• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery गुजारिश

Naik

Well-Known Member
21,400
77,226
258
#65

चारो तरफ से ऐसा उलझा था की अब लगता नहीं था की सुलझ पाउँगा. अतीत की भुल्बुलैया में अब मोना और रूपा ने मेरे वर्तमान को भी उलझा कर रख दिया था . और जिस तरह से बाबा सुलतान ने भी दुरी बनाई हुई थी , अजीब था मेरे लिए पर जिंदगी से ज्यादा क्या अजीब हो . पर अब सोचने से क्या फायदा इस भंवर से निकलना कहाँ आसान था जितना मैं अतीत को तलाशने की कोशिश करता उतना ही मेरा आज उलझे जाता था .

कुछ दिन और बीत गए थे, ऐसा लगता था की जैसे दुनिया ने भुला दिया है मुझे. ले देकर दो चार लोग ही तो थे जो अब नहीं थे . ऐसे ही एक शाम मैं तालाब किनारे बैठा था .हवा के संग चलती हिलोर मेरे टखने तक डूबे पैरो को भिगो रही थी की मैंने दुसरे किनारे पर बाबा को देखा हाथो में कुछ लिए वो मुझे इशारा कर रहे थे . थोड़ी देर में मैं उनके पास पहुंचा

“बाबा , यहाँ इस तरफ कैसे ” पूछा मैंने.

बाबा- किसी काम से बाहर था लौट ही रहा था की तुम दिख गए

मैं- कहाँ गए थे .

बाबा- कहीं दूर

मैं- यही बात तो ठीक नहीं लगती मुझे, हमेशा आधी अधूरी बात ही करते हो .

बाबा- ऐसी बात नहीं है , देखो क्या मिला है मुझे

बाबा ने झोले से एक शीशी निकाली जिसमे कुछ अजीब सा था .

“क्या ये धुंध है बाबा ” मैंने पूछा

बाबा- नहीं , ये उस से कहीं ज्यादा है , तुम्हे थोडा अजीब लगेगा पर ये कुछ ऐसा है जिसे तुम देख कर हैरान रह जाओगे, इसका तुम से सम्बन्ध है

मैं- पहेलियाँ क्यों बुझाते हो बाबा. बताओ न ये क्या है

बाबा- ये एक दुर्लभ जादू है , इसमें कोई जादूगर अपनी जिन्दगी का थोडा हिस्सा रख देता है .

मैं- समझा नहीं .

बाबा- देखो ये ऐसा है जैसे की कोई अपनी जिन्दगी का एक टुकड़ा या कोई विशेष बात जैसे की कोई याद किसी के लिए छोड़ दे .

मैं- ओह, पर ये किसकी याद है .

बाबा- मुझे लगता है की ये तुम्हारी याद है .

मुझे थोड़ी हैरानी सी हुई- “मेरी याद , और मुझे ही इसके बारे में पता नहीं ” मैंने थोड़े व्यंग्य से कहा

बाबा- जैसा मैंने कहा, ये थोडा जटिल है समझने में .तुम इसे देख पाते यदि यादो का दर्पण उपलब्ध होता , पर अफ़सोस वो बरसो पहले टूट गया. पर मुझे यकीं है की कोई और रास्ता भी होगा .

मैं- पर इसमें ऐसा क्या है

बाबा- कुछ तो खास होगा इसमें क्योंकि ये शीशी जहाँ मुझे मिली हिया वहां इसके मिलने की बिलकुल उम्मीद नहीं थी .

मैं- कहाँ मिली ये शीशी

बाबा- जादूगरों के शमशान में

मैं- जादूगरों का शमशान , अब ये क्या बला है .

बाबा- तुम इतना तो समझते हो न की जादूगरों की दुनिया इस दुनिया से थोड़ी अलग है

मैं- वो तो है

बाबा- जादूगरों के शमशान की खास बात है की वहां पर हर जादूगर की वसीयत रखी होती है जिसे केवल उसका सच्चा वारिस ही पढ़ सकता है . और अपने लिए छोड़ी गयी चीज को प्राप्त कर सकता है



मैं- मोना ने बताया मुझे वसीयत के बारे में .

बाबा- पर क्या तुमने पढ़ी वो वसीयत

मैं- जरुरत नहीं पड़ी .

बाबा- क्या तुम्हे ये अजीब नहीं लगता की तुम्हारी माँ जो एक जादूगरनी थी उसने अपनी इकलौती औलाद के लिए कुछ नहीं छोड़ा .

मैं- मेरे लिए इतनी जमीन ज्यदाद , पैसा तो छोड़ गए है वो .

बाबा- मैं तुम्हारी असली जायदाद के बारे में बात कर रहा हूँ .

मैं- हवेली में मोना रहती है और वैसे भी हवेली में मुझे इंटरेस्ट नहीं हैं .

बा- मुर्ख होतुम

मैं- सही कहा .

बाबा- क्या तुम्हे लगता है की सुहासिनी को अपने बेटे की परवाह नहीं थी , क्या तुम्हे लगता है की वो अपने बेटे के लिए कुछ ऐसा नहीं छोड़ कर जाएगी जो उसे उसकी वास्तविकता का आभास करवाएगा.

मैं- और क्या है मेरी वास्तविकता सिवाय इसके की मैं एक महान जादूगरनी का बेटा हूँ, जिसका जादू से कोई लेना देना नहीं है

बाबा- तुम समझ नहीं रहे हो . तुम विलक्ष्ण हो .

मैं- बार बार ये बात करने का कोई फायदा नहीं है .

बाबा- ठीक है तो फिर मैं चलता हूँ . ये शीशी रखो तुम .

बाबा ने शीशी मेरे हाथ में रख दी और वहां से चला गया . मैंने शीशी देखि उस पर कागज से मेरा नाम लिखा था देव. मैंने ढक्कन खोला अन्दर सफेद गाढ़ी धुंध जैसा धुआं था मैं सोचने लगा की ये मेरी याद कैसे हो सकती है .

सच कहूँ तो मैं हैरान था की मेरे आस पास इतना कुछ छिपा था और जो मुझे ये सब बता सकते थे वो सब छिपाने में लगे थे . बाबा, रूपा और मोना ये सब सामान्य थोड़ी न थे. तालाब से चल कर मैं पक्की सड़क पर पहुंचा ही था की मेरे सामने एक गाड़ी आई , मैंने देखा उसमे शकुन्तला थी .मुझे देख कर उसने गाडी रोक दी.

“घर तक छोड़ दूँ ” उसने शीशा निचे करते हुए कहा.

मैं- नहीं मैं चला जाऊंगा

सेठानी- आ जाओ.

उसने दरवाजा खोला और न चाहते हुए भी मैं अन्दर बैठ गया .

“कैसे हो तुम ” पूछा उसने

मैं- बस कट रही है तुम बताओ

वो - मेरी भी बस कट रही है .सुना है नए दोस्तों ने छोड़ दिया है तुम्हे



मै- ऐसी तो कोई बात नहीं बस कुछ और कामो में व्यस्त हूँ मैं

सेठानी- गाँव में वापिस लौट आओ, क्यों पड़े हो उधर बियाबान में अभी भी मौका है एक नयी शुरुआत कर सकते हो . मैंने पहले भी कहा था उन लोगो की सांगत ठीक नहीं है अब भी कहती हूँ ,

मैं- शुक्रिया, इस सलाह के लिए . वैसे तुम मेरी माँ को अच्छे से जानती थी तो क्या कभी उन्होंने तुमसे किसी वसीयत का जिक्र किया था या कुछ ऐसा जो वो मेरे लिए छोड़ गयी हो.

शकुन्तला ने गाड़ी रोक दी और गाड़ी में रखी बोतल से कुछ घूँट पानी पिया फिर बोली- उस चूतिये सुल्तान ने तुम्हे नहीं बताया क्या तुम्हे

मैं- तुम जानती हो न इस बारे में .

सेठानी- वो तुम्हारे लिए तीन चीज़े छोड़ कर गयी थी . पहली उसकी तलवार, दूसरी एक ख्वाहिश और तीसरी ................

उसने बात अधूरी छोड़ दी .

मैं- तीसरी क्या

सेठानी- तीसरी तुम्हारी मौत.

Bahot shaandaar mazedaar lajawab damdaar lajawab update dost
 

aalu

Well-Known Member
3,073
13,050
158
Finally aap wapas aaye, hame to laga kee yeh khoobsoorat kahani kaheen adhuri na rah jaye, glad to see u back.

Ek aam insan jo bas shanti se apni jeewan jeena chahta ho, uske sath sansar kee saari vichitra ghatnaye hone lage, jis cheej se usse koi moh nahi wo usse wasiyat ke roop mein mik rahi hain, aur kya koi maa apne hi bachhe ke liye maut ke saugat chhor ke kabhi jaati hain kya, na jaan eyeh kya rahashya hain.

Aur kitni takleefe likhi hain, bechare ko na (maya mili na ram) pyar kiya par dono se aur rooth gayee dono, bacha toh sirf tanhayee aur dhero ansuljhe rahashya.


Aur yeh baba kee maa-kee-ankh inhe sirf pahelio mein baat karne mein maja aata hain, kya jo insan khud pareshan ho usse aur pareshan kar ke chhor dete hain.
 

Naik

Well-Known Member
21,400
77,226
258
Agle update ka intizar ker rehe h musafir bhai
 
  • Like
Reactions: Nevil singh

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
42,919
111,556
304
#65

चारो तरफ से ऐसा उलझा था की अब लगता नहीं था की सुलझ पाउँगा. अतीत की भुल्बुलैया में अब मोना और रूपा ने मेरे वर्तमान को भी उलझा कर रख दिया था . और जिस तरह से बाबा सुलतान ने भी दुरी बनाई हुई थी , अजीब था मेरे लिए पर जिंदगी से ज्यादा क्या अजीब हो . पर अब सोचने से क्या फायदा इस भंवर से निकलना कहाँ आसान था जितना मैं अतीत को तलाशने की कोशिश करता उतना ही मेरा आज उलझे जाता था .

कुछ दिन और बीत गए थे, ऐसा लगता था की जैसे दुनिया ने भुला दिया है मुझे. ले देकर दो चार लोग ही तो थे जो अब नहीं थे . ऐसे ही एक शाम मैं तालाब किनारे बैठा था .हवा के संग चलती हिलोर मेरे टखने तक डूबे पैरो को भिगो रही थी की मैंने दुसरे किनारे पर बाबा को देखा हाथो में कुछ लिए वो मुझे इशारा कर रहे थे . थोड़ी देर में मैं उनके पास पहुंचा

“बाबा , यहाँ इस तरफ कैसे ” पूछा मैंने.

बाबा- किसी काम से बाहर था लौट ही रहा था की तुम दिख गए

मैं- कहाँ गए थे .

बाबा- कहीं दूर

मैं- यही बात तो ठीक नहीं लगती मुझे, हमेशा आधी अधूरी बात ही करते हो .

बाबा- ऐसी बात नहीं है , देखो क्या मिला है मुझे

बाबा ने झोले से एक शीशी निकाली जिसमे कुछ अजीब सा था .

“क्या ये धुंध है बाबा ” मैंने पूछा

बाबा- नहीं , ये उस से कहीं ज्यादा है , तुम्हे थोडा अजीब लगेगा पर ये कुछ ऐसा है जिसे तुम देख कर हैरान रह जाओगे, इसका तुम से सम्बन्ध है

मैं- पहेलियाँ क्यों बुझाते हो बाबा. बताओ न ये क्या है

बाबा- ये एक दुर्लभ जादू है , इसमें कोई जादूगर अपनी जिन्दगी का थोडा हिस्सा रख देता है .

मैं- समझा नहीं .

बाबा- देखो ये ऐसा है जैसे की कोई अपनी जिन्दगी का एक टुकड़ा या कोई विशेष बात जैसे की कोई याद किसी के लिए छोड़ दे .

मैं- ओह, पर ये किसकी याद है .

बाबा- मुझे लगता है की ये तुम्हारी याद है .

मुझे थोड़ी हैरानी सी हुई- “मेरी याद , और मुझे ही इसके बारे में पता नहीं ” मैंने थोड़े व्यंग्य से कहा

बाबा- जैसा मैंने कहा, ये थोडा जटिल है समझने में .तुम इसे देख पाते यदि यादो का दर्पण उपलब्ध होता , पर अफ़सोस वो बरसो पहले टूट गया. पर मुझे यकीं है की कोई और रास्ता भी होगा .

मैं- पर इसमें ऐसा क्या है

बाबा- कुछ तो खास होगा इसमें क्योंकि ये शीशी जहाँ मुझे मिली हिया वहां इसके मिलने की बिलकुल उम्मीद नहीं थी .

मैं- कहाँ मिली ये शीशी

बाबा- जादूगरों के शमशान में

मैं- जादूगरों का शमशान , अब ये क्या बला है .

बाबा- तुम इतना तो समझते हो न की जादूगरों की दुनिया इस दुनिया से थोड़ी अलग है

मैं- वो तो है

बाबा- जादूगरों के शमशान की खास बात है की वहां पर हर जादूगर की वसीयत रखी होती है जिसे केवल उसका सच्चा वारिस ही पढ़ सकता है . और अपने लिए छोड़ी गयी चीज को प्राप्त कर सकता है



मैं- मोना ने बताया मुझे वसीयत के बारे में .

बाबा- पर क्या तुमने पढ़ी वो वसीयत

मैं- जरुरत नहीं पड़ी .

बाबा- क्या तुम्हे ये अजीब नहीं लगता की तुम्हारी माँ जो एक जादूगरनी थी उसने अपनी इकलौती औलाद के लिए कुछ नहीं छोड़ा .

मैं- मेरे लिए इतनी जमीन ज्यदाद , पैसा तो छोड़ गए है वो .

बाबा- मैं तुम्हारी असली जायदाद के बारे में बात कर रहा हूँ .

मैं- हवेली में मोना रहती है और वैसे भी हवेली में मुझे इंटरेस्ट नहीं हैं .

बा- मुर्ख होतुम

मैं- सही कहा .

बाबा- क्या तुम्हे लगता है की सुहासिनी को अपने बेटे की परवाह नहीं थी , क्या तुम्हे लगता है की वो अपने बेटे के लिए कुछ ऐसा नहीं छोड़ कर जाएगी जो उसे उसकी वास्तविकता का आभास करवाएगा.

मैं- और क्या है मेरी वास्तविकता सिवाय इसके की मैं एक महान जादूगरनी का बेटा हूँ, जिसका जादू से कोई लेना देना नहीं है

बाबा- तुम समझ नहीं रहे हो . तुम विलक्ष्ण हो .

मैं- बार बार ये बात करने का कोई फायदा नहीं है .

बाबा- ठीक है तो फिर मैं चलता हूँ . ये शीशी रखो तुम .

बाबा ने शीशी मेरे हाथ में रख दी और वहां से चला गया . मैंने शीशी देखि उस पर कागज से मेरा नाम लिखा था देव. मैंने ढक्कन खोला अन्दर सफेद गाढ़ी धुंध जैसा धुआं था मैं सोचने लगा की ये मेरी याद कैसे हो सकती है .

सच कहूँ तो मैं हैरान था की मेरे आस पास इतना कुछ छिपा था और जो मुझे ये सब बता सकते थे वो सब छिपाने में लगे थे . बाबा, रूपा और मोना ये सब सामान्य थोड़ी न थे. तालाब से चल कर मैं पक्की सड़क पर पहुंचा ही था की मेरे सामने एक गाड़ी आई , मैंने देखा उसमे शकुन्तला थी .मुझे देख कर उसने गाडी रोक दी.

“घर तक छोड़ दूँ ” उसने शीशा निचे करते हुए कहा.

मैं- नहीं मैं चला जाऊंगा

सेठानी- आ जाओ.

उसने दरवाजा खोला और न चाहते हुए भी मैं अन्दर बैठ गया .

“कैसे हो तुम ” पूछा उसने

मैं- बस कट रही है तुम बताओ

वो - मेरी भी बस कट रही है .सुना है नए दोस्तों ने छोड़ दिया है तुम्हे



मै- ऐसी तो कोई बात नहीं बस कुछ और कामो में व्यस्त हूँ मैं

सेठानी- गाँव में वापिस लौट आओ, क्यों पड़े हो उधर बियाबान में अभी भी मौका है एक नयी शुरुआत कर सकते हो . मैंने पहले भी कहा था उन लोगो की सांगत ठीक नहीं है अब भी कहती हूँ ,

मैं- शुक्रिया, इस सलाह के लिए . वैसे तुम मेरी माँ को अच्छे से जानती थी तो क्या कभी उन्होंने तुमसे किसी वसीयत का जिक्र किया था या कुछ ऐसा जो वो मेरे लिए छोड़ गयी हो.

शकुन्तला ने गाड़ी रोक दी और गाड़ी में रखी बोतल से कुछ घूँट पानी पिया फिर बोली- उस चूतिये सुल्तान ने तुम्हे नहीं बताया क्या तुम्हे

मैं- तुम जानती हो न इस बारे में .

सेठानी- वो तुम्हारे लिए तीन चीज़े छोड़ कर गयी थी . पहली उसकी तलवार, दूसरी एक ख्वाहिश और तीसरी ................

उसने बात अधूरी छोड़ दी .

मैं- तीसरी क्या

सेठानी- तीसरी तुम्हारी मौत.
Behad hi shandar or jabardast update
 

Yamraaj

Put your Attitude on my Dick......
2,198
6,944
159
Waiting for next update bro......
 
  • Like
Reactions: Nevil singh

VIKRANT

Active Member
1,486
3,377
159
#65

चारो तरफ से ऐसा उलझा था की अब लगता नहीं था की सुलझ पाउँगा. अतीत की भुल्बुलैया में अब मोना और रूपा ने मेरे वर्तमान को भी उलझा कर रख दिया था . और जिस तरह से बाबा सुलतान ने भी दुरी बनाई हुई थी , अजीब था मेरे लिए पर जिंदगी से ज्यादा क्या अजीब हो . पर अब सोचने से क्या फायदा इस भंवर से निकलना कहाँ आसान था जितना मैं अतीत को तलाशने की कोशिश करता उतना ही मेरा आज उलझे जाता था .

कुछ दिन और बीत गए थे, ऐसा लगता था की जैसे दुनिया ने भुला दिया है मुझे. ले देकर दो चार लोग ही तो थे जो अब नहीं थे . ऐसे ही एक शाम मैं तालाब किनारे बैठा था .हवा के संग चलती हिलोर मेरे टखने तक डूबे पैरो को भिगो रही थी की मैंने दुसरे किनारे पर बाबा को देखा हाथो में कुछ लिए वो मुझे इशारा कर रहे थे . थोड़ी देर में मैं उनके पास पहुंचा

“बाबा , यहाँ इस तरफ कैसे ” पूछा मैंने.

बाबा- किसी काम से बाहर था लौट ही रहा था की तुम दिख गए

मैं- कहाँ गए थे .

बाबा- कहीं दूर

मैं- यही बात तो ठीक नहीं लगती मुझे, हमेशा आधी अधूरी बात ही करते हो .

बाबा- ऐसी बात नहीं है , देखो क्या मिला है मुझे

बाबा ने झोले से एक शीशी निकाली जिसमे कुछ अजीब सा था .

“क्या ये धुंध है बाबा ” मैंने पूछा

बाबा- नहीं , ये उस से कहीं ज्यादा है , तुम्हे थोडा अजीब लगेगा पर ये कुछ ऐसा है जिसे तुम देख कर हैरान रह जाओगे, इसका तुम से सम्बन्ध है

मैं- पहेलियाँ क्यों बुझाते हो बाबा. बताओ न ये क्या है

बाबा- ये एक दुर्लभ जादू है , इसमें कोई जादूगर अपनी जिन्दगी का थोडा हिस्सा रख देता है .

मैं- समझा नहीं .

बाबा- देखो ये ऐसा है जैसे की कोई अपनी जिन्दगी का एक टुकड़ा या कोई विशेष बात जैसे की कोई याद किसी के लिए छोड़ दे .

मैं- ओह, पर ये किसकी याद है .

बाबा- मुझे लगता है की ये तुम्हारी याद है .

मुझे थोड़ी हैरानी सी हुई- “मेरी याद , और मुझे ही इसके बारे में पता नहीं ” मैंने थोड़े व्यंग्य से कहा

बाबा- जैसा मैंने कहा, ये थोडा जटिल है समझने में .तुम इसे देख पाते यदि यादो का दर्पण उपलब्ध होता , पर अफ़सोस वो बरसो पहले टूट गया. पर मुझे यकीं है की कोई और रास्ता भी होगा .

मैं- पर इसमें ऐसा क्या है

बाबा- कुछ तो खास होगा इसमें क्योंकि ये शीशी जहाँ मुझे मिली हिया वहां इसके मिलने की बिलकुल उम्मीद नहीं थी .

मैं- कहाँ मिली ये शीशी

बाबा- जादूगरों के शमशान में

मैं- जादूगरों का शमशान , अब ये क्या बला है .

बाबा- तुम इतना तो समझते हो न की जादूगरों की दुनिया इस दुनिया से थोड़ी अलग है

मैं- वो तो है

बाबा- जादूगरों के शमशान की खास बात है की वहां पर हर जादूगर की वसीयत रखी होती है जिसे केवल उसका सच्चा वारिस ही पढ़ सकता है . और अपने लिए छोड़ी गयी चीज को प्राप्त कर सकता है



मैं- मोना ने बताया मुझे वसीयत के बारे में .

बाबा- पर क्या तुमने पढ़ी वो वसीयत

मैं- जरुरत नहीं पड़ी .

बाबा- क्या तुम्हे ये अजीब नहीं लगता की तुम्हारी माँ जो एक जादूगरनी थी उसने अपनी इकलौती औलाद के लिए कुछ नहीं छोड़ा .

मैं- मेरे लिए इतनी जमीन ज्यदाद , पैसा तो छोड़ गए है वो .

बाबा- मैं तुम्हारी असली जायदाद के बारे में बात कर रहा हूँ .

मैं- हवेली में मोना रहती है और वैसे भी हवेली में मुझे इंटरेस्ट नहीं हैं .

बा- मुर्ख होतुम

मैं- सही कहा .

बाबा- क्या तुम्हे लगता है की सुहासिनी को अपने बेटे की परवाह नहीं थी , क्या तुम्हे लगता है की वो अपने बेटे के लिए कुछ ऐसा नहीं छोड़ कर जाएगी जो उसे उसकी वास्तविकता का आभास करवाएगा.

मैं- और क्या है मेरी वास्तविकता सिवाय इसके की मैं एक महान जादूगरनी का बेटा हूँ, जिसका जादू से कोई लेना देना नहीं है

बाबा- तुम समझ नहीं रहे हो . तुम विलक्ष्ण हो .

मैं- बार बार ये बात करने का कोई फायदा नहीं है .

बाबा- ठीक है तो फिर मैं चलता हूँ . ये शीशी रखो तुम .

बाबा ने शीशी मेरे हाथ में रख दी और वहां से चला गया . मैंने शीशी देखि उस पर कागज से मेरा नाम लिखा था देव. मैंने ढक्कन खोला अन्दर सफेद गाढ़ी धुंध जैसा धुआं था मैं सोचने लगा की ये मेरी याद कैसे हो सकती है .

सच कहूँ तो मैं हैरान था की मेरे आस पास इतना कुछ छिपा था और जो मुझे ये सब बता सकते थे वो सब छिपाने में लगे थे . बाबा, रूपा और मोना ये सब सामान्य थोड़ी न थे. तालाब से चल कर मैं पक्की सड़क पर पहुंचा ही था की मेरे सामने एक गाड़ी आई , मैंने देखा उसमे शकुन्तला थी .मुझे देख कर उसने गाडी रोक दी.

“घर तक छोड़ दूँ ” उसने शीशा निचे करते हुए कहा.

मैं- नहीं मैं चला जाऊंगा

सेठानी- आ जाओ.

उसने दरवाजा खोला और न चाहते हुए भी मैं अन्दर बैठ गया .

“कैसे हो तुम ” पूछा उसने

मैं- बस कट रही है तुम बताओ

वो - मेरी भी बस कट रही है .सुना है नए दोस्तों ने छोड़ दिया है तुम्हे



मै- ऐसी तो कोई बात नहीं बस कुछ और कामो में व्यस्त हूँ मैं

सेठानी- गाँव में वापिस लौट आओ, क्यों पड़े हो उधर बियाबान में अभी भी मौका है एक नयी शुरुआत कर सकते हो . मैंने पहले भी कहा था उन लोगो की सांगत ठीक नहीं है अब भी कहती हूँ ,

मैं- शुक्रिया, इस सलाह के लिए . वैसे तुम मेरी माँ को अच्छे से जानती थी तो क्या कभी उन्होंने तुमसे किसी वसीयत का जिक्र किया था या कुछ ऐसा जो वो मेरे लिए छोड़ गयी हो.

शकुन्तला ने गाड़ी रोक दी और गाड़ी में रखी बोतल से कुछ घूँट पानी पिया फिर बोली- उस चूतिये सुल्तान ने तुम्हे नहीं बताया क्या तुम्हे

मैं- तुम जानती हो न इस बारे में .

सेठानी- वो तुम्हारे लिए तीन चीज़े छोड़ कर गयी थी . पहली उसकी तलवार, दूसरी एक ख्वाहिश और तीसरी ................

उसने बात अधूरी छोड़ दी .

मैं- तीसरी क्या

सेठानी- तीसरी तुम्हारी मौत.
Greattt Musafir bro. Such a mind blowing update and your writing skills. :applause: :applause: :applause:

Kafi time baad update aaya but itna sa update uljha ke chala gaya. Baba Sultan ek shishi le kar aaya and us shishi ko dev ke haath thama diya. Us shishi me dev ki yaade hain. Ab sawaal hai ki kaun si yaade. Is janm ki ya pichle janm ki. :coffee1:

Shakuntala ne jo kuch bataya wo bhi ajeeb hi hai. Coz aisi kaun maa hogi jo apne bete ke liye aisi chije chhod kar jayegi. Talwar and khwaish to thik hai but maut...ye to unexpected baat hai. Anyways let's see what happens next. :coffee1:



:celebconf: :celebconf: :celebconf: :celebconf: :celebconf: :celebconf: :celebconf:
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,005
173
#65

चारो तरफ से ऐसा उलझा था की अब लगता नहीं था की सुलझ पाउँगा. अतीत की भुल्बुलैया में अब मोना और रूपा ने मेरे वर्तमान को भी उलझा कर रख दिया था . और जिस तरह से बाबा सुलतान ने भी दुरी बनाई हुई थी , अजीब था मेरे लिए पर जिंदगी से ज्यादा क्या अजीब हो . पर अब सोचने से क्या फायदा इस भंवर से निकलना कहाँ आसान था जितना मैं अतीत को तलाशने की कोशिश करता उतना ही मेरा आज उलझे जाता था .

कुछ दिन और बीत गए थे, ऐसा लगता था की जैसे दुनिया ने भुला दिया है मुझे. ले देकर दो चार लोग ही तो थे जो अब नहीं थे . ऐसे ही एक शाम मैं तालाब किनारे बैठा था .हवा के संग चलती हिलोर मेरे टखने तक डूबे पैरो को भिगो रही थी की मैंने दुसरे किनारे पर बाबा को देखा हाथो में कुछ लिए वो मुझे इशारा कर रहे थे . थोड़ी देर में मैं उनके पास पहुंचा

“बाबा , यहाँ इस तरफ कैसे ” पूछा मैंने.

बाबा- किसी काम से बाहर था लौट ही रहा था की तुम दिख गए

मैं- कहाँ गए थे .

बाबा- कहीं दूर

मैं- यही बात तो ठीक नहीं लगती मुझे, हमेशा आधी अधूरी बात ही करते हो .

बाबा- ऐसी बात नहीं है , देखो क्या मिला है मुझे

बाबा ने झोले से एक शीशी निकाली जिसमे कुछ अजीब सा था .

“क्या ये धुंध है बाबा ” मैंने पूछा

बाबा- नहीं , ये उस से कहीं ज्यादा है , तुम्हे थोडा अजीब लगेगा पर ये कुछ ऐसा है जिसे तुम देख कर हैरान रह जाओगे, इसका तुम से सम्बन्ध है

मैं- पहेलियाँ क्यों बुझाते हो बाबा. बताओ न ये क्या है

बाबा- ये एक दुर्लभ जादू है , इसमें कोई जादूगर अपनी जिन्दगी का थोडा हिस्सा रख देता है .

मैं- समझा नहीं .

बाबा- देखो ये ऐसा है जैसे की कोई अपनी जिन्दगी का एक टुकड़ा या कोई विशेष बात जैसे की कोई याद किसी के लिए छोड़ दे .

मैं- ओह, पर ये किसकी याद है .

बाबा- मुझे लगता है की ये तुम्हारी याद है .

मुझे थोड़ी हैरानी सी हुई- “मेरी याद , और मुझे ही इसके बारे में पता नहीं ” मैंने थोड़े व्यंग्य से कहा

बाबा- जैसा मैंने कहा, ये थोडा जटिल है समझने में .तुम इसे देख पाते यदि यादो का दर्पण उपलब्ध होता , पर अफ़सोस वो बरसो पहले टूट गया. पर मुझे यकीं है की कोई और रास्ता भी होगा .

मैं- पर इसमें ऐसा क्या है

बाबा- कुछ तो खास होगा इसमें क्योंकि ये शीशी जहाँ मुझे मिली हिया वहां इसके मिलने की बिलकुल उम्मीद नहीं थी .

मैं- कहाँ मिली ये शीशी

बाबा- जादूगरों के शमशान में

मैं- जादूगरों का शमशान , अब ये क्या बला है .

बाबा- तुम इतना तो समझते हो न की जादूगरों की दुनिया इस दुनिया से थोड़ी अलग है

मैं- वो तो है

बाबा- जादूगरों के शमशान की खास बात है की वहां पर हर जादूगर की वसीयत रखी होती है जिसे केवल उसका सच्चा वारिस ही पढ़ सकता है . और अपने लिए छोड़ी गयी चीज को प्राप्त कर सकता है



मैं- मोना ने बताया मुझे वसीयत के बारे में .

बाबा- पर क्या तुमने पढ़ी वो वसीयत

मैं- जरुरत नहीं पड़ी .

बाबा- क्या तुम्हे ये अजीब नहीं लगता की तुम्हारी माँ जो एक जादूगरनी थी उसने अपनी इकलौती औलाद के लिए कुछ नहीं छोड़ा .

मैं- मेरे लिए इतनी जमीन ज्यदाद , पैसा तो छोड़ गए है वो .

बाबा- मैं तुम्हारी असली जायदाद के बारे में बात कर रहा हूँ .

मैं- हवेली में मोना रहती है और वैसे भी हवेली में मुझे इंटरेस्ट नहीं हैं .

बा- मुर्ख होतुम

मैं- सही कहा .

बाबा- क्या तुम्हे लगता है की सुहासिनी को अपने बेटे की परवाह नहीं थी , क्या तुम्हे लगता है की वो अपने बेटे के लिए कुछ ऐसा नहीं छोड़ कर जाएगी जो उसे उसकी वास्तविकता का आभास करवाएगा.

मैं- और क्या है मेरी वास्तविकता सिवाय इसके की मैं एक महान जादूगरनी का बेटा हूँ, जिसका जादू से कोई लेना देना नहीं है

बाबा- तुम समझ नहीं रहे हो . तुम विलक्ष्ण हो .

मैं- बार बार ये बात करने का कोई फायदा नहीं है .

बाबा- ठीक है तो फिर मैं चलता हूँ . ये शीशी रखो तुम .

बाबा ने शीशी मेरे हाथ में रख दी और वहां से चला गया . मैंने शीशी देखि उस पर कागज से मेरा नाम लिखा था देव. मैंने ढक्कन खोला अन्दर सफेद गाढ़ी धुंध जैसा धुआं था मैं सोचने लगा की ये मेरी याद कैसे हो सकती है .

सच कहूँ तो मैं हैरान था की मेरे आस पास इतना कुछ छिपा था और जो मुझे ये सब बता सकते थे वो सब छिपाने में लगे थे . बाबा, रूपा और मोना ये सब सामान्य थोड़ी न थे. तालाब से चल कर मैं पक्की सड़क पर पहुंचा ही था की मेरे सामने एक गाड़ी आई , मैंने देखा उसमे शकुन्तला थी .मुझे देख कर उसने गाडी रोक दी.

“घर तक छोड़ दूँ ” उसने शीशा निचे करते हुए कहा.

मैं- नहीं मैं चला जाऊंगा

सेठानी- आ जाओ.

उसने दरवाजा खोला और न चाहते हुए भी मैं अन्दर बैठ गया .

“कैसे हो तुम ” पूछा उसने

मैं- बस कट रही है तुम बताओ

वो - मेरी भी बस कट रही है .सुना है नए दोस्तों ने छोड़ दिया है तुम्हे



मै- ऐसी तो कोई बात नहीं बस कुछ और कामो में व्यस्त हूँ मैं

सेठानी- गाँव में वापिस लौट आओ, क्यों पड़े हो उधर बियाबान में अभी भी मौका है एक नयी शुरुआत कर सकते हो . मैंने पहले भी कहा था उन लोगो की सांगत ठीक नहीं है अब भी कहती हूँ ,

मैं- शुक्रिया, इस सलाह के लिए . वैसे तुम मेरी माँ को अच्छे से जानती थी तो क्या कभी उन्होंने तुमसे किसी वसीयत का जिक्र किया था या कुछ ऐसा जो वो मेरे लिए छोड़ गयी हो.

शकुन्तला ने गाड़ी रोक दी और गाड़ी में रखी बोतल से कुछ घूँट पानी पिया फिर बोली- उस चूतिये सुल्तान ने तुम्हे नहीं बताया क्या तुम्हे

मैं- तुम जानती हो न इस बारे में .

सेठानी- वो तुम्हारे लिए तीन चीज़े छोड़ कर गयी थी . पहली उसकी तलवार, दूसरी एक ख्वाहिश और तीसरी ................

उसने बात अधूरी छोड़ दी .

मैं- तीसरी क्या

सेठानी- तीसरी तुम्हारी मौत.
behtreen lamho ko samete ke laajwaab update
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,005
173
नमस्कार दोस्तों, हालात ठीक है, तबीयत भी ठीक है, बस इन्टरनेट की समस्या है, बर्फ मे सिग्नल का इशू है, कभी मिलता है कभी नहीं. ठंड बहुत ज्यादा है हवायें तेज है तो जद्दोजहद है जीने की, हाथ ज्यादातर काम नहीं करते है इसलिए अपडेट वाली बात नहीं बन पा रही है, उम्मीद है सिग्नल वाली समस्या जल्दी ही ठीक होगी,
welcome back dost
signal ki samasya toh yahan bhi badstur jaari hai mitr
jab woqt mile toh update de diya kijye
 
Top