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Incest क्या ये गलत है ? (completed)

Rakesh1999

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जय ने ममता की ओर देखा वो बेहद हल्के खर्राटे लेकर चैन से सो रही थी। उसने कंबल के अंदर अपना सर घुसा लिया और मोबाइल की टोर्च जला ली।ममता के कोमल तलवे बहुत सुंदर लग रहे थे। जय ने उसके तलवों को हल्के से छुवा और धड़कते दिल से अपने होंठों से चूम लिया। ममता की गुलाबी रंग की साड़ी उसके घुटनो से हल्के ऊपर तक उठ गई थी। जिससे उसकी चिकनी जांघों का पिछला हिस्सा बाहर झांक रहा था। जय उन दृश्यों को बड़े कामुक नज़रों से देख रहा था, वो दृश्य थे भी कामुक। तभी ममता ने एडजस्ट करते हुए करवट ले ली, जिससे उसकी साड़ी और ऊपर उठ गई और उसकी जांघो के बीच फंसी पैंटी का निचला हिस्सा दिखने लगा। जय ने लाइट को थोड़ा करीब लाया, ममता ने सफेद रंग की पैंटी पहनी हुई थी। जय ने उस हिस्से को गौड़ से देखा जहां पैंटी उसकी बुर से चिपकी हुई थी। जय का मन तो हो रहा था कि ममता की पैंटी उतार दे और उस जगह के दर्शन कर ले जहां से उसने इस दुनिया में क़दम रखा था, ममता की बुर से। जय ने अपने पर काबू रखा और बस उसकी नंगी जांघों का दर्शन करता रहा। वो अपना लण्ड मसलने के अलावे कुछ कर भी नहीं सकता था। जब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ तब वो उठके बाथरूम चला गया और वहां जाकर ममता को खयालों में नंगी कर दिया, जहाँ ममता उसको अपने खूबसूरत नंगी चुचियों पर मूठ गिराने को बोल रही थी। थोड़ी ही देर में वो अपना मूठ गिराके वापिस आकर सो गया। दोनों अगले दिन दोपहर तीन बजे तक खजुराहो पहुंच गए। दोनों ने होटल ले लिया, और कमरे में चले गए। ममता सीधे नहाने चली गयी। दोनों बारी बारी फ्रेश हो गए और उस दिन आराम करने की सोच ली। अगले दिन ममता सुबह जल्दी उठी और तैयार हो गयी। वो जय को उठाने गयी तो जय उठ ही नही रहा था, वो करीब 10 मिनट बाद उठा और अपनी माँ को देखता ही रह गया। ममता ने सफेद रंग की साड़ी पहन रखी थी, जिसमे लाल रंग का चौड़ा बॉर्डर था।


उसकी सफेद ब्लाउज बिना बाहों वाली थी, जिसमें उसकी काँखें और कामुक लग रही थी। उसकी कमर और पेट पूरी खुली थी। लंबी और गहरी ढोंडी बहुत उत्तेजक लग रही थी। जय को लगा क्यों ना ममता के कमर पर चूमते हुए उसकी ढोंडी को छेड़े। ममता की नज़र पहली बार जय की नज़रों पर पड़ी जो उसकी हुस्न की डकैती कर रही थी। ममता ने ये देखा तो, उसे अजीब लगा कि उसका बेटा उसकी कमर ऐसे देख रहा है।
ममता- क्या हुआ, कुछ लगा है क्या? उसने अपने आँचल को हटा दिया। और अपने पेट को हाथ से साफ करने लगी।
जय- हाँ, इधर आओ हमारे पास हम देखते हैं।
ममता उसके पास आ गयी, जय ये मौका कैसे जाने देता। जय उसके पेट के करीब आया और ममता को हाथ अपने कंधों पर रखने को कहा। ममता ने वैसे ही किया। जय ममता के पेट को हल्के हाथों से सहलाने लगा। ममता की ढोड़ी ठीक उसके सामने थी। उसका मन तो उसे चाटने, का हो गया। उसके कमर को और पेट को वो मज़े लेके सहला रहा था। ममता की गोरी चिकनी हल्की चर्बीदार नंगी कमर उसकी उत्तेजना दुगनी कर रही थी। पेट पर हल्की चर्बी साड़ी के कसके बांधने से हल्की लटकी थी। क्या मस्त लग रही थी दिखने में।
जय मस्ती ममता की आवाज़ के साथ टूटी," साफ हो गया क्या था बेटा?
जय- आँ.... आ कुछ नहीं माँ, ये तो पाउडर है, जो कि लग गयी है।
ममता- अच्छा... वो है। ओह्ह हम लगाए थे, लग गया होगा। जाओ तुम नहा लो। ममता की नज़र उसके पैंट में बनी तंबू पर थी। जय ने उसे देखते हुए देखा तो उसने नज़र हटा ली और, वहां से चली गयी।
जय के मन में उम्मीद की किरण जागी, शायद ममता भी वैसे सोच रही हो। पर फिर उसने सोचा कि, ममता उसकी माँ है वो ऐसा क्यों सोचेगी? क्या वो भी सेक्स की प्यासी है, हाँ हो भी सकता है, क्योंकि उसे भी तो लण्ड नहीं मिलता। अगर ऐसा होगा तो ये काम आसान हो सकता है। ये सब सोचते हुए, वो नहाके बाहर आ गया। उसने देखा उसकी मां तैयार थी। वो उसको जल्दी चलने के लिए बोली। जब जय बाहर आया तो ममता उसे ही देख रही थी। जय का गठीला बदन उसको अपने बेटे की ही ओर आकर्षित कर रहा था। उसने सिर्फ एक तौलिया लपेटा हुआ था।जय ने सफेद कुर्ता पायजामा पहना और ममता की ओर मुस्कुराके बोला कि," माँ, चलें क्या?
ममता- हाँ, बेटा चल ना।
 

Rakesh1999

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दोनों वहां से सीधे होटल रिसेप्शन में पहुंचे, और चाबी जमा की। फिर जय ने बाहर निकलकर, ऑटो ले ली। ममता और जय दोनों मंदिर की ओर निकल पड़े। मंदिर वहां से कोई 6 कि मी दूर था। ऑटो दोनों को वहाँ पहुंचाकर, चला गया। वहां बाहर में उन्होंने फूल और प्रसाद लिए और मंदिर की ओर चल दिये। थोड़ी दूर चलने पर उन्हें लोगों की एक कतार दिखाई दी। वो दोनों लाइन में खड़े हो गए। थोड़ी देर बाद लाइन में बढ़ते हुए, वो उस द्वार के पार पहुंच गए जहां मंदिर के ऊपर बनी अश्लील और कामुक मूर्तियां तराशी हुई थी। वहां बेहद नंगी कामोत्तेजक चुदाई के आसनों में महिला और पुरुषों की कामवर्धक मूर्तियां थी। पुरुषों का लण्ड चूसते हुए, उनके साथ खड़े होक, गोद में चढ़कर चुदते हुए, एक साथ दो पुरुषों के साथ महिलाओं की यौन क्रियाएं इत्यादि सबकी तस्वीरें साफ थी। जय यही सब दिखाने लाया था, ममता को। उसने ममता की ओर देखा, तो ममता का मुंह खुला था और सर उठाये हुए वो उन सजीव प्रतिमाओं को निहार रही थी। उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि किसी मंदिरों के बाहर, ऐसी तस्वीरें और प्रतिमाएं भी हो सकती है। जय और ममता धीरे धीरे आगे बढ़ते गए, और कोई डेढ़ घंटे बाद उनकी बारी आई, फिर वहां पूजा करके, वो दोनों बाहर आ गए। ममता ने जय के माथे पर तिलक लगा दिया। तो जय ने ममता के पैर छू लिए। ममता ने उसे आशीर्वाद दिया, तुम्हारी हर इच्छा पूरी हो। खुश रहो।
फिर वो दोनों आसपास के और मंदिर घूमे। वहां कुछ और मंदिरों में भी वैसे ही कारीगिरी की गई थी। ममता उनको खूब गौर से देख रही थी। जय को गाइड ने बताया कि चंदेल राजाओं ने इन मंदिरों का निर्माण करवाया था, जब लोगों में ब्रह्मचर्य बढ़ने लगा, तब गृहस्थ जीवन से भी मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है, ये बताने के लिए। ये मंदिर इसीलिए प्रसिद्ध हैं। दोनों मा बेटे ने सारी बातें चाव से सुनी। अब चुकी दोपहर के डेढ़ बजे चुके थे, ममता ने जय से कहा कि बेटा, हमको भूख लग रही है। चलो कुछ खा लेते हैं।

जय- ठीक है, चलो हमको भी भूख लगी है। वहां सामने वाली रेस्टोरेंट में चलते हैं।
जय ममता को लेकर होटल में घुस गया। वहां दोनों एक टेबल पर बैठ गए। और खाना भी आर्डर कर दिया। ममता पानी पी रही थी, की जय के पीछे देखकर उसके मुंह से पानी निकाल गया और खांसने लगी। जय ने पीछे मुड़के देखा तो होटल की दीवारों पर वही मंदिरों पर बनी काम क्रीड़ा वाली मूर्तियों की बड़ी तस्वीरें लगी हुई थी। जय और ममता ने एक दूसरे से चुराके चारों ओर देखा तो वहां उनको हर तरफ वैसी ही तस्वीरें थी। पर ना तो जय ने कुछ कहा ना ही ममता ने। दोनों वैसे ही बैठे रहे और खाना का इंतज़ार कर रहे थे। थोड़ी देर में, खाना आया। दोनों ने जमकर पेट पूजा की और वापिस होटल आ गए।
होटल जाकर सीधा रूम गए, क्योंकि दोनों थक चुके थे। तो रेस्ट करने लगे। करीब 2 घंटे बाद ममता की आँखे खुली तो, देखा जय अभी भी सो रहा है। वो उठके बाथरूम गयी। वहां उसने साड़ी उठाके मूतने लगी। सीटी की आवाज़ के साथ मूत की धार निकलने लगी। मूतने के बाद उसने अपनी बुर को धोया, उसे एहसास हुआ कि बुर उसकी पनिया गयी थी, उन मूर्तियों को देखके। वो बुर को पकड़े हुए ही, उन प्रतिमाओं को याद करने लगी। उन नग्न नर्तकियों के काम क्रीड़ाओं और काया को याद कर, उसकी बुर पनिया गयी थी। वहीं जय का अंडरवियर रखा था, इस कामाग्नि की जलन ऐसी चढ़ी की वो अपने बेटे के अंडरवियर को अपनी बुर पर रगड़ने लगी। उसे एक लण्ड की ज़रूरत महसूस हो रही थी, पर बेचारी प्यासी औरत क्या करती? उसके नसीब में फिलहाल लण्ड नही था। थोड़ी देर में वो झड़ गयी और जय के अंडरवियर को पानी में, खंगालकर लटका दी। उसे अंदर से ग्लानि होने लगी।जब वो बाहर आई तो जय सोया हुआ था, पर उसके बरमूडा में तंबू बना हुआ था। ममता ने बहुत कोशिश की कि उसकी नज़र उसपर से हट जाए। शायद ये पहली बार था कि वो जय को एक पूर्ण पुरुष के रूप में देख रही थी।
पर तभी, रूम की घंटी बजी। ममता हड़बड़ा गयी, उसने देखा कि 5 बज चुके थे। उसने दरवाज़ा खोल तो सामने रूम सर्विस वाला था, वो चाय लेकर आया था।
 

Rakesh1999

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ममता ने उससे चाय ले ली, और दरवाज़ा बंद कर दिया। ममता ने चाय बनाई और जय को उठाया। जय उठा तो ममता ने उसे चाय दी। जय फ्रेश होकर आया तो, उसने ममता को अपने साथ बाहर चलने को कहा। मार्केट घूमने और शॉपिंग करने। जय ने हमेशा की तरह, टी शर्ट और जीन्स डाली और ममता ने नीली रंग की साड़ी। उस ब्लाउज में पीछे से पूरी पीठ नंगी थी और सिर्फ दो धागों से बंधी थी साथ ही ममता की चुच्चियाँ ऊपर से काफी हक़द तक दिख रही थी। ममता को कविता ने ही ऐसी ब्लाउज सिलवाने को कहा था, ताकि ममता देहाती बनकर ना रह जाये। ममता ने साड़ी भी काफी नीचे बांधी थी, और गाँड़ की शेप भी काफी मस्त निकलके आ रही थी। जय उसको अपनी माँ कम और बीवी की तरह ज़्यादा घुमा रहा था। ममता ने कपड़े लिए और जय कविता दोनों के लिए कपड़े लिया। अब तो पैसों की तंगी भी नही थी। ममता और जय ने लगभग बीस हज़ार की शॉपिंग की। रात के नौ बजे चुके थे। और दोनों काफी थक चुके थे। वापिस होटल किसी तरह पहुंचकर दोनों ने कमरे में ही खाना मंगा लिया।
दोनों ने खाना खाया। फिर ममता बोली- जय कल कहां जाना है?
जय- कल हम शहर से दूर वॉटरफॉल है वहां जाएंगे। और भी कई ऐतिहासिक क़िले और जगहें है। वहाँ जाएंगे।
ममता- अच्छा है।
जय- आज तुमको कैसा लगा माँ, अच्छा लगा मंदिर?
ममता- हाँ, बेटा बड़ा अच्छा था, भगवान के दर्शन हो गए। हम तो धन्य हो गए।
जय- हम जानते थे कि तुमको बहुत मज़ा आएगा। तुम आज कितना खुश लग रही हो?

ममता- हाँ, हमको आजतक कोई ऐसे घुमाने कोई नहीं लाया है। तुम पहले हो जो लेके आये हो। सच आज बड़ा अच्छा लगा।
जय- माँ अब देखना, तुमको कहाँ कहाँ घुमाते हैं। अब हम करोड़पति हैं। तुमको हमेशा ऐसे ही खुश देखना चाहते हैं।
ममता- चल अच्छा सो जाओ। रात बहुत हो गयी है और सुबह छः बजे ही निकलना है।
जय- हहम्मम्म, सही कह रही हो। तुम भी सो जाओ।
ममता- हाँ, हम कपड़ा बदल लेते हैं।
ममता ने नाइटी पहन ली और जय ने बॉक्सर।जय सिर्फ बॉक्सर में ही था। ऊपर गंजी भी नहीं पहनता था। जानबूझकर अपना लण्ड खड़ा करके, बॉक्सर में तंबू बनाके घूमता था। ताकि ममता की नज़र उसपर बराबर बनी रहे और उसके चेहरे के भाव देख पाए।
फिर दोनों अपनी अपनी साइड पकड़के सोने की कोशिश करने लगे। ममता ने गुलाबी नाइटी पहनी हुई थी। ममता की आदत थी कि सोते समय वो अपनी टांगे हाथें इधर उधर फेंकती थी।
ममता सो चुकी थी, पर जय की आँखों में नींद नहीं थी। वो करवट लेकर ममता की ओर मुड़ा। ममता की पीठ और भारी गाँड़ जय की ओर थी। जय ममता के बदन को पकड़ना चाहता था। उसका हाथ, ममता की कमर पर जाना चाहता था, पर दिमाग ने उसे रोक लिया।
ममता, तभी नींद में उसकी ओर मुड़ी, उसकी जुल्फ़े, खुल गयी थी। साथ ही उसके नाइटी के ऊपर के बटन, खुल गए थे। उसकी दांयी चुच्ची के निप्पल बस ढके थे। साथ ही उसकी बांयी टांग खड़ी थी, जिससे नाइटी बिल्कुल चिकनी और कोमल जांघों की जड़ों में लग गया था। जय को समझ नही आ रहा था कि वो अपनी माँ ममता के कपड़े संभाल दे या, ममता एक औरत को नग्न करके अपनी बना ले। तभी उसे, ममता कामोत्तेजक, अर्धनग्न नृत्यांगना सी लगने लगी, जो मंदिर की मूर्तियों पर बनी थी। उसे अब खुद को रोक पाना मुश्किल था। पता नहीं कहां से उसमे हिम्मत आयी, वो पहले थोड़ा खिसकके ममता के करीब आया। और ममता के उलझे बालों को उसके बांये कान के पीछे, लगा दिया। उसने फिर उसकी सूनी मांग को हल्के से चूम लिया। और मन ही मन निश्चय किया, की ममता की मांग, अगर कोई भरेगा तो वो ही भरेगा।
इससे पहले की वो और कुछ करता, ममता ने दूसरी ओर फिर करवट ले ली। वो मन मसोस रहा था, कि तभी उसका फोन बजा। फोन साइलेंट मोड पर था, उसने देखा कि कविता का फोन है। उसने फोन उठाया तो कविता बोली,
कविता- क्यों कुछ मामला बढ़ा कि नहीं?
जय- नहीं, अभी तक कुछ नहीं। वो धीरे से बोला।
कविता- हम तुमको कुछ बताना चाहते हैं। माँ को पटाने में तुमको मदद मिलेगा।
जय- वो क्या?
 

Rakesh1999

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फिर दोनों के बीच करीब आधे घंटे बात हुई। जय सब सुनने के बाद अचंभित था। फिर उसने कविता को फोन रखने को कहा। उसने अपनी सोई हुई माँ को देखा, तभी ममता ने अपनी चूतड़ को खुजलाते हुए, चूतड़ आधे नंगे कर दिए। ममता ने अंदर कुछ भी नहीं पहनी थी, पेटीकोट तो दूर कच्छी भी नहीं थी। उसकी गाँड़ एकदम चिकनी, गोरी, सुडौल थी। गाँड़ की दरार के बीच साँवलापन था। गाँड़ चौड़ी भी बहुत थी। जय ममता के गाँड़ के करीब पहुंचा और उसको छूना चाहता था, पर कुछ सोचकर रुक गया। उसने ममता के खूबसूरत चुत्तरों के पास अपनी नाक ले आयी, और उसको निहारते हुए सूंघने लगा। फिर ममता के गाँड़ की ओर सर रखके लेट गया। जैसे ही वो लेटा उसको ममता की जांघों में फंसी अधनंगी बुर दिखने लगी। उसकी बुर हल्के झाँठ थे। बुर चुदने की वजह से उसकी पत्तियां, बाहर झांक रही थी। जय ये जानते हुए की ममता उसकी माँ है, और जग सकती है, ये की जगने के बाद ममता क्या करेगी, अपनी जन्मद्वार को छुआ। उसे ऐसा लगा कि वो जैसे स्वर्ग की चौखट को छू रहा है। इतना कोमल, इतनी सुंदर और इतना कामुक दृश्य वो शायद पहली बार देख रहा था और महसूस कर रहा था। उसने ममता की ओर देखा, वो अभी भी सो रही थी। उसने ममता के बुर को फैलाया, और एक चुम्मा ले लिया। उसकी बुर की मादक गंध उसको कब मदमस्त कर गयी, पता ही नही चला। वो उसकी बुर को चूसना शुरू कर दिया। ममता की बुर धीरे से गीली होने लगी। वो इस एहसास को सोच रही थी, की वो सपने में है और जय उसकी बुर चूस रहा है। सपने में किसका बस होता है, सपने में तो कुछ भी हो जाता है। उसके बुर में इस वक़्त उस मधुर कामुक सपने की वजह से ही पानी निकल रहा था। सपने में वो मंदिर के प्रांगण में नंगी लेटी थी, और जय उसकी बुर को चूसे जा रहा था। चारों तरफ वो कामुक नंगी प्रतिमाएं, सजीव होकर काम क्रीड़ा का आनंद ले रही थी। ममता का ये सपना बहुत मीठा था। जब जय उसके स्वप्न में अपना लौड़ा उसकी बुर में डालने वाला था, की तभी उसे कुछ अजीब एहसास हुआ और उसकी नींद खुल गयी। उसकी आंखें खुली तो, जय सच में उसके बुर में लण्ड घुसाने का प्रयास कर रहा था। ममता की आँखें खुली की खुली रह गयी। उसका बेटा सच में वो सब कर रहा था।

ममता और जय के बीच क्या सच में कुछ हो पायेगा? क्या ममता जय को माफ करेगी?
 

Rakesh1999

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जय के चेहरे पर कामुकता और वासना पूरी तरीके से चमक रहे थे। ममता ने फौरन अपनी अर्ध नग्न शरीर को नाइटी के मुड़े हुए हिस्से से ढका, और जय को आश्चर्य भरी नजरों से देखती रही। जय बिस्तर पर बॉक्सर से लण्ड निकालकर बैठा था। जय ममता के करीब पहुंचा और उसके चेहरे को अपने हाथों से पकड़ा और उसके होंठों को चूमने लगा। ममता को कुछ समझ नहीं आया कि वो क्या करे ? उसका अपना बेटा उसके होंठों को चूस रहा था। ममता सपने की वजह से अभी कामुक थी। उसे भी ये चुम्मा अच्छा लग रहा था। जय उसको चूमे जा रहा था, और फिर ममता ने भी उसको बाहों में भर लिया। दोनों खो गए थे, फिर जय ने ममता की नाइटी उतारनी चाही। ममता के कंधों से नाइटी उतर चुकी थी। तभी जय उसके गर्दन और गले को चूम रहा था। जय और ममता आगे निकलते जा रहे थे। तभी ममता की आंखे खुली और उसने देखा कि वो और किसीके साथ नहीं अपने बेटे के साथ ये सब कर रही थी। ममता उसे दूर करना चाही लेकिन जय उससे अलग नहीं होना चाहता था।
ममता- जय, छोड़ो हमको, ये गलत है। हमको जाने दो।
जय कुछ नहीं बोला, उसने ममता की आंखों में देखा, और उसके होंठों को फिर चूम लिया।
ममता ने उसको धक्का दिया, बिस्तर से उठी और खड़ी हो गयी। वो अचंभित, और डरी हुई थी। जय बिस्तर से उठा और ममता को बाहों में पकड़ लिया। वो ममता की नाइटी उतारने पर उतारू था। उसने ममता के बाल पकड़ लिए, और उसकी आँखों में देखकर कहा," तुम कितनी सुन्दर हो। तुम खुद की इच्छा को क्यों मार रही हो? हम जानते हैं कि तुम्हारे अंदर काम वासना भड़क रही है। तुम्हारी आँखे कह रही है, कि तुमको अपने बुर में लण्ड चाहिए। देखो ये लण्ड, माँ जिसे तुमने ही जना है।" उसने ममता का हाथ पकड़के अपने लण्ड पर रखा।
ममता उसके लण्ड को हाथ मे पकड़ी तो, उसे उसके लण्ड की लंबाई का अनुमान हुआ, वो अचंभित हुई कि एक 21 साल के लड़के का लण्ड इतना बड़ा और मोटा कैसे हो सकता है। ममता लण्ड पकड़े खड़ी थी। जय ममता की नाइटी को फिर उतारने लगा। पर ममता ने उसे झटका दे दिया। जय ने उसको बोला," तुमने हमको तो बहुत बार नंगा देखा होगा, आज अपने बेटे के सामने तुम एकदम नंगी हो जाओ।"
ममता अब तक उसका लण्ड पकड़के खड़ी थी। पर जब जय ने माँ और बेटे के रिश्ते का जिक्र किया, तो उसको समझ आया कि वो क्या कर रही थी। ममता जैसे नींद से जागते हुए, सब छोरकर ड्रेसिंग टेबल के पास भाग गई।
 

Rakesh1999

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जय को अब महसूस हुआ कि वो भावनाओं में बह गया था, और बड़ी जल्दी ही सबकुछ कर बैठा। पहले उसने अपना आठ इंच का लौड़े को बॉक्सर में वापिस घुसा दिया। फिर अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करते हुए, ममता की ओर बढ़ा। ममता बेड से बांये सात आठ कदम दूर ड्रेसिंग टेबल के पास खड़ी थी, जय की तरफ घूमी थी, पर फर्श की ओर देख रही थी। जैसे ही जय उसकी ओर बढ़ा वो दीवार की ओर मुंह करके खड़ी हो गयी। ममता के करीब पहुंचकर उसने उसके कंधे पर हाथ रखना चाहा, की तभी ममता बोली," ये क्या करने वाले थे हम और तुम ? तुमको कोई अंदाज़ा भी है कि हम दोनों कितना बड़ा पाप करने जा रहे थे? और हम भी बहक रहे थे। पूरी दुनिया में तुमको कोई और नहीं, अपनी माँ ही मिली थी क्या, ये सब कुछ करने के लिए? आज हम माँ बेटे के पवित्र रिश्ते को धूमिल करने जा रहे थे?
जय- माँ, जरा.... एक मिनट सुनो तो।
ममता की आंखों में आंसू थे, अपने आंसू पोछते हुए बोली," हम कितनी गिरी हुई औरत हैं जो अपने बेटे के साथ ही.... और तुमको भी ख्याल नहीं रहा।
जय ममता के कंधों पर हाथ रखता है, और कुछ बोलने ही वाला था, की ममता ने घूमकर उसको एक चाटा मारा। जय ने ममता के दोनों हाथ पकड़ लिए और अपने गालों पर तीन चार थप्पड़ और मारे और बोला," मारो और मारो हमको, हम तुम्हारे गुनहगार हैं। दुनिया की हर माँ अपने बेटे का हर गलती माफ कर सकती है, पर शायद ये कोई भी माँ बर्दाश्त नहीं करेगी कि उसका बेटा उसके साथ ही वो सब करे, जो बन्द कमरे में वो उसके पिता के साथ करती है। तुम ने बिल्कुल सही किया, हमको सज़ा मिलनी चाहिए। लेकिन तुम ये बताओ, कि तुम रो क्यों रही हो? तुम तो कोई गलती नहीं कि हो, जो किये हैं हम किये हैं। हमारी वजह से तुम बहकी हो। तुम तो अपनी ओर से बिल्कुल पवित्र हो, और तुमको अपवित्र करने की कोशिश हमने की है। हमारी नज़रों में तुम जैसी पावन स्त्री, संसार में कोई नहीं है।" उसने ममता को वहीं कुर्सी पर बैठा दिया, जो अपनी नज़रें झुकाये उसके हाथों को अपने कंधों से लगातार हटाने का प्रयास कर रही थी। पर फिर जय ने ममता को शांत होने को कहा, और उसके लिए पानी लेके आया। ममता ने वो पानी का गिलास झटका देकर गिरा दिया। जय के दूसरे हाथ मे जग था, उसने फिर से गिलास में पानी भरकर दिया। जय," माँ, पानी पियो, तुम शांत हो जाओ।
ममता ने उसकी ओर, देखा और लगभग पछताते हुए बोली," थोड़ा ज़हर डाल दो और फिर दो।"
जय- माँ, तुमको ज़हर देने से पहले हम, अपने को मार डालेंगे। तुम्हारी तकलीफ देखकर हमको ऐसा लग रहा है, जैसे कि हमने तुमको खो दिया है। हम तुमको खोना नहीं चाहते हैं।
ममता को ऐसा लगा कि जय को अफसोश है, इसलिए उसके हाथों से गिलास का पानी ले ली और घूँट मारकर बोली," चाहते क्या हो तुम?
जय- हम तुमसे कुछ पूछना चाहते हैं ?
 

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ममता की आंखों में अब आंसू नहीं थे, उसने सर झुकाये ही कहा, "हहम्मम्म"।
जय- क्या तुम हमको माफ करोगी?
ममता- हमको नहीं पता, हम अपने आप को भी शायद माफ नहीं कर पाए।जाओ तुम जाके सो जाओ। और दुबारा मत पूछना कुछ, चलो जाओ अब। फिलहाल हमको अकेले छोड़ दो।
जय ने उस वक़्त उसे कुछ नहीं कहा, बस जाकर सीधे सोफे पर सो गया। ममता उसके चेहरे पर अफसोस देख रही थी। पर ये वो अफसोस नहीं थी जो वो सोच रही थी, बल्कि जय को अपनी बेवकूफ़ी पर अफसोस हो रहा था। उसने सोचा, अपने ऊपर काबू रख नहीं पाए और पता नहीं आगे मौका मिलेगा की नहीं।
जय सो गया, ममता फिर भी जाग रही थी। वो अपने बेटे को देखी, उसके चेहरे को देखी कितना भोला लग रहा था वो, पर क्या वो सच में गलती कर रहा था। क्योंकि अगर वो गलती कर रहा था, तो ममता जो सपने में जय के साथ कर रही थी, वो तो पाप था। पर वो सपने में कितना हसीन लग रहा था। उसमें तो उसे भी बहुत मज़ा आ रहा था। उसने अपने बेटे को तो भला बुरा कहा पर जो उसने बाथरूम में उसकी अंडरवियर के साथ मूठ मारी थी, वो तो और भी गलत था। वो खुद भी अपने बेटे के गठीले बदन को देखकर, उसपर मोहित हो चुकी थी। उसके बॉक्सर का तंबू जब बनता है तो, कितना बड़ा होता है। और आज जब उसका काला लण्ड देखी, तो कितना बड़ा था। ममता के दिमाग में उसका लण्ड बार बार आ रहा था। वो खुद भी उतनी ही गुनहगार है, जितना कि जय। लेकिन हम उसकी माँ हैं, ये कैसे हो सकता है कि एक माँ अपने बेटे के बारे में ऐसा सोचे? वो हमसे ही पैदा हुआ है, हमारे जिगड़ का टुकड़ा है, और हम उसके बारे में इतना गंदा कैसे सोच सकते हैं। उसके अंदर का शैतानी दिमाग बोला कि ममता तुम कबसे अच्छा बुरा सोच रही हो, तुम वही औरत हो जो अपनी बहन के पति और देवर के साथ चुदवाती हो? अपने अंदर की औरत को क्यों मार रही हो? तुमने इतने सालों में खाली साल में एक बार गाँव जाकर चुदवाती हो तुम चाहती तो आज तुम्हारे लिए एक मर्द का इंतज़ाम हो गया था। और उसकी आँखों में देखा नहीं तुमने कि कितना चाहता है वो तुमको। तभी ममता जैसे खुद से बोल परी, अरे नहीं हम ये कैसे कर सकते हैं, हमारा बेटा है वो और हम अपने बेटे के साथ कैसे चुदवा सकते हैं? हम इतना गिर नहीं सकते और किसीको पता चल जाएगा तो हम कहीं के नहीं रहेंगे। उसे अपने सीने का दूध पिलाये हैं हम। फिर उसके अंदर से आवाज़ आयी," तो अब उसे अपने बुर का नमकीन पानी पिलाओ। तेरा बेटा है, तो उसके साथ सपने में जो कर रही थी, वो क्या था? मत भूलो की सपने में जो तुम उसके साथ कर रही थी, वो वासना सच मे अंदर कहीं दबी पड़ी है। सपने हमारे दिमाग की वो उपज है जो हम सोचते तो हैं, पर डर से किसीको बोलते नहीं है। तुम्हारे अंदर वही डर है। उस डर को बाहर निकालो ममता। उसको देखके तो तेरा मन भी जय पर आ चुका है। उसके बदन को कितने घूर घूर कर देख रही थी, और उसके लण्ड को भी देखके तुम्हारा मन ललचाया था। अपने अंदर की प्यास को मत मारो, बहने दो खुदको स्वच्छंद नदी की तरह। और तुमको समाज का डर कब सताने लगा, खुद इतने सालों से शशिकांत से चुदवा रही हो, अगर सिर्फ बच्चे चाहिए थे तो, बच्चे होने के बाद क्यों चुदवा रही हो उसके साथ। क्योंकि तुमको लण्ड चाहिए, एक औरत को हमेशा एक मर्द की जरूरत है, और वो तुम्हारे जीवन में तीसरी बार आया है। तुम कितनी खुशनसीब हो कि, जिंदगी ने तुम्हारे लिए इतने मौके दिए, बहुतों को तो ये मिलता भी नहीं। वो इसकी तलाश में घर के बाहर मुंह मारती हैं, और उनकी बदनामी जरूर होती है। पर ज़रा सोचो अगर जय से रिश्ता कायम हो गया, तो तुम्हें घर के बाहर तो नहीं जाना पड़ेगा। तुमको घर की चार दीवारी के अंदर सब कुछ मिल जाएगा। अच्छा जय को इतना बुरा भला क्यों बोली तुम, जानती हो तुम वो कितना ग्लानि महसूस कर रहा होगा। ममता बड़बड़ाई," तो क्या उससे चुदवा लेती, माँ हूँ उसकी इतना तो हमको बोलना ही था।"
 

Rakesh1999

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हहम्मम्म, ठीक है पर, अब तुम उसको मत सताओ। वो बेचारा पता नही क्या करेगा। कहीं ग्लानि से भरकर आत्महत्या ना कर ले।
ममता," नहीं, हम ऐसा नहीं होने देंगे।
" तो ठीक है, उसका खयाल रखो, उसको अपनाओ वही तुम्हारी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी सच्चाई है....सच्चाई है....सच्चाई है।" आवाज़ उसके कानों में गूंजते हुए बन्द हो गयी।
क्या ये सब बातें सच हो सकती हैं, क्या एक माँ अपने बेटे के साथ यौन संबंध बना सकती है? क्यों नहीं ! कुदरत ने तो हम दोनों को औरत और मर्द बनाया था, समाज ने ही माँ बेटे का बंधन लगाया। ये सच्चाई है कि हमारे मन मे भी उसके प्रति कुछ तो है? और उसने तो साबित कर दिया आज ये करके की उसके मन में भी हमारे लिए प्यार है, नहीं तो वो हमारे साथ जबरदस्ती कर सकता था? उसकी आँखों में प्यार था और जब हम उसको झिरक दिए तो पश्चाताप भी था। वो भी हमको प्यार करता है ? क्या ये सच में गुनाह है ? ये सब सोचते हुए उसे कब नींद आ गयी, उसे पता ही नहीं चला।
सुबह जब अलार्म बजी तब जय की नींद खुली, उसने घड़ी देखी पांच बजे रहे थे। उसने आंखे मलते हुए ममता को देखा, वो भी उसी कुर्सी पर सो रही थी। कुर्सी पर बैठे बैठे झुक रही थी। जय बाथरूम गया और फ्रेश होने लगा। जब जय अंदर गया तो आवाज़ से ममता की नींद खुली।
जय थोड़ी देर में बाहर आया, वो बस टॉवल लपेटे थे। उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि ममता की ओर देखे। ममता ने उसे, देखा पर कुछ कहा नहीं। बस तौलिया लेकर, अंदर घुस गई। जय इधर तैयार हो चुका था। और अपनी माँ का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था। ममता अंदर गयी पर उसने कोई कपड़े नहीं लिए थे। उसने अपनी नाइटी धो दी थी और नहाने के बाद उसके पास पहनने को कपड़े नहीं थे। अब वो क्या करती, उसने आखिर जय को आवाज़ लगाई।
ममता- जय....जय......सुनो हम कपड़ा लाना भूल गए हैं। ज़रा हमारा साया (पेटीकोट) देना।
जय- हाँ, ठीक है।
जय ने ममता का बैग खोला तो उसके सामने ममता की ब्रा और पैंटीयां फर्श पर गिर गयी। ममता की एक मैरून रंग की कच्छी बहुत मस्त लग रही थी। वो पूरी जालीदार थी, और ममता के साइज से काफी छोटी लग रही थी। उसमें ममता के एक तिहाई से भी कम चूतड़ ढकने की क्षमता थी। जय उसकी सारी ब्रा और कच्छीयाँ निहार रहा था।


तभी ममता की आवाज़ गूँजी- जय, जल्दी दे दो। लेट हो रहा है ना।
जय जैसे घबराके बोला- लाया, एक मिनट। और उन कच्छीयों को वापिस रखके, उसके लिए उसका गुलाबी साया लेकर बाथरूम के दरवाज़े पर गया। ममता ने बाथरूम का दरवाज़ा खोला, और हाथ बढाके उसके हाथ से साया ले लिया।
कुछ ही देर में ममता साया को अपने चुच्चियों पर टिका कर बाहर निकली। साया उसकी जांघों के ऊपरी हिस्से पर खत्म हो रहा था। लगभग उसकी पूरी जांघ नंगी थी। जाँघे बिल्कुल चिकनी, गोरी चमचमाती हुई बेहद सुंदर लग रही थी। गदरायी हुई पीठ पूरी तरह नंगी थी, क्योंकि ममता के बाल आगे की तरफ लटके हुए थे। ममता चल के आयी तो उसकी गाँड़ उसकी चाल के साथ थिरक रही थी। जय तिरछी नज़रों से सब देख रहा था। ममता ने उसकी तरफ देखा, तो वो दूसरी तरफ देखने लगा, ममता ने कुछ नहीं कहा।
ममता तैयार होने लगी, उसने जय के सामने ही ब्रा पैंटी और साड़ी पहनी। जय पूरे समय उसको देखता रहा।
थोड़ी देर में दोनों बाहर निकले और सीधा जाकर टूरिस्ट बस में बैठ गए। उसमें करीब तीस लोग थे। जय और ममता साथ बैठे थे। ममता खिड़की के तरफ बैठी थी। उसने आज अपने बाल खुले रखे थे। वो दोनों शांत बैठे थे। तभी बस चल पड़ी। करीब आधे घंटे बाद वो एक ढाबे पर नास्ते के लिए रुके।
जय ने आखिर इस चुप्पी को तोड़ा, और बोला," क्या खाओगी तुम माँ?
ममता," कुछ भी मंगा लो।
जय- यहां बस सिर्फ आधे घंटे रुकेगी, इसलिए जो खाना हो खा लो? इसके बाद सीधे 2 बजे खाना मिलेगा।
ममता ने फिर कहा," पूरी सब्जी खाएंगे।
 

Rakesh1999

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जय और ममता ने वही खाया। माहौल अभी भी गंभीर बना हुआ था। दोनों खाना खाके वापिस बस पर चढ़ गए। बस फिर चल दी। कुछ दूर चलने के बाद ममता ने जय की ओर देखा, उसका चेहरा बहुत उदास था, ममता को उसके चेहरे पर मायूसी और पश्चाताप उभरता महसूस हो रहा था। ममता से ये देखा नहीं गया, आखिर वो उसकी माँ थी। ममता ने उसके चेहरे को अपनी ओर घुमाया, और बोली," हम कल कुछ ज़्यादा, भला बुरा बोल दिए तुमको, तुम उदास अच्छे नहीं लगते हो, जय। तुम तो बहुत चंचल हो वैसे ही रहो।
जय- माँ इसका मतलब तुम हमको माफ कर दी।
ममता मुस्कुराके," हहम्मम्म ।
जय," माँ, तुम कितनी अच्छी हो।
ममता- माँ हूँ ना, अपने बेटे को इतना उदास कैसे देख सकती हूँ। और जो कल रात हुआ उसमें हम भी तो जिम्मेदार हैं।
जय- हमारा मन हल्का हो गया।


ममता ने अपने अक़्स की बात मानते हुए, जय को अपनी ओर से ग्रीन सिग्नल देना चाहती थी। ममता ने उससे कहा," अब तुम काफी बड़े हो गए हो। हमको तो अब कविता के साथ साथ तुम्हारी शादी के बारे में सोचना होगा।"
जय- हमको शादी नहीं करनी है माँ अभी।
ममता - क्यों नहीं ? तुम इतने जवान हो गए हो और अब तो पैसेवाले भी हो गए हो। IAS आज नहीं तो कल निकाल ही लोगे।तुम्हारे लिए तो अच्छी लड़कियां मिलेंगीं। क्या तुमको किसी और से प्यार है?
जय ने उसकी ओर देखा- हमको बात नहीं करना इस बारे में।
ममता- क्यों नहीं करना है? हमसे कैसी शर्म जय बेटा।" ममता की आवाज़ में एक दृढ़ता थी, जो जय को हिम्मत देने के लिए काफी थी।
जय ने ममता की ओर देखा," जिस लड़की को हम चाहते हैं, उसके मन की बात हम समझ नहीं पा रहे हैं।"
ममता बिल्कुल भोली बनते हुए," अच्छा तुमको कोई पसंद है। आजकल तो लड़के अपनी मर्ज़ी से शादी कर लेते हैं। गांव में होते तो जात, बिरादरी, सबका ध्यान रखना पड़ता है। तुमको लेकिन पूरी आजादी है अपनी दुल्हन चुनने के लिए। कैसी दिखती है वो?
जय- बहुत सुंदर, बिल्कुल तुम जैसी। तुम जैसी ही कद काठी है।" जय भी उसके साथ फ़्लर्ट करना शुरू कर दिया, पर इस बार उसने सोचा कि इस खेल को थोड़ा लंबा चलाएंगे। ताकि ममता को उसे मना करने की कोई वजह ना मिले।
ममता- तेरे कॉलेज में पढ़ती होगी जरूर। वो भी तुमको चाहती होगी, हमको पूरा भरोशा है।" ममता ने अपनी तरफ से ग्रीन सिग्नल देना शुरू किया, दोनों जानते थे, कि यहाँ किसी और कि नहीं ममता की ही बात हो रही है।
जय- पता नहीं, हमको लगता है, कि उसको हम पसंद नहीं है। वो हमको अपनाना नहीं चाहती है शायद।
ममता - तुम को कैसे पता, हो सकता है कि उसकी मजबूरी हो। क्या तुमने उसकी मजबूरी की वजह पूछी है। क्या पता बेचारी किस उधेड़ बुन में हो?
तुम मर्द लोग ऐसे ही होते हो, औरत के लिए ये सब कितना मुश्किल होता है तुमको क्या पता? समाज और परिवार दोनों का डर सताता है।
जय- हो सकता है कि उसका किसी और के साथ चक्कड़ हो?
ममता हड़बड़ाते हुए," क्या....... फिर संभालते हुए बोली,"हो सकता है, पर तुमको उसे अपनाना होगा अगर तुम उसको चाहते हो।

तभी बस एकाएक एक किले पर जाके रुकी। जय और ममता साथ उतरकर घूमने लगे।
 

Rakesh1999

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घूमते घूमते दोनों किले के पिछले हिस्से में पहुंच गए, जहां एक जोड़ा किले से बाहर पेड़ों के करीब एक दूसरे को किस कर रहे थे। जय ने उनको देखा और फिर ममता की नज़र भी उनपर गयी। दोनों दुनिया से बेखबर किस कर रहे थे। थोड़ी ही देर में उस औरत ने अपनी साड़ी उठा ली और लड़के ने अपना लण्ड उसके बुर में घुसा दिया। ममता और जय दोनों देख रहे थे। तभी उन दोनों के हाथ कब मिल गए पता ही नही चला। जय ने ममता को अपनी ओर खींच लिया। ममता और जय दोनों एक दूसरे को देख रहे थे, कि गाइड का शोर उन दोनों के कानों से टकराया। जय उधर देखा और ममता हंसते हुए चली गयी।


इस तरह वो लोग दिनभर घूमते रहे और अंत मे एक वॉटरफॉल पर गए। वहां सब लोग घूम रहे थे और कुछ लोग नहा भी रहे थे। जय और ममता घूम रहे थे, तभी ममता बोली," जय हमको पेशाब लगा है, और यहां कैसे.....
जय- अरे तुम आओ चलो हम देखते हैं। थोड़ी दूर पर झाड़ियां थी। जय ने बोला," हम यहां खड़े हैं, तुम जाके कर लो।"
ममता- कोई आ गया तो।
जय - लेट मत करो जाओ जल्दी करके आओ।
ममता डरते हुए गयी और अपनी साड़ी साया के साथ उठा ली। फिर अपनी कच्छी को उतारने लगी। उसकी कच्छी उतरते ही उसकी नंगी गाँड़ पर खूबसूरत चूतड़ साफ दिखने लगे। ममता की गाँड़ एक दम चिकनी थी। भारी भारी नितम्भ जो इस उम्र की औरतों की पहचान होती है, ममता उन्हें दिन दहाड़े नंगी कर दी थी। ममता चाहती थी कि जय उसके गाँड़ को पूरा देखे।
फिर वो सु सु करने बैठ गयी, और सीटी की आवाज़ के साथ मूतने लगी। वो ऐसे बैठ कर करीब 3 मिनट तक मूती। जब वो अपनी कच्छी ऊपर की और मुड़ी तो जय उसे एक टक देख रहा था।
जय और ममता की नज़रे टकराई, पर ना तो जय ने और नाहीं ममता ने नज़रे हटाई। ममता अपनी साड़ी ठीक की। फिर जय के पास आकर उसका हाथ पकड़ लिया, और उसके साथ किसी प्रेमिका की तरह चलने लगी।
जय और ममता वॉटरफॉल के पास आये तो, ममता ने एक फोटोग्राफर को तस्वीर खींचने को बोला। ममता और जय ने एक दूसरे से चिपककर फोटो खिंचवाए। ममता जय के बांयी ओर खड़ी थी, जय ने उसे अपनी ओर चिपका लिया था। एक तस्वीर में जय ममता के गालों पर किस कर रहा था। घूमते फिरते अंत मे शहर में शॉपिंग करने पहुंचे। वहां जय ने ममता के लिए झुमके लिए।
इस तरह उनका दिन खत्म हुआ। और वो अपने कमरे में आ गए। दोनों थके थे तो खाना रूम में ही मंगवा लिया। ममता फ्रेश होकर आयी, उसने सिर्फ नाइटी पहनी थी। उधर जय सिर्फ बॉक्सर में था। फिर ममता जय के पास आकर बैठ गयी। और दोनों टेबल पर बैठके खाना खाने लगे।
खाना खाने के बाद जय ने सोफे पर सोना चाहा, तो ममता बोली," यहां बिस्तर पर सोओ ना।
जय उसकी ओर देखा," ठीक है।
दोनों माँ बेटे बिस्तर पर सो गए। अभी लेटे ही हुए थे कि ममता ने जय से पूछा," जय तुमको कैसे पता कि वो लड़की किसी और के साथ है।
जय- माँ, ऐसी बातें छुपती थोड़े ही है। पता चल ही जाता है।
ममता- अगर वो लड़की तुम्हारे पास आ जाये तो, क्या तुम उसको अपना लोगे?
जय- उसे तो हम कभी भी अपना सकते हैं।
ममता- ये जानते हुए की वो किसी और के साथ थी।
जय- ये तो आजकल आम बात है, हर लड़का लड़की को एक साथी की जरूरत होती है।
ममता ने आगे कुछ नहीं पूछा और मुस्कुराई।
ममता- ठीक है, सो जाते हैं कल जाना भी है हमको।
जय- हां, ठीक है।
 
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