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यही चेहरा..यही आंखें..यही रंगत निकले,
जब कोई ख्वाब तराशूं..तेरी सूरत निकले...
जब कोई ख्वाब तराशूं..तेरी सूरत निकले...
Greattt bro.खुशहाल ज़िन्दगी के लिए इतना ही काफी है,
मेरे दोस्त खुशी से मेरे आदाब का जवाब देते हैं।
khush-haal zindgi ke liye itna hi kaafi hai,
mere dost khushi se mere aadaab ka jawaab dete hain.
Such a beautiful.यही चेहरा..यही आंखें..यही रंगत निकले,
जब कोई ख्वाब तराशूं..तेरी सूरत निकले...
Waaah bahut khoob,,,,,यही चेहरा..यही आंखें..यही रंगत निकले,
जब कोई ख्वाब तराशूं..तेरी सूरत निकले...
Ahut hi umda,,,,,इश्क जाहिर करना जरूरी तो नही है ना,
महक अपनी खुद ही खूशबू बिखेर देगी...
इश्क जाहिर करना जरूरी तो नही है ना,
महक अपनी खुद ही खूशबू बिखेर देगी...
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता,
अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता।
तेरे वादे पर जिए हम तो ये जान झूठ जाना,
कि खुशी से मर न जाते ग़र ऐतबार होता।
ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह,
कोई चारासाज होता कोई ग़म-गुसार होता
कहूँ किससे मैं कि क्या है शब-ए-ग़म बुरी बला है,
मुझे क्या बुरा था मरना अगर एक बार होता।
कोई मेरे दिल से पूछे तेरे तीर-ए-नीमकश को,
ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता।