मित्र, आपकी इस कहानी पड़े। मुझे थोड़ा उलझन है। यह "गुजारिश" और "गुजारिश 2" दोनों का बिषय एक ही है। आपका दोनों कहानी पड़े हैं। पहले वाला "गुजारिश" मे कहानी थोड़ा गहन (Intense) ज्यादा था लगा मुझे। दो कहानी मे अंतर है की प्रधान चरित्र का नाम बदल गया है और ऊपर से ताईजी का अलग बखान है जो पुराना गुजारिश मे नहीं था। मैं आपसे अनुरोध करना चाहूँगा की आप "गुजारिश" को फिर चालू करके तार्किक समापन कीजिये, अगर आपका लैपटाप का समस्या समाप्त हो गया होगा तो। आपका बहुत आभार हमे इतना सुंदर एक कहानी पेश करने के लिए। नमस्कार।