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Adultery घर की बहू

Coquine_Guy

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ये कहानी मुझे अच्छी लगी .. इसीलिए इसको यहां पोस्ट कर रहा हूँ ताकि आप लोग भी पढ़े और मज़ा उठाएं
 
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Coquine_Guy

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कामया का पूरा शरीर सिहर उठा कामेश के बारे में उसकी धारणा एकदम से बदल गई थी वो भी तो एक जंगली की तरह ही था या सिर्फ़ दिखाने को ऐसा तो उसने कभी नहीं किया वो अवाक सी कामेश की ओर देखती ही रह गई कामेश हँसते हुए गाड़ी का इग्निशन ओन करके बड़ी ही सफाई से पार्किंग से निकला और कोई फिल्मी गाना गुनगुनाते हुए गाड़ी ड्राइव करने लगा
कामेश- क्यों कैसा लगा
कामया- धात कोई देख लेता तो
कामेश- कहो तो मैं रोड में ही गाड़ी रुक कर फिर से किस करू
कामया- नहीं कोई जरूरत नहीं है
कामेश ने अचानक ही फिर से गाड़ी रोक ली और बिना किसी ओपचारिकता के फिर से कामया को अपनी ओर खींचकर एक लंबा सा चुंबन फिर से जड़ दिया और हँसते हुए गाड़ी चलाने लगा
कामया के होंठों पर भी एक हँसी फूट पड़ी और कामेश के किस करने से जो थूक उसके होंठों पर लगी थी उसे चाट कर अपने मुख में ले लिया
कामया---आज तो बहुत रोमँटिक हो गये हो
कामेश- आज में बहुत खुश हूँ आज से तुम मेरी बिज़नेस पार्ट्नर भी हो लाइफ पार्ट्नर भी हो और क्या चाहिए एक इंसान को अब में बाहर का काम देखूँगा और तुम यहां का
कामया- बाहर का मतलब
कामेश- अरे यार अभी कुछ नहीं बस घर चले फिर तुम्हें बहुत प्यार करूँगा और फिर कहूँगा ठीक है
कामया थोड़ा सा शर्मा गई थी हाँ … उसे बहुत जरूरत थी कामेश के प्यार की वो बहुत गरम हो चुकी थी किसने तो जैसे आग में घी का काम कर दिया था पीने से तो वो बहुत उत्तेजित थी ही पर फिर किस उउउफफफ्फ़ जल्दी से घर आ जा ए
घर पहुँचते ही कामया भी अपनी ओर से जल्दी से निकली और कामेश भी पर जैसे ही डाइनिंग रूम को पार करने वाले थे कि पापाजी को टेबल पर बैठे देखा तो दोनों की हवा निकल ग ई
पापाजी- आ गये क्यों बहू कैसी लगी गाड़ी हाँ …
कामया- जी पापाजी बहुत अच्छी
पापाजी- अच्छी हमारे घर की पहली मर्सिडीज है भाई वो भी हमारे बहू के लिए
कामया- जी पापाजी
पापाजी- अरे कामेश ध्यान चाँद जी का फोन आया था और दुकान में भी आए थे कुछ बातें करनी थी तुमसे फोन करने को कहा है वो तो तभी लगाने वाले थे मैंने मना कर दिया
कामेश- जी पापा करलूंगा
पापाजी- आओ बहू बैठो खाना खा लिया क्या
कामया- जी पापाजी
पापाजी- हाँ … बहुत अच्छा किया सेलेब्रेट किया करो ऐसे घर में बैठी बैठी तो तुम भी मम्मीजी जैसे ही हो जाओगी
कामया- जी और पापाजी से थोड़ी दूरी बनाकर वो पापाजी के खाने का खतम होने का इंतजार करने लगी पर पापाजी तो पता नहीं कहाँ की बातें बताने लगे थे पर कामया क्या करती वही बैठी हुई हाँ ना और जी में जबाब देती रही

पापाजी के खाना खतम होने के बाद कामया लगभग दौड़ती हुई अपने कमरे में पहुँची तो देखकर सन्न रह गई कामेश तो बिस्तर पर लेट चुका था हिल भी रहा था मतलब सोया नहीं था उसका इंतजार कर रहा था वो जल्दी से अपने कपड़े लेके बाथरूम में घुसी और अपने को कामेश के लिए तैयार करने लगी आज उसने कामेश का लाया बेबीडोल वाली गाउन पहनी थी जो कि अंदर तो सिर्फ़ एक शमीज जितनी लंबी थी और बहुत ही महीन थी जाँघो के बहुत ऊपर ही खतम हो जाती थी
दो धागे समान स्टीप से बस उसे लटकाए हुए थे कामया के कंधे पर कामया ने अपनी ब्रा भी उतार दी और अपना मेकप भी थोड़ा सा ठीक किया और ऊपर गाउनका दूसरा हिस्सा जो कि पैरों तक जाता था पर था वो भी वैसा ही महीन पर ढकने को अच्छा था पहनकर अपने कमरे में वापस आ गई पर यह क्या कमरे में कामेश के हल्के खर्राटे सुनाई दे रहे थे सो चुका था वो बेड के पास जाके कामेश को एक दो बार धक्के भी मारे पर वो तो जैसे कुम्भकरण की नींद में था

उसे कोई चिंता ही नहीं थी जो भी बातें उसने गाड़ी में की थी या फिर आने तक की थी वो सब खतम वा फिर वो सब फालतू था कामया का दिमाग खराब होने को था वो वही बेड पर बैठ गई थी और कामेश की ओर देखती रही उसने गुस्से में आके अपनी गाउन भी उतार दी और कामेश को एक बार-बार फिर अपने हाथों से थोड़ा सा धकेला पर कहाँ कामेश तो अपनी निद्रा में मस्त था अपनी इस दुनियां को छोड़ कर कही और ही पहुँच गया था पर कामया क्या करे वो तो कुछ और ही मूड में थी आज उसने पहली बार शराब भी पी थी और जो भी कामेश रास्ते भर उसके साथ करता हुआ आया था

उससे उसके शरीर में एक भयानक आग लग गई थी वो उसे शांत करना चाहती थी पर कामेश को उसकी कोई चिंता नहीं थी वो तो सो चुका था कामया को इसी तरह मजधार में छोड़ कर कामाया बेड के कोने में बैठकर अपने आपको कोष रही थी और कामेश की ओर देखते हुए अपने भाग्य पर जो इतना इतरा रही थी वो सब यहां आने के बाद फुस्स हो जाता था वो गुस्से में अपनी चादर खींचकर अपने तकिये में मुँह छुपाकर लेट गई और सोने की कोशिश करने लगी
लाइट भी बंद करदी और सुबह से लेकर शाम तक की घटना को परत दर परत खोलने की कोशिश करने लगी सुबह से कितना अच्छा दिन निकला था हर किसी ने उसे कितना इज़्ज़त दी थी हर कोई उसके आगे पीछे घूमता हुआ नजर आया था हर कोई उसकी एक झलक पाने को उतावला था चाहे वो कॉंप्लेक्स में हो या फिर शोरुम में ही क्यों ना हो पर रात होते होते कामेश ने सब कचरा कर दिया उसकी नजर में उसकी क्या इज़्ज़त थी वो जान गई थी उसकी नजर में कामया क्या थी वो जान गई थी

उसे कोई फिकर नहीं थी कामया की उसे तो सिर्फ़ पैसा खर्च करना आता है या फिर पैसा कमाना आता है और कुछ नहीं पत्नी को खुश रखने के लिए वो पैसा खर्च जरूर कर सकता था पर टाइम नहीं उसके पास कामया के लिए टाइम नहीं था उसे कामया की कोई जरूरत नहीं थी थी तो बस अपनी फर्म को एस्टॅब्लिश करने के लिए एक इंसान की या फिर एक नौकर की नौकर जो कि उसके बातों में उठे और फिर उसके आनुरूप चले बस और कुछ नहीं
अचानक ही कामया के दिमाग में नौकर भीमा चाचा की याद ताजा हो आई वो कैसे इस बात को भूल गई आज तो वो दिन में भी घर में नहीं थी दोपहर को भी भीमा चाचा के साथ उसका मिलन नहीं हुआ था और नहीं ही लाखा काका के साथ वो ड्राइविंग ही सीखने गई थी

हन सच ही तो है वो भी कैसे इन दोनों को भूल गई वो तो हमेश ही तैयार मिलेंगे भीमा तो घर का ही आदमी है जैसे ही कामया के जेहन में यह बात आई तो उसके शरीर में एक उत्तेजना की लहर फिर से दौड़ गई जो लहर वो अब तक दब चुकी थी कामेश से गुस्सा होकर पर जैसे ही भीमा चाचा के बारे में सोचने लगी वो फिर से कामुक हो उठी वो अपने ही हाथों से अपनी चुचियों को चद्दर के नीचे दबाने लगी थी अपनी जाँघो को सिकोड कर अपने को शांत करने की कोशिश करने लगी थी अपनी सांसों को एक बार फिर से नियंत्रण में लाने की कोशिश करने लगी थी पर कहाँ जो उसने आज दिन भर नहीं किया था वो अब उसे बस लेटे ही लेटे शांत नहीं कर सकती थी उसे भीमा चाचा के पास फिर से जाना ही होगा उसे आज किसी भी हालत में अपने तन को शांत करने जाना होगा नहीं तो वो शायद पागल हो जाए उसकी जाँघो के बीच में एक अजीब सी गुदगुदी से होने लगी थी वो सोच नहीं पा रही थी कि क्या करे पर कहते है ना जब इंसान इस तरह की स्थिति में हो तो उसके पास दो ही विकल्प होते है एक कठिन और एक आसान

उसने भी आसान तरीका ही चुना और धीरे से अपने बेड से उठी और एक नजर कामेश के सोते हुए जिश्म की ओर डाली और पैरों में अपनी सॅंडल डालकर धीरे-धीरे कमरे के बाहर की ओर चल दी वो अपने को अब नहीं रोकना चाहती थी या कहिए रुक नहीं सकती थी वो अपने आप में नहीं थी उसे एक मर्द की जरूरत थी रोज उसके शरीर को मसलने के लिए उसे मर्द चाहिए ही था वो अब ऐसी ही हो गई थी चाहे वो कामेश हो या फिर भीमा चाचा हो या फिर लाखा काका ही क्यूँ ना हो उसे तो बस एक मर्द की चाहत थी जो उसके इस नाजुक और काम अग्नि से जल रहे तन की भूख को मिटा सके

वो एक बार पलटकर कामेश की ओर देखा और बाहर निकल गई और हाँ … आज उसने एक काम और किया बाहर जाते हुए उसने डोर बाहर से लॉक कर दिया था बाहर का एक बार उसने ठीक से जायजा भी लिया अपने कदमो को वो भीमा चाचा के कमरे की ओर ले जाने से नहीं रोक पा रही थी वो कुछ बलखाती हुई सी चल रही थी या फिर नशा शराब का था या उसके शरीर में उठने वाली सेक्स की आग का था पर उसकी चाल में एक मदहोशी थी उसके आँखें नम थी उनमें एक उम्मीद थी और एक सेक्स की भूख शायद अंधेरा ना होता तो और भी अच्छा से देखा जा सकता था वो बिल्कुल नशे की हालत में चलते हुए भीमा चाचा के कमरे के बाहर पहुँच गई थी अंदर आज अंधेरा था शायद चाचा सो गये हो या फिर जाग रहे हो

चाहे जो भी हो वो कामेश की तरह नहीं है वा जरूर उसकी जरूरत पूरी करेंगे नहीं तो उसकी छुट्टी कल से काम बंद सोचते हुए उसने बंद दरवाजे को हल्के से धकेला जो कि धीरे से खुल गया चाचा नीचे बिस्तर पर सोए हुए थे दरवाजे की आहट से भी वो नहीं उठे पर हाँ … उनके शरीर में एक हरकत जरूर हुई वो बेधड़क अंदर घुस गई और धीरे से भीमा चाचा के पास बिस्तर के पास जाके घड़ी हो गई भीमा चाचा अब तक दूसरी तरफ चेहरा किए सो रहे थे वो खड़ी-खड़ी सोच रही थी कि आगे क्या करे कैसे उठाए इस जानवर को हाँ जानवर ही था बस अपने मन की ही करता था और जैसे चाहे वैसे उसे कामया की कोई सुध लेने की जैसे जरूरत ही नहीं होती थी पर हाँ … उनका स्टाइल उसे पसंद था जो भी करे उसे अच्छा लगता था और बहुत अच्छा उसके तन और मन को शांति मिलती थी
वो थोड़ी देर खड़ी रही फिर अपने पैरों से धीरे से भीमा चाचा के कंधे पर हल्के से से थपकी दी
कामया- चाचा एये ए
चाचा एकदम से पलटे उनका चहरा उसे नहीं दिखा हाँ … पर उसके यहां होने की संभावना उन्हें नहीं थी वो झट से उठकर बैठ गये कल की तरह आज भी वो ऊपर से नंगे थे और चद्दर से अपनी कमर तक ढँका हुआ था वो जैसे ही उठे उनका हाथ कामया की टांगों से लेकर जाँघो तक फिरने लगा
 
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कामया- आआआआआह्ह चाचााआआआआआ हमम्म्ममममममममममम म
वो खुरदुरे हाथ और दाढ़ी वाले चहरे का उसकी जाँघो पर घिसना कामया को एक लंबी सी आअह्ह निकालने से नहीं रोक पाया वो उत्तेजना की चरम पर एक झटके में ही पहुँच गई थी उसकी जाँघो के बीच में अजीब सी गुदगुदि होने लगी थी लिप्स आपस में एक दूसरे के ऊपर होने लगे थे जीब से अपनी सांसों को और चेहरा ऊपर उठाकर वो अपने आप पर कंट्रोल करना चाहती थी उसकी सांसें कमरे में एक अजीब सी हलचल मचा रही थी नीचे भीमा चाचा अपने काम में लगे थे अपने हाथों में आई इस हसीना को अपने हाथों से घुमा-घुमाकर हर एक अंग को ठीक से तराशी हुई जगह को अपने हाथों से देख रहे थे वो कामया की कमर तक पहुँच गये थे और अपने होंठों से उन सारी जगह से जहां से वो होकर आए थे अपनी छाप छोड़ते हुए जा रहे थे अपनी होंठों से अपनी जीब से वो कामया के हर अंग को चूम रहे थे और जीब से चाट कर उसका रस सेवन कर रहे थे
कामया का पूरा शरीर जल रहा था और अब तो चाचा ने अपनी उंगली भी उसकी योनि में फँसा दी थी एकदम से चिहुक कर कामाया ने अपनी दोनों जाँघो को थोड़ा सा अलग किया और चाचा की उंगलियों को अपने अंदर और अंदर तक जाने का न्योता दिया वो अपनी उंगलियों से चाचा के बालों खींचकर अपने पेट के चारो ओर घुमा रही थी , और जोर-जोर से सांसें ले रही थी वो अपना चहरा उठाकर सीलिंग की ओर देखती हुई नीचे हो रही हर हरकत को अपने जेहन में समाती जा रही थी कामया के होंठों से अचानक ही एक लंबी सी चीख निकल गई थी जब चाचा ने अपनी जीब उसकी योनि के ऊपर से फेरी

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कामया के हाथों में जाने कहाँ से इतना जोर आ गया था कि वो चाचा के माथे को अपनी जाँघो के पास और पास खींचने लगी थी और उधर चाचा भी कामया के इशारो को समझ कर पूरे जोश के साथ कामया की योनि पर टूट पड़े थे वो अपनी जीब से ठीक उसके ऊपर दो तीन बार घुमाकर अपनी जीब को धीरे-धीरे अंदर तक घुसाने की कोशिश में लगे थे कामया भी चाचा का पूरा साथ दे रही थी चाचा के घूमते हुए हाथों को वो भी दिशा देने की कोशिश करने लगी थी अपने नंगे बदन के हर हिस्से को चाचा के हाथों की भेट चढ़ाना चाहती थी जो सुख उसे अभी मिल रहा था वो चाचा के हाथों के स्पर्श से और भी बढ़ जाता था वो अपने आप पर काबू पाना चाहती थी पर चाचा के होंठों और जीब के आगे वो बिल्कुल अपाहिज थी उनकी हर हरकत से वो उछल पड़ती और जोर-जोर से सांसें फैंकती या फिर जोर से अपने होंठों को भिच कर अपने होंठों से निकलने वाली चीख को दबा लेती पर ज्यादा देर वो यह कर नही पाई थी चाचा की एक हरकत से वो अपनी जगह पर से हिल गई थी और अपने हाथों की पकड़ को वो चाचके माथे पर और भी सख़्त कर अपनी जाँघो के बीच में जोर से भिच लिया और एक लंबी सी चीख उसके मुख से अनायास ही निकल गई और अपनी जगह से गिरने को हुई
पर तभी एक जोड़ी हाथों ने उसे संभाल लिया और उसकी चीख को भी अपने होंठों के अंदर दबाकर उसे कमरे से बाहर जाने से रोका अब उसके शरीर में दो जोड़ी हथेली घूम घूमकर उसके शरीर की रचना को देख रही थी कामया को इस अचानक आए इस बदलाब का अंदाजा भी नहीं लगा और वो उस स्थिति में थी वो घूमकर अपने पीछे आए उस सख्स को धकेलने की कोशिश कर रही थी जो कि अपने हाथों से उसे बड़े ही प्यार से सहला रहा था और उसके गाउनके अंदर तक अपने हाथों को पहुँचा कर , उसकी चुचियों को अपनी जकड़ में ले आया था वो अपने होंठों से कामया के होंठों को सिले हुए अपनी जीब को उसके मुख में घुमाकर उसे और भी उत्तेजित कर रहा था जब उसकी अपनी अधखुली आखो से अपने पीछे आए उस सख्स पर नज़र गई तो एक बार चौंक गई थी वो तो भीमा चाचा थे तो नीचे कौन था जो कि उसे परम आनंद के सागर में गोते लगा रहा था वो अपने मुकाम पर पहुँचने ही वाली थी वो किसी तरह से अपनी गर्दन घुमाने की कोशिश करती पर उसमें इतना जोर नहीं था


वो दो बहुत मजबूत हाथों के गिरफ़्त में थी जो कि उसके हर अंग को छू रहे थे और और निचोड़ भी रहे थे उसके हर अंग ने अब उसका साथ देना छोड़ दिया था वो अब पूरी तरह से दोनों मर्दो के सुपुर्द थी और वो दोनों जो चाहते थे वो कर रहे थे कामया की चीखे लगातार बढ़ती जा रही थी पर वो कही चाचा के मुख के अंदर घूम हो जाती थी चाचा उसके होंठों के साथ लगता था कि उसके पूरे चहरे को ही अपने मुख के अंदर ले लेना चाहते थे नीचे बैठे उस इंसान ने तो कमाल कर दिया था उसने कामया की दोनों जाँघो को उठाकर अपने कंधों पर रख लिया था और उसके पैर अब जमीन पर नहीं थे वो गिर जाती अगर भीमा चाचा ने उसे ऊपर से कस कर जकड़ नहीं रखा होता अब वो हवा में अपनी जाँघो को उसे सख्स के कंधों पर रखे हुए अपनी कमर को उचका कर उस इंसान के मुख पर जोर-जोर से धक्के मार रही थी और अपनी छाती को आगे की और बढ़ा कर अपने शरीर को और भी धनुष जैसे करती हुई अपनी चरम सीमा की ओर आग्रसर होने लगी थी उसके पूरे शरीर में एक सिहरन के साथ एक बहुत बड़ी सी उथल पुथल मची हुई थी वो अपने एक हाथ से नीचे उस सख्स को अपनी योनि में घुसाने की कोशिश कर रही थी और एक हाथ से उसपर खड़े हुए चाचा को अपने होंठों के पास खींच कर अपनी जीब से उनके मुख का स्वाद लेने में लगी थी अचानक ही उसके शरीर मे एक जबरदस्त निचोड़ आया और वो वैसे ही हवा में अपने शरीर का साथ छोड़ कर लटक गई उसके शरीर में अब कोई जान नहीं बची थी वो एकदम निढाल हो चुकी थी

वो दोनो मर्दों के बीच में अपने शरीर को नहीं संभाल पाई थी जाने कौन था वहाँ पर जो भी था उसने उसे वो आंजाम दिया था जिसे वो चाहती थी उसका शरीर पसीने में लत पथ भीमा चाचा के सहारे था और वो अब अपने होंठों को धीरे-धीरे कामया के होंठों से अलग भी करते और धीरे से फिर से अपने होंठों में दबा भी लेते कामाया तो जैसे जन्नत की सैर कर रही थी नीचे से वो सख्स अभी भी उसकी योनि से निकल रहे हर ड्रॉप को अपनी जीब से चाट कर अपने मुख में भर रहा था जैसे कि कोई सहद का एक भी ड्रॉप वो वेस्ट नहीं करना चाहता था उसकी मजबूत पकड़ से वो पूरी तरह से उसकी गिरफ़्त में थी और उसे कोई चिंता नहीं थी कि वो गिर जाएगी उसकी जांघे अब भी उस सख्स के कंधे पर ही थी और कमर के ऊपर का हिस्सा भीमा चाचा की गिरफ़्त में वो पूरी तरह से सुरक्षित थी हवा में भी

पर अब धीरे-धीरे नीचे वाले सख्स की पकड़ ढीली होने लगी थी और उसने धीरे से कामया की दोनों जाँघो के बीच से अपने चहरे को निकाल लिया था और किसी बहुत ही नाजुक चीज की तरह से कामया को उठाकर वही नीचे बिस्तर पर लिटाने लगा था ऊपर से भीमा चाचा भी उस इंसान का साथ दे रहा था वो भी अब धीरे से कामया को उठाकर अपने हाथों को उसकी चुचियों पर रखकर कामया को बिस्तर पर लिटाने की कोशिश करने लगा था कामाया को जैसे अपने शरीर के अंदर उठ रहे उफान को ठंडा करने वाले का चहरा देखना था आखिर कौन था वो जो चाचा के कमरे में उनके पहले से आके लेटा हुआ था पर उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी उसकी आँखें नहीं खुल रही थी उन दोनों ने उसे निचोड़ कर रख दिया था वो एक सुख के समुंदर में गोते लगा रही थी वो अब जमीन पर उस सख़्त के बिस्तर पर पड़ी हुई थी जहां उसकी नाक में सड़न की गंध भी आ रही थी और पसीने की भी वो निढाल सी लेटी हुई थी और दो सख्स का अपने पास बैठे हुए होने का एहसास भी कर रही थी कोई भी बातें नहीं कर रहा था बस दो जोड़ी हाथ एक बार फिर से उसके शरीर पर घूमने लगे थे और बहुत ही धीरे-धीरे शायद उसकी नजाकत को देखते हुए कामया का यह पहला एहसास था दो जोड़ी हाथ उसके शरीर के चारो ओर घूमते हुए उसे वो आनंद दे रहे थे कि जिसका कि उसने कभी भी अनुमान तक नहीं लगाया था वो वैसे ही निश्चल और निढाल पड़ी हुई उन हथेलियो को अपने शरीर पर घूमते हुए महसूस कर आई थी और फिर से अपने आपको एक बार फिर से काम अग्नि की भेट चढ़ाने को तैयार हो रही थी उसके हाथ पाँवो में एक बार फिर से जान पड़ने लगी थी वो अपने को फिर से उत्तेजित महसूस करने लगी थी वो कमर के नीचे बिल्कुल नंगी थी और ऊपर नाम मात्र के गाउनसे ढँकी हुई थी दो जोड़ी हाथ उसके गाउनको भी उतारने में लगे थे और उन्हें कोई नहीं रोक सकता था और जो रोक सकता था वो तो खुद उनकी इच्छा में शामिल थी वो अपनी सांसों को फिर से बढ़ने से रोकने लगी थी और शरीर की हलचल को भी धीरे-धीरे अपने अंदर तक ही समेट कर रखना चाहती थी पर वो किसी ना किसी तरह से उसके शरीर में या फिर उसकी सांसों से प्रदर्शित हो ही जाता था एक होंठ उसके होंठों से जुड़े और बहुत ही प्यार से उनको चूमकर अलग हो गय े
- कैसा लगा बहू
कामया- हमम्म्ममम
फिर उसका चहरा घुमा एक हाथों ने घुमाया और फिर से दूसरी तरफ से एक होंठों ने उसके होंठों को अपनी गिरफ़्त में ले लिया और बहुत देर तक उनको अपने होंठों के बीच में लेकर चूमता रहा उसके शरीर में एक साथ बहुत से हाथ और होंठ घूमने लगे थे जहां भी वो महसूस कर पाती वहां एक हथेलियाँ जरूर होती थी


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- बहू आज लाखा भी है सेलेब्रेट करने आया है और आज से यही इस घर में रहेगा हुहम्म्म्मममममममममम
और एक बार फिर से वो दूसरे सख्स ने उसके होंठों को अपने कब्ज़े में लेलिया अच्छा तो वो लाखा काका थे जो कि भीमा चाचा के बिस्तर पर सोए हुए थे अब तो कामया के शरीर में फिर से एक अजीब सी स्फूर्ति आ गई थी आज का पल वो खोना नहीं चाहती थी उसकी योनि में फिर से हलचल होनी शुरू हो गई थी और भीमा चाचा तो उसे किस कर रहे थे पर लाखा काका तो फिर से अपनी उंगली उसकी योनि में डाले उसे फिर से उत्तेजित करने में लगे थे भीमा चाचा उसे किस करते हुए उसकी चूचियां निचोड़ रहे थे जो कि उसे आज बहुत ही अच्छा लग रहा था और नीचे लाख काका भी उसकी योनि के अंदर अपनी उंगलियों को बहुत ही तेजी से अंदर बाहर कर रहे थे अचानक ही लाखा काका ने उसकी जाँघो को अलग किया और अपने लिंग को एक ही झटके में उसके अंदर तक उतार दिया कामया बिल्कुल भी तैयार नहीं थी इस तरह के बरतब के लिए और एक लंबी सी चीख उसके मुख से निकली जो कि झट से भीमा चाचा ने अपने मुख के अंदर लेके कही गुम करदी अब लाखा काका नीचे से उसकी योनि के अंदर-बाहर हो रहे थे और बहुत ही तेजी के साथ हो रहे थे जिससे कि उसका पूरा शरीर ही बिस्तर पर ऊपर-नीचे की ओर हो रहा था पर भीमा चाचा की पकड़ इतनी मजबूत थी कि जैसे वो उसे उनके हाथों से छोड़ना ही नहीं चाहते हो वो कस कर कामया को छाती से जकड़े हुए अपने होंठों से कामया के होंठों को पी रहे थे और बहुत ही बेदर्दी से उसकी चूचियां को दबा भी रहे थे कामया के मुख से निरंतर चीख निकल रही थी और उसकी योनि में एक बार फिर से तूफान आने लगा था पर वो सांसें भी नहीं ले पा रही थी भीमा चाचा और लाखा काका ने उसे इतनी जोर से जकड़ रखा था कि वो हिल भी नहीं पा रही थी बस उनकी मर्ज़ी की हिसाब से उनके हाथों का खिलोना बनी हुई थी लाखा काका तो जैसे जंगलियो की तरह से उसे भोग रहे थे वही भीमा चाचा भी बहुत ही उत्तेजित से दिख रहे थे वो अब कामया के होंठों को काटने भी लगे थे और उसकी जीब को खींचकर अपने होंठों के अंदर तक ले जाते थे कामया की जान निकल गई थीउसके शरीर का रोम रोम उसके हाथों के सुपुर्द था और जैसा वो दोनों चाहते थे कर रहे थे कोई डर नहीं था उनके मन में ना कोई चिंता बस अपने हाथों में आई इस हसीना को चीर कर रख देना चाहते थे
लाखा काका की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी जैसे कि वो अपने मुकाम पर पहुँचने ही वाले थे पर जाने क्या हुआ कि भीमा चाचा की पकड़ अचानक ही उसके सीने पर से थोड़ी ढीली हुई और
भीमा- लाखा हट अब मुझे करने दे
लाखा- अरे रुक जा बस थोड़ी दे र
भीमा- अरे हट ना साले तू ही करेगा क्या मुझे भी मौका दे साले
लाखा- रुक यार साली दोनों को खुश किए बिना कहाँ जाएगी बस हो गया तू मुँह में डाल दे जबरदस्त चूसती है डाल साली के मुँह में

कामया नीचे पड़ी हर धक्के में कोई ना कोई आवाज सुन जरूर रही थी पर धक्के इतने जबरदस्त होते थे कि पूरी बातें उसे सुनाई नहीं दी थी पर हाँ इतना जरूर था कि दोनों एक दूसरे को हटाकर उसे भोगना चाहते थे पर अचानक ही उसके मुख से चीख निकलती , वही भीमा चाचा ने जरबारदस्ती उसके बालों को खींचकर अपने लिंग पर उसका मुख रगड़ने लगे थे उसकी सांसों को एकदम से बंद कर दिया था भीमा चाचा के उतावले पन ने पर उनके जोर के आगे वो कहाँ एक ही झटके में उसके मुख में भीमा चाचा का लंबा और सख़्त सा लिंग समा गया था वो गूओगू करती हुई अपने को संभालती तब तक तो भीमा चाचा के हाथों के जोर से वो खुद आगे पीछे होने लगी थी कामया का शरीर अब अपने शिखर पर पहुँचने ही वाला था और इस तरह से छीना झपटी और बेदर्दी उसने पहली बार सहा था जिससे की वो कुछ ज्यादा ही जल्दी झड़ने लगी थी वो अपने चेहरे को भीमा चाचा के लिंग से अलग करने की कोशिस करने लगी थी और कमर के हर एक झटके के साथ ही वो दूसरी बार झड़ने लगी थी लाखा काका भी झड़ गये थे पर अभी भी लगातार झटके लगा रहे थे इतने में

भीमा- साले हट हो तो गया

और उसने लाखा को एक धक्का दिया और उसे पीछे की ओर धकेल दिया और जल्दी से अपने लिंग को निकाल कर कामया की जाँघो के बीच में बैठ गया और किसी ओपचारिकता के बिना ही एक ही झटके में अपना लिंग उसके अंदर तक उतार दिया कामया जो कि झड चुकी थी और अपनी सांसों को नियंत्रण करने में लगी थी इस अचानक आक्रमण के लिए तैयार नहीं थी पर अब क्या हो सकता था भीमा चाचा तो जनवरो की तरह से उसे भोग रहे थे उन्होंने कसकर कामया को अपनी बाहों में भर लिया था और उसके होंठों पर टूट पड़े थे और जम्म कर अपने पिस्टन को अंदर-बाहर कर रहे थे इतने में लाखा भी भीमा को उससे अलग करने लगा था तो भीमा की पकड़ थोड़ी सी ढीली हुई पर एक और मुसीबत उसके सामने थी लाखा काका ने अपने लिंग को उसके मुख में घुसा दिया उन्हें इस बात की कोई चिंता नहीं थी कि उसे कैसा लगेगा वो दोनों अपने हिसाब से उसे मिल बाँट कर खा रहे थे और वो भी बिना किसी ना नुकर के सब झेल भी रही थी उसके मुख में जैसे ही लाखा काका ने अपना लिंग डाला उसे उबकाई सी आने लगी थी पर लाखा काका ने जोर से उसका माथा पकड़ रखा था और अपने लिंग को आगे पीछे कर रहे थे उधर भीमा चाचा भी अपने पूरे जोर से कामया को भोग रहे थे या कहिए अपना गुस्सा निकाल रहे थे जो भी हिस्सा उनके हाथों में आता उसे मसलकर रख देते थे या फिर जो भी हिस्सा उसके होंठों में आता वहां एक काला दाग बना देते थे कामया तो जैसे मर ही गई थी उनकी हरकतों के आगे वो कुछ भी नहीं कर पा रही थी बस हर धक्के में आगे या फिर पीछे हो जाती थी और लाखा काका के लिंग को अपने गले तक उतरते हुए महसूस करती थी वो कब झड़ गई उसे पता नहीं चला पर हाँ … थोड़ी देर बाद दोनों शांत होकर उसके शरीर के हर हिस्से सटे हुए थे वो अब भी खाँसते हुए सांस ले रही थी पर वो दोनों तो जैसे मर ही गये थे उसके शरीर को किसी गद्दे की तरह समझ कर वही सो गये थे वो भी बिल्कुल हिल नहीं पा रही थी और उसके जेहन में कोई भी बात आने से पहले ही वो भी वही सो गई
वो सो क्या गई बल्कि कहिए निढाल हो चुकी थी उसका शरीर और दिमाग़ बिल कुल सुन्न हो गया था जिस तरह से भीमा और लाखा काका ने उसे यूज़ किया था वो एक खतर नाक मोड़ पर थी वो अपने आपको किस तरह से संभाले वो नहीं जानती थी

उसके शरीर के ऊपर दोनों किसी मुर्दे की तरह लेटे हुए थे और अपने मुख से निकलने वाली लार से उसे भिगो रहे थे और अपने हाथों से उसे जाने नहीं देना चाहते थे वो सोई हुई अपनी परिस्थिति को समझने की और अपने आपको इस तरह की परिस्थिति से अलग करने के बारे में कही अपने जेहन में सोच रही थ ी पर उसके हाथों और पैरों में इतनी ताक त
ही नहीं बची थी कि वो अपने को हिला भी सके और ऊपर से यह दो राक्षस उसके ऊपर उसे अभी तक कस के पड़े हुए थे उनकी सांसें अब भी उसके शरीर पर पड़ रही थी कामया बिल्कुल नंगी थी उसके शरीर में जहां तहाँ लाल काले धब्बे उभर आए थे पर उसे कोई होश नहीं था वो तो बेसूध सी पड़ी हुई थी थोड़ी देर बाद उसे अपने नीचे की ओर कोई हरकत होते सुनाई दी भीमा चाचा थे या लाखा काका थे पता नहीं पर जो भी था वो आगे की ओर जो सख्स था उसे हिलाकर उठा रहा था
- ओये लाखा उठ बहू को उसके कमरे में छोड़ देते है
लाखा- हाँ … अरे रुक यार थोड़ी देर रुक जा देखने दे
और दोनों झुक कर कामया को छूकर देख रहे थे शायद जानना चाहते थे कि जिंदा है कि मर गई कामया भी थोड़ा सा कसमसाई उनके हाथों के आगे

भीमा- बहू उठो और अपने कमरे में जाओ बहुत देर हो गई है
कामया- हाँ … उूउउम्म्म्म और एक बड़ी सी अंगड़ाई लेकर फिर से सिकुड़ कर सो ग ई

146-1000
 

Coquine_Guy

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लाखा- अभी मन नहीं भरा यार और देख इसे भी कोई फरक नहीं पड़ता थोड़ी देर रुक जा ना फिर आपण दोनों छोड़ आएँगे
और झुक कर कामया के चहरे को अपनी हथेलियो के बीच में लेकर उसके होंठों को चूसने लगा था बड़े ही प्यार से उसके मुख के अंदर तक अपनी जीब को लेजाकर लाखा कामया को बहुत देर तक किस करता रहा उसे इस तरह से देखकर भीमा भी अपने हाथ कामया की जाँघो के चारो ओर घुमाने लगा था उसके हाथों में आई इस सुंदरी का वो हिस्सा लगता था वो किसी के साथ शेयर करने के मूड में नहीं था वो अपने होंठों को भी जोड़ कर कामया की जाँघो और टांगों को फिर से किस करने लगा था और ऊपर से लेकर पैरों के तले तक किस करते हुए जा रहा था कामया जो कि अब भी अपनी दुनियां से दूर अपने ऊपर हो रहे इस नये आक्रमण को धीरे-धीरे बढ़ते हुए सहन कर रही थी पर इस बार दोनों के हाथों और होंठों में जानवर पना नहीं था प्यार था और बहुत ही नर्मी से पेश आ रहे थे वो अपने आपको कभी सीधा तो कभी उनके किसके साथ अपने शरीर को इधर उधर करती जा रही थी उनके हाथों और उंगलियों के इशारे वो भी समझ रही थी पर जान तो बिल्कुल बची ही नहीं थी वो चाह कर भी उन दोनों को रोक नहीं पा रही थी वो इतना थक चुकी थी कि अपने हाथ पैरों को भी सीधा करने के लिए उसे बहुत ताकत लगानी पड़ रही थी पर ना जाने क्यों उसे दोनों के इस तरह से अपने जिस्म से खेलते हुए देखकर अच्छा लग रहा था वो अपने शरीर पर होने वाली हर हरकत को सहने को तैयार हो रही थी उसके अंतर्मन में एक आग फिर से भड़क ने लगी थी उसने अपने हाथों को फिर से आगे करके लाखा काका को छूने की एक कोशिश की लाखा जो की उसके होंठों को चूमने में लगा था

अचानक ही बहू के शरीर में हुई हरकत से थोड़ा सा ठिठका पर जैसे ही बहू की हथेलिया उसके सिर के चारो ओर गई वो अस्वस्त हो गया कि बहू को कोई आपत्ति नहीं है वो फिर से अपने काम में जुट गया कामया की टांगों में भी धीरे-धीरे जान फुक रहा था भीमा और अपने होंठों से उसके हर कोने को चूमने की कोशिश कर रहा था और कामया भी अब धीरे से अपनी टांगों को मोड़कर या फिर थोड़ा उँचा करके उसे अपने यौवन कर रस पिला रही थी भीमा को भी पता चल गया था कि बहू को कोई आपत्ति नहीं है सो वो भी बहू के शरीर पर फिर से टूट पड़ा था अब तो दोनों फिर से कामया के शरीर को रौंदने लगे थे अपनी हथेलियो से और होंठों से जहां मन करता वहां किस करते और जहां मन करता वहाँ जोर से दबाते या फिर सहलाते लाखा काका तो ऊपर से कामया को किस करते हुए उसकी चुचियों पर आके रुक गये थे पर भीमा चाचा उसकी टांगों से लेकर उसकी कमर तक आ चुके थे वो अपनी जीब को निकाल कर अब कामया की नाभि में झुका हुआ था और अपनी जीब को जहां तक हो सके वो उसके अंदर तक घुसा देना चाहता था वो अब भी कामया को अपनी गोद में लिए हुए था उसकी कमर से वो कामया को अपने लिंग के ऊपर रखे हुए धीरे-धीरे अपने काम को अंजाम दे रह था और ऊपर लाखा भी कामया को अपनी दोनों बाहों में कसे हुए उसकी एक चूची को अपने होंठों के अंदर लिए हुए जम कर चूस रहा था वो अपने हाथों से दूसरी चुचि को धीरे धीरे दबा के उन्हें भी खुश करने की कोशिश कर रहा था

भीमा भी अब तक उसकी नाभि को छोड़ कर कामया के शरीर के ऊपरी हिस्से की ओर चल दिया था होंठों को उसके शरीर से बिना अलग किए वो अब भी कामया को बेतहाशा किस करते जा रहा था और कामया जो कि बस किसी तरह से अपने ऊपर हो रहे इस दोहरे आक्रमण को झेल रही थी अब फिर से काम अग्नि के भेट चढ़ने वाली थी उसके शरीर में एक बार फिर से उत्तेजना की लहर बहुत ही गति से फेलने लगी थी वो अपनी सांसों को फिर से अपनी नाक और मुख से जोर से छोड़ने लगी थी और भीमा चाचा और लाखा काका की हर हरकत पर फिर से अपने शरीर को मरोड़ कर उनकी हरकतों का आनंद लेने लगी थी वो जानती थी कि अब की बार वो दोनों को अपने जहन में उतारने में उसे कोई दिक्कत नहीं होगी और वो अपने को उस एनकाउंटर के लिए बिल्कुल तैयार कर रही थी वो अब अपने मुख से निकलने वाली सिसकारी को भी सुन सकती थी जो कि कमरे में बहुत ही तेजी से फेल रही थी

भीमा अपने आपको कामया की चुचियों तक ले जाने में कोई देरी नहीं करना चाहता था और वो पहुँच भी गया लाखा को थोड़ा सा हटाकर उसने भी एक चुचि पर अपना कब्जा जमा लिया अब तो दोनों लाखा और भीमा ने जैसे बहू को आपस में बाँट लिया हो दोनों अपने-अपने हिस्से को चूमकर और चाट कर बहू के हर अंग का स्वाद लेने में लगे हुए थे कामया को भी जैसे जन्नत का मजा आने लगा था दोनों जिस तरह से उसकी चूचियां चुस्स रहे थे वो उसके लिए एक नया और और बिल कुल अनौखा अनुभव था दो होंठ उसकी एक-एक चुचि को अपने मुख में लिए हुए उसका रस चूस रहे थे और दोनों ही बिल्कुल अलग अलग अंदाज में दोनों के हाथों का दबाब भी अलग था और सहलाने का तरीका भी आआआआअह् ह
एक लंबी सी सिसकारी कामया के मुख से निकलकर पूरे कमरे में फेल गई उसकी सिसकियो में कुछ ज्यादा ही उत्तेजना थी वो अब लाखा काका और भीमा चाचा की गिरफ़्त में भी मचल रही थी जैसे ही दोनों के चूसने की रफ़्तार बढ़ने लगी थी भीमा और लाखा कामया को सहारा देकर अब उठा चुके थे और दोनों ओर से उसे घेरे हुए उसकी चुचियों को ऊपर उठाकर चूस रहे थे वो एक-एक निपल्स को मुख में डाले हुए जोर-जोर से चूसते जा रहे थे और बीच बीच में पूरा का पूरा चुचि को अपने मुख के अंदर घुसाकर जोर से काट भी लेते थे और अपने हाथों से बाहर निकाल कर जोर से दबा भी देते थे कामया का सिर ऊपर हवा में लटका हुआ था पर साँसे अभी भी बहुत तेजी चल रही थी दोनों अपने हिस्से का काम बहुत ही सही अंदाज से अंजाम दे रहे थे भीमा और लाखा ने कामया को अपनी एक-एक जाँघ के सहारे बैठा रखा था और अपने एक-एक हाथों को भी उसकी पीठ पर फेर रहे थे दूसरे हाथ से दोनों कामया को चुचियों से लेकर जाँघो तक और फिर टांगों के तले तक सहलाने में व्यस्त थे

कामया के शरीर में उठने वाली वासना की तरंगे अब उसके बस से बाहर थी वो अपने शरीर को कंट्रोल नहीं कर पा रही थी और अपने मुख से जोर से सांसें लेते हुए अपनी सिसकारी और अह्ह्ह को रोकने की जी भर के कोशिश करती जा रही थी पर वो उसके मुख से फिसलते हुए पूरे कमरे को भरती जा रही थी उसकी सिसकारी जब तेज होने लगी तो अचानक ही एक जोड़ी होंठों ने उसे अपने होंठों के अंदर लेके बंद कर दिया अब कामया फ्री थी कितना भी जोर से सिसकारी लेने को वो कौन था इससे उसे फरक नहीं पड़ता पर जो भी था उसे किस करना आता था और बहुत ही अच्छे ढंग से किस करना आता था अब तो वो बिल्कुल उत्तेजित थी होंठों के बीच में जब भी वो अपनी जीब से उसके मुख के अंदर चुभलाने लगता तो वो मस्त हो करके अपने सीने को और आगे बढ़ा देती वो जो सख्स उसकी चूचियां अपने मुख लिए हुए था वो भी कस कर उसकी चूचियां अपने एक हाथ से थामे दूसरे से उसे चूसते जा रहा था अब तो दोनों की उंगलियां धीरे धीरे उसकी योनि के अंदर-बाहर भी होने लगी थी पर दोनों बारी बारी से उसकी योनि के अंदर-बाहर कर रहे थे उसकी योनि रस से भरी हुई थी और अब अपने अंदर की चाह को मिटाने के लिए उत्तेजित भी थी और लाखा तो जैसे अब अपनी पर ही उतर आया था


2022-01-26

वो कामया को अपने सीने से लगाए हुए जोर से भीचे हुए उसकी चुचियों को और निपल्स को अपने दाँतों से काट-ता जा रहा था और जोर से अपनी उंगली को उसकी योनि में घुसाता जा रहा था लगता था कि जैसे उसकी अंतिम सीमा तक पहुँचना चाहता था उधर भीमा भी अपनी उत्तेजना को नहीं रोक पा रहा था और बहू को बाहों में भरे हुए उसके होंठों पर लगा हुआ था एक हाथ में उसके कभी-कभी लाखा के छोड़ने से एक चुचि आ जाती थी तो उसे वो बहुत जोर से निचोड़ता था उसे कोई डर नहीं था क्योंकी उसने बहू का मुख बंद कर रखा था वो कोई भी अब धीरे नहीं कर रहा था वो भी जानवर हो चुका था और बहशी के समान कमाया को निचोड़ने में कोई नहीं रहा था वो भी अपनी उंगली को कामया की जाँघो के बीच में घुसाता था पर जब वहां लाखा की उंगलियां होती थी तो कामया की जाँघो को सहलाकर वापस अपने लिए जगह बनाता था दोनों के हिस्से में आए कामया का शरीर को दोनों अपने तरीके से सहला रहे थे और जोर से उसे इश्तेमाल करते जा रहे थे पर अचानक ही लाखा एकदम से कामया की जाँघो के बीच में पहुँच गया और बिना किसी पूर्व चेतावनी के ही एक ही धक्के के उसके अंदर तक समा गया वो अचानक ही कामया के पूरे शरीर को अपने गिरफ़्त में लेने को हुआ और भीमा के हाथों से छुड़ा कर उसने कामया को अपनी बाहों में भर कर अपनी गोद में बिठा लिया था और कामया की गर्दन और गालों को चूमे जा रहा था पर कामया का पूरा शरीर जैसे लटका हुआ था वो जब तक कुछ करती तब तक तो लाखा ने उसपर पूरा नियंत्रण कर लिया था और उसके होंठों को भी ढूँढ़ कर अपने होंठों से दबा लिया था लाखा घुटनों के बल बैठा हुआ कामया को गोद में लिए हुए झटके लगाता जा रहा था और हर धक्के में कामया उसकी गोद में उच्छल कर उसके कंधे से ऊपर चली जाती थी भीमा जो कि वही पास बैठे हुए लाखा को अपनी हरकत करते हुए देख रहा था और अचानक अपने हाथों से बहू के निकल जाने के बाद सोच ही रहा था कि कहाँ से अपना कब्जा शुरू करे तभी कामया पीछे की ओर धनुष जैसे हुई तो भीमा ने लपक कर कामया को अपने हाथों से सहारा दिया और कसकर फिर से कामया के होंठों पर झुक गया वो भी अपने को किसी तरह से रोके हुए था पर कामया को इस तरह से उछलते हुए देखकर वो भी अपने आप पर काबू नहीं रख पाया और वो भी एक बहशी बन गया था वो जोर-जोर से कामया को चूमे जा रहा था और अपनी दोनों बाहों को कामया के शरीर के चारो ओर घेर कर अपने सीने से कस के लगाए हुए था लाखा भी अपने पूरे जोर से कामया की कमर को जकड़े हुए नीचे से धक्के लगाते जा रहा था और लाखा कामया को चूमते हुए देखता जा रहा था शायद वो अपने चरम सीमा की ओर पहुँचने ही वाला था क्योंकी उसके धक्के अब बहुत ही गतिवान हो गये थे और वो कामया को थोड़ा सा ऊपर करके लगातार धक्के लगा रहा थ ा
और उधर भीमा भी अपने आपको और ज्यादा नहीं रोक पाया तो वो कामया के पीछे की ओर हो गया और पीछे से अपने लिंग को कामया के नितंबों को छू रगड़ने लगा था और लाखा की ओर देखते हु ए
भीमा- लाखा , अब छोड़ मुझे भी करना है
लाखा आआह्ह रुक जा यार बस हो गया

भीमा को कहाँ शांति थी उसने एक बार अपने हाथों को कामया और लाखा के बीच में डाल ही दिया और कामया की कमर को पकड़कर एक ही झटके में कामया को अपने पास खींच लिया कामया जो कि एक लाश के समान थी एक ही झटके में भीमा की गोद में पहुँच गई और लाखा काका के हाथों से छूट गई अब वो पीछे से भीमा चाचा की गोद में पहुँच गई थी और एक फ्रॉग की तरह से नीचे गिर पड़ी पर गिर पड़ी क्या लाखा कहाँ छोड़ने वाला था उसने कामया को झट से खींच कर अपने हाथों से संभाला और उसके चहरे को अपने लिंग के आस-पास घिसने लगा और भीमा ने देर नहीं की और झट से कामया के पीछे से उसकी योनि में झट से घुस गया और क्या अपने जोर से उसे लगा जैसे कि अपनी हवस को अंजाम देने की कोशिश कर रहा हो वो बहुत उत्तेजित था उसकी हरकतों को देखकर ही कहा जा सकता था उसे कोई चिंता नहीं थी ना तो कामया की और नहीं लाखा की वो तो बस कामया के अंगो को पीछे से निचोड़ता हुआ अपने लिंग को कामया की योनि में बिना किसी रोक टोक के लगातार अंदर और बहुत अंदर तक जा रहा था कामया जो की अब दोनों ओर में अटकी हुई थी अब उसके मुख में लाखा काका के लिंग से एक लंबी सी पिचकारी निकलकर उसके गले तक उतरगई थी और नीचे भीमा चाचा के लिंग से निकली पिचकारी उसके अंदर बहुत अंदर तक कही जाकर समा गई थीएक गरम सी बौछार दोनों और से उसके शरीर के अंदर तक उतरगई थी कामया ने अपने जीवन का पहला और बहुत ही दर्दनाक सेक्स आज की रात किया था पर एक बात जरूर थी उसने एक बार भी किसी को मना नहीं किया था जाने क्यों उसे इस तरह से अपने शरीर को रौंदने वाले भीमा और लाखा पर कही से भी गुस्सा नहीं था वो बिल्कुल निश्चल सी नीचे पड़ी हुई थी जैसे कोई मर गया हो और उसके मुख की ओर लाखा काका बैठे हुए थे और नीचे की ओर भीमा चाचा लंबी सांसें लेते हुए अपने आपको कंट्रोल कर रहे थे सभी बहुत थके हुए थे और किसी के शरीर में इतनी जान नहीं बची थी कि जल्दी से हरकत में आए
कुछ 20 25 मिनट बाद अचानक ही लाखा और भीमा जैसे नींद से जागे हो अपनी जाँघो के पास कामया को इस तरह से नंगे पड़े हुए देखकर दोनों ने एक दूसरे की ओर देखा
लाखा- क्यों इसे कमरे में कैसे ले जाए


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Coquine_Guy

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भीमा- रुक बहू उूुउऊबहुउऊ उ
और कामया को थोड़ा सा हिला के देखा कामया के शरीर में जान कहाँ थी इस तरह से हिलाने से क्या होना था अगर झींझोड़ कर उठाया नहीं गया तो शायद वो वही ऐसे ही पड़ी रहती सुबह तक पर लाखा और भीमा को उससे ज्यादा फिकर थी वो कामया के शरीर को अपने हाथों से एक बार अच्छे से सहलाते हुए अपने मुख को कामया के कानों के पास तक ले गये और धीरे-धीरे उसको आवाज लगाते हुए उसे उठाने लगे किसी तरहसे उठाकर बैठा लिया दोनों ने
लाखा--- वो रहा गाउन तेरे पीछे दे
भीमा ने अपने पीछे से गाउन उठाकर लाखा की ओर किया और कामया को सीधा करके उसके माथे के ऊपर से दोनों मिलकर उसे गाउन पहनाने में लगे थे बीच बीच में अपने हाथों से उसकी गोल गोल चूची को भी अपने हाथों से छू लेते थे और उसके पेट से लेकर नीचे तक उसे देखते हुए उसे सहला भी देते थे
लाखा- अब तो छोड़
भीमा- तू भी चल ध्यान देने थोड़ा सा चल
और दोनों कामया को अपने हाथों से उठाने को उतावले हो उठे पर यह सौभाग्य भीमा ने उठाया और आधी नंगी कामया को बिना , पैंटी के ही वैसे गाउन मे लेके बाहर आ गये लाखा धीरे-धीरे घर का जायजा लेने लगा था और भीमा अपनी बाँहों में भरे हुए कामया को उसके बेडरूम तक ले जाने लगा था लाखा आगे जाकर देख रहा था और पीछे भीमा उसे लिए हुए दबे कदम कामया के कमरे तक पहुँच गये
कमरे के बाहर भीमा और लाखा दोनों रुक गये और फिर लाखा ने कामया को एक बार फिर से होश में लाना चाहा
लाखा- बहू उठो बहू
पर बहू तो जाने कहाँ थी वो अब भी मुर्दे की भाँति भीमा चाचा की बाहों में पड़ी हुई थी
लाखा- अब हाँ …
भीमा- रुक दरवाजा खोल
लाखा- नहीं मरवाएगा क्या भैया है अंद र
भीमा- नहीं बहू नहीं पहुँची ना तो तू भी और में भी और यह भी अपनी गोद में लिए कामया की ओर इशारा करते हुए भीमा ने जताय ा
लाखा ने बड़ी हिम्मत करते हुए दरवाजे को धकेला पर वो नहीं खुल ा
लाखा- अंदर से बंद है
भीमा चाचा और लाखा के चहरे से रंगत उड़ गई थी पर तभी उनका ध्यान नीचे लॉक पर गया और देखकर थोड़ी सी हिम्मत बनी कि वो तो बाहर से बंद था लाखा ने धीरे से उसे खोला और अंदर आ कर देखा अंदर कामेश दूसरी तरफ मुँह किए सो रहा था अंदर मस्त एसी की ठंड थी और दरवाजा खुलते ही बाहर तक आने लगी थी लाखा ने दरवाजा खोलकर भीमा की ओर देखा भीमा धीरे से कामया को गोद में लिए अंदर की ओर हुआ और बहुत ही धीरे से कामया को भैया के पास सुलाकर वैसे ही दबे कदम बाहर की ओर हो लिया दरवाजे पर लाखा वैसे ही खड़ा हुआ भीमा को सबकुछ करते हुए देख रहा था और उसका साथ देने को खड़ा हुआ था
भीमा अपने काम को अंजाम देने के बाद वैसे ही दबे कदम बाहर आ गया और दरवाजा बंद करते हुए दोनों जल्दी से अपने कमरे में आ गये थे
दोनो के चहरे में एक संतोष था और एक अजीब सी खुशी भी थी जैसे कोई मैदान मारकर आए हो कमरे में पहुँचते ही दोनों कमरे को ठीक करने में लग गये थे
लाखा- यार मजा आ गया बहू तेरे कमरे में भी आ जाती है
भीमा- हाँ यार दूसरी बार ही आई है
लाखा- साले बताया नहीं तूने तो साले खेल रहा था हाँ …
भीमा- अरे यार क्या बताता तुझे तो पता है फिर तू कौन सा साधु है तूने भी तो कोई कमी नहीं छोड़ी ना
लाखा- हाँ यार क्या माल है साले मेंने भी कभी नहीं सोचा था कि इस घर की बहू को भी भोगने का मिलेगा यार गजब की माल है
भीमा- हाँ … सला भैया खुश नहीं कर पाता होगा नहीं तो क्या वो अपने पास आती
लाखा- हाँ यार साला खाली कपड़े और गाड़ी ही देता होगा ही ही और बाकी हम देते है हा हा हा
भीमा भी उसकी हँसी में शामिल हो गया और कुछ देर बात करते हुए दोनों कब सो गये पता ही नहीं चला

उधर कामया जब अपने बिस्तर पर पहुँची तो उसे थोड़ा बहुत होश था पर शरीर में इतना जोर नहीं था कि उठ सके या कोई काम कर सके वो वैसे ही बहुत देर तक लेटी रही और फिर बहुत संघर्ष करके अपने आपको एक चादर से ढँक कर सो गई उसके जेहन में अब तक लाखा और भीमा की छवि छाइ हुई थी किसी तरह से उन दोनों ने मिलकर उसे निचोड़ कर रख दिया था उसका बुरा हाल हो रहा था और उसकी चूचियां और शरीर का हर हिस्सा दर्द में बदल चुका था वो लेटी हुई अपने बारे में सोच रही थी और पास में लेटे हुए अपने पति के बारे में भी वो क्या से क्या हो गई थी आज तो जैसे वो अपनी नजर से बहुत गिर चुकी थी उसने जो आज किया था वो क्या कोई घर की बहू करती है
क्या उसने जो भी किया उसके लिए ठीक था जाने क्यों वो इस बात के निर्णय पर नहीं पहुँच पाई और शून्य की ओर देखती हुई कब सो गई पता ही नहीं चला

सुबह जब आखें खुली तो कामेश उसकी बगल में नहीं था शायद नीचे चाय पीने गया था वो जल्दी से उठी और झट से बाथरूम में घुस गई नहाते समय उसे अपने शरीर में काले नीले धब्बे दिखाई दिए और मिरर में देखकर वो चकित रह गई थी यह धब्बे कल रात का परिणाम था उसके शरीर के साथ हुए कर्म की निशानी थे पर एक सी मुस्कान उसके होंठों में दौड़ गई थी क्या वो इतनी गिरी हुई है कि लाखा और भीमा उसके शरीर में इस तरह के निशान छोड़ गये

क्या वो इतनी कामुक है कि उसे कल पता भी नहीं चला कि क्या हो गया पर हाँ … उसे दर्द या फिर कुछ भी अजीब सा नहीं लगा था तब अच्छा ही लगा होगा नहीं तो वो संघर्ष तो करती या फिर कुछ तो आशा करती जो उसे अच्छा नहीं लगने का संकेत होता पर उसने तो बल्कि उन दोनों का साथ ही दिया और उन्हें वो सब करने दिया जो कि वो चाहते थे हाँ … उसे मजा ही आया था और बहुत मजा आया था उसने कभी जिंदगी में मजा कभी नहीं लिया था वो भी सेक्स का वो इतना कभी नहीं झड़ी थी जितना कि कल रात को वो कभी सेक्स में इतना नहीं थकि थी जितना कि कल रात को उसके शरीर का इस्तेमाल भी कभी किसी ने इस तरह से नहीं किया था कि जितना कि कल हाँ … यह सच था और उसी का ही परिणाम था यह जो की उसके शरीर में जहां तहाँ उभर आए थे वो अपने शरीर को घुमाकर हर हिस्से को एक बार देखना चाहती थी उसकी जाँघो में नितंबों में जाँघो के पीछे के हिस्से में कमर में नाभि के आस-पास और चूचियां में और निपल्स में गले में हर कही उसे दिख रहे थे वो मिरर में एक बार अपने को देखकर और फिर अपने शरीर को मिरर में देखने लगी थी कितनी सुंदर है वो क्या शरीर पाया है उसने मस्त चूचियां जो की निपल्स के साथ किसी की चोटी की तरह से सामने की ओर देख रहे थे उसके नीचे पतली सी कमर उसके बीच में गहरी नाभि जो कि उसके शरीर को और भी ज्यादा सुंदर बना देती थी नीचे नितंबों का सिलसिला होते हुए जाँघो से नीचे तक टाँगें जो कि उसके शरीर को किसी बोतल के शेप में चेंज कर देती थी

कंधों के ऊपर से सुराहीदार गर्दन और फिर उसका प्यारा सा चहरा लाल होंठ उसके ऊपर नोक दार नाक पतली सी और फिर उसकी कातिल निगाहे जो कि बहुत कुछ ना कहते हुए भी बहुत कुछ कह जाती थी
वो खड़ी-खड़ी अपने को बहुत देर तक इसी तरह से देख रही थी कि डोर पर नॉक होने से वो वापस वास्तविकता में आई और बाहर खड़े कामेश को आवाज दी
कामया- जी
कामेश- जल्दी निकलो मुझे जाने में देर हो जाएगी
कामया- बस दो मिनट
और वो जल्दी से अपने आपको संभाल कर बाहर आने की जल्दी करने लगी बाहर आते ही उसे कामेश अपने आफिस बैग में कुछ करता दिखा
कामेश- कल क्या हुआ था तुम्हें
कामया क्यों
कामेश उसके पास आया औ र , माथे को और फिर होंठों को चूमते हुए उसकी आखों में आँखे डालकर कहा
कामेश- बिना पैंटी के ही सो गई थी
कामया- छि छि तुमने देखा
कामेश- ही ही हाँ … नशा ज्यादा हो गया था क्या
कामया- जंगली हो तु म
कामेश- यार यह तो मैंने नहीं किया
वो कामया की गर्दन और गाल के नीचे तक लाल और काले निशानो की ओर इशारे करता हुआ बोला
कामया- हाँ … और कहाँ आए थे किसने किया
कामेश- यार नशे में था पर सच बताऊ तो मुझे कुछ याद नहीं
तब तक कामया पलटकर अपने ड्रेसिंग टेबल तक पहुँच चुकी थी वो कामेश से नजर नहीं मिला पा रही थी

पर कामेश उसके पीछे-पीछे मिरर तक आ गया और उसे पीछे से पकड़कर कंधों से बाल को हटा कर उसकी पीठ पर आया और गर्दन पर निशानो को देखकर छूता जा रहा था
कामेश- सच में डियर मुझे कुछ भी याद नहीं सॉरी यार
कामया- धात जाइए यहां से और अपने को झटके से कामेश से अलग करती हुई वो अपने बालों पर कंघी फेरने लगी थी कामेश भी थोड़ी देर खड़ा हुआ कुछ सोचता रहा और फिर घूमकर बाथरूम की ओर चल दिया
कामेश- आज आओगी ना
कामया- नहीं मन नहीं कर रहा
कामेश- घर में क्या करोगी आ जाना पापा के सा थ
कामया देखती हूँ मन किया तो
और कामेश बाथरूम की ओर चला गया था कामया अपने आपको संवारती हुई अपने पति के बारे में सोचने लगी क्या वो जो कर रही है वो ठीक है उसका पति उसे कितना प्यार करता है और वो उसे धोका दे रही है
हां धोखा ही तो है वो सोच रहा है कि वो दाग उसने दिया पर हकीकत तो कुछ और ही है वो मिरर के सामने अपने से अपनी नजर नहीं मिला पा रही थी और वापस अपने बिस्तर पर आके बैठ गई और कंघी करने लगी उसके दिमाग में बहुत सी बातें चल रही थी पर उसे अपने पति को धोखा देना अच्छा नहीं लगा उसका मन एकदम से निराश सा हो गया वो शायद रो भी देती पर कामेश को क्या बताती कि वो क्यों रो रही है इसलिए चुपचाप बैठी हुई बाल ठीक करके उसके आने का इंतेजार करने लगी
कामेश जब तक बाहर आया तब तक वो थोड़ा सा नार्मल हो चुकी थी पर जेहन में वो बातें चाल तो रही थी कामेश के तैयार होने के बाद जब वो नीचे गया तो वो भी उसके साथ ही नीचे गई डाइनिंग टेबल पर सजे हुए डिश और खाने को देखकर वो भी थोड़ा सा नार्मल होती चली गई और खाना परोश कर कामेश को खिलाने लगी थी
पापाजी- अरे बहू थोड़ा जल्दी तैयार हो जाना आज तुम्हें एक शोरुम दिखाने ले चलता हूँ
पापाजी अपने कमरे से निकलते हुए डाइनिंग टेबल पर आ गये थे वो कुछ जल्दी तैयार हो गये थे कामेश की नजर कामया पर रुक गई थी कुछ कहता पर उससे पहले ह ी
कामया- जी पापाजी में आती हूँ
और कामेश की देखते हुए वो जल्दी से अपने कमरे की ओर भागी हाँ
… अब वो इस तरह से नहीं करेगी अपने पति का साथ देगी छि क्या किया उसने नहीं अब नहीं बहुत हो गया यह स ब
और कामया अपने कमरे में पहुँचकर जल्दी से तैयार होने लगी थी उसे जाना ही था वो अब यह धोखा धड़ी के खेल से अपने को आजाद करना चाहती थी जल्दी से तैयार होकर जब वो नीचे पहुँची तो पापाजी को उसी का इंतजार करते हुए पाया खाना खाकर कामया पापाजी के साथ बाहर निकल गई गाड़ी आज भी लाखा काका ही चला रहे थे पर कामया को कोई फरक नहीं पड़ता उसने एक बार भी लाखा काका की ओर नहीं देखा पर हाँ … कल के बारे में एक बार उसके जेहन में बात आई तो जरूर थी पर झटके से कामया ने उस बात को अपने दिमाग में घर करने से बाहर निकाल दिया

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Tiger 786

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कामया भी धीरे-धीरे अपनी जीब को चाचा के लिंग पर चलाने लगी थी उसके चहरे पर एक आनंद था और अपने होंठों के बीच में आए उस कड़े से और मोटे से लिंग को चूसने लगी थी बड़े ही होले से और बड़े ही प्यार से जैसे कोई लोलीपोप हो या फिर अपने पसंद की कोई आइस्क्रीम जिसे वो धीरे-धीरे चूसती जा रही थी जैसे वो खतम ना हो जा ए
और भीमा तो जैसे जन्नत में चला गया था अपनी गोद में लिए वो अपने चहरे को ऊपर उठाए अपने लिंग पर बहू की जीब का स्पर्श आआह्ह और क्या चाहिए भीमा को यही लग रहा था कि वो ऐसे ही मर भी जाए तो क्या फरक पड़ता है कोई भी ऐसे ही मरना चाहेगा (मे तो तैयार हूँ और कौन हाँ …) वो अपने लिंग को बहू के मुख के अंदर घुमाने लगा था और थोड़ा सा अपने हाथों के जोर से बहू के माथे को भी दबाब देने लगा था पर बहू के हाथों ने उसे रोक दिया था और अपनी दोनों हथेलियो को जोड़ कर भीमा के लिंग को अपनी नरम नर्म उंगलियों के बीच में फँसा लिया था वो अपने मन से उस लिंग का मजा लेने लगी थी उसे भीमा चाचा की नसीहत की जरूरत नहीं थी वो तो अब इस खेल में पक चुकी थी उसे यह सब अब अच्छा लगने लगा था वो तो खुद चाहती थी कि भीमा चाचा उसके मुख में अपना लिंग डाले उसे उसका स्वाद अच्छा लग लगा था और वो पूरे जोश में भीमा चाचा के लिंग को चूसती जा रही थी और आखें ऊपर करके भीमा चाचा की ओर भी देखती जा रही थी भीमा तो जैसे जन्नत की सेर कर रहा था वो अपनी गोद में लिए उस हसीना को जब अपनी ओर देखते हुए देखा तो पागल सा हो गया सुंदर गोरी माथे पर बिंदी माँग में सिंदूर बाल अस्त व्यस्त और गले में पड़े हुए मंगल सूत्र और दो गुलाबी होंठों के बीच में उसका मोटा सा और काला सा लिंग लिए इस घर की बहू आआआआआआह् ह
वो अपनी हथेलियो से बहू के बालों को ठीक करने लगा बहूत प्यार से और दूसरे हाथ से बहू की चूचियां दबाने लगा दबाने लगा नहीं निचोड़ने लगा खूब जोर से खूब ही जोर से कि जैसे अपना गुस्सा निकाल रहा हो या फिर फिर उत्तेजना को और नहीं छिपा पा रहा था पर कामया को भी उसकी इस हरकत से कोई चिंता नहीं थी वो तो भीमा को और भी तड़पाना चाहती थी और भी उत्तेजित कर देना चाहती थी कि वो उसे इस तरह से रौंदे कि उसे अगले जनम तक किसी मर्द की जरूरत नहीं पड़े हाँ … शायद यही सोच थी उसकी वो अपने हाथों को भीमा चाचा के हाथों से जोड़ कर उन्हें और भी उत्साहित करती जा रही थी और अपनी आँखो से एकटक उसकी ओर देखती भी जा रही थी

भीमा जो कि कामया को ही देख रहा था वो भी अब नहीं रुक पा रहा था वो अब बहू की योनि के अंदर अपने लिंग को चाहता था अगर थोड़ी देर और बहू ने उसे इस तरह से देखते हुए उसके लिंग को चूसा तो वो ढेर हो जाएगा उसने धीरे से अपने हाथों से उसके बालों को सहलाते हुए अपने लिंग को निकालने की कोशिश की पर बहू ने उसे नहीं छोड़ा

भीमा- छोड़ दे बहू उूुुुुउउ और भी सुख है लेने को रुक जा

कामया- हूहू उउउम्म्म् म
और भीमा ने झट से अपने हाथों से ज़ोर लगाकर अपने लिंग को बहू के होंठों से आजाद किया पर एक लंबी सी थूक की लार उससे लटक कर बहू के होंठों से उसके लिंग तक चली गई
कामया- आह् ह
और कामया एक झटके से उठी और जल्दी ही भीमा चाचा के ऊपर सावर हो गई फिर से उसकी गोद में अपनी दोनों जाँघो को चारो ओर फैलाकर अपनी योनि के द्वार को अपने सनम के लिए खोलकर अपनी बाहों को खोलकर अपने जन्नत के सफर पर अगली यात्रा की ओर चलने को फिर से तैयार थी

भीमा ने जैसे ही कामया को अपने गोद में पाया वो कुछ करता पर एक ही धक्के में वो नीचे गिर पड़ा और कामया को अपने ऊपर अपने लिंग पर सवार होते हुए देखता रहा कामया की उत्तेजना इतनी थी , कि वो इस इंतजार मे भी नहीं थी कि भीमा चाचा उसके अंदर समाए इससे पहले ही उसने अपने को थोड़ा सा ऊपर उठाया और अपनी योनि को खोलकर उसके मोटे से लिंग को अपने अंदर उतार लिया


वो धीरे धीरे उसके लिंग पर बैठने लगी गीले पन के होते हुए लिंग बड़े ही आराम से उसके अंदर समा गया कामया के मुख से एक लंबी सी सिसकारी निकली और वो धम्म से भीमा चाचा के ऊपर गिर पड़ी जैसे जो उसे चाहिए था वो तो अब उसके अंदर है अब कौन उससे अलग करेगा वो थोड़ा सा रुकी

पर भीमा चाचा तो तुरंत ही अपने मिशन में लग गये थे धीरे-धीरे अपनी कमर को उचका कर अपने लिंग को बहू की योनि में अड्जस्ट करने लगे थे बहू भी थोड़ा सा हिल कर अपने आपको उसके साथ ही अड्जस्ट करती हुई उनके शरीर को फिर से पानी बाहों में भरने को कोशिश करती जा रही थी

भीमा भी अपनी बाहों को घुमाकर बहू को अपने सीने से लगाए धीरे-धीरे नीचे से धक्के लगाता जा रहा था पर वो जानता था कि वो ज्यादा देर का मेहमान नहीं है क्यों कि जो हरकत आज बहू ने उसके साथ की है अगर वो किसी के साथ करे तो कोई भी आदमी बहू की योनि तक पहुँचने से पहले ही ढेर हो जाएगा वो उन आँखो को भूल नहीं पाया था जो कि उसके लिंग को चूसते हुए बहू की थी वो नीचे पड़े हुए बहू को अपने बाहों में भरे हुए जोर-जोर से धक्कों को अंजाम दे रहा था और अपने मुकाम की ओर बढ़ रहा था

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और कामया अभी अपने अंदर उठ रहे तुफ्फान को धीरे-धीरे थामने की कोशिश में लगी थी पर भीमा चाचा के धक्के इतने जोर दार थे कि वो जितना भी चाचा को जोर से जकड़े , हर धक्के में वो छूट जाते थे लिंग अंदर बहूत अंदर तक पहुँच जाता था और उसके अगले कदम के नजदीक ले जाता था वो किसी तरह से अपने को हर धक्के के साथ फिर से एडजस्ट करने की कोशिश करती पर ना जाने क्यों उसने अचानक ही चाचा को छोड़ कर सीधी उनके लिंग पर ही बैठ गई अब वो सीधी हर धक्के में ऊपर उछलती और फिर नीचे बैठ जाती ,
उसके उछलने से जो नजर भीमा देख सकता

उसके उछलने से जो नजर भीमा देख सकता था वो शायद कामदेव को भी नसीब नहीं हुआ होगा भीमा हर धक्कों के साथ ही बहू की उछलती हुई चुचियों को भी अपनी हथेलियो में कस कर निचोड़ता जा रहा था और अपनी गति को भी नहीं धीमा किया था

कामया भी हर धक्के के साथ ही अपनी सीमा को पार करती जा रही थी और चाचा के कसाव के आगे अपने शरीर में उठने वाली उमंग को अपने शिखर तक पहुँचाने में लगी हुई थी वो निरंतर अपने को भीमा चाचा के हाथों के सहारे छोड़ कर उछलती जा रही थी और अचानक ही अपने अंदर आए उफ्फान के आगे उसका शरीर निश्चल सा हो गया और सांसों को कंट्रोल करते हुए उसका शरीर भी चाचा के दोनों हाथों के आगे झुक गया

दोनों हाथों के आगे मतलब चुचियों को कसे हुए भीमा के दोनों हाथों के आगे कामया को लटके हुए देखता हुआ भीमा अब भी , कामया को जोर दार तरीके से निचोड़ता जा रहा था वो भी , अपने आखिरी चरम पर था पर जैसे लगता था कि वो अपना पूरा गुस्सा आज बहू को निचोड़ कर ही निकाल देना चाहता था सो वो कर रहा था वो भी अपने शरीर की हर इंद्रियो को अपने लिंग की ओर जाते हुए महसूस करता जा रहा था और ढेर सारा वीर्य उसके लिंग से चूत पर बहू के अंदर और अंदर तक पहुँच गया
उसकी गिरफ़्त थोड़ी ढीली हुई और बहू धम्म से उसके ऊपर ढेर हो गई भीमा की कमर अब भी चल रही थी वो अपनी आख़िरी बूँद को भी निचोड़ कर बहू के अंदर तक उतार देना चाहता था सो वो कर रहा था अपनी दोनों बाहों को उसने बहू के चारो ओर मजबूती से घेर रखा था और धीरे-धीरे वो और भी मजबूत होती जा रही थी

अब दोनों शांत हो गये थे दोनों एकदूसरे के पूरक बन गये थे और शांत थे सांसें गिन रहे थे या फिर एक दूसरे के छोड़ने का इंतजार कर रहे थे कोई नहीं जानता था पर दोनों वैसे ही बहुत देर तक लेटे रहे एक दूसरे के ऊपर और फिर धीरे से भीमा ने बहू को हिलाया
भीमा- बहू
कामया- उूउउम्म्म्म म
भीमा- उठो हहुउऊउउ
कामया भी थोड़ा सा हिली और अपने को भीमा से अलग करने लगी वो आज वाकाई बहुत थक चुकी थी
किसी तरह से खड़ी हुई और अपनी पैंटी को ढुड़ने लगी पर वो कही नहीं दिखी सो अपनी गाउनको उठाकर भीमा चाचा की ओर पीठ कर उसे अपने सिर के ऊपर से डालकर पहन लिया और धीरे से गाउनको नीचे ले जाते हुए उठ खड़ी हुई और एक बार भीमा चाचा की ओर देखा और मुड़कर बाहर जाने लगी

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