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Incest क्या ये गलत है ? (completed)

Rakesh1999

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कविता- अच्छा जी, हमारे राजा भैया को हमारी हंसी बहुत अच्छी लगती है। तो लो ये हंसी अबसे बरकरार रहेगी, इन होंठों पर। कविता की आंखे नसीली हो रही थी। वो आगे बोली- एक बात बताओगे राजा भैया, अपनी ही बड़ी बहन को इस तरह नंगी गोद में बिठाके, ब्लू फिल्म दिखाना तुमको कैसा लगता है। जय," बहुत अच्छा लग रहा है, की तुम नंगी हमारे गोद मे बैठी हो, एक दम निर्लज्जता से। असल में तुम ऐसी हो दीदी, बाहर की दुनिया के लिए जो तुम नाटक करती हो ना, एक दम साफ सुथरी, पवित्र व शुद्ध विचारों वाली, जिसे बाहर दुनिया बहुत अच्छी लड़की कहते हैं, वो तुम्हारा स्वाभाविक रूप नहीं है। तुम्हारा स्वाभाविक रूप ये है, हम सिर्फ तुम्हारे इस वक़्त के नंगेपन की बात नही कर रहे हैं, बल्कि उस कविता की बात कर रहे हैं, जो इस वक़्त समाज के अनुरूप अच्छे बुरे होने की डर से दूर है। जो बंद कमरों में रहती है तो, ब्लू फिल्म्स देखती है। जिसने अपनी कामुकता को दुनिया के लिए खत्म कर दिया है, पर बंद कमरे में कामुकता से लबरेज़ हो मूठ मारती है। ये तुम्हारा असली रूप है कविता दीदी। अपनी कामुकता को तुम अभी ही खुलके जी सकती हो। तुम जैसी काम की देवी हमारे साथ नग्नावस्था में बैठेगी तो मज़ा तो आएगा ही ना।
कविता ये सुनकर कामुक हो उठी। वियाग्रा की गोली भी धीरे धीरे असर कर रही थी। कविता ने जय की आंखों में देखा और बोली- ये लो इस काम की देवी का प्रसाद और उसके होंठों को चूमने लगी। अपने रसीले होंठ उसके होंठों को सौंप दी। जय ने कविता के होंठों को अपने होंठों से भींच लिया, और चूसने लगा। कविता जय की ओर मुड़ गयी, और दोनों पैर उसके कमर के इर्द गिर्द रखके उसकी गोद में ही बैठी रही। जय ने उसके कमर को पकड़के अपनी ओर कसके चिपका लिया। कविता के हाथ जय को कसके पकड़े हुए थे, उसकी दोनों हथेली जय की पीठ पर टिके थे। जिससे वो उसे अपनी ओर लगातार खींच रही थी। दोनों एक हो जाना चाहते थे।
जय के हाथ भी कविता की गर्दन से लेकर गाँड़ तक को पूरा महसूस कर रहे थे। कविता ने करीब 5 मिनट चले इस चुम्बन को, तोड़ा और जय की आंखों में देखकर बोली, " आज तुमको दिखाते हैं, हम।
जय- क्या दिखाओगी, कविता दीदी?
कविता- अपनी दीदी का स्वाभाविक रूप देखने है ना तुमको। आज तुमको अपना काम रूप दिखाएंगे। उधर वो ब्लू फिल्म चलने दो, और इधर तुम अपनी बड़ी बहन के साथ असली ब्लू फिल्म का आनंद लो।
जय- क्या बात है, तुम तो बिल्कुल मस्त हो गयी हो हमारी जान। वियाग्रा अब धीरे से जय पर भी असर कर रहा था। उसने कविता के बाल खींचे और उसके पूरे चेहरे को चूमने लगा। कविता के गाल,पलकों, माथे,नाक सब पर चुम्मों की बौछार लगा दी। कुछ ही पलों में सैंकड़ो चुम्मे धर दिए। कविता कामुक सिसकारियां भर रही थी। उसने कविता के गालों को चाटा, उसकी पूरे गालों पर थूक चमकने लगी। जीभ से हल्के हल्के उसकी ठुड्ढी को भी चाट रहा था। कविता अपने निचले होंठ को दांतों में दबाके इस गीले एहसास का आनंद ले रही थी। जय कविता की ये हालात देखके खुश हो रहा था, लेकिन वो चाहता था कि कविता ये सब करते हुए ब्लू फिल्म भी देखे। इस स्थिति में कविता ब्लू फिल्म नहीं देख पा रही थी। जय- तुम ठीक से फ़िल्म नहीं देख पा रही हो क्या? कविता- नहीं, बस आवाज़ सुन रहे हैं। जय- उतरो, दीदी तुमको अच्छे से दिखाएंगे। कविता- अब हम नहीं उतरेंगे, उसकी चुम्मी लेते हुए बोली। जय बोला- ठीक है तुम बैठी रहो। तुम अपने टांगों से हमारे कमर पर कैंची बना लो और हमको कसके पकड़ लो। कविता ने ठीक वैसे ही किया।
 

Rakesh1999

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जय ने कविता को गोद में उठाये ही टी वी से लैपटॉप व हार्ड ड्राइव को डिसकनेक्ट कर दिया और कविता ने एक हाथ से लैपटॉप उठा लिया और फिर दोनों कविता के रूम की ओर जाने लगे। इस दौरान जय का तना हुआ लण्ड कविता की बुर को छू रहा था। कविता को जब भी अपनी बुर पर जय का लण्ड छूता हुआ महसूस होता वो अपने हाथ के नाखून उसके पीठ में गड़ा देती और अपनी चुच्चियों को उसके सीने में। कविता तब तक जय को गीली चुम्मियां भी लगातार देती रही। जय सब बर्दाश्त करते हुए किसी तरह कविता के कमरे में पहुंचा। कविता को उसने उसके बिस्तर पर पटक दिया। कविता की आंखों और चेहरे पर चुदाई की प्यास हर पल गहरी हो रही थी। पर जय उसे अभी और तड़पाना चाहता था। वो चाहता था कि कविता पूरी चुदासी हो जाये। उसने कविता के सामने लैपटॉप में ब्लू फिल्म चला दी। कविता फिरसे जय के गोद में बैठ गयी, पर इस बार वो जय की तरफ पीठ की हुई थी। कविता थोड़ा हिल डुलकर लण्ड को अपनी गाँड़ की दरार में बैठा ली।



फ़िल्म में हीरोइन अपनी गाँड़ में डिल्डो घुसा रही होती है। वो सिसयाते हुए उसको अंदर बाहर कर रही थी। थोड़ी देर बाद उसने डिल्डो निकाला, तो कविता ने देखा कि उसकी गाँड़ बहुत खुल गयी थी। गाँड़ की छेद की चौड़ाई भी बढ़ गयी थी। उस लड़की ने फिर अपनी हथेली की चार उंगलिया उसमे घुसा रही थी। उसने उस डिल्डो को चाट लिया, जिसमे उसके गाँड़ की रस लगी पड़ी थी। फिर उंगलिया भी बाहर निकालके चूसी। 3 से 4 काले अफ्रीकी मूल के लोग आए। वो गोरी लड़की उनके बड़े बड़े लण्ड को चुसाने लगी, बारी बारी से। उन सबने उस लड़की को अलग अलग तरह से चोदा।वो एक साथ 3 लण्ड ले रही थी एक बुर में, एक गाँड़ में, एक मुंह मे और एक का लण्ड चुसाने को उसके मुंह पर लहराता रहता था।

कविता अत्यधिक कामुक हो उठी थी ऐसी चुदाई देखकर। उसकी सांस तेज़ चल रही थी सीने में सांस तेज़ होने से कड़क चुच्चियाँ हिल रही थी। अपनी गाँड़ से जय के लंड को रगड़ रही थी। उसकी कमर लगातार हिल रही थी। उसने अपने भाई के कंधे पर सर रखके कहा- भाई, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा। डालो ना लण्ड को। जय ने कहा- इतनी आसानी से नहीं देंगे। चल नीचे बैठ जाओ, घुटनो पे। कविता एक आज्ञाकारी विद्यार्थी जैसे उसकी टांगों के बीच फर्श पर घुटनो के बल बैठ गयी। जय ने बोला," खुदको जितना निर्लज बना सकती हो, बनाओ। हमको रिझाओ अपनी बुर चोदने के लिए।"
कविता ने अपनी चुच्चियाँ पकड़के उसमे थूक दिया। और अपनी चुच्चियों पर मलने लगी। जय की आंखों में देखते हुए, एक हाथ से अपनी बुर में उंगली घुसाई, उसकी उंगलियां उसके बुर के रस से भीग चुकी थी। कविता ने वो उंगलियां जय को सुंघाई, और खुद अपनी जीभ निकालके कामुकता से चाटने लगी। एक एक करके उसने उन तीनों उंगलियों को चूसा जो उसके बुर के रस से भीग चुकी थी। उसने जय के लण्ड को अपनी चुच्चियों के बीच फंसा लिया और हाथों से दबाते हुए, चुच्चियाँ ऊपर नीचे करने लगी। जय को कविता अपनी बड़ी बड़ी आंखों से निहारे जा रही थी। जय ने फिर कविता की गर्दन पकड़के उसे करीब लाया। उसने कविता के चुच्चियों के बीच लण्ड फंसा था, उसपर थूक दिया, कविता और ज़ोर से रगड़ने लगी। जय को ये अजीब सी मस्ती लग रही थी। लण्ड रागड़वाने में, उसने कविता को उठने को कहा, और उसको बिस्तर पर कुतिया बनने को कहा। कविता उछलके कुतिया बन गयी।
उसकी बुर से बहुत रस चू रहा था। जय ने उसकी बुर को अपनी चार उंगलियों से दबाके सहलाया। ऐसे करते हुए कविता की गाँड़ के छेद को अंगूठे से छेड़ रहा था। कविता इस दोहरे स्पर्श से अभिभूत हो गयी। जय ने देखा कविता मस्त हो चली थी, वो अपने अंगूठे को उसकी गाँड़ में घुसाने लगा। कविता इस हमले के लिए तैयार नही थी। उसने उसके हाथ को रोकते हुए कहा, आआहहहहहहह..... दर्द हो रहा है। जय ने उसकी एक नया सुनी और उसके हाथ को धकेल दिया, " चुप कर, बर्फ के टुकड़े ले सकती है तो उंगली क्यों नही। क्या शानदार छेद है ये गाँड़ की। जय ने उसके चूतड़ों पर कसके चार पांच तमाचे धर दिए। कविता की गाँड़ लाल हो गयी। उसकी गाँड़ बहुत टाइट थी, अंगूठा घुसाते वक़्त जय को ये एहसास हुआ। जय उसकी गाँड़ मारने को आतुर था पर उसकी गाँड़ इसके लिए अभी तैयार नहीं थी। जय ने उसकी गाँड़ में अंगूठा घुसाए ही उसकी बुर में लण्ड रगड़ने लगा।
 

Rakesh1999

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कविता पागल हो उठी, " भाई घुसा दो ना प्लीज।
जय- क्या? बोल क्या चाहिए कविता रंडी।
कविता - लण्ड चाहिए तुम्हारा हमारे बुर में। चोदो ना लण्ड घुसाके। अपनी बहन की बुर को।
जय- तुम क्या हो, बताओ दीदी? अपना परिचय दो।
कविता- हम तुम्हारी रंडी हैं, अपने छोटे भाई की रंडी। हाँ रंडी शब्द ही हमको सूट करता है। ऐसी रंडी जिसने अपने भाई को भी नहीं छोड़ा।
जय ने ये सुनके उसकी बुर की गहराइयों में लण्ड उतार दिया। कविता की सिसकारी बड़ी ज़ोर से निकली, जो पूरे कमरे में गूंज उठी। जय उसकी गाँड़ को सहलाते हुए, खूब ज़ोरों से चोद रहा था। कविता ज़ोरों से किकया रही थी, किसी कुत्ती की तरह। जय उसे बहुत ही रफ़ लेकिन पैशनेटलि चोद रहा था। कोई 15 मिनट तक ऐसे चोदने के बाद उसने कविता के मुंह मे अपना लण्ड दे दिया, कविता उसे खूब मज़े से चूसने लगी।


कविता- कितना स्वादिष्ट लग रहा है, तुम्हारे लण्ड पर लगा हमारी बुर का रस।
जय- चाट ले अच्छे से रांड दीदी, तेरे लिए ही है, आज की रात खूब पिलाऊंगा तुमको।
कविता- लप ....लप पपपपपप हहम्मम्म कितना प्यारा है, भाई ये लण्ड मन कर रहा है उम्र भर चूसते रहें।
जय- चूसो जितना मन करे, तुम्हारा ही है। अब तो सारी जिंदगी इसका मज़ा ले लेना। कविता लण्ड उठाके उसके आंड को चूसने लगी। जय- आआहह क्या चूसती है रे तू। चाट जीभ से।
कविता कोई 5 मिनट तक चूसती रही, ऐसे ही। जय ने उसे बिस्तर से नीचे उतार दिया और दिवाल की ओर कर दिया। कविता दीवाल पर अपनी दोनों हथेली के सहारे खड़ी थी। जय ने उसको गाँड़ बाहर की ओर निकालने को बोला। कविता अपनी गाँड़ बाहर निकाली और चूतड़ों को फैलाया। जय घुटनो पर बैठ गया, और उसकी गाँड़ चाटने लगा। कविता उसके सर को पकड़कर अपनी गाँड़ रगड़ने लगी। चाटो, भैया अपनी दीदी की गाँड़। ऊफ़्फ़फ़फ़ आआहह......
जय अपनी जीभ से उसकी गाँड़ को छेड़ रहा था। उसकी गाँड़ की दरार को चाट रहा था। उसने अपनी एक उंगली उसकी गाँड़ में घुसा रखी थी, जिसे वो अंदर बाहर कर रहा था। वो उसपर थूक भी लगा रहा था। एक पल को हट जाता और गाँड़ पर थूक देता। फिर दूसरे पल चाटने लगता। कविता खुद अपने चूतड़ों पर चाटें लगा रही थी। जय फिर कविता के पीछे खड़ा हो गया और उसे उसी हालत में खड़ा रख उसकी बुर में लण्ड पेल दिया। कविता लण्ड के घुसते ही अपनी कमर हिलाने लगी। वो उसे ऐसे ही चोदे जा रहा था। कविता और जय वियाग्रा के असर में थे, इसलिए आज की चुदाई जैसे खत्म ही नही हो रही थी। करीब आधे घंटे की लंबी चुदाई के बाद दोनों आखिर में चरम सीमा पर पहुंचने लगे। जय ने कविता को बिठाके उसके चेहरे पर मूठ की धार निकाली। कविता का चेहरा उससे पूरी तरह भीग गया। कविता उसका लण्ड चूस रही थी, और अपनी बुर के दाने को भी रगड़ रही थी। जय के छूटने के बाद वो भी छूट गयी। दोनों बिस्तर पर लेट गए। कविता के ऊपर जय लेटा था। तभी उनकी नज़र लैपटॉप पर पड़ी।
 

Rakesh1999

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करीब 45 मिनट के सीन में उस लड़की को बहुत गंदे से चोदा उन्होंने की उसका मेकअप पूरा निकल गया। फिर उन सबने उसे अपना मूठ पिलाया, जो उस लड़की के चेहरे पर भी गिरा। कविता की बुर ये देखकर और पनियाने लगी। जय कविता की बुर को अपनी हथेली से सहला रहा था। कविता के गर्दन पर चुम्मा लेते हुए वो बोला," अब देखना की आगे क्या करते हैं, ये इसके साथ।
कविता ने देखा कि सब मिलके उस लड़की को नंगी फर्श पर लिटा देते हैं और मूतने लगते हैं। लड़की उनकी पेशाब की पीली धार को मुंह मे रखके पीने लगती है, और उसमें नहा भी रही होती है। वो ये सब हंसते हुए कर रही थी। कविता ये देखकर भौंचक्की रह गयी। कविता को ये कुछ नया लगा। उसने अपने भाई को बोला, ये सब कैसे करती हैं, इनको मज़ा आता होगा ये सब करने में? घिन्न नहीं लगता होगा ऐसे?
जय- इनको इसके बहुत पैसे मिलते हैं, यही इनका काम है। देखो ना कितने मन से कर रही है। ये जो सेक्स है ना, बहुत अजीब है। इसे जितना गंदा करके, जितना घिना के करते हैं ना उतना मज़ा आता है। ये सब एक बार मे नहीं हो सकता, वक़्त लगता है। पर जब इसकी आदत लग जाती है ना, चुदाई का मज़ा दुगना हो जाता है।
कविता- तुमको ये सब अच्छा लगता है, हम जानते है पर करने की हिम्मत है या ऐसे ही बोलते रहते हो।
जय- हमको आज़मा रही हो। तुमको मूतते हुए हमको देखना है। वो भी जब तुम अपनी बुर की धार हम पर मारोगी। विश्वास नहीं तो अभी दिखा देंगे, पर क्या तुम कर सकती हो ऐसे? कविता उस सवाल के लिए तैयार नहीं थी, वो बोली, छी हमको उसमे मज़ा नहीं आएगा। हम तुम्हारा थूक पी सकते हैं बस।
जय- कोई जबरदस्ती नहीं है, तुम मानोगी हम जानते हैं।ये कहकर उसने कविता के खुले मुंह में थूक दिया, थूऊऊऊ। कविता ने उसके होंठों पर लगे थूक को जीभ से समेट के मुंह मे ले ली, और घोंट गयी। कविता और जय एक दूसरे को कामुकता से देख रहे थे।
उस रात जय ने पूरी रात कविता को 4 बार चोदा। और फिर दोनों वैसे ही थकान से चूर होकर सो गए।
 

Rakesh1999

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कहानी जारी रहेगी।अगला अपडेट जल्दी ही।
कहानी के बारेे में अपनी राय अवश्य लिखे।
 

Naren

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भाई कविता की गांड में बाईवरेटर डाल के रखो मार्केट में भी बइब्रेटर डाल के घुमाओ
 

Sister_Lover

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कितने कामुक डॉयलॉग्स हैं भाई.... मन ही नहीं भर रहा पढ़ने से... कविता का कैरेक्टर जबरदस्त है और मैं चाहता हूँ कि हो सके तो दोनों में प्यार और रोमांटिक डॉयलॉग पर और ज्यादा जोर दो.... सेक्स से ज्यादा मजा तो उसी में आ रहा। ??
 

Rakesh1999

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Thanks bhai.
 

Rakesh1999

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कितने कामुक डॉयलॉग्स हैं भाई.... मन ही नहीं भर रहा पढ़ने से... कविता का कैरेक्टर जबरदस्त है और मैं चाहता हूँ कि हो सके तो दोनों में प्यार और रोमांटिक डॉयलॉग पर और ज्यादा जोर दो.... सेक्स से ज्यादा मजा तो उसी में आ रहा। ??

Thanks bhai.
 

Rajizexy

Punjabi Doc, Raji, ❤️ & let ❤️
Supreme
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nice start
 
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