#63
बड़ी जोर से लगी थी मुझे .
“कौन है बहनचोद ” मैं चीख पड़ा.
पर कोई जवाब नहीं आया , आई तो एक और आवाज मैंने एक बार फिर से अपने जिस्म में कुछ उतरते महसूस किया. ये दूसरी गोली थी जो मुझे घायल कर गयी थी .
“कौन है बे सामने क्यों नहीं आते , कायरो जैसे छिपकर वार करते हो , सामने आओ ” मैंने खुद को सँभालते हुए कहा .
“सामने से धोखा तो तुमने भी नहीं दिया ” करतार ने मेरे पास आते हुए कहा .
“करतार तू, मेरे भाई तूने मुझ पर गोली चलाई ” अविश्वास से उसे देखते हुए कहा .
करतार- इस गन्दी जुबान से मुझे भाई मत कहो . तुमने जो किया है ,हर रिश्ते को तोड़ दिया तुमने . भाई कहने का कोई हक़ नहीं है तुम्हे जबकि उसी भाई की माँ को बिस्तर पर ले लिया तुमने. बहुत दिनों से भरा बैठा था मैं आज मौका मिला है . आज तुम्हे मार कर इस किस्से को खत्म कर दूंगा. आज मेरे कलेजे की आग ठंडी होगी.
तो करतार को मेरे और सरोज के जिस्मानी रिश्ते के बारे में मालूम हो गया था .
“तो फिर देर किस बात की , बन्दूक तेरे हाथ में है उतार दे सारी गोलिया मेरे सीने में और बात ख़त्म कर . ” मैंने कहा
करतार- बात तो खत्म होनी है , पर इतनी भी क्या जल्दी है तिल तिल करके मारूंगा तुम्हे. मैंने कभी सोचा नहीं था की मेरे घर में रह कर तुम मेरी ही माँ के साथ ऐसा करोगे.
मैं- तू इस बात को कभी नहीं समझ पायेगा. अभी तेरी आँखों पर क्रोध की पट्टी पड़ी है . कुछ चीजो पर किसी का बस नहीं होता वो बस हो जाता है .
करतार- तो फिर तुम भी ये समझ लेना की आज तुम्हारी मौत भी बस हो ही गयी है .
“जो तेरी मर्जी , मेरी तो खुशकिस्मती है की मेरा भाई मुझे मार रहा है . ” मैंने कहा
करतार ने बन्दूक मेरी तरफ तान दी . पर इस से पहले की वो फायर कर पाता. किसी ने उसे उठा कर बेरहमी से पटक दिया. और अगले ही पल करतार की आँखे खौफ से फट पड़ी. उसने वो देखा जो वो कभी सोच भी नहीं सकता था . नागिन ने उसे अपने पाश में जकड लिया था . मैंने उन पीली आँखों में वोक्रोध देखा , वो बेरहमी देखि.
“नहीं, मोना नहीईईइ. ” मैं चीख भी नहीं पाया उसे रोक भी नहीं पाया . नागिन ने अपने दांत करतार के गले में गडा दिए. और कुछ ही लम्हों में वो हो गया जो नहीं होना चाहिए था .
“ये तूने क्या कर दिया , क्या कर दिया ये तूने वो भाई था मेरा ” अपने जिस्म को घसीटते हु मैं करतार के पास ले जाने लगा. मेरी आँखों के सामने मेरी जान मेरा छोटा भाई करतार बेजान पड़ा था .
“भाई था वो मेरा ” मैंने कहा
“वो तुझे मार देता ” उसने कहा
मैं- तो क्या होता . मेरे मरने से वो तो चैन से जी लेता.
“मेरे होते कोई तेरी तरफ आंख भी नहीं उठा कर देख सकता, और फिर तेरी जिंदगानी बस तेरी ही तो नहीं ,” उसने कहा.
मैं- ये नहीं होना चाहिए था
नागिन ने मुझे थामा और हवेली ले आई .
“घायल है तू, खून काफी बहा है ” उसने कहा .
मैं कुछ नहीं बोला.
नागिन- जिंदगी अब इतनी आसान भी नहीं होती .
मैं- मुझे मेरे हाल पर छोड़ दे.
नागिन- कैसे छोड़ दू तुझे.
मैं- तो मत छोड़ . पर साथ रहना है तो ऐसे नहीं मेरी मोना के रूप में
मुझे तेरे नहीं मेरी मोना की जरुरत है , वो मोना किसकी बाँहों में मेरा जहाँ है . वैसे भी अब फर्क नहीं पड़ता मुझे
कुछ पल वो मुझे देखती रही और फिर उसका रूप बदल गया . मेरे सामने मेरी मोना खड़ी थी . वो मोना जिसने मुझे जीना सिखाया था . वो मोना जो बस मेरी थी .
“क्या जरूरत थी तुझे ये सब करने की , चुपचाप मुझे बता नहीं सकती थी क्या ” मैंने शिकायत की
मोना- क्या बताती मैं, था ही क्या मेरे पास बताने को और ये एक ऐसा सच है जिस पर कोई कैसे विश्वास करे.
मैं- और तूने सोच लिया की तू छिपा लेगी.
मैंने मेरी जेब से वो पुराणी तस्वीर निकाल कर उसके हाथ में रख दी.
मोना- मुझे गोली निकालने दे तेरी.
मोना ने न जाने क्या क्या कुछ ही देर में मैं ठीक था .
मोना- रात बहुत हुई थोड़ी देर सो जा तू, सुबह मिलती हूँ .
मैं- सो जाऊंगा पर इन बाँहों में .
मोना- बस इसलिए ही मैं तुझसे दूर हूँ.
मैं- पर दूर हो तो नहीं पायी.
मोना- पास भी तो नहीं आ सकती
मैं- किस बात की सजा दे रही है तू मुझे . ऐसी कौन सी गुस्ताखी हुई मुझसे जो इतना दूर हो गयी .
मोना- छोड़ इन बातो को मुसाफिर. क्या रहा है इन कच्ची बातो में
मैं- न बताती है न ठीक से छिपा पाती है , आज तुझे बताना होगा की आखिर क्यों दूर हुई है तू मुझसे.
मोना- बस इतना समझ ले तेरा मेरा साथ यही तक था .मैं जल्दी ही यहाँ से दूर चली जाउंगी. वक्त सब के घाव भर देता है , तू भी भूल जायेगा मुझे .
मैं- मैं तुझे भूल जाऊ ये हो नहीं सकता, और तू मुझे भूले ये मैं होने नहीं दूंगा. तू जहाँ भी जाएगी मैं तो तेरे दिल में मोजूद रहूँगा. मुझसे तो भाग लेगी तू पर खुद को कैसे समझाएगी.
मोना- तू समझता क्यों नहीं .
मैं- देख मोना, ये सियासत मत कर मेरे साथ वक्त ठीक नहीं है मेरा दिल टूटा है , भाई मर है मेरा और ऊपर से तू ऐसी बाते बोल रही है . कितना दुःख सहूंगा मैं .
रूपा- दुःख ही तो नहीं देना चाहती मैं तुझे.
मैं- तो फिर बताती क्यों नहीं आखिर कौन सी वो दिवार है जो तेरे मेरे बिच आकर खड़ी हो गयी है . जिसने मुझे तुझसे जुदा कर दिया है .
“रुपाली, रुपाली नाम है उस दिवार का ” उसने कहा .