वो अपने दोनों हाथों से कामया की पीठ का हर कोना टटोल चुका था और अब अपने हाथों को उसके कंधों के ऊपर और एक हाथ को उसके नितंबो के ऊपर रखकर अपने आपसे जोड़े रखा था और अपनी धक्कों की रफ़्तार को धीरे-धीरे बढ़ाने लगा था अब तो कामया की कमर को भी वो अपनी जाँघो पर टिकने नहीं दे रहा था और नहीं कामया ही उसकी जाँघो पर टिक रही थी उसकी भी हालत लगता था कि भोला के जैसी हो गई थी वो भी थोड़ा सा उठकर भोला के हर धक्के को उपने अंदर समा लेने को तैयार थी और भोला के कंधे पर लटकी हुई थी वो उसके माथे को कसकर पकड़े हुए अपनी कमर को थोड़ा सा उचका करके भोला को जगह बना के देना चाहती थी , कि करो और करो
कामया- आअह्ह प्लीज बस रुखना नहीं बस रुखना नहीं और जोर से और जोर से
भोला- मेमसाहब ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्बबब आआआआआआआआह् ह
कामया-- रुकना नहीं प्लीज थोड़ी देर और प्ली ज
भोला- मेमसाहब कितनी खूबसूरत हो आप्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प कितनी प्यारी हो आप
लगता था कि जैसे भोला अपने मन की बातें अभी ही कामया को बता देना चाहता था पर कामया के कानो में कोई बातें नहीं जा रही थी उसका तो पूरा ध्यान भोला के लिंग की तरफ था जो कि अब तो दोगुनी रफ़्तार से उसके अंदर-बाहर हो रहा आता
कामया- बस स्बस सस्स्शह अह्हहहहहहहह उूुुुुुुुुुुुुुुुुउउम्म्म्मममममममममम म
और कामया एक झटके से उसके गले में लटक गई थी और हर धक्के को फिर से उपने अंदर तक उतारने के लिए जो कि उसने आपने आपको उठा रखा था धीरे-धीरे बैठने लगी थी पर पकड़ अब भी उतनी ही सख़्त थी और सांसों का चलना तो जैसे कई गुना बढ़ गया था वो स्थिर रहने की कोशिश कर रही थी पर भोला के धक्के पर हर बार उचक जाती थी अपनी पकड़ को बनाए रखने के लिए वो और भी जोर से भोला के गले के चारो और अपनी पकड़ बनाए हुए थी और उसको उसके मुकाम पर पहुँचाने की कोशिश करती जा रही थी
वो नहीं चाहती थी कि भोला को बीच में ही छोड़ दे पर हिम्मत और ताकत की कमी थी उसमें थकि हुई थी और हर एक धक्का जो कि भोला की कमर से लग रही थी हिल सी जाती थी वो हर धक्के पर उसका बंधन चूत जाता था और बहुत रोकने पर भी उचक कर उसके माथे से ऊपर चली जाती थी भोला को भी उसकी परिस्थिति समझ में आ रही थी पर वो अपने अंदर जाग उठे हैवान से लड़ रहा था और बहुत ही धीरज से काम ले रहा था पर कामया के झरने से और उसके निढाल हो जाने से उसके अंतर मन को शांति नहीं मिल रही थी वो जो चाहता था वो नहीं हो पा रहा था वो एक बार अपने होंठों को कामया के गालों से लेकर उसके होंठों तक घुमाकर कामया को फिर से उत्साहित करने की कोशिश करता रहा पर.........
कामया तो जैसे धीरे-धीरे निढाल सी होती जा रही थी और अपना शरीर का पूरा भार भोला के ऊपर छोड़ कर अपनी ही दुनियां में कही खो जाना चाहती थी पर भोला अपने मन की किए बगैर कहाँ मानने वाला था अपने दोनों टांगों को जोड़ कर वो एक बार उकड़ू बैठ गया और कामया को अपनी गोद में चढ़ा कर वो उसे टब में लिटाने लगा था ताकि वो अपनी जिद पूरी कर सके पर जैसे ही वो कामया लिटाया था कामया का मुँह पानी में डूबने से एक झटके से उठकर भोला के गले से लिपट गई थी
भोला को समझ में आ गया था कि अब आगे क्या करना है वो धीरे से टब का स्टॉपर निकाल कर शावर का नॉब चालू कर दिया और कामया को फिर से लिटा दिया था अब वो आजाद था कामया के शरीर को एक बार अपने लिंग को घुसाए हुए योनि की ओर देखता हुआ पानी की एक-एक बूँद उसके शरीर को छूकर टब पर वापस कही खो जाते हुए देखता रहा और वो एक बार फिर से उसके ऊपर झुक गया था और कामया की एक टाँग को टब से बाहर निकाल कर लटका दिया था और दूसरी को वाल और टब के ऊपर टिकाकर अपने लिए रास्ता बना लिया था अब वो आजाद था
अपने मन की करने को कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई थी कामया ने ना ही कोई ना नुकर हाँ … एक शांति जरूर मिली थी कामया को लेटने से ऊपर से गरम पानी की बौछार अब धीरे-धीरे रुक गई थी वो अब डाइरेक्ट उसके ऊपर नहीं गिर रही थी अब वो भोला को छूते हुए उसके ऊपर गिर रही थी और वो उसके शरीर से छूकर आते हुए पानी को पी भी रही थी थकी हुई थी और प्यासी भी पर इस पानी का स्वाद कुछ अलग था शायद भोला के शरीर की गंध उसमें मिली हुई थी और एक अजीब सा नशा भी था
भोला अपने आपको व्यवस्थित करते हुए अपने काम को अंजाम तक पहुँचने में लग गया था और धीरे-धीरे अपने आपको संयम करता हुआ अपने आपको कामया की योनि के अंदर-बाहर पहले धीरे से फिर अपनी स्पीड को निरंतर बढ़ाते हुए अपनी पूरी जान उसमें झौंक दिया था
कामया का शरीर साथ नहीं दे रहा था पर उसका अंतर मन पूरी तरह से भोला का एक बार फिर से साथ देने लगा था उसके झड़ने के बाद से ही वो जो अपना साथ छोड़ चुकी थी वो अब फिर से धीरे-धीरे भोला के हर धक्के के साथ एक बार फिर से जागने लगा था पर हाथ पाँव उसका साथ नहीं दे रहे थे पर शायद मन नहीं भरा था या कहिए कि मन कही भरता है वो तो शरीर साथ नहीं देता पर मन कभी नहीं भरता यही स्थिति थी कामया की हर धक्का उसके अंदर एक उफ्फान को जनम देने लगा था और वो लेटे लेटे अपनी योनि की हलचल को संभालती हुई एक सफर की ओर ना चाहते हुए भी चलने लगी थी भोला का
आमानुष उसके निढालपन ने बढ़ा दिया था शायद हर आदमी में यह बात होती है शायद जीत की खुशी या फिर अपने पुरुसार्थ को दिखाने की खुशी में वो निरंतर आग्रेसिवे होता जा रहा था हर धक्का बहुत ही तेज और कामया को हिला देने वाला होता था एक हुंकार के साथ-साथ एक मजबूत सी पकड़ वो निरंतर बढ़ाए हुए था लगता था कि उसके हाथों से कही कामया छूट नहीं जाए पर कामया कहाँ तक छूटेगी वो तो एक बार फिर से उसके बंधन में एक नये और परम सुख के सागर में गोते लगाने को तैयार हो रही थी भोला की पकड़ इतनी मजबूत थी कि वो चाह कर भी अपने मुख से कोई आवाज नहीं निकल पा रही थी पर उसके कानों में एक दरिंदे की सांसों की और कुछ कहने की आवाज उसे लगातार सुनाई दे रही थी
भोला- बस हो गया मेमसा ब , ब स , थोड़ी देर और र्र उूुउउफफफफफ्फ़
कामया- (सिर्फ़) उूुउउम्म्म्ममम और सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्श ह
अलावा कुछ नहीं कह पा रही थी पर हाँ … उसे कहने की जरूरत भी नहीं थी जिसे कहा था वो कह रहा था ऊपर से गिरते हुए गरम पानी का स्वाद वो ले रही थी और नीचे से एक अलग स्वाद अपने दोनों जोड़ी होंठों से एक-एक करके अलग अलग स्वाद को चख रही थी कामया और एक बार फिर से अपने आपको संभालने की कोशिश करती जा रही थी अब तो धीरे-धीरे उसकी दोनों बाँहे भी भोला के कंधे से होकर उसकी गर्दन के चारो ओर घूमकर उसे अपने आपसे जोड़े रखना चाहती थी और भोला का जानवर अब कोई रहम और आराम के मूड में नहीं था वो लगातार स्पीड से अपने आपको उस मुकाम में पहुँचा देना चाहता था वो लगातार कामया को अपनी बाहों में जकड़े हुए वो अपने आपको पहुँचाने की कोशिश में लगा था उसके मन की हर इच्छाओ को पूरी कर लेना चाहता था वो कभी कभी कामया को पकड़कर निचोड़ता तो कभी उसे छोड़ कर उसकी चुचियों पर
अपने होंठों को रखकर उसका रसपान करता और कभी अपनी स्पीड को मेनटेन करने के लिए फिर से एक गति बनाता हुआ उसे कस कर पकड़ लेता और अपनी कमर को हिलाता हुआ उसके अंदर तक उतर जाता था इसी तरह से करते हुए भोला की जकड कर कामया अपने आपको नहीं रोक सकी और वो धीरे होने लगी थी और भोला भी पर भोला ने एक ही झटके में उसे उठा कर फिर से अपनी गोद में बिठा लिया था और हर धक्का उसके अंदर तक उसके पेट के कही अंदर तक पहुँचने की कोशिश में लगा हुआ था वो जानता था कि अब वो ज्यादा देर का मेहमान नहीं है पर वो हर कुछ कर लेना चाहता था पता नहीं क्या पर हर कुछ करना चाहता था और वो कर भी रहा था अपनी गोद में बिठाए हुए वो कभी कामया को कस कर पकड़ता हुआ अपने आपसे जोड़े रखता था और कभी एक हाथ से उसकी चुचियों को निचोड़ देता था तो कभी उसके नितंबो पर हाथों से एक बार मारता हुआ उसे और पास खींचने की कोशिश करता था
वो क्या करे नहीं जानता था पर एक बात जानता था कि वो अब झड़ने वाला था वो अब ज्यादा देर नहीं रुक सकता था एक ही झटके में वो टब में ही खड़ा हुआ कामया को लेकर वो बाथटब के बाहर की ओर खड़ा होकर कामया को गोद में लेकर उसकी योनि पर वार करने लगा था पर ज्यादा देर नहीं कर पाया और तीन चार झटके में ही वो झड़ने लगा था वो टब के किनारे बैठ गया था और फिर से अपनी स्पीड को कायम रखने की कोशिश करता रहा कामया फिर से लटक गई थी उसके कंधो पर शायद वो भी झड़ चुकी थी और उसमें जान नही बची थी जोश और होश दोनों ही खो चुकी थी वो पर हर धक्के में हिलती जरूर थी और एक आहह सी निकलती थी उसके मुख से दर्द की या शांति की यह नहीं पता पर भोला तो अपने काम को अंजाम दे रहा था उसके कोई फरक नहीं पड़ता था कि कामया कैसे कर रही थी उसे तो अपनी चिंता थी वो अपने आपको झड़ते हुए अपने मन की पूरी तम्माना को पूरी कर लेना चाहता था
वो आज बहुत थक चुका था और जान उसमें भी नहीं बची हुई थी सो वो भी अपने मुकाम में पहुँचने के बाद थोड़ी देर आराम करना चाहता था कामया का शरीर अब उसका साथ नहीं दे रहा था और ना ही उसकी पकड़ ही उसके गले के चारो ओर कसा हुआ था वो अब ढीला पड़ गया था