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Incest घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ]

पायल किस से अपनी सील तुड़वाये ?

  • पापा

    Votes: 196 70.0%
  • सोनू

    Votes: 80 28.6%
  • शादी के बाद अपने पति से

    Votes: 4 1.4%

  • Total voters
    280
  • Poll closed .

Mastrani

Member
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अपडेट २१.५:

पायल : हाँ पापा...बहुत तड़पी हूँ आपके लंड के लिए....

रमेश : (फिर से पायल के दूध मसल देते हैं और लंड बूर में रगड़ देते है) ओह पायल...!!

तभी उर्मिला, जो वहां कड़ी बाप-बेटी की मस्ती देख रही थी, कहती है...

उर्मिला :बाबूजी...मैं बस २ मिनट में पेशाब कर के आती हूँ....

रमेश : कहाँ जोगी बहु....यहीं बाथरूम में कर लो...

उर्मिला धीरे-धीरे बाथरूम की और बढ़ने लगती है जिसका दरवाज़ा उसी कमरे के एक कोने है. तभी बाबूजी पायल के कान में धीरे से कहते है.

रमेश : (पायल के कान में धीरे से) मेरी पायल भी पेशाब करेगी?

पायल धीरे से सर हिला कर हामी भर देती है. रमेश उर्मिला को पीछे से आवाज़ देते है.

रमेश : बहु...पायल भी पेशाब करेगी...इसे भी साथ ले जा...

उर्मिला मुस्कुराते हुए पायल के पास आती है और उसका हाथ पकड़ के धीरे से उसे उठाती है. पायल धीरे-धीरे खड़ी होती है तो उसकी बूर पापा के लंड पर रगड़ खाते हुए ऊपर की और जाती है. जैसे हे बूर टोपे से चिपक कर ऊपर होती है तो पापा का एक झटका लेता है और चिप-चिपे पानी की कुछ बूंदे हवा में उड़ जाती है. उर्मिला और पायल पापा को देख कर एक बार मुस्कुराती है और धीरे-धीरे बाथरूम की तरफ बढ़ने लगती है. रमेश दोनों की हिलती हुई चुतड देख कर खड़ा होता है और उनके पीछे-पीछे चल देता है. पायल बाथरूम में घुस कर जैसे ही निचे बैठने जाती है, उर्मिला उसके कंधे पर हाथ रखते हुए रोक लेती है.

उर्मिला : अरे अरे पायल? इस तरफ मुहँ कर के कहाँ बैठ रही है? दरवाज़े की तरफ मुहँ कर के बैठ....

पायल दीवार की तरफ मुहँ कर के घुटने मोडे हुए बस बैठने को ही थी की उर्मिला ने उसे रोक दिया था. वो वैसे ही उर्मिला को दखती है फिर धीरे से खड़ी होती है और दरवाज़े की तरफ घूम जाती है. जैसे ही उसका मुहँ दरवाज़े की तरफ होता है, सामने दरवाज़े पर पापा अपने मोटे लंड को हाथ में लिए खड़े है. पापा को देखते ही पायल शर्मा जाती है.

उर्मिला : ऐसे क्या शर्मा रही है लाडो. बैठ जा पापा के सामने पेशाब करने...

रमेश : बहु...तुम भी बैठ जाओ. दोनों भाभी-ननद साथ में पेशाब कर ले तो और भी अच्छा है.

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) जी बाबूजी....

पायल और उर्मिला एक दुसरे को देख कर मुस्कुरा देती है. फिर अपनी-अपनी नाईटी कमर तक उठाये दोनों धीरे-धीरे टाँगे खोलते हुए निचे बैठने लगती है. बाबूजी की नज़र दोनों की खुलती हुई बालोवाली बुरों पर ही टिकी हुई है. दोनों पेशाब करने निचे टाँगे खोले बैठ जाती है. दोनों की जांघे फैली हुई है और बीच में बालो से भरी बूर के ओंठ भी हलके से खुल गए है. बाबूजी दोनों की बुरों को ओंठ पर जीभ फेरते हुए देख रहे है. पायल और उर्मिला फिर एक बार एक दुसरे को देख कर मुस्कुरा देती है और फिर बाबूजी को देखने लगती है. निचे दोनों की बुरों के ओंठ एक बार आपस में भींच जाते है और जब वो खुलते है तो पेशाब की एक मोटी धार दोनों की बुरों से सुर्र्रर्र्र्रर्र्र की आवाज़ करती हुई गिरने लगती है. बाबूजी ये नज़ारा देख कर एक बार जोर से लंड मुठिया देते है. फिर बाबूजी निचे बैठ जाते है और अपना सर ज़मीन के साथ रख कर निचे से दोनों की बुरों से पेशाब की मोटी धार को निकलते देखने लगते है. पायल जब पापा को इस तरह से निचे झुके हुए देखती है तो वो भी मस्ती में अपनी टाँगे और ज्यादा खोल देती है. पायल की बूर के ओंठ खुल जाते है और पेशाब की धार और ज्यादा तेज़ हो जाती है. ये देख कर रमेश भी अपने लंड को पकडे कमर आगे कर देते है जिस से लंड की चमड़ी हाथ में सिमट जाती है और टोपा खुल के सामने दिखने लग जाता है. रमेश पायल की बूर को को देखते हुए अपने लंड को उस दिशा में करते है और एक जोर का झटका देते है. पायल पापा के लंड को अपनी बूर की तरफ झटका खाता देखती है तो वो भी अपनी टाँगे खोल के कमर को झटका देती है. उर्मिला को बाप-बेटी की यह जुगलबंदी बहुत पसंद आती है.

पेशाब करने के बाद पायल और उर्मिला खड़ी होती है और अपनी नाईटी निचे कर के मुस्कुराते हुए बाथरूम से बाहर आती है. एक दुसरे की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए दोनों रमेश के सामने से जाने लगती है. रमेश निचे बैठे हुए दोनों की आधी नंगी मटकती हुई चुतड देखते है. पायल की गोरी-गोरी चौड़ी, हिलती हुई चुतड देख कर रमेश से रहा नहीं जाता. वो पायल को पीछे से उसकी जांघो के बीच हाथ डाल कर उठा लेते है. पायल की पीठ रमेश की मजबूर छाती पर चिपक जाती है. रमेश पायल को हवा में उठाये हुए उसकी जांघे खोल देते है और सामने दीवार पर टंगे बड़े से आईने की तरफ घूम जाते है. आईने में पायल की बूर के बालों के बीच खुले हुए ओठों से लाल छेद साफ़ दिख रहा है जो थोडा अन्दर जा कर बंद है. बूर के ओंठों से लार बह रही है जो धीरे-धीरे फिसलती हुई पायल की चूतड़ों की तरफ बढ़ रही है. रमेश पायल की कसी हुई बूर देख कर उर्मिला से कहते है.

रमेश : बहु....जरा देखो तो मेरी बिटिया रानी की बूर...कैसी कसी हुई है....

उर्मिला : हाँ बाबूजी...बहुत मजा देगी. आपका मोटा लंड पूरा कसा हुआ जायेगा अन्दर....

रमेश : जरा अपनी बूर भी तो दिखाओ बहु....देखूं तो कैसी बूर है मेरी बहु की....

बाबूजी की बात सुन कर उर्मिला मुस्कुराते हुए सामने आती है और बाबूजी के पास खड़ी हो कर अपना एक पैर पास रखी कुर्सी पर रख देती है. कमर आगे करते हुए उर्मिला दोनों हाथों से अपनी बालोवाली बूर के ओंठों को फैला देती है. ओंठ फैलते ही उर्मिला की बूर का लाल छेद दिखने लगता है जो गहरा है. रमेश पायल और उर्मिला की बूर को गौर से देखते है. एक कुवांरी बूर और चूदी हुई बूर का अंतर वो साफ़ देख रहें है.

रमेश : बहु...तुम्हारी बूर भी बहुत रसीली और चोदने लायक है. मजा आ जायेगा तुम्हारी बूर में लंड दे कर...

उर्मिला : हाँ बाबूजी...आपका ऐसा मोटा तगड़ा लंड ले कर तो किसी भी लड़की के भाग खुल जायेंगे...

रमेश पायल को धीरे से निचे उतार देते है और बिस्तर की तरफ चल देते है. वो बिस्तर पर पीठ के बल लेट जाते है. दोनों पैर घुटने से मुड़े हुए है और टाँगे ज़मीन पर है. जांघो के बीच रमेश का ११ इंच लम्बा और मोटा लंड आसमान की तरफ देखता हुआ सीना ताने खड़ा है. पायल और उर्मिला की नज़र रमेश के लंड पर टिक जाती है. रमेश पायल को मुस्कुराते हुए देखते है.

रमेश : आज मेरी प्यारी रानी बेटी पापा का गन्ना नहीं चूसेगी?

रमेश की बात सुन कर पायल धीरे-धीरे बिस्तर की तरफ बढ़ने लगती है. उसकी साँसे तेज़ है और शरीर उत्तेजना से गर्म हो रखा है. धीरे-धीरे चलते हुए वो रमेश की टांगो के बीच पहुँच जाती है. अपने दोनों घुटनों को मोड़ कर को रमेश की टांगो के बीच बैठ जाती है. उसकी नज़रों के सामने रमेश का मोटा लंड उसे बुला रहा है. पायल जीभ बाहर निकल कर अपना सर आगे करने लगती है. पायल का मुहँ अभी लंड पर कास जायेगा ये सोच कर रमेश आँखे बंद कर लेते है. अपनी जाँघों के बीच वो पायल की गर्म साँसे महसूस करते है. तभी कुछ ऐसा होता है की रमेश हडबडा के अपनी आँखे खोल देते है और सर उठा के अपनी जांघो के बीच देखने लगते है.

वो ये देख कर हैरान हो जाते है की पायल की जीभ का निशाना उनका मोटा लंड नहीं बल्कि लंड के निचे लटकते उनके दो बड़े बड़े अंडकोष थे जिन पर पायल बड़े प्यार से अपनी जीभ घुमा रही थी. रमेश हैरान इस बात से थे की उनके काले-सफ़ेद बालों से भरे अन्डकोशों को शायद ही किसीने कभी छुआ भी हो. आज उनकी अपनी बेटी, जो इतनी खूबसूरत है, जो एक इशारा कर दे तो अच्छे-अच्छों की लाइन लग जाए, वो उनके अन्डकोशों को अपनी जीभ से चाट रही थी.

पायल पापा के अन्दोकोशों को बड़े प्यार से चाट रही थी. दोनों पर बारी बारी जीभ घुमाते हुए वो ऊपर निचे से ऊपर तक चाट जाती. रमेश पायल की इस हरकत को बड़े गौर से देख रहे थे. तभी पायल ने एक बॉल को चाटते हुए अपने मुहँ में भर लिया और किसी लोलीपोप की तरह चूसने लगी. रमेश के मुहँ से "आह्ह्ह्ह...!!" निकल गई और उनकी आँखे बंद हो गई. अपने पैरों को ज़मीन से उठा कर रमेश उन्हें घुटनों से पकड़ कर अपनी छाती के पास ले आते है. अब रमेश के दोनों अंडकोष पायल के सामने अच्छी तरह से आ जाते है. पायल दुसरे बॉल को भी उसी तरह से मुहँ में भर कर चूसने लगती है. चूसते हुए पायल धीरे से बॉल को मुहँ में भर कर खींच देती है तो रमेश के चेहरे पर दर्द और आनंद के भाव एक साथ दिखाई पड़ जाते.

कुछ देर इसी तरह से अंडकोष को चूसने के बाद पायल की नज़र किसी चीज़ पर ठहर जाती है. कुछ क्षण गौर से उस चीज़ को देखने के बाद पायल धीरे से अपना सर रमेश की जांघो के बीच फिर से ले जाती है. इस बार पायल जो करती है वो रमेश ने कभी अपने सपने में भी नहीं सोचा था. पायल ने अपनी जीभ रमेश की गुदा (गांड का छेद) पर रख दी थी और धीरे-धीरे जीभ उसके इर्द-गिर्द घुमाने लगी थी. ये देख कर रमेश "आह्ह्ह..!!" करते हुए बिस्तर पर अपना सर रख देते है और आँखे बंद किये उस अविश्वसनीय घटना का आनंद लेने लगते है.

ये द्रिश्य उर्मिला भी बड़ी ही हैरानी के साथ देख रही थी. उर्मिला को हमेशा से ही अपने आप पर बड़ा गुमान था. वो अपने आप को कामदेवी का रूप समझती थी. इस घर में वो एक संस्कारी बहु होने का किरदार निभा रही रही थी. जैसे ही घर में रिश्ते लंड और बूर के रिश्तों में बदलने लगे, उर्मिला ने फिर से कामदेवी का रूप ले लिया. लेकिन आज पायल जैसी एक खूबसूरत और जवान लड़की को अपने ५२ साल के पिता की गुदा को इस तरह से चाटता हुआ देख उसका कामदेवी होने का अहंकार टूट चूका था. आज उर्मिला को अपनी शिष्या पर गर्व महसूस हो रहा था. आज उसने अपने पिता को वो सुख दिया था जो शायद उन्हें किसी कुवांरी बूर को चोद कर भी न मिला था.

पायल रमेश की गुदा को चाटते हुए अपनी जीभ अन्दर गुसने की कोशिश करने लगती. कभी वो अपनी जीभ गुदा पर रख कर निचे से ऊपर अन्डकोशो तक चाट जाती. इस परमानंद में डूबा हुआ रमेश एक हाथ पायल के सर पर फेरते हुए अपना प्यार जाता रहा था. कुछ देर रमेश को वो परमसुख की अनुभूति कराने के बाद पायल अपना सर ऊपर उठा देती है और रमेश की जांघो पर हाथ रख कर अपने ओठों को लंड के टोपे पर रख देती है. पायल के ओंठ फिसलते हुए रमेश के लंड को आधा मुहँ में भर लेते है. पायल की जीभ मुहँ के अन्दर लंड के टोपे पर घुमने और फिसलने लगती है. रमेश भी अपनी कमर को निचे से उठा के पायल के मुहँ में पूरा लंड भरने की कोशिश करने लगते है. बीच-बीच में पायल अपना सर स्थिर कर देती तो रमेश ४-५ जोदार लंड के झटके पायल के मुहँ में मार देते.

रमेश जब देखते हैं की उनके लंड की नसे पूरी तरह से फूल गई है और अब वो बूर में घुसने के लिए तैयार है तो वो बिस्तर पर बैठ जाते है. पायल के सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए वो उसे उठाते है. उसकी नज़रों में नज़रें मिलाते हुए रमेश पायल के कंधो को पकड़ के धीरे-धीरे बिस्तर पर लेटा देते है. पायल की साँसे अब बहुत तेज़ हो गई है. आगे होने वाली घटना को सोच कर ही उसका दिल धड़कने लगा है. उर्मिला भी अब पायल के सर के पास बैठ जाती है और अपना हाथ उसके सर पर फेरने लगती है. रमेश पायल की टांगो के बीच बैठ जाते है और धीरे-धीरे पायल पर चढ़ते हुए उसके दोनों दूध को हाथों से दबाते चूसने लगते है. पायल मस्ती में अपनी आँखे बंद किये अपने शरीर को रमेश के हवाले कर देती है.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
 
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Lutgaya

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