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Adultery गुजारिश

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
42,207
108,494
304
#47

मेरे सामने दूसरी मंजिल थी ही नहीं. सीढिया जैसे खत्म हो गयी थी . अब ये नया चुतियापा था क्योंकि मैं अच्छे से जानता था की हवेली तीन मंजिला थी और थोड़ी देर पहले ही तो मैं यहाँ दूसरी मंजिल पर आया था . बाबा सुलतान कुछ तो ऐसा कर गया था जिसे वो मुझसे हर हाल में छुपाना चाहता था . इन दुसरे लोगो की दुनिया में मैं खुद को बड़ा असहाय महसूस करता था इन हरकतों को देखते हुए.



मैं निचे आकर कुर्सी पर बैठ गया और सोचने लगा. मोना का अचानक से इस्तीफा देना , और गायब हो जाना , कुछ तो हुआ था उसके साथ . उसके बारे में सोच सोच कर मेरा हाल बुरा हो गया था . उसकी बड़ी फ़िक्र हो रही थी मुझे और होती भी क्यों नहीं मेरी दोस्त थी वो . सोचते सोचते मुझे ख्याल आया और मैंने खुद को कोसा की ये ख्याल मुझे पहले क्यों नहीं आया.

मुझे अब रूपा से मिलना था . बल्कि मुझे सबसे पहले रूपा से ही मिलना चाहिए था . मैं हवेली से निकल कर सीधा रूपा के घर की तरफ चल पड़ा . रूपा ही अब मेरे सवालो का जवाब दे सकती थी . रूपा मुझे घर पर ही मिली.

रूपा- मुसाफिर

मैं- कैसी हो .

रूपा- पहले तो न जाने कैसी थी पर अब बहुत ठीक हूँ .बैठो तुम्हारे लिए चाय बनाती हूँ .

मैं- नहीं चाय नहीं . मुझे बस तुमसे बात करनी है .

रूपा- जी, सरकार.

मैं- वो नागिन और तुम्हारा क्या रिश्ता है . बाबा ने मेरा जख्म भरने के लिए तुमसे क्या माँगा था . मुझे तुम्हारे और उस नागिन के बारे में सब जानना है .

रूपा- बताती हूँ , मेरा और उस नागिन का रिश्ता अहंकार का रिश्ता है , नफरत का रिश्ता है ,उसे अभिमान है की वो श्रेस्ठ है मुझे भान है की मैं निम्न हूँ .उसे लगता है की शम्भू के कंठ पर वास मिलने से वो महत्वपूर्ण है , उसकी अपने विचार है मेरे अलग विचार है .

मैं- और तुम कौन हो .

रूपा- मैं , मैं कौन हूँ . मैं वो माटी हूँ जिसे तुम्हे तराश कर गुलिस्तान बना दिया. मैं वो धुल हूँ जिसे तुमने माथे से लगा कर मोल बढ़ा दिया. मैं वो मजबूर हूँ जो आसमान में उड़ना चाहती है पर पाँव में बाप के कर्ज की बेडिया है. मैं वो आइना हूँ जो रोज तुम्हे देखती है .

मैं- तुमने उस रात क्या किया था जो जख्म ऐसे गायब हुआ जैसे था ही नहीं .

रूपा- जानते हो मुसाफिर , इस दुनिया में सबसे बड़ी कोई शक्ति है तो वो प्रेम है , ये प्रेम ही था जो वो जख्म मैं भर पायी. मुझे कुछ खास तरह की चिकित्सा करने का हुनर मिला है . मैंने बस सी दिया उस जख्म को

मैं- सच बताओ रूपा , मुझसे तो न छुपाओ .

रूपा- सच अपने आप में अजीब होता है मुसाफिर. दरअसल ये सामने वाले पर निर्भर करता है क्या सच है क्या झूठ, सब परिस्तिथिया होती है . पर चूँकि आज तुम जानना ही चाहते हो तो मुझे बताना हो गा, इसलिए नहीं की तुम्हे जानना है बल्कि इसलिए ताकि तुम्हारे और मेरे रिश्ते में जो विश्वास है वो बना रहे. मैंने तुम्हे अपनी खाल दी. तुम्हारे सीने का जख्म उतारना बड़ा जरुरी था . बेशक तुम्हे उस दर्द को झेलना होगा पर कम से कम मैं इतना ही कर सकती थी.

रूपा ने लालटेन की लौ को तेज कर दिया और मेरी तरफ पीठ करके अपना ब्लाउज उतार दिया. उसकी नंगी पीठ पर बड़ा घाव था . अन्दर का मांस तक झलक रहा था . मेरे लिए कितना कुछ कर गयी थी वो . आँखों से आंसू गिरने लगे. मैंने उसे बाँहों में भर लिया .

“तुझे ये करने की जरुरत नहीं थी मेरी जान ” रुंधे गले से मैंने कहा .

रूपा-मेरी खुशनसीबी है जो तेरे काम आ सकी.

रूपा ने अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए. और मुझसे लिपट गयी. उसके होंठो का दबाव मेरे होंठो पर जो पड़ा मैंने हलके से मुह खोला और वो दीवानों जैसे मुझे चूमने लगी.

हम दोनों की ही आँखों से आंसू गिर रहे थे पर ये ख़ुशी के आंसू थे उस ख़ुशी के जो हमारे रिश्ते की नींव रख रही थी . बड़ी देर बाद वो मुझसे अलग हुई.

रूपा- अब जा तू. रात बहुत हुई.

मैं- जाता हूँ , कब मिलेगी ये करार कर.

रूपा- जब तू चाहेगा

मैं- एक बात और

रूपा- मेरी माँ जादूगरनी थी , इसलिए मुझे ये चिकित्सा आती है .

मेरे बिना कहे ही रूपा ने कह दिया था . वैसे तो ये अनोखी बाट थी पर अब मुझे आदत सी हो चली थी .

मैं- फर्क नहीं पड़ता. मुझे उस नागिन का नाम जानना है .

रूपा- कुछ लोगो के नाम नहीं होते , बस दुनिया उन्हें अपने हिसाब से पुकार लेती है .

मैं- ठीक है चलता हूँ .

रूपा हमेशा की तरह मुझे देख कर मुस्कुराई. उसकी बड़ी बड़ी आँखों में जैसे दिल डूब गया मेरा. रात न जाने कितनी बीती कितनी बाकी थी . मैं गाँव की तरफ बढ़ रहा था . दिमाग में बस एक बात थी की कैसे भी करके उस नागिन से मुलाकात करनी है . उस से बाते करनी है . सोचते सोचते मैं घर तक आ पहुंचा. मैं दबे पाँव कमरे में जा ही रहा था की सरोज की आवाज से मेरे कदम रुक गए.

सरोज- तो फुर्सत मिल गयी घर आने की बरखुरदार

मैं-थोड़ी देर हो गयी .

सरोज- देर कहाँ हुई रात के दो ही तो बजे है और वैसे भी तुम्हे क्या कहना कबसे लापता हो याद भी है .

मैं- कुछ काम था .

सरोज- जानती हूँ तुम्हारा काम , जल्दी ही उस लड़की से शादी करवा दूंगी तुम्हारे, उसके बहाने ही सही घर पर तो रहोगे.

मैं- करतार सो गया .

सरोज- हाँ ,

मैं- चाचा.

सरोज- बाग़ में है , उनके कुछ दोस्त आये है तो वही दारू-मीट का प्रोग्राम है .

“और तुम्हारा क्या प्रोग्राम है ” मैंने सरोज की छाती पर नजर गडाते हुए कहा.

सरोज- मेरी कहाँ फ़िक्र है तुम्हे .

मैंने सरोज को उसी समय गोदी में उठा लिया और बोला- तुम्हारी ही फ़िक्र तो है मुझे. उसने अपनी बाहे मेरे गले में डाल दी और मैं उसे उसके कमरे में ले चला.
:reading:
 

Iron Man

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मेरे सामने दूसरी मंजिल थी ही नहीं. सीढिया जैसे खत्म हो गयी थी . अब ये नया चुतियापा था क्योंकि मैं अच्छे से जानता था की हवेली तीन मंजिला थी और थोड़ी देर पहले ही तो मैं यहाँ दूसरी मंजिल पर आया था . बाबा सुलतान कुछ तो ऐसा कर गया था जिसे वो मुझसे हर हाल में छुपाना चाहता था . इन दुसरे लोगो की दुनिया में मैं खुद को बड़ा असहाय महसूस करता था इन हरकतों को देखते हुए.



मैं निचे आकर कुर्सी पर बैठ गया और सोचने लगा. मोना का अचानक से इस्तीफा देना , और गायब हो जाना , कुछ तो हुआ था उसके साथ . उसके बारे में सोच सोच कर मेरा हाल बुरा हो गया था . उसकी बड़ी फ़िक्र हो रही थी मुझे और होती भी क्यों नहीं मेरी दोस्त थी वो . सोचते सोचते मुझे ख्याल आया और मैंने खुद को कोसा की ये ख्याल मुझे पहले क्यों नहीं आया.

मुझे अब रूपा से मिलना था . बल्कि मुझे सबसे पहले रूपा से ही मिलना चाहिए था . मैं हवेली से निकल कर सीधा रूपा के घर की तरफ चल पड़ा . रूपा ही अब मेरे सवालो का जवाब दे सकती थी . रूपा मुझे घर पर ही मिली.

रूपा- मुसाफिर

मैं- कैसी हो .

रूपा- पहले तो न जाने कैसी थी पर अब बहुत ठीक हूँ .बैठो तुम्हारे लिए चाय बनाती हूँ .

मैं- नहीं चाय नहीं . मुझे बस तुमसे बात करनी है .

रूपा- जी, सरकार.

मैं- वो नागिन और तुम्हारा क्या रिश्ता है . बाबा ने मेरा जख्म भरने के लिए तुमसे क्या माँगा था . मुझे तुम्हारे और उस नागिन के बारे में सब जानना है .

रूपा- बताती हूँ , मेरा और उस नागिन का रिश्ता अहंकार का रिश्ता है , नफरत का रिश्ता है ,उसे अभिमान है की वो श्रेस्ठ है मुझे भान है की मैं निम्न हूँ .उसे लगता है की शम्भू के कंठ पर वास मिलने से वो महत्वपूर्ण है , उसकी अपने विचार है मेरे अलग विचार है .

मैं- और तुम कौन हो .

रूपा- मैं , मैं कौन हूँ . मैं वो माटी हूँ जिसे तुम्हे तराश कर गुलिस्तान बना दिया. मैं वो धुल हूँ जिसे तुमने माथे से लगा कर मोल बढ़ा दिया. मैं वो मजबूर हूँ जो आसमान में उड़ना चाहती है पर पाँव में बाप के कर्ज की बेडिया है. मैं वो आइना हूँ जो रोज तुम्हे देखती है .

मैं- तुमने उस रात क्या किया था जो जख्म ऐसे गायब हुआ जैसे था ही नहीं .

रूपा- जानते हो मुसाफिर , इस दुनिया में सबसे बड़ी कोई शक्ति है तो वो प्रेम है , ये प्रेम ही था जो वो जख्म मैं भर पायी. मुझे कुछ खास तरह की चिकित्सा करने का हुनर मिला है . मैंने बस सी दिया उस जख्म को

मैं- सच बताओ रूपा , मुझसे तो न छुपाओ .

रूपा- सच अपने आप में अजीब होता है मुसाफिर. दरअसल ये सामने वाले पर निर्भर करता है क्या सच है क्या झूठ, सब परिस्तिथिया होती है . पर चूँकि आज तुम जानना ही चाहते हो तो मुझे बताना हो गा, इसलिए नहीं की तुम्हे जानना है बल्कि इसलिए ताकि तुम्हारे और मेरे रिश्ते में जो विश्वास है वो बना रहे. मैंने तुम्हे अपनी खाल दी. तुम्हारे सीने का जख्म उतारना बड़ा जरुरी था . बेशक तुम्हे उस दर्द को झेलना होगा पर कम से कम मैं इतना ही कर सकती थी.

रूपा ने लालटेन की लौ को तेज कर दिया और मेरी तरफ पीठ करके अपना ब्लाउज उतार दिया. उसकी नंगी पीठ पर बड़ा घाव था . अन्दर का मांस तक झलक रहा था . मेरे लिए कितना कुछ कर गयी थी वो . आँखों से आंसू गिरने लगे. मैंने उसे बाँहों में भर लिया .

“तुझे ये करने की जरुरत नहीं थी मेरी जान ” रुंधे गले से मैंने कहा .

रूपा-मेरी खुशनसीबी है जो तेरे काम आ सकी.

रूपा ने अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए. और मुझसे लिपट गयी. उसके होंठो का दबाव मेरे होंठो पर जो पड़ा मैंने हलके से मुह खोला और वो दीवानों जैसे मुझे चूमने लगी.

हम दोनों की ही आँखों से आंसू गिर रहे थे पर ये ख़ुशी के आंसू थे उस ख़ुशी के जो हमारे रिश्ते की नींव रख रही थी . बड़ी देर बाद वो मुझसे अलग हुई.

रूपा- अब जा तू. रात बहुत हुई.

मैं- जाता हूँ , कब मिलेगी ये करार कर.

रूपा- जब तू चाहेगा

मैं- एक बात और

रूपा- मेरी माँ जादूगरनी थी , इसलिए मुझे ये चिकित्सा आती है .

मेरे बिना कहे ही रूपा ने कह दिया था . वैसे तो ये अनोखी बाट थी पर अब मुझे आदत सी हो चली थी .

मैं- फर्क नहीं पड़ता. मुझे उस नागिन का नाम जानना है .

रूपा- कुछ लोगो के नाम नहीं होते , बस दुनिया उन्हें अपने हिसाब से पुकार लेती है .

मैं- ठीक है चलता हूँ .

रूपा हमेशा की तरह मुझे देख कर मुस्कुराई. उसकी बड़ी बड़ी आँखों में जैसे दिल डूब गया मेरा. रात न जाने कितनी बीती कितनी बाकी थी . मैं गाँव की तरफ बढ़ रहा था . दिमाग में बस एक बात थी की कैसे भी करके उस नागिन से मुलाकात करनी है . उस से बाते करनी है . सोचते सोचते मैं घर तक आ पहुंचा. मैं दबे पाँव कमरे में जा ही रहा था की सरोज की आवाज से मेरे कदम रुक गए.

सरोज- तो फुर्सत मिल गयी घर आने की बरखुरदार

मैं-थोड़ी देर हो गयी .

सरोज- देर कहाँ हुई रात के दो ही तो बजे है और वैसे भी तुम्हे क्या कहना कबसे लापता हो याद भी है .

मैं- कुछ काम था .

सरोज- जानती हूँ तुम्हारा काम , जल्दी ही उस लड़की से शादी करवा दूंगी तुम्हारे, उसके बहाने ही सही घर पर तो रहोगे.

मैं- करतार सो गया .

सरोज- हाँ ,

मैं- चाचा.

सरोज- बाग़ में है , उनके कुछ दोस्त आये है तो वही दारू-मीट का प्रोग्राम है .

“और तुम्हारा क्या प्रोग्राम है ” मैंने सरोज की छाती पर नजर गडाते हुए कहा.

सरोज- मेरी कहाँ फ़िक्र है तुम्हे .

मैंने सरोज को उसी समय गोदी में उठा लिया और बोला- तुम्हारी ही फ़िक्र तो है मुझे. उसने अपनी बाहे मेरे गले में डाल दी और मैं उसे उसके कमरे में ले चला.
Behad hi shandar or jabardast update
Ye baba bhi shak ke ghere me hai ab deihte hai mona ka kya hota hai . Roopa kanbalidan dekhkar Mona ke bare me poochna bhul gaya par lagta hai ab uska jeevan sankat me hai .
 
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zabardast update ...jab ghar me gaya hi tha to 2 ri manjil gayab kaise ho gayi ,kya wo haweli bhi dev se kuch chupa rahi hai ,,aur lagta hai us baba ne hi kuch kiya hoga jiski wajah se khana aur nahana kaun kar raha tha ye pata nahi chala ???....

aur rupa ne to bahut bada kaam kiya apni khaal dekar ,,pat usko dard kyu nahi ho raha hai ?? agar jaadugarni ki beti hai to jadoo jaanti hogi to wo apne zakhm theek kaise nahi kar paa rahi hai ???...

mona ke baare me to pata lagana bhul hi gaya aur saroj ko chodne ki planning kar raha hai ???....
 
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mere khayal se us haweli me dev ki maa rehti hogi ??...jo naha rahi thi aur baadme baba ke saath milke khana khati ....aur shayad waha wo saapin bhi hogi ...us haweli me us waqt dev ki maa ya wo saapin jarur maujud thi ...isliye dev ko aage ka rasta nahi dikha ...

us haweli me bahut saare raaz hai jo abhi dev ko pata nahi ...

aur kya wakai me mona marr gayi hogi ??...rupa to nahi par us saapin aur baba ka kuch keh nahi sakte .....

par rupa ne kaha ki wo saapin ghamandi hai to phir dev ki raksha kyo kar rahi hai ????? ...
aur last me rupa bhi aam nahi hai na ,,jaadugarni ki beti hai ?????
 
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" ये दुनिया , ये जीवन वैसा नहीं है जैसा हमें दिखता है ।"

फौजी भाई की कहानी का सार ही यही है । इसमें अनेकों भ्रम है... कोई एक हो तो कहूं ।

खैर.... मोना जो पिछले तीन चार दिनों से गायब है......उसे एक बार देव के गांव में मारने का प्रयास किया गया...कार एक्सीडेंट कर के.... दुसरी बार उसे उसके हवेली में ही मारने का प्रयास किया गया । और अब वो गायब है..... वो कहां है और कैसी है ये किसी को भी नहीं मालूम ।

मैंने पहले भी कहा था - बाबा , नाग कन्या और रूपा के लिए कि ये रिश्ता क्या कहलाता है....... फौजी भाई ये तीनों मुसाफिर के शुभचिंतक है... जहां तक मुझे लगता है ।

मुझे याद है ननिहाल में पुजारी बाबा ने देव की जान बचाने के सन्दर्भ में क्या कहा था -" जो शापित है , पवित्र है , जो आमंत्रित हैं , बहिष्कृत है , जो अमावस में चंद्र हो , पूनम में रति हो , उसका रक्त तब सहारा दे जब मृत्यु को टोक लगे ।"...... बाबा , नाग कन्या और रूपा यही तो है वो ।

अदृश्य हवेली...... ये चंद गिने लोगों को छोड़ कर किसी को दिखाई नहीं देती..... यहां तक कि देव को भी कन्फ्यूजन का शिकार होना पड़ा कि वो हवेली तीन तल्ले से एक तल्ला कैसे हो गई ।..... यदि ये आंखों का भ्रम नहीं है तो फिर कुछ और ही है ।

As always update are soo beautiful Fauji bhai ?
 

Nevil singh

Well-Known Member
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#47

मेरे सामने दूसरी मंजिल थी ही नहीं. सीढिया जैसे खत्म हो गयी थी . अब ये नया चुतियापा था क्योंकि मैं अच्छे से जानता था की हवेली तीन मंजिला थी और थोड़ी देर पहले ही तो मैं यहाँ दूसरी मंजिल पर आया था . बाबा सुलतान कुछ तो ऐसा कर गया था जिसे वो मुझसे हर हाल में छुपाना चाहता था . इन दुसरे लोगो की दुनिया में मैं खुद को बड़ा असहाय महसूस करता था इन हरकतों को देखते हुए.



मैं निचे आकर कुर्सी पर बैठ गया और सोचने लगा. मोना का अचानक से इस्तीफा देना , और गायब हो जाना , कुछ तो हुआ था उसके साथ . उसके बारे में सोच सोच कर मेरा हाल बुरा हो गया था . उसकी बड़ी फ़िक्र हो रही थी मुझे और होती भी क्यों नहीं मेरी दोस्त थी वो . सोचते सोचते मुझे ख्याल आया और मैंने खुद को कोसा की ये ख्याल मुझे पहले क्यों नहीं आया.

मुझे अब रूपा से मिलना था . बल्कि मुझे सबसे पहले रूपा से ही मिलना चाहिए था . मैं हवेली से निकल कर सीधा रूपा के घर की तरफ चल पड़ा . रूपा ही अब मेरे सवालो का जवाब दे सकती थी . रूपा मुझे घर पर ही मिली.

रूपा- मुसाफिर

मैं- कैसी हो .

रूपा- पहले तो न जाने कैसी थी पर अब बहुत ठीक हूँ .बैठो तुम्हारे लिए चाय बनाती हूँ .

मैं- नहीं चाय नहीं . मुझे बस तुमसे बात करनी है .

रूपा- जी, सरकार.

मैं- वो नागिन और तुम्हारा क्या रिश्ता है . बाबा ने मेरा जख्म भरने के लिए तुमसे क्या माँगा था . मुझे तुम्हारे और उस नागिन के बारे में सब जानना है .

रूपा- बताती हूँ , मेरा और उस नागिन का रिश्ता अहंकार का रिश्ता है , नफरत का रिश्ता है ,उसे अभिमान है की वो श्रेस्ठ है मुझे भान है की मैं निम्न हूँ .उसे लगता है की शम्भू के कंठ पर वास मिलने से वो महत्वपूर्ण है , उसकी अपने विचार है मेरे अलग विचार है .

मैं- और तुम कौन हो .

रूपा- मैं , मैं कौन हूँ . मैं वो माटी हूँ जिसे तुम्हे तराश कर गुलिस्तान बना दिया. मैं वो धुल हूँ जिसे तुमने माथे से लगा कर मोल बढ़ा दिया. मैं वो मजबूर हूँ जो आसमान में उड़ना चाहती है पर पाँव में बाप के कर्ज की बेडिया है. मैं वो आइना हूँ जो रोज तुम्हे देखती है .

मैं- तुमने उस रात क्या किया था जो जख्म ऐसे गायब हुआ जैसे था ही नहीं .

रूपा- जानते हो मुसाफिर , इस दुनिया में सबसे बड़ी कोई शक्ति है तो वो प्रेम है , ये प्रेम ही था जो वो जख्म मैं भर पायी. मुझे कुछ खास तरह की चिकित्सा करने का हुनर मिला है . मैंने बस सी दिया उस जख्म को

मैं- सच बताओ रूपा , मुझसे तो न छुपाओ .

रूपा- सच अपने आप में अजीब होता है मुसाफिर. दरअसल ये सामने वाले पर निर्भर करता है क्या सच है क्या झूठ, सब परिस्तिथिया होती है . पर चूँकि आज तुम जानना ही चाहते हो तो मुझे बताना हो गा, इसलिए नहीं की तुम्हे जानना है बल्कि इसलिए ताकि तुम्हारे और मेरे रिश्ते में जो विश्वास है वो बना रहे. मैंने तुम्हे अपनी खाल दी. तुम्हारे सीने का जख्म उतारना बड़ा जरुरी था . बेशक तुम्हे उस दर्द को झेलना होगा पर कम से कम मैं इतना ही कर सकती थी.

रूपा ने लालटेन की लौ को तेज कर दिया और मेरी तरफ पीठ करके अपना ब्लाउज उतार दिया. उसकी नंगी पीठ पर बड़ा घाव था . अन्दर का मांस तक झलक रहा था . मेरे लिए कितना कुछ कर गयी थी वो . आँखों से आंसू गिरने लगे. मैंने उसे बाँहों में भर लिया .

“तुझे ये करने की जरुरत नहीं थी मेरी जान ” रुंधे गले से मैंने कहा .

रूपा-मेरी खुशनसीबी है जो तेरे काम आ सकी.

रूपा ने अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए. और मुझसे लिपट गयी. उसके होंठो का दबाव मेरे होंठो पर जो पड़ा मैंने हलके से मुह खोला और वो दीवानों जैसे मुझे चूमने लगी.

हम दोनों की ही आँखों से आंसू गिर रहे थे पर ये ख़ुशी के आंसू थे उस ख़ुशी के जो हमारे रिश्ते की नींव रख रही थी . बड़ी देर बाद वो मुझसे अलग हुई.

रूपा- अब जा तू. रात बहुत हुई.

मैं- जाता हूँ , कब मिलेगी ये करार कर.

रूपा- जब तू चाहेगा

मैं- एक बात और

रूपा- मेरी माँ जादूगरनी थी , इसलिए मुझे ये चिकित्सा आती है .

मेरे बिना कहे ही रूपा ने कह दिया था . वैसे तो ये अनोखी बाट थी पर अब मुझे आदत सी हो चली थी .

मैं- फर्क नहीं पड़ता. मुझे उस नागिन का नाम जानना है .

रूपा- कुछ लोगो के नाम नहीं होते , बस दुनिया उन्हें अपने हिसाब से पुकार लेती है .

मैं- ठीक है चलता हूँ .

रूपा हमेशा की तरह मुझे देख कर मुस्कुराई. उसकी बड़ी बड़ी आँखों में जैसे दिल डूब गया मेरा. रात न जाने कितनी बीती कितनी बाकी थी . मैं गाँव की तरफ बढ़ रहा था . दिमाग में बस एक बात थी की कैसे भी करके उस नागिन से मुलाकात करनी है . उस से बाते करनी है . सोचते सोचते मैं घर तक आ पहुंचा. मैं दबे पाँव कमरे में जा ही रहा था की सरोज की आवाज से मेरे कदम रुक गए.

सरोज- तो फुर्सत मिल गयी घर आने की बरखुरदार

मैं-थोड़ी देर हो गयी .

सरोज- देर कहाँ हुई रात के दो ही तो बजे है और वैसे भी तुम्हे क्या कहना कबसे लापता हो याद भी है .

मैं- कुछ काम था .

सरोज- जानती हूँ तुम्हारा काम , जल्दी ही उस लड़की से शादी करवा दूंगी तुम्हारे, उसके बहाने ही सही घर पर तो रहोगे.

मैं- करतार सो गया .

सरोज- हाँ ,

मैं- चाचा.

सरोज- बाग़ में है , उनके कुछ दोस्त आये है तो वही दारू-मीट का प्रोग्राम है .

“और तुम्हारा क्या प्रोग्राम है ” मैंने सरोज की छाती पर नजर गडाते हुए कहा.

सरोज- मेरी कहाँ फ़िक्र है तुम्हे .

मैंने सरोज को उसी समय गोदी में उठा लिया और बोला- तुम्हारी ही फ़िक्र तो है मुझे. उसने अपनी बाहे मेरे गले में डाल दी और मैं उसे उसके कमरे में ले चला.
Waah dost kya pataka update laaye ho diwali mana ke hi rahoge saroj sang. Behtreen mitr.
 
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