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Incest घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ]

पायल किस से अपनी सील तुड़वाये ?

  • पापा

    Votes: 196 70.0%
  • सोनू

    Votes: 80 28.6%
  • शादी के बाद अपने पति से

    Votes: 4 1.4%

  • Total voters
    280
  • Poll closed .

Sis lover

Member
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अपडेट २३:

"अरे भाई जल्दी करो...जा कर फिर लौटना भी है" - हाथों में ५ किलो मोतीचूर के लड्डू की टोकरी लिए रमेश ने आवाज़ दी. शाम के ६ बज रहे थे और रमेश उर्मिला और पायल का दरवाज़े पर इंतज़ार कर रहा था. उमा और सोनू दिन में मंदिर गए थे पर लड्डू ना चढ़ा पाए थे. हलवाई की बीवी को आज बच्चा हुआ था और उसे जल्दबाजी में अस्पताल जाना पड़ा. उमा और सोनू मंदिर से लौटते हुए लड्डू घर ले कर आ गए थे. मंदिर में चढ़ावा चढ़ाना जरुरी था इसलिए ये तय किया गया की शाम में रमेश के साथ उर्मिला और पायल मंदिर में जा कर लड्डू का चढ़ावा चढ़ा देंगे.

उमा सोफे पर बैठी थी और सामने सोनू भी सोफे पर लेटे हुए अपने फ़ोन में लगा हुआ था. उर्मिला और पायल तैयार हो कर वहां आते है. उर्मिला ने नीले रंग की एक बहुत ही सुन्दर साड़ी पहन रखी है और वो बहुत ही खूबसूरत लग रही है. गोर बदन पर नीला रंग उभर के दिख रहा है. पायल ने लाल रंग की एक छोटे बाहं की टॉप और निचे काले रंग की घुटनों तक लम्बी स्कर्ट पहन रखी है. खुले हुए काले और लंबे बाल उसके गोरे और सुन्दर चेहरे पर चार चाँद लगा रहे थे. दोनों को देखते ही उमा कहती है.

उमा : बाबूजी कब से तुम दोनों की राह देख रहे हैं बेटा. चलो जल्दी करो. और हाँ..!! संभाल के जाना. बहु...दोनों का ख्याल रखना बेटी...

उर्मिला : जी मम्मी जी...

उमा : और जी आप....!! गाड़ी जरा देख कर चलाइएगा. शनिवार को काफी भीड़ होती है मंदिर वाले रास्ते में.

रमेश : हाँ बाबा ठीक है, समझ गया. और तुम दोनों फिर खड़ी हो गई? चलो भाई, बैठो गाड़ी में...

पायल झट से सामने वाली सीट पर बैठ जाती है. रमेश पीछे वाली सीट पर टोकरी रख देते है और टोकरी के साथ उर्मिला भी पीछे बैठ जाती है. रमेश अपनी सीट पर बैठ कर गाड़ी शुरू करते है और गाड़ी धीरे-धीरे गेट से बाहर जाने लगती है. गाड़ी जब पक्की सड़क पर जाते ही दायें लेती है, उमा भी गेट बंद कर घर में आ जाती है. सोफे पर पेट के बल लेटे सोनू के सर पर हाथ फेरते हुए उमा कहती है.

उमा : अच्छा लल्ला. मैं अब नहाने जा रही हूँ. तुझे चाय बिस्कुट खाना हो तो रसोई से ले लेना.

सोनू : हाँ मम्मी...!

उमा अपने कमरे में जाती है और साड़ी उतार के ब्लाउज और पेटीकोट में, कंधे पर टॉवेल लिए बाहर आती है. सोफे पर लेटा सोनू , अपने फ़ोन पर गेम खेलते हुए नज़रे उठाकर उमा को देखता है. ४८ साल की होने पर भी उमा के बदन में कसावट थी. उसकी चूचियां भले ही थोड़ी लटकी हुई थी लेकिन गोल और सक्त थी. पेट हल्का सा बाहर निकला हुआ और चुतड फैली हुई. उमा झुक कर सामने रखी बाल्टी उठाने लगती है. पीछे सोफे पर लेटे हुए सोनू उमा की चूतड़ों को घुर रहा है. उमा की बड़ी-बड़ी चूतड़ों के बीच पेटीकोट सिमट कर घुस गयी है जिससे चूतड़ों का आकर खुल के दिख रहा है. सोनू उन चूतड़ों के बीच की फाक में घुसी हुए पेटीकोट को बड़े गौर से देख रहा है. पेटीकोट कितनी अन्दर घुसी है ये देख कर सोनू उमा की चूतड़ों के बीच की गहराई नाप रहा था. गहराई को समझते ही सोनू अपनी कमर को निचे करते हुए लंड को शॉर्ट्स के अन्दर से ही सोफे पर दबा देता है. उमा बाल्टी उठा कर बाथरूम की ओर जाने लगती है. चलते वक़्त उमा की थिरकती हुई बड़ी-बड़ी चूतड़ों को देखते हुए सोनू लंड को सोफे पर दबा रहा है. उमा की चुतड जब बाएं को होती तो सोनू अपना लंड सोफे पर जोर से दबा देता, जब दायें होती तो कमर पटक कर लंड की ठाप सोफे पर मार देता. उमा बाथरूम में घुस जाती है और दरवाज़ा बंद कर लेती है. कुछ देर सोनू वैसे ही सोफे पर लेटे हुए बाथरूम के दरवाज़े को देखता रहता है. जैसे ही उसे बाथरूम से बाल्टी में पानी गिरने की आवाज़ आती है, वो झट से सोफे से कूद जाता है और धीमे क़दमों से बाथरूम के दरवाज़े के पास पहुँच जाता है. झुक कर वो दरवाज़े पर अपनी आँख लगता है.

ये खेल सोनू के लिए नया नहीं था. ये खेल वो काफी समय से खेलता आ रहा था. हालाँकि बाथरूम के दरवाज़े पर छेद उसे अपनी दीदी पायल को दखने के लिए बनाया था लेकिन कभी देख नहीं पाया. पायल के मामले में उसकी किस्मत फूटी थी. जब भी पायल नहाने जाती, घर में कोई ना कोई होता था और डर के मारे सोनू दरवाज़े के पास तक जाने की हिम्मत नहीं जूटा पाता था. एक दिन उमा नहाने गई और घर में किसी को ना पाकर सोनू ने जब उस छेद से अन्दर झाँका, तो अन्दर का नज़ारा देख सोनू के लंड ने दरवाज़े को सफ़ेद रंग से भिगो दिया था. उमा को उस छेद से देख कर सोनू का लंड बाथरूम के दरवाज़े के साथ न जाने कितनी बार होली खेल चूका था. और आज फिर एक बार सोनू का लंड दरवाज़े के साथ होली खेलने के लिए तैयार था.

झुक कर सोनू उस छेद से अन्दर देखता है तो उमा ब्लाउज उतार चुकी थी. अपने दोनों हाथो को पीछे कर वो जैसे ही ब्रा के हुक खोलती है, दोनों बड़ी-बड़ी चूचियां उच्चल के बाहर आती है और झूलने लगती है. उमा के दोनों उठे हुए निप्प्लेस को देख कर सोनू अपनी जीभ बाहर निकाल के घुमाने लगता है जैसे उमा के निप्प्लेस पर घुमा रहा हो. उमा अपने ब्लाउज और ब्रा को निचे डाल देती है तो सोनू भी इत्मीनान से खड़ा होता है और अपना शॉर्ट्स निकाल के पास रखी कुर्सी पर डाल देता है. अपने लंड को हाथ में पकडे सोनू अराम से टाँगे खोले निचे बैठ जाता है और फिर से होल से अन्दर देखने लगता है. उमा की पीठ सोनू की तरफ है और वो अपने पेटीकोट का नाडा खोल रही है. नाडा खुलते ही पेटीकोट उमा की कमर से फिसलते हुए निचे गिर जाती है. अपने पैरों को ज़मीन पर पड़े पेटीकोट से निकाल कर उमा जैसे ही पेटीकोट उठाने झुकती है, सोनू की आखों के सामने उमा की नंगी चुतड और निचे बालो से भरी उसकी बूर आ जाती है. अपनी नज़रे चुतड और बालोवाली बुर पर गड़ाए सोनू लंड को पकडे हुए कमर को २ बार झटके देता है. निचे गिरी ब्लाउज, ब्रा और पेटीकोट पर उमा मग से पानी डालती है और पास के रैक से साबुन उठाने लगती है. साबुन उमा के हाथ से फिसल कर निचे रखे प्लास्टिक के छोटे से ड्रम के निचे घुस जाता है. उमा धीरे से निचे बैठती है और घोड़ी बन के ड्रम के निचे हाथ डाले साबुन खोजने लगती है. पीछे बैठा सोनू उमा की खुली हुई चूतड़ों का मजा ले रहा है. उमा की खुली हुई चूतड़ों के बीच बड़ी सी गुदा (गांड का छेद) और उसके आसपास की काली चमड़ी रमेश द्वारा कई सालों तक की गई दुर्गति की कहानी बता रहे थे. साबुन हाथ लगते ही उमा पास पड़े लकड़ी के छोटे से स्टूल को बीच में रख देती है और दरवाज़े की तरफ मुहँ कर के उस पर बैठ जाती है. स्टूल पर बैठते ही उमा अपनी टाँगे खोले कपड़ों पर साबुन रगड़ने लगती है. ऊपर उमा की बड़ी बड़ी चूचियां हिल रही है और निचे उसकी बालोवाली बूर अपने ओठों को खोले सोनू को पूरा नज़ारा दिखा रहीं है. उमा के बूर के ओंठ पूरे फैले हुए है और चमड़ी काली पड़ चुकी है. रमेश के मोटे लंड ने न जाने कितनी ही बार उमा की बूर की दुर्गति की होगी इस बात का अंदाज़ा उसकी बूर देख कर ही पता चल रहा था.

अपनी मम्मी की फैली हुई बूर देख कर सोनू जीभ निकाल कर घुमाने लगता है. फिर अपने दोनों हाथों को एक साथ मिला कर वो उँगलियों से गोल आकर बनता है और मम्मी की बूर को देखते हुए अपना लंड उसमे घुसा देता है. अन्दर कपडे धोते हुए उमा की बूर कमर के साथ हिल रही है और बाहर सोनू का लंड दोनों हाथों की उँगलियों से बने छल्लों के बीच अन्दर-बाहर हो रहा है. बीच-बीच में सोनू उमा की बूर को घूरते हुए अपनी कमर पूरी आगे कर देता जिस से उसका लंड उँगलियों के छल्लों से होता हुआ दूसरी तरफ निकल जाता और लंड का टोपा खुल के बाहर आ जाता. लंड के टोपे से २-३ बूँद टपका के सोनू फिर से अपनी कमर हिलाते हुए उँगलियों के छल्लों में लंड को अन्दर-बाहर करने लगता. अपनी मम्मी के नंगे बदन के हर एक अंग को घूरते हुए सोनू कभी जीभ निकाल के घुमा देता तो कभी कमर हिला कर लंड को झटका दे देता. २०-३० झटके लगाते ही सोनू का बदन अकड़ जाता है और अपने लंड को पकडे वो दरवाज़े पर सफ़ेद गाढ़े पानी की पिचकारियाँ छोड़ने लगता है. अपने लंड का सारा पानी दरवाज़े पर फेंक कर सोनू धीरे से खड़ा होता है और अपना शॉर्ट्स पहन कर चुप-चाप अपने कमरे में चला जाता है.


इधर सोनू ने उमा के नंगे बदन को देखते हुए अपने लंड की शांति कर ली थी और उधर रमेश, उर्मिला और पायल गाड़ी में बैठे शहर से बाहर निकल चुके थे. पायल, जो रमेश के साथ वाली सीट पर बैठी थी न जाने क्या सोच कर बार बार मुस्कुरा रही थी. पीछे बैठी उर्मिला बड़ी देर से पायल को गौर से देख रही थी. गाड़ी शहर से बाहर निकल चुकी थी और सड़क पर भीड़ भी काफी कम हो गई थी. उर्मिला मौका देख कर पायल के कंधे पर एक चपत लगते हुए कहती है.

उर्मिला : ये क्या बात हुई पायल? दिन में तो टाँगे खोल कर बाबूजी से अपनी बूर चुसवा रही थी और अब अपनी जांघ पर जांघ चढ़ाये बैठी है.

रमेश : हाँ पायल...!! अपने पापा के सामने कोई ऐसे बैठता है क्या? अराम से बैठो...

पायल उर्मिला और रमेश की बात सुन कर मुस्कुराते हुए अपनी स्कर्ट को घुटनों पर से उठा कर कमर के ऊपर कर लेती है और टाँगे सीट पर रख कर खोल देती है. बूर पर कसी हुई गुलाबी पैन्टी दिखने लगती है. रमेश बूर पर कसी गुलाबी पैन्टी को घुर कर देखते है फिर धीरे से हाथ बढ़ा कर पैन्टी को एक तरफ कर देते है. पैन्टी के एक तरफ होते ही पायल की बालोवाली बूर खुल के दिखने लगती है. बूर के ओंठ आपस में चिपके हुए है. रमेश एक बार सामने सड़क को देखते है और फिर पायल की बूर को देखते हुए अपनी मोटी जीभ निकाल कर निचे से ऊपर हवा में घुमा देते है. उर्मिला पायल की चुतड पर चुंटी काट कर आँखों से पैन्टी को उतार देने का इशारा करती है तो पायल धीरे-धीरे अपनी पैन्टी को टांगो से खीच कर निकाल देती है. पैन्टी के निकलते ही पायल फिर से अपनी टाँगे सीट पर रख कर खोल देती है तो उसकी बूर पूरी फ़ैल जाती है. बूर के ओंठ खुल जाते है और बाबूजी के सामने पायल की बूर का लाल छेद दिखने लगता है. रमेश अपना हाथ बढ़ा के दो उँगलियों से बूर के ओंठों को फैला देते है और अन्दर के लाल छेद को गौर से देखने लगते है. अपनी बेटी की बूर का अच्छे से निरक्षण करते हुए रमेश अंगूठे से बूर के दाने को धीरे से रगड़ देते है तो पायल की बूर काँप जाती है. रमेश बूर से हाथ हटा कर अंगूठे को मुहँ में दाल कर चूस लेते है. पायल की बूर का स्वाद लेते ही रमेश का लंड धोती में खड़ा हो जाता है. उर्मिला जब ये देखती है तो वो कहती है.

उर्मिला : देख पायल...!! गाड़ी का गियर तो बाबूजी बदल रहे है. पर बाबूजी के धोती में जो गियर है वो कौन बदलेगा?

उर्मिला की बात सुन कर पायल मुस्कुराते हुए धीरे से अपनी सीट से उतर कर निचे बैठ जाती है और किसी शेरनी की तरह चलती हुई रमेश की जांघो के पास पहुँच जाती है. धोती को हटाकर पायल रमेश के मोटे लंड को बाहर निकाल लेती है. एक हाथ से लंड की चमड़ी को खींच कर निचे करती है और गौर से मोटे टोपे को देखने लगती है. कुछ क्षण वैसे ही टोपे को देखने के बाद पायल अपना सर लंड पर झुका देती है और टोपे को मुहँ में भर लेती है. पायल की इस हरकत से रमेश किसी तरह अपने आप को संभालता है और गाड़ी की स्टीयरिंग को पकडे सही दिशा देता है. पायल अपना सर निचे कर लंड के टोपे को निगलने लगती है. अपने ओठों को खोलते और सर को लंड पर दबाते हुए पायल आधा लंड मुहँ में भर लेती है. धीरे-धीरे लंड को चूसते हुए वो ऊपर जाने लगती है. लंड के मुहँ से निकलते ही पायल अपनी जीभ से २-३ बार टोपे को चाट लेती है और फिर से लंड पर ओठों को फैलाए अन्दर भरने लगती है. रमेश भी पूरी मस्ती में अपना एक हाथ पायल की गोरी-गोरी चूतड़ों पर ले जाता है और घुमाने लगता है. बारी-बारी वो पायल की दोनों चूतड़ों को अपने पंजों में भर कर दबोच लेता है. अपने हाथों को पायल की नंगी चूतड़ों पर घुमाते हुए रमेश एक चपत चुतड पर जड़ देता है, "चट्ट". फिर हाथ घुमाते हुए दुसरे चुतड पर चपत जड़ देता है, "चट्ट". पापा के हाथो से अपनी चूतड़ों पर चपत खा कर पायल और भी ज्यादा मस्ती में आ जाती है. वो रमेश के लंड को और ज्यादा जोश में चूसने लगती है. अब रमेश पायल की चूतड़ों के बीच अपना हाथ फेरने लगता है. पायल की गांड के छेद पर हाथ जाते ही रमेश अपनी एक ऊँगली उस पर रगड़ने लगते है. रमेश की ऊँगली जब भी पायल की गांड के छेद पर रगड़ खा जाती, उसकी चुतड उच्छल सी जाती. ऊँगली रगडते हुए रमेश बीच-बीच में उसे छेद में घुसाने की कोशिश करता. ऊँगली के ऊपर का हिस्सा थोडा अन्दर जाता और रुक जाता तो रमेश उसे बाहर निकाल कर फिर से छेद पर रगड़ने लगता. कुछ देर ऐसे ही पायल की गांड के छेद पर रगड़ने के बाद रमेश ऊँगली अपने नाक के पास लाता है और सांस अन्दर खीचता हुआ सूंघ लेता है. ऊँगली से आती पायल की गांड की वो खुशबू रमेश को मदहोश कर देती है. रमेश अपनी कमर उठा कर पायल के मुहँ में लंड का एक झटका देता है. ये रमेश का अपना तरीका था पायल को बतलाने का की उसकी गांड के महक कितनी लाजवाब है. तभी रमेश को सड़क पर भीड़ बढती हुई दिखाई देती है. वो सामने देखता है तो कुछ दूर पर मंदिर दिखाई देता है. पायल के सर पर हाथ फेरते हुए रमेश उसे अपनी सीट पर बैठने का इशारा करता है. पायल सर उठा के देखती है तो समझ जाती है. अपनी सीट पर बैठ कर पायल पैन्टी पहन लेती है. कुछ क्षण की ख़ामोशी के बाद रमेश, उर्मिला और पायल एक दुसरे को देखते है और जोरो से हँस देते है.

गाड़ी में हंसी की फुहार सी छुट पड़ती है और तीनो सामने अपनी मंजिल की ओर देखते हुए आगे बढ़ने लगते है.

उधर सोनू अपने बिस्तर पर लेटा अराम कर रहा है. कुछ देर पहले ही वो अपनी मम्मी को नंगा देख कर लंड हल्का कर आया था. बदन की थकावट को दूर करने के लिए वो बिस्तर पर चारों खाने चीत हो कर पड़ा था. एक झपकी लेने के लये जैसे ही वो आँखे बंद करता है, उसे मम्मी की चीख सुनाई देती है.

उमा : हाय राम...!! मर गई रे.....!!!

सोनू झट से बिस्तर से कूदता है और दौड़ता हुआ ड्राइंग रूम में जाता है. सामने बाथरूम के दरवाज़े पर उमा दोनों टाँगे उठाये ज़मीन पर पड़ी है. उसका पेटीकोट जाँघों तक उठा हुआ है और टांगो के बीच उसकी बालोवाली बूर की झलक साफ़ दिख रही है. अपनी माँ की बूर की झलक पाते ही सोनू का लंड फिर से हरकत में आने लगता है. सोनू आँखे फाड़े हुए उमा की टांगो के बीच देखे जा रहा था.

उमा : अरे लल्ला...!! कहाँ ध्यान है रे तेरा? अब मुझे उठाएगा भी की नहीं?

उमा की बात सुन कर सोनू होश में आता है. झट से उमा के पास पहुँच कर वो एक हाथ से कंधे पर सहारा देता है और दूसरा हाथ उमा की बगल में डाले उठाने लगता है.

सोनू : पर मम्मी आप गिरी कैसे?

उमा : पता नहीं किसने दरवाज़े पर पानी गिरा दिया था. मैं जसी ही बाहर निकली, पैर फिसल गया.

सोनू सर घुमा कर दरवाज़े के निचे देखता है कुछ सफ़ेद-सफ़ेद सा दिखाई पड़ता है. उसे समझने में देर नहीं लगती की ये उसके ही लंड के पानी की करामात है. वो झेंप जाता है और उमा को सहारा देते हुए उसके कमरे की और ले जाने लगता है.

सोनू : जयादा चोट तो नहीं लगी मम्मी?

उमा : नहीं रे...!! ज्यादा चोट नहीं लगी...बस कमर में हल्का सा दर्द हो रहा है.

सोनू उमा को कमरे में ले जाता है और बिस्तर पर लेटा देता है. उमा बिस्तर पर लेट जाती है. उसके भीगे ब्लाउज में बड़े-बड़े भारी दूध उठ के दिखने लगते है. सोनू वैसे ही खड़े उमा के दूधों को देखने लगता है. उसके शॉर्ट्स में फिर से हलचल होने लगती है. अपने विचारों में सोनू उमा के बड़े-बड़े दूधों को दोनों हाथों से पकडे दबा रहा था की अचानक उसके कानो में उमा की आवाज़ आती है.

उमा : हाय राम...!! उफ़...!!

सोनू होश में आ कर उमा को देखता है तो वो एक तरफ पलते हुए अपनी कमर को हाथ से दबा रही है. सोनू की नज़र उमा की चूतड़ों से चिपकी पेटीकोट पर जाती है तो उसकी हवा खराब हो जाती है. पीछे पेटीकोट पर सोने के लंड का चिप-चिपा पानी लगा हुआ था. सोनू के लंड के पानी से फिसल कर उमा उस पर ही गिर पड़ी थी. सोनू को डर था की कहीं उमा ने थोडा सा भी हाथ पीछे किया तो उसके हाथ में वो चिप-चिपा पानी लग जायेगा और जब वो देखेगी तो समझ जाएगी की ये सब क्या माज़रा है. सोनू झट से उमा का हाथ पकड़ लेता है.

सोनू : रुक जाओ मम्मी....!!!!!!

उमा : (आश्चर्य हो कर) क्या हुआ लल्ला? ऐसे क्यूँ बोल रहा है?

सोनू : (हडबडाता हुआ) वो...वो...मम्मी...वो..आप क्यूँ तकलीफ करती है? मैं आपकी कमर दबा देता हूँ...

सोनू की इस बात पर उमा बहुत खुश होती है. सोनू का हाथ पकडे हुए वो कहती है.

उमा : अरे मेरा लल्ला...!! इतना बड़ा हो गया है की अब अपनी मम्मी की सेवा करेगा? आजा...दबा दे मेरी कमर...

सोनू उमा के पास जाता है और उसकी कमर पर हाथ रखने लगता है. तभी उमा बोल पड़ती है.

उमा : खड़े-खड़े दबाएगा क्या? बिस्तर पर आजा और मेरे पीछे अराम से बैठ कर दबा.

सोनू बिस्तर पर चढ़ जाता है और उमा की चुतड के ठीक पीछे बैठ जाता है. अपने दोनों हाथों को वो उमा की कमर पर रख देता है. सोनू जैसे ही कमर दबाना शुरू करता है उसे पटल चलता है की उमा की कमर कितनी भरी हुई है. भरी हुई कमर को वो धीरे-धीरे दबा रहा है और दबाते हुए सोनू हलके से उमा की करा को पंजों में दबोच सा लेता. सोनू के इस तरह से कमर दबाने पर उमा को बड़ी रहात मिल रही है. कमरे में हलकी-हलकी हवा चल रही है और उमा के कपडे थोड़े भीगे भी है. सारे बदन में ठंडक का अहसास होते ही उमा की आँखे बंद हो जाती है और नींद हावी होने लगती है. सोनू मम्मी की कमर और चूतड़ों को घूरते हुए धीरे-धीरे नंगी कमर का मजा लेते हुए दबाये जा रहा था. कुछ देर दबाने के बाद वो उमा से पूछता है.

सोनू : अब कैसा लग रहा है मम्मी?

उमा के तरफ से कोई जवाब ना पाकर वो फिर से पूछता है.

सोनू : मम्मी....अब ठीक लगा रहा है तो मैं जाऊ अपने कमरे में?

उमा नींद के आगोश में जा चुकी थी. सोनू क्या अब तो उसे दुनिया की भी कोई खबर न थी. सोनू इस बार उमा की कमर को हिलाते हुए पूछता है.

सोनू : (कमर हिलाते हुए) मम्मी...!! मम्मी...!! सो गई क्या?

इस बार भी उमा की तरफ से कोई प्रतिक्रिया न पाकर सोनू थोडा आगे झुक कर उमा के चेहरे को देखता है. उमा की आँखे बंद है, धीरे-धीरे उसका उठा हुआ सीना ऊपर-निचे हो रहा है. सोनू को समझते देर नही लगती की उमा गहरी नींद में सो चुकी है. उमा के नींद में होने का फायेदा उठा कर सोनू अपनी माँ के बदन को बड़े गौर से देखता है. अपनी माँ के बदन को इस तरह से अपने इतने करीब देख कर सोनू का लंड फिर से शॉर्ट्स में खड़ा हो जाता है. अपने लंड को धीरे से शॉर्ट्स से बाहर निकाल कर वो ४-५ बार धीरे से हिला देता है फिर दोनों हाथों को उमा की कमर पर रख कर धीरे-धीरे दबाने लगता है. कमर दबाते हुए उसके हाथ धीरे-धीरे उमा की पेटीकोट की तरफ बढ़ने लगते है. पेटीकोट कमर पर ढीली बंधी हुई है. उमा के गिरने से पेटीकोट का नाडा पहले ही ढीला हो चूका था और उमा के बिस्तर पर इधर-उधर घुमने से पेटीकोट और भी ढीली हो गई थी. सोनू अपने एक हाथ को धीरे से उमा की कमर पर चिपके पेटीकोट के अन्दर घुसाने लगता है. सोनू का दूसरा हाथ अब भी उमा की कमर को धीरे-धीरे दबा रहा था. पेटीकोट के अन्दर हाथ डाल कर सोनू बड़ी ही सावधानी के साथ अपने हाथ को धीरे-धीरे उमा के पेट के निचले हिस्से पर ले जाने लगता है. फिर वो अपने हाथ को नाभि के सीध में, उमा की जांघो के बीच बढ़ाने लगता है. हाथ के बस थोडा निचे जाते ही उमा का पेट एक हल्का सा झटका खाता है और फिर स्थीर हो जाता है. सोनू की तो मानो दिल की धड़कन ही रुक जाती है. कुछ क्षण वैसे ही रुके हुए सोनू उमा को देखता है तो वो अब भी गहरी नींद में सो रही है. फिर से हिम्मत जूता कर सोनू अपना हाथ और निचे ले जाता है. तभी उसके हाथ में कुछ बालों को छु जाते है. सोनू समझ जाता है की उसका हाथ अब मम्मी की बालोंवाली बूर तक पहुँच गया है. बालो पर से अपने हाथ को धीरे-धीरे निचे ले जाते हुए सोनू उमा की बूर तक पहुँच जाता है. अपनी एक ऊँगली जैसे ही वो बूर के खुले हुए ओंठों पर रखता है तो उमा फिर से चुहंक जाती है. सोनू की साँसे थम सी जाती है. धीरे से नींद में कसमसाते हुए अपने एक उठा के टांग मोड़ देती है तो पेटीकोट टांगो से फिसलते हुए उसकी कमर पर आ कर सिमट जाती है. उमा की टांगो के बीच से सोनू का हाथ दिखने लगता है. अब सोनू धीरे से अपना हाथ पेटीकोट के अन्दर से बाहर निकाल लेता है और फिर बैठे हुए ऊपर से हाथ ले जा कर उमा की बूर पर रख देता है. पहले से ही खुली हुई बूर में सोनू की ऊँगली बड़े अराम से फिसलने लगती है. बूर में ऊँगली डाले सोनू अपनी माँ का छेद ढूँढने लगता है. छेद के मिलते ही धीरे-धीरे अपनी ऊँगली अन्दर घुसाने लागता है. सोनू की ऊँगली उमा की बूर में धीरे-धीरे पूरी समां जाती है. सोनू अपनी ऊँगली को निकालता है और नाक के पास ले जा कर सूंघ लेता है. अपनी माँ की बूर की खुशबू पाते ही उसका लंड खड़ा हो कर हिचकोले खाने लगता है. सोनू अब अपने होश खो बैठा था. उसका जोश अपनी चरम सीमा पर पहुँच चूका था. अब उसे इस बात का भी डर नहीं था की अगर उमा की नींद खुल गई तो क्या होगा?.

सोनू धीरे से पीछे बिस्तर पर लेट जाता है और उमा की तरफ घूम जाता है. उसकी आँखों के सामने उमा की आधी नंगी पीठ है जो ब्लाउज से दिख रही है. अपना सर आगे बढ़ा कर सोनू उमा की नंगी पीठ की एक चुम्मी ले लेता है. फिर धीरे से अपने लंड को पेटीकोट के ऊपर से उमा की चूतड़ों के बीच रख कर दबा डेट है. उसका लंड पेटीकोट के साथ चूतड़ों के बीच घुस जाता है. लगभग आधा लंड घुसाने के बाद सोनू अपना लंड बाहर खींच लेता है. पेटीकोट उमा की चूतड़ों के बीच ही फासी रह जाती है. इस नज़रे को सोनू बड़े ही ध्यान से देखता है. सोनू चूतड़ों में फसी पेटीकोट को धीरे से निकाल देता है. फिर पेटीकोट को उमा की कमर तक ऊपर कर वो उसकी चूतड़ों को नंगा कर देता है. उमा की चूतड़ों के पट आपस में चिपके हुए है. बीच की दरार इतनी बड़ी है की उसमें सोनू जैसे ३-४ लंड अराम से समां जाएँ. अपने लंड को पटों के बीच रख कर सोनू हल्का सा दबाव लगता है. उसका लंड धीरे-धीरे उमा की चूतड़ों के बीच घुसता चला जाता है. एक जगह जा कर लंड थम सा जाता है. सोनू समझ जाता है की ये उसकी मम्मी के गांड का छेद है. सोनू के लंड का टोपा किसी कटोरे जैसे गड्ढे में जा फसा था. सोनू थोडा और जोर लगता है तो लंड का टोपा उस गड्ढे में पूरा घुस जाता है. उमा की कमर में एक हक्ली सी हरकत होती है और फिर वो शांत हो जाती है. सोनू अपने जोश में उस हारकर पर ध्यान तक नहीं देता है. थोडा और जोर लगाने पर सोनू का लंड उस गड्ढे में एक चौथाई घुस जाता है. एक बार सोनू का दिल करता है की झटका दे कर अपना पूरा लंड मम्मी की गांड के छेद में घुसा दे लेकिन उसे इस बात का डर भी है की मम्मी उठा ना जाए. वो अपने लंड को धीरे से बाहर निकालता है और धीरे से फिर अन्दर घुसा देता है. अपनी मम्मी की गांड में लंड जाता देख सोनू के बदन में गर्मी आ जाती है. अपनी कमर को धीरे-धीरे हिलाते हुए सोनू उमा की चूतड़ों के बीच लंड अन्दर-बाहर करने लगता है. हालांकि उसका लंड अब भी उमा की गांड में पूरी तरह से नहीं गया था लेकिन उमा की बड़ी और भारी चुतड उसके लंड को पूरा मजा दे रही थी.अपनी ही मस्ती में खोया हुआ सोनू मन में सोचता है, "हाय मम्मी...!! क्या चुतड है आपकी...!! अपनी गांड में पूरा ले लो ना मम्मी...!! एक बार अपनी बूर दे दो ना मम्मी..!!". अपनी ही सोची गई इस बेहद गन्दी बात पर सोनू का लंड झटके लेने लगता है. अपने लंड को झट से उमा की चूतड़ों के बीच से निकाल सोनू बिस्तर पर खड़ा हो जाता है. एक हाथ से लंड को हिलाते हुए दुसरे हाथ की हथेली की अंजुली बना कर वो लंड के टोपे के ठीक निचे कर देता है. कुछ ही क्षण में सोनू के लंड से सफ़ेद गाढ़े पानी की बौछार निकल कर निचे उसकी हाथों की अंजुली में गिरने लगती है. लंड को दबा दबा कर सोनू सारा पानी अंजुली में गिरा देता है. दुसरे हाथ की अंजुली पूरी तरह से सोनू के लंड के पानी से भर जाती है. कुछ क्षण सोनू वैसे ही खड़े अपनी सांसो पर काबू पाटा है और फिर धीरे से बिस्तर से निचे उतर कर बाथरूम की तरफ चल देता है.

बथ्र्रोम में अपने हाथों को साफ़ करते हुए अचानक सोनू के दिमाग में करंट सा लगता है. उसे याद आता है की मम्मी का पेटीकोट तो अब भी उसकी कमर के ऊपर ही है. अपने तेज़ी से धडकते दिल को लिए सोनू दौड़ता हुआ मम्मी के कमरे के दरवाज़े पर पहुँचता है. सामने उमा सो रही है और उसका पेटीकोट अब कमर के ऊपर नहीं बल्कि घुटनों के निचे था. सोनू वैसे ही खड़ा बात को समझने की कोशिश करता है. "ये पेटीकोट मैंने निचे किया था या मम्मी ने खुद कर लिया?". बात उसकी समझ में नहीं आ रही है. वो सोचते हुए घूमता है और धीरे-धीरे अपने कमरे की तरफ बढ़ने लगता है.

सोनू के जाते ही बिस्तर पर लेटी उमा करवट लेते हुए सीधी लेट जाती है. उसकी आँखे अब भी बंद है और चेहरे पर हलकी सी मुस्कान.

क्रमश:

(आगे का भाग थोड़ी देर बाद आएगा. ३ बजे तक)

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
ओह अब तो मम्मी भी तैय्यार है।
 

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अपडेट २४:

छेदी उर्मिला की कमर पकडे पीछे से धक्के पर धक्के लगाये जा रहा था. पास खड़ा तगड़ा आदमी अब ब्लाउज के ऊपर से उर्मिला के दूध दबाने शुरू कर दिए थे. दूसरा तगड़ा आदमी सामने से उर्मिला के बदन से चिपक चूका था. उर्मिला आँखे बंद किया मजे लिए जा रही थी. रमेश ये सब देख कर पूरे जोश में आ चूका था. उसने साथ बैठी पायल का हाथ पकड़ा और अपनी धोती में घुसा लिया. धोती में रमेश का लंड फुदक रहा था. पायल ने पापा के लंड को अपने हाथ में जकड लिया और चमड़ी ऊपर निचे करने लगी. रमेश उर्मिला को आँखे फाड़-फाड़ के देख रहा था. तभी छेदी ने पीछे से अपनी कमर उर्मिला की चुतड पर जोर से दे मारी और एक हाथ से उसका दूध भी दबा दिया. ये देख कर पायल के हाथ में रमेश का लंड उच्छल पड़ा. पायल तेज़ धडकनों के साथ पापा के लंड को किसी तरह से संभाल रही थी. वो अब समझ चुकी थी की पापा का लंड पूरी तरह से बेकाबू हो चूका है.

रमेश अब अपने आप को और नहीं रोक सकता था. वो एकदम से चिल्ला पड़ा. "बस रोको भाई....!!!". पायल पापा का मुहँ देखने लगी. बस अभी भी अगले स्टॉप से बहुत दूर थी और फिलहाल किसी घने जंगल से गुजर रही थी. रात के ९:१५ बज रहे थे और पापा का इस तरह से बस को रुकवाना उसके समझ से बाहर था. ड्राईवर रमेश की आवाज़ सुन कर बस रोक देता है. छेदी और दोनों तगड़े आदमी भी चुप-चाप खड़े हो जाते है. रमेश अपनी सीट से उठ कर बस के सामने वाले दरवाज़े की और धक्का-मुक्की करते हुए जाने लगता है. उसके पीछे पायल और उर्मिला भी चल पड़ते है. बस के दरवाज़े के पास पहुँचते ही ड्राईवर कहता है.

ड्राईवर : अरे बाउजी...यहाँ कहाँ उतरोगे? ये तो जंगल है. बस स्टॉप तो अभी ५ की.मी आगे है.

रमेश : अरे नहीं भाई. हमारी गाड़ी आ रही है. इसलिए यहाँ उतर रहे है.

रमेश, पायल और उर्मिला के साथ निचे उतर जाते है. बस भी उन्हें छोड़ कर धीरे-धीरे आगे निकल जाती है. वो तीनो सड़क के किनारे खड़े हो जाते है. सड़क के दोनों तरफ बड़े-बड़े पेड़ है और पीछे ऊँची-ऊँची झाड़ियाँ. उर्मिला और पायल थोड़ा डरते हुए आसपास देखते है. अँधेरा, सड़क पर एक भी बत्ती नहीं और एकदम सुनसान जगह. पायल पापा से धीरे से पूछती है.

पायल : पापा...हम यहाँ क्यूँ उतर गए?

उर्मिला : हाँ बाबूजी...यहाँ से हम आगे कैसे जायेंगे? हमारी गाड़ी तो अभी बनी भी नहीं होगी.

रमेश दोनों को घूर के देखते है. उनकी साँसे तेज़ है. वो पायल और उर्मिला से कहते हैं.

रमेश : जानता हूँ बेटा. यहाँ से हमे आगे जाने के लिए शायद ही कुछ मिले , लेकिन मैं भी क्या करता. बस में जो तुम लोगों के साथ हो रहा था वो मैं और नहीं देख सकता था.

उर्मिला : आपकी बात मैं समझती हूँ बाबूजी. और इसमें आपका कोई दोष नहीं है. आज मेरे और पायल के साथ जो कुछ भी हुआ वो तो उन बदमाशों की वजह से हुआ.

पायल : हाँ पापा...इसमें आपकी की कोई गलती नहीं है.

रमेश एक बार दोनों को बारी-बारी से ऊपर से निचे तक देखते है. फिर वो उर्मिला से पूछते है.

रमेश : बहु...सच-सच बताना...उन लोगों ने तुम्हारे साथ क्या क्या किया?

उर्मिला समझ जाती है की बाबूजी को ये सब सुनकर जोश आ जाता है. वो भी भोलेपन के साथ कहती है.

उर्मिला : बाबूजी...वो सब मेरे बदन के साथ खेल रहे थे...

रमेश : (उत्तेजित जोते हुए) कैसे खेल रहे थे बहु? जरा खुल के बताओ ना...

उर्मिला : बाबूजी...जो आदमी मेरे पीछे खड़ा था वो तो मेरे पिछवाड़े में अपना लंड घुसाने के चक्कर में था. वो तो अच्छा हुआ की मैंने साड़ी पहन रखी थी. सामने वाले दो आदमी मेरे दूध से खेल रहे थे.

रमेश : (तेज़ सांसों से) वो दोनों तुम्हारे दूध भी दबा रहे थे क्या बहु?

उर्मिला : हाँ बाबूजी...दोनों ने मिलकर मेरे दूध को खूब दबाया. एक आदमी तो पीछे से मेरी ब्रा के हुक तक खोलने की कोशिश कर रहा था....

रमेश : उफ़ बहु....कितनी कमीने थे वो तीनो....

फिर रमेश पायल की तरफ घूम जाते है और पूछते है.

रमेश : पायल बेटी. तुम्हारे साथ वो दो बदमाशो ने क्या किया?

पायल पापा को पहले ही मजा लेते देख चुकी थी. वो भी समझ जाती है की पापा जान बुझ कर उसके मुहँ से वो सब सुनकर अपना लंड खड़ा करना चाहते है. वो कहने लगती है.

पायल : बहुत बुरा किया पापा. पहले तो पीछे से स्कर्ट के ऊपर से मेरी चूतड़ों पर खूब लंड रगडा. फिर मेरी टॉप में हाथ दाल कर मेरे दूध दबाने लगा.

रमेश : उफ़ पायल बिटिया...!! बहुत जोरो से दबा रहा था क्या?

पायल : हाँ पापा...पूरा दबोच ले रहा था. और तो और वो मेरे निप्पल भी अपनी उँगलियों के बीच रख कर मसल रहा था.

इतना सुनते ही रमेश अपने होश खो बैठते है. वो पायल का कन्धा पकडे उसे दूसरी तरफ घुमा देते है और उसकी उभरी हुई चूतड़ों पर अपनी कमर पूरी पीछे ले जा कर जोरदार ४-५ ठाप मार देते है. हर एक ठाप इतनी जोरदार थी की पायल हर ठाप पर झटके खा कर पूरी हिल जा रही थी. अगर रमेश ने पायल के कन्धों को न पकड़ रखा होता तो पायल झटका खा कर दूर जा गिरती.

पायल : आह...आह..पापा...!!

ये देख कर उर्मिला भी डर जाती है. वो झट से यहाँ-वहाँ देखने लगती है. वो तीनो सड़क के किनारे खड़े है और उर्मिला को डर था की उस सुनसान जगह पर किसीने बाबूजी को पायल के साथ ऐसा करते देख लिया तो गड़बड़ हो जाएगी. वो बाबूजी से कहती है.

उर्मिला : बाबूजी...ऐसा मत करिए...कोई देख लेगा...

उर्मिला की बात सुनकर रमेश भी होश में आ जाते है. वो पायल के कंधे से अपने हाथ हटा लेते है. सर का पसीना पोचते हुए वो कहते है.

रमेश : मांफ करना बहु.....माफ़ करना पायल बेटी. मैं जोश में अपने होश खो बैठा था.

ये सुन कर पायल पापा के पास आती है.

पायल : हम दोनों आपकी हालत समझ सकते है पापा. हम दोनों की भी हालत आप ही की तरह है, लेकिन इस सड़क पर तो कुछ नहीं कर सकते है ना पापा...

पायल की बात सुनकर रमेश सड़क के निचे देखते है. बड़े-बड़े पेड़ों के पीछे घनी झाड़ियाँ है. वो कुछ क्षण के लिए कुछ सोचते है और फिर कहते है.

रमेश : जितना मैं जानता हूँ, इस जंगल में जानवर के नाम पर बस कुछ जंगली सूअर ही है. वो भी ज्यादातर खेतों के आसपास होते है. इन बड़े पेड़ों के पीछे घनी झाड़ियाँ ही है.

उर्मिला : (आँखे फाड़-फाड़ के) आप कहना क्या चाह रहे है बाबूजी?

रमेश : अब मुझसे नहीं रहा जा रहा है बहु...धोती में मेरे लंड ने परेशान कर रखा है. ये देखो...

रमेश अपनी धोती हटा के ११ इंच लम्बा और ३ इंच मोटा लंड दिखा देते है. उर्मिला और पायल भी लंड देख कर मस्त हो जाते है. रमेश अपनी धोती निचे कर आगे कहते है.

रमेश : एक बार चल के तो देखते है बहु की झाड़ियों के पीछे क्या है. हमारा काम बन भी सकता है या नहीं...

उस जंगल में कोई रुकना भी पसंद ना करें और ये तीनो अपनी-अपनी हवस के मारे वहां अपने ही जुगाड़ में लगे थे. उर्मिला और पायल एक दुसरे को देखते है और एक साथ बाबूजी से कहते है...

उर्मिला - ठीक है बाबूजी...

पायल : हाँ ठीक है पापा...

रमेश पायल का हाथ पकड़ लेते है और उर्मिला के साथ यहाँ-वहाँ देखते हुए धीरे-धीरे सड़क से उतरने लगते है. उर्मिला सड़क के दोनों ओर ध्यान रखे हुए है की कोई उन्हें देख तो नहीं रहा है. बाबूजी भी आसपास ध्यान से देख रहे है की कोई है तो नहीं. इसी तरह छुपते-छुपाते तीनो धीरे-धीरे पेड़ के पीछे की झाड़ियों के बीच से होते हुए दूसरी तरफ निकल जाते है. झाड़ियों के उस पार निकलते ही बड़े-बड़े पेड़ हैं जो आपस में कुछ दुरी पर लगे हुए है. पेड़ों से कुछ ही आगे एक बड़ा सा मैदान है जिसके आगे फिर से घना जंगल. रमेश मुड़ के सड़क को देखने की कोशिश करते है तो बीच में घनी झाड़ियाँ है और उसके आगे पेड़. सड़क दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रही है. सामने देखते है तो वो बड़ा सा मैदान और फिर जंगल. रमेश समझ जाते है की यहाँ पर किसी की नज़र नहीं जा पायेगी. वो पायल को ऊपर से निचे घूरते हुए देखने लगते है. पायल भी तेज़ साँसों से पापा को देखने लगती है.

रमेश पायल का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लेते है. पायल किसी कटी पतंग की तरह लहराती हुई पापा की छाती से चिपक जाती है. रमेश पायल के गुलाबी ओंठों को चूसने लगते है. एक हाथ उसकी टॉप में घुसा कर उसके एक दूध को पकड़ कर जोर-जोर से दबाने लगते है. पायल कसमसाती हुई अपनी जीभ बाहर निकाल देती है तो पापा भी अपनी जीभ निकाल कर पायल की जीभ पर घुमाने लगते है. बाप-बेटी की जीभ आपस में एक दुसरे से ऐसे लिपट रही है मानो दो प्यार करने वाले कई सालों के बाद मिले हो. कुछ देर ऐसे हे एक दुसरे की जीभ चाटते और ओंठ चूसते पापा और पायल अपने मुहँ को अलग करते है. दोनों के ओंठ एक दुसरे की लार से भरे हुए है. उर्मिला दोनों को देखती है तो धीरे से कहती है.

उर्मिला : बाबूजी...आप लोग निचे बैठ जाइये...

उर्मिला की बात सुन कर रमेश पायल को बाहों में लिए निचे बैठ जाते है. पापा पायल की टॉप को निचे से दोनों हाथों से पकड़ते है तो पायल अपने दोनों हाथों को ऊपर उठा देती है. पापा धीरे-धीरे टॉप को ऊपर उठा कर पायल के बदन से अलग कर देते है. पायल के दोनों दूध के आजाद होते ही पापा दोनों को अपने हाथों से पकड़ कर आपस में दबा देते है और फिर अपने मुहँ में एक निप्पल भर लेते है. धीरे-धीरे निप्पल को चूसते हुए पापा पायल के दोनों दूधों को दबाने लगते है. पायल मस्ती में आंख्ने बंद किये अपने दोनों हाथों को उठा के अपने बालों को पीछे करने लगती है. पायल का आधा नंगा शरीर पापा के अन्दर जोश पैदा कर रहा था. रमेश उर्मिला की तरफ देख कर कहते है.

रमेश : बहु...जरा पायल की स्कर्ट और पैन्टी उतार देना.

उर्मिला झट से निचे बैठ जाती है और पायल की स्कर्ट खींच कर उतार देती है. और फिर धीरे-धीरे उसकी पैन्टी भी. इस काम में पायल भी अपनी चुतड ऊपर उठा कर उर्मिला की मदद करती है. अब पायल पापा के सामने पूरी नंगी बैठी थी. पापा पायल की जवानी को एक बार अच्छे से देखते है फिर उसे अपने हाथों का सहारा देते हुए ज़मीन पर लेटा देते है. पायल के लेटते ही रमेश उसके पास बैठ जाते है और निचे झुक कर उसके एक दूध का निप्पल अपने मुहँ में भर लेते है. चूसते हुए रमेश पायल का निप्पल मुहँ में पकडे हुए जब अपना सर ऊपर उठाते हैं तो पायल का दूध भी ऊपर उठता चला जाता है. पापा पायल के दूध को मुहँ में भर कर ऐसे खींच रहे थे की दूध के साथ पायल को भी अपना सीना ऊपर उठा देना पड़ रहा था. जब वो दूध को अपने मुहँ में भर कर पूरा ऊपर खींच कर छोड़ते तो पायल का दूध उसके सीने पर टकराकर किसी स्प्रिंग की भाँती उच्चलने लगता. वैसे ही रमेश पायल के दुसरे दूध के निप्पल को भी मुहँ में पकड़ के ऊपर उठा के छोड़ते है तो वो भी पायल के सीने से टकरा कर स्प्रिंग की तरह उच्छलने लगता है. बारी-बारी दोनों दूध के निप्पल से खेल कर रमेश पायल से कहते है.

रमेश : पायल बेटी. गाड़ी में तेरे पीछे वाले छेद की गंध ली थी. मैं तो मदहोश हो गया था. अपने पापा को फिर से सूंघने देगी अपने पिछवाड़े की गंध.

रमेश की बात सुन कर पायल को हैरानी होती है. वो पापा से कहती है.

पायल : पापा सच में आपको मेरे पिछवाड़े के छेद की गंध इतनी पसंद आई?

रमेश : हाँ बेटी...सच. मेरा तो गाड़ी में ही दिल कर रहा था की तेरे पिछवाड़े में अपना मुहँ घुसा कर एक बार अच्छे से सूंघ लूँ.

पायल : उफ़ पापा...!!

रमेश ज़मीन पर सीधे लेट जाते है और पायल से कहते है.

रमेश : आजा बेटी...पापा के मुहँ पर अपनी चुतड खोल के बैठ जा.

पायल खड़ी होती है और जैसे ही रमेश के मुहँ का पास जाने को होती है, उर्मिला उसका हाथ पकड़ लेती है. वो पायल को घुमा कर पीठ रमेश के सर की तरफ कर देती है. पायल भी समझ जाती है की उसे क्या करना है. वो मुस्कुराते हुए पापा के सर की तरफ अपनी पीठ कर के अपने दोनों पैरों को उनके सर के इर्द-गिर्द रख देती है और अपनी चूतड़ों को हांथों से खोले और घुटनों को मोड़े धीरे-धीरे रमेश के मुहँ पर बैठने लगती है. निचे रमेश अपनी जीभ निकाले पायल की खुली चूतड़ों के लिए तैयार है. पायल दोनों हाथों से चूतड़ों को खोले रमेश के मुहँ पर बैठ जाती है. रमेश की जीभ सीधे पायल की गांड के छेद पर लग जाती है. अपनी जीभ को छेद पर घुमाते हुए रमेश धीरे-धीरे पायल की गांड की गंध भी सूंघ रहा है. उस पर मदहोशी छाने लगती है. पायल जब रमेश को पूरा मजा लेते हुए देखती है तो वो भी आगे झुक कर अपने दूध पापा के पेट पर रख देती है और उनके लंड को मुहँ में भर लेती है. पायल के आगे झुकने से उसकी चुतड और भी ज्यादा खुल जाती है और थोड़ी ऊपर उठ जाती है. अब रमेश की आँखों के सामने पायल की गांड का छेद अच्छे से दिख रहा है. रमेश अपनी नाक छेद पर लगा कर जोर से साँस लेता है तो छेद की गंद से वो पागल सा हो जाता है. अपनी कमर को झटके देते हुए वो पायल के मुहँ की चुदाई करने लगता है. बीच-बीच में रमेश पायल की बूर में जीभ डाल कर घुमा देता है तो पायल भी रमेश के लंड को मुहँ में भरे हुए कस कर चूस लेती है. जब पायल मस्ती में अपनी चुतड उठा देती तो रमेश अपने मुह में पायल की बूर भर लेता. रमेश का खुला हुआ मुहँ पायल की बूर को चारों तरफ से घेर लेता और जब वो बूर को चूसते तो बूर के ओंठ रमेश के मुहँ में चले जाते. अपनी बेटी की बूर को चूसने में आज रमेश को बड़ा मजा आ रहा था. बूर से चिप-चिपा पानी निकल कर रमेश में मुहँ में लगातार जा रहा था जिसे वो चूसते हुए निगल रहे थे.

उर्मिला भी पास ही बैठ कर बाप-बेटी की क्रीडा देख रही थी और अपनी बूर में दो उंगलियाँ अन्दर-बाहर कर रही थी. तभी उसकी नज़र सामने खाली मैदान पर जाती है. वो देखती है की २-३ मर्द हाथों में लोटा लिए चले आ रहे है. उसकी जान सुख जाती है. वो झट से बाबूजी और पायल के पास हो जाती है और धीरे से कहती है.

उर्मिला : बाबूजी...वो देखिये..कुछ लोग लोटा लिए चले आ रहे है. चलिए भागिए जल्दी से...

रमेश और पायल हडबडा कर उस ओर देखते है. वो लोग बातें करते हुए मैदान की तरफ आ रहे है. पायल झट से पापा का लंड छोड़ कर खड़ी हो जाती है और अपने कपड़े उठा लेती है. रमेश भी झट से खड़े हो कर अपनी धोती संभालने लगते है. रमेश, उर्मिला और पायल धीरे-धीरे बिना आवाज़ किये झाड़ियों के बीच घुस जाते है. सामने उर्मिला है, बीच में पायल जो नंगी है और हाथ में कपडे लिए और उसके पीछे रमेश. ऐसे नाज़ुक समय में भी रमेश का लंड पायल की नंगी चुतड देख कर खड़ा का खड़ा ही था. धीरे-धीरे चलते हुए तीनो झाड़ियों से निकल कर बड़े-बड़े पेड़ों के बीच आ जाते है. सामने कुछ दुरी पर थोड़ी उंचाई पर सड़क है. पेड़ों के बीच खड़े हो कर पायल जैसे ही अपने कपडे पहनने जाती है, रमेश उसे रोक लेते है.

रमेश : बस २ मिनट रुक जाओ पायल बेटी. (फिर उर्मिला को देखते हुए) बहु...अपनी साडी उठा कर मेरे पास आ जाओ. मुझे बस ५ मिनट लगेंगे. घर पहुँचने का इंतज़ार अब मैं नहीं कर पाउँगा.

उर्मिला भी बाबूजी की बात समझ कर उनके पास आने लगती है. उर्मिला को अपनी बात मान कर पास आते देख रमेश झट से पायल के पीछे बैठ कर उसकी चुतड को हाथों से खोल देता है और अपना मुहँ घुसा कर सूंघने और चाटने लगता है. पायल भी आगे झुक कर पापा को अपनी चुतड सुंघने और चाटने में मदद करती है. तब तक उर्मिला अपनी साड़ी उठाये रमेश के पास आ जाती है. रमेश उर्मिला को देखता है तो झट से खड़े हो कर अपने लंड को एक बार मसलता है और उर्मिला की कमर को दोनों हाथो से पकड़ कर उसे उठाता है. उर्मिला भी उच्छल कर अपनी टाँगे बाबूजी की कमर में लपेट लेती है. रमेश एक हाथ से अपने लंड को उर्मिला की बूर के मुहँ पर रखते है तो उर्मिला बाबूजी की कमर पर अपने पैरों की पकड़ को ढीला करती है. जैसे ही पकड़ ढीली होती है, उर्मिला फिसल कर बाबूजी के लंड पर बैठ जाती है. रमेश का लंड उर्मिला की बूर में घुसता चला जाता है. कुछ हे क्षण में रमेश का लंड उर्मिला की बूर में जड़ तक धंस जाता है. रमेश अपने मजबूर हाथों से उर्मिला की दोनों चूतड़ों को निचे से पकड़ लेते है और उर्मिला उनके लंड पर उच्छालना शुरू कर देती है. रमेश का लंड तेज़ी से उर्मिला की बूर के अन्दर-बाहर होने लगता है. उर्मिला बाबूजी के गले में बाहें डाले उनके लंड पर उच्छल रही है. रमेश भी अपनी कमर को झटके देते हुए पूरा लंड उर्मिला की बूर में पेल रहे है.

पास खड़ी पायल ने तब तक कपडे पहन लिए थे. वो एक बार सड़क पर नज़र डालती है और दूर से किसी गाड़ी की रौशनी दिखाई पड़ती है. वो झट से पलट कर कहती है.

पायल : पापा जल्दी करिए, कोई गाड़ी आ रही है.

पायल की बात सुन कर रमेश अपनी गति बढ़ा देते है. लंड को उर्मिला की बूर में १५-२० बार लगातार पेलने के बाद उनके लंड का पानी बूर में छुटने लगता है. उर्मिला को सीने में दबाये रमेश अपना सारा पानी उर्मिला की बूर में गिरा देते है. पूरा पानी निकलते ही लंड फिसल कर उर्मिला की बूर से निकल जाता है. रमेश उर्मिला को निचे उतार देते है. दोनों के चेहरे पर थकावट साफ़ दिखाई पड़ रही है. रमेश किसी तरह अपनी धोती ठीक करते है और उर्मिला पसीना-पसीना हो कर बिखरे बालों के साथ रुमाल से अपनी बूर पोंछने लगती है. रमेश और उर्मिला की नज़रे मिलती है तो दोनों मुस्कुराते देते है. तीनो चलते हुए सड़क पर आ जाते है. वो गाड़ी पास आती है तो पता चलता है की वो एक ऑटोरिक्शा है. रमेश सड़क पर आ कर उसे रोकते है. औटोवाला ऑटो रोक देता है.

रमेश : कहाँ जा रहे हो भाई?

औटोवाला : (तीनो को आश्चर्य से देखते हुए) मैं तो शहर जा रहा हूँ साब पर आप लोग इस जंगल में क्या कर रहे है.

रमेश : (घबराते हुए) वो...वो..हम...

उर्मिला : (झट से बीच में बोलते हुए) वो क्या है ना भाईसाहब...हमारी गाड़ी ख़राब हो गई थी तो हम लोग बस में आ रहे थे. अब बस में इतनी भीड़ थी की हमारी साँसे फूलनी लगी और हम यहीं पास में उतर गये. सोचा की कुछ मिल जायेगा घर जाने के लिए. अब आधे घंटे से कुछ मिला ही नहीं. वो तो आप इश्वर के रूप में आ गए वर्ना पता नही हमारा क्या होता.

उर्मिला की बात सुनकर औटोवाला खुश हो जाता है.

औटोवाला : अरे आप भी क्या बात कर रही हैं मेमसाब...आईये, बैठिये. मैं आपको घर छोड़ देता हूँ.

तीनो ऑटो में बैठ जाते है. रमेश बीच में बैठे है और दोनों तरफ उर्मिला और पायल. रमेश को उर्मिला पर गर्व महसूस हो रहा था. जितना खूबसूरत शरीर उतना ही उम्दा दिमाग. जितनी रसीली बूर उतना ही तेज़ दिमाग. वो अपना एक हाथ प्यार से उर्मिला की जांघ पर रख देते है. उर्मिला बाबूजी को देख कर मुस्कुरा देती है. पायल भी पापा का हाथ पकडे अपना सर उनके कंधे पर रख देती है. तीनो ऑटोरिक्शा में बैठे घर की तरफ चल देते है.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
ओह बेचारे बस वाले, खड़े लण्ड पर धोका मिल गया बेचारों को।
 

Royal king

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The End
 

Lucky..

“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
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writer ka kuch ata pata hi nahi hai...saala story achi thi par bich me hi chhod di..
 
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Sis lover

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मस्तरानी जी, आप मस्तराम की बेटी हो क्या..... इतनी शानदार कहानी, इतने कामुक ढंग से केवल वो ही लिख सकते थे... 😂😂 अब तो बस रक्षाबंधन का इंतजार है.... धमाकेदार अपडेट दीजिएगा 🙏
नही भाई मस्त रानी जी मस्त राम जी की बहन लगती हैं जो रक्षाबंधन लण्ड और चूत से मनाते हैं।
 

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अपडेट ४०:

छत पर सभी भाई अपनी बहनों के सामने, शॉर्ट्स से मोटे लंड निकाले बैठे थे. बहने भी उनके सामने अपनी टाँगे फैलाए जाँघों के बीच कसी हुई पैन्टी दिखाते हुए बैठी थी. भाइयों के मोटे लंड देख सभी बहने अपने होश खो बैठी थी. यहाँ तक उर्मिला भी राजू का मोटा लंड १.५ साल के बाद देखकर मदहोश हो चुकी थी. सभी भाई अपने लंड मसलते हुए बहनों को दिखा रहे थे. लंड के मोटे टोपे से रिसता हुआ पानी देख बहने अपनी जीभ ओंठों पर फेरने लगी थी. सभी बहने अपने ओंठ दांतों टेल दबाकर धीरे से भाइयों के लंड की ओर बढती है. बहनों को अपनी तरफ बढ़ता देख सभी भाई अपने लंड की चमड़ी पूरी निचे खींच कर मोटा टोपा बाहर निकाल देते है. मदहोश बहने अपने भाइयों के लंड के पास पहुँच कर एक बार घूरकर लंड को देखती है और धीरे से अपना सर लंड पर झुकाने लगती है. सभी बहने जैसे ही झुक कर भाइयों के लंड को मुहँ में लेने जाती है, पास की सड़क पर एक कुत्ता जोर-जोर से भोंकने लगता है. कुत्ते के भोंकने से उर्मिला के साथ-साथ पायल, कम्मो और खुशबू भी होश में आ जाती है. चारों झट से खड़ी हो जाती है और एक दुसरे की तरफ देखने लगती है. आँखों में कुछ इशारे होते है और फिर उर्मिला बोल पड़ती है.

उर्मिला: (इतराते हुए) हूँ...!! लंड दिखाकर आप लोग हमने पटा नहीं पाओगे. चलो गर्ल्स... चलकर सोते है.

ये कहकर सभी लडकियां अपने भाइयों को जीभ और अंगूठा दिखाकर जाने लगती है. सभी भाई एक आखरी बार अपने मोटे लंड दिखाकर बहनों को पटाने की कोशिश करते है लेकिन सभी बहने मुहँ बनाकर वहां से चली जाती है. लड़कियों के जाते ही राजू की आँखों में खून उतर आता है. वो गुस्से में यहाँ-वहाँ छत पर देखने लगता है.

राजू: (गुस्से में) साला मादरचोद....!! आज इस कुत्ते को मैं नहीं छोडूंगा.

गुस्से में राजू छत पर पड़े २-३ पत्थरों को उठाकर सड़क पर खड़े उस कुत्ते की ओर फेकने लगता है. कुत्ता भी एक पेड़ के पीछे छुपकर राजू पर भोंकने लगता है. राजू बहुत गुस्से में था. उसका गुस्सा देखकर सोनू, छेदी और गोलू उसे रोकने लगते है.

सोनू: अरे रहने दो राजू भैया, कुत्ता है बेचारा....
राजू: (गुस्से में) ये साला कुत्ता नहीं, मादरचोद है. साला दिन रात अपनी माँ-बहन की चुदाई करता है और यहाँ डेढ़ साल बाद मेरी दीदी आई है तो साले की गांड जल रही है.
छेदी: जाने दे राजू. अपनी-अपनी किसमत है. थूक दे गुस्सा.

राजू अपने गुस्से पर किसी तरह से काबू करता है. कुत्ता भी १-२ बार भोंकता है और फिर भाग जाता है. कुत्ते को २-३ गालियाँ दे कर राजू कहता है.

राजू: खड़े लंड पर धोका हो गया भाइयों. साला सारा प्लान चौपट हो गया.
छेदी: अभी प्लान चौपट नहीं हुआ है भाई. देखा नहीं? हमारी बहने पूरी गरमा गयी थी. एक बार उनके कमरे में चलते है. शायद कुछ बात बन जाए.

छेदी की बात से सभी सहमत हो जाते है और निचे जाने लगते है. वहाँ निचे कमरे में सभी बहने एक बड़े से बिस्तर पर लेटे हुए बातें कर रही थी.

पायल: आज तो बच गए. अगर वो कुत्ता एन वक़्त पर न भोंकता तो इस वक़्त हम सभी अपने भाइयों से चुद रही होती.
खुशबू: हाँ पायल दीदी. भगवान भला करे उस कुत्ते का. छेदी भैया तो पुरे जोश में लग रहे थे. आज तो मेरी जम के बूर चुदाई हो जाती.
कम्मो: हाँ दीदी. गोलू तो मेरे पिछवाड़े को शाम से ही घुर रहा था. वो तो मुझे घोड़ी बना देता आज.

बिस्तर पर लेटी, सभी लडकियां अपने भाइयों के बारें में सोचने लगती है. उर्मिला भी राजू के लंड को याद करते हुए धीरे-धीरे अपनी पैन्टी में हाथ डाले बूर को सहलाने लगती है. सभी का एक जैसा हाल था. छत पर सभी ने जो भाइयों के लंड के दर्शन किये थे वो नज़ारा उनके बदन का तापमान बढ़ा रहा था. सभी के हाथ अपनी पैन्टी के अन्दर चले जाते है. कुछ ही क्षण में कमरे में गर्मी बढ़ जाती है. सभी की पैन्टी टांगो से निकल जाती है और टाँगे फैलाए सभी बहने अपनी बालोवाली बूर में उंगलियाँ चलाने लगती है. भाइयों की याद में जैसे ही सभी बहने अपनी-अपनी बूर उँगलियों से फैलाती है, पूरा कमरा बूर की गंध से भर जाता है. तभी दरवाज़े पर दस्तक होती है. सभी हडबडाकर बैठ जाती है और टाँगे बंद कर देती है. उर्मिला उठकर दरवाज़ा खोलती है तो सभी भाई खड़े एक साथ अन्दर घुस जाते है. सभी की नजर बहनों पर पड़ती है जो बिस्तर पर टाँगे बंद किये बैठी थी. उर्मिला भी लड़कियों के साथ जा कर बैठ जाती है. तभी सभी भाइयों की नाक में बूर की तेज गंध जाती है. सभी कुत्तों की तरह कमरे में भरी बूर की गंध को सूंघने लगते है. सभी बहने ये नज़ारा देखकर हँस पड़ती है.

पायल: देखिये भाभी. शिकारी कुत्ते आये है, अपने-अपने शिकार की गंध सूंघते हुए. (सभी बहने फिर से हँस पड़ती है. )
राजू: अब शिकारी कुत्ते अपने शिकार की गंद सूंघते हुए आ ही गए है तो शिकार कर के ही जायेंगे. (इस बात पर सभी भाई हँस पड़ते है)

उर्मिला: इतनी जल्दी भी क्या है? माना की शिकारी कुत्ते बड़े तेज है पर अभी तो सभी शिकार की गंध एक हो गई है. ऐसे में किसी एक शिकार की गंध का पता चलाना तुम लोगो के बस की बात नहीं है. क्यूँ गर्ल्स? सही कहा ना मैंने?

इस बात पर सभी लडकियां एक साथ हामी भर देती है. उर्मिला अपनी पैन्टी बिस्तर से उठाकर राजू की तरफ उच्छाल देती है, जिसे राजू पकड़ लेता है.

उर्मिला: ये लीजिये शिकारी जी. अच्छे से रात भर सूंघ कर गंध पहचान लीजिये और फिर कल निकलना शिकार पर.

उर्मिला की देखा-देखी सभी बहने पैन्टी अपने-अपने भाइयों की तरफ उच्छाल देती है जिसे सभी भाई पकड़ लेते है.

उर्मिला: अब चलिए अपने कमरे में. हमे भी सोना है.

अब उर्मिला के सामने किसी की कहाँ चलने वाली थी. सभी भाई मुहँ बनाकर वहाँ से चले जाते है. उर्मिला दरवाज़ा लगाकर बिस्तर पर आती है तो सभी बहने खिलखिलाकर हँसने लगती है.

कम्मो: बहुत मजा आया भाभी. आपने अच्छा सबक सिखाया लड़कों को.

उर्मिला: अभी हँस लो जितना हँसना है.आज जो हमने अपने भाइयों के साथ किया है उसका बदला वो कल हमसे जरुर लेंगे.
कम्मो: (बड़ी-बड़ी आँखों से) मतलब भाभी?
उर्मिला: मतलब ये की कल हमारे भाई हम बहनों की बूर का भोसड़ा बनाने वाले है.
खुशबू: मत बोलिए ना ऐसा भाभी..! कुछ-कुछ होता है.

उर्मिला: (हँसते हुए) अच्छा चलो...!! अब सब सो जाओ. कल सुबह जल्दी उठाना भी है.

सभी बिस्तर पर लेट जाती है. पायल बत्ती बुझाकर पास वाले साइड टेबल पर से कुछ उठाती है और उर्मिला के पास लेट जाती है. अँधेरे में उर्मिला समझ नहीं पाती की पायल ने साइड टेबल पर से क्या उठाया था. कुछ देर बाद पायल के बदन में हलकी सी हलचल होने लगती है. उर्मिला धीरे से अपना हाथ पायल के हाथ पर रखती है टी पायल डर जाती है.

उर्मिला: (धीमी आवाज़ में) क्या कर रही है पायल?
पायल: (धीमी आवाज़ में) क..कु..कुछ नहीं भाभी.
उर्मिला पायल का हाथ देखती है तो वो उसकी चूतड़ों की के बीच घुसा हुआ था. उर्मिला हैरानी से पूछती है.

उर्मिला: (धीमी आवाज़ में) ये तू क्या कर रही है पायल? अपने पिछवाड़े में हाथ डालकर तू क्या कर रही है?
पायल: (धीमी आवाज़ में) वो..वो..वो मैं तेल लगा रही हूँ भाभी.
उर्मिला को एक पल लगता है बात समझने में.
उर्मिला: (धीमी आवाज़ में) तो कल सोनू को तू ये देगी?
पायल: (धीमी आवाज़ में) हाँ भाभी....! आगे का पापा ने खोला है तो पीछे वाले पर भाई का हक़ तो बनता है ना?

पायल की इस बात पर उर्मिला को बहुत ख़ुशी होती है. वो धीरे से पायल का माथा चूम लेती है. उर्मिला दूसरी तरफ घूम कर सो जाती है और पायल धीरे-धीरे तेल से सनी हुई ऊँगली अपने गांड के छेद में घुसाने लगती है. पायल जानती थी की कल रक्षाबंधन पर सोनू उसे क्या गिफ्ट देने वाला था, पर शायद सोनू ने सपने में भी नहीं सोचा था की पायल ने उसके लिए क्या गिफ्ट सोच रखा है.

धीरे-धीरे रात गहरी होती जा रही थी. अपने-अपने घरों में न जाने कितने जवाँ भाई-बहन आने वाली सुबह के हसीन सपने आँखों में लिए सो रहे थे. वो सुबह, जिसका वो सालभर बेसब्री से इंतज़ार करते है, वो सुबह जिसमे भाई-बहन का प्यार अपनी चरम सीमा पर होता है, वो सुबह जिसमे भाई-बहन जी भर के एक दुसरे पर प्यार लुटाते है, वो सुबह जिसे सारी दुनिया भाई-बहन के पवित्र रिश्ते के त्योहार, 'रक्षाबंधन' के नाम से जानती है.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )

[ रक्षाबंधन का सीन लम्बा है जो अब भी अधुरा है. काफी वक़्त से मैंने कोई अपडेट नहीं दिया था इसलिए कहानी के इस भाग को पोस्ट कर रही हूँ. मैं चाहती हूँ की रक्षाबंधन का सीन एक ही अपडेट में आ जाए ]
मस्त बहुत मजा आ रहा है।
 
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