Update 7
अरे अरे कौन है तू? और अंदर कैसे चला आया?
वो आंटी मैं.. सो सॉरी.. मुझे पता नहीं था यहाँ कोई है..
गार्डन के एक कमरे मे रमन घुसा तो उसने देखा की एक 50 पार की महिला कमर से ऊपर पूरी तरह नंगी खड़ी हुई अपने कमरे बदल रही थी जो रमन के कमरे मे आने पर अपने हाथों की हथेलियों से अपने चूची को ढक कर रमन को देखने लगी और उसे गुस्से की निगाहो से देखते हुए बोली..
पता नहीं था या सबकुछ पता करके कमरे मे घुसा है? मैं अच्छे से जानती हु तुम जैसे आवारा लफंडर बदमाश लड़को को.. ना रिश्ता देखते हो ना उम्र.. तुम्हारी मा जैसी हूं.. चलो बाहर निकलो.. वरना चमाट खाओगे.. जाओ..
सॉरी आंटी.. माफ़ करना..
रमन बाहर चला जाता है और औरत अपने कपडे बदलने लगती है..
कुछ देर बाद रचना लचकते हुए उस कमरे मे आ जाती है और उस औरत से कहती है - क्या हुआ मम्मी जी?
कुछ नहीं रचना.. आज कल के लड़के भी ना.. ना उम्र देखते है ना समाज.. बस बेशर्म बनकर कुछ भी करने लगते है..
क्या हुआ मम्मी जी ऐसा क्यों बोल रही हो.. किसी ने प्रपोज़ कर दिया क्या आपको?
नहीं रे.. अभी कपडे बदलते वक़्त एक लड़का कमरे मे घुसा आया.. मैं तो शर्म से पानी पानी हो गई..
तो फिर कुछ हुआ क्या उस लड़के और आपके बीच मम्मी जी? बताओ ना?
तू भी बेशर्म हो गई है रचना.. भला मेरी उम्र है ये सब करने की? देख वो वहा जो लड़का है वही आया था.. मैं तो डांट कर भगा दिया..
रचना खिड़की से रमन को देखकर - ये.. मम्मी जी तो रमन है.. सूरज का दोस्त.. बहुत मालदार पार्टी है.. ये गार्डन इसी का तो है.. और भी बहुत सी प्रॉपर्टी है इसकी शहर मे.. बेचारा गलती से आया होगा.. आप भी ना मम्मी जी.. प्यार से जाने को कह देती डांटना जरुरी था? कितना हैंडसम है..
अनुराधा - रचना ये मत भूल तू शादीशुदा है.. और एक बच्चे की मा है.. ये मर्द देखकर तेरे मुँह मे जो पानी आता है ना सब जानती हूं मैं.. तेरी नियत तो हनी पर भी ठीक नहीं है.. अगर मुझे ऐसा वैसा कुछ पता चाला ना तो देख लेना..
रचना हस्ते हुए - मम्मी जी.. आप भी ना.. ना खुद बाहर की मिठाई खाती है ना मुझे खाने देती है.. अच्छा लो.. दो घूंट मार लो..
रचना अपने पर्स मे से एक वोटका का क्वाटर निकालकर अनुराधा के देती है और अनुराधा रचना के साथ मिलकर उस क्वार्टर को ख़त्म करते है दोनों सास बहु साथ मे इस तरह से पहले भी कई बार हलकी फुलकी शराब खोरी करते रहते थे और आज भी कर रहे थे.. दोनों पर सुरूर आ चूका था.. रचना तो अपनी गांड मे हो रहे हलके मीठे दर्द के साथ नाचने के लिए डांस फ्लोर पर चली गई मगर अनुराधा ने जब रमन को अकेला एक जगह बैठकर खाना खाते देखा तो वो कुछ सोच कर उसीके के पास चली गई..
तुम सूरज के दोस्त हो?
रमन ने साइड मे अनुराधा को खड़ा देखा तो झट से कुर्सी से खड़ा हो गया और बोला.. जी आंटी.. सॉरी वो गलती से आपके रूम मे आ गया..
कोई बात नहीं बेटा.. मैंने ही कुछ ज्यादा बोल दिया था तुम्हे.. मुझे लगा तुम कोई मनचले हो.. बैठो ना.. खाना खाते हुए उठा नहीं करते..
रमन वापस कुर्सी पर बैठ जाता है और अनुराधा भी रमन के बगल वाली कुर्सी पर बैठ जाती है..
ये गार्डन तुम्हारा है?
जी आंटी.. शहर मे काफी खानदानी जमीन थी तो पापा ने कई मैरिज हॉल और लोन बनाकर ये बिज़नेस शुरू किया था.. उनके बाद अब मैं ही इसे संभाल रहा हूं.. रमन ने खाना खाते हुए कहा..
ये तो बहुत अच्छी बात है.. अच्छा बेटा.. मेरे पोते का जन्मदिन है अगले महीने दस तारीख को.. छोटा सा प्रोग्राम करना था.. कोई छोटी जगह है?
जगह ही जगह है आंटी.. आप डेट बोलो मैं यही गार्डन बुक कर देता हूं..
अरे नहीं नहीं बेटा.. इतनी बड़ी जगह का क्या करना है.. मुश्किल से 100- 150 लोग आएंगे.. कोई छोटी जगह बताओ.. ये गार्डन तो महँगा लगता है..
अरे आंटी आप सूरज की रिश्तेदार हो.. आपके लिए क्या सस्ता क्या महँगा? वैसे आप सूरज की क्या लगती है?
मैं सूरज की बुआ हूं बेटा..
तो फिर आप मेरी भी बुआ हुई.. और आपका पोता मेरा भतीजा.. मैं अपनी बुआ और भतीजे के लिए इतना तो कर ही सकता हूं.. मैं सूरज से कह दूंगा जन्मदिन यही बनेगा.. आपको पैसे देने की जरुरत नहीं है.. रमन ने हस्ते हुए आखिरी लाइन कही तो अनुराधा के दिल मे रमन के लिए इज़्ज़त अचानक से बढ़ गईऔर रमन के प्रति अजीब सा खींचाव पनप गया.. अनुराधा पर शराब का सुरूर भी था उसने मुस्कुराते हुए रमन से कहा..
बेटा.. मुझे माफ़ करना.. मैंने तुझे गलत समझा.. तुम्हारी मा ने बहुत अच्छे संस्कार दिए है तुम्हे.. वो बहुत अच्छी होंगी..
रमन उदासी से भरी हुई मुस्कुहाट के साथ - हां.. वो सच मे बहुत अच्छी थी..
थी मतलब? अनुराधा ने हैरत से पूछा तो रमन ने जवाब दिया - आंटी वो मम्मी बहुत साल पहले भगवान के पास चली गई थी..
अनुराधा मे मन मे रमन के लिए मानो ये सुनकर मातृत्व का भाव जाग गया और अनुराधा ने रमन को गले लगाते हुए कहा - बेटा कभी कभी ऊपर वाला बड़ी कड़ी परीक्षा लेता है हम सबकी.. पर तुझे जब भी अपनी मा की याद आये तू मेरे पास मुझसे मिलने आ जाया कर..
अनुराधा के वातसल्य से रमन भाव विभोर हो गया और मुस्कुराते हुए अनुराधा से बोला.. थैंक्स आंटी..
आंटी नहीं बेटा.. बुआ.. तू भी तो मेरे लिए हनी की तरह है.. अच्छा अपना फ़ोन दे मैं नंबर देती हूं.. इस इतवार घर आना.. अपने हाथ से खाना बनाकर खिलाऊंगी तुझे..
रमन मुस्कुराते हुए - आप बहुत अच्छी हो आंटी.. सोरी बुआ..
अनुराधा कुछ देर और ठहर कर वहा से चली जाती है और कुछ देर बाद रमन जब सूरज से मिलकर वापस जाने लगता है तो किसी का कॉल आता है और रमन अपना फ़ोन देखकर गुस्से मे फ़ोन उठाता हुआ कहता है..
क्या है?
सामने सीख मीठी से आवाज मे लड़की जीज्ञासा के भाव से पूछती है- घर कब तक आओगे तुम?
रमन गुस्से मे - क्यों? मेरी शकल देखे बिना नींद नहीं आएगी तुझे?
मुझे कुछ बात करनी है तुमसे.. इसलिए पूछ रही थी.. मुझे भी शोख नहीं है सुबह शाम तुम्हारी शकल देखने का..
सुन.. तू ना मेरे बाप की रखैल थी.. और मेरे बाप ने तेरी माँ के और तेरे इश्क़ मे अपनी सारी जायदाद मुझे देने की जगह तेरे नाम कर दी.. इसलिए तुझे झेल रहा हूं.. बार बार फ़ोन करके परेशान किया ना तो अच्छा नहीं होगा..
नहीं तो क्या कर लोगे तुम.. एक बार नहीं सो बार फ़ोन करूँगी.. जल्दी घर आओ.. समझें? वरना ये जो ऐशो आराम की जिंदगी जी रहे हो ना.. सब छीन लुंगी.. और दुबारा रखैल कहकर बुलाया ना तो भिखारी बना दूंगी..
रमन गुस्से मे फ़ोन काट देता है और घर चाला जाता है..
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अंकुश - मम्मी मैं खाना ले आता हूँ..
नीतू - नहीं अक्कू तू बैठ मैं ले आती हूँ..
अंकुश माँ गोमती - अरे अकेली कैसे लायेगी नीतू.. अक्कू तू भी जा..
अंकुश - ठीक है माँ आप बैठो यही.. चल नीतू..
अंकुश और नीतू प्लेट लेकर खाना लेने चल देते है..
नीतू - वकील साहिबा का फोन आया था अभी..
अंकुश - क्या बोली?
नीतू - पूछ रही थी तेरा भाई अच्छा लगता है.. बॉयफ्रेंड बनेगा क्या? तुझे पसंद करती है वकील साहिबा..
अंकुश मुस्कुराते हुए - फिर तूने उसे बताना नहीं मुझे सिर्फ मेरी बहन पसंद है..
नीतू हसते हुए - क्या बताती? कि मेरा भाई बहनचोद है.. उसे बिस्तर मे सिर्फ उसकी बहन ही अच्छी लगती है..
अंकुश - वैसे तुझे जलन तो हुई होगी वकील साहिबा से.. सच बताना..
नीतू - जलन? मेरा तो मन किया साली के बाल पकड़ कर दो थप्पड़ लगा दूँ.. मेरे अक्कू पर नज़र रखती है कमीनी..
अंकुश - उफ्फ्फ मेरी झासी कि रानी.. एक बार घर चल.. आज रात तुझे सोने नहीं दूंगा..
नीतू मुस्कुराते हुए - सिर्फ एक कंडोम बचा हुआ है पैकेट में.. रातभर जगाना है तो और लगेंगे..
अंकुश - वो सब मैं देख लूंगा.. इतनी प्यारी लग रही है ना काले सूट में.. मन कर रहा है यही शुरू हो जाऊ..
नीतू हसते हुए - पहले खाना खा ले.. चल.. और वकील साहिबा ने कुछ और भी कहा था..
अंकुश - क्या?
नीतू - जोगिंदर मेरी शर्त मान गया है.. समझौता करना चाहता है.. 13 तक देने को तैयार है..
अंकुश - ती तू क्या चाहती है?
नीतू - क्या चाहूंगी? पैसे ले लुंगी और क्या? तुझे अपना काम शुरू करने के लिए जरुरत भी तो थी पैसो की.. तूने कहा था ना तुझे नोकरी नहीं करनी..
अंकुश - मुझे पैसे देगी?
नीतू - क्यों बड़ी बहन हूँ तेरी.. और होने वाली बीवी भी.. इतनी मदद कर ही सकती हूँ..
अंकुश - लगता है आज रात पलंग टूटने वाला है.. कल फिर से ठीक करवाना पड़ेगा..
नीतू हसते हुए - गद्दा फर्श पर डाल लुंगी.. बार बार पलंग कैसे टूट जाता है मम्मी पूछती है तो जवाब देते नहीं बनता..
अंकुश - साफ साफ बोल दिया कर ना.. भाई बहन के प्यार मे पलंग को नुक्सान तो होगा ही..
नीतू मुस्कुराते हुए - कमीने.. अब चल..
अंकुश नीतू खाना लेकर वापस अपनी माँ गोमती के पास आ जाते है और खाना खाने लगते है..
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हनी.. हनी..
क्या हाल है अक्कू.. नमस्ते आंटी.. कैसी हो नीतू
दीदी?
गोमती - नमस्ते बेटा..
नीतू - क्या बात है हनी.. कहा गायब थे अब तक? दिखे नहीं..
सूरज - काम में बिजी था.. किसी से नहीं मिल पाया..
अंकुश - हीरो लग रहा है सूट में.. अच्छा है.. तुझे टीशर्ट लोवर में देख देख मुझे टीशर्ट लोवर से नफरत हो गई थी..
सूरज - देखो बोल कौन रहा है.. सज धज के तू भी ऐसे आया है जैसे तेरी सगाई हो..
अंकुश नीतू को देखकर - मेरी दुल्हन तो तैयार है.. चाहु तो विनोद भईया के साथ साथ मैं भी सगाई कर सकता हूँ.. वैसे बिल्ला पूछ रहा था तेरे बारे में..
सूरज - कहा है वो?
अंकुश - थोड़ी देर पहले यही था नज़मा भाभी के साथ.. वो रहा.. आइसक्रीम वाली स्टाल के पास..
सूरज - ठीक है अक्कू मैं मिलके आता हूँ..
अंकुश - ठीक है ब्रो. वैसे खाना अच्छा बनाया है तेरे साले ने..
सूरज हसते हुए - साथ में नेहा भाभी थी ना..
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क्या हाल है बिल्ले..
बस हनी..
सूरज - खाना हो गया?
बिलाल - हाँ.. तेरी भाभी को आइसक्रीम पसंद है तो आइसक्रीम खाने यहां आ गए..
सूरज - अच्छा है.. भईया भाभी से मिले ना..
बिलाल - हाँ.. आते ही मिले थे.. अब तो जा ही रहे थे.. तुझे फ़ोन भी क्या पर तूने उठाया नहीं..
सूरज - भाई कई लोगों ने फ़ोन किया था पर साइलेंट था इसलिए उठा नहीं पाया किसी का भी..
नज़मा - सूट में बहुत प्यारे लग रहे हो भाईजान..
सूरज नज़मा को देखकर - शुक्रिया भाभी..
बिलाल - अच्छा तुम दोनों बात करो मैं बाथरूम जाकर आता हूँ..
बिलाल चला जाता है नज़मा सूरज को आइसक्रीम खाने को कहती है तो सूरज नज़मा के होंठो पर लगी हलकी सी आइसक्रीम अपनी ऊँगली से इधर उधर देखकर खाते हुए कहता है - भाभी बिलाल से कहना मैं तैयार हूँ.. बस ये बात किसी को पता ना चले..
नज़मा शरमाते हुए - शुक्रिया भाईजान..
सूरज - भाभी भाईजान मत बोलो प्लीज..
नज़मा शरमाते हुए नज़र झुका लेती है और कहती है - तो क्या कहु आपको..
सूरज - सूरज कहो ना भाभी.. आपके गुलाबी होंठो से अच्छा लगेगा सुनने में..
नज़मा इस बार कुछ नहीं बोलती और चुपचाप खड़ी रहती है जब तक बिलाल नहीं आ जाता.. और बिलाल आने के बाद सूरज कहता है - बिल्ले.. मैं बाकी लोगों से मिल लेता हूँ..
बिलाल - ठीक है हनी.. अब हम चलते है.. बहुत सही फंक्शन हुआ है..
सूरज - मैं किसी से कह दू छोड़ने के लिए?
बिलाल - अरे पास में ही तो घर है.. चलके चले जाएंगे.. चल ठीक है भाई..
सूरज - ठीक है बिल्ले.. भाभी का ख्याल रखना..
नज़मा - आप अपना ख्याल रखना भाईजान..
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सूरज बिल्ले के पास से जब वापस आने लगता है तो कोई उसका हाथ पकड़ लेता है और कहता है - बड़ी जल्दी में हो.. कहाँ जा रहे हो?
सूरज मुड़कर किसीका चेहरा देखता है फिर कहता है - कैसी हो दी... काकी कैसी हो?
बरखा - तुम तो घर छोड़ने के बाद गायब ही हो गए.. मिलने भी नहीं अपनी दीदी से.. और माँ बता रही थी तुम्हरी करतूतों के बारे में.. बहुत बिगड़ गए हो मेरे जाने के बाद..
हेमलता - आज पहली बार अच्छे कपड़ो में देखा है.. तु तो कोई फ़िल्मी हीरो लगता है हनी..
बरखा - वो तो है माँ.. बस आदत थोड़ी खराब इसकी..
सूरज मुस्कुराते हुए - काकी आप बहुत अच्छी लग रही हो इस शाडी में.. काका को तो दौरा आ गया होगा..
हेमलता - देखा बरखा.. तेरा स्टूडेंट की कैसे केची की तरह जुबान चलने लगी है..
बरखा सूरज के होंठ पकड़कर - लगता है माँ... जबान कुतरनी पड़ेगी इसकी..
सूरज मुस्कुराते हुए - दी.. अब मुझे डंडे से डर नहीं लगता..
बरखा - थप्पड़ से तो लगता है ना.. इस चाँद से चेहरे पर ग्रहण लगा दूंगी बच्चू..
सूरज हसते हुए - काका कहा है?
हेमलता - ये तू बता.. कहा है वो..
सूरज - मुझे क्या पता? उस रात के बाद मैंने बात भी नहीं की काका से..
हेमलता - अगर पता चला वो तेरे साथ है तो सुमित्रा से तेरी शिकायत कर दूंगी.. याद रखना..
सूरज - आपकी कसम काकी उस रात के बाद नहीं मिला बंसी काका से.. दी.. सच में..
बरखा - ठीक है हम जा ही रहे थे..
सूरज - इतनी जल्दी?
बरखा - साढ़े नो बजने वाले है.. आठ बजे के आये हुए थे.. सब से मिल लिया.. एक तू बाकी था बस..
सूरज - मैं घर छोड़ देता हूँ..
बरखा - रहने दे मैं स्कूटी लाई हूँ.. तू अपना ख्याल रख... आज बहुत प्यारा लग रहा है.. किसी नज़र ना लग जाए..
हेमलता - सच कहा बरखा.. हनी एक काला टिका लगा ही ले..
सूरज हसते हुए - काकी काला सूट पहना है और क्या काले की कमी है..
हेमलता - काका मिले तो बोलना काकी घर पर बुला रही है..
सूरज - वो तो आपके डर से ही कहीं गायब होंगे.. आ जाएंगे..
बरखा - अच्छा तू घर आना.. बात करेंगे बैठ कर..
सूरज - ठीक है दी...
बरखा और हेमलता भी चले जाते है सूरज स्टेज की तरफ देखता जहाँ से एक नज़रे सीधा उसे खा जाने वाली नज़रो से देखने लगती है..
सूरज देखता है कि गरिमा उसे ही देखे जा रही थी और वो खा जाने वाली आँखों से ही देख रही थी.. गरिमा दो घंटे से स्टेज पर थी अंगूठी की रस्म हो चुकी थी.. और सूरज अब तक गरिमा से नहीं मिला था.. सूरज नज़र बचाकर वहा से कहीं चला जाता है.. गरिमा फिर से सामने की भीड़ में उसे तलाश करने लगती है.. गरिमा का मन अव्यवस्थित था वो मन ही मन सूरज पर गुस्सा कर रही थी और सोच रही थी कि सूरज अब तक उसे मिलने क्यों नहीं आया..
सूरज का लंड फिर से खड़ा होने लगा था और वो समझ नहीं पास रहा था कि उसका क्या करें? सूरज खड़े लंड के साथ किसी से नहीं मिल सकता था.. उसने एक बार अपने लंड को हिलाने की सोची मगर फिर उसकी नज़र किसी पड़ी तो उसे गुस्से से देखने लगा और उसकी ओर बढ़ गया..
क्या हुआ देवर जी.. कुछ परेशान हो आप..
भाभी मेरे साथ चलो..
कहा ले जाओगे देवर जी अपनी भाभी को?
चलो ना..
सूरज रचना को अपने साथ गार्डन के एक होने में बनी तीन मंज़िला बिल्डिंग में ले जाता है जहाँ हर मंज़िल पर 4 कमरे थे..
सूरज तीसरी मंज़िल के लास्ट वाले कमरे में रचना को ले आता है ओर दरवाजा बंद होते ही रचना कहती है..
देवर जी घोड़ी नहीं बनुँगी.. अब भी दर्द और जलन है..
आप पर गुस्सा आ रहा है भाभी.. देखो बार बार खड़ा हो रहा है.. अब शांत करो इसको..
कर देती हूं देवर जी.. ये कहते हुए रचना सूरज के लंड को बाहर निकालकर मुंह भर लेटी है ओर जोर जोर से चूसने लगती है.. सूरज रचना को देखकर अब उसके अपनी भाभी होने का ख्याल ओर जो वो कर रहा है ये सब गलत होने का ख्याल छोड़ देता है.. सूरज कामुकता से भर जाता है ओर रचना के बाल पकड़ कर उसके मुंह में झटके मार मार कर उसका मुंह चोदने लगता है..
कुछ देर रचना का मुंह चोदकर सूरज रचना को पीछे धकेल देता है ओर ब्लाउज को खोलने लगता है..
देवर जी बहुत दूध है मेरे बोबो में.. चूसके ख़त्म कर दो.. बच्चे के लिए भी मत छोड़ना देवर जी..
सूरज जैसे ही रचना का ब्लाउज ओर ब्रा उतारता है उसके सुडोल उठे हुए मोटे चुचे देखकर उनपर टूट पड़ता है ओर चूसने लगता है मगर उसे रचना के बूब्स पर एक टट्टू ओर तिल का निशान दीखता है तो उसे ऐसा लगता है की ऐसा निशान कहीं देखा है..
सूरज रचना का बोबा पकड़ कर ठीक से वो सब देखने लगता है फिर अपना फ़ोन निकाल कर कुछ देखता है..
क्या हुआ देवर जी क्या देख रहे हो.. आओ ना चुसो मेरे चुचे.. चुत में खुजली हो रही है मिटा दो देवर जी..
सूरज फ़ोन दिखा कर - ये आप ही हो ना भाभी..
रचना फ़ोन में कुछ देखकर - हनी ये..
सूरज रचना का चुचा पकड़ कर - झूठ मत बोलना भाभी.. आपका ये टट्टू ओर तिल दोनों मिल रहे है.. मास्क लगा के इंटरनेट ये सब कर रही हो आप..
रचना सूरज का लंड पकड़ के अपनी चुत में घुसाती हुई - मैं ही हूँ देवर जी.. ओर तुम शकल से तो बड़े सीधे लगते हो मगर ये सब भी देखते हो..
सूरज रचना की चुत में एक जोरदार झटका मारके अपना लंड घुसा देता है ओर रचना की अह्ह्ह निकल जाती है..
रचना सूरज को अपनी बाहों में खींचकर - आराम से देवर जी.. गुस्सा थूक दो..
हलके हलके चोदते हुए - कहा थूकू गुस्सा भाभी..
मेरे मुंह में थूक दो ना देवर जी.. लो.. आ..
सूरज रचना के मुंह में थूक देता है और पूछता है - नीलेश भईया जानते है इस बारे में कि आप इंटरनेट ओर ये सब करती हो?
हाँ.. वो सब जानते है देवर जी.. ये सब उनका ही किया धरा है.. अपनी कमाई पूरी नहीं पड़ती इसलिए मुझसे ये सब करवाते है..
बुआ?
अह्ह्ह.. उनसे मत कहना हनी.. वो नहीं जानती.. हनी.. थोड़ा तेज़ करो ना..
सूरज स्पीड बढ़ा देता है और झटके मारते हुए रचना के मुंह और गर्दन को अच्छे से चूमता चाटता है..
मुझे पता होता कि तुम बिस्तर में इतने अच्छे हो तो मैं कब कि तुमको अपना बना लेती देवर जी.. अह्ह्ह.. गुस्सा तो नहीं हो ना अपनी भाभी पर..
सूरज लंड निकालकर - गुस्सा तो बहुत हु भाभी आप पर.. मगर आपकी प्यारी प्यारी बातो से गुस्सा ठंडा हो जाता है.. भाभी घोड़ी बनो..
नहीं.. तुम गांड मारने लग जाओगे.. पहले ही दर्द हो रहा है..
अरे नहीं मारूंगा भाभी.. चलो बनो जल्दी..
पक्का ना देवर जी..
सूरज रचना कि कमर पकड़कर घोड़ी बनाता हुआ - पक्का भाभी..
रचना - आपका फ़ोन आ रहा है..
सूरज चुत में लंड पेलकर - किसका है उठा कर स्पीकर पर डाल दो भाभी..
रचना वैसा ही करती है..
सूरज हलके हलके झटके मारते हुए - हेलो..
कहाँ है बेटू? क्या कर रहा है?
कुछ नहीं माँ.. यही था..
तो कब से तुझे ढूंढ़ रही हूँ.. स्टेज पर आजा.. फॅमिली फोटोज खिचवानी है..
माँ थोड़ा वक़्त लगेगा.. जरुरी काम है एक..
ऐसा क्या जरुरी काम है तुझे हनी.. जल्दी आ..
माँ आ रहा हूँ थोड़ी देर में.. फ़ोन रख दो..
सूरज ये कहकर रचना के बाल पकड़ के तेज़ झटके मारने लगा तो रचना के मुंह अह्ह्ह.. आराम से.. मार डालोगे क्या? की आवाज निकल गई और फ़ोन कटने से पहले सुमित्रा ने रचना की ये बात सुन ली.. जिससे वो समझ गई सूरज क्या कर रहा है.. सुमित्रा एक दम से कामुक हो गई और सूरज और उस लड़की के बारे में सोचने लगी जिसकी आवाज उसने फ़ोन पर सुनी थी.. सुमित्रा नहीं जानती थी कि वो लड़की कौन है मगर उसे इतना पता चल गया था की सूरज किसी लड़की को चोद रहा है..
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