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Adultery गुजारिश

Guffy

Well-Known Member
2,065
2,173
159
#45

सर साला फटने को हो गया है था. गली के नुक्कड़ पर लाला महिपाल की लाश पडी थी. एकदम सफेद लाश जैसे सारा खून निचोड़ लिया गया हो. ठीक इसी जगह पर मुनीम की लाश मिली थी और अब लाला की लाश. मैं बिना देर किए वहां से भाग लिया. दिल इतनी जोर से पहले कभी नहीं धड़का था. मैंने रज़ाई ली और कांपते हुए बैठ गया
.
थोड़ी देर मे ही चीख पुकार मच गई. मैं बाहर नहीं गया. ऐसा नहीं था कि लाला की मौत से मुझे दुख था, मुझे कोई फर्क़ नहीं पड़ता. पर मेरा विचार ये था कि मैं ही क्यों ऐसी जगह पर पहुंच जाता हूँ जहां ये सब चुतियापा चल रहा होता है. मेरे उलझनें पहले ही कम नहीं थी. गांव मे हो क्या रहा था मुझे मालूम करना ही था, जैसा शकुंतला ने कहा कि साँप मार रहा है लोगों को पर क्यों. अब ये मुझे मालूम करना था

दोपहर को मैं सेशन हाउस गया तो वहां जाकर कुछ और ही मालूम हुआ, मोना ने तीन दिन पहले नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. इतनी बड़ी नौकरी को अचानक छोड़ देना क्या उचित था. मैंने गाड़ी जूनागढ की तरफ मोड़ दी. चौखट पर मैंने जब्बर को देखा और आगे बढ़ गया मेरा फ़िलहाल मोना से मिलना जरूरी था.

"मोना कहाँ है" मैंने गाड़ी से उतरते ही दरबान से पूछा

दरबान - यहां तो नहीं आयी मेमसाहब

मैं - नौकरी छोड़ दी है उसने

दरबान - हमे तो कोई जानकारी नहीं है हुकुम

मैं - सेशन हाउस नहीं है, यहां नहीं है तो कहाँ है वो, और कौन सी जगह है जहां वो जाती है

दरबान - और तो कहीं नहीं जाती वो, पर हाँ उस दिन आपके जाने के बाद बड़े साहब आए थे यहाँ, दोनों मे झगड़ा हुआ था.

मैं - बड़े साहब यानी मोना के पिता.

दरबान ने हा मे सर हिलाया.

मैं - किस बात को लेकर झगड़ा हुआ था

दरबान - हुकुम हम सब बाहर थे बाप बेटी अंदर थे पर आवाज़ें जोर जोर से आ रही थी तो हमको भान हो गया.

ये बाते और परेशान करने वाली थी मुझे. मोना का अचानक से नौकरी छोडऩा और फिर घर नहीं आना. क्या वो किसी मुसीबत मे थी. मेरा दिल घबराने लगा था. क्या सतनाम ने उसके साथ कुछ किया होगा. मैंने गाड़ी को सतनाम की हवेली की तरफ़ मोड़ दिया. कुछ ही देर बाद मैं वहां था जहां मैं ऐसे जाऊँगा कभी सोचा नहीं था.

"दरवाज़ा खोल, सतनाम से मिलना है मुझे " मैंने दरवाज़े पर खड़े लड़के से कहा

"तमीज से नाम ले बाऊ जी का, वर्ना अंदर तो क्या कहीं जाने लायक नहीं रहेगा " उसने रौब दिखाते हुए कहा

मैं गाड़ी से नीचे उतरा, उसके पास गया और बोला - गौर से देख मुझे और इस चेहरे को याद कर ले. जा जाकर बोल तेरे बाप को की सुहासिनी का बेटा आया है. आकर मिले मुझसे.

वो घबराते हुए अंदर गया और कुछ ही देर मे दरवाजा खुल गया. मैं हवेली के अंदर गया. मैंने पाया नानी को जो मेरी तरफ ही आ रही थी.

नानी - तुम्हें नहीं आना चाहिए था यहां

मैं - शौक नहीं है, मोना तीन दिन से गायब है सतनाम का झगडा हुआ था उससे. बस मालूम करने आया हूं

नानी - सतनाम का कुछ लेना देना नहीं है मोना से

मैं - तो झगडा क्यों किया

नानी - कोई झगड़ा नहीं हुआ था वो बस उसे समझाने गया था

मैं - क्या समझाने

नानी - यही की मोना अपने पद का दुरुपयोग ना करे, सतनाम के आदमियों के छोटे मोटे मुकदमों को भी मोना ने रफा-दफा करने की बजाय उलझा दिए थे. चुनाव आने वाले है बाप बेटी की नफरत को विपक्ष द्वारा खूब उछाला जा रहा था. बस इसलिए वो बात करने गया था

मैं - वो तीन दिन से लापता है, अगर उसे कुछ भी हुआ, एक खरोंच भी आयी तो ठीक नहीं होगा. कह देना अपने बेटे से मोना से दूर रहे. मोना की तरफ आंख उठाकर देखने से पहले ये याद रखे कि मोना के साथ देव चौधरी खड़ा है.

"मैं बहुत अच्छे से जानता हूँ कि उसके साथ तू है, इसलिए मुझे फिक्र नहीं उसकी. उस दिन तेरी आँखों मे मैने देखा था, कैसे मेरे बीस आदमियों के आगे खड़ा था तू " दरवाज़े की तरफ से आवाज आयी.

मैंने देखा सतनाम हमारी तरफ चलते हुए आ रहा था

"मेहमान आया है घर पर, कुछ चाय नाश्ता लाओ " सतनाम की एक आवाज से घर गूँज गया. उसने मुजे बैठने को कहा.

सतनाम - हाँ मैं गया था उसके पास पर किसी और कारण से. और तुम्हारा ये सोचना कि मैं उसका नुकसान करूंगा गलत है, बेशक हमारी राहें अलग है पर बाप हूं उसका, औलाद ना लायक हो तो भी माँ बाप को प्यारी लगती है. मैं ये भी जानता हूं कि तुम्हें मेरी बाते समझ नहीं आयेंगी क्योंकि एक बाप के लिए बड़ा मुश्किल होता है आपने दिल को खोलना.

चाय आ गई मैंने कप उठाया और एक चुस्की ली.
सतनाम - तुम्हें मालूम तो होगा ही की महिपाल की हत्या हो गई है, महिपाल मेरा पुराना दोस्त था.

मैं - गांव का बहुत खून पिया था उसने

सतनाम - मैं जोर लगाऊंगा उसके कातिल को तलाशने के लिए

मैं - मुझे क्या लेना-देना

सतनाम - मेरा भी क्या लेना-देना मोना से

मैंने कप टेबल पर रखा और बाहर आ गया. सतनाम ने जिस अंदाज से बात कही थी मैं समझ नहीं पाया. मैं वापिस अपने गांव के लिए मुड़ गया, आते आते रात हो गई थी. दिल मे था कि अब रूपा से मिल लू, उसके साथ दो घड़ी रहने पर ही सकून मिलना था मुझे. मैंने कच्चा रास्ता ले लिया, अचानक से मुझे कुछ याद आया और मैंने गाड़ी दूसरी दिशा मे मोड़ थी.


कुछ देर बाद मैं खाली जमीन के सामने खड़ा था सामने खड़ा था. मेरे दिमाग में बस वो शब्द गूँज रहे थे.
Gazab bhai bahot sahi jaa rahe ho waiting for next
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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सर साला फटने को हो गया है था. गली के नुक्कड़ पर लाला महिपाल की लाश पडी थी. एकदम सफेद लाश जैसे सारा खून निचोड़ लिया गया हो. ठीक इसी जगह पर मुनीम की लाश मिली थी और अब लाला की लाश. मैं बिना देर किए वहां से भाग लिया. दिल इतनी जोर से पहले कभी नहीं धड़का था. मैंने रज़ाई ली और कांपते हुए बैठ गया
.
थोड़ी देर मे ही चीख पुकार मच गई. मैं बाहर नहीं गया. ऐसा नहीं था कि लाला की मौत से मुझे दुख था, मुझे कोई फर्क़ नहीं पड़ता. पर मेरा विचार ये था कि मैं ही क्यों ऐसी जगह पर पहुंच जाता हूँ जहां ये सब चुतियापा चल रहा होता है. मेरे उलझनें पहले ही कम नहीं थी. गांव मे हो क्या रहा था मुझे मालूम करना ही था, जैसा शकुंतला ने कहा कि साँप मार रहा है लोगों को पर क्यों. अब ये मुझे मालूम करना था

दोपहर को मैं सेशन हाउस गया तो वहां जाकर कुछ और ही मालूम हुआ, मोना ने तीन दिन पहले नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. इतनी बड़ी नौकरी को अचानक छोड़ देना क्या उचित था. मैंने गाड़ी जूनागढ की तरफ मोड़ दी. चौखट पर मैंने जब्बर को देखा और आगे बढ़ गया मेरा फ़िलहाल मोना से मिलना जरूरी था.

"मोना कहाँ है" मैंने गाड़ी से उतरते ही दरबान से पूछा

दरबान - यहां तो नहीं आयी मेमसाहब

मैं - नौकरी छोड़ दी है उसने

दरबान - हमे तो कोई जानकारी नहीं है हुकुम

मैं - सेशन हाउस नहीं है, यहां नहीं है तो कहाँ है वो, और कौन सी जगह है जहां वो जाती है

दरबान - और तो कहीं नहीं जाती वो, पर हाँ उस दिन आपके जाने के बाद बड़े साहब आए थे यहाँ, दोनों मे झगड़ा हुआ था.

मैं - बड़े साहब यानी मोना के पिता.

दरबान ने हा मे सर हिलाया.

मैं - किस बात को लेकर झगड़ा हुआ था

दरबान - हुकुम हम सब बाहर थे बाप बेटी अंदर थे पर आवाज़ें जोर जोर से आ रही थी तो हमको भान हो गया.

ये बाते और परेशान करने वाली थी मुझे. मोना का अचानक से नौकरी छोडऩा और फिर घर नहीं आना. क्या वो किसी मुसीबत मे थी. मेरा दिल घबराने लगा था. क्या सतनाम ने उसके साथ कुछ किया होगा. मैंने गाड़ी को सतनाम की हवेली की तरफ़ मोड़ दिया. कुछ ही देर बाद मैं वहां था जहां मैं ऐसे जाऊँगा कभी सोचा नहीं था.

"दरवाज़ा खोल, सतनाम से मिलना है मुझे " मैंने दरवाज़े पर खड़े लड़के से कहा

"तमीज से नाम ले बाऊ जी का, वर्ना अंदर तो क्या कहीं जाने लायक नहीं रहेगा " उसने रौब दिखाते हुए कहा

मैं गाड़ी से नीचे उतरा, उसके पास गया और बोला - गौर से देख मुझे और इस चेहरे को याद कर ले. जा जाकर बोल तेरे बाप को की सुहासिनी का बेटा आया है. आकर मिले मुझसे.

वो घबराते हुए अंदर गया और कुछ ही देर मे दरवाजा खुल गया. मैं हवेली के अंदर गया. मैंने पाया नानी को जो मेरी तरफ ही आ रही थी.

नानी - तुम्हें नहीं आना चाहिए था यहां

मैं - शौक नहीं है, मोना तीन दिन से गायब है सतनाम का झगडा हुआ था उससे. बस मालूम करने आया हूं

नानी - सतनाम का कुछ लेना देना नहीं है मोना से

मैं - तो झगडा क्यों किया

नानी - कोई झगड़ा नहीं हुआ था वो बस उसे समझाने गया था

मैं - क्या समझाने

नानी - यही की मोना अपने पद का दुरुपयोग ना करे, सतनाम के आदमियों के छोटे मोटे मुकदमों को भी मोना ने रफा-दफा करने की बजाय उलझा दिए थे. चुनाव आने वाले है बाप बेटी की नफरत को विपक्ष द्वारा खूब उछाला जा रहा था. बस इसलिए वो बात करने गया था

मैं - वो तीन दिन से लापता है, अगर उसे कुछ भी हुआ, एक खरोंच भी आयी तो ठीक नहीं होगा. कह देना अपने बेटे से मोना से दूर रहे. मोना की तरफ आंख उठाकर देखने से पहले ये याद रखे कि मोना के साथ देव चौधरी खड़ा है.

"मैं बहुत अच्छे से जानता हूँ कि उसके साथ तू है, इसलिए मुझे फिक्र नहीं उसकी. उस दिन तेरी आँखों मे मैने देखा था, कैसे मेरे बीस आदमियों के आगे खड़ा था तू " दरवाज़े की तरफ से आवाज आयी.

मैंने देखा सतनाम हमारी तरफ चलते हुए आ रहा था

"मेहमान आया है घर पर, कुछ चाय नाश्ता लाओ " सतनाम की एक आवाज से घर गूँज गया. उसने मुजे बैठने को कहा.

सतनाम - हाँ मैं गया था उसके पास पर किसी और कारण से. और तुम्हारा ये सोचना कि मैं उसका नुकसान करूंगा गलत है, बेशक हमारी राहें अलग है पर बाप हूं उसका, औलाद ना लायक हो तो भी माँ बाप को प्यारी लगती है. मैं ये भी जानता हूं कि तुम्हें मेरी बाते समझ नहीं आयेंगी क्योंकि एक बाप के लिए बड़ा मुश्किल होता है आपने दिल को खोलना.

चाय आ गई मैंने कप उठाया और एक चुस्की ली.
सतनाम - तुम्हें मालूम तो होगा ही की महिपाल की हत्या हो गई है, महिपाल मेरा पुराना दोस्त था.

मैं - गांव का बहुत खून पिया था उसने

सतनाम - मैं जोर लगाऊंगा उसके कातिल को तलाशने के लिए

मैं - मुझे क्या लेना-देना

सतनाम - मेरा भी क्या लेना-देना मोना से

मैंने कप टेबल पर रखा और बाहर आ गया. सतनाम ने जिस अंदाज से बात कही थी मैं समझ नहीं पाया. मैं वापिस अपने गांव के लिए मुड़ गया, आते आते रात हो गई थी. दिल मे था कि अब रूपा से मिल लू, उसके साथ दो घड़ी रहने पर ही सकून मिलना था मुझे. मैंने कच्चा रास्ता ले लिया, अचानक से मुझे कुछ याद आया और मैंने गाड़ी दूसरी दिशा मे मोड़ थी.


कुछ देर बाद मैं खाली जमीन के सामने खड़ा था सामने खड़ा था. मेरे दिमाग में बस वो शब्द गूँज रहे थे.
:reading:
 

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सर साला फटने को हो गया है था. गली के नुक्कड़ पर लाला महिपाल की लाश पडी थी. एकदम सफेद लाश जैसे सारा खून निचोड़ लिया गया हो. ठीक इसी जगह पर मुनीम की लाश मिली थी और अब लाला की लाश. मैं बिना देर किए वहां से भाग लिया. दिल इतनी जोर से पहले कभी नहीं धड़का था. मैंने रज़ाई ली और कांपते हुए बैठ गया
.
थोड़ी देर मे ही चीख पुकार मच गई. मैं बाहर नहीं गया. ऐसा नहीं था कि लाला की मौत से मुझे दुख था, मुझे कोई फर्क़ नहीं पड़ता. पर मेरा विचार ये था कि मैं ही क्यों ऐसी जगह पर पहुंच जाता हूँ जहां ये सब चुतियापा चल रहा होता है. मेरे उलझनें पहले ही कम नहीं थी. गांव मे हो क्या रहा था मुझे मालूम करना ही था, जैसा शकुंतला ने कहा कि साँप मार रहा है लोगों को पर क्यों. अब ये मुझे मालूम करना था

दोपहर को मैं सेशन हाउस गया तो वहां जाकर कुछ और ही मालूम हुआ, मोना ने तीन दिन पहले नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. इतनी बड़ी नौकरी को अचानक छोड़ देना क्या उचित था. मैंने गाड़ी जूनागढ की तरफ मोड़ दी. चौखट पर मैंने जब्बर को देखा और आगे बढ़ गया मेरा फ़िलहाल मोना से मिलना जरूरी था.

"मोना कहाँ है" मैंने गाड़ी से उतरते ही दरबान से पूछा

दरबान - यहां तो नहीं आयी मेमसाहब

मैं - नौकरी छोड़ दी है उसने

दरबान - हमे तो कोई जानकारी नहीं है हुकुम

मैं - सेशन हाउस नहीं है, यहां नहीं है तो कहाँ है वो, और कौन सी जगह है जहां वो जाती है

दरबान - और तो कहीं नहीं जाती वो, पर हाँ उस दिन आपके जाने के बाद बड़े साहब आए थे यहाँ, दोनों मे झगड़ा हुआ था.

मैं - बड़े साहब यानी मोना के पिता.

दरबान ने हा मे सर हिलाया.

मैं - किस बात को लेकर झगड़ा हुआ था

दरबान - हुकुम हम सब बाहर थे बाप बेटी अंदर थे पर आवाज़ें जोर जोर से आ रही थी तो हमको भान हो गया.

ये बाते और परेशान करने वाली थी मुझे. मोना का अचानक से नौकरी छोडऩा और फिर घर नहीं आना. क्या वो किसी मुसीबत मे थी. मेरा दिल घबराने लगा था. क्या सतनाम ने उसके साथ कुछ किया होगा. मैंने गाड़ी को सतनाम की हवेली की तरफ़ मोड़ दिया. कुछ ही देर बाद मैं वहां था जहां मैं ऐसे जाऊँगा कभी सोचा नहीं था.

"दरवाज़ा खोल, सतनाम से मिलना है मुझे " मैंने दरवाज़े पर खड़े लड़के से कहा

"तमीज से नाम ले बाऊ जी का, वर्ना अंदर तो क्या कहीं जाने लायक नहीं रहेगा " उसने रौब दिखाते हुए कहा

मैं गाड़ी से नीचे उतरा, उसके पास गया और बोला - गौर से देख मुझे और इस चेहरे को याद कर ले. जा जाकर बोल तेरे बाप को की सुहासिनी का बेटा आया है. आकर मिले मुझसे.

वो घबराते हुए अंदर गया और कुछ ही देर मे दरवाजा खुल गया. मैं हवेली के अंदर गया. मैंने पाया नानी को जो मेरी तरफ ही आ रही थी.

नानी - तुम्हें नहीं आना चाहिए था यहां

मैं - शौक नहीं है, मोना तीन दिन से गायब है सतनाम का झगडा हुआ था उससे. बस मालूम करने आया हूं

नानी - सतनाम का कुछ लेना देना नहीं है मोना से

मैं - तो झगडा क्यों किया

नानी - कोई झगड़ा नहीं हुआ था वो बस उसे समझाने गया था

मैं - क्या समझाने

नानी - यही की मोना अपने पद का दुरुपयोग ना करे, सतनाम के आदमियों के छोटे मोटे मुकदमों को भी मोना ने रफा-दफा करने की बजाय उलझा दिए थे. चुनाव आने वाले है बाप बेटी की नफरत को विपक्ष द्वारा खूब उछाला जा रहा था. बस इसलिए वो बात करने गया था

मैं - वो तीन दिन से लापता है, अगर उसे कुछ भी हुआ, एक खरोंच भी आयी तो ठीक नहीं होगा. कह देना अपने बेटे से मोना से दूर रहे. मोना की तरफ आंख उठाकर देखने से पहले ये याद रखे कि मोना के साथ देव चौधरी खड़ा है.

"मैं बहुत अच्छे से जानता हूँ कि उसके साथ तू है, इसलिए मुझे फिक्र नहीं उसकी. उस दिन तेरी आँखों मे मैने देखा था, कैसे मेरे बीस आदमियों के आगे खड़ा था तू " दरवाज़े की तरफ से आवाज आयी.

मैंने देखा सतनाम हमारी तरफ चलते हुए आ रहा था

"मेहमान आया है घर पर, कुछ चाय नाश्ता लाओ " सतनाम की एक आवाज से घर गूँज गया. उसने मुजे बैठने को कहा.

सतनाम - हाँ मैं गया था उसके पास पर किसी और कारण से. और तुम्हारा ये सोचना कि मैं उसका नुकसान करूंगा गलत है, बेशक हमारी राहें अलग है पर बाप हूं उसका, औलाद ना लायक हो तो भी माँ बाप को प्यारी लगती है. मैं ये भी जानता हूं कि तुम्हें मेरी बाते समझ नहीं आयेंगी क्योंकि एक बाप के लिए बड़ा मुश्किल होता है आपने दिल को खोलना.

चाय आ गई मैंने कप उठाया और एक चुस्की ली.
सतनाम - तुम्हें मालूम तो होगा ही की महिपाल की हत्या हो गई है, महिपाल मेरा पुराना दोस्त था.

मैं - गांव का बहुत खून पिया था उसने

सतनाम - मैं जोर लगाऊंगा उसके कातिल को तलाशने के लिए

मैं - मुझे क्या लेना-देना

सतनाम - मेरा भी क्या लेना-देना मोना से

मैंने कप टेबल पर रखा और बाहर आ गया. सतनाम ने जिस अंदाज से बात कही थी मैं समझ नहीं पाया. मैं वापिस अपने गांव के लिए मुड़ गया, आते आते रात हो गई थी. दिल मे था कि अब रूपा से मिल लू, उसके साथ दो घड़ी रहने पर ही सकून मिलना था मुझे. मैंने कच्चा रास्ता ले लिया, अचानक से मुझे कुछ याद आया और मैंने गाड़ी दूसरी दिशा मे मोड़ थी.


कुछ देर बाद मैं खाली जमीन के सामने खड़ा था सामने खड़ा था. मेरे दिमाग में बस वो शब्द गूँज रहे थे.
Behad hi shandar or jabardast update
Lala ki hatya huyi aur use pahle dev ne dekha to ye phashne ki chal bhi ho sakti hai . Mona gayab hai aur satnam jo wajah de raha hai waj jahut bol raha hai wah bhi shamil hai jo dev ke sath ho raha hai us khel me . Ab dev hawli to nahi gaya tha jo gayab mili
 

RAAZ

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सर साला फटने को हो गया है था. गली के नुक्कड़ पर लाला महिपाल की लाश पडी थी. एकदम सफेद लाश जैसे सारा खून निचोड़ लिया गया हो. ठीक इसी जगह पर मुनीम की लाश मिली थी और अब लाला की लाश. मैं बिना देर किए वहां से भाग लिया. दिल इतनी जोर से पहले कभी नहीं धड़का था. मैंने रज़ाई ली और कांपते हुए बैठ गया
.
थोड़ी देर मे ही चीख पुकार मच गई. मैं बाहर नहीं गया. ऐसा नहीं था कि लाला की मौत से मुझे दुख था, मुझे कोई फर्क़ नहीं पड़ता. पर मेरा विचार ये था कि मैं ही क्यों ऐसी जगह पर पहुंच जाता हूँ जहां ये सब चुतियापा चल रहा होता है. मेरे उलझनें पहले ही कम नहीं थी. गांव मे हो क्या रहा था मुझे मालूम करना ही था, जैसा शकुंतला ने कहा कि साँप मार रहा है लोगों को पर क्यों. अब ये मुझे मालूम करना था

दोपहर को मैं सेशन हाउस गया तो वहां जाकर कुछ और ही मालूम हुआ, मोना ने तीन दिन पहले नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. इतनी बड़ी नौकरी को अचानक छोड़ देना क्या उचित था. मैंने गाड़ी जूनागढ की तरफ मोड़ दी. चौखट पर मैंने जब्बर को देखा और आगे बढ़ गया मेरा फ़िलहाल मोना से मिलना जरूरी था.

"मोना कहाँ है" मैंने गाड़ी से उतरते ही दरबान से पूछा

दरबान - यहां तो नहीं आयी मेमसाहब

मैं - नौकरी छोड़ दी है उसने

दरबान - हमे तो कोई जानकारी नहीं है हुकुम

मैं - सेशन हाउस नहीं है, यहां नहीं है तो कहाँ है वो, और कौन सी जगह है जहां वो जाती है

दरबान - और तो कहीं नहीं जाती वो, पर हाँ उस दिन आपके जाने के बाद बड़े साहब आए थे यहाँ, दोनों मे झगड़ा हुआ था.

मैं - बड़े साहब यानी मोना के पिता.

दरबान ने हा मे सर हिलाया.

मैं - किस बात को लेकर झगड़ा हुआ था

दरबान - हुकुम हम सब बाहर थे बाप बेटी अंदर थे पर आवाज़ें जोर जोर से आ रही थी तो हमको भान हो गया.

ये बाते और परेशान करने वाली थी मुझे. मोना का अचानक से नौकरी छोडऩा और फिर घर नहीं आना. क्या वो किसी मुसीबत मे थी. मेरा दिल घबराने लगा था. क्या सतनाम ने उसके साथ कुछ किया होगा. मैंने गाड़ी को सतनाम की हवेली की तरफ़ मोड़ दिया. कुछ ही देर बाद मैं वहां था जहां मैं ऐसे जाऊँगा कभी सोचा नहीं था.

"दरवाज़ा खोल, सतनाम से मिलना है मुझे " मैंने दरवाज़े पर खड़े लड़के से कहा

"तमीज से नाम ले बाऊ जी का, वर्ना अंदर तो क्या कहीं जाने लायक नहीं रहेगा " उसने रौब दिखाते हुए कहा

मैं गाड़ी से नीचे उतरा, उसके पास गया और बोला - गौर से देख मुझे और इस चेहरे को याद कर ले. जा जाकर बोल तेरे बाप को की सुहासिनी का बेटा आया है. आकर मिले मुझसे.

वो घबराते हुए अंदर गया और कुछ ही देर मे दरवाजा खुल गया. मैं हवेली के अंदर गया. मैंने पाया नानी को जो मेरी तरफ ही आ रही थी.

नानी - तुम्हें नहीं आना चाहिए था यहां

मैं - शौक नहीं है, मोना तीन दिन से गायब है सतनाम का झगडा हुआ था उससे. बस मालूम करने आया हूं

नानी - सतनाम का कुछ लेना देना नहीं है मोना से

मैं - तो झगडा क्यों किया

नानी - कोई झगड़ा नहीं हुआ था वो बस उसे समझाने गया था

मैं - क्या समझाने

नानी - यही की मोना अपने पद का दुरुपयोग ना करे, सतनाम के आदमियों के छोटे मोटे मुकदमों को भी मोना ने रफा-दफा करने की बजाय उलझा दिए थे. चुनाव आने वाले है बाप बेटी की नफरत को विपक्ष द्वारा खूब उछाला जा रहा था. बस इसलिए वो बात करने गया था

मैं - वो तीन दिन से लापता है, अगर उसे कुछ भी हुआ, एक खरोंच भी आयी तो ठीक नहीं होगा. कह देना अपने बेटे से मोना से दूर रहे. मोना की तरफ आंख उठाकर देखने से पहले ये याद रखे कि मोना के साथ देव चौधरी खड़ा है.

"मैं बहुत अच्छे से जानता हूँ कि उसके साथ तू है, इसलिए मुझे फिक्र नहीं उसकी. उस दिन तेरी आँखों मे मैने देखा था, कैसे मेरे बीस आदमियों के आगे खड़ा था तू " दरवाज़े की तरफ से आवाज आयी.

मैंने देखा सतनाम हमारी तरफ चलते हुए आ रहा था

"मेहमान आया है घर पर, कुछ चाय नाश्ता लाओ " सतनाम की एक आवाज से घर गूँज गया. उसने मुजे बैठने को कहा.

सतनाम - हाँ मैं गया था उसके पास पर किसी और कारण से. और तुम्हारा ये सोचना कि मैं उसका नुकसान करूंगा गलत है, बेशक हमारी राहें अलग है पर बाप हूं उसका, औलाद ना लायक हो तो भी माँ बाप को प्यारी लगती है. मैं ये भी जानता हूं कि तुम्हें मेरी बाते समझ नहीं आयेंगी क्योंकि एक बाप के लिए बड़ा मुश्किल होता है आपने दिल को खोलना.

चाय आ गई मैंने कप उठाया और एक चुस्की ली.
सतनाम - तुम्हें मालूम तो होगा ही की महिपाल की हत्या हो गई है, महिपाल मेरा पुराना दोस्त था.

मैं - गांव का बहुत खून पिया था उसने

सतनाम - मैं जोर लगाऊंगा उसके कातिल को तलाशने के लिए

मैं - मुझे क्या लेना-देना

सतनाम - मेरा भी क्या लेना-देना मोना से

मैंने कप टेबल पर रखा और बाहर आ गया. सतनाम ने जिस अंदाज से बात कही थी मैं समझ नहीं पाया. मैं वापिस अपने गांव के लिए मुड़ गया, आते आते रात हो गई थी. दिल मे था कि अब रूपा से मिल लू, उसके साथ दो घड़ी रहने पर ही सकून मिलना था मुझे. मैंने कच्चा रास्ता ले लिया, अचानक से मुझे कुछ याद आया और मैंने गाड़ी दूसरी दिशा मे मोड़ थी.

कुछ देर बाद मैं खाली जमीन के सामने खड़ा था सामने खड़ा था. मेरे दिमाग में बस वो शब्द गूँज रहे थे.
Dhamake dar update to aakhir lala ka bhi number lag gaya lekin yah mona ko kia hua achanak. Satnam nahi hai to usne resign kyu diya. Lekin bhai dev ki apne nanihaal pe entry badi dhasu dhikayi hai ek dam dhakad.
 

Nevil singh

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.
थोड़ी देर मे ही चीख पुकार मच गई. मैं बाहर नहीं गया. ऐसा नहीं था कि लाला की मौत से मुझे दुख था, मुझे कोई फर्क़ नहीं पड़ता. पर मेरा विचार ये था कि मैं ही क्यों ऐसी जगह पर पहुंच जाता हूँ जहां ये सब चुतियापा चल रहा होता है. मेरे उलझनें पहले ही कम नहीं थी. गांव मे हो क्या रहा था मुझे मालूम करना ही था, जैसा शकुंतला ने कहा कि साँप मार रहा है लोगों को पर क्यों. अब ये मुझे मालूम करना था

दोपहर को मैं सेशन हाउस गया तो वहां जाकर कुछ और ही मालूम हुआ, मोना ने तीन दिन पहले नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. इतनी बड़ी नौकरी को अचानक छोड़ देना क्या उचित था. मैंने गाड़ी जूनागढ की तरफ मोड़ दी. चौखट पर मैंने जब्बर को देखा और आगे बढ़ गया मेरा फ़िलहाल मोना से मिलना जरूरी था.

"मोना कहाँ है" मैंने गाड़ी से उतरते ही दरबान से पूछा

दरबान - यहां तो नहीं आयी मेमसाहब

मैं - नौकरी छोड़ दी है उसने

दरबान - हमे तो कोई जानकारी नहीं है हुकुम

मैं - सेशन हाउस नहीं है, यहां नहीं है तो कहाँ है वो, और कौन सी जगह है जहां वो जाती है

दरबान - और तो कहीं नहीं जाती वो, पर हाँ उस दिन आपके जाने के बाद बड़े साहब आए थे यहाँ, दोनों मे झगड़ा हुआ था.

मैं - बड़े साहब यानी मोना के पिता.

दरबान ने हा मे सर हिलाया.

मैं - किस बात को लेकर झगड़ा हुआ था

दरबान - हुकुम हम सब बाहर थे बाप बेटी अंदर थे पर आवाज़ें जोर जोर से आ रही थी तो हमको भान हो गया.

ये बाते और परेशान करने वाली थी मुझे. मोना का अचानक से नौकरी छोडऩा और फिर घर नहीं आना. क्या वो किसी मुसीबत मे थी. मेरा दिल घबराने लगा था. क्या सतनाम ने उसके साथ कुछ किया होगा. मैंने गाड़ी को सतनाम की हवेली की तरफ़ मोड़ दिया. कुछ ही देर बाद मैं वहां था जहां मैं ऐसे जाऊँगा कभी सोचा नहीं था.

"दरवाज़ा खोल, सतनाम से मिलना है मुझे " मैंने दरवाज़े पर खड़े लड़के से कहा

"तमीज से नाम ले बाऊ जी का, वर्ना अंदर तो क्या कहीं जाने लायक नहीं रहेगा " उसने रौब दिखाते हुए कहा

मैं गाड़ी से नीचे उतरा, उसके पास गया और बोला - गौर से देख मुझे और इस चेहरे को याद कर ले. जा जाकर बोल तेरे बाप को की सुहासिनी का बेटा आया है. आकर मिले मुझसे.

वो घबराते हुए अंदर गया और कुछ ही देर मे दरवाजा खुल गया. मैं हवेली के अंदर गया. मैंने पाया नानी को जो मेरी तरफ ही आ रही थी.

नानी - तुम्हें नहीं आना चाहिए था यहां

मैं - शौक नहीं है, मोना तीन दिन से गायब है सतनाम का झगडा हुआ था उससे. बस मालूम करने आया हूं

नानी - सतनाम का कुछ लेना देना नहीं है मोना से

मैं - तो झगडा क्यों किया

नानी - कोई झगड़ा नहीं हुआ था वो बस उसे समझाने गया था

मैं - क्या समझाने

नानी - यही की मोना अपने पद का दुरुपयोग ना करे, सतनाम के आदमियों के छोटे मोटे मुकदमों को भी मोना ने रफा-दफा करने की बजाय उलझा दिए थे. चुनाव आने वाले है बाप बेटी की नफरत को विपक्ष द्वारा खूब उछाला जा रहा था. बस इसलिए वो बात करने गया था

मैं - वो तीन दिन से लापता है, अगर उसे कुछ भी हुआ, एक खरोंच भी आयी तो ठीक नहीं होगा. कह देना अपने बेटे से मोना से दूर रहे. मोना की तरफ आंख उठाकर देखने से पहले ये याद रखे कि मोना के साथ देव चौधरी खड़ा है.

"मैं बहुत अच्छे से जानता हूँ कि उसके साथ तू है, इसलिए मुझे फिक्र नहीं उसकी. उस दिन तेरी आँखों मे मैने देखा था, कैसे मेरे बीस आदमियों के आगे खड़ा था तू " दरवाज़े की तरफ से आवाज आयी.

मैंने देखा सतनाम हमारी तरफ चलते हुए आ रहा था

"मेहमान आया है घर पर, कुछ चाय नाश्ता लाओ " सतनाम की एक आवाज से घर गूँज गया. उसने मुजे बैठने को कहा.

सतनाम - हाँ मैं गया था उसके पास पर किसी और कारण से. और तुम्हारा ये सोचना कि मैं उसका नुकसान करूंगा गलत है, बेशक हमारी राहें अलग है पर बाप हूं उसका, औलाद ना लायक हो तो भी माँ बाप को प्यारी लगती है. मैं ये भी जानता हूं कि तुम्हें मेरी बाते समझ नहीं आयेंगी क्योंकि एक बाप के लिए बड़ा मुश्किल होता है आपने दिल को खोलना.

चाय आ गई मैंने कप उठाया और एक चुस्की ली.
सतनाम - तुम्हें मालूम तो होगा ही की महिपाल की हत्या हो गई है, महिपाल मेरा पुराना दोस्त था.

मैं - गांव का बहुत खून पिया था उसने

सतनाम - मैं जोर लगाऊंगा उसके कातिल को तलाशने के लिए

मैं - मुझे क्या लेना-देना

सतनाम - मेरा भी क्या लेना-देना मोना से

मैंने कप टेबल पर रखा और बाहर आ गया. सतनाम ने जिस अंदाज से बात कही थी मैं समझ नहीं पाया. मैं वापिस अपने गांव के लिए मुड़ गया, आते आते रात हो गई थी. दिल मे था कि अब रूपा से मिल लू, उसके साथ दो घड़ी रहने पर ही सकून मिलना था मुझे. मैंने कच्चा रास्ता ले लिया, अचानक से मुझे कुछ याद आया और मैंने गाड़ी दूसरी दिशा मे मोड़ थी.


कुछ देर बाद मैं खाली जमीन के सामने खड़ा था सामने खड़ा था. मेरे दिमाग में बस वो शब्द गूँज रहे थे.
Dil dhundhta hai unko jho na ho saka humara. Benajeer update hai dost.
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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toh marne wala lala nikla..
Yeh achha kiya ki udhar se bhaag gaya warna sara dosh isike upor aata...
udhar mona bhi gayab... maybe sanatan jhuth bol raha ho.. mona ki gayab hone ki piche usika hath ho..
Khair let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skill :applause: :applause:
 
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