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दूसरी तरफ मिठनपुरा में शशिकांत के घर पर बाहर से सब शांत था। पर शशिकांत के कमरे के बाहर बन्द दरवाज़े के बावजूद किसी औरत की चुदाई के कारण सिसकियां की आवाज़ निकल रही थी। कमरे के अंदर हल्का अंधेरा था, खिड़कियां बंद होने के बावजूद। कमरे की फर्श पर साड़ी साया ब्लाउज ब्रा पैंटी, पायजामा कुर्ता बिखरे हुए थे। बिस्तर पर शशिकांत लेटा हुआ था और उसके लण्ड पर कोई महिला बैठके उछल रही थी। वो अपने हाथ अपने सर के पीछे रखके अपनी लंबी काली जुल्फ़े उठाती है। वो कोई और नहीं ममता थी।
ममता-आआहहहहहह क्या मस्त हो रहे हैं हम। ऊफ़्फ़फ़फ़ आज तो दिनभर पेलवाएंगे। इतने दिन बाद मौका मिला है, लण्ड का स्वाद चखने का। हमने मज़बूरी में ये रिश्ता जोरा था, पर अब तो इसमें बहुत मज़ा आता है। देवरजी, हमको अपने पास ही रख लो ना। आपकी दासी बनके रहेंगे।
आआहह चोदिये अपनी भाभी को । ऊऊईईईईईईईई..... ऊफ़्फ़फ़फ़
शशि- अरे हम तो तुमको अपने पास ही रखना चाहते हैं। पर हमारी मज़बूरी तुमको पता ही है भौजी। तुम्हरे जैसी औरत को कौन नही रखना चाहेगा। तुम जिस दिन से ब्याहके ई घर में आई हो ना, तभे से तुमको चोदना चाहते थे।
शशि ने ममता को पकड़के बिस्तर पर पटक दिया, और खुद उसके ऊपर चढ़ गया। शशि का शरीर अब हल्का थुलथुला हो चुका था, पर बाहें अभी भी मजबूत थी। उसके नीचे वो पूरी दब गई।
शशि- आज भी तुम उतने खूबसूरत हो जितनी, पहले दिन भैय्या के साथे ब्याह करके आयी थी।
ममता- सच बोल रहे हो देवरजी।
शशि- और नहीं तो का? अपनी बच्ची के कसम खाते हैं। भौजी आज गाँड़ मरवाओगी?
ममता हँसके - उम्म देवरजी, क्यों नहीं।
ममता ने पूछा- कैसे मारोगे? खड़े होके या लेटकर ?
शशि बगल से सरसों तेल की शीशी लेते हुए बोला- तुम कुत्ती बन जाओ।
ममता उठके कुत्ती बन गयी और अपनी पीठ झुकाके गाँड़ बाहर निकाल ली।
शशि ने पहले उसकी गाँड़ की भूरी सिंकुड़ी छेद पर थूका और फिर ढेर सारा सरसों तेल मल दिया। ममता मस्ती में तेल मलवा रही थी। फिर शशि ने एक उंगली ममता की गाँड़ में डाली, उसके मुंह से ऊऊ............ निकल गया। ममता अपने होंठ दांतो से दबाए पीछे मुड़के शशि को कामुक दृष्टि से देख रही थी। शशि ने फिर दूसरी उंगली और धीरे से तीसरी उंगली घुसा दी। ममता पहले भी गाँड़ मरवा चुकी थी,इसलिए उसकी गाँड़ के अंदर का हल्का गुलाबी मांस दिखने लगा।
शशि ने फिर उंगलियां उसकी गाँड़ में आगे पीछे की, ममता बस आहें भर एहि थी। फिर जब उसने देखा कि गाँड़ लण्ड लेने लायक हो चुकी है। तब उसने अपने लण्ड पर तेल लगाया, जो कि पहले से ही ममता की बुर के रस की वजह से चिकना हो चुका था। उसने ममता को संभलने का मौका ही नही दिया और उसके गाँड़ के छेद पर लण्ड सटाकर घुसाने लगा। ममता हाँलाकि, इस अनुभव से परिचित थी, पर फिर भी लण्ड का सुपाड़ा घुसने से चिहुंक उठी। आआआआ ..... ऊउईईईईईईई दददेवववरररजीजीजी......
शशि ने उसकी परवाह किये बिना अपना प्रयास चालू रखा। ममता की कमर पकड़के लण्ड को धीरे धीरे उसकी गाँड़ में पूरा उतार दिया।
ममता-आआहहहहहह क्या मस्त हो रहे हैं हम। ऊफ़्फ़फ़फ़ आज तो दिनभर पेलवाएंगे। इतने दिन बाद मौका मिला है, लण्ड का स्वाद चखने का। हमने मज़बूरी में ये रिश्ता जोरा था, पर अब तो इसमें बहुत मज़ा आता है। देवरजी, हमको अपने पास ही रख लो ना। आपकी दासी बनके रहेंगे।
आआहह चोदिये अपनी भाभी को । ऊऊईईईईईईईई..... ऊफ़्फ़फ़फ़
शशि- अरे हम तो तुमको अपने पास ही रखना चाहते हैं। पर हमारी मज़बूरी तुमको पता ही है भौजी। तुम्हरे जैसी औरत को कौन नही रखना चाहेगा। तुम जिस दिन से ब्याहके ई घर में आई हो ना, तभे से तुमको चोदना चाहते थे।
शशि ने ममता को पकड़के बिस्तर पर पटक दिया, और खुद उसके ऊपर चढ़ गया। शशि का शरीर अब हल्का थुलथुला हो चुका था, पर बाहें अभी भी मजबूत थी। उसके नीचे वो पूरी दब गई।
शशि- आज भी तुम उतने खूबसूरत हो जितनी, पहले दिन भैय्या के साथे ब्याह करके आयी थी।
ममता- सच बोल रहे हो देवरजी।
शशि- और नहीं तो का? अपनी बच्ची के कसम खाते हैं। भौजी आज गाँड़ मरवाओगी?
ममता हँसके - उम्म देवरजी, क्यों नहीं।
ममता ने पूछा- कैसे मारोगे? खड़े होके या लेटकर ?
शशि बगल से सरसों तेल की शीशी लेते हुए बोला- तुम कुत्ती बन जाओ।
ममता उठके कुत्ती बन गयी और अपनी पीठ झुकाके गाँड़ बाहर निकाल ली।
शशि ने पहले उसकी गाँड़ की भूरी सिंकुड़ी छेद पर थूका और फिर ढेर सारा सरसों तेल मल दिया। ममता मस्ती में तेल मलवा रही थी। फिर शशि ने एक उंगली ममता की गाँड़ में डाली, उसके मुंह से ऊऊ............ निकल गया। ममता अपने होंठ दांतो से दबाए पीछे मुड़के शशि को कामुक दृष्टि से देख रही थी। शशि ने फिर दूसरी उंगली और धीरे से तीसरी उंगली घुसा दी। ममता पहले भी गाँड़ मरवा चुकी थी,इसलिए उसकी गाँड़ के अंदर का हल्का गुलाबी मांस दिखने लगा।
शशि ने फिर उंगलियां उसकी गाँड़ में आगे पीछे की, ममता बस आहें भर एहि थी। फिर जब उसने देखा कि गाँड़ लण्ड लेने लायक हो चुकी है। तब उसने अपने लण्ड पर तेल लगाया, जो कि पहले से ही ममता की बुर के रस की वजह से चिकना हो चुका था। उसने ममता को संभलने का मौका ही नही दिया और उसके गाँड़ के छेद पर लण्ड सटाकर घुसाने लगा। ममता हाँलाकि, इस अनुभव से परिचित थी, पर फिर भी लण्ड का सुपाड़ा घुसने से चिहुंक उठी। आआआआ ..... ऊउईईईईईईई दददेवववरररजीजीजी......
शशि ने उसकी परवाह किये बिना अपना प्रयास चालू रखा। ममता की कमर पकड़के लण्ड को धीरे धीरे उसकी गाँड़ में पूरा उतार दिया।