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Incest क्या ये गलत है ? (completed)

xxxlove

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Bhai bahut hi kamuk aur hot update hai.
Plz keep posting
Waiting for update
 

Rakesh1999

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Mast stories hai dost... :perfect:


Thanks
 

Rakesh1999

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Bhai angla updated kb aayega

Sister ke liy thode or hard niyam bnao jisse ki mza aa jay


Friday ko pakka aayega.
 
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Rakesh1999

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Rakesh1999

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कविता की नींद खुली जब ज़ोर ज़ोर से घर के दरवाजे की घंटी लगातार बज रही थी। कविता ने घड़ी में देखा सुबह के 10 बज रहे थे। वो जय के सीने पर अपना सर रखके ही सोई थी। कविता की बांयी टांग जय के ऊपर थी। जय उसे बांहों में पकड़े सोया था। कविता को वो इस समय बहुत क्यूट लग रहा था। उसने उसकी छाती को चूमा, फिर उसके होंठों को चूमा। फिर उठके उसने अपनी मैक्सी पहन ली, और बालों को बांधते हुए दरवाज़े की ओर बढ़ी। उसने दरवाज़ा खोला, तो सामने कूरियर वाला था। उसने पूछा- क्या मैडम इतनी देर से घंटी बजा रहा हूँ। ये जयकांत झा यहीं रहते हैं ना?
कविता- जी, क्या बात है?
कूरियर वाला- उनके नाम का कूरियर आया है। वो हैं घर पर?
कविता- जी वो सो रहे हैं। आप हमको दे दीजिए।
कूरियर वाला- वो आपके पति हैं क्या?
कविता गुस्से से - जी..... जी नहीं हम उसकी ब...
कूरियर वाला- अरे कोई बात नहीं मिया बीवी में झगड़ा होता रहता है, हे..... हे ये लीजिये आप ही रिसीव कीजिये। उसने कविता की ओर कलम और पेपर बढ़ा के कहा।
कविता ने उसे कुछ नही कहा बस दस्तखत कर दिया। वो पार्सल देकर चला गया। उसके जाते ही कविता की हंसी छूट गयी, उसकी बात सोचके। दरवाज़ा पर परा दूध का पैकेट उठायी और दरवाज़ा बन्द करके अंदर आ गयी। दूध फ्रिज में डालकर वो हॉल में आ गयी। उसने शीशे में खुदको देखा, सारा काजल निकल गया था और जय के लण्ड के पानी उसके चेहरे पर सूखे हुए थे। वो पपड़ी की तरह कड़क हो गए थे। कविता ने अपना चेहरा धोया, और टॉवल से पोछने लगी। उसे तब ख्याल आया कि कूरियर वाले ने भी ये देखा होगा। उसकी चेहरे पर शर्म के साथ हंसी छूट गयी। तभी उसे जय के बनाये नियम की याद आ गयी, कि उसे घर के अंदर बिना कपड़ों के नंगी होकर रहना है। उसने अपनी मैक्सी के बटन खोले और दोनों हाथ बाजुओं से निकाल दिए। मैक्सी सरसराती हुई उसके पैरों में गिर गयी। उसने फिर अपने हर अंग को देखा, पूरे बदन पर रात की चुदाई की कहानी का सारांश लिखा हुआ था। जय के दांतों के निशान उसकी चुच्चियों पर, गर्दन पर, उसके पेट पर, उसके चूतड़ों पर भी थे। कितना वाइल्ड सेक्स रहा था। कविता फिर ब्रश की और सीधा किचन में नास्ता बनाने लगी। जय ने उसे नहाने से भी तो मना किया था। कविता नंगी ही खाना बना रही थी। एक तो गर्मी उस पर से खाना बनाना वो पसीने से नहा गयी थी। उसके गर्दन से चल पसीना उसके पीठ के रास्ते उसकी गाँड़ में लुप्त हो जाता था। गले से टपक कर पसीना सीधे उसकी चुच्चियों के घुंडीयों पर से चू रहा था।बदन से पसीना टप टप कर चू रहा था। उसने जल्दी से खाना बना लिया और बाहर हॉल में आके पंखे के नीचे खड़ी हो गयी। उसे बहुत राहत मिली। थोड़ी देर में सारा पसीना सूख गया, पर हल्की बदबू रह गयी। उसने फिर चेहरे पर मेक अप किया, और अपने भाई को उठाने उसके कमरे में घुस गई। कविता अब खूबसूरत लग रही थी, क्योंकि उसने फ्रेश मेक अप किया था, काजल, मस्कारा, क्रीम, रूज़ सबसे सज चुकी थी। फिर अपने भाई के चेहरे के करीब अपना चेहरा लायी और उसके होंठों को चूमने लगी। फिर उसके माथे को चूमी। जय की नींद इस प्यार भरे चुम्मों ने उड़ा दी। अपनी दीदी का चांद सा चेहरा देखके उसके होंठो पर मुस्कुराहट छा गयी। उसने कविता को अपने ऊपर खींच लिया। कविता ने कोई विरोध नहीं किया। उसके बदन से पसीने की बदबू आ रही थी जो जय को खुसबू समान लग रही थी। कविता की चुच्चियाँ जय के सीने में चुभ रही थी। जय कविता की बड़ी गाँड़ को अपने हाथों से सहला रहा था।
कविता- बहुत थके लग रहे हो, रात इतनी मेहनत जो कि है इसलिए शायद।
जय- हाँ, थोड़ा सा पर, तुमको देखके सब थकान खत्म हो गया है।
कविता- हाँ, वो तो पता चल रहा है, ये जो तैनात होकर खड़ा हो गया है। कविता उसके लण्ड को पकड़ते हुए बोली।
 

Rakesh1999

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जय और कविता एक दूसरे की आंखों में खो जाते हैं, और दोनों के होंठ एक दूसरे को चुम्बक की तरह पकड़ लेते हैं। कविता उसे बहुत पैशनेटली चूम रही थी, कभी अपनी जीभ उसके मुंह मे घुसा देती, तो कभी जीभ से उसके होंठ चाटने लगती। फिर होंठों को होंठों से खूब रगड़ती, और चुसने लगती। जय इस चुम्मे का आनंद प्राप्त करते हुए उसकी गाँड़ को टटोल रहा था। कभी उसके चूतड़ों को सहलाता तो कभी उसपर हल्के चपत लगाता। दोनों ऐसे करीब 5 मिनट तक चूम रहे थे, की तभी जय के मोबाइल की घंटी बजी। कविता ने चुम्बन तोड़ा और फोन उठाके जय को दी। जय ने देखा वो उसकी माँ का फोन था। जय ने कविता को मोबाइल दिखाके बोला, " माँ का फोन है।"

कविता उसके ऊपर से उठना चाही, पर जय ने उसे कमर से जकड़ रखा था।
कविता लाज से बोली," भाई प्लीज उठने दो ना।"
जय- क्यों माँ तुमको देखेगी थोड़े ही। और मोबाइल स्पीकर पर लगाके फोन उठाके बोला- माँ, प्रणाम।
दूसरी तरफ से ममता की आवाज़ आयी- कैसे हो बेटा, ठीक हो ना? हम यहां सुबह 6 बजे पहुंच गए थे।
जय- अच्छे हैं, मिठनपुरा पहुंच गई?
ममता- हाँ, पहुंच गए वहीं से बोल रहे हैं। कविता कहां है?
जय- यही है, हमारे ऊपर.....कहके उसने जीभ बाहर निकाली और कविता को देखने लगा जैसे गलती हो गयी हो।
ममता- क्या मतलब?
जय- हमारे रूम के ऊपर जो छत है ना उसपर गयी है, कपड़े डालने।
ममता- अच्छा अच्छा ठीक है हम रखते हैं, यहां नेटवर्क ठीक नहीं है।
जय- ठीक है माँ, प्रणाम। उसके ये बोलने से पहले ही फोन काट चुका था।
कविता उसे देखकर हसने लगी। अभी फंस गए थे ना, हम्मम्म बोलो।
जय- हाँ, पर संभाल लिए हम।
कविता ने बोला- अरे तुम्हारे नाम से कूरियर आया है, बाहर पड़ा है हॉल में। तुम हाथ मूंह धो लो। फिर नास्ता करते हैं।
जय- ठीक है।
कविता उठके उसके रूम को ठीक करने लगी, और जय बाथरूम में चल गया। थोड़ी देर बाद जय बाहर आया तब तक कविता नास्ता लगा चुकी थी।दोनों नास्ता करने बैठ गए। कविता जय की गोद मे बैठ गयी। और उसे तोड़के निवाला खिलाने लगी। जय ने वो कूरियर उठाया और खोला। अंदर एक डिमांड ड्राफ्ट था, और कुछ कागज़। जय ने देखा तो वो सरक उठा। मुंह का निवाला बाहर आ गया। कविता ने उसे पानी दिया। और पीठ सहलाने लगी। कविता- कक...क क्या हुआ जय? ठीक हो ना।
जय खांसते हुए- हाथ मे पकड़ा डिमांड ड्राफ्ट कविता को दिखाता है। कविता का मुंह वो देखकर खुला रह जाता है।
On demand Pay to Mr. Jaykant Jha
Amount- Two crore fifty five lakh rupees only
In figures- 2,55,00,000/-

दरअसल ये एक इन्शुरन्स कंपनी की तरफ से आया था। अमरकांत झा के नाम पर कोई एक करोड़ की बीमा थी। जोकि समय पर भुगतान ना होने की वजह से पटना हाई कोर्ट ने भुगतान की राशि ढाई गुनी कर दी थी। साथ में जजमेंट की कॉपी भी लगी थी। दोनों भाई बहन अचानक से ज़ोर से चिल्लाए और फिर शांत हो गए।
जय ने उसे फिर पढ़के सारी बाते बताई। दीदी तुमको पता था इसके बारे में।
कविता- नहीं हमको बिल्कुल नहीं पता।
जय- इसमें हमारे वकील का नाम भी नहीं है। जरूर माँ को पता होगा।
जय ने फोन लगाया तो ममता का फोन आउट ऑफ कवरेज बात रहा था। कोई 3 4 बार लगाने पर भी, नहीं लगा।
दोनों बहुत खुश थे।
 
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