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Horror किस्से अनहोनियों के

Tiger 786

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Update 14D

बलबीर कोमल से पहले ही उठ चूका था. कोमल के किचन मे ही मंदिर था. जब कोमल अपने किचन मे घुसी. बलबीर मंदिर की साफ सफाई कर रहा था.


कोमल : (स्माइल) गुडमॉर्निंग. मे भी यही सोच रही थी.


बलबीर ने उस दिन मंदिर की साफ सफाई की. और दिया बत्ती भी की. जब कोमल और पलकेश ने वो फ्लेट लिया था. उस वक्त कोमल की माँ जयश्री ने हवन करवाया था. उसके बाद पहेली बार उस फ्लेट मे किसी ने दिया बत्ती की. भगवान के आगे ज्योत जली. ज्यादा तो नहीं पर कुछ पलों के लिए एक अच्छा माहौल वहां बन गया. कोमल बाथरूम मे चली गई. वो जब नहा कर बाथरूम से निकली और तैयार होकर वो भी किचन मे आई तब उसकी नजर मंदिर पर गई. वो दिया बुझा हुआ था.

मतलब दिया था. अंदर तेल भी था. बाती थी. मगर ज्योत जो जली वो बुझी हुई थी. जब की ना ही बहार से कोई हवा चली. और ना ही किचन का फेन चल रहा था. पर कोमल इन सब बातो को गौर नहीं करती. वो फिर ज्योत जलाकर पहेली बार उस मंदिर के आगे हाथ जोड़ती है. हाथ जोड़ने के वक्त उसने अपनी आंखे बंद कर ली. पर जब वो अपनी आंखे खोलती है. वो ज्योत दोबारा बूझ चुकी थी. कोमल ने एक बार और ज्योत जला दी. और अपने काम मे लग गई. इस बार उसने ध्यान नहीं दिया.

मगर कोमल के मुड़ते ही वो ज्योत एक बार और बूझ चुकी थी. कोमल और पलकेश ने ब्रेकफास्ट और बाकि सभी काम कर लिए. कोमल को एक छोटी सी जमीन डील के किए कोर्ट मे फ़ाइल पेश करनी थी. बलबीर निचे कार मे बैठा कोमल का इंतजार कर रहा था. कोमल को पता था वो फ़ाइल कहा रखती है. वो अपने बेडरूम मे गई. अलमारी की ड्रवार खोली और फ़ाइल निकल ली. पर बंद करते वक्त कोमल की किसी चीज पर नजर गई. और वो हैरान रहे गई. वो कोमल की पैंटी थी.

और ये वही पैंटी थी जो कोमल ने नहाते वक्त उतरी थी. जो पैंटी नहाने की वजह से गीली थी. वो सुखी हुई थी. और कोमल ने तो उसे बाथरूम मे उतरी थी. वो उस ड्रावार मे कैसे आई. कोमल ने उस पैंटी को हाथ मे लिया और जाते हुए बाथरूम मे फेक दिया. वो डोर खिलने ही वाली थी. पर उसकी नजर उस स्टिकर पर गई. जो डोर पर चिपका होने की बजाय निचे गिरा हुआ था. कोमल ने उसे फिर उठाया और चिपकने की कोसिस की. पर वो चिपक ही नहीं रहा था. कोमल ने उस स्टिकर को अपने पर्स मे ही रख लिया. कोमल निचे आई और कार मे बैठ गई. वो अपने काम के लिए निकल गए.

रस्ते मे कोमल ने बलबीर को वो सारी बाते बताई. पर बलबीर को पैंटी वाली बात पर यकीन नहीं हुआ. पर स्टिकर वाली बात पर बलबीर कुछ सोचने लगा. बलबीर कोमल को कोर्ट तक ले गया. जब कोमल अंदर कोर्ट मे गई. बलबीर कही चले गया. कोमल खुश थी. जब वो कोर्ट से बहार आई. बलबीर उसे कोर्ट के बहार ही मिला. वो आई और तुरंत कार का डोर खोलकर अंदर बैठ गई.


बलबीर : (स्माइल) क्या बात है??? आज बहोत खुश नजर आ रही हो.


कोमल : (स्माइल) आज दो पेमेंट भी आ गई. और एक बड़ा जमीन का केस भी मिला है.


बलबीर : वाह ये तो बहोत अच्छी खुश खबरी है. पर मेरे पास भी तुम्हारे लिए कुछ है.


कोमल : (स्माइल) क्या???


बलबीर ने पिछली सीट से एक चीज निकली. जो पेपर से कवर थी. कोमल ने उसे जल्दी जल्दी खोला. उसमे गणेश भगवान की मूर्ति थी. कोमल खुश हो गई. आज का उसका दिन अच्छा था. कोमल की भगवान के प्रति आस्था बढ़ने लगी. वो दोनों घर के लिए वहां से निकल गए.


कोमल : आज का दिन अच्छा है यार.


कोमल इन बातो मे खुद के साथ जो छोटे मोटे इत्तफाक हो रहे थे. उन्हें भूल गई.


बलबीर : हा चलो अच्छा है. अब सायद मनहूशीयत गई. हमें लगता है की हमें घर पर एक हवन रखना चाहिये.


कोमल को अपनी माँ से हुई बात याद आती है. उसकी माँ ने भी यही सलाह दी थी. बाते करते हुए वो दोनों अपने घर आ गए. मूर्ति को मंदिर मे रखा गया. दोनों बहोत खुश थे. एक या दो दिन बाद कोमल ने अपनी माँ से कहकर अपने घर मे हवन भी रखवाया. कोमल की माँ जयश्री को ये पता नहीं चलने दिया गया की बलबीर और कोमल दोनों एक साथ पति पत्नी की तरह साथ रहे रहे है. हवन के दिन सब मौजूद थे. सारा काम जयश्री और बलबीर ने संभल लिया. माहौल बहोत अच्छा था.

कोमल की माँ जयश्री, बहन हेमा, कुछ उनके पडोसी बसलबीर और उसके दोनों बच्चे. कुछ कोमल की पुरानी फ्रेंड शामिल हुए. पंडितजी को कोमल की माँ जयश्री ही लेकर आई थी. एक अच्छा माहौल क्रिएट हुआ. मंत्रो के जाप के साथ हवन शुरू हो गया. पर एक ऐसी घटना हुई. जिसे देख कर सभी अचंबित रहे गए. हवन करती वक्त ना बहार से कोई हवा चल रही थी. ना ही घर मे पंखा. हवन कुंड की आग से निकालने वाला धुँआ सीधा डोर से बहार जा रहा था. ये चीज सभी ने नोटे की.


जयश्री : बेटा हेमा... तू बच्चों को घर लेजा.


अपनी माँ के ऐसे रविये से कोमल को बड़ी हेरत हुई. पर पंडितजी ने हवन बंद नहीं किया. वो मंत्रो को पढता रहा. और जैसे ही वो हवन सामग्री की आहुति देने के लिए हाथ आगे बढ़ता है. एकदम से आग तेज़ हो गई. आग एकदम से तेज़ होकर ऊपर छत को टच कर गई. इसमें बेचारे पंडितजी का हाथ भी जल गया. वो एकदम से पीछे को खिसक गया.


पंडित जी : अहह ससस यहाँ कुछ तो गलत हो रहा है. कुछ ठीक नहीं लग रहा.


तभी हवन कुंड के पास पड़ा नारियल एकदम से जैसे ब्लास्ट हुआ हो. और उसका एक छिलका कोमल की माँ जयश्री को लगने ही वाला होता है. बलबीर बिच मे आ गया. वो सुकर था की बलबीर जयश्री के बगल मे ही था. वो एकदम से जयश्री के आगे ढाल बन गया. वो नारियल का टुकड़ा बलबीर की पिठ पर लगा. सभी महेमान बिना कुछ बोले ही वहा से जाने लगे.

कोमल भी हैरान थी. पर और ज्यादा हैरानी तब बढ़ी जब उस फूटे हुए नारियल को देखा. उसके अंदर से काला पानी था. जो इधर उधर फैला हुआ था. और नारियल के टुकड़ो से बड़ी सड़ी हुई बदबू भी आ रही थी. पंडितजी तुरंत वहां से खड़े हो गए.


पंडितजी : हवन अब खंडित हो गया है. तुम्हे किसी सयाने को बुलाना चाहिये.


बोल कर पंडितजी चले गए. कोमल की माँ, कोमल, बलबीर तीनो हैरान थे.


जयश्री ने जिद की वो उसके साथ घर चले. वो उस घर मे अकेली ना रहे. पर कोमल नहीं मानती. क्यों की फिर बलवीर अकेला हो जता. जयश्री जिद करने लगी की वो भी यही रुकेगी. तब कोमल ने बलबीर का नाम लिया. की वो उसे वहां रोक लेगी. ये बात जयश्री को थोड़ी बुरी तो लगी. लेकिन ऐसे वक्त एक मर्द का होना ज्यादा अच्छा था. कोमल ने अपनी माँ जयश्री को समझा बुझा कर उसके घर भेज दिया. कोमल और बलबीर दोनों ही परेशान थे.


कोमल : ये क्या हो रहा है. मुजे कुछ समझ नहीं आ रहा.


बलबीर : ये कुछ बुरी चीज है. दाई माँ को कैसे भी बुलाओ.


कोमल ने अपना फोन उठाया. और दाई माँ को call लगाया. पर फ़ोन तो स्विच ऑफ आ रहा था.


कोमल : (परेशान) उनका फोन तो बंद है. अब क्या करें.


वो दोनों ही सोचने लगे. तभी बलबीर के मुँह से ही निकला.


बलबीर : क्या डॉक्टर सहाब????


कोमल को सही लगा. उनका नम्बर सेव था. कोमल ने तुरंत ही call लगा दिया. सिर्फ 2 ही रिंग मे डॉ रुस्तम ने call पिक कर लिया.


डॉ : हेलो कोमलजी??? मुजे भुरोसा था. काम से काम आज तो आप का call आएगा..


कोमल : पर मेने तो....


डॉ ने कोमल की बात काट दी.


डॉ : मुसीबत मे होना. दाई माँ का फोन आया था. उन्होंने ही मुजे बताया. तुम खुद मुशीबत मे हो. पर ये अच्छा है. वो तुम दोनों मे से किसी के भी अंदर घुस नहीं पाया.


कोमल : लेकिन उनका फोन तो स्विच ऑफ आ रहा है. उन्हें कैसे पता चला???


डॉ : वो मूर्ति कहा है. जो तुम खरीद कर लाए थे???


कोमल याद करने लगी. उसे याद आया की बलवीर ने एक गणेश भगवान की मूर्ति खरीदी थी. जिसे भगवान के मंदिर मे बैठाया था. कोमल तुरंत ही किचन मे गई. और मंदिर मे देखा. वो मूर्ति वहां नहीं थी.


कोमल : (घबराहट) हेलो.. वो मूर्ति.


डॉ : वो तुम्हारे टेरिस पर है. जाके ले आओ.


कोमल ने फ़ोन कान पे लगाए लगाए ही बलबीर को अपने साथ आने का हिशारा करती है. बलबीर भी कोमल को थोडा डरा घबराया हुआ देख रहा था. वो झट से खड़ा हुआ. और कोमल के पीछे जाने लगा. कोमल तेज़ी से सीढिया चढने लगी. बलबीर भी उसके साथ तेज़ी से ही सीढिया चढ़ रहा था. वो बिल्डिंग भी 10 मंजिला थी. जिसमे कोमल का फ्लेट 5th फ्लोर पर था. धुप बहोत तेज़ थी और कोमल नंगे पाऊ ही ऊपर आ गई.

ऊपर आते ही कोमल यहाँ वहां देखने लगी. बलबीर भी उसके साथ ही था. बस एक मिनट भी नहीं हुआ और कोमल के पाऊ जलने लगे. वो खड़ी यहाँ वहां देख कर एक पाऊ ऊपर निचे कर रही थी.


बलबीर : तुम ढूढ़ क्या रही हो ये तो बताओ???


कोमल : (दर्द हड़बड़ट) अरे... वो मूर्ति.


बलबीर पूरा तो नहीं समझा. पर उसे ये तो पता चल गया की ढूढ़ना क्या है.


बलबीर : तुम वहां चली जाओ. मै देखता हु.


बलबीर खोजने लगा. और उसे वो मूर्ति दिख गई. बलबीर तो देखते ही समझ गया. क्यों की वो खुद ही उसे खरीद कर लाया था. जब कोमल ने मूर्ति देखि तब उसे थोड़ी राहत हुई. वो दोनों निचे आए. कोमल की आँखों से अंशू निकल आए. उसे याद आया की call चालू था.


कोमल : हेलो????


डॉ : दाई माँ कामख्या मे है. वो कल ट्रैन मे बैठ जाएगी. उन्हें तुम तक पहोचने मे 4 दिन लग जाएंगे.


कोमल : उनसे कहो की फ्लाइट मे आ जाए. मै सब अरेंज कर दूंगी.


डॉ : वो प्लेन मे कभी नहीं बैठती. मेने उनकी टिकट कर दी है. तब तक धीरज रखो. और जिसे भी तुम मानते हो उसे पूजते रहो.


वो call कट हो गया. कोमल को समझ ही नहीं आ रहा था की उसपर कोनसी मुशीबत आ गई है.
Bohot badiya update
 

Shetan

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Tiger 786

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Update 15

उस फोन call के बाद तो कोमल मानो निराश ही हो गई. कामख्या से आने में दाई माँ को 4 दिन लगने थे. कोमल मुशीबत मे है. ये बात देश के एक कोने से दूसरे कोने मे बैठी दाई माँ को पता चल गया. निराश कोमल ने बलबीर को बता दिया की दाई माँ आ रही है.

बलबीर को तो बस इतना सुनकर ही राहत मिल गई. पर कोमल को ऐसे परेशान देख कर बलबीर को अच्छा नहीं लग रहा था. 4 दिन कैसे निकला जाएगा ये भी एक डर बलबीर को सत्ता रहा था. बलबीर कोमल के पास बैठा.

उसे देखते ही कोमल भावुक हो कर उसे गले लगकर रोने लगी. बलबीर ने भी उसे बाहो में भर लिया. जैसे दिलाशा दे रहा हो की वो उसके साथ है.


बलबीर : मै जानता हु तुमपर क्या बीत रही है. पर तुम फ़िक्र मत करो. मै तूम्हारे साथ हु. चाहे कुछ होजाए. मै तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगा.


कोमल रो रही थी. पर बलबीर की प्यार भरी बाते उसे हिम्मत दे रही थी.


कोमल : (रोते हुए) ये पता नहीं क्या हो रहा है. पलकेश मर गया. उसे तो डॉ सहाब ने पकड़ लिया था ना. फिर हमारे साथ ऐसा क्यों हो रहा है.


बलबीर : कोई बात नई. दाई माँ आ रही हेना. वो तुमसे बहोत प्यार करती है. वो तुम्हे कुछ नहीं होने देगी. अब तुम एक काम करो. थोड़ी देर के लिए सो जाओ. तुम्हे अच्छा लगेगा.


कोमल कुछ बोलती नहीं है. बलबीर उसे उठने लगा.


बलबीर : उठो. चलो...


बलबीर कोमल को उठाकर सहारा देता हुआ. बेडरूम तक ले गया. और बड़े बेड पर उसे सुला देता है. कोमल भी अपने आप मे थका हुआ महसूस कर रही थी. उसने अपनी आंखे बंद कर ली. बलबीर काफ़ी देर तक उसके पास बैठा. जब उसे एहसास हुआ की कोमल सो चुकी है. वो खड़ा हुआ और बहार आकर दोबारा सोफे पर बैठ गया.

बलबीर सोच रहा था की आखिर क्या हो सकता है. कैसे कोमल के काम बिगड़ रहे है. घर मे अनहोनीय हो रही है. बहोत देर सोचने के बाद भी कुछ समझ नहीं आया. बलबीर ने भुत प्रेत तो कई दफा देखे थे. पर वो उन्हें छेड़ता नहीं. कोनसे भुत की किस्मे कोनसी ये भी ज्यादा तो नहीं जानता था.

पर कई बार देखने के कारण कुछ एक्सपीरियंस हो ही जता है. बलबीर खड़ा हुआ और कोमल को देखने के लिए बेडरूम की तरफ जाने लगा. बेडरूम मे घुसते ही सामने ही ड्रेसिंग टेबल था. जिसके बड़े मिरर से बेड साफ दीखता था.

क्यों की बेडरूम के डोर के बगल मे ही डबल बेड था. जब बलबीर बेडरूम की तरफ जा रहा था तो सामने अंदर की तरफ उसने एक भयानक नजारा देखा. उस मिरर से चेन से सो रही कोमल दिखी.

पर कोमल के सिरहाने और उसकी कमर के पास कोई बैठा था. बलबीर ने कोमल के पास अजीब से दिखने वाले 2 और ही लोगो को देखा. बलबीर एकदम से सॉक हो गया. उन दोनों सक्स की शकल ही कुछ भयानक थी. मगर दूसरा झटका तो उस से भी अजीब था.

कोमल की कमर के पास बैठे उस सक्स की नजरें मिरर के जरिये बलवीर से मिल गई. बलबीर एकदम स्थब्ध खड़ा बस उन्हें ही देख रहा था. उसने बलबीर को एक इशारा किया. एक ऊँगली अपने होठो पर रखी और.


सससससस.....
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जैसे चुप रहने का कोई आवाज ना करने का हिशारा कर रहा हो. पर इन सब मे बलबीर मानो चिपक ही गया हो. वो हिम्मत कर रहा था चीखने की. मगर चीख ही नहीं पा रहा था. उसके पाऊ भी एक ही जगह जम गए थे. बलबीर पूरा जोर लगता है. और बहोत जोरो से चिखा.


बलबीर : कोमल...................


बलबीर की आवाज से कोमल एकदम से उठ गई. और वो एकदम से दए बाए देखते बलबीर की तरफ आई. वो बलबीर को तुरंत गले लगाती है. वो उसे सँभालने की कोसिस करती है. कोमल ने बलबीर को पहेली बार डरा हुआ महसूस किया.


कोमल : बलबीर... बलबीर.... क्या हुआ बलबीर....???


कोमल बलबीर के गलो को थप थपति है. बलबीर घबराया हुआ बड़ी मुश्किल से बोल पाया.


बलबीर : वो वो वो... तुम्हारे पास बैठा था कोमल. वो वो तुम्हारे पास ही...


कोमल समझ गई की जरूर बलबीर ने कुछ ऐसा देखा है. जिसे देख कर बलबीर डर गया है. कोमल उसे पानी पिलाती है. उसे संभालती है. कुछ देर बाद बलबीर संभल गया. तब वो कोमल को वो पूरी बात बताता है की कैसे उसने किसी को उसके पास बैठा हुआ देखा. कोमल भी सोच मे पड़ गई. शाम हो चुकी थी.

कुछ वक्त बीत गया. शाम के भोजन की तैयारी करनी थी. कोमल बाथरूम मे नहा रही थी. तब कोमल को ऐसा महसूस हुआ की जैसे कोई उसके बालो मे ऊँगली घुमा रहा है. कोमल ने एकदम से उसकी ऊँगली पकड़ने की कोसिस करते वो जोर से पलटी.

पर कोई नहीं था. कोमल को भी डर का एहसास होने लगा. उसने सावर बंद किया. बस वो चिखी नहीं. पर घबरा जरूर गई थी. कोमल जल्दी से अपना बदन पोछने लगी. जब वो अपना बादन पोछ रही थी.

तब उसे ऐसा एहसास हुआ की किसी ने उसकी कमर को छुआ है. कोमल ऐसे ही जल्दी से बाथरूम से नंगी ही बहार आ गई. बलवीर सोफे पर था. कोमल को अचानक ऐसे डरे हुए नंगा बहार निकलते देख वो भी सॉक होकर खड़ा हो गया.


बलबीर : क्या हुआ???


कोमल सीधा ही बलबीर को गले लगा लेती है. वो भी घबराइए हुई थी.


कोमल : (घबराहट) मुजे किसी ने टच किया.


बलबीर भी समझ गया की ये वही होंगे. जिसे उसने कोमल के पास बैठा हुआ देखा था. कोमल की आँखों से अंशू निकल पड़े.


कोमल : (रोते हुए ) ये क्या हो रहा है. हमारे साथ. मुजे कुछ समझ नहीं आ रहा है.


बलबीर : सब ठीक हो जाएगा. धीरज रखो. दाई माँ आ रही हेना. वो सब ठीक कर देगी.


तभी कोमल के मोबाइल पर रिंग बाजी. फोन टेबल पर था. कोमल आगे बढ़ी और मोबाइल उठा लेती है.


कोमल : हेलो.???


सामने डॉ रुस्तम था.


डॉ : डोंट वरी कोमलजी. मै कल सुबह ही आ रहा हु. मुजे शाम की फ्लाइट नहीं मिली. नहीं तो मै शाम को ही आ जता.


कोमल : थैंक्यू सो मच डॉ साहब. प्लीज जल्दी आइयेगा. यहाँ हालत बहोत ख़राब है.


डॉ : हा मे समाजता हु. पर आप फ़िक्र मत कीजिये. दाई मा सुबह ही निकल गई. वो ट्रैन बदल बदल कर आ रही है. वो भी जल्दी ही आ जाएगी. बस आप इंतजार करिये.


फोन कट हो गया. कोमल फोन रखने ही वाली थी की अचानक फोन से किसी की आवाज आई. और वो आवाज कुछ अजीब सी भयानक थी. वो कोई मरदाना आवाज थी.


क्या वो तुम्हे बचा लेगा. उसकी मौत यही होंगी. यहाँ तुम्हारे घर मे.



उस अनजानी आवाज से डरकर कोमल ने एकदम से अपना फोन फेक दिया.
Behad romanchak update
 

Tiger 786

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Update 16

रात हो चुकी थी. कोमल और बलबीर दोनों लंच कर रहे थे. दोनों ही आमने सामने बैठे हुए थे. पर खाने मे दोनों मे से किसी का मन ही नहीं था. कोमल ने तो डॉ रुस्तम से बात करने के बाद उस NTT की आवाज भी सुनी. जो डॉ रुस्तम को मार डालने की बात कहे रहा था.

खाना खाते वो यही सब सोच रही थी. पर ये बात कोमल ने बलबीर को नहीं बताई. कोमल की नजर बलबीर पर गई. वो भी परेशान था.


कोमल : क्या हुआ??? खाओ ना.


बलबीर खाना छोड़ कर कोमल की आँखों मे देखने लगा.


बलबीर : तुम... अपनी माँ के घर चली जाओ.


कोमल को मानो गुस्सा ही आ गया. पर अपने आप को रोक रही हो.


कोमल : और तुम???


बलबीर सोच मे पड़ गया.


बलबीर : मै भी कही होटल मे चले जता हु.


बलबीर का डर भी लाजमी था. उसने तो खुद अपनी आँखों से दो भयानक दिखने वाले 2 सक्स को देखा था. पर कोमल बुरी तरह से झल्ला गई. वो खड़ी हुई और अपने हाथ वाली स्पून को जोर से फर्श पर पटक दिया.


कोमल : मै किसी से भी डरकर कही नहीं जाने वाली. तुम्हे जाना है तो जाओ.


कोमल गुस्से मे बेडरूम मे चली गई. बलबीर कुछ पल तो सोचता रहा. फिर वो भी बेडरूम मे चले गया. कोमल बेड पर बैठी घुटनो के बिच अपना सर छुपाए रो रही थी.


बलबीर : देखो कोमल. मै जानता हु की तुम पीछे हटने वालों मे से नहीं हो. पर कभी तो समाज़दारी से काम लेना पड़ेगा. तुम जानती हो की मै तुम्हे कभी छोड़ कर नहीं जाऊंगा.


कोमल ने तुरंत ही बलबीर को बाहो मे भर लिया.


कोमल : (रोते हुए ) मे जानती हु. तुम मुजे कभी छोड़ कर नहीं जा सकते. पर कही मेरे कारण मेरी फॅमिली को कुछ हो गया तो??? और बच्चे भी तो है. कही....


कोमल चुप हो गई. कोमल जितना अपने आप को बहार से जता रही थी. वो वैसी नहीं थी. अंदर से कोमल बहोत नेक दिल थी.


बलबीर : पर डॉ साहब ने तो कहा था की वहां कुछ नहीं हो सकता. उस घर की लकीरें किसी ऐसी चीज को अंदर नहीं आने देती.


कोमल : कहा तो पलकेश के लिए भी था. पर वो अब इस दुनिया मे नहीं हेना. और क्या चीजे सब ठीक हुई??? मै मेरी वजह से उन्हें कोई तकलीफ नहीं दे सकती.


बलबीर समझ गया. और वो भी कोमल की बगल मे लेट गया. वो काफ़ी देर यही सब सोच रहा था. उसने देखा की कोमल सो चुकी है. वो भी उसकी बगल मे ही लेट गया. बहोत देर तक तो उसे नींद नहीं आई.

पर नींद आई तब उसे एक भयानक सपना आया. बलबीर को सपने मे वैसा ही चहेरा देखा. जिन 2 सक्स को उसने बेड पर कोमल के पास बैठा देखा था. वो चहेरा बलबीर को देखते हुए हस रहा था.

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बलबीर पूरी कोसिस करने लगा नींद से उठने की. पर वो उठ ही नहीं पाया. बलबीर का बदन ही अकड़ गया था. वो चीज बलबीर से कुछ कहती है.


चले जा. इसे छोड़ कर चलेजा. वरना मार डालूंगा.


बलबीर का शरीर एकदम से ढीला हुआ. और एकदम से उठकर बैठ गया. वो बहोत जोरो से हाफ रहा था. जब शांत हुआ तो उसे लगा की सायद डर की वजह से उसने कोई सपना देखा है. पर उसे ये नहीं पता थी की उस सपने के जरिये वो चीज उनके सामने आ रही थी. बलबीर ने कोमल की तरफ देखा. वो चैन से सो रही थी.

बलबीर खड़ा हुआ और टोइलेट की तरफ चल दिया. वो रूम मे चारो तरफ देखता हुआ चल रहा था. वो लाइट ऑन कर के टोइलेट मे घुसा. पर अंदर पेशाब करते अचानक लाइट ऑफ हो गई. लाइट का स्विच तो टोइलेट के अंदर ही था. वो स्विच के बटन को ऑन ऑफ कर के देखता है.लेकिन कोई फर्क ही नहीं पड़ा. बलबीर ने डोर खोलने की कोसिस की. पर ऐसा लगा जैसे बहार से किसी ने डोर लॉक कर दिया है. तभी अचानक से फ़्लैश और नल चालू हो गया.

बलबीर हड़बड़ा गया. वो उसे तुरंत बंद करता है. वही वहां कोमल अकेली हो गई थी. वो तो गहेरी नींद मे थी. तभी उसे शरीर मे कुछ अलग ही भरिपन महसूस होने लगा. कोमल भी उठने की कोसिस करने लगी. पर ना ही उसकी आंखे खुल पा रही थी. और ना ही अपने बदन को हिला पा रही थी. तभी अचानक से किसी ने उसकी टांग खींची. कोमल एकदम से बेड पर आधी खिसकती हुई लटक गई.

कोमल की नींद भी खुल गई. और वो घबराकर एकदम से बेड पर बैठ गई. वो चारो तरफ देखने लगी. कोई नहीं था. तभी उसका ध्यान आ रही आवाज पे गया. बलबीर टोइलेट के डोर को पिट रहा था. जोरो से धक्का मार रहा था. कोमल जल्दी से उठी. और टोइलेट को तरफ तेज़ी से गई. वो डोर एकदम से खुल गया. बलबीर जैसे ही बहार आया. कोमल ने तुरंत जोरो से बाहो मे भींच लिया.


कोमल : (रोना) ये सब क्या हो रहा है हमारे साथ.


इस बार कुछ बताने जताने की जरुरत नहीं थी. हालत जरुरत से ज्यादा बिगड़ रहे थे. तभी एकदम से टीवी की आवाज आने लगी. बलबीर और कोमल तेज़ी से ड्राइंग रूम की तरफ गए. टीवी ऑन थी. और उसपर न्यूज़ चेनल चल रहा था. बलबीर ने तुरंत टीवी बंद की. तभी एकदम से डोर बेल बजने लगी. कोमल और बलबीर दोनों ही एक दूसरे की तरफ देखने लगे. इस वक्त कौन हो सकता है.

एक डर का माहौल छा गया. कोई लगातार डोर नॉक कर रहा था. बलबीर डोर की तरफ बढ़ने गया तो कोमल ने उसका हाथ पकड़ लिया. जब की कोई जोर जोर से डोर को पिट रहा था. बलबीर रुक गया. कोमल आगे हुई. वो डोर तक पहोची और पीछे मुड़कर बलबीर को देखती है. कोमल ने की हॉल से देखा. वो हैरान रहे गई.

बहार पलकेश खड़ा था. डर और घबराहट से कोमल एकदाम से पीछे हो गई. उसे बलबीर ने संभाला. वो हैरान था की कोमल ने ऐसा क्या देख लिया. पर डोर अपने आप ही खुल गया.
वो दोनों एकदम से सॉक हो गए. क्यों की बहार तो कोई नहीं था. जैसे थोडा डर कम हो गया हो. कोमल ने घूम कर एक बार फिर बलबीर को देखा.

क्यों की उसने डोर के की हाल से पलकेश को देखा था. एकदम सफ़ेद चहेरा. जैसे उसे किसी फ्रीजर से निकला हो. पर जब अपने आप डोर खुल गया तो सामने कोई भी नहीं था.
कोमल एकदम से बहार निकल गई. जब वो बहार निकली तो बलबीर भी उसके पीछे उसके फ्लेट से बहार आ गया.

लेकिन बहार आते जो उन दोनों ने देखा. वो देख कर उन दोनों की ही रूह कांप गई. वो फ्लेट के ऊपर से ही निचे का नजारा देख रहे थे. फ्लेट के निचे रोड पर पलकेश खड़ा था. और वो ऊपर ही उन दोनों की तरफ देख रहा था. खास कर कोमल को ही. बलबीर भी हैरान था.

क्यों की पलकेश को वो भी देख रहा था. अचानक कोमल के सर मे एकदम से दर्द उठा. जो कोमल बर्दास्त नहीं कर पाई. और अपना सर पकड़ कर बैठ गई. बलबीर भी कोमल को संभालने लगा. वो कोमल को अंदर ले आया और सोफे पर बैठाया. रात के 03:30 हो गए थे. दोनों एकदूसरे को बाहो मे भरे कब सो गए पता ही नहीं चला.
Zabardast update
 

Shetan

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Zabardast update
Thankyou very very much Tiger
 

sunoanuj

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159
Next update please….
 

Shetan

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Next update please….
आज से लिखना स्टार्ट करुँगी. जल्द ही अपडेट पोस्ट होगा
 

Shetan

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आपके व्रत समाप्त हुए? अब हमारे उपवास भी खत्म कीजिए।
अगला अपडेट कब आने वाला है?
हा मेरे व्रत समाप्त हो चुके है. जल्द ही अपडेट लिख कर पोस्ट करुँगी.
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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259
DEVIL MAXIMUM bhai padharo is thred pe bhi.
Aladdin_ ye story bhi padho. Bohot achi hai.
kamdev99008 kamdev bhai is story ko bhi aapki jarurqt hai aapke review writers ko sambal dete hai.
 
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