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Adultery घर की बहू

Coquine_Guy

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ये कहानी मुझे अच्छी लगी .. इसीलिए इसको यहां पोस्ट कर रहा हूँ ताकि आप लोग भी पढ़े और मज़ा उठाएं
 
Last edited:

Coquine_Guy

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मम्मीजी- अरे तो बहू को आज क्यों भेज रहा है उसे रहने दे घर में
कामेश- मम्मी आ जाएगी वो दोपहर तक फिर कर लेना जो चाहे
कामेश--सोनू तुम थोड़ा सा कॉंप्लेक्स हो आना कुछ वाउचर रखे है साइन कर देना और कुछ कैश भी निकाल कर अकाउंट्स में रख देना कल से नहीं जा पाओगी
कामया- जी
कामेश- और हाँ … उसे ऋषि को बोल देना कि रोज जाए कॉंप्लेक्स कुछ सीखा कि नहीं
कामया- जी
मम्मीजी - हाँ ऋषि भी तो है वो क्या करता है
कामेश- फिल्म देखता है वो भी सलमान खान की हाँ … हाँ … हाँ …
पापाजी और मम्मीजी के चहरे पर भी मुश्कान दौड़ गई थी कामेश का खाना हो गया था और वो जल्दी में बाहर निकला था कामया भी उसके साथ बाहर तक आई थी तीनों गाडिया लाइन से खड़ी थी कामेश की गाड़ी नहीं थी और पापाजी की
कामेश---अरे भोला मेरी गाड़ी नहीं निकाली
भोला की नजर एक बार कामेश और कामया पर पड़ी थी कुछ सोचता उससे पहले ही
कामेश---तू सुन तू मेमसाहब को लेकर कॉंप्लेक्स जाना और जल्दी आ जाना मेरी गाड़ी निकाल दे और सुन दोपहर को शोरुम आ जाना

भोला- नज़रें झुकाए जल्दी से गेराज में गया और कामेश की गाड़ी निकाल कर उसे सॉफ करने लगा था लाखा भी दौड़ा था पर कामेश की जल्दी के आगे वो सब रुक गये थे कामेश जल्दी से गाड़ी में बैठकर बाहर की ओर चला गया रह गये थे तो सिर्फ़ लाखा भोला और कमाया एक नजर लाखा और फिर भोला पर पड़ते ही कामया अंतर मन फिर से जाग उठा था भोला की नजर में कुछ था जो उसे हमेशा से ही बिचलित करता था वो एक गहरी सांस लेकर पलटी थी और अंदर आ गई थी अपने बेडरूम में पहुँचकर देखा था कि एक मिस कॉल था
किसका है देखा तो ऋषि का था उसने ऋषि को डायल किया
ऋषि- हेलो भाभी कैसी हो अरे यार तुम कल गई नहीं में बोर हो गया था आज जाओगी ना

कामया- हो दोपहर तक हूँ लेने आती हूँ तैयार रहना आज कुछ जल्दी है ठीक है
ऋषि- जी भाभी

और फोन रखने के बाद कामया नहाने को चली नहाते वक़्त भी उसे कामेश का ध्यान आया था कैसे उसने कल रात पूरी गँवा दी कुछ नहीं किया और आज सुबह भी जल्दी चला गया था पर एक शान्ती थी आज वो फिर बाहर जा सकती है कल तो पूरा दिन ही खराब हो गया था

भोला की नजर जब उसपर पड़ी थी तो कयामत सी आ गई थी उसके शरीर में एक अजीब सी जुनझुनी और सिहरन ने उसके शरीर में निकालते समय सूट को छोड़ कर बार-बार साड़ी की ओर ही उसकी नजर जाती थी साड़ी क्यों पहनु कॉंप्लेक्स जाते समय तो हमेशा ही सूट पहनती है पर साड़ी क्यों नहीं साड़ी ही पहनती हूँ आज भोला को भी अच्छी लगती है छि भोला के लिए पहनु अब में तो क्या हुआ उसे चिडाने में मजा आएगा चलो वही काली वाली पहनु नहीं नहीं वो वाली नहीं क्या सोचेगा एक ही साड़ी है फिर यह पीली वाली पहन लेती हूँ हा ँ … यह ठीक है प्लेन है और ज्यादा भड़काऊ नहीं है ब्लाउस तो स्लेवेलीस ही है ठीक है ना क्या हु आ

बहुत सी बातें करती हुई जाने कब कामया ने अपने मन को साड़ी पहनाने को मना लिया था और येल्लो कलर की साड़ी निकाल कर बेड में रख दी थी उसके साथ वाइट कलर का अंदर गारमेंट्स पहनने को थी पर क्या सोचकर मुस्कुराती हुई उसने ब्लैक कलर का ब्रा और पैंटी निकाल ली थी येल्लो में अंदर का पहन लेती हूँ इसके ऊपर
हां यह ठीक रहेगा चलो उस जानवर को एक बार फिर भड़का कर देखते है क्या करेगा अभी तो घर में है और फिर कॉंप्लेक्स ही तो जाना है वहाँ भी क्या कर लेगा यही सब सोचते हुए कामया एक के बाद एक करके अपने आपको संवारती हुई मिरर के सामने खड़ी अपने आपको निहारती जा रही थी और अपने शरीर के हर हिस्से को टटोल टटोल कर देखती हुई ब्रा से लेकर पैंटी फिर पेटीकोट और ब्लाउस पहनती हुई इठलाती हुई अपने आपको देखती हुई एक जहरीली सी

मुश्कान बिखेरती हुई साड़ी उठाकर पहेन्ने लगी थी बहुत ही कसकर बाँधी थी उसने हर एक हिस्सा साड़ी के अंदर होते हुए भी खिल कर बाहर की और आ रहा था हर गोलाई और उभार को दिखाता हुआ उस साड़ी ने सब कुछ खोलकर रख दिया था लग रहा था की टाफी को पकिंग के साथ ही खा जाए नीचे की जाने से पहले उसने अपने ऊपर वो सम्मर कोट डाल भर लिया था जो की सिर्फ़ कंधे पर टिका हुआ था उसने हाथों में नहीं पहना था डालकर अपने आपको थोड़ा सा छुपा लिया था और कुछ नहीं
नीचे को आते हुए उसने मम्मीजी को किचेन के बाहर एक चेयर पर बैठे देखा था जो की अंदर काम कर रहे लोगों को कुछ इनस्टरक्ट कर रही थी उसे जाते हुए एक बार देखा था
कामया- मम्मीजी में आती हूँ
मम्मीजी- हाँ बहू जल्दी आ जाना ज्यादा देर मत करना
कामया- जी

और कामया बाहर की ओर चल दी थी पोर्च की ओर बढ़ते हुए उसके कदम में गजब का विस्वास था और एक लचीलापन भी था बड़े ही मादक ढंग से चलती हुई वो मैंन डोर तक जब पहुँची थी तो भोला को वही सीढ़ियो में ही बैठा देखा था उसके हाइ हील की आवाज से वो पलटा था और दौड़ कर मर्क का डोर खोलकर खड़ा हो गया था उसकी नजर ऊपर एक बार जरूर उठी थी पर घर का मामला था इसलिए नीचे ही रही पर कामया की सुगंध से नहाया हुआ भोला एक बार फिर से पारी लोक की सैर करने को तैयार था क्या खसबू है मेमसाहब की हमम्म्ममम
और भोला को वापास करते ही एक महक जो कि कामया के अंदर तक उतरती चली गई थी वो थी गुटके की और पसीने की एक मर्दाना स्मेल था वो वो इस स्मेल को पहले भी सुंग चुकी थी सुंग चुकी थी टेस्ट भी किया था हाँ … यह वही स्मेल आई कामया अपनी सीट पर बैठी ही थी कि भोला ने एक नजर अंदर बैठी मेमसाहब पर डाली और डोर बंद करते हुए जल्दी से दौड़ कर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया था


गाड़ी धीरे से पोर्च से बाहर और फिर गेट से बाहर होती चली गई थी और फिर सड़क पर धीरे-धीरे दौड़ने लगी थी कामया बिल कुल शांत सी पीछे बैठी हुई बाहर की ओर देख रही थी कि उसे भोला की आवाज सुनाई दी
भोला- उसे भी लेना है मेमसाहब
कामया- हाँ …
वो अच्छे समझ रही थी कि भोला ऋषि के बारे में ही कह रहा है उसकी नजर एक बार उसकी और उठी थी पर फिर से बाहर की ओर चली गई थी क्योंकी भोला उसे बक मिरर में एकटक देख रहा था
भोला- आपके लिए फूल नहीं ला पाया
कामया- जानवर कही का फूल क्यों नौकर है तू मेरा
भोला- साड़ी में बहुत सुंदर लगती है आप
कामया -
साला जानवर , गुंडा एक झटके में बाहर निकाल दूँगी नौकरी से पता नहीं इतनी हिम्मत इसकी की जो मन में आए का रहा है
भोला- पर यह कोट मत पहनिए अच्छा नहीं लग रहा
कामया- गाड़ी चलाओ और फालतू बातें मार करो

एक गरजती हुई आवाज निकली थी उसके अंदर से समझता क्या है अपने आपको यह एक बार उसके साथ क्या कर लिया अपना हक़्क़ समझ लिया है जो मन में आया कह रहा है
इतने में ऋषि का घर आ गया था ऋषि पोर्च में ही खड़ा हुआ इंतजार कर रहा था गाड़ी को देखकर ही वो खिल उठा था जल्दी से गाड़ी की ओर बढ़ा था पर गाड़ी के रुकते ही भोला जल्दी से बाहर की ओर निकला और सामने का डोर खोलकर खड़ा हो गया था ऋषि ने एक बार भोला को देखा था और फिर कुछ ना कहते हुए सामने ही बैठ गया था कामया को भी कुछ समझ नहीं आया की भोला ने ऐसा क्योंकिया पर हाँ … वो कुछ कहती इससे पहले ही ऋषि सामने की ओर बढ़ गया था वो जो डोर खोलकर ऋषि के लिए जगह बनाया था वो खाली रह गया
 

Coquine_Guy

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ऋषि के बैठ ते ही भोला भी जल्दी से ड्राइविंग सीट की ओर लपका था
ऋषि-हाई भाभी हाई कितनी सुंदर लग रही हो आज साड़ी पहनी है सच में भाभी आप साड़ी में बहुत बहुत अच्छी लगती हो
इतने में भोला अपनी सीट पर बैठ गया था उसकी नजर एक बार तो ऋषि की ओर पड़ी और फिर पीछे की ओर मेमसाहब पर और जो नजारा उसके सामने था वो वाकाई लाजबाब था एक मुश्कान उसके होंठों पर दौड़ गई थी वाह क्या नजारा है मेमसाहब और फिर ऋषि की ओर मुड़कर

भोला- बड़े हैंडसम लग रहो भैया हाँ …
ऋषि -
भोला-क्या बात है बात नहीं करेंगा हमसे नाराज है क्या
ऋषि- नहीं
बड़े ही रूखे पन से जबाब दिया था उसने पर भोला को कोई फरक नहीं पड़ा था
भोला- मर्क चलाई है कभी आपने भैया

ऋषि और कामया की नजर एक साथ ही भोला की ओर उठी थी क्या कह रहा है यह भोला की नजर अब भी सामने की ओर ही थी पर नजर पीछे बैठी मेमसाहब पर भी थी
कुछ कहते की भोला फिर कह उठा
भोला- भैया चलाकर देखो कैसी चलती है
ऋषि- क्यों आप क्या करेंगे
भोला- अरे कुछ नहीं भैया बस हम तो सिर्फ़ पूछ रहे थे अगर चलाना हो तो बोलो आज के बाद मौका नहीं मिलेगा

उसकी बातों में कुछ अर्थ था यह तो साफ था पर क्या यह ना तो ऋषि ही समझ पाया और नहीं कामया थोड़ा आगे बढ़ कर भोला ने गाड़ी एक पेड़ के नीचे रोक लिया और ऋषि की ओर देखने लगा
कामया- गाड़ी क्यों रोकी
भोला ने कोई जबाब नहीं दिया था बल्कि ऋषि की ओर देखते हुए
भोला- आइए भैया मर्क भी चलाकर देख लो आज में थोड़ा सा पीछे बैठा हूँ
और झट से डोर खोलकर पीछे की सीट की ओर बड़ा था ऋषि का चहरा सफेद हो गया था पर कुछ कहता इससे पहले ही भोला पीछे की सीट पर बैठा हुआ था कामया पास बिल्कुल बिना किसी ओपचारिकता के और नहीं किसी डर के
ऋषि और कामया कुछ समझते
भोला- अरे भैया चलो कोई देखेगा तो क्या सोचेगा

ऋषि झट से ड्राइविंग सीट पर बैठ गया था और एक ही झटके में गाड़ी आगे की ओर बढ़ गई थी उसकी नजर पीछे की सीट पर थी भाभी बड़ी ही डरी हुई लग रही थी और वो गुंडा उसे तो कोई फरक ही नहीं पड़ रहा था कैसे पीछे सीट पर सिर टिकाए बैठा हुआ था चहरे पर कोई शिकन नहीं थी जानवर कही का लेकिन पीछे क्यों बैठा है वो
और उधर कामया की हालत खराब थी पीछे जैसे भोला बैठा था वो कुछ बोल भी नहीं पाई थी जैसे उसकी आवाज उसके गले में ही अटक गई थी और उसने अपने कोट की ओर ध्यान क्यों नहीं दिया वो कब धलक गया था उसे पता ही नहीं चला था यह तो जैसे भोला को न्योता देने वाली बात हो गई थी पर उसने कभी नहीं सोचा था कि भोला गाड़ी में ही अटेक कर लेगा उसने तो कभी जिंदगी में इस बात का ध्यान नहीं किया था

लेकिन अब क्या भोला तो उसके पास बैठा हुआ एकटक उसकी ओर ही देख रहा था और वो बिना कुछ कहे बिल्कुल सिमटी हुई सी बैठी हुई थी जैसे मालिक वो नहीं भोला हो गया था पर भोला के शरीर से उठ रही वो स्मेल अब धीरे धीरे उसके नथुनो को भेद कर उसके अंतर मन में उतरती जा रही थी उसने अपनी सांसें रोके और आखें बाहर की ओर करके चुपचाप बैठी हुई अगले पल का इंतजार कर रही थी जैसे उसके हाथों से सबकुछ निकल गया है

इतने में भोला की हल्की सी आवाज उसे सुनाई दी
भोला- भैया आराम से चलिए और थोड़ा सा घूमकर चलिए आपका मन भी भर जाएगा और थोड़ा घूम भी लेंगे

कामया की नजर एक बार भोला की ओर उठी थी पर उस नजर में एक जादू सा था बड़ी ही खतरनाक सी दिखती थी उसकी आखें भूखी और सख़्त सी थी और एक जानवर सा दिख रहा था वो सांसें भी उसकी फूल रही थी पर कर कुछ नहीं रहा था

कामया का शरीर अब धीरे-धीरे उसका साथ छोड़ रहा था पर वो बड़े ही , तरीके से बैठी हुई भोला को नजर अंदाज करने की कोशिश कर रही थी पर हल्के से एक उंगली ने उसके हाथ के उल्टे साइड को टच किया था चौंक कर उसने अपने हाथ को खींच लिया था वो एक नजर भोला की ओर ना देखती हुई सीट की ओर देखा था वहाँ उसकी हथेलिया थी मोटी-मोटी उंगलियां और गंदा सा हाथ था उसका मेल और काला पन लिए हुए वो फिर बाहर की ओर देखने लगी थी गाड़ी धीरे-धीरे चला रहा था ऋषि एसी के चलते हुए भी एक गरम सा महाल था अंदर
कामया की नजर बाहर जरूर थी पर ध्यान पूरा अंदर था और भोला जो उसके पास बैठा था क्या करेगा आगे सोच रही थी तभी उसकी कमर के साइड में उसे भोला के हाथ का स्पर्श महसूस हुआ था वो सिहर उठी थी और अपने आपको हटाना चाहती थी उसके छूने से पर कहाँ वो बस थोड़ा सा हिल कर ही शांत हो जाना पड़ा था उसे क्योंकी भोला की उंगलियां उसके पेटीकोट के नाडे पर कस्स गई थी थोड़ी सी जगह पर से उसने अपनी उंगली को अंदर डालकर उसे फँसा लिया था वो कुछ ना कर सकी बल्कि सामने की ओर एक बार ऋषि की ओर देखा और फिर भोला की ओर

पर भोला की पत्थर जैसी आखों में वो ज्यादा देर देख ना सकी सीट पर सिर टिकाए हुए वो कामया की ओर एक कामुक नजर से देख रहा था वही नजर थी वो जो उसने पहली बार और जाने कितनी बार देखा था उस नजर के आगे वो कुछ नहीं कर सकती थी चाहे वो कही भी हो वो क्या कर सकती है अब यह जानवर तो उससे गाड़ी में ही सबकुछ कर लेना चाहता है और ऋषि भी कुछ नहीं कह रहा है वो तो एक अबला सी नारी है वो कैसे इस जानवर से लड़ सकती है कैसे इस वहशी को बाँध सकती है पर उसकी हालत भी खराब थी उसके टच ने ही उसे इतना उत्तेजित कर दिया था कि वो अपने गीले पन को रोक नहीं पा रही थी ना चाहते हुए भी वो अपनी जाँघो को खींचकर आपस में जोड़ रखा था पर भोला को मना नहीं कर पाई थी और नहीं शायद वो मना करना चाहती थी उसे भी वो सब चाहिए था और वो अभी तो सिर्फ़ भोला ही दे सकता था और उसने भी अभी उसने हाथों को बढ़ाकर एक आखिरी ट्राइ करने की कोशिश की और उसके उंगलियों को अपने पेटीकोट के नाडे पर से निकालने की कोशिश की पर यह तो उल्टा पड़ गया था भोला ने उसकी हाथों को कस्स कर पकड़ लिया था और उसे अपनी ओर खींच लिया था एक ही झटके में वो भोला के ऊपर गिर सी पड़ी थी ऋषि जो कि गाड़ी कम चला रहा था पीछे नजर ज्यादा थी थोड़ा सा गाड़ी धीरे कर दी थी उसने पर जैसे ही भोला की आवाज उस तक पहुँची थी वो फिर से गाड़ी चलाने लगा था
भोला- अरे यार इतना भी धीरे मत चलो थोड़ा घुमाते हुए चलो ना भैया और आगे देखो
 

Alok

Well-Known Member
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Bahut garam bhai...
 

erriction

Eric
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भाई गजब लिखा है आपकी कहानी मे सभी रस मौजूद है प्यार रोमांस निरसता भय समर्पण खेद सौन्द्रय , वाकई जितनी तारीफ की जाए उतना कम है
एक एक शब्द को मोती की तरह माला में पिरोया है सभी पात्रों की मनोदशा का बहुत ही सुंदर चित्रण किया है🙏🙏🙏
इस कहानी की एक और विशेषता महसूस के रहा हुँ इसमे फूहड़ता नही है क्योंकि सभी स्थानों पर शब्दों का चयन बहुत ही सोच समझ कर किया है
अगले अंक की बेसब्री से प्रतिक्षा मे 🙏🙏🙏
एक पाठक
 
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Nice
 
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सुरु के कुछ एपिसोड पढ़ा।बहुत ही सुंदर और रोमांचक
कहानी है पूरी तरह कामवासना से भरी हुई है आपकी ये कहानी।अद्भुत बयान नही कर सकता।
 
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Reactions: Coquine_Guy

Alok

Well-Known Member
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Waiting for next update bhai
 

Coquine_Guy

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और भोला ने अपने मजबूत हाथों के सहारे कामया को उठाया था और दूसरे हाथों से उसकी कमर को पकड़कर अपने पास खींच लिया था बहुत ही पास लगभग अपनी गोद में और अपनी हाथों का कसाव को निरंतर बढ़ते हुए उसे और पास खींचते जा रहा था कामया जितना हो सके अपने आपको रोकती जा रही थी अपने कोहनी से वो भोला को अपने से दूर रखना चाहती थी पर भोला की ताकत उससे ज्यादा थी ऋषि भी कुछ नहीं कर रहा था
कामया- प्लीज नहीं
भोला कुछ ना कहते हुए उसे एक झटके से अपने ऊपर अपनी जाँघो पर सीने के बल लिटा लेता है कामया भी कुछ नहीं कर सकी उसकी जाँघो के सहारे लेट गई हाई भगवान उसने अपने लिंग को कब निकाला था अपने पैंट से आआह्ह अपने सीने पर उसके लिंग का गरम-गरम स्पर्श पाते ही कामया हर गई थी वो और भी उसके लिंग से लिपट जाना चाहती थी पर उसकी जरूरत नहीं थी
भोला का लिंग इतना सख़्त था कि वो खुद ही उसके ब्लाउज के खुले हुए हिस्से को आराम से छू सकता था और वो कर भी यही रहा था भोला के हाथ उसकी पीठ पर घूम रहे थे और उसके अंदर के हर तार को छेड़ते हुए उसके हर अंग में एक उत्तेजना की लहर भर रहा था वो अपने आपको उसके सुपुर्द करने को तैयार थी वो भूल गई थी कि वो गाड़ी में है और सामने ऋषि गाड़ी चला रहा है

वो अब अपने आप में नहीं थी एक सोते हुए शेर को भोला ने जगा दिया था और वो अब रुकना नहीं चाहती थी भोला उसकी पीठ के हर हिस्से को जो की खुला हुआ था अपने सख़्त हाथों से सहलाते हुए उसकी कमर तक जाता था और फिर उसके पीठ पर आ जाता था उसके हाथों का जोर इतना नहीं था कि वो उठ नहीं सकती थी पर वो उठी नहीं और भोला के लिंग का एहसास अपनी चुचियों के चारो ओर करती रही वो गरम-गरम और अजीब सा एहसास उसे और भी मदमस्त करता जा रहा था वो उठती क्या बल्कि उसकी हथेली धीरे-धीरे भोला के लिंग की ओर बढ़ने लगी थी एक भूख जो कि उसने दबाकर रखा था वो फिर जाग गया था और वो अब आगे ही बढ़ना चाहती थी उसका हाथ धीरे से भोला की जाँघो से होता हुआ उसके लिंग तक पहुँच चुका था और धीरे से अपनी गिरफ़्त में लेने को बेकरार था और उस गरम-गरम और सख़्त चीज को उसने अपने नरम और कोमल हाथों के सुपुर्द कर दिया

भोला- आआआआह्ह ऐसे ही मेमसाहब वाह

कामया चुपचाप अपने काम में लग गई थी धीरे उसके लिंग को अपनी गिरफ़्त में सख्ती से पकड़कर मसलने लगी थी और खुद ही अपने सीने पर घिसने लगी थी और अब भी वैसी ही उसके जाँघ पर लेटी हुई थी और भोला को पूरी आ जादी दे रखी थी जो चाहे करे और भोला भी कोई चूक नहीं कर रहा था अपने हाथों को पूरी आ जादी के साथ कामया के शरीर पर फेर रहा था उसके नितंबों तक अपने हाथों को ले जाता था अब तो वो और धीरे से दबा भी देता था उसके लिंग को पूरा समर्थन मेमसाहब की ओर से मिल रहा था सो वो तो जन्नत की सैर कर रहा था पर कामया की भूख थी जो सिर्फ़ इससे ही मिटने वाली नहीं थी वो खुद थोड़ा सा आगे हो जाती थी ताकि भोला का हाथ उसके नितंबों के आगे भी बढ़ सके भोला एक खेला खाया खिलाड़ी था
वो जानता था कि मेमसाहब को अब क्या चाहिए पर वो तो इस खेल को आराम से खेलता था और फिर बाद में जोर लगात ा था पर अभी वो समय नहीं था उसे जल्दी करना था सो उसने अपने हाथों से मेमसाहब की साड़ी को पीछे से ऊपर की ओर खींचना शुरू किया कामया ने भी कोई विरोध नहीं किया बल्कि अपने नितंबो को उठाकर उसे और भी आसान कर दिया था उसके हाथों पर आए हुए लिंग को वो बुरी तरह से निचोड़े जा रही थी और जब , कुछ आगे का नहीं सूझा तो उसे अपने होंठों के बीच में लेकर चूसने लगी थी भोला अंदर ही अंदर खुश हो रहा था और मेमसाहब की पैंटी को थोड़ा सा नीचे की ओर खिसका कर अपनी उंगली को उसके योनि तक पहुँचाने की कोशिश करने लगा था कामया ने थोड़ा और आगे बढ़ते हुए उसे आसान कर दिया था

और धीरे से वो उंगली उसकी योनि में समा गई थी् गीली और तड़पती हुई वो जगह जहां भोला कई बार आचुका था फिर भी एक नया पन लिए हुए थी कामया के होंठों का स्पर्श इतना अग्रेसिव था कि भोला को लगा कि वो कही उसके मुख में ही ना झड जाए वो भी जल्दी में था सो उसने कामया को खींचकर बिठा लिया था और एक ही झटके में उसकी पैंटी को उसकी कमर से निकालने के लिए नीचे की ओर झुका था कामया बैठी हुई भोला को झुके हुए देख रही थी कि उसकी नजर सामने गाड़ी चला रहे ऋषि की ओर उठी थी ऋषि उसे ही बक मिरर में देख रहा था वो अपनी नजर झुकाती इससे पहले ही बंद हो गई थी

भोला उसकी जाँघो को किस करता हुआ उसकी चूचियां दबाने लगा था उसकी ब्लाउसको उसने कंधे से गिरा लिया था ब्लाउस इतना खुला हुआ था कि उसे हुक खोलने की जरूरत ही नहीं थी वो कमर के ऊपर पूरी तरह से नंगी थी और कमर के चारो ओर उसकी साड़ी और पेटीकोट लपेटी हुई थी जांघे खाली थी और उसपर भोला की किस और जीब का आक्रमण था
कामया की आखें बंद थी और सांसो की रफ़्तार लगातार बढ़ती जा रही थी कामया के शरीर का हर हिस्सा जीवित था और बस एक ही इच्छा थी कि भोला का लिंग उसे चीर दे और भोला के उठ-ते ही वो आसान दिखने लगा था पर भोला उठकर वापस बैठ गया था कामया का एक हाथ उसके कंधे पर था वो उसे किस करता हुआ एकटक मेमसाब की ओर देखता हुआ उसे सामने की ओर झुका कर उसे अपनी गोद में लेने की कोशिश करने लगा था कामया जानती थी कि वो क्या चाहता है उसने भी थोड़ा सा उठ कर उसे आसान बनाया था और वो खुद उसकी गोद में बैठ गई थी भोला का लिंग किसी बटर को छेदते हुए छुरी की तरह उसकी योनि में उतर गया था कामया के होंठों से एक मदमस्त सी आह निकली थी जो की ऋषि के बहुत ही पास उसके कानों तक गई थी कामया अपने दोनों हाथों को अगली सीट पर टिकाए हुए और दोनों सीट के बीच में बैठी हुई अपने आपको सहारा देने की कोशिश करती जा रही थी भोला के धक्के धीरे नहीं थे पर उसके होंठों से निकलने वाली हर सिसकी ऋषि को जरूर बैचेंन कर रही थी वो आगे बैठे हुए एक हथेली से धीरे से कामया के गालों को छुआ था

कामया ने आखें खोल कर उसे देखा था और फिर उन झटको का मजा लेने लगी थी भोला का हर झटका उसे सीट से ऊँचा उठा देता था और फिर वापस उसके लिंग के ऊपर वही बिठा देता था उसके होंठों से निकलने वाली हर सिसकी कार के अंदर के वातावरण को और भी गरमा रही थी पर कामया को इस बात की कोई चिंता नहीं थी वो आराम से अपनी काम अग्नि को शांत करने की कोशिश में लगी थी भोला जो की अब शायद ज्यादा रुक नहीं पाएगा उसकी पकड़ कामया की कमर के चारो ओर कस्ती जा रही थी और उसके होंठों ने उसकी पीठ पर कब्जा जमा लिया था उसके हाथों ने उसकी चुचियों को पीछे से पकड़कर दबाना शुरू कर दिया था और कामया जो कि अब तक दोनों सीट का सहारा लिए हुए थी धीरे से पीछे की ओर गिर पड़ी थी और पूरी तरह से भोला के सहारे थी वो अपने हाथों को इधर-उधर करती हुई सहारे की तलाश में थी कि भोला के सिर को किसी तरह से पकड़ पाई थी पर ज्यादा देर नही

कामया- रुकना नहीं और करो प्लीज
भोला- बस मेमसाब थोड़ी देर और मजा आ गया आज तो मेमसाब
कामया- करते रहो जोर-जोर से भोला एयाया आआआआआआआआअह् ह
और एकदम निढाल होकर उसके ऊपर गिर गई थी कामया
भोला- बस मेमसाहब थोड़ा सा और साथ देदो आगे हो जा ओ
कामया ने उसकी बात मान ली थी और आगे की ओर होती हुई फिर से दोनों सीट को कस्स कर पकड़ लिया था और ऋषि के बहुत करीब पहुँच गई थी हर एक सांस उसकी ऋषि के कानों में या फिर उसके गालों पर पड़ रही थी ऋषि का एक हाथ फिर से कामया के गालों को सहलाता जा रहा था पर हर धक्के पर वो अपने हाथों पर से कामया के गालों को खो देता था पर फिर उसके हाथों पर उसके गाल आ जाते थे भोला भी अपने मुकाम पर जल्दी ही पहुँच गया था

भोला- हुआ मेमसाब वाह मजा आआआआआआआआआअ हमम्म्ममममममममममममममममममम म

और मेमसाहब की पीठ पर झुक गया था वो कामया भी थक कर अगली सीट पर झुकी हुई थी पर वो थकान एक सुख दाईं थकान थी हर अंग पुलकित सा था और हर वक़्त एक नया एहसास को जगा रहा था कामया की योनि अब भी सिकुड कर भोला के लिंग को अपने अंदर तक समेट कर रखना चाहती थी भोला का आखिरी बूँद भी नीचूड़ गया था और
वो सांसों को कंट्रोल करते हुए वास्तविकता में लाट आया था और मेमसाब की कमर और जाँघो को एक बार अपने खुरदुरे और सख़्त हाथों से सहलाते हुए धीरे-धीरे अपने आपको शांत करने में लगा हुआ था कामया भी थोड़ा बहुत शांत हो गई थी और धीरे-धीरे सामानया होने लगी थी गाड़ी की रफ़्तार वैसे ही धीरे-धीरे थी एरपोर्ट रोड की ओर से लॉट रही थी गाड़ी भोला अपने आपसे ही धीरे से कामया को उठाकर अपने अलग किया था और
भोला- भैया रोको कही अब अपनी औकात में आ जाए ह म
 

Coquine_Guy

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कामया कुछ कहती तब तक तो गाड़ी एक पेड़ के नीचे रुक गई थी गाड़ी के अंदर ही ऋषि अपनी जगह में चला गया था और भोला उतर कर वही पेड़ के नीचे ही पिशाब करने लगा था कामया और ऋषि ने अपना चहरा फेर लिया था कितना बेशर्म है यह कोई चिंता ही नहीं खेर भोला पिशाब करके वापस आया और गाड़ी अपने मुकाम की ओर दौड़ पड़ी थी

कामया ने भी अपने आपको संभाल लिया था और कपड़े ठीक करते हुए कोट पहनकर बाहर की ओर देखती हुई चुपचाप बैठी रही थी ऋषि भी शांत था कोई कुछ नही कह रहा था कॉंप्लेक्स के अंदर जाकर गाड़ी रुक गई थी और कामया के साथ ऋषि भी आफिस में घुस गया था वहां भी कोई बात नहीं जैसे दोनों एक दूसरे से कट रहे हो या आपस में बात करने का कोई बहाना ढूँढ़ रहे हो पर बोला कोई नहीं जल्दी जल्दी काम खतम करते हुए कामया अभी उठी थी और ऋषि भी भोला बाहर ही था गाड़ी एक बार फिर घर की ओर दौड़ गई थी घर में घमासान मचा हुआ था घर भरकर लोग थे मम्मीजी भी काम में लगी थी

खेर कोई ऐसी घटना नहीं हुई रात भी वैसी ही गुजर गई थी कामेश के थके होने की वजह
सुबह जल्दी कामेश को गुरुजी को लेने जाना था सो कामया ने भी उसे डिस्टर्ब करना उचित नहीं समझा था चुपचाप अपने आप समझा कर सुला लिया था पर रात भर भोला की यादें उसे परेशान करती रही थी उसकी हर हरकत जैसे उसके सामने ही हो रही हो और वो अब भी उसके तन से खेल रहा था अपने पति के पास सोते हुए भी कामया किसी और की बाहों में थी ऐसा उसे लग रहा था सुबह जब कामेश तैयार होकर जा रहा था तब उसे उठाया था

नींद से जागी कामया सिर्फ़ इतना ही कह पाई थी जल्दी आ जाना
कामेश- हाँ … और तुम जल्दी से तैयार हो जाओ गुरु जी 9 00 बजे तक आ जाएँगे
कामया- जी
और कामया जल्दी-जल्दी नहा धो कर नीचे चली गई थी पापाजी मम्मीजी काम में लगे थे सभी के पास कुछ ना कुछ काम था नहीं था तो सिर्फ़ कामया के पास वो चुपचाप मम्मीजी के साथ घूमती रही और सबको काम करते देखती रही करीब 9 00 बजे के आस-पास घर के बाहर शंख और ढोल की आवाज से यह पता चल गया था कि गुरु जी आ गये है् और सभी पापाजी मम्मीजी और बहुत से मेहमान जल्दी से दरवाजे की ओर दौड़े


कामया भी मम्मीजी के साथ थी एक हाथ में फूल भरी थाली थी और मम्मीजी के पास आरती करने वाली थाली थी और मिसेज़ धरमपाल भी थी उसकी शायद कोई लड़की भी और ना जाने कौन कौन था
घर के दरवाजे पर जैसे ही गाड़ी रुकी थी पहले कामेश निकला था और फिर कुछ बहुत ही सुंदर दिखने वाले एक दो लोग और फिर पीछे का दरवाजा खोलकर गुरु जी बाहर आए थे वहाँ क्या गुरूर था उनके चहरे पर बिल्कुल चमक रहा था उनका चेहरा सफेद सिल्क का धोती और कुर्ता था रेड कार्पेट स्वागत था उनका फूलो से और खुशबू से पटा पड़ा था उनका घर कामया खड़ी-खड़ी गुरु जी को सिर्फ़ देख रही थी कुछ करने को नहीं था उसके पास मम्मीजी और मिसेज़ धरमपाल ही पूरा स्वागत का काम कर रही थी कामेश आके कामया के पास खड़ा हो गया था
कामेश- देखा
कामया -
कामेश- गुरु जी रबाब क्या दिखते है ना बहुत रस था यार सड़क पर बाहर भी लोग खड़े है पोलीस भी लगी है बड़ी मुश्किल से पहुँचा हूँ
सभी उठकर धीरे-धीरे बाहर की ओर चल दिए कामया भी खड़ी हो गई थी जो बुजुर्ग थे अपना हाथ कामया के सिर पर रखते हुए बाहर चले गये थे रह गये थे धरम जी उनकी पत्नी और कामेश का परिवार हाल में सन्नाटा था

गुरु जी- बहुत थक गया हूँ थोड़ा भी आराम नहीं मिलता
पापाजी- हम पैर दबा दे गुरु जी
गुरु जी- अरे नहीं ईश्वर पैर दबाने से क्या होगा हम तो दाइत्व से थक गये है चलो तुम थोड़ी मदद कर देना
पापाजी- अरे गुरु जी में कहाँ
गुरु जी- कहो ईश्वर कैसा चल रहा है तुम्हारा का म
पापाजी- जी गुरु जी अच्छा चल रहा है
गुरु जी - कुछ उन्नती हुई कि नहीं
पापाजी- हाँ … गुरु जी उन्नती तो हुई है
गुरु जी- हमने कहा था ना हमारी पसंद की बहू लाओगे तो उन्नती ही करोगे हाँ तुम्हारे घर में लक्ष्मी आई है
कामया एक बार फिर से गुरु जी की ओर तो कभी नीचे बैठे अपने परिवार की ओर देखने लगी थी
मम्मीजी- जी गुरु जी उन्नती तो बहुत हुई है औ र अब तो बहू भी काम सभालने लगी है
गुरु जी- अरे काम तो अब संभालना है तुम्हारी बहू को हम जो सोचकर आए है वो करना है बस तुम लोगों की सहमति बने तब
पापाजी और मम्मीजी- अरे गुरु जी आप कैसी बातें करते है सब कुछ आपका ही दिया हुआ है
गुरु जी- नहीं नहीं फिर भी
कामेश- जो आप कहेंगे गुरु जी हमें मंजूर है
गुरु जी---अरे यह बोलता भी है हाँ … बहुत बड़ा हो गया है पहले तो सिर्फ़ मुन्डी हिलाता था
कामेश झेप गया था और
मम्मीजी- आप तो हुकुम कीजिए गुरु जी
गुरु जी- धरम पाल कैसा है
धरम पल- जी गुरु जी ठीक हूँ सब आपका असिर्वाद है
गुरु जी- एक काम कर तू ईश्वर की दुकान और उसका काम संभाल ले और उसका हिस्सा उसके पास पहुँचा देना ठीक है
धरम पाल और कामेश और सभी एक बार चौंक गये थे यह क्या कह रहे है गुरु जी दुकान कॉंप्लेक्स और सभी कुछ धरम पाल जी के हाथों में फिर वो क्या करेंगे पर बोला कुछ नहीं
गुरु जी- ईश्वर और विद्या तुम लोग आराम करो है ना बहुत काम कर लिया क्या कहते हो
ईश्वर- जी जैसा आप कहे गुरु जी
 
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