• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery गुजारिश

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,542
88,075
259
Naina tum apni theories dete raho aur musafir bhai usko galat sabit karte rehenge. Pichli baar bhi inhone kaha tha ke PREET nayi story hai uska DIL APNA PREET PARAYI se koi link nahi magar end mein sab ek ho geya ab is baar bhi kuch aisa hi lag raha hai. Ab aage dekho kya hota hai.
Is bar aisa kuch nahi hone wala bhai
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,542
88,075
259
Musafir sir mera kya kasoor hai jo meko 1st update hi nahi dikh raha.... comments dikh rahe hai ki bhot beautiful update hai aur bhi bhotsaare comments dikh rahe hai ...update nahi :angrysad::rondu:
at page 10
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,542
88,075
259
#43

रूपा का सर दीवार से टकराया. पर वो सम्भल गई.

"तेरी यही इच्छा है तो ये ही ठीक " रूपा ने गुस्से से कहा और सर्प की पुंछ को पकड़ कर उसे हवा मे उछाल दिया.

मैं ये विध्वंस नहीं चाहता था पर उनको रोकने की हालत मे भी नहीं था. पहली बार मैंने शांत, सरल रूपा की आँखों मे कुछ ऐसा देखा था जिसकी मुझे कभी उम्मीद नहीं थी. वो सर्प जिसके सामने खड़े होने की किसी की हिम्मत नहीं, जिसके खामोश खौफ को मैंने खुद महसूस किया था.

रूपा ने सर्प पर झपटा सा मारा और वो सर्प चिंघाड़ता हुआ दूर जा गिरा.

"मुझे देखने दे इसे. " रूपा मेरी तरफ बढ़ी पर सर्प ने अपनी कुंडली मे जकड़ लिया रूपा को.

"मैंने कहा ना नहीं " सर्प अपनी अजीब सी शांत आवाज मे बोला

रूपा - देव के लिए मुझे तुझे चीरना भी पड़े तो परवाह नहीं

सर्प ने अपना फन जमीन पर मारा और फर्श के टुकड़े टुकड़े हो गए. उसका ये इशारा था रूपा को की आ देखू तुझे. उन दोनों के झगड़े की वज़ह से गर्मी बढ़ गई थी. दोनों एक दूसरे से जुझ रही थी. बड़ी मुश्किल से मैं उठ खड़ा हुआ.

"तुम दोनों मुझे मार दो, फिर जो चाहे करना है कर लेना " मैंने खुद को सम्हालते हुए कहा.

दोनो रुक गयी और मुझे देखने लगी.

"मैं नहीं जानता कि क्या कहूँ, और ना मुझे कुछ कहना है, तुम दोनों से विनती है मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो. " मैंने कहा

रूपा ने बेबस नजरो से मेरी तरफ देखा.

"तुम दोनों मे से जो भी मुझे इस दर्द से आजाद कर सकती है वो करे "मैंने कहा

"ईन दोनों के बस की बात नहीं है ये मुसाफिर " इस आवाज ने हम सबका ध्यान खींच लिया. ये बाबा थे जो अभी अभी कहीं से लौटे थे.

"एक पवित्र स्थान पर जो घृणित कार्य किया है तुम दोनों ने, विचार करके देखो, क्रोध और घ्रणा कब दिमाग पर काबु कर लेते है तो कुछ भान नहीं होता, कल जब लोग यहां आयेंगे तो इस हालत को देख कर क्या सोचेंगे "बाबा ने गुस्से से कहा

मैं दीवार का सहारा लेकर बैठ गया. मुझे लगने लगा था कि किसी भी पल बस कुछ भी हो सकता है.

"तुम दोनों जाओ यहां से "बाबा ने उनसे कहा

रूपा - नहीं जाऊँगी, जब तक ये ठीक नहीं हो जाता नहीं जाऊँगी

सर्प ने भी ऐसा ही कहा.

बाबा ने अपने झोले से कुछ निकाला और मेरे हाथ मे रखा.

"ये रक्तवर्धक बूटी है खा इसे " बाबा ने कहा

मैंने तुरन्त उसे घटक लिया.

बाबा - इस से नया खून बनने लगेगा.

बाबा ने सही कहा था जैसे ही बूटी का असर हुआ मुझे मेरी नसों मे एक लहर महसूस हुई. कमजोरी बंद हो गई.

मैं - क्या ये इलाज है बाबा

बाबा - जिंदगी भर का दर्द. ये घाव भर जाएगा पर दर्द नहीं जाएगा क्योंकि

"क्योंकि प्रहार रक्षा के लिए था, अनजाने मे तुमने कुछ ऐसी वस्तु छु ली जिसे प्राणघातक वार से संरक्षित किया गया था. " सर्प ने कहा

बाबा ने सर हिलाया.

रूपा - बाबा आप घाव भरो, दर्द को मैं अपने ऊपर ले लुंगी

बाबा - जानती है क्या कह रही है

रूपा - हाँ, जानती हूं

बाबा - ऐसा नहीं होगा. कदापि नहीं.

बाबा ने मुझे लेटने को कहा और झोले से कुछ निकाल कर मेरे सीने पर मलने लगे. तेज दर्द होने लगा.

"मुझे तुम्हारी जरूरत पड़ेगी " बाबा ने सर्प से कहा

सर्प की पीली आंखे टिमटिमाने लगी. वो अपने अर्ध नारी अर्ध नागिन रूप मे आयी. हमेशा के जैसे मैं उसका चेहरा नहीं देख पा रहा था. उसने अपने गले से कुछ निकाला और बाबा की तरफ फेंका.

बाबा ने उस चीज को रगड़ कर मेरे जख्म मे भरना शुरू किया और तुरन्त ही मुझे बड़ी राहत मिली.

बाबा - रुद्रभस्म असर कर रही है.

सर्प को जैसे राहत सी मिली.

बाबा - मुझे तुम्हारी सहायता भी चाहिए रूपा

"नहीं बाबा, ऐसा नहीं होगा " सर्प ने प्रतिकार किया

बाबा - तो तुम बताओ मैं क्या करू. दर्द के आवेश को रोकने का कोई और तरीका है.

सर्प - पर इसके दुष्परिणाम

बाबा - फ़िलहाल मेरी प्राथमिकता ज़ख्म भरने की है
रूपा आगे आयी. उसने हमेशा की तरह मुस्करा कर मुझे देखा.

"आंखे बंद कर लो मुसाफिर, और चाहे कितना भी दर्द हो पी लेना उसे, धीरे धीरे आदत हो जाएगी तुम्हें "बाबा ने कहा

मैंने आंखे मूंद ली. ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरे सीने को सिलाई किया जा रहा हो. मैंने अपनी नसों मे कुछ अजीब सा बहता हुआ महसूस किया. धीरे धीरे मैं बेहोशी के सागर मे डूबता चला गया. जैसे हर रात के बाद सुबह होती है उस बेहोशी के बाद भी आंखे खुली. मैंने खुद बाबा के बिस्तर पर पाया. दिन निकल आया था.

मजार ऐसी थी कि जैसे कल कुछ हुआ ही नहीं हो. मैंने अपने सीने पर हाथ फेरा. ज़ख्म गायब था ना सिलाई के कोई निशान थे. मैंने कंबल ओढ़ा और बाहर आया.

"आ मुसाफिर आ चाय पीते है " बाबा ने मुझे देखते हुए कहा

मैं - वो दोनों कहा है

बाबा - कौन दोनों

मैं - आप इतने भोले भी नहीं है

बाबा - शातिर भी तो नहीं हूं

मैं - मुझे उस सर्प के बारे मे जानना है, कौन है वो, क्या रिश्ता है मेरा उससे, क्यों मेरे साथ है वो. कहाँ रहती है वो.

बाबा ने चिलम होंठो से लगाई और एक कश लिया.

बाबा - मुझे क्या मालूम

मैं - बाबा छुपाने का कोई फायदा नहीं, आपको अभी बताना होगा मुझे

बाबा - जानना चाहता है उसके बारे मे तो सुन, तू कर्जदार है उसका, तेरी आधी जिंदगी उसकी अमानत है. ये सांसे जो तेरी चल रही है, उसकी बदोलत है, तेरा सुख इसलिए है क्योंकि दुख उस के भाग मे जुड़ गया है. तू जानना चाहता है वो कौन है, वो वो अभागन है जिसके साथ नियति ने ऐसा छल किया है जो ना बताया जाए, ना छिपाया जाए. जब जब तुझे वो मिले, कृतज्ञ रहना उसका.

बाबा ने इतना कहा और आंखे मूंद ली. हमेशा की तरह उनका ये इशारा था. मैं वहां से उठा और बाहर की तरफ आया ही था कि मेरे सामने एक गाड़ी आकर रुकी.
 
15,607
32,136
259
nice update ...saap ne to rudrabhasm diya par rupa ne silai kaise ki ?....aur kya ab bhi rupa sirf saadharan ladki lagegi kya ? usme bhi kuch to hai ?...par kya hai pata nahi ....

aur baba ne ye kyu kaha ki wo saapin abhagan hai ?...ye baba sab jaanta hai par dev ko kuch batata nahi aur sirf paheliyo me baat karta hai ...
 
15,607
32,136
259
aur dev ne aisa kya chhu liya jise protect kiya gaya tha ??? rupa aur saap aur baba bhi ek dusre ko achchi tarah jaante hai ki unki taaqat aur unka rishta ??...par dev ka dard kise mila saap ko ya rupa ko ...
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
42,746
111,127
304
#43

रूपा का सर दीवार से टकराया. पर वो सम्भल गई.

"तेरी यही इच्छा है तो ये ही ठीक " रूपा ने गुस्से से कहा और सर्प की पुंछ को पकड़ कर उसे हवा मे उछाल दिया.

मैं ये विध्वंस नहीं चाहता था पर उनको रोकने की हालत मे भी नहीं था. पहली बार मैंने शांत, सरल रूपा की आँखों मे कुछ ऐसा देखा था जिसकी मुझे कभी उम्मीद नहीं थी. वो सर्प जिसके सामने खड़े होने की किसी की हिम्मत नहीं, जिसके खामोश खौफ को मैंने खुद महसूस किया था.

रूपा ने सर्प पर झपटा सा मारा और वो सर्प चिंघाड़ता हुआ दूर जा गिरा.

"मुझे देखने दे इसे. " रूपा मेरी तरफ बढ़ी पर सर्प ने अपनी कुंडली मे जकड़ लिया रूपा को.

"मैंने कहा ना नहीं " सर्प अपनी अजीब सी शांत आवाज मे बोला

रूपा - देव के लिए मुझे तुझे चीरना भी पड़े तो परवाह नहीं

सर्प ने अपना फन जमीन पर मारा और फर्श के टुकड़े टुकड़े हो गए. उसका ये इशारा था रूपा को की आ देखू तुझे. उन दोनों के झगड़े की वज़ह से गर्मी बढ़ गई थी. दोनों एक दूसरे से जुझ रही थी. बड़ी मुश्किल से मैं उठ खड़ा हुआ.

"तुम दोनों मुझे मार दो, फिर जो चाहे करना है कर लेना " मैंने खुद को सम्हालते हुए कहा.

दोनो रुक गयी और मुझे देखने लगी.

"मैं नहीं जानता कि क्या कहूँ, और ना मुझे कुछ कहना है, तुम दोनों से विनती है मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो. " मैंने कहा

रूपा ने बेबस नजरो से मेरी तरफ देखा.

"तुम दोनों मे से जो भी मुझे इस दर्द से आजाद कर सकती है वो करे "मैंने कहा

"ईन दोनों के बस की बात नहीं है ये मुसाफिर " इस आवाज ने हम सबका ध्यान खींच लिया. ये बाबा थे जो अभी अभी कहीं से लौटे थे.

"एक पवित्र स्थान पर जो घृणित कार्य किया है तुम दोनों ने, विचार करके देखो, क्रोध और घ्रणा कब दिमाग पर काबु कर लेते है तो कुछ भान नहीं होता, कल जब लोग यहां आयेंगे तो इस हालत को देख कर क्या सोचेंगे "बाबा ने गुस्से से कहा

मैं दीवार का सहारा लेकर बैठ गया. मुझे लगने लगा था कि किसी भी पल बस कुछ भी हो सकता है.

"तुम दोनों जाओ यहां से "बाबा ने उनसे कहा

रूपा - नहीं जाऊँगी, जब तक ये ठीक नहीं हो जाता नहीं जाऊँगी

सर्प ने भी ऐसा ही कहा.

बाबा ने अपने झोले से कुछ निकाला और मेरे हाथ मे रखा.

"ये रक्तवर्धक बूटी है खा इसे " बाबा ने कहा

मैंने तुरन्त उसे घटक लिया.

बाबा - इस से नया खून बनने लगेगा.

बाबा ने सही कहा था जैसे ही बूटी का असर हुआ मुझे मेरी नसों मे एक लहर महसूस हुई. कमजोरी बंद हो गई.

मैं - क्या ये इलाज है बाबा

बाबा - जिंदगी भर का दर्द. ये घाव भर जाएगा पर दर्द नहीं जाएगा क्योंकि

"क्योंकि प्रहार रक्षा के लिए था, अनजाने मे तुमने कुछ ऐसी वस्तु छु ली जिसे प्राणघातक वार से संरक्षित किया गया था. " सर्प ने कहा

बाबा ने सर हिलाया.

रूपा - बाबा आप घाव भरो, दर्द को मैं अपने ऊपर ले लुंगी

बाबा - जानती है क्या कह रही है

रूपा - हाँ, जानती हूं

बाबा - ऐसा नहीं होगा. कदापि नहीं.

बाबा ने मुझे लेटने को कहा और झोले से कुछ निकाल कर मेरे सीने पर मलने लगे. तेज दर्द होने लगा.

"मुझे तुम्हारी जरूरत पड़ेगी " बाबा ने सर्प से कहा

सर्प की पीली आंखे टिमटिमाने लगी. वो अपने अर्ध नारी अर्ध नागिन रूप मे आयी. हमेशा के जैसे मैं उसका चेहरा नहीं देख पा रहा था. उसने अपने गले से कुछ निकाला और बाबा की तरफ फेंका.

बाबा ने उस चीज को रगड़ कर मेरे जख्म मे भरना शुरू किया और तुरन्त ही मुझे बड़ी राहत मिली.

बाबा - रुद्रभस्म असर कर रही है.

सर्प को जैसे राहत सी मिली.

बाबा - मुझे तुम्हारी सहायता भी चाहिए रूपा

"नहीं बाबा, ऐसा नहीं होगा " सर्प ने प्रतिकार किया

बाबा - तो तुम बताओ मैं क्या करू. दर्द के आवेश को रोकने का कोई और तरीका है.

सर्प - पर इसके दुष्परिणाम

बाबा - फ़िलहाल मेरी प्राथमिकता ज़ख्म भरने की है
रूपा आगे आयी. उसने हमेशा की तरह मुस्करा कर मुझे देखा.

"आंखे बंद कर लो मुसाफिर, और चाहे कितना भी दर्द हो पी लेना उसे, धीरे धीरे आदत हो जाएगी तुम्हें "बाबा ने कहा

मैंने आंखे मूंद ली. ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरे सीने को सिलाई किया जा रहा हो. मैंने अपनी नसों मे कुछ अजीब सा बहता हुआ महसूस किया. धीरे धीरे मैं बेहोशी के सागर मे डूबता चला गया. जैसे हर रात के बाद सुबह होती है उस बेहोशी के बाद भी आंखे खुली. मैंने खुद बाबा के बिस्तर पर पाया. दिन निकल आया था.

मजार ऐसी थी कि जैसे कल कुछ हुआ ही नहीं हो. मैंने अपने सीने पर हाथ फेरा. ज़ख्म गायब था ना सिलाई के कोई निशान थे. मैंने कंबल ओढ़ा और बाहर आया.

"आ मुसाफिर आ चाय पीते है " बाबा ने मुझे देखते हुए कहा

मैं - वो दोनों कहा है

बाबा - कौन दोनों

मैं - आप इतने भोले भी नहीं है

बाबा - शातिर भी तो नहीं हूं

मैं - मुझे उस सर्प के बारे मे जानना है, कौन है वो, क्या रिश्ता है मेरा उससे, क्यों मेरे साथ है वो. कहाँ रहती है वो.

बाबा ने चिलम होंठो से लगाई और एक कश लिया.

बाबा - मुझे क्या मालूम

मैं - बाबा छुपाने का कोई फायदा नहीं, आपको अभी बताना होगा मुझे

बाबा - जानना चाहता है उसके बारे मे तो सुन, तू कर्जदार है उसका, तेरी आधी जिंदगी उसकी अमानत है. ये सांसे जो तेरी चल रही है, उसकी बदोलत है, तेरा सुख इसलिए है क्योंकि दुख उस के भाग मे जुड़ गया है. तू जानना चाहता है वो कौन है, वो वो अभागन है जिसके साथ नियति ने ऐसा छल किया है जो ना बताया जाए, ना छिपाया जाए. जब जब तुझे वो मिले, कृतज्ञ रहना उसका.


बाबा ने इतना कहा और आंखे मूंद ली. हमेशा की तरह उनका ये इशारा था. मैं वहां से उठा और बाहर की तरफ आया ही था कि मेरे सामने एक गाड़ी आकर रुकी.
:reading:
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
42,746
111,127
304
#43

रूपा का सर दीवार से टकराया. पर वो सम्भल गई.

"तेरी यही इच्छा है तो ये ही ठीक " रूपा ने गुस्से से कहा और सर्प की पुंछ को पकड़ कर उसे हवा मे उछाल दिया.

मैं ये विध्वंस नहीं चाहता था पर उनको रोकने की हालत मे भी नहीं था. पहली बार मैंने शांत, सरल रूपा की आँखों मे कुछ ऐसा देखा था जिसकी मुझे कभी उम्मीद नहीं थी. वो सर्प जिसके सामने खड़े होने की किसी की हिम्मत नहीं, जिसके खामोश खौफ को मैंने खुद महसूस किया था.

रूपा ने सर्प पर झपटा सा मारा और वो सर्प चिंघाड़ता हुआ दूर जा गिरा.

"मुझे देखने दे इसे. " रूपा मेरी तरफ बढ़ी पर सर्प ने अपनी कुंडली मे जकड़ लिया रूपा को.

"मैंने कहा ना नहीं " सर्प अपनी अजीब सी शांत आवाज मे बोला

रूपा - देव के लिए मुझे तुझे चीरना भी पड़े तो परवाह नहीं

सर्प ने अपना फन जमीन पर मारा और फर्श के टुकड़े टुकड़े हो गए. उसका ये इशारा था रूपा को की आ देखू तुझे. उन दोनों के झगड़े की वज़ह से गर्मी बढ़ गई थी. दोनों एक दूसरे से जुझ रही थी. बड़ी मुश्किल से मैं उठ खड़ा हुआ.

"तुम दोनों मुझे मार दो, फिर जो चाहे करना है कर लेना " मैंने खुद को सम्हालते हुए कहा.

दोनो रुक गयी और मुझे देखने लगी.

"मैं नहीं जानता कि क्या कहूँ, और ना मुझे कुछ कहना है, तुम दोनों से विनती है मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो. " मैंने कहा

रूपा ने बेबस नजरो से मेरी तरफ देखा.

"तुम दोनों मे से जो भी मुझे इस दर्द से आजाद कर सकती है वो करे "मैंने कहा

"ईन दोनों के बस की बात नहीं है ये मुसाफिर " इस आवाज ने हम सबका ध्यान खींच लिया. ये बाबा थे जो अभी अभी कहीं से लौटे थे.

"एक पवित्र स्थान पर जो घृणित कार्य किया है तुम दोनों ने, विचार करके देखो, क्रोध और घ्रणा कब दिमाग पर काबु कर लेते है तो कुछ भान नहीं होता, कल जब लोग यहां आयेंगे तो इस हालत को देख कर क्या सोचेंगे "बाबा ने गुस्से से कहा

मैं दीवार का सहारा लेकर बैठ गया. मुझे लगने लगा था कि किसी भी पल बस कुछ भी हो सकता है.

"तुम दोनों जाओ यहां से "बाबा ने उनसे कहा

रूपा - नहीं जाऊँगी, जब तक ये ठीक नहीं हो जाता नहीं जाऊँगी

सर्प ने भी ऐसा ही कहा.

बाबा ने अपने झोले से कुछ निकाला और मेरे हाथ मे रखा.

"ये रक्तवर्धक बूटी है खा इसे " बाबा ने कहा

मैंने तुरन्त उसे घटक लिया.

बाबा - इस से नया खून बनने लगेगा.

बाबा ने सही कहा था जैसे ही बूटी का असर हुआ मुझे मेरी नसों मे एक लहर महसूस हुई. कमजोरी बंद हो गई.

मैं - क्या ये इलाज है बाबा

बाबा - जिंदगी भर का दर्द. ये घाव भर जाएगा पर दर्द नहीं जाएगा क्योंकि

"क्योंकि प्रहार रक्षा के लिए था, अनजाने मे तुमने कुछ ऐसी वस्तु छु ली जिसे प्राणघातक वार से संरक्षित किया गया था. " सर्प ने कहा

बाबा ने सर हिलाया.

रूपा - बाबा आप घाव भरो, दर्द को मैं अपने ऊपर ले लुंगी

बाबा - जानती है क्या कह रही है

रूपा - हाँ, जानती हूं

बाबा - ऐसा नहीं होगा. कदापि नहीं.

बाबा ने मुझे लेटने को कहा और झोले से कुछ निकाल कर मेरे सीने पर मलने लगे. तेज दर्द होने लगा.

"मुझे तुम्हारी जरूरत पड़ेगी " बाबा ने सर्प से कहा

सर्प की पीली आंखे टिमटिमाने लगी. वो अपने अर्ध नारी अर्ध नागिन रूप मे आयी. हमेशा के जैसे मैं उसका चेहरा नहीं देख पा रहा था. उसने अपने गले से कुछ निकाला और बाबा की तरफ फेंका.

बाबा ने उस चीज को रगड़ कर मेरे जख्म मे भरना शुरू किया और तुरन्त ही मुझे बड़ी राहत मिली.

बाबा - रुद्रभस्म असर कर रही है.

सर्प को जैसे राहत सी मिली.

बाबा - मुझे तुम्हारी सहायता भी चाहिए रूपा

"नहीं बाबा, ऐसा नहीं होगा " सर्प ने प्रतिकार किया

बाबा - तो तुम बताओ मैं क्या करू. दर्द के आवेश को रोकने का कोई और तरीका है.

सर्प - पर इसके दुष्परिणाम

बाबा - फ़िलहाल मेरी प्राथमिकता ज़ख्म भरने की है
रूपा आगे आयी. उसने हमेशा की तरह मुस्करा कर मुझे देखा.

"आंखे बंद कर लो मुसाफिर, और चाहे कितना भी दर्द हो पी लेना उसे, धीरे धीरे आदत हो जाएगी तुम्हें "बाबा ने कहा

मैंने आंखे मूंद ली. ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरे सीने को सिलाई किया जा रहा हो. मैंने अपनी नसों मे कुछ अजीब सा बहता हुआ महसूस किया. धीरे धीरे मैं बेहोशी के सागर मे डूबता चला गया. जैसे हर रात के बाद सुबह होती है उस बेहोशी के बाद भी आंखे खुली. मैंने खुद बाबा के बिस्तर पर पाया. दिन निकल आया था.

मजार ऐसी थी कि जैसे कल कुछ हुआ ही नहीं हो. मैंने अपने सीने पर हाथ फेरा. ज़ख्म गायब था ना सिलाई के कोई निशान थे. मैंने कंबल ओढ़ा और बाहर आया.

"आ मुसाफिर आ चाय पीते है " बाबा ने मुझे देखते हुए कहा

मैं - वो दोनों कहा है

बाबा - कौन दोनों

मैं - आप इतने भोले भी नहीं है

बाबा - शातिर भी तो नहीं हूं

मैं - मुझे उस सर्प के बारे मे जानना है, कौन है वो, क्या रिश्ता है मेरा उससे, क्यों मेरे साथ है वो. कहाँ रहती है वो.

बाबा ने चिलम होंठो से लगाई और एक कश लिया.

बाबा - मुझे क्या मालूम

मैं - बाबा छुपाने का कोई फायदा नहीं, आपको अभी बताना होगा मुझे

बाबा - जानना चाहता है उसके बारे मे तो सुन, तू कर्जदार है उसका, तेरी आधी जिंदगी उसकी अमानत है. ये सांसे जो तेरी चल रही है, उसकी बदोलत है, तेरा सुख इसलिए है क्योंकि दुख उस के भाग मे जुड़ गया है. तू जानना चाहता है वो कौन है, वो वो अभागन है जिसके साथ नियति ने ऐसा छल किया है जो ना बताया जाए, ना छिपाया जाए. जब जब तुझे वो मिले, कृतज्ञ रहना उसका.


बाबा ने इतना कहा और आंखे मूंद ली. हमेशा की तरह उनका ये इशारा था. मैं वहां से उठा और बाहर की तरफ आया ही था कि मेरे सामने एक गाड़ी आकर रुकी.
Awesome Update
To kya mona hi sarp hai . Par roopa se etni nafrat kyon ? Kyon aisa lagta hai ki uska dev ke nikat jana nukshandayak hoga ?
 

brego4

Well-Known Member
2,850
11,104
158
zabardast exciting update raha

baba ne to nagin ka kuch alag hi roop bata diya, story bahut interesting hoti ja rahi hai
 
Top