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Incest खेल ससुर बहु का

Funlover

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बहुत ही शानदार शुरुआत
शुक्रिया दोस्त पढ़ते रहिये और अपने विचार पेश करते रहिये
 

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सुरुचि निराश हो गयी, उसने तो सोचा था कि उसका पति उसके लिए प्यार से तोहफा लाया है पर उसे तो तोहफे का ध्यान भी नही था| सुरुचि ने भी विश्वा के लिए गोल्ड चेईन ली थी जो उसने सोते हुए विश्वा के गले मे डाल दी और खुद भी सो गयी| लेकिन वो अपनी इस सुहागरात से खुश नहीं थी, वो सोच रही थी की अभी उसकी शुरुआत भी नहीं हुई थी और ये महाशय मेरी चूत में अपना माल डाल कर सो भी गए| हलाकि उसे मालुम भी था और कही पढ़ा भी था की पहली बार शायद ऐसा हो जाता है की दोनों में से एक या फिर दोनों आधे रह जाते है क्यों की उत्तेजना बहोत ज्यादा हो जाती है जिसे काबू में रखना मुश्किल हो जाता है खास कर पुरुषो के लिए|

उसी वक़्त महल के उसी उपरी मंज़िल जिसमे सुरुचि और विश्वा का कमरा था, के एक दूसरे हिस्से मे राजा यशवीर अपने पलंग पर लेट सोच रहे थे कि आज कितने दीनो बाद उनके महल मे फिर रौनक हुई| "हे प्रभु, इस ख़ुशी को बनाए रखना|", उन्होने मन ही मन भगवान से प्रार्थना की|

अब उनका ध्यान अपने बेटे-बहू पर गया| इस वक़्त दोनो एक-दूसरे मे खोए होंगे| उन्हे अपनी सुहागरात याद आ गयी| सरितादेवी के अती धार्मिक होने के कारण उन्हे चुदाई के लिए तैयार करने मे उन्हे काफ़ी मजदूरी करनी पड़ी थी| ज़बरदस्ती उन्हे पसंद नही थी, वरना जो 6'2" लंबा-चौड़ा इंसान आज 52 वर्ष की उम्र ने भी 45 से ज़्यादा का नही लगता था वो जवानी मे किसी औरत को काबू करने मे कितना वक़्त लेता!

अपनी सुहागरात याद करके उनके होठों पे मुस्कान आ गयी ओर अनायास ही वो अपने बेटे-अभू की सुहागरात के बारे मे सोचने लगे| उनका ध्यान सुरुचि की ओर गया|

"कितनी खूबसूरत है| विश्वा बहुत लकी है बस इस बात को वो खुद भी रीयलाइज़ कर ले|”, फिर वो भी सो गये|
***



आइए चलते हैं हम अब राजपुरा के एक दूसरे कोने मे| वहा एक बड़ी कोठी अंधेरे मे डूबी है| लेकिन उपरी मंज़िल के एक कमरे से कुछ आवाज़ें आ रही हैं| देखते हैं कौन है वहा|

उस कमरे के अंदर एक काला, भद्दा और थोड़ा मोटा आदमी नंगा बिस्तर पर बैठा है| उसके सर के काफ़ी बाल उड़ गये हैं और चेहरे पर दाग भी है| मक्कारी और क्रूरता उसकी आँखो मे साफ़ झलकती है| यही है जब्बार जिसका बस एक ही मक़सद है, राजासाहब की बर्बादी|

वो शराब पी रहा है और एक बला की सुंदर नंगी लड़की उसके लंड को अपनी चूचियों के बीच रगड़ रही है| वो लंड रगड़ते- रगड़ते बीच-बिच मे झुक कर उसे अपने पतले गुलाबी होठों से चूस भी लेती है| दूर से देखने से लगता है जैसे कि एक राक्षस और एक परी जिस्मों का खेल खेल रहे हैं|

अचानक जब्बार ने अपना ग्लास बगल की त्रिपोई पर रखा और उस खूबसूरत लड़की को उसके बालों से पकड़ कर खीचा और उसे बिस्तर पर पटक दिया|

"औ…छ्ह", वो कराही पर बिना किसी परवाह के जब्बार ने उसकी टांगे फैलाई और अपना मोटा लंड उसकी चूत मे पेल दिया|

"आ…आहह…….हा…..ईईईईईई…….रा…..आमम्म्ममम…",वो चिल्लाई|



जब्बार ने बहुत बेरहमी से उसे चोदना शुरू कर दिया| उस लड़की के चेहरे पर दर्द और मज़े के मिले-जुले भाव थे| उसे भी इस जंगलीपन मे मज़ा आ रहा था, साथ ही वो नीचे से अपनी कमर हिला कर जब्बार का पूरा साथ दे रही थी| थोड़ी ही देर मे उसने अपनी बाहें जब्बार की पीठ पर और सुडोल टांगे उसकी कमर के गिर्द लपेट दी और चिल्लाने लगी,"हा|....आई.....से....हीईीईई.....ज़ो....र... से ....कर...ते....रहो! मा...द....र...चो...द.....ले ले मेरी चूत"|

"आ....हह...एयेए...हह!"

जब्बार उसकी धईली (स्तन) को काटने और चूसने लगा और अपने धक्कों की स्पीड और बढ़ा दी| थोड़ी ही देर मे वो लड़की झड गयी, "ऊऊऊओ......एयेए.....हह...मजा आ रही थी की बहनचोद मेरी चूत झड जाती है!"

और साथ-साथ जब्बार भी| उसके लंड ने भी अपनी पिचकारी उसकी चूत में डाल दी और अपना लंड को खाली कर दिया|

उसकी चूत मे से लंड निकाल कर जब्बार बिस्तर से उतरा और त्रिपोई पे रखे ग्लास मे शराब डालने लगा| उस लड़की ने अपना बाया हाथ बढ़ा कर जब्बार के सिकुडे हुए लॅंड और बॉल्स को पकड़ किया और मसलने लगी, "ज़ालिम तो तू बहुत है पर आज कुछ ज़्यादा ही हैवानियत दिखा रहा था| वजह?"

ग्लास खाली करके जब्बार ने जवाब दिया, "मुझे उंगली कर रही है ना, मलिका|"

" साली, ये ले|", कहते हुए उसने अपना अपने ही वीर्य और मलिका के चूतरस से भीगा लंड फिर से मलिका के मुँह मे घुसा दिया| अपने मोटे हाथों से उसे बालो से पकड़ कर उसका सिर उपर किया और उसके मुह को ही चोदने लगा, "राजा के यहा खुशी मनाई जाए और मैं यहा संत बना रहूं...हैं!"

जवाब मे मलिका ने हाथों से उसकी कमर को पकड़ा और अपनी दो उंगलियाँ जब्बार की गांड मे घुसा दी| वो चिहुका लेकिन उसने अपनी रखैल का मुँह चोदना नही छोड़ा|

मलिका उसकी रखैल थी| उसके ही जैसी निर्दयी और ज़ालिम| भगवान ने जितनी खूबसूरती उसे बक्शी थी उतनी ही कम उसके दिल मे दया और प्यार भरा था|

इन ज़ालिमों को इनके जन्गालियत को छोड़ हम आगे बढ़ते हैं आने वाली सुबह की ओर जब विश्वजीत अपनी दुल्हन को लेकर हनिमून के लिए स्विट्ज़र्लॅंड को जाने वाला है|

 

vakharia

Supreme
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चलिए अब वापस चलते हैं महल को|
अरे ये क्या! पार्टी तो ख़तम हो गयी| सारे मेहमान भी चले गये| नौकर-नौकरानी भी महल के कम्पाउंड मे ही बने अपने कमरों मे चले गये हैं| रात के खाने के बाद महल के अंदर केवल राजासाहब और उनके परिवार एवं खास मेहमानों को ही रहने का हुक्म है|

पर मैं आपको महल के अंदर ले चलती हूँ, सीधे विश्वजीत के कमरे में क्यू की अब सुरुचि से मिलने का वक़्त आ गया है|

सुरुचि-विश्वजीत की दुल्हन, बला की खूबसूरत| गोरा रंग, खड़ी नाक, बड़ी बड़ी काली आँखें, कद 5'5" | मस्त फिगर की मल्लिका| बड़े लेकिन बिल्कुल टाइट स्तनों और गांड की मालकिन| सुरुचि एक बहोत कॉन्फिडेंट लड़की है जो कि अपने मन की बात साफ साफ़ लेकिन शालीनता से कहने मे बिल्कुल नही हिचकति|

सुरुचि सुहाग सेज पे सजी-धजी बैठी अपने पति का इंतेज़ार कर रही है| ये लीजिए वो भी आ गया|

सुरुचि और विश्वजीत शादी के पहले कई बार एक दूसरे से मिले थे सो अजनबी तो नही थे पर अभी इतने करीबी भी नही हुए थे| विश्वा ने 4-5 बार उसके गुलाबी रसीले होठों को चूमा था| या ये कहीऐ की उसका होठो का रसपान किया था| उसके नशीले कसे बदन को अपनी बाहों मे भरा था पर इससे ज़्यादा सुरुचि कुछ करने ही नही देती थी| पर आज तो वो सोच कर आया था कि उसे पूरी तरह से अपनी बना के रहेगा| और क्यों ना हो?

विश्वा पलंग पे सुरुचि के पास आकर बैठ गया|

"शादी मुबारक हो, दुल्हन", कह के उसने अपनी सुरुचि का गाल चूम लिया|

"मुबारकबाद देने का ये कौन सा तरीका है?",सुरुचि बनावटी नाराज़गी से बोली|

"अरे, मेरी जान| ये तो शुरूआत है, पूरी मुबारबादी देने मे तो हम रात निकाल देंगे"| कह के उसने सुरुचि को बाहों मे भर लिया और उसे बेतहाशा चूमने लगा| गालों पे, माथे पे, उसकी लंबी सुरहिदार गर्दन पे, उसके होठों को चूमते हुए वो उन पर अपनी जीभ फिराने लगा और उसे उसके मुँह मे डालने की कोशिश करने लगा|

सुरुचि इतनी जल्दी इतने तेज़ हमले से चौंक और घबरा गई और अपने को उससे अलग करने की कोशिश करने लगी|

"क्या हुआ जान? अब कैसी शरम! चलो अब और मत तड़पाओ", विश्वा उसके होठों को आज़ाद लेकिन बाहो की गिरफ्त और मज़बूत करते हुए बोला|

"इतनी जल्दी क्या है? मै कही भाग जाने वाली नहीं हु"|

"मैं अब और इंतेज़ार नही कर सकता, सुरुचि प्लीज़!" कहके वो फिर अपनी पत्नी को चूमने लगा| पर इस बार जंगली की तरह नही बल्कि आराम से थोड़ा धीरे धीरे|

थोड़ी ही देर मे सुरुचि ने अपने होठ खोल दिए और विश्वा ने अपनी जीभ उसके मुँह मे दाखिल करा दी और उसे बिस्तर पे लिटा दिया| वो सुरुचि का रसपान करने लगा| उसकी बाहें अभी भी सुरुचि को कसे हुए थी और उसकी जीभ सुरुचि की जीभ के साथ खेल रही थी| उसका सीना सुरुचि के स्तनों को दबा रहा था और दाईं टाँग उसकी टाँगों के उपर थी| हलाकि जैसे हर स्त्री अपने रस को अपने पार्टनर से रसपान कराने में खुश होती है वैसे ही सुरुचि भी चाहती थी की उसका रस का पान हो|

थोड़ी देर ऐसे ही चूमने के बाद वो अपने हाथ आगे ले आया और ब्लाउस के उपर से ही अपनी बीवी की बोबले दबाने लगा, फिर उसने अपने होठ उसके क्लीवेज पर रख दिए, सुरुचि की साँसें भारी हो गयी, धीरे धीरे वो भी गरम हो रही थी| और वो अपनी इस रात को यादगार रात बनाना चाहती थी जो हर औरत चाहती है|

पर विश्वजीत बहुत बेसबरा था और उसने जल्दी से सुरुचि का ब्लाउस खोल दिया और फिर रेड ब्रा मे क़ैद उसकी रसीले बोबले पर टूट पड़ा| सुरुचि की नही नहीं का उसके उपर कोई असर नही था|



सुरुचि के लिए ये सब बहोत जल्दी था| वो एक कॉनवेंट मे पढ़ी लड़की थी| सेक्स के बारे मे सब जानती थी पर कुछ शर्म और कुछ अपने खानदान की मर्यादा का ख़याल करते हुए उसने अभी तक किसी से चुदवाया नही था| विदेश मे कॉलेज मे कभी-कभार किसी लड़के के साथ किसिंग की थी और अपने स्तनों को दब्वाया था बस| विश्वा को भी उसने शादी से पहेले किसिंग से आगे नही बढ़ने दिया था| और वो जानती थी की सुहागरात में कोई जल्दी नहीं होती सब कुछ प्रेम से एक-दूसरे में खो जाना होता है| अपने सपनो को प्रेम की डोरी से एक होने की मंशा होती है और वो दोनों साइड से होती है| जैसे सब दुल्हन अपने आप को मन से सोचती है की पतिदेव ऐसा करेगा वैसा करेगा, प्रेम से एक एक करके कपडे उतारेगा उसके यौवन की प्रशंशा करते हुए खुद भी नंगा होगा और मुझे भी करेगा और फिर हम एक हो जायेंगे| लेकिन ये बात तो है की कोई भी स्त्री अपनी सुहागरात में बेसब्री और हमला जैसा नहीं सोचती|

सो उसके हमले से वो थोड़ा अनसेटल्ड हो गयी| इसी का फायदा उठा कर विश्वजीत ने उसके साडी और पेटीकोट को भी उसके खूबसूरत बदन से अलग कर दिया| अब वो केवल रेड ब्रा और पेंटी मे थी| टांगे कस कर भीची हुई, हाथों से अपने सीने को ढकति हुई| शर्म से उसका चेहरा ओर भी ज्यादा गुलाबी हो गया था और आँखें बंद थी| सुरुचि सचमुच भगवान इन्द्र के दरबार की अप्सरा मेनका जैसी ही लग रही थी|

विश्वा ने एक नज़र भर कर उसे देखा और अपने कपड़े निकाल कर पूरा नंगा हो गया| उसका 4 एक/2 इंच का लंड प्रिकम से गीला था| उसने उसी जल्दबाज़ी से सुरुचि के ब्रा को नोच फेका और उसका मुँह उसकी स्तनों से चिपक गया| वो उसके हल्के गुलाबी रंग के निपल्स को कभी चूसता तो कभी अपनी उंगलियों से मसलता| सुरुचि उसकी इन हरकतों से और ज्यादा गरम हो रही थी| फिर विश्वा उसकी चूचियो को छोड़ उसके पेट को चूमता हुआ उसकी गहरी नाभि तक पहुचा|

जब उसने जीभ उसकी नाभि मे फिराई तो वो सीत्कार कर उठी,"आ..आ...अहह.."|

फिर वो और नीचे पहुचा, पेंटी के उपर से उसकी चूत पर एक किस ठोकी तो सुरुचि शर्म मारे कराह उठती हुई उसका सर पकड़ कर अपने से अलग करने लगी पर वो कहा मानने वाला था| उसने उसे फिर लिटाया और एक झटके के साथ उसकी पेंटी खीच कर फेक दी| सुरुचि की चूत पे झांट हार्ट शेप मे कटी हुई थी| हालाकि वो शेप उसकी चूत के ऊपर के हिस्से मे बनवाई थी, ये उसकी सहेलियों के कहने पर उसने किया था|

"वाह! मेरी जान", विश्वा के मुँह से निकला, "वेरी ब्यूटिफुल पर प्लीज़ तुम इन बालों को साफ़ कर लेना| मुझे साफ़ और बिना बालों की चूत पसंद है|"

ये बात सुनकर सुरुचि की शर्म और बढ़ गयी| एक तो वो पहली बार किसी के सामने ऐसे नंगी हुई थी उपर से ऐसी बाते! खेर ऐसा भी नहीं था की वो इस शब्दों को जानती नहीं थी या बोलती नहीं थी| लेकिन पति के मुह से और ज्यादा तो शर्म|

विश्वा ने एक उंगली उसकी चूत मे डाल दी और दूसरे हाथ से उसके बूब्स मसलने लगा| सुरुचि पागल हो गयी| तभी वो उंगली हटा कर उसकी टांगो के बीच आया और उसकी चूत मे जीभ फिराने लगा| अब तो सुरुचि बिल्कुल ही बेक़ाबू हो गयी| उसे अब बहुत मज़ा आ रहा था| वो चाहती थी की विश्वजीत ऐसे ही देर तक उसकी चूत चाटता रहे, पर उसी वक़्त विश्वा ने अपना मुह उसकी चूत से हटा लिया|

सुरुचि ने आँखें खोली तो देखा कि वो अपना लंड उसकी चूत पर रख रहा था|

वो मना करने के लिए नही बोलते हुए उसके पेट पर हाथ रखने लगी पर बेसब्र विश्वा ने एक झटके मे उसकी कुँवारी नाज़ुक चूत मे अपना आधा लंड घुसेड दिया| यूँ तो सुरुचि की चूत गीली थी पर फिर भी पहली चुदाई के दर्द से उसकी चीख निकल गयी, "उउउइईईईई ....माअ .... अनन्न्न्न्न ... न्न्न्न...ना....शियीयियी"| और अब वो कुवारी लड़की नहीं रही थी बल्कि एक महिला बन गई थी क्यों की विश्वा के लंड ने उसकी चूत की झिल्ली तोड़ दी थी| चूत से थोडा खून भी बाहर आया और उसके लंड को खून से भर दिया|

विश्वा उसके दर्द से बेपरवाह धक्के मारता रहा और थोड़ी देर मे उसके अंदर झड़ गया| फिर वो उसके सीने पे गिर कर हाँफने लगा|

सुरुचि ने ऐसी सुहागरात की कल्पना नही की थी, उसने सोचा था कि विश्वा पहले उससे प्यारी-प्यारी बातें करेगा| फिर जब वो थोड़ा कम्फर्टेबल हो जाए तब बड़े प्यार से उसके साथ चुदाई करेगा| पर विश्वा को तो पता नही किस बात की जल्दी थी|

"अरे... तुम्हारी खूबसूरती का रस पीने के चक्कर मे तो मैं ये भूल ही गया!", विश्वा अपने ज़मीन पर पड़े कुर्ते को उठा कर उसकी जेब से कुछ निकालते हुए बोला तो सुरुचि ने एक चादर खीचकर अपने नंगेपन को ढकते हुए उसकी तरफ देखा|

"ये लो अपना वेडिंग गिफ्ट|", कहते हुए उसने एक छोटा सा बॉक्स सुरुचि की तरफ बढ़ा दिया|

सुरुचि ने उसे खोला तो अंदर एक बहुत खूबसूरत और कीमती डाइमंड ब्रेस्लेट था| ऐसा लगता था जैसे किसी ने सुरुचि से ही पसंद करवा के खरीदा हो| वो बहुत खुश हो गयी और अपना दर्द भूल गयी| उसे लगा कि अभी बेसब्री मे विश्वजीत ने ऐसा प्यार किया|

"वाउ! इट'स सो ब्यूटिफुल| आपको मेरी पसंद की कैसे पता चली?", उसने ब्रेस्लेट अपने हाथ मे डालते हुए पूछा|

"अरे भाई, मुझे तो तुमहरे गिफ्ट का ख़याल भी नही था", विश्वा ने उसकी बगल मे लेटते हुए जवाब दिया| "वो तो मेरे कज़िन्स शादी के एक दिन पहले मुझ से पूछने लगे कि मैने उनकी भाभी के लिए क्या गिफ्ट लिया तो मैने कह दिया कि कुछ नही| यार, मुझे लगा कि अब गिफ्ट क्या देना| पर पिताजी ने मेरी बात सुन ली| वो उसी वक़्त शहर गये ओर ये ला कर मुझे दिया| कहा कि बहू को अपनी तरफ से गिफ्ट करना", इतना कह कर वो सोने लगा|



जारी है बने रहिये ............आपके कोमेंट की प्रतीक्षा है ............
बेहतरीन अपडेट..
 

bstyhw

New Member
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Pura kahaani copy paste hai. Post kiye the rajaarkey ne 2014 me. Likha thaa kisi kramshah ne.
Jab puri kahaani uthaayi hui ho to ek baar me post kar dena chahiye. Chhote chhote bhaag likhkar readers ko tadpane ka kya matlab? Haan agar khud likh rahe hote to alag baat thi.

Credit bhee dena chahiye original writer ko jab copy-paste kar rahe ho. Sirf naam badal dene se story alag nahi ho jaati.


Readers ko padhne ke liye aage ki puri kahaani niche di hui hai. Kahaani ka asli naam Mast Menaka hai.


मेनका निराश हो गयी,उसने तो सोचा था कि उसका पति उसके लिए प्यार से तोहफा लाया है पर उसे तो तोहफे का ध्यान भी नही था.मेनका ने भी विश्वा के लिए गोल्ड चैन ली थी जो उसने सोते हुए विश्वा के गले मे डाल दी & खुद भी सो गयी.

उसी वक़्त महल के उसी उपरी मंज़िल जिसमे मेनका & विश्वा का कमरा था,के एक दूसरे हिस्से मे राजा यशवीर अपने पलंग पर लेट सोच रहे थे कि आज कितने दीनो बाद उनके महल मे फिर रौनक हुई."प्रभु,इसे बनाए रखना.",उन्होने मन ही मन भगवान से प्रार्थना की.

अब उनका ध्यान अपने बेटे-बहू पर गया.इस वक़्त दोनो एक-दूसरे मे खोए होंगे.उन्हे अपनी सुहागरात याद आ गयी.सरिता देवी के आती धार्मिक होने के कारण उन्हे चुदाई के लिए तैइय्यार करने मे उन्हे काफ़ी मशक्कत करनी पड़ी थी.ज़बरदस्ती उन्हे पसंद नही थी,वरना जो 6'2" लंबा-चौड़ा इंसान आज 52 वर्ष की उम्र ने भी 45 से ज़्यादा का नही लगता था वो जवानी मे किसी औरत को काबू करने मे कितना वक़्त लेता!

अपनी सुहागरात याद करके उनके होठों पे मुस्कान आ गयी ओर अनायास ही वो अपने बेटे-अभू की सुहागरात के बारे मे सोचने लगे.उनका ध्यान मेनका की ओर गया.

"कितनी खूबसूरत है.विश्वा बहुत लकी है बस इस बात को वो खुद भी रीयलाइज़ कर ले.",फिर वो भी सो गये.

आइए चलते हैं हम अब राजपुरा के 1 दूसरे कोने मे.वाहा 1 बड़ी कोठी अंधेरे मे डूबी है.लेकिन उपरी मंज़िल के 1 कमरे से कुच्छ आवाज़ें आ रही हैं.देखते हैं कौन है वाहा.

उस कमरे के अंदर 1 काला ,भद्दा & थोड़ा मोटा आदमी नगा बिस्तर पर बैठा है.उसके सर के काफ़ी बाल उड़ गये हैं & चेहरे पर दाग भी है.मक्कारी और क्रूरता उसकी आँखो मे सॉफ झलकती है.यही है जब्बार जिसका बस 1 मक़सद है-राजा साहब की बर्बादी.

वो शराब पी रहा है & एक बला की सुंदर नंगी लड़की उसके लंड को अपनी चूचियों के बीच रगड़ रही है.वो लंड रगड़ते-2 बीच-2 मे झुक कर उसे अपने पतले गुलाबी होठों से चूस भी लेती है.दूर से देखने से लगता है जैसे कि एक राक्षस & 1 परी जिस्मों का खेल खेल रहे हैं.

अचानक जब्बार ने अपना ग्लास बगल की तिपाई पर रखा और उस खूबसूरत लड़की को उसके बालों से पकड़ कर खीचा & उसे बिस्तर पर पटक दिया.

"औ..छ्ह",वो कराही पर बिना किसी परवाह के जब्बार ने उसकी टांगे फैलाई & अपना मोटा लंड उसकी चूत मे पेल दिया.

"आ...आहह......हा...ईईईईईई......रा....आमम्म्ममम...",वो चिल्लाई.

जब्बार ने बहुत बेरहमी से उसे चोदना शुरू कर दिया.उस लड़की के चेहरे पर दर्द & मज़े के मिले-जुले भाव थे.उसे भी इस जुंगलिपने मे मज़ा आ रहा था 7 वो नीचे से अपनी कमर हिल-2 कर जब्बार का पूरा साथ दे रही थी.थोड़ी ही देर मे उसने अपनी बाहें जब्बार की पीठ पर & सुडोल टाँगें उसकी कमर के गिर्द लपेट दी & चिल्लाने लगी,"हा.....आई....से....हीईीईई.....ज़ो...र्र.... से ...कर....ते...रहो!"

"आ..हह...एयेए...हह!"

जब्बार उसकी चूचियो को काटने & चूसने लगा & अपने धक्कों की स्पीड और बढ़ा दी.थोड़ी ही देर मे वो लड़कीजद गयी,"ऊऊऊओ.....एयेए....हह....!"

और साथ-साथ जब्बार भी.

उसकी चूत मे से लंड निकाल कर जब्बार बिस्तर से उतरा & तिपाई पे रखे ग्लास मे शराब डालने लगा.उस लड़की ने अपना बाया हाथ बढ़ा कर जब्बार के सिकुदे हुए लॅंड & बॉल्स को पकड़ किया & मसालने लगी,"ज़ालिम तो तू बहुत है पर आज कुच्छ ज़्यादा ही हैवानियत दिखा रहा था.वजह?"

ग्लास खाली करके जब्बार ने जवाब दिया,"मुझे उंगली कर रही है ना,मलिका."

" साली,ये ले.",कहते हुए उसने अपना अपने ही वीर्य & मलिका के रस भीगा लंड फिर से मालिका के मुँह मे घुसा दिया.अपने मोटे हाथों से उसे बालों से पकड़ कर उसका सिर उपर किया और उसके मुँह को ही चोदने लगा,"राजा के यहा खुशी मने & मैं यहा संत बना रहूं..हैं!"

जवाब मे मलिका ने हाथों से उसकी कमर को पकड़ा & अपनी दो उंगलियाँ जब्बार की गांद मे घुसा दी.वो चिहुका लेकिन उसने अपनी रखैल का मुँह चोदना नही छ्चोड़ा.

मलिका उसकी रखैल थी.उसके ही जैसी निर्दयी & ज़ालिम.भगवान जितनी खूबसूरती उसे बक्शी थी उतनी ही कम उसके दिल मे दया & प्यार भरा था.

इन ज़ालिमों को इनके जुंगलिपने पे छ्चोड़ हम आगे बढ़ते हैं आने वाली सुबह की ओर जब विषजीत अपनी दुल्हन को लेकर हनिमून के लिए स्विट्ज़र्लॅंड को जाने वाला है.

सुबह सूरज की रोशनी चेहरे पर पड़ने से मेनका की आँख खुली.विश्वजीत कमरे मे नहीं था & वो पलंग पर अकेली नंगी पड़ी थी.वो उठकर बाथरूम मे आ गयी.नौकरानियों ने कल ही उसका सारा समान उसकी ज़रूरत के हिसाब से उसको रूम मे अरेंज कर दिया था.

बाथरूम मे घुसते ही वो चौंक पड़ी-आदम कद शीशे मे अपने अक्स को देख कर..उसे लगा कि कोई और खड़ा है पर जब रीयलाइज़ किया कि ये तो उसी का अक्स है तो हंस पड़ी.वो शीशे मे अपने नंगे बदन को निहारने लगी.......अपना परियो जैसा खूबसूरत चेहरा,कमर तक लहराते घने,काले बाल...मांसल बाहें,लंबी सुरहिदार गर्दन...उसके 36 साइज़ के बूब्स बिना ब्रा के भी बिल्कुल टाइट और सीधे तने हुए थे..उसे खुद भी हैरत होती थी कि इतने बड़े साइज़ के होने के बावजूद उसकी चूचिया ऐसी कसी थी ज़रा भी नही झूलती थी...ब्रा की तो जैसे उन्हे ज़रूरत ही नही थी....उसने धीरे से उन्हे सहलाया और अपने हल्के गुलाबी रंग के निपल्स को हल्का सा मसला..अब उसके हाथ अपनी सपाट पेट पर गये जिसके बीच मे उसकी गोल,गहरी नाभि चमक रही थी .अब उसने अपना बदन घुमा कर अपनी मखमली पीठ का मुआयना किया,नीचे अपनी 26 इंच की कमर को देखा & फिर अपनी मस्त 34 साइज़ की गांद को निहारा जो की उसकी चूचियो की तरह ही बिल्कुल पुष्ट & कसी थी.उसकी मांसल ,भारी जांघे & उसके सुडोल टाँगें तो ऐसे चमक रही थी जैसे संगमरमर की बनी हो.

उसे अपनी सुंदरता पर थोड़ा गुरूर हो आया पर उसी वक़्त उसकी नज़र उसकी छातियो पर बने विश्वजीत के दांतो के निशान पर पड़ी & उसे कल की रात याद आ गयी & 1 परच्छाई सी उसके चेहरे पर से गुज़र गयी-उसकी छातियो को देख कर ऐसा लगता था जैसे चाँद पे दाग पड़ा हो...फ़र्क बस इतना था कि यहा 2-2 चाँद थे.

वो एक गहरी सांस भर के पानी भरे बाथ-टब मे बैठ गयी.उसके हाथ अपनी जांघों पर से होते हुए उसकी झांतों भरी चूत से टकराए & उसे रात को विश्वा की कही बात याद आ गयी.उसने हाथ बढ़ा कर बगल के शेल्फ से हेर-रिमूविंग क्रीम निकाली & अपनी झाँटें सॉफ करने लगी.

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बेटे-बहू को हनिमून के लिए विदा करके राजा यशवीर अपने ऑफीस पहुचे.उनकी 15 मिल्स तो राजपुरा के अंदर & आसपास के इलाक़े मे फैली थी पर राजपुरा के उत्तरी हिस्से मे 1 ओर उनकी 6 मिल्स का 1 बहुत बड़ा कॉंप्लेक्स था(उनका महल राजपुरा के पूर्वी बोर्डर्पे था).इसी के अंदर उन्होने मिल्स मे काम करने वाले उनके स्टाफ मेंबर्ज़ के लिए रेसिडेन्षियल कॉंप्लेक्स,हॉस्पिटल & स्टाफ के बच्चों के लिए स्कूल बनवाया था.साथ ही यहा उनके बिज़्नेस का सेंट्रल ऑफीस भी था जहा से राजा साहब अपने कारोबार को चलाते थे.

ऑफीस मे अपने चेंबर मे बैठते ही उनके राजकुल मिल्स ग्रूप के CMड सेशाद्री उनके पास सारी रिपोर्ट्स ले कर आ गये.सेशाद्री उनका बहुत वफ़ादार एंप्लायी था & राजा साहब उसके बिना बिज़्नेस चलाना तो सोच भी नही सकते थे.

"नमस्कार,सेशाद्री साहब.आइए बैठिए."

"कुंवर साहब & कुँवरनी साहिबा रवाना हो गये,राजा साहब?'

"जी हां,सेशाद्री जी.उपरवाले की कृपा & आप सबकी शुभकामनाओं से शादी ठीक तरह से निपट गयी."

"हम तो हुमेशा आपका शुभ ही चाहेंगे सर.",सेशाद्री नेउनकी तरफ लॅपटॉप घूमाते हुए कहा.

"वो जर्मन कंपनी जिसे हम अपनी शुगर मिल्स मे पार्ट्नर बनाना चाहते हैं,उनके साथ 4थ राउंड की मीटिंग कैसी रही?"

"बहुत बढ़िया सर.पेपर मिल्स के लिए 1 अमेरिकन कंपनी से भी बात की है.जैसा आप चाहते हैं हुमारी ग्रूप कॉस. मे फॉरिन पार्ट्नर्स लेकर हम अपने प्रॉडक्ट्स का एक्सपोर्ट तो आसान कर ही लेंगे,साथ-2 हुमारे ग्रूप मे भी कॉर्पोरेट स्ट्रक्चर तैयार हो जाएगा."

"हा,हम चाहते हैं कि हुमारा ग्रूप आगे भी 1 वेल-आय्ल्ड मशीन की तरह चले & आपके जैसे क्वालिफाइड लोग ही हुमेशा इसकी बागडोर संभाले रहे."

"पर राजा साहब,आपको डर नही लगता कि आपके परिवार का कंट्रोल ख़तम हो गया तो.."

"..अगर ऐसा होता है उसका मतलब है कि हुमारे परिवार मे किसी मे को. चलाने की काबिलियत नही है.ऐसे मे उन्हे पैसों से कॉमपेनसेट किया जाएगा ओर कंपनी. को सो कॉल्ड बाहर के लोग सुचारू रूप से चलाते रहेंगे.",राजा साहब ने उनकी बात बीच मे ही काटते हुए जवाब दिया.

"सेशाद्री साहब,क्या आप आउटसाइडर हैं.आपका हुमारा खून का रिश्ता नही है पर आपने तो हमसे भी ज़्यादा इस ग्रूप की सेवा की है."

"सर,प्लीज़ डॉन'ट एंबरस्स मी."

"सेशाद्री साहब,हम तो आपकी तारीफ करते रहेंगे,आप ही तारीफ पर फूलना सीख जाए!"

कह कर दोनो हंस पड़े.

"अच्छा,वो अमेरिकन कंपनी भरोसे की तो है?"

एस,सर.जबसे जब्बार वाला केस हुआ है मैं इस मामले मे डबल सावधान हो गया हूँ."

जब तक ये दोनो और बात करते है मैं आपको "जब्बार वाले केस" से रूबरू करवा दू.

जब्बार ने बहुत बेरहमी से उसे चोदना शुरू कर दिया.उस लड़की के चेहरे पर दर्द & मज़े के मिले-जुले भाव थे.उसे भी इस जुंगलिपने मे मज़ा आ रहा था 7 वो नीचे से अपनी कमर हिल-2 कर जब्बार का पूरा साथ दे रही थी.थोड़ी ही देर मे उसने अपनी बाहें जब्बार की पीठ पर & सुडोल टाँगें उसकी कमर के गिर्द लपेट दी & चिल्लाने लगी,"हा.....आई....से....हीईीईई.....ज़ो...र्र.... से ...कर....ते...रहो!"

"आ..हह...एयेए...हह!"

जब्बार उसकी चूचियो को काटने & चूसने लगा & अपने धक्कों की स्पीड और बढ़ा दी.थोड़ी ही देर मे वो लड़कीजद गयी,"ऊऊऊओ.....एयेए....हह....!"

और साथ-साथ जब्बार भी.

उसकी चूत मे से लंड निकाल कर जब्बार बिस्तर से उतरा & तिपाई पे रखे ग्लास मे शराब डालने लगा.उस लड़की ने अपना बाया हाथ बढ़ा कर जब्बार के सिकुदे हुए लॅंड & बॉल्स को पकड़ किया & मसालने लगी,"ज़ालिम तो तू बहुत है पर आज कुच्छ ज़्यादा ही हैवानियत दिखा रहा था.वजह?"

ग्लास खाली करके जब्बार ने जवाब दिया,"मुझे उंगली कर रही है ना,मलिका."

" साली,ये ले.",कहते हुए उसने अपना अपने ही वीर्य & मलिका के रस भीगा लंड फिर से मालिका के मुँह मे घुसा दिया.अपने मोटे हाथों से उसे बालों से पकड़ कर उसका सिर उपर किया और उसके मुँह को ही चोदने लगा,"राजा के यहा खुशी मने & मैं यहा संत बना रहूं..हैं!"

जवाब मे मलिका ने हाथों से उसकी कमर को पकड़ा & अपनी दो उंगलियाँ जब्बार की गांद मे घुसा दी.वो चिहुका लेकिन उसने अपनी रखैल का मुँह चोदना नही छ्चोड़ा.

मलिका उसकी रखैल थी.उसके ही जैसी निर्दयी & ज़ालिम.भगवान जितनी खूबसूरती उसे बक्शी थी उतनी ही कम उसके दिल मे दया & प्यार भरा था.

इन ज़ालिमों को इनके जुंगलिपने पे छ्चोड़ हम आगे बढ़ते हैं आने वाली सुबह की ओर जब विषजीत अपनी दुल्हन को लेकर हनिमून के लिए स्विट्ज़र्लॅंड को जाने वाला है.

सुबह सूरज की रोशनी चेहरे पर पड़ने से मेनका की आँख खुली.विश्वजीत कमरे मे नहीं था & वो पलंग पर अकेली नंगी पड़ी थी.वो उठकर बाथरूम मे आ गयी.नौकरानियों ने कल ही उसका सारा समान उसकी ज़रूरत के हिसाब से उसको रूम मे अरेंज कर दिया था.

बाथरूम मे घुसते ही वो चौंक पड़ी-आदम कद शीशे मे अपने अक्स को देख कर..उसे लगा कि कोई और खड़ा है पर जब रीयलाइज़ किया कि ये तो उसी का अक्स है तो हंस पड़ी.वो शीशे मे अपने नंगे बदन को निहारने लगी.......अपना परियो जैसा खूबसूरत चेहरा,कमर तक लहराते घने,काले बाल...मांसल बाहें,लंबी सुरहिदार गर्दन...उसके 36 साइज़ के बूब्स बिना ब्रा के भी बिल्कुल टाइट और सीधे तने हुए थे..उसे खुद भी हैरत होती थी कि इतने बड़े साइज़ के होने के बावजूद उसकी चूचिया ऐसी कसी थी ज़रा भी नही झूलती थी...ब्रा की तो जैसे उन्हे ज़रूरत ही नही थी....उसने धीरे से उन्हे सहलाया और अपने हल्के गुलाबी रंग के निपल्स को हल्का सा मसला..अब उसके हाथ अपनी सपाट पेट पर गये जिसके बीच मे उसकी गोल,गहरी नाभि चमक रही थी .अब उसने अपना बदन घुमा कर अपनी मखमली पीठ का मुआयना किया,नीचे अपनी 26 इंच की कमर को देखा & फिर अपनी मस्त 34 साइज़ की गांद को निहारा जो की उसकी चूचियो की तरह ही बिल्कुल पुष्ट & कसी थी.उसकी मांसल ,भारी जांघे & उसके सुडोल टाँगें तो ऐसे चमक रही थी जैसे संगमरमर की बनी हो.

उसे अपनी सुंदरता पर थोड़ा गुरूर हो आया पर उसी वक़्त उसकी नज़र उसकी छातियो पर बने विश्वजीत के दांतो के निशान पर पड़ी & उसे कल की रात याद आ गयी & 1 परच्छाई सी उसके चेहरे पर से गुज़र गयी-उसकी छातियो को देख कर ऐसा लगता था जैसे चाँद पे दाग पड़ा हो...फ़र्क बस इतना था कि यहा 2-2 चाँद थे.

वो एक गहरी सांस भर के पानी भरे बाथ-टब मे बैठ गयी.उसके हाथ अपनी जांघों पर से होते हुए उसकी झांतों भरी चूत से टकराए & उसे रात को विश्वा की कही बात याद आ गयी.उसने हाथ बढ़ा कर बगल के शेल्फ से हेर-रिमूविंग क्रीम निकाली & अपनी झाँटें सॉफ करने लगी.

==============================================================

बेटे-बहू को हनिमून के लिए विदा करके राजा यशवीर अपने ऑफीस पहुचे.उनकी 15 मिल्स तो राजपुरा के अंदर & आसपास के इलाक़े मे फैली थी पर राजपुरा के उत्तरी हिस्से मे 1 ओर उनकी 6 मिल्स का 1 बहुत बड़ा कॉंप्लेक्स था(उनका महल राजपुरा के पूर्वी बोर्डर्पे था).इसी के अंदर उन्होने मिल्स मे काम करने वाले उनके स्टाफ मेंबर्ज़ के लिए रेसिडेन्षियल कॉंप्लेक्स,हॉस्पिटल & स्टाफ के बच्चों के लिए स्कूल बनवाया था.साथ ही यहा उनके बिज़्नेस का सेंट्रल ऑफीस भी था जहा से राजा साहब अपने कारोबार को चलाते थे.

ऑफीस मे अपने चेंबर मे बैठते ही उनके राजकुल मिल्स ग्रूप के CMड सेशाद्री उनके पास सारी रिपोर्ट्स ले कर आ गये.सेशाद्री उनका बहुत वफ़ादार एंप्लायी था & राजा साहब उसके बिना बिज़्नेस चलाना तो सोच भी नही सकते थे.

"नमस्कार,सेशाद्री साहब.आइए बैठिए."

"कुंवर साहब & कुँवरनी साहिबा रवाना हो गये,राजा साहब?'

"जी हां,सेशाद्री जी.उपरवाले की कृपा & आप सबकी शुभकामनाओं से शादी ठीक तरह से निपट गयी."

"हम तो हुमेशा आपका शुभ ही चाहेंगे सर.",सेशाद्री नेउनकी तरफ लॅपटॉप घूमाते हुए कहा.

"वो जर्मन कंपनी जिसे हम अपनी शुगर मिल्स मे पार्ट्नर बनाना चाहते हैं,उनके साथ 4थ राउंड की मीटिंग कैसी रही?"

"बहुत बढ़िया सर.पेपर मिल्स के लिए 1 अमेरिकन कंपनी से भी बात की है.जैसा आप चाहते हैं हुमारी ग्रूप कॉस. मे फॉरिन पार्ट्नर्स लेकर हम अपने प्रॉडक्ट्स का एक्सपोर्ट तो आसान कर ही लेंगे,साथ-2 हुमारे ग्रूप मे भी कॉर्पोरेट स्ट्रक्चर तैयार हो जाएगा."

"हा,हम चाहते हैं कि हुमारा ग्रूप आगे भी 1 वेल-आय्ल्ड मशीन की तरह चले & आपके जैसे क्वालिफाइड लोग ही हुमेशा इसकी बागडोर संभाले रहे."

"पर राजा साहब,आपको डर नही लगता कि आपके परिवार का कंट्रोल ख़तम हो गया तो.."

"..अगर ऐसा होता है उसका मतलब है कि हुमारे परिवार मे किसी मे को. चलाने की काबिलियत नही है.ऐसे मे उन्हे पैसों से कॉमपेनसेट किया जाएगा ओर कंपनी. को सो कॉल्ड बाहर के लोग सुचारू रूप से चलाते रहेंगे.",राजा साहब ने उनकी बात बीच मे ही काटते हुए जवाब दिया.

"सेशाद्री साहब,क्या आप आउटसाइडर हैं.आपका हुमारा खून का रिश्ता नही है पर आपने तो हमसे भी ज़्यादा इस ग्रूप की सेवा की है."

"सर,प्लीज़ डॉन'ट एंबरस्स मी."

"सेशाद्री साहब,हम तो आपकी तारीफ करते रहेंगे,आप ही तारीफ पर फूलना सीख जाए!"

कह कर दोनो हंस पड़े.

"अच्छा,वो अमेरिकन कंपनी भरोसे की तो है?"

एस,सर.जबसे जब्बार वाला केस हुआ है मैं इस मामले मे डबल सावधान हो गया हूँ."

जब तक ये दोनो और बात करते है मैं आपको "जब्बार वाले केस" से रूबरू करवा दू.

वो शेलेट के कार्पेट पे नंगी पड़ी थी.बगल मे फाइयर्प्लेस मे आग जल रही थी पर उसकी बेपर्दा जवानी की भदक्ति चमक के आगे आग भी बेनूर लग रही थी.विश्वा भी नंगा था ओर उसकी चूत मे अपनी जीभ डाल कर चाट रहा था.मेनका पागल हो रही थी..उसे बहुत अच्छा लगता था जब उसका पति उसकी चूत पे अपने मुँह से मेहरबान होता था.

पर हर बार की तरह मेनका का मन भरने से पहले ही विश्वा ने अपने होठ उसकी चूत से अलग कर दिया.मेनका का सिर 2 कुशान्स पर था,जिसके कारण उसका उपरी बदन थोडा उठा हुआ था.उसने आँखें खोली तो देखा कि विश्वा अपना लंड पकड़ कर हिला रहा है &उसकी तरफ देख रहा है.उसने गहरी साँस ली & उसका इशारा समझते हुए अपनी टांगे ओर फैला दी.

पर वो चौंक गई जब विश्वा अपना लंड उसकी चूत मे घुसाने के बजाय उसे सीने के दोनो ओर पैर करके बैठ गया ओर अपना लंड उसके मुँह के सामने हिलाने लगा,"इसे लो."

मेनका ने उसके लंड को अपने हान्थो मे पकड़ा ओर हिलाने लगी.विश्वा अक्सर उसे अपना लंड पकड़ने को कहता था पर उस वक़्त वो पीठ के बल लेटा होता था.आज की तरह उसने कभी नही किया था.

"हाथ मे नही मुँह मे लो."

"क्या?!!",मेनका ने पुचछा.

"हाँ,मुँह मे लो",कहकर उसने अपना लंड उसके हाथों से लिया & उसके बंद होठों पर से छुआने लगा.

"नही,मैं ऐसा नही करूँगी",मेनका ने उसे हल्के से धकेला & करवट लेकर उसके नीचे से निकल गयी.

"क्यू?"

"मुझे पसंद नही बस."

"अरे,क्या पसंद नही?"

"मुझे घिन आती है.मैं ऐसे नही करूँगी."

"जब मैं तुम्हारी चूत चाटता हूँ तब तो तुम्हे बड़ा मज़ा आता है &जब मैं वोही तुमसे चाहता हूँ तो तुम्हे घिन आती है!"

"देखिए,मैं आपसे बहस नही करूँगी.आप जो चाहते हैं वो मैं कभी नही कर सकती बस!"

"ठीक है,तो सुन लो आज के बाद मैं भी कभी तुम्हारी चूत नही चाटूँगा."कह कर विश्वा ने उसे लिटाया & उसके उपर आकर अपना लंड उसकी चूत मे पेल दिया& कुच्छ ज़्यादा ही तेज़ धक्के लगाने लगा जैसे उसे जानकार तकलीफ़ पहुँचना चाहता हो.मेनका ने अफ तक नही की ओर उसके झड़ने का इंतेज़ार करने लगी.

अभी भी इंडिया पहुँचने मे बाबाहुत वक़्त था पर मेनका अभी तक नही सो पाई थी.उस दिन के बाद विश्वा ने सच मे उसकी चूत पे अपने होठों को नही लगाया.

मेनका अब आगेके बारे मे सोचने लगी.राजपुरा पहुँचने के बाद 2 दिन वाहा रहना था & फिर उसे मायके जाना था.अपने माता-पिता का ख़याल आते ही उसके चेहरे पे मुस्कान आ गयी& वो उनकेलिए खरीदे गये तॉहफ़ों के बारे मे सोचने लगी & थोड़ी ही देर मे सो गयी.

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शहर के उस घटिया से होटेल के उस रूम मे वो आदमी पलंग पर नंगा पड़ा था.उसके दोनो हाथ बेडपॉस्ट्स से सिल्क स्कार्व्स से बँधे थे और उसके सामने 1 खूबसूरत, सेक्सी लड़की धीरे-2 अपने कपड़े उतार रही थी.थोड़ी ही देर मे वो पूरी नंगी हो गयी &उसकी तरफ बोझिल पलकों से देख कर अपने गुलाबी होठों पे जीभ फेरी & 2 कदम आगे बढ़ कर अपना 1 पैर पलंग पर रख दिया & पैर के अंगूठे के नाख़ून से उस आदमी के तलवे गुदगुदाने लगी,फिर उसने अपनी दाए हाथ की उंगलिया अपने चूत मे डाल दी & बाए हाथ से अपनी भारी छातियो को मसल्ने लगी.

वो आदमी जोश से पागल हो गया & अपने हाथ च्छुदाने की कोशिश करने लगा.उसका लंड पूरा तन चुका था.पर उसकी हालत से बेपरवाह वो लड़की अपने बदन से खेलते रही,"ऊऊहह....आआ...ह..हह.....बत्रा साहब,ऐसे ही आप मेरी चूचिया दबाना चाहते हैं ना?"उसने अपने बूब्स को बेरहमी से मसालते हुए पुचछा.

"हा..हा..मलिका मेरी जान मेरे हाथ तो खोलो."

"क्यू?बर्दाश्त नही हो रहा?",मलिका वैसे ही अपने जिस्म से खेलती हुई & उसे और तड़पाते हुए बोली.

"नही,,नही!!!!!!!!!!!!प्लीज़ खोलो मलिका."

पर मलिका ने तो उसे और तड़पाना था.वो उसके बदन के दोनो तरफ घुटने रख कर उसके लंड के ठीक उपर अपनी चूत लहराने लगी.बत्रा अपनी गंद उठा कर अपने लंड को उसमे घुसाने की कोशिश करने लगा.पर मलिका हंसते और उपर उठ गयी & अपने हाथ से उसे फिर वापस बिस्तर पर सुला दिया.फिर अपने हाथ उसके सीने पे रखे & यूँ बैठने लगी जैसे उसके लंड को लेने वाली हो.बत्रा मुस्कुराने लगा...मलिका की चूत उसके लंड के सूपदे से सटी..बत्रा को लगा कि अब उसकी मुराद पूरी हुई & ये कसी चूत अब उसके लंड को निगल लेगिपर उसके सपने को तोड़ते हुए मलिका फिर उठ गयी.]

बत्रा रुवासा हो गया,"प्लीज़ मलिका और मत तड़पाव..प्लीज़!!!!प्लीज़!!"

मलिका फिर बेदर्दी से हँसी & इस बार उसके लंड पे बैठ गयी,जैसे ही पूरा लंड उसकी चूत के अंदर गया बत्रा नीचे से ज़ोर-2 से गांद हिलाने लगा.मलिका ऩेफीर उसे मज़बूती से अपने बदन से दबा दिया & बहुत ही धीरे-2अपनी गंद हिला कर उसे चोदने लगी.

बत्रा अब बिल्कुल पागल हो गया.जोश के मारे उसका बुरा हाल था & उसने फिर नीचे से अपनी गंद ज़ोर-2 से हिला कर धक्के मारने लगा.मलिका पागलों की तरह हँसने लगी & थोड़ी ही देर मे बत्रा झाड़ गया.

तब मालिका ने वैसे ही उसके उपर बैठे-2 उसके हाथ खोले.हाथ खुलते ही बत्रा ने उसे पकड़ कर नीचे गिरा दिया &फिर उसके उपर चढ़ गया.उसका सिकुदा लंड अभी भी मालिका की चूत मे ही था.

"साली,तू बहुत तड़पति है...बहुत मज़ा आता है ने तुझे इसमे...ये ले..ये ले!",कह के वो अपने सिकुदे लंड से ही धक्के लगाने लगा.थोड़ी ही देर मे लंड फिर तन गया & बत्रा के धक्कों मे भी ओर तेज़ी आ गयी.

वो बहुत बेदर्दी से धक्के मार रहा था पर मलिका वैसे ही पागलों की तरह हँसती रही.थोड़ी ही देर मे उसके बदन ने झटके खाए & वो झाड़ कर मलिका के उपर ही ढेर हो गया.

"अब थोड़ी काम की बातें हो जाए,बत्रा साहब?.मलिका ने उसके कन मे कहा.

बत्रा राजकुल ग्रूप मे मॅनेजर था.सेशाद्री को उस पर बहुत भरोसा था & बत्रा आदमी था भी भरोसे के लायक पर फिर 1 दिन उसकी मुलाकात मलिका से हुई & उस दिन सेओ राजा साहेब के बिज़्नेस के अंदर जब्बार का भेड़िया बन गया.

बत्रा को जैसे सेक्स करना पसंद था,उसकी बीवी को वो बिल्कुल भी अच्छा नही लगता था.बत्रा रफ सेक्स& सडो-मासकिज़म का शौकीन था.दर्द के साथ सेक्स ही उसे पूरी तरह संतुष्ट कर पाता था.किसी तरह जब्बार को उसकी ये कमज़ोरी पता चल गयी &मलिका के ज़रिए उसने उसे अपना जासूस बना लिया.मज़े की बात ये थी, बत्रा ये समझता था कि वो राजा साहब के बिज़्नेस राइवल पॅंट ग्रूप के लिए काम करती थी.इस तरह से जब कभी पोल खुलती भी तो नुकसान केवल बत्रा का था.जब्बार का नाम भी सामने नही आता & मलिका-मलिका को तो किसी चीज़ की परवाह नही थी सिवाय इसके कि उसके डेबिट & क्रेडिट कार्ड हुमेशा काम करते रहें & उसके जिस्म की आग रोज़ बुझती रहे.

जब्बार टी-शर्ट & शॉर्ट्स मे अपनी कोठी के किचन मे खड़ा फ्रिड्ज से बॉटल निकाल कर पानी पी रहा था जब मलिका हॉल मे दाखिल हुई.उसने अपना हॅंड बॅग 1 तरफ फेका & जब्बार को हॉल से किचन मे खुलते दरवाज़े से देखते हुए बेडरूम मे घुस गयी.जब्बार बॉटल लेकर हॉल मे आया & बड़े सोफे पर बैठ गया.

"क्या पता चला?"

सुनकर मलिका बेडरूम से हॉल मे खुलने वाले दरवाज़े पे आकर खड़ी हुई,"यही कि बत्रा का लंड तुमसे बड़ा है",हंसकर अपना टॉप उतारते हुए अंदर चली गयी.

"उंगली मत कर."

"क्यू ना करू?सिर्फ़ तू ही कर सकता है.",वो वापस दरवाज़े पे आई & अपने हाथ पीछे ले जा कर अपने ब्रा के हुक्स खोल कर उसे अपने बदन से अलग कर दिया,उसकी भारी चूचिया थरथरती हुई आज़ाद हो गयी.

"राजा की पोज़िशन दिन पर दिन मज़बूत हो रही है & तू बस यहा जासूसी ही करता रह!पता है राजकुल ग्रूप का 49% शेर 1 जर्मन कंपनी. खरीद रही है.बत्रा कह रहा था कि राजकुल ग्रूप की टोटल वॅल्यू 200 करोड़ है,जर्मन कंपनी.से राजा को 98 करोड़ मिल रहे हैं.अभी ऑडिटिंग वगेरह चल रही है,2-3 महीने मे डील हो जाएगी.",उसने अपनी स्किन-टाइट जीन्स & पॅंटी1 साथ उतरी & अपनी मस्त गांद मटकाते हुए वापस रूम मे चली गयी.

"हा..हा...हा!इसका मतलब है कि राजकुल की असल वॅल्यू है 280 करोड़ रुपये.राजा को 30 करोड़ रुपये और मिले होंगे.",जब्बार हंसा.

"क्या?",मलिका 1 ओवरसाइज़ सफेद ट-शर्ट पहन कर आई,साफ पता चल रहा था कि उसके नीचे उसने कुछ नही पहना था.उसकी चूचियो की गोलाई & निपल्स के उभार & चौड़ी गांद के कटाव कपड़े मे से सॉफ झलक रहे था.उसने जब्बार के हाथ से बॉटल ली & उसकी गोद मे पैर रख कर सोफे पे लेट गयी & पानी पीने लगी.

"मलिका,ये बिज़्नेसमॅन जितना पैसा कमाते हैं,वो असल रकम कभी नही बताते.ये बॅलेन्स शीट,ऑडिटिंग सब होती है पर कुच्छ पैसा ये हमेशा अपने सीक्रेट अकाउंट्स मे रखते हैं.ये 200 करोड़ तो दुनिया के लिए है.डील से जो पैसा ग्रूप को मिलेगा,दिखाया जाएगा कि सारे पैसे एंप्लायीस के बोनस & मिल्स के अपग्रडेशन मे लग गये & 98 करोड़ मे से 4-5 करोड़ राजा को मिले.पर ग्रूप की वॅल्यू जान कर कम दिखाई जाएगी ताकि वो 30 करोड़ राजा को बिना किसी परेशानी के मिले जिन्हे वो कही विदेशी बॅंक मे च्छूपा देगा.और तो और तुझे पता है कि सालाना मुनाफ़ा भी हुमेशा थोड़ा कम दिखाया जाता है & वो च्छुपाई हुई रकम भी राजा के पेट मे जाती है"

"ठीक है पर अपने फ़ायडे की बात तो समझा मुझको.",कहते हुए मलिका ने अपने पैर से जब्बार के शॉर्ट्स को नीचे सरका दिया & वैसे लेते हुए ही अपने पैरों से उसके लंड को रगड़ने लगी.बॉटल को किनारे रखा,अपनी शर्ट उपर की & अपनी उंगलियों से अपने निपल्स रगड़ने लगी.

"राजपरिवार की बर्बादी ही मेरा सबसे बड़ा फाय्दा है.तुझे लगता है कि मैं हाथ पे हाथ धरे बैठा हूँ",जब्बार ने अपनी उंगलियाँ उसकी चूत मे घुसाते हुए कहा,"ये मेरा प्लान है,साली.मैं ऐसी चाल चलूँगा कि राजा यशवीर & उसका परिवार अपने हाथों अपनी जान लेगा & अपने बिज़्नेस की धज्जियाँ उड़ाएगा.",उसने मलिका के दाने को रगड़ते हुए कहा.

"ऊऊ...हह!पर तुझे तो 1 पैसा भी नही मिलेगा इसमे...एयेए...ययईईए.....बस राजा की बर्बादी होगी."

"कहा ना राजा की बर्बादी ही मेरा सबसे बड़ा फयडा है.तुझे क्या चिंता है मैं जानता हूँ छिनाल!परेशान मत हो तेरी भूख शांत करने लायक पैसे मेरे पास अभी भी हैं & हमेशा रहेंगे.बदले की आग मे खुद को भी राख करू ऐसा चूतिया नही हूँ मैं.,"मालिका की चूत पे चिकोटी काटते हुए उसके मुँह से निकल गया .

"ऊउउउउ...कचह!हा...हा...बदला!तो ये बात है,क्या हुआ था कुत्ते?राजा ने तेरी मा की गांद मार ली थी क्या?!!हा..हा..हा..एयाया.....यययययईईई!मलिका दर्द से चीख पड़ी.जब्बार ने बेरहमी से उसकी चूत नोच ली थी.

"हरमज़ड़ी,रंडी!आज के बाद मुझसे कभी मेरे बदले के बारे मे मत पुच्छना?ओर अगर बाहर किसी से भी कहा तो तुझे ऐसी मौत मारूँगा कि यमराज भी दहल जाएगा."उसने लेटी हुई मलिका के 2-3 झापड़ बी रसीद कर दिए.

"ठीक है दरिंदे.ये ले साले.",जवाब मे मालिका ने उसके आंडो को अपने पैरो तले कुचल दिया,"साला नमर्द मुझ पे हाथ उठाता है!"

"एयेए..हह!",जब्बार करहा,उसने मालिका की टाँगों को अपने आंडो से हटाया & उन्हे चौड़ी करके उसके उपर सवार हो गया & अपना लंड उसकी चूत पे रगड़ने लगा,"मुझसे बदतमीज़ी करती है,रांड़!",कह कर पागलों की तरह वो उसके बदन को नोचने लगा.

"मुझे नमर्द कहती है.ये ले!",थोड़ी देर मे लंड खड़ा हो गया & उसने उसे मलिका की चूत मे पेल दिया & ज़ोरदार धक्के मारने लगा.उसने अपने दाँत उसकी बड़ी,गोल चूची मे गढ़ा दिए.

मलिका पागलों की तरह हँसने लगी & अपनी टाँगें उसकी कमर पे लपेट दी & नीचे से अपनी कमर हिलाने लगी & फिर जब्बार के कंधे पे इतनी ज़ोर से काटा की उसके खून निकल आया.

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मेनका अपने मायके से वापस राजपुरा आ गयी थी.सवेरे उठ कर वो नीचे रसोई मे खानसमे से बात करने पहुचि.

"नमस्कार,कुँवरनी जी."

"नमस्कार,खानसमा साहेब.आज का मेनू डिसाइड कर ले."

"कुँवरनी जी,नाश्ते का हुक्म तो राजा साहेब ने कल रात आपके वापस आने के पहले ही दे दिया था.आप दिन के बाकी खाने का मेनू हमे हुक्म कर दें."

मेनका ने बाकी मेनू डिसाइड कर के जब नाश्ते का मेनू देखा तो उसे प्लेज़ेंट सर्प्राइज़ हुआ.उसके ससुर ने केवल उसकी पसंद की चीज़ें बनाने का हुक्म दिया था.तभी उसके दिमाग़ मे 1 ख़याल आया.

"खानसमा साहब,हमे पिताजी की पसंद-नापसंद के बारे मे तफ़सील से बताएँ & साथ-साथ ये भी कि मेडिकल रीज़न्स की वजह से तो उन्हे कोई परहेज़ तो नही करना पड़ता."

थोड़ी देर बाद मेनू रिवाइज़ किया गया.

नाश्ते के बाद दोनो बाप-बेटे ऑफीस चले गये & मेनका महल का सारा सिस्टम समझने लगी.हर काम के लिए नौकर-नौकरानी थे.उन्हे पता भी था कि उन्हे क्या करना है.शाम तक मेनका ने पूरा सिस्टम समझ लिया & पूरे स्टाफ को कुच्छ न्‍नई बातें समझा दी.

रात के खाने पे राजा साहब खुशी से उच्छल पड़े.केवल उनके पसंद की चीज़ें थी टेबल पर.

"खानसमा साहब,आज आप हम पर इतने मेहेरबान कैसे हो गये,भाई?"

"महाराज.ये सब हमने कुँवरनी साहिबा के कहने पे बनाया है."

"दुल्हन,आपको हुमारी पसंद के बारे मे कैसे पता चला?"

"जैसे आपको हुमारी पसंद के बारे मे.",मेनका ने जवाब दिया & दोनो हंस पड़े.

शाम के 7 बजे थे,अंधेर गहरा रहा था जब राजपुरा से निकल कर वो ग्रे कलर की लंदक्रुसेर ने 5 मिनट के बाद हाइवे छ्चोड़ दिया ओर 1 पतली सड़क पे चलने लगी & 15 मिनट बाद कुच्छ झोपड़ियों के पास पहुच कर रुक गयी.ड्राइवर साइड का शीशा 4 इंच नीचे हुआ & 1 50 का नोट बाहर निकला जिसे उस आदिवासी ने लपक के पकड़ लिया जो गाड़ी देख कर भागता हुआ आया था.बदले मे उसने 1 छ्होटी बॉटल गाड़ी के अंदर दे दी.

उसके बाद वो ग्रे कलर की, गहरे काले शीशों वाली लंदक्रुसेर वापस लौटने लगी.हाइवे से थोड़ा पहले कार रुक गयी.अंदर बैठे विश्वजीत ने बॉटल खोल ले अपने मुँह से लगा ली.सस्ती शराब जब हलक से नीचे उतरी तो उसे जलन महसूस हुई पर इसी जलन मे उसे सुकून मिलता था.

राजा यशवीर का बेटा,भावी राजा,अकूत दौलत का मलिक जो चाहे थे दुनिया की महँगी से महँगी शराब पी सकता था आदिवासियों द्वारा घर मे बनाई हुई 50 रुपये की शराब मे चैन पाता था.वाकाई इंसान भगवान की सबसे अजीबो-ग़रीब ईजाद है.

विश्वा को वो दिन याद आया जब वो अपने बड़े भाई के साथ घूमते हुए यहा आया था & उन्होने इन आदिवासियों से जुंगली खरगोश पकड़ना सीखा था.अपने गुज़रे हुए भाई की याद आते ही उसकी आँखो मे पानी आ गया.

"क्यू चले गये तुम भाई?क्यू.तुम गये और मैं यहा अकेला रह गया इन झंझटों के बीच मे.तुम जानते थे मुझे ये बिज़्नेस & राजाओं की तरह रहना कितना नापसंद था.फिर भी मुझे छ्चोड़ कर चले गये.",विश्वा बुदबुडाया & 1 घूँट और भरी.

"मर्यादा,शान....डिग्निटी!बस यही रह गया है मेरी लाइफ मे.चलो तो ख्याल रहे कि हम किस ख़ानदान के हैं,बात करो तो ध्यान रहे कि हुमारी मर्यादा क्या है...यहा तक की शादी भी करो तो ....हुन्ह."

विश्वा हुमेशा सोचता था कि यूधवीर राजा बनेगा & वो आराम से जैसे मर्ज़ी विदेश मे रह सकता था.शादी मे तो उसे विश्वास ही नही था.उसका मानना था कि जब तक जी करे साथ रहो & जिस दिन डिफरेन्सस हो अलग हो जाओ.शादी तो बस मर्द-औरत के ऐसे सिंपल रिश्ते को कॉंप्लिकेट करती थी.

उसने बॉटल ख़तम करके बाहर फेंकी की तभी 1 लंबा,गोरा छ्होटे-2 बालों वाला क्लीन शेवन इंसान उसके पास पहुचा,"सलाम,साब."

उस अजनबी को देखते ही विश्वा के हाथ अपने कोट मे रखे पिस्टल पर चले गये.

"सलाम,साब.मेरा नाम विकी है.मुझे लगता है कि मेरे पास आपके काम की चीज़ है."

"दफ़ा हो जाओ.",कहकर विश्वा गाड़ी गियर मे डालने लगा.

"साहब,बस 1 बार मेरा समान देख लीजिए.कसम से मैं आपका दुश्मन नही बस 1 छ्होटा सा व्यापारी हू जिसे लगता है कि उसके माल के असल कदरदन आप ही है."

विश्वा ने बिना कुच्छ बोले गाड़ी रोकी पर बंद नही की & उसका 1 हाथ कोट के अंदर ही रहा.

विकी ने अपनी जेब से 2 छ्होटे पॅकेट्स निकाले जिसमे 1 मे सफेद पाउडर था & दूसरे मे छ्होटे-2 टॅब्लेट्स.

विश्वा समझ गया कि विकी 1 ड्रग डीलर था & ये सिकैने & एकस्टसी थे.

"मैं ये सब नही लेता."

"साहब,ना तो मैं पोलीस का आदमी हू ना तो आपको फँसाने की कोशिश कर रहा हूँ.आपके जैसे मैं भी इन लोगों से महुआ लेने आता हूँ.आज आपको देखा तो मेरे अंदर का बिज़्नेसमॅन कहने लगा कि इतने मालदार आदमी को 50 रुपये की शराब क्यू चाहिए....इसीलिए ना कि वो कोई नया नशा चाहता है."

विश्वा ने विकी की आँखों मे घूर के देखा.सच कह रहा था वो.वो नशे मे सुकून ही तो तलाश रहा था.

"..मैं यही नाथुपुरा का रहनेवाला हूँ.शहर मे मेरी मोबाइल शॉप है.थोड़ी एक्सट्रा इनकम के लिए ये धंधा करता हू.भरोसे का आदमी हू साहब.माल भी असली देता हूँ.1 बार ट्राइ करो साहब."

"कीमत क्या है?"

विकी के चेहरे पर मुस्कान फैल गयी.

-------------------------------------------------------------------------------

वो मोबाइल जिसमे बस 1 ही नंबर. सेव्ड था अचानक बजने लगा.जब्बार चौंक कर उठा,रात के 12 बाज रहे थे.मालिका एकद्ूम नंगी बेसूध उसके बगल मे सोई पड़ी थी.

"हुऊँ",उसने फोन उठाया.

"चिड़िया ने आज दाना चुग लिया."

"वेरी गुड.उसे जाल मे फँसा कर ही छ्चोड़ना."

"डॉन'ट वरी."

जब्बार ने फोन काट दिया.कल्लन ने पहली सीधी चढ़ ली थी.अब देखना था आगे क्या होता है.

राजा यशवीर ने महसूस किया कि मेनका के आने के बाद उनका शानदार महल फिर से उन्हे घर लगने लगा था वरना तो पिच्छले 2 सालों से बस वो यहा जैसे बस सोने & खाने के लिए आते थे.

पर अब उन्हे घर पहुँचने का इंतेज़ार रहता था.मेनका से बातें करने के लिए.वो भी उनसे हर मुद्दे पर बात कर लेती थी.उन्हे वो काफ़ी समझदार & सुलझी हुई लड़की लगती थी.राजा साहब उसे कंपनी. के बारे मे भी बताते थे & उसके बिज़्नेस के बारे मे ओपीनियन्स सुन कर प्रभावित हुए बिना नही रह सके थे.महल की ज़िम्मेदारी तो उसने बखूबी सम्भहाल ली थी.

मेनका को भी अपने ससुर के साथ वक़्त बिताना अच्छा लगता था.उनके पास बताने को इतनी इंट्रेस्टिंग बातें थी & वो कितने नालेजबल थे.पर सबसे अच्छा लगता था जैसे वो उसके बारे मे केअर करते थे.

धीरे-2 करके 1 महीना गुज़र गया.जहा राजा साहब & मेनका 1 दूसरे से काफ़ी फ्री हो गये थे.वही मेनका महसूस कर रही थी कि उसका पति उससे दूर होता जा रहा है.वैसे तो अपना मन टटोलने पर वो भी पाती थी कि वाहा विश्वा के लिए प्यार नही है-होता भी कैसे जिस इंसान ने उसे बस अपनी प्यास बुझाने का ज़रिया समझा हो,उसके लिए प्यार कहा से आता.पर था तो वो उसका पति & उसे हो ना हो मेनका को उसकी फ़िक्र ज़रूर थी.

पिच्छले 1 महीने से वो रात मे देर से आता,पुच्छने पर काम का बहाना बना देता.मेनका को शक़ हुआ कि कही कोई दूसरी औरत का चक्कर तो नही पर ऐसा नही था कि विश्वा को उसमे दिलचस्पी नही थी.रोज़ रात वो उसे पहले जैसे ही चोद्ता था,पर अब वो और बेचैन & बेसबरा रहने लगा था.उसकी आँखों मे जैसे कोई नशा हर वक़्त दिखता था.

मेनका बिस्तर पर पड़ी हुई यही सब सोच रही थी,बगल मे विश्वा उसे चोदकर अभी-2 सोया था.उसका ध्यान अपने ससुर की ओर गया,कितना फ़र्क था बाप-बेटे मे.राजा साहब उसकी कितनी चिंता करते थे.....अगर विश्वा की जगह उसकी शादी राजा साहब से हुई होती तो?ख़याल आते ही मेनका को अपने बच्पने पर हँसी भी आई & थोड़ी शर्म भी.आख़िर वो उसके ससुर थे..उसने करवट लेकर विश्वा की तरफ पीठ की & सोने लगी.

वही राजा साहब विश्वा के बारे मे सोच रहे थे.उन्हे आजकल वो थोड़ा अजीब लगने लगा था.नयी शादी थी पर बहू मे उसे कोई खास दिलचस्पी नही थी.1-2 बार उन्होने उसे बहू को घुमाने के लिए शहर ले जाने कहा था पर उसने काम का बहाना कर बात टाल दी.इतनी अच्छी बीवी पाकर तो लोग निहाल हो जाते हैं.उन्होने सोच लिया था कि विश्वा से खुल कर बात करेंगे.मेनका जैसी लड़की किस्मत वालों को मिलती है.उन्हे भी तो ऐसी ही बीवी चाहिए थी जो सिर्फ़ पत्नी ही नही दोस्त भी हो,उनके साथ कंधे से कंधा मिला कर चलने का हौसला रखती थी.सरिता देवी 1 बहुत अच्छी स्त्री,अच्छी मा थी पर राजा साहब की मित्र बनने की कोशिश उन्होने कभी नही की.इसीलिए तो वो शहर मे उन रखाइलॉं को रखने लगे थे,"कितनी पुरानी बात है...",उन्होने सोचा.बेटे की मौत के बाद तो सेक्स की तरफ उनका ध्यान भी नही गया.

और फिर उन्हे भी ख़याल आया,"अगर मेनका हुमारी बीवी होती तो?...."& उनके होटो पे मुस्कान आ गयी. "छी छीए!अपनी बहू के बारे मे ऐसे ख़याल....पर गैर होती तो.."सोचते हुए वो भी सो गये.

अगले दिन वो सुबह होनी थी जो दोनो की ज़िंदगी का रुख़ बदलने का आगाज़ करनेवाली थी.

सुबह राजा साहब लॉन मे चाइ पीते हुए अख़बार पढ़ रहे थे.मेनका वही उनसे कुच्छ 24 फीट की दूरी पर मालियों को कुच्छ समझा रही थी.राजा साहब ने अख़बार के कोने से उसे देखा,पीले रंग की सारी मे वो बहुत सुंदर लग रही थी.राजा साहब उसका साइड प्रोफाइल देख रहे थे जिस वजह से उसके बड़ी छातियो & गांद के उभार का पूरा पता चल रहा था.आज पहली बार राजा साहब ने उसके फिगर को ढंग से देखा & रीयलाइज़ की खूबसूरत होने के साथ-2 मेनका बहुत सेक्सी भी है.

तभी मेनका का हाथ अपने माथे पर गया,माली उसके आदेशानुसार लॉन के दूसरे कोने पर चले गये थे.आस-पास कोई नौकर नही था,सभी किसी ना किसी काम मे लगे थे.मेनका को चक्कर आ रहा था,अचानक उसकी आँखों के सामने अंधेरा च्छा गया.

राजा साहब ने उसे गिरते देखा & बिजली की फुर्ती से उसे ज़मीन पर गिरने से पहले ही सामने से अपनी बाहों मे थाम लिया,"क्या हुआ,दुल्हन?"वो उसे इस तरह से पकड़े थे कि दूर से कोई देखता तो समझता कि दोनो गले लग रहे हैं.उन्होने नीचे उसके चेहरे को थपथपाया.मेनका ने आँखें खोली तो देखा कि उसके ससुर ने उसे गिरने से रोक लिया था.कितना आराम लग रहा था उसे इन मज़बूत बाहों मे,हिफ़ाज़त महसूस हो रही थी,उसने सहारे के लिए राजा साहब के कंधों को पकड़ लिया.उसका दिल किया कि बस ऐसे ही उन बाहों के सहारे खड़ी रहे,राजा साहब की शर्ट के उपर के 2 बटन खुले थे & उनके चौड़े,बालों भरे सीने का कुच्छ हिस्सा नज़र आ रहा था.मेनका ने सिर झुकाया & उनके सीने मे अपना मुँह च्छूपा लिया.उनकी मर्दाना खुसबु उसे मदहोश करने लगी.

राजा साहब की नज़र नीचे पड़ी तो पारदर्शी आँचल मे से उन्हे ब्लाउस के गले से झँकता मेनका का मस्त क्लीवेज नज़र आया जो कि उनके सीने से दबने के कारण & उभर गया था.उनके हाथ ब्लाउस के नीचे से उसकी नंगी पीठ & कमर पर थे & उसकी कोमलता महसूस कर रहे थे.राजा साहब का लंड खड़ा हो गया था जिसे सटे होने के कारण मेनका ने भी अपने पेट पे महसूस किया & वो अपने ससुर से थोड़ा और सॅट गयी.दोनो का दिल कर रहा था कि ऐसे ही पूरी उम्र खड़े रहे पर तब तक नौकर-नौकरानी भागते हुए वाहा आने लगे थे.राजा साहब ने 1 हाथ अपनी बहू की कमर से हटा कर उसके चेहरे को उपर उठाया,"होश मे आयो दुल्हन."

नौकरानियों की मदद से मेनका को उन्होने उसके कमरे तक पहुचेया & विश्वा को डॉक्टर बुलाने को कहा.राजा साहब ने अपने मिल स्टाफ की सुविधा के लिए जो हॉस्पिटल बनाया था उसकी देख-रेख की ज़िम्मेदारी डॉक्टर,सिन्हा की थी.उनकी बीवी डॉक्टर.लता भी उसी हॉस्पिटल ज्ञानेकोलोगी डिपार्टमेंट. देखती थी.विश्वा का फोन मिलते ही वो तुरंत महल पहुचि & मेनका का चेक-अप करने लगी.थोड़ी देर बाद वो राजा साहब & विश्वा के पास आई,"बधाई हो राजा साहब,आप दादा बनाने वाले हैं."

"क्या?सच!डॉक्टर.साहिबा आपने तो हुमारा मन खुश कर दिया.दुल्हन बिल्कुल ठीक तो हैं ना?"

"हा,राजा साहब.आपकी इजाज़त हो तो मैं कुंवर-कुँवारानी से ज़रा एक साथ बात कर लूँ?"

"हा,हा.ज़रूर.जाइए कुंवर."

विश्वा ने विकी की आँखों मे घूर के देखा.सच कह रहा था वो.वो नशे मे सुकून ही तो तलाश रहा था.

"..मैं यही नाथुपुरा का रहनेवाला हूँ.शहर मे मेरी मोबाइल शॉप है.थोड़ी एक्सट्रा इनकम के लिए ये धंधा करता हू.भरोसे का आदमी हू साहब.माल भी असली देता हूँ.1 बार ट्राइ करो साहब."

"कीमत क्या है?"

विकी के चेहरे पर मुस्कान फैल गयी.

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वो मोबाइल जिसमे बस 1 ही नंबर. सेव्ड था अचानक बजने लगा.जब्बार चौंक कर उठा,रात के 12 बाज रहे थे.मालिका एकद्ूम नंगी बेसूध उसके बगल मे सोई पड़ी थी.

"हुऊँ",उसने फोन उठाया.

"चिड़िया ने आज दाना चुग लिया."

"वेरी गुड.उसे जाल मे फँसा कर ही छ्चोड़ना."

"डॉन'ट वरी."

जब्बार ने फोन काट दिया.कल्लन ने पहली सीधी चढ़ ली थी.अब देखना था आगे क्या होता है.

राजा यशवीर ने महसूस किया कि मेनका के आने के बाद उनका शानदार महल फिर से उन्हे घर लगने लगा था वरना तो पिच्छले 2 सालों से बस वो यहा जैसे बस सोने & खाने के लिए आते थे.

पर अब उन्हे घर पहुँचने का इंतेज़ार रहता था.मेनका से बातें करने के लिए.वो भी उनसे हर मुद्दे पर बात कर लेती थी.उन्हे वो काफ़ी समझदार & सुलझी हुई लड़की लगती थी.राजा साहब उसे कंपनी. के बारे मे भी बताते थे & उसके बिज़्नेस के बारे मे ओपीनियन्स सुन कर प्रभावित हुए बिना नही रह सके थे.महल की ज़िम्मेदारी तो उसने बखूबी सम्भहाल ली थी.

मेनका को भी अपने ससुर के साथ वक़्त बिताना अच्छा लगता था.उनके पास बताने को इतनी इंट्रेस्टिंग बातें थी & वो कितने नालेजबल थे.पर सबसे अच्छा लगता था जैसे वो उसके बारे मे केअर करते थे.

धीरे-2 करके 1 महीना गुज़र गया.जहा राजा साहब & मेनका 1 दूसरे से काफ़ी फ्री हो गये थे.वही मेनका महसूस कर रही थी कि उसका पति उससे दूर होता जा रहा है.वैसे तो अपना मन टटोलने पर वो भी पाती थी कि वाहा विश्वा के लिए प्यार नही है-होता भी कैसे जिस इंसान ने उसे बस अपनी प्यास बुझाने का ज़रिया समझा हो,उसके लिए प्यार कहा से आता.पर था तो वो उसका पति & उसे हो ना हो मेनका को उसकी फ़िक्र ज़रूर थी.

पिच्छले 1 महीने से वो रात मे देर से आता,पुच्छने पर काम का बहाना बना देता.मेनका को शक़ हुआ कि कही कोई दूसरी औरत का चक्कर तो नही पर ऐसा नही था कि विश्वा को उसमे दिलचस्पी नही थी.रोज़ रात वो उसे पहले जैसे ही चोद्ता था,पर अब वो और बेचैन & बेसबरा रहने लगा था.उसकी आँखों मे जैसे कोई नशा हर वक़्त दिखता था.

मेनका बिस्तर पर पड़ी हुई यही सब सोच रही थी,बगल मे विश्वा उसे चोदकर अभी-2 सोया था.उसका ध्यान अपने ससुर की ओर गया,कितना फ़र्क था बाप-बेटे मे.राजा साहब उसकी कितनी चिंता करते थे.....अगर विश्वा की जगह उसकी शादी राजा साहब से हुई होती तो?ख़याल आते ही मेनका को अपने बच्पने पर हँसी भी आई & थोड़ी शर्म भी.आख़िर वो उसके ससुर थे..उसने करवट लेकर विश्वा की तरफ पीठ की & सोने लगी.

वही राजा साहब विश्वा के बारे मे सोच रहे थे.उन्हे आजकल वो थोड़ा अजीब लगने लगा था.नयी शादी थी पर बहू मे उसे कोई खास दिलचस्पी नही थी.1-2 बार उन्होने उसे बहू को घुमाने के लिए शहर ले जाने कहा था पर उसने काम का बहाना कर बात टाल दी.इतनी अच्छी बीवी पाकर तो लोग निहाल हो जाते हैं.उन्होने सोच लिया था कि विश्वा से खुल कर बात करेंगे.मेनका जैसी लड़की किस्मत वालों को मिलती है.उन्हे भी तो ऐसी ही बीवी चाहिए थी जो सिर्फ़ पत्नी ही नही दोस्त भी हो,उनके साथ कंधे से कंधा मिला कर चलने का हौसला रखती थी.सरिता देवी 1 बहुत अच्छी स्त्री,अच्छी मा थी पर राजा साहब की मित्र बनने की कोशिश उन्होने कभी नही की.इसीलिए तो वो शहर मे उन रखाइलॉं को रखने लगे थे,"कितनी पुरानी बात है...",उन्होने सोचा.बेटे की मौत के बाद तो सेक्स की तरफ उनका ध्यान भी नही गया.

और फिर उन्हे भी ख़याल आया,"अगर मेनका हुमारी बीवी होती तो?...."& उनके होटो पे मुस्कान आ गयी. "छी छीए!अपनी बहू के बारे मे ऐसे ख़याल....पर गैर होती तो.."सोचते हुए वो भी सो गये.

अगले दिन वो सुबह होनी थी जो दोनो की ज़िंदगी का रुख़ बदलने का आगाज़ करनेवाली थी.

सुबह राजा साहब लॉन मे चाइ पीते हुए अख़बार पढ़ रहे थे.मेनका वही उनसे कुच्छ 24 फीट की दूरी पर मालियों को कुच्छ समझा रही थी.राजा साहब ने अख़बार के कोने से उसे देखा,पीले रंग की सारी मे वो बहुत सुंदर लग रही थी.राजा साहब उसका साइड प्रोफाइल देख रहे थे जिस वजह से उसके बड़ी छातियो & गांद के उभार का पूरा पता चल रहा था.आज पहली बार राजा साहब ने उसके फिगर को ढंग से देखा & रीयलाइज़ की खूबसूरत होने के साथ-2 मेनका बहुत सेक्सी भी है.

तभी मेनका का हाथ अपने माथे पर गया,माली उसके आदेशानुसार लॉन के दूसरे कोने पर चले गये थे.आस-पास कोई नौकर नही था,सभी किसी ना किसी काम मे लगे थे.मेनका को चक्कर आ रहा था,अचानक उसकी आँखों के सामने अंधेरा च्छा गया.

राजा साहब ने उसे गिरते देखा & बिजली की फुर्ती से उसे ज़मीन पर गिरने से पहले ही सामने से अपनी बाहों मे थाम लिया,"क्या हुआ,दुल्हन?"वो उसे इस तरह से पकड़े थे कि दूर से कोई देखता तो समझता कि दोनो गले लग रहे हैं.उन्होने नीचे उसके चेहरे को थपथपाया.मेनका ने आँखें खोली तो देखा कि उसके ससुर ने उसे गिरने से रोक लिया था.कितना आराम लग रहा था उसे इन मज़बूत बाहों मे,हिफ़ाज़त महसूस हो रही थी,उसने सहारे के लिए राजा साहब के कंधों को पकड़ लिया.उसका दिल किया कि बस ऐसे ही उन बाहों के सहारे खड़ी रहे,राजा साहब की शर्ट के उपर के 2 बटन खुले थे & उनके चौड़े,बालों भरे सीने का कुच्छ हिस्सा नज़र आ रहा था.मेनका ने सिर झुकाया & उनके सीने मे अपना मुँह च्छूपा लिया.उनकी मर्दाना खुसबु उसे मदहोश करने लगी.

राजा साहब की नज़र नीचे पड़ी तो पारदर्शी आँचल मे से उन्हे ब्लाउस के गले से झँकता मेनका का मस्त क्लीवेज नज़र आया जो कि उनके सीने से दबने के कारण & उभर गया था.उनके हाथ ब्लाउस के नीचे से उसकी नंगी पीठ & कमर पर थे & उसकी कोमलता महसूस कर रहे थे.राजा साहब का लंड खड़ा हो गया था जिसे सटे होने के कारण मेनका ने भी अपने पेट पे महसूस किया & वो अपने ससुर से थोड़ा और सॅट गयी.दोनो का दिल कर रहा था कि ऐसे ही पूरी उम्र खड़े रहे पर तब तक नौकर-नौकरानी भागते हुए वाहा आने लगे थे.राजा साहब ने 1 हाथ अपनी बहू की कमर से हटा कर उसके चेहरे को उपर उठाया,"होश मे आयो दुल्हन."

नौकरानियों की मदद से मेनका को उन्होने उसके कमरे तक पहुचेया & विश्वा को डॉक्टर बुलाने को कहा.राजा साहब ने अपने मिल स्टाफ की सुविधा के लिए जो हॉस्पिटल बनाया था उसकी देख-रेख की ज़िम्मेदारी डॉक्टर,सिन्हा की थी.उनकी बीवी डॉक्टर.लता भी उसी हॉस्पिटल ज्ञानेकोलोगी डिपार्टमेंट. देखती थी.विश्वा का फोन मिलते ही वो तुरंत महल पहुचि & मेनका का चेक-अप करने लगी.थोड़ी देर बाद वो राजा साहब & विश्वा के पास आई,"बधाई हो राजा साहब,आप दादा बनाने वाले हैं."

"क्या?सच!डॉक्टर.साहिबा आपने तो हुमारा मन खुश कर दिया.दुल्हन बिल्कुल ठीक तो हैं ना?"

"हा,राजा साहब.आपकी इजाज़त हो तो मैं कुंवर-कुँवारानी से ज़रा एक साथ बात कर लूँ?"

"हा,हा.ज़रूर.जाइए कुंवर."

मेनका की आँखें खुली तो उसने अपने को हॉस्पिटल के कमरे मे पाया.डॉक्टर.लता उसके बगल मे चेर पे बैठी थी.

"हाउ आर यू फीलिंग नाउ?",उन्होने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए पूचछा.

मेनका अब पूरी तरह होश मे आई & उसका हाथ अपने पेट पर चला गया.

"सॉरी,बेटा.",डॉक्टर.लता इतना ही कह पाई.मेनका की आँखों से आँसू बहने लगे तो डॉक्टर.लता ने प्यार से उसे गले लगा लिया.थोड़ी देर मे जब वो चुप हुई तो डॉक्टर.लता बोली,"मैं राजा साहब को भेजती हू,कल रात से वो 1 मिनिट भी नही सोए हैं.तुम्हारे होश मे आने का इंतेज़र कर रहे थे."कह के वो बाहर चली गयी.

मेनका को याद आया,कल रात राजा साहब ने ही उसे बचाया था....उस वक़्त वो पूरी नंगी थी.... तो क्या राजा साहब ने उसे वैसे देखा.शर्म से उसकी आँखें बंद हो गयी.उसका पति ऐसा दरिन्दा बन जाएगा,उसको तो अभी भी यकीन नही आ रहा था.आँखें खोल कर उसने कमरे मे नज़र घुमाई तो 1 तरफ 1 डस्टबिन मे उसे अपनी 1 नाइटी नज़र आई.."यानी राजा साहब ने उसके कपड़े बदले."

तभी दरवाज़ा खुला & राजा यशवीर दाखिल हुए.मेनका ने अपनी नज़ारे नीची कर ली & उसका गला फिर भरने लगा.थोड़ी देर तक कमरे मे खामोशी च्छाई रही.

"हम क्या कहें,दुल्हन & कैसे कहें?हुमारा अपना खून हमे अपनी ही नज़रों मे इस कदर गिरा देगा!हम आपसे माफी माँगते हैं."

मेनका वैसे ही खामोश रही.

"दुल्हन,चुकी आपकी शादी को ज़्यादा वक़्त नही हुआ है तो क़ानून के मुताबिक हॉस्पिटल वालों को पोलीस को खबर करनी पड़ी है कि आपका .....मिसकॅरियेज हो गया है.."राजा साहब कांपति आवाज़ मे बोले,"हम चाहते हैं कि-.."

"..-मैं पोलीस को आपके बेटे की हैवानियत के बारे मे ना बताऊं ना.नही बताऊंगी.प्लीज़ लीव मी अलोन!",मेनका चीखी & फूट-2 कर रोने लगी.उसका दबा गुस्सा फॅट कर बाहर आ गया था.

राजा साहब भागते हुए उसके पास पहुँचे & उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोले,"नही,दुल्हन.आप हमे ग़लत समझ रही हैं.हम ये कह रहे थे कि आप पोलीस को पूरी सच्चाई बता दें.विश्वा ने महपाप किया है & उसकी सज़ा उसे ज़रूर मिलनी चाहिए.अगर पोलीस नही देगी तो हम देंगे अपने हाथों से.",राजा साहब की आवाज़ा कठोर हो गयी.

मेनका ने चौंक कर अपने ससुर की ओर देखा.वो कितना ग़लत समझ रही थी.राजा साहब का इलाक़े मे इतना प्रभाव था.अगर वो चाहते तो पोलीस को यहा कभी नही आने देते.बल्कि उनकी जगह कोई और होता तो बात महल की दीवारों के बीच ही दब कर रह जाती.

तभी दरवाज़ा खुला & मेनका के माता-पिता अंदर आए.मेनका की मा अपनी बेटी से लिपट गयी,मेनका की रुलाई फिर शुरू हो गयी पर मा की गोद मे उसे बहुत सहारा मिल रहा था.उसके पिता की भी आँखें नम हो चली थी.

थोड़ी देर मे जब सब थोड़े शांत हुए तो मेनका के पिता राजा अर्जन सिंग ने सारे वाकये के बारे मे पूचछा,"आख़िर ये सब हुआ कैसे,राजा साहब?"

राजा साहब के बोलने से पहले मेनका बोली,"हमारे पैर कार्पेट मे फँस गया & हम गिर गये जिसकी वजह से हम ऐसे गिरे की हमारा-..."

"...-दुल्हन हमे शर्मिंदा होने से बचाना चाहती हैं & इसीलिए झूठ बोल रही हैं.",राजा साहब उसकी बात बीच मे ही काटते हुए बोले & फिर उन्होने सारी बात राजा अर्जन & उनकी पत्नी को बता दी.

दोनो गुस्से से उबाल पड़े,"हम अपनी बेटी को यहा 1 पल भी नही रहने देंगे.ठीक होती है मेनका वापस जाएगी हुमारे साथ.और आपके बेटे-.."

"बस,डॅडी.मैं कोई गाय-बकरी हूँ जब जी चाहा शादी कर दी ,जब चाहा वापस ले जाएँगे.",फिर वो अपनी माँ की तरफ घूमी,"मा,आपने कहा था कि हम राजघराने वालों के यहा शादी बस एक बार होती है & हम स्त्रियाँ अपनी ससुराल अर्थी पर ही छ्चोड़ती हैं."

"पर बेटी,यहा इन हालत मे कैसे छ्चोड़ दे तुम्हे?"

"डॅडी,मैं इतनी भी कमज़ोर नही हू."

ये बहस चल रही थी कि दरवाज़े पे किसी ने नॉक किया.डॉक्टर.सिन्हा & उनकी वाइफ डॉक्टर.लता आए थे,"राजा साहब हम आप सबसे कुच्छ ज़रूरी बात करना चाहते हैं.",डॉक्टर.सिन्हा राजा अर्जन & उनकी पत्नी को नमस्कार करते हुए राजा यशवीर से मुखातिब होकर बोले.

"जी,ज़रूर डॉक्टर.साब.बैठिए."

"राजा साहब.आपके कहे मुताबिक कल से कुंवर हमारे हॉस्पिटल मे हैं.हमने उनका पूरे चेक-अप करलिया है.वो अडिक्षन के शिकार हैं."

"क्या?"

"जी.वो ड्रग अडिक्ट हो गये हैं & कल रात की उनकी हरकत ड्रग्स ना मिलने पर उनका रिक्षन था.उनका अपने उपर कोई कंट्रोल नही रह गया है."

"राजा साहब,हम ये कहने आए हैं कि जल्द से जल्द उन्हे रीहॅबिलिटेशन सेंटर मे भरती करवा दे.बस यही 1 रास्ता है.",डॉक्टर.लता अपने पति की बात पूरी करते हुए बोली.

राजा साहब के माथे पे चिंता की लकीरें & गहरा गयी,"डॉक्टर.साहब,आप ही हमे रास्ता दिखाएँ."

"राजा साहब,हमे 1 वीक का समय दीजिए.हम आपको बेस्ट सेंटर्स की लिस्ट दे देंगे.",कह कर दोनो पति-पत्नी जाने के लिए उठ गये,"कुंवर को अपनी ग़लती का एहसास है कि नही पता नही.राजा साहब आपको उनसे बात करके थेरपी के लिए तैय्यर करना होगा.और अगर इस बीच आप उन्हे ड्रग्स लेते पाए तो रोके मत वरना कहीं वो फिर वाय्लेंट होकर किसिको या खुद को नुकसान ना पहुँचा ले."

शाम को मेनका अपने हॉस्पिटल रूम मे अकेली थी.वो उठी & बाथरूम मे गयी,अपना चेहरा धोया & शीशे मे देखा,एक रात मे ही उसकी दुनिया उथल-पुथल हो गयी थी,"आख़िर क्यू हुआ ऐसा?उसकी अपनी कमज़ोरी की वजह से."जवाब उसके अंदर से ही आया,"नही अब वो ऐसे नही रहेगी.अपनी ज़िंदगी के फ़ैसले वो खुद लेगी.उसकी मर्ज़ी के बिना अब उस से कोई भी कुच्छ भी नही करवा सकता."

उसने कमरे मे लौटकर डॉक्टर.लता को बुलाया.

"बोलिए,कुँवारानी."

"डॉक्टर.आंटी,हमे कॉंट्रॅसेप्टिव पिल्स के बारे मे बताएँ."

"कुँवारानी.."

"जी आंटी,हम नही चाहते कि हमारे पति की ग़लतियों का खामियाज़ा हमे भुगतना पड़े."

"जी,कुँवारानी.",& वो उसे समझने लगी.

पर मेनक को उन गोलियों की ज़रूरत नही पड़ी क्यूकी इसके बाद सब कुच्छ बड़ी तेज़ी से हुआ.डॉक्टर.साहब ने बॅंगलुर के पास देवनहल्ली मे डॉक्टर.पुरन्दारे के रहाब सेंटर को रेकमेंड किया.राजा यशवीर & राजा अर्जन विश्वा को वाहा अड्मिट करा आए.इस पूरे समय मे मेनका अपनी मा के साथ महल मे थी.पता नही राजा साहब ने विश्वा को जाने के लिए कैसे मनाया.बिज़्नेस पे कोई बुरा असर ना पड़े इसके लिए पहले जर्मन पार्ट्नर्स को पूरी बात बताई गयी & फिर 1 प्रेस रिलीस दी गयी.राजा साहब ने इस मुसीबत का भी बड़ी समझदारी से सामना किया था.

पर बात पूरी दुनिया के सामने खुलने से पहले उनके दुश्मन को पता चल गयी थी.

जब्बार सोफे पे नंगा बैठा था & उसकी गोद मे मलिका भी.मलिका के हाथ मे बियर की बॉटल थी जिस से उसने 1 घूँट भरा & फिर जब्बार को पिलाया.उसके दूसरे हाथ मे जब्बार का लंड था जिसे वो हिला रही थी.थोड़ी ही देर मे लंड पूरा खड़ा हो गया,तब मलिका जब्बार की तरफ पीठ करके उसकी गोद मे उसके लंड पर बैठ गयी.उसने अपनी दाई बाँह उसके गले मे इस तरह डाल दी कि जब्बार का मुँह उसकी दाई चूची से आ लगा.जब्बार ने उसका निपल मुँह मे लेकर काट लिया.

"ऊओ..व्व",मलिका ने बाल पकड़ कर उसका सिर अपने सीने से अलग किया & मुँह मे बची हुई बियर उडेल दी & फिर बॉटल को दूसरे सोफे पर फेक दिया.जब्बार ने बियर अपने हलाक से नीचे उतरी & फिर अपना मुँह मलिका की छाती से चिपका दिया.उसका बाया हाथ उसकी रखैल के बाए उरोज़ को बेरहमी से मसल रहा था तो दाया हाथ उसकी लंड भरी चूत के दाने को.मलिका जोश से पागल होकर लंड पे ज़ोर-2 से कूद रही थी.

"एयेए...आहह..आअहह...अहहह!",वो मज़े से चिल्ला रही थी,"ऊ...ईईई... .",ज़ोर की चीख के साथ वो जब्बार के उपर लेट गयी & उसके कान मे अपनी जीभ फिराने लगी.वो झड़ने के बहुत करीब थी..& 5-6 धक्कों के बाद 1 और आह के साथ उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.जब्बार ने भी नीचे से 3-4 धक्के लगाए & मालिका की चूत को अपने वीर्या से भर दिया.दोनो सोफे की पीठ पे उसी पोज़िशन मे टिक कर अपनी साँस संभालने लगे कि तभी मलिका का सेल बज उठा.मालिका ने वैसे ही टेबल से फ़ोन उठा कर अपने कान से लगाया,"हेलो...बोलिए बत्रा साब.."

थोड़ी देर के बाद उसने फ़ोन रखा & वैसे ही जब्बार की गोद मे बैठे हुए उसे सारी बात बताई.

"क्या?",जब्बार ने उसे सोफे पर 1 तरफ धकेला & अपना सिकुदा लंड उसकी चूत मे से निकाल कर खड़ा हो गया.

उसने उस 1 नंबर.वाले मोबाइल से कल्लन को फ़ोन कर के सारी बात बताई,"सुनो,राजा ज़रूर पता लगाएगा कि उसके बेटे को ये लत लगी कैसे & इसके लिए सबसे पहले उस इंसान को ढूंदेगा जो उसके बेटे तक ड्रग्स पहुँचाता था.इसलिए तुम अब उंड़र-ग्राउंड हो जाओ.फ़िक्र मत करना,तुम्हारे पैसे तुम्हे मिल जाएँगे.",&उसने फोन बंद कर के वापस लेटी हुई मलिका की टाँगों के बीच बैठ कर अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.

जब पोलीस हॉस्पिटल मे मेनका का बयान लेने आई तो राजा साहब की बात ना मानते हुए मेनका ने वही फिसल कर गिरने वाली कहानी बताई.राजा साहब के पूच्छने पर उसने कहा कि विश्वा को उसके किए की सज़ा मिल रही है फिर दुनिया को सच बताकर परिवार को और बेइज़्ज़त क्यू करें.

जहाँ इस बात ने राजा साहब के दिल मे मेनका के लिए और इज़्ज़त भर दी वही मेनका भी राजा साहब की ईमानदारी से प्रभावित हुए बिना नही रह सकी.पूरे मामले मे उन्हे सिर्फ़ मेनका की चिंता थी,उनका बेटा गुनेहगर था & उसे बचाने के लिए वो बिल्कुल तैय्यार नही थे-उनका बस चलता तो विश्वा जैल मे होता.उसके पिता & डॉक्टर्स के समझने पर ही वो उसे जैल के बजाय रहाब मे भेजने को तैय्यार हुए थे.

जब राजा साहब बॅंगलुर से वापस आए तो मेनका की मा ने उसे अपने साथ ले जाने की इजाज़त माँगी,राजा साहब फ़ौरन तैय्यार हो गये पर मेनका अपने ससुर को अकेला छ्चोड़ कर जाने को बिल्कुल तैय्यार नही हुई.लाख समझाने पर भी वो नही मानी & राजा साहब के कहेने पर उसने बोला,"अपने घर को छ्चोड़कर मैं कही नही जाऊंगी."

राजा साहब सवेरे नाश्ते की टेबल पर यही सब सोच रहे थे कि मेनका नौकर के हाथ से डिश लेकर उन्हे परोसने लगी,"पिताजी,एक बात पूच्छें?"

"हा,दुल्हन."

"क्या हम ऑफीस आ सकते हैं?"

"बिल्कुल,दुल्हन.इसमे पूच्छने वाली क्या बात है?आपका अपना ऑफीस है."

"आप समझे नही.हम ऑफीस जाय्न करने की बात कर रहे हैं."

राजा साहब थोड़े परेशान दिखे,"दुल्हन महल & ऑफीस दोनो की ज़िम्मेदारी कहीं आप को...-"

"-...मुझे एक बार ट्राइ तो करने दीजिए.प्लीज़!"

"ओके,कल से चलिए हमारे साथ."

"कल से नही.आज से प्लीज़!",मेनका बच्चों की तरह मचलते हुए बोली.

"ठीक है,जाकर रेडी हो जाइए.",राजा साहब हंसते हुए बोले.

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"कल्लन,जल्दी पता लगाओ कि आख़िर राजा ने अपने लौंदे को कहा भेजा है.प्रेस रिलीस क्या अपने ऑफीस मे भी साले ने रहाब सेंटर का नाम नही बताया है!",जब्बार बिस्तर पर अढ़लेता फोन पे बात कर रहा था,मलिका की चौड़ी गांद उसकी आँखों के सामने लहरा रही थी,वो घुटनो के बल बैठी थी & उसका मुँह जब्बार के लंड पे उपर-नीचे हो रहा था.

"डॉन'ट वरी.जब तक विश्वा का पता नही लगा लेता,मैं चैन से नही बैठूँगा.",& फोन कट गया.जब्बार ने फोन किनारे रखा & हाथ बढ़कर मलिका की कमर जकड़ते हुए उसे अपने उपर ले लिया,अब उसकी चिकनी चूत उसकी आँखों के सामने थी & दोनो 69 पोज़िशन मे आ गये थे.

उसने अपने दाँत उसकी गांद की 1 फाँक मे गाड़ाते हुए पूचछा,"बत्रा को भी कुच्छ नही पता चला?"

"उउन्ण..हुउँ",मलिका चिहुनकि & उसके लंड भरे मुँह से सिर्फ़ इतना ही निकला.जब्बार ज़ोर से उसकी चूत चाटने लगा.

जब्बार ने उसकी कमर पे अपनी पकड़ & मज़बूत कर दी,"राजा की औलाद बर्बादी की कगार से वापस आ जाए,ऐसा मैं कभी नही होने दूँगा.",&उसने अपना मुँह उसकी चूत मे घुसा दिया & अपनी जीभ से उसे चोदने लगा.मालिका ने भी अपनी चूसने की स्पीड बढ़ा दी & दोनो अपने क्लाइमॅक्स की ओर बढ़ने लगे.

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कुच्छ ही दीनो मे मेनका ने ऑफीस का सारा काम समझ लिया.विश्वा के जाने के बाद जो जगह खाली हुई थी,उसे उसने बखूबी भर दिया था.ज़िम्मेदारी बढ़ने के बावजूद महल के काम-काज पर उसने ज़रा भी असर नही पड़ने दिया था.अब वो पहले से ज़्यादा खुश नज़र आती थी...बस 1 प्राब्लम थी.उस हादसे के बाद से रात को उसे बुरे सपने आने लगे थे & अक्सर बीच मे ही उसकी नींद टूट जाती थी.

उस सुबह भी वो सपने की वजह से जल्दी उठ गयी तो उसने सोचा की नौकरों से थोडा काम ही निपट वाया जाए.रात के खाने के बाद महल का सारा स्टाफ महल के कॉम्पोन्ड मे बने अपने क्वॉर्टर्स मे चला जाता था & सुबह महल के अंदर से हुक्म आने पर ही अंदर जाता था.मेनका ने इंटरकम से अंदर आने का ऑर्डर दिया & बटन दबा कर सारे एलेक्ट्रॉनिक लॉक्स खोल दिए.थोड़ी ही देर मे महल के अंदर रोज़मर्रा की चहल-पहल होने लगी.

ऐसे ही किसी काम से मेनका अकेली ही उस हिस्से मे पहुँची जहा जिम था,उसने जिम की सफाई कल ही करने का ऑर्डर दिया था & उसी का मुआयना करने आई थी.

जिम के अंदर कदम रखते ही उसका मुँह खुला रह गया......सामने राजा साहब उसकी तरफ पीठ करके वेट ट्रैनिंग कर रहे थे-केवल 1 अंडरवेर मे.वो उनके गथिले बदन को देखने लगी.मज़बूत कंधे & विशाल बाहें जब वेट उपर उठाती थी तो 1-1 मसल का शेप सॉफ दिखाई देता था,नीचे बिल्कुल सीधी पीठ,पतली कमर & नीचे पुष्ट गांद.....मेनका को टाँगों के बीच गीलापन महसूस हुआ & ऐसा लगा जैसे की पैरों मे जान ही ना हो.उसने दीवार को पकड़ कर सहारा लिया पर तभी राजा साहब पीछे घूमने लगे तो वो उसी दीवार की ओट मे हो गयी.

थोड़ी देर बाद उसने वैसे ही ओट मे च्छुपकर फिर से अंदर झाँकना शुरू किया,...अब उसके ससुर का मुँह उसकी तरफ था पर वो उसे देख नही सकते थे.अब उनके हाथों मे डमबेल थे जिन्हे वो बारी-2 से उपर नीचे कर रहे थे & उनके सीने की मछ्लिया पसीने से चमक रही थी.मेनका ने उनके चौड़े सीने को देखा & उसे वो सुबह याद आई जब उन्होने उसे गिरने से बचाया था & उसने इसी सीने मे पनाह ली थी.वो मर्दाना खुश्बू फिर उसे महसूस हुई & टाँगो के बीच गीलापन बढ़ गया.उनके सीने पे काफ़ी बाल थे & मेनका की निगाहें बालों की लकीर को फॉलो करने लगी जो नीचे जा रही थी......& उनके अंडरवेर मे गुम हो गयी थी.मेनका की नज़रे अंडरवेर पर टिक गयी....कितना फूला हुआ था.....कितना बड़ा होगा......उसका हाथ सारी से उपर ही उसकी जाँघो के बीच के हिस्से को सहलाने लगा &थोड़ी ही देर मे उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.

"मालिकन..",कोई नौकर उसे ढूंढता उधर आ रहा था.वो वापस होश मे आई & अपने को सायंत करके आवाज़ की दिशा मे चली गयी.

...............................

"कल सुबह ही हमे बॉमबे रवाना होना होगा.जर्मन पार्ट्नर्स से फाइनल राउंड की बात करके डील पे साइन करना है.",राजा साहब अपने चेंबर मे बैठे थे & सामने मेनका,सेशाद्री & 4 स्टाफ मेंबर्ज़ उन्हे सुन रहे थे.

"कल सवेरे 5 बजे कार्स से हम शहर जाएँगे & 6:15-6:30 तक हमारा चार्टर्ड प्लेन बॉमबे के लिए तक-ऑफ करेगा जहा हम 10 बजे तक पहुँचेंगे.मीटिंग 11 बजे शुरू होगी.कल की रात हम सब वही रुकेंगे & परसों होप्फुली डील साइन कर के वापस आ जाएँगे."

"सर,मुझे & बाकी मेंबर्ज़ को तो कल ही वापस आना होगा क्यूकी परसो से ऑडिट शुरू होनी है.",सेशाद्री बोले.

"अरे,ये बात तो हमारे दिमाग़ से उतर ही गयी थी.तो ठीक है आप सब शाम को उसी प्लेन से वापस रवाना हो जाइएगा.हम परसों डील साइन कर के वापस आएँगे.दुल्हन हुमारे साथ ही वापस आएँगी"

सारे स्टाफ मेंबर्ज़ बाहर चले गये तो मेनका भी जाने लगी,"मैं महल जाकर अपनी पॅकिंग कर लेती हूँ."

"हा.ठीक है.",& राजा साहब अपने लॅपटॉप पे फाइल्स चेक करने लगे.

रात करीब 10 बजे राजा साहब महल पहुँच कर सीढ़िया चढ़ कर अपने कमरे की तरफ जा रहे थे जब वाहा से कुच्छ आवाज़ें आती सुनाई दी.अंदर जाने पर उन्होने देखा की मेनका 1 नौकर के साथ उनके वॉक-इन क्लॉज़ेट से कपड़े निकलवा कर पॅकिंग करवा रही है.

"अरे आपने क्यू तकलीफ़ की दुल्हन?हुमारे नौकर को कह देती...बस 2 ही दीनो के लिए तो जाना है."

"हा,कह ही देना चाहिए था.सारे कपड़े तो आपके एक जैसे हैं.कोई फ़र्क ही नही है."

"तो इस उम्र मे हम तरह-2 के कपड़े पहन कर क्या करेंगे?",उन्होने हंसते हुए पूचछा.

"काम करने मे तो आप जवानो को भी मात देते हैं तो कपड़े क्यू बूढो जैसे पहनेंगे....अफ",एक गिरी हुई शर्ट को उठाने के लिए मेनका झुकी तो उसका पल्लू ढालक गया & राजा साहब के सामने उसका बड़ा,मस्त क्लीवेज छलक उठा.वो उनकी नज़रो से बेपरवाह उस शर्ट को तह करने लगी.उसका पेट भी नुमाया हो रहा था & राजा साहब की नज़रे उसके क्लीवेज से फिसल कर उसके चिकने,सपाट पेट के बीचोबीच उसकी गोल नाभि पर टिक गयी.उनका लंड पॅंट के अंदर हरकत मे आने लगा था.

तभी मेनका पलटी & क्लॉज़ेट के अंदर जाने लगी,जैसे ही राजा साहब ने सारी मे कसी अपनी बहू की टाइट गांद को देखा उनका लंड पूरा खड़ा हो गया & पॅंट से निकलने को च्चटपटाने लगा.

"खाना तैय्यार है हुज़ूर..",1 नौकर ने दरवाज़े पे आके कहा.

"हम अभी आते हैं", कह कर राजा साहब तेज़ी से मुड़े & बाथरूम मे चले गये.

खाने के टेबल पर दोनो मे कुच्छ खास बात नही हुई.थोड़ी देर बाद सारा स्टाफ भी अपने कमरों को चला गया.

"गुड नाइट,पिताजी.आप भी जाकर सो जाइए.कल बहुत सवेरे उठना है",मेनका ने पहली सीढ़ी पर पैर रखा कि ना जाने कैसे उसका पैर मूड गया & वो गिर पड़ी.

"अरे संभाल के दुल्हन......चलिए उठिए",राजा साहब उसे सहारा देकर उठाने लगे पर मेनका दर्द से कराह उठी,"आउच..!पैर सीधा रखने मे दर्द होता है"

"अच्छा..",राजा साहब उसके पैर को देखने लगे,टखने मे मोच आई थी,"..हम..कमरे मे चल कर इसका इलाज करते हैं.खड़े होने की कोशिश कीजिए."

"नही हो रहा.बहुत दर्द है."मेनका दर्द से परेशान हो बोली.

"ओके",राजा साहब ने उसकी दाई बाँह अपने गले मे डाली & उसे अपनी गोद मे उठा लिया.शर्म के मारे मेनका के गाल और लाल हो गये.राजा साहब सीढ़ियाँ चढ़ने लगे.वो उसकी तरफ नही देख रहे थे....पर वोही मर्दाना खुश्बू मेनका को महसूस हुई,अपने ससुर के गले मे बाँह डाले मेनका को बहुत अच्छा लग रहा था.उसे उन्होने ऐसे उठा रखा था जैसे उसका वजन ही ना हो.कमरे तक पहुँचने मे ना तो वो हांफे ना ही पसीने की 1 भी बूँद उनके माथे पे छल्कि".....इस उम्र भी इतनी ताक़त",मेनका तो उनकी फिटनेस की कायल हो गयी.

कमरे मे पहुँच कर उन्होने मेनका को पलंग पे ऐसे लिटाया जैसे किसी फूल को रख रहे हैं.फिर उसके ड्रेसर से 1 बॉम लेकर आए & उसकी तरफ पीठ करके उसके पाओं के पास बैठ गये.सारी थोड़ी सी उपर खिसका कर उसके टखने को देखने लगे,"...उफ़फ्फ़..कितनी कोमल है.."राजा साहब उसके टखने को सहलाने लगे.मेनका की आँखें मूंद गयी.उसे बहुत अच्छा लग रहा था.

"जब हम फुटबॉल खेलते थे तो ऐसी चोट बड़ी आम थी.",उन्होने वैसे ही सहलाना जारी रखा.

"ह्म्म...",मेनका बस इतना ही कह पाई.

और तभी राजा साहब ने उसके टखने को अपने दोनो हाथों मे पकड़ कर 1 झटका दिया.

"औउउ...छ्च!",मेनका उठ कर बैठ गयी & दर्द से तड़प कर पीछे से उसने अपने ससुर को पकड़ लिया & उसका सर उनकी पीठ से जा लगा."बस ठीक हो गया.",कह कर वो उसके टखने पर बॉम की मालिश करने लगे.मेनका वैसे ही अपने ससुर से सटी रही.राजा साहब भी मालिश करते-2 उसके पैर को सहलाने लगे.दोनो को एक दूसरे का स्पर्श बहुत अच्छा लग रहा था.राजा साहब का हाथ अपनी बहू के टखने से उपर आने लगा....मेनका भी आँखें बंद कर इस लम्हे का लुत्फ़ उठा रही थी...

"टॅनन्न्न....!",महल के बड़े घारियल मे 12 बाज गये थे.दोनो चौंक कर अलग हो गये.

"आराम कीजिए दुल्हन.सुबह तक दर्द ठीक हो जाएगा.",कहकर बिना उसकी तरफ़ देखे वो वापस अपने कमरे मे आ गये.उनका लंड पाजामे मे पूरा खड़ा था.उन्होने उसे उतार फेंका & अपना लंड तेज़ी से हिलाने लगे....

मेनका तो जल रही थी.राजा साहब ने उसके अंदर वो आग भड़काई थी जो आज से पहले उसने कभी महसूस ना की थी.उसने अपनी नाइटी अपने बदन से अलग की & बगल मे पड़े 1 बड़े तकिये से चिपक कर अपनी चूत उस पे रगड़ने लगी.

अगली सुबह दोनो एक-दूसरे से नज़रें चुरा रहे थे,बातें भी बस कम भर हो रही थी.सभी लोग प्लेन मे बैठे & डील के बारे मे चर्चा होने लगी.मेनका अब राजपरिवार की ही नही बल्कि राजकुल ग्रूप की भी 1 अहम सदस्य बन गयी थी.सारे ज़रूरी पायंट्स डिसकस किए जा रहे थे & मेनका का पैना दिमाग़ बारीक से बारीक ग़लती को पकड़ कर उसे सही कर रहा था.राजा साहब ने फिर से उसे 1 ससुर की नज़रो से देखा...यह लड़की अगर ना होती तो शायद आज वो ये डील करने ना जा रहे होते.अपने दर्द को भूल कर मेनका ने केवल उनके परिवार के हित & मान का ध्यान रखा था.

फ्लाइट के बॉमबे पहुँचने तक दोनो बहुत हद तक नॉर्मल हो गये थे & नज़रें चुराना भी बंद कर दिया था.

11 बजे जर्मन पार्ट्नर्स एबेरहर्ट कॉरपोरेशन. के ऑफीस मे मीटिंग शुरू हो गयी.2 बजे लंच के लिए मीटिंग को रोका गया पर 1 घंटे बाद सभी लोग वापस डील के पायंट्स फाइनल करने मे लग गये.शाम 7 बजे मीटिंग ख़तम हुई,"मिस्टर.सिंग.वी'वे आ डील.",जर्मन पार्ट्नर फ्रॅन्ज़ एबेरहर्ट ने राजा साहब से हाथ मिलाते हुए कहा,"..& मिसेज़.सिंग,युवर फादर-इन-लॉ हॅज़ नोथिन्ग टू वरी अबौट एज लोंग एज यू आर विथ दा राजकुल ग्रूप."

तारीफ सुन कर खुशी & शर्म से मेनका के गालों का रंग & गुलाबी हो गया."..लुकिंग फॉर्वर्ड टू वर्क विथ यू.",एबेरहर्ट ने झुकते हुए मेनका से हाथ मिलाया.राजा साहब को अपनी बहू पर बहुत गर्व & प्यार आ रहा था.

थोड़ी देर बाद ये डिसाइड हुआ कि सारे पेपर्स तैय्यार करके कल सवेरे 11 बजे दोनो पार्टीस उन पर साइन कर ले.सेशाद्री साहब & बाकी स्टाफ के लोग वही से वापसी के लिए एरपोर्ट रवाना हो गये.अब मेनका अपने ससुर के साथ अकेली रह गयी.दोनो कार मे बैठ कर जुहू मे होटेल मेरियट की तरफ चल दिए.

कार की बॅक्सीट पे राजा साहब ने चुप्पी तोड़ी,"अगर आप हमारे साथ नही होती दुल्हन,तो शायद आज हम इस खुशी को महसूस नही कर रहे होते."

"अब आप हमे शर्मिंदा कर रहे हैं.एक तरफ तो दुल्हन बोलते हैं & दूसरी तरफ ऐसी फॉरमॅलिटी भरी बातें करते हैं."

"नही,दुल्हन.हमे बोलने दीजिए.आपकी जगह कोई भी लड़की होती तो जो आपने झेला है,उसके बाद कभी भी राजपुरा मे नही रहती.हम आपके एहसानो का क़र्ज़...-"

"..-बस!अगर आपने ऐसी बातें की तो मैं ज़रूर राजपुरा छ्चोड़ कर चली जाऊंगी.आप ऐसे क्यू कह रहे हैं,जैसे राजपुरा हमारा घर नही है.",उसने अपने ससुर का हाथ अपने हाथ से दबाया,"राजपुरा हमारा घर है & अपने घर के बारे मे सोचना कोई तारीफ की बात नही."

जवाब मे राजा साहब बस प्यार भरी निगाहों से उसे देखते रहे.

तभी मेनका चिल्लाई,"ड्राइवर कार ज़रा साइड मे लो....हा..हा..इसी माल मे ले चलो."

"अभी शॉपिंग करनी है दुल्हन.हम कल करवा देंगे.अभी होटेल चल कर आराम करते हैं."

"नही.शॉपिंग तो अभी ही होगी.चलिए.",मेनका कार से उतरने लगी.

"आप हो आइए हम यहा केफे मे बैठ कर आपका इंतेज़ार करते हैं.",माल मे दाखिल होकर राजा साहब ने कहा.

"बिल्कुल नही.चलिए हमारे साथ.",मेनका ने उनका हाथ पकड़ा & खींचते हुए लिफ्ट मे ले गयी.

दोनो वैसे ही एक दूसरे का हाथ थामे मेन'स सेक्षन मे दाखिल हुए.,"अरे,दुल्हन हमे कुच्छ नही चाहिए?",मेनका का मक़सद समझते हुए राजा साहब हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगे.

"बिल्कुल चुप.",मेनका ने और मज़बूती से अपने ससुर का हाथ पकड़ते हुए कहा.

"हाउ मे आइ हेल्प यू?",1 सेलेज़्गर्ल उनके पास आई.

मेनका उसके साथ राजा साहब के लिए कपड़े सेलेक्ट करने लगी.राजा साहब का हाथ अभी भी उसकी पकड़ मे था.वो उपर से तो मना कर रहे थे पर मन ही मन,उन्हे ये सब बहुत अच्छा लग रहा था.इस तरह तो उनकी परवाह आज तक किसी औरत ने नही की थी.उनकी पत्नी उनका बहुत ख़याल रखती थी पर उस ख़याल मे अपनेपन से ज़्यादा ड्यूटी पूरी करने का एहसास था....& ऐसे सर्प्राइज़ देकर अचानक शॉपिंग करवाना...ये तो उन्होने सोचा भी नही था...दिल कर रहा था कि बस इसी तरह सारी उम्र उसका हाथ थामे खड़े रहें"...लीजिए ये सारे कपड़े ट्राइ करिए...जाइए"

जब राजा साहब ट्राइयल रूम से बाहर निकले तो सेलेज़्गर्ल ने उनके हाथों से सारे कपड़े ले लिए,"युवर वाइफ लव्स यू ए लॉट सर & वॉट गुड टेस्ट हॅज़ शी गॉट!",राजा साहब एक पल को चौंक गये पर फिर तुरत उन्हे बात समझ मे आ गयी...ये मेनका को उनकी पत्नी समझ रही है....उन्होने बस हल्के से सर हिला दिया,वो लड़की भी कपड़े लेकर दूसरी ओर चली गयी.मेनका थोड़ी दूरी पर खड़ी कुच्छ कपड़े देख रही थी..."लगता है उसने ये बात नही सुनी."

सारी शॉपिंग के बाद दोनो पेमेंट काउंटर पे पहुँचे.राजा साहब जेब से अपना वॉलेट निकालने लगे तो मेनका ने उन्हे रोक दिया,"नही.आप नही मैं पेमेंट करूँगी.ये आपको गिफ्ट है मेरी तरफ से."

"पर दुल्हन..."

"श्ह.",उसने अपने होठों पे उंगली रखकर उन्हे चुप रहने का इशारा किया & अपने हॅंडबॅग से कार्ड निकाल कर काउंटर पे बैठे आदमी की तरफ बढ़ाया.

माल से होटेल जाते वक़्त कार मे बैठे-2 राजा साहेब ने अपने मोबाइल से फ़ोन मिलाया,"डॉक्टर.पुरन्दरे.हम यशवीर सिंग बोल रहे हैं."

मेनका खिड़की से बाहर देखने लगी,उसके ससुर उसके पति का हाल पूच्छ रहे थे.इतने दीनो मे उसने 1 बार भी विश्वा के बारे मे नही सोचा था.अगर मन मे ख़याल आता भी तो जल्दी से अपना ध्यान दूसरी ओर कर उस ख़याल को दिमाग़ से निकाल फेंकती थी."कैसा आदमी था उसका 'सो-कॉल्ड पति'.जब वो हॉस्पिटल मे थी तो एक बार भी उसे देखने नही आया....ना कभी उस से माफी माँगने की कोशिश की और क्यू करता वो तो उसके लिए बस एक खिलोना थी....हवस मिटाने की चीज़,उसने उसे कभी पत्नी थोड़े ही समझा था.",मेनका सोच रही थी,"जब वो ठीक होकर वापस आ जाएगा तो वो कैसे करेगी उसका सामना...फिर से उस हैवान के साथ रहना पड़ेगा...",उसने अपने सर को झटका,"..जब आएगा तब सोचेंगे...आज तो इतनी खुशी का दिन है.डील फाइनल हो गयी है.आज कोई बुरा ख़याल मन मे नही लाऊंगी",अपने ससुर की तरफ देखा तो वो मोबाइल बंद करके जेब मे डाल रहे थे.वो उसे कभी भी विश्वा के बारे मे नही बताते थे...शायद जानते थे कि उसका ज़िक्र उसे फिर से वो दर्द याद दिला देगा.वो उनकी ओर देख कर मुस्कुराइ & फिर खिड़की से बाहर देखने लगी.

आइए अब हम बॅंगलुर चलते हैं,डॉक्टर.पुरन्दारे के रहाब सेंटर मे,विश्वा को देखने.....वो देखिए बाकी पेशेंट्स के साथ बैठ कर खा रहा है...& डॉक्टर.पुरन्दारे कहाँ है?....हाँ..वहाँ अपने चेंबर मे कंप्यूटर पर कुच्छ देख रहे हैं...क्या देख रहें है आख़िर?....अच्छा!विश्वा के थेरपी सेशन्स के टेप हैं.डॉक्टर.साहब अपने सारे पेशेंट्स से जो भी बात करते हैं उसे वीडियो रेकॉर्ड कर लेते हैं,इस से उन्हे बाद मे मरीज़ को अनल्ये करने मे आसानी होती है.चलिए,हम भी उनके साथ ये वीडियोस देखते हैं.
 
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