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Behtreen updateपर कामया तो अपनी उत्तेजना कोठंडा करना चाहती थी वो कामेश के लगभग ऊपर चढ़ि जा रही थी और उसे और भी उकसा रही थी पर कामेश के ठंडे पन ने उसे एकदम से निराश कर दिया और वो अपने होंठों को उसके चेहरे पर से आजाद करते हुए कामेश को एकटक देखती जा रही थी पर कामेश तो कही का कही पहुँच गया था
कामया ने गुस्से में आके एक धक्का कामेश को दिया और पलटकर सो गई
धक्के से कामेश फिर से जागा और कामया की कमर को खींचकर अपने से भिच लिया और फिर से अपने दोनों हाथों को उसके गोल गोल चुचियों पर रखते हुए फिर से नींद के आगोश में चला गया
कामया को नींद कहाँ उसकी चूचियां अब भी कामेश की दोनों हथेली में थी और वो कामया को अपने से चिपका कर सो गया था उसके कंधों पर कामेश की सांसें पड़ रही थी जो कि लगभग बिल्कुल समान्तर थी वो सो चुके थे गहरी नींद उनके शरीर की गर्मी वो महसूस करसकती थी जो कि उस पतले से गाउनको भेदती हुई उसके शरीर के अंदर तक जा रही थी
कामया सेक्स की भूख की भेट चढ़ती जा रही थी वो अपने को उस आग में जलने से नहीं बचा पा रही थी उसका शरीर अब कामेश की बाहों में ही कस मसाने लगा था वो ना चाहते हुए भी कामेश के सीने से सटी जा रही थी और अपनी कमर को जितना पीछे ले सके ले जा रही थी पर कामेश पर कोई भी असर होते हुए वो नहीं देख रही थी
वो अब भी सो रहा था और कामया के कसमसाने के साथ ही उसकी पकड़ कामया पर से ढीली पड़ने लगी थी वो भी अब चित लेट गया था और थोड़ी देर बाद दूसरी ओर पलट गया था कामया भी चित लेटी हुई थी और सीलिंग की ओर देखती हुई सोच रही थी
आखिर क्यों कामेश उसे अवाय्ड कर रहा है अगर वो उसे अवाय्ड ना करे तो और अगर पहले जैसा ही रोज प्यार करे तो कितना मजा है जीने में कितना अच्छा और कितना प्यारा है उसका पति कही से कोई कमी नहीं है रुपया पैसा हो या शानो शौकत हो या फिर दिखने में हो या फिर स्टाइल में हो सब में अच्छा है वो पर क्यों नहीं उसे समझ में आता की कामया को क्या चाहि ए
क्यों नहीं रोज उसपर टूट पड़ता वो चाहे सुबह हो या शाम हो या दिन हो या रात हो वो तो कभी भी कामेश को सेक्स के लिए मना नही किया था और कामेश को भी तो कितना इंटेरेस्ट था लेकिन अब अचानक क्या हो गया क्यों वो रुपये पैसे के चक्कर में पड़ गया और उसे भूल सा गया क्या रुपया पैसा ही उसके जीवन का उद्देश् है औ र क्या कामया कुछ भी नहीं
पर कभी-कभी तो वो उसके लिए क्या नहीं करता और तो और उसके नाम से कॉंप्लेक्स और साइन प्लेक्ष भी बनवा रहा था और उसे पता भी नहीं दूसरे कोई होते तो शायद अपनी दादी या फिर मम्मी या फिर गुरुजी या फिर कोई देवी देवता के नाम से पर यहां तो मामला ही उल्टा था ना उसे किसी ने बताया ना ही उसे बताने की ही जरूरत समझी और नाम करण भी हो गया और कोई एहसान भी नहीं जताया किसी ने
क्या यार सबकुछ तो ठीक ठाक है पर कामेश ऐसा क्यों हो गया वो क्यों नहीं उसे छेड़ता या फिर उसे प्यार करता वो तो रोज उसका इंतजार करती है उसे भी तो किसी चीज की जरूरत होती है बाजार में मिलने वाली चीजो से तो कोई भी अपना मन भर ले पर जो चीज घर की है वो ही उसे नजर अंदाज करती जा रही है यह तो गलत है पर क्या करे कामया क्या वो रोज कामेश से झगड़ा करे या फिर उसे उकसाए या फिर सब कुछ छोड़दे
या फिर जो कर रही है वो ठीक है क्यों अपने पति को उस चीज के लिए जिसके लिए उसके पास टाइम नहीं है क्यों वो उस चीज का इंतजार करे जिस चीज का उसके पास आने का समय वो बाँध नहीं सकती या फिर क्यों वो उस गाड़ी की सवारी करे जो गाड़ी उसके इशारे पर नहीं चले
नहीं बाकी सब तो ठीक है वो जेसे चल रही है वो ही ठीक है उससे उसे भी परेशानी नहीं और नहीं कामेश को और नहीं घर में किसी को किसी की भी टाइम को खोटी नहीं करना पड़ेगा और नहीं ही किसी को किसी की चिंता ही करनी पड़ेगी हाँ अब वो वही करेगी जो वो चाहती है और क्या सभी तो इस घर में वैसा ही कर रहे है कोई बंदिश नहीं और नहीं कोई चिंता
क्यों वो आख़िर कार सभी की तरफ देखती रहती है कि कोई उसकी सुने या फिर कोई उसकी इच्छा के अनुसार चले चाहे वो उसका पति हो या फिर मम्मीजी या फिर पापाजी
वो एकदम से उठ गई बिस्तर से और घूमकर कामेश की ओर देखा जो कि गहरी नींद में था और उसकी सांसों को देखकर लगता था कि बहूत थी गहरी नींद में था कामया बेड से उतरी और सेंडल पैर में पहनते हुए धीरे से मिरर के सामने खड़ी हो गई कोई आहट नहीं की उसने और नहीं कोई फिक्र नहीं कोई सोच थी उसके मन में थी तो बस एक ही इच्छा उसके शरीर की उसके अंदर जो आग लगी हुई थी उसे बुझाने की
अपने को मिरर में देखते ही क्माया के शरीर में एक फूरफुरी सी दौड़ गई और एक मुश्कान उसके होंठों में वो जानती थी भीमा चाचा उसके इस शरीर के साथ क्या करेंगे वो चाहती भी थी कि उसके इस शरीर के साथ कोई खेले और खूब खेले प्यार करे और उसके पूरे जिस्म को चाटे चूमे और अपनी मजबूत हथेलियो से रगडे और खूब प्यार करे वो खड़ी-खड़ी मिरर में अपने को देखती रही और धीरे से मुस्कुराती हुई अपने कंधे पर से एक स्ट्रॅप को थोड़ा सा नीचे खिसका दिया और मुस्कुराती हुई मूडी और धीरे-धीरे कमरे के बाहर जाने लगी
कामया जब , अपने कमरे से बाहर निकली तो पूरा घर बिल्कुल शांत था और कही भी कोई आवाज नहीं थी वो थोड़ी देर रुकी और अंदर की ओर देखा कामेश चुपचाप सोया हुआ था कामया ने धीरे से डोर बंद किया और सीढ़ियो पर से ऊपर चढ़ने लगी वो एक बार फिर से भीमा चाचा की खोली में जा रही थी आज खुद से उस दिन तो चाचा उसे उठा ले गये थे पर आज वो खुद ही जा रही थी उसके पैर काप रहे थे पर अंदर की इच्छा को वो रोक नहीं पा रही थी वो धीरे-धीरे चलते हुए पूरे घर को देखते हुए और हर पद चाप के साथ अपने को संभालती हुई वो भीमा चाचा के कमरे के सामने पहुँच गई थी अंदर बिल्कुल शांत था शायद चाचा भी सो गये थे पर अंदर एक डिम लाइट जल रही थी और उसकी रोशनी बाहर डोर के गप से आ रही थी
कामया ने डरते हुए धीरे से डोर को धकेला जो कि खुला हुआ था शायद भीमा को कोई दिक्कत नहीं थी तो डोर बंद क्यों करे इसलिए वो खुला रखकर ही सोता था सो डोर को धकेलने से वो थोड़ा सा खुला अंदर भीमा चाचा नीचे बिस्तर पर सोए हुए थे और एक हाथ उनके अपने माथे के ऊपर था पूरा शरीर नंगा था और कमर से नीचे तक एक चदडार से ढँका हुआ था कामया ने दरवाजे को थोड़ा सा और खोला तो डोर धीरे से खुल गया अंदर की डिम लाइट बाहर कारिडोर में फेल गई कामया ने अपने कदम आगे बढ़ाया और अंदर चाचा के कमरे में घुस गई
कमरे में घुसते ही उसने भीमा चाचा के शरीर में एक हल्की सी हलचल देखी वो वही रुक गई और डिम लाइट में चाचा की ओर देखने लगी
भीमा- दरवाजा बंद कर्दे बहू
मतलब भीमा चाचा भी उसका इंतजार कर रहे थे और एक कामेश है जो कि उसके पहले ही सो जाता है
कामया ने धीरे से दरवाजा को बोल्ट किया और हल्के कदमो से चलते हुए चाचा के करीब पहुँची चाचा अब भी नीचे बिस्तर पर वैसे ही लेटे थे पर हाँ उसके आने की और समीप आने का इंतजार कर रहे थे वो धीरे से भीमा चाचा के समीप जाके रुक गई उसकी सांसें बहुत तेज चल रही थी आज का कदम उसे कहाँ ले जाएगा वो नहीं जानती थी हाँ एक बात वो जरूर जानती थी कि वो अपने तन की भूख के आगे झुक गई है और वो उसे शांत करने के लिए अब कोई भी कदम उठा सकती है उसके बिस्तर के पास पहुँचते ही भीमा अपने आप ही उठकर बैठ गया और एक हाथ से उसने कामया के घुटनों को पकड़कर उसे थोड़ा सा और पास खींचा कामया को तो कोई दिक्कत ही नहीं थी वो और आगे हो गई वो लगभग अब भीमा चाचा के बिस्तर पर ही खड़ी थी भीमा चाचा अब धीरे-धीरे कामया के रूप के दर्शन करने के मूड में थे आज पहली बार बहू उसके कमरे में बिना बुलाए आई है वो जानते थे कि बहू को क्या चाहिए और वो भी इसके लिए पूरी तरह से तैयार थे जब बहू ने खाने के बाद उससे पूछा था कि जल्दी सो जाते है क्या तभी से अपने अंदर की आग को किसी तरह से अपने में समेटे हुए थे और जब बहू उसके पास खड़ी थी तो वो कहाँ रुकने वाले थे अपने हाथों से बहू के गाउनके ऊपर से ही उसके टांगों को अपने हाथों से सहलाते हुए उस डिमलाइट में बहू की ओर देख रहे थे
Erotic updateकामया भी खड़ी-खड़ी भीमा चाचा के हाथो के स्पर्श को अपनी टांगों औ र , फिर धीरे-धीरे अपने जाँघो तक आते हुए महसूस कर रही थी क्या पता भीमा चाचा के हाथों में ऐसा क्या जादू था कि कामया का दिमाग सुन्न हो जाता था और तन का साथ छोड़ जाता था कामया खड़ी-खड़ी अपने सांसों को नियंत्रित करने की कोशिश करती जा रही थी पर वो नहीं कर पा रही थी एक लंबी सी सिसकारी उसके होंठों से निकली और पूरे कमरे में फेल गई
भीमा ने एक बार ऊपर नजर उठाकर देखा और होंठों पर एक मुश्कान दौड़ गई अब वो कामया के गाउन को नीचे से खींचने लगा था कामया ने भी नीचे की ओर नजर दौड़ाई और अपने कंधे को थोड़ा सा सिकोड़ लिया ताकि भीमा चाचा के खिचाव से गाउन उसके तन से आलग हो सके
जैसा दोनों चाहते थे वैसा ही हुआ गाउन एक झटके में अपनी जगह छोड़ चुका था और फिसलता हुआ कामया के पैरों पर ढेर हो गया
भीमा की नजर अपने सामने खड़ी हुई उस अप्सरा पर जम सी गई थी वो अपने सामने खड़ी उस मूरत को देख रहा था जिसे देखने को शायद इस धरती के सारे आदमी एक दूसरे का खून कर दे वो उसे सामने किसी संगमरमर की मूरत के समान खड़ी उसके अगले कदम का इंतजार कर रही थी भीमा चाचा की हथेली अब धीरे धीरे बहू की टांगों की शेप लेते हुए ऊपर और ऊपर की ओर उसकी जाँघो तक पहुँच चुकी थी वो धीरे धीरे उसका मुलायम पन और कोमलता को अपने अंदर समेटने की कोशिश कर रहे थे वो अब थोड़ा सा उठ गये थे और अपने घुटनों के बल हो के कामया क़ी जाँघो को और जाँघो के बीच में फँसी हुई पैंटी को अपने होंठों से छूने लगे थे आज वो बहुत ही नाजूक्ता से अपने हाथों में आई इस परी को
इस अप्सरा को अपने हाथों से टटोलना चाहते थे वो इस सुंदरता को अपने जेहन में समेट कर रखना चाहते थे उनके हाथ कामया को ठीक से पकड़े हुए थे और होंठों से बहू को चूमते हुए ऊपर की ओर उठ रहे थे कामया अब भी वैसे ही खड़ी हुई भीमा चाचा के प्यार करने के इस तरीके को देख रही थी और अपने अंदर उठ रहे ज्वार को अपने अंदर ही दबाने की कोशिश कर रही थी भीमा चाचा के प्यार करने के इस तरीके से कामया बहुत हुई उत्तेजित हो चुकी थी उसकी जाँघो के बीच में एक आलग तरीके की सिहरन सी होने लगी थी पर भीमा चाचा को उसने नहीं रोका वो थोड़ा सा और आगे को हो गई ताकि भीमा चाचा उसको कस कर पकड़ सके
अब भीमा चाचा की दोनों बाँहे उसके नितंबों के चारो तरफ घिरी हुई थी और बहुत ही हल्के ढंग से उसे अपने खुरदुरे हाथों से और मोटे-मोटे होंठों से प्यार कर रहे थे उनके हाथों के चलने ढंग से यह तो साफ था कि आज भीमा चाचा को कोई जल्दी नहीं थी बहुत ही आराम से और धीमे तरीके से वो आज अपने काम में लगे थे हर एक कोने को वो अपने होंठों से और अपने हाथों से छूकर देखना चाहते थे और कामया को भी कोई आपत्ति नहीं थी वो अपने आपको घुमाकर भीमा चाचा को अपने शरीर के हर कोने में पहुँचने की कोशिश को और भी सहारा दे रही थी वो घूमती तो चाचा को और भी तेजी आ जाते थे उसके हाथों को अब कोई नहीं रोक सकता था उनके हाथों को अब हर कोने में घूमते हुए बहू की पीठ तक और फिर उसके नितंबों तक ले आते थे अब तो उनके होंठों को कामया की पैंटी के ऊपर भी घुमा देते थे और तो और अपनी जीब को निकाल कर उसकी पैंटी को गीला भी करने लगे थे
कामया को जैसे ही भीमा चाचा की इस हरकत को अपनी पैंटी के ऊपर से हुआ तो वो लगभग चिहुक कर थोड़ा और तन गई थी उसके हाथ भी अब तो भीमा चाचा की बालों भारी पीठ पर घूम रहे थे और अपने पास खींच रहे थे वो खड़ी कैसे थी पता नहीं पर अगर भीमा चाचा थोड़ा सा ढीला छोड़े तो वो ढल कर उनकी बाहों के घेरे में पहुँचने को तैयार थी पर भीमा चाचा उसे नहीं छोड़ रहे थे और कसे हुए उसके शरीर को चूम चाट रहे थे अब तो भीमा चाचा के हाथ उसकी पैंटी के अंदर तक पहुँच गये थे और धीरे-धीरे उसकी जाँघो तक और फिर टांगों तक ले आए थे फिर थोड़ा सा रुके और अपने आपको थोड़ा सा पीछे करके उस नग्न सुंदरता को अपने जेहन में उतारने लगे कामया तो काँप रही थी उसकी सांसें अब रुक रुक कर चल रही थी नाक और मुख से निकलने वाली साँसे अब बहुत तेज हो गई थी सांस छोड़ने के साथ ही उसके मुख से एक हल्की सी सिसकारी भी निकलती जा रही थी पर उस कमरे के बाहर तक जाने लायक नहीं थी हाँ … पर इस चीज का ध्यान दोनों को ही था
कामया- बस चाचा अब और नहीं अब करो प्ली ज
भीमा- हाँ … बहू थोड़ा सा रुक तुझे ठीक से देख तो लूँ
कामया- नहीं सहा जाता अब प्लीज करो अ ब
भीमा- हाँ … उूुुउउम्म्म्मममममममम म
करता हुआ बहू की योनि के ऊपर अपनी जीब को चलाने लगा था उन घने बालों के बीच में और उनके ऊपर और दोनों हाथों से कस कर बहू को जकड़े हुए थे कामया के दोनों हाथ अब भीमा को पीछे की ओर धकेल रहे थे पर भीमा के जोर के सामने वो कहाँ तक टिक सकती थी वो खड़ी-खड़ी भीमा चाचा की हर हरकत को झेल रही थी हाँ झेल ही रही थी उसमें इतनी ताकत नहीं थी कि वो भीमा को पटक कर उसके ऊपर सवार हो जाती या फिर उसे धकेल कर उसे अपने अंदर समेट लेती वो खड़ी रही और अपना चेहरा उठाकर अपनी सांसों को कंट्रोल करने की कोशिश करती जा रही थी
और भीमा तो जैसे पागल हो गया था वो अपने चेहरे को बहू की योनि तक पहुँचाने की कोशिश में लगा था पर बहू के इस तरह से अकड कर खड़े होने से वो यह नहीं कर पा रहा था उसने अपनी पकड़ को थोड़ा सा ढीला छोड़ा और अपने एक हाथ को झट से उसकी जाँघो के गप में डाल दिया
कामया भी जैसे भीमा चाचा के इशारे को समझ गई थी उसने भी थोड़ा सा अपनी जाँघो के गप को बढ़ा दिया ताकि भीमा चाचा उसकी योनि तक पहुँच सके वो खड़ी थी पर कब गिर जाएगी उसे नहीं पता था
भीमा ने जैसे ही बहू को अपनी जाँघो को ढीला छोड़ते देखा वो अपनी उंगलियों को बहू की योनि में पहुँचाने में कामयाब हो गया और बहुत तेज़ी से अचानक से अपनी उंगलियों को बहू की योनि के अंदर-बाहर करने लगा बहुत ही तेजी से
कामया इस अचानक आक्रमण के लिए तैयार नहीं थी वो भीमा चाचा के धीरे-धीरे चल के आगे थोड़ा सा झुकी थी पर इस तरह से करने से वो पागलो की तरह से मचलने लगी थी वो अचानक हुए हमले से और भी कामुक हो गई थीऔर बहुत ही तेज आवाज उसके मुख से निकलने लगी थी
कामया--------आआआआआह्ह कककचहाआआआआ अ
और अचानक ही उसके अंदर जैसे कोई ताक़त आ गई थी उसकी उंगलियों ने भीमा चाचा के बालों कस्स कर जकड़ लिया था और अपनी योनि के पास तक खींच लिया था और फिर एक ही धक्के में वो भीमा चाचा को नीचे अपनी योनि के पास खींचने लगी थी भीमा ने भी बहू की इच्छा को नजर अंदाज नहीं किया और जल्दी से अपनी उंगली को निकाल कर अपने होंठों को उसकी योनि के मुख पर जोड़ दिया वो उन दोनों पंखुड़ियों को अपने होंठों के बीच में दबाकर जोर-जोर से चूसने लगा था
कामया तो जैसे पागल हो गई थी भीमा चाचा की इस हरकत से उसके शरीर में एक गजब की फुर्ती आ गई थी वो अब शेरनी की तरह हो गई थी अपनी जाँघो के बीच में भीमा चाचा को दबाने के लिए वो थोड़ा और आगे बढ़ गई थी और अपनी दोनों हथेली को भीमा चाचा के बालों पर कस्स कर जकड़ दिया था भीमा भी पूरे मन से उस अप्सरा की योनि के रस में डूबा हुआ था और अपने आप पर से काबू हटा लिया था वो अब बहू के हाथों का पुतला बन गया था जैसा वो चाहती थी करने को तैयार था
बहू के धकेलने से और अपनी जाँघो को भीमा के माथे के चारो और कसने से भीमा थोड़ा सा पीछे की ओर हो गया था वो लगभग लेटने की स्थिति में आ गया था और बहू उसके चेहरे पर अपनी योनि को और भी सटाती जा रही थी पता नहीं कहाँ से बहू के शरीर में इतना जोर आ गया था कि वो भी अपने को बैठाकर नहीं रख सका और बहू के धकेलने स े , धूम से बिस्तर पर गिर गया
Nice updateचाचा के गिरते ही कामया तो जैसे पागल की तरह से अपनी योनि को चाचा के मुख के अंदर तक उतार देना चाहती थी वो अब पूरी तरह से भीमा चाचा के चेहरे के ऊपर बैठी थी और सिसकारी और आहे भरती हुई जाने क्या के बके जा रही थी
कामया- आआआआआआह्ह और चाचा और अंदर तक चूसो और
और वो अपनी कमर को भी बहुत तेजी से भीमा चाचा के चेहरे पर चलाने लगी थी जैसे कोई सवारी पर थी हाँ राइड पर ही थी वो अपने शरीर के सुख की राइड पर भीमा चाचा की जीब की राइड पर और अपनी योनि को संतुष्ट करने की राइड पर वो पागलो की तरह से उचक उचक कर बार-बार भीमा चाचा के होंठों के बीच में अपनी योनि को दबाती जा रही थी भीमा भी नीचे पड़ा हुआ अपनी जीब और होंठों को पूरी तरह से एक के बाद एक को यूज़ करता हुआ बहू को आनंद के सागर में सैर कराने को तैयार था वो भी बहू की जाँघो को कसकर पकड़कर अपने चेहरे पर घिस रहा था और कभी-कभी अपने हाथों को बढ़ा कर उसकी चुचियों को भी जम कर निछोड़ देता था बहू तो जैसे पागल सी हो गई थी इतनी जोर ज्ज़ोर से अपने आपको उसके चेहरे पर उचका रही थी जैसे वो अपनी योनि की आग को जिंदगी भर के लिए ठंडा करना चाहती हो
पर भीमा को कोई आपत्ति नहीं थी वो तो इस सुंदरता की देवी कैसे भी और किसी भी स्थिति में भोगना चाहता था और खूब भोगना चाहता था उसके जीब और होंठो के कमाल के आगे बहू और ज्यादा देर टिक नहीं सकती थी यह वो अच्छे से जानता था क्योंकी बहू की कमर की तेजी से वो परिचित था वो अब लगभ ग , एक पिस्टन की तरह उसके चहरे पर अपनी चूत घिस रही थी और उसने दोनों हाथों से भीमा चाचा के बालों को और भी कस्स कर जकड़ लिया था भीमा के बाल उखड़ने को थे कि कामया के मुख से एक लंबी सी सिसकारी निकली और उसके हाथों का जोर फिर से कस गया था भीमा के बालों पर और कामया अपने शिखर पर पहुँच गई थी उसकी योनि से जैसे गंगा जमुना की धारा निकल गई हो वो अपनी योनि के अंदर की ज्वाला को शांत करते हुए पीछे की ओर गिर पड़ी और भीमा चाचा के लिंग से उसका चहरा टकराया जो कि पूरी तरह से उसके लिए तैयार था पर भीमा चाचा ने उसे इतना थका दिया था कि वो अब उसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी उसके गिरते ही भीमा ने अपने को उसकी जकड़ से आजाद किया और एक लंबी सी सांस ली् और अपने लिंग को बहू के गले के पास घिसने लगा था उसकी साँसे बहूत लंबी-लंबी चल रही थी पर उसकी उत्तेजना अभी भी नहीं थमी थी उसका हथियार तो अब भी तैयार था इस काम की देवी को भेदने को
भीमा ने अपने ऊपर से बहू को थोड़ा सा हिलाकर नीचे अपने बिस्तर पर रखा और उठकर अपनी धोती से अपने चेहरे को पोछने लगा बिस्तर पर पड़ी हुई उसकाम की देवी को देखता रहा जो कि अपनी सांसों को कंट्रोल कर रही थी नग्न पूरी तरह से और उसके बिस्तर पर वो देखता ही रहा उसका मन नहीं भर रहा था उसे देखने से अपने हाथों से उसने बहू के चहरे को अपनी ओर किया
अधखुली आखों से बहू ने जब उसकी ओर देखा तो उूुुउउफफफफफ्फ़ क्या ना करले भीमा पर अपने को नियंत्रित करते हुए दोनों जाँघो को जोड़ कर वो पालती मारकर बहू के चहरे के पास बैठ गया और दोनों हाथों से उसके सिर को उठाकर अपनी गोद में रख लिया उसका लिंग अब बहू के चहरे से टकरा रहा था और उसके होंठों से भी कामया के चहरे पर जैसे ही लिंग टकराया वो आखें बंद किए हुए थोड़ा सा अपने होंठों को खोल लिया और भीमा ने जरा भी देर नहीं की और अपने लिंग का थोड़ा सा हिस्सा बहू के होंठों के बीच में फँसा दिया