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Adultery गुजारिश

Nevil singh

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waiting for next bhai
 
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Ajju Landwalia

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आपको व आपके परिवार को नववर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ। ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि आप जीवन में ऐसे ही प्रगति के पथ पर विकास की बुलंदियों को छूते रहे एवं ईश्वर आपको स्वस्थ तन मन धन व आरोग्य जीवन प्रदान करे।।
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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writer ke paas sahi plot nahi hai kahani ka isliye update nahi aa rahe hai 😔😔😔😔..mona ko saap nahi hona chahiye tha ..
fauji bhai aise uksane se nahi bhadkeinge......
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#65

चारो तरफ से ऐसा उलझा था की अब लगता नहीं था की सुलझ पाउँगा. अतीत की भुल्बुलैया में अब मोना और रूपा ने मेरे वर्तमान को भी उलझा कर रख दिया था . और जिस तरह से बाबा सुलतान ने भी दुरी बनाई हुई थी , अजीब था मेरे लिए पर जिंदगी से ज्यादा क्या अजीब हो . पर अब सोचने से क्या फायदा इस भंवर से निकलना कहाँ आसान था जितना मैं अतीत को तलाशने की कोशिश करता उतना ही मेरा आज उलझे जाता था .

कुछ दिन और बीत गए थे, ऐसा लगता था की जैसे दुनिया ने भुला दिया है मुझे. ले देकर दो चार लोग ही तो थे जो अब नहीं थे . ऐसे ही एक शाम मैं तालाब किनारे बैठा था .हवा के संग चलती हिलोर मेरे टखने तक डूबे पैरो को भिगो रही थी की मैंने दुसरे किनारे पर बाबा को देखा हाथो में कुछ लिए वो मुझे इशारा कर रहे थे . थोड़ी देर में मैं उनके पास पहुंचा

“बाबा , यहाँ इस तरफ कैसे ” पूछा मैंने.

बाबा- किसी काम से बाहर था लौट ही रहा था की तुम दिख गए

मैं- कहाँ गए थे .

बाबा- कहीं दूर

मैं- यही बात तो ठीक नहीं लगती मुझे, हमेशा आधी अधूरी बात ही करते हो .

बाबा- ऐसी बात नहीं है , देखो क्या मिला है मुझे

बाबा ने झोले से एक शीशी निकाली जिसमे कुछ अजीब सा था .

“क्या ये धुंध है बाबा ” मैंने पूछा

बाबा- नहीं , ये उस से कहीं ज्यादा है , तुम्हे थोडा अजीब लगेगा पर ये कुछ ऐसा है जिसे तुम देख कर हैरान रह जाओगे, इसका तुम से सम्बन्ध है

मैं- पहेलियाँ क्यों बुझाते हो बाबा. बताओ न ये क्या है

बाबा- ये एक दुर्लभ जादू है , इसमें कोई जादूगर अपनी जिन्दगी का थोडा हिस्सा रख देता है .

मैं- समझा नहीं .

बाबा- देखो ये ऐसा है जैसे की कोई अपनी जिन्दगी का एक टुकड़ा या कोई विशेष बात जैसे की कोई याद किसी के लिए छोड़ दे .

मैं- ओह, पर ये किसकी याद है .

बाबा- मुझे लगता है की ये तुम्हारी याद है .

मुझे थोड़ी हैरानी सी हुई- “मेरी याद , और मुझे ही इसके बारे में पता नहीं ” मैंने थोड़े व्यंग्य से कहा

बाबा- जैसा मैंने कहा, ये थोडा जटिल है समझने में .तुम इसे देख पाते यदि यादो का दर्पण उपलब्ध होता , पर अफ़सोस वो बरसो पहले टूट गया. पर मुझे यकीं है की कोई और रास्ता भी होगा .

मैं- पर इसमें ऐसा क्या है

बाबा- कुछ तो खास होगा इसमें क्योंकि ये शीशी जहाँ मुझे मिली हिया वहां इसके मिलने की बिलकुल उम्मीद नहीं थी .

मैं- कहाँ मिली ये शीशी

बाबा- जादूगरों के शमशान में

मैं- जादूगरों का शमशान , अब ये क्या बला है .

बाबा- तुम इतना तो समझते हो न की जादूगरों की दुनिया इस दुनिया से थोड़ी अलग है

मैं- वो तो है

बाबा- जादूगरों के शमशान की खास बात है की वहां पर हर जादूगर की वसीयत रखी होती है जिसे केवल उसका सच्चा वारिस ही पढ़ सकता है . और अपने लिए छोड़ी गयी चीज को प्राप्त कर सकता है



मैं- मोना ने बताया मुझे वसीयत के बारे में .

बाबा- पर क्या तुमने पढ़ी वो वसीयत

मैं- जरुरत नहीं पड़ी .

बाबा- क्या तुम्हे ये अजीब नहीं लगता की तुम्हारी माँ जो एक जादूगरनी थी उसने अपनी इकलौती औलाद के लिए कुछ नहीं छोड़ा .

मैं- मेरे लिए इतनी जमीन ज्यदाद , पैसा तो छोड़ गए है वो .

बाबा- मैं तुम्हारी असली जायदाद के बारे में बात कर रहा हूँ .

मैं- हवेली में मोना रहती है और वैसे भी हवेली में मुझे इंटरेस्ट नहीं हैं .

बा- मुर्ख होतुम

मैं- सही कहा .

बाबा- क्या तुम्हे लगता है की सुहासिनी को अपने बेटे की परवाह नहीं थी , क्या तुम्हे लगता है की वो अपने बेटे के लिए कुछ ऐसा नहीं छोड़ कर जाएगी जो उसे उसकी वास्तविकता का आभास करवाएगा.

मैं- और क्या है मेरी वास्तविकता सिवाय इसके की मैं एक महान जादूगरनी का बेटा हूँ, जिसका जादू से कोई लेना देना नहीं है

बाबा- तुम समझ नहीं रहे हो . तुम विलक्ष्ण हो .

मैं- बार बार ये बात करने का कोई फायदा नहीं है .

बाबा- ठीक है तो फिर मैं चलता हूँ . ये शीशी रखो तुम .

बाबा ने शीशी मेरे हाथ में रख दी और वहां से चला गया . मैंने शीशी देखि उस पर कागज से मेरा नाम लिखा था देव. मैंने ढक्कन खोला अन्दर सफेद गाढ़ी धुंध जैसा धुआं था मैं सोचने लगा की ये मेरी याद कैसे हो सकती है .

सच कहूँ तो मैं हैरान था की मेरे आस पास इतना कुछ छिपा था और जो मुझे ये सब बता सकते थे वो सब छिपाने में लगे थे . बाबा, रूपा और मोना ये सब सामान्य थोड़ी न थे. तालाब से चल कर मैं पक्की सड़क पर पहुंचा ही था की मेरे सामने एक गाड़ी आई , मैंने देखा उसमे शकुन्तला थी .मुझे देख कर उसने गाडी रोक दी.

“घर तक छोड़ दूँ ” उसने शीशा निचे करते हुए कहा.

मैं- नहीं मैं चला जाऊंगा

सेठानी- आ जाओ.

उसने दरवाजा खोला और न चाहते हुए भी मैं अन्दर बैठ गया .

“कैसे हो तुम ” पूछा उसने

मैं- बस कट रही है तुम बताओ

वो - मेरी भी बस कट रही है .सुना है नए दोस्तों ने छोड़ दिया है तुम्हे



मै- ऐसी तो कोई बात नहीं बस कुछ और कामो में व्यस्त हूँ मैं

सेठानी- गाँव में वापिस लौट आओ, क्यों पड़े हो उधर बियाबान में अभी भी मौका है एक नयी शुरुआत कर सकते हो . मैंने पहले भी कहा था उन लोगो की सांगत ठीक नहीं है अब भी कहती हूँ ,

मैं- शुक्रिया, इस सलाह के लिए . वैसे तुम मेरी माँ को अच्छे से जानती थी तो क्या कभी उन्होंने तुमसे किसी वसीयत का जिक्र किया था या कुछ ऐसा जो वो मेरे लिए छोड़ गयी हो.

शकुन्तला ने गाड़ी रोक दी और गाड़ी में रखी बोतल से कुछ घूँट पानी पिया फिर बोली- उस चूतिये सुल्तान ने तुम्हे नहीं बताया क्या तुम्हे

मैं- तुम जानती हो न इस बारे में .

सेठानी- वो तुम्हारे लिए तीन चीज़े छोड़ कर गयी थी . पहली उसकी तलवार, दूसरी एक ख्वाहिश और तीसरी ................

उसने बात अधूरी छोड़ दी .

मैं- तीसरी क्या

सेठानी- तीसरी तुम्हारी मौत.

 
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nice update ..sultan ko yaado ki shishi mili jaadugaro ke smashan me jisme dev ki yaade hai 🤔🤔...
ab ye shakuntala ne kya kaha ...dev ki maa ne uske liye ek talwar ,ek khwahish aur dev ki maut vasiyat me likhkar rakhi hai
😯...
 
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