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Adultery गुजारिश 2 (Completed)

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आप सभी पाठकों का मैं शुक्रगुजार हूं, ये केवल और केवल आपका ही साथ था जो ये कहानी यहां तक पहुंच पायी आप सब लोग मेरे लिए फॅमिली है क्या हुआ जो हम दूर है पर एक चीज हमे नजदीक लाती है, एक चीज जिसने हमे जोड़ा वो है ये कहानिया. कुछ देर पहले मैं अपनी काफी का इंतजार कर रहा था मेरे सामने कुछ लड़के बैठे इस कहानी की बात कर रहे थे 18-20 साल के जोश से भरे उन लड़कों की आँखों मे चमक थी, कहानी के बारे मे बात करते हुए उनके चेहरों को देखना अपने आप मे सुख था
चुस्कियां लेते हुए मुझे लगा कि जो मेरा उद्देश्य था वो कहीं ना कहीं पूर्ण जरूर हो रहा है. अब बात आप सब की अपेक्षाओं की दोस्तों मैं फिर से कहता हूं ये फोरम मेरे लिए घर जैसा है. यहां पर लिखना सम्मान है एक तरह का. बहुत से पाठकों की इच्छा रही है कि मैं शहरो की कहानी लिखूं
मित्रों, हम जैसे लोग जो दो रोटी कमाने को गांव से क्या निकले सब छूट गया हमसे, ये महंगे घर, साज सामान, बढ़िया खाना पर इसकी कीमत है ये कैद जो कंक्रीट के जंगलों ने हमे दी है
मेरे दिल मे कुछ है ही नहीं सिवाय गांव के, गांव जंगल नहर पहाड़ मंदिर बस यही सार है मेरा

बस इतना ही कहूँगा आप सब से की ईन पंक्तियों का ध्यान रखिए क्या मालूम क्या छिपा है इनमे ❤️
आपका अपना
HalfbludPrince

इन्ही पंक्तियों के कारण तो पाठकगण परेशान है। अगर आप इसके आगे लिखने वाले हो तो बहुत अच्छी बात होगी और अगर आप आगे नहीं लिखेंगे तो आपके पाठकगण परेशान होंगे की वो कौन थी..?? आपसे यही निवेदन है कि इस कहानी को आगे बढ़ाए या फिर एक बोनस अपडेट देकर कहानी को समाप्त करें। बोनस अपडेट में जो छूट गया है वो पॉइंट्स क्लियर करें।
 

brego4

Well-Known Member
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मेरे दिल मे कुछ है ही नहीं सिवाय गांव के, गांव जंगल नहर पहाड़ मंदिर बस यही सार है मेरा

Bhai manish this is what makes your stories very special, different from others and attract large number of readers towards your stories
बस इतना ही कहूँगा आप सब से की ईन पंक्तियों का ध्यान रखिए क्या मालूम क्या छिपा है इनमे ❤️
आपका अपना
HalfbludPrince

End mein super natural scene create kiya hai manish, i am sure and sincerely hope next poetic romance from you story will flow from here
 
Last edited:

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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आप सभी पाठकों का मैं शुक्रगुजार हूं, ये केवल और केवल आपका ही साथ था जो ये कहानी यहां तक पहुंच पायी आप सब लोग मेरे लिए फॅमिली है क्या हुआ जो हम दूर है पर एक चीज हमे नजदीक लाती है, एक चीज जिसने हमे जोड़ा वो है ये कहानिया. कुछ देर पहले मैं अपनी काफी का इंतजार कर रहा था मेरे सामने कुछ लड़के बैठे इस कहानी की बात कर रहे थे 18-20 साल के जोश से भरे उन लड़कों की आँखों मे चमक थी, कहानी के बारे मे बात करते हुए उनके चेहरों को देखना अपने आप मे सुख था
चुस्कियां लेते हुए मुझे लगा कि जो मेरा उद्देश्य था वो कहीं ना कहीं पूर्ण जरूर हो रहा है. अब बात आप सब की अपेक्षाओं की दोस्तों मैं फिर से कहता हूं ये फोरम मेरे लिए घर जैसा है. यहां पर लिखना सम्मान है एक तरह का. बहुत से पाठकों की इच्छा रही है कि मैं शहरो की कहानी लिखूं
मित्रों, हम जैसे लोग जो दो रोटी कमाने को गांव से क्या निकले सब छूट गया हमसे, ये महंगे घर, साज सामान, बढ़िया खाना पर इसकी कीमत है ये कैद जो कंक्रीट के जंगलों ने हमे दी है
मेरे दिल मे कुछ है ही नहीं सिवाय गांव के, गांव जंगल नहर पहाड़ मंदिर बस यही सार है मेरा

बस इतना ही कहूँगा आप सब से की ईन पंक्तियों का ध्यान रखिए क्या मालूम क्या छिपा है इनमे ❤️
आपका अपना
HalfbludPrince
Manish bhai mujhe aapse Do chije chahiye.
Ek to aapki pic. Or doosra. Is kahani ka agla part.
Hum aise hi aapka peecha nahi chodne wale
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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एक बात समझ नहीं आई की गांव वालों को इस बात पर एतराज़ क्यो है की रीना का ब्याह मनीष से नहीं हो सकता है? मनीष का गांव उसका ननिहाल है तो इसका मतलब ये कैसे हो गया की रीना के ननिहाल का कोई लड़का रीना से ब्याह ही नहीं कर सकता? क्या कहानी में रीना का ब्याह मनीष से सिर्फ इस वजह से नहीं हो सकता है की रीना गांव की भांजी थी...
खैर मनीष ने सभी गांववालो के सामने रीना की मां को अच्छा जवाब दिया की वो उसके चाचा के साथ चूदती है। देखते है आगे क्या होता है
South me ho jata hai... North India me ladki ki nanihal me uski shadi hargij nahi ho sakti... Aisi hi samajik vyavastha hai yahan ki... Aur ise badalne ki hum jarurat nahi samajhte
That's all
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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इस कहानी के बारे में क्या ही कहूं, दिल अपना प्रीत पराई के बाद ये दूसरी कहानी है जिसने दिल को छू ही नहीं लिया बल्कि रूह तक में समा गई है। फ़ौजी भाई, सोचा नहीं था कि इतना जल्दी ये कहानी समाप्त हो जाएगी और दिल धक्क से रह जाएगा किंतु एक दिन तो ये होना ही था। रहस्य, रोमांच, कौतूहल और उत्सुकता का ये धागा हम सबके गले में वैसा ही पड़ गया था जैसा रीना के गले में पड़ा था। लाजवाब लेखनी, लाजवाब कल्पना और बेहद ही सुंदर शब्दों द्वारा पिरोया गया कहानी का हर डायलॉग और हर दृश्य....अद्भुत।

अर्जुन सिंह की जो छवि हमारे ज़हन में बन गई थी वो उससे अलग ही निकला। अक्सर जो दिखता है वो सच नहीं होता और ये बात अर्जुन सिंह के क़िरदार से साबित भी हो गई। अतीत में ये जो कुछ भी हुआ था वो तो नियति का ही खेल था जिसमें मंदा के साथ इतना बड़ा अन्याय और अत्याचार हुआ था। ये अलग बात है कि नियति के खेल में जहां मंदा जैसी लड़की का सब कुछ लुट गया वहीं अर्जुन सिंह जैसे अच्छे इंसान और भाई पर ऐसा घिनौना लांछन भी लग गया कि उसने अपनी मुंह बोली बहन को बर्बाद किया था। ख़ैर ऊपर बैठे विधाता के खेल निराले हैं, हम सब तो उसके हाथ की कठपुतलियां हैं।

एक तरफ अर्जुन सिंह का पिता तो दूसरी तरफ दद्दा ठाकुर का बेटा बलवीर जिसने ऐसे कर्मकाण्ड की बुनियाद रखी थी। ज़ाहिर है जब इस तरह का कुकर्म किसी के साथ होगा तो ऐसे बुरे कर्म का फल भी किसी न किसी रूप में भोगने को मिलेगा ही। इस कहानी में ये जान कर हैरत हुई कि मीता और रीना दोनों ही मंदा की बेटियां थीं और आपस में सगी बहनें थीं। दोनों की पैदाइश भी अलग तरह से हुई जो कि हैरतंगेज बात है। मीता का तो समझ में आया किंतु रीना कैसे पैदा हुई क्योंकि मंदा तो कदाचित जीवित ही न बची थी?

मंदा ने प्रतिशोध लिया और जिस जिस ने उसके साथ बुरा किया था उसे उसने जहन्नुम भेज दिया, अंततः अर्जुन सिंह और संध्या के द्वारा उसे ये सच भी पता चला कि अर्जुन सिंह ने उसके साथ कभी कुछ बुरा नहीं किया था बल्कि उसने तो वो काम किया था जो आज के युग में कोई किसी के लिए नहीं कर सकता। उसने घिनौना इल्ज़ाम अपने सिर ले लिया और उसकी बेटियों को जीवित रखा। खुद सोलह साल उसने सब कुछ त्याग कर अज्ञातवास की तरह गुजारे किंतु न तो उसने कभी मंदा के चरित्र पर दाग़ लगने दिया और न ही उसकी बेटियों का भविष्य अंधकारमय होने दिया। पृथ्वी का चरित्र भी अपने बाप बलवीर की तरह ही घटिया था जिसका उसे दण्ड मिला। मेरा खयाल है कि अब शायद ही उसके वंश में कोई ऐसा बचा हो जो दद्दा ठाकुर की वंश बेल को आगे बढ़ा सके। ख़ैर अर्जुन सिंह और संध्या के द्वारा सच का पता चल जाने पर मंदा का क्रोध शांत हुआ और उसके मन से अर्जुन सिंह के प्रति गुस्सा और प्रतिशोध की भावना ख़त्म हो गई। अंततः उसे उस भयानक योनि और बंधन से मुक्ति गई।

मनीष को रीना और मीता दोनों का ही प्रेम मिल गया। हालाकि मीता एक तरह से संध्या की बेटी भी हुई और उस नाते वो मनीष की बहन हुई। किंतु ज़ाहिर है प्रेम के आगे ये सब बेमतलब ही है। वैसे भी किसी को अब इस रिश्ते से कोई आपत्ती नहीं थी। ख़ैर मनीष को भी इतने दुखों और संघर्षों के बाद खुशियां मिल गई जिसका वो वाकई में हकदार था।

आज उस मैदान में खाली जमीन नहीं थी . वहां पर एक काला महल था . जो चाँद की रौशनी में चमक रहा था . महल के ठीक सामने एक पानी की बावड़ी थी जिसके पत्थर के किनारों पर पीठ किये कोई बैठी थी .....

“आ गये तुम ” बाबा की तरफ बिना देखे उसने कहा .

बाबा ने अपने हाथो में पहने चांदी के मोटे कड़ो को एक दुसरे से टकराया . उसने पलट कर बाबा को देखा .... चाँद की रौशनी में मैंने उसकी सूरत देखि ... और देखता रह गया .


“असंभव,,,,,,,,, ये नहीं हो सकता ” मेरे होंठो से बस इतना निकला और आसमान में चाँद को बादलो ने अपने आगोश में भर लिया .अँधेरे ने सब कुछ लील लिया..............
कहानी तो समाप्त हो गई किंतु इस दृश्य को पढ़ कर ऐसा प्रतीत हुआ जैसे अभी भी कुछ शेष रह गया है। शुरू से सवालों के साथ उसके जवाबों की उम्मीद में ही रहे थे और आख़िर में भी कुछ सवाल हमारे लिए प्रसाद के रूप में थमा दिया आपने। अब ये उत्सुकता बनी ही रहेगी कि वो औरत कौन थी जिससे अर्जुन सिंह इस तरह मिलने गया? जिस मैदान में कुछ नहीं था वहां पर काला महल कैसे और क्यों नज़र आने लगा? ये सब बातें ऐसी हैं जो चीख चीख कर बता रही हैं कि कहानी का कुछ तो अंश अभी भी शेष है। उम्मीद है या तो इन सवालों के जवाब मिलेंगे या फिर शेष बचे हुए इस अंश को विस्तार से पढ़ने का हमें मौका मिलेगा। या फिर ऐसा भी हो सकता है कि ये अंत एक नई कहानी की शुरुआत का इशारा कर रहा हो। अगर ऐसा है तो यकीनन ये हम सबके लिए खुशी की बात होगी क्योंकि ऐसी लेखनी और ऐसी कहानी को पढ़ने के लिए हम सब पूरी शिद्दत से तैयार रहने वाले हैं।

बहुत ही खूबसूरत कहानी लिखी है फ़ौजी भाई आपने। ऐसी कहानियां पढ़ने से ही खुशी और सुकून प्राप्त होता है। हमेशा यही ख्वाईश रहती है कि ऐसी कहानियां हमेशा लिखी जाएं और हम इन्हें पढ़ कर एक अलग ही तरह का रोमांच महसूस करें। मैं ईश्वर से यही प्रार्थना करता हूं कि आप हमेशा स्वस्थ और सलामत रहें और अपनी खूबसूरत लेखनी के द्वारा हमें ऐसी अद्भुत कहानियों का लुत्फ उठाने का सौभाग्य प्रदान करते रहें। :hug: 🙏🙏🙏
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Bhai manish no one can forget you right from the days of xboard and then exbii and now here, you have poured your heart out to show us the magical, natural powers of love means preet set in rural grounds which made your stories very uniquely emotional and won the hearts of million of readers. Your decision of stopping writing can not be accepted but yea you can take a well deserved break after after writing such a emotionally exhaustive love story of revenge, friendship, jealousy and romance and of course also about love and sacrifices.

End mein fir se suspense ? kya next part bhi expected hai ?
Thanks for support bhai
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Xforum ki rahasmayi kahaniyon mein se yeh meri pasandida kahani rahi ha .. mere paas jyada lafaz nhi kehne likhne ko ..Mein aapka shukriya krta hu esi shandaar kahani k liye ..Rahi baat safr ki toh hum chahenge aap apni kalam ka Jadoo isi tarah barkarar rakhein....aapko bhulne ka matlb nhi hota....hum dil se aapki dhamakedar entry ki wait krenge... :love3:
Thanks for support bhai, ek naye safar ki shuruaat ki hai, ummid hai sab accha ho
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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फौजी भाई आप की इस कहानी ने तो सब पाठकों के दिल के साथ साथ दिमाग जीत लिया कोई भी अंदाज़ा न लगा पाए की आगे क्या होगा और कहानी का अंत भी न्यायपूर्ण ही रहा सिवाए अंत के जिस से लगता है की कहानी में अभी कुछ और भी होना बाकि है

रही बात ये आखरी कहानी की और लेखनी छोड़ देने की तो ये तो आप के पाठकों पर बहुत तगड़ा अत्याचार होगा क्यों की ऐसी दिल को मोह व् छू लेने वाली कहानियां आज कल पढ़ने को मिलती ही कहाँ है ?
आपका आभारी हूं मित्र,
 
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