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Erotic updateकामया भी धीरे-धीरे अपनी जीब को चाचा के लिंग पर चलाने लगी थी उसके चहरे पर एक आनंद था और अपने होंठों के बीच में आए उस कड़े से और मोटे से लिंग को चूसने लगी थी बड़े ही होले से और बड़े ही प्यार से जैसे कोई लोलीपोप हो या फिर अपने पसंद की कोई आइस्क्रीम जिसे वो धीरे-धीरे चूसती जा रही थी जैसे वो खतम ना हो जा ए
और भीमा तो जैसे जन्नत में चला गया था अपनी गोद में लिए वो अपने चहरे को ऊपर उठाए अपने लिंग पर बहू की जीब का स्पर्श आआह्ह और क्या चाहिए भीमा को यही लग रहा था कि वो ऐसे ही मर भी जाए तो क्या फरक पड़ता है कोई भी ऐसे ही मरना चाहेगा (मे तो तैयार हूँ और कौन हाँ …) वो अपने लिंग को बहू के मुख के अंदर घुमाने लगा था और थोड़ा सा अपने हाथों के जोर से बहू के माथे को भी दबाब देने लगा था पर बहू के हाथों ने उसे रोक दिया था और अपनी दोनों हथेलियो को जोड़ कर भीमा के लिंग को अपनी नरम नर्म उंगलियों के बीच में फँसा लिया था वो अपने मन से उस लिंग का मजा लेने लगी थी उसे भीमा चाचा की नसीहत की जरूरत नहीं थी वो तो अब इस खेल में पक चुकी थी उसे यह सब अब अच्छा लगने लगा था वो तो खुद चाहती थी कि भीमा चाचा उसके मुख में अपना लिंग डाले उसे उसका स्वाद अच्छा लग लगा था और वो पूरे जोश में भीमा चाचा के लिंग को चूसती जा रही थी और आखें ऊपर करके भीमा चाचा की ओर भी देखती जा रही थी भीमा तो जैसे जन्नत की सेर कर रहा था वो अपनी गोद में लिए उस हसीना को जब अपनी ओर देखते हुए देखा तो पागल सा हो गया सुंदर गोरी माथे पर बिंदी माँग में सिंदूर बाल अस्त व्यस्त और गले में पड़े हुए मंगल सूत्र और दो गुलाबी होंठों के बीच में उसका मोटा सा और काला सा लिंग लिए इस घर की बहू आआआआआआह् ह
वो अपनी हथेलियो से बहू के बालों को ठीक करने लगा बहूत प्यार से और दूसरे हाथ से बहू की चूचियां दबाने लगा दबाने लगा नहीं निचोड़ने लगा खूब जोर से खूब ही जोर से कि जैसे अपना गुस्सा निकाल रहा हो या फिर फिर उत्तेजना को और नहीं छिपा पा रहा था पर कामया को भी उसकी इस हरकत से कोई चिंता नहीं थी वो तो भीमा को और भी तड़पाना चाहती थी और भी उत्तेजित कर देना चाहती थी कि वो उसे इस तरह से रौंदे कि उसे अगले जनम तक किसी मर्द की जरूरत नहीं पड़े हाँ … शायद यही सोच थी उसकी वो अपने हाथों को भीमा चाचा के हाथों से जोड़ कर उन्हें और भी उत्साहित करती जा रही थी और अपनी आँखो से एकटक उसकी ओर देखती भी जा रही थी
भीमा जो कि कामया को ही देख रहा था वो भी अब नहीं रुक पा रहा था वो अब बहू की योनि के अंदर अपने लिंग को चाहता था अगर थोड़ी देर और बहू ने उसे इस तरह से देखते हुए उसके लिंग को चूसा तो वो ढेर हो जाएगा उसने धीरे से अपने हाथों से उसके बालों को सहलाते हुए अपने लिंग को निकालने की कोशिश की पर बहू ने उसे नहीं छोड़ा
भीमा- छोड़ दे बहू उूुुुुउउ और भी सुख है लेने को रुक जा
कामया- हूहू उउउम्म्म् म
और भीमा ने झट से अपने हाथों से ज़ोर लगाकर अपने लिंग को बहू के होंठों से आजाद किया पर एक लंबी सी थूक की लार उससे लटक कर बहू के होंठों से उसके लिंग तक चली गई
कामया- आह् ह
और कामया एक झटके से उठी और जल्दी ही भीमा चाचा के ऊपर सावर हो गई फिर से उसकी गोद में अपनी दोनों जाँघो को चारो ओर फैलाकर अपनी योनि के द्वार को अपने सनम के लिए खोलकर अपनी बाहों को खोलकर अपने जन्नत के सफर पर अगली यात्रा की ओर चलने को फिर से तैयार थी
भीमा ने जैसे ही कामया को अपने गोद में पाया वो कुछ करता पर एक ही धक्के में वो नीचे गिर पड़ा और कामया को अपने ऊपर अपने लिंग पर सवार होते हुए देखता रहा कामया की उत्तेजना इतनी थी , कि वो इस इंतजार मे भी नहीं थी कि भीमा चाचा उसके अंदर समाए इससे पहले ही उसने अपने को थोड़ा सा ऊपर उठाया और अपनी योनि को खोलकर उसके मोटे से लिंग को अपने अंदर उतार लिया
वो धीरे धीरे उसके लिंग पर बैठने लगी गीले पन के होते हुए लिंग बड़े ही आराम से उसके अंदर समा गया कामया के मुख से एक लंबी सी सिसकारी निकली और वो धम्म से भीमा चाचा के ऊपर गिर पड़ी जैसे जो उसे चाहिए था वो तो अब उसके अंदर है अब कौन उससे अलग करेगा वो थोड़ा सा रुकी
पर भीमा चाचा तो तुरंत ही अपने मिशन में लग गये थे धीरे-धीरे अपनी कमर को उचका कर अपने लिंग को बहू की योनि में अड्जस्ट करने लगे थे बहू भी थोड़ा सा हिल कर अपने आपको उसके साथ ही अड्जस्ट करती हुई उनके शरीर को फिर से पानी बाहों में भरने को कोशिश करती जा रही थी
भीमा भी अपनी बाहों को घुमाकर बहू को अपने सीने से लगाए धीरे-धीरे नीचे से धक्के लगाता जा रहा था पर वो जानता था कि वो ज्यादा देर का मेहमान नहीं है क्यों कि जो हरकत आज बहू ने उसके साथ की है अगर वो किसी के साथ करे तो कोई भी आदमी बहू की योनि तक पहुँचने से पहले ही ढेर हो जाएगा वो उन आँखो को भूल नहीं पाया था जो कि उसके लिंग को चूसते हुए बहू की थी वो नीचे पड़े हुए बहू को अपने बाहों में भरे हुए जोर-जोर से धक्कों को अंजाम दे रहा था और अपने मुकाम की ओर बढ़ रहा था
और कामया अभी अपने अंदर उठ रहे तुफ्फान को धीरे-धीरे थामने की कोशिश में लगी थी पर भीमा चाचा के धक्के इतने जोर दार थे कि वो जितना भी चाचा को जोर से जकड़े , हर धक्के में वो छूट जाते थे लिंग अंदर बहूत अंदर तक पहुँच जाता था और उसके अगले कदम के नजदीक ले जाता था वो किसी तरह से अपने को हर धक्के के साथ फिर से एडजस्ट करने की कोशिश करती पर ना जाने क्यों उसने अचानक ही चाचा को छोड़ कर सीधी उनके लिंग पर ही बैठ गई अब वो सीधी हर धक्के में ऊपर उछलती और फिर नीचे बैठ जाती ,
उसके उछलने से जो नजर भीमा देख सकता
उसके उछलने से जो नजर भीमा देख सकता था वो शायद कामदेव को भी नसीब नहीं हुआ होगा भीमा हर धक्कों के साथ ही बहू की उछलती हुई चुचियों को भी अपनी हथेलियो में कस कर निचोड़ता जा रहा था और अपनी गति को भी नहीं धीमा किया था
कामया भी हर धक्के के साथ ही अपनी सीमा को पार करती जा रही थी और चाचा के कसाव के आगे अपने शरीर में उठने वाली उमंग को अपने शिखर तक पहुँचाने में लगी हुई थी वो निरंतर अपने को भीमा चाचा के हाथों के सहारे छोड़ कर उछलती जा रही थी और अचानक ही अपने अंदर आए उफ्फान के आगे उसका शरीर निश्चल सा हो गया और सांसों को कंट्रोल करते हुए उसका शरीर भी चाचा के दोनों हाथों के आगे झुक गया
दोनों हाथों के आगे मतलब चुचियों को कसे हुए भीमा के दोनों हाथों के आगे कामया को लटके हुए देखता हुआ भीमा अब भी , कामया को जोर दार तरीके से निचोड़ता जा रहा था वो भी , अपने आखिरी चरम पर था पर जैसे लगता था कि वो अपना पूरा गुस्सा आज बहू को निचोड़ कर ही निकाल देना चाहता था सो वो कर रहा था वो भी अपने शरीर की हर इंद्रियो को अपने लिंग की ओर जाते हुए महसूस करता जा रहा था और ढेर सारा वीर्य उसके लिंग से चूत पर बहू के अंदर और अंदर तक पहुँच गया
उसकी गिरफ़्त थोड़ी ढीली हुई और बहू धम्म से उसके ऊपर ढेर हो गई भीमा की कमर अब भी चल रही थी वो अपनी आख़िरी बूँद को भी निचोड़ कर बहू के अंदर तक उतार देना चाहता था सो वो कर रहा था अपनी दोनों बाहों को उसने बहू के चारो ओर मजबूती से घेर रखा था और धीरे-धीरे वो और भी मजबूत होती जा रही थी
अब दोनों शांत हो गये थे दोनों एकदूसरे के पूरक बन गये थे और शांत थे सांसें गिन रहे थे या फिर एक दूसरे के छोड़ने का इंतजार कर रहे थे कोई नहीं जानता था पर दोनों वैसे ही बहुत देर तक लेटे रहे एक दूसरे के ऊपर और फिर धीरे से भीमा ने बहू को हिलाया
भीमा- बहू
कामया- उूउउम्म्म्म म
भीमा- उठो हहुउऊउउ
कामया भी थोड़ा सा हिली और अपने को भीमा से अलग करने लगी वो आज वाकाई बहुत थक चुकी थी
किसी तरह से खड़ी हुई और अपनी पैंटी को ढुड़ने लगी पर वो कही नहीं दिखी सो अपनी गाउनको उठाकर भीमा चाचा की ओर पीठ कर उसे अपने सिर के ऊपर से डालकर पहन लिया और धीरे से गाउनको नीचे ले जाते हुए उठ खड़ी हुई और एक बार भीमा चाचा की ओर देखा और मुड़कर बाहर जाने लगी