अगले दिन खाते समय जय ने ममता से कहा," माँ, क्यों ना कहीं घूमने चलें। हमारी परीक्षाएं भी खत्म हो गयी हैं और दिल्ली में रहकर हम काफी बोर हो रहे हैं।" ममता उस वक़्त पूजा कर रही थी और घर में धूप दिखा रही थी। वो एक कॉटन की पीली साड़ी में थी और भीगे बाल खुले हुए थे। उसकी पेट आगे से साफ नंगी थी और ढोड़ी झलक रही थी।
कविता निवाला खाते हुए," ये अच्छा आईडिया है। मूड भी फ्रेश हो जाएगा, परीक्षा से थकान भी मिट जाएगी।
ममता," ठीक है, सब साथ जाएंगे, जहां भी जाएंगे। लेकिन जाएंगे कहाँ?
जय- खजुराहो। जय का ये बोलना था कि कविता सरक उठी क्योंकि वो जानती थी कि खजुराहो क्यों प्रसिद्ध है और खांसने लगी। ममता ने उसे पानी का गिलास दिया," आराम से खाओ कविता।"
ममता- अच्छा खजुराहो में क्या क्या है घूमने लायक ?
जय- माँ वहाँ भव्य मंदिर हैं और पर्यटन स्थल भी है। वो विश्व धरोहरों में से एक है।
ममता मंदिरों के बारे में सुनकर उत्साहित हो गयी और बोली, अच्छा है, फिर तो चलना चाहिए। अगले सप्ताह चलते हैं। आज तुम टिकट करा लो, तीनों की।
कविता- हम नहीं आ पाएंगे, क्योंकि हम पहले ही एक हफ्ता छुट्टी ले चुके हैं और बहुत काम बाकी है। आप दोनों जाइये।
जय- कविता दीदी तुम भी चलो ना और मज़ा आएगा। छुट्टी ले लो ना, मिलेगी नहीं क्या?
कविता- बोले ना कि बहुत काम बाकी है, और आरिफ सर अगले हफ़्ते हमको बहुत बिजी रखने वाले हैं, क्योंकि रिटर्न फ़ाइल होने शुरू हो गए हैं, और काम हद से ज्यादा है।
ममता- फिर ठीक है, बाद में जाएंगे। जब तुम खाली रहोगी तब।
कविता- अरे नहीं माँजई, जय और आप दोनों चले जाइये। अभी जय की परीक्षा खत्म हुई है, अच्छा रहेगा।
ममता- फिर ठीक है, जय हम और तुम चलेंगे।
फिर सब खाना खाके, उठ गए और ममता अपने रूम में चली गयी। जय ने कविता को कमर से पकड़ लिया और गुस्से में बोला," तुम साथ क्यों नहीं चल रही हो? तुम नही रहोगी तो मज़ा नहीं आएगा?
उसपर कविता उसके माथे पर हाथ से हल्का धक्का मारके बोली," अरे बुद्धूराम ले जाओ ना माँ को अकेले तब ना तुमको उसको पटाने का मौका मिलेगा। अकेले तुम दोनों रहोगे तभी कुछ होगा ना। UPSC कैसे करेगा रे तुम। औरत को कैसे पटाते हैं पता नहीं क्या? जब तुम माँ को वापिस लेके आना, तो ममता हमारी माँ और सासू माँ से सौतन बन जानी चाहिए।
जय उसको देखके हसने लगा।
जय ने टिकट्स बुक कर लिए ममता और उसका। और फिर वो दिन आ गया जब ममता और जय खजुराहो के लिए निकल पड़े। उनकी टिकट ऐसी थर्ड में आर ए सी में थी। उनको अगले दिन शाम तक पहुंचना था। दिन तो माँ बेटे ने काट लिया, फिर वो समय आया जिसका जय को इंतज़ार था, जब वो अपनी सपनों की रानी अपनी माँ ममता के साथ चिपक के सोएगा। ममता और जय खाना खाने के बाद एक दूसरे की ओर पैर करके सो गए। ममता तो तुरंत सो गई पर जय को नींद कहाँ आ रही थी। रात के करीब 11 बज चुके थे। और पूरे बोगी की रोशनी बंद थी।