Update 39
(माधवी की चुदाई)
जेल में वेश्यावृत्ति एक साधारण मुद्दा था। 18 साल की लड़कियों से लेकर बूढ़ी औरतो तक को इससे कोई राहत नही दी जाती थी। जिस कैदी को सेक्स के लिए चुना जाता था, उसे अनिवार्य रूप से सेक्स के लिए जाना ही पड़ता था। इन कैदी औरतो को कभी नेताओ के पास तो कभी अमीर व रसूखदार लोगो के पास भेजा जाता था जो हजारो रुपयों में इनकी कीमत चुकाते थे। इसके अलावा पुरुष जेल में बंद कैदी भी अपनी सेक्स की इच्छा की पूर्ति के लिए कैदी औरतो का सहारा लेते थे।
पुरुष जेल में ऐसे कई रसूखदार कैदी थे जिनकी जेल में तूती बोलती थी। पुरुष जेल और महिला जेल में एक अंतर यह भी था कि वहाँ पर पैसो के दम पर सारी सुविधाएँ मिल जाती थी जबकि महिला जेल में वर्तमान में ऐसा नही था। महिला जेल में सभी औरतो के साथ समान बर्ताव किया जाता था और जेलर अदिति किसी भी कैदी के साथ बिल्कुल भी सहानुभूति नही रखती थी। जेल में गरीब महिलाओ से लेकर करोड़पति औरते भी कैद थी और यदि अदिति चाहती तो अमीर औरतो को सुविधाएँ देकर उनसे मनमाने पैसे वसूल कर सकती थी। हालाँकि वह ऐसा नही करती थी जिसका सीधा सा कारण उसके मन मे कैदी औरतो के प्रति भरी नफरत की भावना थी। उसके लिए जेल में बंद औरतो केवल भेड़-बकरियों की तरह थी और वह उन्हें किसी भी तरह की कोई सुविधा नही देना चाहती थी। ऐसा नही था कि अदिति कैदियों से पैसे नही कमाती थी। वह कैदी औरतो से पैसे कमाने का कोई मौका नही छोड़ती थी लेकिन जो पैसे अमीर औरतो को सुविधाएँ देकर सीधे तरीके से कमाए जा सकते थे, उसकी जगह पर वह उन्हें तकलीफ देकर पैसे कमाना ज्यादा पसंद करती थी।
गोकुलधाम सोसायटी की सातो कैदियों में वेश्यावृत्ति का पहला शिकार बबिता बनी। उसे एक बड़े नेता के पास सेक्स के लिए भेजा गया था जिसने पुरे जोश के साथ उसकी चुदाई की। जेल में रोजाना कुछ कैदियों को सेक्स के लिए भेजा जाता रहता था और इसी कड़ी में सेक्स के लिए जाने की अगली बारी आई माधवी भिड़े की। माधवी को पुरुष जेल में बंद एक कैदी के साथ सेक्स के लिए भेजा गया जिसने किसी एक कैदी औरत से सेक्स करने के लिए जेलर को पैसे चुकाए थे। हालाँकि उस कैदी ने माधवी को देखा भी नही था और जेलर अदिति ने अपनी इच्छानुसार ही उसे सेक्स के लिए पुरुष जेल भेज दिया। कानून की नजर में माधवी एक अपराधी थी लेकिन उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि एक अच्छे व सभ्य परिवार की थी। किसी पुरुष कैदी के साथ सेक्स करने के बारे में उसने सपने में भी नही सोचा था लेकिन जेल में आने के बाद जेलर के आदेशों का पालन करना उसकी मजबूरी थी।
रात 8 बजे रोजाना की तरह उन कैदी महिलाओ व लड़कियों को सेलो व बैरकों से बाहर निकाला गया जिन्हें सेक्स के लिए अलग-अलग जगहों पर भेजा जाने वाला था। इन कैदी महिलाओ में माधवी भी शामिल थी और उसके साथ कुछ अन्य कैदियों को भी पुरुष जेल में भेजा जा रहा था। जिन औरतो को पुरुष जेल ले जाया जा रहा था, उनसे उनकी जेल की साड़ी उतरवा ली गई और उन्हें सूती की एक सादी साड़ी दी गई। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि पुरुष जेल के कैदी अक्सर सेक्स के दौरान महिला कैदियों के साथ बेहद बुरा सलूक करते थे। चूँकि पुरुष कैदियों को सेक्स की अत्याधिक लालसा होती थी और जेल में रहते हुए उन्हें रोजाना सेक्स की सुविधा मिल पाना संभव नही हो पाता था। इसी वजह से सेक्स के दौरान वे लोग अपनी सारी वासनाएँ और इच्छाएँ कैदी औरतो के माध्यम से पूरी करते थे। कई बार पुरुष कैदी महिला कैदियों के कपड़े तक फाड़ देते थे जिस वजह से इन कैदी महिलाओ को उनकी जेल की पोशाक की जगह पर अन्य कपड़ो में पुरुष जेल भेजा जाता था। हालाँकि ऐसा हमेशा नही किया जाता था और यह जेलर की इच्छा पर निर्भर करता था। माधवी को भी जेल के कपड़ो में ही पुरुष जेल भेजा गया।
नेताओ व अन्य लोगो के पास भेजी जा रही कैदियों को अलग गाड़ी में तथा पुरुष जेल भेजी जा रही कैदियों को अलग गाड़ी में बिठाया गया। माधवी के दोनों हाथों में हथकड़ी लगी हुई थी और गाड़ी में बैठी सभी औरतो की निगरानी के लिए गाड़ी के भीतर कुछ लेडी काँस्टेबल्स भी तैनात थी। सभी कैदियों के आने के बाद रात के लगभग 8:10 बजे उनकी गाड़ी पुरुष जेल के लिए रवाना हुई।
महिला जेल से पुरुष जेल की दूरी केवल दस मिनट की थी और दस मिनट बाद ही उनकी गाड़ी पुरुष जेल के मेन गेट के सामने पहुँच चुकी थी। मेन गेट के ऊपर एक बड़ा सा साइन बोर्ड लगा था जिस पर बड़े-बड़े अक्षरों में “केंद्रीय कारागार मुंबई” लिखा हुआ था। हालाँकि गाड़ी के भीतर से वह बोर्ड नजर नही आ रहा था लेकिन आसपास के माहौल को देखकर माधवी व बाकी औरते समझ गई थी कि वे लोग पुरुष जेल पहुँच चुकी हैं। उनकी गाड़ी को गेट से सीधे अंदर ले जाया गया और सभी औरतो को गाड़ी से उतारकर वही पर खड़े करवाया गया। उनकी निगरानी में तैनात महिला काँस्टेबल्स भी उनके साथ वही पर खड़ी रही। कुछ देर इंतजार करने के बाद पुरुष जेल के जेलर दिग्विजय श्रीवास्तव भी वहाँ आ गए और एक-एक औरत को ध्यान से देखने लगे।
“तुम लोगो मे से कौन-कौन यहाँ पहली बार आई है?” - जेलर ने पूछा।
उसके पूछते ही माधवी और एक लड़की ने अपने हाथ ऊपर किये और फिर उनके साथ खड़ी एक महिला सिपाही ने एक कागज का टूकड़ा जेलर के हाथों में थमा दिया। उस कागज पर उन कैदी औरतो और उनके ग्राहक कैदियों के नाम लिखे हुए थे। जेलर साहब ने कागज पर देखकर बारी-बारी से औरतो के नाम लेने शुरू किए और फिर उन सभी को अंदर भेजा जाने लगा। माधवी का नाम आते ही एक पुरुष काँस्टेबल ने उसके हाथों को पकड़ा और तेजी से उसे अंदर की ओर लेकर चला गया।
माधवी बेहद घबराई हुई थी। उसके दिल की धड़कने तेज होने लगी थी और माथे पर पसीना आने लगा था। जेल की जिंदगी का यह बेहद ही खौफनाक अनुभव उसके सामने बाहें पसारे खड़ा था जहाँ उसके चारों ओर केवल पुरुष ही पुरुष मौजूद थे। वार्ड के भीतर जाते ही उसे सेलो में बंद पुरुष कैदी नजर आने लगे जिनमे कई तो इतने खतरनाक लग रहे थे कि माधवी की हिम्मत ही नही हुई उन्हें नजर उठाकर देखने की। माधवी को देखते ही सभी कैदी अपनी-अपनी सेलो की सलाखों से चिपक गए और उसे घूरने लगे। उनके लिए जेल में किसी औरत या लड़की को देख पाना बड़ी बात थी। भले ही कैदी महिलाओ को सेक्स के लिए पुरुष जेल में लाया जाता था लेकिन ज्यादातर उन्हें किसी अलग कमरे में ही बंद रखा जाता था। माधवी की बुरी किस्मत ही थी कि उसे कैदियों वाले वार्ड में ले जाया गया। पुरुष कैदियों की नजरों में माधवी के प्रति हवस और वासना साफ नजर आ रही थी और कई कैदी उसे देखकर मुठ (हस्तमैथुन) भी मारने लगे।
जाहिर सी बात थी कि एक महिला होने के नाते माधवी को यह सब बहुत ही बेकार लग रहा था और उस वक़्त उस पर क्या बीत रही थी, यह केवल वही समझ सकती थी। डर, असहजता और चुदने की मजबूरी के बीच उसने अपने आपको ढाँढस बँधाया और इस बात के लिए राजी किया कि उसके पास दूसरा कोई विकल्प मौजूद नही हैं। यदि वह सेक्स के लिए जरा भी नखरे करती तो उसे जेलर की क्रूरता का शिकार होना पड़ता जो वह बिल्कुल भी नही चाहती थी।
जब काँस्टेबल उसे पकड़कर वार्ड के भीतर ले जा रहा था, तब उन पुरुषो के लिए माधवी किसी अप्सरा से कम नही थी। उसका रसभरा वसायुक्त बदन, सुडौल स्तन, ब्लाउज के नीचे नजर आती कमर और बड़े-बड़े कूल्हे वाकई में आकर्षक थे। उसके दोनों हाथों में हथकड़ी लगी हुई थी और जब वह चल रही थी तो उसकी चाल में एक गजब की लचक थी। ऐसी लचक जिसे देखकर मर्दो के अंदर उत्तेजना पैदा होना लाजमी था। माधवी की स्थिति बेहद ही असहजतापूर्ण थी। चारो ओर पुरुष कैदियों से घिरी माधवी उस वार्ड में मौजूद इकलौती महिला थी और उसने पहली बार किसी पुरुष जेल के भीतर कदम रखा था। वैसे तो वह खुद भी एक कैदी ही थी और उसकी जेल में भी कई खतरनाक अपराधी महिलाएँ कैद थी लेकिन महिलाओ के साथ रहने और पुरुष कैदियों के बीच मे थोड़ा सा भी वक्त गुजारने में जमीन आसमान का अंतर था। खैर, अंदर जाने के बाद काँस्टेबल ने उसे एक सेल के सामने खड़ा करवाया और उसकी हथकड़ी खोलकर उसे सेल के भीतर धकेल दिया।
“क्या साब। मस्त आइटम भिजवाया है मैडम ने। लेकिन थोड़ी कम उमर वाली भिजवाते तो मजा आ जाता।” - अंदर बंद एक कैदी ने कहा।
‘अबे सालो। कम उमर का माल चाहिए तो पैसा भी दिया करो ना। वैसे ये साली भी कुछ कम नही है। आज तो मौज है तुम लोगो की।’ - इतना कहकर काँस्टेबल ने सेल के दरवाजे पर ताला लगाया और वहाँ से बाहर चला गया।
माधवी अब सेल के भीतर बिल्कुल अकेली महिला थी लेकिन उसे सदमा तब लगा जब उसने देखा कि उस सेल में एक नही बल्कि तीन पुरुष कैदी बंद थे। उसने सोचा था कि उसे किसी एक पुरुष कैदी के साथ सेक्स के लिए भेजा जा रहा है लेकिन जेल में आने के बाद स्थिति कुछ और ही निकली। उन तीनों कैदियों ने एक साथ मिलकर किसी एक महिला कैदी के लिए पैसे चुकाए थे इसलिए माधवी को उन तीनों से ही चुदवाना अनिवार्य था। हालाँकि इसमें माधवी की मर्जी का कोई महत्व नही था और सेल में बंद किये जाने के बाद वे तीनों पुरुष कैदी उसके साथ जो चाहे वो कर सकते थे। माधवी का सुबह तक सेल से बाहर निकल पाना संभव नही था और वे तीनों कैदी अपनी हवस मिटाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते थे।