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#50
मेरी आँखों के सामने सतनाम का छोटा लड़का खड़ा था .
“मुझे तो आना ही था . तूने क्या सोचा था की तू मेरी बहन के मजे लेगा और मैं चुप रहूँगा. तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी बहन की तरफ देखने की , ” उसने मुझे गुस्से से घूरते हुए कहा .
“मोना का नाम भी तू मत ले अपनी जुबान से, और किस रिश्ते की बाट करता है तू , कभी याद भी किया तूने उसको . उसके नाम की आड़ मत ले , वैसे भी मेरी हिम्मत का जिक्र करने लायक नहीं तू , शेर के शिकार के लिए कुत्तो के झुण्ड की जरुरत नहीं पड़ती . मैं वैसे ही मोना को लेकर बहुत परेशान हूँ , जा किसी और दिन मुह लगना ” मैंने उस से कहा और आगे बढ़ने लगा.
पर उसकी मंशा कुछ और थी . उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोला- ऐसे कैसे चला जायेगा. मेरे बाप को हमारे घर आकर धमकी दी तूने.
मैं- तो अब तू क्या चाहता है मैं तेरी गांड तोड़ दू.
मेरी बात सुनकर सतनाम का लड़का हसने लगा.
“पहली बार ऐसा इन्सान देखा जिसे मौत का खौफ नहीं है ” उसने कहा
मैं- मेरी मौत तेरे हाथो नहीं लिखी , जा लौट जा मैं बात को आई गयी कर दूंगा.
“पर तू आज अभी मरेगा. ” उसने कहा और मेरे पेट में लात मारी. मैं थोडा पीछे को हुआ. और मैंने उसके कान पर थप्पड़ दिया. उसके साथ के और लोग भी जुट गए. मार पिट शुरू हो गयी . मेरे हाथ एक लकड़ी लग गयी जिससे मैंने उनको पेलना शुरू किया पर वो लोग काफी ज्यादा थे तो एक समय के बाद वो भारी पड़ने लगे.
“मैंने कहा था न , अब दिखा तेरा जोश बड़ा शेर बन रहा था , अच्छे अच्छे हमारे सामने घुटने टेक गए. तेरी तो औकात ही क्या . इसे गाड़ी के पीछे बांधो . घसीट कर ले चलेंगे इसे , दुनिया को मालूम होना चाहिए की मुद्कियो से पंगा लेने का क्या अंजाम होता है . इसे मरना तो है ही पर इसकी मौत शानदार होनी चाहिए . ”
वो लोग मुझे मार ही रहे थे की अचानक से वातावरण के गर्मी बढ़ गयी. एक तेज फुफकार ने मुझे जैसे ज़माने भर की राहत दी हो. मैंने अँधेरे में उन दो पीली आँखों को चमकते देखा. अगले ही पल दो लड़के हवा में उछले और गाड़ी के बोनट पर आ गिरे.
“कौन है ” छोटा मुडकी चिल्लाया पर उसकी चीख जैसे गले में दब गयी . जैसे को बड़ा पत्थर टकराया हो एक गाडी चकनाचूर हो गयी. मैंने मौके का फायदा उठाया और बाजी अपने हाथ में ले ली. पर मुझे कुछ करने की ज्यादा जरुरत नहीं पड़ी . जल्दी ही सब कुछ ऐसे शांत हो गया जैसे कुछ हुआ ही नहीं.
रह गया मैं अकेला और ये ख़ामोशी जो किसी बम से कम नहीं थी. वे लोग जिन्दा थे या मर गए थे मुझे घंटा फ़िक्र नहीं थी . मुझे फ़िक्र थी उस नागिन की जिस से मैं मिलना चाहता था . पर तभी उस चूतिये मुडकी ने बन्दूक चला दी.
“नहीं मैं चीखा ” और नागिन की तरफ भागा . मुझे लगा की उसे गोली न लग जाए. मैंने बस एक झलक उसकी दूर जाते देखी. और मैं सुध बुध भूल कर उसकी तरफ भागा.
“रुको, रुक जाओ मुझे बात करनी है तुमसे ” मैं चीख रहा था पर भला मेरी कौन सुनता . वो बड़ी तेजी से रेंग रही थी , कभी कभी मुझे उसकी झलक दिखती तो कभी लगता की वो गायब हो गयी है . पर मैंने भी ठान ली थी की आज मुझे इस मौके को नहीं छोड़ना है . भागते भागते मैं उसी पीपल के पेड़ के पास आ गया . पर यहाँ कुछ नहीं था .
“मैं जानता हूँ तुम यही कही हो. तुम चाहे लाख कोशिश कर लो पर आज तुम्हे मुझसे मिलना होगा तुम ऐसे मुझे छोड़ कर नहीं जा सकती . मुझसे बात करनी ही होगी तुम्हे. . ”मैं चिल्ला रहा था पर कोई सुनने वाला नहीं था . पर आज मुझे कुछ भी करके नागिन से मिलना ही था . पीपल पर एक दिया जल रहा था मैंने उसे उठाया और उसकी रौशनी में नागिन के खोज तलाशने लगा. और मुझे कामयाबी भी मिली. पीपल के पास से एक संकरी पगडण्डी जाती थी . मैं उसी पर चल दिया. करीब आधा किलोमीटर जाने के बाद जैसे एक और हैरानी मेरा इंतजार कर रही थी .
मैं रूपा के घर की पिछली तरफ खड़ा था . घर यहाँ से महज कुछ कदम की दुरी पर था . अब मेरा दिमाग हद से ज्यादा बेकाबू हो गया था . मैं घर की तरफ बढ़ा. रौशनी थी मतलब रूपा जागी हुई थी . मैंने देखा दरवाजा खुला था मैं अन्दर पहुंचा और मैंने देखा रूपा की पीठ मेरी तरफ थी वो कुछ कर रही थी .
“रूपा ” मैंने उसे पुकारा .वो झटके से मेरी तरफ पलटी
“तुम, डरा ही दिया था मुझे , ये कोई वक्त है आने का ” उसने कहा .
मैंने उस पर नजर डाली. उसके कपडे से कुछ टपक रहा था मैंने देखा वो खून था , सुर्ख खून .
“ये खून कैसा रूपा. ” मैंने कहा
रूपा- अरे कुछ नहीं . मामूली सा जख्म है इसकी ही सिलाई कर रह थी की तुम आ गए. बैठो बस दो मिनट. फिर बाते करते है .
रूपा अपने जख्म को साफ़ करके उसे सिलने लगी.
“कैसे लगा ये जख्म ” मैंने पूछा
रूपा- कहा न कुछ नहीं . बस ऐसे ही
मैं- मैंने पूछा कैसे लगा ये जख्म तुझे .
रूपा ने गौर से देखा मुझे और बोली- क्या बात है , क्यों संजीदा हो रहा है इस छोटे से जख्म के पीछे. वो खेतो पर तार बंदी हुई है मुझे मालूम नहीं था तो बस उसी धोखे में लग गया. यकीं न हो तो तार दिखा आऊं
और तू अपनी बता ये क्या हालत बनाई हुई है . किसी से झगडा हुआ क्या तेरा.
मैंने उसे मुडकी के लड़के वाली बात बताई.
रूपा- दूर रहा कर इन सब पचड़ो से नहा ले . मैं पानी गर्म कर देती हूँ.
मैंने हाँ में सर हिलाया .पर वो खून मुझे पागल कर रहा था क्योंकि वो खून अजीब सा था , मैंने उसे हाथ में लिया और मैं जान गया की वो खून इतना अजीब क्यों था .
Awesome update#50
मेरी आँखों के सामने सतनाम का छोटा लड़का खड़ा था .
“मुझे तो आना ही था . तूने क्या सोचा था की तू मेरी बहन के मजे लेगा और मैं चुप रहूँगा. तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी बहन की तरफ देखने की , ” उसने मुझे गुस्से से घूरते हुए कहा .
“मोना का नाम भी तू मत ले अपनी जुबान से, और किस रिश्ते की बाट करता है तू , कभी याद भी किया तूने उसको . उसके नाम की आड़ मत ले , वैसे भी मेरी हिम्मत का जिक्र करने लायक नहीं तू , शेर के शिकार के लिए कुत्तो के झुण्ड की जरुरत नहीं पड़ती . मैं वैसे ही मोना को लेकर बहुत परेशान हूँ , जा किसी और दिन मुह लगना ” मैंने उस से कहा और आगे बढ़ने लगा.
पर उसकी मंशा कुछ और थी . उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोला- ऐसे कैसे चला जायेगा. मेरे बाप को हमारे घर आकर धमकी दी तूने.
मैं- तो अब तू क्या चाहता है मैं तेरी गांड तोड़ दू.
मेरी बात सुनकर सतनाम का लड़का हसने लगा.
“पहली बार ऐसा इन्सान देखा जिसे मौत का खौफ नहीं है ” उसने कहा
मैं- मेरी मौत तेरे हाथो नहीं लिखी , जा लौट जा मैं बात को आई गयी कर दूंगा.
“पर तू आज अभी मरेगा. ” उसने कहा और मेरे पेट में लात मारी. मैं थोडा पीछे को हुआ. और मैंने उसके कान पर थप्पड़ दिया. उसके साथ के और लोग भी जुट गए. मार पिट शुरू हो गयी . मेरे हाथ एक लकड़ी लग गयी जिससे मैंने उनको पेलना शुरू किया पर वो लोग काफी ज्यादा थे तो एक समय के बाद वो भारी पड़ने लगे.
“मैंने कहा था न , अब दिखा तेरा जोश बड़ा शेर बन रहा था , अच्छे अच्छे हमारे सामने घुटने टेक गए. तेरी तो औकात ही क्या . इसे गाड़ी के पीछे बांधो . घसीट कर ले चलेंगे इसे , दुनिया को मालूम होना चाहिए की मुद्कियो से पंगा लेने का क्या अंजाम होता है . इसे मरना तो है ही पर इसकी मौत शानदार होनी चाहिए . ”
वो लोग मुझे मार ही रहे थे की अचानक से वातावरण के गर्मी बढ़ गयी. एक तेज फुफकार ने मुझे जैसे ज़माने भर की राहत दी हो. मैंने अँधेरे में उन दो पीली आँखों को चमकते देखा. अगले ही पल दो लड़के हवा में उछले और गाड़ी के बोनट पर आ गिरे.
“कौन है ” छोटा मुडकी चिल्लाया पर उसकी चीख जैसे गले में दब गयी . जैसे को बड़ा पत्थर टकराया हो एक गाडी चकनाचूर हो गयी. मैंने मौके का फायदा उठाया और बाजी अपने हाथ में ले ली. पर मुझे कुछ करने की ज्यादा जरुरत नहीं पड़ी . जल्दी ही सब कुछ ऐसे शांत हो गया जैसे कुछ हुआ ही नहीं.
रह गया मैं अकेला और ये ख़ामोशी जो किसी बम से कम नहीं थी. वे लोग जिन्दा थे या मर गए थे मुझे घंटा फ़िक्र नहीं थी . मुझे फ़िक्र थी उस नागिन की जिस से मैं मिलना चाहता था . पर तभी उस चूतिये मुडकी ने बन्दूक चला दी.
“नहीं मैं चीखा ” और नागिन की तरफ भागा . मुझे लगा की उसे गोली न लग जाए. मैंने बस एक झलक उसकी दूर जाते देखी. और मैं सुध बुध भूल कर उसकी तरफ भागा.
“रुको, रुक जाओ मुझे बात करनी है तुमसे ” मैं चीख रहा था पर भला मेरी कौन सुनता . वो बड़ी तेजी से रेंग रही थी , कभी कभी मुझे उसकी झलक दिखती तो कभी लगता की वो गायब हो गयी है . पर मैंने भी ठान ली थी की आज मुझे इस मौके को नहीं छोड़ना है . भागते भागते मैं उसी पीपल के पेड़ के पास आ गया . पर यहाँ कुछ नहीं था .
“मैं जानता हूँ तुम यही कही हो. तुम चाहे लाख कोशिश कर लो पर आज तुम्हे मुझसे मिलना होगा तुम ऐसे मुझे छोड़ कर नहीं जा सकती . मुझसे बात करनी ही होगी तुम्हे. . ”मैं चिल्ला रहा था पर कोई सुनने वाला नहीं था . पर आज मुझे कुछ भी करके नागिन से मिलना ही था . पीपल पर एक दिया जल रहा था मैंने उसे उठाया और उसकी रौशनी में नागिन के खोज तलाशने लगा. और मुझे कामयाबी भी मिली. पीपल के पास से एक संकरी पगडण्डी जाती थी . मैं उसी पर चल दिया. करीब आधा किलोमीटर जाने के बाद जैसे एक और हैरानी मेरा इंतजार कर रही थी .
मैं रूपा के घर की पिछली तरफ खड़ा था . घर यहाँ से महज कुछ कदम की दुरी पर था . अब मेरा दिमाग हद से ज्यादा बेकाबू हो गया था . मैं घर की तरफ बढ़ा. रौशनी थी मतलब रूपा जागी हुई थी . मैंने देखा दरवाजा खुला था मैं अन्दर पहुंचा और मैंने देखा रूपा की पीठ मेरी तरफ थी वो कुछ कर रही थी .
“रूपा ” मैंने उसे पुकारा .वो झटके से मेरी तरफ पलटी
“तुम, डरा ही दिया था मुझे , ये कोई वक्त है आने का ” उसने कहा .
मैंने उस पर नजर डाली. उसके कपडे से कुछ टपक रहा था मैंने देखा वो खून था , सुर्ख खून .
“ये खून कैसा रूपा. ” मैंने कहा
रूपा- अरे कुछ नहीं . मामूली सा जख्म है इसकी ही सिलाई कर रह थी की तुम आ गए. बैठो बस दो मिनट. फिर बाते करते है .
रूपा अपने जख्म को साफ़ करके उसे सिलने लगी.
“कैसे लगा ये जख्म ” मैंने पूछा
रूपा- कहा न कुछ नहीं . बस ऐसे ही
मैं- मैंने पूछा कैसे लगा ये जख्म तुझे .
रूपा ने गौर से देखा मुझे और बोली- क्या बात है , क्यों संजीदा हो रहा है इस छोटे से जख्म के पीछे. वो खेतो पर तार बंदी हुई है मुझे मालूम नहीं था तो बस उसी धोखे में लग गया. यकीं न हो तो तार दिखा आऊं
और तू अपनी बता ये क्या हालत बनाई हुई है . किसी से झगडा हुआ क्या तेरा.
मैंने उसे मुडकी के लड़के वाली बात बताई.
रूपा- दूर रहा कर इन सब पचड़ो से नहा ले . मैं पानी गर्म कर देती हूँ.
मैंने हाँ में सर हिलाया .पर वो खून मुझे पागल कर रहा था क्योंकि वो खून अजीब सा था , मैंने उसे हाथ में लिया और मैं जान गया की वो खून इतना अजीब क्यों था .