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Adultery घर की बहू

Coquine_Guy

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ये कहानी मुझे अच्छी लगी .. इसीलिए इसको यहां पोस्ट कर रहा हूँ ताकि आप लोग भी पढ़े और मज़ा उठाएं
 
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Tiger 786

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जब कामेश निकला तो वो भी बाथरूम में घुस गई और कुछ देर बाद दोनों चेंज करके नीचे पापाजी और मम्मीजी के साथ चाय पीरहे थे पापाजी और मम्मीजी और कामेश एक दूसरे से बातों में इतना व्यस्त थे कि कामया का ध्यान किसी को नहीं था और नहीं कामया को कोई इंटेरस्ट था इन सब बातों में वो तो बस अपने आप में ही खुश रहने वाली लड़की थी और कोई ज्यादा अपेक्षा नहीं थी उसे कामेश से और अपने घर वालों से एक तो किसी बात की बंदिश नहीं थी उसे यहां और ना ही कोई रोक टोक और नहीं ही कोई काम था तो क्या शिकायत करे वो बस कामेश की चाय खतम हुई और दोनों अपने कमरे की ओर चल दिए पापाजी और मम्मीजी भी अपने कमरे की ओर और पूरे घर में फिर से शांति सब अपने कमरे में जाने की तैयारी में लगे थे कामया वही बिस्तर बैठी कामेश के बाथरूम से निकलने की राह देख रही थी और उसके कपड़े निकालकर रख दिए थे वो बैठे बैठे सोच रही थी कि कामेश बाथरूम से निकलते ही जल्दी से अपने कपड़े उठाकर पहनने लगा
कामेश-् हाँ … कामया आज तुम क्या गाड़ी चलाने जाओगी
कामया- आप बताइए
कामेश- नहीं नहीं मेरा मतलब है कि शायद मैं थोड़ा देर से आऊँगा तो अगर तुम भी कही बीजी रहोगी तो अपने पति की याद थोड़ा कम आएगी हीही
कामया- कहिए तो पूरा दिन ही गाड़ी चलाती रहूं
कामेश- अरे यार तुमसे तो मजाक भी नहीं कर सकते
कामया- क्यों आएँगे लेट
कामेश- काम है यार पापा भी साथ में रहेंगे
कामया- ठीक है पर क्या मतलब कब तक चलाती रहूं
कामेश- अरे जब तक तुम्हें चलानी है तब तक और क्या मेरा मतलब था कि कोई जरूरत नहीं है जल्दी बाजी करने की
कामया- ठीक है पर क्या रात को इतनी देर तक में वहां ग्राउंड पर लाखा काका के साथ मेरा मतलब
कामेश- अरे यार तुम भी ना लाखा काका हमारे बहुत ही पुराने नौकर है अपनी जान दे देंगे पर तुम्हें कुछ नहीं होने देंगे
कामया- जी प र
कामेश- क्या पर पर छोड़ो मैं छोड़ दूँगा तुम तैयार रहेना ठीक है जब भी आए चली जाना
कामया- जी

और दोनों नीचे की ओर चल दिए डाइनिंग रूम में खाना लगा था कामेश के बैठ-ते ही कामया ने प्लेट मे खाना लगा दिया और पास में बैठकर कामेश को खाते देखती रही कामेश जल्दी-जल्दी अपने मुख में रोटी और सब्जी ठूंस रहा था और जल्दी से हाथ मुँह धोकर बाहर को लपका कामेश के जाने के बाद कामया भी अपने रूम की ओर चल दी पर जाते हुए उसे भीमा चाचा डाइनिंग टेबल के पास दिख गये वो झूठे प्लेट और बाकी का समान समेट रहे थे कामया के कदम एक बार तो लडखडाये फिर वो सम्भल कर जल्दी से अपने कमरे की ओर लपकी और जल्दी से अपने कमरे में घुसकर दरवाजा लगा लिया पता नहीं क्यों उसे डर लग रहा था अभी थोड़ी देर में ही पापाजी भी चले जाएँगे और मम्मीजी भी अपने कमरे में घुस जाएगी तब वो क्या करेगी अभी आते समय उसने भीमा चाचा को देखा था पता नहीं क्यों उनकी आखों में एक आजीब सी बात थी की उनसे नजर मिलते ही वो काप गई थी उसकी नजर में एक निमंत्रण था जैसे की कह रहा था कि आज का क्या कामया बाथरूम में जल्दी सेघुसी और जितनी जल्दी हो सके तैयार होकर नीचे जाने को तैयार थी जब उसे लगा कि पापाजी और मम्मीजी डाइनिंग टेबल पर पहुँच गये होंगे तो वो भी सलवार कुर्ता पहने हुए डाइनिंग टेबल पर पहुँच गई और मम्मी जी के पास बैठ गई पापाजी और मम्मीजी को भी कोई आपत्ति नहीं थी या फिर कोई शक या शुबह नहीं मम्मीजी ने भी कामया का प्लेट लगा दिया और कामया ने नज़रें झुका कर अपना खा ना शुरू रखा

मम्मीजी- आज क्या आपको भी देर होगी
पापाजी- हाँ … बैंक वालों को बुलाया है कामेश ने कुछ और लोग भी है खाना खाके ही आएँगे
मम्मीजी- जल्दी आ जाना और हाँ … वो टूर वालों से भी पता कर लेन ा
पापाजी- हाँ … कर लूँगा
और कामया की ओर देखते हुए
पापाजी- हाँ … लाखा आज आ जाएगा तुम चली जाना गाड़ी सीखने
कामया- जी
और कामया के सोए हुए अरमान फिर से जाग उठे थे जिस बात को वो भूल जाना चाहती थी पापाजी ने एक बार फिर से याद दिला दिया था वो आज अकेले नहीं जाना चाहती थी और ना ही भीमा चाचा के करीब ही आना चाहती थी कल की गलती का उसे गुमान था वो उसे फिर से नहीं दोहराना चाहती थी पर ना जाने क्यों जैसे ही पापाजी ने लाखा काका का नाम लिया तो उसे कल की शाम की घटना याद आ गई थी और फिर खाते खाते दोपहर की बात
उसके शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गई थी वो ना चाहते हुए भी एक जोर की सांस छोड़ी और अपने जाँघो को आपस में जोड़ लिया और नज़रें झुका के खाने लगी पर मन था कि बार-बार उसके जेहन में वही बात याद डालती जा रही थी वो आपने आपसे लड़ने लगी थी अपने मन से या फिर कहिए अपने दिमाग से बार-बार वो अपनी निगाहे उठाकर पापाजी और मम्मीजी की ओर देखने लगी थी कि शायद कोई और बात हो
तो वो यह बात भूलकर कहीं और इन्वॉल्व हो जाए पर कहाँ सेक्स एक ऐसा खेल है या फिर कहिए एक-एक नशा है कि पेट भरने के बाद सबसे जरूरी शारीरिक भूक पेट की भूख बुझी नहीं कि पेट के नीचे की चिंता होने लगती है और ,,,,,,,,,,,,,
Nice update
 
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Tiger 786

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उसकी नजर अब भी नीचे ही थी पर बहू के इस समय अपने पास खड़े होना उसके लिए एक बहुत बड़ा बरदान था वो नजरें झुकाए हुए कामया की टांगों की ओर देख रहा था और पानी का ग्लास फिल्टर से भरकर कामया की ओर पलटा कामया ने हाथ बढ़ाकर ग्लास लिया तो दोनों की उंगलियां आपस में टच हो गये कामया और भीमा के शरीर में एक साथ एक लहर सी दौड़ गई और शरीर के कोने कोने पर छा गई वो एक दूसरे को आखें उठाकर देखने की हिम्मत नहीं कर पा रहे थे
पर किसी तरह कामया ने पानी पिया पिया वो तो अपने आपको भीमा के सामने पाकर कुछ और नहीं कह पाई थी तो पानी माँग लिया था और झट से ग्लास प्लतेफोर्म में रख कर पलट गई और अपने कमरे की ओर चल दी
भीमा वही खड़ा-खड़ा अपने सामने सुंदरी को जाते हुए देखता रहा वो चाहता था कि कामया रुक कर उससे बात करे कुछ और नहीं भी करे तो कम से कम रुक जाए और वही खड़े रहे वो उसको देखना चाहता था बस देखना चाहता था नजर भर के पर वो तो जा रही थी उसका मन कर रहा था कि जाके रोक ले वो बहू को और कल की घटना के बारे में पूछे कि कल क्यों उसने वो सब किया मेरे साथ पर हिम्मत नहीं हुई वो अब भी कामया को सीडिया चढ़ते देख रहा था किसी पागल भिखारी की तरह जिसे सामने जाती हुई राहगीर से कुछ मिलने की आसा अब भी बाकी थी

तभी कामया आखिरी सीढ़ी में जाकर थोड़ा सा रुकी और पलट कर किचेन की ओर देखी पर भीमा को उसकी तरफ देखता देखकर जल्दी से ऊपर चली गई भीमा अब भी अपनी आखें फाड़-फाड़कर सीडियो की ओर यूँ ही देख रहा था पर वहाँ तो कुछ भी नहीं था सबकुछ खाली था और सिर्फ़ उसके जाने के बाद एक सन्नाटा सा पसर गया था उसे कोने में
कोने में ही नही बल्कि पूरे घर में वो भी पलटा और अपने काम में लग गया पर उसके दिमाग में बहू की छवि अब भी घूम रही थी सीधी साधी सी लगने वाली बहू रानी अभी भी उसके जेहन पर राज कर रही थी कितनी सुंदर सी सलवार कमीज पहेने हुए थी और उसपर कितना जम रहा था
उसका चेहरा कितना चमक रहा था कितनी सुंदर लगती थी वो पर वो अचानक किचेन में क्यों आई थी भीमा का दिमाग ठनका हाँ … यार क्यों आई थी वो तो मम्मीजी कमरे में थी और अगर पानी ही पीना था तो मम्मीजी कमरे में भी तो रखा था और तो और उनके कमरे में भी था तो वो यहां क्यों आई थी कही सिर्फ़ उसे देखने के लिए तो नहीं या फिर कल के बारे में कुछ कह रही हो या फिर उसे फिर से बुला रही हो अरे यार उसने पूछा क्यों नहीं कि और कुछ चाहिए क्या क्या बेवकूफ है वो धत्त तेरी की अच्छा मौका था निकल गया अब क्या करे अभी भी शाम होने को देर थी क्या वो बहू को फोन करके पूछे अरे नहीं कही बहू ने शिकायत कर दी तो

वो अपने दिमाग को एक झटका देकर फिर से अपने काम में जुट गया था पर ना चाहते हुए भी उसकी नजर सीडियो की ओर चली ही जाती थी
और उधर कामया ने जब पलटकर देखा था तो वो बस इतना जानना चाहती थी कि भीमा क्या कर रहा था पर उसे अपनी ओर देखते हुए पाकर वो घबरा गई थी और जल्दी से अपने कमरे में भाग गई थी और जाकर अपने कमरे की कुण्डी लगाकर बिस्तर पर बैठ गई थी पूरे घर में बिल्कुल शांति थी पर उसके मन में एक उथल पुथल मची हुई थी उसने अपनी चुन्नि को उतार फेका और चित्त होकर लेट गई वो सीलिंग की ओर देखते हुए बिस्तर पर लेटी थी उसकी आखों में नींद नहीं थी उसका दिल जोरो से धड़क रहा था उसके शरीर में एक अजीब सी कसक सी उठ रही थी वो ना चाहते हुए भी अपने आपको अपने में समेटने की कोशिश में लगी हुई थी वो एक तरफ घूमकर अपने को ही अपनी बाहों में भरने की कोशिश कर रही थी
पर नहीं वो यह नहीं कर पा रही थी उसे भीमा चाचा की नज़रें याद आ रही थी उसके पानी देते समय जो उंगलियां उससे टकराई थी वो उसे याद करके सनसना गई थी वो एक झटके से उठी और बेड पर ही बैठे बैठे अपने को मिरर में देखने लगी बिल्कुल भी सामान्य नहीं लग रही थी वो मिरर में पता नहीं क्या पर कुछ चाहिए था क्या पता नहीं हाँ … शायद भीमा हाँ … उसे भीमा चाचा के हाथ अपने पूरे शरीर में चाहिए थे उसने बैठे बैठे ही अपनी सलवार को खोलकर खींचकर उतार दिया और अपनी गोरी गोरी टांगों को और जाँघो को खुद ही सहलाने लगी थी जो अच्छी शेप लिए हुए थे उसके टाँगें पतली और सिडौल सी गोरी गोरी और कोमल सी उसकी टांगों को वो सहलाते हुए उनपर भीमा चाचा के सख़्त हाथों की कल्पना कर रही थी उसकी सांसें अब बहुत तेज चलने लगी थी
उसके हाथ अपने आप ही उसके कुर्ते के अंदर उसकी गोलाईयो की ओर बढ़ चले थे जैसे की वो खुद को ही टटोल कर देखना चाहती थी कि क्या वो वाकई इतनी सुंदर है या फिर ऐसे ही हाँ वो बहुत सुंदर है जब उसके हाथ उसके कुर्ते के अंदर उसकी गोलाईयों पर पहुँचे तो खुद को रोक नहीं पाई और खुद ही उन्हें थोड़ा सा दबाकरदेखा उसके मुख से एक आआह्ह निकली कितना सुख है पर अपने हाथों की बजाए और किसी के हाथों से उसे मजा दोगुना हो जाएगा कामेश भी तो कितना खेलता है इन दोनों से पर अपने हाथों के स्पर्श का वो आनंद उसे नहीं मिल पा रहा था उसने अपने कुर्ते को भी उतार दिया और खड़े होकर अपने को मिरर में देखने लगी थी सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में वो कितनी खूबसूरत लग रही थी लंबी-लंबी टाँगों से लेकर जाँघो तक बिल्कुल सफेद और चिकनी थी वो कमर के चारो ओर पैंटी फँसी हुई थी जो की उसकी जाँघो के बीच से होकर पीछे कही चली गई थी

बिल्कुल सपाट पेट और उसपर गहरी सी नाभि और उसके ऊपर उसके ब्रा में क़ैद दो ठग हाँ … कामेश उनको ठग ही कहता था मस्त उभार लिए हुए थे कामया अपने शरीर को मिरर में देखते हुए कही खो गई थी और अपने हाथों को अपने पूरे शरीर पर चला रही थी और अपने अंदर सोई हुई ज्वाला को और भी भड़का रही थी वो नहीं जानती थी कि आगे क्या होगा पर उसे ऐसा अच्छा लग रहा था आज पहली बार कामया अपने जीवन काल में अपने को इस तरह से देखते हुए खेल रही थी
वो अपने आपसे खेलते हुए पता क्यों अपनी ब्रा और पैंटी को भी धीरे से उतार कर एक तरफ बड़े ही स्टाइल से फेक दिया और बिल्कुल नग्न अवस्था , में खड़ी हुई अपने आपको मिरर में देखती रही उसने आपने आपको बहुत बार देखा था पर आज वो अपने आपको कुछ अजीब ही तरह से देख रही थी उसके हाथ उसे पूरे शरीर पर घूमते हुए उसे एक अजीब सा एहसास दे रहे थे उसके अंदर एक ज्वाला सा भड़क रही थी जो कि अब उसके बर्दास्त के बाहर होती जा रही थी उसकी उंगलियां धीरे-धीरे अपने निपल्स के ऊपर घुमाती हुई कामया अपने पेट की ओर जा रही थी और अपने नाभि को भी अंदर तक छू के देखती जा रही थी दूसरे हाथों की उंगलियां अब उसकी जाँघो के बीच में लेने की कोशिश में थी वो उसके मुख से एक हल्की सी सिसकारी पूरे कमरे में फेल गई और वो अपने सिर को उचका करके नाक से और मुख से सांसें छोड़ने लगी उसकी जाँघो के बीच में अब आग लग गई थी वो उसके लिए कुछ भी कर सकती थी हाँ … कुछ भी वो एकदम से नींद से जागी और फिर से अपने आपको मिरर में देखते हुए अपने आपको वारड्रोब के पास ले गई और एक सफेद पेटीकोट और ब्लाउस निकाल कर पहनने लगी बिना ब्रा के ब्लाउस पहनने में उसे थोड़ा सा दिक्कत हुई पर , ठीक है वो तैयार थी अपने बालों को एक झटका देकर वो अपने को एक बड़े ही मादक पोज में मिरर की ओर देखा और लड़खड़ाती हुई इंटरकम तक पहुँची और किचेन का नंबर डायल कर दिया

किचेन में एक घंटी जाते ही भीमा ने फोन उठा लिया
भीमा- हेलो
कामया ने तुरंत फोन कट दिया , और रखकर तेज-तेज सांसें लेने लगी
उसके अंतर मन में एक ग्लानि सी उठ रही थी ना चाहते हुए भी उसने फोन रख दिया था और बिस्तर पर बैठे बैठे सोचने लगी क्या कर रही है वो एक इतने बड़े घर की बहू को क्या यह सोभा देता है अपने घर के नौकरके साथ और वो भी इसी घर में क्या वो पागल हो गई है नहीं उसे यह सब नहीं करना चाहिए वो सोचते हुए बिस्तर पर लूड़क गई और अपने दोनों हाथों से अपने को समेटे हुए वैसे ही पड़ी रही उसका पूरा शरीर जिस आग में जल रहा था उसके लिए उसके पास कोई भी तरीका नहीं था बुझाने को पर क्या कर सकती थी वो जो वो करना चाहती थी वो गलत था पर पर हाँ … नहा लेती हूँ सोचकर वो एक झटके से उठी और तौलिया हाथ में लिए बाथरूम की ओर चल दी उसका पूरा शरीर थर थर का प
रहा था और शरीर से पसीना भी निकल रहा था वो कुछ धीरे कदमो से बाथरूम की ओर जा ही रही थी कि दरवाजे पर एक हल्की सी क्नॉच से वो चौंक गई
वो जहां थी वही खड़ी हो गई और ध्यान से सुनने की कोशिस करने लगी नहीं कोई आहट नहीं हुई थी शायद उसके मन का भ्रम था कोई नहीं है दरवाजे पर मम्मीजी तो नीचे सो रही होंगी और कौन हो सकता है भीमा चाचा अरे नहीं वो इतनी हिम्मत नहीं कर सकता वो क्यों आएगा
और उधर भीमा ने जैसे ही फोन उठाकर हेलो कहाँ फोन कट गया था वो भी फोन हाथ में लिए खड़ा का खड़ा रह गया था सोचता हुआ कि क्या हुआ बहू को कही कोई चीज तो नहीं चाहिए शायद भूल गई हो नीचे या फिर कोई काम था उससे या कुछ और वो धीरे से किचेन से निकला और ऊपर सीडियो की ओर देखता रहा पर कही कोई आवाज ना देखकर वो बड़ी ही हिम्मत करके ऊपर की ओर चला और बहू के कमरे की ओर आते आते पशीनापशीना हो गया बड़ी ही हिम्मत की थी उसने आज दरवाजे पर आकर वो चुपचाप खड़ा हुआ अंदर की आवाज को सुनने की कोशिश करने लगा था एक हल्की सी आहट हुई तो वो कुछ सोचकर हल्के से दरवाजे पर एक कान करके खड़ा हो गया और इंतजार करने लगा था पर कोई आहट नहीं हुई तो यह सोचते हुए नीचे की ओर चल दिया की शायद बहू सो गई होगी
Nice update
 

Tiger 786

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अब धीरे-धीरे भीमा चाचा की हरकतों में तेजी भी आती जा रही थी उसके हाथों का दबाब भी बढ़ने लगा था उसके हाथों पर आई बहू की चूची अब धीरे-धीरे दबाते हुए उसके हाथ कब उन्हें मसलने लगे थे उसे पता नहीं चला था पर हाँ … बहू के मुख से निकलते हुए आअह्ह ने उसे फिर से वास्तविकता में ले आया था वो थोड़ा सा ढीला पड़ा पर बहू की ओर से कोई हरकत नहीं होते देखकर उसके हाथ अब तो जैसे पागल हो गये थे वो अब बहू के ब्लाउज के हुक की ओर बढ़ चले थे वो अब जल्दी से उन्हे आजाद कंराना चाहता था पर बहुत ही धीरे-धीरे से वो बढ़ रहा था पर उसे बहू के होंठों से निकलने वाली सिसकारी भी अब ज्यादा तेज सुनाई दे रही थी जब तक वो बहू के ब्लाउसको खोलता तब तक बहू के होंठों पर से आआअह्ह और भी तेज हो चुकी थी वो अब समझ चुका था कि बहू जाग गई है पर वो कहाँ रुकने वाला था उसके हाथों में जो चीज आई थी वो तो उसे मसलने में लग गया था और पीछे से हाथ लेजाकर उसने बहू की चुचियों को भी उसके ब्रा से आजाद कर दिया था वो अपने हाथों का जोर उसकी चुचियों पर बढ़ाता ही जा रहा था और दूसरे हाथ से उसकी पीठ को भी सहलाता जा रहा था वो बहू के मुख से सिसकारी सुनकर और भी पागल हो रहा था उसे पता था कि बहू के जागने के बाद भी जब उसने कोई हरकत नहीं की तो उसे यह सब अच्छा लग रहा था वो और भी निडर हो गया और धीरे से बहू को अपनी ओर पलटा लिया और अपने होंठों को बहू की चुचियों पर रख दिया और जोर-जोर से चूसने लगा उसके हाथों पर आई बहू की दोनों चूचियां अब भीमा के रहमो करम पर थी वो अपने होंठों को उसकी एक चुचि पर रखे हुए उन्हें चूस रहा था और दूसरे हाथों से उसकी एक चुची को जोर-जोर से मसल रहे थे इतना कि कामया के मुख से एक लंबी सी सिसकारी निकली और निरंतर निकलने लगी थी कामया के हाथों ने अब भीमा चाचा के सिर को कस कर पकड़ लिया था और अपनी चुचियों की ओर जोर लगाकर खींचने लगी थी

वो अब और सह नहीं पाई थी और अपने आपको भीमा चाचा की चाहत के सामने समर्पित कर दिया था वो अपने आपको भीमा चाचा के पास और पास ले जाने को लालायित थी वो अपने शरीर को भीमा चाचा के शरीर से सटाने को लालायित थी वो अपनी जाँघो को ऊपर करके और अपना पूरा दम लगाके भीमा चाचा को अपने ऊपर खींचने लगी थी और भीमा जो की अब तक बहू की चुचियों को अपने मुख में लिए हुए उन्हें चूस रहा था अचानक ही अपने सिर पर बहू के हाथों के दबाब को पाते ही और जंगली हो गया वो अब उनपर जैसे टूट पड़ा था वो दोनों हाथों से एक चुचि को दबाता और होंठों से उसे चूसता और कभी दूसरे पर मुख रखता और दूसरे को दबाता वो अपने हाथो को भी कामया के शरीर पर घुमाता जा रहा था और नीचे फँसे हुए पेटीकोट को खींचने लगा था जब उससे नाड़ा खुल गया तो एक ही झटके में उसने उसे उतार दिया पैंटी औ र , पेटीकोट भी और देखकर आश्चर्य भी हुआ की बहू ने अपनी कमर को उठाकर उसका साथ दिया था वो जान गया था की बहू को कोई आपत्ति नहीं है वो भी अपने एक हाथ से अपने कपड़ों से लड़ने लगा था और अपने एक हाथ और होंठों से बहू को एंगेज किए हुए था बहू जो की अब एक जल बिन मछली की भाँति बिस्तर पर पड़ी हुई तड़प रही थी वो अब उसे शांत करना चाहता था वो धीरे से अपने कपड़ों से बाहर आया और बहू के ऊपर लेट गया अब भी उसके होंठों पर बहू के निप्पल थे और हाथों को उसके पूरे शरीर पर घुमाकर हर उचाई और घराई को नाप रहा था तभी उसने अपने होंठों को उसके चूचियां से आलग किया और बहू की और देखने लगा जो की पूरी तरह से नंगी उसके नीचे पड़ी हुई थी वो बहू की सुंदरता को अपने दिल में या कहिए अपने जेहन में उतारने में लगा था पर तभी कामया को जो सुना पन लगा तो उसने अपनी आखें खोल ली और दोनों की आखें चार हुई .

भीमा बहू की सुंदर और गहरी आखों में खो गया और धीरे से नीचे होता हुआ उसके होंठों को अपने होंठों से दबा लिया कामया को अचानक ही कुछ मिल गया था तो वो भी अपने दोनों हाथो को भीमा चाचा की कमर के चारो ओर घेरते हुए अपने होंठों को भीमा चाचा के रहमो करम पर छोड़ दिया और अपने जीब को भी उनसे मिलाने की कोशिश करने लगी थी उसके हाथ भी अब भीमा चाचा के बालिस्त शरीर का पूरा जाएजा लेने में लगे थे खुरदुरे और बहुत से उतार चढ़ाव लिए हुए बालों से भरे हुए उसके शरीर की गंध अब कामया के शरीर का एक हिस्सा सा बन गई थी उसके नथुनो में उनकी गंध ने एक अजीब सा नशा भर दिया था जो कि एक मर्द के शरीर से ही निकल सकती थी वो अपने को भूलकर भीमा चाचा से कस कर लिपट गई और अपनी जाँघो को पूरा खोलकर चाचको उसके बीच में फँसा लिया

उसके योनि में आग लगी हुई थी और वो अपनी कमर को उठाकर भीमा चाचा के लिंग पर अपने आपको घिसने लगी थी उसके जाँघो के बीच में आ के लिंग की गर्मी इतनी थी कि लगभग झड़ने की स्थिति में पहुँच चुकी थी पर चाचा तो बस अब तक उसके होंठो और उसकी चुचियों के पीछे ही पड़े हुए थे वो लगातार अपनी योनि को उसके लिंग पर घिसते हुए अपने होंठों को और जीब को भी चाचा के अंदर तक उतार देती थी उसकी पकड़ जो कि अब चाचा की कमर के चारो तरफ थी अचानक ही ढीली पड़ी और एक हाथ चाचा के सिर पर पहुँच गया और एक हाथ उनके लिंग तक ले जाने की चेष्टा करने लगी बड़ी मुश्किल से उसने अपने और चाचा के बीच में जगह बनाई और और लिंग को पकड़कर अपनी योनि पर रखा और वैसे ही एक झटका उसने नीचे से लगा दिया भीमा चाचा इस हरकत को जब तक पहचानते तब तक तो बहू के अंदर थे और बहू की जाँघो ने उन्हें कस आकर जकड़ लिया था भीमा अपने को एक इतनी सुंदर स्त्री के साथ इस तरह की अपेक्षा करते वो तो जिंदगी में नहीं सोच पाए थे पर जैसे ही वो बहू के अंदर हुए उसका शरीर भी अपने आप बहू के साथ ऊपर-नीचे होने लगा था वो अब भी बहू के होंठों को चूस रहे थे और अपने हाथों से बहू की चुचियों को निचोड़ रहे थे उनकी हर हरकत पर बहू की चीख उनके गले में ही अटक जाती थी हर चीख के साथ भीमा और भी जंगली हो जाता था और उसके हाथों का दबाब भी बाद जाता था वो पागलो की तरह से बहू की किस करता हुआ अपने आपको गति देता जा रहा था वो जैसे ही बहू के होंठों को छोड़ता बहू की सिसकियां पूरे कमरे में गूंजने लगती तो वो फ़ौरन अपने होंठों से उन्हें सील करदेता और अपनी गति को ऑर भी तेज कर देता पूरे कमरे में आचनक ही एक तूफान सा आ गया था जो कि पूरे जोर पर था कमरे में जिस बिस्तर पर भीमा बहू को भोग रहा था वो भी झटको के साथ अब हिलने लगा था

और कामया की जिंदगी का यह एहसास जी कि अभी भी चल रहा था एक ऐसा अहसास था जिसे कि वो पूरी तरह से भोगना चाहती थी वो आज इतनी गरम हो चुकी थी कि भीमा के दो तीन झटको में ही वो झड चुकी थी पर भीमा के लगातार झटको में वो अपने को फिर से जागते हुए पाया और अपनी जाँघो की पकड़ और भी मजबूत करते हुए भीमा चाचा से लिपट गई और हर धक्के के साथ अपने मुँह से एक जोर दार चीत्कार निकलती जा रही थी वो उन झटकों को बिना चीत्कार के झेल भी नहीं पा रही थी पता नहीं कहाँ जाकर टकराते थे भीमा चाचा के लिंग के वो ऊपर की ओर सरक जाती थी और एक चीख उसके मुख से निकल जाती थी पर हर बार भीमा चाचा उसे अपने होंठों से दबाकर खा जाते थे उसको भीमा चाचा का यह अंदाज बहुत पसंद आया और वो खुलकर उनका साथ दे रही थी शायद ही उसने अपने पति का इस तरह से साथ दिया हो वहां तो शरम और हया का परदा जो रहता है पर यहां तो सेक्स और सिर्फ़ सेक्स का ही रिस्ता था वो खुलकर अपने शरीर की उठने वाली हर तरंग का मज़ा अभी ले रही थी और अपने आपको पूरी तरह से भीमा चाचा के सुपुर्द भी कर दिया था और जम कर सेक्स का मजा भी लूट रही थी उसके पति का तिरस्कार अब उसे नहीं सता रहा था ना उनकी अप्पेक्षा वो तो जिस समुंदर में डुबकी ले रही थी वहां तो बस मज ही मजा था वो भीमा चाचा को अपनी जाँघो से जकड़ते हुए हर धक्के के साथ उठती और हर धक्के के साथ नीचे गिरती थी और भीमा तो जैसे , जानवर हो गया था अपने होंठों को बहू के होंठों से जोड़े हुए लगातार गति देते हुए अपनी चरम सीमा की ओर बढ़ता जा रहा था उसे कोई डर नहीं था और नहीं कोई शिकायत थी

वो लगातार अपने नीचे बहू को अपने तरीके से भोग रहा था और धीरे धीरे अपने शिखर पर पहुँच गया हर एक धक्के के साथ वो अपने को खाली करता जा रहा था और हर बार नीचे से मिल रहे साथ का पूरा मजा ले रहा था वो अपने को और नहीं संभाल पाया और धम्म से नीचे पड़े हुए बहू के ऊपर ढेर हो गया नीचे बहू भी झड़ चुकी थी और वो भी निश्चल सी उसके नीचे पड़ी हुई गॉंगों करके सांसें ले रही थी उसकी खासी से भी कभी-कभी कमरा गूँज उठा था पर थोड़ी देर में सबकुछ शांत हो गया था बिल कुल शां त
भीमा अपने आपको कंट्रोल करके बहू के शरीर के ऊपर से उठा और धीरे से बिस्तर पर ही बैठ गया बहू अब भी शांत सी पड़ी हुई थी वो बिस्तर पर बैठे हुए ही अपने कपड़े नीचे से उठाकर पहनने लगा था पर नजर बहू के नंगे शरीर पर थी उसके मन में अब भी उसे तन से खेलने की इच्छा थी पर कुछ सोचकर वो कपड़े पहनकर उठा और वही चद्दर से बहू को ढँक कर बाहर की ओर चला गया
कामया जो कि अब शांत थी भीमा के निकलने के बाद थोड़ा सा हिली पर ना जाने क्यों वो वैसे ही पड़ी रही और धीरे धीरे नींद के आगोश में चली गई
Erotic update bro
 

Coquine_Guy

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भीमा- आआआआअह्ह बहू कितना आनंद है आआआआआआआआह् ह
कामया- (जो की थोड़ा सा डरी हुई थी ) चाचा यहां नहीं कमरे में चलिए प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज हमम्म्मममममममम म
उसके होंठों को भीमा ने अपने होंठों से दबा दिया था और उसके होंठों को चूसते जा रहा था कामया की आवाज वही उसे गले में घूम हो गई और कामया की पकड़ उसके लिंग पर और भी मजबूत हो ग ई
अब तो भीमा को कोई चिंता नहीं थी उसे जो चाहिए था वो उसे मिल रहा था वो अपने हाथों से कामया के शरीर को भी सहला रहा था और कपड़ों के ऊपर से ही उसके हर उभार को छूकर उनकी सुडोलता का एहसास कर रहा था
कामया भी अब फिर से भीमा चाचा की इच्छा के अनुसार चलने को तैयार थी और जैसे उन्होंने कहा था अपने हाथों को उनके लिंग पर आगे पीछे करती जा रही थी पर उसकी जाँघो के बीच में भी फिर से आग भड़क रही थी लेकिन वहां तो पूरा गड़बड़ है वो जगह फिर से गंगा जमुना की तरह पानी का श्रोत शुरू करने ही वाला था पर कामया नहीं चाहती थी कि वहां भीमा चाचा कुछ करे
वो जल्दी से चाचा को ठंडा करना चाहती थी और कुछ आगे नहीं बढ़ना चाहती थी वो अपने पूरे ध्यान से चाचा के हर स्पर्श को उसके अनुरूप ही शामिल हो रही थी और कही कोई मनाही नहीं थी वो भी सीडियो पर खड़ी हुई आज इस तरह के सेक्स का आनंद लेने के पूरे मूड में थी घर पर कोई नहीं था और था भी जो वो उसके साथ ही था और उसके हाथों में जो था वो उसे पसंद था वो बी अपने पूरे तन मन से भीमा चाचा को शांत करने में लगी रही और अपने शरीर पर घूमते हुए उसके हाथों के स्पर्श का आनंद लेती रही
भीमा के हाथ कामया की साड़ी के ऊपर से उसके कमर और पीठ और चूचियां और चेहरे पर सब जगह पर पूरी आ जादी से घूम रहे थे और बहू के शरीर के मीठे मीठे स्वाद को भी अपने होंठों से अपने जेहन पर उतारते जा रहे थे भीमा चाचा की सांसें अब बहू तेज होती जा रही थी और उनकी पकड़ भी कसती जा रही थी पर अचानक ही उनकी पकड़ थोड़ी ढीली हुई और उनकी हथेली कामया के कंधे पर आके रुक गई और
बहू की गर्दन को पकड़कर वो बहू के होंठों को बहुत ही बेदर्दी से एक बार लंबा चुंबन लिया और
भीमा- चुस्स बहू चूस सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस् स
कामया- उूुुुुुउउम्म्म्ममममममममममम यहांाआआ न्नाआआआईयईईईईई ईईईईंमम्ममममम म


तब तक तो कामया भीमा चाचा के घुटनों के पास बैठी हुई थी और भीमा का लिंग उसके मुँह के अंदर था और थोड़ी देर में ही कामया के होंठ और जीब वो कमाल कर रहे थे कि भीमा भी ज्यादा देर नहीं झेल पाया और अपने हाथो को कस कर बहू के माथे पर रखकर जल्दी-जल्दी अपनी कमर को दो चार बार आगे पीछे किया और धीरे सारा वीर्य अपने लिंग से उडेल दिया जो कि कामया के गले के अंदर तक चला गया और कमाया भी खाँसते हुए अपने चेहरे को आजाद करने की जुगत में लगी हुई थी पर भीमा की पकड़ के आगे वो कुछ नहीं कर पाई और ना चाहते हुए भी उसे चाचा का पूरा का पूरा वीर्य अपने गले के नीचे उतारना पड़ा भीमा अब भी अपने लिंग को कामया के
मूह में उतनी ही जोर से आगे पीछे कर रहा था और अपने लिंग का आखिरी ड्रॉप भी उसके मुख के अंदर चढ़ता जा रहा था कामया भी अपने जीब से उसके लिंग को चाट्ती हुई अपने को किसी तरह से छुड़ाने में सफल हुई और हान्फते हुए अपने को संभालने लगी वो वही सीडीयों पर बैठी हुई थी और ऊपर भीमा चाचा की ओर ही देख रही थी भीमा भी अब थोड़ा सा संभला था और बहू की ओर देखकर थोड़ा सा मुस्कुराया
भीमा- कमाल की आई तू बहू
कामया -
भीमा- क्यों ना कोई तेरे लिए पागल हो
और झुक कर कामया के होंठों को फिर से अपने होंठों में दबाकर बहू को लंबा सा एक किस दे डाला और एक ही झटके में बहू को अपने दोनों हाथों पर उठाकर जल्दी से ऊपर की ओर लपका और बहू को उसके कमरे में छोड़ कर वो पलटकर अपनी धोती ठीक कर के नीचे की ओर चल दिया

भीमा के चहरे को देखकर ही लगता था कि वो कितना खुश है और कितना संतुष्ट है कामया कमरे में जाते ही सबसे पहले दौड़ कर बाथरूम में घुसी और अपने सब कपड़े उतारकर जल्दी से नहाने की तैयारी करने लगी बीच बीच में खाँसते हुए अपने मुँह में आए भीमा चाचा के वीर्य को भी थूकती जा रही थी पर जाने क्यों उसे इतना बुरा नहीं लग रहा था पर एक बात तो थी कामया अब भी बड़ी ही उत्तेजित थी पता नहीं क्यों पर थी लाखा काका और फिर भीमा चाचा के साथ उसने जो भी किया था उसका उसे कोई पश्चाताप नहीं था पर कामुक जरूर थी शायद आखिरी में जो भीमा चाचा ने उसके साथ किया था उससे ही यह स्थिति बन गई हो पर जो भी हो वो खुश थी उसके शरीर में एक पूर्ति सी आ गई थी उसका मन और शरीर अब उड़ने को हो रहा था वो बहुत खुश थी उसे लग रहा था कि अब उसके जीने का मकसद उसे मिल गया था वो अब वो औरत नहीं थी जो पहले हुआकरती थी

जो हमेशा अपने पति के पीछे-पीछे घूमती रहती थी या फिर उनके आने और उठने का इंतजार करती रहती थी वो अब आजाद पंछी की तरह आकाश में उड़ना चाहती थी और बहुत खूल कर जीना चाहती थी उसके तन और मन की पूर्ति को देखकर ऐसा नहीं लगता था कि अभी-अभी कुछ देर पहले जो भी वो करके आई थी उससे उसे कोई थकान भी हुई है


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वो जब तैयार होकर बैठी तब तक नीचे एक गाड़ी के रुकने की आवाज आई उसे पता था कि पापाजी आ गये है थोड़ी देर बाद कामेश भी आ जाएगा और फिर रोज की तरह कुछ भी नहीं होगा
खेर जो भी होना था हुआ रात को डाइनिंग टेबल पर एक बात खुलकर आई
पापाजी- बहू क्या किया आज दिन भर
कामया- जी कुछ नहीं बस टीवी और क्या
पापाजी- हाँ … अकेली बहुत बोर हो जाती होगी तुम
कामया- जी
कामेश- क्यों नहीं कल से हम गाड़ी भेज दे पापाजी को छोड़ने के बाद कही घूम आना और शाम को गाड़ी चलाने के बाद भेज देना
कामया- अरे नहीं पापाजी को तकलीफ होगी
पापाजी- अरे काहे की तकलीफ लाखा करता क्या है वहाँ बस बैठा रहता है और क्या घर आ जाएगा तो तुम भी थोड़ा सा घूम फिर लोगी क्यों
कामेश- और क्या और हाँ … घर में तुम अकेली रहती हो कुछ नहीं तो घर की पहरेदारी ही करेगा भीमा तो सब्जी भाजी लेने चला जाता होगा दोपहर को
कामया- मुझे पता नहीं
पापाजी- हाँ … हाँ … यह ठीक रहेगा और कामेश लाखा को भी यही बुला लेते है भीमा के साथ ही रूम शेयर कर लेगा कह रहा था कि वहाँ अच्छा नहीं लगता शायद उसकी भोला से नहीं पटती
कामेश- हाँ … भोला से किसी की नहीं पट-ती साला है ही वैसा मौथर है गधा कह लो सांड़ है
पापाजी- तुझे तो बहुत अच्छा लगता था वो अब क्या हो गया
कामेश- अच्छा तो अब भी है नमक हलाल है और बहुत मेहनती भी पर साले की बात चीत का तरीका बहुत गलत है
पापाजी- हाँ … देख क्या करना है कही बाद में गले ना पड़ जा ए
कामेश- अरे नहीं उसकी इतनी हिम्मत नहीं जिस दिन चाहूँगा गर्दन मरोड़ दूँगा
पापाजी---वो माल काम कैसा चल रहा है
कामेश- गया था अभी टाइम है सुना है वहां भी दादा गिरी करने लगा है और शराब भी बहुत पीने लगा है
पापाजी- कौन भोला
कामेश- हाँ …
और अचानक ही वो कामया की ओर पलटक र
कामेश- तुम एक काम क्यों नहीं करती जब तुम घूमने जाओ तो क्यों नहीं थोड़ी देर रुक कर माल का काम देखकर आया करो तुम्हारा भी टाइम पास हो जाएगा और थोड़ा बहुत दादा गिरी भी चल जाएगी
कामया- क्या माल का काम मुझे नहीं आता यह सब
कामेश- अरे काम क्या थोड़ी देर खड़े ही तो होने है और क्या बस थोड़ा सा डर रहे लोगों में कि मेमसाहब आई है और क्या
कामया-अरे नहीं मुझसे नहीं बनेगा
पापाजी- और क्या बहू को क्यों भेज रहा है वहाँ तू और में तो चले ही जाते है दिन में एक दो बार
कामेश- अरे में तो इसलिए कह रहा था कि अगर होसके तो नहीं तो चल तो रहा है
कामया- कहाँ है
कामेश अरे मंदिर से जो सीधा रास्ता गया है वही लेफ्ट साइड में बहुत बड़ा माल है वो मेडम आपके नाम का ही है
कामया- मेरे नाम का मतल ब
कामेश- उसका नाम मेडम आपके नाम से ही है कामया विला कामया शापिंग कॉंप्लेक्स आंड कामया मल्टिपलेक्स समझी
पापाजी- तुम्हें मालूम ही नहीं बहू
कामया- जी इन्होने कब बताया
पापाजी- क्या यार तूने बहू को अभी तक नहीं बताया था और चाहता है कि वो काम देखने चली जाए
कामेश- वो भूल गया होउँगा अरे अब तो बता दिया ना
कामया- हाँ … देखूँगी अगर मन किया तो चली जाऊँगी और खाना खाने लगी कामया को बहुत गुस्सा आ रहा था क्यों नहीं उसे कामेश ने यह सब पहले बताया था कि उसके नाम एक कॉंप्लेक्स विला और मल्टिपलेक्स बना रहे है

जो गुस्सा उसे कामेश पर था वो अब कही ज्यादा बढ़ चुका था क्या वो अपने काम में इतना व्यस्त रहता है कि इतनी बड़ी बात ही उसे बताना भूल गया या वो जान मुझ कर ऐसा करता है कामया की क्या औकात है उसकी जिंदगी में क्या वो एक उसके लिए घर में सजाने का आइटम भर है या उसे वो अपनी पत्नी भी समझता है या फिर बस ऐसे ही दुनियां को दिखाने के लिए .
खाना खाने के बाद कामया का मूड थी नहीं था पर कामेश को कोई फरक नहीं पड़ता था वो तो खाना खाने के बाद उठा और चला गया और पापाजी भी और रह गई आकेली कामया वो अब भी डाइनिंग टेबल पर बैठी हुई अपने बारे में और कामेश के बारे ही सोच रही थी कि उसे पदचाप की आवाज सुनाई दी उसने मुड़कर देखा भीमा चाचा थे वो टेबल पर पड़े हुए झूठे बर्तन उठाने को आ रहे थे
वो एक बार भीमा चाचा की ओर देखकर मुस्कुराई और उठकर अपने हाथ धोने को सिंक पर चली ई
उसके दिमाग में अब भी बहुत कुछ चल रहा था और गुस्सा भी बहुत आ रहा था नजाने क्या सोचते हुए कामया सीढ़िया चढ़ती जा रही थी , पीछे उसे भीमा चाचा के काम करने की आवाजें भी आ रही थी अचानक ही वो रुकी और पलटकर भीमा चाचा की ओर देखते हु ए
कामया- चाचा जल्दी सो जाते है आप
भीमा- जी ?
कामया- जी कुछ नहीं
और अपने होंठों पर हँसी को दबाती हुई जल्दी से सीढ़िया चढ़ती हुई अपने कमरे में पहुँच ग ई
कमरे में कामेश बिस्तर पर लेट चुका था शायद सो भी चुका था कामया बाथरूम की ओर अपने कपड़े चेंज करने को जाने लगी थी उसके हाथों में एक गाउन था जो कि कामेश को बहुत पसंद था दो स्टीप से ही टंगा रहता था वो गाउन उसके कंधे पर और ए-लाइन टाइप की थी उसके ऊपर बहुत सुंदर और कसा हुआ सा लगता था
जब वो बाथरूम से बाहर आते ही सबसे पहले
कामया- क्यों सो गये क्या
कामेश- हाँ … क्यों
कामया- इतनी जल्दी सो जाते हो बातें करनी है
कामेश- अरे बहुत थका हुआ हूँ कल सुबह बातें करेंगे
कामया- उठिए ना प्ली ज
कामेश हाँ हाँ … करता हुआ पलटकर सो गया पर कामया तो गुस्से में थी वो आज कामेश को कहाँ छोड़ने वाली थी वो लपक कर बेड पर चढ़ि और कामेश से सट कर लेट गई और अपने हाथों को उसकी बाहों पर चलाते हु ए
कामया- प्लीज ना सोइए मत आपसे तो बातें ही नहीं हो पाती
कामेश थोड़ा सा पलटकर कामया को अपनी बाहों में भिचता हुआ
कामेश- क्या बातें करनी है
और अपने हाथों को कामया की चूचियां पर रखता हुआ उन्हें छेड़ने लगा था
कामेश के हाथों में अपनी चूचियां के आते ही कामया के मुख से एक लंबी सी आह निकली और वो कामेश से और भी सट गई थी कामेश के छूते ही वो अपने आप पर काबू नहीं रख पाती थी यह बात उसे पता थी वो कामेश के चेहरे को अपने होंठों से चूमती जा रही थी और उसे और भी उत्तेजित करने की कोशिश करती जा रही थी
कामेश तो बेसूध सिर्फ़ कामया के कहने पर ही पलटा था और एक दो बार उसकी चुचियों को दबाने के बाद फिर से नींद के आगोश में चला गया था उसे कामया को अपने चेहरे को चूमते हुए देखना और भी अच्छा लग रहा था पर उसकी थकान उसपर ज्यादा हावी थी


192-1000
 

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पर कामया तो अपनी उत्तेजना कोठंडा करना चाहती थी वो कामेश के लगभग ऊपर चढ़ि जा रही थी और उसे और भी उकसा रही थी पर कामेश के ठंडे पन ने उसे एकदम से निराश कर दिया और वो अपने होंठों को उसके चेहरे पर से आजाद करते हुए कामेश को एकटक देखती जा रही थी पर कामेश तो कही का कही पहुँच गया था
कामया ने गुस्से में आके एक धक्का कामेश को दिया और पलटकर सो गई
धक्के से कामेश फिर से जागा और कामया की कमर को खींचकर अपने से भिच लिया और फिर से अपने दोनों हाथों को उसके गोल गोल चुचियों पर रखते हुए फिर से नींद के आगोश में चला गया

कामया को नींद कहाँ उसकी चूचियां अब भी कामेश की दोनों हथेली में थी और वो कामया को अपने से चिपका कर सो गया था उसके कंधों पर कामेश की सांसें पड़ रही थी जो कि लगभग बिल्कुल समान्तर थी वो सो चुके थे गहरी नींद उनके शरीर की गर्मी वो महसूस करसकती थी जो कि उस पतले से गाउनको भेदती हुई उसके शरीर के अंदर तक जा रही थी
कामया सेक्स की भूख की भेट चढ़ती जा रही थी वो अपने को उस आग में जलने से नहीं बचा पा रही थी उसका शरीर अब कामेश की बाहों में ही कस मसाने लगा था वो ना चाहते हुए भी कामेश के सीने से सटी जा रही थी और अपनी कमर को जितना पीछे ले सके ले जा रही थी पर कामेश पर कोई भी असर होते हुए वो नहीं देख रही थी

वो अब भी सो रहा था और कामया के कसमसाने के साथ ही उसकी पकड़ कामया पर से ढीली पड़ने लगी थी वो भी अब चित लेट गया था और थोड़ी देर बाद दूसरी ओर पलट गया था कामया भी चित लेटी हुई थी और सीलिंग की ओर देखती हुई सोच रही थी

आखिर क्यों कामेश उसे अवाय्ड कर रहा है अगर वो उसे अवाय्ड ना करे तो और अगर पहले जैसा ही रोज प्यार करे तो कितना मजा है जीने में कितना अच्छा और कितना प्यारा है उसका पति कही से कोई कमी नहीं है रुपया पैसा हो या शानो शौकत हो या फिर दिखने में हो या फिर स्टाइल में हो सब में अच्छा है वो पर क्यों नहीं उसे समझ में आता की कामया को क्या चाहि ए
क्यों नहीं रोज उसपर टूट पड़ता वो चाहे सुबह हो या शाम हो या दिन हो या रात हो वो तो कभी भी कामेश को सेक्स के लिए मना नही किया था और कामेश को भी तो कितना इंटेरेस्ट था लेकिन अब अचानक क्या हो गया क्यों वो रुपये पैसे के चक्कर में पड़ गया और उसे भूल सा गया क्या रुपया पैसा ही उसके जीवन का उद्देश् है औ र क्या कामया कुछ भी नहीं
पर कभी-कभी तो वो उसके लिए क्या नहीं करता और तो और उसके नाम से कॉंप्लेक्स और साइन प्लेक्ष भी बनवा रहा था और उसे पता भी नहीं दूसरे कोई होते तो शायद अपनी दादी या फिर मम्मी या फिर गुरुजी या फिर कोई देवी देवता के नाम से पर यहां तो मामला ही उल्टा था ना उसे किसी ने बताया ना ही उसे बताने की ही जरूरत समझी और नाम करण भी हो गया और कोई एहसान भी नहीं जताया किसी ने
क्या यार सबकुछ तो ठीक ठाक है पर कामेश ऐसा क्यों हो गया वो क्यों नहीं उसे छेड़ता या फिर उसे प्यार करता वो तो रोज उसका इंतजार करती है उसे भी तो किसी चीज की जरूरत होती है बाजार में मिलने वाली चीजो से तो कोई भी अपना मन भर ले पर जो चीज घर की है वो ही उसे नजर अंदाज करती जा रही है यह तो गलत है पर क्या करे कामया क्या वो रोज कामेश से झगड़ा करे या फिर उसे उकसाए या फिर सब कुछ छोड़दे

या फिर जो कर रही है वो ठीक है क्यों अपने पति को उस चीज के लिए जिसके लिए उसके पास टाइम नहीं है क्यों वो उस चीज का इंतजार करे जिस चीज का उसके पास आने का समय वो बाँध नहीं सकती या फिर क्यों वो उस गाड़ी की सवारी करे जो गाड़ी उसके इशारे पर नहीं चले
नहीं बाकी सब तो ठीक है वो जेसे चल रही है वो ही ठीक है उससे उसे भी परेशानी नहीं और नहीं कामेश को और नहीं घर में किसी को किसी की भी टाइम को खोटी नहीं करना पड़ेगा और नहीं ही किसी को किसी की चिंता ही करनी पड़ेगी हाँ अब वो वही करेगी जो वो चाहती है और क्या सभी तो इस घर में वैसा ही कर रहे है कोई बंदिश नहीं और नहीं कोई चिंता
क्यों वो आख़िर कार सभी की तरफ देखती रहती है कि कोई उसकी सुने या फिर कोई उसकी इच्छा के अनुसार चले चाहे वो उसका पति हो या फिर मम्मीजी या फिर पापाजी
वो एकदम से उठ गई बिस्तर से और घूमकर कामेश की ओर देखा जो कि गहरी नींद में था और उसकी सांसों को देखकर लगता था कि बहूत थी गहरी नींद में था कामया बेड से उतरी और सेंडल पैर में पहनते हुए धीरे से मिरर के सामने खड़ी हो गई कोई आहट नहीं की उसने और नहीं कोई फिक्र नहीं कोई सोच थी उसके मन में थी तो बस एक ही इच्छा उसके शरीर की उसके अंदर जो आग लगी हुई थी उसे बुझाने की

अपने को मिरर में देखते ही क्माया के शरीर में एक फूरफुरी सी दौड़ गई और एक मुश्कान उसके होंठों में वो जानती थी भीमा चाचा उसके इस शरीर के साथ क्या करेंगे वो चाहती भी थी कि उसके इस शरीर के साथ कोई खेले और खूब खेले प्यार करे और उसके पूरे जिस्म को चाटे चूमे और अपनी मजबूत हथेलियो से रगडे और खूब प्यार करे वो खड़ी-खड़ी मिरर में अपने को देखती रही और धीरे से मुस्कुराती हुई अपने कंधे पर से एक स्ट्रॅप को थोड़ा सा नीचे खिसका दिया और मुस्कुराती हुई मूडी और धीरे-धीरे कमरे के बाहर जाने लगी

कामया जब , अपने कमरे से बाहर निकली तो पूरा घर बिल्कुल शांत था और कही भी कोई आवाज नहीं थी वो थोड़ी देर रुकी और अंदर की ओर देखा कामेश चुपचाप सोया हुआ था कामया ने धीरे से डोर बंद किया और सीढ़ियो पर से ऊपर चढ़ने लगी वो एक बार फिर से भीमा चाचा की खोली में जा रही थी आज खुद से उस दिन तो चाचा उसे उठा ले गये थे पर आज वो खुद ही जा रही थी उसके पैर काप रहे थे पर अंदर की इच्छा को वो रोक नहीं पा रही थी वो धीरे-धीरे चलते हुए पूरे घर को देखते हुए और हर पद चाप के साथ अपने को संभालती हुई वो भीमा चाचा के कमरे के सामने पहुँच गई थी अंदर बिल्कुल शांत था शायद चाचा भी सो गये थे पर अंदर एक डिम लाइट जल रही थी और उसकी रोशनी बाहर डोर के गप से आ रही थी

कामया ने डरते हुए धीरे से डोर को धकेला जो कि खुला हुआ था शायद भीमा को कोई दिक्कत नहीं थी तो डोर बंद क्यों करे इसलिए वो खुला रखकर ही सोता था सो डोर को धकेलने से वो थोड़ा सा खुला अंदर भीमा चाचा नीचे बिस्तर पर सोए हुए थे और एक हाथ उनके अपने माथे के ऊपर था पूरा शरीर नंगा था और कमर से नीचे तक एक चदडार से ढँका हुआ था कामया ने दरवाजे को थोड़ा सा और खोला तो डोर धीरे से खुल गया अंदर की डिम लाइट बाहर कारिडोर में फेल गई कामया ने अपने कदम आगे बढ़ाया और अंदर चाचा के कमरे में घुस गई
कमरे में घुसते ही उसने भीमा चाचा के शरीर में एक हल्की सी हलचल देखी वो वही रुक गई और डिम लाइट में चाचा की ओर देखने लगी
भीमा- दरवाजा बंद कर्दे बहू
मतलब भीमा चाचा भी उसका इंतजार कर रहे थे और एक कामेश है जो कि उसके पहले ही सो जाता है

कामया ने धीरे से दरवाजा को बोल्ट किया और हल्के कदमो से चलते हुए चाचा के करीब पहुँची चाचा अब भी नीचे बिस्तर पर वैसे ही लेटे थे पर हाँ उसके आने की और समीप आने का इंतजार कर रहे थे वो धीरे से भीमा चाचा के समीप जाके रुक गई उसकी सांसें बहुत तेज चल रही थी आज का कदम उसे कहाँ ले जाएगा वो नहीं जानती थी हाँ एक बात वो जरूर जानती थी कि वो अपने तन की भूख के आगे झुक गई है और वो उसे शांत करने के लिए अब कोई भी कदम उठा सकती है उसके बिस्तर के पास पहुँचते ही भीमा अपने आप ही उठकर बैठ गया और एक हाथ से उसने कामया के घुटनों को पकड़कर उसे थोड़ा सा और पास खींचा कामया को तो कोई दिक्कत ही नहीं थी वो और आगे हो गई वो लगभग अब भीमा चाचा के बिस्तर पर ही खड़ी थी भीमा चाचा अब धीरे-धीरे कामया के रूप के दर्शन करने के मूड में थे आज पहली बार बहू उसके कमरे में बिना बुलाए आई है वो जानते थे कि बहू को क्या चाहिए और वो भी इसके लिए पूरी तरह से तैयार थे जब बहू ने खाने के बाद उससे पूछा था कि जल्दी सो जाते है क्या तभी से अपने अंदर की आग को किसी तरह से अपने में समेटे हुए थे और जब बहू उसके पास खड़ी थी तो वो कहाँ रुकने वाले थे अपने हाथों से बहू के गाउनके ऊपर से ही उसके टांगों को अपने हाथों से सहलाते हुए उस डिमलाइट में बहू की ओर देख रहे थे


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Tiger 786

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भीमा- आआआआअह्ह बहू कितना आनंद है आआआआआआआआह् ह
कामया- (जो की थोड़ा सा डरी हुई थी ) चाचा यहां नहीं कमरे में चलिए प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज हमम्म्मममममममम म
उसके होंठों को भीमा ने अपने होंठों से दबा दिया था और उसके होंठों को चूसते जा रहा था कामया की आवाज वही उसे गले में घूम हो गई और कामया की पकड़ उसके लिंग पर और भी मजबूत हो ग ई
अब तो भीमा को कोई चिंता नहीं थी उसे जो चाहिए था वो उसे मिल रहा था वो अपने हाथों से कामया के शरीर को भी सहला रहा था और कपड़ों के ऊपर से ही उसके हर उभार को छूकर उनकी सुडोलता का एहसास कर रहा था
कामया भी अब फिर से भीमा चाचा की इच्छा के अनुसार चलने को तैयार थी और जैसे उन्होंने कहा था अपने हाथों को उनके लिंग पर आगे पीछे करती जा रही थी पर उसकी जाँघो के बीच में भी फिर से आग भड़क रही थी लेकिन वहां तो पूरा गड़बड़ है वो जगह फिर से गंगा जमुना की तरह पानी का श्रोत शुरू करने ही वाला था पर कामया नहीं चाहती थी कि वहां भीमा चाचा कुछ करे
वो जल्दी से चाचा को ठंडा करना चाहती थी और कुछ आगे नहीं बढ़ना चाहती थी वो अपने पूरे ध्यान से चाचा के हर स्पर्श को उसके अनुरूप ही शामिल हो रही थी और कही कोई मनाही नहीं थी वो भी सीडियो पर खड़ी हुई आज इस तरह के सेक्स का आनंद लेने के पूरे मूड में थी घर पर कोई नहीं था और था भी जो वो उसके साथ ही था और उसके हाथों में जो था वो उसे पसंद था वो बी अपने पूरे तन मन से भीमा चाचा को शांत करने में लगी रही और अपने शरीर पर घूमते हुए उसके हाथों के स्पर्श का आनंद लेती रही
भीमा के हाथ कामया की साड़ी के ऊपर से उसके कमर और पीठ और चूचियां और चेहरे पर सब जगह पर पूरी आ जादी से घूम रहे थे और बहू के शरीर के मीठे मीठे स्वाद को भी अपने होंठों से अपने जेहन पर उतारते जा रहे थे भीमा चाचा की सांसें अब बहू तेज होती जा रही थी और उनकी पकड़ भी कसती जा रही थी पर अचानक ही उनकी पकड़ थोड़ी ढीली हुई और उनकी हथेली कामया के कंधे पर आके रुक गई और
बहू की गर्दन को पकड़कर वो बहू के होंठों को बहुत ही बेदर्दी से एक बार लंबा चुंबन लिया और
भीमा- चुस्स बहू चूस सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस् स
कामया- उूुुुुुउउम्म्म्ममममममममममम यहांाआआ न्नाआआआईयईईईईई ईईईईंमम्ममममम म


तब तक तो कामया भीमा चाचा के घुटनों के पास बैठी हुई थी और भीमा का लिंग उसके मुँह के अंदर था और थोड़ी देर में ही कामया के होंठ और जीब वो कमाल कर रहे थे कि भीमा भी ज्यादा देर नहीं झेल पाया और अपने हाथो को कस कर बहू के माथे पर रखकर जल्दी-जल्दी अपनी कमर को दो चार बार आगे पीछे किया और धीरे सारा वीर्य अपने लिंग से उडेल दिया जो कि कामया के गले के अंदर तक चला गया और कमाया भी खाँसते हुए अपने चेहरे को आजाद करने की जुगत में लगी हुई थी पर भीमा की पकड़ के आगे वो कुछ नहीं कर पाई और ना चाहते हुए भी उसे चाचा का पूरा का पूरा वीर्य अपने गले के नीचे उतारना पड़ा भीमा अब भी अपने लिंग को कामया के
मूह में उतनी ही जोर से आगे पीछे कर रहा था और अपने लिंग का आखिरी ड्रॉप भी उसके मुख के अंदर चढ़ता जा रहा था कामया भी अपने जीब से उसके लिंग को चाट्ती हुई अपने को किसी तरह से छुड़ाने में सफल हुई और हान्फते हुए अपने को संभालने लगी वो वही सीडीयों पर बैठी हुई थी और ऊपर भीमा चाचा की ओर ही देख रही थी भीमा भी अब थोड़ा सा संभला था और बहू की ओर देखकर थोड़ा सा मुस्कुराया
भीमा- कमाल की आई तू बहू
कामया -
भीमा- क्यों ना कोई तेरे लिए पागल हो
और झुक कर कामया के होंठों को फिर से अपने होंठों में दबाकर बहू को लंबा सा एक किस दे डाला और एक ही झटके में बहू को अपने दोनों हाथों पर उठाकर जल्दी से ऊपर की ओर लपका और बहू को उसके कमरे में छोड़ कर वो पलटकर अपनी धोती ठीक कर के नीचे की ओर चल दिया

भीमा के चहरे को देखकर ही लगता था कि वो कितना खुश है और कितना संतुष्ट है कामया कमरे में जाते ही सबसे पहले दौड़ कर बाथरूम में घुसी और अपने सब कपड़े उतारकर जल्दी से नहाने की तैयारी करने लगी बीच बीच में खाँसते हुए अपने मुँह में आए भीमा चाचा के वीर्य को भी थूकती जा रही थी पर जाने क्यों उसे इतना बुरा नहीं लग रहा था पर एक बात तो थी कामया अब भी बड़ी ही उत्तेजित थी पता नहीं क्यों पर थी लाखा काका और फिर भीमा चाचा के साथ उसने जो भी किया था उसका उसे कोई पश्चाताप नहीं था पर कामुक जरूर थी शायद आखिरी में जो भीमा चाचा ने उसके साथ किया था उससे ही यह स्थिति बन गई हो पर जो भी हो वो खुश थी उसके शरीर में एक पूर्ति सी आ गई थी उसका मन और शरीर अब उड़ने को हो रहा था वो बहुत खुश थी उसे लग रहा था कि अब उसके जीने का मकसद उसे मिल गया था वो अब वो औरत नहीं थी जो पहले हुआकरती थी

जो हमेशा अपने पति के पीछे-पीछे घूमती रहती थी या फिर उनके आने और उठने का इंतजार करती रहती थी वो अब आजाद पंछी की तरह आकाश में उड़ना चाहती थी और बहुत खूल कर जीना चाहती थी उसके तन और मन की पूर्ति को देखकर ऐसा नहीं लगता था कि अभी-अभी कुछ देर पहले जो भी वो करके आई थी उससे उसे कोई थकान भी हुई है


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Tiger 786

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वो जब तैयार होकर बैठी तब तक नीचे एक गाड़ी के रुकने की आवाज आई उसे पता था कि पापाजी आ गये है थोड़ी देर बाद कामेश भी आ जाएगा और फिर रोज की तरह कुछ भी नहीं होगा
खेर जो भी होना था हुआ रात को डाइनिंग टेबल पर एक बात खुलकर आई
पापाजी- बहू क्या किया आज दिन भर
कामया- जी कुछ नहीं बस टीवी और क्या
पापाजी- हाँ … अकेली बहुत बोर हो जाती होगी तुम
कामया- जी
कामेश- क्यों नहीं कल से हम गाड़ी भेज दे पापाजी को छोड़ने के बाद कही घूम आना और शाम को गाड़ी चलाने के बाद भेज देना
कामया- अरे नहीं पापाजी को तकलीफ होगी
पापाजी- अरे काहे की तकलीफ लाखा करता क्या है वहाँ बस बैठा रहता है और क्या घर आ जाएगा तो तुम भी थोड़ा सा घूम फिर लोगी क्यों
कामेश- और क्या और हाँ … घर में तुम अकेली रहती हो कुछ नहीं तो घर की पहरेदारी ही करेगा भीमा तो सब्जी भाजी लेने चला जाता होगा दोपहर को
कामया- मुझे पता नहीं
पापाजी- हाँ … हाँ … यह ठीक रहेगा और कामेश लाखा को भी यही बुला लेते है भीमा के साथ ही रूम शेयर कर लेगा कह रहा था कि वहाँ अच्छा नहीं लगता शायद उसकी भोला से नहीं पटती
कामेश- हाँ … भोला से किसी की नहीं पट-ती साला है ही वैसा मौथर है गधा कह लो सांड़ है
पापाजी- तुझे तो बहुत अच्छा लगता था वो अब क्या हो गया
कामेश- अच्छा तो अब भी है नमक हलाल है और बहुत मेहनती भी पर साले की बात चीत का तरीका बहुत गलत है
पापाजी- हाँ … देख क्या करना है कही बाद में गले ना पड़ जा ए
कामेश- अरे नहीं उसकी इतनी हिम्मत नहीं जिस दिन चाहूँगा गर्दन मरोड़ दूँगा
पापाजी---वो माल काम कैसा चल रहा है
कामेश- गया था अभी टाइम है सुना है वहां भी दादा गिरी करने लगा है और शराब भी बहुत पीने लगा है
पापाजी- कौन भोला
कामेश- हाँ …
और अचानक ही वो कामया की ओर पलटक र
कामेश- तुम एक काम क्यों नहीं करती जब तुम घूमने जाओ तो क्यों नहीं थोड़ी देर रुक कर माल का काम देखकर आया करो तुम्हारा भी टाइम पास हो जाएगा और थोड़ा बहुत दादा गिरी भी चल जाएगी
कामया- क्या माल का काम मुझे नहीं आता यह सब
कामेश- अरे काम क्या थोड़ी देर खड़े ही तो होने है और क्या बस थोड़ा सा डर रहे लोगों में कि मेमसाहब आई है और क्या
कामया-अरे नहीं मुझसे नहीं बनेगा
पापाजी- और क्या बहू को क्यों भेज रहा है वहाँ तू और में तो चले ही जाते है दिन में एक दो बार
कामेश- अरे में तो इसलिए कह रहा था कि अगर होसके तो नहीं तो चल तो रहा है
कामया- कहाँ है
कामेश अरे मंदिर से जो सीधा रास्ता गया है वही लेफ्ट साइड में बहुत बड़ा माल है वो मेडम आपके नाम का ही है
कामया- मेरे नाम का मतल ब
कामेश- उसका नाम मेडम आपके नाम से ही है कामया विला कामया शापिंग कॉंप्लेक्स आंड कामया मल्टिपलेक्स समझी
पापाजी- तुम्हें मालूम ही नहीं बहू
कामया- जी इन्होने कब बताया
पापाजी- क्या यार तूने बहू को अभी तक नहीं बताया था और चाहता है कि वो काम देखने चली जाए
कामेश- वो भूल गया होउँगा अरे अब तो बता दिया ना
कामया- हाँ … देखूँगी अगर मन किया तो चली जाऊँगी और खाना खाने लगी कामया को बहुत गुस्सा आ रहा था क्यों नहीं उसे कामेश ने यह सब पहले बताया था कि उसके नाम एक कॉंप्लेक्स विला और मल्टिपलेक्स बना रहे है

जो गुस्सा उसे कामेश पर था वो अब कही ज्यादा बढ़ चुका था क्या वो अपने काम में इतना व्यस्त रहता है कि इतनी बड़ी बात ही उसे बताना भूल गया या वो जान मुझ कर ऐसा करता है कामया की क्या औकात है उसकी जिंदगी में क्या वो एक उसके लिए घर में सजाने का आइटम भर है या उसे वो अपनी पत्नी भी समझता है या फिर बस ऐसे ही दुनियां को दिखाने के लिए .
खाना खाने के बाद कामया का मूड थी नहीं था पर कामेश को कोई फरक नहीं पड़ता था वो तो खाना खाने के बाद उठा और चला गया और पापाजी भी और रह गई आकेली कामया वो अब भी डाइनिंग टेबल पर बैठी हुई अपने बारे में और कामेश के बारे ही सोच रही थी कि उसे पदचाप की आवाज सुनाई दी उसने मुड़कर देखा भीमा चाचा थे वो टेबल पर पड़े हुए झूठे बर्तन उठाने को आ रहे थे
वो एक बार भीमा चाचा की ओर देखकर मुस्कुराई और उठकर अपने हाथ धोने को सिंक पर चली ई
उसके दिमाग में अब भी बहुत कुछ चल रहा था और गुस्सा भी बहुत आ रहा था नजाने क्या सोचते हुए कामया सीढ़िया चढ़ती जा रही थी , पीछे उसे भीमा चाचा के काम करने की आवाजें भी आ रही थी अचानक ही वो रुकी और पलटकर भीमा चाचा की ओर देखते हु ए
कामया- चाचा जल्दी सो जाते है आप
भीमा- जी ?
कामया- जी कुछ नहीं
और अपने होंठों पर हँसी को दबाती हुई जल्दी से सीढ़िया चढ़ती हुई अपने कमरे में पहुँच ग ई
कमरे में कामेश बिस्तर पर लेट चुका था शायद सो भी चुका था कामया बाथरूम की ओर अपने कपड़े चेंज करने को जाने लगी थी उसके हाथों में एक गाउन था जो कि कामेश को बहुत पसंद था दो स्टीप से ही टंगा रहता था वो गाउन उसके कंधे पर और ए-लाइन टाइप की थी उसके ऊपर बहुत सुंदर और कसा हुआ सा लगता था
जब वो बाथरूम से बाहर आते ही सबसे पहले
कामया- क्यों सो गये क्या
कामेश- हाँ … क्यों
कामया- इतनी जल्दी सो जाते हो बातें करनी है
कामेश- अरे बहुत थका हुआ हूँ कल सुबह बातें करेंगे
कामया- उठिए ना प्ली ज
कामेश हाँ हाँ … करता हुआ पलटकर सो गया पर कामया तो गुस्से में थी वो आज कामेश को कहाँ छोड़ने वाली थी वो लपक कर बेड पर चढ़ि और कामेश से सट कर लेट गई और अपने हाथों को उसकी बाहों पर चलाते हु ए
कामया- प्लीज ना सोइए मत आपसे तो बातें ही नहीं हो पाती
कामेश थोड़ा सा पलटकर कामया को अपनी बाहों में भिचता हुआ
कामेश- क्या बातें करनी है
और अपने हाथों को कामया की चूचियां पर रखता हुआ उन्हें छेड़ने लगा था
कामेश के हाथों में अपनी चूचियां के आते ही कामया के मुख से एक लंबी सी आह निकली और वो कामेश से और भी सट गई थी कामेश के छूते ही वो अपने आप पर काबू नहीं रख पाती थी यह बात उसे पता थी वो कामेश के चेहरे को अपने होंठों से चूमती जा रही थी और उसे और भी उत्तेजित करने की कोशिश करती जा रही थी
कामेश तो बेसूध सिर्फ़ कामया के कहने पर ही पलटा था और एक दो बार उसकी चुचियों को दबाने के बाद फिर से नींद के आगोश में चला गया था उसे कामया को अपने चेहरे को चूमते हुए देखना और भी अच्छा लग रहा था पर उसकी थकान उसपर ज्यादा हावी थी


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