Jabardas Update....Update 4हेमलता 52
नीचे अंकुश नेहा से सामान की लिस्ट लेकर चला गया था उसे पता था चिंकी सूरज के साथ क्या करेगी और उसने कितना समय लगेगा.. अंकुश बिलाल की दूकान पर आ गया था आज दूकान पर कस्टमर बैठे थे और ये देखकर अंकुश खुश होता हुआ बिलाल से दो बात करके एक तरफ बैठकर अपनी बहन नीतू से फ़ोन पर लग गया था वही मुन्ना हलवाई के घर नीचे नेहा अपने दोनों बच्चों के साथ एक रूम में टीवी देख रही थी तो ऊपर चात वाले कमरे में चिंकी ने सूरज की हालत ख़राब कर रखी थी..
क्या लड़कियों की तरह रोता रहता है हमेशा हनी उतार ना इसको.. देख तू नहीं उतारेगा तो मैं फाड़ दूंगी फिर मत कहना बताया नहीं था..
चिंकी.. तेरी शादी हो गई यार.. अब तो मेरा पीछा छोड़ दे.. अब भी पहले की तरह जोर जबरदस्ती कर रही है..
शादी हो गई तो क्या मैं अपने हनी को भूल जाऊ? बेटा पहला बच्चा तो तेरा ही करुँगी.. चल अब उतार अपनी चड्डी..
तू मेरा रेप कर रही है चिंकी.. देख छोड़ दे मुझे.. तूने चुम्मा चाटी का बोला था मेरे होंठों को भी काट लिया इतनी बुरी तरह से..
भोस्डिके तू चुतिया का चुतिया ही रहेगा क्या हमेशा? पहले भी बच्चौ की तरह रोता था अब भी रो रहा है.. भूल गया कैसे नशे में धुत पड़ा रहता था.. मैं बचाया था तुझे.. कितने लड़को को चुना लगाके तुझे खुश रखती थी.. अहसान मानने ही जगह औकात दिखा रहा है मादरचोद..
कमीनी कितनी बार मेरी इज़्ज़त लूटी थी तूने याद दिलाऊ? बहाने बहाने से चिपक के जो करती थी सब याद है.. ब्लैकमेल करके मुझे बुलाया फिर पकडे गए.. मैंने कहा था जाने दे..
तुझे कुछ होने तो नहीं दिया ना मैंने.. मुन्ना भईया को हाथ तक नहीं लगाने दिया था तुझे.. याद है? फिर भी तू साले चुतिया.. मुझे ही बोल रहा है.. अब अपनेआप खोलता है अपनी चड्डी या फाडकर मैं निकालू तेरा लंड..
तुझे बिलकुल शर्म नहीं है क्या? कितना खुलम खुला बोल रही है ये सब.. पहले से और बिगड़ गई है तू चिंकी..
चल मेरे प्यारे.. अब बहुत बातें हो गई.. अब थोड़ा कामसूत्र भी कर मेरे साथ..
चिंकी ने बेड पर पीठ के बल लेटे सूरज के ऊपर आकर उसकी चड्डी में हाथ डालकर लिंग बाहर निकल लिया और अपने मुंह में लेकर चूसने लगी..
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चिंकी 26 साल की सावली सलोनी लड़की थी जिसका 1 साल पहले ब्याह हुआ था.. देखने में बुरी ना थी मगर उतनी आकर्षक भी ना थी की तारीफ में पुल बांधे जाए.. सूरज जब नशे का आदि हुआ था चिंकी ने उसे बहुत संभाला था और उसके साथ कई बार सम्भोग किया और सूरज नशे में सब कर जाता था.. चिंकी को सूरज पसंद आ गया था और चिंकी से इमोशनल और फिजिकल सपोर्ट पाकर वो संभल गया था.. हालांकि इसमें सुमित्रा का बहुत बड़ा योगदान था मगर चिंकी ने हर तरह से सूरज को उन दिनों सुखी रखा था और सुधरने पर मजबूर कर दिया था इसलिए भी सूरज चिंकी को पसंद करता था.. ये बात वो कह ना सकता था मगर उसे चिंकी में एक अच्छा दोस्त मिला था जिसके साथ वो हर इच्छा पूरी कर सकता था वही चिंकी जैसी कामुक औरत तो सूरज पर उस वक़्त गिद्ध की निगाह गड़ा के बैठी और उसने अपना मकसद भी पूरा कर लिया था.. लेकिन सूरज के साथ ने चिंकी को उसके फालतू जगह जगह मुंह मारने की आदत को छुड़वा दिया था.. चिंकी सिर्फ सूरज के साथ रहने लगी थी.. फिर दोनों पकडे गए और कुछ महीनों बाद चिंकी की शादी हो गयी.. उसके बाद आज मुलाक़ात हुई थी दोनों की..
चिंकी आराम से यार... अह्ह्ह इतना जोर क्यों लगा रही है..
चूतिये चुप बैठ.. और करने दे मुझे..
अह्ह्ह.. चिंकी.. अह्ह्ह्ह...
चिंकी ने सूरज के लंड को पूरा खड़ा कर दिया और अब अपने मुंह से निकाल कर सूरज के ऊपर आते हुए उसे अपनी योनि में लेकर सूरज को चोदने लगी.. सूरज नीचे लेटा हुआ था और चिंकी उसके ऊपर चढ़ी हुई उसके जवान जिस्म और मर्दानगी का स्वाद ले रही थी..
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मज़ा आ रहा है ना हनी.. अह्ह्ह.. कब से इसके लिए तड़प रही थी मैं.. मन कर रहा है कच्चा खा जाऊ तुझे.. इतना प्यारा लगता है तू मुझे..
खा ही तो रही है चिंकी.. तेरे साथ ऐसा लगता है जैसे मैं लड़का नहीं लड़की हूँ और तू लड़का..
चिंकी ब्लाउज के बटन खोलती हुई - मादरचोद ज्यादा ना भोला मत बन.. इतना भी शरीफ नहीं है तू.. देख मेरे आम दबा दबा के तूने पपीते कर दिये और मासूम बनके दिखा रहा है लोड़ू.. सब मैं ही कर रही हूँ तू भी हिला अपनी गांड थोड़ी...
सूरज धीरे से - घोड़ी बना जा..
चिंकी हसते हुए - क्या बोला? चेहरा किताबी शोक नवाबी साब के.. चलो कोई ना तेरे लिए घोड़ी कुतीया छिपकली सब बनने को तैयार हूँ मेरे प्यारे.. ले बन गई.. अब सवारी कर अपनी घोड़ी की..
सूरज चिंकी की कमर थाम कर चुत में लंड घुसते हुए - अंदर निकालू ना..
हाँ.. प्रेग्नेंट कर दे.. कर सकता है तो.. खुली छूट है तेरे लिए मेरी जान.. अह्ह्ह.. हनी.. जब तू ऐसे पेलता है ना लगता है सच्चा प्यार हो गया है तुझसे...
सूरज कमर पकड़ कर चिंकी को चोदने लगता है और खुद भी अब मज़े लेने लगता है उसे चिंकी अब पहले से ज्यादा अच्छी लगने लगी थी.. चिंकी लूज़ चेरेक्टर की थी मगर सूरज को उसका स्वभाव और हमेशा बेफिक्री से रहने की आदत भाति थी ऊपर से चिंकी जैसे हनी को ट्रीट करती थी हनी को लगता था जैसे चिंकी उसकी देखभाल करने वाली कोई आया है जो मौका देखकर उसकी इज़्ज़त भी ले लेती है..
अह्ह्ह.. सूरज चिंकी की चुत में झड़ते हुए... अह्ह्ह..
love you..
शाम के पांच बन गए थे और अब दरवाजा बजाते हुए नहा बोली.. चिंकी.. चिंकी.. ख़त्म नहीं हुई क्या तेरी बातें..
अंदर से चिंकी - भाभी बस दस मिनट आती हूँ..
नेहा - मैं बच्चों को टूशन से लेने जा रही हूँ तू अपनी बातें जल्दी कर अब..
चिंकी - ठीक है भाभी..
नेहा चली जाती वही सूरज चिंकी को देखकर कहता.. अब जाने भी दे.. पिछले तीन घंटे में तीन बार पिचकारी चल चुकी है अब क्या निकलेगा इसमें से..
चिंकी सूरज का लंड चूसते हुए - फिर कब आयेगा मेरे पास?
जब भी तू बुलायेगी मेरी माँ.. अब छोड़ मुझे..
भोस्डिके तू नाटक तो ऐसे करता है जैसे मैं अकेली ही मज़े लेती हूँ और तू बेचारा मजबूर असहाय है.. इतने नखरे तो वो भी नहीं करती..
सूरज पैंट पहनते हुए - ठीक है.. लिए मेने भी मज़े.. खुश अब? जाऊ तेरी आज्ञा हो तो..
चिंकी सूरज की गर्दन पकड़कर उसके होंठ को चुमते हुए कहती है - जब तू ऐसे नखरे करता है.. कसम से बहुत प्यारा लगता है.. जचता है तेरे ऊपर ये सब.. मेरी गालियों को दिल पर मत लेना.. आदत हो गई है मुझे गाली गलोच करने की.. तू तो जानता है हनी..
कुछ ज्यादा इमोशनल नहीं हो रही तू आज? रोने तो नहीं वाली ना? चल जाता हूँ सगाई में मिलूंगा तुझसे.. गालियों का ऐसा है लड़कियों के मुंह से गाली बहुत अच्छी लगती है.. और एक बोलू.. शादी के बाद और अच्छी लगती है..
चिंकी मुस्कुराते हुए सूरज को जाते हुए देखने लगती है और सूरज अपने बाप की स्कूटी घुमा के वापस घर आ जाता है और अपने कमरे में जाकर जैसे ही अपना फ़ोन देखता है उसे गरिमा के कई massage देखने को मिलते है..
सूरज व्हाट्सप्प पर गरिमा के इतने massage देखकर हैरान रह जाता है.. सुबह से उसे अपना व्हाट्सप्प देखने की जरुरत नहीं पड़ी थी और अब जब उसने देखा तो पाया की गतिमान ने सुबह से बहुत से massage कर दिए थे शायद वो सूरज से बात करना चाहती थी मगर सूरज आज दिनभर व्यस्त था तो गरिमा से बात नहीं कर पाया..
सूरज गद्दे पर बैठकर गरिमा के सारे मैसेज देखकर रिप्लाई करते हुए कहता है..
सॉरी भाभी.. आज सुबह से बिजी था.. वो सगाई की तैयारियां कर रहा था ना इसलिए सुबह से व्हाट्सप्प चेक करने का समय नहीं मिला.. आपने इतने मैसेज किये मैंने रिप्लाई तक नहीं किया.. सॉरी..
गरिमा तो जैसे फ़ोन से चिपकी हुई उसीके मैसेज के इंतजार में बैठी थी.. सूरज का मैसेज देखकर उसने रिप्लाई किया - कोई बात नहीं देवर जी.. रात को तुमने कहा था खाने के बाद बात करोगे तो मैं तब से ही तुम्हारे मैसेज का वेट कर रही थी.. सुबह तुमसे कुछ पूछना तो मैसेज कर दिया.. अब तो फ्री हो ना तुम..
भाभी रात के लिए भी सॉरी.. आप फ़ोन कर दिया करो ना जब आपका बात करने का मन हो.. अच्छा.. क्या पूछना था आपको?
रुको एक मिनट.. देखो मैंने 3-4 फोटोज भेजी है लहंगे की... तुम्हे कोनसा कलर अच्छा है बताओ?
भाभी भईया से पूछो ना ये सब तो मैं क्या बताऊ इसमें आपको?
तुम्हारे भईया के पास टाइम कहा है? जब भी बात होती है 2 मिनट में कह देते है बाद में बात करूंगा.. अभी भी यही कहा उन्होंने.. जो पसंद हो पहन लेना.. अब तुम बताओ ना सूरज.. कोनसा पसंद है तुम्हे?
हम्म.. रुको भाभी देखने दो.. ये ब्रॉउन वाला अच्छा लगेगा आपके ऊपर..
सच?
हाँ.. और कुछ?
बस यही पूछना था.. वैसे क्या तैयारी कर रहे थे तुम?
यही छोटी मोटी तैयारियां.. आप बताओ.. वो नॉवेल पढ़ना शुरू की आपने जो मैंने कुरियर की थी?
नहीं.. आज रात से पढ़ना शुरू करूंगी.. कैसी कहानी है?
ये आप पढ़कर जान लो.. मैं तो बस इतना बता सकता हूँ एक लव स्टोरी है..
अच्छा? कोई ऐसी वैसी कहानी तो नहीं है ना.. बहुत मारूंगी अगर कुछ वैसा हुआ तो इसमें..
भाभी यार आप भी ना.. आपको वैसी कहानी पढ़ने को कहूंगा क्या मैं?
अच्छा.. तुम क्या पहनने वाले हो उस दिन?
मैं? मैं तो कुछ भी पहन लूगा.. माँ कहती मैं जो पहनता उसमे बिलकुल फ़िल्मी हीरो लगता हूँ..
क्या फ़ायदा ऐसे हीरो का जिसकी एक भी गर्लफ्रेंड नहीं हो.. सूरत से तो इतने प्यारे हो पर एक लड़की तक नहीं पटा सकते..
ताने मार रही हो भाभी? अगर गर्लफ्रेंड बना ली तो आप से बात कौन करेगा? फिर कहोगी देवर जी तो बात ही नहीं करते..
गरिमा के मन में मीठी मीठी लहर उठ रही थी सूरज से बात करके उसे ऐसा लगता था जैसे किसी भगत को देवता से मिलके लग सकता है.. गरिमा इन कुछ ही दिनों में सूरज के साथ लगाव के बंधन में बंध गई थी बिना सूरज से बात करें उसका दिन मानो पूरा ही ना होता हो..
सूरज गरिमा से बात करते करते छत पर आ गया था और अब तक दोनों के बीच बात होते होते एक घंटा बीत गया था..
भाभी उंगलियों में दर्द हो गया टाइप करते करते.. बाद में बात करें अब?
क्या देवर जी.. आप तो मुझसे जान छुड़ाना चाहते हो.. ऊँगली में दर्द का बहाना बनाने लगे..
सच बोल रहा हूँ भाभी.. रात करते है ना बात.. मैं खुद मैसेज करूंगा..
ऊँगली में दर्द हो रहा है तो फ़ोन पर बात करते है ना देवर जी.. थोड़ी और रुक जाओ.. फिर मुझे खाना बनाने जाना है..
गरिमा ने कह तो दिया था मगर उसे अहसास हुआ की व्हाट्सप्प पर चैटिंग करने और कॉल पर बात करने में बहुत अंतर होता है और शायद वो जो जवाब लिख दे देती है और सूरज से हंसी ठिठोली कर लेती है वो कॉल पर बात करते हुए ना कर पाए..
सूरज ने गरिमा का मैसेज पढ़ कर एक पल के लिए सोचा की वो कैसे कॉल पर बात करेगा और कॉल पर बात करना बहुत मुश्किल होगा मगर फिर भी उसने गरिमा से कहा - ठीक पर दो मिनट रुको मैं इयरफोन ले आता हूँ.. वाशरूम भी जाना है..
ठीक है देवर मैं वेट कर करती हूँ.. गरिमा के मन में ना जाने क्यों तितलियाँ उड़ने लगी थी उसे एक अलग अहसास ने घेर लिया था मन में मोर नाच रहे थे.. उसे ऐसा लग रहा जैसे वो शर्म से लाल हुए जा रही है मगर ऐसा क्यों था? विनोद से जो पल भर की बात होती थी उसमे गरिमा को कुछ नहीं होता मगर सूरज.. सूरज से जब वो बात करती तो मन खुश रहता और लम्बी से लम्बी बात करने का उसका मन करता.. और अब वो फ़ोन पर उससे बात करने वाली थी..
सूरज नीचे जाकर पहले बाथरूम मे जाता है और पेशाब करके बाहर आता है और फिर अपने इयरफोन उठाकर फ़ोन से जोड़ते हुए वापस छत पर आ जाता है.. और छत पर बने एक्स्ट्रा कमरे के अंदर जाकर वहा पड़े एक पुराने से एक पलंग पर बैठते हुए गरिमा को फोन लगा देता है..
गरिमा सूरज का फ़ोन आता देखकर उत्साह से भर जाती है उसकी धड़कन तेज़ थी और वो फ़ोन उठाने की हिम्मत नहीं कर पास रही थी मगर जैसे तैसे उसने खुद पर काबू पाते हुए फ़ोन को उठा लिया और बोली - हेलो..
हेलो भाभी..
जी देवर जी.. बताइये उंगलियां कैसी है आपकी? अभी अभी दर्द हो रहा है उंगलियों में?
क्यों? अगर मेरी उंगलियों में दर्द होगा तो आप क्या करोगी? कोई नुस्खा है आपके पास उंगलियों का दर्द ठीक करने का?
अगर तुम पास होते तो शायद मैं तुम्हारी उंगलियों में दर्द की दवा लगा देती और तुम्हारा दर्द ठीक कर देती..
भाभी बचपन से एक अजीब चीज है मेरे साथ.. मेरे ना दवा असर नहीं करती.. तो आपके दवा लगाने से कुछ नहीं होता.. दर्द भी ठीक ना होता..
दवा से कुछ नहीं तो मैं अपने देवर की उंगलियों को अपने हाथ में लेकर मालिश कर देती तब जरुर कुछ होता..
सूरज हसते हुए - भईया की मालिश करना भाभी.. उनको कमर में बहुत दर्द रहता है आजकल.. मेरी मालिश रहने दो.. वरना कोई देखेगा तो कुछ गलत मतलब ही निकालेगा..
तुम इतना डरते हो लोगों से?
सूरज पलंग से उठाकर छिपाई हुई जगह से सिगरेट लाइटर निकाल कर सिगरेट जलाते हुए - क्यों नहीं डरना चाहिए? अगर लोग बातें बनाने लगे तो अफवाह भी आग की तरह फैलती है भाभी..
गरिमा लाइटर की आवाज सुनकर समझ जाती है और कहती है - सिगरेट पी रहे हो ना देवर जी तुम छत पर?
सूरज सिगरेट का पहला कश लेकर - नहीं तो.. आपको ऐसा क्यों बोल रही हो?
गरिमा - देखो देवर जी.. मुझसे तो मत ही छीपाओ तुम.. मुझे यहां तक स्मेल आ रही है..
सूरज सिगरेट का कश लेते हुए - भाभी आप ना इलाज कराओ अपनी नाक का.. कुछ ज्यादा ही स्मेल आती है आपको.. सवा सो किलोमीटर दूर का भी सूंघ लेती हो..
गरिमा - मुझे तुम पागल नहीं बना सकते.. समझें देवर जी? मुझे पता है तुम घर छत पर मुझसे बात करते हुए सिगरेट पीकर धुआँ उड़ा रहे होंगे..
सूरज कश लेता हुआ - आप ना कुछ भी सोच और बोल रही हो भाभी.. इतना ख्याल भईया का रखो.. आजकल रात रात भर किसी से बात करते है वो.. मुझे लगता है भईया का बाहर चक्कर भी चल रहा है शायद..
गरिमा - ज्यादा ना बात घुमाने की कोशिश मत करो तुम.. सिगरेट पीने से कितना नुकसान होता पाता भी है.. एक बार शादी होने दो तुम्हारे भईया से फिर देखती तुम सिगरेट के कैसे हाथ लगाते हो..
सूरज सिगरेट के कश लेता हुआ - अच्छा ठीक है.. ठीक है.. नहीं पीता अब से.. खुश?
गुड बॉय.. अच्छा मैं खाना बनाने जा रही हूँ.. रात को फ़ोन करूंगी.. बाय..
सूरज फ़ोन काटते हुए - बाय भाभी..
सूरज फ़ोन कटने के बाद काफी देर तक छत पर टहलता रहा और अपने मन में उठते ख्यालों से मिलता रहा.. उसके मन में गरिमा के लिए कुछ नहीं था.. वो गरिमा को सिर्फ भाभी के रूप में देख रहा था जो अच्छा दोस्त बन गई थी.. दोनों की उम्र में सिर्फ दो-तीन साल का फासला था और कुछ नहीं.. गरिमा को प्रेम के बंधन में बंधने लगी थी और उसे इस बात की खबर तक ना थी.. अनजाने में ही सही मगर उसे अहसास होने लगा था कि सूरज से बात करके वो खुश रहने लगी थी और उसकी उदासी गायब होने लगी थी अकेलापन दूर होने लगा था..
सूरज को आज चिंकी से भरपूर सेक्स मिला था जिससे सूरज फ्री और फ्रेश महसूस कर रहा था.. छत पर बैठे बैठे उसे शाम के सवा सात बज गए थे.. सूरज को एक फ़ोन आया तो वो छत से नीचे अपने कमरे में आ गया और जूते पहनने लगा कि तभी सुमित्रा ने सूरज से कहा - कहीं जारहा है हनी?
हाँ माँ एक दोस्त के पास जा रहा हूँ..
ले चाय पिले..
माँ इस वक़्त चाय? इस वक्त क्यू चाय बनाई है आपने?
बस ऐसे ही.. दिनभर बाहर था ना तू.. मुझे लगा तुझे नींद आ रही होगी.. इसलिए बना दी.. ले पिले..
रहने दो माँ मेरा मन नहीं चाय पिने का..
पिले ना हनी.. इतनी प्यार से बनाकर लाई हूँ और तू ऐसे जा रहा है..
अच्छा लाओ.. आप भी ना.. कई दिनों से जैसे पीछे ही पड़ गई हो.. इतना ख्याल मत रखा करो मेरा.. बच्चा नहीं हूँ मैं अब..
सूरज ने चाय पीते हुए कहा और सुमित्रा सूरज को चाय पीते देखकर एक्ससाईंटेड हो गई मगर अपनी फीलिंग पर नियंत्रण करते हुए सूरज को चाय पीते हुए ऐसे देखने लगी जैसे सूरज चाय नहीं कुछ और पी रहा हो..
माँ.. माँ... ध्यान कहा है आपका?
कहीं नहीं.. बस तू बड़ा प्यारा लग रहा है.. नज़र टिका लगाना शुरू करना पड़ेगा तुझे.. कहीं नज़र ना लग जाए तुझे.. पहले कि तरह..
अच्छा जी.. ये पकड़ो कप.. चाय अच्छी थी.. और अब जाने दो.. थोड़ा लेट आऊंगा तो आप सो जाना..
ठीक है बेटू जी..
सूरज बाहर चला जाता है और सुमित्रा चाय का कप लेकर नीचे रसोई में आ जाती है और कप रखकर अपने कमरे के बाथरूम में जाकर सूरज को चाय पीता हुआ याद करके अपनी योनि सहलाती थी कुछ कामुक ख़याल सोचती है.. सुमित्रा ने चाय में कुछ मिलाया था पर क्या ये तो वही जानती थी जिससे वो सूरज को चाय पीता देखकर उत्तेजित हो उठी थी.. खैर.. जल्दी ही सुमित्रा ने अपने बेटे सूरज के नाम की चुत में ऊँगली करते हुए जयकारा लगाकर अपना पानी बहा दिया और फिर रसोई में आकर खाना बनाने लग गई..
सूरज घर से निकलकर अंकुश के पास आ गया था और दोनों मिलकर बंसी काका के घर चले गए थे जहाँ बंसी उन दोनों का ही बड़ी बेसब्री से इंतेज़ार कर रहा था.. आज दूकान जल्दी बंद कर बंसी घर आ गया था और शराब कि एक बोतल के साथ कुछ चखने का सामान और छोटी मोटी चीज़े लेकर अंकुश और सूरज के इंतजार में खड़ा था..
बंसी एक 55-60 साल के करीब का आदमी था और बचपन से ही पुशतेनी किराने कि दूकान चलाता था.. स्वभाव से सरल लेकिन आशिक़ मिज़ाज़ और बातूनी किस्म का आदमी था बंसी.. सूरज को बंसी कि बेटी बरखा टूशन पढ़ाती थी और बचपन से ही बंसी और उसकी पत्नी हेमलता दोनों सूरज को जानते थे.. बंसी के खुलेपन और बाल सफ़ेद होने के बाद भी रंगिनिया ऐसी थी कि आज का नौजवान लड़का भी शर्मा जाए.. इसके करण उसकि दोस्ती पहले सूरज फिर अंकुश से हो गई थी और दोनों स्कूल के बाद से ही बंसी के साथ बैठकर टाइमपास और कभी कभी महफिल जमाकार शराब पिने लगे थे.. बंसी को अगर किसी का डर था तो वो उसकी पत्नी हेमलता थी.. बंसी के 2 बेटे और एक बेटी थी.. दोनों बेटे तो बड़े शहर जाकर वही सेटल हो चुके थे और बेटी बरखा का भी 8 साल पहले ब्याह हो चूका था.. बंसी और उसकी पत्नी हेमलता ही अब यहां साथ रहते थे.. आज हेमलता मोहल्ले में किसी के घर जगराते में चली गई थी और बंसी अकेला घर में था..
सूरज और अंकुश रात आठ बजे बंसी के घर पहुचे तो उन्होंने देखा कि बंसी उनकी का इंतेज़ार कर रहा था.. तीनो एक साथ घर कि छत पर आ गए और छत पर सीढ़ियों के पास एक छोटी सी जगह बैठकर तीनो ने शराब कि बोलत खोलकर एक एक पेग बना लिया जाम हाथ में लेकर इधर उधर कि बातें करने लगे.. बंसी को सामान कि लिस्ट भी दे दी गई थी और बंसी ने सूरज से परवाह ना करने का कहते हुए पड़ोस में नई नई आकर रहने लगी एक 40 साल की महिला सपना के बारे में बात करते हुए अपनी ठरक को बाहर लाने लगे..
साली आग है आग.. बोबे तो इतने हिलते है क्या कहु.. आज दूकान पर सामान लेने आई थी मेरा तो मन किया पकड़ के चूस लूँ सपना के बोबो को.. बहन कि लोड़ी क्या चीज है..
अंकुश हसते हुए - काका लगता है वापस जुगाड़ करवाना पड़ेगा आपका.. ठरक चढ़ती जा रही है आपके सर में..
सूरज - काका क्यों किसी भली औरत को देखते हो.. छेड़खानी के अलावा कुछ करना तो है नहीं आपको.. पिछली बार का याद है ना अक्कू? क्या बोल रही थी वो औरत कमरे निकलकर..
अंकुश हँसते हुए - हाँ.. बन्दुक जंग खा चुकी है अब गोली नहीं चलेगी.. आधे घंटे काका ढीले लंड को पकड़ के हिलाती रही फिर भी कुछ नहीं हुआ..
बंसी - अरे उस दिन तो मैं बीमार था..
सूरज - कम से कम झूठ तो मत बोलो काका.. शराब पी रहे हो.. बीमार होते जुगाड़ के पास थोड़ी आने को तैयार होते.. ये बोलो अब उम्र हो गई है आपकी बातों के अलावा कुछ नहीं कर सकते..
अंकुश - ऐसा मत बोल भाई.. काका इस बार मैं गोली लाऊंगा आपको गोली खा के पेलना..
बंसी - इस बार तो धुमा उठा दूंगा बहनचोद..
सूरज हसते हुए - ज्यादा एक्ससिटेड मत हो काका कहीं अभी हार्टअटैक ना आ जाए..
बंसी - कोई सपना जैसी मिल जाए बहन चोद.. तब मज़ा आये..
अंकुश दूसरा पेग बनाते हुए - इस बार कोई मिल्फ ही देखेंगे काका आपके लिए..
सूरज - जाके सपना से बात कर लेना अक्कू.. क्या पता मान जाए.. काका कि पेर्सनालिटी भी गज़ब है..
बंसी - हाँ बड़ा धर्मेंद्र हूँ ना मैं.. बहनचोद..
अंकुश - धर्मेंद्र से कम भी नहीं हो काका..
सूरज - और क्या.. बस सर के आधे बाल ही तो उड़े है.. बाकी आधे सफ़ेद है.. और थोड़ी तोंद निकली है..
अंकुश - और क्या.. लम्बाई ज्यादा नहीं तो क्या हुआ उसे क्या फर्क पड़ता है.. नावाज़ुद्दीन सिद्दकी लगते हो बिलकुल..
बंसी - तुम दोनों तारीफ़ कर रहे हो या मेरी गांड मार रहे हो..
अंकुश - काका आप तो गलत ले गए बातों को.. कोई ना छोडो इस बार ऐसी ढूंढेगे आपको पसंद आएगी..
बंसी पेग पीते हुए - बहनचोद उठा उठा के चोदुँगा.. अह्ह्ह.. करगी देखना..
सूरज हसते हुए अपना दूसरा पेग बिना पिए - मैं मूत के आता हूँ काका..
छत पर पीछे कोने में बाथरूम था जहाँ सूरज चला गया था और अब अंकुश ने तीसरा पेग बनाया ही था कि हेमलता एक डंडा लेकर छत पर आ गई और बंसी और अंकुश को मारते हुए बोली - यही सब करना आता है तुम लोगों को.. और तुम बेटे से भी कम उम्र के बच्चों के साथ शराब पीते हो शर्म नहीं आती तुमको..
अंकुश तो जैसे हेमलता को देखते ही उसका पहला डंडा खाकर रफ्फुचकर हो गया मगर बंसी के 3-4 पड़ चुके थे.. बंसी हेमलता के सामने हाथ जोड़ता हुआ नीचे चला गया और उसका सारा नशा उतर चूका था..
अंकुश बंसी तो हेमलता से बचकर नीचे भाग गए मगर हेमलता शराब के तीन गिलास देखकर सब समझ गई थी.. हेमलता ने इधर उधर देखा फिर बाथरूम के दरवाजे बंद देखे तो वो समझ गई थी कि सूरज अंदर ही है.. हेमलता ने सीढ़ियों का दरवाजा बंद कर दिया और बाथरूम के पास आ गई..
बाथरूम के अंदर बैठे हुये सूरज ने शोर होने पर बाथरूम के दरवाजे के ऊपर से सब देख लिया था और वो चुपचाप अंदर बैठ गया था और सोच रहा था कि अगर वो बाहर निकला तो उसका पीटना भी आज तय है..
हेमलता हाथ में डंडा लेकर बाथरूम के दरवाजे के बाहर आकर खड़ी हो गई और बोली - हनी बाहर आ..
सूरज ये सुनते ही अपने सर पर हाथ रख कर मन में बोल पड़ा - आज तो गए.. काका ने फंसा दिया..
हेमलता फिर से बोली - हनी बाहर आता है या मैं बाहर से दरवाजा लॉक करू? रुक सुमित्रा को भी फ़ोन करती हूँ मैं..
सूरज दरवाजा खोलकर अपने दोनों कान पकडे हुए खड़े होकर - काकी माफ़ कर दो.. मैं बस काम से आया था काका ने जबरदस्ती बैठा लिया..
हेमलता बाथरूम के अंदर जाकर सूरज कि गांड और पीठ पर 2-3 डंडे मारती है और कहती है - तूने फिर से पीना शुरू कर दिया.. रुक आज मैं अच्छे से सबक सिखाती हूँ तुझे.. बहुत बिगड़ गया है तू.. अरे उस 60 साल के बूढ़े को दिमाग नहीं है पर तुझे तो शर्म होनी चाहिए ना..
इस बार हेमलता ने डंडा घुमाया और सूरज को मारती इससे पहले ही सूरज ने हेमलता को बाहों में कस के पकड़ लिया और उसे बाहों में भरके डंडा नीचे करते हुए बोला - सॉरी ना काकी.. मैं मना कर रहा था.. वो दोनों ही मुझे लेकर आये थे मैं तो अब शराब को हाथ भी नहीं लगाता.. आप तो जानती हो काकी मैं केसा हूँ.. प्लीज माफ़ कर दो..
हेमलता हरयाना के एक पहलवान परिवार से आती थी और अब उसकी उम्र का 52वा साल चल रहा था.. देखने में रंग साफ और बदन सुडोल था मगर उम्र के अनुसार ही दिखती थी.. सूरज जिस तरह हेमलता को बाहों में भरा हुआ था उसे हेमलता को अजीब सी सिरहन होने लगी थी.. उसे याद भी नहीं था कभी किसी मर्द ने पहले उसे इस तरह पकड़ा हो.. सूरज कि मजबूत पकड़ ने हेमलता के मन को अस्त यस्त कर दिया था हेमलता सूरज को अपने बच्चे जैसा ही मानती थी और बचपन से उसे देखते आई थी जब वो उसकी बेटी बरखा के पास टूशन पढ़ने आया करता था.. हेमलता का पति सालों पहले ही सम्भोग की परिधि से बाहर हो चूका था अब बस छेड़खानी ही कर सकता और हेमलता के साथ तो वो भी नहीं करता.. ऊपर से बंसी कम हाइट का था और हेमलता उसे लम्बी थी तो बाहों में भरने का सवाल ही नहीं था..
सूरज अभी हेमलता को बाहों में भरे छत के बाथरूम में खड़ा था और बार बार हेमलता से माफ़ करने और सुमित्रा से ना कहने की बात कर रहा था वही हेमलता को अब सूरज की शारीरिक ताकत का अहसास होने लगा था और वो सूरज के इतने करीब थी की उसकी साँसों में घुली हुई शराब की महक तक को महसूस कर रही थी.. हेमलता सूरज की साँसों को महसूस करते हुए अपनी आँखे बड़ी करके सूरज के मुख को देखे ही जा रही थी मगर सूरज हेमलता की मनोदशा से अनजान उसे अपने बातें कहे जा रहा था..
हेमलता अपने मन को संभालती हुई सूरज से बोली - हनी छोड़ मुझे...
सूरज - नहीं.. पहले काकी आपको वादा करो मम्मी से कुछ नहीं कहोगी..
हेमलता मन में सोच रही थी की अगर वो सूरज की बात झट से मान लेगी तो सूरज उसे छोड़ देगा मगर अब हेमलता सूरज के साथ उसी तरह थोड़ा और समय खड़ी रहना चाहती थी इसलिए उसने नाटक करना शुरू कर दिया..
हेमलता - बोलना पड़ेगा ना.. कितना बिगड़ चूका है तू.. 4-5 दिन बाद में बड़े बेटे की सगाई भाई की सगाई और छोटा बेटा अपने बाप दादा की उम्र के आदमी के साथ बैठकर शराब पी रहा है.. छोड़ मुझे..
सूरज - काकी बताया तो मैं अपने मन से नहीं आया.. और आपको क्या मिलेगा माँ या पापा को बताकर? रहने दो.. इस बार माफ़ कर दो काकी अगली बार काका के साथ दिखूंगा भी नहीं..
हेमलता की छाती के उभर सूरज के सीने में धसे हुए थे और सूरज एक हाथ से हेमलता की कमर थाम कर उसे अपने करीब खींचके खड़ा था तो दूसरे हाथ से हेमलता के हाथ की कलाई पकड़े हुए था जिसमे हेमलता ने डंडा पकड़ा था.. हेमलता की चूची के चुचक खड़े हो चुके थे जिसका अहसास सूरज को अपनी छाती पर होने तो लगा था मगर उसने इन सब पर ध्यान नहीं दिया और हेमलता से उसी तरह बात करता रहा.. हेमलता का सारा गुस्सा शांत हो चूका था और अब वो धीरे से ही सूरज से बात कर रही थी..
हेमलता - मैं कैसे मानु?
सूरज - आपकी कसम काकी..
हेमलता - झूठी कसम खा रहा है.. तू तो चाहता ही है कि मैं मर जाऊ..
सूरज - ऐसा मत बोलो काकी.. आपके लिए मैं ऐसा कभी नहीं सोच सकता.. आप तो सो साल से भी ज्यादा जीने वाली हो.. अभी उम्र ही क्या है आपकी..
हेमलता मुस्कुराते हुए - अच्छा छोड़ नहीं बोलूंगी सुमित्रा को.. पर अब अपने काका के साथ दिखा ना बता देती हूँ छोडूंगी नहीं..
सूरज हेमलता को छोड़ते हुए - पक्का अब से बंसी काका से बात भी नहीं करूँगा.. मैं जाऊ?
हेमलता चाहती तो नहीं थी कि सूरज उसे अपनी बाहों से छोड़कर वहा से जाए मगर उसने दिल पर पत्थर रखकर कहा - जा.. फिर कुछ सोचकर बोली.. अच्छा सुन हनी...
सूरज - हाँ.. काकी?
हेमलता छत पर सीढ़ियों के पास सूरज को रोककर बोली - तू एक काम कर देगा?
सूरज - बोलो ना काकी क्या करना..
हेमलता - कल तेरी बरखा दीदी सुबह की ट्रैन से आ रही है तू सुबह छः बजे जाकर दीदी को ले आएगा...
सूरज मुस्कुराते हुए - काकी ये भी कोई पूछने वाली बात है मैं सुबह स्टेशन जाकर दीदी को ले आऊंगा.. वैसे एक बात पुछु काकी.
हेमलता - बोल.
सूरज - आपको जगराते में गई थी ना काका बता रहे थे.
हेमलता सूराज के गाल खींचते हुए प्यार से - हाँ गई थी.. मगर मुझे इसी बात का शक था तो वहा बहाना बनाकर थोड़ी देर के लिए वापस आ गई.. और तुम सब पकडे गए.. इस बार जो वादा किया है याद रखना.
सूरज - हाँ काकी.. ठीक है.. मैं चलता हूँ कल दीदी को ले आऊंगा.
सूरज चला जाता है और हेमलता खड़ी हुई उसे जाते हुए देखती रहती है... हेमलता सूरज को अपने बेटे जेसा ही मानती थी मगर आज जैसे सूरज ने हेमलता को पकड़ा था उसने हेमलता की सोच को बदलने के लिए मजबूर कर दिया था.. हेमलता ने अपने आँचल को बाथरूम से आने के बाद जानबूझ कर सरका दिया था ताकी सूरज उसके उभार देख सके और चूचियाँ देखकर उसकी तरफ आकर्षित हो मगर सूरज ने उसके चेहरे के नीचे खुले बगीचे को देखकर भी अनदेखा कर दिया.. सूरज के लिए हेमलता भी अनुराधा जैसी ही थी.. सूरज के मन में कोई पाप नहीं था सो हेमलता के आँचल हटाने और अपनी आधी नंगी चूचियाँ जानबूझकर दिखाने के बाद भी सूरज ने हेमलता के उभारो पर धयान नहीं दिया और सामान्य तरीके से बात करता हुआ वहा से चला गया..
सूरज के जाने के बाद हेमलता के अहसास हुआ की उसकी योनि से तरल बह रहा है और वो सूरज के कराने इतने सालों बाद ऐसी दशा में आई थी.. हेमलता ने बाथरूम में जाकर सूरज की पकड़ के याद करते हुए अपनी चुत को सहलाना शुरू कर दिया और अपनी ऊँगली को चुत में अंदर डालकर सूरज के नाम की ऊँगली करके अपने अंदर का सेलाब बाहर निकाल दिया..
थोड़ी देर बाद हेमलता वापस जगराते में आ गई थी मगर अब उसका मन घर की छत के बाथरूम में ही था जहाँ सूरज ने उसे पकड़ा था हेमलता उस पल को याद कर मंद मंद मुस्काते हुए बाकी औरतों के साथ ही बैठी थी.. और अब उसका मन जगराते में हो रहे भजन में नहीं लग रहा था..
अंकुश तो सीधा बंसी के यहां से निकालकर घर चला गया था मगर सूरज सीधा बिलाल की दूकान पर पहुंच गया था और सीधा पर कुर्सी पर बैठ गया..
हनी यहां मत बैठे.. बाल ही बाल पड़े है लग जाएंगे..
सूरज कुर्सी पर से खड़ा होकर पुरानी कुर्सी पर बैठ जाता है और कहता है - लगता है आज कई कस्टमर आये दूकान पर..
बिलाल कुर्सी साफ करता हुआ - भाई कल जो तूने बोला था आज सच हो गया.. सुबह से फुर्सत ही नहीं मिली काम से.. अभी फ्री हुआ हूँ.. तू बता कहाँ से आ रहा है..
सूरज - बंसी काका के यहां शराब पिने गया था अक्कू के साथ..
बिलाल - फिर? शराब पिया हुआ तो नहीं लग रहा तू..
सूरज - कहा से पीते छोटा सा एक पग पिने के बाद तो काकी प्रकट हो गई.. डंडे से मार रही थी बड़ी मुश्किल से बचके भागे है सब..
बिलाल हसते हुए - कोई बात नहीं भाई.. अपन दोनों भाई बैठके पीते है.. चाबी दे तेरी.. मैं लेके आता हूँ बोतल..
सूरज चाबी देते हुए - बोतल का क्या करेगा?
बिलाल दूकान का शटर नीचे करते हुए - आगे काम आ जायेगी.. बिलाल शराब लाने चला जाता है..
नज़मा - भाईजान.. ये कहा गए?
सूरज फ़ोन देखते हुए - ठेके पर गया है.. मैंने तो मना किया पर माना नहीं..
नज़मा - आज सुबह से भीड़ थी दूकान पर.. खाने की भी फुर्सत नहीं मिली..
सूरज उसी तरह - आज इतवार है ना भाभी.. इतवार को भीड़ तो रहती ही है..
नज़मा - इस दूकान में पहली बार थी भाईजान.. वरना कोई गिनती का एक्का दुक्का ही आता था इतवार को भी.. आपने जो मदद की है इनकी..
सूरज फ़ोन से निकालकर नज़मा को देखते हुए - भाभी बिलाल भाई जैसा है मेरे.. आप क्यों फालतू इतना सोचती हो.. बिलाल बता रहा था आपकी तबियत ख़राब है.. आपको आराम करो ना..
नज़मा मुस्कुराते हुए - अब ठीक है भाईजान.. कुछ चाहिए आपको..
सूरज वापस फ़ोन देखते हुए - नहीं भाभी..
नज़मा कुछ देर वही खड़ी रहकर हनी को देखती है फिर कुछ सोचकर अंदर चली जाती है..
बिलाल अंदर आकर अंदर वाले दरवाजे से दूकान में आ जाता है और बोतल सामने रखकर दो पेग बनाते हुए नज़मा को आवाज लगाता है और सलाद मंगा कर सूरज के साथ शराब पिने लगता है..
रात के गयराह बजे तक बिलाल और सूरज शराब पीते पीते आधी से ज्यादा बोतल खाली कर देते है और अब बिलाल और सूरज दोनों पुरे नशे में आ चुके थे..
सूरज - क्या हुआ बिल्ले.. इतना उदास क्यों है तू.. ज्यादा हो गई क्या तेरे?
बिलाल नशे में - हनी एक बात है यार.. बहुत दिल दुःखाती है..
सूरज - बता ना साले.. क्यों अंदर ही अंदर छुपा के रखी है तूने बात.. मैं हूँ ना बता क्या दुख है..
बिलाल - समझ नहीं आता यार.. कैसे कहूं..
सूरज - मुंह से बोल.. भाई तू अपना.. मुझ से क्या छिपाना.. बता क्या टेंशन है..
बिलाल - हनी.. नज़मा..
क्या हुआ नज़मा भाभी को?
उसे कुछ नहीं हुआ हनी.. कमी मुझसे में है.. यार.. शादी के 4 साल हो गए और अब तक कोई बच्चा नहीं हुआ..
तो हो जाएगा इतनी टेंशन क्यों ले रहा है.. अभी उम्र ही क्या है तेरी..
नहीं हनी.. नहीं होगा.. मैंने यार चेक अप करवाया था नज़मा की और मेरा.. भाई मेरे अंदर कमी है.. डॉक्टर कह रहे थे मैं कभी बाप नहीं बन पाऊंगा यार.. (रोते हुए) हनी.. पता नहीं क्या होगा यार.. तू भाई है इसलिए तुझे बता रहा हूँ..
ये क्या कह रहा है बिल्ले.. मतलब कैसे? कुछ समझ नहीं आ रहा.. तू बाप नहीं बन सकता.. मगर ये कैसे मुमकिन है..
भाई.. तू किसी से कहना मत..
अरे पागल है क्या बिल्ले.. तू फ़िक्र मत कर उस बात की.. पर.. ऐसा हो कैसे सकता है?
मुझे भी कुछ समझ नहीं आता यार.. बेचारी नज़मा मेरे साथ फंस गई.. मुझे कभी कभी ऐसा लगता है कि नज़मा मेरे साथ खुश नहीं है.. बिना बच्चे के कैसे रहेंगी.. मैं बहुत दिनों एक बात मन में दबा के बैठा हूँ हनी..
क्या बिल्ले..
यार समझ नहीं आता ये सही है या गलत पर.. आज मुझसे रहा नहीं जा रहा है..
बिल्ले तू जो भी कहना चाहता है खुलके बोल मैं तेरा बचपन का यार हूँ.. मुझसे जो हो सकेगा मैं करूँगा तू बता भाई.. और क्या मुसीबत है..
भाई.. मेरी एक बात मानेगा? क्या तू नज़मा के साथ..
बिल्ले पागल हो गया है क्या तू.. क्या कह रहा है.. देख तुझे ज्यादा हो गई छोड़ अब इसे.. जा तू खाना खाके सोजा अपन कल मिलेंगे..
हनी.. बैठ ना यार मैं नशे हूँ पर ये बात मैं बहुत पहले से सोच रहा था.. देख सिर्फ बच्चे की बात है.. एक बार नज़मा पेट से हो जाए बस...
बिल्ले.. देख मैं किसी अच्छे डॉक्टर को देखता हूँ सब सही हो जाएगा यार.. तू क्यों फ़िक्र करता है..
हनी मैंने कई बार टेस्ट करवाये है भाई.. मेरी बात मान ले.. तेरा ये अहसास मैं कभी नहीं भूलूंगा..
देख भाई.. ऐसा है अपन कभी और ये बात करेंगे तू अब जाके सो जा.. मैं भाभी को बुलाता हूँ..
यार तुझे क्या लगता है मैं ये सब पीके बोल रहा हूँ? नहीं हनी.. मैं कह रहा हूँ समझ यार.. जब नज़मा को सब बच्चे के लिए ताने मारते है मुझे बहुत बुरा लगता है शर्म आती है डर भी लगता है कहीं मेरी इस बात का किसी को बता ना लग जाए.. बहुत बदनामी होगी यार मेरी.. भाई तू मेरी बात मान ले.. देख तू मेरे सबसे ख़ास दोस्त है.. ये बात में तेरे अलावा किसी से नहीं कर सकता.. अक्कू से भी नहीं..
बिल्ले मैं तैयार भी हो जाऊ तो भाभी इसके लिए नहीं मानेगी.. समझ यार.. छोड़ ये बात अब.. सारा नशा काफूर हो गया.
उसकी चिंता तू मत कर.. मैं उसे मना लूंगा.. तू बस हाँ कर एक बार... हनी ये बात सिर्फ हमारे बिच ही रहनी चाहिए..
देख बिल्ले मैं नहीं जानता ये सही है या गलत पर तू एक बार और सोच ले भाई.. मुझे ये सब ठीक नहीं लगता.. चल मैं निकलता हूँ.. ज्यादा लेट हो गया आज..
बिलाल सूरज के गले लागकर - भाई मैं तेरा ये अहसास कभी नहीं भूलूंगा यार.. तूने मेरे लिए इतना सब किया है और अब भी कर रहा है..
सूरज - बिल्ले.. छोड़ यार.. बाद में बात करते है..
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Maja aa gaya....
Har ek female character mast ha....
Chinki ki Dominating nature...
Honey ki Mummy ki Nathkhat Piyasi Nature...
Hemlata Aunty ki Gadrai Gaay jasi Nature...
Or akhir ma Nazma ki Masumiyat...
Sab jabardas ha....
Kamal ka Update...
❤❤❤❤❤❤











