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♥ ? ? ? घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ] ???♥ ***INDEX*** |
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♥ ? ? ? घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ] ???♥ ***INDEX*** |
Ab aapka majaa khatam...kyunki iske aage koi updates nahi hainमस्त बहुत मजा आ रहा है।
Madam ji story complete ho gaya hai ya aage bhi likha jayega aur yadi aage nhi likhna hai to bta do taki is story ka wait nhi karna padega
Urmila ki natkhat adaayen kamal ka khel khelti hai. 5 chapters completed. Very hot story.
Ab aapka majaa khatam...kyunki iske aage koi updates nahi hain
itna accha story beech mein hi khatam ho gaya hain (I say "khatam" kyunki March'21 ke baad koi update nahi aaya hain and we are near the end of this year...)
UPDATE PLEASE
लौट आओ राधा पढिएUrmila ki natkhat adaayen kamal ka khel khelti hai. 5 chapters completed. Very hot story.
Niceअपडेट १८:
घर में बिजली अब भी नहीं आई है. रसोई, ड्राइंग रूम और खाने की टेबल पर मोमबत्तियां जल रही है. रात के ८:३० बज चुके है. उमा, उर्मिला और पायल सोफे पर बैठे बातें कर रहे है. पास ही सोनू सोया हुआ है. आज पायल ने कुछ देर पहले जो उसका हाल किया था, बेचारा गर्मी में भी निढ़ाल हो कर सो रहा है. पापा खाने की टेबल पर पुरानी फाइल में बिजली के बिल देख रहे है.
रमेश : कोई मुझे एक कप चाय पिलाएगा?
उमा : हाँ भाई, कोई चाय पिला दो इन्हें. इतना बड़ा काम जो किया है...
रमेश : अरे उमा... हो गई गलती. अब क्या मैं बिजली के खम्बे पर चढ़ जाऊं?
उमा : ना..ना..जी. ऐसा मत करियेगा. अभी तो सिर्फ हमारे घर की बिजली गई है. आप खम्बे पर चढ़ गए तो पता चला की सारे शहर की बिजली चली गई.
उमा की इस बात पर उर्मिला और पायल मुहँ दबा के हंसने लगती है. उमा भी दोनों को देख कर पल्लू अपने मुहँ पर रख कर हँसने लगती है..
उमा : (मुस्कुराते हुए) अच्छा अच्छा...बना दो इनके लिए चाय...
उर्मिला उठने लगती है तो पायल कंधे पर हाथ रख के बिठा देती है.
पायल : आप रहने दीजिये भाभी...मैं बना देती हूँ..
उर्मिला पायल को देख कर मुस्कुरा देती है और पायल रसोई में चली जाती है. रसोई में गैस जला कर वो चाय का बर्तन चढ़ा देती है. तभी पायल की नज़र पापा पर पडती है. रमेश पायल को घूरते हुए देख रहे है. उनकी नज़र बार-बार पायल के चौड़े चूतड़ों पर जा कर टिक जा रही है. पायल भी मस्ती में अपनी चुतड उठा कर खड़ी हो जाती है. उसकी उभरी हुई चुतड देख के रमेश से रहा नहीं जाता.
रमेश : अरे उमा...मोमबत्तियाँ कहाँ रखी है? एक मोमबत्ती की रौशनी में पढ़ना मुश्किल हो रहा है..
उर्मिला : रसोई में रखी है बाबूजी. रुकिए मैं ला देती हूँ...
रमेश : नहीं नहीं बहु...मैं खुद ले लेता हूँ. तुम उमा के साथ बातें करो...
पायल समझ जाती है की अब पापा उसके पास आने वाले है. वो एक ऊँगली मुहँ में ले कर शर्माते हुए नाख़ून चबाने लगती है. रमेश उठ कर रसोई में आते है. एक नज़र उमा और उर्मिला पर डाल कर वो पायल की चूतड़ों को स्कर्ट के ऊपर से दबा देते है. पायल चुप-चाप मुस्कुराते हुए खड़ी रहती है. रमेश मोमबत्ती ढूंढने का नाटक करते हुए पायल की स्कर्ट में हाथ घुसा कर उसकी चुतड को पंजों में भर कर दबा देता है. पायल बिना कुछ कहे पापा को मुस्कुराते हुए देखती है और फिर नज़रे चाय के बर्तन पर जमा देती है. रमेश इस बार पायल के पीछे खड़े हो कर धोती के ऊपर से अपना लंड पायल की चूतड़ों के बीच सटा कर दबा देते है. पायल भी मस्ती में अपनी चुतड पीछे कर के पापा के लंड पर दबाव डाल देती है. रमेश झट से अपना लंड धोती से बहार निकालते है और पायल की स्कर्ट उठा के चूतड़ों के बीच ठेल देते है. पापा का लंड पैन्टी के ऊपर से उसके गांड के छेद से टकरा जाता है. पायल उच्छल जाती है और उसके मुहँ से आवाज़ निकल जाती है...
पायल : आह्ह्हह्ह.....!!!
उमा : (ड्राइंग रूम से) क्या हुआ पायल? चोट लग गई क्या?
पायल सँभलते हुए अपनी स्कर्ट ठीक करती है. रमेश भी झट से एक मोमबत्ती ले कर रसोई से बाहर जाने लगते है.
पायल : कुछ नहीं मम्मी. चाय के बर्तन से हाथ जल गया...
उमा : ध्यान से काम किया कर ना...जैसा बाप, वैसी बेटी...
उर्मिला इस बात पर मन ही मन मुस्कुरा देती है. रमेश फिर से खाने की टेबल पर दूसरी मोमबत्ती जलाकर बैठ जाते है. रसोई में पायल पापा के लिए कप में चल डाल देती है. पापा की नज़रे अब भी पायल पर ही है. पायल देखती है की पापा अब भी उसे घुर के देख रहे हैं तो उसके दिमाग में बदमाशी सूझती है. वो पापा को देखते हुए धीरे से अपनी टॉप ऊपर उठा देती है और अपने बड़े-बड़े दूध दोनों हाथों से पकड़ लेती है. पायल को अपने नंगे दूध इस तरह से पकडे देख, रमेश की हालत ख़राब हो जाती है. पायल अपने दोनों दूधों को पकडे चाय के प्याले के ठीक ऊपर ले जाती है और जोर से दबा देती है जैसे वो पापा की चाय में अपना दूध डाल रही हो. पायल की इस हरकत से पापा धोती में हाथ डाल कर लंड दबा देते है. फिर पायल अपनी टॉप निचे कर, चाय का प्याला लिए पापा के पास आती है.
पायल : पापा आपकी चाय...
रमेश : (पायल को देख, मुस्कुराते हुए चाय की एक चुस्की लेते है) हुम्म्मम्म...!! वाह..!! मज़ा आ गया पायल. ऐसी दुधिया चाय तो मुझे सिर्फ तू ही पिला सकती है. लगता है खुल के दूध डाला है चाय में.
पायल : (मुस्कुराते हुए) घर का ताज़ा-ताज़ा दूध है पापा, मज़ा तो आएगा ही.
दोनों बाप-बेटी एक दुसरे के बदन की आग भड़काने में लग जाते है. उर्मिला जब ये देखती है तो वो जान बुझ के उमा से कहती है.
उर्मिला : मम्मी जी...चलिए ना...छत पर चलते है. एक जगह बैठे-बैठे कमर दुःख रही है.
उमा : हाँ उर्मिला...छत पर ही चलते है. हवा भी अच्छी चल रही है. आप भी चलिए....
रमेश : अरे नहीं उमा...मैं ये कागज़ का काम पूरा कर लूँ...
उमा : पायल तू चल...
पायल : नहीं मम्मी...मैं अपने रूम में जा रही हूँ...थोडा अराम करती हूँ...
उमा : ठीक है. जैसी मर्ज़ी. चल उर्मिला...हम दोनों ही चलते है.
उर्मिला : मम्मी आप चलिए...मैं बस २ मिनट में आई.
उमा धीरे-धीरे सीढ़ियों से छत पर जाने लगती है. पायल अपने कमरे की तरफ जाती है तो उर्मिला उसके पीछे आ जाती है. पायल की चुतड पर एक चपत लगते हुए.
उर्मिला : हाय मेरी ननद रानी...आजकल तो पापा से खूब बातें हो रही है.
पायल : हाँ भाभी...पापा भी बदन में आग ही लगा देते है.
उर्मिला : देख पायल, तू तो जानती है ना की तेरे पापा तुझे नंगी करके खूब पटक-पटक के चुदाई करना चाहते है...
पायल : हाँ भाभी...जानती हूँ...
उर्मिला : तो मेरी प्यारी ननद जी...कुछ करिए...
पायल : आप बताईये ना भाभी...
उर्मिला : सब कुछ मैं ही बताउंगी तो मेरी पायल क्या करेगी? बाबूजी का लंड भी मैं अपनी ही बूर में डलवा लूँ?
पायल : (खुश होते हुए) हाँ भाभी....!! डलवा लो. दोनों ननद-भाभी नंगी हो कर पापा से खूब बूर चुदवाएंगे....
उर्मिला : (पायल के गाल पर धीरे से चपत लगते हुए) मेरी ननद रानी...पापा अपनी बहु-बेटी की एक साथ बूर चोदेंगे तो वो जोश में लंड का पानी हम दोनों की बुरों में गिरा देंगे.
पायल : (उर्मिला का हाथ ख़ुशी से पकड़ते हुए) तो हम दोनों अपनी बुरों में गिरवा लेंगे ना भाभी... ये भी तो सोचिये की मज़ा कितना आएगा....जरा सोचिये तो....आप और मैं एक साथ बिस्तर पर टाँगे खोले, अपनी फूली हुई बुरों को फैलाये लेटी हैं और बाबूजी बारी-बारी हम दोनों की बूर चोद रहे है.
उर्मिला : अच्छा ठीक है बाबा...हम दोनों बाबूजी का लंड साथ में ले लेंगी....लेकिन पहले तू तो कुछ कर...
पायल : (खुश होते हुए) हाँ भाभी...करती हूँ....
उर्मिला : अच्छा अब मैं चलती हूँ...सोनू अभी सो रहा है. मैं मम्मी जी को छत पर कुछ वक़्त तक रोके रखूंगी...ठीक है?
पायल : ठीक है भाभी....
उर्मिला वहां से चली जाती है. रमेश उर्मिला को छत पर जाते हुए देखते है तो वो धीरे से उठ कर पायल के कमरे की तरफ बढ़ने लगते है.
पायल अपने कमरे में बिस्तर पर टाँगे खोल कर लेती है. उसकी स्कर्ट जांघो तक है और पैन्टी दिख रही है. वो अपने फ़ोन में कुछ देख रही है और फ़ोन की रौशनी से उसका चेहरा चमक रहा है. तभी उसे पापा की आवाज़ आती है.
रमेश : क्या कर रही है मेरी पायल?
पापा की आवाज़ सुन कर पायल खुश हो जाती है. वो मुस्कुराते हुए जवाब देती है.
पायल : कुछ नहीं पापा...बस ऐसे ही लेट कर फ़ोन के साथ वक़्त बिता रही हूँ...
रमेश चलते हुए पायल के पास आते है और उसकी पास बैठ जाते है. अपने हाथों से वो पायल की जाँघों को सहलाने लगते है. धीरे-धीरे रमेश के हाथ पायल की जांघो पर फिसलते हुए जाँघों की जड़ों तक चले जाते है और पायल की पैन्टी को छूने लगते है.
रमेश : पायल...पापा का बड़ा मन करता है....
पायल : क्या मन करता है पापा?
रमेश : येही की अपनी पायल बिटिया को खूब प्यार करें....
पायल : मन तो मेरा भी बहुत करता है की आप मुझे दिन रात प्यार करें पापा....
रमेश : पापा का प्यार बहुत बड़ा है बेटी... और तुझे देख कर तो मेरा प्यार और भी बड़ा हो जाता है...
पायल : सच पापा?
रमेश : हाँ पायल...(रमेश पायल का हाथ पकड़ कर अपनी धोती में घुसा देते है और मोटा लंड उसके हाथ में दे देते है). देख ....कितना बड़ा है तेरे पापा का प्यार...
पायल बड़ी-बड़ी आँखों से पापा को देखने लगती है और पापा के लंड की मोटाई को हाथों से महसूस करने लगती है. पायल को ऐसा लगता है की किसीने उसके हाथों में लम्बा और मोटा लट्ठ पकड़ा दिया हो. वो सीसीयाते हुए पापा से कहती है.
पायल : सीईईईइ.....पापा..यह तो बहुत लम्बा और मोटा है.....
रमेश : हाँ बेटी...और जब मेरी बिटिया रानी घर में बिना ब्रा के टॉप में अपने बड़े-बड़े दूध उठा के घुमती है तो ये और भी बड़ा हो जाता है....
पायल : सच पापा? आपको मेरा घर में बिना ब्रा की टॉप पहन कर घूमना अच्छा लगता है?
रमेश : बहुत अच्छा लगता है बिटिया. पापा का दिल तो करता है की दौड़ कर अपनी बिटिया रानी की टॉप उठा दूँ और उसके बड़े-बड़े दूध मसल दूँ...
रमेश कहते ही पायल की टॉप में एक हाथ दाल देता है और पायल के दूध को मसलने लगता है. पापा की इस हरकत से पायल भी जोश में आ जाती है और लंड को जोर से दबा देती है. पापा का लंड फूल के और भी मोटा हो जाता है.
पायल : पापा आप मेरे दूध मसलते है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है...
रमेश : जानता हूँ पायल. जवान लड़कियों को अपने दूध मसलवाना बहुत पसंद है, ख़ास कर अपने पापा से. बहुत सी लड़कियां घर में चोरी-छिपे अपने पापा से खूब दूध मसलवाती है. पापा से दूध मसलवाने से लड़कियों के दूध जल्दी बड़े हो जाते है.
पायल : सच पापा?
रमेश : हाँ पायल...तुने देखा होगा की बहुत सी लड़कियों के छोटी उम्र में ही बड़े-बड़े दूध हो जाते है. ऐसी लडकियां अपने पापा से ही तो दबवा के अपने दूध बड़े करवाती है.
पायल : (बड़ी-बड़ी आँखों से) हाँ पापा...मेरी सहेली की दीदी के भी बहुत बड़े दूध है. मेरी सहेली बोल रही थी की जब उसकी मम्मी घर पर नहीं होती है तो पापा दीदी के रूम में चले जाते है और दरवाज़ा बंद करके घंटो तक रहते है.
रमेश : हाँ पायल...सही कहा बेटी...तेरी सहेली के पापा अपनी बड़ी बेटी के दूध को घंटो मसलते होंगे...और मुझे तो ये भी लगता है पायल की उसके पापा उसकी दीदी पर चढ़ के भी प्यार करते होंगे....
पापा की इस बात पर पायल शर्मा जाती है. फिर धीरे-धीरे पापा के लंड को सहलाते हुए कहती है.
पायल : पापा क्या सच में बाप अपनी बेटी पर चढ़ के प्यार करता है?
रमेश : (अब पायल की पैन्टी की साइड से अन्दर हाथ दाल कर उसके बूर के बालों से खेलने लगता है) हाँ पायल...बाप अपनी बेटियों पर चढ़ के खूब प्यार करते है.
पायल : (पूरी मस्ती में) ओह पापा....बहुत गर्मी लग रही है...
रमेश : मेरी बेटी तो पहले से ही बहुत गरम है. गर्मी तो लगेगी ही...
रमेश पायल के माथे, गले और पेट पर बहते पसीने को हाथ से पोंछता है.
रमेश : देखो तो..कितना पसीना आ रहा है मेरी बिटिया रानी को...और इतनी गर्मी में भी टॉप पहने हुए है...
पायल : (पापा के लंड को जोर जोर से मुठियाते हुए) तो ऊपर कर दीजिये ना पापा...
रमेश पायल की पैन्टी से हाथ निकाल कर, दोनों हाथों से उसकी टॉप उठा कर दोनों दूध के ऊपर कर देता है. पायल के बड़े-बड़े सक्त दूध पापा की आँखों के सामने आ जाते है. रमेश दोनों दूध को गौर से देखता है दोनों हाथों से पकड़ के आपस में मिला देता है.
रमेश : आह पायल...!! पापा का दूध पीने का बहुत दिल कर रहा है बेटी...
पायल : (पापा के लंड को मुथियते हुए आँखे बंद कर लेती है) ओह पापा...!! तो पी लीजिये ना...
रमेश अपना एक पैर बिस्तर पर रखता है और दुसरे पैर को घुटनों से मोड़ कर पायल पर झुक जाता है. रमेश का लंड पायल के हाथ में है और वो उसे जोर जोर से हिला रही है. रमेश झुक कर पायल का एक निप्पल मुह में ले लेता है. पायल लंड मुठियाते हुए मचल जाती है. रमेश पायल के निप्पल को मुहँ में भर के चूसने लगता है. पायल का दूसरा था पापा के सर पर आ जाता है और वो उनके बालों को पकड़ लेती है. रमेश निप्पल चूसते हुए बीच बीच में अपना बड़ा मुहँ पूरा खोल कर पायल के दूध को मुहँ में भर लेता है. कुछ देर चूसने के बाद रमेश पायल के दुसरे दूध पर धावा बोल देता है. दुसरे दूध के निप्पल को जोर जोर से चूसने से पायल सिस्कारियां लेने लगती है. फिर रमेश दोनों दूध को आपस में सटा कर बारी बारी दोनों को चूसने तो कभी मुहँ में भरने लगता है. पायल पूरी मस्ती में अपने होश खो बैठती है.
पायल : हाँ पापा.....ऐसे ही...ऐसे ही मेरा दूध पीजिये पापा....
पायल को ऐसे मस्ती में आता हुआ देख कर रमेश का जोश दुगना हो जाता है. वो उसके दूध को दबा-दबे के पीने लगता है और एक हाथ से अपने लंड की चमड़ी पूरी निचे कर देता है. तभी रमेश पायल के निप्पल को हलके से दांतों से काट लेता है तो पायल उच्छल कर रमेश से लिपट जाती है. रमेश पायल को उठा के अपने सीने से लगा लेता है तो पायल अपनी दोनों टाँगे उसकी कमर में लपेट देती है. अपने हाथो को पापा के गले में लपेट कर पायल सीने से चिपक जाती है. रमेश का लंड पायल की पैन्टी के ऊपर से उसकी बूर पर रगड़ खाने लगता है. वो पायल के बूर की गर्मी अपने लंड पर महसूस कर रहा है. पायल के बड़े बड़े दूध रमेश के सीना पर चिपके हुए है. रमेश हाथों से अपने कुरते को ऊपर कर लेता है तो पायल के नंगे दूध उसकी नंगी छाती पर दब जाते है. बेटी के बड़े और मुलायम दूध के स्पर्श से ही रमेश का लंड झटके खाते हुए पायल की बूर पर टकराने लगता है.
रमेश : अच्छा लगा रहा है बेटी?
पायल : (मदहोशी के साथ) हाँ पापा...बहुत अच्छा लग रहा है.
रमेश : जरा अपने दूध पापा के सीने पर रगडो बेटा...
पायल अपने सीने को ऊपर निचे करते हुए बड़े-बड़े दूध को पापा की छाती पर रगड़ने लगती है. रमेश का जोश अब और बढ़ जाता है. वो एक ऊँगली मुहँ में लेता है और पीछे से पायल की पैन्टी में दाल कर उसके गांड के छेद पर घुसाने लगता है. पायल उच्छल कर पापा से फिर से चिपक जाती है. रमेश ऊँगली निचे ले जा कर उसकी गीली बूर पर ४-५ बार रगड़ता है और फिर उसके गांड के छेद में घुसाने लगता है. बूर के रस से भीगी ऊँगली पायल के छेद में घुस जाती है. रमेश थोडा और जोर लगता है तो ऊँगली आधी अन्दर घुस जाती है. अपनी गांड में पापा की ऊँगली को महसूस कर के पायल मस्ती में आ जाती है. बूर से तो वो कई बार खेल चुकी थी लेकिन गांड के छेद में आज पहली बार कोई ऊँगली गई थी. पायल को अपने सीने से लगाये और गांड में ऊँगली डाले, रमेश कमरें में धेरे-धीरे टहलने लगते है. टहलते हुए वो कभी अपनी ऊँगली अन्दर-बाहर कर देते तो कभी लंड को पायल की बूर पर रगड़ देते. पायल तो अपना होश पहले ही खो बैठी थी. रमेश अब मौका देख कर अपने लंड को पैन्टी के साइड से अन्दर डाल के पायल की बूर पर रखता है और धीरे-धीरे टोपे को उसकी बूर पर रगड़ने लगता है. हर बार लंड रगड़ने पर पायल किसी बच्चे की तरह उच्छल जाती. तभी एक तेज़ रौशनी से सारा कमरा जगमगा उठता है. घर की बिजली आ चुकी थी. दोनों बाप-बेटी मिलन के बहुत करीब थे पर किस्मत को कुछ और मंजूर था.
कमरे की लाइट जलते ही पायल आँखे खोलती है तो कमरे का दरवाज़ा खुला है. वो झट से पापा की गोद से उतर जाती है और अपनी टॉप निचे कर लेती है. रमेश भी अपने कुरते और धोती को ठीक करता है. पायल अपने बाल ठीक करते हुए पापा को देखती है. पापा की आँखों में वो उसके लिए प्यार और हवस दोनों देख रही है. आज पापा के साथ जो कुछ ही हुआ उसने पायल की बूर की आग को कहीं ज्यादा भड़का दिया था. कुछ ही क्षण में दोनों होश में आते ही और एक दुसरे को देख मुस्कुराने लगते है.
रमेश : मजा आया मेरी बिटिया रानी को?
पायल : (नखरे दिखाते हुए) छी पापा...!! अपनी बेटी के साथ कोई ऐसा करता है क्या?
रमेश : (मुस्कुराते हुए पायल के गाल पर हाथ फेरते हुए) तो किसके साथ करता है?
पायल : (मुहँ बना के नखरे के साथ) क्यूँ? घर में सिर्फ मैं ही एक जवान हूँ क्या? उर्मिला भाभी भी तो है. और भाभी के दूध तो मुझसे भी बड़े है.
पायल की बात सुन कर रमेश का लंड फिर से झटके लेने लगता है. वो मुस्कुराते हुए पायल की ठोढ़ी की उठाते हुए कहता है.
रमेश : तो मेरी पायल बिटिया अपनी भाभी को भी छत पर ले आये. मैंने कब मन किया है. घर की बहु-बेटी का ख्याल रखना तो मेरा फ़र्ज़ है ना...?
पायल : (खुश हो कर) सच पापा? अगली बार उर्मिला भाभी को भी ले आऊ छत पर?
रमेश : हाँ पायल...ले आना बहु को भी.
पायल ख़ुशी से पापा से चिपक जाती है. रमेश उसकी पीठ पर हाथ रख के दबा देते है और अपनी छाती पर उसके दूध का एक बार फिर से मजा ले लेते है. पायल पापा को देख के मुस्कुराती है है दौड़ कर बाहर चली जाती है. रमेश मन ही मन अपने लंड के लिए घर में दो जवान बुरों का इंतज़ाम होता देख खुश हो जाता है और गाना गुनगुनाते हुए जाने लगते है..... "अरे चढ़ गयो ऊपर रे....अटरिया पे दो-दो कबूतर रे....."
(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Niceअपडेट २३.५ :
शाम के ७:४५ बज रहे थे. मोतीचूर के लड्डू का चढ़ावा चढ़ा कर रमेश, उर्मिला और पायल मंदिर से निकल कर गाड़ी के पास जा रहे है.
रमेश : ७:४५ हो गए है बहु. घर पहुँचते-पहुँचते ९ तो हो ही जायेंगे.
उर्मिला : हाँ बाबूजी...अब तो रास्ते में ज्यादा भीड़ भी नहीं होगी. हो सकता है और भी जल्दी पहुँच जाये...
पायल : हाँ पापा...रास्ता खाली होगा तो आप गाड़ी तेज़ चलाइयेगा...
उर्मला : हाँ बाबूजी...! पायल रहेगी ना आगे वाली सीट पर आपका 'गियर' बदलने के लिए...
उर्मिला की बात सुनकर पायल शर्मा जाती है, रमेश और उर्मिला जोर-जोर से हँसने लगते है. तीनो गाड़ी के पास पहुँचते है तभी कुछ देख कर रमेश का दिमाग घूम जाता है.
रमेश : धत्त तेरी की..!! इसे भी अभी ही होना था...
पायल : क्या हुआ पापा?
रमेश : (गाड़ी के पहिये की तरफ इशारा करते हुए) ये देखो बेटी....गाड़ी का टायर पंक्चर हुआ पड़ा है.
उर्मिला : हे भगवान बाबूजी...!! अब क्या करें?
रमेश : गाड़ी में स्टेपनी भी नहीं है बहु. सोनू को कितनी बार कहा था की जब कभी भी गाड़ी निकाले पंक्चर वाले के यहाँ से स्टेपनी उठा लेना. गधा किसी की सुने तब तो...
पायल : पर पापा अब क्या करेंगे हम लोग?
रमेश : रुको बेटा...मैं देखता हूँ. शायद कोई पंक्चर वाला मिल जाए. तुम दोनों यहीं रुको, मैं अभी आता हूँ.
रमेश पंक्चर वाले को देखने निकल पड़ते है. गाड़ी के पास उर्मिला और पायल खड़े है. एक दुसरे का उतरा हुआ चेहरा देखते हुए दोनों उस पंक्चर हुए टायर को कोसने लगते है.
उर्मिला : इस मुए की भी हवा अभी ही निकालनी थी.
उर्मिला की इस बात पर पायल को हंसी आ जाती है. तभी एक मनचला घूमता हुआ वहां से गुजरता है. उर्मिला और पायल को अकेला देख कर वो धीरे-धीरे उनके करीब आता है. थोड़ी दूर पर खड़े हो कर वो दोनों की मदमस्त जवानी को ऊपर से निचे तक निहारने लगता है. उर्मिला जब उसे देखती है तो अपनी कोहिनी पायल के हाथ पर मारते हुए उस मनचले की तरफ इशारा करती है. उर्मिला के इशारे पर पायल सामने देखती है तो एक सावंला सा दुबला पतला आदमी, जिसकी उम्र २८-३० साल तक होगी, गले में रुमाल डाले और मुहँ में पतली सी लकड़ी फ़साये मुस्कुराते हुए उनकी तरफ देख रहा है. पायल जैसे ही उस आदमी की तरफ देखती है वो झट से अपना हाथ छाती पर रख कर दिल थामने के अंदाज़ में राजेश खन्ना की स्टाइल में सर हिलाने लगता है. पायल उर्मिला की तरफ घुमती है और दोनों मुहँ पर हाथ रखे हँसने लगती है. वो आदमी दोनों के हँसने से प्रोत्साहीत हो जाता है और उनके पास आ कर खड़ा हो जाता है. पास खड़ी गाड़ी पर अराम से हाथ रख कर और एक पैर को मोड़े हुए इस बार वो देव आनंद की तरह मुहँ बनाते हुए कहता है.
छेदी : बन्दे को लोग प्यार से...छेदी कहते है...
पायल थोडा उर्मिला के पीछे खड़ी हो जाती है और उर्मिला उस आदमी को बड़ी-बड़ी आँखे और मुहँ बनाते हुए कहती है.
उर्मिला : छेदी ??. क्यूँ? तुम्हारी चड्डी में कुछ ज्यादा ही छेद है क्या?
उर्मिला की बात सुन कर पायल को जोरो की हंसी आ जाती है. वो उर्मिला के कंधे पर सर रख कर हँसने लगती है. पहली ही बार में अपनी बेज्ज़ती होता देख वो आदमी सकपका जाता है. फिर संभलते हुए कहता है.
छेदी : हमारी चड्डी में ज्यादा छेद नहीं है मैडम जी...लोग तो हमें छेदी इसलिए कहते है क्यूंकि हम छेद भरने में माहिर हैं...
उर्मिला : ओह...अच्छा-अच्छा...!! तो मिस्त्री हो...दीवारों के छेद भरते हो...
उर्मिला की इस बात पर पायल अपने आप को रोक ही नहीं पाती है और अपने पेट पर हाथ रख कर हँसने लगती है. अपनी दूसरी बेज्ज़ती पर वो आदमी थोडा सहम जाता है. फिर संभलकर जवाब देता है.
छेदी : हम दीवारों के नहीं मैडम जी...खुबसूरत बलाओं के छेद भरते है....
उर्मिला : ओह अच्छा..!! तो आप यहाँ हमारे छेद भरने के इरादे से आयें है...
छेदी : (उर्मिला को ऊपर से निचे देखता हुआ) अब आपने सही समझा मैडम जी...
उर्मिला : चलो अच्छा है, कोई तो मिला. मेरे पति तो कभी मेरे छेद की तरफ देखते भी नहीं है. अब आप आ गए हो तो लग रहा है की मेरे छेद की भराई हो ही जाएगी.
उर्मिला की बात सुन कर पायल बड़े ही हैरानी से उसे देखने लगती है. उसे समझ नहीं आ रहा है की उर्मिला करना क्या चाहती है. उर्मिला की बात सुन कर वो आदमी मुस्कुराते हुए अपने गले के रुमाल में गाँठ मारते हुए कहता है.
छेदी : (मुस्कुराते हुए) तो बताइए मैडम जी...कब भरा जाए आपका छेद...
उर्मिला : नेकी और पूछ-पूछ. अभी ही चलते है...लेकिन........
छेदी : (उत्सुकता से) लेकिन क्या मैडम जी ?
उर्मिला : मेरे पति अभी आते ही होंगे. थोडा इंतज़ार करना होगा...
छेदी : (थोडा सहमते हुए) आपके पति का इंतज़ार? वो क्या करेंगे? वो भी आपका छेद भरेंगे क्या?
उर्मिला : नहीं नहीं...वो तो मेरे छेद को देखेंगे तक नहीं. मेरा छेद तो आप ही भरोगे. वो तो बस आपका छेद भरेंगे...दरअसल उन्हें मर्दों के छेद जो पसंद है....
उर्मिला की बात सुन कर वो आदमी लड़खड़ा जाता है. पायल फिर से अपने मुहँ पर हाथ रख कर हँसने लगती है. अपने आप को सँभालते हुए वो आदमी फिर से सीधा खड़ा हो जाता है.
छेदी : ये...ये आप क्या कह रही है मैडम ?
उर्मिला : वही जो आपने सुना. बस ५ मिनट रुकिए, वो आते ही होंगे.
तभी उर्मिला की नज़र सामने से आते हुए एक हट्टे-कट्ठे आदमी पर पड़ती है. देखते ही पता चल रहा था को वो जरुर जीम जाता है. उसके साथ एक और हट्टा-कट्ठा आदमी है और उसका बदन भी किसी जीम में बना हुआ लग रहा है. उर्मिला झट से उन दोनों की तरफ इशारा करते हुए कहती है.
उर्मिला : वो देखिये...मेरे पति आ रहे है. साथ में उनका साथी भी है. चलिए इसी बहाने से दोनों को आज छेद मिल जायेगा भरने के लिए.
वो आदमी मुड़ के दोनों को देखता है तो उसकी हवा निकल जाती है. उर्मिला भी गरम लोहे पर हतौड़ा मारते हुए उन दो आदमियों की तरफ हाथ उठा के हिला देती है. उनमें से एक उर्मिला को हाथ हिलाता देख अपना हाथ भी दिखा देता है. छेदी जब ये देखता है तो उसे यकीन हो जाता है की ये औरत सही कह रही है. वो तेज़ क़दमों से उन दो आदमियों को देखता हुआ जाने लगता है. पीछे से उर्मिला आवाज़ देती है.
उर्मिला : अरे छेदी जी...कहाँ चल दिए....अब मेरे छेद का क्या होगा ?
छेदी : (लगभग भागते हुए) अरे भाड़ में जाए आपका छेद. यहाँ मेरे छेद की जान पर बन आई है और वहां आपको अपने छेद की पड़ी है.
छेदी वहां से भाग निकलता है. उसके जाते ही उर्मिला और पायल एक दुसरे का हाथ पकडे जोर-जोर से हंसने लगती है.
पायल : बहुत अच्छा मज़ा चखाया आपने उस आदमी को भाभी. बड़ा राजेश खन्ना बना फिर रहा था. अब देखो कैसे दुम दबा कर भाग रहा है.
उर्मिला : और नहीं तो क्या? ऐसे बहुत से मनचलों को मैं स्कूल के वक़्त से ही ठीक करती आ रही हूँ...
पायल : सच भाभी...आपका भी जवाब नहीं...
पायल और उर्मिला छेदी का मजाक उड़ाती हँसे जा रही थी की तभी एक आवाज़ ने उनका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया. "एक्सक्यूज़ मी...!!". दोनों उस आवाज़ की दिशा में देखते है तो सामने वही दो हट्टे-कट्ठे मर्द खड़े हैं जिन्हें अभी-अभी उर्मिला ने हाथ दिखाया था. उर्मिला और पायल बिना कुछ कहे दोनों के शरीर की बनावट देखने में मगन हो जाती है. बड़ी और चौड़ी बाहें, चौड़ा निकला हुआ फौलादी सीना, मजबूत कंधे. उर्मिला दोनों को ऊपर से निचे तक देखने लगती है. पायल दोनों के गठीले शरीर को देखते हुए धीरे से उर्मिला के पीछे चुप जाती है और अपने ओंठ काटते हुए दोनों के बदन को निहारने लगती है.
पहला आदमी : जी मैंने कहा एक्स्क्युस मी....
उस आदमी के दोबारा कहने पर उर्मिला होश में आती है फिर संभलते हुए जवाब देती है.
उर्मिला : अ..जी..जी बोलिए...
पहला आदमी : आपने अभी-अभी हमे हाथ दिखाया था. क्या आप हमे जानती है.
उर्मिला : नहीं नहीं. मांफ करियेगा. दरअसल मैंने तो किसी और को हाथ दिखाया था. आपको जरुर कोई ग़लतफ़हमी हो गई है.
दूसरा आदमी : हो सकता है. वैसे आप लोगों को किस प्रकार की कोई मदद चाहिए तो आप बता सकती है.
उर्मिला : जी ऐसी कोई बात नहीं है. धन्यवाद...!
दूसरा आदमी : चलिए ठीक है......
दोनों आदमी पायल और उर्मिला को एक बार अच्छे से ऊपर से निचे देखते है और फिर मुस्कुराते हुए जाने लगते है. उनके जाते ही पायल अपने हाथ से चेहरे पर हवा करती हुई उर्मिला के सामने आती है.
पायल : बापरे भाभी....!! कितने हट्टे-कट्ठे थे ये दोनों. लगता है खूब कसरत करते हैं दोनों.
उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) अच्छा? बुला लूँ उन्हें कसरत करवाने? एक तेरे निचे कसरत करेगा और दूसरा तेरे ऊपर.
पायल : धत्त भाभी. आप कुछ भी बोल देते हो. अभी तक तो बाबूजी भी ठीक से कसरत नहीं कर पाए हैं और आप तो दो-दो लोगों की एक साथ कसरत करवाने की बात कर रहीं है.
उर्मिला : (प्यार से पायल का गाल सहलाते हुए) ओह हो..!! तो अगर बाबूजी ने कसरत कर ली तो मेरी ननद एक साथ दो मर्दों से कसरत करवा लेगी....हैं ना?
पायल : (शर्माते हुए नज़रें झुका कर) तब की तब देखेंगे....
तभी रमेश आते दिखाई देते है तो दोनों उन्हें देख कर खुश हो जाते है. रमेश के साथ एक और आदमी चला आ रहा था जो देखने में ही कोई टायर ठीक करने वाला लग रहा था. दोनों गाड़ी के पास आते है.
रमेश : लो भाई. ये है गाड़ी. जरा जल्दी से टायर ठीक कर दो. बहुत देर हो चुकी है. (फिर उर्मिला और पायल को देख कर) तुम दोनों को कोई परेशानी तो नहीं हुई ना?
उर्मिला : जी नहीं बाबूजी. हम दोनों तो बस बातें करते हुए वक़्त बिता रहे थे.
वो आदमी निचे बैठ कर टायर का निरक्षण करता है. कुछ देर निरक्षण करने के बाद वो खड़ा होता है और रमेश को एक बड़ी सी कील दिखाते हुए कहता है.
मेकानिक: बाउजी ... इसका ट्यूब तो गया. इस कील ने ट्यूब का काम तमाम कर दिया है. बदलनी पड़ेगी.
रमेश : अरे कोई बात नहीं भाई. बदलो दो. पर जो करना है जरा जल्दी करो.
मेकानिक : बाउजी जल्दी तो नहीं हो पायेगा. इसकी ट्यूब यहाँ मिलेगी नहीं. ४-५ किलोमीटर दूर जाना पड़ेगा. मेरे पास तो साइकिल है. वक़्त लगेगा.
रमेश : (चिंतित होते हुए) कितना वक़्त?
मेकानिक : (सोचते हुए) उम्म... मान के चलिए कुल मिलकर १.३० से २ घंटे तो लग जायेंगे...
रमेश : अरे नहीं भाई...ऐसा मत बोलो...२ घंटे तो बहुत होते है. इतनी देर तो हम रुक नहीं पाएंगे. ८:१५ तो हो चुके, तुम कब टायर ठीक करोगे और कब हम घर पहुचेंगे....
मेकानिक : बाउजी इसके अलवा तो और कोई रास्ता नहीं है.
रमेश : कोई तो रास्ता होगा भाई. इतनी देर तो नहीं रुक पाएंगे.
मेकानिक : देखिये बाउजी ... आप भले लोग लग रहे है. और आपके साथ दो लेडीज़ भी है. अगर आपको इस गरीब पर विशवास है तो बस पकड़ के घर चले जाईये. ५००/- रुपये और अपना पता दे दीजिये. गाड़ी आज रात तक आपके घर पहुँच जाएगी.
रमेश उस आदमी की बात सुन कर कुछ सोचते है फिर पायल और उर्मिला की तरफ देखते है. उनके चेहरे पर भी परेशानी के भाव है. रमेश फिर उस आदमी से कहते है.
रमेश : भाई पर गाड़ी तो सही सलामत पहुँच जाएगी ना?
मेकानिक : आप उसकी चिंता मत करिए बाउजी. बस जो भी गाड़ी ले कर आये उसे २००/- रूपये दे देना वापस आने के लिए.
रमेश : ठीक है भाई. ये ही सही. और ये बस कहाँ से मिलेगी?
मेकानिक : वो सामने बाउजी...चाय की दूकान के दूसरी तरफ.
रमेश उस आदमी को अपना पता और ५००/- देते है. तीनो चलते हुए बस स्टॉप पर पहुँचते है. ८-९ लोग बस के इंतज़ार में खड़े है. रमेश भी पायल और उर्मिला के साथ एक कोने में खड़े हो जाते है और बस का इंतज़ार करने लगते है. कुछ ही देर में एक बस आती दिखाई पड़ती है तो रमेश, उर्मिला और पायल सड़क के किनार जा कर खड़े हो जाते है. बस आ कर रूकती है तो भीड़ के साथ तीनो धक्का-मुक्की करते हुए बस में घुस जाते है. बस के बीच वाले हिस्से में वो तीनो पहुँच जाते है. वहां सिर्फ एक सीट खाली है. उसके साथ वाली सीट पर एक औरत बैठी हुई है. रमेश झट से उस खाली सीट को घेर लेते है.
रमेश : आओ बहु...जल्दी से बैठ जाओ...
उर्मिला : नहीं बाबूजी...आप बैठ जाईये. आप तो इतना चले भी है और आपके घुटनों में भी दर्द रहता है.
पायल : हाँ पापा...आप बैठ जाईये. मैं और भाभी यहीं पर आपके पास ही खड़े हो जाते है.
पायल और उर्मिला की बात मान कर रमेश उस सीट पर बैठ जाते है. उर्मिला रमेश के बगल में उनके कंधे के पास खड़ी हो जाती है और पायल उनके सामने पैरो की तरफ. रमेश अपने साथ बैठी महिला से पूछते है.
रमेश : आप कहाँ तक जायेंगी?
महिला : जी बस दुसरे स्टॉप पर ही उतरना है.
रमेश : (पायल और उर्मिला को देख कर) इनका स्टॉप आएगा तो तुम दोनों में से कोई यहाँ बैठ जाना.
उर्मिला : पायल तू बाबूजी के साथ बैठ जाना. इतनी देर खड़े हो कर सफ़र करेगी तो परेशान हो जाएगी.
पायल भी सर हिला कर उर्मिला की बात मान लेती है. बस अगले स्टॉप की ओर बढती है. सामने बस स्टॉप का नज़ारा देखते ही उर्मिला और पायल की हालत खराब हो जाती है. बस स्टॉप पर बहुत सारे लोग बस का इंतज़ार कर रहे है. पायल और उर्मिला एक दुसरे को मुहँ उतार कर देखते है. आने वाली भीड़ से निपटने की तैयारी करते हुए उर्मिला अपनी कमर रमेश की सीट पर टिका देती है और एक हाथ उठा के ऊपर लगे लोहे के रॉड को पकड़ लेती है. पायल भी रमेश की सामने वाली सीट पर अपनी कमर लगा कर ऊपर वाली रॉड को पकड़ लेती है. स्टॉप पर बस जैसे ही रूकती है, भीड़ जानवरों की तरह बस के दोनों दरवाजों से अन्दर घुसने लगती है. कुछ ही पल में पूरी बस भीड़ से खचा-खच भर जाती है. पायल और उर्मिला के तीनो तरफ लोग आपस में एक दुसरे से चिपके खड़े है. चौथी तरफ बाबूजी सीट पर बैठे है. रमेश भीड़ में उर्मिला और पायल की हालत देखते है पर वो कुछ भी नहीं कर पाते है. भीड़ को देखते हुए उर्मिला मुहँ बनती है. तभी उसकी नज़र पायल के पीछे खड़े एक आदमी पर जाती है तो उसकी आँखे बड़ी हो जाती है. वो वही दो हट्टे-कट्ठे आदमियों में से एक था जिसे उर्मिला ने मंदिर के बाहर हाथ दिखाया था. वो मुस्कुराता हुआ उर्मला को देखते हुए पायल के ठीक पीछे खड़ा था. उर्मिला भी उसे देख कर बनावटी मुस्कान दे देती है. तभी भीड़ में से उसका दूसरा साथी किसी तरह जगह बनता हुआ उर्मिला और पायल के ठीक पास आ कर खड़ा हो जाता है. वो भी उर्मिला को देख कर मुस्कुरा रहा था. उर्मिला की समझ में नहीं आ रहा था की वो क्या करे. पायल भी दोनों को पहचान लेती है और आँखे बड़ी कर के उर्मिला को देखने लगती है. तभी उर्मिला के ठीक पीछे खड़ा एक आदमी कहता है. "और भाई...कैसे हो?". उर्मिला के कानो में जब वो आवाज़ पड़ती है तो उसके दिल की धड़कन बढ़ जाती है. ये आवाज़ उसने पहले भी सुन रखी थी. वो धीरे से अपनी गर्दन घुमा कर तिरछी नज़रों से पीछे देखती है तो उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती है. वो आदमी कोई और नहीं, बल्कि वही दुबला पतला मनचला छेदी थे. पायल देखती है तो छेदी उसे देख कर मुस्कुरा रहा है. छेदी की बात का जवाब देते हुए दूसरा हट्टा-कट्ठा मर्द कहता है. "बस भाई...सब बढियां है".
छेदी : भाई कमाल है. इतनी बढियाँ बाडी-शाडी बना राखी है आप दोनों ने और अब तक शादी नहीं हुई ?
दूसरा आदमी : (हँसते हुए) बस लड़की देख रहे है जी...
छेदी की बात सुन कर उर्मिला समझ जाती है की कुछ देर पहले जो उसने झूठ बोल कर छेदी को बेवक़ूफ़ बनाया था, अब वो चोरी पकड़ी गई है. वो चुप-चाप उनकी बाते सुनते हुए खड़ी हो जाती है. येही हाल पायल का भी था. छेदी आगे कहत है.
छेदी : (दोनों हट्टे-कट्ठे आदमियों से) भाई आप दोनों से बस स्टॉप पर बात-चीत करके बड़ा मजा आया. (पायल को घूरते हुए) कुछ लोगों को आपके बारें में गलतफहमी हो गई है. कोई बात नहीं...ठीक है...हो जाता है.
उर्मिला सारी बातें चुप-चाप खड़ी हो कर सुन रही थी. उसकी सारी होशियारी निकल कर हवा हो चुकी थी. पायल भी डरे हुए उर्मिला को देखने लगती है. इन सारी बातों से बेखबर रमेश चुप-चाप सीट पर बैठा है. उसे इस बात की जरा भी भनक नहीं थी की ये सब चल क्या रहा है.
तभी दूसरा बस स्टॉप आ जाता है और बस का ड्राईवर जोरो से ब्रेक लगा देता है. बस एक झटके से रुक जाती है तो उर्मिला के पीछे खड़ा छेदी, उर्मिला से पीछे से चिपक जाता है. पायल भी झटका खा कर पीछे खड़े तगड़े आदमी से टकरा जाती है. छेदी धीरे-धीरे उर्मिला से अलग होता हुआ कहता है.
छेदी : बहुत भीड़ है भाई...बहुत भीड़ है...
रमेश इस घटना को देख लेते है. जिस तरह से एक अनजान आदमी उर्मिला के पीछे से चिपक गया था और जिस तरह से पायल एक अनजान आदमी से पीछे हो कर चिपक गई थी, रमेश को इन बातों पर गुस्सा नहीं आ रहा था. बल्कि रमेश की धोती में सोये हुए लंड में एक हरकत सी होने लगी थी. अपनी ही बहु और बेटी को किसी अनजान मर्दों से चिपकता देख कर रमेश को मजा आया था. इस बात से उर्मिला और पायल दोनों ही अनजान थे.
उस स्टॉप पर भी कुछ लोग बस में घुस जाते है तो बस के अन्दर बुरा हाल हो जाता है. दोनों दरवाजों से घुसती भीड़ की वजह से बस के बीच की जगह का बुरा हाल हो जाता है. लोग एक दुसरे से चिपक जाते है और हिलने डुलने की भी जगह मुश्किल हो जाती है. इस बात का फ़ायदा उठा कर छेदी उर्मिला की बड़ी-बड़ी चुतड पर अपने आगे का हिस्सा चिपका कर खड़े हो जाता है. पायल के पीछे खड़ा तगड़ा आदमी भी पायल की चुतड से चिपक जाता है. दूसरा तगड़ा आदमी अब उर्मिला और पायल के बीच खड़ा हो जाता है और अपना चेहरा उर्मिला की तरफ कर देता है. उर्मिला के पीछे छेदी चिपका खड़ा है और आगे दूसरा तगड़ा आदमी. उर्मिला दोनों के बीच 'सैंडविच' बनी हुई है. पायल के सामने दुसरे तगड़े आदमी की पीठ है और पीछे पहला तगड़ा आदमी. वो भी दोनों के बीच 'सैंडविच' बनी हुई है.
रमेश जब उर्मिला और पायल को इस तरह मर्दों के के बीच फंसा देखते है तो उनके लंड में तनाव आने लगता है. वो बिना कुछ कहे चुप-चाप इस नज़ारे का मज़ा लेने लगते हैं. बस निकल पड़ती है और छेदी उर्मिला के पीछे अपना काम शुरू कर देता है. बस काफी पुरानी है और चलते हुए हिल रही है. बस के इस तरह से हिलने का पूरा फायेदा उठाते हुए छेदी उर्मिला की बड़ी चूतड़ों के बीच अपनी पैंट में बने बड़े से उभार को दबा देता है. अपनी चूतड़ों के बीच किसी मोटे और सक्त चीज़ का अहसास होते ही उर्मिला समझ जाती है की ये छेदी का लंड ही है. वो सोचती है की एक दुबले पतले आदमी का ऐसा मोटा लंड कैसे हो सकता है. लंड को परखने के लिए उर्मिला अपनी चुतड हल्का सा पीछे कर देती है. उर्मिला को इस तरह से चुतड पीछे करते देख छेदी भी अपनी कमर आगे कर देता है और उर्मिला की चूतड़ों के बीच दबाव बना देता है. अब उर्मिला को यकीन हो जाता है की ये छेदी का लंड ही है जो मोटा होने के साथ-साथ लम्बा भी है.
सामने पायल का भी वैसा ही हाल था. उसके पीछे खड़ा तगड़ा आदमी पायल की चूतड़ों के बीच अपना लंड पैंट के अन्दर से चिपकाए खड़ा था. जब भी बस हिल जाती तो वो अपना लंड पायल की स्कर्ट के ऊपर से चूतड़ों पर रगड़ देता. रमेश अब उर्मिला और पायल के साथ हो रही इस घटना का पूरा मजा लेने लगा था. ये सब देख कर उसके लंड में हलचल हो रही थी. तभी बस के सामने एक गाय आ जाती है और ड्राईवर जोर से ब्रेक लगा देता है. ब्रेक लगने से उर्मिला पहले आगे होती है तो उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां सामने वाले तगड़े आदमी के सीने पर पूरी तरह से दब जाती है. पीछे छेदी भी अपनी कमर आगे कर उर्मिला की चूतड़ों के बीच दबा देता है. जैसे ही बस रूकती है तो उर्मिला झटका खाते हुए पीछे हो जाती है. पीछे छेदी अपने लंड का उभार लिए खड़ा था. जैसे ही उर्मिला पीछे हुई, छेदी ने अपने लंड का उभार उर्मिला की चूतड़ों के बीच झटके से घुसा दिया. झटका इतने जोर का था की लंड का उभार उर्मिला की साड़ी के साथ उसकी चूतड़ों के बीच घुस जाता है. अब छेदी का लंड उर्मिला की चूतड़ों में घुसी साड़ी के साथ अन्दर फस हुआ था. उर्मिला भी छेदी के लंड की मोटाई अच्छे से महसूस कर पा रही थी. अब उर्मिला भी मजा लेने लगी थी. छेदी अपने लंड को हल्का सा झटका देता तो उर्मिला भी अपनी चुतड भींच के उसके लंड को पकड़ सी लेती. छेदी भी समझ गया था की अब आगे का रास्ता असान हो गया है.
सामने पायल भी अब उसके साथ होने वाली मस्ती का मजा लेने लगी थी. तगड़े आदमी ने अब अपनी कमर पायल की चुतड से चिपकाए, एक हाथ से उसकी कमर को सहलाना भी शुरू कर दिया था. पैंट के अन्दर से अपने लंड को पायल की स्कर्ट में कैद चूतड़ों पर रगड़ते हुए वो अपने हाथ को कमर से उसके पेट पर लाने लगा था. धीरे-धीरे पायल का पेट सहलाते हुए वो अपनी कमर को पायल की चूतड़ों पर हिलाए जा रहा था. तभी बस के अन्दर जल रही तीन बत्तियों में से पीछे और बीच की बत्तियाँ बुझ जाती है और बस में लगभग अँधेरा सा छा जाता है. एक बत्ती जो ड्राईवर की सीट के पास है, वही जल रही है. बस में अँधेरा होने से रमेश अपनी आँखों पर जोर डालते हुए उर्मिला और पायल के साथ क्या हो रहा है वो देखने लगते है.
अँधेरे का फायेदा उठा के छेदी अब उर्मिला से पूरा चिपक गया था. उर्मिला की कमर में हाथ डाले वो उसके की पिछवाड़े पर निचे से ऊपर अपनी कमर रगड़े जा रहा था. उर्मिला के सामने वाले तगड़े मर्द ने थोडा झुक कर अपना मुहँ उर्मिला की बगल में घुसा दिया था. उर्मिला हाथ उठाये ऊपर रॉड पकडे खड़ी थी और वो मर्द अपना मुहँ उसकी बगल में घुसाए बाहं के निचे ब्लाउज के गीले हिस्से हो सूंघे जा रहा था. उर्मिला के ब्लाउज की बांह छोटी और हाथ ऊपर होने की वजह से उसकी बगल लगभग आधी बाहर दिख रही थी. वो आदमी बगल सूंघते हुए बीच-बीच में छोटी बाहं में जीभ घुसा कर उर्मिला की बालोवाली बगल चाट लेता. पीछे छेदी और आगे तगड़ा आदमी उर्मिला को पूरा मजा दे रहे थे.
सामने पायल की टॉप में तगड़े आदमी ने अपना हाथ घुसा दिया था. टॉप के अन्दर हाथ घुसा के वो पायल के एक दूध को दबोच कर मसले जा रहा था. पायल आँखे बंद किये अपना दूध उस अनजान मर्द से मसलवा रही थी. तेज़ साँसों के साथ पायल मस्ती में मजा ले रही थी की अचानक उसकी नज़र रमेश पर पड़ी. रमेश ये सब घुर के देख रहा था. पायल को सबसे ज्यादा हैरानी तब हुई जब उसने देखा की पापा का एक हाथ धोती के अन्दर है और वो ये सब देखते हुए अपना लंड मसल रहें है. पायल इस बात से हैरान तो हुई लेकिन ना जाने क्यूँ उसे भी इसमें मजा आ रहा था. अपने ही पापा के सामने किसी अनजान मर्द से दूध दबवाने में उसे अब मजा आने लगा था और ये मजा दुगना हो गया था जब खुद उसके पापा भी अपना लंड मसल कर मजा ले रहे थे. पायल का बदन मस्ती में झूम उठा था. रमेश लंड मसलते हुए पायल को देख रहे थे और पायल अपना दूध पराये मर्द से दबवाते हुए पापा को. तभी पापा को देखते हुए पायल ने एक हाथ से अपनी टॉप आगे से थोड़ी ऊपर कर दी तो नीचे सीट पर बैठे रमेश को हलकी सी रौशनी में पायल के बड़े दूध पर एक हाथ घूमता हुआ दिख गया जो बीच-बीच में पायल के दूध को दबोच ले रहा था तो कभी निप्पल मसल दे रहा था. ये नज़ारा देख कर रमेश ने धोती के अन्दर अपने हाथ की गति बढ़ा दी.
तभी अगला बस स्टॉप आ गया और रमेश के साथ बैठी महिला ने चिल्ला कर कहा, "बस रोको भाई. मुझे उतरना है". उस महिला की आवाज़ से छेदी और तगड़े मर्द संभल जाते है और अपना काम छोड़ कर सीधे खड़े हो जाते है. फिर वो महिला रमेश से कहती है. "भाई साहब जरा हटिये. मेरा स्टॉप आ गया है". रमेश उठ जाते है तो वो वहां से बाहर निकलती है. उसके निकलते ही रमेश पायल को इशारा करते है तो पायल झट से अन्दर घुस कर खिड़की वाली सीट पर बैठ जाती है और रमेश अपनी सीट पर बैठ जाते है. पायल को सीट पर बैठता देख तगादा मर्द निराश हो जाता है लेकिन फिर सामने उर्मिला को देख कर मुस्कुराते हुए उसकी दूसरी तरफ खड़ा हो जाता है. अब उर्मिला के पीछे छेदी है, सामने और दूसरी तरफ तगड़े मर्द और एक तरफ बाबूजी बैठे है.
उर्मिला अपने आप को किसी चक्रव्यूह में फंसा हुआ पाती है. उस चक्रव्यूह में कोई तलवार, तीर-कमान या भाले जैसे हथियार नहीं थे, बल्कि लंड और हाथ जैसे हथियार थे जो उर्मिला के बदन को घायल कर रहे थे. लंड और हाथ रुपी इन हथियारों के घाव उर्मिला को पीड़ा नहीं बल्कि उत्तेजना और आनंद से भर दे रहे थे. उसे इस चक्रव्यूह से निकालने वाले अभिमन्यु रुपी बाबूजी खुद इस का एक हिस्सा बने मजा ले रहे थे. जब उर्मिला बाबूजी की तरफ देखती है तो वो आँखे फाड़े धोती में अपना लंड मसलते हुए उसे देख रहे थे. उर्मिला बाबूजी को देखते हुए अपने ओंठ काट लेती है और आँखे बंद किये अपने शरीर को उस चक्रव्यूह के रचेता, छेदी और उन दो तगड़े आदमियों के सामने आत्मसमर्पित कर देती है.
(अगला भाग भी लिख ही रही हूँ. जब तक वो तैयार होता है तब तक इसका मजा लें. छेदी का किरदार कैसा लगा ये जरुर बतायें. आगे छेदी बड़े काम की चीज़ साबित होने वाला है)
(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
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