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Incest कैसे कैसे परिवार

prkin

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Rajizexy

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चौथा घर मिशेल और रिचर्ड डिसूज़ा
अध्याय ४.
भाग ४


*********


निशा: “देख रही थी बिस्तर चूँ चूँ तो नहीं करता.”

रिचर्ड और जैसन इस बात पर हंस पड़े. निशा बाथरूम में घुस गई और कुछ ही देर में कमरे में लौटी तो वो नितांत नंगी थी. उसने रिचर्ड और जैसन को संकेत दिया तो वे भी अपने कपड़े निकालने लगे. दोनों के नंगे शरीरों को देखकर निशा ने अपनी संतुष्टि दिखाई. फिर उसने आगे बढ़ते हुए दोनों के लंड पकडे और उन्हें अपने सामने करते हुए बिस्तर पर बैठ गई. दोनों के लंड कुछ देर हाथ से सहलाने के बाद वो उन्हें अपनी जीभ से चाटने लगी और फिर मुंह में अंदर लेकर चूसने लगी.

रिचर्ड और जैसन ने पाया कि वो इसमें उतनी ही निपुण ही जितनी कि उनकी पत्नियां. न चाहते हुए भी उनका ध्यान अपने घर में चल रहे खेल पर गया. रिचर्ड को इस बात का भी ध्यान आया कि उसने बच्चों को घर से बाहर रहने की लिए कहा था. इसके बाद उसने लौटकर अपने लंड पर चल रही निशा की गतिविधि में स्वयं को खो दिया.

*******

मिशेल: “आशा से अधिक आनंद आया. आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद. पर शरीर अब टूट सा रहा है.”

ईव ने भी सहमति में सिर हिलाया. कुछ देर और रुकने के बाद चारों अतिथियों ने अपने वस्त्र धारण किया और मिशेल उन्हें घर के बाहर तक छोड़ आयी. लौटने पर दोनों ताल में कुछ देर तक बैठीं और फिर पोछते हुए कपड़े पहन लिए. जैसे ही वे ऊपर की ओर पहुंची, तो मार्क और डेविड घर में प्रवेश कर रहे थे.

दोनों ने लगभग एक साथ ही कहा, “हाय मॉम”

...... अब आगे

********

होटल में:

रिचर्ड और जैसन इस समय निशा के अनुभवी और दक्ष मुंह द्वारा दिए जा रहे मौखिक सुख में डूबे हुए थे. रह रह कर उन्हें घर पर उनकी पत्नियों के द्वारा चार अफ़्रीकी आदमियों से चुदाई का ध्यान आता और उनके लंड कुछ और तन जाते. निशा ने उनसे अभी तक कुछ कहा नहीं था परन्तु ये विदित था कि वो भी अब इसके आगे कुछ चाहती थी. जैसन ने मौन तोड़ा।

जैसन: “निशा, क्यों न अब हम दोनों को भी तुम्हारी सेवा का अवसर दो? तुम्हारी चूत और गांड भी तो कुछ ध्यान चाहने लगी होगीं.”

निशा ने अपने थूक से लथपथ मुंह को उनके लंड से अलग किया.

निशा: “मुझे प्रसन्नता हुई कि आप मेरे बारे में भी सोच रहे है. और मैं आपसे सहमत हूँ.”

जैसन: “तो चलो बिस्तर पर लेटो, मैं और रिचर्ड तुम्हे दोहरे मुख मैथुन का आनंद देने के इच्छुक है.”

निशा जाकर बिस्तर पर लेटी तो जैसन ने उसे एक करवट कर दिया। इसके बाद रिचर्ड और जैसन उसके साथ उलटी दिशा में ले गये. रिचर्ड के सामने निशा की चूत थी तो जैसन को उसकी गांड अपने आगे दिख रही थी. जीजा साले अपने अपने छेदों पर नियुक्त हो गए और निशा के दोनों छिद्रों को अपने मुंह और जीभ से चाटने लगे. हालाँकि निशा दुहरे सम्भोग की आदी थी और दो लौंड़ों से चुदवाने में विशेषज्ञ, परन्तु इस आसन में उसे कभी भी किसी ने भी प्रेम नहीं किया था. और इसीलिए उसे इसमें असीम आनंद की अनुभूति हो रही थी.

रिचर्ड और जैसन अपने कार्य में पारंगत थे और उनकी थिरकती हुई जीभों निशा की चूत और गांड खुल कर स्वागत कर रही थीं. अपने मुंह के सामने रिचर्ड के तने हुए लंड को देखकर निशा से रहा नहीं गया और उसने उसे अपने मुंह में लेकर चूसना आरम्भ कर दिया. उसने अपने ऊपर वाले हाथ से जैसन के लंड को ढूंढा और उसे अपनी मुट्ठी में लेकर सहलाने लगी. दोनों लौड़े इस समय पूरे तनाव में थे और निशा को सांत्वना मिली कि वे दोनों ही उसे रगड़कर चोदने की क्षमता रखते हैं.

चूत और गांड जब भली भांति गीली हो चुकी तो जैसन ने अपनी जीभ को निकाला और फिर अपना आसन बदला. अब वो निशा के पीछे उसकी ही दिशा में था. अपने लंड पर थूक लगाने के बाद लंड को निशा की गांड पर रखा और अंदर डाल दिया. निशा मानो आनंद से दूभर हो गई. पहले गांड मारने वाले कम ही होते थे. अधिकतर पहले उसकी चूत का आनंद लेने के पश्चात् ही लोग उसकी गांड मारते थे. यही नहीं, इस समय भी रिचर्ड की जीभ उसकी चूत में अठखेलियां कर रही थीं. अब जब उसका ऊपर वाला हाथ स्वतंत्र था तो उसने रिचर्ड के सिर को अपनी चूत में दबा लिया. रिचर्ड ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और उसकी चूत को चाटने में व्यस्त रहा.

जैसन के लंड की बढ़ती गति ने उसकी गांड में थिरकन की हुई थी. उसने रिचर्ड के सर को छोड़ा और उसके लंड को भी अपने मुंह से निकाला। रिचर्ड के लिए ये संकेत था कि अब वो भी चढ़ाई कर सकता था. रिचर्ड ने भी अपने शरीर को सही दिशा में मोड़ा और अपने लंड को चूत में लगाकर अंदर कर दिया. निशा की पहली चुदाई में ही दोनों ने डबल चुदाई कर दी थी. और निशा जैसी घनघोर चुदक्क्ड़ स्त्री को और क्या इच्छा हो सकती ही. आनंद से उसके मुंह से सिसकारियां ही निकल रही थीं. देखने वाली बात ये थी कि कब ये जीजा साला उसे चीखने के लिए बाध्य करेंगे. पर उसे विश्वास था कि इसमें अधिक समय नहीं लेंगे.


परन्तु इस आसन में चुदाई करना आसान नहीं था. रिचर्ड और जैसन के घुटने एक दूसरे से लड़ रहे थे जिसके कारण चुदाई की लय नहीं बन पा रही थी. इस समस्या को भांपते हुए निशा ने ही स्वयं आसन बदलने का सुझाव दिया. जैसन ने अपना लंड निकाला और रिचर्ड ने निशा को अपने ऊपर रखते हुए एक करवट ली. अब वो नीचे था और निशा उसके लंड पर चढ़ी हुई थी. जैसन ने पीछे जाकर अपने लंड को फिर से निशा की गांड में पेल दिया. डबल चुदाई का वैसे भी ये सबसे प्रचलित आसन था और तीनों इससे परिचित थे. निशा रिचर्ड के लंड पर लम्बी छलाँगे लगाने लगी पर जैसन ने उसे थामे हुए अपने लंड से उसकी गांड का मंथन चालू रखा.

जैसन ने निशा की पीठ पर हाथ रखकर उसे धीमा किया और इसके बाद वो और रिचर्ड अपनी स्वाभाविक गति से निशा की डबल चुदाई करने लगे. निशा का स्वयं से प्रश्न कि चीखें कब निकलेंगी का उत्तर शीघ्र ही मिल गया. अगर उनके अगल बगल के कमरों में कोई था तो उसे अवश्य ही इन चीखों की ध्वनि सुनाई दी होगी. पर इन तीनों को इससे कोई भी मतलब नहीं था. तीनों अपनी शरीर की भूख के आगे कुछ भी देख न पा रहे थे. वैसे भी जैसे आज उनकी पत्नियों की चुदाई हो रही थी, घर पर कुछ शांति मिलने का कम ही अवसर था. उनकी बेटियां अवश्य उबलब्ध थीं परन्तु उनके बेटों को वो प्यासा और अकेला नहीं छोड़ सकते थे.

तेजी से चूत और गांड को भेदते हुए लौडों के बीच में पिसती हुई निशा आनंद की सीमा तोड़ चुकी थी. उसकी चीखें और उन दोनों से और तेज और गहरी चुदाई की विनती रिचर्ड और जैसन को भी और शक्तिशाली और गहरी चुदाई के लिए प्रेरित कर रही थीं. और दोनों इसमें पूरी तरह से संलग्न थे. जैसन ने रिचर्ड को देखा तो रिचर्ड की आँखों में उसे गांड मारने की इच्छा दिखी. उसने अपने लंड को निशा की गांड में से निकाला और उसके मुंह में डाल दिया. निशा बिना चिंतन के कि ये लंड अभी उसकी गांड की गहराइयों में से निकला है उसे पूरी तन्मयता से चूसने लगी. रिचर्ड ने अपने आप को निशा के नीचे से हटाया और अपने लंड को उसकी आँखों के सामने लहराया. निशा ने उसे भी चाटने में देरी नहीं की.

इस बार जैसन लेट गया और उसने निशा को अपने ऊपर करते हुए उसकी चूत में लंड पेला। एक बार आसन स्थापित होने के बाद रिचर्ड ने इस बार गांड में लंड पेल दिया और जीजा साला एक बार फिर से द्रुत गति से निशा की चुदाई करने लगे. निशा कुछ ही देर में फिर से चिल्ला चिल्ला कर उन्हें उसकी चूत और गांड फाड़ने के लिए उत्साहित कर रही थी. दस मिनट की भीषण गांड फाड़ चुदाई के बाद रिचर्ड ने अपना पानी निशा की गांड में छोड़ दिया. उसने झड़ने के बाद अपने लंड को बाहर निकाला और कुर्सी पर बैठकर सुस्ताने लगा. जैसन ने निशा को पलटकर नीचे किया और उसके ऊपर आकर लम्बे गहरे धक्कों के साथ उसे कुछ देर और चोदा।

जैसन: “कहाँ छोडूं?”
निशा: “मुंह में.”

जैसन ने कुछ और धक्के मैरे और अपना लंड निशा के मुंह की ओर किया ही था कि उसके लंड से धार निकलने लगी जिसने निशा के चेहरे और मुंह पर वीर्य की एक चिपचिपाती पार्ट बना दी. पूरा झड़ने के बाद निशा ने अपनी उँगलियों से उसे इकठ्ठा किया और अपने मुंह में डालकर पी लिया.

तीनों कुछ देर बाद बैठे हुए बातें करते रहे. फिर रिचर्ड ने जाने की इच्छा की तो निशा ने उसे बताया कि उनके मित्रों के लिए जो आयोजन किया है, उसकी वो चाहें तो वीडियो बनाई जा सकती है, परन्तु ये केवल उनके देखने के लिए ही होगी. रिचर्ड ने स्वीकृति दी और फिर सबने अपने आपको बाथरूम में जाकर साफ किया और कपड़े पहनकर निकल गए.

*******

मिशेल के घर:

जब रिचर्ड और जैसन घर पहुंचे तो देखा कि शैली और ऐलिस अभी भी आयी नहीं थीं. मार्क और डेविड कोई वीडियो गेम खेल रहे थे और मिशेल और ईव किचन में थी. रिचर्ड ने जाकर मिशेल को चुंबन दिया और जैसन ने ईव को. फिर रिचर्ड ने ईव को और जैसन ने मिशेल को चूमा.

“हाउ वास योर डे.”
‘फन.”
“ओके, हम अपने लिए ड्रिंक बना रहे हैं, तुम दोनों कुछ लोगी?” रिचर्ड ने पूछा.
“वाइन। पर आप लो, हमें कुछ समय लगेगा. हम आती हैं.”

रिचर्ड और जैसन ने अपने लिए लम्बे पेग बनाये और मार्क और डेविड के पास बैठ गए. मार्क और डेविड ने कुछ देर में अपने गेम को रोका और फिर अपने पिता को हेलो कहा. मार्क ने बियर पीने की इच्छा की तो जैसन ने अनुमति दे दी. डेविड ने रिचर्ड को देखा तो उसने भी हामी दे दी. बियर लेकर दोनों आये और अपने दिन के बारे में बताया. रिचर्ड और जैसन ने अपने दिन के बारे में कुछ अधिक नहीं कहा.

मिशेल और ईव अपने वाइन के ग्लास के साथ आकर बैठी ही थीं कि मार्क पूछ बैठा.

“हम नीचे कब चलेंगे?”
मिशेल ने उत्तर दिया: “आज नहीं.”
मार्क का मुंह उत्तर गया.
जैसन ने कहा, “हम अपनी पत्नियों के साथ ही रहना चाहेंगे आज. तुम बच्चे इंजॉय करो.”
डेविड: “हम म्यूजिक बजा सकते हैं.”
रिचर्ड: “बिल्कुल , पर अधिक ऊँचा मत करना कि पूरे घर में हल्ला हो.”
डेविड: “ओके, डैड.”

कुछ देर में ऐलिस और शैली ढेर सारे शॉपिंग के थैले लेकर अंदर आयीं.

“कुछ छोड़ा कि नहीं दुकानों में?” डेविड ने छेड़ते हुए कहा.
“नहीं. और अब बकवास बंद कर.”

मिशेल: “कूल इट गर्ल्स.”
शैली: “सॉरी मॉम. सॉरी ब्रो थक गए चलते चलते इसीलिए थोड़ा गुस्सा आ गया.”
डेविड: “नो प्रॉब्लम. तुम दोनों बैठो, मैं तुम्हें ठंडी बियर पिलाता हूँ.”
शैली: “थैंक्स ब्रो, वी नीड इट। “

डेविड ने दोनों को बियर लेकर दी और फिर बताया की आज उनके माँ बाप खेल में नहीं रहेंगे और वे म्यूजिक सुन सकते हैं.

“लवली. खाने के बाद चलते हैं.”

बच्चों की उत्सुकता देखकर उनके माँ बाप हंसने लगे. और कुछ देर में खाने के लिए बैठ गए.

*******
खाने के बाद बच्चे खेलने के लिए नीचे के तरणताल में चले गए और चारों बड़े वहीं बैठे बातें करते रहे. मिशेल और ईव ने अपनी चुदाई की कथा बताई तो रिचर्ड और जैसन ने उनकी. इस सबसे चारों उत्तजित तो हुए पर आज कुछ भी करने की शक्ति किसी में न थी. ऐसा न था कि रिचर्ड और जैसन चुदाई नहीं कर सकते थे, परन्तु वे रिचर्ड का ध्यान रह रह कर निशा की बातों पर जा रहा था. उसके अनुमान से वो विवाहित थी. तो क्या उसका पति उसके क्रिया कलापों के बारे में जानता था? खिन वे किसी अन्य मुश्किलमे तो नहीं पड़ जायेंगे? यही बातें उसे व्यथित कर रही थीं.

जब उसने अपनी चिंता तीनों को बताई तो मिशेल ने पहले निशा से बात करके सब साफ करने के लिए कहा और उससे कल बात करने का निश्चय किया. कुछ और देर बैठने के बाद दोनों जोड़े अपने कमरों में चले गए. जाते हुए उन्हें तलघर से संगीत सुनाई दिया परन्तु उसका अधिक ऊँचा न होने के कारण उन्हें कोई समस्या नहीं थी.

******

तलघर में चारों युवा इस समय नंगे नहा रहे थे. उन्होनें अपना चाहता संगीत चला रखा था और चारों उसका भी आनंद ले रहे थे. मार्क और डेविड ऊपर से कई सारी बियर की बोतलें ले आये थे और इस समय सब बियर, संगीत और स्नान का आनंद ले रहे थे. शैली पहले ताल से बाहर आयी और फिर अपने आपको पोंछने के बाद संगीत कुछ तेज किया और नंगी ही उसकी ताल पर थिरकने लगी. उसे देख अन्य तीन भी शीघ्र बाहर निकले और उसके साथ नाचने में व्यस्त हो गए. शैली डेविड की बाँहों में समाकर नाचने लगी तो ऐलिस ने मार्क का साथ किया. यूँ नाचते हुए एक दूसरे के चुंबन भी लेने लगे और जब उनसे रहा नहीं गया तो कमरे की ओर चल पड़े.

69 के आसन में दोनों भाई बहन की जोड़ियाँ एक दूसरे को संतुष्ट करने में जुट गयीं.

*******

जैसा कि रिचर्ड ने कहा था तो निशा ने अपने पति को रात के लिए होटल में ही बुला लिया. उसे देखने से ही पता चलता था कि क्यों निशा दूसरे आदमियों से अपनी शरीर की भूख मिटाने के लिए बाध्य थी. उसका पति हालाँकि अच्छी नौकरी में था परन्तु उसका व्यक्तित्व दब्बू था और इसीलिए उसे उसकी योग्यता अनुसार पद भी कभी न मिल पाया था. निशा उसे बहुत ही तिरस्कार से सम्बोधित करती थी. फिर भी उसने कभी आपत्ति नहीं की. निशा चाहती थी कि वो कुछ हिम्मत और आक्रोश दिखाए, परन्तु इतने वर्षों के बाद भी वो उसी प्रकार से रह रहा था.

निशा उसे उसकी पौरुष शक्ति के लिए ताने देती थी, और यही कारण भी था कि उन्हें आज तक संतान प्राप्ति नहीं हुई थी. निशा ने कई बार ये विचार लिया कि वो अपने अन्य प्रेमियों से माँ बन जाये, पर किन्हीं कारणों से ये भी कभी सम्भव न हो पाया था. क्रमशः निशा के मन में अपने पति के लिए आदर का भाव समाप्त हो गया और बचा तो एक तिरस्कार।

जब उसके पति ने होटल के कमरे में प्रवेश किया तो उसे ये समझने में अधिक देर न लगी कि निशा यहाँ किसी से चुदवा चुकी है. चुदाई की गंध अभी भी कमरे में व्याप्त थी. निशा बिस्तर पर नंगी ही लेटी थी और उसके चेहरे पर कोई पपड़ी सी जमी हुई थी.

“मुझे अभी दो तगड़े आदमी चोद कर गए हैं. जो तुम्हारा काम है उसके लिए बाहर के लोगों की सहायता लेनी पड़ती है.”
“मैं भी तो तुम्हे चोदता हूँ.”
“हाँ, पर मुझे ऐसी चुदाई चाहिए होती है जो मेरे शरीर को झिंझोड़ दे. जैसे आज वो दोनों करके गए हैं. अब अपना काम करो और मेरी चूत और गांड को अपने मुंह से साफ करो. मैं बहुत देर से तुम्हारी ही राह देख रही थी. अब देर मत करो और अपने काम पर लग जाओ.”

निशा के पति ने अपने कपड़े निकाले और निशा की फैली हुई जांघों के बीच बैठकर अपना मुंह उसकी चूत में डाल दिया.

*******

भाई बहन के प्रेम का ये दृश्य मनमोहक तो था ही, अपितु रोमांचित और उत्तेजित करने वाला भी था. हालाँकि कमरे में चार थे परन्तु इस समय प्रेमी जोड़े केवल अपने साथी के ही बारे में सोच रहे थे अन्य किसी और के लिए तो बिलकुल भी नहीं. चूत में चलती सरपट जीभ का उत्तर लौड़े पर चल रही जीभ उसी लय में दे रही थी. चूत की चाशनी को पीते हुए अपने लंड के स्वाद को चखाने का आनंद ही अलग था. अब परिस्थिति ये थी की लड़के ऊपर से अपने लंड अपनी बहनों के मुंह में डाले हुए थे और अपने नीचे फैली हुई चूत का सेवन कर रहे थे. परन्तु डेविड को संतोष न था. उसने शैली को ऊपर आने के लिए कहा. शैली ने बिना किसी संकोच पलटते हुए उसके लंड को मुंह में ले लिया.

अब डेविड के मुंह के आगे शैली की टपकती हुई चूत थी. उसकी जीभ ने आगे बढ़कर स्वयं को शैली की चूत में डाला और फिर एक ऊँगली से उसे भेदने लगा. शैली की बढ़ती हुई चूसने की गति ने उसे बता दिया कि उसे भी ये अच्छा लग रहा था. अपनी गीली ऊँगली को डेविड ने बाहर निकाला और शैली के गांड के छेद तो ढूंढकर उसके अंदर धीरे से सरका दिया. शैली ने मुंह से लंड निकालते हुए एक हल्की सी आह भरी और उसका शरीर कुछ कंपकपाया. फिर उसने अपना ध्यान डेविड के लंड पर केंद्रित कर दिया.

मार्क और ऐलिस अब एक दूसरे को चूम रहे थे. मार्क का खड़ा लौड़ा अमीके की चूत के ऊपर रगड़ खा रहा था और ऐलिस उसे चूमते हुए अपनी चूत में डालने का प्रयत्न कर रही थी. मार्क ने उसकी इस कठिनाई को दूर किया और अपने हाथ से लंड को ऐलिस की तपती चूत में डाल दिया. मार्क और ऐलिस एक दूसरे को चूमते हुए चुदाई में लीन हो गए. ये चुदाई शारीरिक नहीं बल्कि मन को मिलाने के लिए थी. दोनों किसी प्रकार की जल्दी में नहीं थे. मार्क एक मंथर गति से ऐलिस को चोद रहा था. दोनों एक दूसरे में तन मन से समय हुए थे.

शैली ने डेविड के लंड को मुंह से निकाला और अपने शरीर को ऊपर उठाकर डेविड के लंड के दोनों ओर पाँव किया और उसकी ओर प्रेम से देखकर बोली, “मैं तेरा लंड अपनी गांड में ले रही हूँ. इस आसन में गांड मरवाने में बहुत आनंद मिलता है.”

डेविड: “यू नो, आई कैन फक योर आस एवरीडे.”

शैली: “यस, बट आई वांट इट ओनली सम डेस. लाइक टुडे.” ये कहते हुए शैली ने अपनी गांड में डेविड के लंड को बिठाया और हल्की गति से उस पर बैठती गयी. जब वो रुकी तो उसकी गांड में डेविड का लंड जड़ तक समाया हुआ था. उसने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा, “यू कैन फक मॉम इन हर आस व्हेन यू वांट, शी लव्स इट.”

डेविड: “आई नो. आई लव हर आस टू. पर अभी तुम्हारी गांड की बात चल रही है.”

शैली धीमी गति से डेविड के लंड को अपनी गांड से चोदने लगी. आगे झुकते हुए उसने डेविड के होंठ अपने होंठों से चूमे और डेविड ने अपने हाथों से उसके मम्मे मसले. दोनों एक दूसरे में खोये हुए थे. जैसे ये कोई साधारण जीवन का अंग हों.

इसी प्रकार की चुदाई में दोनों जोड़े न जाने कितने समय तक एक दूसरे को आनंद देते रहे. कोई शीघ्रता या तीव्रता नहीं दिखा रहा था. ये प्रेम का बंधन था जिसमे शरीर केवल साधन थे. युवा तन एक दूसरे में समाये हुए कितनी ही देर तक एक ही आसन में चुदाई करते रहे. किसी ने कुछ भी बदलने के बारे में विचार भी नहीं किया. समय के साथ मार्क और डेविड झड़ने के निकट पहुँच ही गए. डेविड का तो लौड़ा गांड में था तो उसे अपना रस वहां छोड़ने में कोई संकोच नहीं था. पर मार्क ऐलिस की चूत में नहीं झड़ना चाहता था. और इसीलिए उसने अपने लंड को बाहर निकालते हुए अपने रस को ऐलिस की चूत के ऊपर छोड़ा. ऐलिस ने अपने हाथों से उसे अपनी चूत और जांघों पर मला और मार्क को ऊपर खींचकर फिर से उसे चूमने लगी.

शैली ने अपनी गांड से बहते हुए रस को बाथरूम में जाकर धोया और लौटकर डेविड की बाँहों में समा गयी. दोनों एक दूसरे को चूमते रहे. कुछ देर बार उठकर सबने एक बियर और ली और संगीत की धुनपर थिरकने लगे. रात में अभी और चुदाई शेष थी. प्रेम का दृश्य पूर्ण हो चूका था, अब वासना का क्रम था.

*******

क्रिसमस के दिन डॉन और उसके साथी अपने गेस्टहॉउस के बाहर किसी की प्रतीक्षा कर रहे थे. कुछ देर में कार लेकर एक नवयुवा आया और उन्हें कार में बैठा लिया. कार उन चारों के लिए पर्याप्त नहीं थी. लम्बे चौड़े व्यक्तित्व के तीन व्यक्ति किसी प्रकार पिछली सीट पर बैठे. लड़के ने कार निकाली और कोई बीस मिनट के बाद एक शानदार बंगले में अंदर ले जाकर रोक दी. उसने हॉर्न बजाया तो निशा ने दरवाजा खोला और उन्हें अंदर आने का आमंत्रण दिया. उनके अंदर जाने के बाद वो लड़का कार लेकर लौट गया.

कमरे में चार सुंदर स्त्रियां बैठी हुई थीं. इससे पहले कि निशा उनका परिचय लेती एक स्त्री बोल पड़ी, “माँ के लौड़े, ये तो मेरी गांड फाड़ देंगे.”

वातावरण स्वयं ही उसकी इस बात से प्रफुल्लित हो उठा. निशा ने डॉन जो उसके अनुमान में उनका मुखिया था अपने मित्रों का परिचय करने के लिए आग्रह किया. डॉन ने सबका परिचय दिया और फिर निशा ने स्त्रियों का परिचय दिया.

“मैं निशा हूँ, ये सबीना जिसकी बात आप सुन ही चुके हैं, ये हैं रमोना, और ये नीलम है, ये घर नीलम का ही है.”

डॉन और उसके साथियों ने सबको भारतीय पद्धति से नमस्ते किया. फिर उन्हें बैठाया गया और सभी बातों में व्यस्त हो गए. पर सबीना से रहा नहीं जा रहा था. आखिर वो बोल ही पड़ी.

“अरे इन मादरचोदों से बोलो डांस करते हुए कपड़े निकालें. इनके लौड़े देखने का बड़ा मन कर रहा है.” ये तो भला हो कि उन्हें हिंदी नहीं आती थी नहीं तो समस्या हो सकती थी.

डॉन के पूछने पर निशा ने सबीना की इच्छा बताई. डॉन मुस्कुराया.

“हमें कोई आपत्ति नहीं अगर आप भी बाद में हमें भी अपना नृत्य दिखाएँ.”

सबकी स्वीकृति होते ही, नीलम ने उठकर पाश्चात्य संगीत चला दिया और डॉन और उसके साथी खड़े हो गए. डॉन ने कहा की वे अपने देश के कुछ गाने चलाएंगे और उसने अपने फोन को स्टीरिओ में लगाया और अफ़्रीकी संगीत बज उठा.


शेष शीघ्र
Kamuk nd Madak update 👌👌👌
 
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पाँचवाँ घर: शोनाली और जॉय चटर्जी
अध्याय ५.३
भाग ५

*********

अब तक:

समर्थ और जॉय के परिवार समर्थ के घर पर एकत्रित हैं, जहाँ समर्थ अपने अवकाश प्राप्ति की घोषणा करता है. वो अपने व्यवसाय का पूरा उत्तरदायित्व अपनी बेटियों को सौंप देता है. इसी के साथ वो अपनी पत्नी शीला के साथ भ्रमण पर जाने की भी घोषणा करता है. साथ ही वो सुमति को सुप्रिया की सहायता हेतु कम्पनी में नौकरी दे देता है. घर के विस्तार के बारे में बताकर वो अपनी दोनों बेटियों को परिवार सहित उनके ही साथ रहने का आग्रह करता है. इसके बाद पार्टी और चुदाई का खेल चलता है.

चुदाई का एक चक्र हो चुका था. पार्थ ने अपने रिसोर्ट के अनुभव को भी सबके साथ बाँटा था, जिसे सुनकर सभी चकित थे. पर शीला ने नेतृत्व संभालकर आगे की बातों से लोगो का ध्यान हटा दिया था और दूसरे क्रम की चुदाई का आरम्भ करवा दिया था.

सुप्रिया सजल के साथ थी. सुमति ने निखिल को घेरा हुआ था. पारुल को नितिन ले गया था तो पार्थ को शीला. बैठक में समर्थ और जॉय संजना, सुरेखा, सागरिका थे. अगले चरण के खेल के लिए बिसात बिछ चुकी थी. अब बस सभी खिलाड़ी खुलकर खेलने को उग्र थे.

अब आगे:

सुप्रिया और सजल:


सुप्रिया सजल को लेकर अपने निर्धारित कमरे में आ गयी. कमरे में आकर उसने समय व्यर्थ न करते हुए अपने कपड़े यूँ ही आनन फानन फेंके और सजल के सामने कुछ ही देर में वो प्राकृतिक अवस्था में खड़ी थी. सजल भी अपने कपड़े निकाल चूका था पर मौसी को नंगा देखकर उसके मुंह खुला रह गया. वो इस समय एक परी के समान सुंदर लग रही थी. हाँ, आयु का दंश उन्हें अवश्य कुछ काट रहा था, परन्तु आज भी वो अनंत सुंदरी थीं.

“क्या देख रहा है?”
“आ आ आप बहुत सुंदर हो, मौसी.”
“तेरी माँ से भी अधिक?” सुप्रिया ने उसे छेड़ा.
सजल ने कुछ नहीं कहा फिर धीमे स्वर में बोला, “नहीं.”

सुप्रिया एक पल के लिए चौंकी, फिर मुस्कुराकर सजल की ओर बढ़ी.

“जानता है, तेरा ये सीधापन ही मुझे हमेशा रास आता है. तुम अपनी मौसी को नंगा देखकर उसकी चुदाई से पहले भी अपनी माँ को ही उससे मानता है. सच मैं, मैं तेरी इस सच्चाई से बहुत ही प्रभावित हूँ. क्या करना चाहता है तू अपनी मौसी के साथ?”

सुप्रिया ने उसके खड़े होते हुए लंड को अपने हाथ में लेकर सहलाते हुए पूछा.

“सब कुछ. मम्मी ने कहा था कि आप मुझे बहुत कुछ सीखा सकती हो.”
“सीखा दूँगी समय आने पर, लेकिन आज जो तू चाहता है, वो करुँगी। बता न?”
“कहा न मौसी सब कुछ. आपका मुंह, चूत और गांड सब कुछ.”
“हम्म, और मेरे हाथ?” सुप्रिया ने सजल के लंड को अपने हाथ से दबाते हुए ठिठोली की.
“वो भी.”

सुप्रिया ने सजल के चेहरे को अपने दूसरे हाथ से सहलाया और फिर उसकी गर्दन पकड़कर उसे अपनी ओर खींचते हुए अपने जलते हुए होंठ सजल के होंठों से मिला दिया. सजल मौसी के चुंबन में खो गया और साथ देने लगा. न जाने कितनी देर दोनों एक दूसरे के आलिंगन में चुंबन में बंधे रहे. फिर सुप्रिया ने हाँफते हुए उसे अलग किया और उसे बिस्तर पर बैठा दिया. अब तक सजल का लंड अपने पूरे जोश में आ चुका था. और सुप्रिया उसके आकार से प्रभावित हुए बिना न रह सकी. अपने घुटनों पर बैठकर सजल के लंड को अपने मुंह में लिया और उसे प्रेम से चूसने लगी.

*******

सुमति और निखिल:

सुमति अपने आप को संभाल नहीं पा रही थी. समर्थ से चुदने और गांड मरवाने से उसकी प्यास कम होने के स्थान पर और बढ़ गयी थी. चार लौंड़ों का रस गांड से पीने से भी उसे संतुष्टि नहीं हुई थी. आज उसने प्रण किया हुआ था कि परिवार के हर लंड का रस जिस भी गांड में जायेगा उसे पीने के बाद ही वो घर लौटेगी. समर्थ, निखिल, सजल और जॉय का रस पी चुकी थी. अभी नितिन और पार्थ शेष थे. उसे ये भी विश्वास हो गया था कि हो न हो नितिन आज पारुल की गांड मारने में सफलता पायेगा और उसे नितिन का पानी पारुल की गांड से पीने का सौभाग्य मिलेगा. और पार्थ! शीला पार्थ को गांड मरवाये बिना तो छोड़ने से रही. तो उसका आज का प्रण पूरा होने की पूरी संभावना थी. बस एक अड़चन थी, कि उसे पता कैसे चलेगा. वो नहीं जानती थी की समर्थ ने इसका पूरा प्रबंध किया हुआ है.

अब बात ये भी थी कि अगर उसकी चुदाई चल रही होगी तो वो जाएगी कैसे? फिर उसने ऐसे सभी प्रश्नों को ताक में रखा और निखिल के साथ कमरे में जाते ही तुरंत अपने कपड़े उतार फेंके और निखिल को भी जल्दी से नंगा कर दिया. निखिल के बलशाली लंड को अपने मुंह से चाटते हुए वो अपनी चूत को सहलाने लगी. निखिल उसकी इस उत्सुकता को समझ रहा था और उसे डर था कि कहीं उन दोनों की चुदाई में व्यवधान न पड़े.

“बुआ, आप आराम से रहो. नानाजी से सब प्रबंध कर दिया है. पारुल और नानी गांड मरवा कर हमारे ही पास आएँगी। और आपको उनके गांड खाली करने का पूरा अवसर दिया जायेगा. इसीलिए, अब अपनी चुदाई का मजा लो.”

सुमति ने निखिल की बात सुनी तो वो समर्थ की ऋणी हो गयी. कितना ध्यान रखते हैं उसका. उसकी लंड चाटने की गति समान्य हो चली पर अपनी चूत से उँगलियों को छेड़ना उसने बंद नहीं किया.

“बुआ, चलो लेटो, लंड बाद में चाटने का भी समय रहेगा. आपकी चूत और गांड के स्वाद के साथ मिलेगा. अभी क्या रखा है इसमें? आओ मुझे आप अपना स्वाद चखाओ.”

सुमति निर्विरोध बिस्तर पर लेट गयी और निखिल के चेहरे को लालायित दृष्टि से देखने लगी. निखिल उसकी जांघों के बीच में झुका और अपनी जीभ से उसके भग्नाशे को चाटा। इतने में ही सुमति बहक गयी. पर निखिल ने तो अभी केवल ट्रेलर ही दिखाया था, पिक्चर तो अभी बाकी थी. अपनी जीभ, होंठ, और उँगलियों के माध्यम से निखिल सुमति की चूत और गांड को चाटने, सहलाने, करीदने और चूसने में व्यस्त हो गया. उसका कौन सा अंग कब क्या कर रहा था इसमें कोई नियम नहीं था और सुमति का कामोन्मादित शरीर इन बदलते हुए आघातों को समझने में असमर्थ था और निखिल के उँगलियों पर नाच रहा था.

तड़पती, लरजती, सिसकारियां लेती हुई सुमति सागरिका के भाग्य को धन्य मान रही थी जिसे ऐसा विलक्षण चुड़क्कड़ पति मिलने जा रहा था. और ये उनके परिवार के लिए भी शुभ था. दोनों परिवारों के बढ़ते हुए घनिष्ठ सम्बन्ध अब जीवन पर्यन्त रहने वाले थे. सुमति की चूत के रस से अब निखिल का चेहरा भीग चुका था, परन्तु उसने अपने आक्रमण में कोई कमी नहीं की थी. बल्कि अब उसने सुमति की गांड पर अधिक ध्यान दिया और जैसा कि सुमति की चाहत थी उसकी गांड को भी जीभ और उँगलियों से छेड़ते हुए सुमति को अनन्य बार झाड़ दिया. इस बार जब निखिल ने अपना सिर उठाया तो सुमति एक नशे जैसी स्थिति में ऑंखें बंद किये हुए पड़ी थी. और निखिल ने शैतानी मुस्कराहट के साथ सोचा कि चुदने के लिए तैयार, और ऐसी चुदाई के लिए कि उसका रोम रोम काँप जाये.

निखिल ने आज सुमति के साथ एक नया प्रयोग करने का निर्णय लिया. उसने सुमति को घोड़ी का आसन लेने के लिए आग्रह किया. सुमति ने पलटते हुए अपनी गांड उठाकर आसन ले लिया. अब वो अपनी चूत की खुजली दूर होने की आशा कर रही थी.

*********

पारुल और नितिन:

पारुल मन ही मन नितिन की इस बेचैनी पर खुश थी. वो जानती थी कि नितिन उस पर आसक्त है और ये नहीं दिखाना चाहती थी कि उसके मन में भी नितिन के प्रति वही भावना थी. नितिन कमरे में पारुल के साथ जाते ही उससे लिपट गया. पारुल के हाथ उसकी पीठ पर गए और पारुल ने अपने होंठ नितिन के होंठों से जोड़ दिए. नितिन कई स्त्रियों की चुदाई कर चुका था, पर उसे जो आकर्षण पारुल में दिखा था वो किसी और में नहीं. मन की बातें मन ही जाने.

दोनों एक दूसरे से लिपटे हुए चुंबनों का अदन प्रदान करते रहे और फिर जब अलग हुए तो उनके चेहरे लाल थे. पारुल ने पहल करते हुए नितिन के कपड़े निकाले और फिर नितिन की ओर देखा तो नितिन अपने आपे में आया और उसने भी पारुल को उसके कपड़ों से मुक्त कर दिया. दोनों प्रेमी एक दूसरे को देखते हुए अपने भाग्य को धन्य कर रहे थे.

कुछ देर तो दोनों एक दूसरे को केवल देखते ही रहे. एक दूसरे में उन्हें एक अनजाना आकर्षण दिख रहा था. फिर नितिन पहल की और पारुल को बिस्तर पर लिटा दिया और उसे ऊपर से नीचे था चूमने और चाटने लगा. उसकी चूत पर पहुंचते ही उसे पारुल की सुगंध ने पागल कर दिया. अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटते ही उसे विश्वास हो गया कि वे दोनों भी एक दूसरे के लिए ही बने हैं. और इसी असहय से उसने पारुल को अपने मुंह से सुख देना आरम्भ किया. पारुल मौखिक सहवास से परिचित थी, और वैसे तो नितिन कुछ भी अलग नहीं कर रहा था, पर पारुल का रोम रोम उसे पुकार रहा था और उसमे एक ऐसी भावना जागृत कर रहा था जिससे वो अब तक अनिभिज्ञ थी. क्या ये प्यार है?

नितिन और पारुल दोनों के मन में समान भावनाएं थीं. पारुल ने अपना ढेर सारा रस नितिन के मुंह में उढ़ेल दिया. नितिन को इस रस में जो स्वाद आया वो अलग था. क्या ये प्यार है?

नितिन के मुंह में झड़ने के साथ ही पारुल ने उसे कहा कि वो भी उसके लंड को चूसने की इच्छुक है. नितिन कब मना करने वाला था. उसने तुरंत ही अपने लंड को पारुल के मुंह के समीप कर दिया जिसे पारुल ने पूरे प्रेम के साथ चाटा और चूसने में लग गयी. नितिन के लंड को न जाने कितनी ही बार चूसा गया था, पर उसे पारुल के मुंह में एक अलग ही आनंद मिल रहा था. क्या ये प्यार है?

पारुल स्वयं भी इन्हीं विचारों में खोई थी. लौड़े तो उसने भी चूसे थे, कई तो नहीं पर पर्याप्त. पर उसे जो अनुभूति उसे नितिन के लंड को चूसने में हो रही वो नई थी. क्या ये प्यार है?

जब नितिन झड़ने को हुआ तो उसने पारुल को चेताया, पर पारुल ने उसके लंड को मुंह से निकालने में कोई रूचि नहीं दिखाई. और नितिन ने उसके मुंह में ही अपना पानी छोड़ दिया. पारुल ने ख़ुशी से उसके पूरे रस को पी लिया और नितिन की ओर प्रेम भरी दृष्टि से देखा. दोनों एक दूसरे को देखकर अब ये समझ गए थे कि उनके बीच केवल चुदाई का ही संबंध नहीं रहेगा. ये सम्भवतः उनके प्रेम की पहली सीढ़ी थी. वैसे भी वो दोनों विवाह के लिए इतनी शीघ्र तैयार नहीं थे, पर भविष्य में इसकी संभावना उन्हें उज्ज्वल दिख रही थीं. एक दूसरे को फिर से चूमते हुए दोनों लेट गए.

“मुझे कुछ अलग सी अनुभूति हुई आज, मैं समझा तो नहीं सकता, पर जीवन में ऐसा भाव पहली बार आया है मेरे मन में.” नितिन ने पारुल को चूमते हुए बताया.

“मुझे भी, कुछ अलग ही लगा आज. क्यों? मुझे भी नहीं पता पर तुम्हारे साथ एक अलग ही भावना थी.” पारुल ने भी उसे चूमते हुए कहा.

“क्या ये प्यार है?” दोनों ने एक साथ पूछा और फिर हंसने लगे.
“देखा न हम दोनों एक ही जैसा सोचते हैं.” पारुल बोली.
“हम्म मुझे नानी और मम्मी से बात करनी होगी.” नितिन ने कहा.
“और मुझे भी, नहीं तो वो मेरे लिए लड़का ढूंढने में लग जाएँगी दीदी के विवाह के बाद.”

“पर अभी मैं विवाह नहीं कर सकता.” नितिन ने सफाई दी.
“मैं भी. अभी दो वर्ष तक तो नहीं.” पारुल ने सहमति जताई.
“तो क्या सगाई कर लें और दो साल बाद?”
“देखो मम्मियाँ क्या कहती हैं. सगाई हो या नहीं, हम एक दूसरे के तो साथी बन ही सकते हैं. सगाई तो केवल औपचरिकता ही है.” पारुल ने कहा.
अब तक नितिन का लंड खड़ा हो चुका था और अपनी संभावित पत्नी की चुदाई के लिए तत्पर था.

“तो सुहागरात मना लेते हैं?” नितिन ने कहा.
“बिलकुल. नेकी और पूछ पूछ.” पारुल ने ये कहते हुए अपने पैर फैला दिए.

*********

शीला और पार्थ:

शीला सुमति की चुदाई देखकर बहुत उत्तेजित थी. उसके ऊपर पार्थ ने अपने नए अनुभव के बारे में सुनकर उसकी आग और भड़का दी थी. अब अगर उसकी भरपूर चुदाई जल्दी न हुई तो वो न जाने क्या करने वाली थी. पहले उसने सोचा था कि समर्थ उसकी चुदाई करेंगे पर सुमति की गांड मारने के बाद वो बैठक में चले गए थे. संजना की जीभ में वो आनंद नहीं था जो किसी लंड के चूत में घुसने का होता है. और गांड के बारे में तो सोचना भी नहीं चाहिए क्योंकि गांड में जब लंड जाता है तभी पूरा मजा आता है. वो अपनी इस अकस्मात कविता पर हंस पड़ी. कमरे में घुसे ही थे तो शीला को हँसते देख पार्थ पूछ बैठा कि क्या बात है?

शीला: “मैंने दो पंक्ति की कविता बनाई है: गांड में जब लंड जाता है तभी पूरा मजा आता है. कैसी है?”
अब हंसने की बारी पार्थ की थी.
“नानी, आपका सच में कोई पर्याय नहीं. आप इतने दिनों तक एक लंड से काम चला लेंगी? टूर पर क्या करेंगी?”
“चिंता न करो, नाती जी. हम दोनों कोई न कोई प्रबंध अवश्य ही कर लेंगे. वैसे भी ऐसे भ्रमण पर निकले कई जोड़े नए अनुभवों के लिए उत्सुक होते हैं.”

पार्थ नानी की इस बात पर सोचता ही रह गया.
फिर बोला, “नानी, वैसे विचार उत्तम है. मैं रूचि से पूछूँगा कि हम भी क्लब के लिए ऐसा ही टूर बनाएँ।”
“बना ले, तेरी क्लब की औरतें तो तुझे मालामाल कर देंगी अगर ये टूर बना तो. पर वो बाद में, पहले मेरी चुदाई कर डाल. संजना से चूत चटवा कर और तेरी माँ की चुदाई देखने के बाद बेचारी को कोई भी संतोष नहीं मिला है. ”

कपड़े फेंककर शीला बिस्तर पर लेटी और अपने पाँव फैलाकर पार्थ को आशा से देखने लगी. पार्थ ने भी सोचा कि क्या बिगड़ता है, छोड़कर इनको शांत कर ही देता हूँ. उसने भी तत्काल कपड़े उतारे और अब तक खड़े हुए लंड को शीला की चूत पर रखा और एक भरी धक्के के साथ अंदर पेल दिया. शीला ने आनंद भरी सिसकारी ली और अपने पाँव कैंची के समान पार्थ की कमर पर लपेट दिए.

और पार्थ ने भी अपनी चिर परिचित चुदाई का परिचय दिया और अपने जवान लौड़े से शीला की बूढी चूत पर आतंक मचा दिया. पर शीला भी खेली खिलाई थी. पार्थ उसके चुदाई के सामर्थ्य से अपरिचित तो नहीं था परन्तु उसने ये समझा कि शीला उसके सामने कुछ दया की भीख माँगेगी। पर हुआ कुछ उल्टा ही. शीला इतनी अधिक उत्साहित और उत्तेजित थी कि पार्थ की इस शक्तिशाली चुदाई को भी वो बड़ी ही आसानी से झेल रही थी हुए उसका मजा भी ले रही थी. न जाने सच में या पार्थ को छेड़ने के उद्देश्य से शीला उसे और भी तेजी से चोदने के लिए उलाहना देनी लगी. अब अपने लंड पर गर्व करने वाले पार्थ के तन बदन में आग सी लग गयी. वो और तेज गति से शीला को चोदने में जुट गया और शीला भी उसे और अधिक कोसते हुए उकसा रही थी.

ऐसा नहीं था कि शीला नहीं समझ रही थी कि वो भी आग से खेल रही है, पर जो आग उसकी चूत में भड़की हुई थी उसका ऐसी भीषण चुदाई के सिवाय कोई और उपचार भी नहीं था. पार्थ को लग रहा था कि वो नानी से हारने वाला है. वो चाहे जितने भी तेज और गहरे धक्के लगाता शीला उन्हें आसानी से झेल रही थी. और इसका और भी एक कारण था, शीला की चूत अब इतना पानी छोड़ चुकी थी कि उसमे लंड तैर रहा था और पार्थ को अब कोई भी आनंद नहीं मिल रहा था.

“नानी, आपकी चूत पूरी गीली हो चुकी है, पता भी नहीं चल रहा है मेरे लंड को. रुको मैं उसे पोंछ दूँ. ”

“कर जो करना है, पर जल्दी कर. आज मुझे अच्छे से चोद कर खुश कर दे, बस.” शीला ने कुछ खीझ के साथ कहा.
पार्थ ने अपनी शर्ट से शीला की चूत को पोंछा और जब लगा की वो अब कुछ सुख गयी है तो अपने लंड को एक ही धक्के ने अंदर डाल दिया. पूछने का काम कुछ अच्छे से ही हुआ था क्योंकि इस बार शीला की चीख निकल गयी. अब उसे लगने लगा कि उसने पार्थ को छेड़कर गलती की क्योंकि अब पार्थ पूरे नियंत्रण में था और शीला की चूत की धज्जियाँ उड़ा रहा था. इस आयु में शीला कितना पानी छोड़ती, उसकी चूत में पार्थ अब एक वहशी रूप में लंड की पिलाई कर रहा था. शीला को अपनी नानी याद आ गयी.
“मुझे छोड़ दे बेटा, मुझसे गलती हो गयी जो मैंने तुझे इतना कुछ कहा. अपनी नानी पर दया कर, मेरी चूत फट गयी है. क्यों जानवर के समान चोद रहा है?”
पर ये बाजी अब पार्थ के हाथ में थी और इस बार उसने अपनी भड़ास निकाली। शिला की बूढी चूत उस जवान मोटे लौड़े के सामने पस्त हो चुकी थी. और अभी पार्थ झड़ने से बहुत दूर था. और इसी कारण पार्थ ने एक निर्णय किया.
“ठीक है, नानी. अगर चूत फट गयी है तो मुझे अपनी गांड मारने दो.”
इससे पहले कि शीला कुछ कह पाती पार्थ ने अपने मोटे लम्बे लंड को शीला की चूत से निकाला और गांड में थोक दिया. शीला की चीख बैठक में चल रहे टीवी पर गूंज गयी. समर्थ ने संजना की चूत में से अपने मुंह को हटाकर देखा तो शीला की गांड में पार्थ का लंड फँसा हुआ था.
“इसे मैंने कई बार समझाया है कि जवान लौंडों को मत छेड़ा कर. इतनी बुढ़ा गयी पर बुद्धि नहीं आयी. चूत का सत्यानाश करवाकर अब गांड भी फड़वा लेगी माँ की लौड़ी.” समर्थ शीला के इस व्यव्हार पर अपने विचार रखते हुए संजना की चूत में फिर से अपनी जीभ चलाने लगा.
शीला को सच में अब कुछ कुछ समझ आने लगा था. उसकी विनती लेकिन कोई सुनने के लिए नहीं था. जिस पार्थ को वो उलाहना देकर उकसा रही थी वो अब उसकी चूत फाड़ने के बाद गांड का भी बैंड बजा रहा था. उसकी दया की भीख ने कुछ देर में पार्थ को भी विचलित कर दिया. उसने अपनी गति कुछ कम की और शीला की चूत को अपनी उँगलियों से छेड़ने लगा. गति कम होने से शीला को कुछ आराम मिला और पार्थ की उँगलियों ने उसकी चूत को कुछ सीमा तक फिर से सामान्य कर दिया.

ऐसी धुआंधार चुदाई के कारण शीला की नसें ढीली हो गयीं थीं और हड्डियां चटक रही थीं. पर पार्थ का भी अब संयम समाप्त हो चूका था. इस गति और कठोरता से चोदने से वो भी अब झड़ रहा था. उसने शीला की गांड में अपना माल भर दिया. शीला कुछ कुनमुनाई पर पार्थ ने उसे वैसे ही रुकने के लिए कहा. फिर उसने अपनी पैंट में से शीला की गांड बंद करने के लिए एक प्लग निकाला और बड़े प्रेम से उसकी गांड में डालकर उसे बंद कर दिया.

“अपनी माँ का बहुत ध्यान रखता है. सच में तेरे जैसा बेटा भाग्य वालों को ही मिलता है. अब मैं क्या करूं.”
“माँ के कमरे में जाओ, और उन्हें वहीँ ये जूस पिला कर आ जाओ.” पार्थ ने उन्हें समझाया.

शीला ने कपड़े पहनने की आवश्यकता नहीं समझी और उस कमरे की ओर बढ़ चली जहाँ वो निखिल के साथ चुद रही थी.

कमरे में जाकर देखा तो सुमति अपनी गांड उठाकर लेटी थी और निखिल अपने लंड से उसकी चुदाई करने ही वाला था. कमरे के खुलने से निखिल रुक गया और सुमति ने भी उस ओर देखा. शीला को अपनी ओर आते देख वो समझ गयी कि उनका प्रयोजन क्या है. उसने निखिल से कहा कि उसे कुछ मिनट का समय चाहिए. और फिर वो पलटी और सीधे लेट गयी. शीला ने उसे इस स्थिति में देखा तो वो भी जान गयी कि सुमति क्या चाहती है. उसने सुमति के मुंह के दोनों ओर पैर किये और अपनी गांड को उसके मुंह के पास ले गयी. सुमति ने अपना मुंह पूरा खोला और बहुत धीरे से शीला की गांड में से प्लग निकाला।

प्लग के निकलते ही वीर्य के मोटे मोटे थक्के सुमति के खुले मुंह में जा गिरे. जब उनके स्वतः गिरने का क्रम रुका तो सुमति ने शीला की जांघ के ऊपर हाथ रखकर दबाया. शीला की गांड अब सुमति के मुंह पर लग गयी. जैसे कोल्ड ड्रिंक को स्ट्रॉ से खींचकर पीते हैं वैसे ही सुमति ने शीला की गांड में से पूरा रस सोख लिया. सुमति के कार्य सम्पन्न करने के बाद शीला उठी और सुमति के होंठ चूमकर निखिल को बोली, “अच्छे से चोदना अपनी बुआ सास को. और अपना पानी पिलाना मत भूलना.” ये कहकर उसने निखिल के हाथ में वो प्लग थमाया और चल दी. द्वार पर जाकर मुड़ी तो देखा कि सुमति अपनी गांड उठाकर उसी आसन में आने लगी थी जिस आसन में वो शीला के आने के समय थी. शीला प्रसन्न मन से पार्थ के पास लौट गयी.

********

संजना, सुरेखा, सागरिका, समर्थ और जॉय:


बैठक का वातावरण कुछ भिन्न था. समर्थ संजना की चूत चाट रहा था और सुरेखा एवं सागरिका जॉय के लंड को चूस रही थीं. संजना आज पहली बार अपनी मम्मी को सजल के अतिरिक्त किसी के लंड को चूसते हुए देख रही थी. पर उसे जो सबसे अजीब संवेदन था वो अपने नाना के खुरदुरे हाथों को अपने शरीर पर चलने का था. नाना के हाथों का स्पर्श और उनकी उसकी चूत पर लपलपाती हुई जीभ उसे एक अन्य ही लोक में ले जा चुके थे. नाना की चूत चाटने का ढंग परिवार की स्त्रियों से बिलकुल ही अलग था. जहाँ परिवार की स्त्रियों के स्पर्श में एक कोमलता थी, वहीं समर्थ के स्पर्श में कुछ कठोरता सी थी.

समर्थ संजना के रस की गंध और स्वाद में खो चुका था. जिस प्रकार वो संजना की चूत में अपनी जीभ डाल डाल कर उसके रस को चाट रहा था उससे ये सिद्ध होता था कि उसे ये अमृत के समान ऊर्जावान लग रहा था. और संजना केवल इन विचारों में गम थी कि कब उसकी सील टूटेगी और वो भी अन्य सभी के समान चुदाई का आनंद ले पायेगी. उसके शरीर इस कल्पना से ही काँप उठा. समर्थ बिना रुके उसकी चूत में अपने मुंह लगाए हुए चाटता रहा.

जॉय के लंड को चूस कर सुरेखा और सागरिका ने बिलकुल अच्छे से खड़ा और गीला कर दिया था. अब प्रश्न ये था कि आगे क्या करना है.

“मौसी जी, आप पहले अपनी चुदाई करवा लें, आप दोनों कभी मिले नहीं हो न.” सागरिका ने सुरेखा से कहा तो सुरेखा को सागरिका कि इस भावना पर बहुत अपनत्व आया.

“ऐसा कुछ नहीं है, मैं बाद में भी….”
“नहीं, मौसी, पहले आप.”

ये कहकर उसने सुरेखा को सोफे पर लिटा दिया और अपने पिता से कहा कि वे अब मौसी की चुदाई करें. जॉय सुरेखा की चूत पर लंड लगाकर अंदर करने लगा. उधर सागरिका ने देखा कि समर्थ का लंड भी खड़ा है, पर उसका कुछ होना नहीं है क्योंकि संजना की तो चुदाई होने नहीं थी. उसने समर्थ के नीचे जाकर उसके लंड को अपने मुंह में लिया और चूसने लगी. समर्थ ने अपना आसन बदल कर दोनों के लिए कुछ आसानी कर दी, पर उसका मुंह संजना की चूत से हटा नहीं.

सागरिका समर्थ का लंड चूस रही थी जो संजना की चूत चाट रहा था, जॉय ने सुरेखा की चुदाई में अपना ध्यान लगाया हुआ था और बैठक में एक बड़ी शांतिमय ढंग से सब कुछ हो रहा था. जॉय के पूछने पर सुरेखा ने कुछ तेज चुदाई के लिए कहा, पर अधिक नहीं. तो जॉय ने एक अच्छी लय में मद्धम गति से सुरेखा की चुदाई करना आरम्भ कर दिया।

********

सुप्रिया और सजल:


“ओह, मौसी!” सजल के मुंह से निकला. “ओह, मौसी.”

सुप्रिया बिना विश्राम के सजल के लंड पर अपनी जीभ और होंठों का जादू बिखेरती रही. वैसे अब तक सजल तीन स्त्रियों से लंड चुसवा चूका था, पर जो सुप्रिया का ढंग था उसने उसे दीवाना कर दिया था.

“मम्मी ने कहा था कि आप सबसे अच्छी हो और मुझे सिखाओगी भी, तब मैंने सोचा था कि वो यूँ ही बोल रही है, पर आप सच में विलक्षण हो, मौसी.”

“तेरी माँ से अच्छी?” सुप्रिया ने फिर उसे छेड़ा. आदमी सामान्य परिस्थिति में जो उत्तर देता है वो लंड किसी स्त्री के मुंह में होने पर नहीं देता. पर सजल अभी भी चौकन्ना था.

“इस मामले में तो आप उनसे आगे हो.”
“हम्म्म, स्मार्ट बॉय.” सुप्रिया ने उसके लंड पर थूका और फिर अपने मुंह में लेकर चूसने लगी.

सजल का लंड अब तैयार था, और सुप्रिया अभी उससे चूत नहीं चटवाने चाहती थी क्योंकि उसमे अभी भी वीर्य के अवशेष सम्भव थे. इसीलिए उसने सजल से कहा कि वो उसकी चूत को केवल ऊपर से चाटे और चोदने के लिए गीला भर कर दे. सजल ने उसकी इस बात को समझा और उसकी चूत को ऊपर से चाटा और उँगलियों से चूत के अंदर कुछ देर तक हलचल की. अब समय आ गया था मौसी को चोदने का. सजल की तो जैसे आज लॉटरी लगी हुई थी. शोनाली, सगारिका और अब सुप्रिया, एक से बढ़कर एक सुंदर और चुड़क्कड़ परिवार की महिलाओं का जो उसे साथ मिल रहा था.

सुप्रिया ने उसे पूछा कि ऊपर रहना चाहता है या नीचे? सजल को शोनाली के साथ चुदाई में अलग आनंद आया था सो उसने फिर वही आसन के लिए कहा. सुप्रिया ने उसे लेटने के लिए कहा और उसके लेटते ही एक बार फिर उसेक लंड को मुंह में लेकर चाटा और थूक से गीला करते हुए उसके दोनों ओर पांव किया और उसके लंड पर बैठ गयी. सजल तो जैसे स्वर्ग में चला गया हो. सुप्रिया ने इतनी जल्दी उसके लंड को अंदर लिया की पलभर में ही सजल का लंड उसकी बच्चेदानी से जा टकराया.
“लंड मस्त है तेरा. अपने भाइयों को टक्कर देता है और नाना को भी. बहुत मस्त।” सुप्रिया फिर झुकी और उसने अपने मम्मे सजल के वक्ष से सटाये और उसके होंठ चूमते हुए अपने कूल्हे चलने लगी. ये ऐसा आसन है जिसमे शरीर का पूर्ण व्यायाम हो जाता है, और सुप्रिया की शरीर की लचक ही थी जो इसे सम्भव बना रही थी. हल्के धक्कों के साथ सुप्रिया सजल के लंड पर उछलती रही. पर ये आसन आसान बिलकुल नहीं था और इसी कारण उसने अपने मम्मे सजल की छाती से हटाए पर होंठ अपनी वश में रखे. आसन बदलने से सुप्रिया अपनी गति बढ़ाने में भी सफल हो गयी.
सजल ने अपने सामने झूलते हुए सुघड़ मम्मों को देखा तो उससे रहा नहीं गया और उसने अपने हाथों से उन्हें दबोच लिया और निचोड़ने लगा. सुप्रिया तो जैसे पागल ही हो गयी. उसने अपने आप को सीधा किया और तेज गति से उछलने लगी. सजल ने उसके दूधिया मम्मों को दबाना और निचोड़ना बंद नहीं किया. सुप्रिया के मुंह से अब आनंद भरी सिसकारियां निकल रही थीं. फिर उसने अपने दोनों हाथ सजल के दो ओर किया और अपनी गति और भी तीव्र कर दी. सहारा मिल जाने से उसे अब उछल कूद में कोई भी कठिनाई नहीं हो रही थी. सुप्रिया अचानक ही रुक गयी और उसका शरीर एक बिन जल की मछली के समान फड़कने लगा.
सजल को तो समझ ही नहीं पड़ा कि हुआ क्या। पर तभी सुप्रिया जोर से चीखी और धम्म से सजल की छाती पर गिर पड़ी. सजल अब घबराने लगा कि मौसी को कुछ हुआ तो नहीं. वो क्या करे इस बारे में सोच ही रहा था की सुप्रिया कुनमुनाई और फिर उसकी छाती से लग गयी. उसने धीरे से अपने चेहरे को ऊपर किया और सजल को देखा.
“तूने तो कमाल कर दिया, बेटा। मुझे इतनी जल्दी झड़ा दिया. पर तेरा नहीं हुआ न?”
सजल ने नकारा तो सुप्रिया बोली, कुछ देर रुक. मुझे साँस लेने दे.” पर वो न सजल के सीने से उठी न ही उसके लंड को अपनी चूत से निकाला। सजल का लंड उसकी चूत में अभी भी फड़फड़ा रहा था. न जाने कितनी देर तक यूँ ही स्थिति बनी रही. फिर सुप्रिया उठी, सजल के लंड को बाहर किया और उसे चाटा। फिर घोड़ी का आसन ले लिया.
“मौसी की गांड मारेगा?” अपनी गांड हिलाकर सुप्रिया ने सजल को निमंत्रण दिया.
“हाँ, हाँ, हाँ.” सजल एक ही बार में कह गया.
“तो चढ़ जा पीछे से. और अच्छे से मारना। तेज तेज, अंदर तक. कर लेगा?”
“हाँ हाँ, अभी भाभी की ऐसे ही मारी थी.” सजल ने गर्व से कहा.
“तो चढ़ जा मेरे घोड़े.”

सजल के तो भाग्य ही खुल गए. आज दो दो महिलाओं की गांड मरने का सौभाग्य जो मिल रहा था. पर निखिल ने जो उसे सिखाया था सागरिका की गांड मारने के समय अब सजल उनकी माँ के ही ऊपर प्रयोग करने जा रहा था. उसने सुप्रिया की ऊँची उठी हुई गांड को देखा और अपने लंड को पकड़ कर उसके मुहाने रखा.

“डर मत, घुसा दे. डरेगा तो आगे क्या करेगा?” सुप्रिया ने उसे समझाया.
सजल ने लंड के टोपे को अंदर धकेला और उसके अंदर जाने के बाद एक लम्बा धक्का लगाया जिससे उसके लंड ने पूरी दूरी तय कर ली.

“शाबास! अब मार मेरी गांड!!”
सजल अब एक स्वचालित मशीन समान सुप्रिया की गांड मारने लगा. भाभी की गांड कुछ अधिक कसी थी और उसके साथ ही एक और लंड उनकी चूत में होने से बहुत ही अधिक तंग थी. पर मौसी की गांड खुली हुई थी और उसे दोनों के बीच का अंतर समझ आ रहा था. दोनों का अलग सुख था. मौसी की गांड में लंड आसानी से चल रहा था पर गर्मी अधिक थी. और उस गर्मी में उसे अपना लंड भी गर्माते हुए अनुभव हो रहा था. और मौसी की गांड की एक खूबी थी. सुप्रिया इतनी बार गांड मरवा चुकी थी कि वो गांड मरवाते समय अपनी गांड की मांसपेशियों को इस प्रकार से संकुचित करती थी कि लंड पर अतिरिक्त तनाव आता था.

“अरे रे!” सुप्रिया अचानक से बोली.
“क्या हुआ मौसी?”
“सुमति के लिए कैसे रोकेंगे मेरी गांड में तेरा पानी?” सुप्रिया ने दुविधा से पूछा.
“आप गांड ऊपर किये रखना, मैं कुछ लेकर इसे बंद कर दूंगा. अभी आप टेंशन मत लो.”
“ठीक है, तो चलने दे.”
सजल की आँखें अब कमरे में घूम रही थीं और उसे उपयुक्त वास्तु दिखाई दे गयी. एक लम्बी मोटी मोमबत्ती टेबल पर रखी थी. मोटी यानि मोटी, और उसके अगले उपयोग के बारे में सोचते हुए सजल ने अपने धक्कों की गति और गहराई बढ़ा दी.

सजल ने कोई दस से पंद्रह मिनट तक अपनी मौसी की गांड को ठोका और सुप्रिया ने भी पूरा आनंद लेकर गांड मरवाई. फिर अंत में सजल ने गांड में अपना पानी छोड़ ही दिया. लंड से पूरा रस निकलने के पश्चात् उसने सुप्रिया से उसी आसन में बने रहने का आग्रह किया. अपने लंड को निकालकर वो टेबल के पास गए और मोमबत्ती लेकर लौटा. सुप्रिया ने देखा तो हंस पड़ी.

“बंद कर मेरी गांड और चल सुमति के पास मेरे साथ. मोमबत्ती से तूने मुझे अपनी जवानी याद करा दी.”

सजल ने बहुत संभाल कर मोमबत्ती को सुप्रिया की गांड में डाला और फिर उसे सहारा देकर खड़ा किया. फिर दोनों सुमति के कमरे की ओर कल पड़े. कपड़े पहनने की दोनों ने इस बार कोई आवश्यकता नहीं समझी.


क्रमशः
Fabulous, erotic update 👌👌👌
:good: dear mujhe apki story bahut achhi lagi, khud writer hote hue aap jaisi badi to nhi ,me janti hu writer ki kitni mehnat lagti hai aisa achha likhane ke liye 💕 lekin aaj kal ke youngsters kuchh pics ya gifs demand karte hai, agar aap aisa kar sake to.Please gussa mat karna,me to khud aap jaisa hi likhna chahti thi lekin mujhe readers ki demand par gifs bagaira dalne pade.Sorry agar mene kuchh jyada likh
diya ho to.♥️♥️♥️
 
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Fabulous, erotic update 👌👌👌
:good: dear mujhe apki story bahut achhi lagi, khud writer hote hue aap jaisi badi to nhi ,me janti hu writer ki kitni mehnat lagti hai aisa achha likhane ke liye 💕 lekin aaj kal ke youngsters kuchh pics ya gifs demand karte hai, agar aap aisa kar sake to.Please gussa mat karna,me to khud aap jaisa hi likhna chahti thi lekin mujhe readers ki demand par gifs bagaira dalne pade.Sorry agar mene kuchh jyada likh
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Nahin Raji,
Main bhi pics aur gifs dalna chahta hoon.
Par unko dhundhna aur fir kahani me lagana mujhe bahut time consuming lagta hai.
meri updates vaise bhi kuch slow rahti hain, kyonki din bhar kaam karne ke bad hi likhta hoon.

haan agar koi isme meri help kar sake to main ye bhi karunga.
 
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prkin

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Fabulous, erotic update 👌👌👌
:good: dear mujhe apki story bahut achhi lagi, khud writer hote hue aap jaisi badi to nhi ,me janti hu writer ki kitni mehnat lagti hai aisa achha likhane ke liye 💕 lekin aaj kal ke youngsters kuchh pics ya gifs demand karte hai, agar aap aisa kar sake to.Please gussa mat karna,me to khud aap jaisa hi likhna chahti thi lekin mujhe readers ki demand par gifs bagaira dalne pade.Sorry agar mene kuchh jyada likh
diya ho to.♥️♥️♥️

Disha ki kahani bhi padho. vo bhi shayad apko achchi lage.
 
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prkin

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I am stopping this story now, along with Sasural ki Nayi Disha.

Not many people are interested. So there is no use wasting my time.

If sometime in future, I return, we will see.

Till that happens, if it happens.

Good Buy and Thank You.
 

prkin

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मैं अब ये कहानी और ससुराल की नई दिशा को यहीं समाप्त कर रहा हूँ.
इन दोनों कहानियों में अधिक पाठकों की रूचि नहीं है.
और अपने समय को यूँ ही व्यर्थ करने का मुझे कोई कारण नहीं दिखता।
अगर भविष्य में मैं कभी लौटा तो देखेंगे।

जिन बंधुयों ने मुझे प्रोत्साहन दिया, उनका आभार।
आपका धन्यवाद और स्नेहपूर्ण नमस्कार।
 
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Evanstonehot

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मैं अब ये कहानी और ससुराल की नई दिशा को यहीं समाप्त कर रहा हूँ.
इन दोनों कहानियों में अधिक पाठकों की रूचि नहीं है.
और अपने समय को यूँ ही व्यर्थ करने का मुझे कोई कारण नहीं दिखता।
अगर भविष्य में मैं कभी लौटा तो देखेंगे।

जिन बंधुयों ने मुझे प्रोत्साहन दिया, उनका आभार।
आपका धन्यवाद और स्नेहपूर्ण नमस्कार।
Nahi 😔😔😔
 

prkin

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