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Adultery गोकुलधाम सोसायटी की औरतें जेल में

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(माधवी की चुदाई)

जेल में वेश्यावृत्ति एक साधारण मुद्दा था। 18 साल की लड़कियों से लेकर बूढ़ी औरतो तक को इससे कोई राहत नही दी जाती थी। जिस कैदी को सेक्स के लिए चुना जाता था, उसे अनिवार्य रूप से सेक्स के लिए जाना ही पड़ता था। इन कैदी औरतो को कभी नेताओ के पास तो कभी अमीर व रसूखदार लोगो के पास भेजा जाता था जो हजारो रुपयों में इनकी कीमत चुकाते थे। इसके अलावा पुरुष जेल में बंद कैदी भी अपनी सेक्स की इच्छा की पूर्ति के लिए कैदी औरतो का सहारा लेते थे।

पुरुष जेल में ऐसे कई रसूखदार कैदी थे जिनकी जेल में तूती बोलती थी। पुरुष जेल और महिला जेल में एक अंतर यह भी था कि वहाँ पर पैसो के दम पर सारी सुविधाएँ मिल जाती थी जबकि महिला जेल में वर्तमान में ऐसा नही था। महिला जेल में सभी औरतो के साथ समान बर्ताव किया जाता था और जेलर अदिति किसी भी कैदी के साथ बिल्कुल भी सहानुभूति नही रखती थी। जेल में गरीब महिलाओ से लेकर करोड़पति औरते भी कैद थी और यदि अदिति चाहती तो अमीर औरतो को सुविधाएँ देकर उनसे मनमाने पैसे वसूल कर सकती थी। हालाँकि वह ऐसा नही करती थी जिसका सीधा सा कारण उसके मन मे कैदी औरतो के प्रति भरी नफरत की भावना थी। उसके लिए जेल में बंद औरतो केवल भेड़-बकरियों की तरह थी और वह उन्हें किसी भी तरह की कोई सुविधा नही देना चाहती थी। ऐसा नही था कि अदिति कैदियों से पैसे नही कमाती थी। वह कैदी औरतो से पैसे कमाने का कोई मौका नही छोड़ती थी लेकिन जो पैसे अमीर औरतो को सुविधाएँ देकर सीधे तरीके से कमाए जा सकते थे, उसकी जगह पर वह उन्हें तकलीफ देकर पैसे कमाना ज्यादा पसंद करती थी।

गोकुलधाम सोसायटी की सातो कैदियों में वेश्यावृत्ति का पहला शिकार बबिता बनी। उसे एक बड़े नेता के पास सेक्स के लिए भेजा गया था जिसने पुरे जोश के साथ उसकी चुदाई की। जेल में रोजाना कुछ कैदियों को सेक्स के लिए भेजा जाता रहता था और इसी कड़ी में सेक्स के लिए जाने की अगली बारी आई माधवी भिड़े की। माधवी को पुरुष जेल में बंद एक कैदी के साथ सेक्स के लिए भेजा गया जिसने किसी एक कैदी औरत से सेक्स करने के लिए जेलर को पैसे चुकाए थे। हालाँकि उस कैदी ने माधवी को देखा भी नही था और जेलर अदिति ने अपनी इच्छानुसार ही उसे सेक्स के लिए पुरुष जेल भेज दिया। कानून की नजर में माधवी एक अपराधी थी लेकिन उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि एक अच्छे व सभ्य परिवार की थी। किसी पुरुष कैदी के साथ सेक्स करने के बारे में उसने सपने में भी नही सोचा था लेकिन जेल में आने के बाद जेलर के आदेशों का पालन करना उसकी मजबूरी थी।​

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रात 8 बजे रोजाना की तरह उन कैदी महिलाओ व लड़कियों को सेलो व बैरकों से बाहर निकाला गया जिन्हें सेक्स के लिए अलग-अलग जगहों पर भेजा जाने वाला था। इन कैदी महिलाओ में माधवी भी शामिल थी और उसके साथ कुछ अन्य कैदियों को भी पुरुष जेल में भेजा जा रहा था। जिन औरतो को पुरुष जेल ले जाया जा रहा था, उनसे उनकी जेल की साड़ी उतरवा ली गई और उन्हें सूती की एक सादी साड़ी दी गई। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि पुरुष जेल के कैदी अक्सर सेक्स के दौरान महिला कैदियों के साथ बेहद बुरा सलूक करते थे। चूँकि पुरुष कैदियों को सेक्स की अत्याधिक लालसा होती थी और जेल में रहते हुए उन्हें रोजाना सेक्स की सुविधा मिल पाना संभव नही हो पाता था। इसी वजह से सेक्स के दौरान वे लोग अपनी सारी वासनाएँ और इच्छाएँ कैदी औरतो के माध्यम से पूरी करते थे। कई बार पुरुष कैदी महिला कैदियों के कपड़े तक फाड़ देते थे जिस वजह से इन कैदी महिलाओ को उनकी जेल की पोशाक की जगह पर अन्य कपड़ो में पुरुष जेल भेजा जाता था। हालाँकि ऐसा हमेशा नही किया जाता था और यह जेलर की इच्छा पर निर्भर करता था। माधवी को भी जेल के कपड़ो में ही पुरुष जेल भेजा गया।

नेताओ व अन्य लोगो के पास भेजी जा रही कैदियों को अलग गाड़ी में तथा पुरुष जेल भेजी जा रही कैदियों को अलग गाड़ी में बिठाया गया। माधवी के दोनों हाथों में हथकड़ी लगी हुई थी और गाड़ी में बैठी सभी औरतो की निगरानी के लिए गाड़ी के भीतर कुछ लेडी काँस्टेबल्स भी तैनात थी। सभी कैदियों के आने के बाद रात के लगभग 8:10 बजे उनकी गाड़ी पुरुष जेल के लिए रवाना हुई।

महिला जेल से पुरुष जेल की दूरी केवल दस मिनट की थी और दस मिनट बाद ही उनकी गाड़ी पुरुष जेल के मेन गेट के सामने पहुँच चुकी थी। मेन गेट के ऊपर एक बड़ा सा साइन बोर्ड लगा था जिस पर बड़े-बड़े अक्षरों में “केंद्रीय कारागार मुंबई” लिखा हुआ था। हालाँकि गाड़ी के भीतर से वह बोर्ड नजर नही आ रहा था लेकिन आसपास के माहौल को देखकर माधवी व बाकी औरते समझ गई थी कि वे लोग पुरुष जेल पहुँच चुकी हैं। उनकी गाड़ी को गेट से सीधे अंदर ले जाया गया और सभी औरतो को गाड़ी से उतारकर वही पर खड़े करवाया गया। उनकी निगरानी में तैनात महिला काँस्टेबल्स भी उनके साथ वही पर खड़ी रही। कुछ देर इंतजार करने के बाद पुरुष जेल के जेलर दिग्विजय श्रीवास्तव भी वहाँ आ गए और एक-एक औरत को ध्यान से देखने लगे।

“तुम लोगो मे से कौन-कौन यहाँ पहली बार आई है?” - जेलर ने पूछा।

उसके पूछते ही माधवी और एक लड़की ने अपने हाथ ऊपर किये और फिर उनके साथ खड़ी एक महिला सिपाही ने एक कागज का टूकड़ा जेलर के हाथों में थमा दिया। उस कागज पर उन कैदी औरतो और उनके ग्राहक कैदियों के नाम लिखे हुए थे। जेलर साहब ने कागज पर देखकर बारी-बारी से औरतो के नाम लेने शुरू किए और फिर उन सभी को अंदर भेजा जाने लगा। माधवी का नाम आते ही एक पुरुष काँस्टेबल ने उसके हाथों को पकड़ा और तेजी से उसे अंदर की ओर लेकर चला गया।​

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माधवी बेहद घबराई हुई थी। उसके दिल की धड़कने तेज होने लगी थी और माथे पर पसीना आने लगा था। जेल की जिंदगी का यह बेहद ही खौफनाक अनुभव उसके सामने बाहें पसारे खड़ा था जहाँ उसके चारों ओर केवल पुरुष ही पुरुष मौजूद थे। वार्ड के भीतर जाते ही उसे सेलो में बंद पुरुष कैदी नजर आने लगे जिनमे कई तो इतने खतरनाक लग रहे थे कि माधवी की हिम्मत ही नही हुई उन्हें नजर उठाकर देखने की। माधवी को देखते ही सभी कैदी अपनी-अपनी सेलो की सलाखों से चिपक गए और उसे घूरने लगे। उनके लिए जेल में किसी औरत या लड़की को देख पाना बड़ी बात थी। भले ही कैदी महिलाओ को सेक्स के लिए पुरुष जेल में लाया जाता था लेकिन ज्यादातर उन्हें किसी अलग कमरे में ही बंद रखा जाता था। माधवी की बुरी किस्मत ही थी कि उसे कैदियों वाले वार्ड में ले जाया गया। पुरुष कैदियों की नजरों में माधवी के प्रति हवस और वासना साफ नजर आ रही थी और कई कैदी उसे देखकर मुठ (हस्तमैथुन) भी मारने लगे।

जाहिर सी बात थी कि एक महिला होने के नाते माधवी को यह सब बहुत ही बेकार लग रहा था और उस वक़्त उस पर क्या बीत रही थी, यह केवल वही समझ सकती थी। डर, असहजता और चुदने की मजबूरी के बीच उसने अपने आपको ढाँढस बँधाया और इस बात के लिए राजी किया कि उसके पास दूसरा कोई विकल्प मौजूद नही हैं। यदि वह सेक्स के लिए जरा भी नखरे करती तो उसे जेलर की क्रूरता का शिकार होना पड़ता जो वह बिल्कुल भी नही चाहती थी।

जब काँस्टेबल उसे पकड़कर वार्ड के भीतर ले जा रहा था, तब उन पुरुषो के लिए माधवी किसी अप्सरा से कम नही थी। उसका रसभरा वसायुक्त बदन, सुडौल स्तन, ब्लाउज के नीचे नजर आती कमर और बड़े-बड़े कूल्हे वाकई में आकर्षक थे। उसके दोनों हाथों में हथकड़ी लगी हुई थी और जब वह चल रही थी तो उसकी चाल में एक गजब की लचक थी। ऐसी लचक जिसे देखकर मर्दो के अंदर उत्तेजना पैदा होना लाजमी था। माधवी की स्थिति बेहद ही असहजतापूर्ण थी। चारो ओर पुरुष कैदियों से घिरी माधवी उस वार्ड में मौजूद इकलौती महिला थी और उसने पहली बार किसी पुरुष जेल के भीतर कदम रखा था। वैसे तो वह खुद भी एक कैदी ही थी और उसकी जेल में भी कई खतरनाक अपराधी महिलाएँ कैद थी लेकिन महिलाओ के साथ रहने और पुरुष कैदियों के बीच मे थोड़ा सा भी वक्त गुजारने में जमीन आसमान का अंतर था। खैर, अंदर जाने के बाद काँस्टेबल ने उसे एक सेल के सामने खड़ा करवाया और उसकी हथकड़ी खोलकर उसे सेल के भीतर धकेल दिया।​

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“क्या साब। मस्त आइटम भिजवाया है मैडम ने। लेकिन थोड़ी कम उमर वाली भिजवाते तो मजा आ जाता।” - अंदर बंद एक कैदी ने कहा।

‘अबे सालो। कम उमर का माल चाहिए तो पैसा भी दिया करो ना। वैसे ये साली भी कुछ कम नही है। आज तो मौज है तुम लोगो की।’ - इतना कहकर काँस्टेबल ने सेल के दरवाजे पर ताला लगाया और वहाँ से बाहर चला गया।

माधवी अब सेल के भीतर बिल्कुल अकेली महिला थी लेकिन उसे सदमा तब लगा जब उसने देखा कि उस सेल में एक नही बल्कि तीन पुरुष कैदी बंद थे। उसने सोचा था कि उसे किसी एक पुरुष कैदी के साथ सेक्स के लिए भेजा जा रहा है लेकिन जेल में आने के बाद स्थिति कुछ और ही निकली। उन तीनों कैदियों ने एक साथ मिलकर किसी एक महिला कैदी के लिए पैसे चुकाए थे इसलिए माधवी को उन तीनों से ही चुदवाना अनिवार्य था। हालाँकि इसमें माधवी की मर्जी का कोई महत्व नही था और सेल में बंद किये जाने के बाद वे तीनों पुरुष कैदी उसके साथ जो चाहे वो कर सकते थे। माधवी का सुबह तक सेल से बाहर निकल पाना संभव नही था और वे तीनों कैदी अपनी हवस मिटाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते थे।​
 
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“आ गई मेरी जान। कब से इंतजार कर रहे थे तेरा…”

माधवी को अंदर बंद किये जाते ही उनमे से एक कैदी ने उसे छेड़ते हुए कहा। उसकी बात सुनकर माधवी कुछ ना बोल पाई और नजरे झुकाकर शांत खड़ी रही। वह सलाखों से सटकर खड़ी थी और किसी भी तरह उन तीनों से बचना चाहती थी। हालाँकि ऐसा होना बिल्कुल भी सम्भव नही था और यह बात वह भी अच्छी तरह जानती थी। उसे सेल में बंद हुए अभी एक मिनट भी नही हुआ था कि तभी वे तीनों कैदी एक साथ उसके करीब आ गए और बिना देर किए उसके साथ छेड़खानी करने लगे।

उनमे से एक ने पीछे से उसे जकड़ लिया और उसकी साड़ी के ऊपर से ही उसके स्तनों को दबाने लगा। दूसरा उसके होठो को चूमने लगा जबकि तीसरा कैदी अपने एक हाथ से उसके कूल्हों को दबाने लगा और दूसरे हाथ से उसकी कमर को सहलाने लगा। एकाएक तीन मर्दो द्वारा छूएँ जाने से माधवी एकदम से सिहर उठी और कुछ पल के लिए तो उसके दिमाग ने काम करना ही बंद कर दिया। उसे कुछ समझ नही आ रहा था कि वह क्या करे। उसकी जिंदगी में यह पहला मौका था जब उसे उसके पति के अलावा किसी गैर मर्द ने इस तरह छुआ था। मगर वह करती भी क्या? उसने बचने की थोड़ी कोशिश जरूर की लेकिन वह नाकाम रही। हिम्मत हारकर उसने उन तीनों के पैर पकड़ लिए और उनके सामने गिड़गिड़ाने लगी।​

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“देखिए, प्लीज आप लोग मेरे साथ ऐसा मत कीजिये। आपके घर मे भी तो माँ-बहन होगी। प्लीज, मैं आप लोगो के हाथ जोड़ती हूँ। आपके पैर पड़ती हूँ।” - उसने गिड़गिड़ाते हुए कहा।

‘अरे ऐसे कैसे छोड़ दे तेरे को। पैसे दिए है बहनचोद। एक तो साला इधर बड़ी मुश्किल से लौंडिया चोदने मिलती है। उस पर भी तेरे अलग नाटक चल रहे है।’

तभी एक दूसरे कैदी ने माधवी के करीब आकर कहा - “देख मैडम। हम भी कैदी है और तू भी। अब तेरा पति तो आ नही सकता यहाँ तेरे को चोदने। इधर तो हम ही मिलेंगे। तो चुपचाप अपनी बकचोदी अपनी गाँड़ में डाल और शांति से चुदाई करने दे। वरना अगर हम अपनी पे आ गए तो तेरे को भगवान भी नही बचा सकता। समझी।”

माधवी बेहद डर गई थी। उसे पता था कि यदि वह सेक्स के लिए हामी नही भरेगी तो वे लोग उसके साथ जबरदस्ती करेंगे। जेल में अक्सर ब...कार को सेक्स का ही नाम दिया जाता था और जेलर कहती थी कि यदि रे.. होना ही है तो चुपचाप बिस्तर पर लेट जाओ और मजे लो। माधवी भी उस वक़्त उसी स्थिति में थी। यह उसी पर निर्भर था कि उसे उन तीनों कैदियों की दरिंदगी का शिकार किस तरह होना हैं। स्वयं की मर्जी से या फिर जबरदस्ती। आखिरकार चुदाई से बचने की उम्मीद ना पाकर उसने तय किया कि वह खुद ही उन तीनों के साथ सेक्स करेगी ताकि वे लोग सेक्स के दौरान उसके साथ जबरदस्ती ना करे।

‘चल, मुँह खोल और लंड मुँह में ले।’ - उनमे से एक कैदी ने कहा।

उसके कहते ही माधवी घुटनो के बल जमीन पर बैठ गई और उसका लंड चूसने के लिए तैयार हो गई। वे तीनों सज़ायाफ्ता कैदी थे और उन्होंने कैदियो वाले कपड़े पहन रखे थे। माधवी के जमीन पर बैठते ही एक कैदी ने अपना पजामा नीचे सरकाया और अपनी अंडरवियर में से अपने मोटे व लंबे से लिंग को बाहर निकालकर माधवी के मुँह में घुसा दिया।

“ओहह…उउउन्ननह…आँह…ऊऊऊ…” वह कैदी माधवी द्वारा लंड चूसे जाने से एकदम उत्तेजित होने लगा और उसके लिंग में तनाव बढ़ने लगा। माधवी एक बहुत ही अनुभवी महिला थी और उसे पता था कि एक मर्द को किस तरह खुश करना है। उसने बारी-बारी से उन तीनों कैदियों का लंड मुँह में लिया और उन्हें ब्लोजॉब के मजे देने लगी।​

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इसके बाद तो मानो वे तीनों माधवी को चोदने के लिए बेताब हो उठे। उन्होंने माधवी को खड़े करवाया और बड़े प्यार से खुद ही उसके कपड़े उतारने लगे। उन्होंने सबसे पहले उसकी साड़ी उतारी। फिर एक-एक कर उसका ब्लाउज, पेटीकोट और ब्रा व पैंटी भी उतार दी। माधवी अब पूरी तरह से नग्न हो चुकी थी। बदन पर एक भी कपड़े नही थे। उसका रसभरा गोरा बदन उन तीनों कैदियों के लिए किसी खजाने से कम नही था। उसे नंगा करते ही उन तीनों कैदियों ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और पूरी तरह नग्न हो गए।

माधवी अब चुदने के लिए तैयार थी। उन तीनों ने उसे धक्का देकर दीवार से सटा दिया और उस पर टूट पड़े। वे तीनों एक साथ उसके बदन को चूमने लगे। एक उसके होठो को चूम रहा था तो दूसरा उसके स्तनों को दबा रहा था। तीसरा अपने लंड को उसके पैरों व कूल्हों पर छुआने लगा। वे लोग एक ही झटके में माधवी को चोदकर उस रात का मजा खराब नही करना चाहते थे इसलिए वे तीनों धीरे-धीरे उसके बदन से खेलने लगे।

माधवी भी अब जोश में आने लगी थी और उसके अंदर उत्तेजना पैदा होने लगी। एक कैदी माधवी के पैरों के बीच मे आ गया और उसकी चूत चाटने लगा। साथ ही वह उसकी चूत में ऊँगली भी करने लगा जिससे माधवी मजे से कराहने लगी और उसका सर पकड़कर अपनी चूत पर दबाते हुए उसे सिड्यूस करने लगी। अन्य दोनो कैदी भी उसके स्तनों को मसलते हुए उसके पूरे बदन को चाट रहे थे।

“आह, क्या सेक्सी माल है रे साली तू। तेरे पति को तो मजा आ जाता होगा।” - एक कैदी ने कहा।

तभी दूसरा कैदी बोला - ‘रांडो के भी पति होते है क्या बहन के लौड़े।’

माधवी को उनकी बातों से थोड़ी बेइज्जती जरूर महसूस हुई लेकिन वह सेक्स क्रिया में व्यस्त रही। कुछ मिनटो के बाद एक कैदी ने अपना लंड माधवी की चूत पर सेट किया और एक जोर का धक्का देकर अपने लोहे जैसे सख्त लंड को उसकी चूत के अंदर घुसा दिया। लंड के अंदर जाते ही माधवी की चीखें निकल गई और वह “आँह आँह” की तेज सिसकियाँ लेने लगी। दूसरा कैदी अभी भी उसके मम्मो के साथ खेल रहा था जबकि तीसरे कैदी ने अपना काला व मोटा सा लंड जबरन माधवी के मुँह में घुसेड़ दिया।​

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पंद्रह मिनट तक लगातार चोदने के बाद पहला कैदी उसकी चूत में ही झड़ गया लेकिन उसने अपना स्पर्म उसकी चूत के बाहर गिराया। फिर दूसरा कैदी आगे आया। उसने अपना लंड माधवी की चूत पर रखा और धक्का दे मारा। अब वह भी माधवी को चोदने लगा लेकिन उसकी गति पहले कैदी से काफी तेज थी। माधवी दर्द के मारे “आँह…आँह…ईईईईई…ऊऊऊफ़्फ़स्स…” चिल्लाने लगी। कुछ बीस मिनटो तक चोदने के बाद दूसरा कैदी भी उसकी चूत में ही झड़ गया।

इतने में पहला कैदी फिर गर्म हो गया। वह उठ खड़ा हुआ और बोला - “साली अब मैं तेरी गाँड़ मारूँगा।”

तभी तीसरे कैदी ने कहा - ‘तू रुक अभी। पहले मेरे को चोदने दे।’

वह कैदी नीचे जमीन पर लेट गया और माधवी को अपने ऊपर आकर लंड को चूत में लेने को कहा। माधवी भी वासना के सागर में लिप्त थी और खुशी-खुशी उसके ऊपर आकर बैठ गई। उसने अपने हाथों से पकड़कर उसका लंड अपनी चूत में घुसेड़ दिया और अपने स्तनों को झुलाते हुए लंड के ऊपर नीचे होने लगी। तभी पहले कैदी ने उसकी गाँड़ को अपने हाथों से ऊपर उठाया और थोड़ा सा थूक लगाकर उसकी गाँड़ में अपना लंड डाल दिया। जबरन बलपूर्वक मोटा लंड घुसाने से दर्द के मारे माधवी की चीखें निकल गई और वह उसकी गाँड़ नही मारने के लिए उनसे विनती करने लगी। उस वक़्त माधवी की हालत कसाईयो के हाथों में फँसी बकरी के जैसे थी और वे तीनों उसके दर्द की परवाह कोई बिना लगातार उसे चोदे जा रहे थे।

थोड़े वक़्त बाद उन्होंने अपनी पोजीशन बदली। पहले कैदी ने अपना लंड माधवी की पहले से अंदर तक लाल दिखती गाँड़ के खुले हुए छेद में घुसेड़ दिया और उसकी गाँड़ मारने लगा। अब फिर से वे तीनों बेरहमी से उसे चोदने लगे और उसके बदन को निचोड़ने लगे। उनमे से एक कैदी माधवी के निप्पल्स को दाँतो से काटने लगा जिससे माधवी दर्द के मारे व्याकुल हो उठी। उसके चिल्लाने की आवाज पूरी सेल में गूँज रही थी लेकिन वह जितना ज्यादा चीख रही थी, उन तीनों को उतना ही अधिक मजा आ रहा था।​

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वे लोग अभी उसे चोद ही रहे थे कि तभी तीसरे कैदी ने अपना लंड “ले साली…लंड चूस..” बोल कर उसके मुँह में घुसा दिया जिससे उसकी आवाजे निकलना भी बंद हो गई। ऐसा लग रहा था कि कही उसका दम ना घुट जाए। उसके तीनो छेद चूत, गाँड़ और मुँह उन तीनों के लंड से ठूँसे हुए थे। काफी देर तक लगातार चुदाई करने के बाद जब उन्हें झड़ने का एहसास होने लगा तो उन्होंने अपना सारा माल माधवी के चेहरे, स्तनो और पूरे बदन पर गिरा दिया। माधवी का बदन उन तीनों के वीर्य से नहाया हुआ था और उसके अंदर इतनी भी शक्ति नही बची थी कि वह खड़ी होकर ठीक से चल पाये। उस रात उन तीनों कैदियों ने कई बार माधवी की चुदाई की और रात भर उसे सोने नही दिया। आखिरकार सुबह 4 बजे एक पुरुष सिपाही माधवी को लेने आया और उसे सेल से निकालकर बाहर खड़ी महिला सिपाहियों के हवाले कर दिया जो उसे वापस अपनी जेल में लेकर चली आई।​
 
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