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Incest घर की मोहब्बत

rkv66

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Update 9



रात के 10 बजे सूरज सीढ़ियों से नीचे हॉल में आया तो उसके पापा ने कहा..

जयप्रकाश - इतना तैयार होके कहा जा रहा है?

सूरज - पापा वो एक दोस्त का bday है.. बस वही जा रहा था.. आज रात वही रहूँगा.. आपके स्कूटी कि चाबी चाहिए...

जयप्रकाश - वही कमरे में रखी होगी.. ले ले..

सूरज - ठीक है.. सूरज कमरे में जाता है तो पीछे पीछे सुमित्रा भी कमरे में चली जाती है..

सुमित्रा - तू सच में दोस्त के bday पर जा रहा है या कहीं और? सच बताना..

सूरज - दोस्त के bday में ही जा रहा हूँ माँ.. आप भी क्या मेरे पीछे ही पड़ी रहती हो हमेशा.. आजकल बहुत नज़र रखती हो मुझपर जैसे मैं कोई क्रिमिनल हूं.

सुमित्रा - खा मेरी कसम.. तू दोस्त के bday में जा रहा है..

सूरज - मैं कसम वसम नहीं मानता समझी आप..

सुमित्रा - तो खा ना मेरी कसम..

सूरज - मैं नहीं खाऊंगा..

सुमित्रा - सच बता कहा जा रहा है? वरना घर से कदम बाहर रखने नहीं दूंगी तुझे.. किसी लड़की से मिलने जा रहा है ना.. जैसे सगाई वाली रात मिलके आया था.. जो पैसे लेकर वो सब करती है.. बोल..

सूरज - माँ... क्या बोल रही हो..

सुमित्रा - सच बता सूरज..

सूरज - ठीक है.. पापा को नहीं बताओगी..

सुमित्रा - किसी को नहीं कहूँगी.. बता..

सूरज कोई झूठ बात सोचकर - दोस्त की ex गर्लफ्रेंड है किसी होटल में मिलने बुलाया है..

सुमित्रा - और तेरे उस दोस्त का क्या? उसे पता ये सब?

सूरज - माँ ex गर्लफ्रेंड है.. उसे अब क्या मतलब..

सुमित्रा अपने ब्लाउज में से बटुआ निकालकर 1 हज़ार रुपए सूरज की जेब में रख देती है और कहती है - कंडोम पहन के करना जो करना है.. आजकल की लड़किया बहुत तेज़ हो गई है.. किसी भी शरीफ लड़के अपने जाल फँसाना उन्हें अच्छे से आता है.. समझा?

सुमित्रा का पल्लू हटा हुआ था और ब्लाउज में उसकी क्लीवेज साफ साफ सूरज को दिख रही थी.. जिसे सुमित्रा ने जानबूझ कर खुला छोड़ दिया था ताकि सूरज उसकी और आकर्षित हो सके मगर सूरज ने वो सब देखकर सुमित्रा से कहा..
सूरज - समझ गया माँ.. और आप अपना ये खज़ाना छुपा लो.. पापा की नज़र पड़ गई तो अगले साल मेरा छोटा भाई या बहन पैदा हो जाएगा..

सुमित्रा सूरज की बात सुनकर हसते हुए बिना अपना पल्लू अपने ब्लाउज के ऊपर किये बोली - नहीं होगा.. तेरे पापा सालों पहले ही अपनी हिम्मत हार चुके है..

सूरज हसते हुए - तभी अक्सर आप वो गाना गाती हो.. मैं क्या करू राम मुझे बुड्ढा मिल गया..

सुमित्रा हसते हुए - चुप शैतान.. मा से कोई ऐसे बात करता है भला? अब जा.. और सुबह जल्दी आ जाना.. रात को कोई भी परेशानी हो मुझे फ़ोन या मैसेज करना..

सूरज सुमित्रा को बाहो मे लेके गाल पर चुम्मा देकर - माँ आप बहुत प्यारी हो.. काश कोई आपके जैसी मुझे भी मिल जाए..

सुमित्रा - अच्छा? क्या करेगा अगर कोई मेरी जैसी मिल गई तो?

सूरज - सब सोचा हुआ माँ.. पहले शादी फिर सुहागरात उसके बाद 8-10 बच्चे..

सुमित्रा चौंकते हुए - 8-10?

सूरज - क्यों कम है? ज्यादा भी हो सकते है..

सुमित्रा हस्ते हुए - अच्छा अब मुझे छोड़.. तेरे पापा हम दोनों को ऐसे देखेंगे तो गलत समझेंगे..

सूरज - तो समझने दो.. गले लगने मे भी कोई अगर गलत समझें तो हम क्या कर सकते है? मैं तो अपनी मा को अपनी मर्ज़ी से छोडूंगा..

सुमित्रा - अच्छा? मुझे ऐसे बाहो मे भरके खड़ा रहेगा तो तेरी उस दोस्त की गर्लफ्रेंड का क्या होगा जो तेरा इंतजार कर रही है?

सूरज - उसे इंतजार करने दो.. मेरे लिए मेरी मा से बढ़कर कोई है..

सुमित्रा और सूरज गले लगे हुए थे और बात कर रहे थे बात करते करते उनके चेहरे एकदूसरे के कितने करीब आ गए थे उन्हें भी पता नहीं चला.. सुमित्रा तो जैसे अपना संयम खोने है वाली थी अगर बाहर से जयप्रकाश के खांसाने की आवाज ना आती तो शायद आज सुमित्रा ने सूरज के होंठो पर अपनी मोहब्बत या कहो हवस की मुहर लगा है देती..

जयप्रकाश की खांसी सुनकर सूरज ने सुमित्रा से कहाँ - पापा को खांसी की दवा दे दो.. दो दिनों से बहुत खांसी हो रही है उन्हें.. और अब अपना ये खज़ाना भी छीपा लो.. सूरज ने सुमित्रा को बाहो से आजाद करते हुए उसका पल्लू ब्लाउज के ऊपर करते हुए कहा..

सुमित्रा उदासी से - ऐसे खज़ाने का क्या फ़ायदा जिसे कोई लूटने वाला है ना हो..

सूरज - क्या कहा आपने?

सुमित्रा - कुछ नहीं.. अब जा..

सूरज सुमित्रा के गाल पर चुम्मा देकर - बाय माँ..

सुमित्रा की बात को सूरज ने सुन लिया था और अनजान बनकर उसे अनसुना भी कर दिया था मगर सूरज को अब इस बात का अहसास हो चूका था की सुमित्रा कितनी अकेली है और उससे बात करने वाला और उसके साथ वक़्त बिताने वाला कोई है नहीं.. जयप्रकाश भी सुमित्रा के साथ उतना वक़्त नहीं बताते थे वो अकसर अपने दोस्तों या दफ़्तर की फाइल्स मे गुस्से रहते थे..

सूरज घर से निकलता है कि उसके फ़ोन पर बरखा का फ़ोन आ जाता है..

हेलो

क्या कर रहा है हनी..

कुछ नहीं दी..

घर आ सकता है?

इस वक़्त? आ जाऊंगा पर.. सब ठीक है ना?

हाँ सब ठीक है.. तू आजा..

बात क्या है दी? बताओ ना..

अरे कुछ नहीं.. कोई जरुरी काम कर रहा है तो रहने दे.. कोई बात नहीं..

नहीं दी.. आपसे ज्यादा क्या जरुरी काम? बस खाना खाने जा रहा था.. आता हूँ..

आजा.. अपने हाथ से खाना बनाके खिला दूंगी तुझे..

बरखा ने फ़ोन काट दिया और मुस्कुराते हुए हनी के बारे में सोचने लगी.. पीछे कुछ दिनों से उसके मन में सूरज ही घूम रहा था.. सिर्फ उसके ही नहीं हेमलता के भी.. मगर हेमलता ने अपनी भावनाओं पर काबू पा लिया था.. बरखा को ना जाने क्यों आज सूरज से मिलने कि तलब हुई और उसने रात के इस वक़्त उसे फ़ोन कर दिया.. सूरज कुछ ही देर में बरखा के घर आ गया और बरखा ने दरवाजा खोलकर सूरज को घर के अंदर रसोई में ले गई..

क्या हुआ दी? और काका काकी कहा है?

वो तो यात्रा में गए है कल सुबह आ जायेंगे.. तेरे लिए पराठे बनाये है.. खिला दूँ अपने हाथ से?

क्या बात है दी.. बड़ा प्यार आ रहा है मुझ पर आपको आज?

क्यों? नहीं आ सकता?

नहीं.. आ सकता है.. पर आज कुछ ज्यादा ही आ रहा है ना इसलिए पूछ लिया..

बरखा अपने हाथ सूरज को खाना खिलाती हुई - कल मैं वापस जा रही हूँ.. सोचा एक बार अपने हनी से मिल लूँ.. इसलिए बुला लिया.. गलत किया?

सूरज खाना खाते हुए - नहीं.. अच्छा किया दी.. आप कुछ और दिन रह जाती ना दी..

वापस आउंगी तब रहूंगी.. लेकिन एक बात बता.. तू इतना सज धज के क्यों आया है?
मुझे इम्प्रेस करने के लिए?

आपको इम्प्रेस करने के लिए मुझे सजने की जरुरत है? और वैसे आपको इम्प्रेस करके मुझे क्या मिलेगा? आपको तो अपनी बड़ी बहन मानता हूँ मैं..

बरखा खाना खिलाते हुए - मैं अच्छे से जानती हूँ आजकल के लड़को को.. वो क्या कहते है.. हां.. गांधी जी की योजना.. बहन बनाकर चो...

बरखा आगे बोल पाती इससे पहले ही सूरज बोला..
सूरज - दीदी... आप ना बहुत बेशर्म हो गई हो.. कुछ भी सोचती और बोलती हो.. और हाथ दो जरा आपका.. सूरज बरखा की उंगलियां सुघकर.. सिगरेट पी रही थी मेरे आने से पहले?

बरखा हस्ते हुए अपना हाथ छुड़ाकर सूरज को खाना खिलाते हुए - उसके लिए भी तुझसे पूछना पड़ेगा मुझे?

सूरज - कल कब की ट्रैन है?

बरखा - दिन की है.. 3 बजे की..

सूरज - मैं स्टेशन छोड़ दूंगा आपको..

बरखा - अच्छा? स्टेशन का रास्ता कितना सुनसान है.. तूने रास्ते में मेरे साथ कुछ ऐसा वैसा कर दिया तो? मैं क्या करूंगी? बोल..

सूरज - दी.. आपने मज़े लेने के लिए बुलाया है ना मुझे?

बरखा मुस्कुराते हुए - तेरे मज़े लेने के लिए बुलाने की क्या जरुरत है? वो तो फ़ोन पर ही ले लेती मैं.. मुझे तेरी ये प्यारी और मासूम सी शकल देखनी थी..

सूरज - देख ली? अब मैं जाऊ?

बरखा - बड़ी बहन मानता है ना मुझे.. मेरे लिए थोड़ी देर और नहीं रुक सकता?

सूरज - ठीक है...

बरखा - शराब पियेगा मेरे साथ?

सूरज - नहीं..

बरखा - पापा के साथ तो पिता है..

सूरज - कभी कभी..

बरखा - हाँ तो वो कभी आज मेरे साथ है..

सूरज - काकी को पता चल गया ना.. जान ले लेगी मेरी..

बरखा - बताएगा कौन? तू?

बरखा अपने पीता बंसी की छुपाई हुई शराब की बोतल निकालती है और दो पेग बनाती है और एक सूरज को दे देती है..

सूरज - दी.. आप कमाल हो..

बरखा शराब पीते हुए - एक पर्सनल बात पुछु?

सूरज पेग ख़त्म करके - हम्म..

बरखा भी अपना पेग ख़त्म करके - तेरी कोई गर्लफ्रेंड तो है नहीं.. फिर काम कैसे चलता है तेरा?

सूरज - कोनसा काम?

बरखा दूसरा पेग बनाकर सूरज को देती है फिर अपने हाथ से लंड हिलाने का इशारा करते हुए कहती है - ये काम.. अब समझा?

सूरज हसते हुए - मुझे ना अब शर्म आने लगी है आपके साथ..

बरखा मुस्कुराते हुए अपना दूसरा पेग पीकर - शर्माता हुआ कितना क्यूट लगता है तू.. वैसा बता ना.. सिर्फ हाथ से जयकारे लगाता है या कोई छेद भी ढूंढ़ रखा है छोटे नवाब के लिए?

सूरज दूसरा पेग पीकर - आपको क्यों बताऊ? वैसे भी बहन भाई के बीच ऐसी बातें अच्छी नहीं लगती.. और अब ज्यादा मत पियो.. नशा होने लगा है आपको..

बरखा तीसरा पेग बनाकर - एक आखिरी हो जाए बस..

सूरज पेग उठाकर - अगर काकी को पता चला ना तो फिर देख लेना आप..

बरखा पेग पीते हुए - उसकी चिंता छोड़ दे.. तू बता गर्लफ्रेंड है या नहीं.. अगर नहीं है तो मैं बनवा दूंगी.. मेरा छोटा भाई अपने हाथ से काम चलाये.. अच्छा थोड़ी लगता है..

सूरज - किसे बनाओगी मेरी गर्लफ्रेंड?

बरखा - लड़कियों की कोई कमी थोड़ी है उदयपुर में.. जिससे बोलेगा उसीके साथ करवा दूंगी..

सूरज कुछ सोचकर - सपना आंटी पसंद मुझे..

बरखा - वो पड़ोस वाली? 40 साल की बुड्ढी?

सूरज अपना पेग ख़त्म करके - अभी से कहा बुड्ढी हो गई वो?

बरखा अपना पेग ख़त्म करते हुए - तुझे बड़ी औरते पसंद है?

सूरज - कोई बुराई है इसमें?

बरखा हसते हुए - नहीं.. वो बात नहीं है.. तू फ़िक्र मत कर तेरा काम हो जाएगा..

सूरज अपने फ़ोन पर बिलाल का फ़ोन आता देखकर - घर से फ़ोन आ रहा है.. अब जाऊ?

बरखा - ठीक है किस्सी दे जा एक..

सूरज बरखा के गाल पर kiss करता है..

बरखा नशे में - गाल पर नहीं हनी.. होंठो पर..

सूरज हसते हुए - अब कुछ ज्यादा हो रहा है आपका दी..

बरखा - कोनसी तेरी इज़्ज़त लूट रही हूँ.. एक kiss के लिए ही तो बोला है.. छोटा था तब भी तो करता था..

सूरज हसते हुए - करता नहीं था आप जबरदस्ती चूमती थी मुझे.. वो तो कोई देखने वाला नहीं था वरना बच्चे को मोलेस्ट करने के चार्ज में जेल जाती आप..

बरखा सूरज की शर्ट का कॉलर पकड़कर - हाय रे बच्चा... जब भाग भाग कर खुद मेरे पास आता था और कहता था दीदी चुम्मी दो और खुद मेरे होंठों पर टूट पड़ता था.. उसका क्या? मज़ा तुझे भी पूरा आता था..

सूरज मुस्कुराते हुए - आदत तो आपने ही लगाईं थी.. मैं तो बच्चा था..

बरखा - सपना आंटी चाहिए तो बरखा दीदी को चुम्मी करनी पड़ेगी जैसे बचपन में करता था..

सूरज बरखा के होंठों पर अपने होंठ रखकर चूमते हुए - बस?? अब जाता हूँ.. टाइम पास ज्यादा हो गया.. आप ख्याल रखना अपना..

बरखा - कल टाइम से आ जाना.. वरना मैं चली जाउंगी..

सूरज जाते हुए - ठीक है..

बरखा सूरज के जाने के बाद एक और शराब का पेग बनाकर पीती है और सिगरेट जलाकर कश केती हुई सपना को फ़ोन कर देती है...

हेलो..

सो रही थी क्या भाभी?

नहीं बरखा.. टीवी देख रही थी.. अब बस सोने ही जा रही थी.. बोलो इतनी रात को कैसे याद आ गई मेरी?

सपना (40)
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मुझे नहीं किसी और को तुम्हारी याद आती है रातों में..

सपना हसते हुए - अच्छा? तुम्हारे पापा से कहो सत्संग करने की उम्र में सम्भोग करने के सपने ना देखे.. दूकान पर सामान लेने आती हूँ तो ब्लाउज में ऐसे झांकते है जैसे आँखों से घूर के ब्रा का साइज़ बढ़ा देंगे.. कुछ करो अपने पापा का तुम..

बरखा - अरे भाभी.. पापा के बारे में बात नहीं कर रही.. पापा तो है ही एक नम्बर के ठरकी.. एक प्यारा सा लड़का है 22-23 साल का.. भाई की तरह है मेरे.. पसंद करता है तुम्हे.. एक बार बेचारे को जन्नत दिखा दो.. खुश हो जाएगा..

सपना हसते हुए - तस्वीर भेज दे.. पसंद आया तो बताउंगी..

बरखा - भेजती हूँ...

बरखा सूरज की तस्वीर भेजती है.. सपना तस्वीर देखकर फौरन बरखा को मैसेज करती है.. भेज देना अपने भाई को.. पेट भरके खुश कर दूंगी उसे..

बरखा मैसेज पढ़कर मुस्कुराते हुए ok लिख देती है और सिगरेट के कश लेती हुई नशे में धुत होकर सोचती है कि अगर सूरज सपना के साथ ये सब कर सकता है वो उसके साथ भी कर सकता है.. बस सूरज को किसी तरह अपने साथ सोने के लिए मानना पड़ेगा..


**********


सूरज बरखा के घर से बिलाल के घर जाने को निकला तो रास्ते में झील किनारे उसे कई दुकाने रात के इस वक़्त भी खुली दिखाई दी.. जहाँ टूरिस्ट खड़े हुए थे.. कई खाने की तो कई फेंसी आइटम की शॉप्स थी कुछ कपड़ो की..
सूरज ने स्कूटी एक दूकान के आगे रोक दी और अंदर जाकर कुछ खरीदकर वापस आ गया और स्कूटी स्टार्ट करके सूरज अब सीधा बिलाल के घर आ गया फिर स्कूटी अंदर खड़ी करके दुकान में बैठ जाता है..

रात के साढ़े 11 बज चुके थे सूरज नशे के सुरूर में था.. हालांकि उसे ज्यादा नशा नहीं हुआ था मगर फिर भी उसे शराब का सुरूर होने लगा रहा.. दूकान का शटर नीचे था.. बिलाल अंदर से आते हुए कहता है..
बिलाल - हनी..

सूरज कुर्सी से उठकर - बिल्ले..

बिलाल - मैं ऊपर सोने जा रहा हूँ.. तेरी भाभी पीछे कमरे में है..

सूरज - बिल्ले एक बार फिर सोच ले..

बिलाल - हनी मैंने सो बार यही सोचा है.. तू बस जब तक नज़मा प्रेग्नेंट ना हो जाए तब तक संभाल ले..

सूरज - ठीक है बिल्ले.. किसीको पता ना चले बस..

बिलाल - तुझसे ज्यादा मुझे उस बात की चिंता है.. मैंने नज़मा को समझा दिया है वो तुझे नहीं रोकेगी..

सूरज - ठीक है..

बिलाल - सुबह 6 बजे मैं नीचे आऊंगा.. तब तक तू और नज़मा अकेले नीचे रहोगे.. किसी चीज़ की जरूरत हो तो नज़मा से कह देना.. मैं जाता हूँ..

बिलाल ऊपर सोने चला गया और सूरज धीमे धीमे कदमो से पीछे वाले कमरे में दाखिल हो गया.. कमरे में अंधेरा था और बाहर आँगन मे जल रहे लट्टू की हलकी सी रौशनी कमरे में आ रही थी जिससे मध्यम रोशनी मे अंदर का नज़ारा देखा जा सकता था.. नज़मा बेड पर बैठी हुई थी.. उसके गोरे बदन पर गुलाबी सलवार थी और सफ़ेद दुपट्टा उसके जोबन को ढके हुए था..
सूरज ने कमरे के अंदर आकर बिना दरवाजा बंद किये लाइट जलाने लगा तभी नज़मा बोली..

नज़मा - लाइट मत जलाइये भाईजान..

सूरज ने लाइट नहीं जलाई और नज़मा के पास बिस्तर पर आकर बैठ गया..

सूरज ने जो रास्ते में ख़रीदा था वो नज़मा को देते हुए - भाभी ये आपके लिए..

नज़मा ने सूरज से थैला लेकर उसके अंदर से एक आसमानी कलर का सूट निकाला और उसे हाथों में लेकर बाहर से आती रोशनी में देखते हुए महसूस किया.. नज़मा समझ गई कि ये किसी ख़ास दूकान से लिया हुआ है..
नज़मा - ये क्यों ख़रीदा भाईजान..

सूरज नज़मा के और करीब आते हुए - भाभी पहले तो ये भाईजान बोलना बंद करो.. वरना मुझसे कुछ नहीं होगा..

नज़मा सूरज की बात पर मुस्कुरा पड़ती है..
नज़मा अपनी नज़र उठकर एक नज़र सूरज को देखकर - शराब पी है आपने?

सूरज - जब शराब की बू आ रही है तो पूछती क्यों हो भाभी..

नज़मा - ताकि आप इंकार कर सको.. और मुझे लगे कि आप थोड़ा सा मेरा लिहाज करते हो.. और आपके अंदर कोई बुराई नहीं है..

सूरज - अच्छाई और बुराई तो सब में होती है भाभी..

नज़मा नज़र झुका कर उसी तरह नीचे देखते हुए - सही है.. कम से कम आप मुझसे सच तो बोल रहे हो..

सूरज - भाभी आप अक्सर चाय पिलाने के बाद पूछती थी ना कि चाय कैसी बनी है? पता है मेरा क्या कहने का मन करता था?

नज़मा सूरज को एक नज़र देखकर - क्या?

सूरज - यही कि चाय ऐसी बनी है.. मन करता है आपको अपनी बाहों में उठाके घर ले जाऊं.. और आपकी बनाई चाय आपके हाथों से पिऊ..

नज़मा फिर से मुस्करा पड़ती है..

सूरज अपना एक हाथ घुमाके नज़मा के कंधे पर रख देता है और नज़मा के कान के पास अपने होंठ लाकर कहता है - भाभी गर्मी लग रही है..

नज़मा धीरे से शरमाते हुए - पंखा तो चालु है..

सूरज - फिर भी गर्मी लग रही है.. क्या करू?

नज़मा कुछ सोचकर - मेरे पास छोटी पँखी है.. मैं लाकर हवा कर देती हूँ..

सूरज - उससे कुछ नहीं होगा भाभी.. आप मेरी शर्ट उतार दो शायद कुछ राहत मिले..

नज़मा सूरज कि बात का मतलब समझ गई और मुस्कुराते हुए फिर से सूरज को एक नज़र देखकर अपने दोनों हाथ से सूरज के शर्ट के बटन खोलने लगी और उसका शर्ट उतार कर बेड के एक तरफ रख दिया..

सूरज प्यार से - भाभी आपको गर्मी नहीं लग रही?

सूरज की बात सुनकर नज़मा शर्म से अपना चेहरा अपनी दोनों हथेलियों से छुपा लेती है..

सूरज नज़मा की कमर में हाथ डालकर उसकी कमर पकड़ लेता और अपनी गोद में नज़मा को उठाकर बैठा लेता है..

नज़मा शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी और उसका दिल जोर से धड़कते जा रहा था..
सूरज को नज़मा के कूल्हे का मुलायम और गद्देदार अहसास कामुकता से भर रहा था..

सूरज ने नज़मा का दुप्पटा हटा दिया और उसकी कुर्ती को अपने दोनों हाथो से पकड़कर उठाने लगा लेकिन नज़मा ने अब तक अपना चेहरा अपनी हथेलियों से ढक रखा था.. इसलिए कुर्ती नज़मा की छाती तक उठाने के बाद सूरज पीछे से नज़मा के कान में बोलता है..
सूरज - हाथ ऊंचे करो ना भाभी..

नज़मा शर्म के मारे कुछ नहीं करती तो सूरज उसके दोनों हाथ पकड़कर ऊपर कर देता है और उसकी कुर्ती को झट से उतार कर अपने शर्ट के पास रख देता है.. नज़मा सिर्फ ब्रा में सूरज की गोद में बैठी हुई थी और उसकी नंगी पीठ अब सूरज के नंगे सीने से टकरा रही थी जिससे नज़मा काम और शर्म के मारे फिर से अपने चेहरे को अपनी हथेलियों से छुपा लेती है और सूरज नज़मा की नंगी गोरी पीठ का अहसास पाकर और कामुक हो उठता है जिससे उसके लंड में अब और अकड़न आ जाती है जिसका अहसास नज़मा को अपने कुल्हो पर हो रहा था.. सूरज ने नज़मा के दोनों हाथों को अपने दोनों हाथों में पकड़ लिया और नीचे करते हुए उसके चेहरे से हथेलिया हटा दी..

सूरज नज़मा के कान में - एक बात बोलू भाभी?

नज़मा शर्माते हुए - क्या?

सूरज नज़मा की गर्दन चूमते हुए - मूझे लगा नहीं था भाभी आपके बूब्स इतने मोटे होंगे.. क्या साइज है इनका?


नज़मा शर्म से इस बार भी कुछ नहीं बोलती..

सूरज - मत बताओ भाभी.. मैं खुद ही देख लेता हूँ..
सूरज ने अपने दोनों हाथ नज़मा की कमर से धीरे धीरे ऊपर लेजाकर उसकी ब्रा के अंदर डाल दिए और नज़मा के दोनों चुचे अपने हाथों में पकड़ लिए.. नज़मा के मुंह से सिस्कारी निकल गयी.. और वो काम की भावना से भरने लगी..

सूरज ने बूब्स को दबाते हुए मसलना शुरु कर दिया और नज़मा के कान में बोला - भाभी 36 के है ना?

इतना कहकर सूरज ने बूब्स पर से हाथ हटाकर नज़मा की ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा उतारकार बाकी कपड़ो के साथ रख दी.. नज़मा ने ब्रा खुलते ही अपने दोनों बूब्स को अपने दोनों हाथों से छीपा लिया..

सूरज पीछे से नज़मा की पीठ और गर्दन चूमता हुआ बोला - कब तक छुपा के रखोगी भाभी?
फिर सूरज थोड़ा आगे होकर पीछे लेट गया और नज़मा को भी अपने ऊपर पीठ के बल लेटा लिया और करवट लेकर अपने ऊपर से दाई तरफ गिरा कर नज़मा की कमर में हाथ डालकर उसे अपने से चिपकाते हुए नज़मा के होंठों के करीब अपने होंठ लेजाकर बोला - भाभी.. मेरी तरफ देखो ना..

नज़मा की आँखे बंद थी और वो धीरे से सूरज की आँखों की तरफ देखने लगी..
सूरज - शादी के 4 साल बाद भी इतनी शर्म भाभी?

नज़मा धीरे से - बिस्तर में एक बेशर्म खाफी होता है भाईजान..

सूरज - फिर से भाईजान? आपके होंठों को तो सजा देनी पड़ेगी भाभी...

ये कहकर सूरज नज़मा के होंठों पर अपने होंठ रख देता है और नज़मा आँख बंद करके सूरज को अपने होंठों की शराब पिने की इज़ाज़त दे देती है...

सूरज धीरे धीरे नज़मा के ऊपर और नीचे के होंठ चूमता और और फिर नज़मा के होंठो से लड़ता हुआ नज़मा के मुंह में अपनी जीभ डालकर नज़मा की जीभ को छेड़ने लगता है नज़मा को इस चुम्बन में मज़ा आ रह था.. सूरज उसे पसंद था और सूरज के सॉफ्ट होंठ को वो महसूस कर रही थी.. अब धीरे धीरे नज़मा ने भी सूरज को अपने होंठो से चूमना शुरु कर दिया..

सूरज को जब अहसास हुआ की नज़मा भी अब उसे चूमने में बराबर का सहयोग कर रही है तो वो मादकता की बारिश में भीगने लगा और नज़मा की कमर को कसके पकड़ता हुआ होनी तरफ खींचकर बिना चुम्मा तोड़े नज़मा को पेट के बल अपने ऊपर लिटा लिया..

नज़मा ने अपने बूब्स पर से अपने हाथ हटाकर सूरज का चेहरा थाम लिया और उसके बालों में हाथ फेरते हुए उसे इस तरह चूमने लगी जैसे कुत्ते मुंह चाटते है..

सूरज के सीने में नज़मा के चुचो पर खड़े चुचक खंजर की तरह चुभ रहे थे.. जिसका अहसास उसे जन्नत का मज़ा दे रहा था..
सूरज ने अपने दोनों हाथ कमर से नीचे लेजाकर नज़मा की गांड पर रख दिए और नज़मा के चुत्तड़ पकड़कर जोर से मसलने लगा.. मगर नज़मा ने चुम्मा नहीं तोड़ा और सूरज को अपनी गांड दबाने और मसलने की खुली छूट दे दी..

नज़मा सूरज को ऐसे चुम रही थी जैसे वो बरसो से सूरज को चूमना चाहती हो.. दोनों के होंठो और जीभ के बीच युद्ध छिड़ा हुआ था जिसमे कोई भी हार मनाने को तैयार नहीं था..
नज़मा ने कभी बिलाल के साथ ऐसा कुछ नहीं किया था.. बिलाल सामान्य सा दिखने वाला आदमी थी मगर सूरज को देखकर किसी भी लड़की का मन मचल सकता था..
सूरज ने नज़मा को करवट लेकर अपने नीचे लेलिया और चुम्बन तोड़ दिया..

सूरज ने नज़मा के दोनों हाथ पकड़ कर ऊपर उठा दिए और नज़मा से बोला - बता तो दो भाभी.. 36 के है ना..
नज़मा बिना कुछ बोले मुस्कुराते हुए हाँ में सर हिला देती है और सूरज नज़मा के बूब्स को मुंह में भरकर चूसने और चाटने लगता है..

नज़मा की अह्ह्ह... निकल जाती है और वो अपने दोनों हाथ छुड़ा कर सूरज का सर पकड़कर अपने दोनों बूब्स बारी बारी से सूरज को चुसवाने लगती है..

सूरज नज़मा के बूब्स पर खड़े दाने को दांतो से खींचता हुआ पूरी मेहनत और प्यार के साथ चूसता है और नज़मा के बूब्स पर लव बाईट देने लगता है नज़मा सूरज को लव बाईट देने से नहीं रोकती और सूरज नज़मा की छाती पर अनेक लव बाईट के निशान छोड़ता हुआ उसके बूब्स को चूसता हुआ अपना एक हाथ पानी बहाती नज़मा की चुत पर लेजाकर रख देता है और सहलाने लगता है मगर नजमा सूरज के उस हाथ को पकड़ कर चुत सहलाते से रोकने की नाकाम कोशिश करती है.. पर सूरज बूब्स चूसते हुए चुत सहलाते सहलाते नज़मा को झड़ने पर मजबूर कर देता है और नज़मा चड्डी सलवार पहनें पहनें ही झड़ जाती है और झरना बहा देती है..

सूरज नज़मा के झड़ने के बाद उसकी सलवार का नाड़ा खींचकर खोल देता है और सलवार के साथ नज़मा की चड्डी भी एक ही बार में उतार देता है.. नज़मा अपने पैरों को मोड़ लेटी है और शर्म के उतारे हुए कपड़ो को उठाकर अपना मुंह छिपा लेती है..

सूरज खड़ा हो जाता है और कमरे से बाहर आकर बाथरूम में चला जाता है और मूतने लगता है.. उसी वक़्त सुमित्रा का फ़ोन आ जाता है.. रात के एक बज रहे थे..
सूरज - हेलो

सुमित्रा इस वक़्त घर की छत पर थी उसने कहा - हेलो सूरज?

हां.. माँ.. बोलो..

बेटू.. क्या कर रहा है?

माँ.. यार क्या बेतुके सवाल पूछ रही हो? बताया था ना आपको..

सुमित्रा - बेटू.. नाराज़ मत हो.. मैं तो बस यही पूछ रही थी कि कंडोम तो लगा रखा है ना तूने?

सूरज - हाँ लगा रखा है.. अब क्या फोटो भेजू आपको? सो जाओ ना आप.. सुबह आ जाऊंगा..

सुमित्रा - हनी..

सूरज - अब क्या है माँ?

सुमित्रा - मूझे चिंता हो रही है तेरी..

सूरज - माँ.. एक लड़की के साथ हूँ.. किसी चोर लुटेरे डाकू के साथ नहीं..

सुमित्रा - अपना ख्याल रखना.. और देखना कंडोम फट ना जाए.. बाय बेटू..

सूरज - बाय माँ..

सुमित्रा छत पर थी उसके बदन में भी कामुकता और मादकता भरी हुई थी वो ये सोचके काम कि भावना से भरी हुई थी कि उसका बेटा सूरज किसी के साथ इस वक़्त बिस्तर में चोदमपट्टी कर रहा होगा.. सुमित्रा घर कि छत पर ही सूरज के नाम कि ऊँगली करने लगी थी..

सूरज बाथरूम से वापस कमरे में आया तो बाहर से आती रौशनी में उसने देखा कि नज़मा वैसे ही अपने मुंह कपड़े से छिपा कर नंगी पड़ी हुई है.. सूरज इस बार कमरे का दरवाजा बंद कर दिया जिससे बाहर से आती रौशनी भी अंदर आनी बंद हो गई और कमरे में पूरा अंधकार छा गया.. नज़मा ने कपड़े से मुंह छिपाया हुआ था उसे इसका कोई पता नहीं चला कि सूरज ने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया है और अब उसने लाइट ऑन कर दी है.. लाइट की रौशनी में बिस्तर पर नंगी पड़ी नज़मा का बदन ऐसे चमक रहा था जैसे कोयले की खान में हिरा चमकता है..

सूरज ने अपनी जीन्स उतार दी और अब सिर्फ चड्डी मैं आ गया.. फिर नज़मा के पैरों की तरफ आकर उसकी दोनों टांगो को अपने हाथों दे खोलकर चौड़ा कर दिया और नज़मा की चुत जिसपर नज़मा की चुत से बहे झरने का पानी चिपका हुआ था बेडशीट के कपड़े से साफ करके अपने दोनों हाथ नज़मा की जांघो के जोड़ पर रखकर नज़मा की चुत खोलते हुए सूरज ने नज़मा की चुत से मुंह लगा लिया और नज़मा की चुत चाटना शुरु कर दिया..

नज़मा की चुत पर जब सूरज ने अपने होंठो को लगाया नज़मा के तन बदन में काम वासना की आधी उड़ने लगी जो सूरज को होने आंधी में उड़ा कर लेजाना चाहती थी.. नज़मा के हाथ कब अपने आप सूरज के सर पर पहुचे और कब नज़मा के मुंह से कामुक सिस्कारिया निकली उसे पता भी नहीं चला.. नज़मा को लाइट ऑन होने पर शर्म आ रही थी मगर काम सुख शर्म से कहीं ज्यादा था इसलिए नज़मा ने लाइट के ऑन होने की परवाह छोड़कर सम्भोग का आनद लेना जरुरी समझा...

सूरज नज़मा की चुत को ऐसे चूस चूस के चाट रहा था जैसे बॉलीवुड की हीरोइन प्रोडूसर का लंड चूसने के बाद आंड चाटती है.. सूरज अपने हाथों के दोनों अंगूठे से नज़मा की चुत चौड़ी करके अंदर तक चाट रहा था और दाने को चुम्मा रहा था जिससे नज़मा अपने आप पर काबू नहीं रख पाई और वापस झड़ गई मगर समय रहते सूरज ने अपना मुंह हटा लिया और वो नज़मा के पानी की धार में भीगने से बच गया..

नज़मा की साँसे तेज़ थी और उसका पूरा बदन पसीने से लथपथ.. चुचे साँसों के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे..
सूरज नज़मा के ऊपर आ गया और उसकी आखो में देखते हुए बोला - तैयार हो भाभी?

नज़मा काम भावना से पूरी तरह भर चुकी थी वो बोली - और मत तड़पाओ भाईजान.. डाल दो ना अब..

सूरज - भाभी आप ही सीखा दो कैसे ड़ालते है? मूझे कहा आता है डालना..

नज़मा सूरज की चड्डी नीची करके सूरज के खड़े लंड को अपनी चुत में अटका देती है और कहती है - घुसाओ ना भाईजान..

सूरज का दबाव डालके घुसाता है तो लंड गीली चुत में फिसलता हुआ चला जाता है और नज़मा सिसकते हुए अह्ह्ह करने लगती है.. सूरज का लंड बिलाल से बहुत बड़ा था जिसका अहसास अभी अभी नज़मा को होने लगा था और वो अपने दोनों हाथों से सूरज को अपनी बाहों में भरके उसके होंठो को चूमते हुए अपनी गांड उठा उठा कर सूरज से चुदवा रही थी..

नज़मा - अह्ह्ह्ह... अह्ह्ह.. भाईजान.. अह्ह्ह..

सूरज - भाभी आपके नीचे का मामला तो बहुत टाइट है.. बिल्ला ठीक से नहीं करता शयद..

नज़मा - अह्ह्ह भाईजान.. अह्ह्ह..

सूरज चोदते चोदते - भाभी.. चुत में लंड चला गया.. अब तो भाईजान मत बोलो.. सूरज कहो ना..

नज़मा अह्ह्ह्ह.. भाईजान.. कहते हुए फिर से सूरज को पकड़ लेती है और चूमने लगती है..
सूरज चोदना रोककर नज़मा की कमर पकड़कर उसे घोड़ी बना लेता है और फिर उसकी चुत मारने लगता है..

सूरज को जितना मज़ा नज़मा को घोड़ी बनाके चोदने में आ रहा था उसका ब्यान करपाना कठिन है.. सूरज को उन पल के लिए मोक्ष की प्राप्ति हो रही थी.. सूरज जितनी मोहब्बत के साथ नज़मा को घोड़ी बनाकर उसकी चुत में झटके मार रहा था उतनी तेज़ी से दोनों की चुदाई की आवाज कमरे में गूंज रही थी..

नज़मा के मुंह से सिस्कारिया निकल रही थी जिसे सुनकर सूरज कामसुख के घोड़े पर सवार था.. नज़मा की चुत वापस तीसरी बार झड़ने को बेताब थी..

सूरज ने घोड़ी के बाद नज़मा को चोदना छोड़कर बेड पर लेट गया और नज़मा से बोला - आओ भाभी सारी मेहनत मुझिसे करोगी? थोड़ी खुद भी तो करो.. आओ..

नज़मा लाइट के उजाले में शर्मा रही थी मगर काम वासना से भी भरी हुई थी.. नज़मा सूरज के लंड पर बैठ गई और धीरे धीरे अपनी गांड हिलाते हुए सूरज की आँखों में देखने लगी जैसे कह रही हो कि सूरज अब मूझे तुझसे कोई शर्म नहीं है..

दोनो काम वासना भरी आँखों से एक दूसरे को देख रहे थे और अब दोनों ही झड़ने कि कगार पर थे.. सूरज ने नज़मा कि कमर में हाथ डालकर उसे नीचे ले लिया और वापस मिशनरी में चोदते हुए नज़मा के साथ ही झड़ गया... और दोनों कुछ देर तक गहरी गहरी साँसों के साथ वैसे ही लेटे रहे...

सूरज नज़मा के बाल सवारते हुए - मुबारक हो भाभी...

नामज़ - आपको भी भाईजान...

सूरज - अब भी भाईजान बोलोगी?

नज़मा मुस्कुराते हुए - आपको भाईजान मानती हूँ तो भाईजान ही बोलूंगी ना.. तुम्हारी तरह मुंह पर कुछ और दिल में कुछ और तो नहीं है मेरे..

सूरज - भाईजान पसंद आये.. आपको भाभी?

नज़मा मुस्कुराते हुए - बहुत पसंद..

सूरज - बिलाल से भी ज्यादा पसंद?

नज़मा - कई गुना ज्यादा.. उसका और आपका तो कोई मेल ही नहीं..

सूरज - अपने पति कि बुराई कर रही हो भाभी?

नज़मा - बाहर तो निकाल लो भाईजान.. ऐसे ही सोने की इरादा है क्या?

सूरज - अभी दो बजे है भाई.. रहने दो अंदर बेचारे को अच्छा लग रहा है..

नज़मा - अह्ह्ह... आप ये क्या कर रहे हो भाईजान?

सूरज - भाभी वापस खड़ा हो गया क्या करू?

नज़मा हसते हुए - एक ही रात में प्रेग्नेंट कर दोगे तो वापस कैसे मिल पाओगे भाईजान..

सूरज नज़मा कि टांग फैला कर चोदते हुए - वो सब बाद में सोचेंगे भाभी... अह्ह्ह
नज़मा - अह्ह्ह.. अह्ह्ह.. भाईजान.. अह्ह्ह..
दोनों का सम्भोग वापस शुरु हो जाता है..

सुबह के साढ़े चार बजते बजते दोनों के बीच दो बार सम्भोग पूरा हो चूका होता है.. नज़मा दो बाद चुद चुकी थी.. और नज़मा सूरज के सीने पर लेटी हुई थी दोनों जागे हुए थे.. दोनों के बीच शर्म का पर्दा हट चूका था..

सूरज - सोचा नहीं था भाभी कभी हमारे बीच कुछ ऐसा भी होगा..

नज़मा - सही कहा भाईजान.. पहले तो मैं आपको सिर्फ पसंद करती थी मगर अब तो आपने मेरी रूह को भी छू लिया है.. मैं बता नहीं सकती अब आपकी ख़ुशी मेरे लिए कितने मायने रखती है.. मैं आपकी ख़ुशी के लिए कुछ भी कर सकती हूँ..

सूरज - कुछ भी?

नज़मा - हाँ कुछ भी..

सूरज - एक रात में इतना अपनापन?

नज़मा सूरज के ऊपर से उठते हुए - आप मूझे बच्चे का सुख देने वाले हो भाईजान.. आपकी ख़ुशी मेरे लिए मायने बहुत रखती है.. अपनापन तो पहले भी था आपसे.. बस कभी कह ना सकी.. आपने कहा था ना मेरे हाथों से चाय पीनी है आपको.. मैं अभी बनाके लाती हूँ.. और अपने हाथों से पीला भी दूंगी..

सूरज - भाभी इतना सब करने की क्या जरुरत?
नज़मा - आपकी इतनी सी ख्वाहिश भी पूरी ना कर पाई तो लानत है भाईजान मूझ पर..

नज़मा रसोई में चाय जाती है और 10 मिनट में चाय बनाकर ले आती है फिर सूरज की गोद में उसकी तरफ मुंह करके बैठ जाती है और अपने हाथ सूरज को चाय पिलाने लगती है..

नज़मा चाय पीलाते हुए - अगली बार शराब मत पीके आना भाईजान.. मैं अपने हाथों से पीला दूंगी..

सूरज - भाभी आपका और मेरा कुछ रातों का साथ है.. क्यों इश्क़ के बीज बो रही हो.. मैं ये ताल्लुक नहीं निभा पाऊंगा..

नज़मा - दिल पर किसी का जोर थोड़ी चलता है भाईजान? बिलाल जो चार साल में ना कर पाया आपने 4 घंटो में कर दिया.. आपकी बाहों से ऐसा महसूस होता है जैसे जिस्म को मखमली बिस्तर का बिछोना मिल गया हो.. इतनी प्यार भरी बातें तो कभी बिलाल ने भी नहीं की होंगी.. उसने बिस्तर में मेरा जिस्म हासिल किया है मगर आपने रूह भी हासिल की है.. आपकी बातें दिल को धड़काती है मूझे मेरे औरत होने का और मेरे वज़ूद का अहसास दिलाती है.. आपके साथ आज रात बिताकर लगता है मैं भी इंसान हूँ और मेरी भी अपनी ख़ुशी है.. वरना कब से मैं बस घुट घुट के परदे में जी रही थी..

सूरज - भाभी जबतक आपके बच्चा नहीं लग जाता.. मैं कोशिश करूंगा आपको बाकी हर ख़ुशी दे सकूँ.. अगली बार क्या तोहफा चाहिए बता दो? ला दूंगा..

नज़मा सूरज को चूमते हुए - मेरा तोहफा तो आप हो भाईजान.. आपके अलावा मूझे कुछ नहीं चाहिए..

सूरज - 5 बजने वाले है भाभी.. अब मूझे चलना चाहिए..

नज़मा - कुछ देर और रुक जाओ ना

भाईजान.. अभी तो अंधेरा है..

सूरज नज़मा के ऊपर आकर उसकी जुल्फ संवारते हुए - बिलाल नीचे आये उससे पहले मेरा चले जाना मुनासिफ होगा भाभी..
नज़मा - मेरे बदन पर आपने इतने निशान छोड़े है की बिलाल देखकर पागल ना हो जाए..

सूरज - तो उसे करीब क्यों आने देती हो भाभी.. कुछ दिन अपने से दूर ही रखो..

नज़मा हसते हुए - घर में मर्द की सुन्नी पड़ती है भाईजान.. औरतों तो बस हुक्म बजाने के लिए होती है..

सूरज - जमाना बदल गया है भाभी..

नज़मा - मेरी एक बात मानोगे?

सूरज - हर बात मानुगा.. बस कुछ ऐसा मत कह देना कि मैं मजबूर हो जाऊ..

नज़मा - मूझे मेरे नाम से बुलाओ ना भाईजान..

सूरज मुस्कुराते हुए - ये तो तभी मुमकिन है भाभी जब आप भी मूझे मेरे नाम से पुकारो..
नज़मा धीरे से - सूरज..

सूरज - नज़मा..

दोनों कुछ देर एक दूसरे को देखते है और आँखों ही आँखों में दोनों के होंठो को वापस मिलना पड़ता है और फिर सूरज दिवार घड़ी को देखकर कहता है - अब जाने दो नज़मा..

नज़मा - काश मैं हर दिन ऐसे ही बच्चों कि तरह आपको अपनी छाती से लगाकर रख पाती सूरज..

सूरज खड़ा होकर अपने कपड़े पहनते हुए - ऐसे ख़्वाब मत देखो नज़मा.. जब पुरे नहीं होते तो बहुत तकलीफ देते है.. जीना मुहाल कर देते है.. एक वक़्त निकल जाता है इन सब से निकलते हुए..

नज़मा बिना किसी शर्म के अब नंगी ही बेड से खड़ी हो जाती है और सूरज के सामने खड़ी होकर अपने घुटनो बैठते हुए सूरज का लंड पकड़कर कहती है - जो ख्वाब पुरे ना हो.. उन ख़्वाबो को देखना गलत नहीं है सूरज.. मैं जानती हूँ आप मेरे कभी नहीं बन सकते.. इसका मतलब ये नहीं कि आपके साथ मैं ख्वाबों में भी एकसाथ नहीं जी सकती..

इतना कहकर नज़मा सूरज का लंड मुंह में भर लेती है और चूसने लगती है नज़मा blowjob देने लगती है..

सूरज के लंड में अकड़न आने लगती है मगर सूरज नज़मा के मुंह से लंड निकालकर पेंट पहन लेता है और नज़मा से कहता है - छः बजने वाले है.. कपड़े पहन लो बिलाल कभी भी नीचे आ सकता है..

नज़मा - जाने से पहले एक चुम्मा भी नहीं दोगे सूरज?

सूरज नज़मा को बाहों में भरके चूमते हुए - अपना ख्याल रखना..

नज़मा मुस्कुराते हुए - आप भी..


सूरज अपनी स्कूटी उठाकर नज़मा के घर से निकल जाता है और नज़मा कपड़े पहन कर सबसे पहले कमरे को ठीक करती है बेडशीट बदलती है और नहाती है.. सात बजे बिलाल नीचे आता है और नज़मा से बात किये बिना ही नहा कर अपना दैनिक काम कर दूकान का शटर ऊपर करके दूकान संभालता है..

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Sanju@

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अरे अरे कौन है तू? और अंदर कैसे चला आया?

वो आंटी मैं.. सो सॉरी.. मुझे पता नहीं था यहाँ कोई है..

गार्डन के एक कमरे मे रमन घुसा तो उसने देखा की एक 50 पार की महिला कमर से ऊपर पूरी तरह नंगी खड़ी हुई अपने कमरे बदल रही थी जो रमन के कमरे मे आने पर अपने हाथों की हथेलियों से अपने चूची को ढक कर रमन को देखने लगी और उसे गुस्से की निगाहो से देखते हुए बोली..

पता नहीं था या सबकुछ पता करके कमरे मे घुसा है? मैं अच्छे से जानती हु तुम जैसे आवारा लफंडर बदमाश लड़को को.. ना रिश्ता देखते हो ना उम्र.. तुम्हारी मा जैसी हूं.. चलो बाहर निकलो.. वरना चमाट खाओगे.. जाओ..

सॉरी आंटी.. माफ़ करना..

रमन बाहर चला जाता है और औरत अपने कपडे बदलने लगती है..

कुछ देर बाद रचना लचकते हुए उस कमरे मे आ जाती है और उस औरत से कहती है - क्या हुआ मम्मी जी?

कुछ नहीं रचना.. आज कल के लड़के भी ना.. ना उम्र देखते है ना समाज.. बस बेशर्म बनकर कुछ भी करने लगते है..

क्या हुआ मम्मी जी ऐसा क्यों बोल रही हो.. किसी ने प्रपोज़ कर दिया क्या आपको?

नहीं रे.. अभी कपडे बदलते वक़्त एक लड़का कमरे मे घुसा आया.. मैं तो शर्म से पानी पानी हो गई..

तो फिर कुछ हुआ क्या उस लड़के और आपके बीच मम्मी जी? बताओ ना?

तू भी बेशर्म हो गई है रचना.. भला मेरी उम्र है ये सब करने की? देख वो वहा जो लड़का है वही आया था.. मैं तो डांट कर भगा दिया..

रचना खिड़की से रमन को देखकर - ये.. मम्मी जी तो रमन है.. सूरज का दोस्त.. बहुत मालदार पार्टी है.. ये गार्डन इसी का तो है.. और भी बहुत सी प्रॉपर्टी है इसकी शहर मे.. बेचारा गलती से आया होगा.. आप भी ना मम्मी जी.. प्यार से जाने को कह देती डांटना जरुरी था? कितना हैंडसम है..

अनुराधा - रचना ये मत भूल तू शादीशुदा है.. और एक बच्चे की मा है.. ये मर्द देखकर तेरे मुँह मे जो पानी आता है ना सब जानती हूं मैं.. तेरी नियत तो हनी पर भी ठीक नहीं है.. अगर मुझे ऐसा वैसा कुछ पता चाला ना तो देख लेना..

रचना हस्ते हुए - मम्मी जी.. आप भी ना.. ना खुद बाहर की मिठाई खाती है ना मुझे खाने देती है.. अच्छा लो.. दो घूंट मार लो..

रचना अपने पर्स मे से एक वोटका का क्वाटर निकालकर अनुराधा के देती है और अनुराधा रचना के साथ मिलकर उस क्वार्टर को ख़त्म करते है दोनों सास बहु साथ मे इस तरह से पहले भी कई बार हलकी फुलकी शराब खोरी करते रहते थे और आज भी कर रहे थे.. दोनों पर सुरूर आ चूका था.. रचना तो अपनी गांड मे हो रहे हलके मीठे दर्द के साथ नाचने के लिए डांस फ्लोर पर चली गई मगर अनुराधा ने जब रमन को अकेला एक जगह बैठकर खाना खाते देखा तो वो कुछ सोच कर उसीके के पास चली गई..

तुम सूरज के दोस्त हो?

रमन ने साइड मे अनुराधा को खड़ा देखा तो झट से कुर्सी से खड़ा हो गया और बोला.. जी आंटी.. सॉरी वो गलती से आपके रूम मे आ गया..

कोई बात नहीं बेटा.. मैंने ही कुछ ज्यादा बोल दिया था तुम्हे.. मुझे लगा तुम कोई मनचले हो.. बैठो ना.. खाना खाते हुए उठा नहीं करते..

रमन वापस कुर्सी पर बैठ जाता है और अनुराधा भी रमन के बगल वाली कुर्सी पर बैठ जाती है..

ये गार्डन तुम्हारा है?

जी आंटी.. शहर मे काफी खानदानी जमीन थी तो पापा ने कई मैरिज हॉल और लोन बनाकर ये बिज़नेस शुरू किया था.. उनके बाद अब मैं ही इसे संभाल रहा हूं.. रमन ने खाना खाते हुए कहा..

ये तो बहुत अच्छी बात है.. अच्छा बेटा.. मेरे पोते का जन्मदिन है अगले महीने दस तारीख को.. छोटा सा प्रोग्राम करना था.. कोई छोटी जगह है?

जगह ही जगह है आंटी.. आप डेट बोलो मैं यही गार्डन बुक कर देता हूं..

अरे नहीं नहीं बेटा.. इतनी बड़ी जगह का क्या करना है.. मुश्किल से 100- 150 लोग आएंगे.. कोई छोटी जगह बताओ.. ये गार्डन तो महँगा लगता है..

अरे आंटी आप सूरज की रिश्तेदार हो.. आपके लिए क्या सस्ता क्या महँगा? वैसे आप सूरज की क्या लगती है?

मैं सूरज की बुआ हूं बेटा..

तो फिर आप मेरी भी बुआ हुई.. और आपका पोता मेरा भतीजा.. मैं अपनी बुआ और भतीजे के लिए इतना तो कर ही सकता हूं.. मैं सूरज से कह दूंगा जन्मदिन यही बनेगा.. आपको पैसे देने की जरुरत नहीं है.. रमन ने हस्ते हुए आखिरी लाइन कही तो अनुराधा के दिल मे रमन के लिए इज़्ज़त अचानक से बढ़ गईऔर रमन के प्रति अजीब सा खींचाव पनप गया.. अनुराधा पर शराब का सुरूर भी था उसने मुस्कुराते हुए रमन से कहा..

बेटा.. मुझे माफ़ करना.. मैंने तुझे गलत समझा.. तुम्हारी मा ने बहुत अच्छे संस्कार दिए है तुम्हे.. वो बहुत अच्छी होंगी..

रमन उदासी से भरी हुई मुस्कुहाट के साथ - हां.. वो सच मे बहुत अच्छी थी..

थी मतलब? अनुराधा ने हैरत से पूछा तो रमन ने जवाब दिया - आंटी वो मम्मी बहुत साल पहले भगवान के पास चली गई थी..

अनुराधा मे मन मे रमन के लिए मानो ये सुनकर मातृत्व का भाव जाग गया और अनुराधा ने रमन को गले लगाते हुए कहा - बेटा कभी कभी ऊपर वाला बड़ी कड़ी परीक्षा लेता है हम सबकी.. पर तुझे जब भी अपनी मा की याद आये तू मेरे पास मुझसे मिलने आ जाया कर..

अनुराधा के वातसल्य से रमन भाव विभोर हो गया और मुस्कुराते हुए अनुराधा से बोला.. थैंक्स आंटी..

आंटी नहीं बेटा.. बुआ.. तू भी तो मेरे लिए हनी की तरह है.. अच्छा अपना फ़ोन दे मैं नंबर देती हूं.. इस इतवार घर आना.. अपने हाथ से खाना बनाकर खिलाऊंगी तुझे..

रमन मुस्कुराते हुए - आप बहुत अच्छी हो आंटी.. सोरी बुआ..

अनुराधा कुछ देर और ठहर कर वहा से चली जाती है और कुछ देर बाद रमन जब सूरज से मिलकर वापस जाने लगता है तो किसी का कॉल आता है और रमन अपना फ़ोन देखकर गुस्से मे फ़ोन उठाता हुआ कहता है..

क्या है?

सामने सीख मीठी से आवाज मे लड़की जीज्ञासा के भाव से पूछती है- घर कब तक आओगे तुम?

रमन गुस्से मे - क्यों? मेरी शकल देखे बिना नींद नहीं आएगी तुझे?

मुझे कुछ बात करनी है तुमसे.. इसलिए पूछ रही थी.. मुझे भी शोख नहीं है सुबह शाम तुम्हारी शकल देखने का..

सुन.. तू ना मेरे बाप की रखैल थी.. और मेरे बाप ने तेरी माँ के और तेरे इश्क़ मे अपनी सारी जायदाद मुझे देने की जगह तेरे नाम कर दी.. इसलिए तुझे झेल रहा हूं.. बार बार फ़ोन करके परेशान किया ना तो अच्छा नहीं होगा..

नहीं तो क्या कर लोगे तुम.. एक बार नहीं सो बार फ़ोन करूँगी.. जल्दी घर आओ.. समझें? वरना ये जो ऐशो आराम की जिंदगी जी रहे हो ना.. सब छीन लुंगी.. और दुबारा रखैल कहकर बुलाया ना तो भिखारी बना दूंगी..

रमन गुस्से मे फ़ोन काट देता है और घर चाला जाता है..


***************


अंकुश - मम्मी मैं खाना ले आता हूँ..
नीतू - नहीं अक्कू तू बैठ मैं ले आती हूँ..
अंकुश माँ गोमती - अरे अकेली कैसे लायेगी नीतू.. अक्कू तू भी जा..
अंकुश - ठीक है माँ आप बैठो यही.. चल नीतू..
अंकुश और नीतू प्लेट लेकर खाना लेने चल देते है..

नीतू - वकील साहिबा का फोन आया था अभी..
अंकुश - क्या बोली?
नीतू - पूछ रही थी तेरा भाई अच्छा लगता है.. बॉयफ्रेंड बनेगा क्या? तुझे पसंद करती है वकील साहिबा..
अंकुश मुस्कुराते हुए - फिर तूने उसे बताना नहीं मुझे सिर्फ मेरी बहन पसंद है..
नीतू हसते हुए - क्या बताती? कि मेरा भाई बहनचोद है.. उसे बिस्तर मे सिर्फ उसकी बहन ही अच्छी लगती है..
अंकुश - वैसे तुझे जलन तो हुई होगी वकील साहिबा से.. सच बताना..
नीतू - जलन? मेरा तो मन किया साली के बाल पकड़ कर दो थप्पड़ लगा दूँ.. मेरे अक्कू पर नज़र रखती है कमीनी..
अंकुश - उफ्फ्फ मेरी झासी कि रानी.. एक बार घर चल.. आज रात तुझे सोने नहीं दूंगा..
नीतू मुस्कुराते हुए - सिर्फ एक कंडोम बचा हुआ है पैकेट में.. रातभर जगाना है तो और लगेंगे..
अंकुश - वो सब मैं देख लूंगा.. इतनी प्यारी लग रही है ना काले सूट में.. मन कर रहा है यही शुरू हो जाऊ..
नीतू हसते हुए - पहले खाना खा ले.. चल.. और वकील साहिबा ने कुछ और भी कहा था..
अंकुश - क्या?
नीतू - जोगिंदर मेरी शर्त मान गया है.. समझौता करना चाहता है.. 13 तक देने को तैयार है..
अंकुश - ती तू क्या चाहती है?
नीतू - क्या चाहूंगी? पैसे ले लुंगी और क्या? तुझे अपना काम शुरू करने के लिए जरुरत भी तो थी पैसो की.. तूने कहा था ना तुझे नोकरी नहीं करनी..
अंकुश - मुझे पैसे देगी?
नीतू - क्यों बड़ी बहन हूँ तेरी.. और होने वाली बीवी भी.. इतनी मदद कर ही सकती हूँ..
अंकुश - लगता है आज रात पलंग टूटने वाला है.. कल फिर से ठीक करवाना पड़ेगा..
नीतू हसते हुए - गद्दा फर्श पर डाल लुंगी.. बार बार पलंग कैसे टूट जाता है मम्मी पूछती है तो जवाब देते नहीं बनता..
अंकुश - साफ साफ बोल दिया कर ना.. भाई बहन के प्यार मे पलंग को नुक्सान तो होगा ही..
नीतू मुस्कुराते हुए - कमीने.. अब चल..
अंकुश नीतू खाना लेकर वापस अपनी माँ गोमती के पास आ जाते है और खाना खाने लगते है..


*************


हनी.. हनी..
क्या हाल है अक्कू.. नमस्ते आंटी.. कैसी हो नीतू
दीदी?
गोमती - नमस्ते बेटा..
नीतू - क्या बात है हनी.. कहा गायब थे अब तक? दिखे नहीं..
सूरज - काम में बिजी था.. किसी से नहीं मिल पाया..
अंकुश - हीरो लग रहा है सूट में.. अच्छा है.. तुझे टीशर्ट लोवर में देख देख मुझे टीशर्ट लोवर से नफरत हो गई थी..
सूरज - देखो बोल कौन रहा है.. सज धज के तू भी ऐसे आया है जैसे तेरी सगाई हो..
अंकुश नीतू को देखकर - मेरी दुल्हन तो तैयार है.. चाहु तो विनोद भईया के साथ साथ मैं भी सगाई कर सकता हूँ.. वैसे बिल्ला पूछ रहा था तेरे बारे में..
सूरज - कहा है वो?
अंकुश - थोड़ी देर पहले यही था नज़मा भाभी के साथ.. वो रहा.. आइसक्रीम वाली स्टाल के पास..
सूरज - ठीक है अक्कू मैं मिलके आता हूँ..
अंकुश - ठीक है ब्रो. वैसे खाना अच्छा बनाया है तेरे साले ने..
सूरज हसते हुए - साथ में नेहा भाभी थी ना..


***********


क्या हाल है बिल्ले..
बस हनी..
सूरज - खाना हो गया?
बिलाल - हाँ.. तेरी भाभी को आइसक्रीम पसंद है तो आइसक्रीम खाने यहां आ गए..
सूरज - अच्छा है.. भईया भाभी से मिले ना..
बिलाल - हाँ.. आते ही मिले थे.. अब तो जा ही रहे थे.. तुझे फ़ोन भी क्या पर तूने उठाया नहीं..
सूरज - भाई कई लोगों ने फ़ोन किया था पर साइलेंट था इसलिए उठा नहीं पाया किसी का भी..
नज़मा - सूट में बहुत प्यारे लग रहे हो भाईजान..
सूरज नज़मा को देखकर - शुक्रिया भाभी..
बिलाल - अच्छा तुम दोनों बात करो मैं बाथरूम जाकर आता हूँ..
बिलाल चला जाता है नज़मा सूरज को आइसक्रीम खाने को कहती है तो सूरज नज़मा के होंठो पर लगी हलकी सी आइसक्रीम अपनी ऊँगली से इधर उधर देखकर खाते हुए कहता है - भाभी बिलाल से कहना मैं तैयार हूँ.. बस ये बात किसी को पता ना चले..
नज़मा शरमाते हुए - शुक्रिया भाईजान..
सूरज - भाभी भाईजान मत बोलो प्लीज..
नज़मा शरमाते हुए नज़र झुका लेती है और कहती है - तो क्या कहु आपको..
सूरज - सूरज कहो ना भाभी.. आपके गुलाबी होंठो से अच्छा लगेगा सुनने में..
नज़मा इस बार कुछ नहीं बोलती और चुपचाप खड़ी रहती है जब तक बिलाल नहीं आ जाता.. और बिलाल आने के बाद सूरज कहता है - बिल्ले.. मैं बाकी लोगों से मिल लेता हूँ..
बिलाल - ठीक है हनी.. अब हम चलते है.. बहुत सही फंक्शन हुआ है..
सूरज - मैं किसी से कह दू छोड़ने के लिए?
बिलाल - अरे पास में ही तो घर है.. चलके चले जाएंगे.. चल ठीक है भाई..
सूरज - ठीक है बिल्ले.. भाभी का ख्याल रखना..
नज़मा - आप अपना ख्याल रखना भाईजान..


*************


सूरज बिल्ले के पास से जब वापस आने लगता है तो कोई उसका हाथ पकड़ लेता है और कहता है - बड़ी जल्दी में हो.. कहाँ जा रहे हो?

सूरज मुड़कर किसीका चेहरा देखता है फिर कहता है - कैसी हो दी... काकी कैसी हो?
बरखा - तुम तो घर छोड़ने के बाद गायब ही हो गए.. मिलने भी नहीं अपनी दीदी से.. और माँ बता रही थी तुम्हरी करतूतों के बारे में.. बहुत बिगड़ गए हो मेरे जाने के बाद..
हेमलता - आज पहली बार अच्छे कपड़ो में देखा है.. तु तो कोई फ़िल्मी हीरो लगता है हनी..
बरखा - वो तो है माँ.. बस आदत थोड़ी खराब इसकी..
सूरज मुस्कुराते हुए - काकी आप बहुत अच्छी लग रही हो इस शाडी में.. काका को तो दौरा आ गया होगा..
हेमलता - देखा बरखा.. तेरा स्टूडेंट की कैसे केची की तरह जुबान चलने लगी है..
बरखा सूरज के होंठ पकड़कर - लगता है माँ... जबान कुतरनी पड़ेगी इसकी..
सूरज मुस्कुराते हुए - दी.. अब मुझे डंडे से डर नहीं लगता..
बरखा - थप्पड़ से तो लगता है ना.. इस चाँद से चेहरे पर ग्रहण लगा दूंगी बच्चू..
सूरज हसते हुए - काका कहा है?
हेमलता - ये तू बता.. कहा है वो..
सूरज - मुझे क्या पता? उस रात के बाद मैंने बात भी नहीं की काका से..
हेमलता - अगर पता चला वो तेरे साथ है तो सुमित्रा से तेरी शिकायत कर दूंगी.. याद रखना..
सूरज - आपकी कसम काकी उस रात के बाद नहीं मिला बंसी काका से.. दी.. सच में..
बरखा - ठीक है हम जा ही रहे थे..
सूरज - इतनी जल्दी?
बरखा - साढ़े नो बजने वाले है.. आठ बजे के आये हुए थे.. सब से मिल लिया.. एक तू बाकी था बस..
सूरज - मैं घर छोड़ देता हूँ..
बरखा - रहने दे मैं स्कूटी लाई हूँ.. तू अपना ख्याल रख... आज बहुत प्यारा लग रहा है.. किसी नज़र ना लग जाए..
हेमलता - सच कहा बरखा.. हनी एक काला टिका लगा ही ले..
सूरज हसते हुए - काकी काला सूट पहना है और क्या काले की कमी है..
हेमलता - काका मिले तो बोलना काकी घर पर बुला रही है..
सूरज - वो तो आपके डर से ही कहीं गायब होंगे.. आ जाएंगे..
बरखा - अच्छा तू घर आना.. बात करेंगे बैठ कर..
सूरज - ठीक है दी...
बरखा और हेमलता भी चले जाते है सूरज स्टेज की तरफ देखता जहाँ से एक नज़रे सीधा उसे खा जाने वाली नज़रो से देखने लगती है..


सूरज देखता है कि गरिमा उसे ही देखे जा रही थी और वो खा जाने वाली आँखों से ही देख रही थी.. गरिमा दो घंटे से स्टेज पर थी अंगूठी की रस्म हो चुकी थी.. और सूरज अब तक गरिमा से नहीं मिला था.. सूरज नज़र बचाकर वहा से कहीं चला जाता है.. गरिमा फिर से सामने की भीड़ में उसे तलाश करने लगती है.. गरिमा का मन अव्यवस्थित था वो मन ही मन सूरज पर गुस्सा कर रही थी और सोच रही थी कि सूरज अब तक उसे मिलने क्यों नहीं आया..

सूरज का लंड फिर से खड़ा होने लगा था और वो समझ नहीं पास रहा था कि उसका क्या करें? सूरज खड़े लंड के साथ किसी से नहीं मिल सकता था.. उसने एक बार अपने लंड को हिलाने की सोची मगर फिर उसकी नज़र किसी पड़ी तो उसे गुस्से से देखने लगा और उसकी ओर बढ़ गया..

क्या हुआ देवर जी.. कुछ परेशान हो आप..
भाभी मेरे साथ चलो..
कहा ले जाओगे देवर जी अपनी भाभी को?
चलो ना..
सूरज रचना को अपने साथ गार्डन के एक होने में बनी तीन मंज़िला बिल्डिंग में ले जाता है जहाँ हर मंज़िल पर 4 कमरे थे..
सूरज तीसरी मंज़िल के लास्ट वाले कमरे में रचना को ले आता है ओर दरवाजा बंद होते ही रचना कहती है..
देवर जी घोड़ी नहीं बनुँगी.. अब भी दर्द और जलन है..

आप पर गुस्सा आ रहा है भाभी.. देखो बार बार खड़ा हो रहा है.. अब शांत करो इसको..

कर देती हूं देवर जी.. ये कहते हुए रचना सूरज के लंड को बाहर निकालकर मुंह भर लेटी है ओर जोर जोर से चूसने लगती है.. सूरज रचना को देखकर अब उसके अपनी भाभी होने का ख्याल ओर जो वो कर रहा है ये सब गलत होने का ख्याल छोड़ देता है.. सूरज कामुकता से भर जाता है ओर रचना के बाल पकड़ कर उसके मुंह में झटके मार मार कर उसका मुंह चोदने लगता है..

कुछ देर रचना का मुंह चोदकर सूरज रचना को पीछे धकेल देता है ओर ब्लाउज को खोलने लगता है..

देवर जी बहुत दूध है मेरे बोबो में.. चूसके ख़त्म कर दो.. बच्चे के लिए भी मत छोड़ना देवर जी..

सूरज जैसे ही रचना का ब्लाउज ओर ब्रा उतारता है उसके सुडोल उठे हुए मोटे चुचे देखकर उनपर टूट पड़ता है ओर चूसने लगता है मगर उसे रचना के बूब्स पर एक टट्टू ओर तिल का निशान दीखता है तो उसे ऐसा लगता है की ऐसा निशान कहीं देखा है..

सूरज रचना का बोबा पकड़ कर ठीक से वो सब देखने लगता है फिर अपना फ़ोन निकाल कर कुछ देखता है..

क्या हुआ देवर जी क्या देख रहे हो.. आओ ना चुसो मेरे चुचे.. चुत में खुजली हो रही है मिटा दो देवर जी..

सूरज फ़ोन दिखा कर - ये आप ही हो ना भाभी..

रचना फ़ोन में कुछ देखकर - हनी ये..

सूरज रचना का चुचा पकड़ कर - झूठ मत बोलना भाभी.. आपका ये टट्टू ओर तिल दोनों मिल रहे है.. मास्क लगा के इंटरनेट ये सब कर रही हो आप..

रचना सूरज का लंड पकड़ के अपनी चुत में घुसाती हुई - मैं ही हूँ देवर जी.. ओर तुम शकल से तो बड़े सीधे लगते हो मगर ये सब भी देखते हो..

सूरज रचना की चुत में एक जोरदार झटका मारके अपना लंड घुसा देता है ओर रचना की अह्ह्ह निकल जाती है..

रचना सूरज को अपनी बाहों में खींचकर - आराम से देवर जी.. गुस्सा थूक दो..

हलके हलके चोदते हुए - कहा थूकू गुस्सा भाभी..

मेरे मुंह में थूक दो ना देवर जी.. लो.. आ..

सूरज रचना के मुंह में थूक देता है और पूछता है - नीलेश भईया जानते है इस बारे में कि आप इंटरनेट ओर ये सब करती हो?

हाँ.. वो सब जानते है देवर जी.. ये सब उनका ही किया धरा है.. अपनी कमाई पूरी नहीं पड़ती इसलिए मुझसे ये सब करवाते है..

बुआ?

अह्ह्ह.. उनसे मत कहना हनी.. वो नहीं जानती.. हनी.. थोड़ा तेज़ करो ना..

सूरज स्पीड बढ़ा देता है और झटके मारते हुए रचना के मुंह और गर्दन को अच्छे से चूमता चाटता है..

मुझे पता होता कि तुम बिस्तर में इतने अच्छे हो तो मैं कब कि तुमको अपना बना लेती देवर जी.. अह्ह्ह.. गुस्सा तो नहीं हो ना अपनी भाभी पर..

सूरज लंड निकालकर - गुस्सा तो बहुत हु भाभी आप पर.. मगर आपकी प्यारी प्यारी बातो से गुस्सा ठंडा हो जाता है.. भाभी घोड़ी बनो..

नहीं.. तुम गांड मारने लग जाओगे.. पहले ही दर्द हो रहा है..

अरे नहीं मारूंगा भाभी.. चलो बनो जल्दी..

पक्का ना देवर जी..

सूरज रचना कि कमर पकड़कर घोड़ी बनाता हुआ - पक्का भाभी..

रचना - आपका फ़ोन आ रहा है..

सूरज चुत में लंड पेलकर - किसका है उठा कर स्पीकर पर डाल दो भाभी..

रचना वैसा ही करती है..

सूरज हलके हलके झटके मारते हुए - हेलो..

कहाँ है बेटू? क्या कर रहा है?

कुछ नहीं माँ.. यही था..

तो कब से तुझे ढूंढ़ रही हूँ.. स्टेज पर आजा.. फॅमिली फोटोज खिचवानी है..

माँ थोड़ा वक़्त लगेगा.. जरुरी काम है एक..

ऐसा क्या जरुरी काम है तुझे हनी.. जल्दी आ..

माँ आ रहा हूँ थोड़ी देर में.. फ़ोन रख दो..

सूरज ये कहकर रचना के बाल पकड़ के तेज़ झटके मारने लगा तो रचना के मुंह अह्ह्ह.. आराम से.. मार डालोगे क्या? की आवाज निकल गई और फ़ोन कटने से पहले सुमित्रा ने रचना की ये बात सुन ली.. जिससे वो समझ गई सूरज क्या कर रहा है.. सुमित्रा एक दम से कामुक हो गई और सूरज और उस लड़की के बारे में सोचने लगी जिसकी आवाज उसने फ़ोन पर सुनी थी.. सुमित्रा नहीं जानती थी कि वो लड़की कौन है मगर उसे इतना पता चल गया था की सूरज किसी लड़की को चोद रहा है..



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बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है सुमित्रा को पता चल गया है कि सूरज किसी लड़की को चोद रहा है लेकिन ये नहीं पता कि वह उसकी ननद के बेटे की पत्नी है सुमित्रा भी उत्तेजित हो रही है
 

Sanju@

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सूरज से बात करने के बाद सुमित्रा बाथरूम के लिए निकल गयी और बाथरूम का दरवाजा बंद करके अंदर अपनी चुत में ऊँगली करने लगी और सूरज के बारे में सोचने लगी.. सुमित्रा ने बाथरूम की दिवार पर बनी जगह मे अपना फ़ोन सीधा करके रख दिया जिसमे सुमित्रा ने सूरज की तस्वीर लगा रखी थी.. सूरज की तस्वीर देखकर सुमित्रा अपनी चुत मे ऊँगली कर रही थी और मन मे सूरज के साथ आलिंगन करने और अपने ही बेटे को भोगने के ख्यालों से खुदको रोमांचित और कामुक कर उसने सूरज के नाम पर वापस अपनी नदी का पानी बहा दिया था और जब तक वो बाथरूम से बाहर आई सूरज भी रचना की चुत में अपना माल भर चूका था और अब बेड के पास खड़ा होकर अपनी पेंट पहन रहा था.. रचना बिस्तर पर ही लेटी हुई थी उसकी सांवली चुत से दोनों का मिश्रित वीर्य घुलकर बह रहा था जिसे रचना अपनी ऊँगली से उठाकर चाटते हुए बोली..

देवर जी दूध तो पिया ही नहीं तुमने..

सूरज रचना के पास बैठकर उसके बूब्स दबाते हुए - रात को मेरे कमरे में सोना भाभी.. सारी इच्छा पूरी कर दूंगा..

रचना सूरज के होंठों पर से लिपस्टिक साफ करती हुई बोलती है - घर पर बहुत लोग है देवर जी.. वहा ऐसा कुछ नहीं हो पायेगा..

आप फ़िक्र मत करो भाभी छत पर कोई नहीं आएगा.. छत वाले कमरे में आज रात आपके दूध का स्वाद लूंगा..

वैसे एक बात बताओ.. इंटरनेट पर मुझे देखकर मेरे नाम का जयकारा तो लगाया होगा तूमने..

कई बार भाभी.. कई राते आपको देखकर ही बिताई है मैंने.. अब तो आप ही मेरा पकड़ कर जयकारा लगा देना..

ये भी कोई बोलने वाली बात है देवर जी? मैं तो आपकी दिवानी हो गई.. जब बोलोगे ख़ुशी ख़ुशी सब दे दूंगी..

भाभी अब चलता हूँ... आप भी अपनेआप को ठीक करके नीचे आ जाओ..

सूरज स्टेज की तरफ आ जाता है...

कब से ढूंढ़ रही हूँ.. चल..
सुमित्रा बनावटी गुस्सा दिखाते हुए सूरज का हाथ पकड़ कर स्टेज पर ले जाती है जहाँ विनोद गरिमा के साथ साथ जयप्रकाश गरिमा के पिता लख्मीचंद और माँ उर्मिला भी मौजूद थे.. एक फॅमिली फोटो खींचती है..

गरिमा का सारा ध्यान सूरज पर था और वो खा जाने वाली नज़र से सूरज को देख रही थी मगर सूरज जैसे अनजान बनकर गरिमा के सामने से निकल गया उसने गरिमा की तरफ देखा भी नहीं.. फोटो खिचवाने के बाद वो स्टेज से नीचे आ गया और गरिमा का दिल जोरो से दुखने लगा वो सूरज के इस व्यवहार को समझ नहीं पाई.. उसे यहां सबसे ज्यादा अगर किसको देखने और मिलने की तलब थी तो वो सूरज था मगर सूरज ने उसे ऐसे अनदेखा किया जैसे बॉलीवुड सेलिब्रेटी एक दूसरे को करते है..

गरिमा कब से सूरज का ही इंतजार कर रही थी और जब वो मिला भी तो अनजान बनकर.. गरिमा ने बड़ी मुश्किल से अपने आप को काबू में रखा अगर वो अकेली होती तो शायद रो पड़ती.. उसे अब अपने मन में सूरज के लिए पनप रहे प्रेम का आभास होने लगा था.. उसके साथ उसका होने वाला हस्बैंड खड़ा था मगर उसका दिल तो सूरज के नाम से धड़कने लगा था.. गरिमा को अब इसका अहसास होने लगा था कि वो अब एक दो राहें पर खड़ी हुई है.. जहाँ से ना वो वापस मुड़ सकती थी ना आगे बढ़ सकती थी.. 14 दिन सूरज के साथ बात करके उसे ऐसा लग रहा था जैसे सूरज के साथ उसका 14 जन्मो का बंधन हो.. उसे अब समझ आने लगा था कि ये प्रेम है..

सूरज को लगा था कि गरिमा कहीं सबके सामने उसे ताने मारने ना लग जाए और इतनी देर उससे दूर रहने का करण पूछते हुए विनोद के सामने ही नाराजगी ना हाज़िर करने लग जाए इसलिए उसने जानबूझ कर गरिमा को अनदेखा किया और उसे दूर ही रहा..


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क्या हुआ अक्कू? यहां गाडी बाइक क्यों रोक दी..

माँ वो सर दर्द होने लगा मैं मेडिकल से गोली ले आता हूँ..

अरे मेरे पास है गोली अक्कू.. तू घर चल मैं दे दूंगी..

नहीं माँ आप रहने दो आपको भी जरुरत पड़ती रहती है मैं ले आता हूँ अपने लिए..

अंकुश बाइक से उतर कर मेडिकल कि दूकान पर चला जाता है और नीतू मन ही मन मुस्कुराने लगती है.. उसके पीछे उसकी माँ गोमती बैठी हुई अंकुश के आने का इंतजार करने लगती है..

हाँ भाईसाहब क्या चाहिए?

1 कंडोम का पैकेट दे दो 8 वाला.. चॉकलेट फ्लेवर..

केमिस्ट एक नज़र बाइक पर नीतू और गोमती को देखकर अंकुश से - ये लो भाईसाब.. भाईसाब एक बात पुछु..

अंकुश- हा बोलो..

केमिस्ट - दोनों बिलकुल कड़क है.. कहाँ से लाये हो इन को? क्या रेट है नाईट का?

अंकुश पीछे बाइक पर नीतू और गोमती को देखकर केमिस्ट से - भोस्डिके काम कर अपना..

अंकुश कंडोम जेब में रखकर वापस बाइक चलाने लगता है वही पीछे नीतू और गोमती बैठ जाती है.. और तीनो कुछ मिनटों में घर पहुंच जाते है.. जिसके बाद गोमती अपने कमरे मे सो जाती है और अंकुश नीतू के साथ रासलीला रचाने लगता है..


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नज़मा कुछ बात हुई हनी से?

जी...... वो तैयार है..

शुक्र है नज़मा.. कम से कम घर में बच्चे की खुशी तो आएगी.. दूकान तो ठीक चलने लगी है अब तू भी पेट से हो जाए तो ख़ुशी दुगुनी हो जायेगी..

मैं बिस्तर ठीक कर देती हूँ..

मैं कल ही हनी से बात करूंगा..

नज़मा बिस्तर ठीक करके एक तरफ लेट गई और आगे आने वाले पलों के बारे में सोचने लगी.. उसे हनी पसंद था मगर उसके साथ सोने के बारे में नज़मा ने पहले कभी नहीं सोचा था.. परदे में रहने वाली नज़मा अब किसी गैर मर्द के साथ हमबिस्तर और हमबदन दोनों होने वाली थी.. नज़मा को घबराहट हो रही थी और एक रोमांच भी उसके दिल को घेरे जा रहा था.. उसे आज नींद नहीं आने वाली थी..

बिलाल घर की छत पर सिगरेट का धुआँ उड़ाते हुए सोच रहा था कि नज़मा पेट से हो गई तो जो रिस्तेदार उसे नामर्द कहकर चिढ़ाते है ताने मारते है उनका सबका मुंह चुप हो जाएगा और वो चैन से जी पायेगा..


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हेमलता बिस्तर लेटी हुई अब भी उन पलों को याद कर रही थी जब सूरज ने घर कि छत वाले बाथरूम में उसके अपनी मजबूत बाहों में कसके पकड़ा था.. और आज उसका सुन्दर मुखड़ा देखकर हेमलता के मन में उसके प्रति मातृत्व भाव के साथ काम का भाव भी आरहा था.. सूरज हेमलता के सामने ही तो बड़ा हुआ था मगर काम पीपासा ने किसे अछूता छोड़ा है? 50 साल कि उम्र को पार कर चुकी हेमलता खुली आँखों से सूरज के साथ प्यार मोहब्बत के सामने देख रही थी..


वही उसकी बेटी बरखा जिसने सूरज को टूशन पढ़ाया था वो भी सूरज के बारे में ही सोच रही थी.. वो यहां अपने माँ बाप के पास उनसे मिलने इसलिए नहीं आई थी कि हेमलता और बंसी ने उसे बुलाया था बल्कि इसलिए आई थी कि उसके अपने पति के साथ सम्बन्ध सही नहीं चल रहा था.. उसकी गृहस्थी अस्त व्यस्त होने की राह पर थी.. बरखा के पति का एक्स्ट्रा मेरिटयल अफेयर चल रहा था जिसका पता बरखा को चल गया था और वो गुस्से में होने बच्चे को भी वही उसकी दादी के पास छोड़कर यहां आ गई थी.. बरखा के मन में सूरज के प्रति लगाव और स्नेह था.. बरखा सूरज से खुलकर बात कर सकती थी और जब वो आई थी तब रास्ते में उसने सूरज से ढ़ेर सारी बातें की थी.. बरखा को नींद नहीं आई तो वो हेमलता से छुपकर घर की छत पर आ गई और एक सिगरेट अपने होंठों पर लगाकर जलाते हुए कश लेती हुई यहां से वहा घूमने लगी.. उसने मन में अजीब अजीब ख्याल आ रहे थे.. जैसे उसके मन में कोई युद्ध चल रहा हो..


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गुनगुन अपने कमरे की बालकनी में खड़ी होकर बाहर सडक पर एक कुतिया और एक कुत्ते के बीच हो रहे सम्भोग को देख रही थी.. रात का सन्नाटा था और कुत्ता खम्बे के नीचे आराम और इत्मीनान से अपनी कुतिया को चोद रह था..

गुनगुन को कुत्ते कुतिया की चुदाई देखकर अपने कॉलेज के दिन याद आ गए जब वो सूरज के साथ कभी कॉलेज के स्टोर रूम में तो कभी अपनी सहेली के घर जाकर सम्भोग किया करती थी.. गुनगुन की सील सूरज ने ही तोड़ी थी और गुनगुन अपनी जिंदगी में सिर्फ सूरज से ही चुदी थी..

सूरज पढ़ने में अच्छा नहीं था.. अक्सर ऐसा होता था कि गुनगुन सूरज के लंड को चुत में लेके उसे पढ़ाती थी और उसके पढ़ने और याद करने पर उससे अपनी चुत मरवाती थी.. इसमें दोनों को बराबर का सुख मिलता था..
गुनगुन सयानी थी मगर सूरज बचकाना.. गुनगुन सूरज को अच्छे से संभालती थी और उसके कारण सूरज एग्जाम में पासिंग मार्क्स ले आता था..

गुनगुन को आज भी याद है जब वो घुटने के बल बैठकर कॉलेज की छत पर सूरज के लंड को मुंह में लेकर उसे चूसते हुए सूरज को blowjob दे रही थी तब सूरज ने बड़े प्यार से गुनगुन को कहा था.. गुनगुन मुझे कभी छोड़ के मत जाना यार.. मैं ख़ुशी से जी नहीं पाऊंगा तेरे बिना..

ये सोचकर गुनगुन की आँख में आंसू आ गए.. गुनगुन सूरज को ढूंढ़ रही थी मगर सूरज उसे कहीं नहीं मिला.. गुनगुन ने कॉलेज से घर का एड्रेस पता किया तो पता चला की सूरज के परिवार ने घर बदल दिया था.. और कॉलेज में किसी को भी उसके बारे में पता नहीं है.. गुनगुन को ये तब नहीं पता था कि सूरज के घर का नाम हनी है... गुनगुन कि आँख में आंसू थे.. उसने सिगरेट का लम्बा कश लेते हुए सूरज को याद किया और सामने चल रही कुत्ते कुतिया कि चुदाई देखने लगी..

गुनगुन सिगरेट नहीं पीती थी मगर जब वो एग्जाम कि प्रिपरेशन कर रही थी तब साथ कि एक लड़कियों ने देर तक जागनेके लिए उसे सिगरेट पीना सिखाया और गुनगुन अब भी कभी कभी जब वो उदास और मायूस होती सिगरेट पी लेती थी..

गुनगुन को कुत्ते में सूरज और कुतिया में खुदकी शकल दिखने लगी थी और अब उसकी चुत से तरल पदार्थ रिसने लगा रहा.. गुनगुन सिगरेट के कश लेती हुई सूरज को वापस हासिल करने के ख्वाब देख रही थी..
एक आदमी जो सडक पर चल रहा था उसने कुत्ते और कुत्तिया को चुदाई करते देखकर पत्थर मारना शुरू कर दिया.. कुत्ते का लंड और कुतिया की चुत में चिपक गया था और दोनों इसी तरह उस आदमी से बचकर भाग गए.. गुनगुन को याद आने लगा कि एक दिन जब गुनगुन को घर आने कि जल्दी थी और सूरज उसकी चुत में लंड घुसा के लेटा हुआ था तब गुनगुन के कहने पर कि मुझे जाने दो सूरज ने जवाब दिया था.. मेरा लंड तो तेरी चुत मे चिपक गया है गुनगुन.. निकलता ही नहीं है... गुनगुन ने उस बात को याद करके मुस्कुराते हुए सिगरेट बुझाकार फेंक दी और वापस आकर बिस्तर में लेट गयी.. नींद उसकी आँख में भी नहीं थी..


************


रात के दस बज चुके थे.. सूरज ने vigra ली थी और अब तक कई बार झड़ चूका था.. सूरज गबरू जवान था और उसके कारण उसपर vigra का असर तुरंत हो गया था जिसके करण रचना और नेहा को उसने चोद दिया था... विनोद और गरिमा के साथ घर के बाकी लोग भी अब खाने के लिए बैठ गए थे मगर सूरज को भूक नहीं थी वो अपना खड़ा लंड लेकर बिल्डिंग कि छत पर आ गया था.. जहाँ वो एक तरफ बैठकर सोच रहा था कि उसपर से ये असर अब कब ख़त्म होगा? सूरज को छत ओर जाते हुए किसी ने देख लिया था और वो शख्स भी सीढ़ियों पर खड़ा हुआ सूरज को छत पर एक तरफ अपना लंड पकड़ के बैठे हुए देख रहा था..

सूरज ने कुछ देर बाद देखा कि कोई उसकी तरफ चला आ रहा है.. सूरज ने जैसे नज़र उठाकर देखा तो एक औरत सूरज के पास आकर अपने घुटनो पर बैठते हुए कहती है - भईया जी..

फुलवा.. तू यहां क्या कर रही है?

भईया जी आपको देखा तो मिलने चली आई.. आपने इतना बड़ा उपकार किया मेरे ऊपर.. मेरा घरवाला भी यहां आ गया है धरमु ने उसे काम दिया है.. आपने तो मेरा नसीब बदल दिया.. भईया आपको क्या हुआ है?

कुछ नहीं.. फुलवा जा यहां..

भईया जी हाथ से क्या पीछा रहे हो.. और आपको क्या हुआ है? आपको कोई दिक्कत है?

सूरज की नज़र फुलवा की चोली में गई तो उसके लंड में और अकड़न आ गई और फुलवा ने सूरज के लंड को पेंट के अंदर ही पूरी औकात में खड़ा देख लिया और हसने लगी.. और बोली - भईया जी लगता है आज बहुत मन है आपका?

सूरज फुलवा के बूब्स घूरकर - फुलवा जा यहां वरना कुछ हो जाएगा..

फुलवा हस्ती हुई - भईया जी लाओ.. मैं मदद कर देती हूँ आपकी..

सूरज - नहीं फुलवा.. रहने दे..

फुलवा सूरज का हाथ उसके लंड पर से हटा कर उसके पेंट की ज़िप खोल लेती है और सूरज के लंड को पकड़ कर बाहर निकाल लेती है.. फिर सूरज का एक हाथ अपनी चोली के अंदर घुसा कर उसके लंड पर अपने होंठ लगा देती है और फिर धीरे धीरे प्यार से लंड चूसाईं शुरू कर देती है जिसमे सूरज को आराम आ आने लगा था और मज़ा भी मिलने लगा था.. सूरज एक हाथ से फुलवा के बूब्स दबाते हुए उसे लंड चुसवा रहा था तभी उसका फोन आ गया और सूरज उठाकर बातकरने लगा..

हेलो..

हनी तू फिर से कहा गायब हो गया? खाना नहीं खाना तुझे?

भूक नहीं है माँ..

अरे भूक क्यों नहीं है तुझे? देख यहां सब खाने के लिए बैठ गए है तू जल्दी आ..

कहा ना भूक नहीं है.. आप खा लो..

हनी तू है कहा? किसके साथ है?

मैं यही हूँ माँ.. आप फ़िक्र मतकरो.. आप खाना खाओ..

नहीं.. जब तक तू नहीं आएगा मैं नहीं खाऊंगी.. समझा..

माँ यार क्या बच्चों जैसी ज़िद करने लगी आप.. खा लो ना.. पहले भी तो खाती थी..

खाती थी पर अब से नहीं खाऊंगी.. तू आएगा तभी खाऊंगी.. समझा..

ठीक है थोड़ी देर रुको मैं आता हूँ.. फ़ोन कट जाता है..

फुलवा सूरज का पूरा लंड गले तक ले जाती है और अब जोर जोर से चूसने लगती है..

अह्ह्ह.. फुलवा.. अह्ह्ह.. अह्ह्ह

फुलवा लंड ऐसे चूस रही थी जैसे वो लंड चूसने के लिए ही पैदा हुई हो.. उसने 10 मिनट के अंदर ही सूरज को अपने मुंह से ठंडा कर दिया था..

सूरज ने अपने बटुए से पांच सो का एक नोट निकालकर फुलवा की चोली में घुसा दिया और फुलवा का बोबा पकड़कर मसलते हुए बोला - फुलवा.. तू कमाल है..

फुलवा ने अपनी चोली से पैसे निकालकर सूरज से कहा - भईया जी.. ये क्या है? आप मेरी कीमत लगा रहे हो..

नहीं फुलवा.. मैं बस तुझे इनाम दे रहा हूँ.. चोली फटी हुई है तेरी नई ले लेना..

फुलवा ने अपनी चोली उतार कर एक तरफ रख दी और कमर से ऊपर पूरी नंगी होकर वापस सूरज के लंड को पकड़ती हुई मुंह में लेकर चूसने लगी..

फुलवा क्या कर रही है.. अह्ह्ह्ह.. आराम से.. फुलवा.. छोड़ ना.. वापस खड़ा हो जाएगा.. फुलवा...

वही तो करना है भईया जी.. ये कहकर फुलवा वापस लंड चूसने लगती है और दो मिनट में ही सूरज का लंड वापस खड़ा हो जाता है..

फुलवा.. बड़ी मुश्किल से झड़ा था तूने वापस खड़ा कर दिया..

मैं वापस झड़वा दूंगी भईया जी आप फ़िक्र मत कीजिये.. ये कहकर फुलवा अपना घाघरा उठाकर सूरज के लंड पर बैठ गई और सूरज का लंड घप करके फुलवा की चुत में चला गया.. फुलवा की चुत बड़ी थी उसे लंड लेने में ज्यादा तकलीफ नहीं हुई बल्कि मज़ा आने लगा.. वो सूरज के लंडपर उछलने लगी और अपने दोनों चुचे हिला हिला कर सूरज के मुंह पर मारने लगी.. सूरज दोनों हाथ से फुलवा की कमर पकड़ कर उसके बूब्स को कभी चूस तो कभी चाट रहा था..

पास में उसका फोन पड़ा था जिसमे अब सुमित्रा के साथ साथ गरिमा का फ़ोन भी आने लगा था और सूरज को इसका ध्यान नहीं था वो फुलवा की काम कला से काम के सुख में डूब गया था.. गरिमा और सुमित्रा ने कई बार सूरज को फ़ोन किया मगर सूरज ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया या यूँ कहे की उसे फ़ोन साइलेंट होने से पता ही नहीं चला..

फुलवा निकलने वाला है.. हट..

अंदर निकाल दो ना भैयाजी..

पागल है क्या फुलवा? कंडोम नहीं लगा हुआ.. हट..

फुलवा लंड चुत से निकाल कर मुँह मे भर लेती है और सूरज को अपने मुँह मे झड़वा लेती है मगर अब तक रात के साढ़े दस बज चुके थे और फंक्शन लगभग ख़त्म हो चूका था.. सुमित्रा के अलावा सबने खाना खा लिया था गरिमा का मन नहीं था मगर उसे भी सबके दबाव ने खाना खाना पड़ा था..

सूरज ने फ़ोन देखा तो चौंक गया और फुलवा का बोबा पकड़ के उसे साइड करते हुए अपने लंड पर से हटा दिया फिर पेंट बंद करके जल्दी से खड़ा हो गया..

क्या हुआ भैया जी?

फुलवा मर गया आज तो.. इतना लेट हो गया.. जाना पड़ेगा जल्दी निचे..

फुलवा भी खड़ी होकर अपनी चोली पहनती हुई - भैया जी जब भी आपका मन करे तो मिलने का अहसान जरुरत कीजियेगा.. आप जैसे बोलेंगे मैं वैसे आपको खुश कर दूंगी..

सूरज निचे आ जाता है..

सुमित्रा ने जैसे ही सूरज को देखा वो गुस्से से बोल पड़ी..

कहा था तू.. मेरी बात की जरा भी परवाह है या नहीं तुझे? किस लड़की के साथ था? बता?

माँ क्या बोल रही हो.. कहीं फंस गया था.. सॉरी.. आपने खाना नहीं खाया ना? चलो खाते है..

अब नहीं खाना मुझे.. सब का खाना हो गया सब चले भी गए और अब तेरे पापा के साथ बाकी लोग भी घर जा रहे है तेरी मर्ज़ी हो तो घर आ जाना वरना जिस लड़की के साथ मुंह काला कर रहा था उसी के साथ रह जाना..

कौन लड़की कैसी लड़की? क्या बोल रही हो किसी लड़की के साथ नहीं था.. कहा ना कहीं फंस गया था..

हनी ऐसा है मुझे अभी बहुत गुस्सा चढ़ा हुआ है मेरा हाथ उठ जाएगा.. तूझे जो करना है कर.. हट मुझे जाने दे..

अरे माँ सुनो तो... चलो ना खाना खाते है अभी तो खा सकते है..

मुझे नहीं खाना.. हट..

देखो आपने वादा किया था आप मुझसे नाराज़ नहीं होगी..

तूने भी एक वादा किया था मुझे सब सच बताएगा.. बोल किसके साथ था.. कौन लड़की थी? देख मैंने फ़ोन पर आवाज सुनी थी उस लड़की.. पहले भी और अभी भी.. सच बता.. वरना कभी बात नहीं करुँगी..

माँ.. वो..

वो क्या कौन थी? चिंकी थी?

माँ.. चिंकी कहा से आएगी.. आप क्या बोल रही हो.. उससे तो बात भी नहीं की मैंने जब से उसकी शादी हुई है..

तो कौन थी?

कॉलगर्ल थी..

कौन? कौन सी गर्ल थी..

कोनसी गर्ल नहीं माँ.. पैसे लेकर.. जो आती है.. वो... कॉल गर्ल.. बस?

सुमित्रा गुस्से से - छी.. अब ये सब करेगा? शर्म नहीं आती तुझे?

सूरज नज़र झुकाकर कान पकड़ते हुए - सॉरी.. माँ..

सुमित्रा पास आकर कान में - कंडोम तो लगाया था ना?

सूरज गर्दन हां में हिला देता है..

सुमित्रा फिर से बनावटी गुस्सा दिखाते हुए - लगता है तेरी शादी भी विनोद के साथ ही करवानी पड़ेगी.. बहुत जवानी फूट रही है नवाब को.. चल अब..खाना खाते है..

आप बैठो खाना लेके आता हूँ माँ..

सूरज प्लेट उठाकर खाना लेने चला जाता है और सुमित्रा सूरज को देखकर मन ही मन सूरज के साथ सेज सजाने के ख्याली पुलाव बनाकर अपने आप को कल्पनाओ की दुनिया में ले गई उसकी चुत गीली हो उठी थी.. वो सोच रही थी की सूरज ने एक रंडी को ये बोलने पर मजबूत कर दिया.. आराम से.. मतलब सूरज सम्भोग करने में माहिर और खिलाड़ी होगा.

मुन्ना और नेहा भी अब काम निपटाने में लगे थे और अब बचा हुआ सामान घर पहुंचने के लिए किसको बुला लिया था..

सूरज खाना ले आया और सुमन के साथ बैठकर खाने लगा.. दोनों साथ में खाना खा रहे थे और एक दूसरे से बिना कुछ बोले एक दुसरे को कभी कभी देखकर खाने का स्वाद लेने लगे थे.. खाने के बाद सुमित्रा ने देखा की लख्मीचंद और उर्मिला उसी की तरफ आ रहे थे और गरिमा के साथ बाकी सभी लोग जो उनकी तरफ से आये थे वापस जाने के लिए बस में बैठ गए थे..

सूरज ने जैसे ही लख्मी चंद और उर्मिला को देखा उसे याद आया कि उसने गरिमा से बात तक नहीं कि है..

सूरज वहा से बस कि तरफ चला गया और बस की खिड़की में गरिमा को देखकर व्हाट्सप्प पर गरिमा को से बस से बाहर आने को कहा.. गरिमा ने massage देखकर अनदेखा कर दिया और बस से कुछ दूर खड़े सूरज को गुस्से से देखकर मुंह मोड़ लिया..

सूरज ने गरिमा को कॉल किया मगर गरिमा ने फ़ोन भी नहीं उठाया और आँखे बड़ी बड़ी करके सूरज को घूरने लगी फिर मुंह फेर लिया.. सूरज समझ आ चूका था की गरिमा उस पर बहुत गुस्सा है और नाराज़ है..

सूरज ने व्हाट्सप्प पर लिखा - सॉरी भाभी..

गरिमा देखकर अनदेखा कर दिया और सूरज के बार बार massage और फ़ोन का कोई रिप्लई नहीं दिया..

सूरज के देखते ही देखते सब सब लोग बस में बैठ गए और बस चली गई किन्तु गरिमा ने सूरज से बात नहीं की..

सबके जाने के बाद सूरज भी घर आ गया.. और अपनी गलती पर मन ही मन खुदको बुरा भला कहने लगा.. सूरज को नहीं लगा था कि उसकी इतनी सी गलती से गरिमा इतना नाराज़ हो जायेगी मगर बात कुछ और थी.. गरिमा सूरज को मन ही मन चाहने लगी थी और एक माशूका अपने महबूब से इसी तरह नाराज़ हो जाया करती है.. मगर इसका इल्म सूरज को नहीं था.

सूरज अपने कमरे में आ गया और गद्दे पर उल्टा लेट गया.. उसने आज गुनगुन को देखा था जिसे वो अपनी जान से ज्यादा प्यार करता था मगर शायद वक़्त ने उसके दिल से गुनगुन के लिए जो प्यार था उसे दबा दिया था.. सूरज गुनगुन के जाने के बाद जिन हालातों से गुजरा था उसे उभरते उभरते उसने गुनगुन को कभी ना मिलने की कसम खा ली थी.. थकावट के कारण उसे नींद आ गई थी.

रचना नज़र बचाकर उसके कमरे आई तो उसे सोता हुआ पाया और अपनी किस्मत को कोसती हुई वापस चली गई.

अगली सुबह जबतक सूरज की आँख खुली लगभग सभी मेहमान जा चुके थे.. सूरज ने उठते ही गरिमा को सॉरी मैसेज सेंड किया और गरिमा ने तुरंत उसे seen कर लिया मानो वो उसी के इंतजार में बैठी हो.. आज का पूरा दिन सूरज ने गरिमा को अनगिनत मैसेज और कॉल किये मगर गरिमा ना massage का रिप्लाई दिया ना कॉल उठाया..

कल रात गरिमा दिल दुख रहा था मगर आज उसको एक अजीब सुकून मिल रहा था उसके होंठों पर मुस्कान थी.. वही सुकून जो अपने प्रेमी को अपने लिए तड़पते देखकर मिलता है.. गरिमा का दिल जोरो से धड़क रहा था और वो हर बार सूरज का massage seen करके छोड़ देती.. कोई जवाब नहीं देती..

सूरज और गरिमा के बीच कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा.. सूरज रोज़ सुबह से रात तक गरिमा को पचासो मैसेज भेजता और गरिमा मैसेज देखकर मुस्कुराते हुए बिना रिप्लाई दिए फ़ोन बंद कर देती..

सगाई के सात दिन बाद तक ऐसा ही चलते रहा और सूरज घर से बाहर कहीं नहीं गया.. बस अपने कमरे में ही रहा.. उसके अंकुश और बिलाल ने भी मिलने को बुलाया मगर सूरज बात टाल कर फ़ोन रख देता..

सूरज को गरिमा से ना कोई मोहब्बत थी ना लगाव था उसे बस गरिमा से बात करना और उसके साथ बात करते हुए समय बिताना अच्छा लगता था.. सूरज
गरिमा से बात करने के लिए तड़प नहीं रहा था बस वो चाहता था कि गरिमा एक बार उसे बात कर ले ताकि सूरज गरिमा से माफ़ी मांग सके.. सूरज गरिमा को भाभी कि नज़र से ही देखता था और गरिमा के लिए उसके मन में कोई पाप नहीं था..


मुंह क्यों लटका हुआ है तेरा?

कहा लटका हुआ है? ठीक तो है..

चेहरे पर बारह बज रहे है.. क्या हुआ क्या बात है?

कुछ नहीं वो तो रात को ठीक से नींद नहीं आई इसलिए.. चाय दे दो..

सुमित्रा ने चाय देते हुए कहा - तेरे पापा बात करना चाहते है तुझसे.. सुबह पूछ रहे थे.. मैंने कहा अभी सो रहा है शाम को बात कर लेना..

मुझसे क्या बात करेंगे?

मुझे क्या पता? शायद कुछ जरुरी होगी तभी कह रहे थे वरना क्यों कहते.. और तू बोर नहीं होता अकेले?

नहीं.. मुझे अकेले रहना पसंद है.. आपका फ़ोन देना..

मेरा फ़ोन? क्यों?

किसीको फ़ोन करना है मेरा फ़ोन ख़राब हो गया है..

तो कब तक पुराना फ़ोन चलाएगा नया लेले..

ले लूंगा आप दो ना अपना फ़ोन..

एक मिनट..
सुमित्रा चेक करती है कि उसके फ़ोन में सारी अप्प पर लॉक ठीक से लगा है या नहीं फिर सूरज को फ़ोन दे देती है कॉल खोल के..

सूरज गरिमा का नम्बर डायल करता है और छत पर चला जाता है..

हेलो..

भाभी आपको मेरी कसम है फ़ोन मत काटना..

गरिमा कुछ नहीं बोलती..

भाभी सॉरी.. उस दिन गलती हो.. आप बात तो करो.. ऐसे मेरा फ़ोन और massage इग्नोर करोगी तो मैं वापस आपको कभी massage और कॉल करूंगा ही नहीं..

गरिमा सूरज कि आवाज सुनकर खुश हो गई थी मगर जाताने के लिए कि वो कितनी नाराज़ है उसने कहा.. मत करना..

सूरज - ठीक है अब ना massage आयेगा ना कॉल आएगा आपको मेरा..

सूरज फ़ोन काट देता है और गरिमा सोचने लगती है कि क्या सूरज सच ने उसे मैसेज और कॉल नहीं करेगा? उसका दिल भारी सा होने लगता है गरिमा का मन करता है अभी वापस सूरज को फ़ोन करके उससे बात करें मगर उसका गुस्सा अभी सूरज पर शांत नहीं हुआ था ना ही उसकी नाराज़गी ख़त्म हुई थी ऊपर से गरिमा का अहंकार या कहो आत्मसम्मान भी उसे इस बात की इज़ाज़त नहीं दे रहा था..

सूरज नीचे आ गया और फ़ोन सुमित्रा को देकर घर से बाहर चला गया.


**************


नीतू छोड़ यार ऑफिस के लिए लेट हो जाऊँगा.

आज छूटी ले ले ना अक्कू.

क्यों आज क्या स्पेशल है?

अक्कू आज जोगिंदर के साथ समझौता होने वाला वो पैसे देगा.. वकील साहिबा ने बुलाया है.. चल ना मेरे साथ..

मम्मी को ले जाना नीतू.. मुझे उनसब चीज़ो में कोई दिलचस्पी नहीं है.. और तेरी वकील साहिबा मुझे देखते ही फिर से नैनो के तीर चलाना शुरू कर देगी.

अरे उसकी चिंता तू मत कर अक्कू.. वकील साहिबा को मैं संभाल लुंगी.. चल ना.

देख नीतू मुझे उस जोगिंदर कि शकल वापस नहीं देखनी.. तू जिद मत कर.. मम्मी को ले जा वो वैसे भी टीवी देखते देखते घर पर बोर हो जाती है.. चल जाने दे.

अक्कू रुको.

अब क्या है?

टिफिन तो लेते जाओ..

अंकुश नीतू के हाथ से टिफिन और होंठो से एक प्यार भरा चुम्मा लेकर ऑफिस के लिए निकल जाता है और नीतू नीचे गोमती के कमरे में आकर उससे कहती है..

मम्मी.. वकील ने बुलाया है आज समझौता होने वाला है.. कुछ दिनों में तलाक़ भी हो जाएगा.. आप चलोगी मेरे साथ.

गोमती अपनी गहरी सोच से बाहर आते हुए - तलाक़ के बाद क्या करेंगी नीतू? कैसे जियेगी अपनी जिंदगी?

नीतू गोमती के पास बैठ कर - आप फ़िक्र मत करो माँ.. मैं ऐसे ही खुश हूँ.

गोमती एक पेनी नज़र नीतू पर डाल कर कहती है - खुश? अरे जो लड़की तलाक़ लेकर पूरी उम्र घर पर बैठकर बिताती है उसे किस नज़रो से लोग देखते है जानती भी है? एक बार फिर सोच ले.. जोगिंदर से बात करेंगे तो वो फिर से तुझे रखने को तैयार हो जाएगा.

नीतू - माँ मैं उस आदमी के पास वापस कभी नहीं जाउंगी.. आपको चलना है तो चलो वरना साफ मना कर दो.. मैं अकेली चली जाउंगी.

गोमती - नीतू मैं अंधी नहीं हूँ.. घर में जो हो रहा है मुझे साफ नज़र आ रहा है.. मैं चुप हूँ इसका मतलब ये नहीं मैं कुछ नहीं जानती.. लोगों का तो ख्याल कर.. किसीको तेरी करतूत के बारे में पता चलेगा तो क्या इज़्ज़त रह जायेगी पुरे घर की.. मैं एक बार फिर तुझे समझा रही हूँ.. सोच ले.

नीतू - मैंने सोच लिया है माँ.

गोमती - नीतू मन कर रहा है तुझे जान से मार दूँ मगर क्या करू.. माँ जो हूँ तेरी.. अरे सारी जिंदगी क्या अपने छोटे भाई की रखैल बनकर रहेगी तू? क्या जिंदगी होगी तेरी सोचा है कभी? अक्कू तो मर्द जात है उसे ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा मगर तू कुछ तो सोच. जब अक्कू की शादी होगी तब क्या हाल होगा तेरा?

नीतू नज़र झुका कर - तलाक़ के बाद मैं ही अक्कू से शादी करुगी माँ.. अक्कू और मैं एक दूसरे से बहुत प्यार करते है.. मुझे पता नहीं आप सब जानती है वरना मैं आपको पहले ही बता देती.

गोमती - पता नहीं था.. तेरे कमरे का पलंग कैसे टूट जाता है तुझे लगता है मुझे पता नहीं चलता. घर के किस कोने में तुम भाई बहन कब क्या रास लीला रचाते हो मुझे सबकी खबर रहती है. मैं कुछ बोलती नहीं क्युकी डरती हूँ अगर किसीको पता चल गया तो क्या होगा? मगर अब बात हद से आगे बढ़ गई है.

नीतू - माँ अक्कू और मैंने ये घर छोड़कर कहीं और रहने का सोचा है.. एक बार तलाक़ हो जाए फिर हम ये घर बेचकर कहीं और शिफ्ट हो जायेगे.. किसीको कुछ पता नहीं चलेगा.. मैं अक्कू से शादी करूंगी और उसके बच्चे की माँ भी बनुँगी.. अक्कू से मैं प्यार करती हूँ माँ.

गोमती कुछ देर चुप रहकर - एक बार फिर सोच ले नीतू.. ये सब गलत है.

नीतू - प्यार सही और गलत की परवाह नहीं करता माँ.आपको हमारा साथ देना ही होगा.. आप मेरे और अक्कू से नाराज़ नहीं हो सकती.. माँ.. वकील साहिबा का फ़ोन आ रहा है.. बुला रही होगी.. मैं चलती हूँ.

गोमती - रुक मैं भी आती हूँ तेरे साथ.

गोमती और नीतू रिक्शा लेकर कोर्ट पहुचे जाते है और समझौते के अनुसार पैसे ले लेते है फिर तलाक़ के लिए एक फ़ाइल पेश होती है और उसमे डेट लेकर वापस अपने घर आने के लिए कोर्ट से निकल जाते है..

रास्ते में नीतू - भईया वो बैंक के आगे रोकना.

गोमती - क्या हुआ नीतू?

नीतू - माँ बैंक जाकर आती हूँ.

गोमती - रुक मैं भी आती हूँ.. भईया यही इंतजार करियेगा.. हम आते है.

नीतू पैसे अंकुश के अकाउंट में जमा करवा कर वापस गोमती के साथ रिक्शा में आकर बैठ जाती है और घर के लिए निकल जाती है.


****************


सूरज झील के किनारे बैठा हुआ अपने ही ख्यालों में गुम था कभी वो गरिमा के बारे में सोचता तो कभी गुनगुन के.. कभी उसका मन चिंकी के पास जाकर उसके साथ सम्भोग करने का होता तो कभी उसे चिंकी के घर पर उसके परिवार के होने का ख्याल आता और वो वापस किसी और ख्याल में खो जाता..
अभी तक नेहा ने सूरज को फ़ोन नहीं किया था और रचना तो अब सूरज से हर दिन थोड़ी बहुत बातचीत कर ही लेती थी.. रचना के साथ सूरज अब खुलकर बात करने लगा था मगर वो बात सिर्फ दोनों के बीच की ही होती..

रमन सूरज के पास आकर बैठ जाता है और कहता है - अच्छा हुआ भाई तूने यहां आने के लिए कह दिया. मैं भी घर पर बैठा बैठा बोर हो गया था..

सूरज - बता क्या कह रहा था.. काफी परेशान लग रहा है..

अरे क्या बताऊ यार वो औरत है ना.. उसने जीना हराम कर रखा है.. जब भी घर जाऊं.. धमकिया देती रहती है..

कौन लड़की? अच्छा.. तेरे बाप के रखैल की बेटी.. भाई वैसे तेरा बाप बड़ा रंगीन था..

अरे भाई क्या बताऊ यार.. मेरे बाप ने मेरे लिए फंदा तैयार किया है.. बहनचोद.. जब भी घर जाऊ उसकी शकल सामने आ जाती है..

क्या हो रहा है? बोल क्या रही है वो? सॉरी क्या नाम बताया था तूने उसका.. हां.. तितली..

क्या कहेगी.. साली.. बोल रही है बटवारा करो.. आधा हिस्सा चाहिए उसे.. बहनचोद.. मेरे बाप को भी सारी प्रॉपर्टी उसीके नाम करनी थी. सगे बेटे को कुछ नहीं दिया.

तू कह रहा था तेरे बाप की डॉक्टर भी थी वो.. इलाज़ करती थी तेरे बाप का? सही है मा बाप की रखैल और उस रखैल की बेटी बाप की डॉक्टर.. वैसे भाई अब क्या करेगा?

वही सोच रहा हूँ हनी.. समझ नहीं आ रहा यार..

वैसी तेरी ही तो उम्र की है.. अगर तुझे शकल पसंद है तो तू शादी कर ले.. बटवारा होने से बच जाएगा..

पागल है क्या चूतिये.. क्या कुछ भी बोल रहा है.. दिखने में अच्छी है तो क्या गले से बांध लू.. पैसो के लिए उसकी मा मेरे बाप की रखैल बनी.. अब उसकी बेटी आधी प्रॉपर्टी मांग रही है.

सूरज हसते हुए - भाई डॉक्टर है तेरा भी इलाज़ कर देगी मुफ्त में.. तू अच्छा दीखता है.. शायद पिगल जाए तेरे ऊपर.. और आधी मांग रही है वरना चाहे तो पूरी भी ले सकती है..

रमन - चने के झाड़ पर मत चढ़ाये जा.. गलत ही फ़ोन किया तुझे भी.. कुछ सलूशन देने की जगह मेरी ही गांड मारने लग गया.. कभी बात करते देखा है उसे? ऐसा लगता है जैसे अभी ऑपरेशन कर देगी..

सूरज - मैं क्या सलूशन दू मैं खुद उलझा पड़ा हूँ..

चल भाई आज दारु पीते है..

दिन में?

एक बियर तो पी ही सकते है.. चल बैठ गाडी में..

रमन सूरज को लेकर गाडी चलाता हुआ किसी बार में आ जाता है और दोनों एक टेबल पर बैठकर बियर पीते हुए वापस बात करने लगते है..

अब तो लगता है आधी प्रॉपर्टी हाथ से जाने ही वाली है.. कभी कभी अपने बाप पर बहुत गुस्सा आता है..

शुक्र कर पूरी नहीं ले रही. वैसे किस बात का गुस्सा.. और साले आधी भी बहुत है.. तेरा बाप तो कुछ नहीं छोड़ के गया तेरे लिए.. वो तो फिर भी आधी दे रही है.. हसते हुए..

तू भी मज़ाक़ बना ले साले.. उस लालची औरत से परेशान हूं ही..

डॉक्टर है लालची तो होगी ही.. वैसे एक बार मेरी बात मान के देख के.. क्या पता मान जाए...

तेरा दिमाग खराब है क्या भोस्डिके.. क्या कह रहा है..

बहन ले लंड बाप की पूरी जायदाद चाहिए या नहीं? मेरी तरह खाली जेब सडक पे घूमना है तैसे बस की बात नहीं.. और शादी करने को कह रहा हूँ.. कोनसा सुहागरात बनाने को कह रहा हूँ.. पटा के शादी कर ले.. प्रॉपर्टी तेरे हाथ में रहेंगी फिर तेरी ऐयाशी भी चलती रहेंगी..

भाई नहीं मानेगी...

कोशिश तो कर गांडु.. कॉलेज में चीटिंग करके कितनी लड़कियों को से थप्पड़ खाये थे तूने.. ज्यादा से ज्यादा तितली भी एक चिपका देगी.. और अगर मान गई तो तेरी मोज़ है.. प्यार से बात कर कुछ दिन.. उसे रेस्पेक्ट दे फिर शादी के लिए ऑफर मार दे..

उसकी शकल देखते ही गुस्सा आता है बहनचोद उससे प्यार से बात करू?

सूरज- पैसा सब करवा देगा..

रमन - अब किसका फ़ोन आ रहा है तुझे?

सूरज फ़ोन उठाकर - हां बिल्ले.. बोल..

बिलाल - बहुत बिजी रहने लगा है हनी.

सूरज - अरे नहीं यार.. कुछ नहीं. बस ऐसे ही.

बिलाल - कुछ बात करनी थी.. दूकान पर आएगा?

सूरज फ़ोन काटते हुए - हां.. आ रहा हूँ..
चल रमन छोड़ दे मुझे..

रमन - ठीक है चल..

रमन सूरज को बिलाल की दूकान पर छोड़कर घर निकल जाता है..

सूरज दूकान में आकर कुर्सी पर बैठ जाता है और बिलाल उसी तरह उसके कंधे पर दोनों हाथ रखकर दबाते हुए कहता है - ये तो वही था ना जिसे गार्डन में देखा था.. काफी बड़ी फर्म लगता है..

सूरज - इसका ही गार्डन है.. कॉलेज का दोस्त है..

बिलाल - रुक मैं नज़मा को चाय के लिए कह कर आता हूँ..

सूरज - नहीं बिल्ले... छोड.. बियर पी है थोड़ी देर पहले..

बिलाल - अच्छा हनी.. आज रात अम्मी मामू के यहां रहेंगी.. तू रात को यही रुक सके तो अच्छा रहेगा..

सूरज कुछ देर सोचकर - मैं आ जाऊंगा बिल्ले..

बिलाल - ले..

सूरज - ये क्या है?

बिलाल - पैसे है.. जो तूने दिए थे..

सूरज - छोड़ ना यार बिल्ले.. कभी जरुरत होगी तो मांग लूंगा.. चल मैं घर जाता हूँ..

बिलाल - मैं व्हाट्सप्प करूंगा हनी..

सूरज - ठीक है..

सूरज घर आ जाता है और अपने कमरे में जाकर फ़ोन में किसी से बात करने लगता है..


************


रमन अपने घर पहुँचता है तो घर में घुसते ही उसे तितली नज़र आती है और उसे देखकर सूरज की बातों को याद करने लगता है और तितली को ऊपर से नीचे देखकर उसकी खूबसूरती जो उसने अब से पहले कभी नोटिस नहीं की थी उसका जायजा ले रहा था..

तितली ने रमन को देखकर कहा - क्या सोचा है तुमने? सीधी तरह से मेरी बात माननी है या मैं कोर्ट में जाकर सारी प्रॉपर्टी ले लु?

तितली (24)
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रमन तितली की तरफ आकर अपने जेब से एक फूल निकालकर तितली को देते हुए - आज bday है ना तुम्हारा.. हैप्पीबर्थडे.. मैं तैयार हूँ.. अगले महीने शायद गाँव वाली जमीन के केस का फैसला आ जाएगा उसके बाद तुम जो कहोगी कर लेंगे..

तितली हैरानी से रमन को देखने लगी.. जो अब से पहले कभी उससे सीधे मुंह बात तक नहीं करता था और हमेशा उसकी मा को बाप की रखैल कहकर ही बुलाता था आज उसे bday विश कर रहा था और उसकी बात को इतनी आसानी से मान गया था.. तितली ने आगे कुछ नहीं कहा..

रमन ने नोकरानी शान्ति से खाना देने को कहा और अपने कमरे में चला गया.. तितली देखती ही रह गई और कुछ देर बाद वो भी अपने कमरे में चली गई और लगातार इसी बारे में सोचने लगी फिर उस फूल को जिसे रमन ने दिया था देखने लगी और बाद में उसे डस्टबिन में डाल दिया..

रात के 9 बज गए थे और तितली अब भी अपने कमरे में थी.. रमन तितली के कमरे में आते हुए कहता है - शान्ति बता रही थी, खाना नहीं खाया आज तुमने? तबियत ठीक है तुम्हारी?

तितली - तुमको मेरी तबियत की कब से चिंता होने लगी.. तुम तो चाहते है तुम्हारे पापा की तरह मैं भी मर जाऊ और तुम्हे मुझे कुछ ना देना पड़े.. मगर मैं मरने वाली नहीं हूँ..

रमन तितली के करीब बेड पर बैठते हुए - देखो तुम्हारी मा और मेरे बाप के बीच जो कुछ था वो सबको पता है.. तुम्हारी मा के मरने के बाद जिस तरह तुमने मेरे बाप का ख्याल रखा और मेरे बाप का इलाज़ किया उससे भी सबको यही लगता है की तुमने ये पैसे के लिए किया है और तुम गोल्डीदिग्गर हो.. मैं झूठ नहीं बोलूंगा पर.. मैं भी वही सोचता हूं.. मगर अब मैं तुमसे और झगड़ना नहीं चाहता..

तितली - तुम या सब क्या सोचते है मेरे बारे मे मुझे उससे फर्क नहीं पड़ता.. जिसे जो सोचना हो सोचे जो बोलना हो बोले.. मैं किसीकी परवाह करने नहीं बैठी हूं.. मुझे और मेरी मा को सब तुम्हारे पापा की रखैल समझते है पर सच्चाई क्या है ये मैं अच्छे से जानती हूं और मुझे किसीको कुछ साबित करने की जरुरत नहीं है..

तितली के मुंह से ये सब सुनकर रमन का तितली के प्रति गुस्सा थोड़ा नर्म हो गया.. रमन को सूरज की बात याद थी और उसे अब अच्छा बनने का नाटक करना था.. उसने तितली का हाथ पकड़ कर कहा - चलो..

तितली की आँख नम थी उसने कहा - कहाँ?

रमन - bday है ना आज तुम्हारा.. कहीं घूम के आते है..

तितली - मुझे कहीं नहीं जाना..

रमन - देखो... सिर्फ एक महीने की बात है फिर तुम और मैं दोनों एक दूसरे की शकल से भी दूर हो जायेंगे.. तब तक हम बिना लड़े झगडे.. प्यार से दोस्त बनकर रह सकते है.. मुझे अपना दोस्त समझो और चलो.. तुम्हारा bday सेलिब्रेट करते है चलकर..

तितली को अपने कानो पर यक़ीन नहीं हो रहा था कि रमन उससे ये सब कह रहा है.. तितली को रमन से ऐसी कोई उम्मीद भी नहीं थी..

रमन ने आगे कहा - मैं बाहर तुम्हारा वेट कर रहा हूँ..
ये कहकर रमन बाहर चला गया और तितली कुछ देर उसी तरह बैठकर कुछ सोचने लगी फिर अलमीरा खोल कर एक नया सूट पहन लिया और बाहर आ गई.. बिना कुछ कहे तितली रमन की कार में बैठ गई और रमन गाडी चला कर कहीं जाने लगा.. तितली को यक़ीन नहीं हो रहा था की सुबह रमन से इतना बुरा झगड़ा होने के बाद रात को वो रमन के साथ bday मनाने जा रही है..

तितली - तुम सिगरेट पीते हो?

रमन - नहीं तो.. क्यों?

तितली - फिर ये सिगरेट का पैकेट और लाइटर किसका है?

रमन - कभी कभी पीता हूँ..

तितली मुस्कुराते हुए - निकोटिन होता है सिगरेट में.. और निकोटिन..

रमन - तितली.. अपनी डाक्टरी मत झाड़ो प्लीज..

तितली को रमन के मुंह से पहली बार अपना नाम सुनकर अजीब लगता है आज से पहले वो उसे बुरा भला ही कहता था और अपने बाप की रखैल जैसे शब्दों से ही पुकारता था मगर आज पहली बार रमन ने उसका नाम लेकर बात की थी जो तितली को अच्छा लगा था..

तितली - कहा ले जा रहे हो?

रमन - है एक स्पेशल जगह.. हर बार अकेला ही जाता हूँ आज तुम्हे ले जा रहा हूँ..

तितली - तुम सच में इतने अच्छे हो?

रमन - मतलब?

तितली - मेरे साथ कितना झड़गा किया है तुमने.. कितना बुरा बुरा कहा.. और अब अचानक से इतनी तमीज और रेस्पेक्ट से बात कर रहे हो.. मुझे कुछ अजीब लगता है.. लेकिन याद रखना मैं अपना मन नहीं बदलने वाली.. मुझे आधा हिस्सा चाहिए.

रमन मुस्कुराते हुए - आधे से कुछ कम नहीं हो सकता? अकेली लड़की तो तुम.. क्या करोगी इतने पैसो का?

तितली - इसी तरह तमीज में रहोगे तो सोचूंगी कुछ.. पर पक्का नहीं कह सकती.. और तुम भी तो अकेले हो तुम क्या करोगे?

रमन - लड़को के लिए तो कितना भी हो कम ही पड़ता है..

तितली - ऐयाशी के लिए तो सब कम ही पड़ेगा.

रमन - लो आ गए चलो..

रमन तितली को लेकर झील किनारे एक बड़े से होटल के टॉप फ्लोर पर बने रेस्टोरेंट में ले आता है जहाँ से रात का नज़ारा किसी जन्नत से कम नहीं था..

दोनों मध्यम रौशनी में उस रेस्टोरेंट की एक टेबल पर बैठ जाते है और तितली उस नज़ारे और जगह को देखकर रमन से कहती है - इतनी खूबसूरत जगह अकेले आते हो?

रमन - तुम चाहो तो अब से तुम्हारे साथ आऊंगा.

तितली - लाइन मार मार रहे हो मुझपर.

रमन - तुम्हे ऐसा लगता है तो मैं क्या कर सकता हूँ.

तितली मुस्कुराते हुए - एक बात बताओ.. ये अचानक से तुम्हरा ह्रदय परिवर्तन कैसे हो गया? मैं तुम्हारे पापा की आधी प्रॉपर्टी जो तुम्हारी होनी चाहिए थी उसे लेने वाली हूँ.. तुम्हे तो मेरे ऊपर गुस्सा होना चाहिए.. मगर तुम मेरा bday मनाने के लिए मुझे अपनी पसंदीदा जगह लेकर आये हो.. मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा.

रमन - इसमें समझना क्या है? यूँ समझ लो आज किसी महापुरुष ने मेरी आँखे खोल दी.. और मेरी गलतियों से मुझे रूबरू करवा दिया.. और मुझे कहा है कि वत्स.. तुझे अब तेरे पापो का प्राहिश्चित करना है.

तितली हसते हुए - उन महापुरुष का नाम जान सकती हूँ मैं?

रमन - हाँ.. क्यों नहीं? उनका नाम है श्री श्री श्री.. रमन महाराज जी जो तुम्हारे सामने शाक्षात् विराजमान है कन्या.

तितली जोर से हसते हुए - क्या.... तुम?

वेटर आते हुए - सर सेम आर्डर?

रमन - नहीं.. एक bday केक ले आओ.. उसपर तितली लिखवा देना..
वेटर - और कैंडल किस age कि जला के लानी है सर?

रमन तितली की तरफ देखकर - 18 या 19

तितली - 24..

वेटर - ok मैम.. 24.. वेटर चला जाता है.

रमन - उम्र से कम लग लगती हो काफी.

तितली - जानबूझ कह रहे हो ना ये सब तुम?

रमन - नहीं.. मैं बोलने से पहले कहा सोचता हूँ? तुम तो जानती हो.. कितनी तारीफे की है तुम्हारी पहले.

तितली - हाँ.. सब याद है.. रखैल.. छिनाल.. रंडी.. कुटला.. गश्ती... गोल्डडीग्गर... कामवाली.. तुमने जो जो मुझसे कहा था मुझे सब तारीफ़ याद है.

रमन - मुझे सोरी नहीं बोलना आता.

तितली - मुझे उम्मीद भी नहीं है तुमसे सोरी की.

रमन - जो हुआ सो हुआ.. हो सके तो भूल जाओ सब.

तितली - भूलने के लिए ही आधी प्रॉपर्टी ले रही हूँ.

रमन - हा.. मेहरबानी तुम्हारी.. तुम चाहती तो पूरी भी ले सकती थी. वैसे करोगी क्या इतने पैसो का?

तितली - मैं दुनिया घूमूँगी.

रमन - अकेले? चाहो तो मैं भी साथ में घूम सकता हूँ. तुम तो जानती हो मुझे घूमने का कितना शौक है.

तितली - एक शर्त पर.

रमन - क्या?

तितली - ऐसे ही रहने पड़ेगा.. तमीज में.

वेटर - मैम.. आपका bday केक.. एंड ये वाइन.

वेटर वाइन गिलास में वाइन डालकर रख जाता है और कैक के ऊपर 24 डिजिट की कैंडल जल रही थी.

तितली - वाइन?

वेटर - सर ने आर्डर की है.. मैसेज किया था.

रमन - ठीक है जिम्मी.. तुम जाओ..

वेटर चला जाता है..

तितली - तुम्हे वेटर ना नाम पता है.. उसका नंबर भी है.. मैसेज पर ऑडर कर देते हो.. लगता है लोगों को पटा के रखने माहिर हो तुम..

रमन मुस्कुराते हुए - काश तुम्हे पटा पाता.. कम से कम आधी प्रॉपर्टी तो बच जाती..

रमन तितली की तरफ आकर बैठते हुए - लो.. फुक मारके कैंडल बुझा दो..

तितली रमन के करीब आकर बैठने पर उसे नजदीक से देखकर एक पल के लिए किसी ख्याल में पड़ जाती है दूसरे पल उससे कहती है - गाना नहीं गाओगे? हैप्पी bday वाला?

रमन - मुझे देखकर क्या लगता है तुम्हे? मुझे आता होगा वो सब करना?

तितली मुस्कुराते हुए कैंडिल बुझा देती है और केक कट करके रमन को खिलाती है और फिर रमन अपने मुंह के झूठे केक को जो तितली ने अपने हाथों में पकड़ा हुआ था उसीको वापस खिला देता है जिसे तितली खाते हुए रमन को देखती हुई मुस्कुरा पड़ती है..

रमन वापस सामने जाकर बैठ जाता है और वाइन का गिलास तितली के आगे करते हुए - ये तो कुछ बुरा नहीं करती ना डॉक्टरनी जी?

तितली हसते हुए वाइन का गिलास उठाकर - करती है बताऊ?

रमन - नहीं.. लो.. चेस..

रमन और तितली ग्लास पकड़ के वाइन पीते है और उसी तरह कुछ बात करते है..

रमन - खाने में क्या खाओगी?

तितली - कुछ भी.. जो तुमको पसंद हो..

रमन - मेरी पसंद का नहीं खा पाओगी.. लो.. इसमें से अपनी पसंद बताओ..

तितली मेनू देखकर - हम्म्म.. ये..

रमन आर्डर कर देता है...

रमन - बाथरूम होके आता हूँ.. तुम बैठो मैं आर्डर कर दिया है..

तितली मुस्कुराते हुए - हम्म..

तितली मन ही मन ये सोच रही थी की रमन बस अच्छे होने का दिखावा कर रहा है और उसके मन में कोई प्लान है जिससे वो उसे प्रॉपर्टी देने से बच जाएगा.. मगर क्या प्लान हो सकता है तितली यही सोच रही थी उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था..

तितली के मन में बस इतनी बात तय थी कि रमन जो उससे इतनी नफरत और नापसंद करता था अचानक से उसके साथ इतना शरीफ बनकर पेश आ रहा है जरुरत इसके पीछे उसका कोई स्वार्थ होगा.. तितली ने सोच लिया था कि वो भी रमन के साथ उसी तरह पेश आएगी जैसे रमन पेश आ रहा है और रमन के मन में जो प्लान चल रहा है उसका पता लगाकर उसके मनसूबे को नाकाम कर देगी.. और आधी प्रॉपर्टी लेकर ही रहेंगी..

रमन बाथरूम में जाकर मूतने लगा था और उसके मन में चल रहा था कि क्या तितली वाकई इतनी प्यारी है जितनी वो अभी बनकर दिखा रही है और क्या वो सच कह रही थी कि उसके बाप और तितली के बीच कुछ नहीं था.. ऐसा सच भी हो सकता है क्युकी रमन अपने बाप को अच्छे से जानता था और ऐसा होना संभव था..

रमन को बार बार तितली का मुस्कुराता और हसता हुआ चेहरा याद आने लगा और तितली के चेहरे पर उसकी जुल्फे बड़ी आँखे पतले गुलाबी होंठ सब याद आने लगे और उसका लंड जिसमे से मूत निकल रहा था खड़ा होने लगा और अकड़ने लगा..

एक दूसरा आदमी रमन के पास वाले पोट में मूतने लगा तो उसे रमन का खड़ा हुआ लंड दिखा और उसने रमन से कहा - सुसु करने से नहीं बैठेगा आपका लंड.. बाथरूम में जाकर हिला लो.. वैसे लड़की चाहिए बता सकते हो.. देसी विदेशी सब है.. बस थोड़े पैसे लगेंगे..

रमन आदमी से - भोस्डिके मूतने आया है तो मूतके निकल.. भड़वागिरी मत कर..

आदमी बाहर चला जाता और रमन एक कबीननुमा बाथरूम में.. उसका लंड पूरी तरह अकड़ा हुआ था.. उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था.. उसके दिमाग में तितली का चेहरा चल रही थी और लंड पर उसके हाथ अपने आप आगे पीछे हो रहे थे..

उसे यक़ीन नहीं हो रहा था कि जिसे वो नापसंद और नफरत करता है उसके नाम का जयकारा लगा रहा है.. रमन ने कुछ ही देर में अपने लंड से तितली के नाम का वीर्य लम्बी लम्बी धार के साथ बाहर निकाल दिया था..

रमन को खुद पर गुस्सा आ रहा था मगर वो क्या कर सकता था.. उसे लग रहा था की तितली उसे अपनी तरफ आकर्षित कर रही है और वो उसकी तरफ मोहित होते चले जा रहा है जबकि होना इसका उल्टा चाहिए था.. रमन तितली के दिल में अपने लिए प्यार जगाने की कोशिश कर रहा था.. ताकि तितली उससे शादी के लिए मान जाए और प्रॉपर्टी ना ले.. मगर यहां तो तितली ने रमन के दिल में जगह बनाने की शुरुआत कर दी थी..

रमन वापस टेबल आ गया और दोनों खाना खाने लगे.. तितली को इस बात कर अंदाजा भी नहीं था की रमन ने अभी अभी उसके नाम का जयकारा लगाया है.. दोनों खाने के बाद वापस घर के लिए निकल चुके थे..

रमन - कल सुबह तुम्हे कोई काम तो नहीं है?

तितली - क्यों?

रमन - कुछ नहीं.. सोचा मूवी देख आते है..

तितली कुछ सोचकर - कल सुबह मैं बिजी हूँ.. हिसाब लगाना है ना प्रॉपर्टी का.. कहीं तुम मुझे कम ना दे दो..

रमन - और शाम को?

तितली - तुम्हारे दिमाग में चल क्या रहा है?

रमन - कुछ नहीं क्यों?

तितली - तुम्हरा इतना अच्छा होना मुझे कुछ हज़म नहीं हो रहा..

रमन हसते हुए - हज़मे की दवा ले लो.. हज़म हो जाएगा..

तितली - कोनसी मूवी दिखाओगे?

रमन - तुम्हे जो पसंद हो.. कैसी मूवी पसंद है वैसे ?

तितली - मुझे तो रोमेंटिक मूवीज पसंद है..

रमन - हाँ एक लगी है रोमेंटिक.. बरसात की रात.. वो देखने चले..

तितली - वो रोमेंटिक नहीं वल्गर मूवी है.. तुम बस ऐसी ही मूवीज दिखाओगे मुझे..

रमन - अच्छा कोई और देख लेंगे.. अभी तो बहुत सारी मूवीज लगी हुई है थिएटर में..

तितली - तुम करना क्या चाहते हो वो बताओ.. मैं जानती हूँ तुम कुछ ना कुछ सोच रहे हो ताकि तुम्हे मुझे प्रॉपर्टी ना देनी पड़े.. मैं इतनी भोली नहीं हूँ कि तुम्हारी ये चाल समझ ना पाउ.. बताओ क्या प्लान है तुम्हारा? वरना पता तो मैं लगा ही लुंगी.. और प्रॉपर्टी तो मैं किसी हाल में नहीं छोड़ने वाली.. वो तो मैं लेकर ही रहूंगी तुमसे.. बताओ क्या सोच रहे हो?

रमन कुछ देर ठहर कर - सोच रहा था.. तुम्हे पटाकर तुमसे शादी कर लूँ.. एक खूबसूरत डॉक्टरनी बीवी भी मिल जायेगी और आधी प्रॉपर्टी भी नहीं देनी पड़ेगी..

तितली रमन कि बात सुनकर जोर से हसते हुए - मुझे पागल समझा है? मत बताओ मैं अपनेआप पता कर लुंगी.

रमन - लो.. अब जब सब सच बता दिया तो तुम्हे यक़ीन ही नहीं हो रहा..

तितली -. तुम तो मुझे अपने बाप की रखैल समझते हो ना? मुझसे शादी करोगे? इतने बड़े देवता तो नहीं हो तुम.

तितली इतना कह कर गाडी कि रेक में पड़े पैकेट से सिगरेट निकालकर लाइटर से जलाते हुए सिगरेट पिने लगती है जिसे देखकर रमन कहता है..

रमन - मूझे बड़ा ज्ञान दे रही थी अब खुद ही..

तितली सिगरेट के कश लेकर - तुम पी सकते तो मैं क्यों नहीं.. लड़की हूँ इसलिए?

रमन - मैंने ऐसा कब कहा.. तुम्हे जो करना करो.. मैं कौन होता हूँ तुम्हे रोकने वाला.. हा.. अगर मेरी बीवी मेरे सामने ऐसे सिगरेट कश लगाती तो उसे सजा जरुर देता..

तितली सिगरेट पीते हुए - क्या सजा देते?

रमन - रहने दो.. सुनोगी तो घबरा जाओगी..

तितली मुस्कुराते हुए कार का शीशा निचा करके सिगरेट बाहर फेंकते हुए कहती है - तुम बहुत पुरानी सोच के हो ना.. लड़की को ये नहीं करना चाहिए वो नहीं करना चाहिए.. मर्दो की सारी बातें माननी चाहिए.. उनके काबू में रहना चाहिए.. उनकी जुतियों में पड़े रहना चाहिए.. वगेरा वगेरा...

रमन - इसमें गलत क्या है? ऐसा ही होना चाहिए.. मेरा तो यही मानना है..

तितली - अपनी बीवी को तो बहुत सताओगे तुम..

रमन - सताऊँगा ही नही.. मारूंगा भी.. अगर मेरी बात नहीं मानेगी तो थप्पड़ से मारूंगा.. सिगरेट शराब पीयेगी तो बेल्ट से.. शराब पीके गाली गलोच भी करूंगा.. दासी बनाके रखूँगा... हुकुम चलाऊंगा उस पर... लो.. घर आ गया.. मुझे तो अभी से बहुत नींद आ रही है..गुडनाइट...

रमन जाकर अपने कमरे में बिस्तर पर लेट जाता है और सोचने लगता है कि अगर वो इसी तरह तितली के साथ घूमता फिरता और बातें करता रहा तो तितली आसानी से उसकी बात मान लेगी और उससे शादी कर लेगी..

तितली अपने कमरे में आकर एक कुर्सी पर बैठकर रमन के बारे में सोचने लगी कि रमन आखिर चाहता क्या है? रमन ने उसके साथ वाइन पी थी मगर कह रह था औरतों का शराब सिगरेट पीना पसंद नहीं.. और उसने बातों ही बातों में जो शादी के लिए कहा था वो? क्या वो सच बोल रह था?

तितली कि आँखों में आज नींद नहीं थी वो रमन के बारे में ही सोचे जा रही थी मगर रमन ओंधे मुंह बिस्तर पर खराटे ले रहा था..


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बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है सुमित्रा सूरज की और आकर्षित होती जा रही है वह सूरज को देखकर अपने मन में दबी भावनाओं को सूरज के साथ पूरा करना चाहती हैं सूरज के तो मजे हो गए पहले चिंकी फिर नेहा रचना फुलवा सब को पेल दिया मजा आ गया अंकुश और नीतू के बारे में गोमती को पता चल गया है नीतू ने अंकुश से शादी करने के लिए कह दिया है देखते हैं दोनों की शादी होती है या नहीं
सूरज के कहने पर रमन तितली के साथ प्यार का नाटक करता है लेकिन अब वह सच में प्यार करने लगा है
 

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Update 9



रात के 10 बजे सूरज सीढ़ियों से नीचे हॉल में आया तो उसके पापा ने कहा..

जयप्रकाश - इतना तैयार होके कहा जा रहा है?

सूरज - पापा वो एक दोस्त का bday है.. बस वही जा रहा था.. आज रात वही रहूँगा.. आपके स्कूटी कि चाबी चाहिए...

जयप्रकाश - वही कमरे में रखी होगी.. ले ले..

सूरज - ठीक है.. सूरज कमरे में जाता है तो पीछे पीछे सुमित्रा भी कमरे में चली जाती है..

सुमित्रा - तू सच में दोस्त के bday पर जा रहा है या कहीं और? सच बताना..

सूरज - दोस्त के bday में ही जा रहा हूँ माँ.. आप भी क्या मेरे पीछे ही पड़ी रहती हो हमेशा.. आजकल बहुत नज़र रखती हो मुझपर जैसे मैं कोई क्रिमिनल हूं.

सुमित्रा - खा मेरी कसम.. तू दोस्त के bday में जा रहा है..

सूरज - मैं कसम वसम नहीं मानता समझी आप..

सुमित्रा - तो खा ना मेरी कसम..

सूरज - मैं नहीं खाऊंगा..

सुमित्रा - सच बता कहा जा रहा है? वरना घर से कदम बाहर रखने नहीं दूंगी तुझे.. किसी लड़की से मिलने जा रहा है ना.. जैसे सगाई वाली रात मिलके आया था.. जो पैसे लेकर वो सब करती है.. बोल..

सूरज - माँ... क्या बोल रही हो..

सुमित्रा - सच बता सूरज..

सूरज - ठीक है.. पापा को नहीं बताओगी..

सुमित्रा - किसी को नहीं कहूँगी.. बता..

सूरज कोई झूठ बात सोचकर - दोस्त की ex गर्लफ्रेंड है किसी होटल में मिलने बुलाया है..

सुमित्रा - और तेरे उस दोस्त का क्या? उसे पता ये सब?

सूरज - माँ ex गर्लफ्रेंड है.. उसे अब क्या मतलब..

सुमित्रा अपने ब्लाउज में से बटुआ निकालकर 1 हज़ार रुपए सूरज की जेब में रख देती है और कहती है - कंडोम पहन के करना जो करना है.. आजकल की लड़किया बहुत तेज़ हो गई है.. किसी भी शरीफ लड़के अपने जाल फँसाना उन्हें अच्छे से आता है.. समझा?

सुमित्रा का पल्लू हटा हुआ था और ब्लाउज में उसकी क्लीवेज साफ साफ सूरज को दिख रही थी.. जिसे सुमित्रा ने जानबूझ कर खुला छोड़ दिया था ताकि सूरज उसकी और आकर्षित हो सके मगर सूरज ने वो सब देखकर सुमित्रा से कहा..
सूरज - समझ गया माँ.. और आप अपना ये खज़ाना छुपा लो.. पापा की नज़र पड़ गई तो अगले साल मेरा छोटा भाई या बहन पैदा हो जाएगा..

सुमित्रा सूरज की बात सुनकर हसते हुए बिना अपना पल्लू अपने ब्लाउज के ऊपर किये बोली - नहीं होगा.. तेरे पापा सालों पहले ही अपनी हिम्मत हार चुके है..

सूरज हसते हुए - तभी अक्सर आप वो गाना गाती हो.. मैं क्या करू राम मुझे बुड्ढा मिल गया..

सुमित्रा हसते हुए - चुप शैतान.. मा से कोई ऐसे बात करता है भला? अब जा.. और सुबह जल्दी आ जाना.. रात को कोई भी परेशानी हो मुझे फ़ोन या मैसेज करना..

सूरज सुमित्रा को बाहो मे लेके गाल पर चुम्मा देकर - माँ आप बहुत प्यारी हो.. काश कोई आपके जैसी मुझे भी मिल जाए..

सुमित्रा - अच्छा? क्या करेगा अगर कोई मेरी जैसी मिल गई तो?

सूरज - सब सोचा हुआ माँ.. पहले शादी फिर सुहागरात उसके बाद 8-10 बच्चे..

सुमित्रा चौंकते हुए - 8-10?

सूरज - क्यों कम है? ज्यादा भी हो सकते है..

सुमित्रा हस्ते हुए - अच्छा अब मुझे छोड़.. तेरे पापा हम दोनों को ऐसे देखेंगे तो गलत समझेंगे..

सूरज - तो समझने दो.. गले लगने मे भी कोई अगर गलत समझें तो हम क्या कर सकते है? मैं तो अपनी मा को अपनी मर्ज़ी से छोडूंगा..

सुमित्रा - अच्छा? मुझे ऐसे बाहो मे भरके खड़ा रहेगा तो तेरी उस दोस्त की गर्लफ्रेंड का क्या होगा जो तेरा इंतजार कर रही है?

सूरज - उसे इंतजार करने दो.. मेरे लिए मेरी मा से बढ़कर कोई है..

सुमित्रा और सूरज गले लगे हुए थे और बात कर रहे थे बात करते करते उनके चेहरे एकदूसरे के कितने करीब आ गए थे उन्हें भी पता नहीं चला.. सुमित्रा तो जैसे अपना संयम खोने है वाली थी अगर बाहर से जयप्रकाश के खांसाने की आवाज ना आती तो शायद आज सुमित्रा ने सूरज के होंठो पर अपनी मोहब्बत या कहो हवस की मुहर लगा है देती..

जयप्रकाश की खांसी सुनकर सूरज ने सुमित्रा से कहाँ - पापा को खांसी की दवा दे दो.. दो दिनों से बहुत खांसी हो रही है उन्हें.. और अब अपना ये खज़ाना भी छीपा लो.. सूरज ने सुमित्रा को बाहो से आजाद करते हुए उसका पल्लू ब्लाउज के ऊपर करते हुए कहा..

सुमित्रा उदासी से - ऐसे खज़ाने का क्या फ़ायदा जिसे कोई लूटने वाला है ना हो..

सूरज - क्या कहा आपने?

सुमित्रा - कुछ नहीं.. अब जा..

सूरज सुमित्रा के गाल पर चुम्मा देकर - बाय माँ..

सुमित्रा की बात को सूरज ने सुन लिया था और अनजान बनकर उसे अनसुना भी कर दिया था मगर सूरज को अब इस बात का अहसास हो चूका था की सुमित्रा कितनी अकेली है और उससे बात करने वाला और उसके साथ वक़्त बिताने वाला कोई है नहीं.. जयप्रकाश भी सुमित्रा के साथ उतना वक़्त नहीं बताते थे वो अकसर अपने दोस्तों या दफ़्तर की फाइल्स मे गुस्से रहते थे..

सूरज घर से निकलता है कि उसके फ़ोन पर बरखा का फ़ोन आ जाता है..

हेलो

क्या कर रहा है हनी..

कुछ नहीं दी..

घर आ सकता है?

इस वक़्त? आ जाऊंगा पर.. सब ठीक है ना?

हाँ सब ठीक है.. तू आजा..

बात क्या है दी? बताओ ना..

अरे कुछ नहीं.. कोई जरुरी काम कर रहा है तो रहने दे.. कोई बात नहीं..

नहीं दी.. आपसे ज्यादा क्या जरुरी काम? बस खाना खाने जा रहा था.. आता हूँ..

आजा.. अपने हाथ से खाना बनाके खिला दूंगी तुझे..

बरखा ने फ़ोन काट दिया और मुस्कुराते हुए हनी के बारे में सोचने लगी.. पीछे कुछ दिनों से उसके मन में सूरज ही घूम रहा था.. सिर्फ उसके ही नहीं हेमलता के भी.. मगर हेमलता ने अपनी भावनाओं पर काबू पा लिया था.. बरखा को ना जाने क्यों आज सूरज से मिलने कि तलब हुई और उसने रात के इस वक़्त उसे फ़ोन कर दिया.. सूरज कुछ ही देर में बरखा के घर आ गया और बरखा ने दरवाजा खोलकर सूरज को घर के अंदर रसोई में ले गई..

क्या हुआ दी? और काका काकी कहा है?

वो तो यात्रा में गए है कल सुबह आ जायेंगे.. तेरे लिए पराठे बनाये है.. खिला दूँ अपने हाथ से?

क्या बात है दी.. बड़ा प्यार आ रहा है मुझ पर आपको आज?

क्यों? नहीं आ सकता?

नहीं.. आ सकता है.. पर आज कुछ ज्यादा ही आ रहा है ना इसलिए पूछ लिया..

बरखा अपने हाथ सूरज को खाना खिलाती हुई - कल मैं वापस जा रही हूँ.. सोचा एक बार अपने हनी से मिल लूँ.. इसलिए बुला लिया.. गलत किया?

सूरज खाना खाते हुए - नहीं.. अच्छा किया दी.. आप कुछ और दिन रह जाती ना दी..

वापस आउंगी तब रहूंगी.. लेकिन एक बात बता.. तू इतना सज धज के क्यों आया है?
मुझे इम्प्रेस करने के लिए?

आपको इम्प्रेस करने के लिए मुझे सजने की जरुरत है? और वैसे आपको इम्प्रेस करके मुझे क्या मिलेगा? आपको तो अपनी बड़ी बहन मानता हूँ मैं..

बरखा खाना खिलाते हुए - मैं अच्छे से जानती हूँ आजकल के लड़को को.. वो क्या कहते है.. हां.. गांधी जी की योजना.. बहन बनाकर चो...

बरखा आगे बोल पाती इससे पहले ही सूरज बोला..
सूरज - दीदी... आप ना बहुत बेशर्म हो गई हो.. कुछ भी सोचती और बोलती हो.. और हाथ दो जरा आपका.. सूरज बरखा की उंगलियां सुघकर.. सिगरेट पी रही थी मेरे आने से पहले?

बरखा हस्ते हुए अपना हाथ छुड़ाकर सूरज को खाना खिलाते हुए - उसके लिए भी तुझसे पूछना पड़ेगा मुझे?

सूरज - कल कब की ट्रैन है?

बरखा - दिन की है.. 3 बजे की..

सूरज - मैं स्टेशन छोड़ दूंगा आपको..

बरखा - अच्छा? स्टेशन का रास्ता कितना सुनसान है.. तूने रास्ते में मेरे साथ कुछ ऐसा वैसा कर दिया तो? मैं क्या करूंगी? बोल..

सूरज - दी.. आपने मज़े लेने के लिए बुलाया है ना मुझे?

बरखा मुस्कुराते हुए - तेरे मज़े लेने के लिए बुलाने की क्या जरुरत है? वो तो फ़ोन पर ही ले लेती मैं.. मुझे तेरी ये प्यारी और मासूम सी शकल देखनी थी..

सूरज - देख ली? अब मैं जाऊ?

बरखा - बड़ी बहन मानता है ना मुझे.. मेरे लिए थोड़ी देर और नहीं रुक सकता?

सूरज - ठीक है...

बरखा - शराब पियेगा मेरे साथ?

सूरज - नहीं..

बरखा - पापा के साथ तो पिता है..

सूरज - कभी कभी..

बरखा - हाँ तो वो कभी आज मेरे साथ है..

सूरज - काकी को पता चल गया ना.. जान ले लेगी मेरी..

बरखा - बताएगा कौन? तू?

बरखा अपने पीता बंसी की छुपाई हुई शराब की बोतल निकालती है और दो पेग बनाती है और एक सूरज को दे देती है..

सूरज - दी.. आप कमाल हो..

बरखा शराब पीते हुए - एक पर्सनल बात पुछु?

सूरज पेग ख़त्म करके - हम्म..

बरखा भी अपना पेग ख़त्म करके - तेरी कोई गर्लफ्रेंड तो है नहीं.. फिर काम कैसे चलता है तेरा?

सूरज - कोनसा काम?

बरखा दूसरा पेग बनाकर सूरज को देती है फिर अपने हाथ से लंड हिलाने का इशारा करते हुए कहती है - ये काम.. अब समझा?

सूरज हसते हुए - मुझे ना अब शर्म आने लगी है आपके साथ..

बरखा मुस्कुराते हुए अपना दूसरा पेग पीकर - शर्माता हुआ कितना क्यूट लगता है तू.. वैसा बता ना.. सिर्फ हाथ से जयकारे लगाता है या कोई छेद भी ढूंढ़ रखा है छोटे नवाब के लिए?

सूरज दूसरा पेग पीकर - आपको क्यों बताऊ? वैसे भी बहन भाई के बीच ऐसी बातें अच्छी नहीं लगती.. और अब ज्यादा मत पियो.. नशा होने लगा है आपको..

बरखा तीसरा पेग बनाकर - एक आखिरी हो जाए बस..

सूरज पेग उठाकर - अगर काकी को पता चला ना तो फिर देख लेना आप..

बरखा पेग पीते हुए - उसकी चिंता छोड़ दे.. तू बता गर्लफ्रेंड है या नहीं.. अगर नहीं है तो मैं बनवा दूंगी.. मेरा छोटा भाई अपने हाथ से काम चलाये.. अच्छा थोड़ी लगता है..

सूरज - किसे बनाओगी मेरी गर्लफ्रेंड?

बरखा - लड़कियों की कोई कमी थोड़ी है उदयपुर में.. जिससे बोलेगा उसीके साथ करवा दूंगी..

सूरज कुछ सोचकर - सपना आंटी पसंद मुझे..

बरखा - वो पड़ोस वाली? 40 साल की बुड्ढी?

सूरज अपना पेग ख़त्म करके - अभी से कहा बुड्ढी हो गई वो?

बरखा अपना पेग ख़त्म करते हुए - तुझे बड़ी औरते पसंद है?

सूरज - कोई बुराई है इसमें?

बरखा हसते हुए - नहीं.. वो बात नहीं है.. तू फ़िक्र मत कर तेरा काम हो जाएगा..

सूरज अपने फ़ोन पर बिलाल का फ़ोन आता देखकर - घर से फ़ोन आ रहा है.. अब जाऊ?

बरखा - ठीक है किस्सी दे जा एक..

सूरज बरखा के गाल पर kiss करता है..

बरखा नशे में - गाल पर नहीं हनी.. होंठो पर..

सूरज हसते हुए - अब कुछ ज्यादा हो रहा है आपका दी..

बरखा - कोनसी तेरी इज़्ज़त लूट रही हूँ.. एक kiss के लिए ही तो बोला है.. छोटा था तब भी तो करता था..

सूरज हसते हुए - करता नहीं था आप जबरदस्ती चूमती थी मुझे.. वो तो कोई देखने वाला नहीं था वरना बच्चे को मोलेस्ट करने के चार्ज में जेल जाती आप..

बरखा सूरज की शर्ट का कॉलर पकड़कर - हाय रे बच्चा... जब भाग भाग कर खुद मेरे पास आता था और कहता था दीदी चुम्मी दो और खुद मेरे होंठों पर टूट पड़ता था.. उसका क्या? मज़ा तुझे भी पूरा आता था..

सूरज मुस्कुराते हुए - आदत तो आपने ही लगाईं थी.. मैं तो बच्चा था..

बरखा - सपना आंटी चाहिए तो बरखा दीदी को चुम्मी करनी पड़ेगी जैसे बचपन में करता था..

सूरज बरखा के होंठों पर अपने होंठ रखकर चूमते हुए - बस?? अब जाता हूँ.. टाइम पास ज्यादा हो गया.. आप ख्याल रखना अपना..

बरखा - कल टाइम से आ जाना.. वरना मैं चली जाउंगी..

सूरज जाते हुए - ठीक है..

बरखा सूरज के जाने के बाद एक और शराब का पेग बनाकर पीती है और सिगरेट जलाकर कश केती हुई सपना को फ़ोन कर देती है...

हेलो..

सो रही थी क्या भाभी?

नहीं बरखा.. टीवी देख रही थी.. अब बस सोने ही जा रही थी.. बोलो इतनी रात को कैसे याद आ गई मेरी?

सपना (40)
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मुझे नहीं किसी और को तुम्हारी याद आती है रातों में..

सपना हसते हुए - अच्छा? तुम्हारे पापा से कहो सत्संग करने की उम्र में सम्भोग करने के सपने ना देखे.. दूकान पर सामान लेने आती हूँ तो ब्लाउज में ऐसे झांकते है जैसे आँखों से घूर के ब्रा का साइज़ बढ़ा देंगे.. कुछ करो अपने पापा का तुम..

बरखा - अरे भाभी.. पापा के बारे में बात नहीं कर रही.. पापा तो है ही एक नम्बर के ठरकी.. एक प्यारा सा लड़का है 22-23 साल का.. भाई की तरह है मेरे.. पसंद करता है तुम्हे.. एक बार बेचारे को जन्नत दिखा दो.. खुश हो जाएगा..

सपना हसते हुए - तस्वीर भेज दे.. पसंद आया तो बताउंगी..

बरखा - भेजती हूँ...

बरखा सूरज की तस्वीर भेजती है.. सपना तस्वीर देखकर फौरन बरखा को मैसेज करती है.. भेज देना अपने भाई को.. पेट भरके खुश कर दूंगी उसे..

बरखा मैसेज पढ़कर मुस्कुराते हुए ok लिख देती है और सिगरेट के कश लेती हुई नशे में धुत होकर सोचती है कि अगर सूरज सपना के साथ ये सब कर सकता है वो उसके साथ भी कर सकता है.. बस सूरज को किसी तरह अपने साथ सोने के लिए मानना पड़ेगा..


**********


सूरज बरखा के घर से बिलाल के घर जाने को निकला तो रास्ते में झील किनारे उसे कई दुकाने रात के इस वक़्त भी खुली दिखाई दी.. जहाँ टूरिस्ट खड़े हुए थे.. कई खाने की तो कई फेंसी आइटम की शॉप्स थी कुछ कपड़ो की..
सूरज ने स्कूटी एक दूकान के आगे रोक दी और अंदर जाकर कुछ खरीदकर वापस आ गया और स्कूटी स्टार्ट करके सूरज अब सीधा बिलाल के घर आ गया फिर स्कूटी अंदर खड़ी करके दुकान में बैठ जाता है..

रात के साढ़े 11 बज चुके थे सूरज नशे के सुरूर में था.. हालांकि उसे ज्यादा नशा नहीं हुआ था मगर फिर भी उसे शराब का सुरूर होने लगा रहा.. दूकान का शटर नीचे था.. बिलाल अंदर से आते हुए कहता है..
बिलाल - हनी..

सूरज कुर्सी से उठकर - बिल्ले..

बिलाल - मैं ऊपर सोने जा रहा हूँ.. तेरी भाभी पीछे कमरे में है..

सूरज - बिल्ले एक बार फिर सोच ले..

बिलाल - हनी मैंने सो बार यही सोचा है.. तू बस जब तक नज़मा प्रेग्नेंट ना हो जाए तब तक संभाल ले..

सूरज - ठीक है बिल्ले.. किसीको पता ना चले बस..

बिलाल - तुझसे ज्यादा मुझे उस बात की चिंता है.. मैंने नज़मा को समझा दिया है वो तुझे नहीं रोकेगी..

सूरज - ठीक है..

बिलाल - सुबह 6 बजे मैं नीचे आऊंगा.. तब तक तू और नज़मा अकेले नीचे रहोगे.. किसी चीज़ की जरूरत हो तो नज़मा से कह देना.. मैं जाता हूँ..

बिलाल ऊपर सोने चला गया और सूरज धीमे धीमे कदमो से पीछे वाले कमरे में दाखिल हो गया.. कमरे में अंधेरा था और बाहर आँगन मे जल रहे लट्टू की हलकी सी रौशनी कमरे में आ रही थी जिससे मध्यम रोशनी मे अंदर का नज़ारा देखा जा सकता था.. नज़मा बेड पर बैठी हुई थी.. उसके गोरे बदन पर गुलाबी सलवार थी और सफ़ेद दुपट्टा उसके जोबन को ढके हुए था..
सूरज ने कमरे के अंदर आकर बिना दरवाजा बंद किये लाइट जलाने लगा तभी नज़मा बोली..

नज़मा - लाइट मत जलाइये भाईजान..

सूरज ने लाइट नहीं जलाई और नज़मा के पास बिस्तर पर आकर बैठ गया..

सूरज ने जो रास्ते में ख़रीदा था वो नज़मा को देते हुए - भाभी ये आपके लिए..

नज़मा ने सूरज से थैला लेकर उसके अंदर से एक आसमानी कलर का सूट निकाला और उसे हाथों में लेकर बाहर से आती रोशनी में देखते हुए महसूस किया.. नज़मा समझ गई कि ये किसी ख़ास दूकान से लिया हुआ है..
नज़मा - ये क्यों ख़रीदा भाईजान..

सूरज नज़मा के और करीब आते हुए - भाभी पहले तो ये भाईजान बोलना बंद करो.. वरना मुझसे कुछ नहीं होगा..

नज़मा सूरज की बात पर मुस्कुरा पड़ती है..
नज़मा अपनी नज़र उठकर एक नज़र सूरज को देखकर - शराब पी है आपने?

सूरज - जब शराब की बू आ रही है तो पूछती क्यों हो भाभी..

नज़मा - ताकि आप इंकार कर सको.. और मुझे लगे कि आप थोड़ा सा मेरा लिहाज करते हो.. और आपके अंदर कोई बुराई नहीं है..

सूरज - अच्छाई और बुराई तो सब में होती है भाभी..

नज़मा नज़र झुका कर उसी तरह नीचे देखते हुए - सही है.. कम से कम आप मुझसे सच तो बोल रहे हो..

सूरज - भाभी आप अक्सर चाय पिलाने के बाद पूछती थी ना कि चाय कैसी बनी है? पता है मेरा क्या कहने का मन करता था?

नज़मा सूरज को एक नज़र देखकर - क्या?

सूरज - यही कि चाय ऐसी बनी है.. मन करता है आपको अपनी बाहों में उठाके घर ले जाऊं.. और आपकी बनाई चाय आपके हाथों से पिऊ..

नज़मा फिर से मुस्करा पड़ती है..

सूरज अपना एक हाथ घुमाके नज़मा के कंधे पर रख देता है और नज़मा के कान के पास अपने होंठ लाकर कहता है - भाभी गर्मी लग रही है..

नज़मा धीरे से शरमाते हुए - पंखा तो चालु है..

सूरज - फिर भी गर्मी लग रही है.. क्या करू?

नज़मा कुछ सोचकर - मेरे पास छोटी पँखी है.. मैं लाकर हवा कर देती हूँ..

सूरज - उससे कुछ नहीं होगा भाभी.. आप मेरी शर्ट उतार दो शायद कुछ राहत मिले..

नज़मा सूरज कि बात का मतलब समझ गई और मुस्कुराते हुए फिर से सूरज को एक नज़र देखकर अपने दोनों हाथ से सूरज के शर्ट के बटन खोलने लगी और उसका शर्ट उतार कर बेड के एक तरफ रख दिया..

सूरज प्यार से - भाभी आपको गर्मी नहीं लग रही?

सूरज की बात सुनकर नज़मा शर्म से अपना चेहरा अपनी दोनों हथेलियों से छुपा लेती है..

सूरज नज़मा की कमर में हाथ डालकर उसकी कमर पकड़ लेता और अपनी गोद में नज़मा को उठाकर बैठा लेता है..

नज़मा शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी और उसका दिल जोर से धड़कते जा रहा था..
सूरज को नज़मा के कूल्हे का मुलायम और गद्देदार अहसास कामुकता से भर रहा था..

सूरज ने नज़मा का दुप्पटा हटा दिया और उसकी कुर्ती को अपने दोनों हाथो से पकड़कर उठाने लगा लेकिन नज़मा ने अब तक अपना चेहरा अपनी हथेलियों से ढक रखा था.. इसलिए कुर्ती नज़मा की छाती तक उठाने के बाद सूरज पीछे से नज़मा के कान में बोलता है..
सूरज - हाथ ऊंचे करो ना भाभी..

नज़मा शर्म के मारे कुछ नहीं करती तो सूरज उसके दोनों हाथ पकड़कर ऊपर कर देता है और उसकी कुर्ती को झट से उतार कर अपने शर्ट के पास रख देता है.. नज़मा सिर्फ ब्रा में सूरज की गोद में बैठी हुई थी और उसकी नंगी पीठ अब सूरज के नंगे सीने से टकरा रही थी जिससे नज़मा काम और शर्म के मारे फिर से अपने चेहरे को अपनी हथेलियों से छुपा लेती है और सूरज नज़मा की नंगी गोरी पीठ का अहसास पाकर और कामुक हो उठता है जिससे उसके लंड में अब और अकड़न आ जाती है जिसका अहसास नज़मा को अपने कुल्हो पर हो रहा था.. सूरज ने नज़मा के दोनों हाथों को अपने दोनों हाथों में पकड़ लिया और नीचे करते हुए उसके चेहरे से हथेलिया हटा दी..

सूरज नज़मा के कान में - एक बात बोलू भाभी?

नज़मा शर्माते हुए - क्या?

सूरज नज़मा की गर्दन चूमते हुए - मूझे लगा नहीं था भाभी आपके बूब्स इतने मोटे होंगे.. क्या साइज है इनका?


नज़मा शर्म से इस बार भी कुछ नहीं बोलती..

सूरज - मत बताओ भाभी.. मैं खुद ही देख लेता हूँ..
सूरज ने अपने दोनों हाथ नज़मा की कमर से धीरे धीरे ऊपर लेजाकर उसकी ब्रा के अंदर डाल दिए और नज़मा के दोनों चुचे अपने हाथों में पकड़ लिए.. नज़मा के मुंह से सिस्कारी निकल गयी.. और वो काम की भावना से भरने लगी..

सूरज ने बूब्स को दबाते हुए मसलना शुरु कर दिया और नज़मा के कान में बोला - भाभी 36 के है ना?

इतना कहकर सूरज ने बूब्स पर से हाथ हटाकर नज़मा की ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा उतारकार बाकी कपड़ो के साथ रख दी.. नज़मा ने ब्रा खुलते ही अपने दोनों बूब्स को अपने दोनों हाथों से छीपा लिया..

सूरज पीछे से नज़मा की पीठ और गर्दन चूमता हुआ बोला - कब तक छुपा के रखोगी भाभी?
फिर सूरज थोड़ा आगे होकर पीछे लेट गया और नज़मा को भी अपने ऊपर पीठ के बल लेटा लिया और करवट लेकर अपने ऊपर से दाई तरफ गिरा कर नज़मा की कमर में हाथ डालकर उसे अपने से चिपकाते हुए नज़मा के होंठों के करीब अपने होंठ लेजाकर बोला - भाभी.. मेरी तरफ देखो ना..

नज़मा की आँखे बंद थी और वो धीरे से सूरज की आँखों की तरफ देखने लगी..
सूरज - शादी के 4 साल बाद भी इतनी शर्म भाभी?

नज़मा धीरे से - बिस्तर में एक बेशर्म खाफी होता है भाईजान..

सूरज - फिर से भाईजान? आपके होंठों को तो सजा देनी पड़ेगी भाभी...

ये कहकर सूरज नज़मा के होंठों पर अपने होंठ रख देता है और नज़मा आँख बंद करके सूरज को अपने होंठों की शराब पिने की इज़ाज़त दे देती है...

सूरज धीरे धीरे नज़मा के ऊपर और नीचे के होंठ चूमता और और फिर नज़मा के होंठो से लड़ता हुआ नज़मा के मुंह में अपनी जीभ डालकर नज़मा की जीभ को छेड़ने लगता है नज़मा को इस चुम्बन में मज़ा आ रह था.. सूरज उसे पसंद था और सूरज के सॉफ्ट होंठ को वो महसूस कर रही थी.. अब धीरे धीरे नज़मा ने भी सूरज को अपने होंठो से चूमना शुरु कर दिया..

सूरज को जब अहसास हुआ की नज़मा भी अब उसे चूमने में बराबर का सहयोग कर रही है तो वो मादकता की बारिश में भीगने लगा और नज़मा की कमर को कसके पकड़ता हुआ होनी तरफ खींचकर बिना चुम्मा तोड़े नज़मा को पेट के बल अपने ऊपर लिटा लिया..

नज़मा ने अपने बूब्स पर से अपने हाथ हटाकर सूरज का चेहरा थाम लिया और उसके बालों में हाथ फेरते हुए उसे इस तरह चूमने लगी जैसे कुत्ते मुंह चाटते है..

सूरज के सीने में नज़मा के चुचो पर खड़े चुचक खंजर की तरह चुभ रहे थे.. जिसका अहसास उसे जन्नत का मज़ा दे रहा था..
सूरज ने अपने दोनों हाथ कमर से नीचे लेजाकर नज़मा की गांड पर रख दिए और नज़मा के चुत्तड़ पकड़कर जोर से मसलने लगा.. मगर नज़मा ने चुम्मा नहीं तोड़ा और सूरज को अपनी गांड दबाने और मसलने की खुली छूट दे दी..

नज़मा सूरज को ऐसे चुम रही थी जैसे वो बरसो से सूरज को चूमना चाहती हो.. दोनों के होंठो और जीभ के बीच युद्ध छिड़ा हुआ था जिसमे कोई भी हार मनाने को तैयार नहीं था..
नज़मा ने कभी बिलाल के साथ ऐसा कुछ नहीं किया था.. बिलाल सामान्य सा दिखने वाला आदमी थी मगर सूरज को देखकर किसी भी लड़की का मन मचल सकता था..
सूरज ने नज़मा को करवट लेकर अपने नीचे लेलिया और चुम्बन तोड़ दिया..

सूरज ने नज़मा के दोनों हाथ पकड़ कर ऊपर उठा दिए और नज़मा से बोला - बता तो दो भाभी.. 36 के है ना..
नज़मा बिना कुछ बोले मुस्कुराते हुए हाँ में सर हिला देती है और सूरज नज़मा के बूब्स को मुंह में भरकर चूसने और चाटने लगता है..

नज़मा की अह्ह्ह... निकल जाती है और वो अपने दोनों हाथ छुड़ा कर सूरज का सर पकड़कर अपने दोनों बूब्स बारी बारी से सूरज को चुसवाने लगती है..

सूरज नज़मा के बूब्स पर खड़े दाने को दांतो से खींचता हुआ पूरी मेहनत और प्यार के साथ चूसता है और नज़मा के बूब्स पर लव बाईट देने लगता है नज़मा सूरज को लव बाईट देने से नहीं रोकती और सूरज नज़मा की छाती पर अनेक लव बाईट के निशान छोड़ता हुआ उसके बूब्स को चूसता हुआ अपना एक हाथ पानी बहाती नज़मा की चुत पर लेजाकर रख देता है और सहलाने लगता है मगर नजमा सूरज के उस हाथ को पकड़ कर चुत सहलाते से रोकने की नाकाम कोशिश करती है.. पर सूरज बूब्स चूसते हुए चुत सहलाते सहलाते नज़मा को झड़ने पर मजबूर कर देता है और नज़मा चड्डी सलवार पहनें पहनें ही झड़ जाती है और झरना बहा देती है..

सूरज नज़मा के झड़ने के बाद उसकी सलवार का नाड़ा खींचकर खोल देता है और सलवार के साथ नज़मा की चड्डी भी एक ही बार में उतार देता है.. नज़मा अपने पैरों को मोड़ लेटी है और शर्म के उतारे हुए कपड़ो को उठाकर अपना मुंह छिपा लेती है..

सूरज खड़ा हो जाता है और कमरे से बाहर आकर बाथरूम में चला जाता है और मूतने लगता है.. उसी वक़्त सुमित्रा का फ़ोन आ जाता है.. रात के एक बज रहे थे..
सूरज - हेलो

सुमित्रा इस वक़्त घर की छत पर थी उसने कहा - हेलो सूरज?

हां.. माँ.. बोलो..

बेटू.. क्या कर रहा है?

माँ.. यार क्या बेतुके सवाल पूछ रही हो? बताया था ना आपको..

सुमित्रा - बेटू.. नाराज़ मत हो.. मैं तो बस यही पूछ रही थी कि कंडोम तो लगा रखा है ना तूने?

सूरज - हाँ लगा रखा है.. अब क्या फोटो भेजू आपको? सो जाओ ना आप.. सुबह आ जाऊंगा..

सुमित्रा - हनी..

सूरज - अब क्या है माँ?

सुमित्रा - मूझे चिंता हो रही है तेरी..

सूरज - माँ.. एक लड़की के साथ हूँ.. किसी चोर लुटेरे डाकू के साथ नहीं..

सुमित्रा - अपना ख्याल रखना.. और देखना कंडोम फट ना जाए.. बाय बेटू..

सूरज - बाय माँ..

सुमित्रा छत पर थी उसके बदन में भी कामुकता और मादकता भरी हुई थी वो ये सोचके काम कि भावना से भरी हुई थी कि उसका बेटा सूरज किसी के साथ इस वक़्त बिस्तर में चोदमपट्टी कर रहा होगा.. सुमित्रा घर कि छत पर ही सूरज के नाम कि ऊँगली करने लगी थी..

सूरज बाथरूम से वापस कमरे में आया तो बाहर से आती रौशनी में उसने देखा कि नज़मा वैसे ही अपने मुंह कपड़े से छिपा कर नंगी पड़ी हुई है.. सूरज इस बार कमरे का दरवाजा बंद कर दिया जिससे बाहर से आती रौशनी भी अंदर आनी बंद हो गई और कमरे में पूरा अंधकार छा गया.. नज़मा ने कपड़े से मुंह छिपाया हुआ था उसे इसका कोई पता नहीं चला कि सूरज ने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया है और अब उसने लाइट ऑन कर दी है.. लाइट की रौशनी में बिस्तर पर नंगी पड़ी नज़मा का बदन ऐसे चमक रहा था जैसे कोयले की खान में हिरा चमकता है..

सूरज ने अपनी जीन्स उतार दी और अब सिर्फ चड्डी मैं आ गया.. फिर नज़मा के पैरों की तरफ आकर उसकी दोनों टांगो को अपने हाथों दे खोलकर चौड़ा कर दिया और नज़मा की चुत जिसपर नज़मा की चुत से बहे झरने का पानी चिपका हुआ था बेडशीट के कपड़े से साफ करके अपने दोनों हाथ नज़मा की जांघो के जोड़ पर रखकर नज़मा की चुत खोलते हुए सूरज ने नज़मा की चुत से मुंह लगा लिया और नज़मा की चुत चाटना शुरु कर दिया..

नज़मा की चुत पर जब सूरज ने अपने होंठो को लगाया नज़मा के तन बदन में काम वासना की आधी उड़ने लगी जो सूरज को होने आंधी में उड़ा कर लेजाना चाहती थी.. नज़मा के हाथ कब अपने आप सूरज के सर पर पहुचे और कब नज़मा के मुंह से कामुक सिस्कारिया निकली उसे पता भी नहीं चला.. नज़मा को लाइट ऑन होने पर शर्म आ रही थी मगर काम सुख शर्म से कहीं ज्यादा था इसलिए नज़मा ने लाइट के ऑन होने की परवाह छोड़कर सम्भोग का आनद लेना जरुरी समझा...

सूरज नज़मा की चुत को ऐसे चूस चूस के चाट रहा था जैसे बॉलीवुड की हीरोइन प्रोडूसर का लंड चूसने के बाद आंड चाटती है.. सूरज अपने हाथों के दोनों अंगूठे से नज़मा की चुत चौड़ी करके अंदर तक चाट रहा था और दाने को चुम्मा रहा था जिससे नज़मा अपने आप पर काबू नहीं रख पाई और वापस झड़ गई मगर समय रहते सूरज ने अपना मुंह हटा लिया और वो नज़मा के पानी की धार में भीगने से बच गया..

नज़मा की साँसे तेज़ थी और उसका पूरा बदन पसीने से लथपथ.. चुचे साँसों के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे..
सूरज नज़मा के ऊपर आ गया और उसकी आखो में देखते हुए बोला - तैयार हो भाभी?

नज़मा काम भावना से पूरी तरह भर चुकी थी वो बोली - और मत तड़पाओ भाईजान.. डाल दो ना अब..

सूरज - भाभी आप ही सीखा दो कैसे ड़ालते है? मूझे कहा आता है डालना..

नज़मा सूरज की चड्डी नीची करके सूरज के खड़े लंड को अपनी चुत में अटका देती है और कहती है - घुसाओ ना भाईजान..

सूरज का दबाव डालके घुसाता है तो लंड गीली चुत में फिसलता हुआ चला जाता है और नज़मा सिसकते हुए अह्ह्ह करने लगती है.. सूरज का लंड बिलाल से बहुत बड़ा था जिसका अहसास अभी अभी नज़मा को होने लगा था और वो अपने दोनों हाथों से सूरज को अपनी बाहों में भरके उसके होंठो को चूमते हुए अपनी गांड उठा उठा कर सूरज से चुदवा रही थी..

नज़मा - अह्ह्ह्ह... अह्ह्ह.. भाईजान.. अह्ह्ह..

सूरज - भाभी आपके नीचे का मामला तो बहुत टाइट है.. बिल्ला ठीक से नहीं करता शयद..

नज़मा - अह्ह्ह भाईजान.. अह्ह्ह..

सूरज चोदते चोदते - भाभी.. चुत में लंड चला गया.. अब तो भाईजान मत बोलो.. सूरज कहो ना..

नज़मा अह्ह्ह्ह.. भाईजान.. कहते हुए फिर से सूरज को पकड़ लेती है और चूमने लगती है..
सूरज चोदना रोककर नज़मा की कमर पकड़कर उसे घोड़ी बना लेता है और फिर उसकी चुत मारने लगता है..

सूरज को जितना मज़ा नज़मा को घोड़ी बनाके चोदने में आ रहा था उसका ब्यान करपाना कठिन है.. सूरज को उन पल के लिए मोक्ष की प्राप्ति हो रही थी.. सूरज जितनी मोहब्बत के साथ नज़मा को घोड़ी बनाकर उसकी चुत में झटके मार रहा था उतनी तेज़ी से दोनों की चुदाई की आवाज कमरे में गूंज रही थी..

नज़मा के मुंह से सिस्कारिया निकल रही थी जिसे सुनकर सूरज कामसुख के घोड़े पर सवार था.. नज़मा की चुत वापस तीसरी बार झड़ने को बेताब थी..

सूरज ने घोड़ी के बाद नज़मा को चोदना छोड़कर बेड पर लेट गया और नज़मा से बोला - आओ भाभी सारी मेहनत मुझिसे करोगी? थोड़ी खुद भी तो करो.. आओ..

नज़मा लाइट के उजाले में शर्मा रही थी मगर काम वासना से भी भरी हुई थी.. नज़मा सूरज के लंड पर बैठ गई और धीरे धीरे अपनी गांड हिलाते हुए सूरज की आँखों में देखने लगी जैसे कह रही हो कि सूरज अब मूझे तुझसे कोई शर्म नहीं है..

दोनो काम वासना भरी आँखों से एक दूसरे को देख रहे थे और अब दोनों ही झड़ने कि कगार पर थे.. सूरज ने नज़मा कि कमर में हाथ डालकर उसे नीचे ले लिया और वापस मिशनरी में चोदते हुए नज़मा के साथ ही झड़ गया... और दोनों कुछ देर तक गहरी गहरी साँसों के साथ वैसे ही लेटे रहे...

सूरज नज़मा के बाल सवारते हुए - मुबारक हो भाभी...

नामज़ - आपको भी भाईजान...

सूरज - अब भी भाईजान बोलोगी?

नज़मा मुस्कुराते हुए - आपको भाईजान मानती हूँ तो भाईजान ही बोलूंगी ना.. तुम्हारी तरह मुंह पर कुछ और दिल में कुछ और तो नहीं है मेरे..

सूरज - भाईजान पसंद आये.. आपको भाभी?

नज़मा मुस्कुराते हुए - बहुत पसंद..

सूरज - बिलाल से भी ज्यादा पसंद?

नज़मा - कई गुना ज्यादा.. उसका और आपका तो कोई मेल ही नहीं..

सूरज - अपने पति कि बुराई कर रही हो भाभी?

नज़मा - बाहर तो निकाल लो भाईजान.. ऐसे ही सोने की इरादा है क्या?

सूरज - अभी दो बजे है भाई.. रहने दो अंदर बेचारे को अच्छा लग रहा है..

नज़मा - अह्ह्ह... आप ये क्या कर रहे हो भाईजान?

सूरज - भाभी वापस खड़ा हो गया क्या करू?

नज़मा हसते हुए - एक ही रात में प्रेग्नेंट कर दोगे तो वापस कैसे मिल पाओगे भाईजान..

सूरज नज़मा कि टांग फैला कर चोदते हुए - वो सब बाद में सोचेंगे भाभी... अह्ह्ह
नज़मा - अह्ह्ह.. अह्ह्ह.. भाईजान.. अह्ह्ह..
दोनों का सम्भोग वापस शुरु हो जाता है..

सुबह के साढ़े चार बजते बजते दोनों के बीच दो बार सम्भोग पूरा हो चूका होता है.. नज़मा दो बाद चुद चुकी थी.. और नज़मा सूरज के सीने पर लेटी हुई थी दोनों जागे हुए थे.. दोनों के बीच शर्म का पर्दा हट चूका था..

सूरज - सोचा नहीं था भाभी कभी हमारे बीच कुछ ऐसा भी होगा..

नज़मा - सही कहा भाईजान.. पहले तो मैं आपको सिर्फ पसंद करती थी मगर अब तो आपने मेरी रूह को भी छू लिया है.. मैं बता नहीं सकती अब आपकी ख़ुशी मेरे लिए कितने मायने रखती है.. मैं आपकी ख़ुशी के लिए कुछ भी कर सकती हूँ..

सूरज - कुछ भी?

नज़मा - हाँ कुछ भी..

सूरज - एक रात में इतना अपनापन?

नज़मा सूरज के ऊपर से उठते हुए - आप मूझे बच्चे का सुख देने वाले हो भाईजान.. आपकी ख़ुशी मेरे लिए मायने बहुत रखती है.. अपनापन तो पहले भी था आपसे.. बस कभी कह ना सकी.. आपने कहा था ना मेरे हाथों से चाय पीनी है आपको.. मैं अभी बनाके लाती हूँ.. और अपने हाथों से पीला भी दूंगी..

सूरज - भाभी इतना सब करने की क्या जरुरत?
नज़मा - आपकी इतनी सी ख्वाहिश भी पूरी ना कर पाई तो लानत है भाईजान मूझ पर..

नज़मा रसोई में चाय जाती है और 10 मिनट में चाय बनाकर ले आती है फिर सूरज की गोद में उसकी तरफ मुंह करके बैठ जाती है और अपने हाथ सूरज को चाय पिलाने लगती है..

नज़मा चाय पीलाते हुए - अगली बार शराब मत पीके आना भाईजान.. मैं अपने हाथों से पीला दूंगी..

सूरज - भाभी आपका और मेरा कुछ रातों का साथ है.. क्यों इश्क़ के बीज बो रही हो.. मैं ये ताल्लुक नहीं निभा पाऊंगा..

नज़मा - दिल पर किसी का जोर थोड़ी चलता है भाईजान? बिलाल जो चार साल में ना कर पाया आपने 4 घंटो में कर दिया.. आपकी बाहों से ऐसा महसूस होता है जैसे जिस्म को मखमली बिस्तर का बिछोना मिल गया हो.. इतनी प्यार भरी बातें तो कभी बिलाल ने भी नहीं की होंगी.. उसने बिस्तर में मेरा जिस्म हासिल किया है मगर आपने रूह भी हासिल की है.. आपकी बातें दिल को धड़काती है मूझे मेरे औरत होने का और मेरे वज़ूद का अहसास दिलाती है.. आपके साथ आज रात बिताकर लगता है मैं भी इंसान हूँ और मेरी भी अपनी ख़ुशी है.. वरना कब से मैं बस घुट घुट के परदे में जी रही थी..

सूरज - भाभी जबतक आपके बच्चा नहीं लग जाता.. मैं कोशिश करूंगा आपको बाकी हर ख़ुशी दे सकूँ.. अगली बार क्या तोहफा चाहिए बता दो? ला दूंगा..

नज़मा सूरज को चूमते हुए - मेरा तोहफा तो आप हो भाईजान.. आपके अलावा मूझे कुछ नहीं चाहिए..

सूरज - 5 बजने वाले है भाभी.. अब मूझे चलना चाहिए..

नज़मा - कुछ देर और रुक जाओ ना

भाईजान.. अभी तो अंधेरा है..

सूरज नज़मा के ऊपर आकर उसकी जुल्फ संवारते हुए - बिलाल नीचे आये उससे पहले मेरा चले जाना मुनासिफ होगा भाभी..
नज़मा - मेरे बदन पर आपने इतने निशान छोड़े है की बिलाल देखकर पागल ना हो जाए..

सूरज - तो उसे करीब क्यों आने देती हो भाभी.. कुछ दिन अपने से दूर ही रखो..

नज़मा हसते हुए - घर में मर्द की सुन्नी पड़ती है भाईजान.. औरतों तो बस हुक्म बजाने के लिए होती है..

सूरज - जमाना बदल गया है भाभी..

नज़मा - मेरी एक बात मानोगे?

सूरज - हर बात मानुगा.. बस कुछ ऐसा मत कह देना कि मैं मजबूर हो जाऊ..

नज़मा - मूझे मेरे नाम से बुलाओ ना भाईजान..

सूरज मुस्कुराते हुए - ये तो तभी मुमकिन है भाभी जब आप भी मूझे मेरे नाम से पुकारो..
नज़मा धीरे से - सूरज..

सूरज - नज़मा..

दोनों कुछ देर एक दूसरे को देखते है और आँखों ही आँखों में दोनों के होंठो को वापस मिलना पड़ता है और फिर सूरज दिवार घड़ी को देखकर कहता है - अब जाने दो नज़मा..

नज़मा - काश मैं हर दिन ऐसे ही बच्चों कि तरह आपको अपनी छाती से लगाकर रख पाती सूरज..

सूरज खड़ा होकर अपने कपड़े पहनते हुए - ऐसे ख़्वाब मत देखो नज़मा.. जब पुरे नहीं होते तो बहुत तकलीफ देते है.. जीना मुहाल कर देते है.. एक वक़्त निकल जाता है इन सब से निकलते हुए..

नज़मा बिना किसी शर्म के अब नंगी ही बेड से खड़ी हो जाती है और सूरज के सामने खड़ी होकर अपने घुटनो बैठते हुए सूरज का लंड पकड़कर कहती है - जो ख्वाब पुरे ना हो.. उन ख़्वाबो को देखना गलत नहीं है सूरज.. मैं जानती हूँ आप मेरे कभी नहीं बन सकते.. इसका मतलब ये नहीं कि आपके साथ मैं ख्वाबों में भी एकसाथ नहीं जी सकती..

इतना कहकर नज़मा सूरज का लंड मुंह में भर लेती है और चूसने लगती है नज़मा blowjob देने लगती है..

सूरज के लंड में अकड़न आने लगती है मगर सूरज नज़मा के मुंह से लंड निकालकर पेंट पहन लेता है और नज़मा से कहता है - छः बजने वाले है.. कपड़े पहन लो बिलाल कभी भी नीचे आ सकता है..

नज़मा - जाने से पहले एक चुम्मा भी नहीं दोगे सूरज?

सूरज नज़मा को बाहों में भरके चूमते हुए - अपना ख्याल रखना..

नज़मा मुस्कुराते हुए - आप भी..


सूरज अपनी स्कूटी उठाकर नज़मा के घर से निकल जाता है और नज़मा कपड़े पहन कर सबसे पहले कमरे को ठीक करती है बेडशीट बदलती है और नहाती है.. सात बजे बिलाल नीचे आता है और नज़मा से बात किये बिना ही नहा कर अपना दैनिक काम कर दूकान का शटर ऊपर करके दूकान संभालता है..

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बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है बरखा भी सूरज को चाहने लगी है उसका पति उसे सुख नहीं दे पाता है इसलिए वह सूरज के साथ वह सुख चाहती है नजमा पहले से ही सूरज को चाहती थी लेकिन आज जो सुख सूरज ने दिया है वह सूरज की कर्जदार हो गई है
 

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Update 9



रात के 10 बजे सूरज सीढ़ियों से नीचे हॉल में आया तो उसके पापा ने कहा..

जयप्रकाश - इतना तैयार होके कहा जा रहा है?

सूरज - पापा वो एक दोस्त का bday है.. बस वही जा रहा था.. आज रात वही रहूँगा.. आपके स्कूटी कि चाबी चाहिए...

जयप्रकाश - वही कमरे में रखी होगी.. ले ले..

सूरज - ठीक है.. सूरज कमरे में जाता है तो पीछे पीछे सुमित्रा भी कमरे में चली जाती है..

सुमित्रा - तू सच में दोस्त के bday पर जा रहा है या कहीं और? सच बताना..

सूरज - दोस्त के bday में ही जा रहा हूँ माँ.. आप भी क्या मेरे पीछे ही पड़ी रहती हो हमेशा.. आजकल बहुत नज़र रखती हो मुझपर जैसे मैं कोई क्रिमिनल हूं.

सुमित्रा - खा मेरी कसम.. तू दोस्त के bday में जा रहा है..

सूरज - मैं कसम वसम नहीं मानता समझी आप..

सुमित्रा - तो खा ना मेरी कसम..

सूरज - मैं नहीं खाऊंगा..

सुमित्रा - सच बता कहा जा रहा है? वरना घर से कदम बाहर रखने नहीं दूंगी तुझे.. किसी लड़की से मिलने जा रहा है ना.. जैसे सगाई वाली रात मिलके आया था.. जो पैसे लेकर वो सब करती है.. बोल..

सूरज - माँ... क्या बोल रही हो..

सुमित्रा - सच बता सूरज..

सूरज - ठीक है.. पापा को नहीं बताओगी..

सुमित्रा - किसी को नहीं कहूँगी.. बता..

सूरज कोई झूठ बात सोचकर - दोस्त की ex गर्लफ्रेंड है किसी होटल में मिलने बुलाया है..

सुमित्रा - और तेरे उस दोस्त का क्या? उसे पता ये सब?

सूरज - माँ ex गर्लफ्रेंड है.. उसे अब क्या मतलब..

सुमित्रा अपने ब्लाउज में से बटुआ निकालकर 1 हज़ार रुपए सूरज की जेब में रख देती है और कहती है - कंडोम पहन के करना जो करना है.. आजकल की लड़किया बहुत तेज़ हो गई है.. किसी भी शरीफ लड़के अपने जाल फँसाना उन्हें अच्छे से आता है.. समझा?

सुमित्रा का पल्लू हटा हुआ था और ब्लाउज में उसकी क्लीवेज साफ साफ सूरज को दिख रही थी.. जिसे सुमित्रा ने जानबूझ कर खुला छोड़ दिया था ताकि सूरज उसकी और आकर्षित हो सके मगर सूरज ने वो सब देखकर सुमित्रा से कहा..
सूरज - समझ गया माँ.. और आप अपना ये खज़ाना छुपा लो.. पापा की नज़र पड़ गई तो अगले साल मेरा छोटा भाई या बहन पैदा हो जाएगा..

सुमित्रा सूरज की बात सुनकर हसते हुए बिना अपना पल्लू अपने ब्लाउज के ऊपर किये बोली - नहीं होगा.. तेरे पापा सालों पहले ही अपनी हिम्मत हार चुके है..

सूरज हसते हुए - तभी अक्सर आप वो गाना गाती हो.. मैं क्या करू राम मुझे बुड्ढा मिल गया..

सुमित्रा हसते हुए - चुप शैतान.. मा से कोई ऐसे बात करता है भला? अब जा.. और सुबह जल्दी आ जाना.. रात को कोई भी परेशानी हो मुझे फ़ोन या मैसेज करना..

सूरज सुमित्रा को बाहो मे लेके गाल पर चुम्मा देकर - माँ आप बहुत प्यारी हो.. काश कोई आपके जैसी मुझे भी मिल जाए..

सुमित्रा - अच्छा? क्या करेगा अगर कोई मेरी जैसी मिल गई तो?

सूरज - सब सोचा हुआ माँ.. पहले शादी फिर सुहागरात उसके बाद 8-10 बच्चे..

सुमित्रा चौंकते हुए - 8-10?

सूरज - क्यों कम है? ज्यादा भी हो सकते है..

सुमित्रा हस्ते हुए - अच्छा अब मुझे छोड़.. तेरे पापा हम दोनों को ऐसे देखेंगे तो गलत समझेंगे..

सूरज - तो समझने दो.. गले लगने मे भी कोई अगर गलत समझें तो हम क्या कर सकते है? मैं तो अपनी मा को अपनी मर्ज़ी से छोडूंगा..

सुमित्रा - अच्छा? मुझे ऐसे बाहो मे भरके खड़ा रहेगा तो तेरी उस दोस्त की गर्लफ्रेंड का क्या होगा जो तेरा इंतजार कर रही है?

सूरज - उसे इंतजार करने दो.. मेरे लिए मेरी मा से बढ़कर कोई है..

सुमित्रा और सूरज गले लगे हुए थे और बात कर रहे थे बात करते करते उनके चेहरे एकदूसरे के कितने करीब आ गए थे उन्हें भी पता नहीं चला.. सुमित्रा तो जैसे अपना संयम खोने है वाली थी अगर बाहर से जयप्रकाश के खांसाने की आवाज ना आती तो शायद आज सुमित्रा ने सूरज के होंठो पर अपनी मोहब्बत या कहो हवस की मुहर लगा है देती..

जयप्रकाश की खांसी सुनकर सूरज ने सुमित्रा से कहाँ - पापा को खांसी की दवा दे दो.. दो दिनों से बहुत खांसी हो रही है उन्हें.. और अब अपना ये खज़ाना भी छीपा लो.. सूरज ने सुमित्रा को बाहो से आजाद करते हुए उसका पल्लू ब्लाउज के ऊपर करते हुए कहा..

सुमित्रा उदासी से - ऐसे खज़ाने का क्या फ़ायदा जिसे कोई लूटने वाला है ना हो..

सूरज - क्या कहा आपने?

सुमित्रा - कुछ नहीं.. अब जा..

सूरज सुमित्रा के गाल पर चुम्मा देकर - बाय माँ..

सुमित्रा की बात को सूरज ने सुन लिया था और अनजान बनकर उसे अनसुना भी कर दिया था मगर सूरज को अब इस बात का अहसास हो चूका था की सुमित्रा कितनी अकेली है और उससे बात करने वाला और उसके साथ वक़्त बिताने वाला कोई है नहीं.. जयप्रकाश भी सुमित्रा के साथ उतना वक़्त नहीं बताते थे वो अकसर अपने दोस्तों या दफ़्तर की फाइल्स मे गुस्से रहते थे..

सूरज घर से निकलता है कि उसके फ़ोन पर बरखा का फ़ोन आ जाता है..

हेलो

क्या कर रहा है हनी..

कुछ नहीं दी..

घर आ सकता है?

इस वक़्त? आ जाऊंगा पर.. सब ठीक है ना?

हाँ सब ठीक है.. तू आजा..

बात क्या है दी? बताओ ना..

अरे कुछ नहीं.. कोई जरुरी काम कर रहा है तो रहने दे.. कोई बात नहीं..

नहीं दी.. आपसे ज्यादा क्या जरुरी काम? बस खाना खाने जा रहा था.. आता हूँ..

आजा.. अपने हाथ से खाना बनाके खिला दूंगी तुझे..

बरखा ने फ़ोन काट दिया और मुस्कुराते हुए हनी के बारे में सोचने लगी.. पीछे कुछ दिनों से उसके मन में सूरज ही घूम रहा था.. सिर्फ उसके ही नहीं हेमलता के भी.. मगर हेमलता ने अपनी भावनाओं पर काबू पा लिया था.. बरखा को ना जाने क्यों आज सूरज से मिलने कि तलब हुई और उसने रात के इस वक़्त उसे फ़ोन कर दिया.. सूरज कुछ ही देर में बरखा के घर आ गया और बरखा ने दरवाजा खोलकर सूरज को घर के अंदर रसोई में ले गई..

क्या हुआ दी? और काका काकी कहा है?

वो तो यात्रा में गए है कल सुबह आ जायेंगे.. तेरे लिए पराठे बनाये है.. खिला दूँ अपने हाथ से?

क्या बात है दी.. बड़ा प्यार आ रहा है मुझ पर आपको आज?

क्यों? नहीं आ सकता?

नहीं.. आ सकता है.. पर आज कुछ ज्यादा ही आ रहा है ना इसलिए पूछ लिया..

बरखा अपने हाथ सूरज को खाना खिलाती हुई - कल मैं वापस जा रही हूँ.. सोचा एक बार अपने हनी से मिल लूँ.. इसलिए बुला लिया.. गलत किया?

सूरज खाना खाते हुए - नहीं.. अच्छा किया दी.. आप कुछ और दिन रह जाती ना दी..

वापस आउंगी तब रहूंगी.. लेकिन एक बात बता.. तू इतना सज धज के क्यों आया है?
मुझे इम्प्रेस करने के लिए?

आपको इम्प्रेस करने के लिए मुझे सजने की जरुरत है? और वैसे आपको इम्प्रेस करके मुझे क्या मिलेगा? आपको तो अपनी बड़ी बहन मानता हूँ मैं..

बरखा खाना खिलाते हुए - मैं अच्छे से जानती हूँ आजकल के लड़को को.. वो क्या कहते है.. हां.. गांधी जी की योजना.. बहन बनाकर चो...

बरखा आगे बोल पाती इससे पहले ही सूरज बोला..
सूरज - दीदी... आप ना बहुत बेशर्म हो गई हो.. कुछ भी सोचती और बोलती हो.. और हाथ दो जरा आपका.. सूरज बरखा की उंगलियां सुघकर.. सिगरेट पी रही थी मेरे आने से पहले?

बरखा हस्ते हुए अपना हाथ छुड़ाकर सूरज को खाना खिलाते हुए - उसके लिए भी तुझसे पूछना पड़ेगा मुझे?

सूरज - कल कब की ट्रैन है?

बरखा - दिन की है.. 3 बजे की..

सूरज - मैं स्टेशन छोड़ दूंगा आपको..

बरखा - अच्छा? स्टेशन का रास्ता कितना सुनसान है.. तूने रास्ते में मेरे साथ कुछ ऐसा वैसा कर दिया तो? मैं क्या करूंगी? बोल..

सूरज - दी.. आपने मज़े लेने के लिए बुलाया है ना मुझे?

बरखा मुस्कुराते हुए - तेरे मज़े लेने के लिए बुलाने की क्या जरुरत है? वो तो फ़ोन पर ही ले लेती मैं.. मुझे तेरी ये प्यारी और मासूम सी शकल देखनी थी..

सूरज - देख ली? अब मैं जाऊ?

बरखा - बड़ी बहन मानता है ना मुझे.. मेरे लिए थोड़ी देर और नहीं रुक सकता?

सूरज - ठीक है...

बरखा - शराब पियेगा मेरे साथ?

सूरज - नहीं..

बरखा - पापा के साथ तो पिता है..

सूरज - कभी कभी..

बरखा - हाँ तो वो कभी आज मेरे साथ है..

सूरज - काकी को पता चल गया ना.. जान ले लेगी मेरी..

बरखा - बताएगा कौन? तू?

बरखा अपने पीता बंसी की छुपाई हुई शराब की बोतल निकालती है और दो पेग बनाती है और एक सूरज को दे देती है..

सूरज - दी.. आप कमाल हो..

बरखा शराब पीते हुए - एक पर्सनल बात पुछु?

सूरज पेग ख़त्म करके - हम्म..

बरखा भी अपना पेग ख़त्म करके - तेरी कोई गर्लफ्रेंड तो है नहीं.. फिर काम कैसे चलता है तेरा?

सूरज - कोनसा काम?

बरखा दूसरा पेग बनाकर सूरज को देती है फिर अपने हाथ से लंड हिलाने का इशारा करते हुए कहती है - ये काम.. अब समझा?

सूरज हसते हुए - मुझे ना अब शर्म आने लगी है आपके साथ..

बरखा मुस्कुराते हुए अपना दूसरा पेग पीकर - शर्माता हुआ कितना क्यूट लगता है तू.. वैसा बता ना.. सिर्फ हाथ से जयकारे लगाता है या कोई छेद भी ढूंढ़ रखा है छोटे नवाब के लिए?

सूरज दूसरा पेग पीकर - आपको क्यों बताऊ? वैसे भी बहन भाई के बीच ऐसी बातें अच्छी नहीं लगती.. और अब ज्यादा मत पियो.. नशा होने लगा है आपको..

बरखा तीसरा पेग बनाकर - एक आखिरी हो जाए बस..

सूरज पेग उठाकर - अगर काकी को पता चला ना तो फिर देख लेना आप..

बरखा पेग पीते हुए - उसकी चिंता छोड़ दे.. तू बता गर्लफ्रेंड है या नहीं.. अगर नहीं है तो मैं बनवा दूंगी.. मेरा छोटा भाई अपने हाथ से काम चलाये.. अच्छा थोड़ी लगता है..

सूरज - किसे बनाओगी मेरी गर्लफ्रेंड?

बरखा - लड़कियों की कोई कमी थोड़ी है उदयपुर में.. जिससे बोलेगा उसीके साथ करवा दूंगी..

सूरज कुछ सोचकर - सपना आंटी पसंद मुझे..

बरखा - वो पड़ोस वाली? 40 साल की बुड्ढी?

सूरज अपना पेग ख़त्म करके - अभी से कहा बुड्ढी हो गई वो?

बरखा अपना पेग ख़त्म करते हुए - तुझे बड़ी औरते पसंद है?

सूरज - कोई बुराई है इसमें?

बरखा हसते हुए - नहीं.. वो बात नहीं है.. तू फ़िक्र मत कर तेरा काम हो जाएगा..

सूरज अपने फ़ोन पर बिलाल का फ़ोन आता देखकर - घर से फ़ोन आ रहा है.. अब जाऊ?

बरखा - ठीक है किस्सी दे जा एक..

सूरज बरखा के गाल पर kiss करता है..

बरखा नशे में - गाल पर नहीं हनी.. होंठो पर..

सूरज हसते हुए - अब कुछ ज्यादा हो रहा है आपका दी..

बरखा - कोनसी तेरी इज़्ज़त लूट रही हूँ.. एक kiss के लिए ही तो बोला है.. छोटा था तब भी तो करता था..

सूरज हसते हुए - करता नहीं था आप जबरदस्ती चूमती थी मुझे.. वो तो कोई देखने वाला नहीं था वरना बच्चे को मोलेस्ट करने के चार्ज में जेल जाती आप..

बरखा सूरज की शर्ट का कॉलर पकड़कर - हाय रे बच्चा... जब भाग भाग कर खुद मेरे पास आता था और कहता था दीदी चुम्मी दो और खुद मेरे होंठों पर टूट पड़ता था.. उसका क्या? मज़ा तुझे भी पूरा आता था..

सूरज मुस्कुराते हुए - आदत तो आपने ही लगाईं थी.. मैं तो बच्चा था..

बरखा - सपना आंटी चाहिए तो बरखा दीदी को चुम्मी करनी पड़ेगी जैसे बचपन में करता था..

सूरज बरखा के होंठों पर अपने होंठ रखकर चूमते हुए - बस?? अब जाता हूँ.. टाइम पास ज्यादा हो गया.. आप ख्याल रखना अपना..

बरखा - कल टाइम से आ जाना.. वरना मैं चली जाउंगी..

सूरज जाते हुए - ठीक है..

बरखा सूरज के जाने के बाद एक और शराब का पेग बनाकर पीती है और सिगरेट जलाकर कश केती हुई सपना को फ़ोन कर देती है...

हेलो..

सो रही थी क्या भाभी?

नहीं बरखा.. टीवी देख रही थी.. अब बस सोने ही जा रही थी.. बोलो इतनी रात को कैसे याद आ गई मेरी?

सपना (40)
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मुझे नहीं किसी और को तुम्हारी याद आती है रातों में..

सपना हसते हुए - अच्छा? तुम्हारे पापा से कहो सत्संग करने की उम्र में सम्भोग करने के सपने ना देखे.. दूकान पर सामान लेने आती हूँ तो ब्लाउज में ऐसे झांकते है जैसे आँखों से घूर के ब्रा का साइज़ बढ़ा देंगे.. कुछ करो अपने पापा का तुम..

बरखा - अरे भाभी.. पापा के बारे में बात नहीं कर रही.. पापा तो है ही एक नम्बर के ठरकी.. एक प्यारा सा लड़का है 22-23 साल का.. भाई की तरह है मेरे.. पसंद करता है तुम्हे.. एक बार बेचारे को जन्नत दिखा दो.. खुश हो जाएगा..

सपना हसते हुए - तस्वीर भेज दे.. पसंद आया तो बताउंगी..

बरखा - भेजती हूँ...

बरखा सूरज की तस्वीर भेजती है.. सपना तस्वीर देखकर फौरन बरखा को मैसेज करती है.. भेज देना अपने भाई को.. पेट भरके खुश कर दूंगी उसे..

बरखा मैसेज पढ़कर मुस्कुराते हुए ok लिख देती है और सिगरेट के कश लेती हुई नशे में धुत होकर सोचती है कि अगर सूरज सपना के साथ ये सब कर सकता है वो उसके साथ भी कर सकता है.. बस सूरज को किसी तरह अपने साथ सोने के लिए मानना पड़ेगा..


**********


सूरज बरखा के घर से बिलाल के घर जाने को निकला तो रास्ते में झील किनारे उसे कई दुकाने रात के इस वक़्त भी खुली दिखाई दी.. जहाँ टूरिस्ट खड़े हुए थे.. कई खाने की तो कई फेंसी आइटम की शॉप्स थी कुछ कपड़ो की..
सूरज ने स्कूटी एक दूकान के आगे रोक दी और अंदर जाकर कुछ खरीदकर वापस आ गया और स्कूटी स्टार्ट करके सूरज अब सीधा बिलाल के घर आ गया फिर स्कूटी अंदर खड़ी करके दुकान में बैठ जाता है..

रात के साढ़े 11 बज चुके थे सूरज नशे के सुरूर में था.. हालांकि उसे ज्यादा नशा नहीं हुआ था मगर फिर भी उसे शराब का सुरूर होने लगा रहा.. दूकान का शटर नीचे था.. बिलाल अंदर से आते हुए कहता है..
बिलाल - हनी..

सूरज कुर्सी से उठकर - बिल्ले..

बिलाल - मैं ऊपर सोने जा रहा हूँ.. तेरी भाभी पीछे कमरे में है..

सूरज - बिल्ले एक बार फिर सोच ले..

बिलाल - हनी मैंने सो बार यही सोचा है.. तू बस जब तक नज़मा प्रेग्नेंट ना हो जाए तब तक संभाल ले..

सूरज - ठीक है बिल्ले.. किसीको पता ना चले बस..

बिलाल - तुझसे ज्यादा मुझे उस बात की चिंता है.. मैंने नज़मा को समझा दिया है वो तुझे नहीं रोकेगी..

सूरज - ठीक है..

बिलाल - सुबह 6 बजे मैं नीचे आऊंगा.. तब तक तू और नज़मा अकेले नीचे रहोगे.. किसी चीज़ की जरूरत हो तो नज़मा से कह देना.. मैं जाता हूँ..

बिलाल ऊपर सोने चला गया और सूरज धीमे धीमे कदमो से पीछे वाले कमरे में दाखिल हो गया.. कमरे में अंधेरा था और बाहर आँगन मे जल रहे लट्टू की हलकी सी रौशनी कमरे में आ रही थी जिससे मध्यम रोशनी मे अंदर का नज़ारा देखा जा सकता था.. नज़मा बेड पर बैठी हुई थी.. उसके गोरे बदन पर गुलाबी सलवार थी और सफ़ेद दुपट्टा उसके जोबन को ढके हुए था..
सूरज ने कमरे के अंदर आकर बिना दरवाजा बंद किये लाइट जलाने लगा तभी नज़मा बोली..

नज़मा - लाइट मत जलाइये भाईजान..

सूरज ने लाइट नहीं जलाई और नज़मा के पास बिस्तर पर आकर बैठ गया..

सूरज ने जो रास्ते में ख़रीदा था वो नज़मा को देते हुए - भाभी ये आपके लिए..

नज़मा ने सूरज से थैला लेकर उसके अंदर से एक आसमानी कलर का सूट निकाला और उसे हाथों में लेकर बाहर से आती रोशनी में देखते हुए महसूस किया.. नज़मा समझ गई कि ये किसी ख़ास दूकान से लिया हुआ है..
नज़मा - ये क्यों ख़रीदा भाईजान..

सूरज नज़मा के और करीब आते हुए - भाभी पहले तो ये भाईजान बोलना बंद करो.. वरना मुझसे कुछ नहीं होगा..

नज़मा सूरज की बात पर मुस्कुरा पड़ती है..
नज़मा अपनी नज़र उठकर एक नज़र सूरज को देखकर - शराब पी है आपने?

सूरज - जब शराब की बू आ रही है तो पूछती क्यों हो भाभी..

नज़मा - ताकि आप इंकार कर सको.. और मुझे लगे कि आप थोड़ा सा मेरा लिहाज करते हो.. और आपके अंदर कोई बुराई नहीं है..

सूरज - अच्छाई और बुराई तो सब में होती है भाभी..

नज़मा नज़र झुका कर उसी तरह नीचे देखते हुए - सही है.. कम से कम आप मुझसे सच तो बोल रहे हो..

सूरज - भाभी आप अक्सर चाय पिलाने के बाद पूछती थी ना कि चाय कैसी बनी है? पता है मेरा क्या कहने का मन करता था?

नज़मा सूरज को एक नज़र देखकर - क्या?

सूरज - यही कि चाय ऐसी बनी है.. मन करता है आपको अपनी बाहों में उठाके घर ले जाऊं.. और आपकी बनाई चाय आपके हाथों से पिऊ..

नज़मा फिर से मुस्करा पड़ती है..

सूरज अपना एक हाथ घुमाके नज़मा के कंधे पर रख देता है और नज़मा के कान के पास अपने होंठ लाकर कहता है - भाभी गर्मी लग रही है..

नज़मा धीरे से शरमाते हुए - पंखा तो चालु है..

सूरज - फिर भी गर्मी लग रही है.. क्या करू?

नज़मा कुछ सोचकर - मेरे पास छोटी पँखी है.. मैं लाकर हवा कर देती हूँ..

सूरज - उससे कुछ नहीं होगा भाभी.. आप मेरी शर्ट उतार दो शायद कुछ राहत मिले..

नज़मा सूरज कि बात का मतलब समझ गई और मुस्कुराते हुए फिर से सूरज को एक नज़र देखकर अपने दोनों हाथ से सूरज के शर्ट के बटन खोलने लगी और उसका शर्ट उतार कर बेड के एक तरफ रख दिया..

सूरज प्यार से - भाभी आपको गर्मी नहीं लग रही?

सूरज की बात सुनकर नज़मा शर्म से अपना चेहरा अपनी दोनों हथेलियों से छुपा लेती है..

सूरज नज़मा की कमर में हाथ डालकर उसकी कमर पकड़ लेता और अपनी गोद में नज़मा को उठाकर बैठा लेता है..

नज़मा शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी और उसका दिल जोर से धड़कते जा रहा था..
सूरज को नज़मा के कूल्हे का मुलायम और गद्देदार अहसास कामुकता से भर रहा था..

सूरज ने नज़मा का दुप्पटा हटा दिया और उसकी कुर्ती को अपने दोनों हाथो से पकड़कर उठाने लगा लेकिन नज़मा ने अब तक अपना चेहरा अपनी हथेलियों से ढक रखा था.. इसलिए कुर्ती नज़मा की छाती तक उठाने के बाद सूरज पीछे से नज़मा के कान में बोलता है..
सूरज - हाथ ऊंचे करो ना भाभी..

नज़मा शर्म के मारे कुछ नहीं करती तो सूरज उसके दोनों हाथ पकड़कर ऊपर कर देता है और उसकी कुर्ती को झट से उतार कर अपने शर्ट के पास रख देता है.. नज़मा सिर्फ ब्रा में सूरज की गोद में बैठी हुई थी और उसकी नंगी पीठ अब सूरज के नंगे सीने से टकरा रही थी जिससे नज़मा काम और शर्म के मारे फिर से अपने चेहरे को अपनी हथेलियों से छुपा लेती है और सूरज नज़मा की नंगी गोरी पीठ का अहसास पाकर और कामुक हो उठता है जिससे उसके लंड में अब और अकड़न आ जाती है जिसका अहसास नज़मा को अपने कुल्हो पर हो रहा था.. सूरज ने नज़मा के दोनों हाथों को अपने दोनों हाथों में पकड़ लिया और नीचे करते हुए उसके चेहरे से हथेलिया हटा दी..

सूरज नज़मा के कान में - एक बात बोलू भाभी?

नज़मा शर्माते हुए - क्या?

सूरज नज़मा की गर्दन चूमते हुए - मूझे लगा नहीं था भाभी आपके बूब्स इतने मोटे होंगे.. क्या साइज है इनका?


नज़मा शर्म से इस बार भी कुछ नहीं बोलती..

सूरज - मत बताओ भाभी.. मैं खुद ही देख लेता हूँ..
सूरज ने अपने दोनों हाथ नज़मा की कमर से धीरे धीरे ऊपर लेजाकर उसकी ब्रा के अंदर डाल दिए और नज़मा के दोनों चुचे अपने हाथों में पकड़ लिए.. नज़मा के मुंह से सिस्कारी निकल गयी.. और वो काम की भावना से भरने लगी..

सूरज ने बूब्स को दबाते हुए मसलना शुरु कर दिया और नज़मा के कान में बोला - भाभी 36 के है ना?

इतना कहकर सूरज ने बूब्स पर से हाथ हटाकर नज़मा की ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा उतारकार बाकी कपड़ो के साथ रख दी.. नज़मा ने ब्रा खुलते ही अपने दोनों बूब्स को अपने दोनों हाथों से छीपा लिया..

सूरज पीछे से नज़मा की पीठ और गर्दन चूमता हुआ बोला - कब तक छुपा के रखोगी भाभी?
फिर सूरज थोड़ा आगे होकर पीछे लेट गया और नज़मा को भी अपने ऊपर पीठ के बल लेटा लिया और करवट लेकर अपने ऊपर से दाई तरफ गिरा कर नज़मा की कमर में हाथ डालकर उसे अपने से चिपकाते हुए नज़मा के होंठों के करीब अपने होंठ लेजाकर बोला - भाभी.. मेरी तरफ देखो ना..

नज़मा की आँखे बंद थी और वो धीरे से सूरज की आँखों की तरफ देखने लगी..
सूरज - शादी के 4 साल बाद भी इतनी शर्म भाभी?

नज़मा धीरे से - बिस्तर में एक बेशर्म खाफी होता है भाईजान..

सूरज - फिर से भाईजान? आपके होंठों को तो सजा देनी पड़ेगी भाभी...

ये कहकर सूरज नज़मा के होंठों पर अपने होंठ रख देता है और नज़मा आँख बंद करके सूरज को अपने होंठों की शराब पिने की इज़ाज़त दे देती है...

सूरज धीरे धीरे नज़मा के ऊपर और नीचे के होंठ चूमता और और फिर नज़मा के होंठो से लड़ता हुआ नज़मा के मुंह में अपनी जीभ डालकर नज़मा की जीभ को छेड़ने लगता है नज़मा को इस चुम्बन में मज़ा आ रह था.. सूरज उसे पसंद था और सूरज के सॉफ्ट होंठ को वो महसूस कर रही थी.. अब धीरे धीरे नज़मा ने भी सूरज को अपने होंठो से चूमना शुरु कर दिया..

सूरज को जब अहसास हुआ की नज़मा भी अब उसे चूमने में बराबर का सहयोग कर रही है तो वो मादकता की बारिश में भीगने लगा और नज़मा की कमर को कसके पकड़ता हुआ होनी तरफ खींचकर बिना चुम्मा तोड़े नज़मा को पेट के बल अपने ऊपर लिटा लिया..

नज़मा ने अपने बूब्स पर से अपने हाथ हटाकर सूरज का चेहरा थाम लिया और उसके बालों में हाथ फेरते हुए उसे इस तरह चूमने लगी जैसे कुत्ते मुंह चाटते है..

सूरज के सीने में नज़मा के चुचो पर खड़े चुचक खंजर की तरह चुभ रहे थे.. जिसका अहसास उसे जन्नत का मज़ा दे रहा था..
सूरज ने अपने दोनों हाथ कमर से नीचे लेजाकर नज़मा की गांड पर रख दिए और नज़मा के चुत्तड़ पकड़कर जोर से मसलने लगा.. मगर नज़मा ने चुम्मा नहीं तोड़ा और सूरज को अपनी गांड दबाने और मसलने की खुली छूट दे दी..

नज़मा सूरज को ऐसे चुम रही थी जैसे वो बरसो से सूरज को चूमना चाहती हो.. दोनों के होंठो और जीभ के बीच युद्ध छिड़ा हुआ था जिसमे कोई भी हार मनाने को तैयार नहीं था..
नज़मा ने कभी बिलाल के साथ ऐसा कुछ नहीं किया था.. बिलाल सामान्य सा दिखने वाला आदमी थी मगर सूरज को देखकर किसी भी लड़की का मन मचल सकता था..
सूरज ने नज़मा को करवट लेकर अपने नीचे लेलिया और चुम्बन तोड़ दिया..

सूरज ने नज़मा के दोनों हाथ पकड़ कर ऊपर उठा दिए और नज़मा से बोला - बता तो दो भाभी.. 36 के है ना..
नज़मा बिना कुछ बोले मुस्कुराते हुए हाँ में सर हिला देती है और सूरज नज़मा के बूब्स को मुंह में भरकर चूसने और चाटने लगता है..

नज़मा की अह्ह्ह... निकल जाती है और वो अपने दोनों हाथ छुड़ा कर सूरज का सर पकड़कर अपने दोनों बूब्स बारी बारी से सूरज को चुसवाने लगती है..

सूरज नज़मा के बूब्स पर खड़े दाने को दांतो से खींचता हुआ पूरी मेहनत और प्यार के साथ चूसता है और नज़मा के बूब्स पर लव बाईट देने लगता है नज़मा सूरज को लव बाईट देने से नहीं रोकती और सूरज नज़मा की छाती पर अनेक लव बाईट के निशान छोड़ता हुआ उसके बूब्स को चूसता हुआ अपना एक हाथ पानी बहाती नज़मा की चुत पर लेजाकर रख देता है और सहलाने लगता है मगर नजमा सूरज के उस हाथ को पकड़ कर चुत सहलाते से रोकने की नाकाम कोशिश करती है.. पर सूरज बूब्स चूसते हुए चुत सहलाते सहलाते नज़मा को झड़ने पर मजबूर कर देता है और नज़मा चड्डी सलवार पहनें पहनें ही झड़ जाती है और झरना बहा देती है..

सूरज नज़मा के झड़ने के बाद उसकी सलवार का नाड़ा खींचकर खोल देता है और सलवार के साथ नज़मा की चड्डी भी एक ही बार में उतार देता है.. नज़मा अपने पैरों को मोड़ लेटी है और शर्म के उतारे हुए कपड़ो को उठाकर अपना मुंह छिपा लेती है..

सूरज खड़ा हो जाता है और कमरे से बाहर आकर बाथरूम में चला जाता है और मूतने लगता है.. उसी वक़्त सुमित्रा का फ़ोन आ जाता है.. रात के एक बज रहे थे..
सूरज - हेलो

सुमित्रा इस वक़्त घर की छत पर थी उसने कहा - हेलो सूरज?

हां.. माँ.. बोलो..

बेटू.. क्या कर रहा है?

माँ.. यार क्या बेतुके सवाल पूछ रही हो? बताया था ना आपको..

सुमित्रा - बेटू.. नाराज़ मत हो.. मैं तो बस यही पूछ रही थी कि कंडोम तो लगा रखा है ना तूने?

सूरज - हाँ लगा रखा है.. अब क्या फोटो भेजू आपको? सो जाओ ना आप.. सुबह आ जाऊंगा..

सुमित्रा - हनी..

सूरज - अब क्या है माँ?

सुमित्रा - मूझे चिंता हो रही है तेरी..

सूरज - माँ.. एक लड़की के साथ हूँ.. किसी चोर लुटेरे डाकू के साथ नहीं..

सुमित्रा - अपना ख्याल रखना.. और देखना कंडोम फट ना जाए.. बाय बेटू..

सूरज - बाय माँ..

सुमित्रा छत पर थी उसके बदन में भी कामुकता और मादकता भरी हुई थी वो ये सोचके काम कि भावना से भरी हुई थी कि उसका बेटा सूरज किसी के साथ इस वक़्त बिस्तर में चोदमपट्टी कर रहा होगा.. सुमित्रा घर कि छत पर ही सूरज के नाम कि ऊँगली करने लगी थी..

सूरज बाथरूम से वापस कमरे में आया तो बाहर से आती रौशनी में उसने देखा कि नज़मा वैसे ही अपने मुंह कपड़े से छिपा कर नंगी पड़ी हुई है.. सूरज इस बार कमरे का दरवाजा बंद कर दिया जिससे बाहर से आती रौशनी भी अंदर आनी बंद हो गई और कमरे में पूरा अंधकार छा गया.. नज़मा ने कपड़े से मुंह छिपाया हुआ था उसे इसका कोई पता नहीं चला कि सूरज ने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया है और अब उसने लाइट ऑन कर दी है.. लाइट की रौशनी में बिस्तर पर नंगी पड़ी नज़मा का बदन ऐसे चमक रहा था जैसे कोयले की खान में हिरा चमकता है..

सूरज ने अपनी जीन्स उतार दी और अब सिर्फ चड्डी मैं आ गया.. फिर नज़मा के पैरों की तरफ आकर उसकी दोनों टांगो को अपने हाथों दे खोलकर चौड़ा कर दिया और नज़मा की चुत जिसपर नज़मा की चुत से बहे झरने का पानी चिपका हुआ था बेडशीट के कपड़े से साफ करके अपने दोनों हाथ नज़मा की जांघो के जोड़ पर रखकर नज़मा की चुत खोलते हुए सूरज ने नज़मा की चुत से मुंह लगा लिया और नज़मा की चुत चाटना शुरु कर दिया..

नज़मा की चुत पर जब सूरज ने अपने होंठो को लगाया नज़मा के तन बदन में काम वासना की आधी उड़ने लगी जो सूरज को होने आंधी में उड़ा कर लेजाना चाहती थी.. नज़मा के हाथ कब अपने आप सूरज के सर पर पहुचे और कब नज़मा के मुंह से कामुक सिस्कारिया निकली उसे पता भी नहीं चला.. नज़मा को लाइट ऑन होने पर शर्म आ रही थी मगर काम सुख शर्म से कहीं ज्यादा था इसलिए नज़मा ने लाइट के ऑन होने की परवाह छोड़कर सम्भोग का आनद लेना जरुरी समझा...

सूरज नज़मा की चुत को ऐसे चूस चूस के चाट रहा था जैसे बॉलीवुड की हीरोइन प्रोडूसर का लंड चूसने के बाद आंड चाटती है.. सूरज अपने हाथों के दोनों अंगूठे से नज़मा की चुत चौड़ी करके अंदर तक चाट रहा था और दाने को चुम्मा रहा था जिससे नज़मा अपने आप पर काबू नहीं रख पाई और वापस झड़ गई मगर समय रहते सूरज ने अपना मुंह हटा लिया और वो नज़मा के पानी की धार में भीगने से बच गया..

नज़मा की साँसे तेज़ थी और उसका पूरा बदन पसीने से लथपथ.. चुचे साँसों के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे..
सूरज नज़मा के ऊपर आ गया और उसकी आखो में देखते हुए बोला - तैयार हो भाभी?

नज़मा काम भावना से पूरी तरह भर चुकी थी वो बोली - और मत तड़पाओ भाईजान.. डाल दो ना अब..

सूरज - भाभी आप ही सीखा दो कैसे ड़ालते है? मूझे कहा आता है डालना..

नज़मा सूरज की चड्डी नीची करके सूरज के खड़े लंड को अपनी चुत में अटका देती है और कहती है - घुसाओ ना भाईजान..

सूरज का दबाव डालके घुसाता है तो लंड गीली चुत में फिसलता हुआ चला जाता है और नज़मा सिसकते हुए अह्ह्ह करने लगती है.. सूरज का लंड बिलाल से बहुत बड़ा था जिसका अहसास अभी अभी नज़मा को होने लगा था और वो अपने दोनों हाथों से सूरज को अपनी बाहों में भरके उसके होंठो को चूमते हुए अपनी गांड उठा उठा कर सूरज से चुदवा रही थी..

नज़मा - अह्ह्ह्ह... अह्ह्ह.. भाईजान.. अह्ह्ह..

सूरज - भाभी आपके नीचे का मामला तो बहुत टाइट है.. बिल्ला ठीक से नहीं करता शयद..

नज़मा - अह्ह्ह भाईजान.. अह्ह्ह..

सूरज चोदते चोदते - भाभी.. चुत में लंड चला गया.. अब तो भाईजान मत बोलो.. सूरज कहो ना..

नज़मा अह्ह्ह्ह.. भाईजान.. कहते हुए फिर से सूरज को पकड़ लेती है और चूमने लगती है..
सूरज चोदना रोककर नज़मा की कमर पकड़कर उसे घोड़ी बना लेता है और फिर उसकी चुत मारने लगता है..

सूरज को जितना मज़ा नज़मा को घोड़ी बनाके चोदने में आ रहा था उसका ब्यान करपाना कठिन है.. सूरज को उन पल के लिए मोक्ष की प्राप्ति हो रही थी.. सूरज जितनी मोहब्बत के साथ नज़मा को घोड़ी बनाकर उसकी चुत में झटके मार रहा था उतनी तेज़ी से दोनों की चुदाई की आवाज कमरे में गूंज रही थी..

नज़मा के मुंह से सिस्कारिया निकल रही थी जिसे सुनकर सूरज कामसुख के घोड़े पर सवार था.. नज़मा की चुत वापस तीसरी बार झड़ने को बेताब थी..

सूरज ने घोड़ी के बाद नज़मा को चोदना छोड़कर बेड पर लेट गया और नज़मा से बोला - आओ भाभी सारी मेहनत मुझिसे करोगी? थोड़ी खुद भी तो करो.. आओ..

नज़मा लाइट के उजाले में शर्मा रही थी मगर काम वासना से भी भरी हुई थी.. नज़मा सूरज के लंड पर बैठ गई और धीरे धीरे अपनी गांड हिलाते हुए सूरज की आँखों में देखने लगी जैसे कह रही हो कि सूरज अब मूझे तुझसे कोई शर्म नहीं है..

दोनो काम वासना भरी आँखों से एक दूसरे को देख रहे थे और अब दोनों ही झड़ने कि कगार पर थे.. सूरज ने नज़मा कि कमर में हाथ डालकर उसे नीचे ले लिया और वापस मिशनरी में चोदते हुए नज़मा के साथ ही झड़ गया... और दोनों कुछ देर तक गहरी गहरी साँसों के साथ वैसे ही लेटे रहे...

सूरज नज़मा के बाल सवारते हुए - मुबारक हो भाभी...

नामज़ - आपको भी भाईजान...

सूरज - अब भी भाईजान बोलोगी?

नज़मा मुस्कुराते हुए - आपको भाईजान मानती हूँ तो भाईजान ही बोलूंगी ना.. तुम्हारी तरह मुंह पर कुछ और दिल में कुछ और तो नहीं है मेरे..

सूरज - भाईजान पसंद आये.. आपको भाभी?

नज़मा मुस्कुराते हुए - बहुत पसंद..

सूरज - बिलाल से भी ज्यादा पसंद?

नज़मा - कई गुना ज्यादा.. उसका और आपका तो कोई मेल ही नहीं..

सूरज - अपने पति कि बुराई कर रही हो भाभी?

नज़मा - बाहर तो निकाल लो भाईजान.. ऐसे ही सोने की इरादा है क्या?

सूरज - अभी दो बजे है भाई.. रहने दो अंदर बेचारे को अच्छा लग रहा है..

नज़मा - अह्ह्ह... आप ये क्या कर रहे हो भाईजान?

सूरज - भाभी वापस खड़ा हो गया क्या करू?

नज़मा हसते हुए - एक ही रात में प्रेग्नेंट कर दोगे तो वापस कैसे मिल पाओगे भाईजान..

सूरज नज़मा कि टांग फैला कर चोदते हुए - वो सब बाद में सोचेंगे भाभी... अह्ह्ह
नज़मा - अह्ह्ह.. अह्ह्ह.. भाईजान.. अह्ह्ह..
दोनों का सम्भोग वापस शुरु हो जाता है..

सुबह के साढ़े चार बजते बजते दोनों के बीच दो बार सम्भोग पूरा हो चूका होता है.. नज़मा दो बाद चुद चुकी थी.. और नज़मा सूरज के सीने पर लेटी हुई थी दोनों जागे हुए थे.. दोनों के बीच शर्म का पर्दा हट चूका था..

सूरज - सोचा नहीं था भाभी कभी हमारे बीच कुछ ऐसा भी होगा..

नज़मा - सही कहा भाईजान.. पहले तो मैं आपको सिर्फ पसंद करती थी मगर अब तो आपने मेरी रूह को भी छू लिया है.. मैं बता नहीं सकती अब आपकी ख़ुशी मेरे लिए कितने मायने रखती है.. मैं आपकी ख़ुशी के लिए कुछ भी कर सकती हूँ..

सूरज - कुछ भी?

नज़मा - हाँ कुछ भी..

सूरज - एक रात में इतना अपनापन?

नज़मा सूरज के ऊपर से उठते हुए - आप मूझे बच्चे का सुख देने वाले हो भाईजान.. आपकी ख़ुशी मेरे लिए मायने बहुत रखती है.. अपनापन तो पहले भी था आपसे.. बस कभी कह ना सकी.. आपने कहा था ना मेरे हाथों से चाय पीनी है आपको.. मैं अभी बनाके लाती हूँ.. और अपने हाथों से पीला भी दूंगी..

सूरज - भाभी इतना सब करने की क्या जरुरत?
नज़मा - आपकी इतनी सी ख्वाहिश भी पूरी ना कर पाई तो लानत है भाईजान मूझ पर..

नज़मा रसोई में चाय जाती है और 10 मिनट में चाय बनाकर ले आती है फिर सूरज की गोद में उसकी तरफ मुंह करके बैठ जाती है और अपने हाथ सूरज को चाय पिलाने लगती है..

नज़मा चाय पीलाते हुए - अगली बार शराब मत पीके आना भाईजान.. मैं अपने हाथों से पीला दूंगी..

सूरज - भाभी आपका और मेरा कुछ रातों का साथ है.. क्यों इश्क़ के बीज बो रही हो.. मैं ये ताल्लुक नहीं निभा पाऊंगा..

नज़मा - दिल पर किसी का जोर थोड़ी चलता है भाईजान? बिलाल जो चार साल में ना कर पाया आपने 4 घंटो में कर दिया.. आपकी बाहों से ऐसा महसूस होता है जैसे जिस्म को मखमली बिस्तर का बिछोना मिल गया हो.. इतनी प्यार भरी बातें तो कभी बिलाल ने भी नहीं की होंगी.. उसने बिस्तर में मेरा जिस्म हासिल किया है मगर आपने रूह भी हासिल की है.. आपकी बातें दिल को धड़काती है मूझे मेरे औरत होने का और मेरे वज़ूद का अहसास दिलाती है.. आपके साथ आज रात बिताकर लगता है मैं भी इंसान हूँ और मेरी भी अपनी ख़ुशी है.. वरना कब से मैं बस घुट घुट के परदे में जी रही थी..

सूरज - भाभी जबतक आपके बच्चा नहीं लग जाता.. मैं कोशिश करूंगा आपको बाकी हर ख़ुशी दे सकूँ.. अगली बार क्या तोहफा चाहिए बता दो? ला दूंगा..

नज़मा सूरज को चूमते हुए - मेरा तोहफा तो आप हो भाईजान.. आपके अलावा मूझे कुछ नहीं चाहिए..

सूरज - 5 बजने वाले है भाभी.. अब मूझे चलना चाहिए..

नज़मा - कुछ देर और रुक जाओ ना

भाईजान.. अभी तो अंधेरा है..

सूरज नज़मा के ऊपर आकर उसकी जुल्फ संवारते हुए - बिलाल नीचे आये उससे पहले मेरा चले जाना मुनासिफ होगा भाभी..
नज़मा - मेरे बदन पर आपने इतने निशान छोड़े है की बिलाल देखकर पागल ना हो जाए..

सूरज - तो उसे करीब क्यों आने देती हो भाभी.. कुछ दिन अपने से दूर ही रखो..

नज़मा हसते हुए - घर में मर्द की सुन्नी पड़ती है भाईजान.. औरतों तो बस हुक्म बजाने के लिए होती है..

सूरज - जमाना बदल गया है भाभी..

नज़मा - मेरी एक बात मानोगे?

सूरज - हर बात मानुगा.. बस कुछ ऐसा मत कह देना कि मैं मजबूर हो जाऊ..

नज़मा - मूझे मेरे नाम से बुलाओ ना भाईजान..

सूरज मुस्कुराते हुए - ये तो तभी मुमकिन है भाभी जब आप भी मूझे मेरे नाम से पुकारो..
नज़मा धीरे से - सूरज..

सूरज - नज़मा..

दोनों कुछ देर एक दूसरे को देखते है और आँखों ही आँखों में दोनों के होंठो को वापस मिलना पड़ता है और फिर सूरज दिवार घड़ी को देखकर कहता है - अब जाने दो नज़मा..

नज़मा - काश मैं हर दिन ऐसे ही बच्चों कि तरह आपको अपनी छाती से लगाकर रख पाती सूरज..

सूरज खड़ा होकर अपने कपड़े पहनते हुए - ऐसे ख़्वाब मत देखो नज़मा.. जब पुरे नहीं होते तो बहुत तकलीफ देते है.. जीना मुहाल कर देते है.. एक वक़्त निकल जाता है इन सब से निकलते हुए..

नज़मा बिना किसी शर्म के अब नंगी ही बेड से खड़ी हो जाती है और सूरज के सामने खड़ी होकर अपने घुटनो बैठते हुए सूरज का लंड पकड़कर कहती है - जो ख्वाब पुरे ना हो.. उन ख़्वाबो को देखना गलत नहीं है सूरज.. मैं जानती हूँ आप मेरे कभी नहीं बन सकते.. इसका मतलब ये नहीं कि आपके साथ मैं ख्वाबों में भी एकसाथ नहीं जी सकती..

इतना कहकर नज़मा सूरज का लंड मुंह में भर लेती है और चूसने लगती है नज़मा blowjob देने लगती है..

सूरज के लंड में अकड़न आने लगती है मगर सूरज नज़मा के मुंह से लंड निकालकर पेंट पहन लेता है और नज़मा से कहता है - छः बजने वाले है.. कपड़े पहन लो बिलाल कभी भी नीचे आ सकता है..

नज़मा - जाने से पहले एक चुम्मा भी नहीं दोगे सूरज?

सूरज नज़मा को बाहों में भरके चूमते हुए - अपना ख्याल रखना..

नज़मा मुस्कुराते हुए - आप भी..


सूरज अपनी स्कूटी उठाकर नज़मा के घर से निकल जाता है और नज़मा कपड़े पहन कर सबसे पहले कमरे को ठीक करती है बेडशीट बदलती है और नहाती है.. सात बजे बिलाल नीचे आता है और नज़मा से बात किये बिना ही नहा कर अपना दैनिक काम कर दूकान का शटर ऊपर करके दूकान संभालता है..

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Bhut shandaar update.... maja aa gya padh kar
 
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