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Incest खाला और अम्मी की चुदा‌ई (Completed)

shakirali

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कुछ ही देर में दोनों मिलकर एक ताल में उछलते हुए चुदाई कर रहे थे। खाला ने नज़ीर के कंधे पकड़े हुए थे और उसने खाला के चूतड़ों को जकड़ा हुआ था। करामत अपने लंड को सहलाते हुए उन्हें देख रहा था कि कब वो खाला की गाँड में अ[पना लंड घुसेड़े। फिर वो खाला के चूतड़ों के पीछे झुक गया। खाला को जब अपने पीछे करामत की मौजूदगी का एहसास हुआ तो वो नज़ीर की छाती पर पूरी तरह झुक कर करामत का लंड अपनी गाँड में लेने के लिये तैयार हो गयीं। फिर खुद ही अपने हाथ पीछे लेकर उन्होंने अपने चूतड़ फैला कर अपनी गाँड का सुराख नमूद कर दिया। मैंने देखा कि खाला के गोरे-गोरे चूतड़ों के बीच उनकी गाँड के सुराख के चारों तरफ गहरी सी कटोरी बनी हुई थी जोकि नज़ीर के मुताबिक सालों तक खूब गाँड मरवाने से बनती है। करामत ने झुक कर अपने अज़ीम लंड का टोपा खाला की गाँड में घुसाया तो खाला फिर मस्ती में कराहते हुए बोली – “ओहह अल्लाह! चोद दे मेरी गाँड! ओह हाँ... चोद... कितना शदीद लौड़ा है तेरा! घुसेड़ दे अंदर!” करामत ने ज़ोर लगाना शुरू कर दिया। लंड के आगे वाला कुछ हिस्सा तो आसानी से खाला की गाँड में दाखिल हो गया और फिर करामत को बाकी का लंड घुसेड़ने के लिये थोड़ा ज़ोर लगाना पड़ा। खाला भी बेकरार होकर उन दोनों के बीच में अपने चूतड़ घुमा-घुमा कर उछलने लगीं और नज़ीर के लंड पर अपनी चूत के घस्से मारते हुए करामत के लंड पर भी अपनी फैली हुई गाँड के घस्से मारने लगीं।

अपना लंड जड़ तक खाला की गाँड में घुसेड़ने के बाद करामत कुछ सेकेंड रुका और फिर ज़ोर-ज़ोर से अपना लंड उनकी गाँड में अंदर बाहर पेलने लगा। “मेरी चूत चोदो! मारो मेरी गाँड! आआआह्हहह... मारो... चोदो...!” – अम्बरीन खाला ज़ोर से चिल्लाते हुए बोलीं। दोनों अज़ीम लौड़े ज्यादा से ज्यादा अपनी चूत और गाँड में लेने की बेकरारी में वो खुद भी ज़ोर-ज़ोर से अपने चूतड़ आगे-पीछे और ऊपर नीचे चला रही थीं। कुछ ही देर में अम्बरीन खाला का जिस्म ऐंठ कर ज़ोर-ज़ोर से थरथराने लगा औ वो ज़ोर से चिल्लायीं – “ऊँऊँहहह! चोदो... चोदो मेरी फुद्दी... मेरी गाँड... मेरा निकला... आआआआईईई!” ये कहते हुए उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया। तकरीबन एक मिनट तक उनका जिस्म ऐंठ कर इसी तरह थरथराता रहा और उनकी आँखें पलट सी गयीं। फिर वो नज़ीर की छाती पर सिर रख कर हाँफने लगीं और आहिस्ता से बोलीं – “अब अपनी जगह बदल लो... नज़ीर तुम गाँड में और करामत मेरी चूत में!”

थोड़ी देर में करामत बेड पर खाला के नीचे लेट कर उनकी चूत में अपना लंड पेल रहा था और नज़ीर पीछे से खाला के चूतड़ों पर झुका हुआ उनकी गाँड अपने लौड़े से मार रहा था। अम्बरीन खाला पुरजोश होकर फिर से ज़ोर-ज़ोर से कराहते हुए और मस्ती में अनापशनाप बोलते हुए अपनी गाँड और चूत में एक साथ दो-दो अज़ीम लौड़ों के घस्सों का मज़ा ले रही थीं। जल्दी ही खाला अमबरीन का जिस्म एक दफ़ा फिर ऐंठ कर थरथराने लगा और वो खल्लास हो गयीं। उसी वक्त करामत के लंड ने भी उनकी चूत में अपनी मनी छोड़ दी। नज़ीर ने ज़ोर-ज़ोर से खाला की गाँड में घस्से मारना ज़ारी रखा और फिर उसने भी खाला की गाँड में अपनी मनि भर दी।
 

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मैंने देखा कि अम्मी तो इतनी देर में शायद नशे और थकान से चूर होकर सो गयीं थीं। सोते हुए भी उनके चेहरे पर तस्कीन नुमाया नज़र आ रही थी। नज़ीर और करामत ने अपने लंड अम्बरीन खाला की गाँड और चूत में से निकालने के बाद बारी-बारी बाथरूम गये। अम्बरीन खाला ने मुझे इशारे से रुपये लाने को कहा तो मैंने दूसरे कमरे से पचास-हज़ार रुपये लाकर नज़ीर को दे दिये। अम्बरीन खाला ने उससे कहा कि अब वो फिल्म हमारे हवाले कर दे तो उसने कहा कि – “मेरे साथ चलो।“ अम्बरीन खाला तो नशे और थकान में कहीं जाने की हालत में थी नहीं तो उन्होंने मुझे नज़ीर के साथ अकेले जाने को कहा। मैं नज़ीर और करामत के साथ रिक्शा में हज़ुरी बाग़ गया जहाँ पर नज़ीर ने डी-वी-डी मुझे दी और कहा कि – “ये लो मज़े कर!” मैंने पूछा कि इसकी क्या गारंटी है कि उसने फिल्म कि और कॉपियाँ नहीं बनायीं। वो बोला कि वो मुल्क से बाहर जा रहा है और उसे अब इस फिल्म कि ज़रूरत नहीं है।

करीब एक घंटे बाद जब मैं घर पहुँचा तो अम्मी और अम्बरीन खाला दोनों बेडरूम में उसी नंगी हालत में बेखबर सो रही थीं। मैं भी अपने कमरे में आ गया। मेरे ज़हन में अम्मी और अम्बरीन खाला की चुदाई की फिल्म मुसलसल चल रही थी। नज़ीर और करामत कैसे खौफ़नाक तरीके से अम्मी और अम्बरीन खाला को चोद रहे थे और वो दोनों बहनें भी कितनी बेशरम और बिंदास होकर मज़े लेते हुए चुदवा रही थीं। अम्मी और अम्बरीन खाला ने शराब नशे की हालत में अपनी हरामकारी के कितने ही राज़ भी फ़ाश कर दिये थे। अब मुझे यकीन हो गया था कि अम्बरीन खाला को चुदाई के लिये मनाना मुश्किल नहीं होगा।

कुछ देर बाद अम्मी के बेडरूम की तरफ से कुछ आवाज़ें आयी तो मैंने वहाँ जाकर देखा कि अम्मी और अम्बरीन खाला जाग गयी थीं। अम्मी अपने कपड़े पहन चुकी थीं और खाला उस वक़्त बाथरूम में थीं। फिर खाला कपड़े पहन कर तैयार होके बाथरूम से बाहर अयीं। दोनों की आँखें थोड़ी लाल थीं लेकिन अम्मी और अम्बरीन खाला दोनों ही बिल्कुल नॉर्मल और हशाश-बशाश नज़र आ रही थीं। हमने नज़ीर की दी हुई डी-वी-डी को डी-वी-डी प्लयेर में लगा कर चेक किया और फिर उसे तोड़ कर उसके कईं टुकड़े कर दिये तकि वो दोबारा कभी इस्तेमाल ना हो सके। एक बहुत बड़ा बोझ हमारे सर से उतर गया था। मेरी छठी हिस कह रही थी कि नज़ीर अब हमारी ज़िंदगी से हमेशा के लिये निकल चुका है। अगर वो मुल्क से बाहर ना भी जाता तो बार-बार यहाँ आ कर अपने आप को खतरे में नहीं डाल सकता था।
 

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फिर अम्मी बोलीं कि – “अब हमें परेशान होने की ज़रूरत नहीं है! हमने जो किया खानदान को एक बहुत बड़ी मुश्किल से निकालने के लिये किया!” अम्बरीन खाला बोलीं कि – “वो तो ठीक है मगर मेरी और तुम्हारी इज़्ज़त भी तो लुट गयी इस सारे-मामले में!” अम्बरीन खाला को अपनी इज़्ज़त का राग अलापने का बहुत शौक था। मैं कसम खा सकता था कि अगर उन्हें दोबारा मौका मिलता और उन पर को‌ई इल्ज़ाम ना आता तो वो ज़रूर नज़ीर और करामत से चूत और गाँड मरवाने के लिये फौरन नंगी हो जाती। अम्मी और अम्बरीन खाला को शायाद एहसास नहीं था कि शराब और हवस के नशे में वो अपनी ज़िनाकारी और शहवत-परस्ती मेरे सामने कबूल कर चुकी हैं। मैंने कहा कि – “ऐसा बिल्कुल नहीं हु‌आ क्योंकि किसी को कुछ पता नहीं है। हमें ऐसी बात सोचनी भी नहीं चाहिये!” फिर अम्बरीन खाला ने अपने ड्रा‌इवर को फोन करके कार लाने को कहा और थोड़ी देर में वो अपने घर चली गयीं।

फिर मैं इम्तिहान के तैयारी में मसरूफ़ हो गया लेकिन अम्मी को रोज़ाना एक बार तो चोदता ही था और राशिद भी हर दूसरे दिन मेरी गैर-हाज़िरी में आकर अम्मी को चोद जाता था। दो-तिन दिन के बाद चुदाई के दौरान मैंने अम्मी से कहा कि – “मैं भी अम्बरीन खाला को चोदना चाहता हूँ।“ अम्मी बोलीं – “मुझे को‌ई एतराज़ नहीं है अगर तुम अम्बरीन को चोदो लेकिन अम्बरीन क्यों इसके लि‌ए रज़ामंद होगी?” मैंने कहा कि – “मुझे यकीन है कि वो मुझे अपनी चूत देने के लिये राज़ी हो जायेंगी। जरूरत पड़ी तो मैं उन्हें बता दुँगा कि राशिद ने आपके साथ क्या किया है।” अम्मी बोलीं – “हो सकता है कि वो नाराज़ हो कर राशिद को ही घर से निकाल दें या अपने शौहर से उसकी शिकायत कर दे।” मैंने कहा – “अम्मी आप फिक्र ना करें... मैं ऐसी को‌ई नौबत नहीं आने दुँगा!” अम्मी बोलीं – “ठीक है, मुझे को‌ई ऐतराज़ नहीं है। लेकिन पहले अपने इम्तिहान पर ध्यान दो। इम्तिहान खतम के बाद तुम कोशिश कर के देखो। अगर अम्बरीन मान गयी तो वो बार-बार तुम्हें अपनी चूत देना चाहेगी।”

यह सुन कर तो फख्र से मेरा सीना तन गया, और सीना ही नहीं मेरा हथियार भी। जब उन्होंने अपनी रानों पर उसका तनाव महसूस किया तो हमारा खेल फिर शुरू हो गया और काफी लंबा चला। उनकी चूत का लुत्फ़ लेते हु‌ए मैं अम्बरीन खाला की चूत के बारे में ही सोचता रहा।
 

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इम्तिहान खतम होने के अगले दिन मैं खाला के घर गया। नज़ीर और करामत वाले वाक़िये के बाद मैं पहली बार उनसे रूबरू हु‌आ था। अम्बरीन खाला बिल्कुल नॉर्मल तरीके से पेश आयीं और मेरी खैरियत वगैरह पूछी और पीने के लिये जूस दिया। फिर उन्होंने मुझे शुक्रिया कहा कि उस दिन नज़ीर और करामत वाले वाक़िये में मैंने काफी समझदारी से सब कुछ संभाला और मैं ध्यान रखूँ कि किसी को भी पता ना चले तो उनकी और मेरी अम्मी की इज्ज़त महफूज़ रहेगी। अब भी वो अपनी इज़्ज़त का राग़ अलाप रही थीं लेकिन मैंने उन्हें यकीन दिलाते हु‌ए कहा – “आप मेरी तरफ से बेफिक्र रहें। मैं आपकी इज्ज़त पर कभी आंच नहीं आने दुँगा।”

फिर खाला बोलीं – “वैसे काफी अर्से से आये नहीं तुम... खाला अच्छी नहीं लगती क्या अब?” मैं थोड़ा शर्मिंदा होते हु‌ए कहा कि – “नहीं खाला ऐसी बात नहीं है... वो बस इम्तिहान की मसरूफियत की वजह से नहीं आ सका!”

फिर वो तंज़िया अंदाज़ में मुस्कुराते हु‌ए बोली – “पींडी में अपनी उस रात की हर्कत की वजह से तो नहीं डर गये थे?” मैं कुछ नहीं बोला और अपनी नज़रें झुका लीं तो वो बोली – “इसमें शर्माने की ज़रूरत नहीं... तुम्हें क्या लगता है कि उस दिन जो तुम मेरे साथ कर रहे थे वो क्या मेरी रज़ामंदी के बगैर मुमकिन था!” खाला की बात सुन कर मैं चौंकते हु‌ए बोला – “मैं समझा नहीं खाला!” खाला बोलीं – “मैं उस दिन नशे में ज़रूर थी लेकिन इतना भी मदहोश नहीं थी कि तुम्हारे मंसूबे ना समझ पाती... उस दिन जो कुछ तुम मेरे साथ कर रहे थे और आगे करने वाले थे उसमें मेरी पूरी रज़ामंदी शामिल थी...!”

उनकी बात सुनकर मेरा दिल खुशी से उछलने लगा मगर मैं अपने जज़बतों पर काबू रखते हु‌ए बोला – “ये.. ये सच कह रही हैं आप?” वो हंसते हु‌ए बोलीं – “एक औरत को मर्द की नज़र पहचानते देर नहीं लगती। मैं तो काफ़ी अर्से से तुम्हारे दिल की बात जानती थी... तुम्हें क्या लगा कि मुझे पता नहीं चलता था कि अक्सर मेरी ब्रा-पैंटी और सैंडलों तक पे अपनी मनि इखराज़ करने वाला कौन है? फिर उस दिन होटल में जब तुम मुझे ज्यादा शराब पिलाने लगे तो मैं उसी वक़्त तुम्हारे इरादे समझ गयी थी। उस दिन अगर नज़ीर नहीं आता तो.... वैसे तुम्हें अफ़्सोस तो खूब हु‌आ होगा उस दिन कि जो मज़े तुम मेरे साथ करना चाहते थे वो मज़े तो मुझे चोद कर नज़ीर ले गया!”

खाला अब काफ़ी खुल कर बोल रही थीं तो मैंने भी खुल कर जवाब दिया कि – “उस दिन तो मैं काफ़ी खतावार महसूस कर रहा था लेकिन जब उस दिन नज़ीर और करामत हमारे घर पे अम्मी को और आपको चोद कर गये तो ज़रूर दिल में ये ख्याल आया कि जब नज़ीर और करामत जैसे ग़लीज़ इंसान आप जैसी हसीन औरत को चोद सकते हैं मैं क्यों नहीं?”
 

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“तो तुम्हारा ख़याल है कि तुम चोदने में नज़ीर और करामत जैसे तजुर्बेकार मर्दों से बेहतर हो... अपनी उम्र देखी है... इतनी सी उम्र में कुछ ज्यादा पर-पुर्ज़े नहीं निकल आये तुम्हारे?” – अम्बरीन खाला तंज़िया लहज़े में बोलीं तो जोश में मेरे मुँह से निकल गया – “लेकिन मैं भी बच्चा नहीं हूँ और फिर राशिद तो मुझसे भी छोटा है...?” मुझे अपनी गलती का एहसा‌अस हु‌आ तो मैं आगे बोलते-बोलते रुक गया लेकिन गोली तो बंदुक से निकल चुकी थी।

“राशिद? राशिद का इस सबसे क्या ताल्लुक.. क्या मतलब है तुम्हारा?” – अम्बरीन खाला ने चौंकते हु‌ए पूछा। मैंने उन्हें हिचकते-हिचकते बताया कि उनके बेटे ने मेरी अम्मी के साथ क्या किया था। सुन कर उन्हें यकीन नहीं हु‌आ। उन्होंने हैरत से कहा – “राशिद ऐसा कैसे कर सकता है? और वो भी अपनी खाला के साथ! तुम झूठ तो नहीं बोल रहे हो?” मैंने अपना मोबा‌ईल निकाला और उन्हें कहा – “आपको लगता है मैं झूठ बोल रहा हूँ तो ये देखिये।” तस्वीरें देख कर वो चौंक गयीं। वो बोलीं – “तुमने यास्मीन या राशिद को तो नहीं बताया ना कि तुम यह जान चुके हो?” मैंने उन्हें जवाब दिया – “ये देख कर मुझे इतना गुस्सा आया कि मैं राशिद की गर्दन नापने वाला था। किसी तरह मैंने अपने गुस्से पर काबू किया पर मैं यह राज़ अम्मी के सामने जाहिर करने से अपने आपको नहीं रोक पाया।”

यह सुन कर खाला कर बोलीं – “राशिद पे क्यों गुस्सा हो रहे हो, शाकिर। मैं तुम्हारी खाला हूँ और तुम भी तो मुझे चोदने के कितने अर्से से ख्वाब देख रहे हो और फिर होटल में तुमने भी मेरे साथ वही करने की कोशिश की थी जो राशिद ने अपनी खाला के साथ किया है।” मैंने कहा – “खालाजान, मैंने तो सिर्फ कोशिश की थी। राशिद ने तो मेरी अम्मी की चूत हासिल भी कर ली। और होटल में वो दो कौड़ी का नजीर आपकी इज्ज़त का मज़ा लूट कर चला गया पर मुझे क्या मिला?”

खाला मेरा गाल सहलाते हु‌ए प्यार से बोलीं – “तो मैं कहाँ इंकार कर रही हूँ... अगर उस रात होटल में नज़ीर नहीं आ गया होता तो मैं तो मैं उसी रात तुम्हें अपनी चूत दे चुकी होती!” “तो आपको सच में मुझसे चुदवाने में को‌ई एतराज़ नहीं है!” – मैंने पूछा। खाला बोलीं – “मुझे तो क्या एतराज़ हो सकता है लेकिन ये बता‌ओ तुम्हारी अम्मी का क्या रियेक्शन था जब तुमने उन्हें बताया कि तुम्हें उनके और राशिद के नाजायज़ रिश्ते का इल्म हो चुका है?”

मैंने अपनी और अम्मी की सारी हक़ीकत बयान कर दी। खाला ये सुन कर हैरान हु‌ई लेकिन फिर तंज़िया मुस्कान के साथ बोलीं – “यास्मीन को लगता है कि कुछ ज्यादा ही गर्मी चढ़ी है... अपने भांजे के साथ-साथ बेटे का भी लंड ले रही है... तभी उस दिन तुम्हारे सामने नज़ीर और करामत से चुदवाने में उसे ज़रा भी शरम नहीं आयी!”

मैं अपनी अम्मी की हिमायत करते हु‌ए बोला – “खाला आप भी तो कुछ कम नहीं हैं... आपको शायद याद नहीं है लेकिन उस दिन नशे में आपने अपनी हरामकारी के कईं राज़ फ़ाश कर दिये थे...!” मेरी बात सुनकर शर्म से उनके गाल लाल हो गये और पूछा कि नशे मे वो क्या-क्या बोल गयीं। मैंने उन्हें जब सब कुछ तफ़्सील से बताया तो वो काफ़ी शर्मिंदा हु‌ईं। मैंने कहा कि – “मेरे हाथों में आपकी इज्ज़त भी महफूज़ रहेगी क्योंकि मैं ये बातें कभी किसी से नहीं कहुँगा।”
 

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फिर अम्बरीन खाला बोलीं – “मैं तुमसे चुदवाने को तैयार हूँ लेकिन मेरी एक शर्त है कि जब तुम मुझे चोदो तो यस्मीन और राशिद भी उस वक्त मौजूद हों... जब तुम मुझे चोदो तो राशिद भी यास्मीन को चोदेगा... बस तुम उन दोनों को इस बात के लिये राज़ी कर लो!”

मुझे भी खाला की बात सुनकर बेहद खुशी हु‌ई क्योंकि अनजाने में ही सही राशिद ने मेरी अम्मी को मेरी आँखों के सामने चोदा था। मैं भी उसकी अम्मी को उसके सामने चोदना चाहता था। मैंने कहा कि – “अम्मी को तो इसमें को‌ई एतराज़ नहीं होगा और राशिद को भी मैं किसी तरह राज़ी कर लुँगा।“ फिर उसी दिन मैंने राशिद से भी बात की। इधर-उधर की बात ना करके मैंने सीधे उस से पूछा – “तुमने कितनी बार ली है मेरी अम्मी की?”

वो चौंक कर बोला – “खाला की...? क्या...? ये क्या कह रहे तो तुम?” मैं गुस्से से बोला – “क्या का क्या मतलब? तुमने उनकी चूत के अलावा कुछ और भी ली है?” राशिद सकपका कर बोला – “ये क्या बक रहे हो तुम, शाकिर भा‌ई? तुम्हें जरूर को‌ई गलतफहमी हु‌ई है।” मैंने उसे मोबा‌ईल वाला वीडियो दिखाते हु‌ए पूछा – “अच्छा, तो ये क्या है?”

वीडियो देखते ही उसकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी। वो सर झुका कर बोला – “शाकिर भा‌ई, इसमें मेरी को‌ई गलती नहीं है। मुझे ये नहीं करना चाहि‌ए था पर मैं बहकावे में आ गया।” मैंने उसके गाल पर एक थप्पड़ रसीद किया और कहा – “अच्छा, तो मेरी चालाक अम्मी ने तुम्हारे जैसे मासूम बच्चे को बहका दिया था?” राशिद बोला – “मुझे माफ कर दो, भा‌ई। मैं अब ऐसी गलती कभी नहीं करुँगा। मैं अपनी अम्मी की कसम खाता हूँ... यास्मीन खाला ने ही पहल की थी... मेरा यक़ीन करो!”

मुझे अंदाज़ा तो था कि राशिद सही बोल रहा है लेकिन मैं फिर गुस्से से बोला – “क्या बकवास कर रहा है... मेरी अम्मी ऐसा क्यों करेंगी!” फिर राशिद ने तफ़्सील से बताया कि मेरी अम्मी एक नम्बर की ऐय्याश हैं और कईं गैर-मर्दों से उनके जिस्मानी ताल्लुकात हैं। अब्बू और हम भा‌ई-बहन की गैर-हाज़री में अम्मी घर में अक्सर गैर-मर्दों से चुदवाती हैं और कईं दफ़ा तो दो-तीन मर्दों के साथ ग्रुप-चुदा‌ई का मज़ा लेती हैं।
 

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मुझे तो पहले से ही अपनी अम्मी की हरामकारी का अंदाज़ा था और अब राशिद ने भी तसदीक़ कर दी। मैंने राशिद से कहा कि – “जो भी हो लेकिन तूने मेरी अम्मी की चूत ली है, अब मुझे अपनी अम्मी की चूत दिला।” राशिद बोला – “भा‌ई मैं ये कैसे कर सकता हूँ...? मैं अपनी अम्मी से ऐसी बात कैसे कर सकता हूँ? हाँ तुम खुद उन्हें तैयार कर लो तो मुझे को‌ई ऐतराज़ नहीं है...।” यह सुन कर मेरी साँस में साँस आयी। खाला तो पहले ही मान चुकी थीं। मुझे सिर्फ राशिद के सामने ड्रामा करना था। मैंने कहा – “ठीक है, मैं ही कोशिश करता हूँ। पर तुम वही करोगे जो मैं कहुँगा?” राशिद बोला – “शाकिर भाई, मुझे तुम्हारी हर बात मंज़ूर है और तुम फ़िक्र ना करो... तुम्हारे लिये अम्मी को राज़ी करना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा!”

मैंने पूछा – “क्या मतलब?” तो उसने बताया कि किस तरह उसकी अम्मी तो मेरी अम्मी से भी ज्यादा ऐय्याश और बदकार है। अपनी अम्मी और अम्बरीन खाला के ज़निब जो बातें मैं ऊपरी तौर पे जानता था वो अब राशिद तफ़सील से बता रहा था। उसने बताया कि मेरे नवाज़ खालू तो काफी वक़्त दुबा‌ई में रहते हैं और अम्बरीन खाला रात-रात भर क्लबों और पार्टियों में गैर-मर्दों के साथ ऐय्याशियाँ करती हैं और अक्सर पूरी-पूरी रात घर नहीं आती। अक्सर घर पे भी रात को अपने बेडरूम में गैर-मर्दों के साथ चुदवाती हैं और उसने खुद छुपकर अपनी अम्मी को कईं दफ़ा गैर-मर्दों की बाहों में नंगी होकर चुदते देखा है। राशिद ने बताया कि उसकी अम्मी अपने ड्रा‌इवर और नौकरों से भी चुदवाती है।

फिर राशिद बोला – “शाकिर भाई..., अब तो तुम मेरे से नाराज़ नहीं हो?” मैंने उसे कहा कि मैं चाहता हूँ कि वो अपनी अम्मी को मुझसे चुदते हु‌ए देखे। मुझे लगा था कि ये बात सुनकर शायद राशिद मना करेगा लेकिन वो बोला कि – “शाकिर भा‌ई, मैं तुम्हारी बात मानने के लि‌ए तैयार हूँ पर तुम बुरा ना मानो तो मैं एक तजबीज तुम्हारे सामने रखूँ?” मैंने कहा – “ठीक है, बता‌ओ।” तो वो बोला कि – “भा‌ई थोडा मेरा भी खयाल रखना... आजकल यास्मीन खाला मुझे ज्यादा तवज्जो नहीं दे रही हैं... मेरी अम्मी को चोदने के बाद किसी तरह मुझे भी मेरी अम्मी की दिलवा दो तो मेरा भी घर में ही इंतज़ाम हो जायेगा... तुम मेरी अम्मी के साथ आगे भी मज़े कर सकोगे... मैं तुम्हें कभी नहीं रोकुँगा।“ मैं उसकी बात सुनकर चौंक गया। अगर्चे मैं खुद अपनी अम्मी की ले रहा था पर राशिद को तो यह मालूम नहीं था।

मैंने कहा – “ये क्या कह रहे हो राशिद? अम्बरीन खाला को अपने ही बेटे से चुदवाने के लिये राज़ी करना आसान नहीं होगा!” राशिद बोला – “भा‌ई, मैंने तुम्हें बताया ना कि अम्मी कितनी बड़ी बदकार है... मैं तो खुद ही कोशीश करने की सोच रहा था लेकिन तुम्हारी वजह से ये और आसान हो जायेगा!” मैंने कहा कि – “मैं कोशिश करके देखता हूँ।“
 

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मैंने पहले अम्मी से बात की और उन्हें अम्बरीन खाला की शर्त और राशिद की ख्वाहिश के बारे में बताया। अम्मी को तो पहले ही को‌ई ऐतराज़ नहीं था और बोलीं कि वो खुद अम्बरीन खाला से बात करके प्रोग्राम तय कर लेंगी। दो दिन बाद अब्बू को फिर से कुछ दिनों के लिये कराची जाना था तो अम्मी और अम्बरीन खाला ने इस बार उनके घर पे मिलने का प्लैन बनाया। मैंने राशिद को भी फोन करके बता दिया कि उसकी अम्मी राज़ी हो गयी हैं कि हम चारों एक साथ चुदा‌ई करेंगे लेकिन इसके लिये उसकी अम्मी को उसके अपनी खाला मतलब कि मेरी अम्मी के साथ ताल्लुकात के बारे में बताना पड़ा।

दो दिन के बाद मेरे छोटे भा‌ई-बहन को नाना के घर छोड़ने के बाद शाम छः बजे मैं और अम्मी अम्बरीन खाला के घर पहुँचे। अम्मी आज भी खूब अच्छे से मेक-अप करके तैयार हु‌ई थीं। अम्मी ने गुलाबी रंग की बगै‌र आस्तीनों वाली कमीज़ पहनी थी जिसका गला बेहद गहरा था। सफ़ेद रंग की टा‌इट सलवार के साथ काले रंग के ऊँची पेन्सिल हील के सैंडल पहने थे और बेहद हसीन लग रही थीं। खाला भी बेहद खूबसूरत और सैक्सी लग रही थीं। उन्होंने नीले रंग का डिज़ायनर जोड़ा और सफ़ेद रंग के ऊँची ऐड़ी वाले सैंडल पहने हु‌ए थे। अम्बरीन खाला का छोटा बेटा अपने दादा के घर पर था। हम चरों ड्रा‌इंग रूम में बैठ कर बातचीत करने लगे। खाला और अम्मी शराब पी रही थीं और मैं और राशिद जूस पी रहे थे। मैं थोड़ा नर्वस महसूस कर रहा था और दिल भी धड़क रहा था। राशिद का भी कुछ ऐसा ही हाल था लेकिन अम्मी और अम्बरीन खाला नॉर्मल थीं। शायद इसलिये कि उन दोनों को तो गैर-मर्दों से चुदवाते रहने की आदत थी। थोड़ी देर बाद खाला ने राशिद को मुझे बेडरूम में ले जाने को कहा और बोलीं कि वो और मेरी अम्मी भी थोड़ी देर में आ जायेंगी। हम दोनों अम्बरीन खाला के शानदार बेडरूम में आ गये।
 

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थोड़ी देर बाद अम्मी और अम्बरीन खाला भी बेडरूम में आ गयीं। दोनों शराब के हल्के नशे में मस्त थीं। अम्बरीन खाला आकर बेड पर मेरे पास बैठ गयीं और मेरी गर्दन एक बाँह हाथ डाल कर मेरे गाल चूमने लगीं और एक हाथ मेरी रान पर रख कर सहलने लगी। मेरी हिम्मत बढ़ गयी और मैं भी शिद्दत से उन्हें चूमने लगा। अम्मी भी बेड पर दूसरी तरफ़ राशिद के बराबर में बैठ गयीं और दोनों मुझे और अम्बरीन खाला को आपस में चूमते हु‌ए देख रहे थे। थोड़ी देर में अम्बरीन खाला ने लेटते हु‌ए मुझे खींच कर अपने ऊपर झुका लिया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये। मैंने भी अपने होंठ उनके नर्म रसीले होंठों से चिपका दिये। मैं उनके बोसे लेता रहा और वो जवाब में अपने लिपस्टिक लगे होठों से मुझे चूमती रहीं। मेरा लंड तन कर फौलाद बन गया था। उनके होंठों और गालों को जी भर के चूसने के बाद मैं उठा और जल्दी-जल्दी अपने कपड़े उतारने लगा।

नंगा होने के बाद मैं खाला के सामने खड़ा हो गया और अपना लंड उनके मुँह के सामने कर दिया। खाला ने बिला-झिझक मेरा लंड हाथ में थाम कर मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगीं। उधर अम्मी ने भी राशिद को नंगा कर दिया था और उसका लंड चूस रही थीं। बेडरूम में स्प्लिट ए-सी की हल्की आवाज़ के बावजूद मेरा लंड चूसते हु‌ए अम्बरीन खाला के मुँह से ‘सपड़-सपड़’ की आवाज़ें सुनायी दे रही थीं। थोड़ी देर लंड चुसा‌ई के बाद खाला और अम्मी ने भी अपने-अपने कपड़े उतार दिये और ऊँची हील के सैंडल छोड़ कर बिल्कुल नंगी हो गयीं। मैं क‌ईं दिनों बाद अम्बरीन खाला के नंगे जिस्म का दीदार कर रहा था। हम दोनों के लंड टनटना रहे थे। मैंने खाला को आगोश में ले लिया और अपने हाथ पीछे ले जा कर उनके मांसल चूतड़ों को दबाने लगा। उधर राशिद भी यही कर रहा था। राशिद ने अम्मी को बिस्तर पर लेटा कर उनके होठों को अपने मुँह में लिया और दोनों हाथों से उनके मम्मे मसलने लगा। अम्मी अपना मुँह खोल कर उस का साथ दे रही थीं। दोनों बुरी तरह एक दूसरे को चूम-चाट रहे थे।
 

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मैं भी कहाँ पीछे रहने वाला था। मैंने अम्बरीन खाला को अम्मी के पास लिटाया और उनके होंठों और मम्मों पर काबिज़ हो गया। बेडरूम में चूमा-चाटी की आवाज़ें फैली हु‌ई थीं। होंठों और गालों की दावत उड़ाने के बाद मैंने अम्बरीन खाला की चूचियों की जानिब रुख किया। मुझे उनकी चूचियों का रस पीते देख कर राशिद ने भी अपना मुँह मेरी अम्मी की चूचियों पर रख दिया। कुछ ही देर में खाला और अम्मी के जिस्म बुरी तरह मचलने लगे।

जाहिर था कि दोनों की रानों के बीच आग लग चुकी थी। मैं अम्बरीन खाला को और तडपाना चाहता था मगर जब उन्होंने मुझे अपने ऊपर आने को कहा तो मैं अपने आप को नहीं रोक पाया। जिस लम्हे का मैं अरसे से मुन्तज़िर था वो आ चुका था और मेरा लंड भी मेरे काबू में नहीं था। मैंने खाला को अपने नीचे लिया और अपना लंड उनकी चूत पर रख दिया। मैं आहिस्ता-आहिस्ता हल्के घस्से लगाने लगा। वो भी अपने जिस्म को ऊपर-नीचे हरकत दे रही थीं। जल्द ही उनकी चूत ने मेरे लंड को अपने अंदर जज्ब कर लिया। उनकी चूत अम्मी जैसी टा‌इट नहीं थी पर थी लज्ज़तदार। मैं अम्बरीन खाला की चूत में घस्से मारने लगा। धक्कों की वजह से उनके मम्मे डाँस कर रहे थे।

राशिद ने अपनी अम्मी को चुदते देखा तो उसने मेरी अम्मी की टाँगें उठा कर अपने कंधों पर रख लीं। अम्मी की चूत का मुँह उस के सामने आ गया। राशिद ने जब अपना लंड अम्मी की चूत में डाला तो अम्मी की टाँगें उनके सीने की तरफ आ गयीं। राशिद ने अपना पूरा वज़न डाल कर अम्मी के घुटने उनके सीने से मिला दिये और उनकी उभरी हु‌ई चूत में घस्से मारने लगा। वो खास ताक़तवर नज़र नहीं आता था मगर उसने अम्मी जैसी तंदरुस्त औरत को बड़ी अच्छी तरह क़ाबू किया हु‌आ था। अम्मी उसके हर घस्से पर सिसक रही थीं। उनकी चूत पानी छोड़ रही थी जिसकी वजह से राशिद का काम आसान हो गया था। कुछ ही देर में वो धु‌आंधार घस्से मारने लगा। फिर उसके चेहरे के नक्श बिगड़ गये। उसका जिस्म लरजने लगा और कुछ लम्हों के बाद वो बेसुध-सा अम्मी के ऊपर गिर गया। मैं समझ गया कि उसका लंड खाली हो चुका था।
 
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