कामया अब तक थोड़ा सा नार्मल हो चुकी थी जहां तहाँ हाथों का घूमना अब उसे अच्छा लगने लगा था अब तक उसके शरीर ने सिर्फ़ मर्दाना हाथों का स्पर्श ही जाना था पर आज महिलयो के स्पर्श से उसे एक नई बात का पता चला था कि कितना नरम और सुखद स्पर्श था यह कितना जाना पहचाना और बिना किसी जिग्याशा लिए हुए हर कोने को इस तरह से साफ कर रही थी जैसे की तरस रही थी एक अजीब सी उत्तेजना कामया के अंदर जनम लेने लगी थी जाँघो के साथ-साथ जब कोई उंगलियां उसे योनि में टच होती थी तो एक सिसकारी सी उसके मुख से निकल जाती थी पर वहां खड़े किसी को कोई फरक नहीं पड़ रहा था पानी में बैठी हुई कामया ने अपने दोनों बाहों को फैला रखा था या कहिए उन महिलाओ ने ही उसे ऐसा करने को मजबूर कर दिया था
बाहों के साथ-साथ उसकी चुचियों तक को अच्छे से धीरे-धीरे सहलाकर साफ करती जा रही थी वो उसके दोनों ओर बैठी महिलाए बिना किसी संकोच के उसके हर अंग को इस तरह से छू रही थी कि जैसे कोई मूर्ति हो या फिर कोई चीज हो कामया जिसे उन्हें सॉफ और सुंदर बनाना था इसी तरह से महिलाओं ने कामया को इस तरह से मसलना और छुना शुरू किया था क़ी कामया पहले तो थोड़ा सा नियंत्रण में थी पर धीरे-धीरे अपने आपको भूलने लगी थी और उन्ही के सुपुर्द अपने शरीर को धीरे-धीरे उनकी हरकतों के अनुरूप और उसके छूने के अनुरूप अपनी उत्तेजना को और भी आगे की ओर ले जाने लगी थी कोई उसके शरीर को इस तरह से छुए तो क्या वो रुक सकती थी वह फिर कंट्रोल कर सकती थी क्या जहां एक नजर के आगे वो झुक जाती थी और एक स्पर्श के आगे वो अपने आपको सुपुर्द कर देती थी वही जब इतने सारे हाथों का स्पर्श उसके शरीर में होने लगा तो वो अपने आपको और संभाल नहीं पाई थी और धीरे-धीरे उसके शरीर में अंगड़ाई भरने लगी थी अब तो उसकी टांगे भी थोड़ा इधर उधर होने लगी थी और जैसे ही उसकी चुचियों को कोई छूता था तो वो खुद थोड़ा सा आगे होकर अपनी चुचियों को उसकी हथेली तक पहुँचाने की कोशिश करने लगी थी
कामया का शरीर अब उसके नियंत्रण में नहीं था अब उसपर उत्तेजना हावी होती जा रही थी उसके हर अंग में एक अजीब सी कसक और मदभरी और मस्ती का रंग धीरे-धीरे चढ़ने लगा था पर वहां बैठी महिलाए इस बात से अंजान थी शायद किसी को भी कामया का हाल पता नहीं था या कहिए उन्हें सब पता था और वो कर भी इसीलिए रही थी जो भी हो कामया अब जाग सी गई थी आखें खोलकर हर महिला की ओर देखने लगी थी बड़ी-बड़ी आँखों वाली कामया के देखने में भी एक ललक थी जैसे कह रही हो और करो और कामया के साइड में बैठी दोनों महिलाए उसकी बाहों को एक सफेद कपड़े से घिस रही थी और कभी-कभी वही कपड़ा उसके बगल से होता हुआ उसकी चुचियों तक पहुँच जाता था एक लहर सी दौड़ जाती थी उसके अंदर अपनी बड़ी-बड़ी आखों से वो उस महिला की ओर देखती थी पर वो तो चुपचाप अपने काम को अंजाम दे रही थी कामया की जाँघो के पास बैठी दो महिलाए भी इसी तरह से अपने हाथों में लिए तौलिया के टुकड़े से उसकी जाँघो से लेकर पैरों के नीचे तक घिस घिस कर साफ कर रही थी पर जैसे ही वो ऊपर की ओर उठ-ती थी उसकी उंगलियां उसकी योनि को छूती थी कामया एक बार तो गहरी सांस लेकर चुप हो जाती थी पर अब तो जैसे वो उठकर उन्हें और आग भड़काने को उकसाने लगी थी उसने धीरे-धीरे से अपनी जाँघो को उठा लिया था और अपनी खुली हुई बाहों को भी थोड़ा सा अपने पास तक मोड़कर ले आई थी
मनसा- अपने आपको बिल्कुल ढीला छोड़ दे रानी साहिबा
कामया- हाँ … आआआआआआ अ
मनसा- बिल्कुल कुछ ना सोचे यह सब इसकाम में निपुण है आपको कोई दिक्कत ना होगी रानी साहिबा
कामया- हमम्म्मम म
और अपने पास बैठी , हुई महिला के गले में अपनी बाँहे डाल दी थी कामया ने और अपने पास खींचने लगी थी उस महिला ने भी कोई आपत्ति नहीं की और खींचकर कामया से सट कर बैठ गई थी और वही धीरे-धीरे अपने हाथों से कामया की चुचियों के बाद उसके पेट तक गीले कपड़े से साफ करती जा रही थी कामया अपनी दोनों बाहों को खींचने लगी थी और उसके अंदर पास में बैठी हुई महिलाए भी आने लगी थी कामया के खींचने से कोई फरक नहीं पड़ा था उन दोनों को बल्कि खींचकर उसके पास आने पर भी वो अपने काम में ही लगी रही थी बल्कि और ज्यादा ही इन्वॉल्व हो कर लगता था की जैसे रानी साहिबा को उनका काम पसंद आया था इसलिए अपने पास खींचा था पर यहां तो कहानी कुछ और थी कामया की उत्तेजना इतनी बढ़ गई थी कि उसे अब बस कुछ ऐसा चाहिए था कि उसे शांत कर सके पर यहां जो था वो कामया के लिए पर्याप्त नहीं था
अपनी बाहों में भरे हुए दोनों महिलाओं का चेहरा उसके बहुत पास था और उसकी साँसे एक-एक कर उसके गर्दन घुमाने से उसके ऊपर पड़ रहा था पर वो तो एक कट्पुतली की तरह अपने काम में लगी हुई थी पर पास या कुंड के ऊप र बैठी हुई मनसा यह सब ध्यान से देख रही थी और अब वो धीरे से कामया के पास सरक आई थी और अपने हाथों को जोड़ कर ऊपर से ही कामया के गालों पर रख दिया था और धीरे से सहलाने लगी थी आग में घी का काम करने लगा था यह कामया का चेहरा धीरे से ऊपर उठा था होंठ खुले हुए और आखें बंद थी उसकी पर हर अंग जाग चुका था अपने सामने इस तरह के लोग उसने जीवन में पहली बार देखे थे और उनके हाथों का कमाल भी पहली बार ही एहसास किया था कोमल पर सधे हुए हर स्पर्श में एक जादू सा छा रहा था कामया के अंदर एक अजीब सी कसक को जनम दे रहे थे और एक उत्तेजना को जनम दे रहे थे
कामया के चहरे पर जो हाथ मनसा का घूम रहा था वो भी सधे हुए तरीके से अपना काम कर रहे थे गालों से लेकर गले तक और फिर थोड़ा सा नीचे की ओर पैरों के पास बैठे हुए दोनों महिलाए टांगों से लेकर जाँघो तक हाथों के फेरते हुए उसके योनि और गुदा द्वार को कभी-कभी छेड़ देते थे योनि के अंदर एक गुदगुदाहट होने लगी थी पानी के अंदर ही पानी की बोछार होने लगी थी कामया अपने को और नहीं रोक पाएगी वो जानती थी वो भूल चुकी थी कि वो अश्राम में है और उसके पास दस दासियाँ उसे नहला रही है एक के बाद एक अजीब तरह की आवाजें उसके होंठों से निकल रही थी उत्तेजना से भरी मादकता से भरी और हर एक आवाज में एक नयापन लिए हुए मंद आखों से कामया अपने चारो ओर बैठी हुई औरतों को देखती भी थी और उन्हे अपने पास खींचती भी थी वो सारी औरते कामया के हर खिचाव के साथ अब कामया से सटी हुई थी और अपने काम में लगी हुई थी कि जाँघो के पास बैठी हुई दोनों औरतों ने बारी बारी से उसकी योनि को छेड़ना शुरू कर दिया था और पास में बैठी हुई दोनों औरतों ने कामया की चुचियों को धीरे-धीरे मसलना शुरू कर दिया था कभी-कभी उसके निपल्स को भी दबाकर उन्हें साफ करती जा रही थी कामया के मुख से आवाज जो की थोड़ा सा हल्का था अब तक वो और तेज होने लगी थी हाथ पाँव कसने लगे थे
कामया- हमम्म्ममम आआआह्ह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शह उूुुुुुुुउउफफफफफफफफफफफ्फ़
मनसा- ढीला छोड़ दीजिए रानी साहिबा अपने शरीर को हर अंग को धोना और साफ करना जरूरी है आराम से बैठ जाइए आप और हमें अपना काम करने दीजिए बिल्कुल संकोच ना कीजि ए
कामया- पर अजीब सा लग रहा है हमम्म्मम सस्स्स्स्स्शह ,
मनसा- लगने दीजिए रानी साहिबा सब ठीक हो जाएगा
कामया- खूब अजीब सा सस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स लग रहा , आआआह् ह
मनसा- कुछ नहीं है रानी साहिबा आपके शरीर के अंदर का ज्वर है ढीला छोड़ दीजिए निकल जाएगा और ढीला छोड़ दीजिए अपने शरीर को
कामया ने अब अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया था पर उत्तेजना के शिखर पर पहुँचे हुए इंसान को क्या कुछ सूझता है योनि के अंदर तक धीरे-धीरे उन दोनों ने अपनी उंगली पहुँचा दी थी वो भी एक के बाद एक ने और धीरे-धीरे और अंदर तक उसके अंतर मन को छेड़ती हुई सी वो कैसे ढीला छोड़ दे
पर कामया का कोई बस नहीं था अपने ऊपर वो कुछ नहीं कर सकती थी तभी उसके चेहरे को सहलाती हुई मनसा की उंगलियां उसके होंठों को छूकर जैसे ही आगे बढ़ती कामया ने झट से उसकी उंगली को अपने होंठों से बढ़ा लिया था और अपनी जीब से उसे चूसने लगी थी दोनों बाहों में भरे हुए साथ में बैठे हुए दसियो को भी कस्स कर जकड़ लिया था अपनी बाहों में ताकि वो उसकी सांसो के करीब रहे और जाँघो को और खोलकर दोनों पैरों के पास बैठी हुई दासियों के लिए अपने द्वार को खोल दिया था और थोड़ा सा कमर को उँचा कर लिया था
किसी को कोई आपत्ति नहीं थी और सभी अपने काम को अंजाम तक पहुँचाने की कोशिश में थे और बहुत जल्दी में भी नहीं थी थी जल्दी तो सिर्फ़ कामया को जल्दी और बहुत जल्दी
अचानक ही उसने अपनी दोनों बाहों से अपने पास बैठी दासियों को अलग किया और पैर के पास बैठी दासियों की कलाईयों को पकड़ लिया था और होंठों से मनसा की उंगलियों को आजाद करते हुए उन्हें कस कर अपनी जाँघो के पास खींच लिया था और अजीब सी उत्तेजना से भरी आवाजें निकलने लगी थी लगता था कि जैसे अब वो उनकी कलाईयों को पकड़कर अपने तरीके से ही अपने आपको संतुष्ट करना चाहती थी
पर जैसे ही आगे की ओर हु ई
मनसा- रानी साहिबा आप आराम से बैठिए हमें बताइए और बिल्कुल चिंता मत कीजि ए
कामया- हमम्म्म और प्लेआस्ईईईई उूुुुउउफफफफफफफफफ्फ़
और फिर कामया के कंधों को हल्के से पकड़कर मनसा ने उसे फिर से कुंड के किनारे से सटा लिया था और उसके कानों के पास आके धीमे से बोली
मनसा- रानी साहिबा निकलने दीजिए अपने अंदर की उत्तेजना को दबाइए नहीं निकलने दीजिए कोई चिंता मत कीजिए यहां सब आपकी दस और दासियाँ है इस कमरे के बाहर कोई बात नहीं जाएगी सिर्फ़ हुकुम कीजिए रानी साहिबा
कामया- उूउउफफफ्फ़ जोर-जोर से करो उूउउम्म्म्म म
दोनों पास में बैठी हुई दासिया अपने आप अपने काम में लग गई थी अपने हाथों को एक बार फिर से उसकी जाँघो पर से सहलाते हुए उसकी योनि तक पहुँचते हुए उसके अंदर तक पहुँचने की कोशिश फिर से शुरू हो गई थी अब तो , उसके हाथ उसके नितंबू के नीचे तक जाके लगता था की जैसे उसे उठानेकी कोशिश भी कर रही थी कामया को कोई चिंता नहीं थी पास में बैठी हुई मनसा उसके गालों से लेकर गले तक फिर से सहलाने लगी थी और धीरे-धीरे उसके चेहरे पर अपनी सांसें छोड़ती हुई उसे नसीहत भी देती जा रही थी
मनसा- छोड़ दीजिए रानी साहिबा सब चिंता छोड़ दीजिए कुछ मत सोचिए कुछ नहीं होगा सबकुछ यही है और सभी कुछ आपके अंदर है उसे निकलने दीजिए इस उत्तेजना को दबाइए नहीं निकलने दीजि ए
कामया- उउउफफफ्फ़ प्लीज और अंदर तक करो और अंदर तक
और अपने दोनों पास बैठी हुई दासियों को अपनी बाहों में एक बार फिर से भरकर अपनी चुचियों के पास खींचने लगी थी उन्होंने भी कोई देर नहीं की जैसे उन्हें पता था कि क्या करना है दोनों ने कामया की कमर के चारो ओर अपने हाथों को रखकर उसे सहलाते हुए अपने होंठ उसकी चुचियों पर रख दिए और पहले धीरे फिर तेज-तेज अपनी जीब से चुबलने लगी थी कामया का शरीर एक फिर अकड़ गया था और खींचकर पानी के ऊपर की ओर हो गया था नीचे बैठे हुए दोनों दासियों ने उसे उठा लिया था और फिर तो जैसे कामया पागल सी हो गई थी
पैरों के पास बैठी दासिया एक-एक करके उसके जाँघो के बीच में आ गई थी और उसके दोनों जाँघो को बात कर अपने एक-एक कंधे पर लेकर लटका लिया था नितंब के पास अपने हाथों से कामया को उठा रखा था और अपने होंठों को उसके योनि के पास लाकर उसे धीरे-धीरे चाट्ती हुई उसे शांत करने की कोशिश करने लगी थी कामया छटपटा उठी थी
कामया- आआआआअह्ह उम्म्म्म जल्दी प्ली ज
और अपना मुख उठाकर मनसा की ओर देखने लगी थी मनसा ने भी देरी नहीं की और झुक कर अपने होंठ को कामया के सुपुर्द कर दिया था कामया पागलो की तरह से उसके होंठों पर टूट पड़ी थी और अपनी जीब को घुमा-घुमाकर उसके होंठों को और फिर उसकी जीब तक को पकड़कर अपने होंठों के अंदर तक खींच लिया था नीचे की ओर लगी हुई दोनों दासिया उसके बूब्स को अच्छे से चूस रहे थे और एक के बाद एक चुचियों को अच्छे से दबाते हुए उनके निपल्स को अपने होंठों में लेकर चुबलते हुए उसकी कमर से लेकर पेट से लेकर पीठ तक सहलाते हुए ऊपर-नीचे हो रहे थे और जाँघो के बीच बैठी दासिया तो अपने काम में निपुण थी ही एक के बाद एक अपनी जीब घुसा घुसाकर कामया की योनि को साफ करते जा रहे थे और कामया के अंदर के ज्वर को शांत करने की कोशिश करती जा रही थी
कामया छटपताती हुई अपनी जाँघो को और पास खींचती हुई
कामया- उूुउउम्म्म्म बस और नहीं और अंदर तक चूसो और अंद र , तक जोर-जोर से प्लीज हमम्म्मम सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शह आआआआआआआअह् ह
और उसका शरीर एकदम से आकड़ कर ढीला पड़ गया था और सिसकारियों से भरे हुए उस कमरे में एकदम से शांति छा गई थी कामया निढाल होकर अपने शरीर का पूरा भार उन दासियों के ऊपर छोड़ दिया था मनसा अब भी कामया के होंठों पर झुकी हुई थी और चारो दासिया अब भी उसकी चूचियां और योनि को अंदर तक साफ करने में अब भी लगी हुई थी पर कामया थक कर निढाल होकर पस्त होकर अपने शरीर को ढीला छोड़ कर उसके ऊपर ही लेटी हुई थी और सभी को खुली छूट दे दी थी की कर लो जो करना है