Update 42
(जेल में पहली दीवाली)
दीवाली आ चुकी थी और जेल की स्टॉफ कॉलोनी में दीवाली की काफी शानदार तैयारियाँ की गई थी। सभी क्वार्टर्स में साफ-सफाई और रंग-रोगन का कार्य किया गया था और महिला पुलिसकर्मियों ने लाइट की सीरीज, फूलो की मालाओ व अन्य सामानों से अपने क्वार्टर की सजावट की थी।
दूसरी ओर जेल के भीतर का माहौल बिल्कुल इसके विपरीत था। कैदी औरतो से जेल की साफ-सफाई व अन्य कार्य तो करवाये गए थे लेकिन उन्हें दीवाली मनाने की इजाजत नही थी। रोजाना की तरह ही शाम छः बजे सभी कैदियों को उनकी सेलो व बैरकों में बंद कर दिया गया। एक तरफ जहाँ स्टॉफ के लोग दीवाली का त्यौहार धूमधाम से मना रहे थे, वही जेल में बंद कैदी औरतो की रात बिल्कुल बेरंग और नीरस सी थी। दीवाली की रात ज्यादातर कैदी औरते बेहद दुखी थी। कोई अपने परिवार और बच्चो को याद कर रही थी तो कोई अपने पुराने दिनों की खुशियों की यादों में मग्न थी।
बबिता और बाकी औरते भी अपनी-अपनी सेलो में बंद थी और सीनियरों की सेवा व मनोरंजन में लगी हुई थी। सज़ायाफ्ता होने के बाद अब तक उन्हें एक ही सेल में रखा गया था और उनकी सेलो में किसी भी नई कैदी को नही लाया गया था। यही वजह थी कि रोशन को छोड़कर बाकी सभी औरते अपनी-अपनी सेलो में सबसे जूनियर थी। हालाँकि रोशन जिस बैरक में थी, उसमे उसकी कुछ जूनियर कैदी आ चुकी थी और उसे उनकी रैगिंग करने का अधिकार भी मिल चुका था लेकिन रोशन अभी उस स्तर पर नही पहुँची थी कि वह किसी और महिला या लड़की को परेशान करने की हिम्मत कर पाए। वह नही चाहती थी कि जो प्रताड़नाएँ वह स्वयं झेल रही है, वही चीजे वह किसी और महिला के साथ करे।
वार्ड 4 की सेल नंबर 2,
इधर बबिता और सोनू को उसकी सेल की सीनियर कैदियों ने आपस मे सेक्स करने का फरमान सुनाया। उन दोनों को सेल के दरवाजे के सामने खड़े करवाया गया और सभी सीनियर औरते उनके समलैंगिक संभोग का मजा लेने के लिए नीचे जमीन पर बैठ गई।
“अबे देख क्या रही हो कमिनियो। चलो शुरू हो जाओ।” - एक सीनियर कैदी ने उन्हें आदेश देते हुए कहा।
वे दोनों मजबूर थी और उन्हें सीनियरों की बाते माननी पड़ी। उनके कहते ही बबिता अपने बगल में खड़ी सोनू की ओर बढ़ी और उसके होंठो पर अपने होंठ चिपका दिए। उसके ऐसा करने से सोनू एक पल के लिए तो बिल्कुल शांत हो गई और अपने आपको पीछे खींचने की कोशिश करने लगी। वैसे तो बबिता भी सोनू के साथ सेक्स नही करना चाहती थी लेकिन यदि वह ऐसा करने से इंकार करती तो सीनियर कैदियों द्वारा उन दोनो को खूब मार पड़ती। सीनियरों की मार से बचने के लिए आखिरकार उसने सोनू के होठों को चूमना शुरू कर दिया।
उनकी सेल की सीनियर कैदियों ने उन दोनों को अपनी मर्जी से सेक्स करने की भी छूट नही दी थी। इसका अर्थ यह था कि सेक्स के दौरान उन्हें कब क्या करना है, यह भी सीनियर औरते ही तय करती। सेक्स की शुरुआत उन दोनों के चुम्बन से हुई और वे दोनों तब तक एक-दूसरे के होठों को चूमती रही, जब तक सीनियर औरतो ने उन्हें चूमने से नही रोका। शुरुआत में तो सोनू किस करने में थोड़ा झिझक रही थी लेकिन धीरे-धीरे वह भी उत्तेजना के सागर में उतरने लगी।
बबिता ने अपनी साड़ी का पल्लू अपने सीने से नीचे सरकाया और सोनू के करीब आकर उसकी भी साड़ी उतारकर नीचे रख दी। बदन से साड़ी के सरकते ही सोनू के बड़े-बड़े स्तनों का उभार और उसका क्लीवेज बिल्कुल साफ नजर आने लगा और सीनियरों के इशारे पर बबिता ने उसके क्लीवेज को चूमना शुरू कर दिया। उन दोनों के स्तन काफी बड़े व सुडौल आकार के थे और किसी पहाड़ की तरह उनके सीने पर लटके हुए थे। कुछ ही देर में बबिता ने अपना और सोनू का ब्लॉउस भी उतार दिया और सोनू की ब्रा को हल्का सा नीचे सरकाकर उसके निप्पल्स को चूसने लगी।
सोनू को उसका ऐसा करना अच्छा तो नही लग रहा था लेकिन वह उसे मना नही कर सकती थी। बबिता सोनू के निप्पल्स चूस ही रही थी कि तभी एक सीनियर कैदी बोल पड़ी -
‘चल रे सोनू डार्लिंग, अब तेरी बारी।’
उस औरत के कहते ही बबिता ने सोनू के निप्पल्स को चूसना बंद किया और अपनी ब्रा को अपने स्तनों से नीचे सरकाकर सोनू के सामने सीधी खड़ी हो गई। सोनू आगे बढ़ी। बबिता के करीब आकर अपने मुँह को उसके स्तनों के पास ले गई और होंठो को हल्का सा खोलकर उसके निप्पल्स को अपने होठों के स्पर्श से सहलाने लगी।
बबिता के मम्मे भी अब पूरी तरह टाइट हो चुके थे और उसे भी सोनू का स्पर्श आनंदित करने लगा। थोड़ी देर बाद सीनियर औरतो ने उन्हें खुला छोड़ दिया और उन्हें अपनी मर्जी से यौन क्रिया करने की छूट दे दी। धीरे-धीरे वे दोनों वासना के सागर में डूबने लगी। बबिता ने सोनू को जोर से अपनी बाहों में जकड़ लिया। दोनो के बड़े-बड़े बूब्स आपस मे टकरा रहे थे और किसी गुब्बारे की तरह एक-दूसरे को दबाने का प्रयास कर रहे थे।
वे दोनों अब अपने आप पर काबू नही रख पा रही थी। सोनू को अपनी बाहो में जकड़कर खड़ी बबिता उसे अपनी ओर खींचने लगी और अपने स्तनों को उसके स्तनों के साथ मसलने लगी। इधर उन दोनों को देखकर सेल की बाकी औरतो के अंदर भी उत्तेजना पैदा होने लगी थी और उनमे से कुछ औरते साड़ी के ऊपर से ही अपने स्तनों को दबाने लगी। वे लोग बबिता और सोनू को प्रोत्साहित करने के लिए उनका नाम लेकर चिल्लाने लगी।
“चलो चलो…जोर से दबाओ…एएईई बबिता…चल चल…दूध पिला सोनू को…”
इसके बाद तो मानो बबिता और सोनू एक-दूसरे के आलिंगन में पूरी तरह मदहोश हो गई। दोनो ने अपनी साड़ियाँ उतार दी और पेटीकोट में ही जमीन पर लेटकर आपस मे शारीरिक संभोग के मजे लेने लगी। बबिता ने सोनू को नीचे जमीन पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर चढ़कर उसके बदन को चूमने लगी। अभी वे दोनों एक-दूसरे से लिपटी हुई ही थी कि तभी सीनियर औरतो को ना जाने क्या सुझा, उन्होंने एकदम से दोनों को सेक्स करने से रोका और एक-दूसरे के सामने खड़े करवा दिया।
‘पेटीकोट और चड्डी उतारो दोनो।’ - एक सीनियर औरत ने कहा।
उसके कहते ही उन दोनों ने अपना पेटीकोट व पैंटी उतारी और सर झुकाकर चुपचाप खड़ी हो गई। अब तक उनके साथ जो हो रहा था, वह तो महज एक ट्रेलर था लेकिन अब उनके साथ जो होने वाला था, वह और भी ज्यादा बुरा था। उन दोनों को दीवार पर हाथ टिकाने को कहा गया और दीवार पर हाथ टिकाते ही सीनियर औरतो ने उनके कूल्हों पर लाते बरसानी शुरू कर दी।
पहला लात सोनू को पड़ा।
“थपाक्क्क्क्क”….
वह चिल्ला उठी।
‘आँहहहह…’
वह लात इतनी जोर का था कि सोनू आगे की ओर गिर पड़ी। वह संभलने की कोशिश कर ही रही थी कि तभी दूसरी कैदी ने बबिता की गाँड़ पर अपनी पूरी ताकत से वार किया। लात पड़ते ही बबिता भी दर्द के मारे चिल्ला उठी लेकिन उसने अपने आपको संभाल लिया और अपने हाथों को कसकर दीवार पर टिकाये रखा।
इधर सोनू भी अपनी जगह पर उठ खड़ी हुई और दोबारा अपने हाथों को दीवार पर टिकाकर खड़ी हो गई। बबिता और सोनू एक-दूसरे के बगल में पूर्ण नग्न अवस्था मे हाथो को दीवार पर टिकाये खड़ी थी और सीनियर औरते बारी-बारी से उनके कूल्हों पर लाते बरसाती जा रही थी। जैसे-जैसे वे लोग उन्हें मारती जाती, वैसे-वैसे उनके मुँह से पीड़ावश “आँह आँह” की तेज सिसकियाँ निकलती जाती। यही सिलसिला काफी देर तक चलता रहा। उन दोनों के पास बचने का कोई रास्ता नही था और वे दोनों चुपचाप मार खाती रही। इस बीच कॉन्स्टेबल्स ने दो बार वार्ड के भीतर चक्कर भी लगाया लेकिन उन्होंने दोनों की पिटाई को देखकर भी उसे अनदेखा कर दिया।
कूल्हों पर लगातार लाते बरसाने के बाद सीनियर कैदियों ने उन्हें फिर से सीधे खड़ा करवाया और उनके पेट, पीठ व स्तनों पर मुक्के मारने लगी। उन्हें इतना ज्यादा पीटा गया कि उनके कूल्हे पूरी तरह लाल हो गए थे और दोनो के कूल्हों पर सूजन आ गई। बबिता ने तो यह जैसे-तैसे सहन कर लिया लेकिन सोनू के लिए इतनी पिटाई सहन करना आसान बात नही थी। जब उसके लिए दर्द सहन करना असहनीय हो गया तो वह जोर-जोर से रोने लगी और उन सीनियर औरतो से उसे ना मारने की भीख माँगने लगी। हालाँकि वे लोग उसकी विनती के बाद भी नही रुकी और उस पर लगातार लाते-घुसे बरसाती रही। इतनी पिटाई होने के बाद सोनू की हालत काफी ज्यादा खराब हो चुकी थी। वह जमीन पर ही बेसुध हो गई और वही पर उल्टियाँ करने लगी।
“उम्म हूँ। ये क्या कर दिया रे साली कुतिया। अब ये उल्टियाँ तेरी माँ साफ करेगी क्या बहनचोद?” - एक सीनियर कैदी ने उस पर चिल्लाते हुए कहा।
तभी एक दूसरी कैदी बोली - ‘अबे तू क्यूँ टेंशन ले रही है। इसने की है तो ये ही साफ करेगी।’
उस औरत ने जमीन पर दर्द से कराह रही सोनू को पैर मारकर उठाने का प्रयास किया लेकिन सोनू खड़े होने की हालत में नही थी। उसकी हालत देखकर बबिता बेहद चिंतित हो उठी। वह सोनू के करीब आई और उसके साथ बात करने की कोशिश करने लगी।
“सोनू, सोनू तुम ठीक हो?” - बबिता ने पूछा।
‘बहुत दर्द हो रहा है बबिता आँटी।’ - सोनू रोते हुए बोली।
“बस थोड़ी देर सोनू। कोई राउंड पे आएगी तो मैं बात करती हूँ उनसे।”
‘मुझे आई के पास जाना है। प्लीज आँटी। कुछ कीजिये।’
“सोनू। रिलैक्स। सब ठीक हो जाएगा।” - बबिता ने उसे ढाँढस बँधाते हुए कहा।
उसने सोनू को पकड़कर उठाया और एक कोने में बिठाने की कोशिश की। हालाँकि उसके कूल्हों के सूजन की वजह से वह ठीक से बैठ भी नही पा रही थी और दर्द से कराहती जा रही थी। थक-हारकर वह नग्न अवस्था मे ही नीचे जमीन पर लेट गई। इधर, उल्टी की वजह से सीनियर औरते एक तरफ कोने में दुबककर खड़ी थी। सोनू की हालत देखकर वे लोग तो समझ गई थी कि सोनू उल्टी साफ नही कर पायेगी इसलिए उन्होंने उल्टी साफ करने का काम बबिता को दिया।
‘ऐ बबिता, चल छोड़ उसको और ये सब साफ कर।’
बबिता क्या ही कहती। वे लोग उसकी सीनियर थी और वह उन्हें मना नही कर सकती थी। मजबूरन उसे सोनू की उल्टियाँ साफ करनी पड़ी। उसने सेल के भीतर रखा पोंछा लगाने का कपड़ा उठाया और फर्श साफ करने लगी। फर्श साफ होने के बाद सभी सीनियर औरतो ने अपनी-अपनी चादर जमीन पर बिछाई और उस पर लेटकर आपस मे बाते करने में मशगूल हो गई।
बबिता और सोनू दोनो अब तक पूरी तरह नग्न थी। उनके कपड़े जमीन पर पड़े हुए थे और बबिता सोनू के बगल में बैठ उसे दिलासा देने की कोशिश कर रही थी। बबिता को बिना कपड़ों के बिल्कुल भी अच्छा नही लग रहा था। उसने जमीन पर पड़ी अपनी ब्रा व पैंटी उठाई और पहनने लगी। उसके बाद उसने अपना पेटीकोट, ब्लाउज और साड़ी पहनी और फिर सोनू को भी उसके कपड़े उठाकर दिए। सोनू ने जैसे-तैसे अपने कपड़े पहने और दोबारा नीचे जमीन पर लेट गई।
उस वक़्त उन दोनों पर क्या बीत रही थी, यह केवल वही दोनो समझ सकती थी। जेल का नर्करूपी जीवन उनके लिए किसी कठिन अग्निपरीक्षा की तरह साबित हो रहा था। रोजाना शारीरिक शोषण, रैगिंग, मारपीट और प्रताड़ना झेलना अब असहनीय होने लगा था। वे लोग अपने घर नही जा सकती थी, अपने परिवार से नही मिल सकती थी और ना ही अपने साथ हो रहे शोषण की कही शिकायत कर सकती थी। उस रात इतनी मार खाने के बाद भी सोनू को जेल के अस्पताल में नही ले जाया गया और उसे रात भर सेल में ही बंद रहना पड़ा। वह रात भर दर्द से कराहती रही लेकिन किसी को भी उस पर जरा भी दया नही आई। बबिता ने रात के वक़्त राउंड पर आई काँस्टेबल को सोनू की हालत के बारे में अवगत भी कराया लेकिन उसने सुबह अस्पताल ले जाने की बात कहकर रातभर उसे सेल में ही बंद रखा। जेल के स्टॉफ के लिए कैदियों में मारपीट होना, सीनियर औरतो द्वारा जूनियरों को पीटना या रैगिंग के नाम पर उनसे अमानवीय कृत्य करवाना बिल्कुल साधारण बात थी। ऐसी चीजें जेल की जिंदगी का एक हिस्सा थी और इनसे निपटने के लिए जेल में टॉर्चर रूम, एकांत कोठरियाँ व सजा देने की अन्य व्यवस्थाएँ मौजूद थी।
जेल की पहली दीवाली की रात बबिता और सोनू के लिए तो बेहद बुरी और भयावह रही लेकिन साथ ही बाकी सभी औरतो की हालत भी बहुत ज्यादा अच्छी नही थी। बबिता, अंजली, दया, कोमल और माधवी को रोजाना की तरह ही रात में सीनियरों की सेवा करनी पड़ी और उनके मनोरंजन के लिए कई तरह की क्रियाएँ करनी पड़ी। उनके अलावा रोशन को भी उसकी बैरक में काफी ज्यादा प्रताड़ित किया गया और कुछ नई कैदियों के साथ उसकी जमकर रैगिंग की गई। जिस रात बाहर की दुनिया मे खुशियो का माहौल था, लोग आतिशबाजियाँ कर रहे थे और अपने परिवार के साथ त्यौहार मना रहे थे। उसी रात जेल में बंद औरतो को रैगिंग, सेक्स और मारपीट जैसी प्रताड़नाओं का सामना करना पड़ रहा था। वह रात बबिता और बाकी सभी औरतो के लिए बहुत ही बुरी रात रही और आखिरकार सीनियरो की इजाजत के बाद वे लोग सो पाई।