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Adultery गुजारिश

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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प्रस्तावना :-

मोहब्बत, इश्क, प्यार या जो भी नाम दो मैं तो बस इसे एक इबादत समझता हूँ. जिंदगी को लोगो ने अपने अपने शब्दों में ब्यान किया है , चाहे किसी अमीर की नजर हो या गरीब की सोच, एक चीज़ तो है दुनिया में जो हर इन्सान को एक दुसरे से जोडती है , जो इन्सान को अहसास करवाती है की वो इन्सान है, वो प्रेम है .

अक्सर लोग मुझसे पूछते है की ये प्रेम क्या होता है , और मेरे पास जवाब नहीं होता क्योंकि प्रेम की कोई परिभाषा है ही नहीं मीरा ने जो प्याला विष का पिया वो प्रेम है, कान्हा का जो इंतजार किया गोपियों ने वो इंतज़ार प्रेम है, श्याम की बंसी से जो टीस उठी किसी राधा के मन में बस वो प्रेम है . परन्तु ये उस दौर की बाते है जो बीत गया आज का दौर कुछ और है, अब प्रेम कुछ और है .

“वो अक्सर पूछती थी मुझसे , की कभी मेरी याद भी आती है , मैं बस इतना कह देता था की तू इस दिल से जाये तो तेरी याद आये. ”

और ये यादें भी कमबख्त कौन सा अपनी होती है , ये वो दुश्मन होती है जो अपना ही कलेजा चीरती है . खैर, ये तो बाते है और बातो का क्या असली मजा तो बस दिलरुबा की उस कातिल नजर का हैं जो ज़ख्म भी नहीं देती और क़त्ल कर जाती है . इश्क का एक अहसास ही सौ जन्मो के सुख से ज्यादा महत्वपूर्ण है , बारिश की पहली बूँद का असर कभी रेगिस्तान की तपती रेत से पूछिए, सावन में बरसते मेह में कभी भीग कर तो देखिये जनाब, या कभी उस खास की गलियों के वो चक्कर जो बस इस उम्मीद में की किसी जंगले किसी चौखट पर उसका दीदार हो जाये, मोल तो उस कसक का है जो दिल में तब उठती है जब वो संगदिल मुस्कुराते हुए पास से गुजर जाये.

मेरी हमेशा से कोशिश रही है की एक प्रेम कहानी लिख सकू तो स्वागत है आप सब का , उम्मीद है साथ बना रहे.

तुझे चुपचाप आने की जरुरत नहीं मेरी जान, तेरे आने की आहट मेरी धड़कने महसूस कर लेती है .
Bahut hi behtareen kahani likhi hai HalfbludPrince bhai aapne,,,,,:claps:

Adultery prefix par hote huye bhi aapne kahani me chaar chaand laga rakha hai hai. Kahani ka plot aur aapke likhne ki kala bahut hi behtareen hai. Maine aaj iske 20 update tak padh daale magar fir bhi man me utsukta bani huyi hai ki iske aage kya hoga,,,,, :dazed:

Jaisa ki kamdev99008 bhai ne bataya tha waisa hi nazar aaya. Ye sach hai ki aapki kahani me gaav ki aabo hawa aur waha ka charitra chitran behtareen tarike se dekhne ko mila. Khair musafir yaani ki dev ka akelapan ho ya uska rupa ke sath love ye dono hi dil ko chhu gaye. Gaav me ghat rahi ghatnayein apne aap me hi ek utsukta vishay bani huyi hain. Dev ka dost aur uski family ke rishte bahut achhe hain magar dev ke apno ne kabhi use apna nahi mana ye achha to nahi laga par sochne wali baat bhi hai ki aisa unhone kyo kiya. Itna to samajh aaya ki wo log dev ko dushman nahi maante kyo ki jab dev ka taau use chaabi dene aaya tha aur usse dev ne baate ki thi wo dev ki baato ka koi jawaab nahi diya tha balki apni aankho se chhalak aaye aanshuo ko ponchhta chala gaya tha. Ya fir mumkin hai ki uska aanshu ponchhna mahaj ek dikhawa ho jabki asal maajra kuch aur hi ho,,,,, :dazed:

Paagal baba bahut kuch jaanta hai, aisa lagta hai jaise use bhavisya ke bare me sab pata ho. Uski baate adbhut aur ajeeb hoti hain. Dev ki life me ekdam se changes aa gaya hai. Fir chaahe wo sarita ke sath jismaani sambandho ka ho ya fir judge sahiba ka ho. Haweli ka maamla aisa hai ki uska sambandh dev se bhi hai aur us judge sahiba se bhi. Idhar gaav me hatyaao ka maamla bhi kuch kuch samajh aa raha hai. Wo lamba chauda saamp kaun ho sakta hai jiska sir to insaano jaisa hai aur baaki ka hissa saamp ka hi hai. Khair dekhte hain aage kya pata chalta hai,,,,, :hmm:

Lala aur uske aadmiyo par kisne hamla kiya tha.?? Shakuntala kis baat se pareshan hai aur wo kis silsile me dev se milna chaahti hai. Shayad aage ke updates me iska pata chale,,,,:dazed:
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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Naik

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#45

सर साला फटने को हो गया है था. गली के नुक्कड़ पर लाला महिपाल की लाश पडी थी. एकदम सफेद लाश जैसे सारा खून निचोड़ लिया गया हो. ठीक इसी जगह पर मुनीम की लाश मिली थी और अब लाला की लाश. मैं बिना देर किए वहां से भाग लिया. दिल इतनी जोर से पहले कभी नहीं धड़का था. मैंने रज़ाई ली और कांपते हुए बैठ गया
.
थोड़ी देर मे ही चीख पुकार मच गई. मैं बाहर नहीं गया. ऐसा नहीं था कि लाला की मौत से मुझे दुख था, मुझे कोई फर्क़ नहीं पड़ता. पर मेरा विचार ये था कि मैं ही क्यों ऐसी जगह पर पहुंच जाता हूँ जहां ये सब चुतियापा चल रहा होता है. मेरे उलझनें पहले ही कम नहीं थी. गांव मे हो क्या रहा था मुझे मालूम करना ही था, जैसा शकुंतला ने कहा कि साँप मार रहा है लोगों को पर क्यों. अब ये मुझे मालूम करना था

दोपहर को मैं सेशन हाउस गया तो वहां जाकर कुछ और ही मालूम हुआ, मोना ने तीन दिन पहले नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. इतनी बड़ी नौकरी को अचानक छोड़ देना क्या उचित था. मैंने गाड़ी जूनागढ की तरफ मोड़ दी. चौखट पर मैंने जब्बर को देखा और आगे बढ़ गया मेरा फ़िलहाल मोना से मिलना जरूरी था.

"मोना कहाँ है" मैंने गाड़ी से उतरते ही दरबान से पूछा

दरबान - यहां तो नहीं आयी मेमसाहब

मैं - नौकरी छोड़ दी है उसने

दरबान - हमे तो कोई जानकारी नहीं है हुकुम

मैं - सेशन हाउस नहीं है, यहां नहीं है तो कहाँ है वो, और कौन सी जगह है जहां वो जाती है

दरबान - और तो कहीं नहीं जाती वो, पर हाँ उस दिन आपके जाने के बाद बड़े साहब आए थे यहाँ, दोनों मे झगड़ा हुआ था.

मैं - बड़े साहब यानी मोना के पिता.

दरबान ने हा मे सर हिलाया.

मैं - किस बात को लेकर झगड़ा हुआ था

दरबान - हुकुम हम सब बाहर थे बाप बेटी अंदर थे पर आवाज़ें जोर जोर से आ रही थी तो हमको भान हो गया.

ये बाते और परेशान करने वाली थी मुझे. मोना का अचानक से नौकरी छोडऩा और फिर घर नहीं आना. क्या वो किसी मुसीबत मे थी. मेरा दिल घबराने लगा था. क्या सतनाम ने उसके साथ कुछ किया होगा. मैंने गाड़ी को सतनाम की हवेली की तरफ़ मोड़ दिया. कुछ ही देर बाद मैं वहां था जहां मैं ऐसे जाऊँगा कभी सोचा नहीं था.

"दरवाज़ा खोल, सतनाम से मिलना है मुझे " मैंने दरवाज़े पर खड़े लड़के से कहा

"तमीज से नाम ले बाऊ जी का, वर्ना अंदर तो क्या कहीं जाने लायक नहीं रहेगा " उसने रौब दिखाते हुए कहा

मैं गाड़ी से नीचे उतरा, उसके पास गया और बोला - गौर से देख मुझे और इस चेहरे को याद कर ले. जा जाकर बोल तेरे बाप को की सुहासिनी का बेटा आया है. आकर मिले मुझसे.

वो घबराते हुए अंदर गया और कुछ ही देर मे दरवाजा खुल गया. मैं हवेली के अंदर गया. मैंने पाया नानी को जो मेरी तरफ ही आ रही थी.

नानी - तुम्हें नहीं आना चाहिए था यहां

मैं - शौक नहीं है, मोना तीन दिन से गायब है सतनाम का झगडा हुआ था उससे. बस मालूम करने आया हूं

नानी - सतनाम का कुछ लेना देना नहीं है मोना से

मैं - तो झगडा क्यों किया

नानी - कोई झगड़ा नहीं हुआ था वो बस उसे समझाने गया था

मैं - क्या समझाने

नानी - यही की मोना अपने पद का दुरुपयोग ना करे, सतनाम के आदमियों के छोटे मोटे मुकदमों को भी मोना ने रफा-दफा करने की बजाय उलझा दिए थे. चुनाव आने वाले है बाप बेटी की नफरत को विपक्ष द्वारा खूब उछाला जा रहा था. बस इसलिए वो बात करने गया था

मैं - वो तीन दिन से लापता है, अगर उसे कुछ भी हुआ, एक खरोंच भी आयी तो ठीक नहीं होगा. कह देना अपने बेटे से मोना से दूर रहे. मोना की तरफ आंख उठाकर देखने से पहले ये याद रखे कि मोना के साथ देव चौधरी खड़ा है.

"मैं बहुत अच्छे से जानता हूँ कि उसके साथ तू है, इसलिए मुझे फिक्र नहीं उसकी. उस दिन तेरी आँखों मे मैने देखा था, कैसे मेरे बीस आदमियों के आगे खड़ा था तू " दरवाज़े की तरफ से आवाज आयी.

मैंने देखा सतनाम हमारी तरफ चलते हुए आ रहा था

"मेहमान आया है घर पर, कुछ चाय नाश्ता लाओ " सतनाम की एक आवाज से घर गूँज गया. उसने मुजे बैठने को कहा.

सतनाम - हाँ मैं गया था उसके पास पर किसी और कारण से. और तुम्हारा ये सोचना कि मैं उसका नुकसान करूंगा गलत है, बेशक हमारी राहें अलग है पर बाप हूं उसका, औलाद ना लायक हो तो भी माँ बाप को प्यारी लगती है. मैं ये भी जानता हूं कि तुम्हें मेरी बाते समझ नहीं आयेंगी क्योंकि एक बाप के लिए बड़ा मुश्किल होता है आपने दिल को खोलना.

चाय आ गई मैंने कप उठाया और एक चुस्की ली.
सतनाम - तुम्हें मालूम तो होगा ही की महिपाल की हत्या हो गई है, महिपाल मेरा पुराना दोस्त था.

मैं - गांव का बहुत खून पिया था उसने

सतनाम - मैं जोर लगाऊंगा उसके कातिल को तलाशने के लिए

मैं - मुझे क्या लेना-देना

सतनाम - मेरा भी क्या लेना-देना मोना से

मैंने कप टेबल पर रखा और बाहर आ गया. सतनाम ने जिस अंदाज से बात कही थी मैं समझ नहीं पाया. मैं वापिस अपने गांव के लिए मुड़ गया, आते आते रात हो गई थी. दिल मे था कि अब रूपा से मिल लू, उसके साथ दो घड़ी रहने पर ही सकून मिलना था मुझे. मैंने कच्चा रास्ता ले लिया, अचानक से मुझे कुछ याद आया और मैंने गाड़ी दूसरी दिशा मे मोड़ थी.

कुछ देर बाद मैं खाली जमीन के सामने खड़ा था सामने खड़ा था. मेरे दिमाग में बस वो शब्द गूँज रहे थे.
Bahot shaandaar lajawab mazedaar update dost
 
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