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Incest खाला और अम्मी की चुदा‌ई (Completed)

shakirali

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अम्मी ने प्यार से कहा – “अब आ गयी हूँ तो जो तुम ख्वाब में करना चाहते थे वो हकीकत में कर लो।“ यह सुन कर मेरा दिल खुशी से उछलने लगा। मैंने अम्मी को अपनी बांहों में भींच लिया। फिर तो पिछली रात वाला सिलसिला फिर से शुरू हो गया और मैंने जी भर कर अम्मी को चोदा। अगली रात को भी यही हु‌आ। दिन भर मैं आने वाले इम्तिहानात के लिये दिल लगा कर पढ़ायी करता था और तीन घंटे के लिये ट्यूशन भी जाता था और रात को अम्मी और मैं चुदा‌ई करते थे। अब्बू के वापस लौटने में कुछ दिन बाकी थे। तीसरी रात को चुदा‌ई के एक दौर के बाद अम्मी ने मेरा गाल चूमते हु‌ए कहा कि – “तुम बुरा ना मानो तो एक बात कहूँ!” फिर वो बोलीं कि – “राशिद दो दिनों में कईं दफ़ा उन्हें फोन करके चुदा‌ई के लिये इल्तज़ा कर चुका है और राशिद को इस तरह तड़पाना उन्हें अच्छा नहीं लग रहा।“ मैंने थोड़ा नाराज़ होते हु‌ए उनसे पूछा कि क्या मैं उन्हें चुदा‌ई में मुत्तमा‌इन नहीं कर पा रहा तो अम्मी ने समझाया कि ऐसी बात नहीं है लेकिन बेचारे राशिद के भी तो इम्तिहान हैं और वो चुदा‌ई की बेकरारी में पढ़ा‌ई में ध्यान नहीं दे पा रहा है। अगर वो दिन के वक्त राशिद से चुदवा लेंगी तो वो भी मुत्तमा‌इन हो कर दिल लगा कर पढ़ा‌ई कर सकेगा। नहीं तो कहीं फेल ना हो जाये। मैंने बहुत बे-दिल से अम्मी को अपनी रज़ामंदी दे दी। अम्मी ने खुश होकर मुझे गले लगा लिया और देर रात तक हम चुदा‌ई करते रहे। अगले दिन मेरे ट्यूशन जाने के वक़्त पे अम्मी ने राशिद को बुला लिया और मेरे वापस आने से पहले राशीद मेरी अम्मी को चोद कर चला गया।

उस दिन मैंने फैसला कर लिया था कि इम्तिहान खत्म होने के बाद कुछ भी करके मैं भी अम्बरीन खाला को चोद कर ही रहुँगा। लेकिन अगले ही दिन एक और मसला हो गया। मैं घर के सेहन में मेज़-कुर्सी डाले इम्तिहान की तैयारी कर रहा था कि अंदर कमरे में ‘पी-टी-सी-एल’ के फोन की घंटी बजी। अम्मी ने आवाज़ दी कि – “शाकिर ज़रा देखो किस का फोन है।“ मैं उठ कर अंदर गया और फोन का रिसिवर उठा कर ‘हेलो’ कहा। दूसरी तरफ़ से किसी आदमी ने हमारा फोन नम्बर दोहराया और पूछा कि – “क्या ये शाकिर का घर है?” मैंने कहा – “हाँ मैं शाकिर ही बोल रहा हूँ।“ वो आदमी अचानक हंस पड़ा और बोला – “ओये मेरे गैरतमंद जवान! मुझे नहीं पहचाना? मैं नज़ीर बोल रहा हूँ... पिंडी वाला नज़ीर!” ये सुन कर मुझे तो जैसे करंट लगा और मेरे जिस्म से ठंडा पसीना फूट पड़ा।
 

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नज़ीर से बात करते हु‌ए मेरे ज़हन में हल्का सा खौफ तो ज़रूर था मगर इससे कहीं ज़्यादा मुझे गुस्से और नफ़रत ने मग़लूब कर रखा था। मैंने उसे गंदी गालियाँ देते हु‌ए कहा कि अगर उसने दोबारा यहाँ फोन किया तो मैं पुलीस से रबता करुँगा। ये कह कर मैंने फोन का रिसिवर क्रेडल पर दे मारा।

मैं फोन बंद कर के पलटा तो अम्मी परेशानी के आलम में कमरे में दाखिल हो रही थीं। उन्होंने पूछा कि – “तुम किस से लड़ रहे थे?” मैं कुछ कहना ही चाहता था कि फोन फिर बज उठा। मैंने लपक कर रिसिवर उठाया तो दूसरी तरफ़ नज़ीर ही था। वो बोला कि – “फोन बंद करने से पहले ये सुन लो कि मेरे पास तुम्हारी और तुम्हारी खाला कि नंगी वीडियो फिल्म है और अगर तुम ने मेरी बात ना सुनी तो मैं वो फिल्म तुम्हारे बाप को भेज दुँगा।“

मैंने अम्मी कि तरफ़ देखा कि उनकी मौजूदगी में नज़ीर से कैसे बात करूँ। फिर मैंने सोचा कि अम्मी को चोद लेने के बाद मेरा और उनका रिश्ता वो नहीं रहा जो पहले था और अगर मैं उन्हें सारी बात बता भी देता तो इस में कोई हर्ज़ ना होता। मैंने नाज़िर से कहा कि – “तुम बकवास करते हो... बंद कमरे में किसने फिल्म बना ली?” नज़ीर बोला कि – “होटल में लोग औरतों को चोदने के लिये भी लाते थे इसलिये होटल के कुछ मुलाज़िम कमरों में बेड के सामने टीवी ट्रॉली के अंदर छोटा कैमरा खूफ़िया तौर पर लगा देते थे तकि लोगों की चुदाई की फिल्म बना सकें। तुम्हारी फिल्म भी ऐसे ही बनी थी! यकीन नहीं तो जहाँ कहो आ कर तुम्हें दिखा दूँ!” मैंने सवाल किया कि – “अगर फिल्म बन रही थी तो तुमने मोबाइल से हमारी तसवीरें क्यों लीं?” उसने जवाब दिया कि – “फिल्म तो मुझे पता नहीं कितनी देर बाद मिलती और मैं तुम्हारी खाला को उसी वक़्त चोदना चाहता था!” मेरा गुस्सा झाग की तरह बैठने लगा। मैंने कहा अभी बात नहीं हो सकती वो कुछ देर बाद फोन करे!

मैंने फोन रखा तो अम्मी फ़िक्रमंद लहजे में बोलीं कि – “शाकिर ये क्या मामला है? किस का फोन था?” मैंने कहा – “अम्मी एक बहुत बड़ी मुसीबत में फंस गया हूँ और समझ नहीं पा रहा कि क्या करूँ!” अम्मी ने कहा – “साफ़ साफ़ बताओ क्या किस्सा है? तुम गुस्से में गालियाँ दे रहे थे और किसी फिल्म का ज़िक्र भी था! आखिर हुआ क्या है?”
 
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मैंने अम्मी को अपने और अम्बरीन खाला के साथ पिंडी में पेश आने वाला वाक़्या तमामतर तफ़सीलात के साथ बयान कर दिया। सारी बात सुन कर अम्मी जैसे सकते में आ गयीं। लेकिन उन्होंने मुझे अम्बरीन खाला को चोदने की कोशिश पर कुछ नहीं कहा। कहतीं भी कैसे... वो तो खुद अपने भांजे को चूत देती रही थीं। कुछ देर गुमसुम रहने के बाद उन्होंने कहा कि – “नज़ीर को हमारे घर का नम्बर कैसे मिला?” मैंने कहा – “कमरों की बुकिंग के वक़्त होटल के रजिस्टर में हमारे घर का पता और फोन नम्बर ज़रूर लिखवाया गया होगा। नज़ीर खुद तो उस रात नौकरी छोड़ कर भाग गया था मगर वहाँ उसके साथी तो होंगे जिन्होंने उसे हमारा नम्बर दे दिया होगा।“

अम्मी ने सर हिलाया और कहा कि – “क्या वाक़य होटल वालों ने कोई फिल्म बनायी होगी?” मैंने कहा – “मुमकिन है नज़ीर झूठ ही बोल रहा हो!” उन्होंने कहा कि – “तुमने मोबाइल फोन वाली तसवीरें तो ज़ाया कर दी थीं... जिनके बगैर वो तुम्हें ब्लैकमेल नहीं कर सकता लेकिन वो फिर भी यहाँ फोन कर रहा है जिसका मतलब है कि उसले पास कुछ ना कुछ तो है!”

अम्मी ठीक कह रही थीं। कुछ सोच कर वो बोलीं कि – “मैं अम्बरीन से बात करती हूँ! नज़ीर ने अम्बरीन को चोदा था इसलिये अब भी वो उससे ज़रूर मिलना चाह रहा होगा ताकि फिर उसे चोद सके।“ मैंने उन्हें बताया कि नज़ीर ने उनके बारे में भी उल्टी सीधी बातें की थीं। वो हैरत से बोलीं कि नज़ीर ने तो उन्हें देखा ही नहीं वो उनके लिये कैसे बात कर सकता है। मैंने कहा कि – “उसने अम्बरीन खाला को देख कर अंदाज़ा लगाया होगा कि उनकी बहन भी खूबसूरत और हसीन होगी।“ अम्मी ने एक गहरी साँस ली लेकिन खामोश रहीं।

हम दोनों गहरी सोच में ग़र्क थे। अचानक अम्मी ने पूछा कि – “शाकिर क्या तुम अम्बरीन को चोदने में कामयाब हुए?” मैंने कहा – “नहीं अम्मी! पिंडी से वापस आने के बाद अभी तक शर्मिंदगी के मारे मैं उनसे मिला तक नहीं!” अम्मी तंज़िया अंदाज़ में मुस्कुरायीं और कहा कि – “जब तुम ने अपनी अम्मी को चोद लिया तो फिर खाला को चोदने की कोशिश पर क्यों इतने शर्मिंदा हो?” मैं ये सुन कर खिसियाना सा हो गया। वो कहने लगीं कि – “हमें इस मसले का कोई हल निकालना है वर्ना बड़ी बर्बादी होगी। अम्बरीन से बात करनी ही पड़ेगी।“ मैंने उनसे इत्तेफ़ाक किया।
 

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उन्होंने अम्बरीन खाला को फोन किया और वो कुछ देर बाद हमारे घर आ गयीं। अम्मी उन्हें अपने बेडरूम में ले गयीं और मुझे भी वहीं बुला लिया। मैं अंदर गया तो देखा कि वो दोनों बेडरूम में पड़ी सोफ़े की दो कुर्सियों पर साथ-साथ बैठी थीं। नज़ीर के फोन कि वजह से मैं परेशान था मगर फिर भी अम्मी और अम्बरीन खाला को यूँ इकट्ठे बैठा देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया। मैं दिल ही दिल में सर से पांव तक दोनों बहनों का मवाज़ना करने लगा।

अम्मी और अम्बरीन खाला के खद्द-ओ-खाल एक दूसरे से बहुत मिलते थे। दोनों के बाल, आँखें, नाक, माथा और गालों की उभरी हुई हड्डियाँ बिल्कुल एक जैसी थीं। उस दिन मुझे एहसास हुआ कि दोनों की आँखों के दबीज़ पपोटे भी एक जैसे ही थे। अलबत्ता अम्मी के होंठ अम्बरीन खाला के होंठों से ज़रा पतले थे और दोनों की ठोड़ियाँ भी कुछ मुखतलीफ़ थीं। मजमुई तौर पर दोनों बहनों के चेहरे देख कर गुमान होता था जैसे वो जुड़वाँ बहनें हों। और तो और अम्बरीन खाला अम्मी को नाम ले कर ही बुलाती थीं... ‘बाजी’ या ‘आपा’ नहीं कहती थीं।

मैं अम्मी और अम्बरीन खाला को नंगा देख चुका था और जानता था कि दोनों के जिस्म भी कम-ओ-बेश एक जैसे ही थे। वो तकरीबन एक ही कद की थीं और दोनों ही के जिस्म गदराये हुए लेकिन कसे हुए थे। अम्मी चालीस साल की और अम्बरीन खाला अढ़तीस साल की थीं और अपनी उम्र के बावजूद उनके जिस्म पर कहीं भी जरूरत से ज्यादा गोश्त नहीं था क्योंकि दोनों ही वर्जिश करती थीं और खुद को फिट रखती थीं।

दोनों बहनों के मम्मे उनके जिस्म का नुमायां तरीन हिस्सा थे जिन पर हर एक की नज़र सब से पहले पड़ती थी। उनके मम्मे बड़े-बड़े, तने हुए और बाकी जिस्म से गैर-मामूली तौर पर आगे निकले हुए थे। मैंने अम्मी के मम्मे उन्हें चोदते वक़्त बहुत चूसे थे जबकि अम्बरीन खाला के मम्मों को पिंडी में खूब टटोला था। मुझे लगता था कि अम्मी के मम्मे अम्बरीन खाला से एक-आध इंच बड़े थे। लेकिन देखने में दोनों के मम्मे एक दूसरे से बड़ी हद तक मिलते थे। दोनों के मम्मों के निप्पल काफी बड़े साइज़ के थे। अम्बरीन खाला के निप्पल लंबाई में अम्मी के निप्पलों से कुछ कम थे और उनके साथ वाला हिस्सा बहुत बड़ा था जबकि अम्मी के निप्पल बहुत लंबे थे मगर उनके साथ का हिस्सा अम्बरीन खाला के मुकाबले में कुछ छोटा था।
 
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अम्मी और अम्बरीन खाला की कमर काफी स्लिम थी और ज़रा भी पेट नहीं निकला हुआ था। हालांकि अम्मी के तीन बच्चे थे और अम्बरीन खाला के दो लेकिन दोनों की चूतों में भी काफी मुमासिलत थी। मैंने अम्बरीन खाला को नहीं चोदा था लेकिन अम्मी कि चूत से हर तरह से वाक़िफ़ हो चुका था। दोनों की चूतें फूली-फूली सूजी हुई सी थीं और दोनों की चूतों पर बाल नहीं थे क्योंकि दोनों अपनी चूतें शायद हर दूसरे दिन हेयर-रिमूवर से साफ करती थीं। उनकी रानें भी काफी गदरायी हुई और सुडौल थीं। मम्मों के बाद दोनों ही के जिस्म का बहुत ही खास हिस्सा उनके गोल-गोल बड़े-बड़े चूतड़ थे जिनकी बनावट भी एक जैसी थी। अम्मी और अम्बरीन खाला के चूतड़ भी उनके मम्मों की तरह उनके बाकी जिस्म के मुकाबले गैर-मामूली मोटे और बड़े थे। इसके अलावा दोनों ही ज़्यादातर ऊँची पेंसिल हील के सैंडल पहने हुए रहती थीं जिससे उनके चूतड़ और ज्यादा बाहर निकले हुए नज़र आते थे।

मैं इन खयालों में डूबा हुआ था और अम्मी अम्बरीन खाला को बता रही थीं कि उन्हें पिंडी वाले वाक़िये का इल्म हो चुका है और ये कि नज़ीर ने यहाँ फोन किया था। ये सुन कर अम्बरीन खाला के चेहरे का रंग उड़ गया। कहने लगीं – “बस यासमीन ये बे-इज़्ज़ती किस्मत में लिखी थी लेकिन उस कुत्ते को ये नम्बर कैसे मिला?” अम्मी ने उन्हें होटल के रजिस्टर के बारे में बताया और कहा कि – “अब पुरानी बातें छोड़ो और ये सोचो कि अगर नज़ीर के पास कोई नंगी फिल्म है तो वो उससे कैसे ली जाये!”

फिर हमने फ़ैसला लिया कि नज़ीर से फिल्म ले कर देखी जाये और इसके बाद आगे का सोचा जाये। कुछ देर बाद नज़ीर का फोन आया। इस बार अम्बरीन खाला ने उससे बात की और कहा कि वो पहले उन्हें फिल्म दिखाये फिर बात होगी। वो बोला कि वो जहाँ कहेंगी वो आ जायेगा। मैं और खाला उनकी कार में उसे दाता दरबार के पास एक होटल में उससे मिलने गये। उसके साथ एक दुबला पतला सा लम्बा लड़का भी था जिसकी उम्र बीस-बाइस साल होगी। वो भी नज़ीर के ही तबके का लग रहा था। नज़ीर ने उस का नाम करामत बताया। उसने खाला को एक डी-वी-डी दी और कहा कि इस को देख कर वो उससे राब्ता करें तो फिर वो बतायेगा कि वो क्या चाहता है। उसने खाला को एक मोबाइल फोन का नम्बर भी दिया।
 

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हम वापस घर आये और वो फिल्म देखी तो वाक़य उसमें मैं अम्बरीन खाला की कमीज़ उतार कर उनके मम्मे मसल रहा था और खाला भी नशे में मेरी हरकत पे हंस रही थीं और लुत्फ़ उठा रही थीं। अम्मी ने कहा कि – “ये तो बहुत गड़्बड़ है... अगर नज़ीर ने ये फिल्म किसी को भेज दी तो क्या होगा!” अम्बरीन खाला बोलीं कि – “इसका मतलब है नज़ीर ने जो मेरे साथ किया उसकी भी फिल्म बनी होगी।“ मैंने कहा कि “ऐसी फिल्म तो उसे भी फंसा देगी... वो ये नहीं कर सकता।“ अम्मी ने मुझसे इत्तेफक़ किया। फिर खाला ने नज़ीर के दिये हुए नम्बर पर फोन किया और पूछा कि वो क्या चाहता है। उसने हंस कर कहा कि वो अम्बरीन खाला और मेरी अम्मी को चोदना चाहता है और उसे पचास हज़ार रुपये भी चाहियें। खाला ने उससे कहा कि वो चाहे तो उन्हें चोद ले लेकिन मेरी अम्मी की बात छोड़ दे और रुपयों का इंतज़ाम भी हो जायेगा। पचास हज़ार रुपये तो खैर मामूली बात थी अगर वो बेवकूफ पाँच लाख भी माँगता तो अम्बरीन खाला आसानी से दे देतीं। मुझे हैरानी इस बात की थी कि अम्बरीन खाला नज़ीर से खुद चुदने के लिये फौरन रज़ामंद हो गयी थीं। नज़ीर ने कहा कि वो अम्बरीन खाला के साथ-साथ मेरी अम्मी को भी चोदे बगैर नहीं मानेगा।

फोन काटने के बाद अम्बरीन खाला ने हमें ये बात बतायी और बोलीं – “वो यासमीन को भी चोदना चाहता है... क्या करें!”

अम्मी बोली – “करना क्या है अम्बरीन! हम कोई खतरा मोल नहीं ले सकते... हमें हर सूरत में वो फिल्म हासिल करनी है चाहे इसके लिये हमें अपनी चूत उसे दे कर अपनी इज़्ज़तों का सौदा ही क्यों ना करना पड़े...!”

मुझे फिर हैरानी हुई कि अम्मी भी एक अजनबी गैर-मर्द से चुदवाने के लिये बगैर हिचकिचाहट के फौरन रज़ामंद हो गयी थीं और साथ ही मुझे ये एहसास भी हुआ कि हालात कुछ ऐसे हो गये थे कि मेरी अम्मी और खाला मेरे सामने अपनी चूतों और चुदाई का ज़िक्र कर रही थीं और ना उन्हें कोई शरम महसूस हो रही थी और ना मुझे। वक़्त भी कैसे-कैसे रंग बदलता है।
 

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फिर अम्मी बोलीं – “लेकिन मसला ये है कि उस कुत्ते को कहाँ मिला जये?” अम्बरीन खाला बोलीं – “यासमीन! नज़ीर चालाक आदमी है... हमें उसे अपने घर ही बुलाना चाहिये क्योंकि हमारे लिये बाहर कहीं जाना ज़्यादा खतरनाक हो सकता है।“ मैंने और अम्मी ने इस बात से इत्तेफ़ाक किया।

खाला ने नज़ीर को फोन करके हमारे घर का पता बताया और कहा कि वो कल सुबह ग्यारह बजे आ जाये! उसने कहा कि – “ठीक है... और मैंने फिल्म अपने एक दोस्त को दी है जब मैं फ़ारिग हो कर तुम्हारे घर से निकलुँगा तो तुम मेरे साथ चलना और फिल्म ले लेना!” हमारे पास उसकी बात मान लेने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। इसके बाद अम्बरीन खाला अपने घर चली गयीं।

अगले दिन अम्मी ने बच्चों को सुबह ही नाना के घर भेज दिया था। अम्बरीन खाला सुबह दस बजे ही आ गयीं। वो तैयार होकर आयी थीं और अम्मी भी वैसे ही काफी सज-धज कर तैयार हुई थीं। दोनों को देख कर ऐसा लग रहा था जैसे किसी पार्टी के लिये तैयार हुई हों। नज़ीर के आने में एक घंटा बाकी था तो मैं भी नहाने चला गया। नहा कर कपड़े पहन कर आया तो अम्मी और खाला ड्राइंग रूम में बैठी शराब पी रही थीं और हंसते हुए कुछ बात कर रही थीं। मुझे हैरानी हुई कि एक तो ये कोई वक्त शराब पीने का नहीं था और दूसरे उन्हें देख कर बिल्कुल भी ऐसा नहीं लग रहा था कि नज़ीर से अपनी इज़्ज़त लुटवाने में उन्हें कोई मलाल या शर्मिंदगी महसूस हो रही थी। बल्कि ऐसा महसूस हो रहा था कि वो खुद नज़ीर से चुदवाने के लिये बेकरार हो रही थीं। खाला ने पचास हज़र रुपये का लिफाफा मुझे देते हुए कहा कि जब वो दोनों नज़ीर के साथ होंगी तो मैं दूसरे कमरे में वो रुपये अपने पास संभाल कर रखूँ। ठीक ग्यारह बजे दरवाज़े की घंटी बाजी। मैंने दरवाज़ा खोला तो सामने नज़ीर और करामत खड़े थे। मैं उन्हें ले कर ड्राइंग रूम में आ गया। अम्मी और अम्बरीन खाला सोफ़े पर बैठी थीं और शराब की चुस्कियाँ ले रही थीं। अम्मी नशीली आँखों से नज़ीर को गौर से देख रही थीं। नज़ीर ने भी दोनों बहनों को देखा तो उसकी आँखों में चमक आ गयी।
 

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अम्मी को घूरते हुए नज़ीर बोला – “अच्छा तो तुम इसकी बहन हो। तुम भी इसी कि तरह मज़ेदार हो! इस की फुद्दी मैंने पिंडी में मारी थी और आज तक उसकी लज़्ज़त नहीं भूला। रोज़ इसकी चिकनी फुद्दी को याद कर के दूसरी औरतों को चोदता था और मुठ मारता था।“ अम्मी कुछ बोली नहीं सिर्फ़ अदा से मुस्कुरा दीं।

अम्बरीन खाला ने उन दोनों को बैठने को कहा और उन्हें भी शराब पेश की लेकिन नज़ीर इंकार करते हुए बोला – “मैं तो अब तुम दोनों को चोद कर तुम्हारे हुस्न की शराब पियुँगा। इस काम में मेरा ये दोस्त करामत मेरी मदद करेगा!” खाला और अम्मी के चेहरों पर खिफ़्फ़त के ज़रा से भी आसार नज़र नहीं आ रेहे थे बल्कि ये सुन कर उनके चेहरे और खिल गये। खाला इतराते हुए बोलीं – “तो कर लो अपना मुतालबा पूरा और निकलो यहाँ से!” नज़ीर ने कहा कि – “क्यों इतनी बे-रुखी बातें कर रही हो... जब चोदुँगा तो मज़ा तो तुम्हें भी आयेगा... याद है पिंडी में कैसे मज़े से चींख-चींख कर चुदी थी... बताया नहीं अपनी बहन को।“ ये सुनकर अम्बरीन खाला के गाल लाल हो गये। नज़ीर फिर बोला – “यहाँ मज़ा नहीं आयेगा... ऐसे कमरे में चलो जहाँ बेड हो!” अम्मी और खाला ने अपने गिलास खतम किये और उठकर उन दोनों को लेकर अम्मी के बेडरूम की तरफ़ जाने लगीं। मैं वहीं बैठा रहा तो नज़ीर बोला कि – “तुम हमें अपनी खाला और अम्मी को चोदते हुए देखोगे क्योंकि मुझे इन को तुम्हारे सामने चोदने में ज़्यादा मज़ा आयेगा।“

बेडरूम में जाते हुए अम्मी और खाला ऊँची हील के सैंडलों में बड़ी अदा से चूतड़ हिलाते हुए आगे-आगे चल रही थीं। बेडरूम में आते ही नज़ीर ने फौरन कपड़े उतार दिये और उसका अजीब-ओ-गरीब मोटा लंड सब के सामने नंगा हो गया। उसके मोटे-मोटे टट्टे दूर ही से नज़र आ रहे थे। करामत खामोश एक तरफ़ खड़ा रहा। अम्बरीन खाला तो नज़ीर का लंड अपनी चूत में ले ही चुकी थीं मगर अम्मी उसे देख कर वाज़ेह तौर पर हैरान हुई थीं। अम्मी ने मुस्कुराते हुए अम्बरीन खाला की तरफ़ माइनी-खेज़ नज़रों से देखा। शायद वो सोच रही थीं कि अम्बरीन खाला ने इतना मोटा और बड़ा लंड कैसे अपनी चूत में लिया होगा। अम्बरीन खाला ने भी मुस्कुराते हुए अम्मी को आँख मार दी। अब मुझे यकीन हो गया कि दोनों बहनें खुद ही चुदने के लिये तड़प रही थीं और उन्होंने एक दफ़ा भी करामत की मौजूदगी पर एतराज़ ज़ाहिर नहीं किया था।

फिर नज़ीर के कहने पर करामत ने भी अपने कपड़े उतार दिये। उसका लंड भी कम जानदार नहीं था। उसका लंड नज़ीर से पतला था लेकिन बे-इंतेहा लम्बा था। मैंने सिर्फ़ ब्लू-फ़िल्मों में ही इतना लम्बा लंड देखा था। करामत का लंड देख कर समझ में आता था कि वो और नज़ीर क्यों दोस्त थे। फिर खेल शुरू हो गया। नज़ीर ने अम्मी का हाथ पकड़ा और उन्हें खींच कर सीने से लगा लिया। अम्मी उससे काफी लम्बी थीं और फिर उन्होंने तकरीबन चार इंच ऊँची ऐड़ी वाली सैंडल भी पहन रखी थी। नज़ीर ने अपने हाथ उनकी मज़बूत कमर में डाले और उन्हें सख्ती से अपने साथ चिमटा लिया। फिर अम्मी का दुपट्टा उतार कर फ़रश पर फ़ेंका और उनका चेहरा नीचे करके उनके होंठों पर अपने होंठ मज़बूती से जमा दिये। वो बड़ी शिद्दत से अम्मी के सुर्ख होंठों को चूम रहा था। उसने एक हाथ से अम्मी के मम्मे पकड़े और उन्हें ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। अम्मी के होंठों को चूमते हुए नज़ीर का एक हाथ मुसलसल उनके मम्मों से खेल रहा था। अम्मी भी उसके बोसों का खुल कर जवाब दे रही थीं। फिर नज़ीर एक सेकेंड के लिये अम्मी के होंठों से अपना मुँह हटाया और अम्बरीन खाला को अपने पास बुलाया।
 

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अम्बरीन खाला ने तिरछी नज़र से मुझे देखा और कुर्सी से उठ कर मुस्कुराती हुई नज़ीर के पास चली गयीं। उसने एक हाथ से उन्हें भी खींच कर अपने करीब कर लिया। अब वो अम्मी और अम्बरीन खाला दोनों के साथ चिपका हुआ था। दो गोरी और निहायत हसीन और खूबसूरत औरतों के दरमियान वो बद-शक्ल छोटे से कद का आदमी अपने मोटे तने हुए लंड के साथ एक अजूबा लग रहा था। उसने अपना एक-एक हाथ अम्मी और अम्बरीन खाला कि गर्दनों में डाला और बारी-बारी दोनों के मुँह चूमने लगा। वो दोनों भी उसके बोसों का पूरा जवाब दे रही थीं। इस दफ़ा मेरी हालत भी पिंडी जैसी नहीं थी और मुझे अपने लंड में गुददुदी होती महसूस हो रही थी। मेरा चेहरा लाल हो रहा था लेकिन इस लाली की वजह शरम नहीं थी बल्कि अपनी अम्मी और अम्बरीन खाला को इस हालत में देख कर मैं गरम हो गया था।

नज़ीर अम्मी और अम्बरीन खाला को बेड के क़रीब ले आया और खुद उस पर लेट गया। उसने अपना मोटा ताज़ा अकड़ा हुआ लंड हाथ में पकड़ लिया और करामत से कहा कि – “इन दोनों गश्तियों के कपड़े उतार दे तकि इन कि इनके मम्मे और फुद्दियाँ तो नज़र आयें!” करामत ने आगे बढ़ कर अम्मी की कमीज़ उनके चूतड़ों पर से उठायी और सर के ऊपर से उतार दी। फिर करामत ने हाथ आगे ले जा कर उनकी सलवार का नाड़ा खोला और उनकी सलवार उनके पैरों तक नीचे खींच दी। फिर उसने झुक कर उनकी सलवार उनके सैंडल पहने हुए पैरों से निकाल ली। उसने अम्बरीन खाला के गुदाज़ जिस्म को भी कपड़ों से इसी तरह आज़ाद कर दिया। अम्मी और अम्बरीन खाला अब सिर्फ़ ब्रा, पैंटी और ऊँची हील के सैंडल पहने खड़ी थीं। बकौल नज़ीर उनके मम्मे और चूतें तो उस ही की तरफ़ थीं लेकिन मोटे-मोटे चूतड़ मेरी जानिब थे। दोनों ने जी-स्ट्रिंग पैंटियाँ पहनी हुई थी जिनमें कमर पे और पीछे की तरफ सिर्फ पतली सी डोरी थी जो उनके चूतड़ों के बीच में धंस कर छुपी हुई थी।

मुझे उन दोनों के चूतड़ों के साइज़ में भी कोई फर्क़ महसूस नहीं हुआ। करामत ने अब बारी-बारी अम्मी और अम्बरीन खाला के ब्रा के हूक खोले और उनके बड़े-बड़े मम्मों को नंगा कर दिया। फिर ना-जाने करामत को क्या सूझी कि उसने अम्मी और अम्बरीन खाला के मोटे चूतड़ों पर अपना एक हाथ फेरा और उन्हें दबाने लगा जैसे कि चेक कर रहा हो। फिर उसने एक-एक कर के उन दोनों की जी-स्ट्रिंग पैंटियाँ भी उतार दीं। अम्मी और अम्बरीन खाला अब सिर्फ ऊँची पेन्सिल हील की सैंडल पहने अलिफ नंगी थीं।

ये सब कुछ हो रहा था और मेरी हालत खराब हो रही थी। मेरी तवज्जो नंगी खाला की तरफ़ ज्यादा थी जिसे मैंने अभी तक नहीं चोदा था। मैं अम्मी और अम्बरीन खाला को नंगा देख कर अपने ऊपर काबू नहीं कर पा रहा था और मेरा चेहरा टमाटर की तरह लाल हो चुका था। ऊँची हील कि सैंडल पहने होने की वजह से अम्मी और अम्बरीन खाला के गोल और भारी चूतड़ और ज्यादा बाहर निकले हुए बेहद हसीन लग रहे थे जिन्हें देख कर मेरा लंड तन गया था और उस में अजीब सी सनसनाहट हो रही थी।
 

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फिर नज़ीर ने अम्मी और अम्बरीन खाला दोनों को कहा कि वो उसका लंड चूसें। अम्मी अपने होंठ पे ज़ुबान फिराती हुई फौरन बेड पर चढ़ गयीं और नीचे झुक कर नज़ीर का लंड अपने मुँह में ले कर उसके टोपे पर ज़ुबान फेरने लगीं। अम्बरीन खाला भी अपने भारी मम्मों और चूतड़ों को हरकत देती हुई सैंडल पहने हुए ही बेड पर चढ़ गयीं। अम्मी की चौड़ी गाँड का रुख मेरी तरफ़ था। अम्बरीन खाला ने भी घुटनों के बल बैठ कर अपना मुँह नज़ीर के काले सियाह लंड के क़रीब कर लिया जिसे अम्मी अपने गोरे हाथ में पकड़ कर चूस रही थीं। अम्बरीन खाला की मोटी गाँड भी मेरी जानिब थी। दोनों बहनों के चूतड़ों को जिनके बीच में उनकी चिकनी चूतें और गाँड के सुराख नज़र आ रहे थे इस तरह हवा में उठा देख कर मेरे जिस्म में खून कि गर्दिश बढ़ गयी। नज़ीर सही कहता था कि दोनों ही ज़बरदस्त माल थीं।

जब अम्मी नज़ीर का मोटा लंड चूसते-चूसते ज़रा थक गयीं तो उन्होंने उसे अपने मुँह से निकाल लिया। अब अम्बरीन खाला ने अम्मी के थूक से भीगा नज़ीर का लंड अपने मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया। नज़ीर ने अम्मी को बाज़ू से पकड़ कर अपने ऊपर गिरा लिया और उनके मुँह में मुँह दे कर उनकी ज़ुबान चूसने लगा। उसका एक हाथ बड़ी बे-दर्दी से अम्मी के मम्मों के नरम उभारों को मसल रहा था। मैंने देखा कि अम्मी भी अपनी ज़ुबान नज़ीर के मुँह में डाल रही थीं। जब नज़ीर ने ज़ोर से अम्मी के नंगे मम्मे पर चुटकी काटी तो उनके मुँह से हल्की सी चींख निकल गयी। अम्मी ने मसनोई गुस्से से उसकी तरफ़ देखते हुए प्यार से उसके सीने पर मुक्का मारा तो नज़ीर हंसने लगा। अम्बरीन खाला ने भी उसका मोटा लंड अपने मुँह से निकाला और उसकी तरफ़ देखा। नज़ीर भी शायद अम्मी और अम्बरीन खाला से अपना लंड चुसवा-चुसवा कर बेहद गरम हो गया था। उसने करामत को इशारा किया।

करामत किसी पालतू कुत्ते की तरह बेड के पास आ गया। चलते हुए उसका बेहद लम्बा लंड अकड़ कर हवा में हिचकोले ले रहा था। नज़ीर ने अम्मी और अम्बरीन खाला से कहा कि – “ज़रा मेरे यार का लौड़ा। क्या तुम ने कभी ऐसा लौड़ा देखा है?” अम्मी और अम्बरीन खाला ने मुड़ कर करामत को देखा तो उसके लंड को ललचाई नज़रों से निहारने लगी। मैंने देखा कि अम्बरीन खाला का एक हाथ बे-साख्ता उनकी चूत पर फिसलने लगा। अम्मी की आँखों में भी हवस और तारीफ झलक रही थी।
 
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