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जय ने ममता की ओर देखा वो बेहद हल्के खर्राटे लेकर चैन से सो रही थी। उसने कंबल के अंदर अपना सर घुसा लिया और मोबाइल की टोर्च जला ली।ममता के कोमल तलवे बहुत सुंदर लग रहे थे। जय ने उसके तलवों को हल्के से छुवा और धड़कते दिल से अपने होंठों से चूम लिया। ममता की गुलाबी रंग की साड़ी उसके घुटनो से हल्के ऊपर तक उठ गई थी। जिससे उसकी चिकनी जांघों का पिछला हिस्सा बाहर झांक रहा था। जय उन दृश्यों को बड़े कामुक नज़रों से देख रहा था, वो दृश्य थे भी कामुक। तभी ममता ने एडजस्ट करते हुए करवट ले ली, जिससे उसकी साड़ी और ऊपर उठ गई और उसकी जांघो के बीच फंसी पैंटी का निचला हिस्सा दिखने लगा। जय ने लाइट को थोड़ा करीब लाया, ममता ने सफेद रंग की पैंटी पहनी हुई थी। जय ने उस हिस्से को गौड़ से देखा जहां पैंटी उसकी बुर से चिपकी हुई थी। जय का मन तो हो रहा था कि ममता की पैंटी उतार दे और उस जगह के दर्शन कर ले जहां से उसने इस दुनिया में क़दम रखा था, ममता की बुर से। जय ने अपने पर काबू रखा और बस उसकी नंगी जांघों का दर्शन करता रहा। वो अपना लण्ड मसलने के अलावे कुछ कर भी नहीं सकता था। जब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ तब वो उठके बाथरूम चला गया और वहां जाकर ममता को खयालों में नंगी कर दिया, जहाँ ममता उसको अपने खूबसूरत नंगी चुचियों पर मूठ गिराने को बोल रही थी। थोड़ी ही देर में वो अपना मूठ गिराके वापिस आकर सो गया। दोनों अगले दिन दोपहर तीन बजे तक खजुराहो पहुंच गए। दोनों ने होटल ले लिया, और कमरे में चले गए। ममता सीधे नहाने चली गयी। दोनों बारी बारी फ्रेश हो गए और उस दिन आराम करने की सोच ली। अगले दिन ममता सुबह जल्दी उठी और तैयार हो गयी। वो जय को उठाने गयी तो जय उठ ही नही रहा था, वो करीब 10 मिनट बाद उठा और अपनी माँ को देखता ही रह गया। ममता ने सफेद रंग की साड़ी पहन रखी थी, जिसमे लाल रंग का चौड़ा बॉर्डर था।
उसकी सफेद ब्लाउज बिना बाहों वाली थी, जिसमें उसकी काँखें और कामुक लग रही थी। उसकी कमर और पेट पूरी खुली थी। लंबी और गहरी ढोंडी बहुत उत्तेजक लग रही थी। जय को लगा क्यों ना ममता के कमर पर चूमते हुए उसकी ढोंडी को छेड़े। ममता की नज़र पहली बार जय की नज़रों पर पड़ी जो उसकी हुस्न की डकैती कर रही थी। ममता ने ये देखा तो, उसे अजीब लगा कि उसका बेटा उसकी कमर ऐसे देख रहा है।
ममता- क्या हुआ, कुछ लगा है क्या? उसने अपने आँचल को हटा दिया। और अपने पेट को हाथ से साफ करने लगी।
जय- हाँ, इधर आओ हमारे पास हम देखते हैं।
ममता उसके पास आ गयी, जय ये मौका कैसे जाने देता। जय उसके पेट के करीब आया और ममता को हाथ अपने कंधों पर रखने को कहा। ममता ने वैसे ही किया। जय ममता के पेट को हल्के हाथों से सहलाने लगा। ममता की ढोड़ी ठीक उसके सामने थी। उसका मन तो उसे चाटने, का हो गया। उसके कमर को और पेट को वो मज़े लेके सहला रहा था। ममता की गोरी चिकनी हल्की चर्बीदार नंगी कमर उसकी उत्तेजना दुगनी कर रही थी। पेट पर हल्की चर्बी साड़ी के कसके बांधने से हल्की लटकी थी। क्या मस्त लग रही थी दिखने में।
जय मस्ती ममता की आवाज़ के साथ टूटी," साफ हो गया क्या था बेटा?
जय- आँ.... आ कुछ नहीं माँ, ये तो पाउडर है, जो कि लग गयी है।
ममता- अच्छा... वो है। ओह्ह हम लगाए थे, लग गया होगा। जाओ तुम नहा लो। ममता की नज़र उसके पैंट में बनी तंबू पर थी। जय ने उसे देखते हुए देखा तो उसने नज़र हटा ली और, वहां से चली गयी।
जय के मन में उम्मीद की किरण जागी, शायद ममता भी वैसे सोच रही हो। पर फिर उसने सोचा कि, ममता उसकी माँ है वो ऐसा क्यों सोचेगी? क्या वो भी सेक्स की प्यासी है, हाँ हो भी सकता है, क्योंकि उसे भी तो लण्ड नहीं मिलता। अगर ऐसा होगा तो ये काम आसान हो सकता है। ये सब सोचते हुए, वो नहाके बाहर आ गया। उसने देखा उसकी मां तैयार थी। वो उसको जल्दी चलने के लिए बोली। जब जय बाहर आया तो ममता उसे ही देख रही थी। जय का गठीला बदन उसको अपने बेटे की ही ओर आकर्षित कर रहा था। उसने सिर्फ एक तौलिया लपेटा हुआ था।जय ने सफेद कुर्ता पायजामा पहना और ममता की ओर मुस्कुराके बोला कि," माँ, चलें क्या?
ममता- हाँ, बेटा चल ना।
उसकी सफेद ब्लाउज बिना बाहों वाली थी, जिसमें उसकी काँखें और कामुक लग रही थी। उसकी कमर और पेट पूरी खुली थी। लंबी और गहरी ढोंडी बहुत उत्तेजक लग रही थी। जय को लगा क्यों ना ममता के कमर पर चूमते हुए उसकी ढोंडी को छेड़े। ममता की नज़र पहली बार जय की नज़रों पर पड़ी जो उसकी हुस्न की डकैती कर रही थी। ममता ने ये देखा तो, उसे अजीब लगा कि उसका बेटा उसकी कमर ऐसे देख रहा है।
ममता- क्या हुआ, कुछ लगा है क्या? उसने अपने आँचल को हटा दिया। और अपने पेट को हाथ से साफ करने लगी।
जय- हाँ, इधर आओ हमारे पास हम देखते हैं।
ममता उसके पास आ गयी, जय ये मौका कैसे जाने देता। जय उसके पेट के करीब आया और ममता को हाथ अपने कंधों पर रखने को कहा। ममता ने वैसे ही किया। जय ममता के पेट को हल्के हाथों से सहलाने लगा। ममता की ढोड़ी ठीक उसके सामने थी। उसका मन तो उसे चाटने, का हो गया। उसके कमर को और पेट को वो मज़े लेके सहला रहा था। ममता की गोरी चिकनी हल्की चर्बीदार नंगी कमर उसकी उत्तेजना दुगनी कर रही थी। पेट पर हल्की चर्बी साड़ी के कसके बांधने से हल्की लटकी थी। क्या मस्त लग रही थी दिखने में।
जय मस्ती ममता की आवाज़ के साथ टूटी," साफ हो गया क्या था बेटा?
जय- आँ.... आ कुछ नहीं माँ, ये तो पाउडर है, जो कि लग गयी है।
ममता- अच्छा... वो है। ओह्ह हम लगाए थे, लग गया होगा। जाओ तुम नहा लो। ममता की नज़र उसके पैंट में बनी तंबू पर थी। जय ने उसे देखते हुए देखा तो उसने नज़र हटा ली और, वहां से चली गयी।
जय के मन में उम्मीद की किरण जागी, शायद ममता भी वैसे सोच रही हो। पर फिर उसने सोचा कि, ममता उसकी माँ है वो ऐसा क्यों सोचेगी? क्या वो भी सेक्स की प्यासी है, हाँ हो भी सकता है, क्योंकि उसे भी तो लण्ड नहीं मिलता। अगर ऐसा होगा तो ये काम आसान हो सकता है। ये सब सोचते हुए, वो नहाके बाहर आ गया। उसने देखा उसकी मां तैयार थी। वो उसको जल्दी चलने के लिए बोली। जब जय बाहर आया तो ममता उसे ही देख रही थी। जय का गठीला बदन उसको अपने बेटे की ही ओर आकर्षित कर रहा था। उसने सिर्फ एक तौलिया लपेटा हुआ था।जय ने सफेद कुर्ता पायजामा पहना और ममता की ओर मुस्कुराके बोला कि," माँ, चलें क्या?
ममता- हाँ, बेटा चल ना।