• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Shayari गुफ्तगू

2,977
2,865
159
तुझे फुर्सत ही न मिली मुझे पढ़ने की वरना,
हम तेरे शहर में बिकते रहे किताबों की तरह...
?


जिन्‍दों की फुर्सत किसे, मुर्दे भी बिकते हैं यहां,
मुझे तो ये शहर इक शमशान सा लगता है।


zindo'n ki fursat kise, murde bhi hain bikte yahaan,
mujhe to yeh sehar ek shamshaan sablagta hai.
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,765
117,095
354
तुझे फुर्सत ही न मिली मुझे पढ़ने की वरना,
हम तेरे शहर में बिकते रहे किताबों की तरह...
?
Waaaah kya baat,,,,,, :claps:
 
  • Like
Reactions: Aakash.
2,977
2,865
159
दामन-ऐ-दिल से लिपट जाते हैं यादों के जुगनू अक्सर,
कुछ लोग ऐसे भी हैं ज़िन्दगी में जो भुलाए नहीं जाते।
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,765
117,095
354
दामन-ऐ-दिल से लिपट जाते हैं यादों के जुगनू अक्सर,
कुछ लोग ऐसे भी हैं ज़िन्दगी में जो भुलाए नहीं जाते।
Bahut hi umda,,,,,, :claps:
 
  • Like
Reactions: VIKRANT and Aakash.
2,977
2,865
159
दुश्मनों के खेमे में चल रही थी मेरे क़त्ल की साज़िश,
मैं पहुंचा तो वो बोले यार तेरी उम्र बहुत लम्बी हो।
 
2,977
2,865
159
Bahut hi umda,,,,,, :claps:

:cheers:
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,765
117,095
354
लुत्फ़ वो इश्क़ में पाए हैं कि जी जानता है।
रंज भी ऐसे उठाए हैं कि जी जानता है।।

जो ज़माने के सितम हैं वो ज़माना जाने,
तू ने दिल इतने सताए हैं कि जी जानता है।।

तुम नहीं जानते अब तक ये तुम्हारे अंदाज़,
वो मिरे दिल में समाए हैं कि जी जानता है।।

इन्हीं क़दमों ने तुम्हारे इन्हीं क़दमों की क़सम,
ख़ाक में इतने मिलाए हैं कि जी जानता है।।

दोस्ती में तिरी दर-पर्दा हमारे दुश्मन,
इस क़दर अपने पराए हैं कि जी जानता है।।
 

VIKRANT

Active Member
1,486
3,377
159
लुत्फ़ वो इश्क़ में पाए हैं कि जी जानता है।
रंज भी ऐसे उठाए हैं कि जी जानता है।।

जो ज़माने के सितम हैं वो ज़माना जाने,
तू ने दिल इतने सताए हैं कि जी जानता है।।

तुम नहीं जानते अब तक ये तुम्हारे अंदाज़,
वो मिरे दिल में समाए हैं कि जी जानता है।।

इन्हीं क़दमों ने तुम्हारे इन्हीं क़दमों की क़सम,
ख़ाक में इतने मिलाए हैं कि जी जानता है।।

दोस्ती में तिरी दर-पर्दा हमारे दुश्मन,
इस क़दर अपने पराए हैं कि जी जानता है।।
Greattt bro. Such a mind blowing poetry. :applause: :applause: :applause:
 
Top