• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance गौरी [Completed]

Status
Not open for further replies.

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
Staff member
Moderator
33,475
150,169
304
Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).

Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hind section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 25th February tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.



Story se related koi doubt hai to iske liye is thread ka use kare — Chit Chat Thread

Kisi bhi story par apna review post karne ke liye is thread ka use kare — Review Thread

Rules check karne ke liye is thread ko dekho — Rules & Queries Thread

Apni story post karne ke liye is thread ka use kare — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 1500 Rupees + Award + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 500 Rupees + Award + 2500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 5000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories) + 2 Months Prime Membership
Best Supporting Reader Award + 1000 Likes+ 2 Months Prime Membership
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 

snidgha12

Active Member
1,506
2,695
144
“अरे! आदर्श अभी उठा नहीं?” ठाकुर भूपेन्द्र चिंतातुर हो कर कह रहे थे। उनका बेटा तो सदा ही सूर्योदय से पहले ही उठ जाता है। कभी कभी तो चिड़ियाँ भी नहीं जागतीं, वो तब उठ जाता है। आज क्या हो गया!

लक्ष्मी देवी ने उनकी बात को अनसुना कर दिया। उनको तो अच्छी तरह मालूम था कि ऊपर क्या हो रहा है।

“उसकी तबियत तो ठीक है!” ठाकुर साहब खुद से ही बात कर रहे थे।

“और तो और, बिटिया भी नीचे नहीं आई!” उनकी चिंता बढती जा रही थी। आज लक्ष्मी देवी काम कर रही थीं.. ऐसा एक अर्से के बाद हुआ है.. क्या हुआ होगा बिटिया को!

“मैं जा कर देख कर आता हूँ.. पता नहीं क्या हो गया!”

“ठाकुर साहब.. आज वहां न जाइए..” उन्होंने एक अर्थपूर्ण भाव से यह बात कही।

“अरे क्यों?”

“क्योंकि आप वहां जायेंगे तो उनको बाधा होगी..”

“बाधा होगी..? मगर.. ओह.. ओओओओहह! अच्छा अच्छा!” अब उनको समझ आया!


****


दोनों प्रेमियों ने सोने से पहले दो बार, और सुबह उठने के बाद एक और बार सम्भोग किया। अब उन दोनों को भूख लगने लगी थी। गौरी को याद आया कि खाना इत्यादि भी तो बनाना है.. और सूरज तो काफी ऊपर चढ़ आया दिखता है! वो जल्दी से बिस्तर से उठी, और अपने कपडे पहनने लगी। लेकिन आदर्श ने उसको रोका,

“अम्मा की बात भूल गई? उन्होंने कहा था की वो हम दोनों को नंगा देखना चाहती हैं..”

“लेकिन मैं ऐसे कैसे बाहर निकलूँ?” गौरी ने लजाते हुए कहा। “सब ऐसे देखेंगे मुझे... क्या इज्ज़त रहेगी मेरी?”

“रुको..” आदर्श उठा, और अपने बक्से से एक थैली निकाल लाया।

“ये मैंने तुम्हारे लिए बनवाई थी..”

यह एक सोने की करधनी थी – उसमें छोटे छोटे काले रंग के मोती लगे हुए थे, और एक तरफ गुच्छे जैसा था.. जैसे की बेंदी में होता है। इसी के सेट में पायल और गले में पहनने वाला हार भी था।

“तुमको अच्छा लगा? पहनोगी?”

गौरी मुस्कुराई।

“सिर्फ इन्हें?”

आदर्श ने सर हिला कर हामी भरी।

गौरी फिर से मुस्कुराई।

“ठीक है..”

गौरी ने बड़े प्रेम से अपने पति के दिए उपहार को पहना। आदर्श ने करधनी के बेंदी वाले हिस्से को सामने तक लाया जिससे वो गौरी की योनि का कुछ हिसा ढक सके।

“एक और बात..” आदर्श ने गौरी के बालों को खोल दिया, जिससे उसके बाल उन्मुक्त हो सकें। “अब हम तैयार हैं..”

गौरी के खुले बालों के मध्य सिन्दूर सुशोभित हो रहा था, हाथों में कंगन और लाल चूड़ियाँ थीं, गले में छोटी काली मोतियों वाला हार / मंगलसूत्र था, जो उसके गौरवशाली स्तनों पर ठहरे हुए थे, और कमर में एक करधनी थी, जो बमुश्किल उसकी योनि को ढक पा रही थी। किसी के सामने नग्न होना वैसे भी मुश्किल काम है, और इस तरह से नग्न होना, कि खुद की प्रदर्शनी लग जाए, एक लगभग असंभव काम है। लेकिन अगर आदर्श उसके बगल खड़ा हो, तो यह सब कुछ मायने नहीं रखता। उसको कोई फर्क नहीं पड़ता। उसका पति उसके साथ है, बस, यह काफी है। गौरी ने एक गहरी साँस ली, मुस्कुराई और गौरान्वित भाव से अपने पति का हाथ पकड़ कर बाहर जाने को तैयार हो गई।

दोनों प्रेमी अंततः कमरे से बाहर निकले। बाहर निकलते ही उन्होंने वहीँ सामने लक्ष्मी देवी, ठाकुर भूपेन्द्र सिंह, और एक नौकरानी को खड़ा हुआ पाया... वो एक बड़ी सी थाल में कई सारी व्यंजन सामग्री ले कर खड़े हुए थे, और नौकरानी अपने हाथ में उनके लिए कपड़े! ऐसा लग रहा था जैसे वो इन नव-युगल का ही इंतज़ार कर रहे हों!

“आओ बच्चों!” लक्ष्मी देवी ने अपने तमाम जीवन में ऐसा प्यारा, ऐसा सुन्दर युगल नहीं देखा था.. उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “गृहस्थ जीवन में तुम दोनों का स्वागत है!”


* समाप्त *

20220828-142304
 

Lutgaya

Well-Known Member
2,159
6,327
159
avsji भाई बहुत खूब
मुझे आपकी लिखी कहानियां बेहद पसन्द है।
और गौरी ने इस विश्वास को और मजबूत कर दिया।
 
  • Love
Reactions: avsji

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,024
22,403
159
avsji भाई बहुत खूब
मुझे आपकी लिखी कहानियां बेहद पसन्द है।
और गौरी ने इस विश्वास को और मजबूत कर दिया।
बहुत बहुत धन्यवाद भाई जी! साथ में बने रहें!
एक कहानी अभी जारी है :)
 
  • Like
Reactions: Sharma

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,024
22,403
159

KinkyGeneral

Member
326
613
93
“अरे! आदर्श अभी उठा नहीं?” ठाकुर भूपेन्द्र चिंतातुर हो कर कह रहे थे। उनका बेटा तो सदा ही सूर्योदय से पहले ही उठ जाता है। कभी कभी तो चिड़ियाँ भी नहीं जागतीं, वो तब उठ जाता है। आज क्या हो गया!

लक्ष्मी देवी ने उनकी बात को अनसुना कर दिया। उनको तो अच्छी तरह मालूम था कि ऊपर क्या हो रहा है।

“उसकी तबियत तो ठीक है!” ठाकुर साहब खुद से ही बात कर रहे थे।

“और तो और, बिटिया भी नीचे नहीं आई!” उनकी चिंता बढती जा रही थी। आज लक्ष्मी देवी काम कर रही थीं.. ऐसा एक अर्से के बाद हुआ है.. क्या हुआ होगा बिटिया को!

“मैं जा कर देख कर आता हूँ.. पता नहीं क्या हो गया!”

“ठाकुर साहब.. आज वहां न जाइए..” उन्होंने एक अर्थपूर्ण भाव से यह बात कही।

“अरे क्यों?”

“क्योंकि आप वहां जायेंगे तो उनको बाधा होगी..”

“बाधा होगी..? मगर.. ओह.. ओओओओहह! अच्छा अच्छा!” अब उनको समझ आया!


****


दोनों प्रेमियों ने सोने से पहले दो बार, और सुबह उठने के बाद एक और बार सम्भोग किया। अब उन दोनों को भूख लगने लगी थी। गौरी को याद आया कि खाना इत्यादि भी तो बनाना है.. और सूरज तो काफी ऊपर चढ़ आया दिखता है! वो जल्दी से बिस्तर से उठी, और अपने कपडे पहनने लगी। लेकिन आदर्श ने उसको रोका,

“अम्मा की बात भूल गई? उन्होंने कहा था की वो हम दोनों को नंगा देखना चाहती हैं..”

“लेकिन मैं ऐसे कैसे बाहर निकलूँ?” गौरी ने लजाते हुए कहा। “सब ऐसे देखेंगे मुझे... क्या इज्ज़त रहेगी मेरी?”

“रुको..” आदर्श उठा, और अपने बक्से से एक थैली निकाल लाया।

“ये मैंने तुम्हारे लिए बनवाई थी..”

यह एक सोने की करधनी थी – उसमें छोटे छोटे काले रंग के मोती लगे हुए थे, और एक तरफ गुच्छे जैसा था.. जैसे की बेंदी में होता है। इसी के सेट में पायल और गले में पहनने वाला हार भी था।

“तुमको अच्छा लगा? पहनोगी?”

गौरी मुस्कुराई।

“सिर्फ इन्हें?”

आदर्श ने सर हिला कर हामी भरी।

गौरी फिर से मुस्कुराई।

“ठीक है..”

गौरी ने बड़े प्रेम से अपने पति के दिए उपहार को पहना। आदर्श ने करधनी के बेंदी वाले हिस्से को सामने तक लाया जिससे वो गौरी की योनि का कुछ हिसा ढक सके।

“एक और बात..” आदर्श ने गौरी के बालों को खोल दिया, जिससे उसके बाल उन्मुक्त हो सकें। “अब हम तैयार हैं..”

गौरी के खुले बालों के मध्य सिन्दूर सुशोभित हो रहा था, हाथों में कंगन और लाल चूड़ियाँ थीं, गले में छोटी काली मोतियों वाला हार / मंगलसूत्र था, जो उसके गौरवशाली स्तनों पर ठहरे हुए थे, और कमर में एक करधनी थी, जो बमुश्किल उसकी योनि को ढक पा रही थी। किसी के सामने नग्न होना वैसे भी मुश्किल काम है, और इस तरह से नग्न होना, कि खुद की प्रदर्शनी लग जाए, एक लगभग असंभव काम है। लेकिन अगर आदर्श उसके बगल खड़ा हो, तो यह सब कुछ मायने नहीं रखता। उसको कोई फर्क नहीं पड़ता। उसका पति उसके साथ है, बस, यह काफी है। गौरी ने एक गहरी साँस ली, मुस्कुराई और गौरान्वित भाव से अपने पति का हाथ पकड़ कर बाहर जाने को तैयार हो गई।

दोनों प्रेमी अंततः कमरे से बाहर निकले। बाहर निकलते ही उन्होंने वहीँ सामने लक्ष्मी देवी, ठाकुर भूपेन्द्र सिंह, और एक नौकरानी को खड़ा हुआ पाया... वो एक बड़ी सी थाल में कई सारी व्यंजन सामग्री ले कर खड़े हुए थे, और नौकरानी अपने हाथ में उनके लिए कपड़े! ऐसा लग रहा था जैसे वो इन नव-युगल का ही इंतज़ार कर रहे हों!

“आओ बच्चों!” लक्ष्मी देवी ने अपने तमाम जीवन में ऐसा प्यारा, ऐसा सुन्दर युगल नहीं देखा था.. उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “गृहस्थ जीवन में तुम दोनों का स्वागत है!”


* समाप्त *
arey ye to khatam ho gyi
 
  • Haha
Reactions: avsji

Sanju@

Well-Known Member
4,708
18,911
158
गौरी अत्यधिक व्यग्र और बेचैन थी। जब जब वो अपनी माँ को किसी सर-कटी मुर्गी की तरह इधर उधर दौड़ भाग करते देखती, तो उसका दिल और बैठ जाता। वो उनके मन की दशा समझती थी – आज उसकी शादी जो थी। माँ ने अपनी तरफ से किसी भी तरह की कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। आखिर एकलौती लड़की की शादी जो थी। हाँलाकि ‘बाबूजी’ ने उसको समझाया था की वो किसी भी तरह की चिंता न करें, लेकिन फिर भी.. आखिर वो हैं तो उसकी माँ ही!

आज गौरी की शादी है – किसी भी लड़की के लिए यह बहुत ही भावुक दिन होता है – एक तरफ तो अपना मायका छोड़ने का दुःख, और दूसरी तरफ गृहस्थी में पहला कदम! जीवन के इस परिवर्तन करने वाली घटना ज्यादातर लड़कियों के लिए ख़ुशी देने वाली होती है। लेकिन गौरी के मन की हालत अच्छी नहीं थी – वो उदास थी, खिन्न थी, उसके मन में एक प्रकार का अन्धकार था। उसने खुद को आईने में देखा – हर वर्ष कितनी ही लड़कियों की शादी होती है, उसने सोचा। क्या सभी उसकी तरह सोचती होंगी?

दुल्हन के जोड़े में वो कितनी सुन्दर लग रही थी, इसका ध्यान भी गौरी को नहीं था। दुल्हन के लाल जोड़े में वो सचमुच किसी परी के समान लग रही थी। जो कुछ आदित्य के साथ विवाह के लिए सिलवाया था, वही उसने आज भी पहना हुआ था। और यह उसका दुःख और भी अधिक बढ़ा रहा था।

गौरी की बेचैनी और व्यग्रता का एक कारण था। वो दिन आज भी उसको याद है। आज पांच साल हो गए हैं उस बात को, फिर भी याद है। आज भी उस दिन की याद उसके ह्रदय में वैसी पीड़ा देता है, जैसा की उस दिन हुआ था। उस दिन, जब उसको आदित्य की मृत्यु की खबर मिली थी… उसका दिल जैसे कुछ क्षणों के लिए रुक गया था.. उसका आदित्य! उसका आदित्य अब इस संसार में नहीं था! इस बात पर वो विश्वास भी कैसे कर लेती? यह संभव भी कैसे था? वह तो अभी जीवित थी…

‘हे प्रभु - आपने मुझे भी मेरे आदित्य के साथ क्यों नहीं बुला लिया?’

पिछले पांच वर्षों से वह यही प्रार्थना कर रही थी, लेकिन भगवान ने आज तक उसकी प्रार्थना नहीं सुनी!

ठाकुर भूपेन्द्र (बाबूजी) और ठाकुर घनश्याम (पिताजी) दोनों बचपन के मित्र थे और बहुत ही घनिष्ठ मित्र थे। ऐसे मित्र जिनकी मित्रता की बाकी सारे लोग मिसालें देते थे। उनकी मित्रता उम्र के बढ़ने के साथ साथ और गाढ़ी होती चली गई। जब वो दोनों बड़े हुए, तो उन्होंने एक दूसरे को वचन दिया की यदि उनमे से किसी के यहाँ लड़का हुआ और दूसरे के यहाँ लड़की, तो वे उन दोनों का विवाह करवा देंगे, जिससे मित्रता का बंधन, रिश्तों के अडिग बंधन में बंध जाय। आज कल ऐसी बातें किस्से कहानियों में ही सुनने को मिलती हैं, लेकिन 1930 में यह सब बातें करी जाती थीं।

दोनों ही ठाकुरों ने एक साथ ही शादी करी – बस कुछ ही दिन आगे पीछे। दोनों की पत्नियाँ लगभग एक साथ ही गर्भवती भी हुईं। समय के साथ भूपेन्द्र को एक लड़का हुआ, जिसका नाम आदित्य रखा गया, और घनश्याम को एक लड़की, जिसका नाम गौरी रखा गया। दोनों बच्चे हमउम्र थे – बस कुछ ही दिनों का अंतर था दोनों के बीच! बचपन से ही उन दोनों को मालूम हो गया था कि बड़े होकर उनकी शादी हो जाएगी और वो दोनों साथ रहेंगे। दोनों ही बच्चे इसी विश्वास के साथ बड़े हो रहे थे। ख़ुशी की बात यह भी थी कि उन दोनों में प्रेम भी बहुत था। दोनों साथ में बहुत खुश रहते थे और उनको देख कर राम-सीता जैसी आकर्षक जोड़ी वाली मिसालें देते थे! दोनों परिवार भी इस सम्बन्ध से बहुत खुश थे - आखिर, दो बहुत ही संपन्न और प्रभावशाली परिवार एक होने वाले थे।

लेकिन शादी के दिन से ठीक दो महीने पहले ही वो शोकपूर्ण घटना घट गई।

‘ओह आदित्य!’ गौरी ने दुःख भरी गहरी साँस ली। पांच साल! लेकिन अभी भी लगता है जैसे वो घटना कल ही हुई हो। ठाकुर घनश्याम को उस घटना के कारण गहरा धक्का लगा। उसके बाद वो एक गहरे अवसाद में चले गए और उन्होंने बिस्तर पकड़ लिया। आदित्य उनके लिए अपने खुद के बेटे से भी कहीं प्रिय था। ठाकुर भूपेन्द्र भी अचानक ही समय से पहले ही बूढ़े से दिखने लगे। जल्दी ही पिताजी की तबियत और बिगड़ने लगी। तब बाबूजी आये थे, पिताजी का हाल चाल देखने के लिए।

अपने परम प्रिय मित्र की ऐसी हालत देख कर ठाकुर भूपेन्द्र की आँखें छलक गईं। दोनों मित्र भाइयों से भी अधिक सगे थे। उस हालत में भी दोनों एक दूसरे को स्वान्त्वाना दे रहे थे और एक दूसरे की हिम्मत बढ़ा रहे थे। उस क्षण ठाकुर भूपेन्द्र ने एक बात कही, जो शायद वो कहने ही आये थे,

“ठाकुर, जैसे आदित्य तुम्हारा बेटा था, वैसे ही गौरी भी मेरी बेटी है। और हमेशा रहेगी। अब हमारा तुम्हारा क्या भरोसा - जिस गति से हम चल रहे हैं, उस गति को सोच कर लगता है की हमारी भगवान भोलेनाथ से जल्दी ही भेंट हो जाएगी। लेकिन सबसे बड़ा प्रश्न यह है की हमारे बाद हमारी बिटिया का क्या होगा? इसलिए मेरे मन में एक बात है.. अगर तुमको कोई आपत्ति न हो तो…”

“नहीं नहीं ठाकुर, कैसी बातें कर रहे हो? तुम तो अपने हो! तुम्हारी बात पर भला मुझे कैसे आपत्ति हो सकती है?”

“अगर ऐसी बात है ठाकुर तो सुनो.. मैं गौरी का हाथ अपने आदर्श के लिए मांगना चाहता हूँ!”

“क्या कह रहे हो ठाकुर?” घनश्याम को यकीन ही नहीं हुआ की उन्होंने ठीक ठीक सुना है।

भूपेन्द्र ने बस सर हिला कर अपनी कही हुई बात की पुष्टि करी।

“लेकिन.. लेकिन.. वो तो उम्र में काफी छोटा है गौरी से…”

“ठाकुर..” भूपेन्द्र ने जैसे फैसला सुनाते हुए कहा, “हमारे परिवार एक हैं! इस तथ्य को स्वयं भोलेनाथ भी नहीं झुठला सकते! मुझे तो लगता है कि प्रभु ने मुझे दूसरा लड़का इसीलिए दिया कि हम अपनी प्रतिज्ञा पूरी कर सकें, और अपनी दोस्ती को एक मिसाल बना सकें! अपने मन में झाँक कर देखो - क्या तुमको नहीं लगता की यह सब भोलेनाथ की माया है? क्या तुम्हे नहीं लगता की वो स्वयं चाहते हैं कि हमारे परिवार एक हो सकें?”

घनश्याम को तो जैसे मन मांगी मुराद मिल गई। और बस यूँ ही, अनायास ही, गौरी का भाग्य फिर से निर्धारित हो गया। अब वो आदित्य के छोटे भाई आदर्श की होने वाली पत्नी बन गई थी।

आदर्श, आदित्य का छोटा भाई, जो गौरी से आठ साल छोटा था!

उस समय उन दोनों की शादी नहीं हो सकी - आदर्श उस समय तक परिपक्व नहीं हुआ था। इसलिए हो ही नहीं सकती थी। इसलिए शादी तब तक के लिए टाल दी गई, जब तक आदर्श बड़ा न हो जाय! या गौरी के लिए राहत की बात थी। लेकिन सबसे अधिक जिस बात ने गौरी के दिल को कचोटा, वह यह थी कि किसी ने भी उसकी राय, उसकी मंशा जानने की कोशिश तक नहीं करी। न तो बाबू जी ने, वो उसको अपनी खुद की बेटी से भी बढ़ कर मानते थे, न ही माँ ने, और न ही आदर्श ने!

वो कल का छोकरा कैसे भूल सकता है कि वो गौरी को भाभी भाभी कह कर बुलाता रहता था, कभी नंगा, तो कभी कच्छे में उसके आगे पीछे होता रहता था, और आज वो उसी से शादी करना चाहता है! पिताजी को तो बस एक ही बात का भूत सवार था, और वो यह की गौरी आदर्श से शादी करने के लिए हाँ कर दे… इसके लिए उन्होंने गौरी से वायदा ले लिया कि वो आदर्श से ही शादी करे। उनकी हालत देख कर गौरी ‘न’ नहीं कह सकी। जब तक शादी की बात नहीं हो रही थी, तब तक तो सब ठीक था, लेकिन जैसे जैसे शादी का दिन करीब आता गया, वैसे वैसे ही गौरी भावनात्मक समुद्र के और गहरे में डूबती चली गई।

आखिरकार वो इतनी बेचैन कैसे न हो!
बहुत ही शानदार अपडेट है
 
  • Like
Reactions: avsji

Sanju@

Well-Known Member
4,708
18,911
158
सारे अपडेट बहुत ही शानदार और लाज़वाब है कहानी बहुत ही शानदार है
 
  • Like
Reactions: avsji
Status
Not open for further replies.
Top