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Incest घर की मोहब्बत

Danny69

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Update 11




अंकुश नीतू और गोमती के साथ दोपहर 1 बजे गाँव पहुंच गया और उसके बाद नानाजी के अंतिम कार्य में हिस्सा लेकर शाम को मामा के घर की छत पर टहल रहा था तभी नीतू वहा आ गई और अंकुश से बोली - क्या हुआ अक्कू.. अकेला छत पर क्यों घूम रहा है?

अंकुश - बस ऐसे ही यार.. सालों बाद यहां आया हूँ.. छत से गाँव देख रहा था.. बहुत बदल गया है..

नीतू - ये सब छोड़ नीचे चल.. दोनों मामाओ के बीच संग्राम छिड़ा हुआ है.. बस हाथपाई होने ही देर है..

अंकुश - लालची है दोनों.. बाप को मारे एक दिन नहीं हुआ और जमीन जायदाद के लिए लड़ने लगे.. माँ कहा है?

नीतू - कहा होंगी? नीचे सब देख रही है.. चल खेतो की तरफ चल के आते है..

अंकुश - यार बस में आने से पहले ही थक गया.. ऊपर से 3 घंटे वहा क्रियाकर्म में लग गए.. बहुत थक गया हूँ..

नीतू अंकुश का हठ पकड़ कर ले जाते हुए - मैं उतारती हूँ ना तेरी थकान.. चल..

अंकुश - यार नीतू छोड़.. गाँव है..

नीतू आँख दिखाते हुए - पता है.. ज्यादा नाटक मत कर चल..

नीतू अंकुश को खेतो की तरफ ले जाती है जहाँ बड़ी बड़ी फसल उगी हुई होती है और हरियाली ही हरयाली चारो तरफ दिखाई देती है.. नीतू नहर की तरफ अंकुश को ले आती है और उसी के पास मामा के खेत में जहाँ बड़ी बड़ी फसल उगी हुई थी उनके बीच से अंदर आकर एक छोटी सी जगह में अंकुश को बैठाते हुए उसकी गोद में बैठ जाती है..

नीतू अपनी कुर्ती उतारकार एक तरफ रख देती है और ब्रा ऊपर सरकाते हुए अंकुश के मुंह में अपना चुचा देकर कहती है.. - पिले अक्कू.. बहन का बोबा चूसने से थकान कम हो जायेगी..

अंकुश चुचे के चुचक को मुंह में लेकर चूसते हुए - नीतू तू मरवायेगी किसी दिन..

नीतू हसते हुए - मरवाने ही तो आई हूँ अक्कू.. पहले जी भरके मेरे दूध चूस ले फिर चुत भी दूंगी मैं अपने भाई को.. मारेगा ना अपनी बहन की चुत?

अंकुश - चुत तो रोज़ ही देती है बहन.. कभी गांड भी दे..

नीतू मुस्कुराते हुए - गांड की सील सुहागरात को तोडना.. जब शादी के बाद दुल्हन बनकर तेरे लिए दूध का गिलास लेकर आउंगी मैं..

अंकुश नीतू के बोबे मुंह में भर भर के चूसते हुए - इतने साल से सुहागरात सुहागदीन सुहागशाम सुहागसुबह सब मना रहे है.. अब भी शादी की जरुरत है?

नीतू - पहली बार जब तूने मेरे साथ ये सब किया था ना.. तभी से तेरे साथ शादी के सपने देख रही हूँ मैं.. कमीने अगर अपनी बात से पलटा ना तू तो देख लेना.. तेरा सामान ही काट दूंगी मैं..

अंकुश - मैंने किया था या तू खुद करवाने आई थी मेरे पास? क्या कहा था?अक्कू.. अक्कू.. मूझे गर्मी लग रही है.. चुत्तड़ और चुचे ऐसे हिला रही थी मेरे आगे जैसे धंधे वाली हो..

नीतू - तू कोनसा कम था? मैंने इशारा क्या किया तूने तो उस रात रगड़ के रख दिया था.. कच्ची चुत थी.. 4 दिन तक सुज्जी रही थी बेचारी..

अंकुश मुस्कुराते हुए - मैंने कहा था मुझसे अपनी सील तुड़वाने के लिए? अब तेरे जैसी हसीन लड़की मिलेगी तो दिल कैसे काबू मे रहेगा?

नीतू अंकुश की पेंट खोलकर लंड पकड़ते हुए - कुत्ते इतना प्यार करती हूँ तुझसे.. फिर भी सारा दोष मूझे ही देता है जैसे खुद दूध का धुला हुआ हो..

अंकुश प्यार से - अच्छा सॉरी बहना.. जब तू रूठती है तो बहुत प्यारी लगती है..

नीतू लंड मुंह में लेकर चुसती हुई - भोस्डिके ज्यादा मस्का मत लगा.. छोटा भाई है इसलिए तुझे प्यार से रखती हु.. बड़ा होता तो बहुत सताती तुझे..

अंकुश नीतू के बाल पकड़कर लंड चुसवाते हुए - नीतू एक भाई को दुनिया में सबसे बेस्ट फिलिंग पता है कब आती है? जब उसकी सगी बहन उसे blowjob देती है.. तू जब मेरा ऐसे चुस्ती है ना.. मन करता है तुझे दुनिया की सारी ख़ुशीया लाकर दे दू..

नीतू मुंह से लंड निकालकर अपनी पज़ामी नीचे करती है और अंकुश के लंड को चुत में लेती हुई अंकुश को चूमकर लंड पर उछलती हुई कहती है - बहन को पता है कब आती है सबसे अच्छी फिलिंग? जब वो अपने सगे भाई के लंड को चुत में लेकर उस पर उछलती है...

नीतू लंड पर गांड हिलाते हुए अंकुश को चूमती है और कुछ देर बाद अंकुश नीतू की चुत में डिस्चार्ज हो जाता है.. तभी नीतू के फ़ोन पर गोमती का फ़ोन आता है जिसे नीतू उठती हुई बोलती है..
नीतू - हेलो माँ..

गोमती - अरे तुम दोनों भाई बहन की रासलीला ख़त्म हो गई हो तो आ जाओ.. वापस भी चलना है.. आज की आखिरी बस थोड़ी देर में आने वाली है..

नीतू मुस्कुराते हुए अंकुश को देखकर फोन काटते हुए - आ रहे है..

अंकुश - क्या हुआ? मम्मी क्या कह रही थी?

नीतू अपने कपड़े पहनते हुए - पूछ रही थी अक्कू की थकान उतरी या नहीं..

अंकुश कपड़े पहनते हुए - सच बता?

नीतू - और क्या मैं झूठ बोलूंगी? उनको पता है हम दोनों क्या गुल खिला रहे है..

अंकुश - मना किया था ना यार नीतू.. पता नहीं क्या सोच रही होंगी माँ हमारे बारे में.. चल..

नीतू हसते हुए - यही सोच रही होगी कि दोनों भाई बहन में कितना प्यार है..

अंकुश नीतू के साथ वापस मामा के घर आ जाता है और अपनी माँ गोमती और नीतू को लेकर शाम 7 बजे की बस में वापस उदयपुर आने के लिए चढ़ जाते है.. बस में अंकुश कंडक्टर से - भाई तीन उदयपुर बस स्टैंड..

कंडक्टर - लो.. भाईसाब...

अंकुश - सीट कोनसी है?

कंडक्टर - भाईसाब अभी एक सीट खाली थोड़ी देर ऊपर स्लीपिंग कोच में बैठ जाओ.. आगे सीट खाली तब नीचे आ जाना..

गोमती अंकुश से - मेरी कमर में दर्द है मैं बैठ रही हूँ.. तुम दोनों ऊपर बैठ जाओ..

नीतू गोमती की बात सुनकर दंग रह गई उसे पता था कि गोमती जानती है कि स्लीपिंग कोच में पूरी प्राइवेसी होती है और वहा अंकुश और नीतू कुछ भी कर सकते है फिर भी गोमती बिना झिझके उन्हें ऊपर स्लीपिंग कोच में भेज रही थी..

नीतू ने अंकुश का हाथ पकड़ा और इशारे से ऊपर स्लीपिंग कोच में आने को कहा.. अंकुश ने भी गोमती के सीट पर बैठने के बाद नीतू के पास स्लीपिंग कोच में आ गया और नीतू ने स्लीपिंग कोच का शीशा और पर्दा लगाकर सीधे अंकुश को अपनी बाहों में ले लिए और चूमना शुरु कर दिया.. अंकुश भी नीतू के होंठों का पूरा रस पी जाने कि नियत से उसे चुम रहा था और इसके साथ नीतू के बूब्स और गांड को भी अपने हाथों से मसलकर दबाते हुए नीतू के बदन का मज़ा लूट रहा था..

गोमती नीचे सीट बैठी हुई सोच रही थी कि अगर नीतू और अंकुश दोनों पति पत्नी कि तरह रहना चाहते है तो वो उन दोनों को नहीं रोकेगी और उनके बीच का रोड़ा नहीं बनेगी..


*****************


कुछ दिन बाद बरखा के मैसेज पर सूरज सपना के घर पहुचा तो शाम के पांच बज रहे थे..

सपना ने दरवाजा खोला और सूरज की शकल देखते ही मुस्कुराते हुए उसका हाथ पकड़कर अंदर खींचते हुए दरवाजा बंद कर दिया और सूरज को अपने बैडरूम में लेजाकर बैठाते हुए कहा - मैग्गी बनाई है खानी है?

सूरज हल्का सा शरमाते हुए - एक्स्ट्रा है तो..

सपना - एक्स्ट्रा तो नहीं है.. पर बरखा ने अभी कॉल करके कहा था तुम आ रहे हो तो अपने लिए बना रही थी फिर सोचा तुम्हारे लिए भी बना दू..

सूरज - आप अकेले रहती हो यहाँ?

सपना रसोई से दो प्लेट में मैग्गी लाते हुए - नहीं..

हस्बैंड भी रहते है मेरे साथ.. बच्चे बोडिंग स्कूल में है..

सूरज - घर अच्छा है आपका..

सपना प्लेट देते हुए - थैंक्स हनी.. लो..

सूरज प्लेट लेते हुए - आपको मेरा नाम पता है?

सपना सूरज के बदल में बैठकर मैग्गी खाते हुए - अब अपने नये नये जवा हुए आशिक का नाम तो मालुम करना ही पड़ेगा..

सूरज भी मेग्गी खाते हुए - बरखा दी ने बताया होगा..

सपना - बरखा से नहीं.. अभी जब तुम बरखा को लेकर जा रहे थे.. तब मैंने बरखा के पीता जी से पूछा था..

सूरज - फिर तो उन्होंने नाम के साथ कुंडली भी बता दी होगी.. वैसे काका लट्टू है आपके ऊपर..

सपना मुस्कुराते हुए - और तुम हनी? तुम्हे में कितनी पसंद हूँ?

सूरज मैग्गी खाते हुए - जितनी काका को हो उससे थोड़ा कम.. आपके नाम की माला जपते है दिन रात काका.. बहुत पसंद करते है आपको..

सपना - पसंद नहीं करते.. हासिल करना चाहते है.. हवस भरी है उनके अंदर.. औरत को कौन किस नज़र से देखता है उसे सब पता होता है..


सूरज मैग्गी खाकर प्लेट देते हुए - थोड़ा पानी मिलेगा?


सपना मुस्कुराते हुए - अभी लाई..


सपना पानी की बोतल लाकर सूरज को डरती है सूरज पानी पीकर बोतल वापस सपना को दे देता है जिसे सपना साइड टेबल पर रख देती है और अलमीरा से कुछ निकाल कर अपने ब्लाउज में रख लेती है और सूरज के पास आकर बैठते हुए कहती है - काका बता रहे थे कोई चिंकी तुम्हारी गर्लफ्रेंड रह चुकी है जिसके साथ तुम छत पर पकडे गए थे.. सच है क्या?


सूरज बिना शरमाए - काका भी ना.. क्या बोलना चाहिए और क्या नहीं.. कुछ नहीं पता उनको..


सपना मुस्कुराते हुए सूरज की टीशर्ट उतारती हुई - मतलब सच है.. चिंकी के साथ तो बहुत बार किया होगा तुमने?


सूरज मुस्कुराते हुए - आप किसीको बताओगी तो नहीं..


सपना - मैं क्यों किसी को कुछ बताने लगी..


सूरज - शादी के बाद भी चिंकी मिलती है मुझसे..


सपना अपनी साड़ी उतारकर रखती हुई - इसका मतलब बिस्तर में अच्छे हो..


सूरज - समझा नहीं..


सपना सूरज की लोवर चड्डी सहित नीचे सरकाकर सूरज का लंड पकड़ते हुए - मतलब मेरे जवान आशिक.. की तेरे इस हथियार में बहुत दम है..


सूरज - अह्ह्ह.. आराम से..


सपना - क्या बात है.. तुम तो सारा मैदान साफ रखते हो.. बालों का नामोनिशान तक नहीं.. तुम्हारी तरह तुम्हारा ये भी बहुत हैंडसम है.. ये कहकर सपना सुरज के लंड को मुंह में लेकर चूसने लगती है..


सूरज - अह्ह्ह.. मुंह से आह निकल जाती है और वो अपना फोन उठाकर उसमे सपना के blowjob का एक वीडियो बनाने लगता है..


सपना गले तक लंड ले ले कर किसी प्रोफेशनल की तरह सूरज को blowjob दे रही थी.. और सूरज मज़े से सपना को लंड चुसवाता हुआ बेड पर मस्त लेटा हुआ मज़े लूट रहा था.. उसने blowjob का वीडियो बनाकर फ़ोन बंद कर दिया और पास में रख दिया..


सपना ने कुछ देर सूरज का लंड मुंह में लेकर पूरा खड़ा कर दिया फिर ब्लाउज में से कंडोम निकालकर सूरज को पहना दिया और अपने पेटीकोट का नाड़ा खोलकर सूरज के लंड के ऊपर आते हुए उसपर बैठ कर लंड को चुत में ले लिया.. सपना ने चड्डी नहीं पहनी थी और सूरज का लंड उसकी चुत ने पच्च करके घुस गया.. सूरज को फील हुआ की सपना की चूत पूरी खुली हुई है और उसे लंड लेने में कोई भी दिक्कत नहीं हो रही बल्कि सपना ने मुस्कुराते हुए सूरज का लंड अपनी चुत में ले लिया है और बड़े मज़े से उसके लंड को चुत में लेकर सपना अपने दोनों हाथ सूरज के सीने पर रखकर अपनी गांड आगे पीछे करते हुए हिल रही है और सूरज को बहुत कामुक नज़रो से देख रही है..


सपना सूरज के दोनों हाथों को अपनी छाती पर रख दिया और प्यार से बोला - चाहो तो मेरा ब्लाउज खोलकर अंदर का सामान देख सकते हो.. मैं नहीं रोकूंगी..


सूरज ने सपना की बात सुनकर उसके ब्लाउज के हुक खोलने की कोशिश की लेकर असफल रहा फिर सपना ने खुद ही हसते हुए अपना ब्लाउज और ब्रा उतार फेंका और अपनी गांड हिलाते हुए झुक कर सूरज के होंठों को बड़ी प्यार से अपने होंठो में लेकर चूमने और चूसने लगी जैसे सूरज कोई बच्चा हो..


सपना ने सूरज को अपने सामने ज्यादा देर टिकने नहीं दिया और थोड़ी देर में सूरज सपना की चुत में झड़ गया और सपना हसते हुए सूरज के होंठों को अपने दांतो से खींचते हुए बोली - हो गए खुश?


सूरज लम्बी लम्बी साँसे लेते हुए मुस्कुराते हुए सपना से शर्माने लगा और सपना ने सूरज के लंड पर से उतरकर उसके लंड से कंडोम उतारकार गाँठ लगा कर डस्टबिन में डाल दिया..


सूरज ने बेड से खड़े होते हुए पूछा - बाथरूम?


सपना ने कमरे में ही पीछे दरवाजे की तरफ इशरत किया और सूरज चड्डी पहन कर बाथरूम में चला गया और मूतते हुए आज सपना की चुदाई कला के आगे जल्दी झड़ जाने के बारे में सोचता हुआ अपने आप पर शर्मिंदा होने लगा.. उसे लगने लगा कि सपना उसे कमजोर मर्द समझ रही होगी और उसके बारे में ना जाने क्या सोच रही होगी.. वही सूरज अभी अभी सपना के बूब्स और उसके बदन की बनावट और कसावट से वाकिफ हुआ था और फिर से सपना को सोचकर कामुक हुआ जा रहा था..


सूरज बाथरूम करके आया तो सपना ने अपने ब्रा पहन ली थी अपने कपड़े हाथ में लिए थे तभी सूरज बोला - आंटी..


सपना बिना सूरज को देखे बोली - हम्म?


सूरज सपना के पास जाकर अपनी चड्डी उतारकर पूरी अकड़ में खड़े लंड को दिखाते हुए बोला - आंटी एक बार और कर सकते है? प्लीज...


सपना जोर से हसते हुए एक नज़र सूरज को देखती है फिर अपनी ब्रा उतारकर बाकी कपड़ो के साथ वही रख देती है और अलमीरा से कंडोम निकालकर फाड़ते हुए सूरज के लंड को मुंह में लेकर 8-10 बार मुंह में आगे पीछे करते हुए गिला करके कंडोम पहना देती है और खुद पीठ के बल बिस्तर में लेटकर सूरज का हाथ पकड़ कर उसे अपने ऊपर खींचते हुए कहती है मुस्कुराकर बोलती है - अब सारी मेहनत तुम करो.. मैं कुछ नहीं करने वाली..


सूरज मुस्कुराते हुए - डोन्ट वॉरी आंटी.. आपने मुझे खुश किया.. अब मेरी बारी..


ये कहते हुए सूरज सपना की चुत में लंड पेल देता है फिर पूरा जोर लगाकर झेटके पर झेटके मारते हुए सपना की रेल बनाता है उससे सपना पूरी तरह प्रभावित होकर कामुक सिसकारियों के साथ सूरज को उसकी मर्दानगी का सर्टिफिकेट उसे दे देती है..


सपना आँख बंद करके और टाँगे चौड़ी करके लेटी हुई थी.. वही सुरज मिशनरी पोज़ में सपना की फटी हुई चुत से उसका कामरस निकलवाने में सफल रहता है सपना झड़ चुकी थी और उसे विश्वास नहीं हो रहा था सूरज ने उसे झड़ने पर मजबूर कर दिया है.. सपना को बहुत सालों बाद किसी से ऐसा सुख मिला था और वो सूरज को अब और प्यार से देखने और खुश करने की कोशिश करने लगी थी..



सूरज सपना के झड़ने के बाद भी लगातार उसकी चुत में झटके पर झटके मारे जा रहा था.. सपना सूरज को खींचकर बाहों में भर लिया और चूमते हुए कहा - घुड़सावारी का शौख है मेरे जवाँ आशिक को?



सूरज ने मुस्कुराते हुए हाँ में सर हिला दिया और सपना सुरज के आगे घोड़ी बन गई.. सपना की मोटी गांड देखकर सूरज से रहा ना गया और वो बिना सपना के बोले उसकी गांड पकड़कर उसकी चुत में लंड पेलकर सपना को चोदने लगा और इसी बीच उसने वापस एक वीडियो बनाया दोनों की चुदाई का..


सपना - अह्ह्ह.. हनी..


सूरज चोदते हुए - हाँ आंटी?


सपना - बेटा लगता है कंडोम फट गया.. रुको मैं दूसरा पहनती हूँ..


सूरज चोदते हुए - ऐसे ही रहने दो ना आंटी..



सपना - ठीक है हनी.. बस अंदर नहीं निकालना..


सूरज - ओके आंटी..


सूरज पूरी जोश ओ खरोश के साथ सपना की चुत मारने लगा और कुछ देर बाद सपना वापस कामुकता की सीढ़िया चढ़ते हुए शिखर पर पहुंच गई और झड़ने को हो गई.. वही सूरज अब भी हथियार पकडे डटा हुआ था.. सपना झड़ी तो सूरज को लगा कि उसने जीत हासिल कर ली है और अब वो अपनी नज़रो में वापस उठ चूका है..


सपना ने झड़ने के बाद कहा - हनी.. बेबी अंदर मत निकालना..


सूरज - आंटी निकलने वाला है.


सपना ने सूरज का लंड चुत से निकाल दिया और फटा हुआ कंडोम हटाकर लंड सीधे मुंह में लेकर blowjob देने लगी और सूरज सपना को blowjob करते हुए देखकर और उसका सुख अनुभव करके काम की आखिरी हद तक पहुंच गया और थोड़ी सी देर में ही सपना के मुंह में झड़ गया..


सपना ने सूरज को प्यार से देखते हुए उसका वीर्य गले से नीचे उतार लिया और फिर वापस सूरज के लंड को मुंह में लेकर चाटते चूसते हुए साफ कर दिया..


सूरज ने सपना को अपनी बाहों में भर लिया और सपना की बड़ी बड़ी आँखों में देखते हुए बोला - थैंक्स आंटी..


सपना मुस्कुराते हुए बोली - योर मोस्ट वेलकम बेटा.. अब जल्दी से कपड़े पहनो.. मेरे हस्बैंड के आने का टाइम होने वाला है..


सूरज कपड़े उठाते हुए - ओके आंटी..


सूरज कपड़े पहनकर जब जाने को होता है सपना उसका हाथ पकड़कर दरवाजे पर रोक लेती है और सूरज को डीपली kiss करके कहती है - ये मेरा नम्बर है.. मेरे आशिक को वापस मिलने का मन हो तो कॉल करना..


सूरज मुस्कुराते हुए - ठीक है आंटी..


सपना भी मुस्कुराते हुए - बाय बेबी...


सपना के घर से निकलते निकलते सूरज को रात आठ बज गए थे और वो अब सीधे अपने घर आ गया..


हनी..


हाँ भईया..


हनी मैंने मेरे ऑफिस में बात की है तेरे लिए.. कल तू मेरे साथ चलना इंटरव्यू देने..


ठीक है भईया..


सुमित्रा जयप्रकाश को खाना परोस रही थी और जयप्रकाश परेशान लग रहा था..


क्या हुआ जी? परेशान लगते हो?


हां.. ऑफिस में एक फ़ाइल नहीं मिल रही.. मुझसे शायद कहीं खो गई.. बड़ी जरुरी फ़ाइल थी.. मीटिंग पोसपोन हो गई वरना मेरी तो नोकरी पर बन आती.. मैडम ने कहा है फाइल नहीं मिली तो जिम्मेदारी मेरी होगी और हो सकता है कोई कड़ी करवाई भी हो जाए..


अरे क्यों चिंता करती हो.. आपने कहीं रख दी होगी.. मिल जायेगी.. आप तो वैसे भी भुलक्कड़ हो.. याद करोगे तो मिल जायेगी.. आप पहले खाना खाओ.. देखो आपके पसंद की सब्जी बनाई है.. मैं हनी को भी खाना दे आती हूँ..


सुमित्रा जयप्रकाश के पास से उठकर खाना लेकर हनी के रूम में आ जाती है जहाँ वो देखती है की हनी बाथरूम में नहा रहा था..


हनी... हनी..


बोलो माँ...


बेटू.. इस वक़्त क्यों नहा रहा है?


कुछ नहीं माँ बस ऐसे ही..


मैं खाना लाई थी रखकर जा रही हूँ.. खा लेना बेटू..


ठीक है माँ..


सुमित्रा वापस नीचे आ जाती है और सूरज खाना खाकर बिस्तर में लेट जाता है और उसे आज जल्दी नींद आ जाती है..


सुमित्रा वापस आती है तो देखती है रात के नो ही बजे थे मगर सूरज सो चूका था.. सुमित्रा सूरज के गाल और माथे पर प्यार और ममता से भरा चुम्बन दे देती है फिर खाने की प्लेट अपने साथ नीचे ले जाती है..



सूरज का फोन उसके गद्दे के पास ही पड़ा हुआ था और गरिमा का फ़ोन उसके हाथ में.. सूरज ने गरिमा का कोई मैसेज किया था ना कॉल.. और गरिमा सूरज के massage और कॉल के इंतजार में बैठी थी वो सोच रही थी कि इस बार अगर सूरज ने मैसेज या कॉल किया तो वो झट से उसका रिप्लाई दे देगी और सूरज के माफ़ी मांगते ही उसे माफ़ करके फिर से उससे बात करना शुरु कर देगी.. मगर सूरज को तो जैसे गरिमा का ख्याल ही नहीं था.. एक तरफ सूरज सो रहा था दूसरी तरफ गरिमा जाग रही थी..



************



कहो.. घर चलना है या अब भी मूवी देखना है तुम्हे?


रमन से तितली ने मुस्कुराते हुए पूछा तो रमन ने जवाब दिया - आज नहीं.. रात के 9 बज चुके है..


सुबह से तुमने पुरे शहर में इतना घुमाया है कि अब थकान के मारे नींद आने लगी है..


तितली हसते हुए - अभी तो आधा ही शहर घुमा है.. अभी तो बहुत सी दूकान बाकी है.. अगली बार जब तुम फ्री रहो तो बताना वो भी घुमा दूंगी..


रमन - तुम थकती नहीं हो? घूमने फिरने से..


तितली हसते हुए - मैं तो अभी जवाँ हूँ.. मूझे क्यों थकान होने लगी? मूझे लगता है तुम्हारी उम्र हो गई है.. कितने आलसी हो तुम.. शादी के बाद पता नहीं क्या होगा तुम्हारा?


रमन - क्या उम्र हो गई है? तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे मैं कोई 40-50 साल का हूँ.. डेट ऑफ़ बर्थ मिला लो तुमसे एक दो महीने छोटा ही हूंगा..


तितली गाडी कि रेक से सिगरेट निकाल कर सुलगाते हुए कश लेकर - फिर इतनी जल्दी क्यों थक जाते हो? कितना lazy फील करते हो.. शादी के बाद बीवी को कैसे खुश रखोगे?


रमन - तुम अब पर्सनल हो रही हो..


तितली सिगरेट के कश लेकर - इतनी सी बात में क्या पर्सनल हो गई? शादी नहीं करोगे? साधु महात्मा बनने का इरादा है? चलो अच्छा है.. फिर बन जाओ तो पूरी प्रॉपर्टी मेरी.


रमन मुस्कुराते हुए - कितनी लालची हो ना तुम..


तितली सिगरेट पीती हुई - लालची होना बुरी बात तो नहीं है.. और मैं सुबह से देख रही हूँ तुम बार बार शीशे मे मेरी कमर क्यों देख रहे हो?


रमन हकलाते हुए - मैं.. मैं..मैंने.. कब देखी? मैं तो मिरर में पीछे देख रहा हूँ..


तितली हसते हुए - झूठ बोलना भी नहीं आता तुम्हे.. अपनी मम्मी पर गए हो तुम शायद.. पापा पर जाते तो इतने शरीफ ना होते..


रमन - तुम्हे केसे पता मैं शरीफ हूँ? अभी तुम मूझे जानती भी नहीं ठीक से.. कुछ दिन ही तो हुए है तुम्हे मेरे साथ घूमते..


तितली सिगरेट पीते हुए - मूझे हिमाचल घुमाके ला सकते हो?


रमन - क्यों नहीं? बस तुम प्रॉपर्टी लेने से मना कर दो.. हिमाचल क्या पूरा इंडिया घुमा लाऊंगा..


तितली एक लम्बा सिगरेट का कश लेकर - 45-55 कर सकते है.. बोलो मंज़ूर है?


रमन - 40-60 केसा रहेगा?


तितली सिगरेट का आखिरी कश लेकर सिगरेट को कार का शीशा नीचे करके बाहर फेंकते हुए - ठीक है पर उसके लिए हिमाचल के साथ कश्मीर भी घूमाना पड़ेगा..


रमन मुस्कुराते हुए - कब चलना है?


तितली - जब तुम चाहो..


रमन - कल सुबह निकलते है..


तितली मन में - सच में मूझे पसंद करता होगा क्या? कहा यार? सब नाटक होगा इसका.. कमीना कुछ दिनों में इतना अच्छा लगने लगा है.. आगे पता नहीं क्या होगा?


रमन मन में - कम से कम 60:40 पर तो आई.. और वैसे जितना सोचता था उतनी बुरी भी नहीं है.. घूमने में मज़ा आएगा इसके साथ.. आजतक कमीने दोस्तों के साथ घुमा हूँ.. अब देखता हूँ एक खूबसूरत लड़की के साथ घूमके केसा लगता है..


रमन - ध्यान कहा है? कुछ सोच रही हो?


तितली - नहीं तो..


रमन मुस्कुराते हुए - चलो.. घर आ चूका है..


तितली और रमन घर के अंदर आते है..


शान्ति - भईया खाना बना दू?


रमन - नहीं शान्ति.. आज इतना खिला दिया तुम्हारी दीदी ने कि कल तक भूक नहीं लगेगी..


तितली - शान्ति तुम जाकर सो जाओ..


शान्ति - ठीक है दीदी..


रमन और तितली अपने अपने कमरे में चले जाते है और फिर से पहले वाला ही सीन दोनों कमरे में चलता है रमन सो जाता है और तितली आईने के सामने खड़ी होकर अपनी सूरत देखती हुई रमन के बारे में सोचने लगती है और उसके प्लान के बारे में अंदाजे लगाने लगती है.. इसीतरह वो सोचती हुई देर तक जाग कर सो जाती है..


सुबह होने पर तितली की आँखे देर से खुलती है और

वो जब कमरे बाहर आकर देखती है तो देखती है रमन तैयार होकर कॉफी पीते हुए उसे देख रहा था..


गुडमॉर्निंग..


गुडमॉर्निंग..


शान्ति कहा है?


मैंने छूटी दे दी उसे.. कॉफी पियोगी.. मैंने बनाई है..


तितली कॉफ़ी लेती हुई - कुछ मिलाया तो नहीं ना इसमें.. कहीं मूझे ऑफ़ करके पूरी प्रॉपर्टी हड़प कर लो..


मुझ पर इतना शक करती हो तो मेरे साथ घूमने को क्यों जा रही हो?


पता नहीं.. शायद मैं पागल हूँ जो ऐसे आदमी के साथ घूमने जा रही हूँ जो मूझे बिलकुल भी पसंद नहीं करता..


तुमसे किसने कहा.. मैं तुम्हे नापसंद करता हूँ..


तो क्या पसंद करने लगे हो मूझे?


तुम इतनी भी खूबसूरत नहीं हो कि मैं कुछ दिनों में तुम्हे पसंद करने लगू.. पसंद नापसंद से अलग है कुछ..


अच्छा.. इतनी खूबसूरत नहीं हूँ तो कल छुप छुप के मेरी कमर क्यों देख रहे थे तुम? बोलो?


मैंने जानबूझ कर तो नहीं देखी.. और मेरे देखने से इतनी परेशानी तो ढक कर क्यों नहीं रखी तुमने अपनी कमर?


मेरी कमर.. मूझे ढकनी है या नहीं मेरी मर्ज़ी..


मेरी नज़र.. मुझे क्या देखबात है क्या नहीं मेरी मर्ज़ी.. अच्छा है.. अब जल्दी से तैयार हो जाओ सामान पैक कर लो.. निकलते है..


मूझे तेयार होने में समय लगेगा.. पैकिंग में भी टाइम लगेगा..


एक दिन नहीं नहाने से खूबसूरती फीकी नहीं पड़ जायेगी.. ऐसे ही ठीक लग रही हो तुम.. फ़ोन और कुछ जरुरी सामान ले लो बाकी रास्ते में खरीद लेना..



कहा से खरीद लेना? पैसे कहा है मेरे पास? सब कुछ तो तुम लेके बैठे हो.. मेरा जीना जो हराम करना चाहते थे.. थोड़े बहुत पैसे जमा किये थे वो भी पापा के बाद खर्च हो गए..


अच्छा ये कार्ड रख लो.. जो मर्ज़ी हो खरीद लेना..कोई लिमिट नहीं है.. खुश? अब चलो..


दस मिनट दो मैं आती हूँ...


तितली अंदर रूम में जाकर एक काला सूट पहन लेटी है और बेग में कुछ कपड़े और छोटी मोटी जरुरत का सामान लेकर बाहर आ जाती है रमन उसे लेकर निकल घिमने पड़ता है..


कार चालान आता है ना तुम्हे?


हाँ.. आता है खाली बैठे बैठे यही सब सिख रही थी घर पर..


तब ठीक है.. वैसे एक बात पुछु.. पर्सनल है..


पूछो..


कोई बॉयफ्रेंड नहीं है तुम्हरा?


तुम्हे क्या लगता है? होगा या नहीं?


मुझे कुछ लगता तो तुमसे क्यों पूछता?



और पूछ क्यों रहे हो? लगता है बॉयफ्रेंड बनना चाहते हो.. तभी इतनी इन्क्वायरी कर रहे हो.. वरना तो तुम मेरी तरफ देखते भी नहीं..


नहीं बॉयफ्रेंड नहीं.. हस्बैंड.. बोलो बनाओगी मूझे अपना हस्बैंड?


पैसो के लिए शादी करना चाहते हो?


शादी ही तो कर रहा हूँ किसी का मर्डर तो नहीं कर रहा..


पैसो के लिए कुछ भी कर सकते हो ना?


तुम्हे क्या लगता है?


पता नहीं.. कभी लगता है तुम शरीफ हो कभी लगता है पैसो के लिए पागल.. कुछ समझ नहीं आ रहा तुम्हारा..


तो फिर रहने दो.. समझने की कोशिश मत करो..


सिगरेट ख़त्म हो गई? ला दोगे?


जो कहेगी लाना ही पड़ेगा.. पैसो का सवाल है.. सिगरेट के अलावा कुछ चाहिए तो वो भी बता दो..

फिलहाल बस सिगरेट.. बाकी जो चाहिए होगा बता लुंगी...


ठीक है डॉक्टर साहिबा.. लेके आता हूँ..


रमन कार रोककर एक दूकान से सिगरेट का पैकेट और लाइटर ले आता है..

लो डॉक्टरनी जी.. फुको..


तुम क्यों नहीं पीते? मेरे सामने शर्म आती है?


शर्म और तुमसे? मैं सिर्फ तभी स्मोक करता हूँ जब शराब पीता हूँ..


अच्छा जी? और शराब कब पीते हो?


जब कोई कारण हो पिने का.. पहले अक्सर तुम ही शराब पिने का कारण होती थी..


इतनी नफरत करते हो मुझसे?


पहले करता था.. अब नफरत तो नहीं करता..


वैसे अगर मैंने तुम्हारी बात मान ली और तुमसे शादी कर ली.. तब तुम क्या करोगे?


करना क्या है? जो कर रहा था वही करूंगा.. अपने तरह से जीता रहूंगा..


अगर हाँ करू तो शादी के बाद मूझे शराब सिगरेट पिने से रोकोगे? तुमने कहा था तुम पुरानी सोच के हो.. अपनी बीवी को बेल्ट से मारोगे.. मतलब शादी के बाद मूझ पर हाथ उठाओगे?


हम्म्म्म..... तुम्हे जो करना हो कर लेना.. मैं नहीं रोकूंगा.. बस सारी प्रॉपर्टी मेरे नाम करनी पड़ेगी शादी के लिए.. और कुछ नहीं चाहिए तुमसे?


मतलब तुम मुझसे शादी करके सारी प्रॉपर्टी अपने नाम करवाना चाहते हो और मुझसे ये चाहते हो कि मैं तुम्हारी रखैल बनकर घर में पड़ी थी रहु.. तुम सिर्फ नाम कि शादी करोगे मुझसे.. अच्छा.. अब समझ में आया मूझे तुम्हारा प्लान..


चलो अच्छा है तुम्हे कुछ तो समझ आया.. वैसे मेरा ऑफर बुरा नहीं है सोच लो.. सब तुम्हे मेरे बाप कि रखैल ही मानते है.. सब तुम्हारे साथ टाइमपास करेंगे.. कोई भी लड़का तुम्हारे साथ पूरी लाइफ नहीं बिताने वाला.. कोई शादी करेगा भी तो पैसो के लिए.. अकेला रहना पड़ेगा पूरी जिंदगी.. मुझसे शादी कर लो.. तुम जो करना चाहो तुम्हे पूरी आज़ादी होगी.. मैं कभी किसी चीज से नहीं रोकूंगा.. महंगा सस्ता तुम जो खरीदना चाहो खरीद सकोगी.. जैसे जीना चाहो जी सकती हो.. एक बार सोचना..


तुम मेरी चिंता मत करो.. मैं रह लुंगी अकेली.. ऐसी शादी का क्या फ़ायदा जहाँ प्यार ही ना हो.. और दोनों एक ही कमरे में अलग अलग रहे..

खाना खाना है? आगे एक अच्छा रेस्टोरेंट आने वाला है.. क्या सिखाया था तुमने कल.. वो वाह्ह.. वाली बात.. यहाँ वही है..

ठीक है..



रमन और तितली खाना खाने के बाद आगे के लिए निकाल जाते है दोनों को एकदूसरे इश्क़ होने लगा था मगर दोनों इससे अनजान थे.. तितली को तो इसका आभास होने लगा था मागर रमन पूरी तरह अनजान था..

अबकी बार 100 ❤️ पार पे आएगा
Jabardas Update....
Sapna Aunty na to Honey ko nichod ka rakh diya oh vi apni fati hui, chudi hui, Chuddakar Chut sa....
Or Honey na vi Sapna Aunty ko Chodna ka Sapna pura kar liya....
Ab bas Bansi Kaka or Honey dono milka Sapna Aunty ki Mut nikal da, to maja aa jaya....


Or, Raman or Titli, aa dono vi Bro Sis nikla, Ankush or Nitu ki tarha....
Haaaay daaaaya.....
Kas mera vi koi asi Bahen hoti.....

Honey or Uski Mummy ki jada sa jadar Dirty Conversation, Seduction or Chudai ki Request ha aap sa Moms Baccha ji.....

Jabardas Lajabab Zindabad Update....
Next Update ki intajar rahaga....


Or sara Chuddakar Bhai Bahen Aunty or Mummy logo sa nibedan ha, ki jaldi sa 100 par kara, taki Update jaldi sa da da, humara Gugu Bhai.....

❤❤❤❤❤❤❤👍👍👍👍👍👍🤤🤤🤤🤤🤤🤤
 

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Update 11




अंकुश नीतू और गोमती के साथ दोपहर 1 बजे गाँव पहुंच गया और उसके बाद नानाजी के अंतिम कार्य में हिस्सा लेकर शाम को मामा के घर की छत पर टहल रहा था तभी नीतू वहा आ गई और अंकुश से बोली - क्या हुआ अक्कू.. अकेला छत पर क्यों घूम रहा है?

अंकुश - बस ऐसे ही यार.. सालों बाद यहां आया हूँ.. छत से गाँव देख रहा था.. बहुत बदल गया है..

नीतू - ये सब छोड़ नीचे चल.. दोनों मामाओ के बीच संग्राम छिड़ा हुआ है.. बस हाथपाई होने ही देर है..

अंकुश - लालची है दोनों.. बाप को मारे एक दिन नहीं हुआ और जमीन जायदाद के लिए लड़ने लगे.. माँ कहा है?

नीतू - कहा होंगी? नीचे सब देख रही है.. चल खेतो की तरफ चल के आते है..

अंकुश - यार बस में आने से पहले ही थक गया.. ऊपर से 3 घंटे वहा क्रियाकर्म में लग गए.. बहुत थक गया हूँ..

नीतू अंकुश का हठ पकड़ कर ले जाते हुए - मैं उतारती हूँ ना तेरी थकान.. चल..

अंकुश - यार नीतू छोड़.. गाँव है..

नीतू आँख दिखाते हुए - पता है.. ज्यादा नाटक मत कर चल..

नीतू अंकुश को खेतो की तरफ ले जाती है जहाँ बड़ी बड़ी फसल उगी हुई होती है और हरियाली ही हरयाली चारो तरफ दिखाई देती है.. नीतू नहर की तरफ अंकुश को ले आती है और उसी के पास मामा के खेत में जहाँ बड़ी बड़ी फसल उगी हुई थी उनके बीच से अंदर आकर एक छोटी सी जगह में अंकुश को बैठाते हुए उसकी गोद में बैठ जाती है..

नीतू अपनी कुर्ती उतारकार एक तरफ रख देती है और ब्रा ऊपर सरकाते हुए अंकुश के मुंह में अपना चुचा देकर कहती है.. - पिले अक्कू.. बहन का बोबा चूसने से थकान कम हो जायेगी..

अंकुश चुचे के चुचक को मुंह में लेकर चूसते हुए - नीतू तू मरवायेगी किसी दिन..

नीतू हसते हुए - मरवाने ही तो आई हूँ अक्कू.. पहले जी भरके मेरे दूध चूस ले फिर चुत भी दूंगी मैं अपने भाई को.. मारेगा ना अपनी बहन की चुत?

अंकुश - चुत तो रोज़ ही देती है बहन.. कभी गांड भी दे..

नीतू मुस्कुराते हुए - गांड की सील सुहागरात को तोडना.. जब शादी के बाद दुल्हन बनकर तेरे लिए दूध का गिलास लेकर आउंगी मैं..

अंकुश नीतू के बोबे मुंह में भर भर के चूसते हुए - इतने साल से सुहागरात सुहागदीन सुहागशाम सुहागसुबह सब मना रहे है.. अब भी शादी की जरुरत है?

नीतू - पहली बार जब तूने मेरे साथ ये सब किया था ना.. तभी से तेरे साथ शादी के सपने देख रही हूँ मैं.. कमीने अगर अपनी बात से पलटा ना तू तो देख लेना.. तेरा सामान ही काट दूंगी मैं..

अंकुश - मैंने किया था या तू खुद करवाने आई थी मेरे पास? क्या कहा था?अक्कू.. अक्कू.. मूझे गर्मी लग रही है.. चुत्तड़ और चुचे ऐसे हिला रही थी मेरे आगे जैसे धंधे वाली हो..

नीतू - तू कोनसा कम था? मैंने इशारा क्या किया तूने तो उस रात रगड़ के रख दिया था.. कच्ची चुत थी.. 4 दिन तक सुज्जी रही थी बेचारी..

अंकुश मुस्कुराते हुए - मैंने कहा था मुझसे अपनी सील तुड़वाने के लिए? अब तेरे जैसी हसीन लड़की मिलेगी तो दिल कैसे काबू मे रहेगा?

नीतू अंकुश की पेंट खोलकर लंड पकड़ते हुए - कुत्ते इतना प्यार करती हूँ तुझसे.. फिर भी सारा दोष मूझे ही देता है जैसे खुद दूध का धुला हुआ हो..

अंकुश प्यार से - अच्छा सॉरी बहना.. जब तू रूठती है तो बहुत प्यारी लगती है..

नीतू लंड मुंह में लेकर चुसती हुई - भोस्डिके ज्यादा मस्का मत लगा.. छोटा भाई है इसलिए तुझे प्यार से रखती हु.. बड़ा होता तो बहुत सताती तुझे..

अंकुश नीतू के बाल पकड़कर लंड चुसवाते हुए - नीतू एक भाई को दुनिया में सबसे बेस्ट फिलिंग पता है कब आती है? जब उसकी सगी बहन उसे blowjob देती है.. तू जब मेरा ऐसे चुस्ती है ना.. मन करता है तुझे दुनिया की सारी ख़ुशीया लाकर दे दू..

नीतू मुंह से लंड निकालकर अपनी पज़ामी नीचे करती है और अंकुश के लंड को चुत में लेती हुई अंकुश को चूमकर लंड पर उछलती हुई कहती है - बहन को पता है कब आती है सबसे अच्छी फिलिंग? जब वो अपने सगे भाई के लंड को चुत में लेकर उस पर उछलती है...

नीतू लंड पर गांड हिलाते हुए अंकुश को चूमती है और कुछ देर बाद अंकुश नीतू की चुत में डिस्चार्ज हो जाता है.. तभी नीतू के फ़ोन पर गोमती का फ़ोन आता है जिसे नीतू उठती हुई बोलती है..
नीतू - हेलो माँ..

गोमती - अरे तुम दोनों भाई बहन की रासलीला ख़त्म हो गई हो तो आ जाओ.. वापस भी चलना है.. आज की आखिरी बस थोड़ी देर में आने वाली है..

नीतू मुस्कुराते हुए अंकुश को देखकर फोन काटते हुए - आ रहे है..

अंकुश - क्या हुआ? मम्मी क्या कह रही थी?

नीतू अपने कपड़े पहनते हुए - पूछ रही थी अक्कू की थकान उतरी या नहीं..

अंकुश कपड़े पहनते हुए - सच बता?

नीतू - और क्या मैं झूठ बोलूंगी? उनको पता है हम दोनों क्या गुल खिला रहे है..

अंकुश - मना किया था ना यार नीतू.. पता नहीं क्या सोच रही होंगी माँ हमारे बारे में.. चल..

नीतू हसते हुए - यही सोच रही होगी कि दोनों भाई बहन में कितना प्यार है..

अंकुश नीतू के साथ वापस मामा के घर आ जाता है और अपनी माँ गोमती और नीतू को लेकर शाम 7 बजे की बस में वापस उदयपुर आने के लिए चढ़ जाते है.. बस में अंकुश कंडक्टर से - भाई तीन उदयपुर बस स्टैंड..

कंडक्टर - लो.. भाईसाब...

अंकुश - सीट कोनसी है?

कंडक्टर - भाईसाब अभी एक सीट खाली थोड़ी देर ऊपर स्लीपिंग कोच में बैठ जाओ.. आगे सीट खाली तब नीचे आ जाना..

गोमती अंकुश से - मेरी कमर में दर्द है मैं बैठ रही हूँ.. तुम दोनों ऊपर बैठ जाओ..

नीतू गोमती की बात सुनकर दंग रह गई उसे पता था कि गोमती जानती है कि स्लीपिंग कोच में पूरी प्राइवेसी होती है और वहा अंकुश और नीतू कुछ भी कर सकते है फिर भी गोमती बिना झिझके उन्हें ऊपर स्लीपिंग कोच में भेज रही थी..

नीतू ने अंकुश का हाथ पकड़ा और इशारे से ऊपर स्लीपिंग कोच में आने को कहा.. अंकुश ने भी गोमती के सीट पर बैठने के बाद नीतू के पास स्लीपिंग कोच में आ गया और नीतू ने स्लीपिंग कोच का शीशा और पर्दा लगाकर सीधे अंकुश को अपनी बाहों में ले लिए और चूमना शुरु कर दिया.. अंकुश भी नीतू के होंठों का पूरा रस पी जाने कि नियत से उसे चुम रहा था और इसके साथ नीतू के बूब्स और गांड को भी अपने हाथों से मसलकर दबाते हुए नीतू के बदन का मज़ा लूट रहा था..

गोमती नीचे सीट बैठी हुई सोच रही थी कि अगर नीतू और अंकुश दोनों पति पत्नी कि तरह रहना चाहते है तो वो उन दोनों को नहीं रोकेगी और उनके बीच का रोड़ा नहीं बनेगी..


*****************


कुछ दिन बाद बरखा के मैसेज पर सूरज सपना के घर पहुचा तो शाम के पांच बज रहे थे..

सपना ने दरवाजा खोला और सूरज की शकल देखते ही मुस्कुराते हुए उसका हाथ पकड़कर अंदर खींचते हुए दरवाजा बंद कर दिया और सूरज को अपने बैडरूम में लेजाकर बैठाते हुए कहा - मैग्गी बनाई है खानी है?

सूरज हल्का सा शरमाते हुए - एक्स्ट्रा है तो..

सपना - एक्स्ट्रा तो नहीं है.. पर बरखा ने अभी कॉल करके कहा था तुम आ रहे हो तो अपने लिए बना रही थी फिर सोचा तुम्हारे लिए भी बना दू..

सूरज - आप अकेले रहती हो यहाँ?

सपना रसोई से दो प्लेट में मैग्गी लाते हुए - नहीं..

हस्बैंड भी रहते है मेरे साथ.. बच्चे बोडिंग स्कूल में है..

सूरज - घर अच्छा है आपका..

सपना प्लेट देते हुए - थैंक्स हनी.. लो..

सूरज प्लेट लेते हुए - आपको मेरा नाम पता है?

सपना सूरज के बदल में बैठकर मैग्गी खाते हुए - अब अपने नये नये जवा हुए आशिक का नाम तो मालुम करना ही पड़ेगा..

सूरज भी मेग्गी खाते हुए - बरखा दी ने बताया होगा..

सपना - बरखा से नहीं.. अभी जब तुम बरखा को लेकर जा रहे थे.. तब मैंने बरखा के पीता जी से पूछा था..

सूरज - फिर तो उन्होंने नाम के साथ कुंडली भी बता दी होगी.. वैसे काका लट्टू है आपके ऊपर..

सपना मुस्कुराते हुए - और तुम हनी? तुम्हे में कितनी पसंद हूँ?

सूरज मैग्गी खाते हुए - जितनी काका को हो उससे थोड़ा कम.. आपके नाम की माला जपते है दिन रात काका.. बहुत पसंद करते है आपको..

सपना - पसंद नहीं करते.. हासिल करना चाहते है.. हवस भरी है उनके अंदर.. औरत को कौन किस नज़र से देखता है उसे सब पता होता है..


सूरज मैग्गी खाकर प्लेट देते हुए - थोड़ा पानी मिलेगा?


सपना मुस्कुराते हुए - अभी लाई..


सपना पानी की बोतल लाकर सूरज को डरती है सूरज पानी पीकर बोतल वापस सपना को दे देता है जिसे सपना साइड टेबल पर रख देती है और अलमीरा से कुछ निकाल कर अपने ब्लाउज में रख लेती है और सूरज के पास आकर बैठते हुए कहती है - काका बता रहे थे कोई चिंकी तुम्हारी गर्लफ्रेंड रह चुकी है जिसके साथ तुम छत पर पकडे गए थे.. सच है क्या?


सूरज बिना शरमाए - काका भी ना.. क्या बोलना चाहिए और क्या नहीं.. कुछ नहीं पता उनको..


सपना मुस्कुराते हुए सूरज की टीशर्ट उतारती हुई - मतलब सच है.. चिंकी के साथ तो बहुत बार किया होगा तुमने?


सूरज मुस्कुराते हुए - आप किसीको बताओगी तो नहीं..


सपना - मैं क्यों किसी को कुछ बताने लगी..


सूरज - शादी के बाद भी चिंकी मिलती है मुझसे..


सपना अपनी साड़ी उतारकर रखती हुई - इसका मतलब बिस्तर में अच्छे हो..


सूरज - समझा नहीं..


सपना सूरज की लोवर चड्डी सहित नीचे सरकाकर सूरज का लंड पकड़ते हुए - मतलब मेरे जवान आशिक.. की तेरे इस हथियार में बहुत दम है..


सूरज - अह्ह्ह.. आराम से..


सपना - क्या बात है.. तुम तो सारा मैदान साफ रखते हो.. बालों का नामोनिशान तक नहीं.. तुम्हारी तरह तुम्हारा ये भी बहुत हैंडसम है.. ये कहकर सपना सुरज के लंड को मुंह में लेकर चूसने लगती है..


सूरज - अह्ह्ह.. मुंह से आह निकल जाती है और वो अपना फोन उठाकर उसमे सपना के blowjob का एक वीडियो बनाने लगता है..


सपना गले तक लंड ले ले कर किसी प्रोफेशनल की तरह सूरज को blowjob दे रही थी.. और सूरज मज़े से सपना को लंड चुसवाता हुआ बेड पर मस्त लेटा हुआ मज़े लूट रहा था.. उसने blowjob का वीडियो बनाकर फ़ोन बंद कर दिया और पास में रख दिया..


सपना ने कुछ देर सूरज का लंड मुंह में लेकर पूरा खड़ा कर दिया फिर ब्लाउज में से कंडोम निकालकर सूरज को पहना दिया और अपने पेटीकोट का नाड़ा खोलकर सूरज के लंड के ऊपर आते हुए उसपर बैठ कर लंड को चुत में ले लिया.. सपना ने चड्डी नहीं पहनी थी और सूरज का लंड उसकी चुत ने पच्च करके घुस गया.. सूरज को फील हुआ की सपना की चूत पूरी खुली हुई है और उसे लंड लेने में कोई भी दिक्कत नहीं हो रही बल्कि सपना ने मुस्कुराते हुए सूरज का लंड अपनी चुत में ले लिया है और बड़े मज़े से उसके लंड को चुत में लेकर सपना अपने दोनों हाथ सूरज के सीने पर रखकर अपनी गांड आगे पीछे करते हुए हिल रही है और सूरज को बहुत कामुक नज़रो से देख रही है..


सपना सूरज के दोनों हाथों को अपनी छाती पर रख दिया और प्यार से बोला - चाहो तो मेरा ब्लाउज खोलकर अंदर का सामान देख सकते हो.. मैं नहीं रोकूंगी..


सूरज ने सपना की बात सुनकर उसके ब्लाउज के हुक खोलने की कोशिश की लेकर असफल रहा फिर सपना ने खुद ही हसते हुए अपना ब्लाउज और ब्रा उतार फेंका और अपनी गांड हिलाते हुए झुक कर सूरज के होंठों को बड़ी प्यार से अपने होंठो में लेकर चूमने और चूसने लगी जैसे सूरज कोई बच्चा हो..


सपना ने सूरज को अपने सामने ज्यादा देर टिकने नहीं दिया और थोड़ी देर में सूरज सपना की चुत में झड़ गया और सपना हसते हुए सूरज के होंठों को अपने दांतो से खींचते हुए बोली - हो गए खुश?


सूरज लम्बी लम्बी साँसे लेते हुए मुस्कुराते हुए सपना से शर्माने लगा और सपना ने सूरज के लंड पर से उतरकर उसके लंड से कंडोम उतारकार गाँठ लगा कर डस्टबिन में डाल दिया..


सूरज ने बेड से खड़े होते हुए पूछा - बाथरूम?


सपना ने कमरे में ही पीछे दरवाजे की तरफ इशरत किया और सूरज चड्डी पहन कर बाथरूम में चला गया और मूतते हुए आज सपना की चुदाई कला के आगे जल्दी झड़ जाने के बारे में सोचता हुआ अपने आप पर शर्मिंदा होने लगा.. उसे लगने लगा कि सपना उसे कमजोर मर्द समझ रही होगी और उसके बारे में ना जाने क्या सोच रही होगी.. वही सूरज अभी अभी सपना के बूब्स और उसके बदन की बनावट और कसावट से वाकिफ हुआ था और फिर से सपना को सोचकर कामुक हुआ जा रहा था..


सूरज बाथरूम करके आया तो सपना ने अपने ब्रा पहन ली थी अपने कपड़े हाथ में लिए थे तभी सूरज बोला - आंटी..


सपना बिना सूरज को देखे बोली - हम्म?


सूरज सपना के पास जाकर अपनी चड्डी उतारकर पूरी अकड़ में खड़े लंड को दिखाते हुए बोला - आंटी एक बार और कर सकते है? प्लीज...


सपना जोर से हसते हुए एक नज़र सूरज को देखती है फिर अपनी ब्रा उतारकर बाकी कपड़ो के साथ वही रख देती है और अलमीरा से कंडोम निकालकर फाड़ते हुए सूरज के लंड को मुंह में लेकर 8-10 बार मुंह में आगे पीछे करते हुए गिला करके कंडोम पहना देती है और खुद पीठ के बल बिस्तर में लेटकर सूरज का हाथ पकड़ कर उसे अपने ऊपर खींचते हुए कहती है मुस्कुराकर बोलती है - अब सारी मेहनत तुम करो.. मैं कुछ नहीं करने वाली..


सूरज मुस्कुराते हुए - डोन्ट वॉरी आंटी.. आपने मुझे खुश किया.. अब मेरी बारी..


ये कहते हुए सूरज सपना की चुत में लंड पेल देता है फिर पूरा जोर लगाकर झेटके पर झेटके मारते हुए सपना की रेल बनाता है उससे सपना पूरी तरह प्रभावित होकर कामुक सिसकारियों के साथ सूरज को उसकी मर्दानगी का सर्टिफिकेट उसे दे देती है..


सपना आँख बंद करके और टाँगे चौड़ी करके लेटी हुई थी.. वही सुरज मिशनरी पोज़ में सपना की फटी हुई चुत से उसका कामरस निकलवाने में सफल रहता है सपना झड़ चुकी थी और उसे विश्वास नहीं हो रहा था सूरज ने उसे झड़ने पर मजबूर कर दिया है.. सपना को बहुत सालों बाद किसी से ऐसा सुख मिला था और वो सूरज को अब और प्यार से देखने और खुश करने की कोशिश करने लगी थी..



सूरज सपना के झड़ने के बाद भी लगातार उसकी चुत में झटके पर झटके मारे जा रहा था.. सपना सूरज को खींचकर बाहों में भर लिया और चूमते हुए कहा - घुड़सावारी का शौख है मेरे जवाँ आशिक को?



सूरज ने मुस्कुराते हुए हाँ में सर हिला दिया और सपना सुरज के आगे घोड़ी बन गई.. सपना की मोटी गांड देखकर सूरज से रहा ना गया और वो बिना सपना के बोले उसकी गांड पकड़कर उसकी चुत में लंड पेलकर सपना को चोदने लगा और इसी बीच उसने वापस एक वीडियो बनाया दोनों की चुदाई का..


सपना - अह्ह्ह.. हनी..


सूरज चोदते हुए - हाँ आंटी?


सपना - बेटा लगता है कंडोम फट गया.. रुको मैं दूसरा पहनती हूँ..


सूरज चोदते हुए - ऐसे ही रहने दो ना आंटी..



सपना - ठीक है हनी.. बस अंदर नहीं निकालना..


सूरज - ओके आंटी..


सूरज पूरी जोश ओ खरोश के साथ सपना की चुत मारने लगा और कुछ देर बाद सपना वापस कामुकता की सीढ़िया चढ़ते हुए शिखर पर पहुंच गई और झड़ने को हो गई.. वही सूरज अब भी हथियार पकडे डटा हुआ था.. सपना झड़ी तो सूरज को लगा कि उसने जीत हासिल कर ली है और अब वो अपनी नज़रो में वापस उठ चूका है..


सपना ने झड़ने के बाद कहा - हनी.. बेबी अंदर मत निकालना..


सूरज - आंटी निकलने वाला है.


सपना ने सूरज का लंड चुत से निकाल दिया और फटा हुआ कंडोम हटाकर लंड सीधे मुंह में लेकर blowjob देने लगी और सूरज सपना को blowjob करते हुए देखकर और उसका सुख अनुभव करके काम की आखिरी हद तक पहुंच गया और थोड़ी सी देर में ही सपना के मुंह में झड़ गया..


सपना ने सूरज को प्यार से देखते हुए उसका वीर्य गले से नीचे उतार लिया और फिर वापस सूरज के लंड को मुंह में लेकर चाटते चूसते हुए साफ कर दिया..


सूरज ने सपना को अपनी बाहों में भर लिया और सपना की बड़ी बड़ी आँखों में देखते हुए बोला - थैंक्स आंटी..


सपना मुस्कुराते हुए बोली - योर मोस्ट वेलकम बेटा.. अब जल्दी से कपड़े पहनो.. मेरे हस्बैंड के आने का टाइम होने वाला है..


सूरज कपड़े उठाते हुए - ओके आंटी..


सूरज कपड़े पहनकर जब जाने को होता है सपना उसका हाथ पकड़कर दरवाजे पर रोक लेती है और सूरज को डीपली kiss करके कहती है - ये मेरा नम्बर है.. मेरे आशिक को वापस मिलने का मन हो तो कॉल करना..


सूरज मुस्कुराते हुए - ठीक है आंटी..


सपना भी मुस्कुराते हुए - बाय बेबी...


सपना के घर से निकलते निकलते सूरज को रात आठ बज गए थे और वो अब सीधे अपने घर आ गया..


हनी..


हाँ भईया..


हनी मैंने मेरे ऑफिस में बात की है तेरे लिए.. कल तू मेरे साथ चलना इंटरव्यू देने..


ठीक है भईया..


सुमित्रा जयप्रकाश को खाना परोस रही थी और जयप्रकाश परेशान लग रहा था..


क्या हुआ जी? परेशान लगते हो?


हां.. ऑफिस में एक फ़ाइल नहीं मिल रही.. मुझसे शायद कहीं खो गई.. बड़ी जरुरी फ़ाइल थी.. मीटिंग पोसपोन हो गई वरना मेरी तो नोकरी पर बन आती.. मैडम ने कहा है फाइल नहीं मिली तो जिम्मेदारी मेरी होगी और हो सकता है कोई कड़ी करवाई भी हो जाए..


अरे क्यों चिंता करती हो.. आपने कहीं रख दी होगी.. मिल जायेगी.. आप तो वैसे भी भुलक्कड़ हो.. याद करोगे तो मिल जायेगी.. आप पहले खाना खाओ.. देखो आपके पसंद की सब्जी बनाई है.. मैं हनी को भी खाना दे आती हूँ..


सुमित्रा जयप्रकाश के पास से उठकर खाना लेकर हनी के रूम में आ जाती है जहाँ वो देखती है की हनी बाथरूम में नहा रहा था..


हनी... हनी..


बोलो माँ...


बेटू.. इस वक़्त क्यों नहा रहा है?


कुछ नहीं माँ बस ऐसे ही..


मैं खाना लाई थी रखकर जा रही हूँ.. खा लेना बेटू..


ठीक है माँ..


सुमित्रा वापस नीचे आ जाती है और सूरज खाना खाकर बिस्तर में लेट जाता है और उसे आज जल्दी नींद आ जाती है..


सुमित्रा वापस आती है तो देखती है रात के नो ही बजे थे मगर सूरज सो चूका था.. सुमित्रा सूरज के गाल और माथे पर प्यार और ममता से भरा चुम्बन दे देती है फिर खाने की प्लेट अपने साथ नीचे ले जाती है..



सूरज का फोन उसके गद्दे के पास ही पड़ा हुआ था और गरिमा का फ़ोन उसके हाथ में.. सूरज ने गरिमा का कोई मैसेज किया था ना कॉल.. और गरिमा सूरज के massage और कॉल के इंतजार में बैठी थी वो सोच रही थी कि इस बार अगर सूरज ने मैसेज या कॉल किया तो वो झट से उसका रिप्लाई दे देगी और सूरज के माफ़ी मांगते ही उसे माफ़ करके फिर से उससे बात करना शुरु कर देगी.. मगर सूरज को तो जैसे गरिमा का ख्याल ही नहीं था.. एक तरफ सूरज सो रहा था दूसरी तरफ गरिमा जाग रही थी..



************



कहो.. घर चलना है या अब भी मूवी देखना है तुम्हे?


रमन से तितली ने मुस्कुराते हुए पूछा तो रमन ने जवाब दिया - आज नहीं.. रात के 9 बज चुके है..


सुबह से तुमने पुरे शहर में इतना घुमाया है कि अब थकान के मारे नींद आने लगी है..


तितली हसते हुए - अभी तो आधा ही शहर घुमा है.. अभी तो बहुत सी दूकान बाकी है.. अगली बार जब तुम फ्री रहो तो बताना वो भी घुमा दूंगी..


रमन - तुम थकती नहीं हो? घूमने फिरने से..


तितली हसते हुए - मैं तो अभी जवाँ हूँ.. मूझे क्यों थकान होने लगी? मूझे लगता है तुम्हारी उम्र हो गई है.. कितने आलसी हो तुम.. शादी के बाद पता नहीं क्या होगा तुम्हारा?


रमन - क्या उम्र हो गई है? तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे मैं कोई 40-50 साल का हूँ.. डेट ऑफ़ बर्थ मिला लो तुमसे एक दो महीने छोटा ही हूंगा..


तितली गाडी कि रेक से सिगरेट निकाल कर सुलगाते हुए कश लेकर - फिर इतनी जल्दी क्यों थक जाते हो? कितना lazy फील करते हो.. शादी के बाद बीवी को कैसे खुश रखोगे?


रमन - तुम अब पर्सनल हो रही हो..


तितली सिगरेट के कश लेकर - इतनी सी बात में क्या पर्सनल हो गई? शादी नहीं करोगे? साधु महात्मा बनने का इरादा है? चलो अच्छा है.. फिर बन जाओ तो पूरी प्रॉपर्टी मेरी.


रमन मुस्कुराते हुए - कितनी लालची हो ना तुम..


तितली सिगरेट पीती हुई - लालची होना बुरी बात तो नहीं है.. और मैं सुबह से देख रही हूँ तुम बार बार शीशे मे मेरी कमर क्यों देख रहे हो?


रमन हकलाते हुए - मैं.. मैं..मैंने.. कब देखी? मैं तो मिरर में पीछे देख रहा हूँ..


तितली हसते हुए - झूठ बोलना भी नहीं आता तुम्हे.. अपनी मम्मी पर गए हो तुम शायद.. पापा पर जाते तो इतने शरीफ ना होते..


रमन - तुम्हे केसे पता मैं शरीफ हूँ? अभी तुम मूझे जानती भी नहीं ठीक से.. कुछ दिन ही तो हुए है तुम्हे मेरे साथ घूमते..


तितली सिगरेट पीते हुए - मूझे हिमाचल घुमाके ला सकते हो?


रमन - क्यों नहीं? बस तुम प्रॉपर्टी लेने से मना कर दो.. हिमाचल क्या पूरा इंडिया घुमा लाऊंगा..


तितली एक लम्बा सिगरेट का कश लेकर - 45-55 कर सकते है.. बोलो मंज़ूर है?


रमन - 40-60 केसा रहेगा?


तितली सिगरेट का आखिरी कश लेकर सिगरेट को कार का शीशा नीचे करके बाहर फेंकते हुए - ठीक है पर उसके लिए हिमाचल के साथ कश्मीर भी घूमाना पड़ेगा..


रमन मुस्कुराते हुए - कब चलना है?


तितली - जब तुम चाहो..


रमन - कल सुबह निकलते है..


तितली मन में - सच में मूझे पसंद करता होगा क्या? कहा यार? सब नाटक होगा इसका.. कमीना कुछ दिनों में इतना अच्छा लगने लगा है.. आगे पता नहीं क्या होगा?


रमन मन में - कम से कम 60:40 पर तो आई.. और वैसे जितना सोचता था उतनी बुरी भी नहीं है.. घूमने में मज़ा आएगा इसके साथ.. आजतक कमीने दोस्तों के साथ घुमा हूँ.. अब देखता हूँ एक खूबसूरत लड़की के साथ घूमके केसा लगता है..


रमन - ध्यान कहा है? कुछ सोच रही हो?


तितली - नहीं तो..


रमन मुस्कुराते हुए - चलो.. घर आ चूका है..


तितली और रमन घर के अंदर आते है..


शान्ति - भईया खाना बना दू?


रमन - नहीं शान्ति.. आज इतना खिला दिया तुम्हारी दीदी ने कि कल तक भूक नहीं लगेगी..


तितली - शान्ति तुम जाकर सो जाओ..


शान्ति - ठीक है दीदी..


रमन और तितली अपने अपने कमरे में चले जाते है और फिर से पहले वाला ही सीन दोनों कमरे में चलता है रमन सो जाता है और तितली आईने के सामने खड़ी होकर अपनी सूरत देखती हुई रमन के बारे में सोचने लगती है और उसके प्लान के बारे में अंदाजे लगाने लगती है.. इसीतरह वो सोचती हुई देर तक जाग कर सो जाती है..


सुबह होने पर तितली की आँखे देर से खुलती है और

वो जब कमरे बाहर आकर देखती है तो देखती है रमन तैयार होकर कॉफी पीते हुए उसे देख रहा था..


गुडमॉर्निंग..


गुडमॉर्निंग..


शान्ति कहा है?


मैंने छूटी दे दी उसे.. कॉफी पियोगी.. मैंने बनाई है..


तितली कॉफ़ी लेती हुई - कुछ मिलाया तो नहीं ना इसमें.. कहीं मूझे ऑफ़ करके पूरी प्रॉपर्टी हड़प कर लो..


मुझ पर इतना शक करती हो तो मेरे साथ घूमने को क्यों जा रही हो?


पता नहीं.. शायद मैं पागल हूँ जो ऐसे आदमी के साथ घूमने जा रही हूँ जो मूझे बिलकुल भी पसंद नहीं करता..


तुमसे किसने कहा.. मैं तुम्हे नापसंद करता हूँ..


तो क्या पसंद करने लगे हो मूझे?


तुम इतनी भी खूबसूरत नहीं हो कि मैं कुछ दिनों में तुम्हे पसंद करने लगू.. पसंद नापसंद से अलग है कुछ..


अच्छा.. इतनी खूबसूरत नहीं हूँ तो कल छुप छुप के मेरी कमर क्यों देख रहे थे तुम? बोलो?


मैंने जानबूझ कर तो नहीं देखी.. और मेरे देखने से इतनी परेशानी तो ढक कर क्यों नहीं रखी तुमने अपनी कमर?


मेरी कमर.. मूझे ढकनी है या नहीं मेरी मर्ज़ी..


मेरी नज़र.. मुझे क्या देखबात है क्या नहीं मेरी मर्ज़ी.. अच्छा है.. अब जल्दी से तैयार हो जाओ सामान पैक कर लो.. निकलते है..


मूझे तेयार होने में समय लगेगा.. पैकिंग में भी टाइम लगेगा..


एक दिन नहीं नहाने से खूबसूरती फीकी नहीं पड़ जायेगी.. ऐसे ही ठीक लग रही हो तुम.. फ़ोन और कुछ जरुरी सामान ले लो बाकी रास्ते में खरीद लेना..



कहा से खरीद लेना? पैसे कहा है मेरे पास? सब कुछ तो तुम लेके बैठे हो.. मेरा जीना जो हराम करना चाहते थे.. थोड़े बहुत पैसे जमा किये थे वो भी पापा के बाद खर्च हो गए..


अच्छा ये कार्ड रख लो.. जो मर्ज़ी हो खरीद लेना..कोई लिमिट नहीं है.. खुश? अब चलो..


दस मिनट दो मैं आती हूँ...


तितली अंदर रूम में जाकर एक काला सूट पहन लेटी है और बेग में कुछ कपड़े और छोटी मोटी जरुरत का सामान लेकर बाहर आ जाती है रमन उसे लेकर निकल घिमने पड़ता है..


कार चालान आता है ना तुम्हे?


हाँ.. आता है खाली बैठे बैठे यही सब सिख रही थी घर पर..


तब ठीक है.. वैसे एक बात पुछु.. पर्सनल है..


पूछो..


कोई बॉयफ्रेंड नहीं है तुम्हरा?


तुम्हे क्या लगता है? होगा या नहीं?


मुझे कुछ लगता तो तुमसे क्यों पूछता?



और पूछ क्यों रहे हो? लगता है बॉयफ्रेंड बनना चाहते हो.. तभी इतनी इन्क्वायरी कर रहे हो.. वरना तो तुम मेरी तरफ देखते भी नहीं..


नहीं बॉयफ्रेंड नहीं.. हस्बैंड.. बोलो बनाओगी मूझे अपना हस्बैंड?


पैसो के लिए शादी करना चाहते हो?


शादी ही तो कर रहा हूँ किसी का मर्डर तो नहीं कर रहा..


पैसो के लिए कुछ भी कर सकते हो ना?


तुम्हे क्या लगता है?


पता नहीं.. कभी लगता है तुम शरीफ हो कभी लगता है पैसो के लिए पागल.. कुछ समझ नहीं आ रहा तुम्हारा..


तो फिर रहने दो.. समझने की कोशिश मत करो..


सिगरेट ख़त्म हो गई? ला दोगे?


जो कहेगी लाना ही पड़ेगा.. पैसो का सवाल है.. सिगरेट के अलावा कुछ चाहिए तो वो भी बता दो..

फिलहाल बस सिगरेट.. बाकी जो चाहिए होगा बता लुंगी...


ठीक है डॉक्टर साहिबा.. लेके आता हूँ..


रमन कार रोककर एक दूकान से सिगरेट का पैकेट और लाइटर ले आता है..

लो डॉक्टरनी जी.. फुको..


तुम क्यों नहीं पीते? मेरे सामने शर्म आती है?


शर्म और तुमसे? मैं सिर्फ तभी स्मोक करता हूँ जब शराब पीता हूँ..


अच्छा जी? और शराब कब पीते हो?


जब कोई कारण हो पिने का.. पहले अक्सर तुम ही शराब पिने का कारण होती थी..


इतनी नफरत करते हो मुझसे?


पहले करता था.. अब नफरत तो नहीं करता..


वैसे अगर मैंने तुम्हारी बात मान ली और तुमसे शादी कर ली.. तब तुम क्या करोगे?


करना क्या है? जो कर रहा था वही करूंगा.. अपने तरह से जीता रहूंगा..


अगर हाँ करू तो शादी के बाद मूझे शराब सिगरेट पिने से रोकोगे? तुमने कहा था तुम पुरानी सोच के हो.. अपनी बीवी को बेल्ट से मारोगे.. मतलब शादी के बाद मूझ पर हाथ उठाओगे?


हम्म्म्म..... तुम्हे जो करना हो कर लेना.. मैं नहीं रोकूंगा.. बस सारी प्रॉपर्टी मेरे नाम करनी पड़ेगी शादी के लिए.. और कुछ नहीं चाहिए तुमसे?


मतलब तुम मुझसे शादी करके सारी प्रॉपर्टी अपने नाम करवाना चाहते हो और मुझसे ये चाहते हो कि मैं तुम्हारी रखैल बनकर घर में पड़ी थी रहु.. तुम सिर्फ नाम कि शादी करोगे मुझसे.. अच्छा.. अब समझ में आया मूझे तुम्हारा प्लान..


चलो अच्छा है तुम्हे कुछ तो समझ आया.. वैसे मेरा ऑफर बुरा नहीं है सोच लो.. सब तुम्हे मेरे बाप कि रखैल ही मानते है.. सब तुम्हारे साथ टाइमपास करेंगे.. कोई भी लड़का तुम्हारे साथ पूरी लाइफ नहीं बिताने वाला.. कोई शादी करेगा भी तो पैसो के लिए.. अकेला रहना पड़ेगा पूरी जिंदगी.. मुझसे शादी कर लो.. तुम जो करना चाहो तुम्हे पूरी आज़ादी होगी.. मैं कभी किसी चीज से नहीं रोकूंगा.. महंगा सस्ता तुम जो खरीदना चाहो खरीद सकोगी.. जैसे जीना चाहो जी सकती हो.. एक बार सोचना..


तुम मेरी चिंता मत करो.. मैं रह लुंगी अकेली.. ऐसी शादी का क्या फ़ायदा जहाँ प्यार ही ना हो.. और दोनों एक ही कमरे में अलग अलग रहे..

खाना खाना है? आगे एक अच्छा रेस्टोरेंट आने वाला है.. क्या सिखाया था तुमने कल.. वो वाह्ह.. वाली बात.. यहाँ वही है..

ठीक है..



रमन और तितली खाना खाने के बाद आगे के लिए निकाल जाते है दोनों को एकदूसरे इश्क़ होने लगा था मगर दोनों इससे अनजान थे.. तितली को तो इसका आभास होने लगा था मागर रमन पूरी तरह अनजान था..

अबकी बार 100 ❤️ पार पे आएगा
Maza Hi Aa Gya Par Sabse Jyada Maza Aa Raha Hai Raman Aur Titli Ki Nok Jhok Mein Pichle Kuch Updates Se
 

Himanshu kumar

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Update do Bhai target kam hi rakho 👍ka ki jaldi pura ho jai
 

randibaaz chora

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Kamuk update majaa aa gaya bro​

Update 9



रात के 10 बजे सूरज सीढ़ियों से नीचे हॉल में आया तो उसके पापा ने कहा..

जयप्रकाश - इतना तैयार होके कहा जा रहा है?

सूरज - पापा वो एक दोस्त का bday है.. बस वही जा रहा था.. आज रात वही रहूँगा.. आपके स्कूटी कि चाबी चाहिए...

जयप्रकाश - वही कमरे में रखी होगी.. ले ले..

सूरज - ठीक है.. सूरज कमरे में जाता है तो पीछे पीछे सुमित्रा भी कमरे में चली जाती है..

सुमित्रा - तू सच में दोस्त के bday पर जा रहा है या कहीं और? सच बताना..

सूरज - दोस्त के bday में ही जा रहा हूँ माँ.. आप भी क्या मेरे पीछे ही पड़ी रहती हो हमेशा.. आजकल बहुत नज़र रखती हो मुझपर जैसे मैं कोई क्रिमिनल हूं.

सुमित्रा - खा मेरी कसम.. तू दोस्त के bday में जा रहा है..

सूरज - मैं कसम वसम नहीं मानता समझी आप..

सुमित्रा - तो खा ना मेरी कसम..

सूरज - मैं नहीं खाऊंगा..

सुमित्रा - सच बता कहा जा रहा है? वरना घर से कदम बाहर रखने नहीं दूंगी तुझे.. किसी लड़की से मिलने जा रहा है ना.. जैसे सगाई वाली रात मिलके आया था.. जो पैसे लेकर वो सब करती है.. बोल..

सूरज - माँ... क्या बोल रही हो..

सुमित्रा - सच बता सूरज..

सूरज - ठीक है.. पापा को नहीं बताओगी..

सुमित्रा - किसी को नहीं कहूँगी.. बता..

सूरज कोई झूठ बात सोचकर - दोस्त की ex गर्लफ्रेंड है किसी होटल में मिलने बुलाया है..

सुमित्रा - और तेरे उस दोस्त का क्या? उसे पता ये सब?

सूरज - माँ ex गर्लफ्रेंड है.. उसे अब क्या मतलब..

सुमित्रा अपने ब्लाउज में से बटुआ निकालकर 1 हज़ार रुपए सूरज की जेब में रख देती है और कहती है - कंडोम पहन के करना जो करना है.. आजकल की लड़किया बहुत तेज़ हो गई है.. किसी भी शरीफ लड़के अपने जाल फँसाना उन्हें अच्छे से आता है.. समझा?

सुमित्रा का पल्लू हटा हुआ था और ब्लाउज में उसकी क्लीवेज साफ साफ सूरज को दिख रही थी.. जिसे सुमित्रा ने जानबूझ कर खुला छोड़ दिया था ताकि सूरज उसकी और आकर्षित हो सके मगर सूरज ने वो सब देखकर सुमित्रा से कहा..
सूरज - समझ गया माँ.. और आप अपना ये खज़ाना छुपा लो.. पापा की नज़र पड़ गई तो अगले साल मेरा छोटा भाई या बहन पैदा हो जाएगा..

सुमित्रा सूरज की बात सुनकर हसते हुए बिना अपना पल्लू अपने ब्लाउज के ऊपर किये बोली - नहीं होगा.. तेरे पापा सालों पहले ही अपनी हिम्मत हार चुके है..

सूरज हसते हुए - तभी अक्सर आप वो गाना गाती हो.. मैं क्या करू राम मुझे बुड्ढा मिल गया..

सुमित्रा हसते हुए - चुप शैतान.. मा से कोई ऐसे बात करता है भला? अब जा.. और सुबह जल्दी आ जाना.. रात को कोई भी परेशानी हो मुझे फ़ोन या मैसेज करना..

सूरज सुमित्रा को बाहो मे लेके गाल पर चुम्मा देकर - माँ आप बहुत प्यारी हो.. काश कोई आपके जैसी मुझे भी मिल जाए..

सुमित्रा - अच्छा? क्या करेगा अगर कोई मेरी जैसी मिल गई तो?

सूरज - सब सोचा हुआ माँ.. पहले शादी फिर सुहागरात उसके बाद 8-10 बच्चे..

सुमित्रा चौंकते हुए - 8-10?

सूरज - क्यों कम है? ज्यादा भी हो सकते है..

सुमित्रा हस्ते हुए - अच्छा अब मुझे छोड़.. तेरे पापा हम दोनों को ऐसे देखेंगे तो गलत समझेंगे..

सूरज - तो समझने दो.. गले लगने मे भी कोई अगर गलत समझें तो हम क्या कर सकते है? मैं तो अपनी मा को अपनी मर्ज़ी से छोडूंगा..

सुमित्रा - अच्छा? मुझे ऐसे बाहो मे भरके खड़ा रहेगा तो तेरी उस दोस्त की गर्लफ्रेंड का क्या होगा जो तेरा इंतजार कर रही है?

सूरज - उसे इंतजार करने दो.. मेरे लिए मेरी मा से बढ़कर कोई है..

सुमित्रा और सूरज गले लगे हुए थे और बात कर रहे थे बात करते करते उनके चेहरे एकदूसरे के कितने करीब आ गए थे उन्हें भी पता नहीं चला.. सुमित्रा तो जैसे अपना संयम खोने है वाली थी अगर बाहर से जयप्रकाश के खांसाने की आवाज ना आती तो शायद आज सुमित्रा ने सूरज के होंठो पर अपनी मोहब्बत या कहो हवस की मुहर लगा है देती..

जयप्रकाश की खांसी सुनकर सूरज ने सुमित्रा से कहाँ - पापा को खांसी की दवा दे दो.. दो दिनों से बहुत खांसी हो रही है उन्हें.. और अब अपना ये खज़ाना भी छीपा लो.. सूरज ने सुमित्रा को बाहो से आजाद करते हुए उसका पल्लू ब्लाउज के ऊपर करते हुए कहा..

सुमित्रा उदासी से - ऐसे खज़ाने का क्या फ़ायदा जिसे कोई लूटने वाला है ना हो..

सूरज - क्या कहा आपने?

सुमित्रा - कुछ नहीं.. अब जा..

सूरज सुमित्रा के गाल पर चुम्मा देकर - बाय माँ..

सुमित्रा की बात को सूरज ने सुन लिया था और अनजान बनकर उसे अनसुना भी कर दिया था मगर सूरज को अब इस बात का अहसास हो चूका था की सुमित्रा कितनी अकेली है और उससे बात करने वाला और उसके साथ वक़्त बिताने वाला कोई है नहीं.. जयप्रकाश भी सुमित्रा के साथ उतना वक़्त नहीं बताते थे वो अकसर अपने दोस्तों या दफ़्तर की फाइल्स मे गुस्से रहते थे..

सूरज घर से निकलता है कि उसके फ़ोन पर बरखा का फ़ोन आ जाता है..

हेलो

क्या कर रहा है हनी..

कुछ नहीं दी..

घर आ सकता है?

इस वक़्त? आ जाऊंगा पर.. सब ठीक है ना?

हाँ सब ठीक है.. तू आजा..

बात क्या है दी? बताओ ना..

अरे कुछ नहीं.. कोई जरुरी काम कर रहा है तो रहने दे.. कोई बात नहीं..

नहीं दी.. आपसे ज्यादा क्या जरुरी काम? बस खाना खाने जा रहा था.. आता हूँ..

आजा.. अपने हाथ से खाना बनाके खिला दूंगी तुझे..

बरखा ने फ़ोन काट दिया और मुस्कुराते हुए हनी के बारे में सोचने लगी.. पीछे कुछ दिनों से उसके मन में सूरज ही घूम रहा था.. सिर्फ उसके ही नहीं हेमलता के भी.. मगर हेमलता ने अपनी भावनाओं पर काबू पा लिया था.. बरखा को ना जाने क्यों आज सूरज से मिलने कि तलब हुई और उसने रात के इस वक़्त उसे फ़ोन कर दिया.. सूरज कुछ ही देर में बरखा के घर आ गया और बरखा ने दरवाजा खोलकर सूरज को घर के अंदर रसोई में ले गई..

क्या हुआ दी? और काका काकी कहा है?

वो तो यात्रा में गए है कल सुबह आ जायेंगे.. तेरे लिए पराठे बनाये है.. खिला दूँ अपने हाथ से?

क्या बात है दी.. बड़ा प्यार आ रहा है मुझ पर आपको आज?

क्यों? नहीं आ सकता?

नहीं.. आ सकता है.. पर आज कुछ ज्यादा ही आ रहा है ना इसलिए पूछ लिया..

बरखा अपने हाथ सूरज को खाना खिलाती हुई - कल मैं वापस जा रही हूँ.. सोचा एक बार अपने हनी से मिल लूँ.. इसलिए बुला लिया.. गलत किया?

सूरज खाना खाते हुए - नहीं.. अच्छा किया दी.. आप कुछ और दिन रह जाती ना दी..

वापस आउंगी तब रहूंगी.. लेकिन एक बात बता.. तू इतना सज धज के क्यों आया है?
मुझे इम्प्रेस करने के लिए?

आपको इम्प्रेस करने के लिए मुझे सजने की जरुरत है? और वैसे आपको इम्प्रेस करके मुझे क्या मिलेगा? आपको तो अपनी बड़ी बहन मानता हूँ मैं..

बरखा खाना खिलाते हुए - मैं अच्छे से जानती हूँ आजकल के लड़को को.. वो क्या कहते है.. हां.. गांधी जी की योजना.. बहन बनाकर चो...

बरखा आगे बोल पाती इससे पहले ही सूरज बोला..
सूरज - दीदी... आप ना बहुत बेशर्म हो गई हो.. कुछ भी सोचती और बोलती हो.. और हाथ दो जरा आपका.. सूरज बरखा की उंगलियां सुघकर.. सिगरेट पी रही थी मेरे आने से पहले?

बरखा हस्ते हुए अपना हाथ छुड़ाकर सूरज को खाना खिलाते हुए - उसके लिए भी तुझसे पूछना पड़ेगा मुझे?

सूरज - कल कब की ट्रैन है?

बरखा - दिन की है.. 3 बजे की..

सूरज - मैं स्टेशन छोड़ दूंगा आपको..

बरखा - अच्छा? स्टेशन का रास्ता कितना सुनसान है.. तूने रास्ते में मेरे साथ कुछ ऐसा वैसा कर दिया तो? मैं क्या करूंगी? बोल..

सूरज - दी.. आपने मज़े लेने के लिए बुलाया है ना मुझे?

बरखा मुस्कुराते हुए - तेरे मज़े लेने के लिए बुलाने की क्या जरुरत है? वो तो फ़ोन पर ही ले लेती मैं.. मुझे तेरी ये प्यारी और मासूम सी शकल देखनी थी..

सूरज - देख ली? अब मैं जाऊ?

बरखा - बड़ी बहन मानता है ना मुझे.. मेरे लिए थोड़ी देर और नहीं रुक सकता?

सूरज - ठीक है...

बरखा - शराब पियेगा मेरे साथ?

सूरज - नहीं..

बरखा - पापा के साथ तो पिता है..

सूरज - कभी कभी..

बरखा - हाँ तो वो कभी आज मेरे साथ है..

सूरज - काकी को पता चल गया ना.. जान ले लेगी मेरी..

बरखा - बताएगा कौन? तू?

बरखा अपने पीता बंसी की छुपाई हुई शराब की बोतल निकालती है और दो पेग बनाती है और एक सूरज को दे देती है..

सूरज - दी.. आप कमाल हो..

बरखा शराब पीते हुए - एक पर्सनल बात पुछु?

सूरज पेग ख़त्म करके - हम्म..

बरखा भी अपना पेग ख़त्म करके - तेरी कोई गर्लफ्रेंड तो है नहीं.. फिर काम कैसे चलता है तेरा?

सूरज - कोनसा काम?

बरखा दूसरा पेग बनाकर सूरज को देती है फिर अपने हाथ से लंड हिलाने का इशारा करते हुए कहती है - ये काम.. अब समझा?

सूरज हसते हुए - मुझे ना अब शर्म आने लगी है आपके साथ..

बरखा मुस्कुराते हुए अपना दूसरा पेग पीकर - शर्माता हुआ कितना क्यूट लगता है तू.. वैसा बता ना.. सिर्फ हाथ से जयकारे लगाता है या कोई छेद भी ढूंढ़ रखा है छोटे नवाब के लिए?

सूरज दूसरा पेग पीकर - आपको क्यों बताऊ? वैसे भी बहन भाई के बीच ऐसी बातें अच्छी नहीं लगती.. और अब ज्यादा मत पियो.. नशा होने लगा है आपको..

बरखा तीसरा पेग बनाकर - एक आखिरी हो जाए बस..

सूरज पेग उठाकर - अगर काकी को पता चला ना तो फिर देख लेना आप..

बरखा पेग पीते हुए - उसकी चिंता छोड़ दे.. तू बता गर्लफ्रेंड है या नहीं.. अगर नहीं है तो मैं बनवा दूंगी.. मेरा छोटा भाई अपने हाथ से काम चलाये.. अच्छा थोड़ी लगता है..

सूरज - किसे बनाओगी मेरी गर्लफ्रेंड?

बरखा - लड़कियों की कोई कमी थोड़ी है उदयपुर में.. जिससे बोलेगा उसीके साथ करवा दूंगी..

सूरज कुछ सोचकर - सपना आंटी पसंद मुझे..

बरखा - वो पड़ोस वाली? 40 साल की बुड्ढी?

सूरज अपना पेग ख़त्म करके - अभी से कहा बुड्ढी हो गई वो?

बरखा अपना पेग ख़त्म करते हुए - तुझे बड़ी औरते पसंद है?

सूरज - कोई बुराई है इसमें?

बरखा हसते हुए - नहीं.. वो बात नहीं है.. तू फ़िक्र मत कर तेरा काम हो जाएगा..

सूरज अपने फ़ोन पर बिलाल का फ़ोन आता देखकर - घर से फ़ोन आ रहा है.. अब जाऊ?

बरखा - ठीक है किस्सी दे जा एक..

सूरज बरखा के गाल पर kiss करता है..

बरखा नशे में - गाल पर नहीं हनी.. होंठो पर..

सूरज हसते हुए - अब कुछ ज्यादा हो रहा है आपका दी..

बरखा - कोनसी तेरी इज़्ज़त लूट रही हूँ.. एक kiss के लिए ही तो बोला है.. छोटा था तब भी तो करता था..

सूरज हसते हुए - करता नहीं था आप जबरदस्ती चूमती थी मुझे.. वो तो कोई देखने वाला नहीं था वरना बच्चे को मोलेस्ट करने के चार्ज में जेल जाती आप..

बरखा सूरज की शर्ट का कॉलर पकड़कर - हाय रे बच्चा... जब भाग भाग कर खुद मेरे पास आता था और कहता था दीदी चुम्मी दो और खुद मेरे होंठों पर टूट पड़ता था.. उसका क्या? मज़ा तुझे भी पूरा आता था..

सूरज मुस्कुराते हुए - आदत तो आपने ही लगाईं थी.. मैं तो बच्चा था..

बरखा - सपना आंटी चाहिए तो बरखा दीदी को चुम्मी करनी पड़ेगी जैसे बचपन में करता था..

सूरज बरखा के होंठों पर अपने होंठ रखकर चूमते हुए - बस?? अब जाता हूँ.. टाइम पास ज्यादा हो गया.. आप ख्याल रखना अपना..

बरखा - कल टाइम से आ जाना.. वरना मैं चली जाउंगी..

सूरज जाते हुए - ठीक है..

बरखा सूरज के जाने के बाद एक और शराब का पेग बनाकर पीती है और सिगरेट जलाकर कश केती हुई सपना को फ़ोन कर देती है...

हेलो..

सो रही थी क्या भाभी?

नहीं बरखा.. टीवी देख रही थी.. अब बस सोने ही जा रही थी.. बोलो इतनी रात को कैसे याद आ गई मेरी?

सपना (40)
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मुझे नहीं किसी और को तुम्हारी याद आती है रातों में..

सपना हसते हुए - अच्छा? तुम्हारे पापा से कहो सत्संग करने की उम्र में सम्भोग करने के सपने ना देखे.. दूकान पर सामान लेने आती हूँ तो ब्लाउज में ऐसे झांकते है जैसे आँखों से घूर के ब्रा का साइज़ बढ़ा देंगे.. कुछ करो अपने पापा का तुम..

बरखा - अरे भाभी.. पापा के बारे में बात नहीं कर रही.. पापा तो है ही एक नम्बर के ठरकी.. एक प्यारा सा लड़का है 22-23 साल का.. भाई की तरह है मेरे.. पसंद करता है तुम्हे.. एक बार बेचारे को जन्नत दिखा दो.. खुश हो जाएगा..

सपना हसते हुए - तस्वीर भेज दे.. पसंद आया तो बताउंगी..

बरखा - भेजती हूँ...

बरखा सूरज की तस्वीर भेजती है.. सपना तस्वीर देखकर फौरन बरखा को मैसेज करती है.. भेज देना अपने भाई को.. पेट भरके खुश कर दूंगी उसे..

बरखा मैसेज पढ़कर मुस्कुराते हुए ok लिख देती है और सिगरेट के कश लेती हुई नशे में धुत होकर सोचती है कि अगर सूरज सपना के साथ ये सब कर सकता है वो उसके साथ भी कर सकता है.. बस सूरज को किसी तरह अपने साथ सोने के लिए मानना पड़ेगा..


**********


सूरज बरखा के घर से बिलाल के घर जाने को निकला तो रास्ते में झील किनारे उसे कई दुकाने रात के इस वक़्त भी खुली दिखाई दी.. जहाँ टूरिस्ट खड़े हुए थे.. कई खाने की तो कई फेंसी आइटम की शॉप्स थी कुछ कपड़ो की..
सूरज ने स्कूटी एक दूकान के आगे रोक दी और अंदर जाकर कुछ खरीदकर वापस आ गया और स्कूटी स्टार्ट करके सूरज अब सीधा बिलाल के घर आ गया फिर स्कूटी अंदर खड़ी करके दुकान में बैठ जाता है..

रात के साढ़े 11 बज चुके थे सूरज नशे के सुरूर में था.. हालांकि उसे ज्यादा नशा नहीं हुआ था मगर फिर भी उसे शराब का सुरूर होने लगा रहा.. दूकान का शटर नीचे था.. बिलाल अंदर से आते हुए कहता है..
बिलाल - हनी..

सूरज कुर्सी से उठकर - बिल्ले..

बिलाल - मैं ऊपर सोने जा रहा हूँ.. तेरी भाभी पीछे कमरे में है..

सूरज - बिल्ले एक बार फिर सोच ले..

बिलाल - हनी मैंने सो बार यही सोचा है.. तू बस जब तक नज़मा प्रेग्नेंट ना हो जाए तब तक संभाल ले..

सूरज - ठीक है बिल्ले.. किसीको पता ना चले बस..

बिलाल - तुझसे ज्यादा मुझे उस बात की चिंता है.. मैंने नज़मा को समझा दिया है वो तुझे नहीं रोकेगी..

सूरज - ठीक है..

बिलाल - सुबह 6 बजे मैं नीचे आऊंगा.. तब तक तू और नज़मा अकेले नीचे रहोगे.. किसी चीज़ की जरूरत हो तो नज़मा से कह देना.. मैं जाता हूँ..

बिलाल ऊपर सोने चला गया और सूरज धीमे धीमे कदमो से पीछे वाले कमरे में दाखिल हो गया.. कमरे में अंधेरा था और बाहर आँगन मे जल रहे लट्टू की हलकी सी रौशनी कमरे में आ रही थी जिससे मध्यम रोशनी मे अंदर का नज़ारा देखा जा सकता था.. नज़मा बेड पर बैठी हुई थी.. उसके गोरे बदन पर गुलाबी सलवार थी और सफ़ेद दुपट्टा उसके जोबन को ढके हुए था..
सूरज ने कमरे के अंदर आकर बिना दरवाजा बंद किये लाइट जलाने लगा तभी नज़मा बोली..

नज़मा - लाइट मत जलाइये भाईजान..

सूरज ने लाइट नहीं जलाई और नज़मा के पास बिस्तर पर आकर बैठ गया..

सूरज ने जो रास्ते में ख़रीदा था वो नज़मा को देते हुए - भाभी ये आपके लिए..

नज़मा ने सूरज से थैला लेकर उसके अंदर से एक आसमानी कलर का सूट निकाला और उसे हाथों में लेकर बाहर से आती रोशनी में देखते हुए महसूस किया.. नज़मा समझ गई कि ये किसी ख़ास दूकान से लिया हुआ है..
नज़मा - ये क्यों ख़रीदा भाईजान..

सूरज नज़मा के और करीब आते हुए - भाभी पहले तो ये भाईजान बोलना बंद करो.. वरना मुझसे कुछ नहीं होगा..

नज़मा सूरज की बात पर मुस्कुरा पड़ती है..
नज़मा अपनी नज़र उठकर एक नज़र सूरज को देखकर - शराब पी है आपने?

सूरज - जब शराब की बू आ रही है तो पूछती क्यों हो भाभी..

नज़मा - ताकि आप इंकार कर सको.. और मुझे लगे कि आप थोड़ा सा मेरा लिहाज करते हो.. और आपके अंदर कोई बुराई नहीं है..

सूरज - अच्छाई और बुराई तो सब में होती है भाभी..

नज़मा नज़र झुका कर उसी तरह नीचे देखते हुए - सही है.. कम से कम आप मुझसे सच तो बोल रहे हो..

सूरज - भाभी आप अक्सर चाय पिलाने के बाद पूछती थी ना कि चाय कैसी बनी है? पता है मेरा क्या कहने का मन करता था?

नज़मा सूरज को एक नज़र देखकर - क्या?

सूरज - यही कि चाय ऐसी बनी है.. मन करता है आपको अपनी बाहों में उठाके घर ले जाऊं.. और आपकी बनाई चाय आपके हाथों से पिऊ..

नज़मा फिर से मुस्करा पड़ती है..

सूरज अपना एक हाथ घुमाके नज़मा के कंधे पर रख देता है और नज़मा के कान के पास अपने होंठ लाकर कहता है - भाभी गर्मी लग रही है..

नज़मा धीरे से शरमाते हुए - पंखा तो चालु है..

सूरज - फिर भी गर्मी लग रही है.. क्या करू?

नज़मा कुछ सोचकर - मेरे पास छोटी पँखी है.. मैं लाकर हवा कर देती हूँ..

सूरज - उससे कुछ नहीं होगा भाभी.. आप मेरी शर्ट उतार दो शायद कुछ राहत मिले..

नज़मा सूरज कि बात का मतलब समझ गई और मुस्कुराते हुए फिर से सूरज को एक नज़र देखकर अपने दोनों हाथ से सूरज के शर्ट के बटन खोलने लगी और उसका शर्ट उतार कर बेड के एक तरफ रख दिया..

सूरज प्यार से - भाभी आपको गर्मी नहीं लग रही?

सूरज की बात सुनकर नज़मा शर्म से अपना चेहरा अपनी दोनों हथेलियों से छुपा लेती है..

सूरज नज़मा की कमर में हाथ डालकर उसकी कमर पकड़ लेता और अपनी गोद में नज़मा को उठाकर बैठा लेता है..

नज़मा शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी और उसका दिल जोर से धड़कते जा रहा था..
सूरज को नज़मा के कूल्हे का मुलायम और गद्देदार अहसास कामुकता से भर रहा था..

सूरज ने नज़मा का दुप्पटा हटा दिया और उसकी कुर्ती को अपने दोनों हाथो से पकड़कर उठाने लगा लेकिन नज़मा ने अब तक अपना चेहरा अपनी हथेलियों से ढक रखा था.. इसलिए कुर्ती नज़मा की छाती तक उठाने के बाद सूरज पीछे से नज़मा के कान में बोलता है..
सूरज - हाथ ऊंचे करो ना भाभी..

नज़मा शर्म के मारे कुछ नहीं करती तो सूरज उसके दोनों हाथ पकड़कर ऊपर कर देता है और उसकी कुर्ती को झट से उतार कर अपने शर्ट के पास रख देता है.. नज़मा सिर्फ ब्रा में सूरज की गोद में बैठी हुई थी और उसकी नंगी पीठ अब सूरज के नंगे सीने से टकरा रही थी जिससे नज़मा काम और शर्म के मारे फिर से अपने चेहरे को अपनी हथेलियों से छुपा लेती है और सूरज नज़मा की नंगी गोरी पीठ का अहसास पाकर और कामुक हो उठता है जिससे उसके लंड में अब और अकड़न आ जाती है जिसका अहसास नज़मा को अपने कुल्हो पर हो रहा था.. सूरज ने नज़मा के दोनों हाथों को अपने दोनों हाथों में पकड़ लिया और नीचे करते हुए उसके चेहरे से हथेलिया हटा दी..

सूरज नज़मा के कान में - एक बात बोलू भाभी?

नज़मा शर्माते हुए - क्या?

सूरज नज़मा की गर्दन चूमते हुए - मूझे लगा नहीं था भाभी आपके बूब्स इतने मोटे होंगे.. क्या साइज है इनका?


नज़मा शर्म से इस बार भी कुछ नहीं बोलती..

सूरज - मत बताओ भाभी.. मैं खुद ही देख लेता हूँ..
सूरज ने अपने दोनों हाथ नज़मा की कमर से धीरे धीरे ऊपर लेजाकर उसकी ब्रा के अंदर डाल दिए और नज़मा के दोनों चुचे अपने हाथों में पकड़ लिए.. नज़मा के मुंह से सिस्कारी निकल गयी.. और वो काम की भावना से भरने लगी..

सूरज ने बूब्स को दबाते हुए मसलना शुरु कर दिया और नज़मा के कान में बोला - भाभी 36 के है ना?

इतना कहकर सूरज ने बूब्स पर से हाथ हटाकर नज़मा की ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा उतारकार बाकी कपड़ो के साथ रख दी.. नज़मा ने ब्रा खुलते ही अपने दोनों बूब्स को अपने दोनों हाथों से छीपा लिया..

सूरज पीछे से नज़मा की पीठ और गर्दन चूमता हुआ बोला - कब तक छुपा के रखोगी भाभी?
फिर सूरज थोड़ा आगे होकर पीछे लेट गया और नज़मा को भी अपने ऊपर पीठ के बल लेटा लिया और करवट लेकर अपने ऊपर से दाई तरफ गिरा कर नज़मा की कमर में हाथ डालकर उसे अपने से चिपकाते हुए नज़मा के होंठों के करीब अपने होंठ लेजाकर बोला - भाभी.. मेरी तरफ देखो ना..

नज़मा की आँखे बंद थी और वो धीरे से सूरज की आँखों की तरफ देखने लगी..
सूरज - शादी के 4 साल बाद भी इतनी शर्म भाभी?

नज़मा धीरे से - बिस्तर में एक बेशर्म खाफी होता है भाईजान..

सूरज - फिर से भाईजान? आपके होंठों को तो सजा देनी पड़ेगी भाभी...

ये कहकर सूरज नज़मा के होंठों पर अपने होंठ रख देता है और नज़मा आँख बंद करके सूरज को अपने होंठों की शराब पिने की इज़ाज़त दे देती है...

सूरज धीरे धीरे नज़मा के ऊपर और नीचे के होंठ चूमता और और फिर नज़मा के होंठो से लड़ता हुआ नज़मा के मुंह में अपनी जीभ डालकर नज़मा की जीभ को छेड़ने लगता है नज़मा को इस चुम्बन में मज़ा आ रह था.. सूरज उसे पसंद था और सूरज के सॉफ्ट होंठ को वो महसूस कर रही थी.. अब धीरे धीरे नज़मा ने भी सूरज को अपने होंठो से चूमना शुरु कर दिया..

सूरज को जब अहसास हुआ की नज़मा भी अब उसे चूमने में बराबर का सहयोग कर रही है तो वो मादकता की बारिश में भीगने लगा और नज़मा की कमर को कसके पकड़ता हुआ होनी तरफ खींचकर बिना चुम्मा तोड़े नज़मा को पेट के बल अपने ऊपर लिटा लिया..

नज़मा ने अपने बूब्स पर से अपने हाथ हटाकर सूरज का चेहरा थाम लिया और उसके बालों में हाथ फेरते हुए उसे इस तरह चूमने लगी जैसे कुत्ते मुंह चाटते है..

सूरज के सीने में नज़मा के चुचो पर खड़े चुचक खंजर की तरह चुभ रहे थे.. जिसका अहसास उसे जन्नत का मज़ा दे रहा था..
सूरज ने अपने दोनों हाथ कमर से नीचे लेजाकर नज़मा की गांड पर रख दिए और नज़मा के चुत्तड़ पकड़कर जोर से मसलने लगा.. मगर नज़मा ने चुम्मा नहीं तोड़ा और सूरज को अपनी गांड दबाने और मसलने की खुली छूट दे दी..

नज़मा सूरज को ऐसे चुम रही थी जैसे वो बरसो से सूरज को चूमना चाहती हो.. दोनों के होंठो और जीभ के बीच युद्ध छिड़ा हुआ था जिसमे कोई भी हार मनाने को तैयार नहीं था..
नज़मा ने कभी बिलाल के साथ ऐसा कुछ नहीं किया था.. बिलाल सामान्य सा दिखने वाला आदमी थी मगर सूरज को देखकर किसी भी लड़की का मन मचल सकता था..
सूरज ने नज़मा को करवट लेकर अपने नीचे लेलिया और चुम्बन तोड़ दिया..

सूरज ने नज़मा के दोनों हाथ पकड़ कर ऊपर उठा दिए और नज़मा से बोला - बता तो दो भाभी.. 36 के है ना..
नज़मा बिना कुछ बोले मुस्कुराते हुए हाँ में सर हिला देती है और सूरज नज़मा के बूब्स को मुंह में भरकर चूसने और चाटने लगता है..

नज़मा की अह्ह्ह... निकल जाती है और वो अपने दोनों हाथ छुड़ा कर सूरज का सर पकड़कर अपने दोनों बूब्स बारी बारी से सूरज को चुसवाने लगती है..

सूरज नज़मा के बूब्स पर खड़े दाने को दांतो से खींचता हुआ पूरी मेहनत और प्यार के साथ चूसता है और नज़मा के बूब्स पर लव बाईट देने लगता है नज़मा सूरज को लव बाईट देने से नहीं रोकती और सूरज नज़मा की छाती पर अनेक लव बाईट के निशान छोड़ता हुआ उसके बूब्स को चूसता हुआ अपना एक हाथ पानी बहाती नज़मा की चुत पर लेजाकर रख देता है और सहलाने लगता है मगर नजमा सूरज के उस हाथ को पकड़ कर चुत सहलाते से रोकने की नाकाम कोशिश करती है.. पर सूरज बूब्स चूसते हुए चुत सहलाते सहलाते नज़मा को झड़ने पर मजबूर कर देता है और नज़मा चड्डी सलवार पहनें पहनें ही झड़ जाती है और झरना बहा देती है..

सूरज नज़मा के झड़ने के बाद उसकी सलवार का नाड़ा खींचकर खोल देता है और सलवार के साथ नज़मा की चड्डी भी एक ही बार में उतार देता है.. नज़मा अपने पैरों को मोड़ लेटी है और शर्म के उतारे हुए कपड़ो को उठाकर अपना मुंह छिपा लेती है..

सूरज खड़ा हो जाता है और कमरे से बाहर आकर बाथरूम में चला जाता है और मूतने लगता है.. उसी वक़्त सुमित्रा का फ़ोन आ जाता है.. रात के एक बज रहे थे..
सूरज - हेलो

सुमित्रा इस वक़्त घर की छत पर थी उसने कहा - हेलो सूरज?

हां.. माँ.. बोलो..

बेटू.. क्या कर रहा है?

माँ.. यार क्या बेतुके सवाल पूछ रही हो? बताया था ना आपको..

सुमित्रा - बेटू.. नाराज़ मत हो.. मैं तो बस यही पूछ रही थी कि कंडोम तो लगा रखा है ना तूने?

सूरज - हाँ लगा रखा है.. अब क्या फोटो भेजू आपको? सो जाओ ना आप.. सुबह आ जाऊंगा..

सुमित्रा - हनी..

सूरज - अब क्या है माँ?

सुमित्रा - मूझे चिंता हो रही है तेरी..

सूरज - माँ.. एक लड़की के साथ हूँ.. किसी चोर लुटेरे डाकू के साथ नहीं..

सुमित्रा - अपना ख्याल रखना.. और देखना कंडोम फट ना जाए.. बाय बेटू..

सूरज - बाय माँ..

सुमित्रा छत पर थी उसके बदन में भी कामुकता और मादकता भरी हुई थी वो ये सोचके काम कि भावना से भरी हुई थी कि उसका बेटा सूरज किसी के साथ इस वक़्त बिस्तर में चोदमपट्टी कर रहा होगा.. सुमित्रा घर कि छत पर ही सूरज के नाम कि ऊँगली करने लगी थी..

सूरज बाथरूम से वापस कमरे में आया तो बाहर से आती रौशनी में उसने देखा कि नज़मा वैसे ही अपने मुंह कपड़े से छिपा कर नंगी पड़ी हुई है.. सूरज इस बार कमरे का दरवाजा बंद कर दिया जिससे बाहर से आती रौशनी भी अंदर आनी बंद हो गई और कमरे में पूरा अंधकार छा गया.. नज़मा ने कपड़े से मुंह छिपाया हुआ था उसे इसका कोई पता नहीं चला कि सूरज ने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया है और अब उसने लाइट ऑन कर दी है.. लाइट की रौशनी में बिस्तर पर नंगी पड़ी नज़मा का बदन ऐसे चमक रहा था जैसे कोयले की खान में हिरा चमकता है..

सूरज ने अपनी जीन्स उतार दी और अब सिर्फ चड्डी मैं आ गया.. फिर नज़मा के पैरों की तरफ आकर उसकी दोनों टांगो को अपने हाथों दे खोलकर चौड़ा कर दिया और नज़मा की चुत जिसपर नज़मा की चुत से बहे झरने का पानी चिपका हुआ था बेडशीट के कपड़े से साफ करके अपने दोनों हाथ नज़मा की जांघो के जोड़ पर रखकर नज़मा की चुत खोलते हुए सूरज ने नज़मा की चुत से मुंह लगा लिया और नज़मा की चुत चाटना शुरु कर दिया..

नज़मा की चुत पर जब सूरज ने अपने होंठो को लगाया नज़मा के तन बदन में काम वासना की आधी उड़ने लगी जो सूरज को होने आंधी में उड़ा कर लेजाना चाहती थी.. नज़मा के हाथ कब अपने आप सूरज के सर पर पहुचे और कब नज़मा के मुंह से कामुक सिस्कारिया निकली उसे पता भी नहीं चला.. नज़मा को लाइट ऑन होने पर शर्म आ रही थी मगर काम सुख शर्म से कहीं ज्यादा था इसलिए नज़मा ने लाइट के ऑन होने की परवाह छोड़कर सम्भोग का आनद लेना जरुरी समझा...

सूरज नज़मा की चुत को ऐसे चूस चूस के चाट रहा था जैसे बॉलीवुड की हीरोइन प्रोडूसर का लंड चूसने के बाद आंड चाटती है.. सूरज अपने हाथों के दोनों अंगूठे से नज़मा की चुत चौड़ी करके अंदर तक चाट रहा था और दाने को चुम्मा रहा था जिससे नज़मा अपने आप पर काबू नहीं रख पाई और वापस झड़ गई मगर समय रहते सूरज ने अपना मुंह हटा लिया और वो नज़मा के पानी की धार में भीगने से बच गया..

नज़मा की साँसे तेज़ थी और उसका पूरा बदन पसीने से लथपथ.. चुचे साँसों के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे..
सूरज नज़मा के ऊपर आ गया और उसकी आखो में देखते हुए बोला - तैयार हो भाभी?

नज़मा काम भावना से पूरी तरह भर चुकी थी वो बोली - और मत तड़पाओ भाईजान.. डाल दो ना अब..

सूरज - भाभी आप ही सीखा दो कैसे ड़ालते है? मूझे कहा आता है डालना..

नज़मा सूरज की चड्डी नीची करके सूरज के खड़े लंड को अपनी चुत में अटका देती है और कहती है - घुसाओ ना भाईजान..

सूरज का दबाव डालके घुसाता है तो लंड गीली चुत में फिसलता हुआ चला जाता है और नज़मा सिसकते हुए अह्ह्ह करने लगती है.. सूरज का लंड बिलाल से बहुत बड़ा था जिसका अहसास अभी अभी नज़मा को होने लगा था और वो अपने दोनों हाथों से सूरज को अपनी बाहों में भरके उसके होंठो को चूमते हुए अपनी गांड उठा उठा कर सूरज से चुदवा रही थी..

नज़मा - अह्ह्ह्ह... अह्ह्ह.. भाईजान.. अह्ह्ह..

सूरज - भाभी आपके नीचे का मामला तो बहुत टाइट है.. बिल्ला ठीक से नहीं करता शयद..

नज़मा - अह्ह्ह भाईजान.. अह्ह्ह..

सूरज चोदते चोदते - भाभी.. चुत में लंड चला गया.. अब तो भाईजान मत बोलो.. सूरज कहो ना..

नज़मा अह्ह्ह्ह.. भाईजान.. कहते हुए फिर से सूरज को पकड़ लेती है और चूमने लगती है..
सूरज चोदना रोककर नज़मा की कमर पकड़कर उसे घोड़ी बना लेता है और फिर उसकी चुत मारने लगता है..

सूरज को जितना मज़ा नज़मा को घोड़ी बनाके चोदने में आ रहा था उसका ब्यान करपाना कठिन है.. सूरज को उन पल के लिए मोक्ष की प्राप्ति हो रही थी.. सूरज जितनी मोहब्बत के साथ नज़मा को घोड़ी बनाकर उसकी चुत में झटके मार रहा था उतनी तेज़ी से दोनों की चुदाई की आवाज कमरे में गूंज रही थी..

नज़मा के मुंह से सिस्कारिया निकल रही थी जिसे सुनकर सूरज कामसुख के घोड़े पर सवार था.. नज़मा की चुत वापस तीसरी बार झड़ने को बेताब थी..

सूरज ने घोड़ी के बाद नज़मा को चोदना छोड़कर बेड पर लेट गया और नज़मा से बोला - आओ भाभी सारी मेहनत मुझिसे करोगी? थोड़ी खुद भी तो करो.. आओ..

नज़मा लाइट के उजाले में शर्मा रही थी मगर काम वासना से भी भरी हुई थी.. नज़मा सूरज के लंड पर बैठ गई और धीरे धीरे अपनी गांड हिलाते हुए सूरज की आँखों में देखने लगी जैसे कह रही हो कि सूरज अब मूझे तुझसे कोई शर्म नहीं है..

दोनो काम वासना भरी आँखों से एक दूसरे को देख रहे थे और अब दोनों ही झड़ने कि कगार पर थे.. सूरज ने नज़मा कि कमर में हाथ डालकर उसे नीचे ले लिया और वापस मिशनरी में चोदते हुए नज़मा के साथ ही झड़ गया... और दोनों कुछ देर तक गहरी गहरी साँसों के साथ वैसे ही लेटे रहे...

सूरज नज़मा के बाल सवारते हुए - मुबारक हो भाभी...

नामज़ - आपको भी भाईजान...

सूरज - अब भी भाईजान बोलोगी?

नज़मा मुस्कुराते हुए - आपको भाईजान मानती हूँ तो भाईजान ही बोलूंगी ना.. तुम्हारी तरह मुंह पर कुछ और दिल में कुछ और तो नहीं है मेरे..

सूरज - भाईजान पसंद आये.. आपको भाभी?

नज़मा मुस्कुराते हुए - बहुत पसंद..

सूरज - बिलाल से भी ज्यादा पसंद?

नज़मा - कई गुना ज्यादा.. उसका और आपका तो कोई मेल ही नहीं..

सूरज - अपने पति कि बुराई कर रही हो भाभी?

नज़मा - बाहर तो निकाल लो भाईजान.. ऐसे ही सोने की इरादा है क्या?

सूरज - अभी दो बजे है भाई.. रहने दो अंदर बेचारे को अच्छा लग रहा है..

नज़मा - अह्ह्ह... आप ये क्या कर रहे हो भाईजान?

सूरज - भाभी वापस खड़ा हो गया क्या करू?

नज़मा हसते हुए - एक ही रात में प्रेग्नेंट कर दोगे तो वापस कैसे मिल पाओगे भाईजान..

सूरज नज़मा कि टांग फैला कर चोदते हुए - वो सब बाद में सोचेंगे भाभी... अह्ह्ह
नज़मा - अह्ह्ह.. अह्ह्ह.. भाईजान.. अह्ह्ह..
दोनों का सम्भोग वापस शुरु हो जाता है..

सुबह के साढ़े चार बजते बजते दोनों के बीच दो बार सम्भोग पूरा हो चूका होता है.. नज़मा दो बाद चुद चुकी थी.. और नज़मा सूरज के सीने पर लेटी हुई थी दोनों जागे हुए थे.. दोनों के बीच शर्म का पर्दा हट चूका था..

सूरज - सोचा नहीं था भाभी कभी हमारे बीच कुछ ऐसा भी होगा..

नज़मा - सही कहा भाईजान.. पहले तो मैं आपको सिर्फ पसंद करती थी मगर अब तो आपने मेरी रूह को भी छू लिया है.. मैं बता नहीं सकती अब आपकी ख़ुशी मेरे लिए कितने मायने रखती है.. मैं आपकी ख़ुशी के लिए कुछ भी कर सकती हूँ..

सूरज - कुछ भी?

नज़मा - हाँ कुछ भी..

सूरज - एक रात में इतना अपनापन?

नज़मा सूरज के ऊपर से उठते हुए - आप मूझे बच्चे का सुख देने वाले हो भाईजान.. आपकी ख़ुशी मेरे लिए मायने बहुत रखती है.. अपनापन तो पहले भी था आपसे.. बस कभी कह ना सकी.. आपने कहा था ना मेरे हाथों से चाय पीनी है आपको.. मैं अभी बनाके लाती हूँ.. और अपने हाथों से पीला भी दूंगी..

सूरज - भाभी इतना सब करने की क्या जरुरत?
नज़मा - आपकी इतनी सी ख्वाहिश भी पूरी ना कर पाई तो लानत है भाईजान मूझ पर..

नज़मा रसोई में चाय जाती है और 10 मिनट में चाय बनाकर ले आती है फिर सूरज की गोद में उसकी तरफ मुंह करके बैठ जाती है और अपने हाथ सूरज को चाय पिलाने लगती है..

नज़मा चाय पीलाते हुए - अगली बार शराब मत पीके आना भाईजान.. मैं अपने हाथों से पीला दूंगी..

सूरज - भाभी आपका और मेरा कुछ रातों का साथ है.. क्यों इश्क़ के बीज बो रही हो.. मैं ये ताल्लुक नहीं निभा पाऊंगा..

नज़मा - दिल पर किसी का जोर थोड़ी चलता है भाईजान? बिलाल जो चार साल में ना कर पाया आपने 4 घंटो में कर दिया.. आपकी बाहों से ऐसा महसूस होता है जैसे जिस्म को मखमली बिस्तर का बिछोना मिल गया हो.. इतनी प्यार भरी बातें तो कभी बिलाल ने भी नहीं की होंगी.. उसने बिस्तर में मेरा जिस्म हासिल किया है मगर आपने रूह भी हासिल की है.. आपकी बातें दिल को धड़काती है मूझे मेरे औरत होने का और मेरे वज़ूद का अहसास दिलाती है.. आपके साथ आज रात बिताकर लगता है मैं भी इंसान हूँ और मेरी भी अपनी ख़ुशी है.. वरना कब से मैं बस घुट घुट के परदे में जी रही थी..

सूरज - भाभी जबतक आपके बच्चा नहीं लग जाता.. मैं कोशिश करूंगा आपको बाकी हर ख़ुशी दे सकूँ.. अगली बार क्या तोहफा चाहिए बता दो? ला दूंगा..

नज़मा सूरज को चूमते हुए - मेरा तोहफा तो आप हो भाईजान.. आपके अलावा मूझे कुछ नहीं चाहिए..

सूरज - 5 बजने वाले है भाभी.. अब मूझे चलना चाहिए..

नज़मा - कुछ देर और रुक जाओ ना

भाईजान.. अभी तो अंधेरा है..

सूरज नज़मा के ऊपर आकर उसकी जुल्फ संवारते हुए - बिलाल नीचे आये उससे पहले मेरा चले जाना मुनासिफ होगा भाभी..
नज़मा - मेरे बदन पर आपने इतने निशान छोड़े है की बिलाल देखकर पागल ना हो जाए..

सूरज - तो उसे करीब क्यों आने देती हो भाभी.. कुछ दिन अपने से दूर ही रखो..

नज़मा हसते हुए - घर में मर्द की सुन्नी पड़ती है भाईजान.. औरतों तो बस हुक्म बजाने के लिए होती है..

सूरज - जमाना बदल गया है भाभी..

नज़मा - मेरी एक बात मानोगे?

सूरज - हर बात मानुगा.. बस कुछ ऐसा मत कह देना कि मैं मजबूर हो जाऊ..

नज़मा - मूझे मेरे नाम से बुलाओ ना भाईजान..

सूरज मुस्कुराते हुए - ये तो तभी मुमकिन है भाभी जब आप भी मूझे मेरे नाम से पुकारो..
नज़मा धीरे से - सूरज..

सूरज - नज़मा..

दोनों कुछ देर एक दूसरे को देखते है और आँखों ही आँखों में दोनों के होंठो को वापस मिलना पड़ता है और फिर सूरज दिवार घड़ी को देखकर कहता है - अब जाने दो नज़मा..

नज़मा - काश मैं हर दिन ऐसे ही बच्चों कि तरह आपको अपनी छाती से लगाकर रख पाती सूरज..

सूरज खड़ा होकर अपने कपड़े पहनते हुए - ऐसे ख़्वाब मत देखो नज़मा.. जब पुरे नहीं होते तो बहुत तकलीफ देते है.. जीना मुहाल कर देते है.. एक वक़्त निकल जाता है इन सब से निकलते हुए..

नज़मा बिना किसी शर्म के अब नंगी ही बेड से खड़ी हो जाती है और सूरज के सामने खड़ी होकर अपने घुटनो बैठते हुए सूरज का लंड पकड़कर कहती है - जो ख्वाब पुरे ना हो.. उन ख़्वाबो को देखना गलत नहीं है सूरज.. मैं जानती हूँ आप मेरे कभी नहीं बन सकते.. इसका मतलब ये नहीं कि आपके साथ मैं ख्वाबों में भी एकसाथ नहीं जी सकती..

इतना कहकर नज़मा सूरज का लंड मुंह में भर लेती है और चूसने लगती है नज़मा blowjob देने लगती है..

सूरज के लंड में अकड़न आने लगती है मगर सूरज नज़मा के मुंह से लंड निकालकर पेंट पहन लेता है और नज़मा से कहता है - छः बजने वाले है.. कपड़े पहन लो बिलाल कभी भी नीचे आ सकता है..

नज़मा - जाने से पहले एक चुम्मा भी नहीं दोगे सूरज?

सूरज नज़मा को बाहों में भरके चूमते हुए - अपना ख्याल रखना..

नज़मा मुस्कुराते हुए - आप भी..


सूरज अपनी स्कूटी उठाकर नज़मा के घर से निकल जाता है और नज़मा कपड़े पहन कर सबसे पहले कमरे को ठीक करती है बेडशीट बदलती है और नहाती है.. सात बजे बिलाल नीचे आता है और नज़मा से बात किये बिना ही नहा कर अपना दैनिक काम कर दूकान का शटर ऊपर करके दूकान संभालता है..

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Acha

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