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Adultery घर की बहू

Coquine_Guy

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ये कहानी मुझे अच्छी लगी .. इसीलिए इसको यहां पोस्ट कर रहा हूँ ताकि आप लोग भी पढ़े और मज़ा उठाएं
 
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Tiger 786

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पर कामया तो अपनी उत्तेजना कोठंडा करना चाहती थी वो कामेश के लगभग ऊपर चढ़ि जा रही थी और उसे और भी उकसा रही थी पर कामेश के ठंडे पन ने उसे एकदम से निराश कर दिया और वो अपने होंठों को उसके चेहरे पर से आजाद करते हुए कामेश को एकटक देखती जा रही थी पर कामेश तो कही का कही पहुँच गया था
कामया ने गुस्से में आके एक धक्का कामेश को दिया और पलटकर सो गई
धक्के से कामेश फिर से जागा और कामया की कमर को खींचकर अपने से भिच लिया और फिर से अपने दोनों हाथों को उसके गोल गोल चुचियों पर रखते हुए फिर से नींद के आगोश में चला गया

कामया को नींद कहाँ उसकी चूचियां अब भी कामेश की दोनों हथेली में थी और वो कामया को अपने से चिपका कर सो गया था उसके कंधों पर कामेश की सांसें पड़ रही थी जो कि लगभग बिल्कुल समान्तर थी वो सो चुके थे गहरी नींद उनके शरीर की गर्मी वो महसूस करसकती थी जो कि उस पतले से गाउनको भेदती हुई उसके शरीर के अंदर तक जा रही थी
कामया सेक्स की भूख की भेट चढ़ती जा रही थी वो अपने को उस आग में जलने से नहीं बचा पा रही थी उसका शरीर अब कामेश की बाहों में ही कस मसाने लगा था वो ना चाहते हुए भी कामेश के सीने से सटी जा रही थी और अपनी कमर को जितना पीछे ले सके ले जा रही थी पर कामेश पर कोई भी असर होते हुए वो नहीं देख रही थी

वो अब भी सो रहा था और कामया के कसमसाने के साथ ही उसकी पकड़ कामया पर से ढीली पड़ने लगी थी वो भी अब चित लेट गया था और थोड़ी देर बाद दूसरी ओर पलट गया था कामया भी चित लेटी हुई थी और सीलिंग की ओर देखती हुई सोच रही थी

आखिर क्यों कामेश उसे अवाय्ड कर रहा है अगर वो उसे अवाय्ड ना करे तो और अगर पहले जैसा ही रोज प्यार करे तो कितना मजा है जीने में कितना अच्छा और कितना प्यारा है उसका पति कही से कोई कमी नहीं है रुपया पैसा हो या शानो शौकत हो या फिर दिखने में हो या फिर स्टाइल में हो सब में अच्छा है वो पर क्यों नहीं उसे समझ में आता की कामया को क्या चाहि ए
क्यों नहीं रोज उसपर टूट पड़ता वो चाहे सुबह हो या शाम हो या दिन हो या रात हो वो तो कभी भी कामेश को सेक्स के लिए मना नही किया था और कामेश को भी तो कितना इंटेरेस्ट था लेकिन अब अचानक क्या हो गया क्यों वो रुपये पैसे के चक्कर में पड़ गया और उसे भूल सा गया क्या रुपया पैसा ही उसके जीवन का उद्देश् है औ र क्या कामया कुछ भी नहीं
पर कभी-कभी तो वो उसके लिए क्या नहीं करता और तो और उसके नाम से कॉंप्लेक्स और साइन प्लेक्ष भी बनवा रहा था और उसे पता भी नहीं दूसरे कोई होते तो शायद अपनी दादी या फिर मम्मी या फिर गुरुजी या फिर कोई देवी देवता के नाम से पर यहां तो मामला ही उल्टा था ना उसे किसी ने बताया ना ही उसे बताने की ही जरूरत समझी और नाम करण भी हो गया और कोई एहसान भी नहीं जताया किसी ने
क्या यार सबकुछ तो ठीक ठाक है पर कामेश ऐसा क्यों हो गया वो क्यों नहीं उसे छेड़ता या फिर उसे प्यार करता वो तो रोज उसका इंतजार करती है उसे भी तो किसी चीज की जरूरत होती है बाजार में मिलने वाली चीजो से तो कोई भी अपना मन भर ले पर जो चीज घर की है वो ही उसे नजर अंदाज करती जा रही है यह तो गलत है पर क्या करे कामया क्या वो रोज कामेश से झगड़ा करे या फिर उसे उकसाए या फिर सब कुछ छोड़दे

या फिर जो कर रही है वो ठीक है क्यों अपने पति को उस चीज के लिए जिसके लिए उसके पास टाइम नहीं है क्यों वो उस चीज का इंतजार करे जिस चीज का उसके पास आने का समय वो बाँध नहीं सकती या फिर क्यों वो उस गाड़ी की सवारी करे जो गाड़ी उसके इशारे पर नहीं चले
नहीं बाकी सब तो ठीक है वो जेसे चल रही है वो ही ठीक है उससे उसे भी परेशानी नहीं और नहीं कामेश को और नहीं घर में किसी को किसी की भी टाइम को खोटी नहीं करना पड़ेगा और नहीं ही किसी को किसी की चिंता ही करनी पड़ेगी हाँ अब वो वही करेगी जो वो चाहती है और क्या सभी तो इस घर में वैसा ही कर रहे है कोई बंदिश नहीं और नहीं कोई चिंता
क्यों वो आख़िर कार सभी की तरफ देखती रहती है कि कोई उसकी सुने या फिर कोई उसकी इच्छा के अनुसार चले चाहे वो उसका पति हो या फिर मम्मीजी या फिर पापाजी
वो एकदम से उठ गई बिस्तर से और घूमकर कामेश की ओर देखा जो कि गहरी नींद में था और उसकी सांसों को देखकर लगता था कि बहूत थी गहरी नींद में था कामया बेड से उतरी और सेंडल पैर में पहनते हुए धीरे से मिरर के सामने खड़ी हो गई कोई आहट नहीं की उसने और नहीं कोई फिक्र नहीं कोई सोच थी उसके मन में थी तो बस एक ही इच्छा उसके शरीर की उसके अंदर जो आग लगी हुई थी उसे बुझाने की

अपने को मिरर में देखते ही क्माया के शरीर में एक फूरफुरी सी दौड़ गई और एक मुश्कान उसके होंठों में वो जानती थी भीमा चाचा उसके इस शरीर के साथ क्या करेंगे वो चाहती भी थी कि उसके इस शरीर के साथ कोई खेले और खूब खेले प्यार करे और उसके पूरे जिस्म को चाटे चूमे और अपनी मजबूत हथेलियो से रगडे और खूब प्यार करे वो खड़ी-खड़ी मिरर में अपने को देखती रही और धीरे से मुस्कुराती हुई अपने कंधे पर से एक स्ट्रॅप को थोड़ा सा नीचे खिसका दिया और मुस्कुराती हुई मूडी और धीरे-धीरे कमरे के बाहर जाने लगी

कामया जब , अपने कमरे से बाहर निकली तो पूरा घर बिल्कुल शांत था और कही भी कोई आवाज नहीं थी वो थोड़ी देर रुकी और अंदर की ओर देखा कामेश चुपचाप सोया हुआ था कामया ने धीरे से डोर बंद किया और सीढ़ियो पर से ऊपर चढ़ने लगी वो एक बार फिर से भीमा चाचा की खोली में जा रही थी आज खुद से उस दिन तो चाचा उसे उठा ले गये थे पर आज वो खुद ही जा रही थी उसके पैर काप रहे थे पर अंदर की इच्छा को वो रोक नहीं पा रही थी वो धीरे-धीरे चलते हुए पूरे घर को देखते हुए और हर पद चाप के साथ अपने को संभालती हुई वो भीमा चाचा के कमरे के सामने पहुँच गई थी अंदर बिल्कुल शांत था शायद चाचा भी सो गये थे पर अंदर एक डिम लाइट जल रही थी और उसकी रोशनी बाहर डोर के गप से आ रही थी

कामया ने डरते हुए धीरे से डोर को धकेला जो कि खुला हुआ था शायद भीमा को कोई दिक्कत नहीं थी तो डोर बंद क्यों करे इसलिए वो खुला रखकर ही सोता था सो डोर को धकेलने से वो थोड़ा सा खुला अंदर भीमा चाचा नीचे बिस्तर पर सोए हुए थे और एक हाथ उनके अपने माथे के ऊपर था पूरा शरीर नंगा था और कमर से नीचे तक एक चदडार से ढँका हुआ था कामया ने दरवाजे को थोड़ा सा और खोला तो डोर धीरे से खुल गया अंदर की डिम लाइट बाहर कारिडोर में फेल गई कामया ने अपने कदम आगे बढ़ाया और अंदर चाचा के कमरे में घुस गई
कमरे में घुसते ही उसने भीमा चाचा के शरीर में एक हल्की सी हलचल देखी वो वही रुक गई और डिम लाइट में चाचा की ओर देखने लगी
भीमा- दरवाजा बंद कर्दे बहू
मतलब भीमा चाचा भी उसका इंतजार कर रहे थे और एक कामेश है जो कि उसके पहले ही सो जाता है

कामया ने धीरे से दरवाजा को बोल्ट किया और हल्के कदमो से चलते हुए चाचा के करीब पहुँची चाचा अब भी नीचे बिस्तर पर वैसे ही लेटे थे पर हाँ उसके आने की और समीप आने का इंतजार कर रहे थे वो धीरे से भीमा चाचा के समीप जाके रुक गई उसकी सांसें बहुत तेज चल रही थी आज का कदम उसे कहाँ ले जाएगा वो नहीं जानती थी हाँ एक बात वो जरूर जानती थी कि वो अपने तन की भूख के आगे झुक गई है और वो उसे शांत करने के लिए अब कोई भी कदम उठा सकती है उसके बिस्तर के पास पहुँचते ही भीमा अपने आप ही उठकर बैठ गया और एक हाथ से उसने कामया के घुटनों को पकड़कर उसे थोड़ा सा और पास खींचा कामया को तो कोई दिक्कत ही नहीं थी वो और आगे हो गई वो लगभग अब भीमा चाचा के बिस्तर पर ही खड़ी थी भीमा चाचा अब धीरे-धीरे कामया के रूप के दर्शन करने के मूड में थे आज पहली बार बहू उसके कमरे में बिना बुलाए आई है वो जानते थे कि बहू को क्या चाहिए और वो भी इसके लिए पूरी तरह से तैयार थे जब बहू ने खाने के बाद उससे पूछा था कि जल्दी सो जाते है क्या तभी से अपने अंदर की आग को किसी तरह से अपने में समेटे हुए थे और जब बहू उसके पास खड़ी थी तो वो कहाँ रुकने वाले थे अपने हाथों से बहू के गाउनके ऊपर से ही उसके टांगों को अपने हाथों से सहलाते हुए उस डिमलाइट में बहू की ओर देख रहे थे


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Behtreen update
 

Coquine_Guy

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कामया भी खड़ी-खड़ी भीमा चाचा के हाथो के स्पर्श को अपनी टांगों औ र , फिर धीरे-धीरे अपने जाँघो तक आते हुए महसूस कर रही थी क्या पता भीमा चाचा के हाथों में ऐसा क्या जादू था कि कामया का दिमाग सुन्न हो जाता था और तन का साथ छोड़ जाता था कामया खड़ी-खड़ी अपने सांसों को नियंत्रित करने की कोशिश करती जा रही थी पर वो नहीं कर पा रही थी एक लंबी सी सिसकारी उसके होंठों से निकली और पूरे कमरे में फेल गई
भीमा ने एक बार ऊपर नजर उठाकर देखा और होंठों पर एक मुश्कान दौड़ गई अब वो कामया के गाउन को नीचे से खींचने लगा था कामया ने भी नीचे की ओर नजर दौड़ाई और अपने कंधे को थोड़ा सा सिकोड़ लिया ताकि भीमा चाचा के खिचाव से गाउन उसके तन से आलग हो सके

जैसा दोनों चाहते थे वैसा ही हुआ गाउन एक झटके में अपनी जगह छोड़ चुका था और फिसलता हुआ कामया के पैरों पर ढेर हो गया
भीमा की नजर अपने सामने खड़ी हुई उस अप्सरा पर जम सी गई थी वो अपने सामने खड़ी उस मूरत को देख रहा था जिसे देखने को शायद इस धरती के सारे आदमी एक दूसरे का खून कर दे वो उसे सामने किसी संगमरमर की मूरत के समान खड़ी उसके अगले कदम का इंतजार कर रही थी भीमा चाचा की हथेली अब धीरे धीरे बहू की टांगों की शेप लेते हुए ऊपर और ऊपर की ओर उसकी जाँघो तक पहुँच चुकी थी वो धीरे धीरे उसका मुलायम पन और कोमलता को अपने अंदर समेटने की कोशिश कर रहे थे वो अब थोड़ा सा उठ गये थे और अपने घुटनों के बल हो के कामया क़ी जाँघो को और जाँघो के बीच में फँसी हुई पैंटी को अपने होंठों से छूने लगे थे आज वो बहुत ही नाजूक्ता से अपने हाथों में आई इस परी को


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इस अप्सरा को अपने हाथों से टटोलना चाहते थे वो इस सुंदरता को अपने जेहन में समेट कर रखना चाहते थे उनके हाथ कामया को ठीक से पकड़े हुए थे और होंठों से बहू को चूमते हुए ऊपर की ओर उठ रहे थे कामया अब भी वैसे ही खड़ी हुई भीमा चाचा के प्यार करने के इस तरीके को देख रही थी और अपने अंदर उठ रहे ज्वार को अपने अंदर ही दबाने की कोशिश कर रही थी भीमा चाचा के प्यार करने के इस तरीके से कामया बहुत हुई उत्तेजित हो चुकी थी उसकी जाँघो के बीच में एक आलग तरीके की सिहरन सी होने लगी थी पर भीमा चाचा को उसने नहीं रोका वो थोड़ा सा और आगे को हो गई ताकि भीमा चाचा उसको कस कर पकड़ सके

अब भीमा चाचा की दोनों बाँहे उसके नितंबों के चारो तरफ घिरी हुई थी और बहुत ही हल्के ढंग से उसे अपने खुरदुरे हाथों से और मोटे-मोटे होंठों से प्यार कर रहे थे उनके हाथों के चलने ढंग से यह तो साफ था कि आज भीमा चाचा को कोई जल्दी नहीं थी बहुत ही आराम से और धीमे तरीके से वो आज अपने काम में लगे थे हर एक कोने को वो अपने होंठों से और अपने हाथों से छूकर देखना चाहते थे और कामया को भी कोई आपत्ति नहीं थी वो अपने आपको घुमाकर भीमा चाचा को अपने शरीर के हर कोने में पहुँचने की कोशिश को और भी सहारा दे रही थी वो घूमती तो चाचा को और भी तेजी आ जाते थे उसके हाथों को अब कोई नहीं रोक सकता था उनके हाथों को अब हर कोने में घूमते हुए बहू की पीठ तक और फिर उसके नितंबों तक ले आते थे अब तो उनके होंठों को कामया की पैंटी के ऊपर भी घुमा देते थे और तो और अपनी जीब को निकाल कर उसकी पैंटी को गीला भी करने लगे थे

कामया को जैसे ही भीमा चाचा की इस हरकत को अपनी पैंटी के ऊपर से हुआ तो वो लगभग चिहुक कर थोड़ा और तन गई थी उसके हाथ भी अब तो भीमा चाचा की बालों भारी पीठ पर घूम रहे थे और अपने पास खींच रहे थे वो खड़ी कैसे थी पता नहीं पर अगर भीमा चाचा थोड़ा सा ढीला छोड़े तो वो ढल कर उनकी बाहों के घेरे में पहुँचने को तैयार थी पर भीमा चाचा उसे नहीं छोड़ रहे थे और कसे हुए उसके शरीर को चूम चाट रहे थे अब तो भीमा चाचा के हाथ उसकी पैंटी के अंदर तक पहुँच गये थे और धीरे-धीरे उसकी जाँघो तक और फिर टांगों तक ले आए थे फिर थोड़ा सा रुके और अपने आपको थोड़ा सा पीछे करके उस नग्न सुंदरता को अपने जेहन में उतारने लगे कामया तो काँप रही थी उसकी सांसें अब रुक रुक कर चल रही थी नाक और मुख से निकलने वाली साँसे अब बहुत तेज हो गई थी सांस छोड़ने के साथ ही उसके मुख से एक हल्की सी सिसकारी भी निकलती जा रही थी पर उस कमरे के बाहर तक जाने लायक नहीं थी हाँ … पर इस चीज का ध्यान दोनों को ही था
कामया- बस चाचा अब और नहीं अब करो प्ली ज
भीमा- हाँ … बहू थोड़ा सा रुक तुझे ठीक से देख तो लूँ

कामया- नहीं सहा जाता अब प्लीज करो अ ब
भीमा- हाँ … उूुुउउम्म्म्मममममममम म
करता हुआ बहू की योनि के ऊपर अपनी जीब को चलाने लगा था उन घने बालों के बीच में और उनके ऊपर और दोनों हाथों से कस कर बहू को जकड़े हुए थे कामया के दोनों हाथ अब भीमा को पीछे की ओर धकेल रहे थे पर भीमा के जोर के सामने वो कहाँ तक टिक सकती थी वो खड़ी-खड़ी भीमा चाचा की हर हरकत को झेल रही थी हाँ झेल ही रही थी उसमें इतनी ताकत नहीं थी कि वो भीमा को पटक कर उसके ऊपर सवार हो जाती या फिर उसे धकेल कर उसे अपने अंदर समेट लेती वो खड़ी रही और अपना चेहरा उठाकर अपनी सांसों को कंट्रोल करने की कोशिश करती जा रही थी
और भीमा तो जैसे पागल हो गया था वो अपने चेहरे को बहू की योनि तक पहुँचाने की कोशिश में लगा था पर बहू के इस तरह से अकड कर खड़े होने से वो यह नहीं कर पा रहा था उसने अपनी पकड़ को थोड़ा सा ढीला छोड़ा और अपने एक हाथ को झट से उसकी जाँघो के गप में डाल दिया
कामया भी जैसे भीमा चाचा के इशारे को समझ गई थी उसने भी थोड़ा सा अपनी जाँघो के गप को बढ़ा दिया ताकि भीमा चाचा उसकी योनि तक पहुँच सके वो खड़ी थी पर कब गिर जाएगी उसे नहीं पता था

भीमा ने जैसे ही बहू को अपनी जाँघो को ढीला छोड़ते देखा वो अपनी उंगलियों को बहू की योनि में पहुँचाने में कामयाब हो गया और बहुत तेज़ी से अचानक से अपनी उंगलियों को बहू की योनि के अंदर-बाहर करने लगा बहुत ही तेजी से

कामया इस अचानक आक्रमण के लिए तैयार नहीं थी वो भीमा चाचा के धीरे-धीरे चल के आगे थोड़ा सा झुकी थी पर इस तरह से करने से वो पागलो की तरह से मचलने लगी थी वो अचानक हुए हमले से और भी कामुक हो गई थीऔर बहुत ही तेज आवाज उसके मुख से निकलने लगी थी

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और अचानक ही उसके अंदर जैसे कोई ताक़त आ गई थी उसकी उंगलियों ने भीमा चाचा के बालों कस्स कर जकड़ लिया था और अपनी योनि के पास तक खींच लिया था और फिर एक ही धक्के में वो भीमा चाचा को नीचे अपनी योनि के पास खींचने लगी थी भीमा ने भी बहू की इच्छा को नजर अंदाज नहीं किया और जल्दी से अपनी उंगली को निकाल कर अपने होंठों को उसकी योनि के मुख पर जोड़ दिया वो उन दोनों पंखुड़ियों को अपने होंठों के बीच में दबाकर जोर-जोर से चूसने लगा था

कामया तो जैसे पागल हो गई थी भीमा चाचा की इस हरकत से उसके शरीर में एक गजब की फुर्ती आ गई थी वो अब शेरनी की तरह हो गई थी अपनी जाँघो के बीच में भीमा चाचा को दबाने के लिए वो थोड़ा और आगे बढ़ गई थी और अपनी दोनों हथेली को भीमा चाचा के बालों पर कस्स कर जकड़ दिया था भीमा भी पूरे मन से उस अप्सरा की योनि के रस में डूबा हुआ था और अपने आप पर से काबू हटा लिया था वो अब बहू के हाथों का पुतला बन गया था जैसा वो चाहती थी करने को तैयार था
बहू के धकेलने से और अपनी जाँघो को भीमा के माथे के चारो और कसने से भीमा थोड़ा सा पीछे की ओर हो गया था वो लगभग लेटने की स्थिति में आ गया था और बहू उसके चेहरे पर अपनी योनि को और भी सटाती जा रही थी पता नहीं कहाँ से बहू के शरीर में इतना जोर आ गया था कि वो भी अपने को बैठाकर नहीं रख सका और बहू के धकेलने स े , धूम से बिस्तर पर गिर गया


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Coquine_Guy

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चाचा के गिरते ही कामया तो जैसे पागल की तरह से अपनी योनि को चाचा के मुख के अंदर तक उतार देना चाहती थी वो अब पूरी तरह से भीमा चाचा के चेहरे के ऊपर बैठी थी और सिसकारी और आहे भरती हुई जाने क्या के बके जा रही थी
कामया- आआआआआआह्ह और चाचा और अंदर तक चूसो और
और वो अपनी कमर को भी बहुत तेजी से भीमा चाचा के चेहरे पर चलाने लगी थी जैसे कोई सवारी पर थी हाँ राइड पर ही थी वो अपने शरीर के सुख की राइड पर भीमा चाचा की जीब की राइड पर और अपनी योनि को संतुष्ट करने की राइड पर वो पागलो की तरह से उचक उचक कर बार-बार भीमा चाचा के होंठों के बीच में अपनी योनि को दबाती जा रही थी भीमा भी नीचे पड़ा हुआ अपनी जीब और होंठों को पूरी तरह से एक के बाद एक को यूज़ करता हुआ बहू को आनंद के सागर में सैर कराने को तैयार था वो भी बहू की जाँघो को कसकर पकड़कर अपने चेहरे पर घिस रहा था और कभी-कभी अपने हाथों को बढ़ा कर उसकी चुचियों को भी जम कर निछोड़ देता था बहू तो जैसे पागल सी हो गई थी इतनी जोर ज्ज़ोर से अपने आपको उसके चेहरे पर उचका रही थी जैसे वो अपनी योनि की आग को जिंदगी भर के लिए ठंडा करना चाहती हो

पर भीमा को कोई आपत्ति नहीं थी वो तो इस सुंदरता की देवी कैसे भी और किसी भी स्थिति में भोगना चाहता था और खूब भोगना चाहता था उसके जीब और होंठो के कमाल के आगे बहू और ज्यादा देर टिक नहीं सकती थी यह वो अच्छे से जानता था क्योंकी बहू की कमर की तेजी से वो परिचित था वो अब लगभ ग , एक पिस्टन की तरह उसके चहरे पर अपनी चूत घिस रही थी और उसने दोनों हाथों से भीमा चाचा के बालों को और भी कस्स कर जकड़ लिया था भीमा के बाल उखड़ने को थे कि कामया के मुख से एक लंबी सी सिसकारी निकली और उसके हाथों का जोर फिर से कस गया था भीमा के बालों पर और कामया अपने शिखर पर पहुँच गई थी उसकी योनि से जैसे गंगा जमुना की धारा निकल गई हो वो अपनी योनि के अंदर की ज्वाला को शांत करते हुए पीछे की ओर गिर पड़ी और भीमा चाचा के लिंग से उसका चहरा टकराया जो कि पूरी तरह से उसके लिए तैयार था पर भीमा चाचा ने उसे इतना थका दिया था कि वो अब उसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी उसके गिरते ही भीमा ने अपने को उसकी जकड़ से आजाद किया और एक लंबी सी सांस ली् और अपने लिंग को बहू के गले के पास घिसने लगा था उसकी साँसे बहूत लंबी-लंबी चल रही थी पर उसकी उत्तेजना अभी भी नहीं थमी थी उसका हथियार तो अब भी तैयार था इस काम की देवी को भेदने को

भीमा ने अपने ऊपर से बहू को थोड़ा सा हिलाकर नीचे अपने बिस्तर पर रखा और उठकर अपनी धोती से अपने चेहरे को पोछने लगा बिस्तर पर पड़ी हुई उसकाम की देवी को देखता रहा जो कि अपनी सांसों को कंट्रोल कर रही थी नग्न पूरी तरह से और उसके बिस्तर पर वो देखता ही रहा उसका मन नहीं भर रहा था उसे देखने से अपने हाथों से उसने बहू के चहरे को अपनी ओर किया

अधखुली आखों से बहू ने जब उसकी ओर देखा तो उूुुउउफफफफफ्फ़ क्या ना करले भीमा पर अपने को नियंत्रित करते हुए दोनों जाँघो को जोड़ कर वो पालती मारकर बहू के चहरे के पास बैठ गया और दोनों हाथों से उसके सिर को उठाकर अपनी गोद में रख लिया उसका लिंग अब बहू के चहरे से टकरा रहा था और उसके होंठों से भी कामया के चहरे पर जैसे ही लिंग टकराया वो आखें बंद किए हुए थोड़ा सा अपने होंठों को खोल लिया और भीमा ने जरा भी देर नहीं की और अपने लिंग का थोड़ा सा हिस्सा बहू के होंठों के बीच में फँसा दिया


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कामया भी धीरे-धीरे अपनी जीब को चाचा के लिंग पर चलाने लगी थी उसके चहरे पर एक आनंद था और अपने होंठों के बीच में आए उस कड़े से और मोटे से लिंग को चूसने लगी थी बड़े ही होले से और बड़े ही प्यार से जैसे कोई लोलीपोप हो या फिर अपने पसंद की कोई आइस्क्रीम जिसे वो धीरे-धीरे चूसती जा रही थी जैसे वो खतम ना हो जा ए
और भीमा तो जैसे जन्नत में चला गया था अपनी गोद में लिए वो अपने चहरे को ऊपर उठाए अपने लिंग पर बहू की जीब का स्पर्श आआह्ह और क्या चाहिए भीमा को यही लग रहा था कि वो ऐसे ही मर भी जाए तो क्या फरक पड़ता है कोई भी ऐसे ही मरना चाहेगा (मे तो तैयार हूँ और कौन हाँ …) वो अपने लिंग को बहू के मुख के अंदर घुमाने लगा था और थोड़ा सा अपने हाथों के जोर से बहू के माथे को भी दबाब देने लगा था पर बहू के हाथों ने उसे रोक दिया था और अपनी दोनों हथेलियो को जोड़ कर भीमा के लिंग को अपनी नरम नर्म उंगलियों के बीच में फँसा लिया था वो अपने मन से उस लिंग का मजा लेने लगी थी उसे भीमा चाचा की नसीहत की जरूरत नहीं थी वो तो अब इस खेल में पक चुकी थी उसे यह सब अब अच्छा लगने लगा था वो तो खुद चाहती थी कि भीमा चाचा उसके मुख में अपना लिंग डाले उसे उसका स्वाद अच्छा लग लगा था और वो पूरे जोश में भीमा चाचा के लिंग को चूसती जा रही थी और आखें ऊपर करके भीमा चाचा की ओर भी देखती जा रही थी भीमा तो जैसे जन्नत की सेर कर रहा था वो अपनी गोद में लिए उस हसीना को जब अपनी ओर देखते हुए देखा तो पागल सा हो गया सुंदर गोरी माथे पर बिंदी माँग में सिंदूर बाल अस्त व्यस्त और गले में पड़े हुए मंगल सूत्र और दो गुलाबी होंठों के बीच में उसका मोटा सा और काला सा लिंग लिए इस घर की बहू आआआआआआह् ह
वो अपनी हथेलियो से बहू के बालों को ठीक करने लगा बहूत प्यार से और दूसरे हाथ से बहू की चूचियां दबाने लगा दबाने लगा नहीं निचोड़ने लगा खूब जोर से खूब ही जोर से कि जैसे अपना गुस्सा निकाल रहा हो या फिर फिर उत्तेजना को और नहीं छिपा पा रहा था पर कामया को भी उसकी इस हरकत से कोई चिंता नहीं थी वो तो भीमा को और भी तड़पाना चाहती थी और भी उत्तेजित कर देना चाहती थी कि वो उसे इस तरह से रौंदे कि उसे अगले जनम तक किसी मर्द की जरूरत नहीं पड़े हाँ … शायद यही सोच थी उसकी वो अपने हाथों को भीमा चाचा के हाथों से जोड़ कर उन्हें और भी उत्साहित करती जा रही थी और अपनी आँखो से एकटक उसकी ओर देखती भी जा रही थी

भीमा जो कि कामया को ही देख रहा था वो भी अब नहीं रुक पा रहा था वो अब बहू की योनि के अंदर अपने लिंग को चाहता था अगर थोड़ी देर और बहू ने उसे इस तरह से देखते हुए उसके लिंग को चूसा तो वो ढेर हो जाएगा उसने धीरे से अपने हाथों से उसके बालों को सहलाते हुए अपने लिंग को निकालने की कोशिश की पर बहू ने उसे नहीं छोड़ा

भीमा- छोड़ दे बहू उूुुुुउउ और भी सुख है लेने को रुक जा

कामया- हूहू उउउम्म्म् म
और भीमा ने झट से अपने हाथों से ज़ोर लगाकर अपने लिंग को बहू के होंठों से आजाद किया पर एक लंबी सी थूक की लार उससे लटक कर बहू के होंठों से उसके लिंग तक चली गई
कामया- आह् ह
और कामया एक झटके से उठी और जल्दी ही भीमा चाचा के ऊपर सावर हो गई फिर से उसकी गोद में अपनी दोनों जाँघो को चारो ओर फैलाकर अपनी योनि के द्वार को अपने सनम के लिए खोलकर अपनी बाहों को खोलकर अपने जन्नत के सफर पर अगली यात्रा की ओर चलने को फिर से तैयार थी

भीमा ने जैसे ही कामया को अपने गोद में पाया वो कुछ करता पर एक ही धक्के में वो नीचे गिर पड़ा और कामया को अपने ऊपर अपने लिंग पर सवार होते हुए देखता रहा कामया की उत्तेजना इतनी थी , कि वो इस इंतजार मे भी नहीं थी कि भीमा चाचा उसके अंदर समाए इससे पहले ही उसने अपने को थोड़ा सा ऊपर उठाया और अपनी योनि को खोलकर उसके मोटे से लिंग को अपने अंदर उतार लिया


वो धीरे धीरे उसके लिंग पर बैठने लगी गीले पन के होते हुए लिंग बड़े ही आराम से उसके अंदर समा गया कामया के मुख से एक लंबी सी सिसकारी निकली और वो धम्म से भीमा चाचा के ऊपर गिर पड़ी जैसे जो उसे चाहिए था वो तो अब उसके अंदर है अब कौन उससे अलग करेगा वो थोड़ा सा रुकी

पर भीमा चाचा तो तुरंत ही अपने मिशन में लग गये थे धीरे-धीरे अपनी कमर को उचका कर अपने लिंग को बहू की योनि में अड्जस्ट करने लगे थे बहू भी थोड़ा सा हिल कर अपने आपको उसके साथ ही अड्जस्ट करती हुई उनके शरीर को फिर से पानी बाहों में भरने को कोशिश करती जा रही थी

भीमा भी अपनी बाहों को घुमाकर बहू को अपने सीने से लगाए धीरे-धीरे नीचे से धक्के लगाता जा रहा था पर वो जानता था कि वो ज्यादा देर का मेहमान नहीं है क्यों कि जो हरकत आज बहू ने उसके साथ की है अगर वो किसी के साथ करे तो कोई भी आदमी बहू की योनि तक पहुँचने से पहले ही ढेर हो जाएगा वो उन आँखो को भूल नहीं पाया था जो कि उसके लिंग को चूसते हुए बहू की थी वो नीचे पड़े हुए बहू को अपने बाहों में भरे हुए जोर-जोर से धक्कों को अंजाम दे रहा था और अपने मुकाम की ओर बढ़ रहा था

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और कामया अभी अपने अंदर उठ रहे तुफ्फान को धीरे-धीरे थामने की कोशिश में लगी थी पर भीमा चाचा के धक्के इतने जोर दार थे कि वो जितना भी चाचा को जोर से जकड़े , हर धक्के में वो छूट जाते थे लिंग अंदर बहूत अंदर तक पहुँच जाता था और उसके अगले कदम के नजदीक ले जाता था वो किसी तरह से अपने को हर धक्के के साथ फिर से एडजस्ट करने की कोशिश करती पर ना जाने क्यों उसने अचानक ही चाचा को छोड़ कर सीधी उनके लिंग पर ही बैठ गई अब वो सीधी हर धक्के में ऊपर उछलती और फिर नीचे बैठ जाती ,
उसके उछलने से जो नजर भीमा देख सकता

उसके उछलने से जो नजर भीमा देख सकता था वो शायद कामदेव को भी नसीब नहीं हुआ होगा भीमा हर धक्कों के साथ ही बहू की उछलती हुई चुचियों को भी अपनी हथेलियो में कस कर निचोड़ता जा रहा था और अपनी गति को भी नहीं धीमा किया था

कामया भी हर धक्के के साथ ही अपनी सीमा को पार करती जा रही थी और चाचा के कसाव के आगे अपने शरीर में उठने वाली उमंग को अपने शिखर तक पहुँचाने में लगी हुई थी वो निरंतर अपने को भीमा चाचा के हाथों के सहारे छोड़ कर उछलती जा रही थी और अचानक ही अपने अंदर आए उफ्फान के आगे उसका शरीर निश्चल सा हो गया और सांसों को कंट्रोल करते हुए उसका शरीर भी चाचा के दोनों हाथों के आगे झुक गया

दोनों हाथों के आगे मतलब चुचियों को कसे हुए भीमा के दोनों हाथों के आगे कामया को लटके हुए देखता हुआ भीमा अब भी , कामया को जोर दार तरीके से निचोड़ता जा रहा था वो भी , अपने आखिरी चरम पर था पर जैसे लगता था कि वो अपना पूरा गुस्सा आज बहू को निचोड़ कर ही निकाल देना चाहता था सो वो कर रहा था वो भी अपने शरीर की हर इंद्रियो को अपने लिंग की ओर जाते हुए महसूस करता जा रहा था और ढेर सारा वीर्य उसके लिंग से चूत पर बहू के अंदर और अंदर तक पहुँच गया
उसकी गिरफ़्त थोड़ी ढीली हुई और बहू धम्म से उसके ऊपर ढेर हो गई भीमा की कमर अब भी चल रही थी वो अपनी आख़िरी बूँद को भी निचोड़ कर बहू के अंदर तक उतार देना चाहता था सो वो कर रहा था अपनी दोनों बाहों को उसने बहू के चारो ओर मजबूती से घेर रखा था और धीरे-धीरे वो और भी मजबूत होती जा रही थी

अब दोनों शांत हो गये थे दोनों एकदूसरे के पूरक बन गये थे और शांत थे सांसें गिन रहे थे या फिर एक दूसरे के छोड़ने का इंतजार कर रहे थे कोई नहीं जानता था पर दोनों वैसे ही बहुत देर तक लेटे रहे एक दूसरे के ऊपर और फिर धीरे से भीमा ने बहू को हिलाया
भीमा- बहू
कामया- उूउउम्म्म्म म
भीमा- उठो हहुउऊउउ
कामया भी थोड़ा सा हिली और अपने को भीमा से अलग करने लगी वो आज वाकाई बहुत थक चुकी थी
किसी तरह से खड़ी हुई और अपनी पैंटी को ढुड़ने लगी पर वो कही नहीं दिखी सो अपनी गाउनको उठाकर भीमा चाचा की ओर पीठ कर उसे अपने सिर के ऊपर से डालकर पहन लिया और धीरे से गाउनको नीचे ले जाते हुए उठ खड़ी हुई और एक बार भीमा चाचा की ओर देखा और मुड़कर बाहर जाने लगी

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उसके कदम ठीक से नहीं पड़ रहे थे बहुत ही थकान लग रहा था पर एक तरंग उसके शरीर में थी जो उसे और भी मदहोशी के आलम की ओर ले जा रही थी वो किसी तरह से कमरे से बाहर निकली और सीढ़िया उतरती हुई अपने कमरे में आ गई कमरे में कामेश अब भी सो रहा था कामया बाथरूम में गई और अपने को साफ करके वापस कामेश के पास आके
सो गई थकान के चलते वो कब सो गई उसे पता नहीं चला हाँ … सुबह जब कामेश ने उसे उठाया तो 10 बज चुके थे
कामेश उसके लिए चाय कमरे में ही ले आया था कामया चाय पीते हुए अपने पति को तैयार होते देख रही थी वो अब भी बेड पर ही थी
कामेश- क्या बात है बहुत देर तक सोई कल रात को नींद नहीं आई क्या
कामया- हाँ …
कामेश- रात को कहाँ गई थी
कामया -
उसके सिर पर जैसे आसमान गिर गया हो चेहरा सफेद हो गया था जब कामेश ने उससे पूछा
कामेश- टीवी देख रही थी क्या
कामया- हाँ … नींद नहीं आ रही थी इसलिए
कामेश- इसलिए तो कहता हूँ थोड़ा सा घर के बाहर निकलो घर में पड़ी पड़ी बोर भी हो जाती हो और कोई एक्सर्साइज भी नहीं तो थकान कहाँ से होगी
कामया- जी
पर कामया के दिमाग़ में वो बात घूम रही थी कि कल रात को जो उसने किया था अगर कामेश बाहर निकलकर उसको ढूँढ-ता तो .........
कामेश- एक काम करो अभी तैयार हो जाओ और मेरे साथ चलो तुम्हें कंपेल्क्स की जगह ले चलता हूँ और फिर शोरुम चलेंगे वहां अगर बोर लगेगा तो वापस आ जाना
कामया- नहीं आज नहीं कल से चलूंगी
कामेश- ठीक है पर कामया थोड़ा बहुत बाहर निकला करो तुम तो पढ़ी लिखी हो तो डर किस बात का
कामया- डर कहे का बस मुझे अच्छा नहीं लगता इसलि ए
कामेश- उफ़्फूओ क्या यार मैंने तो सोचा था कि तुम्हें मनेजिंग डायरेक्टर बना दूँगा मेरी नई फर्म का
कामया- एम डी कहाँ का
कामेश- अरे अभी जो एक्सपोर्ट का काम कर रहा हूँ ना डाइमॉंड्स और स्टोन्स का उसे मनेज करने को कोई तो चाहिए तुम क्यों नहीं
कामया- मुझे थोड़े ही आता है तुम्हारे डाइमॉंड्स और स्टोन का काम और पहचान भी कहाँ है मुझे
कामेश- अरे तुम्हें कोई पहचान थोड़े ही करनी है बस मनी ट्रॅन्सॅक्षन पर ध्यान रखना है बस पार्ट्नर्स है बाहर और इंडिया में बस बाकी में मनेज कर लूँगा
कामया- नहीं नहीं मुझसे गलती हो जाएगी फिर गुस्सा करोगे नहीं में नहीं
कामेश- गुस्सा करूँगा और तुमसे अभी तक क्या एक टाइम या दिन मुझे बता सकती हो कि मुझे गुस्से में देखा है
कामया- नाहो पर मुझसे नहीं होगा बस
कामया- ठीक है तो पापाजी को बता देना में तैयार हो जाती हूँ
और कामया उठकर बाथरूम में घुस गई कामेश पीछे से कुछ कह रहे थे पर उसे इस चीज से कोई फरक नहीं पड़ता
फ्रेश होकर जब वो बाहर निकली तो कामेश रूम में नहीं था शायद नीचे चला गया होगा वो भी चेंज करके नीचे डाइनिंग रूम में आई तो कामेश खाना खा रहे थे वो भी जाके उसके पास खड़ी हो ग ई
कामया- पापाजी तैयार हो गये
कामेश- हो रहे है क्यों
कामया- में पापाजी के साथ आ जाऊ
कामेश- हः हाँ … क्यों नहीं अरे थोड़ी देर रुक के तो देखो मजा नहीं आया तो वापस आ जाना लाखा तो है और आज से तो वो यही घर में ही रहेगा हाँ …
और कामया जल्दी से अपने रूम में आ गई और आज पहली बार वो पापाजी और कामेश के साथ अपने शोरुम और बिज़नेस के काम से बाहर घर के बाहर निकलने वाली थी पता नहीं क्यों उसके शरीर में एक अजीब सी , फुर्ती आ गई थी
जब वो तैयार होकर नीचे आई तो पापाजी डाइनिंग टेबल पर उसका ही इंतेजार कर रहे थे
पापाजी- आओ बहू जल्दी से खाना खा लो और फिर चलो अपने साम्राज्या को देखो
कामया- जी
लजा कर अपना सिर झुका लिया और खाना खाने लगी वा एक टाइट सी चूड़ीदार पहने हुई थी जो की उसके शरीर के हर हिस्से को उजागर कर रहा था उसकी चुन्नी एक तरफ से ले रखी थी जिससे की एक तरफ की चुचि बाहर बिल्कुल बाहर की ओर उछल कर अपने होने का परिचाए दे रही थी कमर और चूचियां के चारो और कुटा बहुत टाइट था साइड से
उसकी गोलाइयो का पूरा पूरा शेप बिल्कुल साफ-साफ दिख रहा था
पापाजी के साथ कामया ने भी जल्दी से खाना खाया उसके मन में एक अजीब टाइप की उत्तेजना भी थी पहली बार वो कोई इस तरह के काम से बाहर निकलने वाली थी जो कि उसने कभी सोचा भी नहीं था पर हाँ … जाना जरूर चाहती थी एक बार तो जा ही सकती थी कामेश के कहने पर देखे तो
कामेश और , उसके घर वालो ने उसके लिए क्या सोचा और किया है थोड़ी देर में ही पापाजी के साथ कामया भी पोसर्च में खड़ी थी गाड़ी लाखा को ही चलना था सिर झुकाए हुए वो गाड़ी के डोर को पकड़कर खड़ा था
पापा जी- चलो बहू
और खुद भी गाड़ी में बैठ गये कामया भी पीछे पापाजी के साथ ही बैठ गई और लाखा दौड़ता हुआ ड्राइविंग सीट पर आ गया
पापाजी- लाखा पहले साइट की ओर ले चलना
लाखा- जी
और गाड़ी गेट के बाहर सड़क पर दौड़ने लगी काफी चल पहल थी सड़क में सभी भागे जा रहे थे इस भीड़ में किसी को किसी की चिंता नहीं थी सब अपने काम से काम रखे हुए एक दूसरे को कुचलते हुए अपने स्वार्थ के लिए जद्दो जेहाद में लगे थे कही गाड़ी किसी को साइड करके आगे निकल रही थी तो कोई गलत तरीके से ओवर टेक कर रहा था
पर सब आगे जाने की चेष्टा में थे इसी दौड़ में अब कामया अपने आप भी पा रही थी वो पापाजी के साथ बैठी हुई बाहर सभी की ओर बड़े ही अजीब तरीके से देख रही थी और अपनी ही सोच में डूबी हुई थी
जब गाड़ी थोड़ी धीरे हुई तो सामने की ओर नजर गई तो वो चौंक गई बड़ा सा स्ट्रक्चर खड़ा था गाड़ी आगे चलते हुए खाली जगह में खड़ी हो गई गाड़ी को देखते ही वहां खड़े और काम कर रहे लोगों के अंदर एक उथल पुथल मच गई थीसभी की निगाहे गाड़ी की ओर थी कुछ लोग सूट में थे तो कुछ वैसे ही दौड़ते हुए गाड़ी के पास आते दिखे
लाखा ने दौड़ते हुए गाड़ी का डोर खोला और फिर कामया के डोर के पास आ गया और सिर झुकाए डोर खोलकर खड़ा हो गया
पापाजी- आओ बहू देखो यह है कॉंप्लेक्स मल्टिपलेक्स और विला तुम्हारे नाम से कुछ दिनों में बन कर तैयार ही जाएगा
कामया- जी
और आश्चर्य से उसे बड़े से स्ट्रक्चर को देखती रही काले चस्मे में वो खड़ी हुई उस स्ट्रक्चर को देखती ही रह गई जब वो बन कर तैयार होगा तो सिटी के बीचो बीच में कैसा दिखेगा और वो यहां की मालकिन भी हो जाएगी एमडी , कामेश तो यही कह रहा था ना तभी वहां कुछ लोग आए और पापाजी को झुक कर नमस्ते औ र , कुछ लोग हैंड शेक करने लगे कामया सभी की ओर देख रही थी और सभी की नजर उस हसीना पर थी जानते थे कि बहू है पर देख पहली बार रहे थे सबकी नजर में इज़्ज़त थी और एक प्यास भी एक औरत के नजदीक आने से जो होती है वो
हर कोई बड़े ही तरीके से पापाजी की और उसकी ओर नमस्ते की मुद्रा में खड़े थे और कुछ तो सिर झुकाए और मुस्कुराते हुए देख रहे थे
पहली बार कामया इस तरीके से किसी बिज़नेस पर्पस से किसी से मिल रही थी या फिर परिवार बिज़नेस में हाथ बंटाने की सोच रही थी वो खड़ी खड़ी लोगों को देख ही रही थी कि
पापाजी- हाँ … अरे में तो इंट्रो ड्यूस करना ही भूल गया ये हमारी बहू है कामेश की पत्नी कामया
सभी ने कामया को नमस्ते किया और बड़े ही आदर पूर्वक उन्हें अपने बीच में आई इस काम सुंदरी को उसके साम्राज्य में स्वागत भाव से झुक कर स्वागत भी किया कामया को भी अपनी इस नई पोजीशन में काफी खुशी और खुले पन का एहसास हो रहा था वो अपने को एक बहुत ही इंपार्टेंट पर्सन के रूप में यहां देख रही थी
वो जानती थी कि यहां पर मौजूद हर इंसान अपने को बेहतर साबित करने की कोशिश कर रहा था काले चस्मे की ओट में वो सबको ठीक से देख सकती थी पर कोई भी उसकी नजर को भाप तक नहीं सकता था वो खड़ी-खड़ी पापाजी और बाकी सबकी बातें सुन रही थी कुछ टाइम मे ही काम खतम करने की बातें चल रही थी वो सब किसी कॉंट्रॅक्टर के आदमी थे
तभी पापाजी आगे की ओर बढ़े सभी ने उन्हें रास्ता दे दिया और
पापाजी- चलो बहू आफिस भी देखती जा ओ
और एक हाथ बढ़ा कर कामया को अपने साथ ले लिया कामया भी बड़े ध्यान से उस भीड़ के बीचो बीच से सभी की निगाहो का केंद्र बनी हुई उस कन्स्ट्रक्षन साइट के अंदर की रवाना हो गई थी वहाँ काम करने वाले बहुत से लोग थे कुछ मिस्त्री थे कुछ बाईं थे कुछ लेबर थे कुछ साइट इंजीनियर थे और पता नहीं कौन कौन थे पर जैसे ही वो एक आफिस नुमा रूम में घुसे वहां का वातावरण बिल्कुल अलग था धूल और गर्मी से अलग एसी चल रहा था और कुछ लोग टेबल पर बैठे हुए काम कर रहे थे सभी अपडेट थे कालीन बिछा था और बहुत से टेबल और चेयर थे वो पापाजी के साथ चलते हुए उन लोगों के बीच से होते हुए एक बंद कमरे के पास पहुँचे डोर बंद था
पापाजी- खुला नहीं हमारा आफिस अभी त क
वहाँ खड़े हुए लोगों के बीच में सन्नाटा सा छा गया था
एक इंसान ने कहा- जी भोला के पास है चाबी आता ही होगा
अरे भोला को बुलाओ कहो बाबूजी आए है
पापाजी- आज कहाँ चला गया भोला यही तो रहता है और तो हमें आते भी नहीं देखा क्या
इतने में आफिस का दरवाजा धम्म से खुला और एक लंबा चौड़ा सा आदमी लगभग पसीने से भीगा हुआ दौड़ता हुआ आया और झुक कर पापा जी को नमस्ते किया और आफिस का ताला खोलने लगा वो भीमा था
कामया के शरीर में एक सिहरन दौड़ गई थी वो भोला को पहली बार इतने करीब से देख रही थी उस राक्षस को जब उसने देखा तो वो सिहर गई थी यही वो आदमी है जिसने उसे लाखा के साथ देख लिया था यही वो आदमी है जो कि कामेश और पापाजी के बहुत करीबी है तभी तो आफिस की चाबी भी इस इंसान के पास ही थी और किसी के पास नहीं
पापाजी- कहाँ चला गया था
भोला- (अपनी नजर झुकाए हुए ) जी ऊपर था जी वो छत पड़ रही थी ना वही था
पापाजी- हमे आते नहीं देखा था क्या
भोला- जी देखा था जी पर काम था सोचा कि पहले इसे खतम कर लूँ पर
पापाजी- हाँ … कहाँ तक पहुँची है छत अभी
और कहते हुए वो कामया को लेकर आफिस के अंदर तक आ गये थे कमरे में अच्छी लाइटिंग थी कालीन था बड़े-बड़े सोफे रखे हुए थे एक कोने में बड़ी सी टेबल थी और उसके पीछे बड़ी सी चेयर अलग ही चमक रही थी टेबल के सामने तीन थोड़ी सी छोटी चेयर्स थीं
पापाजी जी कमरे में घुसते ही सोफे पर बैठ गये थे और कामया को भी बैठने का इशारा करते हुए बाकी के लोगों को जाने का इशारा किया और भोला से पूछा
पापाजी- हाँ … अच्छा सुन यह कामेश की पत्नी है हमारी बहू कामया मेडम है
भोला ने अपनी आखें ना उठा-ते हुए बड़े ही सलीके से कामया को नमस्ते किया
भोला- जी हुकुम बाबूजी
पापाजी- सुन बहू शायद यहां का काम देखने आया करेगी अब से में भी आउन्गा कामेश भी आएगा लेकिन ध्यान से सुन बहू को कुछ नहीं आता तुझे ध्यान रखना होगा कुछ भी गड़बड़ नहीं होना चाहिए
 

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कामया भी खड़ी-खड़ी भीमा चाचा के हाथो के स्पर्श को अपनी टांगों औ र , फिर धीरे-धीरे अपने जाँघो तक आते हुए महसूस कर रही थी क्या पता भीमा चाचा के हाथों में ऐसा क्या जादू था कि कामया का दिमाग सुन्न हो जाता था और तन का साथ छोड़ जाता था कामया खड़ी-खड़ी अपने सांसों को नियंत्रित करने की कोशिश करती जा रही थी पर वो नहीं कर पा रही थी एक लंबी सी सिसकारी उसके होंठों से निकली और पूरे कमरे में फेल गई
भीमा ने एक बार ऊपर नजर उठाकर देखा और होंठों पर एक मुश्कान दौड़ गई अब वो कामया के गाउन को नीचे से खींचने लगा था कामया ने भी नीचे की ओर नजर दौड़ाई और अपने कंधे को थोड़ा सा सिकोड़ लिया ताकि भीमा चाचा के खिचाव से गाउन उसके तन से आलग हो सके

जैसा दोनों चाहते थे वैसा ही हुआ गाउन एक झटके में अपनी जगह छोड़ चुका था और फिसलता हुआ कामया के पैरों पर ढेर हो गया
भीमा की नजर अपने सामने खड़ी हुई उस अप्सरा पर जम सी गई थी वो अपने सामने खड़ी उस मूरत को देख रहा था जिसे देखने को शायद इस धरती के सारे आदमी एक दूसरे का खून कर दे वो उसे सामने किसी संगमरमर की मूरत के समान खड़ी उसके अगले कदम का इंतजार कर रही थी भीमा चाचा की हथेली अब धीरे धीरे बहू की टांगों की शेप लेते हुए ऊपर और ऊपर की ओर उसकी जाँघो तक पहुँच चुकी थी वो धीरे धीरे उसका मुलायम पन और कोमलता को अपने अंदर समेटने की कोशिश कर रहे थे वो अब थोड़ा सा उठ गये थे और अपने घुटनों के बल हो के कामया क़ी जाँघो को और जाँघो के बीच में फँसी हुई पैंटी को अपने होंठों से छूने लगे थे आज वो बहुत ही नाजूक्ता से अपने हाथों में आई इस परी को


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इस अप्सरा को अपने हाथों से टटोलना चाहते थे वो इस सुंदरता को अपने जेहन में समेट कर रखना चाहते थे उनके हाथ कामया को ठीक से पकड़े हुए थे और होंठों से बहू को चूमते हुए ऊपर की ओर उठ रहे थे कामया अब भी वैसे ही खड़ी हुई भीमा चाचा के प्यार करने के इस तरीके को देख रही थी और अपने अंदर उठ रहे ज्वार को अपने अंदर ही दबाने की कोशिश कर रही थी भीमा चाचा के प्यार करने के इस तरीके से कामया बहुत हुई उत्तेजित हो चुकी थी उसकी जाँघो के बीच में एक आलग तरीके की सिहरन सी होने लगी थी पर भीमा चाचा को उसने नहीं रोका वो थोड़ा सा और आगे को हो गई ताकि भीमा चाचा उसको कस कर पकड़ सके

अब भीमा चाचा की दोनों बाँहे उसके नितंबों के चारो तरफ घिरी हुई थी और बहुत ही हल्के ढंग से उसे अपने खुरदुरे हाथों से और मोटे-मोटे होंठों से प्यार कर रहे थे उनके हाथों के चलने ढंग से यह तो साफ था कि आज भीमा चाचा को कोई जल्दी नहीं थी बहुत ही आराम से और धीमे तरीके से वो आज अपने काम में लगे थे हर एक कोने को वो अपने होंठों से और अपने हाथों से छूकर देखना चाहते थे और कामया को भी कोई आपत्ति नहीं थी वो अपने आपको घुमाकर भीमा चाचा को अपने शरीर के हर कोने में पहुँचने की कोशिश को और भी सहारा दे रही थी वो घूमती तो चाचा को और भी तेजी आ जाते थे उसके हाथों को अब कोई नहीं रोक सकता था उनके हाथों को अब हर कोने में घूमते हुए बहू की पीठ तक और फिर उसके नितंबों तक ले आते थे अब तो उनके होंठों को कामया की पैंटी के ऊपर भी घुमा देते थे और तो और अपनी जीब को निकाल कर उसकी पैंटी को गीला भी करने लगे थे

कामया को जैसे ही भीमा चाचा की इस हरकत को अपनी पैंटी के ऊपर से हुआ तो वो लगभग चिहुक कर थोड़ा और तन गई थी उसके हाथ भी अब तो भीमा चाचा की बालों भारी पीठ पर घूम रहे थे और अपने पास खींच रहे थे वो खड़ी कैसे थी पता नहीं पर अगर भीमा चाचा थोड़ा सा ढीला छोड़े तो वो ढल कर उनकी बाहों के घेरे में पहुँचने को तैयार थी पर भीमा चाचा उसे नहीं छोड़ रहे थे और कसे हुए उसके शरीर को चूम चाट रहे थे अब तो भीमा चाचा के हाथ उसकी पैंटी के अंदर तक पहुँच गये थे और धीरे-धीरे उसकी जाँघो तक और फिर टांगों तक ले आए थे फिर थोड़ा सा रुके और अपने आपको थोड़ा सा पीछे करके उस नग्न सुंदरता को अपने जेहन में उतारने लगे कामया तो काँप रही थी उसकी सांसें अब रुक रुक कर चल रही थी नाक और मुख से निकलने वाली साँसे अब बहुत तेज हो गई थी सांस छोड़ने के साथ ही उसके मुख से एक हल्की सी सिसकारी भी निकलती जा रही थी पर उस कमरे के बाहर तक जाने लायक नहीं थी हाँ … पर इस चीज का ध्यान दोनों को ही था
कामया- बस चाचा अब और नहीं अब करो प्ली ज
भीमा- हाँ … बहू थोड़ा सा रुक तुझे ठीक से देख तो लूँ

कामया- नहीं सहा जाता अब प्लीज करो अ ब
भीमा- हाँ … उूुुउउम्म्म्मममममममम म
करता हुआ बहू की योनि के ऊपर अपनी जीब को चलाने लगा था उन घने बालों के बीच में और उनके ऊपर और दोनों हाथों से कस कर बहू को जकड़े हुए थे कामया के दोनों हाथ अब भीमा को पीछे की ओर धकेल रहे थे पर भीमा के जोर के सामने वो कहाँ तक टिक सकती थी वो खड़ी-खड़ी भीमा चाचा की हर हरकत को झेल रही थी हाँ झेल ही रही थी उसमें इतनी ताकत नहीं थी कि वो भीमा को पटक कर उसके ऊपर सवार हो जाती या फिर उसे धकेल कर उसे अपने अंदर समेट लेती वो खड़ी रही और अपना चेहरा उठाकर अपनी सांसों को कंट्रोल करने की कोशिश करती जा रही थी
और भीमा तो जैसे पागल हो गया था वो अपने चेहरे को बहू की योनि तक पहुँचाने की कोशिश में लगा था पर बहू के इस तरह से अकड कर खड़े होने से वो यह नहीं कर पा रहा था उसने अपनी पकड़ को थोड़ा सा ढीला छोड़ा और अपने एक हाथ को झट से उसकी जाँघो के गप में डाल दिया
कामया भी जैसे भीमा चाचा के इशारे को समझ गई थी उसने भी थोड़ा सा अपनी जाँघो के गप को बढ़ा दिया ताकि भीमा चाचा उसकी योनि तक पहुँच सके वो खड़ी थी पर कब गिर जाएगी उसे नहीं पता था

भीमा ने जैसे ही बहू को अपनी जाँघो को ढीला छोड़ते देखा वो अपनी उंगलियों को बहू की योनि में पहुँचाने में कामयाब हो गया और बहुत तेज़ी से अचानक से अपनी उंगलियों को बहू की योनि के अंदर-बाहर करने लगा बहुत ही तेजी से

कामया इस अचानक आक्रमण के लिए तैयार नहीं थी वो भीमा चाचा के धीरे-धीरे चल के आगे थोड़ा सा झुकी थी पर इस तरह से करने से वो पागलो की तरह से मचलने लगी थी वो अचानक हुए हमले से और भी कामुक हो गई थीऔर बहुत ही तेज आवाज उसके मुख से निकलने लगी थी

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और अचानक ही उसके अंदर जैसे कोई ताक़त आ गई थी उसकी उंगलियों ने भीमा चाचा के बालों कस्स कर जकड़ लिया था और अपनी योनि के पास तक खींच लिया था और फिर एक ही धक्के में वो भीमा चाचा को नीचे अपनी योनि के पास खींचने लगी थी भीमा ने भी बहू की इच्छा को नजर अंदाज नहीं किया और जल्दी से अपनी उंगली को निकाल कर अपने होंठों को उसकी योनि के मुख पर जोड़ दिया वो उन दोनों पंखुड़ियों को अपने होंठों के बीच में दबाकर जोर-जोर से चूसने लगा था

कामया तो जैसे पागल हो गई थी भीमा चाचा की इस हरकत से उसके शरीर में एक गजब की फुर्ती आ गई थी वो अब शेरनी की तरह हो गई थी अपनी जाँघो के बीच में भीमा चाचा को दबाने के लिए वो थोड़ा और आगे बढ़ गई थी और अपनी दोनों हथेली को भीमा चाचा के बालों पर कस्स कर जकड़ दिया था भीमा भी पूरे मन से उस अप्सरा की योनि के रस में डूबा हुआ था और अपने आप पर से काबू हटा लिया था वो अब बहू के हाथों का पुतला बन गया था जैसा वो चाहती थी करने को तैयार था
बहू के धकेलने से और अपनी जाँघो को भीमा के माथे के चारो और कसने से भीमा थोड़ा सा पीछे की ओर हो गया था वो लगभग लेटने की स्थिति में आ गया था और बहू उसके चेहरे पर अपनी योनि को और भी सटाती जा रही थी पता नहीं कहाँ से बहू के शरीर में इतना जोर आ गया था कि वो भी अपने को बैठाकर नहीं रख सका और बहू के धकेलने स े , धूम से बिस्तर पर गिर गया


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Erotic update
 

Tiger 786

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चाचा के गिरते ही कामया तो जैसे पागल की तरह से अपनी योनि को चाचा के मुख के अंदर तक उतार देना चाहती थी वो अब पूरी तरह से भीमा चाचा के चेहरे के ऊपर बैठी थी और सिसकारी और आहे भरती हुई जाने क्या के बके जा रही थी
कामया- आआआआआआह्ह और चाचा और अंदर तक चूसो और
और वो अपनी कमर को भी बहुत तेजी से भीमा चाचा के चेहरे पर चलाने लगी थी जैसे कोई सवारी पर थी हाँ राइड पर ही थी वो अपने शरीर के सुख की राइड पर भीमा चाचा की जीब की राइड पर और अपनी योनि को संतुष्ट करने की राइड पर वो पागलो की तरह से उचक उचक कर बार-बार भीमा चाचा के होंठों के बीच में अपनी योनि को दबाती जा रही थी भीमा भी नीचे पड़ा हुआ अपनी जीब और होंठों को पूरी तरह से एक के बाद एक को यूज़ करता हुआ बहू को आनंद के सागर में सैर कराने को तैयार था वो भी बहू की जाँघो को कसकर पकड़कर अपने चेहरे पर घिस रहा था और कभी-कभी अपने हाथों को बढ़ा कर उसकी चुचियों को भी जम कर निछोड़ देता था बहू तो जैसे पागल सी हो गई थी इतनी जोर ज्ज़ोर से अपने आपको उसके चेहरे पर उचका रही थी जैसे वो अपनी योनि की आग को जिंदगी भर के लिए ठंडा करना चाहती हो

पर भीमा को कोई आपत्ति नहीं थी वो तो इस सुंदरता की देवी कैसे भी और किसी भी स्थिति में भोगना चाहता था और खूब भोगना चाहता था उसके जीब और होंठो के कमाल के आगे बहू और ज्यादा देर टिक नहीं सकती थी यह वो अच्छे से जानता था क्योंकी बहू की कमर की तेजी से वो परिचित था वो अब लगभ ग , एक पिस्टन की तरह उसके चहरे पर अपनी चूत घिस रही थी और उसने दोनों हाथों से भीमा चाचा के बालों को और भी कस्स कर जकड़ लिया था भीमा के बाल उखड़ने को थे कि कामया के मुख से एक लंबी सी सिसकारी निकली और उसके हाथों का जोर फिर से कस गया था भीमा के बालों पर और कामया अपने शिखर पर पहुँच गई थी उसकी योनि से जैसे गंगा जमुना की धारा निकल गई हो वो अपनी योनि के अंदर की ज्वाला को शांत करते हुए पीछे की ओर गिर पड़ी और भीमा चाचा के लिंग से उसका चहरा टकराया जो कि पूरी तरह से उसके लिए तैयार था पर भीमा चाचा ने उसे इतना थका दिया था कि वो अब उसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी उसके गिरते ही भीमा ने अपने को उसकी जकड़ से आजाद किया और एक लंबी सी सांस ली् और अपने लिंग को बहू के गले के पास घिसने लगा था उसकी साँसे बहूत लंबी-लंबी चल रही थी पर उसकी उत्तेजना अभी भी नहीं थमी थी उसका हथियार तो अब भी तैयार था इस काम की देवी को भेदने को

भीमा ने अपने ऊपर से बहू को थोड़ा सा हिलाकर नीचे अपने बिस्तर पर रखा और उठकर अपनी धोती से अपने चेहरे को पोछने लगा बिस्तर पर पड़ी हुई उसकाम की देवी को देखता रहा जो कि अपनी सांसों को कंट्रोल कर रही थी नग्न पूरी तरह से और उसके बिस्तर पर वो देखता ही रहा उसका मन नहीं भर रहा था उसे देखने से अपने हाथों से उसने बहू के चहरे को अपनी ओर किया

अधखुली आखों से बहू ने जब उसकी ओर देखा तो उूुुउउफफफफफ्फ़ क्या ना करले भीमा पर अपने को नियंत्रित करते हुए दोनों जाँघो को जोड़ कर वो पालती मारकर बहू के चहरे के पास बैठ गया और दोनों हाथों से उसके सिर को उठाकर अपनी गोद में रख लिया उसका लिंग अब बहू के चहरे से टकरा रहा था और उसके होंठों से भी कामया के चहरे पर जैसे ही लिंग टकराया वो आखें बंद किए हुए थोड़ा सा अपने होंठों को खोल लिया और भीमा ने जरा भी देर नहीं की और अपने लिंग का थोड़ा सा हिस्सा बहू के होंठों के बीच में फँसा दिया


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Nice update
 

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भोला- जी जो हुकुम बाबूजी
और वैसे ही अपने दोनों हाथों को बाँधे , सिर और नजर झुकाए खड़ा रहा
पापाजी- बाहर क्या चल रहा है
भोला- जी जैसा आपने कहा था जी वैसा ही
पापाजी- देखना बड़ा प्रॉजेक्ट है तेरे जिम्मे किया है भैया को बड़ा विस्वास है तेरे ऊपर कही कोई गलती ना हो जाए
भोला- जी बाबू जी जान हाजिर है म्हारी कोई गलती हो जाए तो
पापाजी- हाँ … हाँ एक बात और अगर बहू आती है तो जरा ध्यान रखना हाँ …
भोला- जो हुकुम बाबू जी कोई गलती नहीं होगी बाबू जी
और फिर पापाजी भोला को कुछ इन्स्ट्रक्षन देते रहे जो की कामया ने ध्यान से नहीं सुना था क्योंकी वो तो ध्यान से भोला को ही देख रही थी वो जैसे खड़ा था उससे लग रहा था कि वो एक कर्तव्य निष्ठ व्यक्ति है कही से कोई बात उसे नहीं लगी की इस आदमी पर अगर कामेश ने या फिर पापाजी ने भरोसा किया है तो कोई गलती की है वो तो नजर झुकाए जिस तरह से पापाजी की बातों का जवाब दे रहा था उससे तो लगता है उसका जीवन ही इस परिवार के लिए है
तो क्या भीमा और लाखा ने उसे झूठ कहा है कि वो एक बदमाश है या फिर यह दिखता ऐसा है है कुछ और पर है किसी जंगली का सांड़ काला भद्दा सा उँचा लंबा और बदसूरत सा जंगली सा पर है ईमान दार
वो सोच ही रही थी कि पापाजी जी आवाज ने उसे चौका दिया
पापाजी- बोर हो रही है बहू
कामया- जी नहीं
पापाजी- चल अब शो रूम चलते है
कामया- जी
और वो पापाजी के साथ बाहर निकल गई बाहर जाते हुए भी उसकी नजर भोला के ऊपर ही थी पर ना वो अपनी नजर उठाकर कामया को देखा ऑर ना ही उसने कोई ऐसी कोई हरकत ही की जिससे कि वो कुछ उसके बारे में कोई निसकर्ष निकालती वो पापाजी के पीछे-पीछे बाहर गाड़ी तक आ गई और गाड़ी वापस सड़क पर दौड़ने लगी
गाड़ी शो रूम के आगे रुकी ड्रेस पहने हुए दरवान दौड़ता हुआ आया और डोर खोलकर सलामी की मुद्रा में खड़ा हो गया
शो रूम खचाखच भरा हुआ था पापाजी के साथ वो भी थोड़ा सा साइड लेते हुए काउंटर के पीछे चली गई और पीछे साइड में उसके बने अलग से केबिन में घुस गई वहां कामेश भी बैठा हुआ था
बड़ा ही सुंदर सा आफिस था पहले भी आई थी पर आज कुछ बदला हुआ सा दिख रहा था वो मुस्कुराती हुई कामेश के आगे पड़े चेयर पर बैठ गई
कामेश- देखा कैसा लगा मेडम
कामया - , जी , देखा अच्छा है
कामेश- बड़ी देर लगा दी तुम लोगों ने
कामया- कहाँ हम तो जल्दी ही निकल आए थे
कामया ने घड़ी की ओर देखा हाँ … ठीक ही कह रहा था कामेश दो बज चुके थे टाइम का नहीं चला
कामेश- ऐसे ही टाइम लग जाता है और तुम गुस्सा करती हो है ना
कामेश के कहने के साथ ही पापाजी की हँसी भी सुनाई दी वो पास के गद्दी में ही बैठे थे कामया झेप सी गई
कामया- मैंने कब गुस्सा किया
कामेश- अरे छोड़ो हाँ … कैसा लगा वो सबकुछ टाइम पास करने के लिए चली जाया करो हाँ …
कामया- जी देखती हूँ
और फिर कामेश कामया और पापाजी आपस में बहुत सी बातें और नोक झौंक करते रहे कामया भी सब कुछ भूलकर अपने को वहीं इन्वॉल्व करती हुई सभी की बातों का जबाब भी देती और साथ कुछ काम को भी देखती हुई बैठी रही
बीच बीच में पापाजी ने उसे याद भी दिलाया कि अगर घर जाना हो तो लाखा को बोल देता हूँ पर कामया को इस तरह से आज पहली बार मजा आने लगा था लोगों की नज़रों में जो इज्ज़त उसे मिल रही थी वो भी उसे आज तक नहीं मिली थी वो शोरुम में काम करने वालों से भी , मिली बहुत से लोग थे कुछ लड़कियाँ भी थी सेल्स गर्ल्स और कुछ बहुत ही पुराने लोग भी था कुछ बिज़नेस क्लाइंट्स से भी मिली कुछ फ्यूचर इन्वेस्टर्स से भी कुछ फ्यूचर पार्ट्नर्स से भी पर सभी बोर थे हाँ एक बात कामन थी सब में उसपर जिसकी नजर पड़ी वो थोड़ी देर के लिए ठहर जरूर गई थी चाहे वो बूढ़ा हो या फिर आधेड़ या फिर जवान हो ज्यादा तर लोग तो यह जानकर बहुत खुश भी हुए कि कामया अब उस प्रॉजेक्ट की इंचार्ज होने वाली थी
तभी एक फोन के आने से कामेश उठ खड़ा हुआ र
कामेश- पापाजी तो में कामया को लेकर चलता हूँ आप भी जल्दी बढ़ा कर आ जाना
पापाजी- हाँ … हाँ … ठीक है तू जा अच्छा बहू
कामया को कुछ समझ नहीं आया कि कामेश आज इतनी जल्दी , घर जाने को क्यों है अभी तो शाम के 5 ही बजे है पर वो तो खुश थी चलो
कामया कामेश के साथ बाहर शो रूम से निकली बाहर लाखा गाड़ी लिए इंतजार कर रहा था
कामया- पर पापाजी कैसे आएँगे
कामेश- अरे यार तुम चलो तो पापाजी भी आ जाएँगे
कामया कुछ भी नहीं समझ में पाई वो गाड़ी में बैठ गई और गाड़ी सड़क में दौड़ने लगी थी पर घर की ओर नहीं जा रही थी कही और ही जा रही थी वो अपने पति की ओर देखती पर वो मुस्कुराकर होंठों पर उंगली रखकर उसे चुपचाप रहने का इशारा किया वो भी चुपचाप मुँह फूलाकर बैठ गई थोड़ी देर में गाड़ी एक कार के शोरुम में घुसी
बाहर मेर्सिडीज बेन्ज़ लिखा हुआ था
उसने घूम कर अपने पति की देखा वो मुस्कुरा रहे थे
कामेश- अरे मेडम जी आप हमारे एमडी हो यह सब छोटी मोटी कार में हम घूमेंगे आप तो मेर्सिडीज में घुमो
कामया का चेहरा लाल हो गया था वो सामने बैठे हुए लाखा काका की ओर एक बार देखा जो कि मुस्कुराते हुए नीचे उतर रहे थे और डोर खोलकर खड़े हो गये थे

बाहर आते ही शोरुम का मैंनेजर दौड़ता हुआ आया और कामेश और कामया को नमस्ते करते हुए अंदर अपने शोरुम में ले आया गाड़ी के शोरुम में आज पहली बार कामया आई थी वहां के लोगों और लड़कियों को देखकर कामया भोचक्की रह गई थी क्या हैंडसम और स्मार्ट लड़कियाँ और लड़के थे बहुत ही तरीके से और अदब से बातें करते और हँसी मजाक करते हुए अपने काम में लगे थे शो रूम का मालिक भी उनसे आके मिला और उन्हें अंदर अपने केबिन में ले गया वहां जब तक वो लोग बातें और चाय काफ़ी पीते रहे कामया का पूरा ध्यान वहां के वातावरण पर ही था वो सोच रही थी कि ऐसा भी वातावरण होता है किसी शोरुम का क्या वो भी ऐसा कर सकती है इतनी सुंदर सुंदर लड़कियाँ है और वैसे ही लड़के भी सभी टाई और शर्ट पैंट पहने हुए थे लड़कियाँ जरूरत से ज्यादा टाइट शर्ट और पैंट पहने हुए थी और लड़के भी अपने आपको हैंडसम दिखाने के लिए कुछ भी बने हुए थे
वहाँ बैठे बैठे वो सभी की ओर देख रही थी और अपने में सभी विब्रान को समेट कर रखती जा रही थी इतने में कामेश की आवाज ने उसे चोका दिया
कामेश- कहाँ खो गई है मेड म
कामया- जी बस क्यों
कामेश- आपकी गाड़ी तैयार हो रही है कुछ और काम हो तो बता ओ
कामया- नहीं मेरी गाड़ी
कामेश- और क्या तुम्हारी गाड़ी भाई एमडी हो आखिर
कामया-धात आप भी मेरी गाड़ी क्यों
कामेश- नहीं तो क्या हमारी गाड़ी में रोज जाओगी
कामया- मैंने अभी तक कुछ सोचा नही है और आपने मेरे लिए गाड़ी भी खरीद ली
कामेश- अरे गाड़ी तो बहुत दिनों से खरीदना ही था यह तो एक बहाना है कि तुम्हारे लिए वैसे भी एक और गाड़ी चाहिए थी
कामया- क्यूँ
कामेश- अरे तुम्हारे लिए और क्या कही आना जाना हो तो
कामया- पता नहीं क्या-क्या करते रहते हो और यह बार-बार एमडी कहना बंद कीजिए
कामेश- हीही अरे तुम तो वाकाई नये एक्सपोर्ट हाउसकी एमडी हो यार याद है कुछ दिनों पहले तुमसे कुछ पेपर्स साइन कराए थे वो वही तो थे तभी से ही तो हमने डाइमंड्स और स्टोन का काम चालू किया था
कामया- तो तब क्यों नहीं बताया था
कामेश- अरे यार अब झगड़ा मत करो और गुस्सा भी नहीं हाँ … हीही

2022-01-29-4
 
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Coquine_Guy

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कामया चुपचाप बैठ गई वो नहीं जानती थी कि आगे आने वाले कल में उसके साथ क्या होने वाला था पर एक अजीब सी , खुशी या फिर कहिए अजीब सी उत्तेजना उसके जेहन में थी वो रह रहकर इधर उधर देखती थी और ठीक से बैठने की कोशिश करती जा रही थी वो अंदर ही अंदर पता नहीं क्यों बहुत ही उत्तेजित होती जा रही थी उसके मन और तन की स्थिति ठीक नहीं थी वो कामेश के साथ कुछ अकेला पन चाहती थी पर कामेश तो बस आज ऐसा उलझा हुआ था की जैसे सभी काम उसे आज ही अजाम देना था
शाम के 7 30 बज गये थे जब उन्हें गाड़ी डेलिवर हुई तो कामेश और कामया बाहर आए और पहली ही नजर में कामया गाड़ी बहुत पसंद आई काले रंग की गाड़ी टिंड ग्लास और बहुत ही सुडोल और लंबी सी गाड़ी वाह मजा आ गया उसने उस गाड़ी को घूमकर एक बार देखा और कामेश की ओर देखकर मुस्कुरा ई
वहाँ खड़े हुए बहुत से लड़के लड़कियों ने कामया से हाथ मिलाकर उसे अपनी नई और पहली गाड़ी के किए विश भी किया और कामेश ने मुस्कुराते हुए
कामेश- मेडम चले
कामया जल्दी से घूमकर अपनी सीट पर बैठ गई और कामेश भी ड्राइविंग सीट पर
कामेश- लाखा पापाजी को लेकर आएगा आज हम आपके पहले ड्राइवर है मेडम क्या मिलेगा
उसकी बातों में शरारत थी
कामया- हाँ … ड्राइवर सिर्फ़ गाड़ी चलाते है और मेडम को घर छोड़ते है बस उसके लिए उन्हें तनख़्वाह मिलती है बस
कामेश- पर यह ड्राइवर तो आपका अपना है इन्हें तो बहुत कुछ चाहिए
और गाड़ी कब स्टार्ट हुई पता भी नहीं चला धीरे से गाड़ी बिना आवाज के शोरुम के बान्ड्री से बाहर निकल गई और बड़ी ही शान से सड़क पर दौड़ने लगी अंदर कामे श और कामया में नौक झौक चल ही रही थी कामेश बार-बार कामया को मेडम और एमडी कहकर छेड़ रहा था पर अब कामया को इस तरह से संबोधन अच्छा लगने लगा था वो अब अपने को तैयार कर चुकी थी अब वो वाकई मे एमडी बनने को तैयार थी वो भी रोज सुबह पापाजी और कामेश की तरह अपनी गाड़ी से अपने आफिस जाएगी और वहां की इंचार्ज होगी उसके हाथों के नीचे बहुत से लोग होंगे जो कि हमेशा अपनी नजर नीचे किए हुए उसके सामने मेडम जी मेडम जी कहते फिरेंगे
वो एक अंजानी खुसी के पीछे भागने लगी थी वो बहुत खुश थी उसके चेहरे को ही देखकर यह लगता था गाड़ी पता नहीं कहाँ जा रही थी कामया को इससे कोई मतलब नहीं था वो अपने विचारों में ही गुम थी पर जब गाड़ी किसी रेस्तरॉ में रुकी तो वो थोड़ा सा ठिठकि और कामेश की ओर मुड़कर देखने लगी
कामेश- अरे यार थोड़ा सा सेलिब्रेट भी तो करना है
कामया---घर चलते है वही सेलेब्रेट करेंगे पापाजी भी आते होंगे
कामेश- अरे पापाजी को छोड़ो वो तो पहुँच ही जाएँगे हमें तो आपके साथ सेलेब्रेट करना है चलो
और कामेश और कामया दोनों रेस्टोरेंट में दाखिल हो गये बहुत कुछ आर्डर कर दिया और आखिर में एक-एक मार्टिन भी आर्डर किय ा
कामया- दो किसलि ए
कामेश- एक मेरे लिए और एक तुम्हारे लिए
कामया- मेरे लिए पागल हो गये हो में नहीं पीउँगी
कामेश- अरे यार मार्टिनी ही तो है एक में कुछ नहीं होता
कामया-- नहीं नहीं नशा हो गया तो बाप रे नहीं
तब तक वेटर मार्टिनी भी ले आया तो कामेश ने एक तो अपने लिए उठा लिया और दूसरा कामया की ओर बढ़ा दिया
कामेश- देखो कितने सारे लोग बैठे है और सभी लडीस या लड़कियाँ एक दो पेग पी रही है अरे यार कुछ नहीं होता
कामया- नहीं बस
कामेश- तुम्हारी मर्ज़ी पर एक घुट तो ले ही सकती हो सिर्फ़ मेरी खातिर सेलेब्रेशन के लिए
कामया ने ग्लास उठ लिया और कामेश ने चियर्स किया
कामेश- नये एमडी और गाड़ी के लिए
और हँसते हुए एक लंबा सा घुट मार लिया कामया ने भी एक छोटा सा घुट लिया कोई बहुत बुरा स्वाद नहीं था पर डर था अंदर इसलिए ग्लास रख दिया
कामेश- बुरा लगता हो तो छोड़ देना नहीं तो एक पेग में कुछ नहीं होता
कामया- नहीं घर में सब है अगर पता चल गया तो गजब हो जाएगा
कामेश- अरे यार मम्मी तो है नहीं जब तक जाएँगे पापाजी भी सो चुके होंगे कुछ नहीं होता पी लो पर धीरे-धीरे
कामया भी सोचने लगी ठीक ही तो है कौन सा पापाजी के पास जाना है और पी भी रही है तो अपने पति के साथ और उसी के कहने पर कोई दिक्कत हुई तो कामेश तो है ही
खाना आने तक कामाया ने धीरे-धीरे एक पेग खतम कर दिया था और कामेश का साथ दे चुकी थी पर कामेश ने दो और पेग आर्डर कर दिया कामया गुस्से से कामेश की ओर देखी वो दो पीचुका था फिर से दो क्यों
खाने के साथ ही कामया ने दो और कामेश के तीन पेग पीचुके थे कामया का शरीर उड़ रहा था वो बिल्कुल बेफिक्र थी बहुत मजा आ रहा था आज पहली बार उसने शराब चखी थी या पी थी उसे बहुत अच्छा लग रहा था उसके शरीर में एक अजीब सी फुर्ती आ गई थी वो कामेश की हर बात पर बहुत ही ज्यादा चाहक रही थी या फिर जोर-जोर से हँस रही थी कामेश भी नशे की हालत में था वो देखकर ही अंदाज़ा लगा सकती थी पर वो तो खुद ही अपने काबू मे नहीं थी चुननी कहीं जा रही थी और कदम भी ठीक से नहीं पड़ रहे थे
हां पर मजा बहुत आ रहा था वो और कामेश लगभग झूलते हुए एक दूसरे को सहारा देते हुए बाहर अपनी गाड़ी पर आ गये थे और घर की ओर रवाना हो रहे थे
गाड़ी में बैठे ही कामेश थोड़ा सा चुपचाप था पर कामया तो बिल्कुल बिंदास हो गई थी
कामया- चलो अब ड्राइव र
कामेश- हाँ … कुछ मीठा हो जाए
कामया- यहां नहीं घर चलो
कामेश- पति हूँ प्लीज थोड़ा सा बाकी घर में ठीक है
कामया- नहीं कोई देख लेगा नहीं
कामेश- अरे यार देखने दे पति हूँ कोई ऐसा वैसा नहीं हूँ
और कामया के बिना पूछे ही उसने कामया के माथे के पीछे हाथ फँसा कर कामया को अपने पास खींच लिया और एक लंबा सा चुंबन उसके होंठों पर जड़ दिया कामया कुछ कहती तब तक तो हो चुका था जो होना था


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