• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest खेल ससुर बहु का

bstyhw

New Member
16
17
3
पेशेंट नंबर.45681,विश्वजीत सिंग

सेशन 1

डॉक्टर.:हेलो,विश्वजीत.

विश्वा बस सिर हिलाता है.

डॉक्टर."देखो,विश्वा-आइ कॅन कॉल यू विश्वा...ओके.देखो,मेरा मानना है कि हर आदमी जो किसी बुरी लत का शिकार है खुद अपने को सुधार सकता है अगर वो खुद के अंदर झाँक कर अपनेआप को समझने की कोशिश करे.मैं चाहता हू कि तुम भी यही करो.

विश्वा एक तरफ सर घुमा कर दीवार की ओर देख रहा है.पता नही डॉक्टर.की बातों पर ध्यान दे भी रहा है या नही..

डॉक्टर.:..इंसान नशे का सहारा लेता है किसी चीज़ से भागने के लिए & ये नही सोचता कि कुच्छ समय बाद वो उस नशे का गुलाम हो जाता है..उस के हाथ की कठपुतली बन कर रह जाता है बस...मेरी बात के बारे मे सोचना.यू मे गो नाउ.

डॉक्टर.कुच्छ फाइल्स स्किप कर आगे बढ़ते हैं.

सेशन 4

डॉक्टर.:हेलो,विश्वा.

विश्वा:हाई.डॉक्टर.

डॉक्टर.:कैसा लग रहा है यहा?

विश्वा:अच्छी जगह है डॉक्टर,पर जब तलब लगती है तो ये जगह जैल लगने लगती है.

डॉक्टर.:तुम चाहो तो कल ही यहा से जा सकते हो.तुम्हारी मर्ज़ी के खिलाफ ,अगर तुम्हारे परिवार वाले बोले, तो भी मैं तुम्हे यहा नही रोकुंगा.

विश्वा(खड़ा होकर खिड़की से बाहर देखते हुए):नही डॉक्टर,मैं ठीक होना चाहता हू.मैं किसी और चीज़ को अपनी लाइफ कंट्रोल करने नही दे सकता.

डॉक्टर.:दट'स दा स्पिरिट!मैं समझता हू,विश्वा, जब तलब लगती है तो बहुत मुश्किल होती है पर मैं जानता हु कि तुम इस से ज़रूर उबर जाओगे.

डॉक्टर.और आगे बढ़ते हैं,1 वीडियो देखना शुरू करते हैं & फास्ट फॉर्वर्ड कर वाहा से देखते हैं, जहाँ से विश्वा बोलता है,

विश्वा:..मेरे मा-पिता बहुत अच्छे हैं & हम दोनो भाइयों को कँहि भी बिगड़ने नही दिया & ना ही कभी हुमारी कोई जायज़ माँग को ठुकराया ...& मेरा भाई तो मेरा दोस्त था.डॉक्टर,हम राजपरिवार के लड़को से कुच्छ खास उम्मीदें रखी जाती हैं-हमे अपने परिवार की मर्यादा का हर वक़्त ख़याल रखना पड़ता है-हर वक़्त.मुझ से ये सब उतना नही होता था,वैसे भी मेरा भाई भावी राजा था...उसे बिज़्नेस संभालना था & परिवार के मान की रखवाली करनी थी.

डॉक्टर.:तो तुम परिवार की इज़्ज़त का ख़याल नही करते?

विश्वा:करता हू.पर मैं राजपुरा मे नही रहना चाहता था,मैं तो अमेरिका मे अपने फ्रेंड्स के साथ अप्पर-एंड गॅडजेट्स का बिज़्नेस करना चाहता था.मेरे भाई को मेरे प्लॅन्स के बारे मे पता था & वो हुमेशा कहता था कि फॅमिली बिज़्नेस & ट्रेडिशन्स की देखभाल के लिए वो है,मैं तो बस वो करू जो मैं चाहता हू.मेरा भाई मेरा बहुत ख़याल रखता था डॉक्टर...पर भगवान ने उसे छ्चीन लिया & मुझे मजबूरन वापस आना पड़ा.पिता जी बिल्कुल अकेले थे & मा भी स्वर्ग सिधर गयी थी.

मैं आया था अपना फ़र्ज़ निभाने पर इधर कुच्छ महीनों से ये फ़र्ज़ मुझे बोझ लगने लगा था...

डॉक्टर. और आगे बढ़ते हैं....

सेशन 8

विश्वा:मुझे अपने पिता से कोई शिकायत नही डॉकटॉर पर शायद हम दोनो के रास्ते अलग हैं,राजपुरा उनकी ज़िंदगी है & मैं अब राजपुरा जाना नही चाहता.मेरा दम घुट ता है अब वहाँ.

सेशन 15

डॉक्टर.:सेक्स के बारे मे तुम्हारे क्या ख़याल हैं?

विश्वा;इंसानी ज़रूरत है जैसे खाना,पानी,हवा..

डॉक्टर.:और शादी?

विश्वा:बिल्कुल ज़रूरी नही.है अगर आप बच्चा पालना चाहते हैं तो अलग बात है वरना किसी लड़की के साथ आप शादी के बगैर भी वैसे ही रह सकते हैं.

डॉक्टर.:तो फिर तुमने शादी क्यू की?

विश्वा:क्यूकी राजकुनवर होने के नाते,दट वाज़ एक्सपेक्टेड ऑफ मी.

डॉक्टर.:तुमने अपनी बीवी के साथ जो किया...

विश्वा:मैं उसके लिए शर्मिंदा हू...यहा से जाते ही मैं मेनका से माफी माँगूंगा पर शायद हुमारी शादी अब मैं निभा नही पाऊँगा...(हंसता है)..मैं भी क्या कह रहा हू!जो उस रात हुआ उसके बाद तो वो ही मेरे साथ नही रहना चाहेगी....मैने बहुत कोशिश की उसके साथ एक एमोशनल रिश्ता बने,डॉक्टर...पर ऐसा कभी हो नही पाया...

डॉक्टर.:तो तुमने उसी से शादी क्यू की?किसी और राजकुमारी से भी कर सकते थे?

थोड़ी देर चुप रहने के बाद विश्वा बोला,"डॉक्टर,वो बहुत खूबसूरत है...मैं बस..मैं बस उसके साथ हुमबईस्तर होना चाहता था.उसे देखते ही मेरे दिल मे उसके जिस्म को हासिल करने का ख़याल आया था.शुरू मे मैने सोचा था कि इसी तरह हुमारे बीच प्यार भी हो जाएगा...वो बहुत अच्छी लड़की है...बहुत समझदार भी ...पर पता नही मेरे लिए वो कभी भी एक...एक...हसीन जिस्म से ज़्यादा क्यू नही बन पाई..मुझे कभी उस से प्यार नही हुआ.

तभी डॉक्टर.का फोन बजता है.यह राजा साहब का है,होटेल को जाते हुए कार से कर रहे हैं.

"नमस्कार,राजा साब...हा,हा..विश्वा मे काफ़ी इंप्रूव्मेंट है.अभी मैं उसी की फाइल देख रहा था.सबसे बड़ी बात है कि वो खुद भी ठीक होना चाहता है...मैं कल आपको उसके बारे मे एक डीटेल्ड ई-मैल भेजता हू,फिर हम बात करेंगे....अच्छा राजा साहब,नमस्ते."

चलिए वापस बॉमबे चलते हैं,मेनका & राजा यशवीर होटेल मेरियट पहुँच गये हैं & राजा साहब रिसेप्षन पर अपना परिचय दे रहे हैं..

"हम यशवीर सिंग हैं.हुमारे सेक्रेटरी ने राजपुरा से फोन पर यहा हुमारे नाम से 2 स्यूयीट्स बुक किए होंगे."

"वेलकम सर.आपकी बुकिंग है पर 1 सूयीट की.मैने ही राजपुरा से कॉल रिसीव की थी & मुझे कहा गया था कि राजा यशवीर सिंग & मिसेज़.सिंग के लिए सूयीट बुक करना है & हमने लोटस सूयीट आपके लिए रेडी कर दिया है."

"ये कैसे हो सकता है.हमने सॉफ कहा था कि 2..-"

"इट'स ओके.हमारा सूयीट हमे दिखा दीजिए.",मेनका राजा साहब की बाँह पकड़ते हुए बोली,"चलिए."

"शुवर मॅ'म.",कह कर रिसेप्षनिस्ट ने 1 बेल बॉय को बुला कर उनके साथ कर दिया.

"आपने हमे बात क्यू नही करने दी?ऐसी ग़लती कोई कैसे कर सकता है..",राजा साहब लिफ्ट मे घुसते हुए बोले.

"फोन पे अक्सर ऐसी ग़लत फहमी हो जाती है.सेक्रेटरी ने राजा साहब & मिसेज़.सिंग बोला होगा & इन्हे लगा होगा कि हम पति-पत्नी हैं.",जवाब देते हुए शर्म से मेनका के गाल लाल हो गये.

"अरे,जब आप बात समझ गयी थी तो उस रिसेप्षनिस्ट को बताया क्यू नही?"

"आपने भी तो माल मे सेलेज़्गर्ल को नही बताया था.",बेल्लबोय के पीछे सूयीट मे घुसते हुए मेनका बोली.

राजा साहब की बोलती बंद हो गयी,"... तो इसने सुन लिया था.",उन्होने सोचा.

सूयीट मे दाखिल होते ही एक लाउंज था जहा एक सोफा सेट लगा था & उसके बाद बड़ा सा बेडरूम जिसमे एक तरफ 4 चेर्स & 1 टेबल थी & 1 स्टडी डेस्क था जिसपे कंप्यूटर & फोन थे & दूसरी तरफ था 1 विशाल पलंग जिसे देख कर बस यही ख़याल आता था कि यह तो चुदाइ के लिए ही बना है.

राजा साहब फ्रेश होने के लिए बाथरूम मे चले गये,तब तक मेनका ने भी कपड़े बदल कर खाने का ऑर्डर दे दिया.

थोड़ी देर मे राजा साहब के आने के बाद दोनो ने साथ मे खाना खाया.अब मेनका काले रंग का ड्रेसिंग गाउन पहने थी & राजा साहब कुर्ते-पाजामे मे थे.

"हम यहा लाउंज मे सो जाएँगे,आप बेड पर सो जाइए.",राजा साहब ने अपनी बहू को कहा.

"जी नही,पलंग बहुत बड़ा है.एक तरफ आप सो जाइए,मैं दूसरी तरफ सो जाऊंगी."

"पर.."

"पर-वॉर कुच्छ नही.चलिए सो जाइए.दिन भर ज़रा भी आराम नही किया है आपने & यहा लाउंज मे तो आपको बड़ी अच्छी नींद आएगी!.",मेनका बाँह पकड़ कर अपने ससुर को ले गयी & पलंग पर बिठा दिया.,"चलिए,लेट जाइए.",& उनके लेट ते ही उपर से चादर ओढ़ा दी.फिर फ्रिड्ज से 1 बॉटल निकाली & ग्लास के साथ उसे राजा साहब के तरफ की साइड टेबल पर रख दिया.,"गुड नाइट."

"गुड नाइट.",राजा साहब ने अपनी आँखे बंद कर ली.मेनका बाथरूम चली गयी थी.आँखें तो बंद कर ली पर राजा साहब की आँखों मे नींद थी कहा.उन्हे कल रात का वाक़या याद आया जिसके बाद उन्होने अपनी बहू को सोच कर मूठ मारी थी.उन्हे अपने उपर आश्चर्य हो रहा था.जब से उनका बेटा मरा था,सेक्स की ओर उनका ध्यान कभी नही गया था...& वो शहर की रखाइलों वाला किस्सा तो उन्होने यूधवीर के विदेश से पढ़ कर लौटने से पहले ही ख़तम कर दिया था.पर इस लड़की ने उनमे फिर वो भूख जगा दी थी.

तभी मेनका बाथरूम से बाहर आई & ड्रेसिंग टेबल के सामने चली गयी,राजा साहब की ओर उसकी पीठ थी & वो उसे देख रहे थे.मनका ने सॅश खोल कर गाउन उतार दिया,नीचे काले रंग की नाइटी थी.

"..उफ़फ्फ़...काले लिबास मे तो इसका गोरा रंग & निखर रहा है..",मेनका ने अपने बाल सवार,बत्ती बुझाई & आकर पलंग पर लेट कर अपने उपर चादर डाल दी.

कमरे मे अंधेरा हो गया & बिल्कुल सन्नाटा च्छा गया.दोनो एक दूसरे की तरफ पीठ कर करवट से लेते हुए थे.बाहर सब शांत था पर दोनो के दिलों मे तूफान मचा हुआ था.राजा साहब का लंड पाजामे मे हरकते कर रहा था & बड़ी मुश्किल से उन्होने उसे काबू मे किया था.मेनका की भी हालत बुरी थी,उसे तो ये हल्की-फुल्की नाइटी भी बहुत ज़्यादा तंग लग रही थी,वो चाह रही थी कि इसे भी उतार दे...उसकी चूत मे खुजली सी होने लगी थी..

पर किसी तरह दोनो ने अपने दिलों को काबू मे रखा & सोने की कोशिश करने लगे.बहुत सवेरे से जागे होने के कारण & दिन भर की थकान ने असर दिखाया & थोड़ी देर बाद दोनो नींद की गोद मे थे.

माल से होटेल जाते वक़्त कार मे बैठे-2 राजा साहेब ने अपने मोबाइल से फ़ोन मिलाया,"डॉक्टर.पुरन्दरे.हम यशवीर सिंग बोल रहे हैं."

मेनका खिड़की से बाहर देखने लगी,उसके ससुर उसके पति का हाल पूच्छ रहे थे.इतने दीनो मे उसने 1 बार भी विश्वा के बारे मे नही सोचा था.अगर मन मे ख़याल आता भी तो जल्दी से अपना ध्यान दूसरी ओर कर उस ख़याल को दिमाग़ से निकाल फेंकती थी."कैसा आदमी था उसका 'सो-कॉल्ड पति'.जब वो हॉस्पिटल मे थी तो एक बार भी उसे देखने नही आया....ना कभी उस से माफी माँगने की कोशिश की और क्यू करता वो तो उसके लिए बस एक खिलोना थी....हवस मिटाने की चीज़,उसने उसे कभी पत्नी थोड़े ही समझा था.",मेनका सोच रही थी,"जब वो ठीक होकर वापस आ जाएगा तो वो कैसे करेगी उसका सामना...फिर से उस हैवान के साथ रहना पड़ेगा...",उसने अपने सर को झटका,"..जब आएगा तब सोचेंगे...आज तो इतनी खुशी का दिन है.डील फाइनल हो गयी है.आज कोई बुरा ख़याल मन मे नही लाऊंगी",अपने ससुर की तरफ देखा तो वो मोबाइल बंद करके जेब मे डाल रहे थे.वो उसे कभी भी विश्वा के बारे मे नही बताते थे...शायद जानते थे कि उसका ज़िक्र उसे फिर से वो दर्द याद दिला देगा.वो उनकी ओर देख कर मुस्कुराइ & फिर खिड़की से बाहर देखने लगी.

आइए अब हम बॅंगलुर चलते हैं,डॉक्टर.पुरन्दारे के रहाब सेंटर मे,विश्वा को देखने.....वो देखिए बाकी पेशेंट्स के साथ बैठ कर खा रहा है...& डॉक्टर.पुरन्दारे कहाँ है?....हाँ..वहाँ अपने चेंबर मे कंप्यूटर पर कुच्छ देख रहे हैं...क्या देख रहें है आख़िर?....अच्छा!विश्वा के थेरपी सेशन्स के टेप हैं.डॉक्टर.साहब अपने सारे पेशेंट्स से जो भी बात करते हैं उसे वीडियो रेकॉर्ड कर लेते हैं,इस से उन्हे बाद मे मरीज़ को अनल्ये करने मे आसानी होती है.चलिए,हम भी उनके साथ ये वीडियोस देखते हैं.

पेशेंट नंबर.45681,विश्वजीत सिंग

सेशन 1

डॉक्टर.:हेलो,विश्वजीत.

विश्वा बस सिर हिलाता है.

डॉक्टर."देखो,विश्वा-आइ कॅन कॉल यू विश्वा...ओके.देखो,मेरा मानना है कि हर आदमी जो किसी बुरी लत का शिकार है खुद अपने को सुधार सकता है अगर वो खुद के अंदर झाँक कर अपनेआप को समझने की कोशिश करे.मैं चाहता हू कि तुम भी यही करो.

विश्वा एक तरफ सर घुमा कर दीवार की ओर देख रहा है.पता नही डॉक्टर.की बातों पर ध्यान दे भी रहा है या नही..

डॉक्टर.:..इंसान नशे का सहारा लेता है किसी चीज़ से भागने के लिए & ये नही सोचता कि कुच्छ समय बाद वो उस नशे का गुलाम हो जाता है..उस के हाथ की कठपुतली बन कर रह जाता है बस...मेरी बात के बारे मे सोचना.यू मे गो नाउ.

डॉक्टर.कुच्छ फाइल्स स्किप कर आगे बढ़ते हैं.

सेशन 4

डॉक्टर.:हेलो,विश्वा.

विश्वा:हाई.डॉक्टर.

डॉक्टर.:कैसा लग रहा है यहा?

विश्वा:अच्छी जगह है डॉक्टर,पर जब तलब लगती है तो ये जगह जैल लगने लगती है.

डॉक्टर.:तुम चाहो तो कल ही यहा से जा सकते हो.तुम्हारी मर्ज़ी के खिलाफ ,अगर तुम्हारे परिवार वाले बोले, तो भी मैं तुम्हे यहा नही रोकुंगा.

विश्वा(खड़ा होकर खिड़की से बाहर देखते हुए):नही डॉक्टर,मैं ठीक होना चाहता हू.मैं किसी और चीज़ को अपनी लाइफ कंट्रोल करने नही दे सकता.

डॉक्टर.:दट'स दा स्पिरिट!मैं समझता हू,विश्वा, जब तलब लगती है तो बहुत मुश्किल होती है पर मैं जानता हु कि तुम इस से ज़रूर उबर जाओगे.

डॉक्टर.और आगे बढ़ते हैं,1 वीडियो देखना शुरू करते हैं & फास्ट फॉर्वर्ड कर वाहा से देखते हैं, जहाँ से विश्वा बोलता है,

विश्वा:..मेरे मा-पिता बहुत अच्छे हैं & हम दोनो भाइयों को कँहि भी बिगड़ने नही दिया & ना ही कभी हुमारी कोई जायज़ माँग को ठुकराया ...& मेरा भाई तो मेरा दोस्त था.डॉक्टर,हम राजपरिवार के लड़को से कुच्छ खास उम्मीदें रखी जाती हैं-हमे अपने परिवार की मर्यादा का हर वक़्त ख़याल रखना पड़ता है-हर वक़्त.मुझ से ये सब उतना नही होता था,वैसे भी मेरा भाई भावी राजा था...उसे बिज़्नेस संभालना था & परिवार के मान की रखवाली करनी थी.

डॉक्टर.:तो तुम परिवार की इज़्ज़त का ख़याल नही करते?

विश्वा:करता हू.पर मैं राजपुरा मे नही रहना चाहता था,मैं तो अमेरिका मे अपने फ्रेंड्स के साथ अप्पर-एंड गॅडजेट्स का बिज़्नेस करना चाहता था.मेरे भाई को मेरे प्लॅन्स के बारे मे पता था & वो हुमेशा कहता था कि फॅमिली बिज़्नेस & ट्रेडिशन्स की देखभाल के लिए वो है,मैं तो बस वो करू जो मैं चाहता हू.मेरा भाई मेरा बहुत ख़याल रखता था डॉक्टर...पर भगवान ने उसे छ्चीन लिया & मुझे मजबूरन वापस आना पड़ा.पिता जी बिल्कुल अकेले थे & मा भी स्वर्ग सिधर गयी थी.

मैं आया था अपना फ़र्ज़ निभाने पर इधर कुच्छ महीनों से ये फ़र्ज़ मुझे बोझ लगने लगा था...

डॉक्टर. और आगे बढ़ते हैं....

सेशन 8

विश्वा:मुझे अपने पिता से कोई शिकायत नही डॉकटॉर पर शायद हम दोनो के रास्ते अलग हैं,राजपुरा उनकी ज़िंदगी है & मैं अब राजपुरा जाना नही चाहता.मेरा दम घुट ता है अब वहाँ.

सेशन 15

डॉक्टर.:सेक्स के बारे मे तुम्हारे क्या ख़याल हैं?

विश्वा;इंसानी ज़रूरत है जैसे खाना,पानी,हवा..

डॉक्टर.:और शादी?

विश्वा:बिल्कुल ज़रूरी नही.है अगर आप बच्चा पालना चाहते हैं तो अलग बात है वरना किसी लड़की के साथ आप शादी के बगैर भी वैसे ही रह सकते हैं.

डॉक्टर.:तो फिर तुमने शादी क्यू की?

विश्वा:क्यूकी राजकुनवर होने के नाते,दट वाज़ एक्सपेक्टेड ऑफ मी.

डॉक्टर.:तुमने अपनी बीवी के साथ जो किया...

विश्वा:मैं उसके लिए शर्मिंदा हू...यहा से जाते ही मैं मेनका से माफी माँगूंगा पर शायद हुमारी शादी अब मैं निभा नही पाऊँगा...(हंसता है)..मैं भी क्या कह रहा हू!जो उस रात हुआ उसके बाद तो वो ही मेरे साथ नही रहना चाहेगी....मैने बहुत कोशिश की उसके साथ एक एमोशनल रिश्ता बने,डॉक्टर...पर ऐसा कभी हो नही पाया...

डॉक्टर.:तो तुमने उसी से शादी क्यू की?किसी और राजकुमारी से भी कर सकते थे?

थोड़ी देर चुप रहने के बाद विश्वा बोला,"डॉक्टर,वो बहुत खूबसूरत है...मैं बस..मैं बस उसके साथ हुमबईस्तर होना चाहता था.उसे देखते ही मेरे दिल मे उसके जिस्म को हासिल करने का ख़याल आया था.शुरू मे मैने सोचा था कि इसी तरह हुमारे बीच प्यार भी हो जाएगा...वो बहुत अच्छी लड़की है...बहुत समझदार भी ...पर पता नही मेरे लिए वो कभी भी एक...एक...हसीन जिस्म से ज़्यादा क्यू नही बन पाई..मुझे कभी उस से प्यार नही हुआ.

तभी डॉक्टर.का फोन बजता है.यह राजा साहब का है,होटेल को जाते हुए कार से कर रहे हैं.

"नमस्कार,राजा साब...हा,हा..विश्वा मे काफ़ी इंप्रूव्मेंट है.अभी मैं उसी की फाइल देख रहा था.सबसे बड़ी बात है कि वो खुद भी ठीक होना चाहता है...मैं कल आपको उसके बारे मे एक डीटेल्ड ई-मैल भेजता हू,फिर हम बात करेंगे....अच्छा राजा साहब,नमस्ते."

चलिए वापस बॉमबे चलते हैं,मेनका & राजा यशवीर होटेल मेरियट पहुँच गये हैं & राजा साहब रिसेप्षन पर अपना परिचय दे रहे हैं..

"हम यशवीर सिंग हैं.हुमारे सेक्रेटरी ने राजपुरा से फोन पर यहा हुमारे नाम से 2 स्यूयीट्स बुक किए होंगे."

"वेलकम सर.आपकी बुकिंग है पर 1 सूयीट की.मैने ही राजपुरा से कॉल रिसीव की थी & मुझे कहा गया था कि राजा यशवीर सिंग & मिसेज़.सिंग के लिए सूयीट बुक करना है & हमने लोटस सूयीट आपके लिए रेडी कर दिया है."

"ये कैसे हो सकता है.हमने सॉफ कहा था कि 2..-"

"इट'स ओके.हमारा सूयीट हमे दिखा दीजिए.",मेनका राजा साहब की बाँह पकड़ते हुए बोली,"चलिए."

"शुवर मॅ'म.",कह कर रिसेप्षनिस्ट ने 1 बेल बॉय को बुला कर उनके साथ कर दिया.

"आपने हमे बात क्यू नही करने दी?ऐसी ग़लती कोई कैसे कर सकता है..",राजा साहब लिफ्ट मे घुसते हुए बोले.

"फोन पे अक्सर ऐसी ग़लत फहमी हो जाती है.सेक्रेटरी ने राजा साहब & मिसेज़.सिंग बोला होगा & इन्हे लगा होगा कि हम पति-पत्नी हैं.",जवाब देते हुए शर्म से मेनका के गाल लाल हो गये.

"अरे,जब आप बात समझ गयी थी तो उस रिसेप्षनिस्ट को बताया क्यू नही?"

"आपने भी तो माल मे सेलेज़्गर्ल को नही बताया था.",बेल्लबोय के पीछे सूयीट मे घुसते हुए मेनका बोली.

राजा साहब की बोलती बंद हो गयी,"... तो इसने सुन लिया था.",उन्होने सोचा.

सूयीट मे दाखिल होते ही एक लाउंज था जहा एक सोफा सेट लगा था & उसके बाद बड़ा सा बेडरूम जिसमे एक तरफ 4 चेर्स & 1 टेबल थी & 1 स्टडी डेस्क था जिसपे कंप्यूटर & फोन थे & दूसरी तरफ था 1 विशाल पलंग जिसे देख कर बस यही ख़याल आता था कि यह तो चुदाइ के लिए ही बना है.

राजा साहब फ्रेश होने के लिए बाथरूम मे चले गये,तब तक मेनका ने भी कपड़े बदल कर खाने का ऑर्डर दे दिया.

थोड़ी देर मे राजा साहब के आने के बाद दोनो ने साथ मे खाना खाया.अब मेनका काले रंग का ड्रेसिंग गाउन पहने थी & राजा साहब कुर्ते-पाजामे मे थे.

"हम यहा लाउंज मे सो जाएँगे,आप बेड पर सो जाइए.",राजा साहब ने अपनी बहू को कहा.

"जी नही,पलंग बहुत बड़ा है.एक तरफ आप सो जाइए,मैं दूसरी तरफ सो जाऊंगी."

"पर.."

"पर-वॉर कुच्छ नही.चलिए सो जाइए.दिन भर ज़रा भी आराम नही किया है आपने & यहा लाउंज मे तो आपको बड़ी अच्छी नींद आएगी!.",मेनका बाँह पकड़ कर अपने ससुर को ले गयी & पलंग पर बिठा दिया.,"चलिए,लेट जाइए.",& उनके लेट ते ही उपर से चादर ओढ़ा दी.फिर फ्रिड्ज से 1 बॉटल निकाली & ग्लास के साथ उसे राजा साहब के तरफ की साइड टेबल पर रख दिया.,"गुड नाइट."

"गुड नाइट.",राजा साहब ने अपनी आँखे बंद कर ली.मेनका बाथरूम चली गयी थी.आँखें तो बंद कर ली पर राजा साहब की आँखों मे नींद थी कहा.उन्हे कल रात का वाक़या याद आया जिसके बाद उन्होने अपनी बहू को सोच कर मूठ मारी थी.उन्हे अपने उपर आश्चर्य हो रहा था.जब से उनका बेटा मरा था,सेक्स की ओर उनका ध्यान कभी नही गया था...& वो शहर की रखाइलों वाला किस्सा तो उन्होने यूधवीर के विदेश से पढ़ कर लौटने से पहले ही ख़तम कर दिया था.पर इस लड़की ने उनमे फिर वो भूख जगा दी थी.

तभी मेनका बाथरूम से बाहर आई & ड्रेसिंग टेबल के सामने चली गयी,राजा साहब की ओर उसकी पीठ थी & वो उसे देख रहे थे.मनका ने सॅश खोल कर गाउन उतार दिया,नीचे काले रंग की नाइटी थी.

"..उफ़फ्फ़...काले लिबास मे तो इसका गोरा रंग & निखर रहा है..",मेनका ने अपने बाल सवार,बत्ती बुझाई & आकर पलंग पर लेट कर अपने उपर चादर डाल दी.

कमरे मे अंधेरा हो गया & बिल्कुल सन्नाटा च्छा गया.दोनो एक दूसरे की तरफ पीठ कर करवट से लेते हुए थे.बाहर सब शांत था पर दोनो के दिलों मे तूफान मचा हुआ था.राजा साहब का लंड पाजामे मे हरकते कर रहा था & बड़ी मुश्किल से उन्होने उसे काबू मे किया था.मेनका की भी हालत बुरी थी,उसे तो ये हल्की-फुल्की नाइटी भी बहुत ज़्यादा तंग लग रही थी,वो चाह रही थी कि इसे भी उतार दे...उसकी चूत मे खुजली सी होने लगी थी..

पर किसी तरह दोनो ने अपने दिलों को काबू मे रखा & सोने की कोशिश करने लगे.बहुत सवेरे से जागे होने के कारण & दिन भर की थकान ने असर दिखाया & थोड़ी देर बाद दोनो नींद की गोद मे थे.

माल से होटेल जाते वक़्त कार मे बैठे-2 राजा साहेब ने अपने मोबाइल से फ़ोन मिलाया,"डॉक्टर.पुरन्दरे.हम यशवीर सिंग बोल रहे हैं."

मेनका खिड़की से बाहर देखने लगी,उसके ससुर उसके पति का हाल पूच्छ रहे थे.इतने दीनो मे उसने 1 बार भी विश्वा के बारे मे नही सोचा था.अगर मन मे ख़याल आता भी तो जल्दी से अपना ध्यान दूसरी ओर कर उस ख़याल को दिमाग़ से निकाल फेंकती थी."कैसा आदमी था उसका 'सो-कॉल्ड पति'.जब वो हॉस्पिटल मे थी तो एक बार भी उसे देखने नही आया....ना कभी उस से माफी माँगने की कोशिश की और क्यू करता वो तो उसके लिए बस एक खिलोना थी....हवस मिटाने की चीज़,उसने उसे कभी पत्नी थोड़े ही समझा था.",मेनका सोच रही थी,"जब वो ठीक होकर वापस आ जाएगा तो वो कैसे करेगी उसका सामना...फिर से उस हैवान के साथ रहना पड़ेगा...",उसने अपने सर को झटका,"..जब आएगा तब सोचेंगे...आज तो इतनी खुशी का दिन है.डील फाइनल हो गयी है.आज कोई बुरा ख़याल मन मे नही लाऊंगी",अपने ससुर की तरफ देखा तो वो मोबाइल बंद करके जेब मे डाल रहे थे.वो उसे कभी भी विश्वा के बारे मे नही बताते थे...शायद जानते थे कि उसका ज़िक्र उसे फिर से वो दर्द याद दिला देगा.वो उनकी ओर देख कर मुस्कुराइ & फिर खिड़की से बाहर देखने लगी.

आइए अब हम बॅंगलुर चलते हैं,डॉक्टर.पुरन्दारे के रहाब सेंटर मे,विश्वा को देखने.....वो देखिए बाकी पेशेंट्स के साथ बैठ कर खा रहा है...& डॉक्टर.पुरन्दारे कहाँ है?....हाँ..वहाँ अपने चेंबर मे कंप्यूटर पर कुच्छ देख रहे हैं...क्या देख रहें है आख़िर?....अच्छा!विश्वा के थेरपी सेशन्स के टेप हैं.डॉक्टर.साहब अपने सारे पेशेंट्स से जो भी बात करते हैं उसे वीडियो रेकॉर्ड कर लेते हैं,इस से उन्हे बाद मे मरीज़ को अनल्ये करने मे आसानी होती है.चलिए,हम भी उनके साथ ये वीडियोस देखते हैं.

पेशेंट नंबर.45681,विश्वजीत सिंग

सेशन 1

डॉक्टर.:हेलो,विश्वजीत.

विश्वा बस सिर हिलाता है.

डॉक्टर."देखो,विश्वा-आइ कॅन कॉल यू विश्वा...ओके.देखो,मेरा मानना है कि हर आदमी जो किसी बुरी लत का शिकार है खुद अपने को सुधार सकता है अगर वो खुद के अंदर झाँक कर अपनेआप को समझने की कोशिश करे.मैं चाहता हू कि तुम भी यही करो.

विश्वा एक तरफ सर घुमा कर दीवार की ओर देख रहा है.पता नही डॉक्टर.की बातों पर ध्यान दे भी रहा है या नही..

डॉक्टर.:..इंसान नशे का सहारा लेता है किसी चीज़ से भागने के लिए & ये नही सोचता कि कुच्छ समय बाद वो उस नशे का गुलाम हो जाता है..उस के हाथ की कठपुतली बन कर रह जाता है बस...मेरी बात के बारे मे सोचना.यू मे गो नाउ.

डॉक्टर.कुच्छ फाइल्स स्किप कर आगे बढ़ते हैं.

सेशन 4

डॉक्टर.:हेलो,विश्वा.

विश्वा:हाई.डॉक्टर.

डॉक्टर.:कैसा लग रहा है यहा?

विश्वा:अच्छी जगह है डॉक्टर,पर जब तलब लगती है तो ये जगह जैल लगने लगती है.

डॉक्टर.:तुम चाहो तो कल ही यहा से जा सकते हो.तुम्हारी मर्ज़ी के खिलाफ ,अगर तुम्हारे परिवार वाले बोले, तो भी मैं तुम्हे यहा नही रोकुंगा.

विश्वा(खड़ा होकर खिड़की से बाहर देखते हुए):नही डॉक्टर,मैं ठीक होना चाहता हू.मैं किसी और चीज़ को अपनी लाइफ कंट्रोल करने नही दे सकता.

डॉक्टर.:दट'स दा स्पिरिट!मैं समझता हू,विश्वा, जब तलब लगती है तो बहुत मुश्किल होती है पर मैं जानता हु कि तुम इस से ज़रूर उबर जाओगे.

डॉक्टर.और आगे बढ़ते हैं,1 वीडियो देखना शुरू करते हैं & फास्ट फॉर्वर्ड कर वाहा से देखते हैं, जहाँ से विश्वा बोलता है,

विश्वा:..मेरे मा-पिता बहुत अच्छे हैं & हम दोनो भाइयों को कँहि भी बिगड़ने नही दिया & ना ही कभी हुमारी कोई जायज़ माँग को ठुकराया ...& मेरा भाई तो मेरा दोस्त था.डॉक्टर,हम राजपरिवार के लड़को से कुच्छ खास उम्मीदें रखी जाती हैं-हमे अपने परिवार की मर्यादा का हर वक़्त ख़याल रखना पड़ता है-हर वक़्त.मुझ से ये सब उतना नही होता था,वैसे भी मेरा भाई भावी राजा था...उसे बिज़्नेस संभालना था & परिवार के मान की रखवाली करनी थी.

डॉक्टर.:तो तुम परिवार की इज़्ज़त का ख़याल नही करते?

विश्वा:करता हू.पर मैं राजपुरा मे नही रहना चाहता था,मैं तो अमेरिका मे अपने फ्रेंड्स के साथ अप्पर-एंड गॅडजेट्स का बिज़्नेस करना चाहता था.मेरे भाई को मेरे प्लॅन्स के बारे मे पता था & वो हुमेशा कहता था कि फॅमिली बिज़्नेस & ट्रेडिशन्स की देखभाल के लिए वो है,मैं तो बस वो करू जो मैं चाहता हू.मेरा भाई मेरा बहुत ख़याल रखता था डॉक्टर...पर भगवान ने उसे छ्चीन लिया & मुझे मजबूरन वापस आना पड़ा.पिता जी बिल्कुल अकेले थे & मा भी स्वर्ग सिधर गयी थी.

मैं आया था अपना फ़र्ज़ निभाने पर इधर कुच्छ महीनों से ये फ़र्ज़ मुझे बोझ लगने लगा था...

डॉक्टर. और आगे बढ़ते हैं....

सेशन 8

विश्वा:मुझे अपने पिता से कोई शिकायत नही डॉकटॉर पर शायद हम दोनो के रास्ते अलग हैं,राजपुरा उनकी ज़िंदगी है & मैं अब राजपुरा जाना नही चाहता.मेरा दम घुट ता है अब वहाँ.

सेशन 15

डॉक्टर.:सेक्स के बारे मे तुम्हारे क्या ख़याल हैं?

विश्वा;इंसानी ज़रूरत है जैसे खाना,पानी,हवा..

डॉक्टर.:और शादी?

विश्वा:बिल्कुल ज़रूरी नही.है अगर आप बच्चा पालना चाहते हैं तो अलग बात है वरना किसी लड़की के साथ आप शादी के बगैर भी वैसे ही रह सकते हैं.

डॉक्टर.:तो फिर तुमने शादी क्यू की?

विश्वा:क्यूकी राजकुनवर होने के नाते,दट वाज़ एक्सपेक्टेड ऑफ मी.

डॉक्टर.:तुमने अपनी बीवी के साथ जो किया...

विश्वा:मैं उसके लिए शर्मिंदा हू...यहा से जाते ही मैं मेनका से माफी माँगूंगा पर शायद हुमारी शादी अब मैं निभा नही पाऊँगा...(हंसता है)..मैं भी क्या कह रहा हू!जो उस रात हुआ उसके बाद तो वो ही मेरे साथ नही रहना चाहेगी....मैने बहुत कोशिश की उसके साथ एक एमोशनल रिश्ता बने,डॉक्टर...पर ऐसा कभी हो नही पाया...

डॉक्टर.:तो तुमने उसी से शादी क्यू की?किसी और राजकुमारी से भी कर सकते थे?

थोड़ी देर चुप रहने के बाद विश्वा बोला,"डॉक्टर,वो बहुत खूबसूरत है...मैं बस..मैं बस उसके साथ हुमबईस्तर होना चाहता था.उसे देखते ही मेरे दिल मे उसके जिस्म को हासिल करने का ख़याल आया था.शुरू मे मैने सोचा था कि इसी तरह हुमारे बीच प्यार भी हो जाएगा...वो बहुत अच्छी लड़की है...बहुत समझदार भी ...पर पता नही मेरे लिए वो कभी भी एक...एक...हसीन जिस्म से ज़्यादा क्यू नही बन पाई..मुझे कभी उस से प्यार नही हुआ.

तभी डॉक्टर.का फोन बजता है.यह राजा साहब का है,होटेल को जाते हुए कार से कर रहे हैं.

"नमस्कार,राजा साब...हा,हा..विश्वा मे काफ़ी इंप्रूव्मेंट है.अभी मैं उसी की फाइल देख रहा था.सबसे बड़ी बात है कि वो खुद भी ठीक होना चाहता है...मैं कल आपको उसके बारे मे एक डीटेल्ड ई-मैल भेजता हू,फिर हम बात करेंगे....अच्छा राजा साहब,नमस्ते."

चलिए वापस बॉमबे चलते हैं,मेनका & राजा यशवीर होटेल मेरियट पहुँच गये हैं & राजा साहब रिसेप्षन पर अपना परिचय दे रहे हैं..

"हम यशवीर सिंग हैं.हुमारे सेक्रेटरी ने राजपुरा से फोन पर यहा हुमारे नाम से 2 स्यूयीट्स बुक किए होंगे."

"वेलकम सर.आपकी बुकिंग है पर 1 सूयीट की.मैने ही राजपुरा से कॉल रिसीव की थी & मुझे कहा गया था कि राजा यशवीर सिंग & मिसेज़.सिंग के लिए सूयीट बुक करना है & हमने लोटस सूयीट आपके लिए रेडी कर दिया है."

"ये कैसे हो सकता है.हमने सॉफ कहा था कि 2..-"

"इट'स ओके.हमारा सूयीट हमे दिखा दीजिए.",मेनका राजा साहब की बाँह पकड़ते हुए बोली,"चलिए."

"शुवर मॅ'म.",कह कर रिसेप्षनिस्ट ने 1 बेल बॉय को बुला कर उनके साथ कर दिया.

"आपने हमे बात क्यू नही करने दी?ऐसी ग़लती कोई कैसे कर सकता है..",राजा साहब लिफ्ट मे घुसते हुए बोले.

"फोन पे अक्सर ऐसी ग़लत फहमी हो जाती है.सेक्रेटरी ने राजा साहब & मिसेज़.सिंग बोला होगा & इन्हे लगा होगा कि हम पति-पत्नी हैं.",जवाब देते हुए शर्म से मेनका के गाल लाल हो गये.

"अरे,जब आप बात समझ गयी थी तो उस रिसेप्षनिस्ट को बताया क्यू नही?"

"आपने भी तो माल मे सेलेज़्गर्ल को नही बताया था.",बेल्लबोय के पीछे सूयीट मे घुसते हुए मेनका बोली.

राजा साहब की बोलती बंद हो गयी,"... तो इसने सुन लिया था.",उन्होने सोचा.

सूयीट मे दाखिल होते ही एक लाउंज था जहा एक सोफा सेट लगा था & उसके बाद बड़ा सा बेडरूम जिसमे एक तरफ 4 चेर्स & 1 टेबल थी & 1 स्टडी डेस्क था जिसपे कंप्यूटर & फोन थे & दूसरी तरफ था 1 विशाल पलंग जिसे देख कर बस यही ख़याल आता था कि यह तो चुदाइ के लिए ही बना है.

राजा साहब फ्रेश होने के लिए बाथरूम मे चले गये,तब तक मेनका ने भी कपड़े बदल कर खाने का ऑर्डर दे दिया.

थोड़ी देर मे राजा साहब के आने के बाद दोनो ने साथ मे खाना खाया.अब मेनका काले रंग का ड्रेसिंग गाउन पहने थी & राजा साहब कुर्ते-पाजामे मे थे.

"हम यहा लाउंज मे सो जाएँगे,आप बेड पर सो जाइए.",राजा साहब ने अपनी बहू को कहा.

"जी नही,पलंग बहुत बड़ा है.एक तरफ आप सो जाइए,मैं दूसरी तरफ सो जाऊंगी."

"पर.."

"पर-वॉर कुच्छ नही.चलिए सो जाइए.दिन भर ज़रा भी आराम नही किया है आपने & यहा लाउंज मे तो आपको बड़ी अच्छी नींद आएगी!.",मेनका बाँह पकड़ कर अपने ससुर को ले गयी & पलंग पर बिठा दिया.,"चलिए,लेट जाइए.",& उनके लेट ते ही उपर से चादर ओढ़ा दी.फिर फ्रिड्ज से 1 बॉटल निकाली & ग्लास के साथ उसे राजा साहब के तरफ की साइड टेबल पर रख दिया.,"गुड नाइट."

"गुड नाइट.",राजा साहब ने अपनी आँखे बंद कर ली.मेनका बाथरूम चली गयी थी.आँखें तो बंद कर ली पर राजा साहब की आँखों मे नींद थी कहा.उन्हे कल रात का वाक़या याद आया जिसके बाद उन्होने अपनी बहू को सोच कर मूठ मारी थी.उन्हे अपने उपर आश्चर्य हो रहा था.जब से उनका बेटा मरा था,सेक्स की ओर उनका ध्यान कभी नही गया था...& वो शहर की रखाइलों वाला किस्सा तो उन्होने यूधवीर के विदेश से पढ़ कर लौटने से पहले ही ख़तम कर दिया था.पर इस लड़की ने उनमे फिर वो भूख जगा दी थी.

तभी मेनका बाथरूम से बाहर आई & ड्रेसिंग टेबल के सामने चली गयी,राजा साहब की ओर उसकी पीठ थी & वो उसे देख रहे थे.मनका ने सॅश खोल कर गाउन उतार दिया,नीचे काले रंग की नाइटी थी.

"..उफ़फ्फ़...काले लिबास मे तो इसका गोरा रंग & निखर रहा है..",मेनका ने अपने बाल सवार,बत्ती बुझाई & आकर पलंग पर लेट कर अपने उपर चादर डाल दी.

कमरे मे अंधेरा हो गया & बिल्कुल सन्नाटा च्छा गया.दोनो एक दूसरे की तरफ पीठ कर करवट से लेते हुए थे.बाहर सब शांत था पर दोनो के दिलों मे तूफान मचा हुआ था.राजा साहब का लंड पाजामे मे हरकते कर रहा था & बड़ी मुश्किल से उन्होने उसे काबू मे किया था.मेनका की भी हालत बुरी थी,उसे तो ये हल्की-फुल्की नाइटी भी बहुत ज़्यादा तंग लग रही थी,वो चाह रही थी कि इसे भी उतार दे...उसकी चूत मे खुजली सी होने लगी थी..

पर किसी तरह दोनो ने अपने दिलों को काबू मे रखा & सोने की कोशिश करने लगे.बहुत सवेरे से जागे होने के कारण & दिन भर की थकान ने असर दिखाया & थोड़ी देर बाद दोनो नींद की गोद मे थे.

माल से होटेल जाते वक़्त कार मे बैठे-2 राजा साहेब ने अपने मोबाइल से फ़ोन मिलाया,"डॉक्टर.पुरन्दरे.हम यशवीर सिंग बोल रहे हैं."

मेनका खिड़की से बाहर देखने लगी,उसके ससुर उसके पति का हाल पूच्छ रहे थे.इतने दीनो मे उसने 1 बार भी विश्वा के बारे मे नही सोचा था.अगर मन मे ख़याल आता भी तो जल्दी से अपना ध्यान दूसरी ओर कर उस ख़याल को दिमाग़ से निकाल फेंकती थी."कैसा आदमी था उसका 'सो-कॉल्ड पति'.जब वो हॉस्पिटल मे थी तो एक बार भी उसे देखने नही आया....ना कभी उस से माफी माँगने की कोशिश की और क्यू करता वो तो उसके लिए बस एक खिलोना थी....हवस मिटाने की चीज़,उसने उसे कभी पत्नी थोड़े ही समझा था.",मेनका सोच रही थी,"जब वो ठीक होकर वापस आ जाएगा तो वो कैसे करेगी उसका सामना...फिर से उस हैवान के साथ रहना पड़ेगा...",उसने अपने सर को झटका,"..जब आएगा तब सोचेंगे...आज तो इतनी खुशी का दिन है.डील फाइनल हो गयी है.आज कोई बुरा ख़याल मन मे नही लाऊंगी",अपने ससुर की तरफ देखा तो वो मोबाइल बंद करके जेब मे डाल रहे थे.वो उसे कभी भी विश्वा के बारे मे नही बताते थे...शायद जानते थे कि उसका ज़िक्र उसे फिर से वो दर्द याद दिला देगा.वो उनकी ओर देख कर मुस्कुराइ & फिर खिड़की से बाहर देखने लगी.

आइए अब हम बॅंगलुर चलते हैं,डॉक्टर.पुरन्दारे के रहाब सेंटर मे,विश्वा को देखने.....वो देखिए बाकी पेशेंट्स के साथ बैठ कर खा रहा है...& डॉक्टर.पुरन्दारे कहाँ है?....हाँ..वहाँ अपने चेंबर मे कंप्यूटर पर कुच्छ देख रहे हैं...क्या देख रहें है आख़िर?....अच्छा!विश्वा के थेरपी सेशन्स के टेप हैं.डॉक्टर.साहब अपने सारे पेशेंट्स से जो भी बात करते हैं उसे वीडियो रेकॉर्ड कर लेते हैं,इस से उन्हे बाद मे मरीज़ को अनल्ये करने मे आसानी होती है.चलिए,हम भी उनके साथ ये वीडियोस देखते हैं.

पेशेंट नंबर.45681,विश्वजीत सिंग

सेशन 1

डॉक्टर.:हेलो,विश्वजीत.

विश्वा बस सिर हिलाता है.

डॉक्टर."देखो,विश्वा-आइ कॅन कॉल यू विश्वा...ओके.देखो,मेरा मानना है कि हर आदमी जो किसी बुरी लत का शिकार है खुद अपने को सुधार सकता है अगर वो खुद के अंदर झाँक कर अपनेआप को समझने की कोशिश करे.मैं चाहता हू कि तुम भी यही करो.

विश्वा एक तरफ सर घुमा कर दीवार की ओर देख रहा है.पता नही डॉक्टर.की बातों पर ध्यान दे भी रहा है या नही..

डॉक्टर.:..इंसान नशे का सहारा लेता है किसी चीज़ से भागने के लिए & ये नही सोचता कि कुच्छ समय बाद वो उस नशे का गुलाम हो जाता है..उस के हाथ की कठपुतली बन कर रह जाता है बस...मेरी बात के बारे मे सोचना.यू मे गो नाउ.

डॉक्टर.कुच्छ फाइल्स स्किप कर आगे बढ़ते हैं.

सेशन 4

डॉक्टर.:हेलो,विश्वा.

विश्वा:हाई.डॉक्टर.

डॉक्टर.:कैसा लग रहा है यहा?

विश्वा:अच्छी जगह है डॉक्टर,पर जब तलब लगती है तो ये जगह जैल लगने लगती है.

डॉक्टर.:तुम चाहो तो कल ही यहा से जा सकते हो.तुम्हारी मर्ज़ी के खिलाफ ,अगर तुम्हारे परिवार वाले बोले, तो भी मैं तुम्हे यहा नही रोकुंगा.

विश्वा(खड़ा होकर खिड़की से बाहर देखते हुए):नही डॉक्टर,मैं ठीक होना चाहता हू.मैं किसी और चीज़ को अपनी लाइफ कंट्रोल करने नही दे सकता.

डॉक्टर.:दट'स दा स्पिरिट!मैं समझता हू,विश्वा, जब तलब लगती है तो बहुत मुश्किल होती है पर मैं जानता हु कि तुम इस से ज़रूर उबर जाओगे.

डॉक्टर.और आगे बढ़ते हैं,1 वीडियो देखना शुरू करते हैं & फास्ट फॉर्वर्ड कर वाहा से देखते हैं, जहाँ से विश्वा बोलता है,

विश्वा:..मेरे मा-पिता बहुत अच्छे हैं & हम दोनो भाइयों को कँहि भी बिगड़ने नही दिया & ना ही कभी हुमारी कोई जायज़ माँग को ठुकराया ...& मेरा भाई तो मेरा दोस्त था.डॉक्टर,हम राजपरिवार के लड़को से कुच्छ खास उम्मीदें रखी जाती हैं-हमे अपने परिवार की मर्यादा का हर वक़्त ख़याल रखना पड़ता है-हर वक़्त.मुझ से ये सब उतना नही होता था,वैसे भी मेरा भाई भावी राजा था...उसे बिज़्नेस संभालना था & परिवार के मान की रखवाली करनी थी.

डॉक्टर.:तो तुम परिवार की इज़्ज़त का ख़याल नही करते?

विश्वा:करता हू.पर मैं राजपुरा मे नही रहना चाहता था,मैं तो अमेरिका मे अपने फ्रेंड्स के साथ अप्पर-एंड गॅडजेट्स का बिज़्नेस करना चाहता था.मेरे भाई को मेरे प्लॅन्स के बारे मे पता था & वो हुमेशा कहता था कि फॅमिली बिज़्नेस & ट्रेडिशन्स की देखभाल के लिए वो है,मैं तो बस वो करू जो मैं चाहता हू.मेरा भाई मेरा बहुत ख़याल रखता था डॉक्टर...पर भगवान ने उसे छ्चीन लिया & मुझे मजबूरन वापस आना पड़ा.पिता जी बिल्कुल अकेले थे & मा भी स्वर्ग सिधर गयी थी.

मैं आया था अपना फ़र्ज़ निभाने पर इधर कुच्छ महीनों से ये फ़र्ज़ मुझे बोझ लगने लगा था...

डॉक्टर. और आगे बढ़ते हैं....

सेशन 8

विश्वा:मुझे अपने पिता से कोई शिकायत नही डॉकटॉर पर शायद हम दोनो के रास्ते अलग हैं,राजपुरा उनकी ज़िंदगी है & मैं अब राजपुरा जाना नही चाहता.मेरा दम घुट ता है अब वहाँ.

सेशन 15

डॉक्टर.:सेक्स के बारे मे तुम्हारे क्या ख़याल हैं?

विश्वा;इंसानी ज़रूरत है जैसे खाना,पानी,हवा..

डॉक्टर.:और शादी?

विश्वा:बिल्कुल ज़रूरी नही.है अगर आप बच्चा पालना चाहते हैं तो अलग बात है वरना किसी लड़की के साथ आप शादी के बगैर भी वैसे ही रह सकते हैं.

डॉक्टर.:तो फिर तुमने शादी क्यू की?

विश्वा:क्यूकी राजकुनवर होने के नाते,दट वाज़ एक्सपेक्टेड ऑफ मी.

डॉक्टर.:तुमने अपनी बीवी के साथ जो किया...

विश्वा:मैं उसके लिए शर्मिंदा हू...यहा से जाते ही मैं मेनका से माफी माँगूंगा पर शायद हुमारी शादी अब मैं निभा नही पाऊँगा...(हंसता है)..मैं भी क्या कह रहा हू!जो उस रात हुआ उसके बाद तो वो ही मेरे साथ नही रहना चाहेगी....मैने बहुत कोशिश की उसके साथ एक एमोशनल रिश्ता बने,डॉक्टर...पर ऐसा कभी हो नही पाया...

डॉक्टर.:तो तुमने उसी से शादी क्यू की?किसी और राजकुमारी से भी कर सकते थे?

थोड़ी देर चुप रहने के बाद विश्वा बोला,"डॉक्टर,वो बहुत खूबसूरत है...मैं बस..मैं बस उसके साथ हुमबईस्तर होना चाहता था.उसे देखते ही मेरे दिल मे उसके जिस्म को हासिल करने का ख़याल आया था.शुरू मे मैने सोचा था कि इसी तरह हुमारे बीच प्यार भी हो जाएगा...वो बहुत अच्छी लड़की है...बहुत समझदार भी ...पर पता नही मेरे लिए वो कभी भी एक...एक...हसीन जिस्म से ज़्यादा क्यू नही बन पाई..मुझे कभी उस से प्यार नही हुआ.

तभी डॉक्टर.का फोन बजता है.यह राजा साहब का है,होटेल को जाते हुए कार से कर रहे हैं.

"नमस्कार,राजा साब...हा,हा..विश्वा मे काफ़ी इंप्रूव्मेंट है.अभी मैं उसी की फाइल देख रहा था.सबसे बड़ी बात है कि वो खुद भी ठीक होना चाहता है...मैं कल आपको उसके बारे मे एक डीटेल्ड ई-मैल भेजता हू,फिर हम बात करेंगे....अच्छा राजा साहब,नमस्ते."

चलिए वापस बॉमबे चलते हैं,मेनका & राजा यशवीर होटेल मेरियट पहुँच गये हैं & राजा साहब रिसेप्षन पर अपना परिचय दे रहे हैं..

"हम यशवीर सिंग हैं.हुमारे सेक्रेटरी ने राजपुरा से फोन पर यहा हुमारे नाम से 2 स्यूयीट्स बुक किए होंगे."

"वेलकम सर.आपकी बुकिंग है पर 1 सूयीट की.मैने ही राजपुरा से कॉल रिसीव की थी & मुझे कहा गया था कि राजा यशवीर सिंग & मिसेज़.सिंग के लिए सूयीट बुक करना है & हमने लोटस सूयीट आपके लिए रेडी कर दिया है."

"ये कैसे हो सकता है.हमने सॉफ कहा था कि 2..-"

"इट'स ओके.हमारा सूयीट हमे दिखा दीजिए.",मेनका राजा साहब की बाँह पकड़ते हुए बोली,"चलिए."

"शुवर मॅ'म.",कह कर रिसेप्षनिस्ट ने 1 बेल बॉय को बुला कर उनके साथ कर दिया.

"आपने हमे बात क्यू नही करने दी?ऐसी ग़लती कोई कैसे कर सकता है..",राजा साहब लिफ्ट मे घुसते हुए बोले.

"फोन पे अक्सर ऐसी ग़लत फहमी हो जाती है.सेक्रेटरी ने राजा साहब & मिसेज़.सिंग बोला होगा & इन्हे लगा होगा कि हम पति-पत्नी हैं.",जवाब देते हुए शर्म से मेनका के गाल लाल हो गये.

"अरे,जब आप बात समझ गयी थी तो उस रिसेप्षनिस्ट को बताया क्यू नही?"

"आपने भी तो माल मे सेलेज़्गर्ल को नही बताया था.",बेल्लबोय के पीछे सूयीट मे घुसते हुए मेनका बोली.

राजा साहब की बोलती बंद हो गयी,"... तो इसने सुन लिया था.",उन्होने सोचा.

सूयीट मे दाखिल होते ही एक लाउंज था जहा एक सोफा सेट लगा था & उसके बाद बड़ा सा बेडरूम जिसमे एक तरफ 4 चेर्स & 1 टेबल थी & 1 स्टडी डेस्क था जिसपे कंप्यूटर & फोन थे & दूसरी तरफ था 1 विशाल पलंग जिसे देख कर बस यही ख़याल आता था कि यह तो चुदाइ के लिए ही बना है.

राजा साहब फ्रेश होने के लिए बाथरूम मे चले गये,तब तक मेनका ने भी कपड़े बदल कर खाने का ऑर्डर दे दिया.

थोड़ी देर मे राजा साहब के आने के बाद दोनो ने साथ मे खाना खाया.अब मेनका काले रंग का ड्रेसिंग गाउन पहने थी & राजा साहब कुर्ते-पाजामे मे थे.

"हम यहा लाउंज मे सो जाएँगे,आप बेड पर सो जाइए.",राजा साहब ने अपनी बहू को कहा.

"जी नही,पलंग बहुत बड़ा है.एक तरफ आप सो जाइए,मैं दूसरी तरफ सो जाऊंगी."

"पर.."

"पर-वॉर कुच्छ नही.चलिए सो जाइए.दिन भर ज़रा भी आराम नही किया है आपने & यहा लाउंज मे तो आपको बड़ी अच्छी नींद आएगी!.",मेनका बाँह पकड़ कर अपने ससुर को ले गयी & पलंग पर बिठा दिया.,"चलिए,लेट जाइए.",& उनके लेट ते ही उपर से चादर ओढ़ा दी.फिर फ्रिड्ज से 1 बॉटल निकाली & ग्लास के साथ उसे राजा साहब के तरफ की साइड टेबल पर रख दिया.,"गुड नाइट."

"गुड नाइट.",राजा साहब ने अपनी आँखे बंद कर ली.मेनका बाथरूम चली गयी थी.आँखें तो बंद कर ली पर राजा साहब की आँखों मे नींद थी कहा.उन्हे कल रात का वाक़या याद आया जिसके बाद उन्होने अपनी बहू को सोच कर मूठ मारी थी.उन्हे अपने उपर आश्चर्य हो रहा था.जब से उनका बेटा मरा था,सेक्स की ओर उनका ध्यान कभी नही गया था...& वो शहर की रखाइलों वाला किस्सा तो उन्होने यूधवीर के विदेश से पढ़ कर लौटने से पहले ही ख़तम कर दिया था.पर इस लड़की ने उनमे फिर वो भूख जगा दी थी.

तभी मेनका बाथरूम से बाहर आई & ड्रेसिंग टेबल के सामने चली गयी,राजा साहब की ओर उसकी पीठ थी & वो उसे देख रहे थे.मनका ने सॅश खोल कर गाउन उतार दिया,नीचे काले रंग की नाइटी थी.

"..उफ़फ्फ़...काले लिबास मे तो इसका गोरा रंग & निखर रहा है..",मेनका ने अपने बाल सवार,बत्ती बुझाई & आकर पलंग पर लेट कर अपने उपर चादर डाल दी.

कमरे मे अंधेरा हो गया & बिल्कुल सन्नाटा च्छा गया.दोनो एक दूसरे की तरफ पीठ कर करवट से लेते हुए थे.बाहर सब शांत था पर दोनो के दिलों मे तूफान मचा हुआ था.राजा साहब का लंड पाजामे मे हरकते कर रहा था & बड़ी मुश्किल से उन्होने उसे काबू मे किया था.मेनका की भी हालत बुरी थी,उसे तो ये हल्की-फुल्की नाइटी भी बहुत ज़्यादा तंग लग रही थी,वो चाह रही थी कि इसे भी उतार दे...उसकी चूत मे खुजली सी होने लगी थी..

पर किसी तरह दोनो ने अपने दिलों को काबू मे रखा & सोने की कोशिश करने लगे.बहुत सवेरे से जागे होने के कारण & दिन भर की थकान ने असर दिखाया & थोड़ी देर बाद दोनो नींद की गोद मे थे.

माल से होटेल जाते वक़्त कार मे बैठे-2 राजा साहेब ने अपने मोबाइल से फ़ोन मिलाया,"डॉक्टर.पुरन्दरे.हम यशवीर सिंग बोल रहे हैं."

मेनका खिड़की से बाहर देखने लगी,उसके ससुर उसके पति का हाल पूच्छ रहे थे.इतने दीनो मे उसने 1 बार भी विश्वा के बारे मे नही सोचा था.अगर मन मे ख़याल आता भी तो जल्दी से अपना ध्यान दूसरी ओर कर उस ख़याल को दिमाग़ से निकाल फेंकती थी."कैसा आदमी था उसका 'सो-कॉल्ड पति'.जब वो हॉस्पिटल मे थी तो एक बार भी उसे देखने नही आया....ना कभी उस से माफी माँगने की कोशिश की और क्यू करता वो तो उसके लिए बस एक खिलोना थी....हवस मिटाने की चीज़,उसने उसे कभी पत्नी थोड़े ही समझा था.",मेनका सोच रही थी,"जब वो ठीक होकर वापस आ जाएगा तो वो कैसे करेगी उसका सामना...फिर से उस हैवान के साथ रहना पड़ेगा...",उसने अपने सर को झटका,"..जब आएगा तब सोचेंगे...आज तो इतनी खुशी का दिन है.डील फाइनल हो गयी है.आज कोई बुरा ख़याल मन मे नही लाऊंगी",अपने ससुर की तरफ देखा तो वो मोबाइल बंद करके जेब मे डाल रहे थे.वो उसे कभी भी विश्वा के बारे मे नही बताते थे...शायद जानते थे कि उसका ज़िक्र उसे फिर से वो दर्द याद दिला देगा.वो उनकी ओर देख कर मुस्कुराइ & फिर खिड़की से बाहर देखने लगी.

आइए अब हम बॅंगलुर चलते हैं,डॉक्टर.पुरन्दारे के रहाब सेंटर मे,विश्वा को देखने.....वो देखिए बाकी पेशेंट्स के साथ बैठ कर खा रहा है...& डॉक्टर.पुरन्दारे कहाँ है?....हाँ..वहाँ अपने चेंबर मे कंप्यूटर पर कुच्छ देख रहे हैं...क्या देख रहें है आख़िर?....अच्छा!विश्वा के थेरपी सेशन्स के टेप हैं.डॉक्टर.साहब अपने सारे पेशेंट्स से जो भी बात करते हैं उसे वीडियो रेकॉर्ड कर लेते हैं,इस से उन्हे बाद मे मरीज़ को अनल्ये करने मे आसानी होती है.चलिए,हम भी उनके साथ ये वीडियोस देखते हैं.

पेशेंट नंबर.45681,विश्वजीत सिंग

सेशन 1

डॉक्टर.:हेलो,विश्वजीत.

विश्वा बस सिर हिलाता है.

डॉक्टर."देखो,विश्वा-आइ कॅन कॉल यू विश्वा...ओके.देखो,मेरा मानना है कि हर आदमी जो किसी बुरी लत का शिकार है खुद अपने को सुधार सकता है अगर वो खुद के अंदर झाँक कर अपनेआप को समझने की कोशिश करे.मैं चाहता हू कि तुम भी यही करो.

विश्वा एक तरफ सर घुमा कर दीवार की ओर देख रहा है.पता नही डॉक्टर.की बातों पर ध्यान दे भी रहा है या नही..

डॉक्टर.:..इंसान नशे का सहारा लेता है किसी चीज़ से भागने के लिए & ये नही सोचता कि कुच्छ समय बाद वो उस नशे का गुलाम हो जाता है..उस के हाथ की कठपुतली बन कर रह जाता है बस...मेरी बात के बारे मे सोचना.यू मे गो नाउ.

डॉक्टर.कुच्छ फाइल्स स्किप कर आगे बढ़ते हैं.

सेशन 4

डॉक्टर.:हेलो,विश्वा.

विश्वा:हाई.डॉक्टर.

डॉक्टर.:कैसा लग रहा है यहा?

विश्वा:अच्छी जगह है डॉक्टर,पर जब तलब लगती है तो ये जगह जैल लगने लगती है.

डॉक्टर.:तुम चाहो तो कल ही यहा से जा सकते हो.तुम्हारी मर्ज़ी के खिलाफ ,अगर तुम्हारे परिवार वाले बोले, तो भी मैं तुम्हे यहा नही रोकुंगा.

विश्वा(खड़ा होकर खिड़की से बाहर देखते हुए):नही डॉक्टर,मैं ठीक होना चाहता हू.मैं किसी और चीज़ को अपनी लाइफ कंट्रोल करने नही दे सकता.

डॉक्टर.:दट'स दा स्पिरिट!मैं समझता हू,विश्वा, जब तलब लगती है तो बहुत मुश्किल होती है पर मैं जानता हु कि तुम इस से ज़रूर उबर जाओगे.

डॉक्टर.और आगे बढ़ते हैं,1 वीडियो देखना शुरू करते हैं & फास्ट फॉर्वर्ड कर वाहा से देखते हैं, जहाँ से विश्वा बोलता है,

विश्वा:..मेरे मा-पिता बहुत अच्छे हैं & हम दोनो भाइयों को कँहि भी बिगड़ने नही दिया & ना ही कभी हुमारी कोई जायज़ माँग को ठुकराया ...& मेरा भाई तो मेरा दोस्त था.डॉक्टर,हम राजपरिवार के लड़को से कुच्छ खास उम्मीदें रखी जाती हैं-हमे अपने परिवार की मर्यादा का हर वक़्त ख़याल रखना पड़ता है-हर वक़्त.मुझ से ये सब उतना नही होता था,वैसे भी मेरा भाई भावी राजा था...उसे बिज़्नेस संभालना था & परिवार के मान की रखवाली करनी थी.

डॉक्टर.:तो तुम परिवार की इज़्ज़त का ख़याल नही करते?

विश्वा:करता हू.पर मैं राजपुरा मे नही रहना चाहता था,मैं तो अमेरिका मे अपने फ्रेंड्स के साथ अप्पर-एंड गॅडजेट्स का बिज़्नेस करना चाहता था.मेरे भाई को मेरे प्लॅन्स के बारे मे पता था & वो हुमेशा कहता था कि फॅमिली बिज़्नेस & ट्रेडिशन्स की देखभाल के लिए वो है,मैं तो बस वो करू जो मैं चाहता हू.मेरा भाई मेरा बहुत ख़याल रखता था डॉक्टर...पर भगवान ने उसे छ्चीन लिया & मुझे मजबूरन वापस आना पड़ा.पिता जी बिल्कुल अकेले थे & मा भी स्वर्ग सिधर गयी थी.

मैं आया था अपना फ़र्ज़ निभाने पर इधर कुच्छ महीनों से ये फ़र्ज़ मुझे बोझ लगने लगा था...

डॉक्टर. और आगे बढ़ते हैं....

सेशन 8

विश्वा:मुझे अपने पिता से कोई शिकायत नही डॉकटॉर पर शायद हम दोनो के रास्ते अलग हैं,राजपुरा उनकी ज़िंदगी है & मैं अब राजपुरा जाना नही चाहता.मेरा दम घुट ता है अब वहाँ.

सेशन 15

डॉक्टर.:सेक्स के बारे मे तुम्हारे क्या ख़याल हैं?

विश्वा;इंसानी ज़रूरत है जैसे खाना,पानी,हवा..

डॉक्टर.:और शादी?

विश्वा:बिल्कुल ज़रूरी नही.है अगर आप बच्चा पालना चाहते हैं तो अलग बात है वरना किसी लड़की के साथ आप शादी के बगैर भी वैसे ही रह सकते हैं.

डॉक्टर.:तो फिर तुमने शादी क्यू की?

विश्वा:क्यूकी राजकुनवर होने के नाते,दट वाज़ एक्सपेक्टेड ऑफ मी.

डॉक्टर.:तुमने अपनी बीवी के साथ जो किया...

विश्वा:मैं उसके लिए शर्मिंदा हू...यहा से जाते ही मैं मेनका से माफी माँगूंगा पर शायद हुमारी शादी अब मैं निभा नही पाऊँगा...(हंसता है)..मैं भी क्या कह रहा हू!जो उस रात हुआ उसके बाद तो वो ही मेरे साथ नही रहना चाहेगी....मैने बहुत कोशिश की उसके साथ एक एमोशनल रिश्ता बने,डॉक्टर...पर ऐसा कभी हो नही पाया...

डॉक्टर.:तो तुमने उसी से शादी क्यू की?किसी और राजकुमारी से भी कर सकते थे?

थोड़ी देर चुप रहने के बाद विश्वा बोला,"डॉक्टर,वो बहुत खूबसूरत है...मैं बस..मैं बस उसके साथ हुमबईस्तर होना चाहता था.उसे देखते ही मेरे दिल मे उसके जिस्म को हासिल करने का ख़याल आया था.शुरू मे मैने सोचा था कि इसी तरह हुमारे बीच प्यार भी हो जाएगा...वो बहुत अच्छी लड़की है...बहुत समझदार भी ...पर पता नही मेरे लिए वो कभी भी एक...एक...हसीन जिस्म से ज़्यादा क्यू नही बन पाई..मुझे कभी उस से प्यार नही हुआ.

तभी डॉक्टर.का फोन बजता है.यह राजा साहब का है,होटेल को जाते हुए कार से कर रहे हैं.

"नमस्कार,राजा साब...हा,हा..विश्वा मे काफ़ी इंप्रूव्मेंट है.अभी मैं उसी की फाइल देख रहा था.सबसे बड़ी बात है कि वो खुद भी ठीक होना चाहता है...मैं कल आपको उसके बारे मे एक डीटेल्ड ई-मैल भेजता हू,फिर हम बात करेंगे....अच्छा राजा साहब,नमस्ते."

चलिए वापस बॉमबे चलते हैं,मेनका & राजा यशवीर होटेल मेरियट पहुँच गये हैं & राजा साहब रिसेप्षन पर अपना परिचय दे रहे हैं..

"हम यशवीर सिंग हैं.हुमारे सेक्रेटरी ने राजपुरा से फोन पर यहा हुमारे नाम से 2 स्यूयीट्स बुक किए होंगे."

"वेलकम सर.आपकी बुकिंग है पर 1 सूयीट की.मैने ही राजपुरा से कॉल रिसीव की थी & मुझे कहा गया था कि राजा यशवीर सिंग & मिसेज़.सिंग के लिए सूयीट बुक करना है & हमने लोटस सूयीट आपके लिए रेडी कर दिया है."

"ये कैसे हो सकता है.हमने सॉफ कहा था कि 2..-"

"इट'स ओके.हमारा सूयीट हमे दिखा दीजिए.",मेनका राजा साहब की बाँह पकड़ते हुए बोली,"चलिए."

"शुवर मॅ'म.",कह कर रिसेप्षनिस्ट ने 1 बेल बॉय को बुला कर उनके साथ कर दिया.

"आपने हमे बात क्यू नही करने दी?ऐसी ग़लती कोई कैसे कर सकता है..",राजा साहब लिफ्ट मे घुसते हुए बोले.

"फोन पे अक्सर ऐसी ग़लत फहमी हो जाती है.सेक्रेटरी ने राजा साहब & मिसेज़.सिंग बोला होगा & इन्हे लगा होगा कि हम पति-पत्नी हैं.",जवाब देते हुए शर्म से मेनका के गाल लाल हो गये.

"अरे,जब आप बात समझ गयी थी तो उस रिसेप्षनिस्ट को बताया क्यू नही?"

"आपने भी तो माल मे सेलेज़्गर्ल को नही बताया था.",बेल्लबोय के पीछे सूयीट मे घुसते हुए मेनका बोली.

राजा साहब की बोलती बंद हो गयी,"... तो इसने सुन लिया था.",उन्होने सोचा.

सूयीट मे दाखिल होते ही एक लाउंज था जहा एक सोफा सेट लगा था & उसके बाद बड़ा सा बेडरूम जिसमे एक तरफ 4 चेर्स & 1 टेबल थी & 1 स्टडी डेस्क था जिसपे कंप्यूटर & फोन थे & दूसरी तरफ था 1 विशाल पलंग जिसे देख कर बस यही ख़याल आता था कि यह तो चुदाइ के लिए ही बना है.

राजा साहब फ्रेश होने के लिए बाथरूम मे चले गये,तब तक मेनका ने भी कपड़े बदल कर खाने का ऑर्डर दे दिया.

थोड़ी देर मे राजा साहब के आने के बाद दोनो ने साथ मे खाना खाया.अब मेनका काले रंग का ड्रेसिंग गाउन पहने थी & राजा साहब कुर्ते-पाजामे मे थे.

"हम यहा लाउंज मे सो जाएँगे,आप बेड पर सो जाइए.",राजा साहब ने अपनी बहू को कहा.

"जी नही,पलंग बहुत बड़ा है.एक तरफ आप सो जाइए,मैं दूसरी तरफ सो जाऊंगी."

"पर.."

"पर-वॉर कुच्छ नही.चलिए सो जाइए.दिन भर ज़रा भी आराम नही किया है आपने & यहा लाउंज मे तो आपको बड़ी अच्छी नींद आएगी!.",मेनका बाँह पकड़ कर अपने ससुर को ले गयी & पलंग पर बिठा दिया.,"चलिए,लेट जाइए.",& उनके लेट ते ही उपर से चादर ओढ़ा दी.फिर फ्रिड्ज से 1 बॉटल निकाली & ग्लास के साथ उसे राजा साहब के तरफ की साइड टेबल पर रख दिया.,"गुड नाइट."

"गुड नाइट.",राजा साहब ने अपनी आँखे बंद कर ली.मेनका बाथरूम चली गयी थी.आँखें तो बंद कर ली पर राजा साहब की आँखों मे नींद थी कहा.उन्हे कल रात का वाक़या याद आया जिसके बाद उन्होने अपनी बहू को सोच कर मूठ मारी थी.उन्हे अपने उपर आश्चर्य हो रहा था.जब से उनका बेटा मरा था,सेक्स की ओर उनका ध्यान कभी नही गया था...& वो शहर की रखाइलों वाला किस्सा तो उन्होने यूधवीर के विदेश से पढ़ कर लौटने से पहले ही ख़तम कर दिया था.पर इस लड़की ने उनमे फिर वो भूख जगा दी थी.

तभी मेनका बाथरूम से बाहर आई & ड्रेसिंग टेबल के सामने चली गयी,राजा साहब की ओर उसकी पीठ थी & वो उसे देख रहे थे.मनका ने सॅश खोल कर गाउन उतार दिया,नीचे काले रंग की नाइटी थी.

"..उफ़फ्फ़...काले लिबास मे तो इसका गोरा रंग & निखर रहा है..",मेनका ने अपने बाल सवार,बत्ती बुझाई & आकर पलंग पर लेट कर अपने उपर चादर डाल दी.

कमरे मे अंधेरा हो गया & बिल्कुल सन्नाटा च्छा गया.दोनो एक दूसरे की तरफ पीठ कर करवट से लेते हुए थे.बाहर सब शांत था पर दोनो के दिलों मे तूफान मचा हुआ था.राजा साहब का लंड पाजामे मे हरकते कर रहा था & बड़ी मुश्किल से उन्होने उसे काबू मे किया था.मेनका की भी हालत बुरी थी,उसे तो ये हल्की-फुल्की नाइटी भी बहुत ज़्यादा तंग लग रही थी,वो चाह रही थी कि इसे भी उतार दे...उसकी चूत मे खुजली सी होने लगी थी..

पर किसी तरह दोनो ने अपने दिलों को काबू मे रखा & सोने की कोशिश करने लगे.बहुत सवेरे से जागे होने के कारण & दिन भर की थकान ने असर दिखाया & थोड़ी देर बाद दोनो नींद की गोद मे थे.

माल से होटेल जाते वक़्त कार मे बैठे-2 राजा साहेब ने अपने मोबाइल से फ़ोन मिलाया,"डॉक्टर.पुरन्दरे.हम यशवीर सिंग बोल रहे हैं."

मेनका खिड़की से बाहर देखने लगी,उसके ससुर उसके पति का हाल पूच्छ रहे थे.इतने दीनो मे उसने 1 बार भी विश्वा के बारे मे नही सोचा था.अगर मन मे ख़याल आता भी तो जल्दी से अपना ध्यान दूसरी ओर कर उस ख़याल को दिमाग़ से निकाल फेंकती थी."कैसा आदमी था उसका 'सो-कॉल्ड पति'.जब वो हॉस्पिटल मे थी तो एक बार भी उसे देखने नही आया....ना कभी उस से माफी माँगने की कोशिश की और क्यू करता वो तो उसके लिए बस एक खिलोना थी....हवस मिटाने की चीज़,उसने उसे कभी पत्नी थोड़े ही समझा था.",मेनका सोच रही थी,"जब वो ठीक होकर वापस आ जाएगा तो वो कैसे करेगी उसका सामना...फिर से उस हैवान के साथ रहना पड़ेगा...",उसने अपने सर को झटका,"..जब आएगा तब सोचेंगे...आज तो इतनी खुशी का दिन है.डील फाइनल हो गयी है.आज कोई बुरा ख़याल मन मे नही लाऊंगी",अपने ससुर की तरफ देखा तो वो मोबाइल बंद करके जेब मे डाल रहे थे.वो उसे कभी भी विश्वा के बारे मे नही बताते थे...शायद जानते थे कि उसका ज़िक्र उसे फिर से वो दर्द याद दिला देगा.वो उनकी ओर देख कर मुस्कुराइ & फिर खिड़की से बाहर देखने लगी.

आइए अब हम बॅंगलुर चलते हैं,डॉक्टर.पुरन्दारे के रहाब सेंटर मे,विश्वा को देखने.....वो देखिए बाकी पेशेंट्स के साथ बैठ कर खा रहा है...& डॉक्टर.पुरन्दारे कहाँ है?....हाँ..वहाँ अपने चेंबर मे कंप्यूटर पर कुच्छ देख रहे हैं...क्या देख रहें है आख़िर?....अच्छा!विश्वा के थेरपी सेशन्स के टेप हैं.डॉक्टर.साहब अपने सारे पेशेंट्स से जो भी बात करते हैं उसे वीडियो रेकॉर्ड कर लेते हैं,इस से उन्हे बाद मे मरीज़ को अनल्ये करने मे आसानी होती है.चलिए,हम भी उनके साथ ये वीडियोस देखते हैं.

पेशेंट नंबर.45681,विश्वजीत सिंग

सेशन 1

डॉक्टर.:हेलो,विश्वजीत.

विश्वा बस सिर हिलाता है.

डॉक्टर."देखो,विश्वा-आइ कॅन कॉल यू विश्वा...ओके.देखो,मेरा मानना है कि हर आदमी जो किसी बुरी लत का शिकार है खुद अपने को सुधार सकता है अगर वो खुद के अंदर झाँक कर अपनेआप को समझने की कोशिश करे.मैं चाहता हू कि तुम भी यही करो.

विश्वा एक तरफ सर घुमा कर दीवार की ओर देख रहा है.पता नही डॉक्टर.की बातों पर ध्यान दे भी रहा है या नही..

डॉक्टर.:..इंसान नशे का सहारा लेता है किसी चीज़ से भागने के लिए & ये नही सोचता कि कुच्छ समय बाद वो उस नशे का गुलाम हो जाता है..उस के हाथ की कठपुतली बन कर रह जाता है बस...मेरी बात के बारे मे सोचना.यू मे गो नाउ.

डॉक्टर.कुच्छ फाइल्स स्किप कर आगे बढ़ते हैं.

सेशन 4

डॉक्टर.:हेलो,विश्वा.

विश्वा:हाई.डॉक्टर.

डॉक्टर.:कैसा लग रहा है यहा?

विश्वा:अच्छी जगह है डॉक्टर,पर जब तलब लगती है तो ये जगह जैल लगने लगती है.

डॉक्टर.:तुम चाहो तो कल ही यहा से जा सकते हो.तुम्हारी मर्ज़ी के खिलाफ ,अगर तुम्हारे परिवार वाले बोले, तो भी मैं तुम्हे यहा नही रोकुंगा.

विश्वा(खड़ा होकर खिड़की से बाहर देखते हुए):नही डॉक्टर,मैं ठीक होना चाहता हू.मैं किसी और चीज़ को अपनी लाइफ कंट्रोल करने नही दे सकता.

डॉक्टर.:दट'स दा स्पिरिट!मैं समझता हू,विश्वा, जब तलब लगती है तो बहुत मुश्किल होती है पर मैं जानता हु कि तुम इस से ज़रूर उबर जाओगे.

डॉक्टर.और आगे बढ़ते हैं,1 वीडियो देखना शुरू करते हैं & फास्ट फॉर्वर्ड कर वाहा से देखते हैं, जहाँ से विश्वा बोलता है,

विश्वा:..मेरे मा-पिता बहुत अच्छे हैं & हम दोनो भाइयों को कँहि भी बिगड़ने नही दिया & ना ही कभी हुमारी कोई जायज़ माँग को ठुकराया ...& मेरा भाई तो मेरा दोस्त था.डॉक्टर,हम राजपरिवार के लड़को से कुच्छ खास उम्मीदें रखी जाती हैं-हमे अपने परिवार की मर्यादा का हर वक़्त ख़याल रखना पड़ता है-हर वक़्त.मुझ से ये सब उतना नही होता था,वैसे भी मेरा भाई भावी राजा था...उसे बिज़्नेस संभालना था & परिवार के मान की रखवाली करनी थी.

डॉक्टर.:तो तुम परिवार की इज़्ज़त का ख़याल नही करते?

विश्वा:करता हू.पर मैं राजपुरा मे नही रहना चाहता था,मैं तो अमेरिका मे अपने फ्रेंड्स के साथ अप्पर-एंड गॅडजेट्स का बिज़्नेस करना चाहता था.मेरे भाई को मेरे प्लॅन्स के बारे मे पता था & वो हुमेशा कहता था कि फॅमिली बिज़्नेस & ट्रेडिशन्स की देखभाल के लिए वो है,मैं तो बस वो करू जो मैं चाहता हू.मेरा भाई मेरा बहुत ख़याल रखता था डॉक्टर...पर भगवान ने उसे छ्चीन लिया & मुझे मजबूरन वापस आना पड़ा.पिता जी बिल्कुल अकेले थे & मा भी स्वर्ग सिधर गयी थी.

मैं आया था अपना फ़र्ज़ निभाने पर इधर कुच्छ महीनों से ये फ़र्ज़ मुझे बोझ लगने लगा था...

डॉक्टर. और आगे बढ़ते हैं....

सेशन 8

विश्वा:मुझे अपने पिता से कोई शिकायत नही डॉकटॉर पर शायद हम दोनो के रास्ते अलग हैं,राजपुरा उनकी ज़िंदगी है & मैं अब राजपुरा जाना नही चाहता.मेरा दम घुट ता है अब वहाँ.

सेशन 15

डॉक्टर.:सेक्स के बारे मे तुम्हारे क्या ख़याल हैं?

विश्वा;इंसानी ज़रूरत है जैसे खाना,पानी,हवा..

डॉक्टर.:और शादी?

विश्वा:बिल्कुल ज़रूरी नही.है अगर आप बच्चा पालना चाहते हैं तो अलग बात है वरना किसी लड़की के साथ आप शादी के बगैर भी वैसे ही रह सकते हैं.

डॉक्टर.:तो फिर तुमने शादी क्यू की?

विश्वा:क्यूकी राजकुनवर होने के नाते,दट वाज़ एक्सपेक्टेड ऑफ मी.

डॉक्टर.:तुमने अपनी बीवी के साथ जो किया...

विश्वा:मैं उसके लिए शर्मिंदा हू...यहा से जाते ही मैं मेनका से माफी माँगूंगा पर शायद हुमारी शादी अब मैं निभा नही पाऊँगा...(हंसता है)..मैं भी क्या कह रहा हू!जो उस रात हुआ उसके बाद तो वो ही मेरे साथ नही रहना चाहेगी....मैने बहुत कोशिश की उसके साथ एक एमोशनल रिश्ता बने,डॉक्टर...पर ऐसा कभी हो नही पाया...

डॉक्टर.:तो तुमने उसी से शादी क्यू की?किसी और राजकुमारी से भी कर सकते थे?

थोड़ी देर चुप रहने के बाद विश्वा बोला,"डॉक्टर,वो बहुत खूबसूरत है...मैं बस..मैं बस उसके साथ हुमबईस्तर होना चाहता था.उसे देखते ही मेरे दिल मे उसके जिस्म को हासिल करने का ख़याल आया था.शुरू मे मैने सोचा था कि इसी तरह हुमारे बीच प्यार भी हो जाएगा...वो बहुत अच्छी लड़की है...बहुत समझदार भी ...पर पता नही मेरे लिए वो कभी भी एक...एक...हसीन जिस्म से ज़्यादा क्यू नही बन पाई..मुझे कभी उस से प्यार नही हुआ.

तभी डॉक्टर.का फोन बजता है.यह राजा साहब का है,होटेल को जाते हुए कार से कर रहे हैं.

"नमस्कार,राजा साब...हा,हा..विश्वा मे काफ़ी इंप्रूव्मेंट है.अभी मैं उसी की फाइल देख रहा था.सबसे बड़ी बात है कि वो खुद भी ठीक होना चाहता है...मैं कल आपको उसके बारे मे एक डीटेल्ड ई-मैल भेजता हू,फिर हम बात करेंगे....अच्छा राजा साहब,नमस्ते."

चलिए वापस बॉमबे चलते हैं,मेनका & राजा यशवीर होटेल मेरियट पहुँच गये हैं & राजा साहब रिसेप्षन पर अपना परिचय दे रहे हैं..

"हम यशवीर सिंग हैं.हुमारे सेक्रेटरी ने राजपुरा से फोन पर यहा हुमारे नाम से 2 स्यूयीट्स बुक किए होंगे."

"वेलकम सर.आपकी बुकिंग है पर 1 सूयीट की.मैने ही राजपुरा से कॉल रिसीव की थी & मुझे कहा गया था कि राजा यशवीर सिंग & मिसेज़.सिंग के लिए सूयीट बुक करना है & हमने लोटस सूयीट आपके लिए रेडी कर दिया है."

"ये कैसे हो सकता है.हमने सॉफ कहा था कि 2..-"

"इट'स ओके.हमारा सूयीट हमे दिखा दीजिए.",मेनका राजा साहब की बाँह पकड़ते हुए बोली,"चलिए."

"शुवर मॅ'म.",कह कर रिसेप्षनिस्ट ने 1 बेल बॉय को बुला कर उनके साथ कर दिया.

"आपने हमे बात क्यू नही करने दी?ऐसी ग़लती कोई कैसे कर सकता है..",राजा साहब लिफ्ट मे घुसते हुए बोले.

"फोन पे अक्सर ऐसी ग़लत फहमी हो जाती है.सेक्रेटरी ने राजा साहब & मिसेज़.सिंग बोला होगा & इन्हे लगा होगा कि हम पति-पत्नी हैं.",जवाब देते हुए शर्म से मेनका के गाल लाल हो गये.

"अरे,जब आप बात समझ गयी थी तो उस रिसेप्षनिस्ट को बताया क्यू नही?"

"आपने भी तो माल मे सेलेज़्गर्ल को नही बताया था.",बेल्लबोय के पीछे सूयीट मे घुसते हुए मेनका बोली.

राजा साहब की बोलती बंद हो गयी,"... तो इसने सुन लिया था.",उन्होने सोचा.

सूयीट मे दाखिल होते ही एक लाउंज था जहा एक सोफा सेट लगा था & उसके बाद बड़ा सा बेडरूम जिसमे एक तरफ 4 चेर्स & 1 टेबल थी & 1 स्टडी डेस्क था जिसपे कंप्यूटर & फोन थे & दूसरी तरफ था 1 विशाल पलंग जिसे देख कर बस यही ख़याल आता था कि यह तो चुदाइ के लिए ही बना है.

राजा साहब फ्रेश होने के लिए बाथरूम मे चले गये,तब तक मेनका ने भी कपड़े बदल कर खाने का ऑर्डर दे दिया.

थोड़ी देर मे राजा साहब के आने के बाद दोनो ने साथ मे खाना खाया.अब मेनका काले रंग का ड्रेसिंग गाउन पहने थी & राजा साहब कुर्ते-पाजामे मे थे.

"हम यहा लाउंज मे सो जाएँगे,आप बेड पर सो जाइए.",राजा साहब ने अपनी बहू को कहा.

"जी नही,पलंग बहुत बड़ा है.एक तरफ आप सो जाइए,मैं दूसरी तरफ सो जाऊंगी."

"पर.."

"पर-वॉर कुच्छ नही.चलिए सो जाइए.दिन भर ज़रा भी आराम नही किया है आपने & यहा लाउंज मे तो आपको बड़ी अच्छी नींद आएगी!.",मेनका बाँह पकड़ कर अपने ससुर को ले गयी & पलंग पर बिठा दिया.,"चलिए,लेट जाइए.",& उनके लेट ते ही उपर से चादर ओढ़ा दी.फिर फ्रिड्ज से 1 बॉटल निकाली & ग्लास के साथ उसे राजा साहब के तरफ की साइड टेबल पर रख दिया.,"गुड नाइट."

"गुड नाइट.",राजा साहब ने अपनी आँखे बंद कर ली.मेनका बाथरूम चली गयी थी.आँखें तो बंद कर ली पर राजा साहब की आँखों मे नींद थी कहा.उन्हे कल रात का वाक़या याद आया जिसके बाद उन्होने अपनी बहू को सोच कर मूठ मारी थी.उन्हे अपने उपर आश्चर्य हो रहा था.जब से उनका बेटा मरा था,सेक्स की ओर उनका ध्यान कभी नही गया था...& वो शहर की रखाइलों वाला किस्सा तो उन्होने यूधवीर के विदेश से पढ़ कर लौटने से पहले ही ख़तम कर दिया था.पर इस लड़की ने उनमे फिर वो भूख जगा दी थी.

तभी मेनका बाथरूम से बाहर आई & ड्रेसिंग टेबल के सामने चली गयी,राजा साहब की ओर उसकी पीठ थी & वो उसे देख रहे थे.मनका ने सॅश खोल कर गाउन उतार दिया,नीचे काले रंग की नाइटी थी.

"..उफ़फ्फ़...काले लिबास मे तो इसका गोरा रंग & निखर रहा है..",मेनका ने अपने बाल सवार,बत्ती बुझाई & आकर पलंग पर लेट कर अपने उपर चादर डाल दी.

कमरे मे अंधेरा हो गया & बिल्कुल सन्नाटा च्छा गया.दोनो एक दूसरे की तरफ पीठ कर करवट से लेते हुए थे.बाहर सब शांत था पर दोनो के दिलों मे तूफान मचा हुआ था.राजा साहब का लंड पाजामे मे हरकते कर रहा था & बड़ी मुश्किल से उन्होने उसे काबू मे किया था.मेनका की भी हालत बुरी थी,उसे तो ये हल्की-फुल्की नाइटी भी बहुत ज़्यादा तंग लग रही थी,वो चाह रही थी कि इसे भी उतार दे...उसकी चूत मे खुजली सी होने लगी थी..

पर किसी तरह दोनो ने अपने दिलों को काबू मे रखा & सोने की कोशिश करने लगे.बहुत सवेरे से जागे होने के कारण & दिन भर की थकान ने असर दिखाया & थोड़ी देर बाद दोनो नींद की गोद मे थे.

राजा साहब के मज़ा का तो ठिकाना ही नही था.मेनका की कसी चूत उनके लंड पे रगड़ खा कर उन्हे जोश से भरे जा रहे थी.दोनो अब अपनी मंज़िल की ओर पहुँच रहे थे.मेनका ने उन्हे अपने आगोश मे और ज़ोर से जाकड़ लिए & अपनी गांद भी तेज़ी से उच्छलने लगी,राजा साहब ने अपने होठ उसकी छाती पे लगा के थोड़ी देर पहले बनाए निशान को और गहरा करना चालू कर दिया,उनकी कमर भी नीचे से हिलने लगी.

मेनका की चूत ने पानी छ्चोड़ दिया & वो अपने ससुर से चिपक गयी.झड़ती हुई उसकी चूत ने राजा साहब के लंड को कस के जाकड़ लिया तो उनके लंड से भी बर्दाश्त नही हुआ & उसने भी अपनी पिचकारी से चूत को नहला दिया.

दोनो थोड़ी देर तक वैसे ही बैठे रहे,"तुम हमे कुच्छ देने वाली थी?",राजा साहब मेनका के कान मे फुसफुसाए.

"हा,हुमारे रूम मे है.जा कर लाते हैं.",मेनका उतरने लगी तो राजा साहब उसे लिए हुए उठ गये & घूम कर उसे चेर पे बिठा दिया & अपना लंड उसकी चूत से निकाल लिया.मेनका टांगे फैलाए कुर्सी पर बैठी थी,राजा साहब के लंड का पानी उसकी चूत से टपक रहा था."थोड़ी देर यही बैठो.",राजा साहब ने सारे कागज़ा उठा कर वापस तिजोरी मे डाल कर शेल्फ मे वापस किताबें लगा दी.

"हम अभी आते हैं.",वो स्टडी से बाहर चले गये.

मेनका ने हाथ सर से उपर ले जाते हुए 1 कातिल अंगड़ाई ली.उसने अपनी चूत पे हाथ फिराया तो उसके हाथों मे वाहा का पानी लग गया.उसने डेस्क पर से नॅपकिन उठा कर उसे सॉफ किया.तभी राजा साहब वापस आ गये.

"आओ,"उन्होने उसका हाथ पकड़ कर उठाया तो मेनका लड़खड़ा गयी.चुदाई ने तो उसे पस्त कर दिया था.राजा साहब ने हाथ बढ़ा कर उसे थाम कर अपने कंधे से लगा लिया & चलने लगे.बाहर आकर स्टडी को लॉक किया & उसे ले अपने वॉक-इन क्लॉज़ेट मे आ गये.

क्लॉज़ेट क्या,छ्होटा-मोटा कमरा ही था.अंदर राजा साहब के कपड़े जूते & बाकी सामान करीने से लगा था.क्लॉज़ेट के 1 तरफ एक ड्रेसिंग टेबल रखा था जिसके बगल मे उसी के साइज़ की 1 पैंटिंग लगी थी.पैंटिंग मे एक लड़की अपना शृंगार कर रही थी.राजा साहब ने आगे बढ़ कर उस पैंटिंग को उतार दिया तो पीछे 1 दरवाज़ा नज़र आया.उन्होने मेनका को लिया & उस दरवाज़े को खोल अंदर दाखिल हो गये.

मेनका को 1 लगभग 6 फीट लंबा गलियारा नज़र आया जिसके आख़िर मे भी 1 दरवाज़ा खुला था & वाहा से रोशनी आ रही थी.दोनो गलियारा पार कर उस दरवाज़े को भी पार कर गये.

"अरे!!",मेनका की सारी थकान काफूर हो गयी.वो अपने बेडरूम के वॉक-इन क्लॉज़ेट मे खड़ी थी,उसने देखा की उसके क्लॉज़ेट की वो पैंटिंग उतार कर 1 तरफ रखी थी.

"ये क्या है?",राजा साहब के साथ वो अपने कमरे मे आ गयी.

राजा साहब उसके बिस्तर पर लेट गये & अपनी बाँहे खोल दी.मेनका थोड़ी हैरान सी उनमे समा गयी.राजा साहब ने उसे बाँहों मे भर अपने से चिपका लिया & 1 लंबी किस दी.,"हमारे पुरखों की बगल के राज्य वाले राजाओं से हुमेशा जुंग होती रहती थी.राजपरिवार की सुरक्षा के लिए उपरी मंज़िल के राजपरिवार के कमरों को इस तरह से जोड़ा गया ताकि मुसीबत के वक़्त दुश्मन से बच कर भागा जा सके.इस महल मे ऐसे और भी रास्ते हैं."

"पर हम इस रास्ते का इस्तेमाल केवल आपको प्यार करने के लिए करेंगे."

"मेरा तो सर घूम रहा है,पहले वो तिजोरी & अब ये रास्ते.",उसने अपने सर पर हाथ रखा,"पर एक बात बताओ क्या नौकरों को भी पता है इन रास्तों के बारे मे?"

"2-3 पुराने खास नौकरों को जो कि इसका ज़िकरा किसी से भी नही करते.",राजा साहब उसकी 1 चूची के निपल को मसालने लगे

"..उउंम...म्‍म्मह...अच्छा.और जब आप अपने कमरे मे चले जाएँगे तो हम ये भारी-भरकम पैंटिंग कैसे लगाएँगे?"

"वो केवल देखने मे भारी है.उठा कर देखना बिल्कुल हल्की है.",और अपने मुँह मे वो पूरी चूची भर ली.

"एयेए....आहह...यश..!",उसने अपनी 1 टाँग अपने ससुर की टाँग पर चढ़ा दी & दोनो फिर से प्यार के समुंदर मे गोते लगाने लगे.

-------------------------------------------------------------------------------

ठीक उसी वक़्त शहर मे उनका दुश्मन भी अपनी रखैल की चूत चोदने के बाद उसकी गांद मार रहा था.

"...1 बात बता साली...ऊओवव्व!",जब्बार ने मलिका की गंद मे ज़ोर का धक्का मारा.वो घोड़ी बनी थी & जब्बार पीछे से उसकी गंद मार रहा था.

"बोल,छिनाल."

"जब उस दिन की एंट्री फाइल मे है ही नही तो तुझे कैसे यकीन है कि वही पाइलट उस दिन राजा को ले गया होगा?"

"यकीन नही है,बस अंदाज़ा है.यकीन तो तू दिलाएगी जब उसे शीशे मे उतारेगी.",जब्बार ने अपनी उंगली उसली चूत मे डाल दी & दूसरे हाथ से उसकी चूचिया मसल्ने लगा.

"कल रात वो "बिज़्ज़रे" डिस्को मे जाएगा.वही तू उसे अपने जाल मे फँसाएगी.",उसके धक्कों की स्पीड बढ़ गयी थी.

"आ...अनन्न..हह..,ठीक है कुत्ते...आ....इयैयियैआइयीययी...ऐसे ही मार.फा..आड दे मेरी गा..आँड ...ऊऊओ...ऊओह..!",&वो झाड़ गयी.जब्बार ने भी 3-4 बेरहम धक्के और लगाए & उसकी गंद मे पानी छ्चोड़ दिया.

थोड़ी ही देर मे वो खर्राटे भर रहा था,पर मलिका की आँखों मे अभी भी नींद नही थी.उसे कल्लन का लंबा लंड याद आ रहा था.उसने जब्बार की तरफ देखा,जब उसे यकीन हो गया कि वो सो रहा है तो वो उठी & दबे पाँव कल्लन के कमरे मे चली गयी.

कल्लन चादर ओढ़ सो रहा था.मलिका उसकी चादर मे घुस गयी तो पाया कि वो नंगा है.उसने झट से उसके लंड को पकड़ लिया & हिलाने लगी.कल्लन की नींद खुल गयी,उसने मलिका को चित किया & टांगे फैला कर अपना लंड उसकी चूत मे पेल दिया.मलिका ने उसके कंधे मे दाँत गढ़ा अपने हलक से निकलती हुई चीख ज़ब्त की & अपनी टांगे उसकी कमर मे लपेट उस से चुदने लगी. दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा इस पार्ट को यही समाप्त करता हू फिर मिलेंगे अगले पार्ट मे तब तक के लिए विदा

सुबह के 5 बज रहे थे.मेनका पूरी तरह से नंगी बेख़बर सो रही थी.बगल मे राजा साहब अदलेते से जागे हुए थे & उसकी जवानी को निहार रहे थे,वो भी पूरी तरह नंगे थे बस उनकी कलाई पर 1 सोने का ब्रेस्लेट चमक रहा था.ब्रेस्लेट के बीच मे चमकता सूरज बना था जोकि उनका राजचिन्ह भी था.यही वो चीज़ थी जोकि मेनका ने बॉमबे मे उनसे छिपा कर खरीदी थी ताकि उन्हे सर्प्राइज़ दे सके.कल रात आख़िरी बार की चुदाई के बाद उसने अपने हाथों से ये उन्हे पहनाया था.

राजा साहब मेनका को देखने लगे.सोते वक़्त कितनी मासूम लग रही थी.उसकी बड़ी-2 छातियो के बीच उनकी दी चैन चमक रही थी.साँसों के कारण उसकी चूचिया उपर नीचे हो रही थी . ये नज़ारा देख कर राजा साहब का सोया लंड फिर जागने लगा & उनका दिल किया कि अपने होठ अपनी बहू के निपल्स से लगा दें.पर तभी उन्हे समय का ध्यान आया,थोड़ी देर बाद दोनो को ऑफीस भी जाना था.अगर अभी वो मेनका को चोद्ते तो आज वो ज़रूर ऑफीस मिस कर देती जोकि वो बिल्कुल नही चाहते थे.

उन्होने 1 लंबी साँस भरी & उठकर क्लॉज़ेट के रास्ते अपने कमरे मे चले गये.फिर वहाँ से मेनका की नाइटी & नेकलेस लाकर उसके बेड पे रख दिया & इस बार फाइनली अपने बेडरूम मे चले गये & क्लॉज़ेट के उस सीक्रेट रास्ते को बंद कर दिया.

-------------------------------------------------------------------------------

राजकुल ग्रूप के ऑफीस के कान्फरेन्स हॉल मे राजा साहब अपने एंप्लायीस को डील के बारे मे & डील के पैसों से उन्हे मिलने वाले बोनस के बारे मे बता रहे थे,"..और अब 1 आखरी अनाउन्स्मेंट.अभी तक कंपनी का केवल 1 वाइस-प्रेसीडेंट था कुंवर विश्वजीत सिंग पर आज से 2 वी-पी होंगे & दूसरी वी-पी होंगी कुँवारानी मेनका सिंग."तालियों की गड़गढ़त से हॉल गूँज उठा,"...आज के बाद अगर हम ऑफीस मे ना हो तो हमारी जगह आप कुँवारानी को ही अपना सबसे बड़ा बॉस समझिए.ये सारी बातें थी जोकि आपका जानना ज़रूरी था.अगले 2-3 दीनो मे बोनस की रकम आपके सॅलरी अकाउंट्स मे जमा करा दी जाएगी.थॅंक यू."

मीटिंग के बाद मेनका राजा साहब के ऑफीस चेंबर मे बैठी थी,"क्या ज़रूरत है हमे वी-पी बनाने की?"

"अरे भाई,वैसे ही तुम 1 वी-पी की सारी ज़िम्मेदारियाँ उठाती हो तो बना भी दिया.",पास आकर उसे चेर से उठाया & बाहों मे कस लिया.

"क्या कर रहे हो?कोई आ जाएगा.",मेनका छूटने की कोशिश करने लगी.चेहरे पर घबराहट & शर्म के मिले-जुले भाव थे.

"हमारे ऑफीस मे बिना हमारी इजाज़त के कोई नही आ सकता.",राजा साहब ने उसके होठ चूम लिए.

"प्लीज़,यश मुझे डर लग रहा है.पागल मत बनो,ऑफीस है किसी को पता चल गया तो ग़ज़ब हो जाएगा."

"हम पर भरोसा रखो,तुमसे ज़्यादा तुम्हारी फ़िक्र करते हैं.",& एक बार फिर उसके होंठ चूमने लगे.उन्होने अपने हाथों से नीचे से उसकी साड़ी उठानी शुरू कर दी.मेनका फिर कसमसाई,"..प्लीज़..",पर राजा साहब ने उसे अनसुना करते हुए साड़ी कमर तक उठा दी & अपने हाथों से उसकी पॅंटी मे कसी गांद की फांको को मसल्ने लगे.

वैसे ही उसकी गांद पकड़ कर चूमते हुए उन्होने उसे डेस्क पर बैठा दिया & खुद उसके सामने चेर पर बैठ गये & 1 झटके मे उसकी पॅंटी उतार दी.मेनका कुच्छ कह पाती इस से पहले ही उसकी जंघे उसके ससुर के कंधे पे थी & उनके होठ उसकी चूत पे जा लगे.

"ऊओ...ऊ..",मेनका की सिसकारी निकल गयी.उसने अपनी जांघों मे अपने ससुर को भीच लिया & अपने हाथों से उनके सर को अपनी चूत पर दबाने लगी.राजा साहब के मुँह ने उसकी चूत को चाटना,चूमना &चूसना चालू कर दिया & हाथ उसकी ब्लाउस मे कसी चूचियों को दबाने लगे.मेनका मस्त हो गयी पर मन के किसी कोने मे पकड़े जाने का डर भी था.वो जल्दी से जल्दी झड़ना चाहती था & राजा साहब इसमे उसकी पूरी मदद कर रहे थे.थोड़ी ही देर मे मेनका ने अपनी गंद डेस्क से उठा दी & अपने होठ काट अपनी सिसकारियों को ज़ब्त करते हुए अपने ससुर का मुँह अपने हाथों से अपनी चूत पे और दबा दिया & झाड़ गयी.

राजा साहब उठे,अपनी पॅंट खोली & अपना लंड निकाल कर डेस्क पर बैठी मेनका की गीली चूत मे डाल दिया.लंड घुसते ही मेनका उनसे लिपट गयी &उनके धक्कों का मज़ा उठाने लगी,थोड़ी ही देर मे उसकी गंद फिर हिलने लगी.उसके होठ अपने ससुर के होठों से लगे थे & हाथ उनके पूरे शरीर पर फिर रहे थे.राजा साहब ने अपने हाथ नीचे से उसकी गंद पर कस दिए थे.दोनो चुदाई मे पूरी तरह डूब गये & थोड़ी ही देर मे दोनो के शरीर झटके खा कर झाड़ गये.

दोनो वैसे ही लिपटे 1 दूसरे को चूम रहे थे कि राजा साहब का मोबाइल बजा.

"हेलो."

"दुष्यंत बोल रहा हू,यशवीर.तुम्हारे केस के बारे मे कुच्छ बात करनी थी."

"हा,भाई.बोलो,क्या पता चला?",राजा साहब ने अपना लंड अपनी बहू की चूत से खीच लिया पर उनका खाली हाथ अभी भी उसका सर सहला रहा था.

"भाई तुम शहर आ जाओ तो तुम्हे अच्छी तरह सारी बात समझा दू.",मेनका ने डेस्क से उतर कर अपने ससुर की आएडियों पे गिरी पॅंट को उठा कर उन्हे वापस पहना दिया.

"ठीक है,दुष्यंत.हम बस अभी निकलते हैं.",फोन काट कर उन्होने मेनका को अपने पास खींच कर चूमा & उसकी आँखों मे उठे सवाल का जवाब दिया.,"1 बहुत ज़रूरी काम से शहर जाना पड़ रहा है.रात तक लौट आएँगे .घबराईए मत.चिंता की कोई बात नही है.",उन्होने ज़मीन पर पड़ी पॅंटी उसे थमाई.

मेनका उसे ले बाथरूम चली गयी.जब बाहर आई तो राजा साहब ने उसे गुडबाइ किस दी & चले गये.

-------------------------------------------------------------------------------

शहर के 5-स्टार होटेल के उस कमरे मे राजा साहब अपने जिगरी दोस्त के साथ बैठे थे पर कमरे मे उनके अलावा 1 नौजवान भी था.

"यश,ये मनीष है.तुम्हारा केस यही इन्वेस्टिगेट कर रहा है.और ये राजा यशवीर सिंग हैं,मनीष."

मनीष ने उन्हे प्रणाम किया तो राजा साहब ने जवाब मे सर हिलाके उस नौजवान को ठीक से देखा.

"इसकी उम्र पर मत जाना,यश.मेरे सबसे काबिल बन्दो मे से है ये.",दुष्यंत वेर्मा फिर मनीष से मुखातिब हुए,"मनीष अब तुम सारी रिपोर्ट हम दोनो को दो."

"जी सर.",मनीष ने बोलना शुरू किया,"सर,मैने राजपुरा & शहर की उन सभी जगहो पर जाकर तहकीकात की जहा कुंवर साहब का आन-जाना था.शुरू मे मुझे कहीं कोई सुराग नही मिला कि आख़िर उन्हे ड्रग कौन देता था.शहर के अपने मुखबिरो के ज़रिए मैने पता लगाया तो पाया कि यहा का किसी डीलर ने तो कभी उनसे कोई सौदा नही किया था.फिर राजपुरा जैसी छ्होटी जगह ये डीलर्स तो जाने से रहे.1 आदमी के बिज़्नेस के लिए यहाँ का अपना हज़ारों का नुकसान-ये कोई सेन्स नही था."थोडा रुक कर मनीष ने पानी का 1 घूँट लिया.

"..मैने अपना ध्यान राजपुरा पर लगा दिया.मुझे पता चला कि कुंवर आदिवासियों के गाओं महुआ की शराब लेने जाते थे.और यही किस्मत से मेरे हाथ 1 बड़ा सुराग लग गया.आदिवासियों ने बताया कि कुंवर के अलावा भी 1 शहरी आदमी था जोकि उनसे महुआ ले जाता था.उन्होने 1 बार उसे कार मे बैठे कुंवर से कुच्छ बाते करते हुए भी देखा था.जब मैने उसका हुलिया,नाम आदि पूचछा तो कुच्छ खास नही पता चला."

"..फिर 1 दिन मैं इसी सुराग के फॉलो-उप के लए उन आदिवासियों के पास गया.वाहा 1 आदिवासी जो शहर मे नौकरी करता था,बैठा हुआ था & अपने कॅमरा मोबाइल से फोटो खिच रहा था.फोन मे कुछ प्राब्लम आई तो उसने मुझे दिखाया.देखा तो पाया कि मेमोरी फुल है.मैने उसे कहा कि कुछ फोटोस डेलीट करनी पड़ेगी."

"..उसने कहा कि वो बताता जाएगा & मैं फोटोस डेलीट करता जाऊं.फोटोस डेलीट करते हुए मेरी नज़र 1 फोटो पर पड़ी.उसमे 1 गोरा-चितता शहरी था.बाकी सारे फोटो उन आदिवासीयो के थे तो फिर ये शहरी कौन था?"राजा साहब गौर से मनीष को सुन रहे थे.

"..उस आदिवासी ने बताया कि यही वो आदमी था.और यही वो फोटो है,सर.",मनीष ने अपना लॅपटॉप ऑन कर स्क्रीन राजा साहब की तरफ कर दी.फोटो मे 3 आदिवासी बैठे हंस रहे थे& पीछे फोटो के कोने मे वो शहरी था.राजा साहब के दिमाग़ मे उस इंसान का चेहरा छप गया.

"क्या गॅरेंटी है मनीष कि यही इंसान ड्रग डीलर है?"

"ये राजा साहब.",मनीष ने 1 छ्होटा सा पॅकेट आगे बढ़ाया जिसमे 1कॅप्सुल था.,"ये 1 बार इसकी जेब से गिर गया था & महुआ बेचने वाले आदिवासी ने दवा समझ कर अपने पास रख लिया था & फिर भूल गया था.इस आदमी की बात चलने पर उसे याद आया तो मुझ से इस 'दवा' के बारे मे पुच्छने लगा."

"वेल डन,मनीष.आइ'एम प्राउड ऑफ यू.",दुष्यंत वेर्मा ने उसकी पीठ ठोनकी.

"मनीष,आपने कमाल का काम किया है.हम चाहते हैं कि इस इंसान को ढूँढने मे आप हमारी मदद करें.",राजा साहब ने उस से हाथ मिलाया.

"सर,ये भी कोई कहने की बात है.जब तक पता ना चल जाए मैं भी चैन से नही बैठूँगा."

"..पर यश ये कौन हो सकता है?वही जाबर का साथी?"

"पता नही,दुष्यंत समझ नही आ रहा.जब्बार का कहने को तो धंधा प्रॉपर्टी डीलिंग का है पर असल मे डिस्प्यूटेड प्रॉपर्टीस को बिकवाना,किसी की प्रॉपर्टी पर ज़बरदस्ती क़ब्ज़ा कर उस से पैसे ऐंठना ये उसका असल काम है.मशहूर है कि उसकी जेब मे 1 चाबियों का गुच्छा है जिस से कि दुनिया का कोई भी ताला खुल सकता है."राजा साहब ने ग्लास उठा कर पानी पिया,"..पर ड्रग्स...ये मेरी भी समझ मे नही आ रहा.इस तस्वीर वाले आदमी को भी पहली बार देखा है.पर मेरा मन कहता है कि इस के तार जब्बार से ही जुड़े हैं.पर कैसे?"

"ये मनीष पता लगा ही लेगा.तुम चिंता छ्चोड़ो.चलो कुच्छ खाते हैं."

रात के 11:30 बज रहे थे पर राजा साहब अभी तक नही आए थे.शाम 7 बजे फोन आया था कि वो खाना खा कर आएँगे पर किसी भी हाल मे 10 बजे तक आ जाएँगे.मेनका 1 छ्होटा-सा वाइट केमिसोल जोकि बस उसकी पॅंटी को ढके हुए थे, पहने बेचैनी से अपने कमरे मे चहलकदमी कर रही थी.अपने मोबाइल से वो लगातार अपने ससुर का मोबाइल ट्राइ कर रही थी पर बार-2 स्विच्ड ऑफ का मेसेज आ रहा था.क्लॉज़ेट का रास्ता उसने खोल दिया था & उसकी नज़रे बार-2 वाहा जा रही थी.

तभी कार की आवाज़ आई,राजा साहब लौट आए थे.नीचे से नौकरों को बाहर कर दरवाज़ा बंद करने की आवाज़ आई तो मेनका अपने बिस्तर पर चादर ओढ़ कर लेट गयी.अपनी पीठ उसने क्लॉज़ेट की तरफ कर ली.वो गुस्से मे पागल हो रही थी.

थोड़ी देर बाद राजा साहब क्लॉज़ेट के रास्ते उसके कमरे मे दाखिल हुए,वो पूरे नंगे थे.राजा साहब ने चादर उठाई & लेट कर मेनका को पीछे से अपनी बाहों मे जाकड़ लिए.,"जाओ,मुझे सोने दो.",मेनका ने उनका हाथ हटा दिया.

"क्या हो गया?"

"कुच्छ नही.हमे नींद आ रही है."

"नही तुम नाराज़ हो.क्या ग़लती हो गयी भाई?",उन्होने फिर उसे जाकड़ लिया & पीछे से अपना नंगा बदन उसकी पीठ & गंद से चिपका दिया.

"1 तो इतनी देर कर दी,उपर से फोन भी नही उठा रहे थे & पूछते हो क्या ग़लती की!"

"फोन डिसचार्ज हो गया था & कहा था ना कि ज़रूरी काम था,उसी मे देर हो गयी.अब गुस्सा छ्चोड़ो & प्यार करो.",उनका दाया हाथ उसकी पॅंटी मे घुस गया & बाया उसकी गर्दन के नीचे आ गया & वही से उसकी चूचिया दबाने लगा.

अपनी गांद पे अपने ससुर का लंड महसूस करते ही मेनका ने अपना हाथ पीछे ले जा कर उसे पकड़ लिया & हिलाने लगी.,"क्या कम था.......आन्न...न्न्न्ह्ह्ह्ह्ह?"राजा साहब की उंगलिया उसके चूत के दाने को रगड़ रही थी.

"वक़्त आएगा तो सब बताएँगे,मेनका.अभी बस हमे प्यार करो."राजा साहब ने उसका चेहरा अपनी तरफ घुमाया & दोनो एक-दूसरे को जमकर चूमने लगे.मेनका 1 बार झाड़ चुकी थी.राजा साहब ने उसका केमिसोल & पॅंटी उसके जिस्म से अलग किए & पीछे से करवट लिए हुए ही अपना लंड उसकी चूत मे डाल दिया & उसकी पीठ से चिपक कर धक्के मारने लगे.उनका लंड मेनका के जी स्पॉट से रगड़ खा रहा था & वो दुबारा झाड़ गयी.

राजा साहब ने बिना उसकी चूत से लंड निकाले उसे घुटनो के बल उल्टा खड़ा कर दिया .मेनका का सर तकिये मे धंसा हुआ था & गंद हवा मे उठी हुई थी.उसके ससुर का लंड जड़ तक उसकी चूत मे डूबा हुआ था & उनके हाथ उसकी गंद & चूचियो को मसल रहे थे.राजा साहब ने उसे इसी पोज़िशन मे चोदना शुरू कर दिया,मेनका मस्ती मे झूम रही थी.

डॉगी स्टाइल मे चोद्ते-2 राजा साहब ने ऐसे ज़ोरदार धक्के मारे कि मेनका बिस्तर पर पेट के बल गिर पड़ी.राजा साहब भी धक्के रोके बिना उसके उपर लेट गये,अपने हाथ उसके नीचे ले जाकर उसकी चूचियाँ दबाने लगे & लगे अपनी बहू की चुदाई करने.मेनका ने अपना सर उठाकर पीछे घुमाया तो राजा साहब ने अपने होठ उसके होठों से लगा दिए.

दोनो एक-दूसरे को चूमते हुए चुदाई कर रहे थे.मेनका ने अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया & अपने ससुर के होठों को कस लिया,वो झाड़ गयी थी & तभी राजा साहब ने भी उसकी चूचियो पे अपनी पकड़ बहुत मज़बूत कर दी &1-2 धक्के लगा कर उसकी चूत मे अपना पानी छ्चोड़ दिया.

-------------------------------------------------------------------------------

"बिज़्ज़रे" नाइटक्लब खचाखच भरा था.म्यूज़िक & लोगों की बातचीत का शोर था & क्लब के बार के सामने ड्रिंक्स लेनेवालों की भीड़ जमा थी.

"एक्सक्यूस मी..मेराड्रिंक..",वो छ्होटा-सा ब्लॅक ड्रेस पहने लड़की बारटेंडर को अपना ऑर्डर देने की कोशिश कर रही थी पर इस भीड़ & शोर मेउसका ध्यान उस लड़की की तरफ जा ही नही रहा था.माजिद सुलेमान की नज़रे उस लड़की के ड्रेस से झाँकती गोरी टाँगों & जांघों के हिस्से को घूर रही थी.

 

bstyhw

New Member
16
17
3
"ये लीजिए अपनी ड्रिंक.",उसने भीड़ मे से हाथ बढ़ा कर बारटेंडर से 1 ग्लास लिया & उस लड़की को पकड़ाया.

"थन्क्यौ.",माजिद ने डिस्को लाइट्स मे उस लड़की का चेहरा देखा-बला की खूबसूरत थी & ड्रेस के गले मे से झाँकता उसका क्लीवेज..उफ्फ!

"मुझे माजिद कहते हैं."

"हाई!आइ'म रोमा.",उसने माजिद से हाथ मिलाया.

"आप अकेली आई यहाँ?"

"नही.अपनी सहेली & उसके बाय्फ्रेंड के साथ आई थी.पता नही दोनो कहा गायब हो गये."

"आप अपने बाय्फ्रेंड के साथ नही आई?"

"मेरा ब्रेक-अप हो गया है."

"आइ'म सॉरी."

"नो यू शौउल्ड़न'ट बी.आइ'म नोट.उसने मुझे किसी ओर के लिए छ्चोड़ दिया."

"ओह.वो शर्तिया बेवकूफ़ इंसान होगा जिसने आपके जैसी हसीन लड़की को छ्चोड़ दिया.तो आप फिर से सिंगल हैं?"

"तारीफ के लिए शुक्रिया.जी हा,मैं सिंगल हू.और आप?"

""मैं भी."

"आप क्या करते हैं?"

"मैं टॅक्सी-ड्राइवर हू."

"जी?!"

"जी.मैं 1 चार्टर एरक्रॅफ्ट कंपनी.मे पाइलट हू.जो लोग प्लेन्स हाइयर करते हैं उन्हे उनकी मंज़िल तक पहुचाता हू."

"ओह्ह.",दोनो हँसने लगे."आप बहुत मज़किया हैं,मिस्टर.माजिद?"

"प्लीज़ नो मिस्टर. & नो आप."

"ओक.तो तुम पाइलट हो.कितना एग्ज़ाइटिंग काम है.बहुत मज़ा आता हाओगा ना प्लेन उड़ाने मे...

...और ऐसी ही बातों से रोमा उर्फ मलिका ने उस पाइलट को शीशे मे उतारना शुरू कर दिया.

थोड़ी देर बाद होटेल के 1 कमरे मे माजिद नंगा लेटा था & उसका लंड उसके उपर बैठी मलिका की चूत मे था.मलिका उसके उपर झुक कर अपने बाए हाथ से पकड़ कर अपनी बाई चूची माजिद के मुँह मे दे रही थी & माजिद के हाथ उसकी पीठ पर फिसल रहे थे.थोड़ी देर बाद उसने बाई निकाली & दाई चूची उसके मुँह मे डाल दी.माजिद ने ऐसी खूबसूरत लड़की पहले कभी नही चोदि थी & उसके लिए अब अपना पानी रोकना मुश्किल हो रहा था.उसने अपनी कमर हिला कर धक्के मारना शुरू किया तो मलिका उठ कर बैठ गयी & कमर हिला-2 कर उसे चोदने लगी.

मलिका ने अपने हाथ अपने बालों मे फिराने शुरू कर दिए,माजिद की तो हालत बुरी हो गयी.उसने अपने हाथों से उसकी चूचिया मसलनी चालू कर दी & ज़ोर-2 से कमर हिलाते हुए उसकी चूत मे झाड़ गया.मलिका नही झड़ी थी पर जैसे ही उसने माजिद का पानी अपनी चूत मे महसूस किया वो झुक कर उस से चिपक गयी & झड़ने की आक्टिंग करने लगी.

मलिका उसके उपर से उतर कर उसकी बगल मे लेट गयी.माजिद उसे बाँह मे घेर कर उसका पेट सहलाने लगा.

"माजिद..."

"ह्म्म."

"तुम्हारे प्लेन मे काफ़ी माशूर लोग भी आते होंगे ना?"

"हुउँ.",माजिद झुक कर उसकी चूचिया चूसने लगा.

"कौन-2 बैठा है तुम्हारे प्लेन मे?"

"राहुल द्रविड़,जॉन अब्राहम,प्रिटी ज़िंटा,सानिया मिर्ज़ा..",उसने चूसना छ्चोड़ उन चूचियो को फिर से दबाना चालू कर दिया.

"रियली!और?",मलिका ने उसका लंड अपने हाथ मे ले लिया.

"..और....कुच्छ पॉलिटिशियन्स."

"..और बिज़्नेसमॅन?",वो अब लंड हिलाकर उसे दुबारा खड़ा कर रही थी.

"हा...जिंदल स्टील का मालिक आया था 1 बार.और अपने राजकुल के राजा साहब को तो मैं हमेशा ले जाता हू."

"सच मे?राजा साहब को भी.वाउ!....कही तुम मुझे बना तो नही रहे माजिद?"

"अरे नही,मेरी जान.तुम्हे पता है मैं हर बार उनकी फ्लाइट पाइलट करता हू.",वो इस लड़की को इंप्रेस करने का मौका नही छ्चोड़ना चाहता था."..और तुम्हे पता है कि उनका बेटा ..-"

"-..वो जो ड्रग अडिक्ट हो गया है?"

"हा,और जिसके बारे मे कोई नही जानता कि वो कहा गया है."उसने मलिका को लिटा दिया & अपनी उंगली उसकी चूत मे डाल दी.,"...पर मैं जानता हू."

"..अच्छा..",मलिका ने आँखे बंद कर ऐसे जताया जैसे उसे बहुत मज़ा आ रहा था जबकि हक़ीक़त मे उसका पूरा ध्यान माजिद की बातों पर था.उसने सपने मे भी नही सोचा था कि बिना राजा का नाम लिए वो उसे ये सब बताने लगेगा.

"हा.राजा साहब का बेटा बॅंगलुर मे है किसी डॉक्टर.पूरी..नही पूर्वे.....हा याद आया.डॉक्टर.पुरन्दारे के क्लिनिक मे."

मलिका का काम हो गया था.उसने माजिद को अपने उपर खीच लिया जोकि अपना लंड उसकी चूत मे घुसाने लगा.


थोड़ी देर बाद माजिद को गहरी नींद मे सोता छ्चोड़ मलिका लिफ्ट से नीचे होटेल के एग्ज़िट की तरफ जा रही थी.माजिद बेचारे को पता भी नही था कि उसने कितनी बड़ी ग़लती कर दी थी.

मलिका की चूत मे आग लगी थी.माजिद उसे ज़रा भी शांत नही कर पाया था.घर पहुँच कर जैसे ही उसने जब्बार को सारी बात बताई वो खुशी से पागल हो गया & उसे खींच कर अपनी बाहों मे भर चूमने लगा.यही तो मालिका चाहती थी.उसने भी 1 हाथ से उसका लंड पकड़ लिया & दूसरे से अपने कपड़े उतारने लगी.

जब्बार अपने दोनो साथियों के साथ बॅंगलुर जाने की तैय्यर. करने लगा,"हम तीनो अलग-अलग बॅंगलुर पहुँचेंगे & इस होटेल के रेस्टोरेंट मे मिलेंगे.",उसने मिलने का दिन & समय भी दोनो को बताया.

"यहा से हम मे से कोई भी सीधे बॅंगलुर नही जाएगा.हम सब यहा से 3 अलग-2 शहरों को जाएँगे & वाहा से बॅंगलुर जाएँगे & कोई भी अपना सही नाम इस्तेमाल नही करेगा."

"वाहा पहुँच तो जाएँगे पर विश्वजीत को रहाब सेंटर से कैसे निकालेंगे?",ये सवाल कल्लन ने पुचछा.

"वाहा पहुँच कर हम सेंटर के बारे मे सारी जानकारी जुटाएँगे & फिर मैं आगे का प्लान बनाऊंगा.फिलहाल तो मैं हम सब के ट्रॅवेल प्लॅन्स अरेंज करता हू.",जब्बार फ्लॅट से बाहर निकल गया.

उसके निकलते ही मलिका दौड़ कर खड़े हुए कल्लन की गोद मे चढ़ गयी,अपनी टाँगो से उसने उसकी कमर जाकड़ ली & उसे चूमने लगी.कल्लन के हाथों ने उसकी गंद को थाम लिया.मलिका केवल 1 टी-शर्ट पहने थी.कल्लन ने उसे 1 दीवार से चिपका दिया & 1 हाथ से उसको थाम कर दूसरे से अपनी पॅंट खोल अपना लंड निकाल लिया.

उसने खड़े-2 ही अपना लंड मलिका की चूत मे उतार दिया & उसे दीवार से लगा कर धक्के मारने लगा.मलिका अपनी जीभ से उसके कान को चाटने लगी & उसके बड़े लंड का मज़ा उठाने लगी.

-------------------------------------------------------------------------------

सवेरे थोड़ी देर से मेनका की आँख खुली.कल राजा साहब ने उसे कुच्छ ज़्यादा ही जम कर चोदा था.उसे मज़ा तो बहुत आया था पर उतनी ही थकान भी हो गयी थी.उसने सोचा कि आज ऑफीस ना जाए पर फिर लगा कि कल ही तो उसे वी-पी बनाया गया है & आज पहले दिन ही ग़ैरहाज़िर रहे,ये अच्छा नही लगेगा.फिर आज सॅटर्डे था,तो ऑफीस आधे दिन मे ही ख़तम हो जाना था.

मेनका तैय्यार होकर नीचे आई तो पता चला कि राजा साहब पहले ही ऑफीस जा चुके हैं तो वो भी फटाफट नाश्ता कर ऑफीस पहुँच गयी.आज राजा साहब ने ऑफीस मे कल वाली हरकत नही दोहराई तो उसने राहत की साँस ली पर साथ ही साथ थोड़ा निराश भी हुई.पर फिर आने वाली रात का ख़याल आते ही उसके होठों पर मुस्कान & चूत मे गीलापन आ गया.

शाम 4 बजे राजा साहब ने उस से ऑफीस से चलने को कहा.दोनो कार मे बैठ गये & राजा साहब ने ड्राइविंग शुरू कर दी.

"अरे,ये किधर जा रहे हो?ये रास्ता तो घर नही जाता."

"हा,हम घर जा भी नही रहे."

"तो फिर कहा जा रहे हैं?",मेनका खिसक कर अपने ससुर से सॅट कर बैठ गयी.

"वो तो पहुँच कर ही पता चलेगा.",उन्होने भी उसे अपनी बाँह मे समेट लिया.

"हम रात तक वापस तो आ जाएँगे ना?"

"अब तो हम कल शाम को ही लौटेंगे."

"ओह.पर हमे कपड़े तो ले लेने लेते घर से."

"जहा हम जा रहें है वाहा कपड़ों की कोई ज़रूरत नही है,मेरी जान.",राजा साहब ने उसके गाल पर चूम लिया.

"हटो.मैं बिना कपड़ों के नही रहूंगी.",मेनका बनावटी गुस्से से बोली.

"वो तो हम पहुँच कर देखेंगे.",उन्होने इस बार उसके होठ चूम लिए.

करीब 3 घंटे के बाद वो शहर को पार करते हुए अपनी मंज़िल पर पहुँच गये.वो 1 बड़ा-सा फार्महाउस था जिसके अगल-बगल और कोई बिल्डिंग नही थी.सबसे पास वाला फार्म हाउस भी 1/2किलोमीटर दूर था.राजा साहब ने कार से उतर कर गेट पे लटक रहा ताला खोला,कार अंदर की और गेट वापस लॉक कर दिया.

मेनका उतर कर अपने ससुर का हाथ थामे फार्महाउस को घूम कर देखने लगी.पीछे 1 बड़ा स्विम्मिंग पूल था और चारो तरफ हरी घास बिछि थी.फार्म हाउस की बिल्डिंग बहुत आलीशान थी.किचन मे खाने का सारा समान मौजूद था.

"ये सारा इंतेज़ाम,यहा की देख-रख कौन करता है?"

"केअरटेकर है.पर हमने उसे 2 दिन की छुट्टी दे दी है.अभी यहा हम दोनो के अलावा कोई भी नही है."राजा साहब उसे बाहों मे पकड़ने के लिए आगे बढ़े तो मेनका छितक कर दूर हो गयी.,"पहले कुच्छ खा लें."

मेनका ने खाना निकाला तो राजा साहब ने उसे खींच कर अपनी गोद मे बिठा लिया & दोनो वैसे ही खाने लगे.मेनका की बड़ी गांद का दबाव पड़ते ही राजा साहब का लंड खड़ा हो गया & मेनका उसकी चुभन अपनी गांद पे महसूस करने लगी.खाना ख़तम होते-2 दोनो गरम हो चुके थे.

राजा साहब ने गोद मे बैठी अपनी बहू को चूमना शुरू कर दिया.उनके हाथ उसकी कमर & गंद को सहला रहे थे.मेनका भी उनकी किस का पूरा जवाब देते हुए अपनी गंद से उनके लंड को रगड़ रही थी.राजा साहब ने अपना हाथ कमर से हटा उसके ब्लाउस मे डाल दिया तो मेनका भी उनके शर्ट के बटन खोलने लगी.दोनो जल्दी से उठ खड़े हुए & 1 दूसरे के कपड़े उतारने लगे.

नंगे होते ही दोनो 1 दूसरे के गले लग गये & चूमने लगे.राजा साहब ने अपनी बहू की भारी-2 गंद को जम के सहलाया & मसला.फिर मेनका उनके होठों को छ्चोड़ उनके सीने को चूमते हुए नीचे उनके लंड तक आ गयी & अपने घुटनो पे बैठ उसे चूसने लगी.उनके अंदो को अपने कोमल हाथों मे दबा कर जब लंड को उसने ज़ोर से चूसा तो राजा साहब की आह निकल गयी.

उन्हों ने उसे अपनी गोद मे उठा लिया & ड्रॉयिंग रूम मे आ गये.वाहा उन्होने मेनका को सोफे पे लिटा दिया & उसके पेट को चूमने लगे.अपनी उंगली से उन्होने उसकी चूत को कुरेदना चालू कर दिया.

"ऊहह..!",मेनका की मस्त आन्हो से फार्महाउस का वीराना भी गुलज़ार हो गया.राजा साहब का चेहरा उसकी चूत पे झुक गया & वो उसके दाने को अपनी जीभ से चाटने लगे.मेनका पागलों की तरह अपनी कमर उचकाने लगी & झाड़ गयी.राजा साहब ने उसकी चूत के छ्चोड़े हुए सारे पानी को पी लिया.

फिर राजा साहब उठ कर उसके सर के पीछे खड़े हो गये,मेनका ने उनके लंड को अपनी आँखों के सामने देखा तो हाथ पीछे ले जा के उसने उनकी गांद को पकड़ लिया & अपना सर पीछे कर के उनका लंड 1 बार फिर अपने मुँह मे लेकर चूसने लगी.राजा साहब ने हाथ नीचे ले जा कर उसकी चूचियो को दबाना & निपल्स को मसलना शुरू कर दिया.

तभी राजा साहब को कुच्छ ख़याल आया,उन्होने अपने लंड को मेनका के मुँह से निकाल लिया & भागते हुए किचन की तरफ चले गये.मेनका को हैरत हुई पर जब तक वो उठती राजा साहब वापस आ गये थे.उनके हाथ मे 1 बोल था.राजा साहब उसके पास बैठ गये & बोल मे रखी चीज़ चम्चे से उसकी चूचियो पे डालने लगे.

"ऊओ..!",सीने पे ठंडा गीलापन महसूस हुआ तो मेनका की आ निकल गयी.उसने देखा राजा साहब उसकी चूचियों को आइस-क्रीम से ढँक रहे थे.राजा साहब ने बोल किनारे रखा & टूट पड़े अपनी बहू की आइस-क्रीम से सराबोर चूचियों पर.मेनका तो पागल हो गयी.राजा साहब ने चाट-2 कर उसके सीने को सॉफ किया & फिर पहले उसकी नाभि को आइस-क्रीम से भरा & फिर अपनी जीभ से सॉफ किया.

अब उसकी चूत की बारी थी.राजा साहब ने वाहा भी आइस-क्रीम लगाई & फिर चाट-चाट कर सॉफ किया.अपने ससुर की आइस-क्रीम चाटती जीभ से मेनका 2 बार झाड़ गयी.अब उसकी बारी थी,वो उठी & पकड़ कर अपने ससुर को सोफे पे बिठा दिया & बोल से आइस-क्रीम निकाल कर उनके लंड & अंदो पे लगा दिया.फिर लगी अपनी जीभ से वाहा पे चाटने.सोफे पे टांगे लटकाए बैठे राजा साहब के मज़े का ठिकाना नही था.जैसे ही मेनका ने आइस-क्रीम की आखरी बूँद को चाट कर सॉफ किया,उन्होने उसे उठा कर सोफे पे बैठे-2 अपनी गोद मे अपने लंड पे बिठा लिया.

अब दोनो 1 दूसरे की आँखो मे झाँक रहे थे,मेनका की चूत राजा साहब के लंड से भरी थी & उसके हाथों मे उनका चेहरा था जिसे वो चूम रही थी. राजा साहब भी उसके जिस्म को अपनी बाहों मे कसे हुए उसकी पीठ & गांद से खेल रहे थे.

मेनका ने अपने ससुर को चूमते हुए अपनी कमर हिलाकर उन्हे चोदना शुरू कर दिया.राजा साहब का लंड उसकी कोख पर चोट कर रहा था & उसकी चूत मे तो जैसे सैलाब आ गया था-पानी था कि च्छुटे ही जा रहा था.

उसने अपने ससुर के सर को पकड़ कर अपनी चूचियो पर झुका दिया.राजा साहब भी उसकी चूचियो को चूसने लगे.उसकी चूचिया तो अब पूरी तरह से उनके होंठो के निशान से भर गयी थी. राजा साहब के भी अंदो मे अब मीठा दर्द होने लगा था.उन्होने अपनी बहू की गंद को दबोच लिया & उसके निपल को चूस्ते हुए नीचे से बैठे-2 ऐसे धक्के मार के अपना पानी छ्चोड़ा कि मेनका 1 बार फिर उनके साथ झाड़ गयी.

झड़ने के बाद दोनो वैसे ही बैठे 1 दूसरे को चूमते रहे,"ये फार्महाउस तुम्हारा है?"

"नही,हमारा है."उनका इशारा मेनका & अपनी तरफ था.मेनका ने नीचे देखा तो लंड झड़ने के बाद सिकुड़ने के बावजूद उसकी चूत मे ऐसे पड़ा था जैसे की अभी भी खड़ा हो.उसने अपनी चूत को हल्के से हिलाना शुरू किया.

"ये उन्ही प्रॉपर्टीस मे से 1 है जिनके पेपर्स स्टडी मे हैं."

"तुम तो ये सब दान करने वाले हो ना."

"हा,बिल्कुल.पर सोचते हैं कि इस फार्म हाउस को अपने नाम कर ले & इसे अपने प्यार का आशियाना बना ले.क्या कहती हो?"

जवाब मे मेनका ने मुस्करा कर उनके होठ चूम लिए.उसकी चूत की हर्कतो से राजा साहब का लंड फिर से गरम हो गया.वो वैसे ही उसकी चूत मे लंड डाले हुए खड़े हो गये & फार्महाउस के बेडरूम की तरफ बढ़ गये.

बेडरूम मे दाखिल होते ही मेनका चौंक गयी.पूरा कमरा जैसे सुहागरात के लिए सज़ा हुआ था.कमरे मे चारो तरफ फूल ही फूल भरे थे & बीचोबीच रखे बड़े से पलंग पर लाल गुलाब की पंखुड़िया बिखरी हुई थी.

उसने राजा साहब की तरफ सवालिया नज़रो से देखा.,"हमने केर्टेकर को कहा कि हमारा कोई जान-पहचान वाला अपनी नयी दुल्हन को लेकर यहा आएगा & 1 रात ठहरेगा तो उनके लिए उसने ये सजावट की & इसी बहाने हमने उसे छुट्टी भी दे दी कि वो जोड़ा नही चाहता कि कोई उन्हे डिस्टर्ब करे."

मेनका को लिए दिए राजा साहब बिस्तर पर लेट गये & लगे फिर से उसे चोदने लगे.थोड़ी देर तक मेनका उनके नीचे पड़ी चुदती रही,फिर उसने उन्हे पकड़े हुए करवट ले उन्हे अपने नीचे किया & उपर से कमर हिला-2 कर चोदने लगी.उसकी भारी चूचिया उसके ससुर के बालों भरे सीने पे रगड़ खा रही थी & होठ उनके होठों से सटे थे.

थोड़ी देर दोनो ऐसे ही चुदाई करते रहे कि फिर राजा साहब उसे पलट कर उस पर सवार हो गये & उसे चोदने लगे.दोनो की इस उठा-पटक से गुलाब की पंखुड़ीयान मसल रही थी & कमरे मे मदहोश करने वाली खुश्बू फैला रही थी.मेनका फिर से हवा मे उड़ रही थी.उसने अपनी टांगे अपने ससुर की कमर पे कस दी & नीचे से झटके मारने लगी.राजा साहब ने अपना लंड पूरा बाहर निकाला & फिर 1 ही झटके मे जड़ तक अंदर डाल दिया.

"ऊओ...ऊव्वववव..!..",मेनका चिल्लाई.राजा साहब ने फिर से यही हरकत दुहराते हुए उसे & ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया.मेनका अब बिल्कुल आपे से बाहर हो गयी.उस ने अपने नाख़ून अपने ससुर की गंद मे गाड़ा दिए & उसकी चूत पानी छ्चोड़ने लगी.नाखूनओ की चुभन ने राजा साहब की कमर के हिलाने को और तेज़ कर दिया & वो 1 बार फिर अपनी बहू की चूत के अंदर अपना पानी छ्चोड़ने लगे.

थोड़ी देर बाद होटेल के 1 कमरे मे माजिद नंगा लेटा था & उसका लंड उसके उपर बैठी मलिका की चूत मे था.मलिका उसके उपर झुक कर अपने बाए हाथ से पकड़ कर अपनी बाई चूची माजिद के मुँह मे दे रही थी & माजिद के हाथ उसकी पीठ पर फिसल रहे थे.थोड़ी देर बाद उसने बाई निकाली & दाई चूची उसके मुँह मे डाल दी.माजिद ने ऐसी खूबसूरत लड़की पहले कभी नही चोदि थी & उसके लिए अब अपना पानी रोकना मुश्किल हो रहा था.उसने अपनी कमर हिला कर धक्के मारना शुरू किया तो मलिका उठ कर बैठ गयी & कमर हिला-2 कर उसे चोदने लगी.

मलिका ने अपने हाथ अपने बालों मे फिराने शुरू कर दिए,माजिद की तो हालत बुरी हो गयी.उसने अपने हाथों से उसकी चूचिया मसलनी चालू कर दी & ज़ोर-2 से कमर हिलाते हुए उसकी चूत मे झाड़ गया.मलिका नही झड़ी थी पर जैसे ही उसने माजिद का पानी अपनी चूत मे महसूस किया वो झुक कर उस से चिपक गयी & झड़ने की आक्टिंग करने लगी.

मलिका उसके उपर से उतर कर उसकी बगल मे लेट गयी.माजिद उसे बाँह मे घेर कर उसका पेट सहलाने लगा.

"माजिद..."

"ह्म्म."

"तुम्हारे प्लेन मे काफ़ी माशूर लोग भी आते होंगे ना?"

"हुउँ.",माजिद झुक कर उसकी चूचिया चूसने लगा.

"कौन-2 बैठा है तुम्हारे प्लेन मे?"

"राहुल द्रविड़,जॉन अब्राहम,प्रिटी ज़िंटा,सानिया मिर्ज़ा..",उसने चूसना छ्चोड़ उन चूचियो को फिर से दबाना चालू कर दिया.

"रियली!और?",मलिका ने उसका लंड अपने हाथ मे ले लिया.

"..और....कुच्छ पॉलिटिशियन्स."

"..और बिज़्नेसमॅन?",वो अब लंड हिलाकर उसे दुबारा खड़ा कर रही थी.

"हा...जिंदल स्टील का मालिक आया था 1 बार.और अपने राजकुल के राजा साहब को तो मैं हमेशा ले जाता हू."

"सच मे?राजा साहब को भी.वाउ!....कही तुम मुझे बना तो नही रहे माजिद?"

"अरे नही,मेरी जान.तुम्हे पता है मैं हर बार उनकी फ्लाइट पाइलट करता हू.",वो इस लड़की को इंप्रेस करने का मौका नही छ्चोड़ना चाहता था."..और तुम्हे पता है कि उनका बेटा ..-"

"-..वो जो ड्रग अडिक्ट हो गया है?"

"हा,और जिसके बारे मे कोई नही जानता कि वो कहा गया है."उसने मलिका को लिटा दिया & अपनी उंगली उसकी चूत मे डाल दी.,"...पर मैं जानता हू."

"..अच्छा..",मलिका ने आँखे बंद कर ऐसे जताया जैसे उसे बहुत मज़ा आ रहा था जबकि हक़ीक़त मे उसका पूरा ध्यान माजिद की बातों पर था.उसने सपने मे भी नही सोचा था कि बिना राजा का नाम लिए वो उसे ये सब बताने लगेगा.

"हा.राजा साहब का बेटा बॅंगलुर मे है किसी डॉक्टर.पूरी..नही पूर्वे.....हा याद आया.डॉक्टर.पुरन्दारे के क्लिनिक मे."

मलिका का काम हो गया था.उसने माजिद को अपने उपर खीच लिया जोकि अपना लंड उसकी चूत मे घुसाने लगा.


थोड़ी देर बाद माजिद को गहरी नींद मे सोता छ्चोड़ मलिका लिफ्ट से नीचे होटेल के एग्ज़िट की तरफ जा रही थी.माजिद बेचारे को पता भी नही था कि उसने कितनी बड़ी ग़लती कर दी थी.

मलिका की चूत मे आग लगी थी.माजिद उसे ज़रा भी शांत नही कर पाया था.घर पहुँच कर जैसे ही उसने जब्बार को सारी बात बताई वो खुशी से पागल हो गया & उसे खींच कर अपनी बाहों मे भर चूमने लगा.यही तो मालिका चाहती थी.उसने भी 1 हाथ से उसका लंड पकड़ लिया & दूसरे से अपने कपड़े उतारने लगी.

जब्बार अपने दोनो साथियों के साथ बॅंगलुर जाने की तैय्यर. करने लगा,"हम तीनो अलग-अलग बॅंगलुर पहुँचेंगे & इस होटेल के रेस्टोरेंट मे मिलेंगे.",उसने मिलने का दिन & समय भी दोनो को बताया.

"यहा से हम मे से कोई भी सीधे बॅंगलुर नही जाएगा.हम सब यहा से 3 अलग-2 शहरों को जाएँगे & वाहा से बॅंगलुर जाएँगे & कोई भी अपना सही नाम इस्तेमाल नही करेगा."

"वाहा पहुँच तो जाएँगे पर विश्वजीत को रहाब सेंटर से कैसे निकालेंगे?",ये सवाल कल्लन ने पुचछा.

"वाहा पहुँच कर हम सेंटर के बारे मे सारी जानकारी जुटाएँगे & फिर मैं आगे का प्लान बनाऊंगा.फिलहाल तो मैं हम सब के ट्रॅवेल प्लॅन्स अरेंज करता हू.",जब्बार फ्लॅट से बाहर निकल गया.

उसके निकलते ही मलिका दौड़ कर खड़े हुए कल्लन की गोद मे चढ़ गयी,अपनी टाँगो से उसने उसकी कमर जाकड़ ली & उसे चूमने लगी.कल्लन के हाथों ने उसकी गंद को थाम लिया.मलिका केवल 1 टी-शर्ट पहने थी.कल्लन ने उसे 1 दीवार से चिपका दिया & 1 हाथ से उसको थाम कर दूसरे से अपनी पॅंट खोल अपना लंड निकाल लिया.

उसने खड़े-2 ही अपना लंड मलिका की चूत मे उतार दिया & उसे दीवार से लगा कर धक्के मारने लगा.मलिका अपनी जीभ से उसके कान को चाटने लगी & उसके बड़े लंड का मज़ा उठाने लगी.

-------------------------------------------------------------------------------

सवेरे थोड़ी देर से मेनका की आँख खुली.कल राजा साहब ने उसे कुच्छ ज़्यादा ही जम कर चोदा था.उसे मज़ा तो बहुत आया था पर उतनी ही थकान भी हो गयी थी.उसने सोचा कि आज ऑफीस ना जाए पर फिर लगा कि कल ही तो उसे वी-पी बनाया गया है & आज पहले दिन ही ग़ैरहाज़िर रहे,ये अच्छा नही लगेगा.फिर आज सॅटर्डे था,तो ऑफीस आधे दिन मे ही ख़तम हो जाना था.

मेनका तैय्यार होकर नीचे आई तो पता चला कि राजा साहब पहले ही ऑफीस जा चुके हैं तो वो भी फटाफट नाश्ता कर ऑफीस पहुँच गयी.आज राजा साहब ने ऑफीस मे कल वाली हरकत नही दोहराई तो उसने राहत की साँस ली पर साथ ही साथ थोड़ा निराश भी हुई.पर फिर आने वाली रात का ख़याल आते ही उसके होठों पर मुस्कान & चूत मे गीलापन आ गया.

शाम 4 बजे राजा साहब ने उस से ऑफीस से चलने को कहा.दोनो कार मे बैठ गये & राजा साहब ने ड्राइविंग शुरू कर दी.

"अरे,ये किधर जा रहे हो?ये रास्ता तो घर नही जाता."

"हा,हम घर जा भी नही रहे."

"तो फिर कहा जा रहे हैं?",मेनका खिसक कर अपने ससुर से सॅट कर बैठ गयी.

"वो तो पहुँच कर ही पता चलेगा.",उन्होने भी उसे अपनी बाँह मे समेट लिया.

"हम रात तक वापस तो आ जाएँगे ना?"

"अब तो हम कल शाम को ही लौटेंगे."

"ओह.पर हमे कपड़े तो ले लेने लेते घर से."

"जहा हम जा रहें है वाहा कपड़ों की कोई ज़रूरत नही है,मेरी जान.",राजा साहब ने उसके गाल पर चूम लिया.

"हटो.मैं बिना कपड़ों के नही रहूंगी.",मेनका बनावटी गुस्से से बोली.

"वो तो हम पहुँच कर देखेंगे.",उन्होने इस बार उसके होठ चूम लिए.

करीब 3 घंटे के बाद वो शहर को पार करते हुए अपनी मंज़िल पर पहुँच गये.वो 1 बड़ा-सा फार्महाउस था जिसके अगल-बगल और कोई बिल्डिंग नही थी.सबसे पास वाला फार्म हाउस भी 1/2किलोमीटर दूर था.राजा साहब ने कार से उतर कर गेट पे लटक रहा ताला खोला,कार अंदर की और गेट वापस लॉक कर दिया.

मेनका उतर कर अपने ससुर का हाथ थामे फार्महाउस को घूम कर देखने लगी.पीछे 1 बड़ा स्विम्मिंग पूल था और चारो तरफ हरी घास बिछि थी.फार्म हाउस की बिल्डिंग बहुत आलीशान थी.किचन मे खाने का सारा समान मौजूद था.

"ये सारा इंतेज़ाम,यहा की देख-रख कौन करता है?"

"केअरटेकर है.पर हमने उसे 2 दिन की छुट्टी दे दी है.अभी यहा हम दोनो के अलावा कोई भी नही है."राजा साहब उसे बाहों मे पकड़ने के लिए आगे बढ़े तो मेनका छितक कर दूर हो गयी.,"पहले कुच्छ खा लें."

मेनका ने खाना निकाला तो राजा साहब ने उसे खींच कर अपनी गोद मे बिठा लिया & दोनो वैसे ही खाने लगे.मेनका की बड़ी गांद का दबाव पड़ते ही राजा साहब का लंड खड़ा हो गया & मेनका उसकी चुभन अपनी गांद पे महसूस करने लगी.खाना ख़तम होते-2 दोनो गरम हो चुके थे.

राजा साहब ने गोद मे बैठी अपनी बहू को चूमना शुरू कर दिया.उनके हाथ उसकी कमर & गंद को सहला रहे थे.मेनका भी उनकी किस का पूरा जवाब देते हुए अपनी गंद से उनके लंड को रगड़ रही थी.राजा साहब ने अपना हाथ कमर से हटा उसके ब्लाउस मे डाल दिया तो मेनका भी उनके शर्ट के बटन खोलने लगी.दोनो जल्दी से उठ खड़े हुए & 1 दूसरे के कपड़े उतारने लगे.

नंगे होते ही दोनो 1 दूसरे के गले लग गये & चूमने लगे.राजा साहब ने अपनी बहू की भारी-2 गंद को जम के सहलाया & मसला.फिर मेनका उनके होठों को छ्चोड़ उनके सीने को चूमते हुए नीचे उनके लंड तक आ गयी & अपने घुटनो पे बैठ उसे चूसने लगी.उनके अंदो को अपने कोमल हाथों मे दबा कर जब लंड को उसने ज़ोर से चूसा तो राजा साहब की आह निकल गयी.

उन्हों ने उसे अपनी गोद मे उठा लिया & ड्रॉयिंग रूम मे आ गये.वाहा उन्होने मेनका को सोफे पे लिटा दिया & उसके पेट को चूमने लगे.अपनी उंगली से उन्होने उसकी चूत को कुरेदना चालू कर दिया.

"ऊहह..!",मेनका की मस्त आन्हो से फार्महाउस का वीराना भी गुलज़ार हो गया.राजा साहब का चेहरा उसकी चूत पे झुक गया & वो उसके दाने को अपनी जीभ से चाटने लगे.मेनका पागलों की तरह अपनी कमर उचकाने लगी & झाड़ गयी.राजा साहब ने उसकी चूत के छ्चोड़े हुए सारे पानी को पी लिया.

फिर राजा साहब उठ कर उसके सर के पीछे खड़े हो गये,मेनका ने उनके लंड को अपनी आँखों के सामने देखा तो हाथ पीछे ले जा के उसने उनकी गांद को पकड़ लिया & अपना सर पीछे कर के उनका लंड 1 बार फिर अपने मुँह मे लेकर चूसने लगी.राजा साहब ने हाथ नीचे ले जा कर उसकी चूचियो को दबाना & निपल्स को मसलना शुरू कर दिया.

तभी राजा साहब को कुच्छ ख़याल आया,उन्होने अपने लंड को मेनका के मुँह से निकाल लिया & भागते हुए किचन की तरफ चले गये.मेनका को हैरत हुई पर जब तक वो उठती राजा साहब वापस आ गये थे.उनके हाथ मे 1 बोल था.राजा साहब उसके पास बैठ गये & बोल मे रखी चीज़ चम्चे से उसकी चूचियो पे डालने लगे.

"ऊओ..!",सीने पे ठंडा गीलापन महसूस हुआ तो मेनका की आ निकल गयी.उसने देखा राजा साहब उसकी चूचियों को आइस-क्रीम से ढँक रहे थे.राजा साहब ने बोल किनारे रखा & टूट पड़े अपनी बहू की आइस-क्रीम से सराबोर चूचियों पर.मेनका तो पागल हो गयी.राजा साहब ने चाट-2 कर उसके सीने को सॉफ किया & फिर पहले उसकी नाभि को आइस-क्रीम से भरा & फिर अपनी जीभ से सॉफ किया.

अब उसकी चूत की बारी थी.राजा साहब ने वाहा भी आइस-क्रीम लगाई & फिर चाट-चाट कर सॉफ किया.अपने ससुर की आइस-क्रीम चाटती जीभ से मेनका 2 बार झाड़ गयी.अब उसकी बारी थी,वो उठी & पकड़ कर अपने ससुर को सोफे पे बिठा दिया & बोल से आइस-क्रीम निकाल कर उनके लंड & अंदो पे लगा दिया.फिर लगी अपनी जीभ से वाहा पे चाटने.सोफे पे टांगे लटकाए बैठे राजा साहब के मज़े का ठिकाना नही था.जैसे ही मेनका ने आइस-क्रीम की आखरी बूँद को चाट कर सॉफ किया,उन्होने उसे उठा कर सोफे पे बैठे-2 अपनी गोद मे अपने लंड पे बिठा लिया.

अब दोनो 1 दूसरे की आँखो मे झाँक रहे थे,मेनका की चूत राजा साहब के लंड से भरी थी & उसके हाथों मे उनका चेहरा था जिसे वो चूम रही थी. राजा साहब भी उसके जिस्म को अपनी बाहों मे कसे हुए उसकी पीठ & गांद से खेल रहे थे.

मेनका ने अपने ससुर को चूमते हुए अपनी कमर हिलाकर उन्हे चोदना शुरू कर दिया.राजा साहब का लंड उसकी कोख पर चोट कर रहा था & उसकी चूत मे तो जैसे सैलाब आ गया था-पानी था कि च्छुटे ही जा रहा था.

उसने अपने ससुर के सर को पकड़ कर अपनी चूचियो पर झुका दिया.राजा साहब भी उसकी चूचियो को चूसने लगे.उसकी चूचिया तो अब पूरी तरह से उनके होंठो के निशान से भर गयी थी. राजा साहब के भी अंदो मे अब मीठा दर्द होने लगा था.उन्होने अपनी बहू की गंद को दबोच लिया & उसके निपल को चूस्ते हुए नीचे से बैठे-2 ऐसे धक्के मार के अपना पानी छ्चोड़ा कि मेनका 1 बार फिर उनके साथ झाड़ गयी.

झड़ने के बाद दोनो वैसे ही बैठे 1 दूसरे को चूमते रहे,"ये फार्महाउस तुम्हारा है?"

"नही,हमारा है."उनका इशारा मेनका & अपनी तरफ था.मेनका ने नीचे देखा तो लंड झड़ने के बाद सिकुड़ने के बावजूद उसकी चूत मे ऐसे पड़ा था जैसे की अभी भी खड़ा हो.उसने अपनी चूत को हल्के से हिलाना शुरू किया.

"ये उन्ही प्रॉपर्टीस मे से 1 है जिनके पेपर्स स्टडी मे हैं."

"तुम तो ये सब दान करने वाले हो ना."

"हा,बिल्कुल.पर सोचते हैं कि इस फार्म हाउस को अपने नाम कर ले & इसे अपने प्यार का आशियाना बना ले.क्या कहती हो?"

जवाब मे मेनका ने मुस्करा कर उनके होठ चूम लिए.उसकी चूत की हर्कतो से राजा साहब का लंड फिर से गरम हो गया.वो वैसे ही उसकी चूत मे लंड डाले हुए खड़े हो गये & फार्महाउस के बेडरूम की तरफ बढ़ गये.

बेडरूम मे दाखिल होते ही मेनका चौंक गयी.पूरा कमरा जैसे सुहागरात के लिए सज़ा हुआ था.कमरे मे चारो तरफ फूल ही फूल भरे थे & बीचोबीच रखे बड़े से पलंग पर लाल गुलाब की पंखुड़िया बिखरी हुई थी.

उसने राजा साहब की तरफ सवालिया नज़रो से देखा.,"हमने केर्टेकर को कहा कि हमारा कोई जान-पहचान वाला अपनी नयी दुल्हन को लेकर यहा आएगा & 1 रात ठहरेगा तो उनके लिए उसने ये सजावट की & इसी बहाने हमने उसे छुट्टी भी दे दी कि वो जोड़ा नही चाहता कि कोई उन्हे डिस्टर्ब करे."

मेनका को लिए दिए राजा साहब बिस्तर पर लेट गये & लगे फिर से उसे चोदने लगे.थोड़ी देर तक मेनका उनके नीचे पड़ी चुदती रही,फिर उसने उन्हे पकड़े हुए करवट ले उन्हे अपने नीचे किया & उपर से कमर हिला-2 कर चोदने लगी.उसकी भारी चूचिया उसके ससुर के बालों भरे सीने पे रगड़ खा रही थी & होठ उनके होठों से सटे थे.

थोड़ी देर दोनो ऐसे ही चुदाई करते रहे कि फिर राजा साहब उसे पलट कर उस पर सवार हो गये & उसे चोदने लगे.दोनो की इस उठा-पटक से गुलाब की पंखुड़ीयान मसल रही थी & कमरे मे मदहोश करने वाली खुश्बू फैला रही थी.मेनका फिर से हवा मे उड़ रही थी.उसने अपनी टांगे अपने ससुर की कमर पे कस दी & नीचे से झटके मारने लगी.राजा साहब ने अपना लंड पूरा बाहर निकाला & फिर 1 ही झटके मे जड़ तक अंदर डाल दिया.

"ऊओ...ऊव्वववव..!..",मेनका चिल्लाई.राजा साहब ने फिर से यही हरकत दुहराते हुए उसे & ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया.मेनका अब बिल्कुल आपे से बाहर हो गयी.उस ने अपने नाख़ून अपने ससुर की गंद मे गाड़ा दिए & उसकी चूत पानी छ्चोड़ने लगी.नाखूनओ की चुभन ने राजा साहब की कमर के हिलाने को और तेज़ कर दिया & वो 1 बार फिर अपनी बहू की चूत के अंदर अपना पानी छ्चोड़ने लगे.

राजा साहब अपनी बहू के साथ वापस महल आ गये थे & अब बैठ कर टीवी पर न्यूज़ देख रहे थे.मेनका अपने कमरे मे थी.सारे नौकर जा चुके थे & उन्हे डिस्टर्ब करने वाला कोई भी नही था.

तभी मेनका वाहा आ गयी,उसने फिर वोही बॉमबे वाली काली नाइटी पहनी थी & उसके गले मे से उसका क्लीवेज चमक रहा था.,"क्या देख रहे हो,सोना नही है क्या?"

"नही.",कह कर उन्होने उसे खींच कर अपने पास बिठा लिया.

"फिर वही बात.अभी तक मन नही भरा?",उसने उनके शरारती हाथों को अपने सीने से हटाते हुए बोला.

"नही & कभी भरेगा भी नही.",वो उसे चूमने लगे & रिमोट उठा कर टीवी बंद कर दिया.

फिर उसे गोद मे उठा लिया & चढ़ने लगे सीढ़ियाँ.थोड़ी देर बाद दोनो उनके बिस्तर मे लेते 1 दूसरे को चूम रहे थे.राजा साहब उसके उपर चढ़े हुए थे & उनके हाथ उसकी नाइटी मे घुस कर उसकी ब्रा मे कसी चुचियाँ दबा रहे थे.मेनका उनके कुर्ते मे हाथ डाल उनकी पीठ सहला रही थी.

राजा साहब बेसबरे हो गये & उठ कर नंगे हो गये & अपनी बहू को भी नंगा कर दिया.मेनक अब केवल काले रंग की ब्रा & पॅंटी मे थी.राजा साहब उस पर सवार हो उसे पागलों की तरह चूमने लगे.मेनका उनकी मर्दानगी का लोहा मान गयी पिच्छले 2 दीनो से इस आदमी ने सिवाय उसे चोदने के और कोई काम नही किया था फिर भी इतने जोश मे था.

उसने उनकी गांद को दबाना & अपने नाकुनो से हल्के-2 नोचना शुरू कर दिया.राजा साहब पॅंटी के उपर से ही उसकी चूत पर धक्के लगा रहे थे & मेनका गीली होती जा रही थी.उसने हाथ गंद से हटा उनका लंड पकड़ लिया & हिलाने लगी.राजा साहब ने करवट ली & उसे सीने से चिपका लिया &चूमते हुए हाथ पीछे ले जाके उसकी ब्रा खोल दी.

थोड़ी देर तक उसकी पीठ सहलाते हुए उसके मुँह मे अपनी जीभ घुसा उसकी जीभ से खेलते रहे & फिर अपना हाथ पीछे से उसकी पॅंटी के अंदर उसकी गंद पे सरका दिया & उसकी फांकों को मसल्ने लगे.मेनका मस्त हो गयी & जब राजा साहब उसकी पॅंटी सरका कर घुटनो तक ले आए तो उसने खुद ही उसे अपने जिस्म से अलग कर दिया.

राजा साहब ने उसकी गांद मसल्ते हुए उसकी दरार को सहलाना शुरू कर दिया.ऐसा पहले उन्होने कभी नही किया था &मेनका के लिए ये बिल्कुल नया एहसास था.तभी उन्होने अपनी 1 उंगली उसकी गंद की छेद मे डाल दी.

"ओउ..च!",मेनक चिहुनक कर उनसे अलग होने लगी पर राजा साहब ने अपनी पकड़ मजबूत कर उसकी गंद मे उंगली जस की तस रहने दी.

"क्या कर रहे हो...वाहा नही?"

"प्लीज़...",

"नही...तुम पागल हो...दर्द होगा..",मेनका शर्मा गयी.

"नही होगा...प्रॉमिस..होगा तो निकाल लूँगा...प्लीज़..जान,प्लीज़!",राजा साहब बच्चों की तरह ज़िद करने लगे.

"ओके..पर दर्द हुआ तो मैं फिर कभी कैसे भी प्यार नही करने दूँगी."

"अरे मेरी जान दर्द होगा तब तो.",राजा साहब ने उसके होठों को अपने होठ से बंद कर दिया &अपनी उंगली से उसकी गंद मारने लगे.थोड़ी देर मे 2 फिर 3 उंगलिया उसकी गंद मे अंदर-बाहर हो रही थी.मेनका को मज़ा आ रहा था.उसने सिर्फ़ सुना था पर आज पहली बार वो गंद मरवाने वाली थी.

राजा साहब उस से अलग होकर अपने क्लॉज़ेट मे गये & वाहा से 1 क्रीम ले कर आए.उन्होने अपनी बहू को उल्टा कर दिया & झुक कर उसकी मोटी गंद को चूमने& चूसने लगे.जम के चूसने के बाद उन्होने अपनी जीभ उसकी गंद के छेद मे डाल दी.मेनका फिर चिहुनकि,"..ऊऊ...ऊ.."

पर राजा साहब उसे मज़बूती से थामे अपनी जीभ से उसके छेद को चाट ते रहे.थोदिदेर के बाद उसकी गांद सहलाते हुए उन्होने कहा,"जान...बिल्कुल मत घबराना.हम पर भरोसा रखो.ज़रा भी दर्द होगा तो हम रुक जाएँगे.तुम बस रिलॅक्स होकर अपने बदन & इसको ढीला छ्चोड़ दो.",उन्होने उसकी गंद मे फिर उंगली कर दी.

काफ़ी दे तक उसकी गंद को उंगली से मारते हुए वो उसको चूमते & सहलाते रहे.जब उन्होने देखा कि मेनका अब रिलॅक्स हो रही है तो उन्होने उसे उठा कर घुटनो पे कर दिया.मेनका ने भी अपनी गंद हवा मे उठा दी & मुँह तकिये मे छुपा लिया.राजा साहब अपनी उंगलियो मे क्रीम लगा कर उसके छेद मे लगा रहे थे.कुच्छ क्रीम उन्होने अपने लंड पे भी लगाई & फिर उसकी गंद के पीछे पोज़िशन ले ली.

अपने हाथ से पकड़ कर उन्होने बहुत धीरे-2 से अपना लंड उसकी गंद मे घुसाना शुरू किया.लंड का सूपड़ा बहुत मोटा था,"...ऊओ...ऊहह..",मेनका की आह निकल गयी.

"बस मेरी जान..शुरू मे थोड़ी तकलीफ़ हो गी.."राजा साहब उसकी पीठ सहलाते हुए अपने सूपदे को अंदर धकेलने लगे.थोड़ी ही देर मे सूपड़ा अंदर था & उन्होने बस सूपदे को ही आंड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया.मेनका कदर्द ख़तम हो गया & उसे अब मज़ा आने लगा.उसने सोचा भी नही था कि गंद मेलंड इतना मज़ा देता है.जब लंड अंदर जाता था तो उसकी गंद अपनेआप सिकुड कर लंड को कस लेती थी & उसके बदन मे मज़े की लहरें दौड़ जाती थी.गंद की इस हरकत से राजा साहब भी पागल हो रहे थे.

हल्के-2 धक्कों से उन्होने अब अपने पूरे लंड को गंद मे घुसाना शुरू किया.मेनका को हल्का दर्द हो रहा था पर उस से कही ज़्यादा मज़ा आ रहा था.गंद मरवाने से होनेवाले दर्द का डर भी ख़तम हो गया था & वो अब पूरा लुत्फ़ उठा रही थी.

थोड़ी ही देर मे लंड जड़ तक उसकी गंद मे था.जब राजा साहब ने धक्का मारा तो वो उठ कर पीछ्हे बैठ गयी तो राजा साहब भी बैठ गये.

अब राजा साहब अपने घुटनो पे बैठे थे & उनकी गांद उनकी आएडियो पे थी & मेनका भी वैसे ही उनके उपर बैठी थी & उसकी गंद उनके लंड से भरी थी.राजा साहब ने हाथ आगे ले जाकर उसकी चूचियो को मसल्ने लगे.उसके निपल्स पहले ही कड़े हो गये थे.राजा साहब उसकी गर्दन को चूम रहे थे की मेनका ने अपनी गर्दन घुमाई &अपने होठों को उनके होठों पर कस दिया.

"दर्द तो नही हो रहा?",उन्होने उसके होठों को छ्चोड़ते हुए & उसकी चुचियाँ दबाते हुए पूछा.अब उनका 1 हाथ उसकी चूत पे था & उसके दाने कोसेहला रहा था.

"उन्न.उन्ह.",मेनका ने इनकार किया.राजा साहब अब फिर से उठ गये & दोनो डॉगी पोज़िशन मे आ गये.अब मेनका ने अपना सारा वजन अपने हाथों & घुटनो पे लिया हुआ था & पीछे से अपने ससुर से गंद मरवा रही थी.थोड़ी देर तक राजा साहब उसकी कमर थामे घुटनो पे खड़े बस उसकी गंद मारते रहे.

फिर वो झुक गये & अपना सीना उसकी पीठ से सटा दिया,अपना मुँह उसकी गर्दन मे च्छूपा लिया & 1 हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूचियो दबाने लगे.मेनका को अपनी पीठ पे राजा साहब के सीने के बाल गुदगुदी करते महसूस हुए.उसकी चूत तो बस पानी छ्चोड़े जा रही थी & गंद मे तो वो मज़ेदार एहसास हो रहा था की पुछो मत.

राजा सहब ने अपना हाथ उसकी चूचियो से हटा उसकी चूत पे लगा दिया & लगे उसकी चूत मे उंगली करने & उसके दाने को रगड़ने.मेनका ने मुँह पीछे किया & अपने ससुर को पागलों की तरह चूमने लगी.राजा साहब ने भी लंड के धक्के & उंगलियो की रगड़ तेज़ कर दी.मेनका की गंद ने भी अब तेज़ी से उनके लंड को कसना शुरू कर दिया था & उसकी चूत बस पानी छ्चोड़न ही वाली थी.

राज साहब ने अपनी जीभ से उसकी जीभ के साथ खेलना शुरू कर दिया कि तभी मेनका का जिस्म आकड़ गया & उसकी कमर हिलने लगी & उसकी चूत ने उनकी उंगली & गंद ने लंड को बिल्कुल कस के जाकड़ लिया.वो झाड़ गयी थी &गंद ने जैसी ही लंड को दबोचा,उनके लंड ने भी पानी छ्चोड़ दिया.मेनका की गंद ने अपने आप सिकुड कर उनके लंड का सारा पानी निचोड़ लिया.

दोनो निढाल होकर बिस्तर पे गिर गये.जब लंड सिकुड गया तो राजा साहब ने उसे बाहर खींचा & मेनका को सीधा कर अपनी बाहों मे भर लिया.,"तकलीफ़ नही हुई ना?",वो उसके चेहरे को चूम रहे थे.

"नही..",मेनका ने उन्हे अपने पास खींचा & उनके सीने मे मुँह च्चिपाकर वाहा हौले-2 चूमने लगी.

राजा साहब अपनी बहू के साथ वापस महल आ गये थे & अब बैठ कर टीवी पर न्यूज़ देख रहे थे.मेनका अपने कमरे मे थी.सारे नौकर जा चुके थे & उन्हे डिस्टर्ब करने वाला कोई भी नही था.

तभी मेनका वाहा आ गयी,उसने फिर वोही बॉमबे वाली काली नाइटी पहनी थी & उसके गले मे से उसका क्लीवेज चमक रहा था.,"क्या देख रहे हो,सोना नही है क्या?"

"नही.",कह कर उन्होने उसे खींच कर अपने पास बिठा लिया.

"फिर वही बात.अभी तक मन नही भरा?",उसने उनके शरारती हाथों को अपने सीने से हटाते हुए बोला.

"नही & कभी भरेगा भी नही.",वो उसे चूमने लगे & रिमोट उठा कर टीवी बंद कर दिया.

फिर उसे गोद मे उठा लिया & चढ़ने लगे सीढ़ियाँ.थोड़ी देर बाद दोनो उनके बिस्तर मे लेते 1 दूसरे को चूम रहे थे.राजा साहब उसके उपर चढ़े हुए थे & उनके हाथ उसकी नाइटी मे घुस कर उसकी ब्रा मे कसी चुचियाँ दबा रहे थे.मेनका उनके कुर्ते मे हाथ डाल उनकी पीठ सहला रही थी.

राजा साहब बेसबरे हो गये & उठ कर नंगे हो गये & अपनी बहू को भी नंगा कर दिया.मेनक अब केवल काले रंग की ब्रा & पॅंटी मे थी.राजा साहब उस पर सवार हो उसे पागलों की तरह चूमने लगे.मेनका उनकी मर्दानगी का लोहा मान गयी पिच्छले 2 दीनो से इस आदमी ने सिवाय उसे चोदने के और कोई काम नही किया था फिर भी इतने जोश मे था.

उसने उनकी गांद को दबाना & अपने नाकुनो से हल्के-2 नोचना शुरू कर दिया.राजा साहब पॅंटी के उपर से ही उसकी चूत पर धक्के लगा रहे थे & मेनका गीली होती जा रही थी.उसने हाथ गंद से हटा उनका लंड पकड़ लिया & हिलाने लगी.राजा साहब ने करवट ली & उसे सीने से चिपका लिया &चूमते हुए हाथ पीछे ले जाके उसकी ब्रा खोल दी.

थोड़ी देर तक उसकी पीठ सहलाते हुए उसके मुँह मे अपनी जीभ घुसा उसकी जीभ से खेलते रहे & फिर अपना हाथ पीछे से उसकी पॅंटी के अंदर उसकी गंद पे सरका दिया & उसकी फांकों को मसल्ने लगे.मेनका मस्त हो गयी & जब राजा साहब उसकी पॅंटी सरका कर घुटनो तक ले आए तो उसने खुद ही उसे अपने जिस्म से अलग कर दिया.

राजा साहब ने उसकी गांद मसल्ते हुए उसकी दरार को सहलाना शुरू कर दिया.ऐसा पहले उन्होने कभी नही किया था &मेनका के लिए ये बिल्कुल नया एहसास था.तभी उन्होने अपनी 1 उंगली उसकी गंद की छेद मे डाल दी.

"ओउ..च!",मेनक चिहुनक कर उनसे अलग होने लगी पर राजा साहब ने अपनी पकड़ मजबूत कर उसकी गंद मे उंगली जस की तस रहने दी.

"क्या कर रहे हो...वाहा नही?"

"प्लीज़...",

"नही...तुम पागल हो...दर्द होगा..",मेनका शर्मा गयी.

"नही होगा...प्रॉमिस..होगा तो निकाल लूँगा...प्लीज़..जान,प्लीज़!",राजा साहब बच्चों की तरह ज़िद करने लगे.

"ओके..पर दर्द हुआ तो मैं फिर कभी कैसे भी प्यार नही करने दूँगी."

"अरे मेरी जान दर्द होगा तब तो.",राजा साहब ने उसके होठों को अपने होठ से बंद कर दिया &अपनी उंगली से उसकी गंद मारने लगे.थोड़ी देर मे 2 फिर 3 उंगलिया उसकी गंद मे अंदर-बाहर हो रही थी.मेनका को मज़ा आ रहा था.उसने सिर्फ़ सुना था पर आज पहली बार वो गंद मरवाने वाली थी.

राजा साहब उस से अलग होकर अपने क्लॉज़ेट मे गये & वाहा से 1 क्रीम ले कर आए.उन्होने अपनी बहू को उल्टा कर दिया & झुक कर उसकी मोटी गंद को चूमने& चूसने लगे.जम के चूसने के बाद उन्होने अपनी जीभ उसकी गंद के छेद मे डाल दी.मेनका फिर चिहुनकि,"..ऊऊ...ऊ.."

पर राजा साहब उसे मज़बूती से थामे अपनी जीभ से उसके छेद को चाट ते रहे.थोदिदेर के बाद उसकी गांद सहलाते हुए उन्होने कहा,"जान...बिल्कुल मत घबराना.हम पर भरोसा रखो.ज़रा भी दर्द होगा तो हम रुक जाएँगे.तुम बस रिलॅक्स होकर अपने बदन & इसको ढीला छ्चोड़ दो.",उन्होने उसकी गंद मे फिर उंगली कर दी.

काफ़ी दे तक उसकी गंद को उंगली से मारते हुए वो उसको चूमते & सहलाते रहे.जब उन्होने देखा कि मेनका अब रिलॅक्स हो रही है तो उन्होने उसे उठा कर घुटनो पे कर दिया.मेनका ने भी अपनी गंद हवा मे उठा दी & मुँह तकिये मे छुपा लिया.राजा साहब अपनी उंगलियो मे क्रीम लगा कर उसके छेद मे लगा रहे थे.कुच्छ क्रीम उन्होने अपने लंड पे भी लगाई & फिर उसकी गंद के पीछे पोज़िशन ले ली.

अपने हाथ से पकड़ कर उन्होने बहुत धीरे-2 से अपना लंड उसकी गंद मे घुसाना शुरू किया.लंड का सूपड़ा बहुत मोटा था,"...ऊओ...ऊहह..",मेनका की आह निकल गयी.

"बस मेरी जान..शुरू मे थोड़ी तकलीफ़ हो गी.."राजा साहब उसकी पीठ सहलाते हुए अपने सूपदे को अंदर धकेलने लगे.थोड़ी ही देर मे सूपड़ा अंदर था & उन्होने बस सूपदे को ही आंड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया.मेनका कदर्द ख़तम हो गया & उसे अब मज़ा आने लगा.उसने सोचा भी नही था कि गंद मेलंड इतना मज़ा देता है.जब लंड अंदर जाता था तो उसकी गंद अपनेआप सिकुड कर लंड को कस लेती थी & उसके बदन मे मज़े की लहरें दौड़ जाती थी.गंद की इस हरकत से राजा साहब भी पागल हो रहे थे.

हल्के-2 धक्कों से उन्होने अब अपने पूरे लंड को गंद मे घुसाना शुरू किया.मेनका को हल्का दर्द हो रहा था पर उस से कही ज़्यादा मज़ा आ रहा था.गंद मरवाने से होनेवाले दर्द का डर भी ख़तम हो गया था & वो अब पूरा लुत्फ़ उठा रही थी.

थोड़ी ही देर मे लंड जड़ तक उसकी गंद मे था.जब राजा साहब ने धक्का मारा तो वो उठ कर पीछ्हे बैठ गयी तो राजा साहब भी बैठ गये.

अब राजा साहब अपने घुटनो पे बैठे थे & उनकी गांद उनकी आएडियो पे थी & मेनका भी वैसे ही उनके उपर बैठी थी & उसकी गंद उनके लंड से भरी थी.राजा साहब ने हाथ आगे ले जाकर उसकी चूचियो को मसल्ने लगे.उसके निपल्स पहले ही कड़े हो गये थे.राजा साहब उसकी गर्दन को चूम रहे थे की मेनका ने अपनी गर्दन घुमाई &अपने होठों को उनके होठों पर कस दिया.

"दर्द तो नही हो रहा?",उन्होने उसके होठों को छ्चोड़ते हुए & उसकी चुचियाँ दबाते हुए पूछा.अब उनका 1 हाथ उसकी चूत पे था & उसके दाने कोसेहला रहा था.

"उन्न.उन्ह.",मेनका ने इनकार किया.राजा साहब अब फिर से उठ गये & दोनो डॉगी पोज़िशन मे आ गये.अब मेनका ने अपना सारा वजन अपने हाथों & घुटनो पे लिया हुआ था & पीछे से अपने ससुर से गंद मरवा रही थी.थोड़ी देर तक राजा साहब उसकी कमर थामे घुटनो पे खड़े बस उसकी गंद मारते रहे.

फिर वो झुक गये & अपना सीना उसकी पीठ से सटा दिया,अपना मुँह उसकी गर्दन मे च्छूपा लिया & 1 हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूचियो दबाने लगे.मेनका को अपनी पीठ पे राजा साहब के सीने के बाल गुदगुदी करते महसूस हुए.उसकी चूत तो बस पानी छ्चोड़े जा रही थी & गंद मे तो वो मज़ेदार एहसास हो रहा था की पुछो मत.

राजा सहब ने अपना हाथ उसकी चूचियो से हटा उसकी चूत पे लगा दिया & लगे उसकी चूत मे उंगली करने & उसके दाने को रगड़ने.मेनका ने मुँह पीछे किया & अपने ससुर को पागलों की तरह चूमने लगी.राजा साहब ने भी लंड के धक्के & उंगलियो की रगड़ तेज़ कर दी.मेनका की गंद ने भी अब तेज़ी से उनके लंड को कसना शुरू कर दिया था & उसकी चूत बस पानी छ्चोड़न ही वाली थी.

राज साहब ने अपनी जीभ से उसकी जीभ के साथ खेलना शुरू कर दिया कि तभी मेनका का जिस्म आकड़ गया & उसकी कमर हिलने लगी & उसकी चूत ने उनकी उंगली & गंद ने लंड को बिल्कुल कस के जाकड़ लिया.वो झाड़ गयी थी &गंद ने जैसी ही लंड को दबोचा,उनके लंड ने भी पानी छ्चोड़ दिया.मेनका की गंद ने अपने आप सिकुड कर उनके लंड का सारा पानी निचोड़ लिया.

दोनो निढाल होकर बिस्तर पे गिर गये.जब लंड सिकुड गया तो राजा साहब ने उसे बाहर खींचा & मेनका को सीधा कर अपनी बाहों मे भर लिया.,"तकलीफ़ नही हुई ना?",वो उसके चेहरे को चूम रहे थे.

"नही..",मेनका ने उन्हे अपने पास खींचा & उनके सीने मे मुँह च्चिपाकर वाहा हौले-2 चूमने लगी.

राजा साहब अपनी बहू के साथ वापस महल आ गये थे & अब बैठ कर टीवी पर न्यूज़ देख रहे थे.मेनका अपने कमरे मे थी.सारे नौकर जा चुके थे & उन्हे डिस्टर्ब करने वाला कोई भी नही था.

तभी मेनका वाहा आ गयी,उसने फिर वोही बॉमबे वाली काली नाइटी पहनी थी & उसके गले मे से उसका क्लीवेज चमक रहा था.,"क्या देख रहे हो,सोना नही है क्या?"

"नही.",कह कर उन्होने उसे खींच कर अपने पास बिठा लिया.

"फिर वही बात.अभी तक मन नही भरा?",उसने उनके शरारती हाथों को अपने सीने से हटाते हुए बोला.

"नही & कभी भरेगा भी नही.",वो उसे चूमने लगे & रिमोट उठा कर टीवी बंद कर दिया.

फिर उसे गोद मे उठा लिया & चढ़ने लगे सीढ़ियाँ.थोड़ी देर बाद दोनो उनके बिस्तर मे लेते 1 दूसरे को चूम रहे थे.राजा साहब उसके उपर चढ़े हुए थे & उनके हाथ उसकी नाइटी मे घुस कर उसकी ब्रा मे कसी चुचियाँ दबा रहे थे.मेनका उनके कुर्ते मे हाथ डाल उनकी पीठ सहला रही थी.

राजा साहब बेसबरे हो गये & उठ कर नंगे हो गये & अपनी बहू को भी नंगा कर दिया.मेनक अब केवल काले रंग की ब्रा & पॅंटी मे थी.राजा साहब उस पर सवार हो उसे पागलों की तरह चूमने लगे.मेनका उनकी मर्दानगी का लोहा मान गयी पिच्छले 2 दीनो से इस आदमी ने सिवाय उसे चोदने के और कोई काम नही किया था फिर भी इतने जोश मे था.

उसने उनकी गांद को दबाना & अपने नाकुनो से हल्के-2 नोचना शुरू कर दिया.राजा साहब पॅंटी के उपर से ही उसकी चूत पर धक्के लगा रहे थे & मेनका गीली होती जा रही थी.उसने हाथ गंद से हटा उनका लंड पकड़ लिया & हिलाने लगी.राजा साहब ने करवट ली & उसे सीने से चिपका लिया &चूमते हुए हाथ पीछे ले जाके उसकी ब्रा खोल दी.

थोड़ी देर तक उसकी पीठ सहलाते हुए उसके मुँह मे अपनी जीभ घुसा उसकी जीभ से खेलते रहे & फिर अपना हाथ पीछे से उसकी पॅंटी के अंदर उसकी गंद पे सरका दिया & उसकी फांकों को मसल्ने लगे.मेनका मस्त हो गयी & जब राजा साहब उसकी पॅंटी सरका कर घुटनो तक ले आए तो उसने खुद ही उसे अपने जिस्म से अलग कर दिया.

राजा साहब ने उसकी गांद मसल्ते हुए उसकी दरार को सहलाना शुरू कर दिया.ऐसा पहले उन्होने कभी नही किया था &मेनका के लिए ये बिल्कुल नया एहसास था.तभी उन्होने अपनी 1 उंगली उसकी गंद की छेद मे डाल दी.

"ओउ..च!",मेनक चिहुनक कर उनसे अलग होने लगी पर राजा साहब ने अपनी पकड़ मजबूत कर उसकी गंद मे उंगली जस की तस रहने दी.

"क्या कर रहे हो...वाहा नही?"

"प्लीज़...",

"नही...तुम पागल हो...दर्द होगा..",मेनका शर्मा गयी.

"नही होगा...प्रॉमिस..होगा तो निकाल लूँगा...प्लीज़..जान,प्लीज़!",राजा साहब बच्चों की तरह ज़िद करने लगे.

"ओके..पर दर्द हुआ तो मैं फिर कभी कैसे भी प्यार नही करने दूँगी."

"अरे मेरी जान दर्द होगा तब तो.",राजा साहब ने उसके होठों को अपने होठ से बंद कर दिया &अपनी उंगली से उसकी गंद मारने लगे.थोड़ी देर मे 2 फिर 3 उंगलिया उसकी गंद मे अंदर-बाहर हो रही थी.मेनका को मज़ा आ रहा था.उसने सिर्फ़ सुना था पर आज पहली बार वो गंद मरवाने वाली थी.

राजा साहब उस से अलग होकर अपने क्लॉज़ेट मे गये & वाहा से 1 क्रीम ले कर आए.उन्होने अपनी बहू को उल्टा कर दिया & झुक कर उसकी मोटी गंद को चूमने& चूसने लगे.जम के चूसने के बाद उन्होने अपनी जीभ उसकी गंद के छेद मे डाल दी.मेनका फिर चिहुनकि,"..ऊऊ...ऊ.."

पर राजा साहब उसे मज़बूती से थामे अपनी जीभ से उसके छेद को चाट ते रहे.थोदिदेर के बाद उसकी गांद सहलाते हुए उन्होने कहा,"जान...बिल्कुल मत घबराना.हम पर भरोसा रखो.ज़रा भी दर्द होगा तो हम रुक जाएँगे.तुम बस रिलॅक्स होकर अपने बदन & इसको ढीला छ्चोड़ दो.",उन्होने उसकी गंद मे फिर उंगली कर दी.

काफ़ी दे तक उसकी गंद को उंगली से मारते हुए वो उसको चूमते & सहलाते रहे.जब उन्होने देखा कि मेनका अब रिलॅक्स हो रही है तो उन्होने उसे उठा कर घुटनो पे कर दिया.मेनका ने भी अपनी गंद हवा मे उठा दी & मुँह तकिये मे छुपा लिया.राजा साहब अपनी उंगलियो मे क्रीम लगा कर उसके छेद मे लगा रहे थे.कुच्छ क्रीम उन्होने अपने लंड पे भी लगाई & फिर उसकी गंद के पीछे पोज़िशन ले ली.

अपने हाथ से पकड़ कर उन्होने बहुत धीरे-2 से अपना लंड उसकी गंद मे घुसाना शुरू किया.लंड का सूपड़ा बहुत मोटा था,"...ऊओ...ऊहह..",मेनका की आह निकल गयी.

"बस मेरी जान..शुरू मे थोड़ी तकलीफ़ हो गी.."राजा साहब उसकी पीठ सहलाते हुए अपने सूपदे को अंदर धकेलने लगे.थोड़ी ही देर मे सूपड़ा अंदर था & उन्होने बस सूपदे को ही आंड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया.मेनका कदर्द ख़तम हो गया & उसे अब मज़ा आने लगा.उसने सोचा भी नही था कि गंद मेलंड इतना मज़ा देता है.जब लंड अंदर जाता था तो उसकी गंद अपनेआप सिकुड कर लंड को कस लेती थी & उसके बदन मे मज़े की लहरें दौड़ जाती थी.गंद की इस हरकत से राजा साहब भी पागल हो रहे थे.

हल्के-2 धक्कों से उन्होने अब अपने पूरे लंड को गंद मे घुसाना शुरू किया.मेनका को हल्का दर्द हो रहा था पर उस से कही ज़्यादा मज़ा आ रहा था.गंद मरवाने से होनेवाले दर्द का डर भी ख़तम हो गया था & वो अब पूरा लुत्फ़ उठा रही थी.

थोड़ी ही देर मे लंड जड़ तक उसकी गंद मे था.जब राजा साहब ने धक्का मारा तो वो उठ कर पीछ्हे बैठ गयी तो राजा साहब भी बैठ गये.

अब राजा साहब अपने घुटनो पे बैठे थे & उनकी गांद उनकी आएडियो पे थी & मेनका भी वैसे ही उनके उपर बैठी थी & उसकी गंद उनके लंड से भरी थी.राजा साहब ने हाथ आगे ले जाकर उसकी चूचियो को मसल्ने लगे.उसके निपल्स पहले ही कड़े हो गये थे.राजा साहब उसकी गर्दन को चूम रहे थे की मेनका ने अपनी गर्दन घुमाई &अपने होठों को उनके होठों पर कस दिया.

"दर्द तो नही हो रहा?",उन्होने उसके होठों को छ्चोड़ते हुए & उसकी चुचियाँ दबाते हुए पूछा.अब उनका 1 हाथ उसकी चूत पे था & उसके दाने कोसेहला रहा था.

"उन्न.उन्ह.",मेनका ने इनकार किया.राजा साहब अब फिर से उठ गये & दोनो डॉगी पोज़िशन मे आ गये.अब मेनका ने अपना सारा वजन अपने हाथों & घुटनो पे लिया हुआ था & पीछे से अपने ससुर से गंद मरवा रही थी.थोड़ी देर तक राजा साहब उसकी कमर थामे घुटनो पे खड़े बस उसकी गंद मारते रहे.

फिर वो झुक गये & अपना सीना उसकी पीठ से सटा दिया,अपना मुँह उसकी गर्दन मे च्छूपा लिया & 1 हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूचियो दबाने लगे.मेनका को अपनी पीठ पे राजा साहब के सीने के बाल गुदगुदी करते महसूस हुए.उसकी चूत तो बस पानी छ्चोड़े जा रही थी & गंद मे तो वो मज़ेदार एहसास हो रहा था की पुछो मत.

राजा सहब ने अपना हाथ उसकी चूचियो से हटा उसकी चूत पे लगा दिया & लगे उसकी चूत मे उंगली करने & उसके दाने को रगड़ने.मेनका ने मुँह पीछे किया & अपने ससुर को पागलों की तरह चूमने लगी.राजा साहब ने भी लंड के धक्के & उंगलियो की रगड़ तेज़ कर दी.मेनका की गंद ने भी अब तेज़ी से उनके लंड को कसना शुरू कर दिया था & उसकी चूत बस पानी छ्चोड़न ही वाली थी.

राज साहब ने अपनी जीभ से उसकी जीभ के साथ खेलना शुरू कर दिया कि तभी मेनका का जिस्म आकड़ गया & उसकी कमर हिलने लगी & उसकी चूत ने उनकी उंगली & गंद ने लंड को बिल्कुल कस के जाकड़ लिया.वो झाड़ गयी थी &गंद ने जैसी ही लंड को दबोचा,उनके लंड ने भी पानी छ्चोड़ दिया.मेनका की गंद ने अपने आप सिकुड कर उनके लंड का सारा पानी निचोड़ लिया.

दोनो निढाल होकर बिस्तर पे गिर गये.जब लंड सिकुड गया तो राजा साहब ने उसे बाहर खींचा & मेनका को सीधा कर अपनी बाहों मे भर लिया.,"तकलीफ़ नही हुई ना?",वो उसके चेहरे को चूम रहे थे.

"नही..",मेनका ने उन्हे अपने पास खींचा & उनके सीने मे मुँह च्चिपाकर वाहा हौले-2 चूमने लगी.

राजा साहब अपनी बहू के साथ वापस महल आ गये थे & अब बैठ कर टीवी पर न्यूज़ देख रहे थे.मेनका अपने कमरे मे थी.सारे नौकर जा चुके थे & उन्हे डिस्टर्ब करने वाला कोई भी नही था.

तभी मेनका वाहा आ गयी,उसने फिर वोही बॉमबे वाली काली नाइटी पहनी थी & उसके गले मे से उसका क्लीवेज चमक रहा था.,"क्या देख रहे हो,सोना नही है क्या?"

"नही.",कह कर उन्होने उसे खींच कर अपने पास बिठा लिया.

"फिर वही बात.अभी तक मन नही भरा?",उसने उनके शरारती हाथों को अपने सीने से हटाते हुए बोला.

"नही & कभी भरेगा भी नही.",वो उसे चूमने लगे & रिमोट उठा कर टीवी बंद कर दिया.

फिर उसे गोद मे उठा लिया & चढ़ने लगे सीढ़ियाँ.थोड़ी देर बाद दोनो उनके बिस्तर मे लेते 1 दूसरे को चूम रहे थे.राजा साहब उसके उपर चढ़े हुए थे & उनके हाथ उसकी नाइटी मे घुस कर उसकी ब्रा मे कसी चुचियाँ दबा रहे थे.मेनका उनके कुर्ते मे हाथ डाल उनकी पीठ सहला रही थी.

राजा साहब बेसबरे हो गये & उठ कर नंगे हो गये & अपनी बहू को भी नंगा कर दिया.मेनक अब केवल काले रंग की ब्रा & पॅंटी मे थी.राजा साहब उस पर सवार हो उसे पागलों की तरह चूमने लगे.मेनका उनकी मर्दानगी का लोहा मान गयी पिच्छले 2 दीनो से इस आदमी ने सिवाय उसे चोदने के और कोई काम नही किया था फिर भी इतने जोश मे था.

उसने उनकी गांद को दबाना & अपने नाकुनो से हल्के-2 नोचना शुरू कर दिया.राजा साहब पॅंटी के उपर से ही उसकी चूत पर धक्के लगा रहे थे & मेनका गीली होती जा रही थी.उसने हाथ गंद से हटा उनका लंड पकड़ लिया & हिलाने लगी.राजा साहब ने करवट ली & उसे सीने से चिपका लिया &चूमते हुए हाथ पीछे ले जाके उसकी ब्रा खोल दी.

थोड़ी देर तक उसकी पीठ सहलाते हुए उसके मुँह मे अपनी जीभ घुसा उसकी जीभ से खेलते रहे & फिर अपना हाथ पीछे से उसकी पॅंटी के अंदर उसकी गंद पे सरका दिया & उसकी फांकों को मसल्ने लगे.मेनका मस्त हो गयी & जब राजा साहब उसकी पॅंटी सरका कर घुटनो तक ले आए तो उसने खुद ही उसे अपने जिस्म से अलग कर दिया.

राजा साहब ने उसकी गांद मसल्ते हुए उसकी दरार को सहलाना शुरू कर दिया.ऐसा पहले उन्होने कभी नही किया था &मेनका के लिए ये बिल्कुल नया एहसास था.तभी उन्होने अपनी 1 उंगली उसकी गंद की छेद मे डाल दी.

"ओउ..च!",मेनक चिहुनक कर उनसे अलग होने लगी पर राजा साहब ने अपनी पकड़ मजबूत कर उसकी गंद मे उंगली जस की तस रहने दी.

"क्या कर रहे हो...वाहा नही?"

"प्लीज़...",

"नही...तुम पागल हो...दर्द होगा..",मेनका शर्मा गयी.

"नही होगा...प्रॉमिस..होगा तो निकाल लूँगा...प्लीज़..जान,प्लीज़!",राजा साहब बच्चों की तरह ज़िद करने लगे.

"ओके..पर दर्द हुआ तो मैं फिर कभी कैसे भी प्यार नही करने दूँगी."

"अरे मेरी जान दर्द होगा तब तो.",राजा साहब ने उसके होठों को अपने होठ से बंद कर दिया &अपनी उंगली से उसकी गंद मारने लगे.थोड़ी देर मे 2 फिर 3 उंगलिया उसकी गंद मे अंदर-बाहर हो रही थी.मेनका को मज़ा आ रहा था.उसने सिर्फ़ सुना था पर आज पहली बार वो गंद मरवाने वाली थी.

राजा साहब उस से अलग होकर अपने क्लॉज़ेट मे गये & वाहा से 1 क्रीम ले कर आए.उन्होने अपनी बहू को उल्टा कर दिया & झुक कर उसकी मोटी गंद को चूमने& चूसने लगे.जम के चूसने के बाद उन्होने अपनी जीभ उसकी गंद के छेद मे डाल दी.मेनका फिर चिहुनकि,"..ऊऊ...ऊ.."

पर राजा साहब उसे मज़बूती से थामे अपनी जीभ से उसके छेद को चाट ते रहे.थोदिदेर के बाद उसकी गांद सहलाते हुए उन्होने कहा,"जान...बिल्कुल मत घबराना.हम पर भरोसा रखो.ज़रा भी दर्द होगा तो हम रुक जाएँगे.तुम बस रिलॅक्स होकर अपने बदन & इसको ढीला छ्चोड़ दो.",उन्होने उसकी गंद मे फिर उंगली कर दी.

काफ़ी दे तक उसकी गंद को उंगली से मारते हुए वो उसको चूमते & सहलाते रहे.जब उन्होने देखा कि मेनका अब रिलॅक्स हो रही है तो उन्होने उसे उठा कर घुटनो पे कर दिया.मेनका ने भी अपनी गंद हवा मे उठा दी & मुँह तकिये मे छुपा लिया.राजा साहब अपनी उंगलियो मे क्रीम लगा कर उसके छेद मे लगा रहे थे.कुच्छ क्रीम उन्होने अपने लंड पे भी लगाई & फिर उसकी गंद के पीछे पोज़िशन ले ली.


 

bstyhw

New Member
16
17
3
अपने हाथ से पकड़ कर उन्होने बहुत धीरे-2 से अपना लंड उसकी गंद मे घुसाना शुरू किया.लंड का सूपड़ा बहुत मोटा था,"...ऊओ...ऊहह..",मेनका की आह निकल गयी.

"बस मेरी जान..शुरू मे थोड़ी तकलीफ़ हो गी.."राजा साहब उसकी पीठ सहलाते हुए अपने सूपदे को अंदर धकेलने लगे.थोड़ी ही देर मे सूपड़ा अंदर था & उन्होने बस सूपदे को ही आंड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया.मेनका कदर्द ख़तम हो गया & उसे अब मज़ा आने लगा.उसने सोचा भी नही था कि गंद मेलंड इतना मज़ा देता है.जब लंड अंदर जाता था तो उसकी गंद अपनेआप सिकुड कर लंड को कस लेती थी & उसके बदन मे मज़े की लहरें दौड़ जाती थी.गंद की इस हरकत से राजा साहब भी पागल हो रहे थे.

हल्के-2 धक्कों से उन्होने अब अपने पूरे लंड को गंद मे घुसाना शुरू किया.मेनका को हल्का दर्द हो रहा था पर उस से कही ज़्यादा मज़ा आ रहा था.गंद मरवाने से होनेवाले दर्द का डर भी ख़तम हो गया था & वो अब पूरा लुत्फ़ उठा रही थी.

थोड़ी ही देर मे लंड जड़ तक उसकी गंद मे था.जब राजा साहब ने धक्का मारा तो वो उठ कर पीछ्हे बैठ गयी तो राजा साहब भी बैठ गये.

अब राजा साहब अपने घुटनो पे बैठे थे & उनकी गांद उनकी आएडियो पे थी & मेनका भी वैसे ही उनके उपर बैठी थी & उसकी गंद उनके लंड से भरी थी.राजा साहब ने हाथ आगे ले जाकर उसकी चूचियो को मसल्ने लगे.उसके निपल्स पहले ही कड़े हो गये थे.राजा साहब उसकी गर्दन को चूम रहे थे की मेनका ने अपनी गर्दन घुमाई &अपने होठों को उनके होठों पर कस दिया.

"दर्द तो नही हो रहा?",उन्होने उसके होठों को छ्चोड़ते हुए & उसकी चुचियाँ दबाते हुए पूछा.अब उनका 1 हाथ उसकी चूत पे था & उसके दाने कोसेहला रहा था.

"उन्न.उन्ह.",मेनका ने इनकार किया.राजा साहब अब फिर से उठ गये & दोनो डॉगी पोज़िशन मे आ गये.अब मेनका ने अपना सारा वजन अपने हाथों & घुटनो पे लिया हुआ था & पीछे से अपने ससुर से गंद मरवा रही थी.थोड़ी देर तक राजा साहब उसकी कमर थामे घुटनो पे खड़े बस उसकी गंद मारते रहे.

फिर वो झुक गये & अपना सीना उसकी पीठ से सटा दिया,अपना मुँह उसकी गर्दन मे च्छूपा लिया & 1 हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूचियो दबाने लगे.मेनका को अपनी पीठ पे राजा साहब के सीने के बाल गुदगुदी करते महसूस हुए.उसकी चूत तो बस पानी छ्चोड़े जा रही थी & गंद मे तो वो मज़ेदार एहसास हो रहा था की पुछो मत.

राजा सहब ने अपना हाथ उसकी चूचियो से हटा उसकी चूत पे लगा दिया & लगे उसकी चूत मे उंगली करने & उसके दाने को रगड़ने.मेनका ने मुँह पीछे किया & अपने ससुर को पागलों की तरह चूमने लगी.राजा साहब ने भी लंड के धक्के & उंगलियो की रगड़ तेज़ कर दी.मेनका की गंद ने भी अब तेज़ी से उनके लंड को कसना शुरू कर दिया था & उसकी चूत बस पानी छ्चोड़न ही वाली थी.

राज साहब ने अपनी जीभ से उसकी जीभ के साथ खेलना शुरू कर दिया कि तभी मेनका का जिस्म आकड़ गया & उसकी कमर हिलने लगी & उसकी चूत ने उनकी उंगली & गंद ने लंड को बिल्कुल कस के जाकड़ लिया.वो झाड़ गयी थी &गंद ने जैसी ही लंड को दबोचा,उनके लंड ने भी पानी छ्चोड़ दिया.मेनका की गंद ने अपने आप सिकुड कर उनके लंड का सारा पानी निचोड़ लिया.

दोनो निढाल होकर बिस्तर पे गिर गये.जब लंड सिकुड गया तो राजा साहब ने उसे बाहर खींचा & मेनका को सीधा कर अपनी बाहों मे भर लिया.,"तकलीफ़ नही हुई ना?",वो उसके चेहरे को चूम रहे थे.

"नही..",मेनका ने उन्हे अपने पास खींचा & उनके सीने मे मुँह च्चिपाकर वाहा हौले-2 चूमने लगी.


मेनका का आँचल सरक कर नीचे हो गया था & सफेद ब्लाउस के गले मे से झँकता उसका क्लीवेज भारी सांसो के साथ उपर-नीचे हो रहा था.राजा साहब ने अपने होठ उसके क्लीवेज पे लगा दिए तो मेनका पागल हो उठी & उनका सर अपने सीने पे दबा दिया.

राजा साहब ने थोड़ी देर तक उसके सीने को चूमने के बाद उसके ब्लाउस के सामने की तरफ बने बटन खोल दिए.सफेद ब्रा मे क़ैद उसकी चूचिया मस्त लग रही थी & उसके कड़े निपल्स ब्रा कप्स मे नुकीले उभार बना रहे थे.राजा साहब वैसे ही ब्रा मे बंद उसकी चूचिया चूमने-चाटने लगे.उनके हाथ उसकी पीठ पर घूम रहे थे.घूमते हुए उनके हाथ उसकी ब्रा स्ट्रॅप के नीचे कुच्छ इस तरह घुसे की उसके हुक्स पटापट खुल गये.ब्रा के ढीले होते ही राजा साहब की जीभ उसकी पूरी छाती पे घूमने लगी & थोड़ी देर बाद ही उसका 1 निपल उनके मुँह के अंदर था.जैसे ही रहा साहब ने उसके निपल को चूसा महीने भर की प्यासी मेनका झाड़ गयी.

उसने उनका सर कस के पकड़ लिया & अपने हाथ उनके कुर्ते के अंदर घुसा उनकी पीठ पे अपने नाख़ून गढ़ा दिए.राजा साहब के उसकी चूचिया चूसने मे उसका ब्रा & ब्लाउस अड़चन पैदा कर रहे थे.वो बेसबरे से होकर उसके सीने से अलग हुए & उन दोनो कपड़ो को उतार कर फेंक दिया & फिर से जुट गये उसके उरज़ोन को दबाने & चूसने मे.

मेनका अभी भी उनके कुर्ते के अंदर हाथ घुसा उनकी पीठ सहला रही थी की उसका 1 हाथ फिसल कर आगे उनके सीने पे आया & वाहा के बालों मे घुस गया.अब उसकी बारी थी.उसने अपने ससुर का कुर्ता उनके जिस्म से अलग किया & उन्हे धकेल कर बिस्तर पे लिटा दिया & उनके उपर झुक कर उनके बालों भरे सीने को चूमने लगी.उसने उनके 1 निपल को अपने मुँह मे लेकर चूसना शुरू किया तो दूसरे को अपने नाख़ून से हल्के-2 छेड़ने लगी.

"आ...अहह..",राजा साहब की आह निकल गयी & उनके लंड ने पाजामे मे तंबू बना दिया.मेनका छाती चूमते नीचे आई & उनकी नाभि मे अपनी जीभ डाल कर चाटने लगी.राजा साहब के लिए ये बिल्कुल नया अनुभव था & वो जोश से पागल हुए जा रहे थे.मेनका ने डोरी खींच कर उनका पाजामा खोला तो उन्होने अपनी गंद उठा कर खुद ही उसे उतार दिया.

मेनका की आँखों के सामने उनका बड़ा लंड पूरा तना खड़ा था.कितने दीनो बाद ये प्यारा लंड उसके सामने था.इधर राजा साहब ने शेव नही किया था तो उनकी झाँते पूरी तरह से उस बड़े लंड को घेरे हुए थी.उसने उसे बड़े प्यार से अपने हाथों मे लिया & 1 उंगली के नाख़ून से धीरे-2 उनके लंड के सिरे से जड़ तक खुरचने लगी.राजा साहब की आँखे मज़े मे बंद हो गयी.मेनका ने अपना मुँह लंड के सूपदे पे रखा & केवल सूपड़ा मुँह मे भर चूसने लगी.राजा साहब नीचे से गंद हिला कर पूरा लिंड उसके मुँह मे पेलने की कोशिश करने लगे पर मेनका ने अपनी मुट्ठी मे उसे मज़बूती से जाकड़ उन्हे ऐसा नही करने दिया.राजा साहब उसकी इस हरकत से पागल हो गये & उसके सर को अपने लंड पे दबाने लगे.

मेनका थोड़ी देर तक उन्हे ऐसे ही तड़पति रही & जब उन्हे लगा की वो ऐसे ही उन्हे झाड़वा देगी तो उन्हे चौंकाते हुए उसने उनका पूरा लंड अपने मुँह मे भर लिया & चूसने लगी.राजा साहब ने नीचे से ज़ोर-2 से कमर हिलाकर उसके मुँह को चोदना शुरू कर दिया.मेनका आज जी भर कर उनके लंड को चूसना चाहती थी.उसने हाथ रख कर राजा साहब को कमर हिलाना बंद करने का इशारा किया.उसने अपना मुँह लंड से अलग कर दिया & अपने ससुर की आँखों मे देखते हुए उनके अंदो को नाख़ून से छेड़ने लगी & लंड के आस-पास के बालो को चूमते हुए उन्हे जन्नत की सैर करने लगी.

उसके होठ घूमते हुए उनके अंदो पे कस गये.राजा साहब ने अपने हाथ उसके बालों मे घुसा दिया.मेनका ने लंड को हाथ मे भर ज़ोर-2 से हिलाना शुरू कर दिया.वो अपने होठ अंदो से हटा उनके लंड पे लाई,राजा साहब को लगा की वो उनका लंड मुँह मे लेने वाली है तो उन्होने ने अपनी कमर उचकाई पर मेनका ने उनको तड़पते हुए मुँह हटा लिया.अब वो मुँह नीचे लाती & लंड के सिरे के पास ला जैसे ही राजा साहब घुसाने को होते तो मुँह वापस खींच लेती.राजा साहब तो तड़प से पागल हो गये.उन्होने उसका सर पकड़ अपने लंड पे लगा दिया & इस बार अपना लंड 1 बार फिर उसके मुँह मे पूरा घुसा दिया.

मेनका ने उनका लंड अपनी मुट्ठी मे भर लिया & हिलाते हुए लगी चूसने.राजा साहब के लिए बात अब बर्दाश्त से बाहर हो गयी थी.उन्होने उसके सर को पकड़ नीचे से ज़ोर-2 से कमर हिलाते हुए उसके मुँह मे अपना वीर्या गिरा दिया.मेनका उनका वीर्या पीने लगी जिसकी 1 बूँद उसके होंठो के कोने से निकल कर उसकी ठुड्डी पे आ गयी.पूरा लंड चाट कर सॉफ करने के बाद वो उठी & अपनी ठुड्डी पे गिर आई उस बूँद को 1 उंगली से पोंच्छा & उस उंगली को मुँह मे ले चूसने लगी.

उसकी ये कातिल हरकत देख राजा साहब ने हाथ बढ़ा कर उसे खीच कर अपने उपर ले लिया & उसे चूमने लगे & अपने वीर्या का स्वाद चखने लगे.आज मेनका उन्हे तड़पने के मूड मे थी.जैसे ही राजा साहब ने उसके बदन पे अपनी बहो की गिरफ़्त मज़बूत की वो हँसती हुई अलग हो गयी.उन्होने हाथ बढ़ाया तो वो छितक कर अलग हो बेड से उतर गयी.

राजा साहब उठे & उसकी सारी का पल्लू पकड़ कर उसे अपने पास खींच लिया.,"छ्चोड़ो ना...मुझे नींद आ रही है.",मेनका उन्हे तड़पाने के इरादे से बोली.

"झूठ मत बोलो,चलो आ जाओ.",वो उसे फिर से बिस्तर पे ले जाने लगे.

"उउन्न्न...नही...",मेनका फिर मच्लि तो राजा साहब ने 1 हाथ से उसकी कमर को जकड़ा & दूसरे से उसकी सारी खींच दी.

"ऊन्न्न्ह्ह..बदमाश कहीं के!",मेनका ने उनके सीने पे बनावटी गुस्से मे मुक्के मारे.अगले ही पल उसका पेटिकोट भी ज़मीन पे था & थोड़ी दे बाद वो केवल 1 पॅंटी मे अपने नंगे ससुर की बाहों मे उनके बिस्तर मे पड़ी उन्हे चूम रही थी.चूमते हुए राजा साहब ने उसकी पीठ पे हाथ फेरते हुए उसकी पॅंटी मे हाथ डाल उसकी गंद को दबाने लगे.

थोड़ी देर गंद दबाने के बाद उन्होने ने उसकी पॅंटी को घुटनो तक सरका दिया & फिर अपनी टांग उठा कर उसकी पॅंटी मे फँसा उसे पूरी तरह से अपनी बहू के जिस्म से अलग कर दिया.अब वो उसकी चूचियाँ चूस रहे थे & हाथ पीछे से उसकी गंद दबाने के बाद उसकी चूत मे घुस उसके दाने को रगड़ रहा था.मेनका जोश मे कमर हिलाने लगी.विश्वा की मौत के पहले उसकी गोरी चूचियाँ उसके ससुर की लव बाइट्स से भरी हुई थी,पर इधर 1 महीने मे वो वापस बेदाग हो गयी थी.राजा साहब आज इस ग़लती को सुधारने मे लगे हुए थे & उसके सीने पे अपने होठों के निशान पे निशान छ्चोड़े जा रहे थे.उनकी उंगली की रागड़ाई ने मेनका को फिर से झाड़वा दिया.

राजा साहब ने उसे लिटाया & उसकी चूचिया चूमते हुए नीचे उसके पेट पे आ गये,थोड़ी देर तक उनका मुँह उसके पेट & नाभि पे घूमता रहा & फिर वो उसकी जाँघो के बीच आ गये & उसकी टाँगे अपने कंधों पे चढ़ा ली.वो झुक कर उसकी चूत के आस-पास चूमने लगे.मेनका ने अपनी उंगलियो मे उनके बाल पकड़ लिए & बेचैनी से मचलने लगी.चूमते हुए जैसे ही राजा साहब के होंठो ने उसकी चूत को च्छुआ उसकी कम्र हिलने लगी.राजा साहब की जीभ ने उसकी चूत को चाटना चालू कर दिया & उनके हाथ उसकी चूचियो & उनके निपल्स से खेलने लगे.मेनका अपने ससुर के सर को अपनी भारी जाँघो मे दबा कर उनका मुँह अपनी चूत पे भींचने लगी.."ऊओ...ऊऊहह...या...ष्ह..!"

राज साहब ने चाट-2 कर उसकी चूत का सारा रस पी लिया.बीच-2 मे वो अपने होठ उसकी चूत से हटा उसकी आंद्रूणई जाँघो को चूमने-चूसने लगते & कही भी अपने होंठो के निशान छ्चोड़ देते.उनके हाथ उसकी बाहरी जाँघो को मज़बूती से थामे दबाते,सहलाते & फिर वापस उसकी मस्त चूचियो पे लग जाते.मेनका अपने ससुर की जीभ की चुदाई से 3 बार झड़ी.अब राजा साहब का लंड फिर से तैय्यर था.

वो उठे & घुटनो के बल अपनी बहू की जाँघो के बीच बैठ गये.उन्होने अपना लंड उसकी चूत की दरार पे 1 बार फिराया तो मेनका ने धीरे से अपनी कमर उचका उसे अपने अंदर लेने की कोशिश की.राजा साहब ने अपना लंड उसकी चूत पे ररड़ना शुरू किया.मेनका बेचैन हो गयी,वो चाह रही थी की राजा साहब अब उसे अपने नीचे दबा कर उसे जम कर चोदे पर वो तो बस लंड उसकी चूत पे रगड़ कर उसे तडपा रहे थे.

"ऊ..ऊओह..प्लीज़...या..श..करो ना..!"

"क्या मेरी जान?",राजा साहब वैसे ही लंड रगड़ रहे थे.उन्होने लंड चूत पे रख हल्का सा धक्का दिया & फिर झट से निकाल लिया तो मेनका जोश मे पागल हो गयी.

"प्लीज़ जा..आन..और मत ताड़..पाओ.अब करो ना!"

"क्या करू?बताओ तो."

"ऊ..ऊफ़..इसे घुसाओ..",अपनी बात से मेनका खुद शर्मा गयी & अपने हाथो से अपना चेहरा ढक लिया.

"इसे क्या कहते हैं,जान?",उन्होने उसके हाथ चेहरे से हटा अपने हाथों मे ले लिए.

"हूमे नही पता..",मेनका के गाल लाज के मारे लाल हो गये थे.

"तो ये अंदर भी नही जाएगा."

"उन्न..उउन्न्ह..प्लीज़."

"पहले इसका नाम बताओ."

"हुमने कहा ना हुमे नही मालूम....एयाया..आअहह..!",राजा साहब ने लंड उसके दाने पे रगड़ दिया था.

"हम बताते हैं..इसे लंड कहते हैं & इसे चूत.अब बोलो कि हम क्या कहा घुसाएँ."

मेनका का तो शर्म से बुरा हाल था.उसने अपनी आँखे बंद कर रखी थी पर वही उसका जिस्म अब ये तड़पन और बर्दाश्त नही कर सकता था.राजा साहब ने उसकी चूत पे लंड रगड़ना तेज़ कर दिया तो वो और बेचैन हो गयी & अपनी कमर उठा लंड को चूत मे घुसाने की नाकाम कोशिश करने लगी.राजा साहब ने उसके पेट पे हाथ रख उसकी कमर को वापस बिस्तर पे लिटा दिया,"..जल्दी बोलो.."

मेनका ने आँखे खोली & हाथ बढ़ा लंड को पकड़ लिया,"प्लीज़ यश..अपना...अपना..लंड हुमारी च..चूत मे घुसाओ.."

कहने की देर थी कि राजा साहब ने अपना लंड 1 ही झटके मे उसकी कसी,गीली चूत मे उतार दिया.,"..ऊऊ...ऊऊव्व्वव...!",मेनका चीख कर अपने ससुर से चिपक गयी & अपनी कमर हिलाते हुए उनके तेज़ धक्कों का जवाब देने लगी..."..हा..अन्णन्न्...या...श ऐसे...ही...करो....हूमे आप...एयाया....आआआआअहह...अपने से...अलग मा...त कर..ना...ऊऊ....ओओओएएएएएएएएए...!"

राजा साहब ने पहली बार अपनी बहू को चुदाई के दौरान ऐसे बोलते सुना था & उनका जोश तो दुगुना हो गया था.वो जम कर धक्के मार उसे चोद रहे थे,"..नही..मेरी जान.तुम सिर्फ़ हुमारी हो...तुम्हे कभी नही छ्चोड़ेंगे...जीवन भर ऐसे ही चोदेन्गे.....!"

कमरे मे अब दोनो की आँहे & मस्त बाते गूँज रही थी.दोनो 1 दूसरे के बदन मे डूबे जा रहे थे कि वो घड़ी आ गयी जब अपने उपर कोई ज़ोर नही रहता.मेनका की कमर ज़ोर से हिलने लगी & वो अपने ससुर से चिपक इनकी पीठ मे नाख़ून & कंधों मे दाँत गाड़ते हुए झाड़ गयी.वही राजा साहब के लंड ने जैसे ही उसकी चूत का पानी चखा,उसने भी 2-3 ज़ोरदार झटके मारे & अपने पानी से चूत को भर दिया.

राजा साहब ने करवट ले अपनी बहू को बहो मे भर लिया & उसके मखमली बदन को प्यार से सहलाने लगे.थोड़ी देर की खामोशी के बाद मेनका ने उनके सीने मे प्यार से मुक्के मारे,"कितनी गंदी बातें बुलवाई हमसे!"

"तुमने भी तो तडपा कर गंदी हरकत की थी.पर सच कहना मज़ा आया की नही."

जवाब मे मेनका ने शर्मा कर उनके सीने मे मुँह च्छूपा लिया.राजा साहब नेभी हंसते हुए उसे अपने आगोश मे भर लिया.

"ऊ..ऊओह..प्लीज़...या..श..करो ना..!"

"क्या मेरी जान?",राजा साहब वैसे ही लंड रगड़ रहे थे.उन्होने लंड चूत पे रख हल्का सा धक्का दिया & फिर झट से निकाल लिया तो मेनका जोश मे पागल हो गयी.

"प्लीज़ जा..आन..और मत ताड़..पाओ.अब करो ना!"

"क्या करू?बताओ तो."

"ऊ..ऊफ़..इसे घुसाओ..",अपनी बात से मेनका खुद शर्मा गयी & अपने हाथो से अपना चेहरा ढक लिया.

"इसे क्या कहते हैं,जान?",उन्होने उसके हाथ चेहरे से हटा अपने हाथों मे ले लिए.

"हूमे नही पता..",मेनका के गाल लाज के मारे लाल हो गये थे.

"तो ये अंदर भी नही जाएगा."

"उन्न..उउन्न्ह..प्लीज़."

"पहले इसका नाम बताओ."

"हुमने कहा ना हुमे नही मालूम....एयाया..आअहह..!",राजा साहब ने लंड उसके दाने पे रगड़ दिया था.

"हम बताते हैं..इसे लंड कहते हैं & इसे चूत.अब बोलो कि हम क्या कहा घुसाएँ."

मेनका का तो शर्म से बुरा हाल था.उसने अपनी आँखे बंद कर रखी थी पर वही उसका जिस्म अब ये तड़पन और बर्दाश्त नही कर सकता था.राजा साहब ने उसकी चूत पे लंड रगड़ना तेज़ कर दिया तो वो और बेचैन हो गयी & अपनी कमर उठा लंड को चूत मे घुसाने की नाकाम कोशिश करने लगी.राजा साहब ने उसके पेट पे हाथ रख उसकी कमर को वापस बिस्तर पे लिटा दिया,"..जल्दी बोलो.."

मेनका ने आँखे खोली & हाथ बढ़ा लंड को पकड़ लिया,"प्लीज़ यश..अपना...अपना..लंड हुमारी च..चूत मे घुसाओ.."

कहने की देर थी कि राजा साहब ने अपना लंड 1 ही झटके मे उसकी कसी,गीली चूत मे उतार दिया.,"..ऊऊ...ऊऊव्व्वव...!",मेनका चीख कर अपने ससुर से चिपक गयी & अपनी कमर हिलाते हुए उनके तेज़ धक्कों का जवाब देने लगी..."..हा..अन्णन्न्...या...श ऐसे...ही...करो....हूमे आप...एयाया....आआआआअहह...अपने से...अलग मा...त कर..ना...ऊऊ....ओओओएएएएएएएएए...!"

राजा साहब ने पहली बार अपनी बहू को चुदाई के दौरान ऐसे बोलते सुना था & उनका जोश तो दुगुना हो गया था.वो जम कर धक्के मार उसे चोद रहे थे,"..नही..मेरी जान.तुम सिर्फ़ हुमारी हो...तुम्हे कभी नही छ्चोड़ेंगे...जीवन भर ऐसे ही चोदेन्गे.....!"

कमरे मे अब दोनो की आँहे & मस्त बाते गूँज रही थी.दोनो 1 दूसरे के बदन मे डूबे जा रहे थे कि वो घड़ी आ गयी जब अपने उपर कोई ज़ोर नही रहता.मेनका की कमर ज़ोर से हिलने लगी & वो अपने ससुर से चिपक इनकी पीठ मे नाख़ून & कंधों मे दाँत गाड़ते हुए झाड़ गयी.वही राजा साहब के लंड ने जैसे ही उसकी चूत का पानी चखा,उसने भी 2-3 ज़ोरदार झटके मारे & अपने पानी से चूत को भर दिया.

राजा साहब ने करवट ले अपनी बहू को बहो मे भर लिया & उसके मखमली बदन को प्यार से सहलाने लगे.थोड़ी देर की खामोशी के बाद मेनका ने उनके सीने मे प्यार से मुक्के मारे,"कितनी गंदी बातें बुलवाई हमसे!"

"तुमने भी तो तडपा कर गंदी हरकत की थी.पर सच कहना मज़ा आया की नही."

जवाब मे मेनका ने शर्मा कर उनके सीने मे मुँह च्छूपा लिया.राजा साहब नेभी हंसते हुए उसे अपने आगोश मे भर लिया.


"ऊ..ऊओह..प्लीज़...या..श..करो ना..!"

"क्या मेरी जान?",राजा साहब वैसे ही लंड रगड़ रहे थे.उन्होने लंड चूत पे रख हल्का सा धक्का दिया & फिर झट से निकाल लिया तो मेनका जोश मे पागल हो गयी.

"प्लीज़ जा..आन..और मत ताड़..पाओ.अब करो ना!"

"क्या करू?बताओ तो."

"ऊ..ऊफ़..इसे घुसाओ..",अपनी बात से मेनका खुद शर्मा गयी & अपने हाथो से अपना चेहरा ढक लिया.

"इसे क्या कहते हैं,जान?",उन्होने उसके हाथ चेहरे से हटा अपने हाथों मे ले लिए.

"हूमे नही पता..",मेनका के गाल लाज के मारे लाल हो गये थे.

"तो ये अंदर भी नही जाएगा."

"उन्न..उउन्न्ह..प्लीज़."

"पहले इसका नाम बताओ."

"हुमने कहा ना हुमे नही मालूम....एयाया..आअहह..!",राजा साहब ने लंड उसके दाने पे रगड़ दिया था.

"हम बताते हैं..इसे लंड कहते हैं & इसे चूत.अब बोलो कि हम क्या कहा घुसाएँ."

मेनका का तो शर्म से बुरा हाल था.उसने अपनी आँखे बंद कर रखी थी पर वही उसका जिस्म अब ये तड़पन और बर्दाश्त नही कर सकता था.राजा साहब ने उसकी चूत पे लंड रगड़ना तेज़ कर दिया तो वो और बेचैन हो गयी & अपनी कमर उठा लंड को चूत मे घुसाने की नाकाम कोशिश करने लगी.राजा साहब ने उसके पेट पे हाथ रख उसकी कमर को वापस बिस्तर पे लिटा दिया,"..जल्दी बोलो.."

मेनका ने आँखे खोली & हाथ बढ़ा लंड को पकड़ लिया,"प्लीज़ यश..अपना...अपना..लंड हुमारी च..चूत मे घुसाओ.."

कहने की देर थी कि राजा साहब ने अपना लंड 1 ही झटके मे उसकी कसी,गीली चूत मे उतार दिया.,"..ऊऊ...ऊऊव्व्वव...!",मेनका चीख कर अपने ससुर से चिपक गयी & अपनी कमर हिलाते हुए उनके तेज़ धक्कों का जवाब देने लगी..."..हा..अन्णन्न्...या...श ऐसे...ही...करो....हूमे आप...एयाया....आआआआअहह...अपने से...अलग मा...त कर..ना...ऊऊ....ओओओएएएएएएएएए...!"

राजा साहब ने पहली बार अपनी बहू को चुदाई के दौरान ऐसे बोलते सुना था & उनका जोश तो दुगुना हो गया था.वो जम कर धक्के मार उसे चोद रहे थे,"..नही..मेरी जान.तुम सिर्फ़ हुमारी हो...तुम्हे कभी नही छ्चोड़ेंगे...जीवन भर ऐसे ही चोदेन्गे.....!"

कमरे मे अब दोनो की आँहे & मस्त बाते गूँज रही थी.दोनो 1 दूसरे के बदन मे डूबे जा रहे थे कि वो घड़ी आ गयी जब अपने उपर कोई ज़ोर नही रहता.मेनका की कमर ज़ोर से हिलने लगी & वो अपने ससुर से चिपक इनकी पीठ मे नाख़ून & कंधों मे दाँत गाड़ते हुए झाड़ गयी.वही राजा साहब के लंड ने जैसे ही उसकी चूत का पानी चखा,उसने भी 2-3 ज़ोरदार झटके मारे & अपने पानी से चूत को भर दिया.

राजा साहब ने करवट ले अपनी बहू को बहो मे भर लिया & उसके मखमली बदन को प्यार से सहलाने लगे.थोड़ी देर की खामोशी के बाद मेनका ने उनके सीने मे प्यार से मुक्के मारे,"कितनी गंदी बातें बुलवाई हमसे!"

"तुमने भी तो तडपा कर गंदी हरकत की थी.पर सच कहना मज़ा आया की नही."

जवाब मे मेनका ने शर्मा कर उनके सीने मे मुँह च्छूपा लिया.राजा साहब नेभी हंसते हुए उसे अपने आगोश मे भर लिया.

"ऊ..ऊओह..प्लीज़...या..श..करो ना..!"

"क्या मेरी जान?",राजा साहब वैसे ही लंड रगड़ रहे थे.उन्होने लंड चूत पे रख हल्का सा धक्का दिया & फिर झट से निकाल लिया तो मेनका जोश मे पागल हो गयी.

"प्लीज़ जा..आन..और मत ताड़..पाओ.अब करो ना!"

"क्या करू?बताओ तो."

"ऊ..ऊफ़..इसे घुसाओ..",अपनी बात से मेनका खुद शर्मा गयी & अपने हाथो से अपना चेहरा ढक लिया.

"इसे क्या कहते हैं,जान?",उन्होने उसके हाथ चेहरे से हटा अपने हाथों मे ले लिए.

"हूमे नही पता..",मेनका के गाल लाज के मारे लाल हो गये थे.

"तो ये अंदर भी नही जाएगा."

"उन्न..उउन्न्ह..प्लीज़."

"पहले इसका नाम बताओ."

"हुमने कहा ना हुमे नही मालूम....एयाया..आअहह..!",राजा साहब ने लंड उसके दाने पे रगड़ दिया था.

"हम बताते हैं..इसे लंड कहते हैं & इसे चूत.अब बोलो कि हम क्या कहा घुसाएँ."

मेनका का तो शर्म से बुरा हाल था.उसने अपनी आँखे बंद कर रखी थी पर वही उसका जिस्म अब ये तड़पन और बर्दाश्त नही कर सकता था.राजा साहब ने उसकी चूत पे लंड रगड़ना तेज़ कर दिया तो वो और बेचैन हो गयी & अपनी कमर उठा लंड को चूत मे घुसाने की नाकाम कोशिश करने लगी.राजा साहब ने उसके पेट पे हाथ रख उसकी कमर को वापस बिस्तर पे लिटा दिया,"..जल्दी बोलो.."

मेनका ने आँखे खोली & हाथ बढ़ा लंड को पकड़ लिया,"प्लीज़ यश..अपना...अपना..लंड हुमारी च..चूत मे घुसाओ.."

कहने की देर थी कि राजा साहब ने अपना लंड 1 ही झटके मे उसकी कसी,गीली चूत मे उतार दिया.,"..ऊऊ...ऊऊव्व्वव...!",मेनका चीख कर अपने ससुर से चिपक गयी & अपनी कमर हिलाते हुए उनके तेज़ धक्कों का जवाब देने लगी..."..हा..अन्णन्न्...या...श ऐसे...ही...करो....हूमे आप...एयाया....आआआआअहह...अपने से...अलग मा...त कर..ना...ऊऊ....ओओओएएएएएएएएए...!"

राजा साहब ने पहली बार अपनी बहू को चुदाई के दौरान ऐसे बोलते सुना था & उनका जोश तो दुगुना हो गया था.वो जम कर धक्के मार उसे चोद रहे थे,"..नही..मेरी जान.तुम सिर्फ़ हुमारी हो...तुम्हे कभी नही छ्चोड़ेंगे...जीवन भर ऐसे ही चोदेन्गे.....!"

कमरे मे अब दोनो की आँहे & मस्त बाते गूँज रही थी.दोनो 1 दूसरे के बदन मे डूबे जा रहे थे कि वो घड़ी आ गयी जब अपने उपर कोई ज़ोर नही रहता.मेनका की कमर ज़ोर से हिलने लगी & वो अपने ससुर से चिपक इनकी पीठ मे नाख़ून & कंधों मे दाँत गाड़ते हुए झाड़ गयी.वही राजा साहब के लंड ने जैसे ही उसकी चूत का पानी चखा,उसने भी 2-3 ज़ोरदार झटके मारे & अपने पानी से चूत को भर दिया.

राजा साहब ने करवट ले अपनी बहू को बहो मे भर लिया & उसके मखमली बदन को प्यार से सहलाने लगे.थोड़ी देर की खामोशी के बाद मेनका ने उनके सीने मे प्यार से मुक्के मारे,"कितनी गंदी बातें बुलवाई हमसे!"

"तुमने भी तो तडपा कर गंदी हरकत की थी.पर सच कहना मज़ा आया की नही."

जवाब मे मेनका ने शर्मा कर उनके सीने मे मुँह च्छूपा लिया.राजा साहब नेभी हंसते हुए उसे अपने आगोश मे भर लिया.

राजा साहब झुके & उसकी छातिया चूसने लगे,उनका 1 हाथ अभी भी उसकी चूत पे लगा हुआ था.मेनका ने दीवार से टिकाते हुए अपना बदन कमान की तरह मोड़ अपनी छातिया अपने ससुर की तरफ & उभार दी & उनके सर को पकड़ उनपे दबा दिया.उसकी कमर भी हिलने लगी & वो उनके हाथ को चोदने लगी.

तभी उसकी मा ने करवट ली तो मेनका & राजा साहब जहा थे वही रुक गये.मेनका का कलेजा तो उसके मुँह को आ गया & सारा नशा हवा हो गया.दोनो सांस रोके उसकी मा को देख रहे थे.उन्होने फिर करवट ली & इस बार उनकी पीठ उन दोनो की तरफ थी.राजा साहब ने फिर से धीरे-2 अपनी बहू की चूत कुरेदना शुरू कर दिया.मेनका तो शेल्फ से उतर कर वापस सोने की सोच रही थी पर उसके ससुर की इस हरकत ने उसकी चूत की प्यास को फिर से जगा दिया.1 बार फिर राजा साहब उसकी छत पे झुक उसके निपल्स चूसने लगे.

मेनका फिर से गरम हो गयी तो उसने उनके पाजामे मे हाथ डाला तो पाया की राजा साहब ने अपनी झांते साफ कर ली थी.उसे उनपे बहुत प्यार आया & वो लंड को मुट्ठी मे भर हिलाने लगी.राजा साहब के लिए ये इशारा काफ़ी था,उन्होने अपना पाजामा उतार दिया & शेल्फ पे बैठी मेनका की जांघे खोल उनके बीच आए & अपना लंड उसकी चूत मे पेल दिया.मेनका ने अपनी आ उनके कंधे मे दाँत गाड़ा के ज़ब्त की & अपनी टांगे & बाँहे उनके बदन से लिपटा कर अपनी कमर हिला कर उनके साथ चुदाई करने लगी.राजा साहब उसके उरज़ो को दबाते हुए उसके निपल्स अपनी उंगलियो के बीच ले मसल्ते हुए उसे चूमने लगे.

उनका हर धक्का उनके लेंड़ को मेनका की कोख पे मार रहा था & वो बस झाडे चले जा रही थी.राजा साहब का जोश भी अब बहुत बढ़ गया था,वो अब बहुत ज़ोर के धक्के मार रहे थे.चोद्ते-2 उन्होने अपने हाथ नीचे ले जा उसकी गंद को थामा & उसे शेल्फ से उठा लिया.अब मेनका शेल्फ से कुच्छ इंच उपर हवा मे अपने ससुर से चिपकी उनसे चुद रही थी.राजा साहब का लंड उसकी चूत के दाने को रगड़ता हुआ सीधा उसकी कोख पे ऐसे वार कर रहा थी की थोड़ी ही देर मे मेनका झाड़ गयी & अपने ससुर की गर्दन मे मुँह च्छूपा सुबकने लगी.राजा साहब ने उसे उठाए हुए ही अपनी कमर हिला उसकी चूत को अपने विर्य से भर दिया.

उन्होने उसे वापस शेल्फ पे बिताया & उसके बालों को सहलाते हुए उसके सर को हौले- चूमने लगे.जब मेनका थोडा सायंत हुई तो उसने भी उनके सीने पे हल्के से चूम लिया.राजा साहब ने 1 नज़र उसकी सोई हुई मा पे डाली & फिर उसे बाहों मे भर कर उसके होंठो को चूम लिया.धीरे से अपना सिकुदा लंड उसकी चूत मे से निकाला & फिर उसकी नाइटी उसे वापस पहना दी,फिर अपना पाजामा बाँध लिया & उसे गोद मे उठा कर उसे उसकी मा की बगल मे लिटा दिया.

जैसे ही वो जाने लगे मेनका ने उनके गले मे बाहें डाला अपने उपर खींच कर चूमा & फिर कान मे फुसफुसा,"आइ लव यू."

"आइ लव यू टू.",राजा साहब ने उसके होठों को चूमा & कमरे से बाहर चले गये.

मलिका कमरे मे लेटी अपनी चूत मे उंगली कर रही थी,जब्बार 2 दीनो से बाहर गया हुआ था & वो 2 दीनो से चूड़ी नही थी.तभी उसका फोन बजा,"हेलो."

"हा,मैं देल्ही मे हू.कल सवेरे 10 बजे तक वापस आऊंगा.",ये जब्बार था.

थोड़ी देर तक बात करने के बाद मलिका ने फोन किनारे रखा & फिर से चूत रगड़ने लगी.वो लंड के लिए पागल हो रही थी.तभी उसे कल्लन का ख़याल आया तो उसने फोन उठा कर उसका नंबर. डाइयल किया.

"हेलो.",कल्लन ने फोन उठाया.

"क्या कर रहा है,ज़ालिम?"

"बस यहा से जाने की तैय्यरी मे हू.",जब्बार ने कल ही कल्लन के अकाउंट मे उसके हिस्से के बाकी पैसे जमा कराए थे.कल्लन का काम हो गया था & अब वो किसी और चक्कर मे 2-3 महीनो के लिए बाहर जा रहा था.

"मुझे यहा तड़प्ता छ्चोड़ कहा जा रहा है?जब्बार देल्ही मे है.यहा आ के मेरी आग बुझा दे ना."

"मैं वाहा आने का चान्स नही ले सकता.अगर किसी ने देख लिया तो सारा भंडा फूटने मे देर नही लगेगी....वैसे तू चाहती है तो तू यहा आ जा.मैं कल चला जाऊँगा.",कल्लन भी मलिका को चोदने का लालच हो आया था.

"अच्छा ठीक है.मैं ही आती हू.वो कमीना तो कल सुबह आएगा.मैं आती हू पर कहा आना है?"

"शहर के चोवोक बाज़ार मे वो 'फियेस्टा' केफे है ना,वही पहुँच जाना.मैं वाहा से तुम्हे अपने घर ले चलूँगा.कितने बजे आओगी?"

"मैं 3 बजे तक 'फियेस्टा' पहुँच जाऊंगी.",उसने दीवार-घड़ी की तरफ देखा.

"ठीक है."

कहते हैं कि शातिर से शातिर मुजरिम से भी 1 ग़लती कर देता है & यहा तो कल्लन ने 3-3 ग़लतिया कर दी थी.पहली ग़लती उसने उस दिन की थी जब बॅंगलुर से आने के बाद मलिका ने उसे फोन किया & उसने उसे अपना शहर का ठिकाना बताया.वो कुच्छ दीनो मे अपने ठिकाने बदल देता था,पर मलिका उस से चुद ने के लिए लगभग उसके हर ठिकाने पे आ चुकी थी.दूसरी ग़लती उसने ये की,कि अपना जाना कल पे टाल दिया.

इन दोनो ग़लतियो का उसे खामियाज़ा नही भुगतना पड़ता अगर वो तीसरी ग़लती नही करता & तीसरी ग़लती थी कि वो चोवोक बाज़ार के मल्टिपलेक्स मे 11:30 बजे का फिल्म शो देखने चला गया.आपको लग रहा होगा कि कल्लन कोई स्कूल स्टूडेंट तो नही है जो बंक मार कर फिल्म देखना उसकी ग़लती हो गयी.पर नही दोस्तो,देखिए कैसे उस फिल्म के चलते कल्लन अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी मुश्किल मे फँसता है...

दुष्यंत वेर्मा का जासूस मनीष अपनी गर्लफ्रेंड पूजा के साथ फिल्म देख रहा था या यू कहें पूजा को चूमने-चाटने के बीच वो फिल्म भी देख रहा था..."आहह..इंटर्वल होने वाला है,लाइट्स जल जाएँगी.अब छ्चोड़ो ना!",पूजा ने उसे परे धकेल दिया.

"अच्छा बाबा.",तभी लाइट्स जल गयी,"क्या लॉगी कोल्ड ड्रिंक या कॉफी?",मनीष खड़ा होकर नीचे उतरने लगा.उनकी सीट्स सबसे आख़िरी रो की कॉर्नर मे थी.

"कोल्ड ड्रिंक ले आना & पॉपकॉर्न भी."

"ओके."

शो हौसेफुल्ल जा रहा था & रेफ्रेशमेंट काउंटर्स पे भी काफ़ी भीड़ थी.मनीष 1 लाइन मे खड़ा अपनी बारी आने का इंतेज़ार करता हुआ इधर-उधर देख रहा था कि तभी उसकी नज़र साथ वाली लाइन मे खड़े 1 लंबे शख्स पे पड़ी...ये तो वही आदिवासी के मोबाइल की फोटो वाला इंसान लग रहा था जिसकी उसे तलाश थी.इसने अपना हुलिया बदला हुआ है.ये फ्रेंच कट दाढ़ी रख ली है...ये वही है.

पर फिर उसे लगा कि पहले बात कन्फर्म करनी चाहियर.उसने तुरंत दुष्यंत वेर्मा को फोन लगाया,इस केस के बारे मे एजेन्सी मे बस यही दोनो इस केस के बारे मे जानते थे,"सर,मैं मनीष.."&उसने पूरी बात बता दी.

"मनीष,किसी भी तरह उस आदमी का फोटो अपने मोबाइल केमरे से ले के मुझे भेजो.मैं यहा बॉमबे के ऑफीस मे हू.यही से दोनो फोटोस चेक कर के तुम्हे बताता हू."

"मनीष पूजा के साथ फिर से फिल्म देखने लगा.वो शख्स उनसे 3 रो नीचे साथ वाले सीट्स के ब्लॉक की सेंटर कॉर्नर सीट पे बैठा था.मनीष पूजा को बाहों मे भर प्यार कर रहा था पर उसकी नज़र लगातार उस शख्स पे बनी हुई थी.उसका फोन बजा,"एस सर?"

"तुम सही हो मनीष,ये वही इंसान है.अब तुम 1 काम करो.मैं तो वाहा हू नही.अब तुम्हे ही सब संभालना है.मैं अभी यशवीर को खबर करता हू कि वो शहर पहुँचे & तुम साए की तरह इस आदमी के पीछे लगे रहो.मैं यश को तुम्हारा नंबर. भी दे देता हू.ऑफीस फोन करता हू,1 आदमी हॉल के बाहर शो ख़त्म होने के बाद वो किट तुम्हे दे जाएगा.ठीक है.सब काफ़ी सावधानी से संभालना बेटा.इस आदमी को हमे अपनी पकड़ मे लेना है.पोलीस के पास नही जा सकते क्यूकी हुमारे पास 1 भी पुख़्ता सबूत नही है.इसीलिए पहले हमे ही इस से सब उगलवाना होगा.ओके,बेटा.बेस्ट ऑफ लक!"

"थॅंक्स,सर."

"क्या यहा भी काम की बातें कर रहे हो?"

"सॉरी,डार्लिंग.",मनीष ने नाराज़ पूजा को बाहों मे भर के चूमा & उसके टॉप के उपर से ही उसकी चूचिया दबा दी.

"अफ..बदमाश..",पूजा मज़े मे फुसफुसा.दोनो इसी तरह फिल्म ख़त्म होने तक 1 दूसरे से चिपते रहे.


"ठीक है."

कहते हैं कि शातिर से शातिर मुजरिम से भी 1 ग़लती कर देता है & यहा तो कल्लन ने 3-3 ग़लतिया कर दी थी.पहली ग़लती उसने उस दिन की थी जब बॅंगलुर से आने के बाद मलिका ने उसे फोन किया & उसने उसे अपना शहर का ठिकाना बताया.वो कुच्छ दीनो मे अपने ठिकाने बदल देता था,पर मलिका उस से चुद ने के लिए लगभग उसके हर ठिकाने पे आ चुकी थी.दूसरी ग़लती उसने ये की,कि अपना जाना कल पे टाल दिया.

इन दोनो ग़लतियो का उसे खामियाज़ा नही भुगतना पड़ता अगर वो तीसरी ग़लती नही करता & तीसरी ग़लती थी कि वो चोवोक बाज़ार के मल्टिपलेक्स मे 11:30 बजे का फिल्म शो देखने चला गया.आपको लग रहा होगा कि कल्लन कोई स्कूल स्टूडेंट तो नही है जो बंक मार कर फिल्म देखना उसकी ग़लती हो गयी.पर नही दोस्तो,देखिए कैसे उस फिल्म के चलते कल्लन अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी मुश्किल मे फँसता है...

दुष्यंत वेर्मा का जासूस मनीष अपनी गर्लफ्रेंड पूजा के साथ फिल्म देख रहा था या यू कहें पूजा को चूमने-चाटने के बीच वो फिल्म भी देख रहा था..."आहह..इंटर्वल होने वाला है,लाइट्स जल जाएँगी.अब छ्चोड़ो ना!",पूजा ने उसे परे धकेल दिया.

"अच्छा बाबा.",तभी लाइट्स जल गयी,"क्या लॉगी कोल्ड ड्रिंक या कॉफी?",मनीष खड़ा होकर नीचे उतरने लगा.उनकी सीट्स सबसे आख़िरी रो की कॉर्नर मे थी.

"कोल्ड ड्रिंक ले आना & पॉपकॉर्न भी."

"ओके."

शो हौसेफुल्ल जा रहा था & रेफ्रेशमेंट काउंटर्स पे भी काफ़ी भीड़ थी.मनीष 1 लाइन मे खड़ा अपनी बारी आने का इंतेज़ार करता हुआ इधर-उधर देख रहा था कि तभी उसकी नज़र साथ वाली लाइन मे खड़े 1 लंबे शख्स पे पड़ी...ये तो वही आदिवासी के मोबाइल की फोटो वाला इंसान लग रहा था जिसकी उसे तलाश थी.इसने अपना हुलिया बदला हुआ है.ये फ्रेंच कट दाढ़ी रख ली है...ये वही है.

पर फिर उसे लगा कि पहले बात कन्फर्म करनी चाहियर.उसने तुरंत दुष्यंत वेर्मा को फोन लगाया,इस केस के बारे मे एजेन्सी मे बस यही दोनो इस केस के बारे मे जानते थे,"सर,मैं मनीष.."&उसने पूरी बात बता दी.

"मनीष,किसी भी तरह उस आदमी का फोटो अपने मोबाइल केमरे से ले के मुझे भेजो.मैं यहा बॉमबे के ऑफीस मे हू.यही से दोनो फोटोस चेक कर के तुम्हे बताता हू."

"मनीष पूजा के साथ फिर से फिल्म देखने लगा.वो शख्स उनसे 3 रो नीचे साथ वाले सीट्स के ब्लॉक की सेंटर कॉर्नर सीट पे बैठा था.मनीष पूजा को बाहों मे भर प्यार कर रहा था पर उसकी नज़र लगातार उस शख्स पे बनी हुई थी.उसका फोन बजा,"एस सर?"
 

bstyhw

New Member
16
17
3
"तुम सही हो मनीष,ये वही इंसान है.अब तुम 1 काम करो.मैं तो वाहा हू नही.अब तुम्हे ही सब संभालना है.मैं अभी यशवीर को खबर करता हू कि वो शहर पहुँचे & तुम साए की तरह इस आदमी के पीछे लगे रहो.मैं यश को तुम्हारा नंबर. भी दे देता हू.ऑफीस फोन करता हू,1 आदमी हॉल के बाहर शो ख़त्म होने के बाद वो किट तुम्हे दे जाएगा.ठीक है.सब काफ़ी सावधानी से संभालना बेटा.इस आदमी को हमे अपनी पकड़ मे लेना है.पोलीस के पास नही जा सकते क्यूकी हुमारे पास 1 भी पुख़्ता सबूत नही है.इसीलिए पहले हमे ही इस से सब उगलवाना होगा.ओके,बेटा.बेस्ट ऑफ लक!"

"थॅंक्स,सर."

"क्या यहा भी काम की बातें कर रहे हो?"

"सॉरी,डार्लिंग.",मनीष ने नाराज़ पूजा को बाहों मे भर के चूमा & उसके टॉप के उपर से ही उसकी चूचिया दबा दी.

"अफ..बदमाश..",पूजा मज़े मे फुसफुसा.दोनो इसी तरह फिल्म ख़त्म होने तक 1 दूसरे से चिपते रहे.


"ठीक है."

कहते हैं कि शातिर से शातिर मुजरिम से भी 1 ग़लती कर देता है & यहा तो कल्लन ने 3-3 ग़लतिया कर दी थी.पहली ग़लती उसने उस दिन की थी जब बॅंगलुर से आने के बाद मलिका ने उसे फोन किया & उसने उसे अपना शहर का ठिकाना बताया.वो कुच्छ दीनो मे अपने ठिकाने बदल देता था,पर मलिका उस से चुद ने के लिए लगभग उसके हर ठिकाने पे आ चुकी थी.दूसरी ग़लती उसने ये की,कि अपना जाना कल पे टाल दिया.

इन दोनो ग़लतियो का उसे खामियाज़ा नही भुगतना पड़ता अगर वो तीसरी ग़लती नही करता & तीसरी ग़लती थी कि वो चोवोक बाज़ार के मल्टिपलेक्स मे 11:30 बजे का फिल्म शो देखने चला गया.आपको लग रहा होगा कि कल्लन कोई स्कूल स्टूडेंट तो नही है जो बंक मार कर फिल्म देखना उसकी ग़लती हो गयी.पर नही दोस्तो,देखिए कैसे उस फिल्म के चलते कल्लन अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी मुश्किल मे फँसता है...

दुष्यंत वेर्मा का जासूस मनीष अपनी गर्लफ्रेंड पूजा के साथ फिल्म देख रहा था या यू कहें पूजा को चूमने-चाटने के बीच वो फिल्म भी देख रहा था..."आहह..इंटर्वल होने वाला है,लाइट्स जल जाएँगी.अब छ्चोड़ो ना!",पूजा ने उसे परे धकेल दिया.

"अच्छा बाबा.",तभी लाइट्स जल गयी,"क्या लॉगी कोल्ड ड्रिंक या कॉफी?",मनीष खड़ा होकर नीचे उतरने लगा.उनकी सीट्स सबसे आख़िरी रो की कॉर्नर मे थी.

"कोल्ड ड्रिंक ले आना & पॉपकॉर्न भी."

"ओके."

शो हौसेफुल्ल जा रहा था & रेफ्रेशमेंट काउंटर्स पे भी काफ़ी भीड़ थी.मनीष 1 लाइन मे खड़ा अपनी बारी आने का इंतेज़ार करता हुआ इधर-उधर देख रहा था कि तभी उसकी नज़र साथ वाली लाइन मे खड़े 1 लंबे शख्स पे पड़ी...ये तो वही आदिवासी के मोबाइल की फोटो वाला इंसान लग रहा था जिसकी उसे तलाश थी.इसने अपना हुलिया बदला हुआ है.ये फ्रेंच कट दाढ़ी रख ली है...ये वही है.

पर फिर उसे लगा कि पहले बात कन्फर्म करनी चाहियर.उसने तुरंत दुष्यंत वेर्मा को फोन लगाया,इस केस के बारे मे एजेन्सी मे बस यही दोनो इस केस के बारे मे जानते थे,"सर,मैं मनीष.."&उसने पूरी बात बता दी.

"मनीष,किसी भी तरह उस आदमी का फोटो अपने मोबाइल केमरे से ले के मुझे भेजो.मैं यहा बॉमबे के ऑफीस मे हू.यही से दोनो फोटोस चेक कर के तुम्हे बताता हू."

"मनीष पूजा के साथ फिर से फिल्म देखने लगा.वो शख्स उनसे 3 रो नीचे साथ वाले सीट्स के ब्लॉक की सेंटर कॉर्नर सीट पे बैठा था.मनीष पूजा को बाहों मे भर प्यार कर रहा था पर उसकी नज़र लगातार उस शख्स पे बनी हुई थी.उसका फोन बजा,"एस सर?"

"तुम सही हो मनीष,ये वही इंसान है.अब तुम 1 काम करो.मैं तो वाहा हू नही.अब तुम्हे ही सब संभालना है.मैं अभी यशवीर को खबर करता हू कि वो शहर पहुँचे & तुम साए की तरह इस आदमी के पीछे लगे रहो.मैं यश को तुम्हारा नंबर. भी दे देता हू.ऑफीस फोन करता हू,1 आदमी हॉल के बाहर शो ख़त्म होने के बाद वो किट तुम्हे दे जाएगा.ठीक है.सब काफ़ी सावधानी से संभालना बेटा.इस आदमी को हमे अपनी पकड़ मे लेना है.पोलीस के पास नही जा सकते क्यूकी हुमारे पास 1 भी पुख़्ता सबूत नही है.इसीलिए पहले हमे ही इस से सब उगलवाना होगा.ओके,बेटा.बेस्ट ऑफ लक!"

"थॅंक्स,सर."

"क्या यहा भी काम की बातें कर रहे हो?"

"सॉरी,डार्लिंग.",मनीष ने नाराज़ पूजा को बाहों मे भर के चूमा & उसके टॉप के उपर से ही उसकी चूचिया दबा दी.

"अफ..बदमाश..",पूजा मज़े मे फुसफुसा.दोनो इसी तरह फिल्म ख़त्म होने तक 1 दूसरे से चिपते रहे.

होटेल के बाहर मनीष राजा साहब के साथ उनकी कार मे बैठा उन्हे अपनी किट दिखा रहा था,"..और ये क्लॉरोफॉर्म है सर जिसके सहारे हम टारगेट को बेहोश कर अपने क़ब्ज़े मे ले सकते हैं."

"तुम लोगो को ये सब इस्तेमाल करने की क़ानूनी इजाज़त है या नही?"

"नही,सर.पर इस जैसे लोगो को पकड़ने के लिए ये सब उसे करना पड़ता है.",मनीष मुस्कुराया.

"वो देखिए सर,दोनो बाहर आ रहे हैं...मैं अपनी बाइक पे जाता हू.",मनीष दरवाज़ा खोल कर तेज़ी से अपनी बाइक पे चला गया,उसकी किट वही कार मे छूट गयी थी.

कल्लन & मलिका फिर से उसकी कार मे बैठ कर चल पड़े & उनके पीछे-2 राजा साहब & मनीष.अब उनकी कार शहर से बाहर जाने वाले रास्ते पे भाग रही थी.राजा साहब ने ड्राइव करते हुए मेनका को फोन लगाया,शाम हो चुकी थी & वो उनका इंतेज़ार कर रही होगी.उन्हे पता नही था कि इस आदमी को पकड़ने मे उन्हे कितना समय लगेगा,"हेलो..हम यशवीर बोल रहे हैं....आज रात हम वापस नही आएँगे."

"ये क्या बात है.मैं यहा तुम्हारा इंतेज़ार कर रही हूँ & तुम हो कि...बस!आख़िर ऐसा कौन सा काम है वकील साहब से?"

"अरे बाबा,आ गया है ऐसा कुच्छ काम.नाराज़ मत हो,कल सवेरे हम तुम्हारे पास पहुँच जाएँगे..ठीक है...चलो बाइ!"

उन्होने बात करते हुए भी अपनी निगाह उस कार से नही हटाई थी.1 लेफ्ट टर्न लेते ही वो 1 धार्मिक जुलूस मे जा फँसे.मलिका की कार उस जुलूस के रोड पे आने से पहले ही निकल चुकी थी.राजा साहब ने फुर्ती से अपनी कार 1 साइड की गली मे घुसा दी पर मनीष इतना फुर्तीला नही था.थोड़ी ही देर मे राजा साहब गलियो से होते हुए वापस मैं रोड पे थे.उन्होने कार तेज़ी से आगे बढ़ाते हुए उस कार को ढूँढना शुरू किया.करीब 3-4 मिनिट के बाद उन्हे वो कार नज़र आ गयी & वो उसके पीछे लग गये.

मनीष ने जैसे-तैसे उस जाम से बाइक निकली पर जैसे ही स्पेड बधाई,बाइक झटके खा के रुक गयी,"शिट!अब इसे क्या हुआ?!!",उसने झट से उतर कर बाइक चेक की पर वो फिर भी स्टार्ट नही हुई.उसने तुरंत राजा साहब को फोन मिलाया,"सर,पहले तो जाम मे फँस गया & अब मेरी बाइक खराब हो गयी है.आप कहा पहुँच गये?"

राजा साहब के दिमाग़ ने तेज़ी से काम किया,आज जब्बार का ये आदमी उनके हाथ मरने वाला था & वो नही चाहते थे कि इस बात का कोई गवाह हो,"मनीष,लगता है वो हमारे हाथ से निकल गया.उस जुलूस की वजह से हमने उन्हे खो दिया.तुम परेशान मत हो,अपनी बाइक ठीक करवा के वापस लौट जाओ.हम भी वापस जा रहे हैं....पर तुम्हारी जितनी भी तारीफ की जाए कम है,बेटे.तुमने कमाल का काम किया था पर शायद उसकी किस्मत उसके साथ है जो वो आज हमारे हाथ नही लगा."

"थॅंक्स,सर.पर अगर वो पकड़ मे आ जाता तब मुझे चैन मिलता."

"कोई बात नही.चलो,अब फोन काट ते हैं.हम ड्राइव कर रहे हैं."

"ओके,सर."

मलिका की कार अब शहर से बाहर 1 ऐसे इलाक़े मे आ गयी थी जो बहुत कम बसा हुआ था.वाहा बस इक्का-दुक्का मकान थे & कुच्छ तो अभी बन ही रहे थे.कोई भी ऐसा घर नही लग रहा था जहा कि पूरा परिवार रहता हो.कार जिस रास्ते पे जा रही थी उसके 1 तरफ बस खाली मैदान था & दूसरी तरफ बस 2 मकान थे & दोनो के बीच करीब 1/2 किमी का फासला था.मलिका की कार अब रोड के आख़िर मे दूसरे मकान के सामने रुक गयी,यही कल्लन का ठिकाना था.

राजा साहब ने 1 किमी पीछे अपनी कर रोड से उतार कर लगाई,किट उठाई & कार से उतर कर पहले मकान के पीछे चले गये & दौड़ते हुए कल्लन के मकान के पिच्छवाड़े पहुँच गये.कार रुकी थी & कल्लन कार से उतर कर ड्राइवर'स साइड पे आ ड्राइविंग सीट पे बैठी मलिका से बात कर रहा था.राजा साहब मकान की बगल मे आ खड़े हो उन्हे छिप कर देखने लगे.

"आज तो बिल्कुल मन नही भरा.तू क्यू जा रहा है?रुक जा ना..सारी रात मज़ा करते हैं."

"फिर कभी.बस1-2 महीनो की बात है.अभी जाना ज़रूरी है.",उसने झुक कर मलिका को चूमा & 1 हाथ उसके टॉप मे डाल कर उसकी छातियो को दबा दिया,"चल अब निकल.."

"तू बहुत ज़ालिम है.",उसने कल्लन का लंड पॅंट के उपर से ही दबाया & कार स्टार्ट कर घुमा दी.उसके जाते ही कल्लन घूम कर अपने घर के दरवाज़े पे आया & ताला खोलने लगा.

"एक्सक्यूस मी,सर.",आवाज़ सुन कर जैसे ही वो घुमा 1 मज़बूत हाथ ने उसकी नाक पे 1 कपड़ा दबा दिया.वो उस आदमी को परे धकेलने लगा पर उसे लग रहा था कि जैसे उसके बदन मे ताकता ही नही है,फिर भी उसने अपना पूरा ज़ोर लगा कर उस आदमी को धकेल दिया.

कल्लन का डील-डौल राजा साहब जैसा ही था & वो उन्ही की तरह ताकतवर भी था.उसके धक्के से राजा साहब गिर पड़े.कल्लन ने पास पड़ी 1 ईंट उठा कर उनपर फेंकी पर वो उसका वार बचा गये & अपनी 1 लात उसकी टाँगो पे मारी,कल्लन चारो खाने चित हो गया तो राजा साहब उसकी छाती पे चढ़ बैठे & क्लॉरोफॉर्म से भीगा नॅपकिन उसकी नाक पे लगा दिया.कल्लन अब पूरी तरह से बेहोश था.

राजा सहब ने उठ कर चारो तरफ देखा-कोई नही था.उन्होने अपनी कमर पे बँधी किट से हथकड़ी निकली & कल्लां को पेट के बाल लिटा कर उसके हाथ पीच्चे लाकर उस से बाँध दिए.फिर वो दौस कर गये & अपनी कार ले आए & कल्लन को उसमे डाल कर वाहा से निकल गये.

-------------------------------------------------------------------------------

रात के 12 बज रहे थे & मेनका अपने बिस्तर पे पड़ी हुई थी,नींद उसकी आँखो से कोसो दूर थी.उसे राजा साहब की याद सता रही थी.उसने करवट लेकर आँखे बंद कर सोने की कोशिश की तो उसे कल रात की अपने माएके मे हुई उसकी चुदाई याद आ गयी...कैसे उसके ससुर ने उसकी मा के होते हुए उसे पूरी तरह से चोदा था.उनकी चुदाई याद करते ही उसकी चूत मचल उठी & उसने अपनी उंगली उस मे डाल दी.अपनी जांघे 1 साथ रगड़ते हुए वो अपनी चूत मे उंगली अंदर-बाहर करने लगी.उसे अपने बदन पे अब ये नाइटी भी भारी लग रही थी.वो उठी & उसे उतार दिया,फिर 1 बड़े से तकिये से चिपक कर उस पे अपनी छातिया दबाते हुए अपनी चूत के दाने को अपनी उंगली से रगड़ते हुए अपने जिस्म की आग को ठंडा करने लगी.

-------------------------------------------------------------------------------

जब कल्लन को होश आया तो उसने खुद को 1 कमरे मे रस्सियों से बँधा हुआ & पूरा नंगा पाया.उसके सामने 1 कुर्सी पे राजा यशवीर बैठे थे.

"आ गया होश,जब्बार के कुत्ते.चल अब भौंकना शुरू कर दे वरना तेरा बहुत बुरा हश्र करूँगा."

"ये धमकी कही और देना राजा.मुझ पे ये सब खोखली बातें असर नही करती."

"अच्छा.ठीक है.",राजा साहब उठे & 1 सिगरेट जला ली.

कल्लन हँसने लगा,"कही भी इस से दाग दो राजा पर मैं अपना मुँह नही खोलूँगा."

राजा साहब उसके सामने आकर बैठ गये & सिगरेट मुँह से निकल कर उसके अंदो पे लगा दी.कल्लन दर्द से चिल्ला उठा."अब मैं तुम्हे भौंकने के लिए नही कहूँगा.बस ऐसे ही बहुत धीरे-2 तुम्हे मौत के पास पहुन्चाउन्गा.1 बात अच्छी तरह से समझ लो,अगर तुमने अपना मुँह नही खोला तो मैं तुम्हे मार दूँगा पर वो मौत इतनी आसान नही होगी.मैं तुम्हे इतना तडपा के मारूँगा कि मौत भी घबरा जाएगी.",& सिगरेट उसके आंडो पे दबा के बुझा दी.फिर वो उठे & बगल की टेबल से 1 चाकू उठा कर फिर उसके सामने बैठ गये.

करीब आधे घंटे के बाद कल्लन 1 पालतू मैना की तरह राजा साहब के सामने गा रहा था.राजा साहब को अब सारी बात पता चल गयी थी,उनके दिल मे बस 1 ही ख़याल था-जब्बार की मौत.वो चाहते थे कि अभी जाकर उसे & मलिका को मौत की नींद सुला दे....पर उनके बाद उनकी मेनका का क्या होता.उन्हे बदला लेना था पर ये सब बड़ी चालाकी से करना होगा ताकि उनपे कोई शक़ भी ना करे & वो मेनका के साथ ज़िंदगी का लुत्फ़ उठा सके.पूरी रात वो यही सोचते रहे & सवेरा होने तक उनके दिमाग़ मे 1 प्लान तैय्यार हो चुका था.

उन्होने कल्लन को बेहोश कर उसे कपड़े पहनाए & बाँध कर कार मे डाला.4:30 बज रहे थे.वो 6 बजे तक मेनका के जागने से पहले महल पहुँच जाना चाहते थे.उन्होने कार अपने शहर के 1 मकान से निकली & दौड़ा दी राजपुरा की ओर.

ड्राइव करते वक़्त उनके दिमाग़ मे विश्वा का ख़याल आ रहा था..इन दरिंदो ने उसकी कमज़ोरी का फ़ायडा उठा कर उनसे बदला लेने के लिए उसकी जान ले ली....वो इन तीनो का बहुत बुरा हाल करेंगे..उनकी कार अब राजपुरा के पहले पड़ने वाली पहाड़ी चढ़ रही थी...इसी रास्ते पे यूधवीर का आक्सिडेंट हुआ था..क्या उसमे भी इन लोगो का हाथ था?यही अगले मोड़ पे उसकी कार नीचे खाई मे जा गिरी थी...जब्बार को मारने से पहले वो इस सवाल का जवाब माँगेंगे....

कल्लन को होश आ गया था.उसने देखा कि वो 1 कार मे है....उसे रात की बात याद आई...राजा अभी भी उसे मार देगा...उसे यहा से निकलना ही होगा.उसके हाथ पीछे ले जाकर रस्सी से बाँधे गये थे & वो बॅक्सीट पे औंधे मुँह पड़ा था.मौत के ख़याल से वो काँप उठा & उचक कर उसने आगे की सीट पे अपने सर से धक्का मारा.राजा साहब अचानक मारे इस धक्के से हिल गये & कार उनके कंट्रोल से थोड़ा बाहर हुई & पहाड़ी के किनारे उतर गयी.कल्लन ने 1 और धक्का मारा तो राजा साहब फिर से हिल गये & कार पहाड़ी से नीचे उतरने लगी.राजा साहब कार कंट्रोल करने की नाकाम कोशिश कर रहे थे कि तभी कार 1 चट्टान से टकराई & मूड कर खाई मे गिर गयी,गिरती कार का पीछे का दरवाज़ा खुला & उसमे से बँधा कल्लन भी कार के साथ नीचे हवा मे गिरने लगा.

थोड़ी देर तक उस पहाड़ी पे सन्नाटा छाया रहा बस चिड़ियो के चाहचाहने की आवाज़ थी & फिर 1 ज़ोर का धमाका हुआ,नीचे खाई मे राजा साहब की कार धू-धू करके जल रही थी.धीरे-धीरे सवेरा हो रहा था पर राजकुल का सूर्या अस्त हो चुका था.

मेनका बुत बनी अपने कमरे मे बैठी हुई थी.आज राजा साहब की मौत को 1 महीना हो गया था.दुनिया की नज़रो मे तो वो उस दिन विधवा हो गयी थी जब विश्वा मरा था पर उसके लिए तो उसका वैधव्य राजा साहब की मौत से शुरू हुआ था.उस मनहूस सुबह जब पोलीस राजा साहब की कार के खाई मे बुरी तरह जाली हालत मे मिलने के बाद महल आई & उसे ये बताया कि कार मे 1 जाली लाश भी है जिसकी शिनाख्त के लिए उसे चलना पड़ेगा तो वो बेहोश हो गयी थी.


होश आने पे वो हॉस्पिटल पहुँची & जब उस लाश को देखा तो उसकी चीख निकल गयी.चेहरा पूरी तरह जल कर खाक हो चुका था & बाकी बदन भी,बस दाएँ हाथ & कलाई का कुच्छ हिस्सा अधजला सा रह गया था जिसपे उसका दिया ब्रेस्लेट अभी भी चमंक रहा था.उसी से उसने राजा साहब की लाश को पहचाना था.उसके बाद क्या हुआ उसे कुच्छ होश नही.उसके माता-पिता फ़ौरन उसके पास पहुँच गये थे & उसकी मा तो अभी भी उसके साथ थी.लोग जो कहते वो बस चुप-चाप करती जाती...किसी ज़िंदा लाश की तरह.

वो 1 हाथ मे राजा साहब का ब्रेस्लेट लिए,कुच्छ काग़ज़ों को देख रही थी,ये वसीयत थी जिसमे राजा साहब ने सारी जायदाद उसके नाम कर दी थी & आज से वो कुँवारानी नही रानी साहिबा हो गयी थी.उसने उन काग़ज़ों को देखा & आज राजा साहब की मौत के बाद पहली बार ऑफीस जाने का फ़ैसला किया.

-------------------------------------------------------------------------------

राजा साहब की मौत की खबर सुनकर तो जब्बार खुशी से पागल हो गया था.उसने सोचा भी ना था कि बिना उसके कुच्छ किए तक़दीर उसे ऐसा तोहफा देगी.इस वक़्त वो मलिका के साथ कार ड्राइव करता हुआ शंकारगर्ह नाम की जगह से शहर आ रहा था.शंकारगर्ह से शहर का रास्त 1 जंगल से होकर गुज़रता था.आमतौर पे लोग शाम ढलने के बाद उस रास्ते का इस्तेमाल नही करते थे बल्कि थोड़ा घूम कर हाइवे से शहर जाते थे.पर जब्बार को इन सब बातों की कोई फ़िक्र नही थी.ठीक भी था-गुंडे कब से गुणडो से डरने लगे.इस वक़्त शाम के 8 बज रहे थे.

तभी ज़ोर की आवाज़ हुई & जब्बार ने ब्रेक लगाया.उसकी कार का कोई टाइयर पंक्चर हुआ था."धत्त तेरे की!",वो कार से नीचे उतरा & उसके उतरते ही 2 नक़ाबपोश किनारे की झाड़ियो से निकल कर आ खड़े हुए.उनमे से 1 ने जब्बार को पीछे से पकड़ कर उसकी गर्दन पे चाकू रख दिया & दूसरे ने मलिका को कार से खींच कर उतार दिया.

"सालो,,क्या चाहिए तुम्हे?पैसे?तो लो & निकलो..."

"चुप बेहन्चोद!पहले हम इस माल को लूटेंगे फिर तेरे पैसों के बारे मे सोचेंगे...चल!",उसने मलिका की तरफ इशारा किया & दोनो लुटेरे जब्बार & मलिका को झाड़ियो मे खींच जंगल मे ले गये.1 मलिका को गिरा उसपर सवार हो उसके कपड़े नोचने लगा तो मलिका चिल्लाने लगी.दूसरे ने 1 रस्सी से जब्बार को बाँध दिया & अपने दोस्त के साथ मलिका को नंगी करने मे जुट गया.

तभी झाड़ियों को चीर वाहा 1 और इंसान पहुँचा.उसने दोनो गुणडो को 1-1 हाथ से पकड़ा & मलिका के उपर से खींच लिया.वो 1 सरदार था & उसने उनसे अकेले ही लड़ना शुरू कर दिया.मलिका जैसे ही गुणडो के चंगुल से छूटी तो वो भाग कर जब्बार के पास पहुँची & उसके बंधन खोल दिए.अब जब्बार भी उस सरदार के साथ मिल उन गुणडो की पिटाई करने लगा.थोड़ी ही देर मे गुंडे वाहा से रफूचक्कर हो गये.

"शुक्रिया.",जब्बार हाँफ रहा था.

"ये तो मेरा फ़र्ज़ था.बंदे को रविजित सिंग सोढी कहते हैं.",उस सरदार ने अपनी साँस संभालते हुए जब्बार से हाथ मिलाया.वो कोई 50 साल के आसपास की उम्र वाला लंबी कद-काठी का इंसान था.

"मैं जब्बार सिंग हू."

"आप दोनो मेरे साथ चलिए.शहर से पहले मेरा फार्महाउस है.रात वही गुज़ारिए.",उसने अपने कोट से मलिका के फटे कपड़ो से नुमाया हो रहे जिस्म को ढँक दिया.

"आपको खम्खा तकलीफ़ होगी."

"बिल्कुल भी नही.आइए,बैठिए...& अपनी कार की चिंता मत करिए.अभी थोड़ी देर मे अपने ड्राइवर & नौकरों से इसे मंगवा लेंगे."

कोई 1 घंटे बाद दोनो रविजित सिंग सोढी के साथ उसके फार्महाउस के ड्रॉयिंग रूम मे बैठे थे,मलिका 1 कमरे मे आराम कर रही थी.

"तो आप क्या करते हैं,जब्बार साहब?",उसने विस्की का 1 ग्लास बढ़ाया.

"मैं प्रॉपर्टी डीलर हू.और आप?",जब्बार ने ग्लास लेते हुए पूचछा.

"मैं तो एनआरआइ हू.जॅमेका मे मेरा बिज़्नेस है..",पेग ख़त्म कर वो दुबारा अपना ग्लास भर रहा था.

थोड़ी ही देर मे दोनो शराब के नशे मे खुल कर बातें करने लगे.

"उपरवाले का भी अजीब ढंग है,जब्बार साहब.पहले तो इंसान के दिल मे किसी चीज़ की चाह जगाता है & जब इंसान मेहनत-मशक्कत के बाद उस चीज़ को पाने के काबिल हो जाता है तो उपरवाला उस चीज़ का वजूद ही मिटा देता है.पिच्छले 26 सालों से मैं बस 1 ही मक़सद के लिए काम कर रहा था & आज जब उसे पूरा करने आया तो...."

"तो क्या,सोढी साहब?

"छ्चोड़िए.आप राजपुरा से हैं ना?"

"जी."

"तो आपको मेरी बात बुरी लग सकती है."

"क्यू?"

"क्यूकी जिस ख़ानदान की बात मे कर रहा हू,उसे आपके गाओं मे भगवान की तरह पूजा जाता है."

"आप राजकुल की बात कर रहे हैं?"

"जी,हाँ.राजकुल!जिसने मेरी ज़िंदगी का रुख़ मोड़ दिया."

"सोढी साहब,यकीन मानिए,जितनी नफ़रत आपके दिल मे उस परिवार के लिए है,उस से कही ज़्यादा मेरे सीने मे है."

"क्या?"

"जी,हाँ.सोढी साहब & अगर आप मुझे इतने भरोसे के काबिल समझते हैं कि आपका दर्द बाँट साकु तो मैं आपको अभी भी उस परिवार से बदला लेने की तरकीब बता सकता हू."

"ठीक है,जब्बार साहब.वैसे भी ये कोई बहुत गहरा राज़ नही है.आज से 26 साल पहले मैं राजपुरा आया था.मैं 1 बहुत ग़रीब परिवार से हू.पॉलिटेक्निक से पढ़ने के बाद मेरी नौकरी राजकुल शुगर मिल मे लगी.रहने के लिए वही गाओं मे 1 फ़ौजी के घर मे 1 कमररा ले लिया.फ़ौजी कभी-कभार ही घर आता था & यहा केवल उसकी बीवी रहती थी.वो बला की खूबसूरत थी.मैं नौजवान था & वो भी मर्द के जिस्म के लिए तड़पति रहती थी.थोड़े ही दीनो मे हुमारे ताल्लुक़ात बन गये.बात केवल जिस्मो की आग बुझाने से शुरू हुई थी पर जल्द ही हम 1 दूसरे को दिल-ओ-जान से चाहने लगे..",उसने ग्लास खाली कर दिया.

"..कहते हैं ना कि इश्क़ & मुश्क च्छुपाए नही च्छुपते.हुमारे इश्क़ की खबर भी फैल गयी & जब फ़ौजी आया तो उसने हुंगमा शुरू कर दिया.उसकी बीवी मेरे साथ जाना चाहती थी & मैं भी उसे ले जाने को तैय्यार था.पर बात फ़ौजी की आन की थी,वो सीधा राजा यशवीर के बाप राजा सूर्यप्रताप के पास फर्याद लेकर पहुँच गया & उसने अपना हुक्म सुना दिया.मुझे नौकरी से निकाल कर गाओं से बाहर फिकवा दिया.इतना ही नही,मुझे आवारा घोषित कर दिया & इस वजह से मुझे कही और नौकरी नही मिली."

"काई महीनो तक मैं खाक छानता रहा & फिर किसी ने मुझे जॅमेका मे 1 नौकरी दिलवाई.वाहा पहुँच कर मैने अपनेआप को हर तरह से मज़बूत कर लिया केवल 1 बात के लिए-मुझे सूर्यपरताप के बेटे यशवीर को उसके बाप के किए की सज़ा देनी थी,पर आया तो पता चला कि वो कार आक्सिडेंट मे मारा गया."

"अब बताइए अपनी तरकीब?"

"सोढी साहब.आप राजकुल की मिल्स क्यू नही खरीद लेते?आप पैसे लगाइए मैं उसे यहा चलाऊँगा.पार्ट्नरशिप कर लेते हैं & हर महीने आपको मुनाफ़े की रकम मिलती जाएगी.मेरे दिल को तो इसी बात से सुकून मिलता रहेगा कि राजा की मिल्स मेरे हाथों मे हैं."

"पर क्या मिल्स बिकाउ हैं?"

"अगर नही हैं तो हो जाएँगी.उसकी आप फ़िक्र मत करो."

"जब्बार भाई,आपने अभी तक अपनी कहानी नही सुनाई."

"सुनाउन्गा,सोढी साहब.ज़रूर सुनाउन्गा.वक़्त आने दीजिए.आपने हमे अपना राज़दार बनाया है तो मैं भी वादा निभाऊँगा."

"ठीक है.मैं भी आप पे भरोसा करता हू.",दोनो ने हाथ मिलाया.

-------------------------------------------------------------------------------

मेनका का दिल अब कही भी नही लगता था.ऑफीस मे उसने मन लगाने की बहुत कोशिश की पर उसमे कामयाब नही हुई.ऑफीस आते हुए 15-20 दिन गुज़र गये थे पर उसे सब बोझ जैसा लगता था.वो ऐसे ही कुर्सी पे बैठी काग़ज़ उलट-पलट रही थी & बीते दीनो को याद कर रही थी.....वो जब डील साइन करने उनके साथ गयी थी तो उनकी बहू बनकर & लौटी उनके दिल की रानी बनकर.वो होटेल के कमरे मे दोनो की पहली रात....फिर यहा....& तभी उसके दिमाग़ मे एरपोर्ट पे सपरू साहब से हुई मुलाकात का ख़याल आया.

सपरू साहब.हाँ..क्यू ना वो मिल्स मे अपना हिस्सा उन्हे बेच दे.फिर वो यहा से शहर रहने चली जाएगी.राजपुरा तो अब उसे काटने को दौड़ता था.उसने तुरंत सेशाद्री साहब से बात की.उन्हे भी ख़याल अच्छा लगा.मेनका काम पे ठीक से ध्यान दे नही रही थी & इस से अभी तक तो नुकसान नही हुआ पर आगे हो सकता था.दोनो ने जर्मन पार्ट्नर्स से बात की तो वो भी राज़ी हो गये.

मेनका फ़ौरन अपनी मा के साथ देल्ही रवाना हो गयी.वाहा सपरू साहब के सामने जब उसने अपना प्रपोज़ल रखा तो मानो उन्हे मुँह माँगी मुराद मिल गयी.देल्ही से वापस आते हुए मेनका की मा अपने घर चली गयी & मेनका शाम ढले राजपुरा पहुँची.


मेनका महल पहुँची तो देखा की सेशाद्री उसका इंतेज़ार कर रहे हैं,"नमस्ते!अंकल.आइए हॉल मे चलिए."उसने 1 नौकर को चाइ का इंतेज़ाम करने को कहा.

"रानी साहिबा.1 बुरी खबर है."

"और भी कुच्छ बुरा होने को बाकी है अंकल.",उसने चाइ का कप उन्हे बढ़ाया.

"मिल वर्कर्स ने हड़ताल कर दी है."

"पर क्यूँ?"

"उन्हे पता चला कि आप अपना हिस्सा बेच रही हैं तो उनका कहना है कि इसमे उनके हितों का ख़याल नही रखा जाएगा."

"अंकल,हम तो हुमेशा उनका अच्छा सोच कर ही सारे फ़ैसले लेते हैं,फिर अचानक हड़ताल?"

"रानी साहिबा,इन सब के पीछे जब्बार का हाथ है.वो मज़दूरो के नेता को अपनी उंगलियो पे नचाता है.वो ये चाहता है कि खरीदार उसका आदमी हो.ऐसी कोशिश उसने पिच्छली बार भी की थी पर तब उसे मुँह की खानी पड़ी थी."

"ह्म्म्म.....ठीक है,अंकल.आप मज़दूरो को कह दीजिए कि हम बिना उनके सपोर्ट के कोई फ़ैसला नही लेंगे.बस वो कल से काम पे आ जाएँ."

"पर रानी साहिबा,ये तो उनके सामने घुटने टेकना हुआ."

"अंकल,1 इंसान की वजह से कितने मज़दूरो को नुकसान उठना पड़ रहा है.1 बार हम पीछे हट रहे हैं,इसका मतलब ये नही है कि हर बार ऐसा होगा.प्लीज़,आप हुमारी तरफ से मज़दूरो को समझा दीजिए."

"जैसा आप कहें.",सेशाद्री साहब ने चाइ ख़त्म की और चले गये.

उस रात मेनका राजा साहब की मौत के बाद पहली बार अकेली अपने बिस्तर पे लेटी थी.उनकी मौत के बाद से उसकी मा ने अपनी बेटी को 1 पल के लिए भी अकेला नही छ्चोड़ा था.

उसने 1 स्लिप पहनी हुई थी जोकि उसके घुटनो के उपर तक आ रही थी.वो करवाते बदल रही थी पर उसकी आँखो मे नींद आ ही नही रही थी.उसे राजा साहब की याद आ रही थी.काफ़ी देर तक करवाते बदलने के बाद सफ़र की थकान ने असर दिखाया & उसकी पलके भारी हो गयी & थोड़ी ही देर मे वो सो गयी.

रात के 1 बज रहे थे.चारो तरफ सन्नाटा छाया था पर वो क्या है...वो कौन है जो महल के चौकीदारो से छुप्ता लॉन पार कर महल तक आ पहुँचा है.थोड़ी ही देर मे वो साया 1 खिड़की खोल अंदर दाखिल हो चुका था.ये भी हैरत की बात है कि उसने सेक्यूरिटी अलार्म्स को कैसे चकमा दिया.अब वो उपरी मंज़िल की सीढ़िया चढ़ रहा था.पहले उसने राजा साहब का कमरा खोला & अंदर झाँका पर वाहा किसी को ना पाके आगे बढ़ा & मेनका के कमरे का दरवाज़ा खोला.


खिड़की से आती चाँदनी सोती हुई मेनका के उस छ्होटी स्लिप मे क़ैद गोरे बदन को नहला रही थी.वो अजनबी थोड़ी देर तक उसके हुस्न को निहारता रहा & फिर बिस्तर पे चढ़ उसके उपर झुक गया.मेनका को अपने चेहरे पे उसकी गरम साँसे महसूस हुई तो उसकी आँख खुली.वो डर के मारे चीखने वाली थी कि उस अजनबी ने अपना हाथ उसके मुँह पे दबा दिया.

मेनका की ख़ौफ़ & हैरत से फैली आँखो मे अचानक पहचान की झलक आई तो उस अजनबी ने अपना हाथ उसके मुँह से हटा दिया,"...तुम..!"

"हां,मैं.",उस अजनबी ने रानी साहिबा के होंठो पे अपने होठ रख दिए.मेनका भी उसे चूमने लगी & अपनी बाहों मे भर लिया...

-------------------------------------------------------------------------------

"..ऊओ...ऊउउउछ्ह्ह्ह....!..",मलिका बिस्तर पे पीठ के बल लेटी थी,उसकी गंद के नीचे 1 कुशन लगा था & अभी जब्बार ने उसकी टाँगो के बीच बैठकर उसकी गंद के छेद मे अपना लंड पेला था.

"....एयेए...अहह...क्या फयडा होगा..उस सरदार का नौकर बनके..?..आ...ईइय्य्य...ययईए"

"नौकर कौन बन रहा है,मेरी जान.",उसने उसकी गंद मारते हुए चूत मे दो उंगलिया घुसा दी & अंदर-बाहर करने लगा,"ये तो बस उसको बोतल मे उतारने के लिए मैने कहा है पर कुच्छ ही दीनो मे मैं मालिक बन जाऊँगा & वो सरदार अपना लंड थामे खड़ा रह जाएगा.",उसने दूसरे हाथ से उसके 1 निपल को मसल दिया.

"..हा...अनन्न...और ज़ोर से मार ...फाड़ दे मेरी गा...आंदड़ड़...सा...आले...आआ...आहह....मज़ा आ ...गा...याअ....याअ..अहह...!",जब्बार के धक्के तेज़ हो गये,मलिका की बातें उसे मस्त किए जा रही थी & वो उसके बदन पे झुक उसकी चूचिया चूमने-चूसने लगा.

"मुझे लग ही रहा था कि सा...आअला...तू तो पैदाइशी हा...रा...अमि है....उस सरदार की भी ज़रूर लेगा.....एयाया....आअहह...,छ्चोड़ दरिंदे...."

जब्बार ने अपने दाँत उसकी चूची मे गाड़ा दिए थे & मलिका ने उसके बाल पकड़ उसका सर अपने सीने से अलग कर दिया.

"साली,रांड़ तुझे कितनी बार कहा है कि मेरी पैदाइश या मा के बारे मे कुच्छ मत बोला कर.ये ले..",उसने उसकी चूत के दाने पे चिकोटी काट ली.

"ऊओ.....उऊउककच..!",जवाब ने उसने भी अपने दाँत जब्बार की कलाई पे गाड़ा दिए & दोनो जुंगलियो की तरह अपनी हवस मिटाने लगे.

-------------------------------------------------------------------------------

मेनका पूरी नंगी अपने बिस्तर पे पड़ी थी & वो अजनबी उसकी खुली टाँगो के बीच उसकी चिकनी चूत को चाट रहा था & उसके हाथ उसकी चूचियो को दबा रहे थे.

"...आ...आह...",मेनका के बदन को इस तरह का मज़ा मिले 1 महीने से भी ज़्यादा हो गया था.उसने उसका सर अपनी भारी जाँघो मे भींच लिया & अपने हाथो से उसके मुँह को चूत पे और दबाने लगी.उसकी आँहे & उस अजनबी की जीभ की लपलपहट की आवाज़े कमरे के सन्नाटे को दूर कर रही थी.

मेनका का बदन उस अजनबी की जीभ की हर्कतो को बर्दाश्त नही कर पाया & वो झाड़ गयी.वो इंसान उसकी चूत से बहते सारे पानी को चाट गया.अब उसकी बारी थी,वो उठा & अपना लंड अपने हाथ मे ले मेनका के सीने के दोनो तरफ अपने घुटनो को बेड पे टीका कर बैठ गया,उसका लंड बिल्कुल मेनका की आँखों के सामने था.उसने 1 और तकिया अपने सर के नीचे लगाया & उस अजनबी के झांतो से घिरे लंड को अपने मुँह मे लेकर चूसने लगी.

उसके हाथ उसके बालो भरे अंदो को हौले-2 दबा रहे थे.उस इंसान की आँखे बंद हो गयी & उसने अपने हाथों से उसका सर पकड़ लिया & उसके मुँह को चोदने लगा.थोड़ी देर तक वो ऐसे ही उसके मुँह का मज़ा लेता रहा पर जैसे ही उसके अंदो मे उबलता हुआ सैलाब बाहर आने को हुआ उसने अपना लंड बाहर खींच लिया.मेनका ने ऐसे देखा जैसे कह रही हो कि ये बात उसे बिल्कुल पसंद नही आई.

वो उसकी टाँगो के बीच बैठ गया & अपना लंड उसकी चूत पे लगा कर 1 धक्का मारा,"..आ...हह...हा...अन्न्‍णणन्...!",मेनका की आँखे खुशी से बंद हो गयी & वो लेटी,आँहे भरती हुई उसके धक्को का मज़ा लेने लगी.वो वैसे ही घुटनो पे बैठा कभी उसकी चूचियो को मसलता,कभी उसके खूबसूरत चेहरे को सहलाता तो कभी उसकी जांघे सहलाता उसे चोद्ता रहा.

फिर उसने मेनका की दाई जाँघ को पकड़ कर उसे उसकी बाई जाँघ पे इस तरह कर दिया कि अब उसका उपरी बदन तो सीधा था पर निचला हिस्सा मानो करवट लिए था & उसका लंड उसकी चूत चोद्ते हुए उसकी भारी गंद से भी टकरा रहा था.वो लंड पूरा बाहर निकलता & फिर जड़ तक अंदर घुसेड देता.

मेनका अब तक दो बार झाड़ चुकी थी & उसकी पानी से सराबोर चूत मे लंड फूच-फूच करता अंदर-बाहर हो रहा था.वो अजनबी झुक कर उसके होठ चूमने लगा & उसकी छातिया दबाने लगा.मेनका का जोश दुगुना हो गया था.वो उसके होंठो को छ्चोड़ कर उठा & बिना लंड निकाले उसके बदन को घुमा कर उसे डॉगी पोज़िशन मे ले आया & उसके उपर इस तरह झुक गया कि उसका पेट & सीना मेनका की पीठ & कमर से पूरा चिपक गया.

अब मेनका घुटनो के बल थी & उसका चेहरा तकिये मे च्छूपा था & वो अजनबी पीछे से उस से चिपक उसकी मस्त चूचियो को दबाते हुए & उसके गालों & कानो मे जीभ फिराते हुए उसे चोद रहा था.उसने थोड़ी देर तक उसे ऐसे ही चोदा,फिर 1 हाथ उसकी चूची से अलग किया & उसकी चूत के दाने पे लगा रगड़ने लगा.मेनका अपनी चूत पे इस दोहरे हुमले से पागल हो गयी & आँहे भरते हुए अपनी कमर हिलाने लगी & झाड़ गयी.उसके झाड़ते ही उस इंसान ने भी ज़ोरदार धक्के लगा लगा कर उसकी चूत मे अपना पानी छ्चोड़ दिया.

झाड़ते ही मेनका बिस्तर पर निढाल हो गिर पड़ी & वो भी वैसे ही उसकी पीठ पे गिर उसकी गर्दन मे मुँह च्छुपाए अपनी साँसे संभालने लगा.

अगले करीब 2 घंटो तक दोनो ऐसे ही अलग-2 तरीक़ो से 1 दूसरे के बदन से खेलते रहे.आख़िर कौन है ये अजनबी जिस से मेनका इतनी बेताकल्लूफ़ी से चुद रही है?अरे वो क्या,मेनका बिस्तर से उठ गयी है & कही जा रही है...चलिए देखे कहा जा रही है.....

ये तो राजा साहब की स्टडी मे जा रही है..और...और ये क्या ...वो तिजोरी खोल रही है..!सारे इल्लीगल प्रॉपर्टीस वाले पेपर्स निकाल लिए है उसने & अब वापस अपने कमरे मे आ गयी है जहा वो अजनबी कपड़े पहन रहा है.,"ये लो.."

"सारे हैं ना?"

"हां."

क्या कर रही है मेनका?क्या इसके चेहरे के पीछे भी कोई और चेहरा है?क्या वो उतनी शरीफ सच मे है या 1 बहुत गहरा नाटक खेल रही है?अफ!मेरा तो सर चकरा रहा है....पर परेशान ना हो दोस्तो,कहानी के अंत तक ये राज़ भी खुल जाएगा.

उसने पेपर्स लेकर नंगी मेनका को बाहों मे भर लिया & उसे कुच्छ बहुत धीमी आवाज़ मे समझाने लगा जिसे मेनका पूरे ध्यान से सुनती रही.इसके बाद दोनो करीब 5 मिनिट तक 1 दूसरे को सहलाते हुए चूमते रहे.फिर वो अजनबी जैसे आया था वैसे ही चला गया.

"सेशाद्री अंकल,मुझे जब्बार सिंग से मिलना है?"

"ये आप क्या कह रही है?रानी साहिबा!"

"जी,अंकल.मुझे उस से मिलना ही है."

"आख़िर क्यों?"

"वो मैं आपको बाद मे बताउन्गि.पहले आप उस से मेरी मुलाकात करवाईए."

"ठीक है.जैसा आप कहें."

-------------------------------------------------------------------------------

"कमाल हो गया!ये आजकल हो क्या रहा है?पहले राजा अपने आप मर जाता है,अब उसकी बहू मुझ से मिलना चाहती है!",जब्बार अपना मोबाइल बंद कर मलिका की चूचिया फिर से मसल्ने लगा.जब सेशाद्री का फोन आया तो वो मलिका को चोद रहा था,वो ज़मीन पे बिछे कालीन पे लेटी थी & जब्बार उस पर चढ़ कर उसकी चूत को अपने मोटे लंड से पेल रहा था.

"...अकेले जाओगे या उस सरदार को भी ले जाओगे?",मलिका ने उसका मुँह अपनी छातियो पे दबाया.

"अभी नही,मेरी जान पहले खुद तो बात कर आओं.",उसने उसके निपल को काट लिया.

"आ...ह..",जब्बार ने उसकी चूची चूस्ते हुए अपने धक्के तेज़ कर दिए.

"...जब मिल्स खरीदोगे तो उसमे मुझे भी पार्ट्नरशिप चाहिए....ऊऊ..ऊओवव्व..!",जब्बार अब घुटनो पे बैठ कर उसे चोद रहा था & 1 हाथ से उसकी चूत के दाने को रगड़ने लगा था.

"ले लेना मेरी जान!जो चाहिए वो ले लेना...",उसने अपने हाथ & कमर की रफ़्तार तेज़ कर दी.मलिका अपनी चूत पे इस दोहरी मार को ज़्यादा देर तक नही झेल पाई & तुरंत झाड़ गयी & उसके थोड़ी देर बाद जब्बार ने अभी अपना लंड उसके अंदर खाली कर दिया.

-------------------------------------------------------------------------------

राजकुल शुगर मिल के पीछे 1 खाली ज़मीन का टुकड़ा था जहा लोग कम ही आते-जाते थे.दोपहर के 1 बजे मेनका सेशाद्री & अपने ड्राइवर के साथ कार मे बैठी जब्बार का इंतेज़ार कर रही थी.

"काफ़ी देर हो गयी है,पता नही ये कम्बख़्त कब आएगा.",सेशाद्री अपनी घड़ी देखते हुए बोले,"...ये आदमी बिल्कुल भी भरोसे के लायक नही है,रानी साहिबा.आप उस से इस वीरान जगह मिलने को क्यू तैय्यार हो गयी?"

मेनका कुच्छ कहती उस से पहले ही जब्बार की कार आती दिखाई दी.जब्बार कार से उतर कर मेनका के पास आया,"नमस्ते.",वो उसके सीने की तरफ देख रहा था.

"नमस्ते."

"मुझ से क्या काम आन पड़ा आपको?"

"अभी जो मिल मे स्ट्राइक हुई थी उसी के बारे मे बात करनी थी.",मेनका कार से उतर कर खड़ी हो गयी,सेशाद्री भी उसके साथ खड़े थे.

"उस के बारे मे अपने वर्कर्स से बात कीजिए,मुझ से क्या बार करेंगी?मेरा उस स्ट्राइक से कोई वास्ता नही था.",वो मेनका के जिस्म को उपर से नीचे तक घूर रहा था.

"देखिए मिस्टर.जब्बार.मैं घूम-फिरा कर बात करने नही आई हू.सभी जानते है कि स्ट्राइक के पीछे आपका हाथ था.आप यही चाहते हैं ना कि हम मिल्स का अपना शेर आपको या आपके किसी आदमी को बेच दे?"

"खूबसूरत होने के साथ-2 आप समझदार भी हैं.सीधा मुद्दे पे आ गयी.",जब्बार बदतमीज़ी से बोला.

"अपनी ज़बान सम्भालो!",सेशाद्री गुस्से मे बोले.

"1 मिनिट अंकल....हा तो मिस्टर.जब्बार आप ये बताइए कि कैसे ख़रीदेंगे आप हुमारा हिस्सा?आपके लिए हुमारे वर्कर्स बस मोहरे हैं जिन्हे आप अपना उल्लू सीधा करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं,पर हुमारे लिए ये वो नमकहलाल लोग हैं जिनके बिना हुमारी तरक्की नामुमकिन थी.हम अपना तभी बेचेंगे जब हमे ये तसल्ली हो जाएगी की हुमारे वर्कर्स सही हाथों मे जा रहे हैं."

अब जब्बार भी संजीदा होकर उसकी तरफ देखने लगा,"....ये लड़की तो काम की बात कर रही है.",उसने सोचा.

"...हम आपके बारे मे भी अच्छी तरह से जानते हैं.आपकी इतनी औकात है नही कि आप अकेले मिल्स खरीद सके,तो फिर कैसे ख़रीदेंगे ज़रा हमे भी बताइए."

"अकेला नही 1 और शख्स है मेरे साथ.1 एनआरआइ है."

"अच्छा.तो मिलवाए उस से हमे."

"रानी साहिबा,ये आप क्या कर रही हैं!इस इंसान को आप राजकुल की विरासत बेचएंगी!"

"सेशाद्री साहब,चुप रहिए.मालिक की बात तभी काटिए जब कुच्छ बहुत ज़रूरी कहना हो."

सेशाद्री साहब हैरत से उसे देखने लगे.आज तक उन्हे ऐसे तो राजा साहब ने भी बेइज़्ज़त नही किया था.

"ठीक है,मैं उस इंसान से आपको कल ही मिलवाता हू."

"ठीक है.हम भी चाहते हैं कि दुस्शहरे के त्योहार तक ये काम पूरा हो जाए."

"ओके,तो मैं चलता हू.कल इसी वक़्त आपको उस से मिलवाऊंगा.",जब्बार कार मे बैठा & चला गया.

"हमे माफ़ कर दीजिए,अंकल.हमने बहुत बदतमीज़ी की आपके साथ."

सेशाद्री साहब को अब और ज़्यादा हैरत हो गयी.,"..पर ये सब हमने जब्बार को बेवकूफ़ बनाने के लिए किया."

"अंकल,ये इंसान हमे सपरू साहब के साथ डील करने नही देगा & शराफ़त की भाषा ये समझता नही.तो हमने सोचा की इसको इसी की भाषा मे जवाब दें.सपरू साहब ही हुमारे हिस्से को ख़रीदेंगे & ये डील हुमलोग अगले 4 दिनो मे ही कर लेंगे.मैने उनसे भी कहा है कि वो इस बात को अपने तक ही रखें."

दोनो कार मे बैठ कर वापस ऑफीस जा रहे थे,"..इस डील के बारे मे हुमारे जर्मन पार्ट्नर्स,सपरू साहब & उनका लड़का & हम & आप जानते हैं.डील तो अगले 4-5 दीनो मे हो जाएगी पर इसकी अनाउन्स्मेंट दुस्सेहरे के अगले दिन होगी."

"पर इस जब्बार के साथ क्या करेंगी?"

"इसे हम तब तक बातों मे उलझाए रखेंगे.1 बार हुमारी डील हो जाए,फिर सपरू साहब ने कहा है कि वो इस से निपट लेंगे."

"मान गये,रानी साहिबा आपकी सोच को."

"थॅंक यू,अंकल."

जब्बार ने मेनका & सोढी की मीटिंग करवा दी जिसमे मेनका उसे अपना हिस्सा बेचने को राज़ी हो गयी.जब्बार की तो खुशी का ठिकाना नही था.अब तो वो बेसब्री से उस दिन का इंतेज़ार कर रहा था जिस दिन मिल्स के पेपर्स उसके हाथों मे आते.

इधर मेनका ने सपरू साहब के साथ चुप-चाप डील साइन कर ली . इस डील के मुताबिक दशहरे के अगले दिन 1 फॉर्मल अनाउन्स्मेंट होनी थी जिसके बाद मिल्स के मालिक सपरू साहब हो जाते.मेनका ने अपनी वसीयत मे भी ज़रूरी बदलाव कर दिए.

और आख़िर दशहरे का दिन आ ही गया जब जब्बार का सपना पूरा होने वाला था.आज वो सुबह से ही बॉटल खोल कर बैठा था & अभी जब शाम के 4 बज रहे थे,पी कर पूरी तरह से नशे मे था.

"सोढी...साहब..आप ना होते तो मैं आज का दिन कभी नही देख पता.थन्क्यौ,सर!"

"अरे,जब्बार भाई इसमे थॅंक्स की क्या बात है,आपने हमारी मदद की हमने आपकी.बस."

"नही,सर.आपने मुझपे बहुत बड़ी कृपा की है...आज.. आज जाके मेरी मा की आत्मा को शांति मिलेगी..."

"जी...मैं समझा नही."

"सोढी साहब अपने मुझे अपनी दास्तान सुनाई थी ना कि कैसे राजा ने आपकी ज़िंदगी का रुख़ बदल दिया.आज मैं आपको अपनी कहानी सुनाता हूँ."

"मैं कोई 13-14 साल का था.मैं शहर मे अपनी मा के साथ रहता था,पिता तो थे ही नही.मा के लिए तो बस मैं ही सब कुच्छ था,हर वक़्त उसे बस मेरी ही फ़िक्र लगी रहती थी.पर 1 बात थी जो मुझे कभी-2 ख़टकती थी.मैं बड़ा हो रहा था & मैने 1 बात गौर की थी कि हर शनिवार को मा शाम 5 बजते कही चली जाती & दूसरे दिन दोपहर 2-3 बजे तक आती.पुच्छने पर टाल जाती कि पास के गाँव के मंदिर जाती है & चूँकि वाहा बहुत भीड़ रहती है इसीलिए उसे इतना समय लगता है.."

"...मा अपनी 1 सहेली के परिवार के पास मुझे छ्चोड़ कर जाती थी पर इधर कुच्छ महीनो से मैं अकेला ही घर पे रह जाता था,अब मैं बड़ा हो रह था & किसी और के घर पे रहना मुझे अच्छा नही लगता था.उस शनिवार भी मा शाम होते चली गयी.मैं घर पे यूही बैठा था कि तभी मेरा 1 दोस्त आ गया & मुझ से साथ मे बाज़ार चलने को कहने लगा.मा तो दूसरे दिन से पहले आती नही सो मैं उस के साथ चला गया."

"...हम काफ़ी देर तक बाज़ार मे घूमते रहे कि तभी 1 आलीशान कार की पिच्छली सीट के दरवाज़े को खोल कर अंदर बैठती मुझे मा नज़र आई.मैं उस तरफ बढ़ गया....मुझे हैरत हो रही थी मा इतनी शानदार कार मे!मैं उस कार की तरफ बढ़ ही रहा था कि तभी देखा कि दूसरी तरफ का दरवाज़ा खोल कर 1 शख्स कार के अंदर बैठा & बैठते ही मा को बाहों मे भर लिया...आगे मैं कुच्छ देख नही पाया क्यूकी कार के काले शीशे बंद हो गये थे & कार वाहा से निकल गयी."

"आप सोच भी नही सकते सोढी साहब मेरे दिल पे क्या गुज़री थी!कैसे-2 ख़याल आ रहे थे मेरे मन मे.पूरा हफ़्ता मैं इसी उधेड़बुन मे रहा & फिर से शनिवार आ गया.मैने सोच लिया कि इस बार इस मामले की तह तक ज़रूर पहुँचुँगा."

"..इस बार मा निकली तो मैने मा का पीछा लिया & पहुँच गया 1 शहर के सबसे पॉश इलाक़े मे 1 आलीशान कोठी के सामने.मा कार मे बैठ अंदर चली गयी थी & गाते पे गार्ड्स खड़े थे.मैं वही कोने मे छिप कर बैठ अंदर जाने का रास्ता सोचता रहा.घड़ी देखी तो पाया कि 9 बज रहे थे.मैने कोठी का 1 चक्कर लगाया & 1 जगह पाया कि दीवार पर चढ़ा जा सकता है.."

"..फिर सोढी साहब मैं जैसे-तैसे करके उस कोठी मे दाखिल हो गया & सावधानी से हर कमरे मे झाँकने लगा.1 कमरे से खिलखिलाने की आवाज़ आई तो मैं लपक कर वाहा पहुँचा.दरवाज़ा बंद था पर तभी मेरा ध्यान उस कमरे की बाल्कनी पे गया तो मैं किसी तरह उसपे पहुँच गया.वाहा 1 रोशनदन था,मैने पास पड़ी 1 कुर्सी पे चढ़ उस रोशनदन से झाँकने लगा.."

"अंदर हमारे दिवंगत राजा यशवीर के पिता पूरे नंगे घुटनो के बल बिस्तर पे खड़े थे.उनके 1 हाथ मे फोन का रिसीवर था जिस से वो किसी से बात कर रहे थे & दूसरे हाथ मे मेरी मा का सर जोकि उनके लंड पे उपर-नीचे हो रहा था.मैं तो सकते मे आ गया,कुच्छ होश नही रह..अपनी मा को उस हाल मे देख मुझे शर्मा कर हट जाना चाहिए थे पर मेरा तो दिमाग़ सुन्न हो गया था.."

"...तभी उन्होने रिसीवर रख दिया & दोनो हाथों से मेरी मा के सर को पकड़ अपनी कमर हिला उसके मुँह को चोदने लगे."

"ऐसी कौन सी ज़रूरी बात थी कि मुझ से भी ध्यान हटा दिया था?,मा उनसे पुच्छ रही थी."

"वो राजकुमार की पढ़ाई के बारे मे कुच्छ बात थी."

"1 राजकुमार तो आपका शहर मे भी है,हुज़ूर.,मा ने उनके लंड को हिलाते हुए कहा."

"कौन?,राजा सहब ने पूचछा"

"मेरा बेटा जब्बार भी तो आप ही का खून है तो वो भी तो राजकुमार हुआ.,मा ने लंड को दोनो हाथों मे भर अपने गाल से रगड़ा."

"राजा ने इतनी ज़ोर का थप्पड़ मा को मारा कि मा पलंग से नीचे गिर गयी,उसके होठ के कोने से खून बह रहा था."

"कान खोल के सुन ले.तू हमारी रखैल है & तेरा बेटा 1 रखैल का बेटा.कभी सपने मे भी उसकी बराबरी हुमारे राजकुमार से नही करना.समझी!,कह कर वो पलंग से नीचे उतरे & मेरी मा को उल्टा कर उसकी कमर पकड़ कर अपना लंड उसकी गंद मे पेल दिया."

"..बस उस दिन से मैने सोच लिया था कि राजकुल का विनाश कर दूँगा."

"बहुत दर्द भारी कहानी है,जब्बार साहब.चलिए राजा को उसके किए की सज़ा मिली.पूरा खानदान अपनेआप ही मौत के मुँह मे समाता चला गया."

"ग़लत,सोढी साहब.राजा यशवीर केवल अपनी मौत मारा है.उसकी दोनो औलादो को मैने उपरवाले के पास पहुँचाया है."

"क्या?"

"जी.बड़े लड़के यूधवीर की कार के ब्रेक्स फैल कर दिए थे.बहुत पेपड बेलने पड़े थे तब जा के कार से छेड़-खानी का मौका मिला था.लोगो को लगा कि आक्सिडेंट है & मेरा काम हो गया...& दूसरा लड़का विश्वजीत-उसको तो ऐसी ड्रग्स की लत लगाई की पुछो मत.राजा ने उसे हमारे चंगुल से निकल ही लिया था पर मैने उसे भी नही छ्चोड़ा.मार कर ही दम लिया."

जब्बार की शराब से खुलती ज़ुबान ने मलिका को चौकन्ना कर दिया,"डार्लिंग.अब बस करो.महल जाना है ना डील साइन करने.इस हालत मे तो खड़े भी नही हो पायोगे.",उसने ग्लास उसकी गिरफ़्त से अलग कर दिया.

"ओके.जानेमन.आज तो मैं तुम्हे महल की सैर कारवंगा.तुम मेरी रानी अब महल की रानी बनोगी.चलो,जाके तुम भी रानियो की तरह सारी पहन लो..जाओ!"

"पर मैं जा के क्या करूँगी?"

"पर-वार कुच्छ नही.तुम भी जाओगी.तुम रानी हो.जाओ सारी पहन कर आओ1"

सोढी ने मलिका को उसकी बात मान ने का इशारा किया.बस कुच्छ ही देर मे उन्हे मेनका से मिलने महल पहुँचना था.

-------------------------------------------------------------------------------

आज दशहरे का दिन था & पास के गाँव मे बहुत बड़ा मेला लगा था,जहा रावण को जलाया जाने वाला था.पूरा राजपुरा वही जा रहा था.मेनक ने भी महल के 1-1 नौकर को वही भेज दिया,यहा तक की गेट पे 1 गार्ड को भी नही रहने दिया.जब उन्होने उसके बारे मे पुचछा तो उसने कहा कि वो सेशाद्री साहब की फॅमिली के साथ आ जाएगी.

पूरा गाँव मेले की ओर जा रहा था & थोड़ी ही देर बाद राजपुरा मे सन्नाटा च्छा गया & महल मे भी.मेनका नही चाहती थी कि जब्बार महल आए तो कोई भी देखे.

"रानी साहिबा,मैं 1 घंटे बाद महल पहुँच जाऊँगा."

"ठीक है,सेशाद्री अंकल.हम आपके साथ ही दशहरे के मेले मे जाएँगे.",मेनका ने फोन रख दिया.तभी बाहर कोई कार रुकने की आवाज़ आई.

मेनका बाहर आई तो देखा कि कार से जब्बार,मलिका & सोढी उतर रहे हैं.

"नमस्कार रानी साहिबा.हम आ गये आपका भर हल्का करने.चलिए पेपर्स साइन करते हैं.",जब्बार नशे मे चूर बोले जा रहा था.

तीनो मेनका के साथ अंदर हॉल मे आकर बैठ गये.हॉल मे कुच्छ अजीब सी बू आ रही थी.मलिका बुरा सा मुँह बनाते हुए मेनका से बोली,"कुच्छ बदबू नही आ रही?"

"नही तो."

"ये लीजिए पेपर्स,साइन कीजिए & अगले 3 दीनो मे आपके बॅंक अकाउंट्स मे सारे पैसे जमा हो जाएँगे.",जब्बार ने कुच्छ काग़ज़ मेनका की तरफ बढ़ाए.

मेनका ने काग़ज़ उठाए & बगल की टेबल से 1 लाइटर उठाकर उन पेपर्स को आग लगा दी.

"ये क्या बहुड़गी है!",जब्बार चीखा.

"नीच इंसान!तूने ये सोच भी कैसे लिया कि हम तुझे,उस इंसान को...जिसने हमारे खानदान को तबाह कर दिया,उसे अपनी अमानत बेचेंगे.",मेनका ने जलते कागज़ात सोफे पे फेंक दिए जिस से कि सोफा धू-धू कर जलने लगा.आग तेज़ी से हॉल मे फैलने लगी तो मलिका को समझ मे आया कि वो बू पेट्रोल की थी.वो घबरा गयी...आख़िर ये रानी क्या चाहती है?

"हमे यहा से निकलना चाहिए,जब्बार.ये औरत पागल हो गयी है.खुद भी मरेगी हमे भी मारेगी.",उसने जब्बार का हाथ पकड़ कर बाहर निकलने का इशारा किया.

"तुम लोग कही नही जाओगे.यही इस आग मे जल्के अपने करमो की सज़ा पाओगे.",मेनका गर्जि.

"कुतिया!",जब्बार ने झपट कर मेनका को पकड़ लिया पर तभी 1 करारा हाथ उसके जबड़े पे पड़ा.सोढी ने उसे मारा था पर सोढी कहा...ये तो ...ये तो कोई और था.सोढी ने अपनी पगड़ी उतार फेंकी थी,जब्बार ने गौर से देखा तो उसकी आँखे हैरत से फैल गयी...ये तो राजा यशवीर सिंग था.इतने दिन ये आदमी भेस बदल कर उसके पास आता रहा,बात करता रहा और वो अपने सबसे बड़े दुश्मन को पहचान नही पाया!

किसी ने सही कहा है,विनाश काले विपरीत बुद्धि.

"जब्बार,तूने हमारे दोनो मासूम बेटो को मौत की नींद सुला दिया.उनका क्या कसूर था.हमारे पिताजी की ग़लती की सज़ा हमे देता.1 मर्द की तरह सामने से वार करता.पर नही तू 1 बुज़दिल चूहा है & आज चूहे की मौत मरेगा."

आग ने पूरे हॉल को अपने आगोश मे ले लिया था.मलिका नज़र बचा कर भागने ही वाली थी कि तभी राजा साहब ने उसे पकड़ लिया,"तूने भी विश्वा की हत्या की थी.तेरे दूसरे आशिक़ कल्लन ने हमे सब बताया था.चल!",राजा साहब ने उसे 1 रस्सी से बाँध वही फर्श पे पटक दिया.मलिका अपनी जान की भीख मांगती रही पर राजा साहब & मेनका जैसे बहरे हो गये थे.

थोड़ी ही देर मे मलिका की चीखें बढ़ती लपटो मे घुट गयी.

राजा साहब ने जब्बार को 1 जलती लकड़ी से जम कर पीटा & आख़िर मे उस लकड़ी से उसके चेहरे को झुलस कर मौत के घाट पहुँचा दिया.

"मेनका,चलो यहा से निकले.सेशाद्री के आने से पहले हमे निकलना होगा.हमारा हाथ पाकड़ो.",उन्होने मेनका का हाथ पकड़ा & जलते हुए हॉल से निकलने लगे कि तभी आग से खाक हो दीवार का 1 बड़ा हिस्सा उनके सामने गिरा,"यश..!",मेनका की चीख सुनाई दी ,फिर इतना धुआँ फैला कि कुच्छ नज़र नही आया कि दोनो कहा गये-निकल भी पाए की नही उस आग के तूफान से!

चारो तरफ बस आग ही आग थी.सेशाद्री तो ये नज़ारा देख बेहोश ही हो गये.किसी तरह उन्होने अपनी जेब से मोबाइल निकाला & पोलीस को फोन मिलाने लगे.

10 दिन बाद

मेनका की वसीयत पढ़ी जा रही थी.राजा साहब की मौत के बाद सारी जयदाद की वो अकेली मालकिन थी & सभी लोगो को बहुत इच्छा थी ये जानने कि उसने अपनी वसीयत मे क्या लिखा था.

मेनका ने सारी जयदाद दान कर दी थी-अनाथ बच्चों,विधवा उद्धार & धार्मिक काम & ऐसे ही काई चीज़ों के लिए.उसके माता-पिता बड़ी मुश्किल से अपने दुख को झेल पा रहे थे पर अब शायद वसीयत पढ़े जाने के बाद उन्होने ने भी इस सच्चाई को स्वीकार कर लिया था कि उनकी बेटी अब इस दुनिया मे नही है.

सेशाद्री साहब भी अब सायंत थे पर उनकी आखों के आगे अभी भी वो दुस्शहरे की काली रात घूम जाती थी.जब पोलीस & फिरे ब्रिगेड वाले पहुँचे तब तक महल का 1 बड़ा हिस्सा जल चुका था.पोलीस को अंदर से 1 औरत की बुरी तरह जली हुई लाश मिली थी जिसे मेनका के पिता ने शिनाख्त करके अपनी बेटी की बताया.बाहर जब्बार भी मरा पड़ा था.

छन-बीन के बात पोलीस को जब पता चला कि आग पेट्रोल से लगाई गयी थी तो उनका ये शक़ पुख़्ता हो गया कि ये जब्बार की हरकत थी.पोलीस ने सेशाद्री साहब से भी पुच्छ ताछ की & अंत मे जिस नतीजे पे पहुँची वो ये था:

जब्बार राजा साहब से बेइंतहा नफ़रत करता था & सभी जानते थे कि उनकी मिल्स को हड़पने के लिए वो पागल था.राजा साहब की मौत के बाद जब मेनका ने मिल्स को सपरू साहब को बेचने का फ़ैसला किया तो उसने मेनका को धमका कर उसे ऐसा करने से रोकने की कोशिश की पर जब मेनका नही मानी तो वो गुस्से मे पागल हो दुस्सेहरे की रात महल पहुँचा & वहा उसने जो भयानक खेल खेला उसमे उसकी खुद की भी जान चली गयी.

राजकुल की कहानी यही ख़तम हो गयी & लोगो के लिए राजपरिवार अब बस उनके दान किए गये पैसों से बनी समाज सेवा के कामो & इमारतो पे लिखा नाम रह गया



नस्सौ,बहमास

एरपोर्ट पे मियामी से आई फ्लाइट से उतरे मुसाफिर सेक्यूरिटी चॅनेल से बाहर निकल रहे थे.ज़्यादातर अमेरिकन थे या फिर बेहेमीयन 1 लड़की के सिवा.वो कातिल फिगर वाली लड़की 1 पीले रंग की घुटनो तक की फ्लॉरल ड्रेस पहने थी.कंधो पे डोरियाँ स्ट्रॅप्स का काम कर रही थी & ड्रेस के गले मे से उसके बड़े क्लीवेज का हिस्सा एरपोर्ट पे मौजूद मर्दों की निगाहों को अपनी तरफ ललचा रहा था & औरतों को जला रहा था.

"मिस.अनिता सिंग?",कस्टम ऑफीसर ने उसके पासपोर्ट पे लगे फोटो से उसका चेहरा मिलाया.

"यस." कामुक-कहानियाँ.ब्लॉगस्पोट.कॉम

"वेलकम तो बहमास,मॅ'म.एंजाय युवर स्टे.",उसने पासपोर्ट उसे वापस थमा दिया & 1 आखरी भर नज़र भर कर उसके सीने की दरार का दीदार किया.

"थॅंक यू."

बाहर निकलते ही उसने देखा कि 1 लंबा-चौड़ा नीग्रो उसके नाम का बोर्ड लेकर खड़ा है,वो उसके पास जा पहुँची & थोड़ी ही देर बाद 1 कार मे पीछे की सीट मे बैठी अपनी मंज़िल की तरफ रवाना हो गयी.थोड़ी देर बाद कार ने उसे जेटी पे उतार दिया.

"दिस बोट विल टेक यू तो युवर डेस्टिनेशन,मॅ'म.",उस नीग्रो ने उसका सारा समान 1 बड़ी सी याच मे चढ़ा कर उस से कहा.

"ओके.थॅंक्स"

शाम ढल रही थी & आसमान सिंदूरी हो गया था.वो बस अब जल्द से जल्द अपनी मंज़िल तक पहुँचना चाहती थी.45 मिनिट बाद याच 1 आइलॅंड पे रुकी.उतरते ही 1 और नीग्रो ने उसका समान लिया,"वेलकम,मॅ'म.मिस्टर.विजय सिंग ईज़ वेटिंग फॉर यू इन दा विला.",उसने 1 बड़े-से शानदार घर की तरफ इशारा किया.वो भागती हुई उस घर तक पहुँची & गेट मे दाखिल हो गयी.चारो तरफ तरह-2 के पौधे लगे थे,1 बड़ा सा स्विम्मिंग पूल भी था.वो उस नीग्रो के पीछे चलती हुई विला के अंदर दाखिल हो गयी.सब कुच्छ बहुत शानदार था & वैसा ही जैसा उसे पसंद था. कामुक-कहानियाँ.ब्लॉगस्पोट.कॉम

वो नीग्रो उसका समान ले पता नही विला मे कहा गायब हो गया कि तभी 2 मज़बूत बाज़ुओं ने उसे पीछे से अपनी गिरफ़्त मे जाकड़ लिया.वो घूम कर उस इंसान के सामने हो गयी & उस से लिपट गयी.दोनो 1 दूसरे से चिपके 1 दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे.

"ओह....मेनका...आख़िरकार."

"हा,यश आख़िरकार हम फिर मिल गये.",वो अनिता सिंग और कोई नही बल्कि अपनी मेनका थी & ये विजय सिंग है राजा साहब.

दोनो 1 दूसरे को बाहों मे भरे वहा बड़े से सोफे पे बैठ गये & फिर से 1 दूसरे के होठ का रस पीने लगे.

जब अलग हुए तो मेनका ने सवाल किया,"ये सब तुमने कैसे सोचा यश?

"सब बताते हैं,मेरी जान.",राजा साहब ने उसे अपनी गोद मे उठा लिया & 1 बेडरूम मे ले जाकर बिस्तर पे लिटा दिया.दरवाज़ा बंद कर वो घूमे तो मेनका ने उन्हे नज़र भर के देखा.वो 1 टी-शर्ट & हाफ-पॅंट मे थे.दाढ़ी-मूँछछ साफ करा ली थी & बहामा के सूरज ने उनके रंग को काँसे जैसा निखार दिया था.उसकी चूत गीली होने लगी.कितने दीनो बाद वो अपने प्रेमी के साथ अकेली थी पर मन मे कई सवाल घूम रहे थे & उसे उनका जवाब भी चाहिए था.


"बताओ ना,कैसे सोचा ये सब?"

"बताते हैं.",राजा साहब बिस्तर पे उसकी बगल मे बैठ गये & उसे बाहों मे भर उसकी आँखो मे झाँकने लगे.

"तुम्हे वो दिन याद है जब हम तुम्हारे मयके से लौटने के बाद अपने वकील से मिलने शहर गये थे?",उन्होने अपना 1 हाथ उसकी ड्रेस मे घुसा दिया & उसकी जांघे सहलाने लगे.मेनका भी मचल गयी & उनसे और सताते हुए उनकी टी-शर्ट मे हाथ घुसा उनकी पीठ पे फेरने लगी.

"हा."

"वकील के साथ जैसे ही हमारी मीटिंग ख़त्म हुई कि हुमारे दोस्त दुष्यंत का फोन आया.दुष्यंत 1 डीटेक्टिव एजेन्सी चलाता है & हमारे कहने पे वो विश्वा की मौत की छान्बीन कर रहा था.उसने उस आदमी को ढूंड निकाला था जिसपे उसे & हमे विश्वा का कातिल होने का शक़ था.",मेनका की ड्रेस उसकी कमर तक उठ चुकी थी & राजा साहब का हाथ अब उसकी पॅंटी मे घुस उसकी गंद मसल रहा था.

मेनका ने अपनी टांग उठा कर उनकी टांग पे रख दी तो राजा साहब ने भी अपनी टांग उसकी टांगो के बीच घुसा उसकी गंद को भीचते हुए अपने से इस तरह सटा लिया कि उनका लंड सीधा उसकी चूत पे रगड़ खाने लगा.मेनका ने उनकी शर्ट निकाल दी & मस्त हो उनके बालो भरे सीने को चूमने-सहलाने लगी,"फिर क्या हुआ?" कामुक-कहानियाँ.ब्लॉगस्पोट.कॉम

"हमने किसी तरह से उस इंसान को अपने क़ब्ज़े मे इस तरह ले लिया कि दुष्यंत को पता भी ना चला.",राजा साहब ने अपना हाथ उसकी पॅंटी मे से निकाल कर उसकी ड्रेस का ज़िप खोल दिया & उसमे हाथ घुसा उसकी पीठ सहलाने लगे & बताने लगे कि कैसे उन्होने कल्लन को पकड़ा & उस से सारी बात उगलवाई.

इतने दीनो बाद अपने आशिक़ से ऐसी बेताकल्लूफ़ी से मिलने के कारण मेनका अब पूरी तरह से गरम हो चुकी थी.उसने अपने ससुर की पॅंट निकाल दी & खुद ही खड़ी हो कर अपनी ड्रेस & पॅंटी अपने जिस्म से अलग कर दी.फिर बेड पे चढ़ि & राजा साहब को धकेल कर लिटा दिया & फिर झुक गयी उनके लंड पे.

"एयेए...आअहह!",राजा साहब की आँखे मज़े मे बंद हो गयी & वो अपनी बहू की जीभ का लुत्फ़ उठाने लगे.

"हमे समझ मे नही आ रहा था कि हम क्या करे?दिल तो कर रहा था कि कल्लन,जब्बार & मलिका को तुरंत मौत के घाट उतार दे.पर ऐसा करने से हमे सज़ा होती & हम तुम से दूर हो जाते.",राजा साहब अपनी लंड चुस्ती बहू के बाल सहला रहे थे.

"इसी पशोपेश मे ड्राइव करते हम कल्लन को बंदी बना राजपुरा लौट रहे थे जब उसने गाड़ी से भागने की कोशिश की और हमारा आक्सिडेंट हो गया & हम कार सहित खाई मे जा गिरे.",मेनका उनके लंड & आंडो पे पूरे जोश के साथ जुटी उनकी बात सुन रही थी. कामुक-कहानियाँ.ब्लॉगस्पोट.कॉम

"भगवान की दया से हमे थोड़ी खरोन्चे ही आई थी & कोई गहरी चोट नही पर कल्लन मर चुका था.तभी हमारे दिमाग़ मे 1 तरकीब आई.हमने कल्लन को अपने कपड़े पहनाए & उसे कार मे बिठा उसमे आग लगा दी & ध्यान रखा कि उसका चेहरा पूरी तरह से जल जाए.हमने अपना ब्रेस लेट उसे पहना दिया ताकि जिस से तुम उसकी शिनाख्त हमारे नाम की कर दो.",मेनका ने लंड छ्चोड़ उनकी तरफ भारी आँखो से देखा तो राजा साहब ने उसे खीच कर अपने उपर ले लिया & बाहो मे भर उसके चेहरे पे किस्सस की बौच्हर कर दी.

"हमे माफ़ कर देना.हमने तुम्हे बहुत तकलीफ़ पहुँचाई ना उस समय?"

"कोई बात नही.अब तो सब ठीक है.",उन्होने उसके आँसू अपने होंठो से साफ कर दिए तो मेनका मुस्कुरा दी."पर उन कामीनो तक कैसे पहुँचे?",अपनी भारी छातिया उनके सीने पे दबाए हुए उसने उनके चेहरे को अपने हाथों मे ले चूम लिया.

"हम कुच्छ दीनो के लिया हमारे 1 घर मे छुप गये & दाढ़ी-मूँछ बढ़ा 1 सरदार का भेस ले लिया.फिर जब्बार की हर्कतो पे निगाह रखने लगे & 1 दिन मौका देख उस से मुलाकात कर ली.",राजा साहब उसे बाहों मे भर करवट ले उसके उपर सवार हो गये कामुक-कहानियाँ.ब्लॉगस्पोट.कॉम & उसकी मस्त,कसी हुई बड़ी चूचियों से खेलने लगे.उसकी चूचियो को दबाने,मसलने,चूमने,चाटने & चूसने के बीच उन्होने उसे बताया कि कैसे उन्होने भाड़े के गंडो से जब्बार & मलिका पे हमला करवाया & फिर उनका विश्वास जीत लिया & कैसे जब्बार उन्हे मिल्स खरीदने राजपुरा ले गया.

वो नीचे उतर उसकी चूत चाटने लगे,"उसके बाद तो तुम्हे पता ही है कि हम गुप्त रास्ते से महल मे घुस कर तुमसे मिलने आए & ये प्लान बनाया कि सारी इल्लीगल प्रॉपर्टी & पैसों को इकट्ठा कर यहा बहामास मे सेट्ल हो जाएँ & तुम अपनी वसीयत मे अपनी मौत के बाद सबकुछ दान कर दो,ताकि हमने तुम्हे जो वादा किया था वो भी पूरा हो जाए."

"ह्म्म्म...!",मेनका उनके सर को अपनी चूत पे दबाती अपनी कमर उचकती बस इतना ही कह पाई.

"मेनका,मेरी जान!हमारा मक़सद था अपनी बची हुई ज़िंदगी तुम्हारी बाहों मे गुज़ारना & इसीलिए हमने तुम्हारे ज़रिए जब्बार को ये धोखा दिया कि तुम मिल्स उसे बेचोगी जबकि तुमने सपरू साहब के साथ डील कर ली थी. हमारे महल मे आग लगाके मालिका & उसे मौत की नींद सुलाने से हुमारा बदला तो पूरा हुआ ही,साथ मे मलिका की जाली लाश मिलने से सबने यही समझा कि वो तुम हो.",मेनका अब तक 3 बार झाड़ चुकी थी.अपने प्रेमी की हरकते ही नही उसकी बातें-जो ये ज़ाहिर करती थी कि वो उसे कितना चाहता है & केवल उसके साथ चैन से ज़िंदगी बिताने के लिए उसने इतना जोखिम उठाया-भी उसे मस्त किए जा रही थी.

उसने हाथ बढ़ा राजा साहब का सर अपनी चूत से अलग किया & खींच कर अपने उपर आने का इशारा किया.राजा साहब फ़ौरन उसके उपर आ गये तो उसने अपनी टांगे फैला दी,"उन पैसों से यहा हमने काफ़ी प्रॉपर्टी खरीदी है,जानेमन.दुनिया के लिए राजा यशवीर & मेनका मर चुके हैं पर अनिता & विजय के नाम से आज हम अपनी नयी ज़िंदगी का यहा इस खूबसूरत जगह मे आगाज़ करते हैं..",और उन्होने अपना लंड उसकी गीली चूत मे पेल दिया,मेनका ने भी कामुक-कहानियाँ.ब्लॉगस्पोट.कॉम अपनी टांगे & बाहें उनके जिस्म के गिर्द लपेट दी & दोनो प्यार के समंदर मे गोते लगाने लगे.

तो दोस्तो इस तरह दोनो ससुर बहू अब एक पति-पत्नी बनकर अपनी जिंदगी गुजारने लगे

दा एंड
 
Top