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Adultery गुजारिश

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#62

"मैं तो कही नहीं गयी थी , पर अभी तुझे मेरे साथ चलना होगा " उसने कहा

मैं- कही नहीं जाना मुझे और क्या फर्क पड़ता है अब मुझे

नागिन- तमाशा करना कोई तुझसे सीखे

मैं- तमाशा तो तूने देखा नहीं, तमाशा तो तब होता जब उस महफ़िल को सुलगा देता जहाँ मेरा दिल टूटा पर कहे भी तो क्या महफ़िल भी बेगानी थी .

लहराते हुए वो मेरे और पास आई . उसकी पीली आँखे मेरी आँखों में झाँकने लगी .

“जानता है , ये उलझन बड़ी अजीब होती है , तू इसलिए दुखी है की तूने दुनिया को तेरे नजरिये से देखा है और फिर किसने कहा की प्रेम केवल पाना है त्याग भी तो है प्रेम ” नागिन ने कहा

मैं- सच्चाई भी तो है प्रेम. मेरा प्रेम साचा है तो हकीकत बताने में भला क्या हर्ज़

नागिन- झूठ भी तो नहीं कहा

मैं- तू किसकी बात कर रही है उसकी या तेरी

नागिन- क्या फर्क पड़ता है

मैं- फर्क पड़ता है मुझे पड़ता है

मैंने कडवे पानी के कुछ घूँट और भरे . बार बार आँखों के सामने तमाम वो लहमे गुजर रहे थे जो मैंने अपने इश्क में जिए थे, वो इश्क जिसको रूपा के एक सच ने बिखरा दिया था . मैंने गाड़ी के टायर से पीठ टिकाई और बैठ गया .

“काश तू मोहब्बत समझती तो तुझे महसूस होता कितना तकलीफ देती है ”मैंने कहा

“काश तू मेरी तकलीफ समझता ” वो धीरे से बोली.

मैं- न जाने कब गुजरेगी ये रात

नागिन- वक्त है गुजर जायेगा . तेरा नशा जब उतरेगा तो तू समझ जायेगा

मैं- नशा तो उतर जायेगा पर ये रंग जो मुझ पर चढ़ा है ये कैसे उतरेगा.

नागिन- मैं क्या जानू

मुझे हंसी आ गयी . मैंने एक पेग और लिया .

“क्या हुआ तुझे “ पूछा उसने

मैं- खुद से क्यों नहीं पूछती की क्या हुआ है मुझे .

नागिन- भला मैं क्या जानू

मैं- तू नहीं जानती तो कौन जानेगा

नागिन- क्या पहेलियाँ बुझा रहा है तू

मैं- मेरा एक काम करेगी, एक अहसान करेगी मुझ पर

नागिन- बता क्या करू.

मैं- मुझे अपने आगोश में ले ले कुछ लम्हों के लिए. मैं रोना चाहता हूँ मुझे थाम ले जरा .

नागिन- रोना कमजोरो की निशानी होती है

मैं- कमजोर ही सही

मैंने अपनी बाहे फैला दी . और वो लिपट गयी मुझसे उसका सर मेरे काँधे पर था . उसके आगोश को मैंने दिल में उतरते महसूस किया

“तरस गया था मैं मेरी जान ” जो बात मैं नहीं बोलना चाहता था वो मेरे होंठो पर ठहर नहीं पायी .उसने घूर कर देखा मुझे और झटके से मुझसे अलग हो गयी .

“कब तक भागेगी , बस बहुत हुआ अब रुक जा ” मैंने कहा

“देर बहुत हुई , मुझे जाना होगा. ” उसने कहा

मैं- जाना तो सबको है , जा मैं रोकूंगा नहीं बस इतना बता कब तक भागेगी, तू लाख कोशिश कर ले . लाख परदे लगा ले पर इन धडकनों को तू कैसे रोक पायेगी जो मेरे सीने में धडक रही है .

नागिन- तू क्या बात कर रहा है , नशे में पागल हो गया है तू. होश कर देख मैं रूपा नहीं हूँ .

मैं- तू ये भी तो नहीं है

नागिन- मैं तुझे समझाने आई थी पर अभी तू समझने लायक नहीं है .

मैं- बस ऐसे ही थामे रख मुझे बरसो तडपा हूँ मैं

“मत छेड़ मुझको आ होश में . ” उसने कहा

मैं- होश में आकर भी क्या फायदा ,

नागिन- दुनिया में जीना वही जानता है जो झूठ-सच को जानता है

मैं- बस मर जाना चाहता हूँ

“मरना तो है सबको मगर पर ओ बेखबर तू क्या जाने क्या है तेरा अंजाम ” उसने कहा

मैं- मुसाफिर का कोई अंजाम नहीं .

नागिन- टूटे दिल का कोई जोड़ नहीं समझता क्यों नहीं क्यों जिद लिए बैठा है .

मैं- तू हाँ कहे तो ये जिद छोड़ दू मैं

“ ये तो नसीबो की बात है , किस दिल पर लिखा किसका नाम कौन जाने दिलजला है फिर भी दिल्लगी चढ़ी है तेरा कुछ नहीं सो सकता .” उसने कहा

मैंने दूसरी बोतल खोल दी.





नागिन ने मुझसे पीठ मोड़ी और चल पड़ी .

“ऐसे नजरे छिपा कर नहीं जा सकती तुम ” मैंने कहा

नागिन- रुक भी तो नहीं सकती

मैं- रोकू तो भी नहीं रुकेगी तू क्यों हैं न

नागिन- मेरी भला क्या चाहत

मैं- ठीक है जा पर एक वादा करना फिर मुझे कभी ऐसे न मिलना जब भी मिले तो वैसे मिलना जैसे मैंने तुझे मेरी नजरो से देखा था .

“मुझे क्या मालूम तेरी नजरे कैसे देखती है ” उसने कहा और लहरा पड़ी .

“मेरी नजरे तुम्हे देखती है , तुम्हे देखती है , बस तुम्हे देखती है जज साहिबा मेरी नजरे मेरी मोना को देखती है बहुत हुआ ये खेल . मैंने पहचान लिया है , तुम लाख कोशिश कर लो पर दोस्त हूँ तुम्हारा मैं सब जान गया हूँ , रूप बदल लो सरकार ” मैंने कहा

मेरी बात जैसे ही उसके कानो में पड़ी वो जम सी गयी . जैसे उसमे जान ही न हो .

“मैं नहीं रोकूंगा तुम्हे पर इस से पहले की मैं मर जाऊ मोना , अपनी मोना को सीने से लगाना चाहता हूँ मैं ” मैंने कहा

“कौन मोना, क्या बोल रहा है तू ,अपने आपे में नहीं है तू ” उसने कहा

मैं- हाँ नहीं हूँ अपने आपे में ये सारी दुनिया झूठ बोल सकती है , मैं झूठ बोल सकता हूँ पर मेरे सीने में धडकता तेरा दिल तो झूठा नहीं है न . बस एक बार मैं मोना को देखना चाहता हूँ



नागिन- काश मैं तेरी इच्छा पूरी कर पाती .

इस बार वो चली और मैं बोलता रह गया . उसने मुड कर नहीं देखा.

तब भी नहीं जब दूर से एक गोली चली और मैंने खुद को गिरते देखा.
 

Ajay

Well-Known Member
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#62

"मैं तो कही नहीं गयी थी , पर अभी तुझे मेरे साथ चलना होगा " उसने कहा

मैं- कही नहीं जाना मुझे और क्या फर्क पड़ता है अब मुझे

नागिन- तमाशा करना कोई तुझसे सीखे

मैं- तमाशा तो तूने देखा नहीं, तमाशा तो तब होता जब उस महफ़िल को सुलगा देता जहाँ मेरा दिल टूटा पर कहे भी तो क्या महफ़िल भी बेगानी थी .

लहराते हुए वो मेरे और पास आई . उसकी पीली आँखे मेरी आँखों में झाँकने लगी .

“जानता है , ये उलझन बड़ी अजीब होती है , तू इसलिए दुखी है की तूने दुनिया को तेरे नजरिये से देखा है और फिर किसने कहा की प्रेम केवल पाना है त्याग भी तो है प्रेम ” नागिन ने कहा

मैं- सच्चाई भी तो है प्रेम. मेरा प्रेम साचा है तो हकीकत बताने में भला क्या हर्ज़

नागिन- झूठ भी तो नहीं कहा

मैं- तू किसकी बात कर रही है उसकी या तेरी

नागिन- क्या फर्क पड़ता है

मैं- फर्क पड़ता है मुझे पड़ता है

मैंने कडवे पानी के कुछ घूँट और भरे . बार बार आँखों के सामने तमाम वो लहमे गुजर रहे थे जो मैंने अपने इश्क में जिए थे, वो इश्क जिसको रूपा के एक सच ने बिखरा दिया था . मैंने गाड़ी के टायर से पीठ टिकाई और बैठ गया .

“काश तू मोहब्बत समझती तो तुझे महसूस होता कितना तकलीफ देती है ”मैंने कहा

“काश तू मेरी तकलीफ समझता ” वो धीरे से बोली.

मैं- न जाने कब गुजरेगी ये रात

नागिन- वक्त है गुजर जायेगा . तेरा नशा जब उतरेगा तो तू समझ जायेगा

मैं- नशा तो उतर जायेगा पर ये रंग जो मुझ पर चढ़ा है ये कैसे उतरेगा.

नागिन- मैं क्या जानू

मुझे हंसी आ गयी . मैंने एक पेग और लिया .

“क्या हुआ तुझे “ पूछा उसने

मैं- खुद से क्यों नहीं पूछती की क्या हुआ है मुझे .

नागिन- भला मैं क्या जानू

मैं- तू नहीं जानती तो कौन जानेगा

नागिन- क्या पहेलियाँ बुझा रहा है तू

मैं- मेरा एक काम करेगी, एक अहसान करेगी मुझ पर

नागिन- बता क्या करू.

मैं- मुझे अपने आगोश में ले ले कुछ लम्हों के लिए. मैं रोना चाहता हूँ मुझे थाम ले जरा .

नागिन- रोना कमजोरो की निशानी होती है

मैं- कमजोर ही सही

मैंने अपनी बाहे फैला दी . और वो लिपट गयी मुझसे उसका सर मेरे काँधे पर था . उसके आगोश को मैंने दिल में उतरते महसूस किया

“तरस गया था मैं मेरी जान ” जो बात मैं नहीं बोलना चाहता था वो मेरे होंठो पर ठहर नहीं पायी .उसने घूर कर देखा मुझे और झटके से मुझसे अलग हो गयी .

“कब तक भागेगी , बस बहुत हुआ अब रुक जा ” मैंने कहा

“देर बहुत हुई , मुझे जाना होगा. ” उसने कहा

मैं- जाना तो सबको है , जा मैं रोकूंगा नहीं बस इतना बता कब तक भागेगी, तू लाख कोशिश कर ले . लाख परदे लगा ले पर इन धडकनों को तू कैसे रोक पायेगी जो मेरे सीने में धडक रही है .

नागिन- तू क्या बात कर रहा है , नशे में पागल हो गया है तू. होश कर देख मैं रूपा नहीं हूँ .

मैं- तू ये भी तो नहीं है

नागिन- मैं तुझे समझाने आई थी पर अभी तू समझने लायक नहीं है .

मैं- बस ऐसे ही थामे रख मुझे बरसो तडपा हूँ मैं

“मत छेड़ मुझको आ होश में . ” उसने कहा

मैं- होश में आकर भी क्या फायदा ,

नागिन- दुनिया में जीना वही जानता है जो झूठ-सच को जानता है

मैं- बस मर जाना चाहता हूँ

“मरना तो है सबको मगर पर ओ बेखबर तू क्या जाने क्या है तेरा अंजाम ” उसने कहा

मैं- मुसाफिर का कोई अंजाम नहीं .

नागिन- टूटे दिल का कोई जोड़ नहीं समझता क्यों नहीं क्यों जिद लिए बैठा है .

मैं- तू हाँ कहे तो ये जिद छोड़ दू मैं

“ ये तो नसीबो की बात है , किस दिल पर लिखा किसका नाम कौन जाने दिलजला है फिर भी दिल्लगी चढ़ी है तेरा कुछ नहीं सो सकता .” उसने कहा

मैंने दूसरी बोतल खोल दी.





नागिन ने मुझसे पीठ मोड़ी और चल पड़ी .

“ऐसे नजरे छिपा कर नहीं जा सकती तुम ” मैंने कहा

नागिन- रुक भी तो नहीं सकती

मैं- रोकू तो भी नहीं रुकेगी तू क्यों हैं न

नागिन- मेरी भला क्या चाहत

मैं- ठीक है जा पर एक वादा करना फिर मुझे कभी ऐसे न मिलना जब भी मिले तो वैसे मिलना जैसे मैंने तुझे मेरी नजरो से देखा था .

“मुझे क्या मालूम तेरी नजरे कैसे देखती है ” उसने कहा और लहरा पड़ी .

“मेरी नजरे तुम्हे देखती है , तुम्हे देखती है , बस तुम्हे देखती है जज साहिबा मेरी नजरे मेरी मोना को देखती है बहुत हुआ ये खेल . मैंने पहचान लिया है , तुम लाख कोशिश कर लो पर दोस्त हूँ तुम्हारा मैं सब जान गया हूँ , रूप बदल लो सरकार ” मैंने कहा

मेरी बात जैसे ही उसके कानो में पड़ी वो जम सी गयी . जैसे उसमे जान ही न हो .

“मैं नहीं रोकूंगा तुम्हे पर इस से पहले की मैं मर जाऊ मोना , अपनी मोना को सीने से लगाना चाहता हूँ मैं ” मैंने कहा

“कौन मोना, क्या बोल रहा है तू ,अपने आपे में नहीं है तू ” उसने कहा

मैं- हाँ नहीं हूँ अपने आपे में ये सारी दुनिया झूठ बोल सकती है , मैं झूठ बोल सकता हूँ पर मेरे सीने में धडकता तेरा दिल तो झूठा नहीं है न . बस एक बार मैं मोना को देखना चाहता हूँ



नागिन- काश मैं तेरी इच्छा पूरी कर पाती .

इस बार वो चली और मैं बोलता रह गया . उसने मुड कर नहीं देखा.

तब भी नहीं जब दूर से एक गोली चली और मैंने खुद को गिरते देखा.
Nice update bhai
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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#62

"मैं तो कही नहीं गयी थी , पर अभी तुझे मेरे साथ चलना होगा " उसने कहा

मैं- कही नहीं जाना मुझे और क्या फर्क पड़ता है अब मुझे

नागिन- तमाशा करना कोई तुझसे सीखे

मैं- तमाशा तो तूने देखा नहीं, तमाशा तो तब होता जब उस महफ़िल को सुलगा देता जहाँ मेरा दिल टूटा पर कहे भी तो क्या महफ़िल भी बेगानी थी .

लहराते हुए वो मेरे और पास आई . उसकी पीली आँखे मेरी आँखों में झाँकने लगी .

“जानता है , ये उलझन बड़ी अजीब होती है , तू इसलिए दुखी है की तूने दुनिया को तेरे नजरिये से देखा है और फिर किसने कहा की प्रेम केवल पाना है त्याग भी तो है प्रेम ” नागिन ने कहा

मैं- सच्चाई भी तो है प्रेम. मेरा प्रेम साचा है तो हकीकत बताने में भला क्या हर्ज़

नागिन- झूठ भी तो नहीं कहा

मैं- तू किसकी बात कर रही है उसकी या तेरी

नागिन- क्या फर्क पड़ता है

मैं- फर्क पड़ता है मुझे पड़ता है

मैंने कडवे पानी के कुछ घूँट और भरे . बार बार आँखों के सामने तमाम वो लहमे गुजर रहे थे जो मैंने अपने इश्क में जिए थे, वो इश्क जिसको रूपा के एक सच ने बिखरा दिया था . मैंने गाड़ी के टायर से पीठ टिकाई और बैठ गया .

“काश तू मोहब्बत समझती तो तुझे महसूस होता कितना तकलीफ देती है ”मैंने कहा

“काश तू मेरी तकलीफ समझता ” वो धीरे से बोली.

मैं- न जाने कब गुजरेगी ये रात

नागिन- वक्त है गुजर जायेगा . तेरा नशा जब उतरेगा तो तू समझ जायेगा

मैं- नशा तो उतर जायेगा पर ये रंग जो मुझ पर चढ़ा है ये कैसे उतरेगा.

नागिन- मैं क्या जानू

मुझे हंसी आ गयी . मैंने एक पेग और लिया .

“क्या हुआ तुझे “ पूछा उसने

मैं- खुद से क्यों नहीं पूछती की क्या हुआ है मुझे .

नागिन- भला मैं क्या जानू

मैं- तू नहीं जानती तो कौन जानेगा

नागिन- क्या पहेलियाँ बुझा रहा है तू

मैं- मेरा एक काम करेगी, एक अहसान करेगी मुझ पर

नागिन- बता क्या करू.

मैं- मुझे अपने आगोश में ले ले कुछ लम्हों के लिए. मैं रोना चाहता हूँ मुझे थाम ले जरा .

नागिन- रोना कमजोरो की निशानी होती है

मैं- कमजोर ही सही

मैंने अपनी बाहे फैला दी . और वो लिपट गयी मुझसे उसका सर मेरे काँधे पर था . उसके आगोश को मैंने दिल में उतरते महसूस किया

“तरस गया था मैं मेरी जान ” जो बात मैं नहीं बोलना चाहता था वो मेरे होंठो पर ठहर नहीं पायी .उसने घूर कर देखा मुझे और झटके से मुझसे अलग हो गयी .

“कब तक भागेगी , बस बहुत हुआ अब रुक जा ” मैंने कहा

“देर बहुत हुई , मुझे जाना होगा. ” उसने कहा

मैं- जाना तो सबको है , जा मैं रोकूंगा नहीं बस इतना बता कब तक भागेगी, तू लाख कोशिश कर ले . लाख परदे लगा ले पर इन धडकनों को तू कैसे रोक पायेगी जो मेरे सीने में धडक रही है .

नागिन- तू क्या बात कर रहा है , नशे में पागल हो गया है तू. होश कर देख मैं रूपा नहीं हूँ .

मैं- तू ये भी तो नहीं है

नागिन- मैं तुझे समझाने आई थी पर अभी तू समझने लायक नहीं है .

मैं- बस ऐसे ही थामे रख मुझे बरसो तडपा हूँ मैं

“मत छेड़ मुझको आ होश में . ” उसने कहा

मैं- होश में आकर भी क्या फायदा ,

नागिन- दुनिया में जीना वही जानता है जो झूठ-सच को जानता है

मैं- बस मर जाना चाहता हूँ

“मरना तो है सबको मगर पर ओ बेखबर तू क्या जाने क्या है तेरा अंजाम ” उसने कहा

मैं- मुसाफिर का कोई अंजाम नहीं .

नागिन- टूटे दिल का कोई जोड़ नहीं समझता क्यों नहीं क्यों जिद लिए बैठा है .

मैं- तू हाँ कहे तो ये जिद छोड़ दू मैं

“ ये तो नसीबो की बात है , किस दिल पर लिखा किसका नाम कौन जाने दिलजला है फिर भी दिल्लगी चढ़ी है तेरा कुछ नहीं सो सकता .” उसने कहा

मैंने दूसरी बोतल खोल दी.





नागिन ने मुझसे पीठ मोड़ी और चल पड़ी .

“ऐसे नजरे छिपा कर नहीं जा सकती तुम ” मैंने कहा

नागिन- रुक भी तो नहीं सकती

मैं- रोकू तो भी नहीं रुकेगी तू क्यों हैं न

नागिन- मेरी भला क्या चाहत

मैं- ठीक है जा पर एक वादा करना फिर मुझे कभी ऐसे न मिलना जब भी मिले तो वैसे मिलना जैसे मैंने तुझे मेरी नजरो से देखा था .

“मुझे क्या मालूम तेरी नजरे कैसे देखती है ” उसने कहा और लहरा पड़ी .

“मेरी नजरे तुम्हे देखती है , तुम्हे देखती है , बस तुम्हे देखती है जज साहिबा मेरी नजरे मेरी मोना को देखती है बहुत हुआ ये खेल . मैंने पहचान लिया है , तुम लाख कोशिश कर लो पर दोस्त हूँ तुम्हारा मैं सब जान गया हूँ , रूप बदल लो सरकार ” मैंने कहा

मेरी बात जैसे ही उसके कानो में पड़ी वो जम सी गयी . जैसे उसमे जान ही न हो .

“मैं नहीं रोकूंगा तुम्हे पर इस से पहले की मैं मर जाऊ मोना , अपनी मोना को सीने से लगाना चाहता हूँ मैं ” मैंने कहा

“कौन मोना, क्या बोल रहा है तू ,अपने आपे में नहीं है तू ” उसने कहा

मैं- हाँ नहीं हूँ अपने आपे में ये सारी दुनिया झूठ बोल सकती है , मैं झूठ बोल सकता हूँ पर मेरे सीने में धडकता तेरा दिल तो झूठा नहीं है न . बस एक बार मैं मोना को देखना चाहता हूँ



नागिन- काश मैं तेरी इच्छा पूरी कर पाती .

इस बार वो चली और मैं बोलता रह गया . उसने मुड कर नहीं देखा.


तब भी नहीं जब दूर से एक गोली चली और मैंने खुद को गिरते देखा.
Oh teri matlab yeh nagin hiss hiss karne wali hi mona hai.. tabhi sochu mein ki mona har baari ain waqt pe, ain mauke pe kaise pahunch jaati thi... oh toh isliye mona dhund nahi paaye koi bhi... kyunki roop badal ke joh ghoom rahi thi woh...
Akhir kyun....
Agar woh nagin hi thi toh naukari kahe kar rahi thi?
agar woh nagin hi thi toh us jabbar ko pehle hi kyun maar diya..?
aur woh budhau ne bhi yeh baat chhupayi..
“मुझे क्या मालूम तेरी नजरे कैसे देखती है ” उसने कहा और लहरा पड़ी .

hawas se bhari nazar har koi pehchaan jaaye aur woh toh nagin hai.. :D woh toh pehle se hi jaan gayi thi ki yeh dev hai toh chutiya par tharakipan mein super se upor hai :lol: iska kuch nahi ho sakta.. yeh toh apne hi hawas aur bewakufiya ke chalte hi marega :D
Khair.. kahani kaafi interesting hoti ja rahin hai har update ke sath..
Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skill :applause: :applause:
 
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