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ज़फ़ा के ज़िक्र पे तक़रार भी ज़रूरी है
ये "गुफ़्तगू" भी सरे बाज़ार ज़रूरी है
मुफ़ाहमत का तकाज़ा है मसलेहत लेकिन
किसी सवाल पे इनकार भी ज़रूरी है
मेरी दोहाई कहीं खो ना दे वक़ार मेरा
ज़ुबां पे ताला ऐ गुफ़्तार भी ज़रूरी है
लिखे हैं जुर्म सदा मेरे नाम क्यों मुंशिफ़
सज़ा में अबके गुनहगार भी ज़रूरी है
छुपाये राज़ तो रूसवा ना इश्क़ हो जाये
किया है इश्क़ तो इनकार भी ज़रूरी है
शबे फ़िराक़ शबेग़म उदासियों के सितम
कभी कभी तो ये आज़ार भी ज़रूरी है
हम इश्क़ में तो रवादार है मगर
कभी कभी तेरा इशरार भी ज़रूरी है।
ये "गुफ़्तगू" भी सरे बाज़ार ज़रूरी है
मुफ़ाहमत का तकाज़ा है मसलेहत लेकिन
किसी सवाल पे इनकार भी ज़रूरी है
मेरी दोहाई कहीं खो ना दे वक़ार मेरा
ज़ुबां पे ताला ऐ गुफ़्तार भी ज़रूरी है
लिखे हैं जुर्म सदा मेरे नाम क्यों मुंशिफ़
सज़ा में अबके गुनहगार भी ज़रूरी है
छुपाये राज़ तो रूसवा ना इश्क़ हो जाये
किया है इश्क़ तो इनकार भी ज़रूरी है
शबे फ़िराक़ शबेग़म उदासियों के सितम
कभी कभी तो ये आज़ार भी ज़रूरी है
हम इश्क़ में तो रवादार है मगर
कभी कभी तेरा इशरार भी ज़रूरी है।