से ही 38,40 घंटे लग जाएंगे.
कोमल का मूड शारारत करने का हो रहा था. वो बलवीर के कंधे पर हाथ रख कर हलके हलके सहलाने लगी.


कोमल : (स्माइल) कोई बात नहीं ये परी तुम्हे उड़ाकर ले जाएगी.


बलबीर समझ गया की कोमल हवाइजहाज की बात कर रही है.


बलबीर : उसमे कितना पैसा लगता है.


कोमल समझ गई की बलबीर पैसा जान गया तो जाने को तैयार नहीं होगा.


कोमल : वो बॉयफ्रेंड के लिए फ्री होता है.


बलबीर : (स्माइल) एहहह... बस सुबह सुबह तुम्हे मे ही मिलता हु.


कोमल को भी हसीं आने लगी.


कोमल : (स्माइल) अरे सच मे. अगर कोई लड़की जाती है तो उसके बॉयफ्रेंड की टिकिट फ्री.


बलबीर : (स्माइल) और पति हुआ तो.


कोमल : नहीं उसका उल्टा है. पति के साथ पत्नी फ्री. और लड़की के साथ उसका बॉयफ्रेंड फ्री.


कोमल को बलबीर से ऐसा मज़ाक करना पसंद आ रहा था.


बलबीर : तो अगर जैसे की मै अपनी बीवी को लेजाऊंगा तो फ्री. और अगर गर्लफ्रेंड को ले गया तो???


कोमल : नई तो तो तुमसे डबल पैसा लेगा.


बलबीर : (स्माइल) ये क्या बात हुई. लड़की बॉयफ्रेंड को ले जाए तो बॉयफ्रेंड फ्री. और लड़का अपनी गर्लफ्रेंड को ले जाए तो डबल पैसे...


कोमल : (स्माइल) हा तुम्हे नहीं पता. ये सरकार की योजना है यार. लड़कियों को प्रोत्साहन देने के लिए.


बलबीर : ये कोनसी योजना है??? लड़का पटाओ योजना या लड़का घुमाओ योजना.


अपने मज़ाक से ज्यादा कोमल को बलबीर का मज़ाक ज्यादा मज़ेदार लगा. दोनों ही खिल खिलाकर हसने लगे. कोमल ने झट से मोबाइल निकला और 2 टिकिट बुक करने लगी. एक टिकिट की कॉस्ट 8500 रूपये थी. कोमल ने बिलकुल परवाह नहीं की और झट से टिकिट बुक कर दीं. एक तो कोमल को बलबीर के लिए कुछ करना अच्छा लगता था. और दूसरा अब भी कोमल के पास जमीन की दलाली वगेरा हराम के पेसो का बेलेंस था.

पर बलबीर पेसो की कीमत समाजता था. उसे अपनी गरीबी का एहसास था. उसके बच्चों की पढ़ाई का खर्चा कोमल दे रही है. उसके लिए यही बहोत था.


बलबीर : पर मेरे पास वो नहीं है.


कोमल को हसीं आ गई.


कोमल : (स्माइल) क्या वो नहीं है??


बलबीर : (स्माइल) अरे वो फिल्मो मे बोलते हेना वो पास पासपोट(पासपोर्ट).


कोमल को हसीं आ गई. बलबीर डोमेस्टिक ट्रेवल के लिए पासपोर्ट की बात कर रहा था. कोमल को उसके भोलेपन पर प्यार आने लगा. पर शारारत करने का मान बिलकुल काम नहीं हुआ.


कोमल : (स्माइल) देखो वो मेरे पास है तो तुम्हारी जिम्मेदारी मेरी हुई. वहां कोई कुछ भी पूछेगा तो बोलना की ये मेरी गर्लफ्रेंड है. समझे??? क्या बोलोगे????


बलबीर : क्यों सुबह सुबह मेरी खिंचाई कर रही हो.


कोमल : अरे बाबा नहीं बोलोगे तो वो तुमसे पैसे ले लेंगे.


बलबीर : कितना????


कोमल : सायद 2,3 लाख ले ले. पर तुम बोलोगे की ये मेरी गर्लफ्रेंड है. तो तुम्हे उल्टा अच्छे से बात भी करेंगे.


बलबीर : हा बाबा बोल दूंगा. पर देख लो. वहां मेरे पास हवाइजहाज वाले अच्छे कपडे नहीं है. फिर कुछ बोलना मत.


कोमल को एहसास हो गया की अब तक उसने क्या नहीं किया. वैसे तो बलबीर कैसा भी दिखे उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था. पर सब कोमल का मूड कुछ और ही प्लानिंग करने लगा.


कोमल : हा बाबा नहीं बोलूंगी. वहां उस मॉल मे ले चलो.


कोमल ने जैसे ही हाथो का इशारा दिया बलबीर ने एक मॉल की तरफ कार मोड़ दीं. कार पार्क करने के बाद कोमल निकली और मॉल के अंदर जाने लगी. पर बलबीर वही खड़ा रहा. तो कोमल को 4 कदम चल कर रुकना पड़ा. वो घूम कर बलबीर को देखती है.


कोमल : यहाँ क्यों खड़े हो गए. चलो अंदर.


बलबीर को मॉल मे अच्छा नहीं लगता था. अपने सिंपल पहनावे और जेब की हालत के कारण उसे बहोत छोटा महसूस होता. इस लिए वो अंदर नहीं जाना चाहता था.


बलबीर : तुम....... जाओ. मुजे अच्छा नहीं लगता अंदर.


कोमल : चुप चाप चलो अंदर. वरना.....


बलबीर : अरे यार वो इंग्लिश मे बाते करते है. मुजे कुछ तो समझ आता नहीं.


कोमल : (स्माइल) तो तुम्हे सिखाया तो है. जब कुछ समझ नहीं आए तो वही बोल देना.



बलबीर को भी हसीं आ गई. और सर खुजलता हुआ वो भी कोमल के साथ अंदर चलने लगा.

20/B


कोमल बलबीर को एक अच्छे ब्रांड शॉप मे लेकर गई. जहा जेंट्सवेर ही था.


सेल्समेन : (स्माइल) yes mam??? May I help you??


कोमल : show me something formal for sir


सेल्समेन : (स्माइल) yesh mam.


वो सेल्समेन बहोत से फॉर्मल ड्रेस निकल लाया. वो पेंट शर्ट ही थे. बलबीर को समझ आ गया की कोमल ये सब उसके लिए ले रही है. पर उल्टा बलबीर को डर लगने लगा. वो समझ ही गया था की यहाँ कपडे बहोत महेंगे होंगे. पर कोमल तो चॉइस करते ही जा रही थी. कोमल ने कुछ 4 जोड़ी पेंट शर्ट ले लिए. जब वो बहार आए तो बलबीर भड़क गया.


बलबीर : तुम मुझपर इतना पैसा क्यों खरच रही हो.


कोमल भी मज़ाक कर सकती थी. मगर उसने ऐसा नहीं किया.


कोमल : बलबीर ऐसी तो क्या बात है जो मै तुम्हे कुछ दे नहीं सकती.


बलबीर : क्यों की मै बदले मे तुम्हे क्या दे रहा हु. मुजे ऐसी जिंदगी जीने की आदत नहीं है.


कोमल : ओह्ह्ह क्यों की मेने तुमसे शादी नहीं की. बस इस लिए.


बलबीर कुछ नहीं बोला. पर इस प्यार की गारंटी भी क्या थी. भरोसा करो तो बहोत कुछ हो सकता था. और सोचो तो कल कोमल का दिल भर गया या कोमल को बलबीर अपने लेवल का ना लगे तो. कोमल एक बार तो ऐसा कर भी चुकी थी. आखिर बलबीर और कोमल अपनी शादी से पहले भी प्यार कर चुके थे. पर दोनों ने ही अलग अलग शादी की. समझ ये भी कोमल को आ गया.

वो दोनों ही चुप चाप शांत खड़े थे. कोमल के थोडा जोर से बोलने के कारण आने जाने वाले लोगो ने भी जाते जाते कोमल और बलबीर की तरफ देखा. कोमल बलबीर के करीब आई. उसका हाथ पकड़ा.


कोमल : (भावुक) देखो बलबीर हमारी शादी नहीं हुई इसका मतलब ये नहीं की हम अब अलग हो जाएंगे. अब मेरी जिंदगी मे तुम्हारे सिवा और कोई नहीं आएगा बलबीर.


बलबीर शांत बस सर निचे रख कर खड़ा रहा. और कोमल खुलम खुला बलबीर को बाहो मे भर लेती है.


कोमल : मेने बस शादी तुमसे इसी लिए नहीं की क्यों की तुम मुजे किसी ऐसी चीज के लिए ना रोको जो मे करना चाहती हु.


बलबीर कोमल की भावना समझ चूका था. पर वो गांव का था. पब्लिक मे ऐसे चिपकने से उसे शर्म आने लगी.


बलबीर : हा पर समझ गया. ऐसे सब के सामने कोई क्या सोचेगा.


कोमल का मूड एकदम चेंज हो गया. उसे हसीं आ गई. और जानबुचकर वो बलबीर को बहोत जोर से हग कर देती है. बलबीर के सीने पर अपना सर रख कर आंखे बंद किये मुश्कुराते उसे सुकून मिल रहा था.


बलबीर : अरे बस बाबा हो गया.


कोमल बलबीर का हाथ पकड़ कर एक ब्राडेड शूज शॉप पर ले गई. उसने बलबीर एक लिए एक नहीं दो जोड़ी बहोत महेंगे जूते लिए. पर कोमल इतने से कहा मान ने वाली थी. लेदर बेल्ट और पर्स भी परचेस किया. उसके बाद कोमल उसे सालों में ले गई.

बालवीर तो बस कठपुतली की तरह इशारों पर नाच रहा था. कोमल ने उसके बहुत स्टाइलिस्ट हेयरकट करवाए. कहीं पर भी कोमल ने खरीदी किए हुए सामान का बालवीर को रेट नहीं पता चलने दिया. पर पूरा शॉपिंग का खर्चा 1 लाख पर कर गया था.

मज़े की बात ये थी की कोमल अपने कॉलेज टाइम पर कइयों के खर्चे करवा चुकी थी. उस टाइम वो ज्यादा सयानी हो चुकी थी. वो लड़को को ऐसे फुसलाती की लड़के उसे महेंगे महेंगे गिफ्ट देते. बढ़िया शॉपिंग करवाते. कोमल उन्हें बेस्ट फ्रेंड का लॉलीपॉप देती रहती.

लेकिन फिलहाल वही लालची कोमल लाख रूपए से ज्यादा बलबीर जैसे देसी पर कर चुकी थी. इतना सब करने के बाद भी कोमल रुकी नहीं. उसे लग रहा था की ये सब तो जिंदगी जीने की जरुरत है. बलबीर के लिए कोई अच्छा गिफ्ट तो लिया ही नहीं. कोमल ने बालवीर के लिए एक ब्रांडेड वॉच भी खरीदी. जिसकी कोस्ट कुछ 20,000 थी.

बलबीर ने सब कुछ चेंजिंग रूम मे जाकर बस फिटिंग चैक की थी. सब कुछ पहन कर नहीं देखा था. उसे हेयर कटिंग नई स्टाइल मे कटवाना बड़ा अजीब लगा. कोमल जानती थी की वो स्मार्ट लग रहा है. पर वो बार बार अपने बालो पर हाथ लगा रहा था.

तभि एक बढ़िया से शोरूम मे बलबीर को एक ड्रेस दिखी. वो ड्रेस एक भूथ को पहनई गई थी. बलबीर उस ड्रेस को बार बार देख रहा था. कोमल ने भी ये चीज नोटे की. जब कोमल ने बलबीर की नजरों का पीछा किया और उसे उस ड्रेस को निहारते देखा तो कोमल के फेस पर भी स्माइल आ गई. वो बहुत छोटा वन पीस ड्रेस था.

विदाउट शोल्डर. वो ड्रेस पुरे बूब्स को शो अप कर रहा था. और निचे से भी बस पैंटी के ख़तम होते ही वो ड्रेस भी ख़तम हो जाता.

(ऐसी ड्रेस)
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कोमल बलवीर को एक कैफ़े मे ले गई. उसे वहां बैठकर वापस आई. और उस शॉप मे जाकर वो ड्रेस ख़रीदा. सिर्फ वो ड्रेस ही नहीं ख़रीदा. वहां से सीधा एक ब्यूटी पार्लर मे चली गई. बलबीर अकेला बैठे बोर होने लगा. एक घंटे से ज्यादा हो गया. वो कोमल को call लगता है.


बलबीर : हेलो कोमल बहोत देर हो गई. कहा हो तुम???


कोमल : वह मुझे मेरा एक क्लाइंट मिल गया. तुम थोड़ा वेट करो प्लीज. मैं जल्दी आने की कोशिश कर रही हूं. पर थोड़ा टाइम लग सकता है.


अब बलबीर बेचारा क्या करता. इंतजार करते बलबीर को 3 घंटे बीत गए. शुक्र था की कोमल कॉफ़ी के साथ फूड भी आर्डर कर के गई थी. पर याद रहे की इंतजार का फल बहोत मीठा होता है. कोमल आई तो बलबीर की आंखे फटी की फटी रहे गई. कोमल उसी ड्रेस मे आई. जिसे बलबीर ने कुछ घंटो पहले शॉप मे किसी बूथ पर पहने देखा था. बलबीर ने ऐसे लुक मे बस कोमल की फोटोज ही देखि थी.

पर फिलहाल तो कोमल ऐसे हॉट लुक मे मुश्कुराती उसी की तरफ चलते हुए आ रही थी. इस बार कोमल फोटो से भी ज्यादा हॉट लग रही थी. क्यों की कोमल अब एक टीन नहीं परफेक्ट वूमेन थी. उसका हर पार्ट प्रॉपर था. बूब्स, हिप्स, कमर सब कुछ परफेक्ट. बालवीर का तो मुंह ही खुला रह गया. कोमल उसके पास आकर खड़ी हो गई.


कोमल : (स्माइल) कैसी लग रही हूं??



बालवीर बस टू गटक के रह गया. वह कुछ बोल ही नहीं पाया. बालवीर की ऐसी हालत पर कोमल को हंसी आ गई. वह खिल खिलाकर हंसने लगी.


कोमल : (स्माइल) फिल्म देखने चलोगे???


बलबीर बेचारा क्या बोलता. उसका तो मुँह खुला बंद भी नहीं हो रहा था. आँखे भी जैसे बहार गिरने वाली हो. कोमल ने अपने हाथो से उसकी थोड़ी को सपोर्ट देकर उसका मुँह बंद किया.


कोमल : (स्माइल शारारत) अब चलो.


कोमल जब चलने लगी तो आप समझ ही गए होंगे की बलबीर की नजरें कहा गई होंगी. वो दोनों साथ मे फ़िल्म देखने गए और फ़िल्म काम देखि. एक दूसरे को ज्यादा देखा. दोनों मे वो सब भी हुआ जो नए प्रेमी जोड़े जब फ़िल्म देखने साथ जाते तो क्या होता है. पर इन सब मे दोनों के शरीर का तापमान कुछ ज्यादा ही बढ़ गया.

फ़िल्म देखने के बाद दोनों ही घर आ गए. फ्लेट के निचे पहोचते दोनों ही लिफ्ट तक गए. लिफ्ट के लिए बॉटन प्रेस भी करने लगे. मगर लिफ्ट थी की बड़े आराम से आ रही थी.


कोमल : ससससस ऑफ़ फो.... ये लिफ्ट भी ना. कितनी स्लो है.


पर सायद बिच मे ही किसी ने बॉटन प्रेस कर दिया होगा. लिफ्ट बिच मे ही किसी मंज़िल पर रूक गई. कोमल सीधा सीढ़ियों की तरफ बढ़ गई. हाई हिल से सीढिया तेज़ नहीं चढ़ी जाती. पर कोमल टक टक टक आवाज करते सीढिया चढने लगी. पीछे बलबीर भी था. कोमल की सीढिया चढ़ते झंगे भर गई.

बहोत मुश्किल से वो अपने फ्लेट पर पहोची. डोर खोला अंदर आई. पर आते ही उसे बलबीर ने पकड़ लिया. कोमल इसी लिए तो जल्दी कर रही थी. उसे उसके प्रेमी बलबीर ने बाहो मे जोरो से जकड रखा था. कोमल ड्रेस की स्ट्रिप निचे उतरने लगी तो उसका हाथ बलबीर ने पकड़ लिया.


बलबीर : अह्ह्ह्ह ससस नहीं नहीं. इसे मत उतरो ऐसे ही.


कोमल समझ गई की बलबीर आज उसे पूरा nude नहीं करना चाहता. वो उसी ड्रेस मे उस से प्यार करना चाहता है. कोमल ने बलबीर के हाथ को अपने पीछे महसूस कर लिया. उसका ड्रेस पीछे की तरफ से ऊपर उठ रहा था. माहोल पल भर मे ही बदल गया. गर्माहट भी छा गई और कामुख आवाज भी निकालने लगी.


कोमल : अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह... ससससस धीरे उफ्फ्फ.....


वो पूरा दिन और रात दोनों ने ऐसे ही प्यार करते बिता दिया.
 

Shetan

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Waah Shetan, :respekt: yaar tum toh kahani master ho. Horror ki tarha romance bhi badhiya hai.

Details mei na jaate hue bhi tumne sex :sex: ki masti bhar di. Ummh geela kar diya yaar tumne toh. :blush1:

Chalo Komal aur Balbir ko ek break toh mila in bhooto se. Mujhe bhi abhi ek break ki zarurat hai. :gaycall:

Thankyou very very much Bawari.
 
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