Update - 22
मै- आरे माँ खुले मे ही तो सेक्स करने मे मजा है.... लाओ अब आपने तो मेरे मुन्ने का जूस पि लिया अब मुझे भी अपनी मुनिया का जूस पिने दो....
ओर इतना कह कर मे उनकी साड़ी को उठाने लगता हु....
सोनाली : पागल हो गया है क्य, मुझे नहि पीलाना तुझे अपनी मुनिया का जुस....
मैन- ये तो चीटिंग है माँ आपने तो मजे ले लिए और अब मुझे मना कर रही हो मे तो अब मुनिया का जूस पीकर ही रहुंगा....
ओर में उनकी साड़ी को उठा कर उनकी कमर तक उठा देता हु.....
माँ अपनी साड़ी को निचे करते हुये- हे भगवान् तू तो वाकयी पागल हो गया है, मुझे नहीं पीलाना मतलब नहीं पीलाना, बसंती के जाने का वेट करले फिर जितना जी चाहे पि लेना....
मैन- मुझे तो अभी पीना है....
सोनाली : नहीं कहा ना....
मैन- देखो माँ लास्ट टाइम कह रहा हूँ पीला दो वरना मे बसंती की मुनिया का जूस पि लुंगा, फिर मत कहना कुछ.....
माँ मेरी बात सुनकर हास् देती है- है है ह.... ठीक है तो तू जाकर उसकी मुनिया का ही जूस पिले....
माँ मेरी बात को मजाक मे ले रही थी....
मै- सोच लो माँ मेरे पास चुतो की कोई कमी नहीं है पर आपको ढूँढ़ने पर भी ऐसा मस्त लंड नहि मिलेगा....
माँ हस्ते हुये- हम्म्म वो तो है तेरे जैसा तो वाक़ई मे नहि मिलेगा पर अभी तो मे तुझे पिलाने से रहि....
मै सोफ़े से उठते हुये- ठीक है मत पिलाओँ पर आज मे भी चुत का रस पीकर रहूँगा भले ही आज बसंती के ही चुत का रस क्यों न पीना पडे....
सोनाली : तो जा न पिले उसका ही रस मुझे क्यों परेशान कर रहा है...
मै ग़ुस्से मे किचन की तरफ चल देता हूँ मुझे बसंती दिखाइ देती है वो झांक कर हमे ही देख रही थी पर उसे हमारी बाते नहि सुनाइ दी होंगी... वो मुझे आता देख एक स्माइल देती है.... माँ भी मुझे देख रही थी वो सोच रही होंगीं की में ताव मे आकर ये सब बोल गया हूँ पर वाक़ई मे बसंती की चुत का रस थोड़े ही पिलुंगा.... पर उन्हें क्या पता की में तो बसंती की चुत की सवारी पहले ही कर चुका हु..... मे मुड़कर माँ को देखता हूँ और इशारे मे उनसे पूछता हूँ की पिने दोगी की नहीं वो भी मुस्कुराते हुए अपनी गर्दन ना मे हिला देती है....
मै किचन मे घुस जाता हु, बसंती अब सब्जी काटने का बहाना करने लगती है क्युकी मुझे पता था की वो हमें ही देख रही थी.... खैर मे जाकर उसे पीछे से हग कर लेता हु.... और अपने हाथ उसके स्तनो पर रख कर मसलने लगता हु.. और पीछे से अपना लंड उनके चूतडो की दरार मे टीका देता हु.....
बसन्ती- आअह्हह्ह्...क्या कर रहा है....
मै- तुझे क्या लगता है क्या कर रहा हूँ मैं....
बसन्ती- मालकिन बाहर बैठि है.... आअह्ह्ह्ह मत कर.....
मैन- अरे उन्ही ने तो भेजा है मुझे तेरी चुत का रस पिने को....
बसन्ती- हाय.... ये क्या कह रहा है तु....
मैन- अरे सही कह रहा हूँ यकीन नहीं होता तो माँ से पूछ लो....
बसन्ती- वैसे बड़ा हरामी है तू अपनी माँ को भी नहि छोड़ा तूने... कैसे उनसे अपना लंड चुस्वा रहा था और वो भी तो कैसे मजे से तेरा लंड मुह मे लेकर चुस रही थी....
मै- क्या करू वो है ही इतना बढ़िया माल की रहा नहीं गया.....
तभी बसंती सीधी हो जाती है और मेरे होंठो को अपने होंठो मे भर लेती है.... मे उसके होंठो को चुस्ने के साथ उसके स्तन भी मसले जा रहा था.... काफी देर तक किस करने के बाद हम किस तोड़ते है.... और बसंती शार्ट पर से मेरे लंड को पकड़ कर सेहलाने लगती है....
बसन्ती- आह्हः... अब चोद भी दे मुझे जालिम क्यों तडपा रहा है.... जब से तेरा लंड इसमें गया है तब से ये पानी बहाती रहती है और आज तुम दोनों को देख कर तो इसका और भी बुरा हाल हो गया....
मै उसे घुमा देता हूँ वो स्लैब पर अपने हाथ टीका कर झुक जाती है और अपनी गांड को ऊपर उठा लेती है.... में उसकी साड़ी को उसकी कमर तक पेटीकोट सहित उठा देता हूँ अब उसकी बड़ी गोल गांड मेरे सामने थी और उसमे से झाँकती उसकी चुत की फाकें नजर आ रही थी जोकि पानी बहा रही थी... में अपना लंड निकल लेता हूँ और उसकी गांड की दरार मे सेट करके उसे ऊपर से ही धक्का लगाता हूँ फिर में अपना लंड उसकी चुत पर टिकाकर एक जोर का झटका मारता हु... मेरा लंड उसकी चुत को फैलाता हुआ आधा लंड अंदर घुस जाता है..... आह क्या मजा था, वाक़ई हर चुत का अपना अलग मजा होता है....
बसन्ती बड़ी मुस्किल से अपनी सिस्कियों को रोक्ति हुयी- सस्शह्ह्ह आअह्ह्ह्हह जालिम क्या लंड है तेरा.... आअह्ह्ह्हह अंदर तक खोल देता है.....आह आह
अब मे अपने लंड को टोपे तक बाहर खिंच कर एक करारा झटका मारता हु, अब मेरा लंड उसकी चुत को फैलाता हुआ पूरा अंदर घुस गया था....
आहाहहहह... फाड़ दी रीई तूने.... आअह्ह्ह्हह चोद.... मादरचोद..... चोद मुझे.....
उसके मुह से मुझे मादरचोद सूनकर मुझे बड़ा अच्छा लगा और अब मे और तेज शॉट मारने लगा.... मेरा लंड उसकी बच्चेदानी से टकरा रहा था जिससे मुझे और भी मजा आ रहा था....
बाहर माँ आराम से बैठि हुई टीवी देख रही थी ओर बीच बीच मे वो किचन की तरफ देख रही थी वो सोच रही थी की में जाकर किचन मे टाइम लगा रहा था जिससे की उन्हें लगे की में बसंती की चुत का रस पि रहा हु... पर जब काफी देर तक मे नहीं आता तो उन्हें टेंशन होती है और वो उठ कर किचन की तरफ चल देती है और जैसे ही वो वह पहुचती है अंदर का सिन देख कर उनकी आँखे फटी की फटी रह जाती है....
अंदर में तेजी मे बसंती के कमर को पकडे हुए उसको पेले जा रहा था... माँ तो आँखें झपके बिना हमें ही देखे रह जा रही थि, उन्हें तो जैसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था.... तभी मेरी नजर भी माँ पर पड़ जाती है और मे उनकी तरफ मुस्कुराते हुए देखता हु, पर माँ ने शायद ये देखा नहीं की मे उन्हें देख रहा हु
उधर में तेजी मे बसंती की कमर को पकडे हुए उसको पेले जा रहा था... माँ तो आँखें झपके बिना हमें ही देखे रह जा रही थि, उन्हें तो जैसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था.... तभी मेरी नजर भी माँ पर पड़ जाती है और मे उनकी तरफ मुस्कुराते हुए देखता हु, पर माँ ने शायद ये देखा नहीं की मे उन्हें देख रहा हु....
ओ तो बस लंड को चुत मे जाते हुए देख रही थी.... और मे उनको देखते हुए बसंती को पेले जा रहा था... अपनी माँ के सामने किसी और औरत को पेलने से मुझे एक अलग ही रोमाँच आ रहा था.... और मे बसंती के चूतडो पर एक थप्पड़ मारता हूँ और तेजी से शॉट लगाने लगता हु... थप्पड़ की आवाज से माँ का ध्यान तूट जाता है और वो मेरी तरफ देखति है, में तो उन्ही की तरफ देख रहा था पर बसंती का मुह दूसरी तरफ था वो तो बस सिस्कियाते हुए चुदाई का मजा ले रही थी.... उसकी सिसकियाँ अब माँ अच्छे से सुन सकती थी... माँ मेरी तरफ देखति है तो हम दोनों की नजरे मिलति है और मे उन्हें एक स्माइल देता हूँ पर माँ की आँखों मे आस्चर्य के भाव थे शायद उन्हें समझ नहीं आ रहा था की ये सब कैसे हो गया....
मेरे लंड और बसंती की चुत की लड़ाई मे बसंती की चुत मेरे लंड के आगे हथियार दाल देती है और वो झड़ने लगती है....
बसन्ती- आअह्हह्ह्ह्ह मे गइआइइइ .....आएह्ठ्ठ्ह
पर मेरा अभी भी नहीं हुआ था और मेरे धक्के चालू थे..... बसंती अपनी साँसे कण्ट्रोल कर रही थी....
बसन्ती- क्या मस्त चोदता है तु.....मेरा बस चले तो मे तो दिन रात तेरा लंड अपनी चुत मे लेकर पिलवाती रहु...
माँ बस हम दोनों को ही देख रही थी... बसंती अपने चरम तक पहुच गई थी और अब ठण्डी पड़ गई थी और उसकी चुत मारने मे वो मजा नहीं आ रहा था.... मे उसकी चुत मे से लंड निकाल लेता हु.... लंड पुक्क की आवाज के साथ बाहर निकल आता है तभी बसंती पलट कर मुझे देखति है और उसकी नजर माँ पर पड़ी वो शॉकेड हो जाती है और कुछ नहीं कह पाती ओर मे उसकी चुत के पानी से सने लंड को लेकर माँ की तरफ बढ़ जाता हु... माँ बस मुझे ही देख रही थी... और में माँ के पास पहुच कर उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख देता हु....
मों तुरंत निचे देखति है उनके हाथ मे बसंती की चुत के रस से भिगा मेरा लंड था वो उसे कस कर दबा देती है.......
सोनाली : ये क्या कर रहा था तु...
मै- मैंने तो पहले ही आपसे कहा था की अपनी मुनीया का रस पिने दो पर आपने नहीं दिया तो मैंने अपने मुन्ने को बसंती की मुनिया का रस पीला दिया....
सोनाली : बहोत बिगड रहा है तु...
इसके आगे के शब्द माँ के मुह मे ही रह जाते है में उनके होंठो को अपने होंठो मे भर लेता हूँ और उनके स्तनो को ब्लाउज के ऊपर से ही मसलने लगता हु.... थोड़ी देर तक तो माँ मुझे अपने से दुर करने की कोशिश करती है और फिर कुछ देर बाद ही मेरे किस का रिस्पांस देणे लगती है, अब उनका हाथ मेरे लंड को सहलाने लगता है.... अब उनका हाथ मेरे लंड पर ऊपर निचे हो रहा था.... अब मे माँ से अलग होता हु...
मै- अब इन कपड़ो को भी
तो उतार दो...
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