Update 12
जयप्रकाश जी आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी पहले तो मीटिंग टल गई तो बच गए.. अब कल मीटिंग में अब क्या करूंगी मैं? आपने इतनी इम्पोर्टेन्ट फ़ाइल खो दी..
मैडम मैंने टेबल पर ही रखी थी.. अक्सर वहा से कुछ नहीं खोता मगर ये फ़ाइल ना जाने कैसे गुम हो गई..
मैं कुछ नहीं जानती जयप्रकाश जी.. आपके ऊपर पर मूझे अब करवाई करनी होगी वरना इसे मेरा फैलियर समझा जाएगा.
मैडम आप ऐसा मत कहिये.. मैंने आज तक कोई लापरवाही नहीं की है.. ये पहली बार है.
मैं कुछ नहीं जानती मे लिखित मे जवाब दो
चपरासी - मैडम आप येल्लो फ़ाइल के बारे में पूछ रही है क्या?
गुनगुन - हाँ क्यों तुम्हे पता है वो फ़ाइल कहा है?
चपरासी - जी मैडम.. उस दिन जयप्रकाश जी ने वो फ़ाइल टेबल पर रखी थी और मैं छूटी पर जा रहा था इसलिए मैंने सब चीज जगह पर रख दी थी.. मगर वो फ़ाइल गलती से मैं अपने सामान के साथ घर ले गया था.. आज वापस आया तो पता चला आप कोई फ़ाइल ढूंढ रही है.. वो फ़ाइल मेरे पास है.. मैं अभी घर से ले आता हूँ.
गुनगुन - आप फ़ोन पर ये बात नहीं बता सकते थे.. खाम्मखा जयप्रकाश जी को मैंने कितना कुछ भला बुरा कह दिया.. जाइये जल्दी लेकर आइये वो फ़ाइल.
जयप्रकाश चपरासी से - जा जल्दी..
गुनगुन - जयप्रकाश जी.. मैंने जो भी आपसे कहा उसे आप मेरी गलती समझके माफ़ कर दीजियेगा.. आप मुझसे उम्र में इतने बड़े है मूझे आपसे इतनी बदतमीजी से बात नहीं करनी चाहिए थी.
जयप्रकाश - कोई बात नहीं मैडम..
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सूरज आज विनोद के साथ उसके ऑफिस चला गया था और उसने वही पर जॉब के लिए हामी भी भर दी थी.. अगले दिन से उसने काम करना भी शुरु कर दिया.. आज पूरा दिन सूरज ऑफिस में बैठा काम कर रहा था.. शाम के 6 बजे उसने अपना काम समेटा और ऑफिस से बाहर आ गया..
हनी..
हाँ भईया?
हनी मूझे अचानक से ऑफिसटूर पर जाना पड़ेगा दो दिन के लिए.. तू मेरी बाइक लेके घर चला जा और पापा को बता देना.
ठीक है भईया.
हनी घर आ जाता है..
आ गया? विनोद कहा है?
भईया को ऑफिस टूर पर चले गए दो दिन तक बाहर ही रहेंगे..
लो बताओ.. तेरे पापा को भी उनकी मैडम अपने साथ मीटिंग के लिए जयपुर ले गई.. दोनों एक साथ ही गए है..
छोडो ना माँ.. आ जाएंगे.. आज सुबह से चेयर पर बैठे बैठे बदन अकड़ गया है.. एक कप अदरक वाली चाय पीला दो...
सुमित्रा प्यार से - तू कपड़े बदल कर हाथ मुंह धोले मैं अभी बनाके लाती हूँ..
सूरज ऊपर जाते हुए - हाथ मुंह धोने से काम नहीं चलेगा माँ.. नहाना पड़ेगा..
सूरज नहाने के बाद लोवर टीशर्ट डाल लेता है और तभी सुमित्रा चाय का कप हाथ में लेकर उसके कमरे में आ जाती है..
सुमित्रा - ले बेटू.. चाय पिले..
सूरज का कप लेकर - थैंक्स माँ..
सुमित्रा - केसा रहा काम का पहला दिन..
सूरज चाय पीता हुआ - बताया तो.. बहुत बोरिंग.. मूझे तो समझ नहीं आता भईया कैसे पूरा दिन कुर्सी पर बैठे रहते है..
सुमित्रा - थोड़े दिनों में तेरी भी आदत हो जायेगी बेटू.. अच्छा खाने में क्या बनाऊ?
सूरज चाय का कप रखकर सुमित्रा को बाहो में भरते हुए - कुछ बनाने की जरुरत नहीं है.. आज आप और मैं बाहर खाना खाके आएंगे..
सुमित्रा मुस्कुराते हुए सूरज के बालों में हाथ फेरकर - चलो अच्छा है कम से कम एक दिन तो घर के काम से छूटी मिलेगी मूझे.. मगर तू कुछ अच्छा तो पहन.. इतना हैंडसम बेटा पैदा किया है मैंने.. हमेशा बस ये टीशर्ट और लोवर पहन के रखता है..
सूरज सुमित्रा को बाहों से आजाद करते हुए - आप नीचे चलो मैं कपड़े बदल के आता हूँ..
सूरज टीशर्ट और लोवर उतारकर एक जीन्स और चेक शर्ट पहन लेता है जिसमे काफी आकर्षक लगता है..
माँ चलो...
सुमित्रा - अब देख कितना प्यारा लग रहा है.. जैसे कोई हीरो हो..
सूरज - इतनी तारीफ़ मत करो.. कभी खुदको आईने में देखा है आपने? अभी भी कितनी अच्छी दिखती हो.. मगर आप तो पापा की तरह खुदको भी बुड्ढा समझ बैठी हो..
सुमित्रा हसते हुए - अच्छा बस बस.. रुक मैं पर्स लेके आती हूँ..
सूरज सुमित्रा को एक रेस्टोरेंट में लेके आ जाता है.. जहाँ की चकाचोध सुमित्रा देखते ही हैरान हो जाती है..
हनी.. ये रेस्टोरेंट है या महल?
पहले हवेली थी माँ.. अब रेस्टोरेंट बना दिया इसे.. खाना अच्छा मिलता है यहां.. बैठो..
सुमित्रा और सूरज रेस्टोरेंट के फर्स्ट फ्लोर पर एक टेबल पर बैठ जाते है और सुमित्रा आस पास के लोगों को और नजारो को देखने लगती है फिर पास में एक लड़की को शार्ट स्कर्ट मे सिगरेट पीते देख सूरज से कहती है..
हाय रे.. आजकल की लड़कियों को तो कोई शर्म ही नहीं है खुले आम सिगरेट पिने लगी है.. वो ऐसे छोटे छोटे कपडे पहन कर.. पाता नहीं इनके माँ बाप कैसे झेलते होंगे ऐसी लड़कियों को? देखने में किसी भले घर की लगती है पर हरकतें देखो.. ना कोई शर्म ना लिहाज़..
सूरज हसते हुए - आप भी ना माँ.. ये सब तो बहुत आम है.. और आपने कभी मूझे तो इतना कुछ नहीं बोला जब पकड़ा था सिगरेट पीते हुए छत पर..
अरे तेरी बात और है.. तू लड़का है.. मगर लड़कियों को तो कायदे से रखना चाहिए.. किस काम की ऐसी खुली आज़ादी.. जो बिगाड़ कर रख दे..
मतलब आप कह रही हो कि सिगरेट पिने वाली लड़किया बिगड़ी हुई होती है.. यही ना?
और क्या... कौन भला समझेगा ऐसी लड़कियों को? ना परिवार का डर, ना समाज का.. घर कैसे बसाएगी ये?
रहने दो माँ.. अब टाइम बदल चूका है.. सबको अपने मन की करने की आजादी है.. आप नहीं पीती इसका मतलब ये तो नहीं कि आप किसी और को भी ना पिने दो.. उसकी मर्ज़ी वो जो करें.. आपकी मर्ज़ी जो आप करो..
वेटर - सर आर्डर?
हाँ.. ये सब ले आओ.. माँ कुछ और मांगना है?
नहीं ठीक है...
वेटर चला जाता है..
सुमित्रा - मेरी मर्ज़ी जो मैं करू.. अच्छा? कल को मेरी मर्ज़ी बोलके मैं घर छोड़ जाऊ तो तेरे पापा जाने देंगे मूझे?
यार माँ कहा की बात कहा ले जा रही हो.. मैं बस इतना कह रहा हूँ.. आपको सिगरेट पीनी है तो आप भी पी लो.. उसमे क्या प्रॉब्लम है? उसको पीनी है वो पी रही है.. बस..
हम्म.. मैं सिगरेट पी लू.. ताकि तेरे पापा और बुआ मिलकर मेरा जीना हराम कर दे.. यही कहना चाहता है ना तू?
तो किसने कहा उनके सामने पियो.. छिपकर पी सकती हो अगर आपको पीनी है.. आपको पापा और बुआ का डर है उस लड़की को किसी का नहीं है.. अपनी अपनी लाइफ है माँ.. क्यों इतनी फ़िक्र करनी..
वेटर - सर योर आर्डर..
वेटर खाना रखकर चला जाता है..
लो माँ.. शुरु करो..
सूरज और सुमित्रा खाना खा लेते है और वापस घर आने को चल पड़ते है तभी सुमित्रा सूरज से कहती है - हनी.. अगर मैं सिगरेट पिऊ तो तू कुछ नहीं कहेगा?
मैं क्या कहूंगा? आपकी चॉइस है वो.. इसमें मेरा क्या लेना देना.. हाँ.. अगर आप जरुरत से ज्यादा कुछ करती हो तो मूझे समझाना पड़ेगा आपको..
ठीक है तो तू मूझे सिगरेट पीना सिखाएगा आज.. मैं भी तो देखूँ ऐसा क्या मज़ा मिलता है सिगरेट पिने में लोगों को?
मज़ा नहीं मिलता माँ.. लोग शौक के लिए पीते है.. कुछ लोग डिप्रेशन में पीते है.. कुछ ऐसे ही..
तेरे पास घर पर सिगरेट है?
नहीं.. मैं कहा रखता हूँ. मैंने तो छोड़ दिया है.. घर पर नहीं है.. पर आपको सच में पीनी है?
तो क्या मैं मज़ाक़ कर रही हूँ तुझसे?
ठीक है मैं रास्ते से ले लेता हूँ..
सूरज बाइक रोक कर एक पनवाड़ी से एक अल्ट्रा माइल्ड का पैकेट और लाइटर ले आता है और सुमित्रा के साथ घर पहुंच जाता है..
घर के अंदर आने के बाद सूरज सुमित्रा से - माँ लो.. मैं ऊपर जा रहा हूँ सोने..
सुमित्रा सूरज का हाथ पकड़ के अपने बैडरूम में लाती हुई - ऊपर क्यों जा रहा है हनी.. आज मेरे साथ यही सोजा.. चल..
ठीक है माँ.. कपड़े तो बदल के आने दो.. मूझे कन्फर्ट होना है..
ठीक जा.. जल्दी आना..
सुमित्रा सिगरेट लाइटर रख देती है और अपनी साड़ी निकाल देती है.. फिर कुछ सोचती है और बाथरूम में जाकर सुमित्रा अपने ब्लाउज को खोलकर अपनी ब्रा उतार देती है और ब्लाउज वापस पहन लेती है जिसमे से उसके बूब्स और निप्पल्स आकर्षक लग रहे थे.. सुमित्रा सूरज को अपना बदन दिखाना चाहती थी उसी के लिए उसने इतना सब किया था..
सूरज वापस टीशर्ट और लोवर पहन कर सुमित्रा के बेडरूम में आता है और अपनी माँ को ऐसे देखकर मुस्कुराते हुए कहता है - क्या बात है माँ.. पापा अगर आपको ऐसे देख लेते तो पक्का उनकी तोप आपको सलामी दे देती है..
सुमित्रा सिगरेट लाइटर उठाकर सूरज के पास आती हुई - उनकी तोप तो जंग खा चुकी थी है.. तू ये बता इसे पीते कैसे है?
सूरज सुमित्रा से सिगरेट और लाइटर ले लेता है और फिर सुमित्रा के पीछे जाकर उसे बाहों में भरते हुए कहता है - माँ.. सबसे पहले तो आपको पैकेट से सिगरेट निकालकर अपने इन गुलाबी होंठों पर लगानी पड़ेगी ऐसे.. फिर इस लाइटर से जलानी पड़ेगी.. ऐसे.. अब कश अंदर खींचकर धुआँ बाहर छोड़ना पड़ेगा...
सुमित्रा पहले कश में खाँसने लगती है..
सूरज - आराम से माँ.. हल्का हल्का कश खींचो.. हाँ ऐसे.. लो सिख गई आप तो.. कोई बड़ी बात तो थी ही नहीं इसमें..
सुमित्रा सिगरेट का कश लेकर धुआँ छोड़ते हुए - अब तू मूझे ऐसे ही पीछे से पकड़ के मत खड़ा रह... कहीं तेरी तोप ना सलामी देने लग जाए मूझे..
सूरज सुमित्रा को पलटकर आगे से बाहों में भरता हुआ - अब ऐसे बिना ब्रा के ब्लाउज पहनोगी तो कुछ भी हो सकता है माँ..
सुमित्रा हसते हुए सिगरेट का कश लेकर - माँ के हाथ का एक थप्पड़ पड़ेगा ना तो सारा भुत उतर जाएगा.. समझा? अब क्या रातभर मूझे ऐसे बाहों में लेकर खड़ा रहेगा तू?
सूरज का दिल जोरो से धड़क रहा था.. उसे आज पहली बार सुमित्रा के खिलखिलाकर हसते चेहरे में आपनी माँ नहीं बल्कि एक खूबसूरत जवाँ औरत दिखाई देरही थी जो अपनी पति के बुड्ढे हो जाने के कारण सालों से प्यासी थी.. सुमित्रा का हुस्न सूरज को बहकने पर मजबूर कर रहा था.. जिसे सूरज समझ रहा था और उसने अपने पर काबू रखते हुए
सुमित्रा को बाहों से आजाद कर दिया और बेड पर लेटते हुए बोला - लाइट बंद कर देना माँ..
सुमित्रा ने सिगरेट के कश लेगाते हुए लाइट ऑफ करके अपने फ़ोन की टॉर्च ऑन करके फ़ोन को उल्टा रख दिया ताकि कमरे में कुछ रौशनी रहे.. फिर सूरज के करीब आकर लेटते हुए कहा - नींद आ रही है बेटू?
सूरज सुमित्रा के करीब खिसक कर सुमित्रा का हाथ पकड़ कर चूमते हुए - नहीं.. मूझे देर से सोने की आदत है माँ.. आप सोजाओ..
सुमित्रा सिगरेट बुजाकर अपना हाथ सूरज की गर्दन के नीचे से लेजाकर उसे अपनी तरफ झुकाते हुए - किसका फ़ोन आ रहा है?
कोई नहीं है माँ सो जाओ..
बात तो कर ले.. बेटू.. इम्पोर्टेन्ट होगा..
नहीं माँ.. इम्पोर्टेन्ट नहीं है..
ला मूझे दे फिर मैं बात करती हूँ..
नहीं माँ.. रहने दो अपने आप कट जायेगा..
सुमित्रा सूरज का फ़ोन लेकर फ़ोन उठा लेटी है..
सामने से एक लड़की - हेलो हनी..
सुमित्रा - कौन?
लड़की फ़ोन काट देती है..
सुमित्रा - कौन थी ये?
सूरज - चिंकी थी.. सुबह से फ़ोन कर रही है.. मैंने कह दिया बिजी हूँ.. फिर भी नहीं सुन रही थी..
सुमित्रा - अब परेशान करें तो बता देना इसे अच्छे से समझा दूंगी..
सूरज हसते हुए - परेशान नहीं कर रही माँ.. बेचारी बहुत ख्याल रखती है मेरा.. वापस जाने से पहले मिलना चाहती है एक बार..
सुमित्रा गुस्से से - मिलना चाहती है या सोना चाहती है तेरे साथ?
सूरज हसते हुए - आपको जलन हो रही है ना? सच बताना?
सुमित्रा - मैं क्यों जलने लगी किसी से? वो भी उस चिंकी से..
सूरज सुमित्रा को बाहों में भरके अपने ऊपर खींचते हुए - झूठ बोलते वक़त ना आपके होंठो कापने लगते है..
सुमित्रा मुस्कुराते हुए - तुझे शर्म वर्म है या नहीं.. अपनी माँ को अपने ऊपर लेटा रखा है तूने.. छोड़ मूझे..
सूरज मुस्कुराते हुए - लेटा ही तो रखा है माँ.. कोनसा आपके खेत में हल चला दिया मैंने..
सुमित्रा मुस्कुराते हुए - तेरा क्या भरोसा? हल भी चला दे और फसल ऊगा के मेरा पेट भी फुला दे..
सूरज सुमित्रा को अपने नीचे लेकर उसके ऊपर आता हुआ - आप इज़ाज़त दोगी तो वो भी हो जाएगा माँ.. आपकी ख़ुशी के लिए कुछ भी..
सुमित्रा - तेरे पापा और भैया को क्या कहूँगी? कि ये फसल कौन ऊगा गया फिर?
सूरज - वो आप जानो.. मूझे उससे क्या मतलब..
सुमित्रा मुस्कुराते हुए - वाह जी वाह कितना फरेबी है तू.. सो जा अब चुपचाप से.. वरना तेरी तोप पर ताला लगा दूंगी..
सूरज सुमित्रा के गाल चूमते हुए - माँ नियत खराब हो रही है मेरी..
सुमित्रा हसते हुए - मुझे सब महसूस हो रहा है.. जाकर पहले बाथरूम में इसे शांत करके आ.. वरना रात को तेरा क्या भरोसा.. आधी रात को अपनी माँ पर है चढ़ाई शुरु कर दे..
सूरज - पर शांत करू किसके नाम पर?
सुमित्रा - तुझे जिसके नाम पर करना है कर ले.. अपना फ़ोन लेजा.. नेट पर देख लाना किसी को..
सूरज उदासी का नाटक करते हुए - ऐसे नहीं होगा..
सुमित्रा - तो क्या मैं पकड़कर शांत करू तुझे?
सूरज - आईडिया बुरा नहीं है.. चलो आप है कर देना..
सुमित्रा के तन बदन में सूरज कि मुट्ठी मारने का ख्याल करेंट कि तरह दौड़ गया और वो झट से खड़ी होकर सूरज का हाथ पकड़ कर उसे बाथरूम ले गयी और बोली - किसी सेइस बारे मे कहा ना तो देख लेना..
सूरज सुमित्रा के बूब्स देखते हुए लोवर सरका देता है जिससे सूरज का लंड थप्पड़ की तरह घुटनो पर बैठी सुमित्रा के गाल पर पड़ता है जो पूरा खड़हुआ था जिसे देखकर सुमित्रा की आँखे चमक जाती है..
सुमित्रा लंड पकड़ कर हिलाते हुए कहती है - अपनी माँ से ये सब करवा रहा है.. तुझे नर्क मिलेगा..
सूरज सुमित्रा के कंधे पर हाथ रखकर - अह्ह्ह माँ.. साथ में जाएंगे.. वहा भी शांत कर देना.. कितने मुलायम हाथ है आपके..
सुमित्रा लंड हिलाते हुए उसी लंड से चुदने के ख्याल लेती है और कामुक होकर जोर जोर से सूरज का लंड हिलाने लगती है जिससे सुमित्रा की चुडिया खन खन करके बजने लगती है..
सूरज हसकर फ़ोन से सुमित्रा का वीडियो बनाते हुए - माँ बिलकुल पोर्नस्टार लग रही हो..
सुमित्रा सूरज को फ़ोन के साथ देखकर गुस्से मे लंड हिलाना छोड़कर बाथरूम से बाहर जाते हुए - फोटो क्यों ले रहा है तू? अपने हाथ से कर ले मैं नहीं करने वाली अब...
सुमित्रा जैसे ही खड़ी होती है सूरज फ़ोन रखकर सुमित्रा को बाहो मे भर लेता है और कहता है - अच्छा सॉरी.. आप नाराज़ मत हो.. डिलीट कर दूंगा ना अभी.. प्लीज..
सुमित्रा वापस घुटनो पर आते हुए - अब फ़ोन के हाथ लगाया तो देख लेना तू..
सुमित्रा वापस लंड हिलाने लगती है वही सूरज अपनी मा को देखते हुए कामुकता से कुछ सोचने लगता है की तभी सूरज के फ़ोन पर जयप्रकाश का फ़ोन आ जाता है..
सूरज पहिने उठाकर - हेलो..
हाँ हनी.. तेरी मम्मी कहाँ है? फ़ोन नहीं उठा रही..
सूरज सुमित्रा को लंड हिलाता देखकर - मम्मी साथ ही है पापा.. रुको बात करता हूं..
सूरज सुमित्रा को फ़ोन देते हुए - लो पापा का फ़ोन है बात करो..
सुमित्रा लंड हिलाना छोड़कर हैरानी से - हेलो..
सुमित्रा?
जी बोलिये?
सुमित्रा.. दीदी का फ़ोन आया था.. परसो मुन्ने के जन्मदिन का कार्यक्रम है.. कल कुछ अच्छा सा तोहफा ले लेना..
ठीक है जी.. आपने खाना खाया ना?
हां खा लिया.. सुमित्रा..
सुमित्रा और जयप्रकाश आपस मे बात कर रहे थे वही सूरज ने अब लंड अपने हाथ से पकड़ लिया था और सुमित्रा के मुँह पर टारगेट करके अपने लंड को हिलाते हुए मुठ मार रहा था सूरज ने सुमित्रा और जयप्रकाश की बात ख़त्म होने से पहले ही सुमित्रा के चेहरे को अपने वीर्य की गाडी गाडी धार से अलंस्कृत कर दिया.. सुमित्रा शर्म और गुस्से के मिश्रित भाव से भरकर रह गई और फ़ोन चालू होने के कारण सूरज को कुछ बोल ना पाई..
सूरज झड़ने के बाद अपने आपको ठीक करके बाहर आ जाता है..
सुमित्रा फ़ोन कट होने पर बाथरूम बंद कर देती है और सूरज ने जो वीर्य गिराया था उसे कुतिया बनकर जीभ से चाटने लगती है उसे हवस का नशा चढ़ गया था और बाथरूम के अंदर वो अपनी चुत में ऊँगली करते हुए सूरज का वीर्य चाट रही थी.. कुछ देर बाद वो भी शांत होकर बाहर आ गई और सूरज के पास आ कर लेट गई..
सूरज ने सुमित्रा के अपनी बाहो मे कस लिया और सुमित्रा की गर्दन पर चूमकर वैसे ही सो गया सुमित्रा भी बिना कुछ बोले कामसुःख के पहले पायदान पर मुस्कुराते हुए सूरज की बाहो मे चैन की नींद सो गई..
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गरिमा को इंतज़ार करते हुए अब कुछ दिन हो गए थे उसका दिल अब दुखने लगा था वो मन ही मन सूरज को चाहने लगी थी और उससे बात ना हो पाने के कारण उसका मन उसे दुखी कर रहा था.. गरिमा भी अपनी ज़िद छोड़कर आगे से सूरज से बात नहीं करना चाहती थी.. उसकी ज़िद उसीको परेशान कर रही थी एक हफ्ते से ज्यादा का समय हो चूका था और सूरज और गरिमा के बीच कोई बात नहीं हुई थी.. सूरज को तो गरिमा की इतनी याद नहीं आती मगर गरिमा सिर्फ उसीको याद कर रही थी.. मगर उसने भी अब अपने मन को समझाना शुरु कर दिया था और सूरज का ख्याल छोड़ने का मन बना लिया था.. मगर इश्क़ के हाथों मजबूर गरिमा की जवानी अब सूरज के नाम पर मचलने लगी थी..
सूरज अपने भाई विनोद के साथ ही उसके ऑफिस में काम करने लगा था.. और काम की वजह से वो बिजी भी रहने लगा था सुबह से शाम ऑफिस में होने के कारण उसका समय बंध गया और उसका लोगों से मिलना जुलना बंद हो गया था..
नज़मा उस रात के बाद से सूरज को अपना मान बैठी थी.. हालांकि उसे पता था सूरज उसे कभी हासिल नहीं हो पायेगा.. मगर आज की रात वो सूरज से मिलकर उसे अपने दिल का हाल बयान करना चाहती थी.. बिलाल ने उसकी अम्मी को वापस मामू को भेज दिया था और सूरज को कॉल करके आज आने के लिए कहा था.. नज़मा का मन मचल रहा था उसे बेसब्री से सूरज का इंतजार था.. रात के 10 बजे थे और बिलाल ने दूकान का शटर बंद कर दिया था.. सूरज अभी अभी सुमित्रा से रातभर बाहर रहने का कोई बहाना बनाकर बिलाल की दूकान के अंदर आकर बैठा था...
बिलाल - हनी.. मैं ऊपर जा रहा हूँ तेरी भाभी अंदर है..
सूरज सर हिला कर ठीक है कहता है और नज़मा के पास आ जाता है..
नज़मा सूरज के अंदर आते ही दरवाजा बंद करके सूरज को अपनी बाहों में भरके बिस्तर पर धकेल देती है और उसके ऊपर आते हुए कहती है..
नज़मा - कब से इंतजार कर रही थी सूरज.. कोई इतना समय लगाता है वापस आने में? एक ही बार में मन भर गया है तुम्हारा मुझसे?
सूरज - काम में बिजी था नज़मा.. और बिना बुलाये कैसे आता?
नज़मा सूरज के होंठो को चूमकर - दिल लग गया है आपसे.. बताओ आज कहा से शुरु करें? आज मैं नहीं शर्माने वाली..
सूरज नज़मा के होंठो को उंगलियों से मसलकर - नज़मा.. होंठों से ही शुरू करते है..
सूरज और नज़मा दोनों एक दूसरे को चूमने लगे जैसे पंछी चोंच लड़ाते है..
चूमते चूमते दोनों एक दूसरे को नंगा करने लगते है.. सूरज नज़मा की कुर्ती और सलवार उतार देता है तो नज़मा सूरज की शर्ट और जीन्स को खोल देती है..
नज़मा चुम्बन तोड़कर सूरज के लंड को पकड़कर बाहर निकाल लेती है और मुंह में भरके चूसने लगती है.. सूरज blowjob मिलने से सुख के सागर में डूब जाता है और नज़मा सूरज का लंड चूसते हुए उसे देखकर सूरज को खुश करने के पुरे प्रयास करने लगती है..
नज़मा सूरज के लंड को पूरी सिद्दत के साथ चूस रही थी और जितना लंड वो मुंह में ले सकती थी लेकर चूस रही थी.. कुछ देर लंड चुसवाने के बाद सूरज ने नज़मा का हाथ पकड़ के अपने ऊपर खींच लिए और फिर से उसके होंठो को चूमकर नज़मा की चड्डी उतारते हुए उसकी गीली चुत में लंड घुसा कर नज़मा को चोदने लगा.. नज़मा ऐसे चुद रही थी जैसे उसे कब से इस तरह सूरज से चुदने का ही इंतजार हो.. सूरज और नज़मा की आँखे एक दूसरे को ही देख रही थी और दोनों की आँखों में काम की इच्छा बैठी थी नज़मा तो दिल से भी सूरज को अपना सब कुछ देना चाहती थी..
नज़मा चुदवाते हुए - अह्ह्ह.. सूरज आराम से.. आज किस बात की जल्दी है आपको? मैं कहीं भाग तो नहीं जाउंगी.. आहिस्ता करो ना.. दर्द होने लगा है..
सूरज प्यार से चोदते हुए - सॉरी नज़मा.. बहक गया था..
नज़मा सूरज का चेहरा चूमकर - पूरी रात आपकी बाहों में ही तो रहूंगी ना सूरज.. मिठाई को स्वाद लेकर चखा जाता है.. निगला नहीं जाता.. समझें?
सूरज - अच्छा जी? मगर मूझे तो अब घोड़ी चाहिए..
नज़मा हस्ती हुई घोड़ी बनकर - लो कर लो सवारी अपनी घोड़ी की..
सूरज नज़मा को घोड़ी बनाकर चोदने लगता है..
रातभर दोनों का मधुर मिलन पुरे चरम पर चलता रहता है..
सुबह के पांच बज चुके थे और सूरज के सीने पर नज़मा छाती के बल लेटी हुई थी उसकी आँखों में आंसू आ गए थे..
सूरज - रो क्यों रही हो?
नज़मा - आप चले जो जाओगे कुछ देर में..
सूरज - तो इसमें रोने की क्या बात है?
नज़मा - मैं तो नहीं रोना चाहती.. अपने आप आंसू आ रहे है आँखों से..
सूरज मुस्कुराते हुए - आप भी ना नज़मा भाभी.. कमाल हो..
नज़मा सूरज के होंठो को दांतो से काटते हुए - भाभी बोलोगे तो आपके होंठों को ऐसे ही काटूंगी सूरज..
सूरज हसते हुए - अब नहीं बोलूंगा.. नज़मा.. अब जाने दे..
नज़मा उदासी से - जल्दी वापस आना सूरज.. आपकी नज़मा आपका इंतजार करेगी..
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कितनी खूबसूरत वादिया है ना.. तुम्हे पता है बचपन से मेरा कश्मीर आने का सपना था.. आज पूरा हो गया
अब कोनसी बड़ी हो गई हो तुम? पुरे रास्ते बचकानी बात करती आई हो.. ऐसा लगता है अब भी तुम बच्ची हो.. अब यही खड़े रहकर रात बितानी है या वापस होटल भी चलना है? होटल पहुंचते पहुंचते अंधेरा हो जाएगा..
एक हेल्प करोगो मेरी?
क्या?
मुझसे वापस नीचे नहीं उतरा जाएगा.. पैरों में बहुत थकान है.. मूझे उठाकर नीचे ले जाओ ना प्लीज..
हम्म.. ठीक है पर उसके अलग से 5 परसेंट लगेंगे.. बोलो मंज़ूर है तो..
ऐसे तुम मूझे कुछ भी नहीं दोगे.. 50:50 करना था कुछ ही दिनों में 60:40 हो गया.. अब भी तुमको और प्रॉपर्टी चाहिए..
मैंने फ़ोर्स थोड़ी किया है.. तुम्हरी मर्ज़ी है..
अच्छा ठीक है.. लो उठाओ मूझे..
रमन तितली को अपने बाहों में उठाकर पहाड़ से नीचे उतरने लगता है और तितली रमन की गोद में उसका चेहरा देखती हुई सोचती है कि वापस लौटने पर वो रमन की शादी की शर्त मान लेगी और धीरे धीरे रमन को अपना बना लेगी.. उसे इन कुछ दिनों में रमन से इश्क़ हो गया था जिसका उसे अहसास था और अब वो रमन के आस पास ही रहना चाहती थी.. उसे देखकर तितली को सुकून मिलने लगा था.. तितली ने इन कुछ दिनों में रमन को और उसकी आदतो को पूरी तरह नोटिस किया था और उसके अच्छे बुरे हर पहलु से वाक़िफ़ हो रही थी..
तितली के मन की दशा से अनजान रमन का दिल भी तितली के लिए धड़कने लगा था उसे इस बात का अहसास तो अब तक नहीं हुआ था मगर वो इतना जान गया था की तितली जितनी खूबसूरत है उतनी ही प्यारी और मासूम भी.. उसकी बातों से रमन को लगाव होने लगा था ये रास्ता अगर इतने आराम से कट सका था तो वो तितली के बातूनी होने के कारण कट सका था..
लो आ गए नीचे.. अब उतरो..
ऐसे कैसे उतर जाऊ.. 5 परसेंट ले रहे हो.. गाडी तक लेके चलो मूझे ऐसे ही..
रमन तितली को बाहों में लिए गाडी तक आता हुआ - हाथों में दर्द होने लगा है..
इतनी भरी हूँ मैं?
हलकी भी तो नहीं हो..
ओ.. 50 किलो की एक लड़की को कुछ देर उठाकर नहीं सकते.. क्या फ़ायदा तुम्हारा मर्द होने का..
रमन गाडी के पास आकर तितली को उतारते हुए - आधा घंटा हो गया.. समझी.. खुद तो महारानी की तरह गोद में आराम कर रही हो.. मूझे तो ऊपर से नीचे आना पड़ा ना तुम्हे गोद में लेके.. और गाडी तक भी नहीं चल सकती.. बात करती हो..
ज्यादा दर्द कर रहे है तुम्हारे हाथ? कहो तो दबा देती हूँ.. आराम आ जाएगा..
तुम्हे डॉक्टर किसने बना दिया? नर्स भी बनने के काबिल नहीं हो..
अच्छा जी.. ऐसा बोलोगे ना तो ऐसा इंजेक्शन लगाउंगी तुम्हारे बम पर कि याद रखोगे..
रमन गाडी चलाते हुए - तुमसे इलाज कौन करवायेगा.. बीमार को और बीमार ना कर दो कहीं.. मैं दूर ही रहना पसंद करूंगा..
तितली सिगरेट जलाते हुए - तुम दूर जाओगे तो मैं तुम्हारे पास चली आउंगी.. अब तो दोस्ती भी हो गई है हमारी..
कितनी सिगरेट पीती हो यार.. कहीं तुम्हे ही अपना इलाज़ ना करवाना पड़ जाए.. डॉक्टर होकर भी अपना ख्याल नहीं रख सकती..
तितली कश लेकर धुआँ छोड़ते हुए - तुम हो ना ख्याल रखने के लिए.. जब से घूमने निकले है तुम्ही मेरा ख्याल रख रहे हो.. ऐसा लगता है सच मुच के पति हो..
बना लो.. मैं तो तैयार हूँ तुम्हारा पति बनने के लिए..
और पूरी प्रॉपर्टी लेने के लिए भी.. मेरे हाथ में पकड़ा दोगे कटोरा और बोलोगे.. कुछ चाहिए तो चलो मुझसे भीख मांगो..
तो क्या हुआ.. तुम्हारी नाक छोटी हो जायेगी उसमे? पत्नी तो पति से मांगती ही है जो उनको चाहिए होता है..
तितली सिगरेट पीते हुए - एक बात बताओ.. अगर मैं शादी करू तुमसे.. तो सोओगे मेरे साथ?
रमन हसते हुए - सोना होगा तो किसी रुस्सियन के पास चला जाऊंगा.. तुम्हारे साथ क्यों सोऊंगा.. तुम तो बिस्तर में भी पक्का दोगी बोल बोल के..
तितली सिगरेट फेंकते हुए - ऐयाशी करनी ही आती है तुम्हे.. बस..
रमन - होटल आ गया.. पैरों से चलना पसंद करोगी या यहां भी गोद में उठा के ले जाना पड़ेगा डॉक्टर साहिबा को?
तितली मुस्कुराते हुए - रहने दो.. तुम और 5 परसेंट माँगने लग जाओगे..
तितली और रमन होटल के एक रूम में आ जाते है..
रमन आग के पास बैठकर हाथ सकता हुआ तितली से कहता है - एक बात बताओ.. घर पर तो अकेली सोती हो.. फिर बाहर अकेले सोने में डर क्यों लगता है तुम्हे?
तितली नाईट ड्रेस लेकर बाथरूम जाते हुए - वो सब तुम्हे क्यों बताऊ? क्या लगते हो तुम मेरे?
तुमने ही तो कहा था दोस्त है..
दोस्त हो तो दोस्त की तरह चुपचाप सोफे पर सो जाओ.. मैं तुम्हारी हर बात का जवाब नहीं देने वाली..
तितली बाथरूम जाकर नाईट ड्रेस पहनकर वापस आ जाती है और बेड पर लेट जाती है और चश्मा लगा कर फ़ोन में घुस जाती है...
रमन भी अपने कपडे बदल कर सोफे पर लेटते हुए - चश्मे में बहुत क्यूट लगती हो.. मैं बस बता रहा हूँ..
तितली - रिसेप्शन से एक्स्ट्रा ब्लेंकेट मंगवा लो... ऐसे तो बीमार हो जाओगे..
रमन - कॉल किया था.. नोट अवेलेबल कहा उन्होंने.. वैसे इतनी परवाह है तो अपना दे दो..
तितली कुछ सोचकर - फिर मैं क्या ओढ़ँगी? तुम चाहते हो मैं बीमार हो जाऊ? कितने मतलबी इंसान हो ना..
रमन - मतलबी होता तो तुम्हे सोफे पर सोना पड़ता.. हर रात.. पिछले डेढ़ हफ्ते से मूझे कभी सोफे पर तो कभी नीचे फर्श पर सोना पड़ रहा है.. और मूझे मतलबी कह रही हो..
तितली हस्ती हुई - अच्छा ठीक है.. तुम भी यहां बेड पर आ जाओ.. आज रात मज़बूरी है तो एक ब्लैंकेट से काम चला लेते है..
रमन मुस्कुराते हुए - सोच ले.. एक जवाँ मर्द को अपने बिस्तर में बुला रही हो.. कहीं कोई काण्ड ना हो जाए..
तितली हसते हुए - मूझे अगर तुम्हारा हाथ छुआ भी ना.. तो जो प्रॉपर्टी का 65:35 तय हुआ है वो वापस 100:00 हो जाएगा.. याद रखना..
रमन तितली के पास कम्बल में आकर - बहुत होट हो तुम तो.. पूरा गर्म किया हुआ है अंदर से..
तितली हस्ती हुई - सो जाओ चुपचाप.. समझे
रमन - वैसे कर क्या रही हो?
तितली फ़ोन दिखाते हुए - आज की फोटोज है.. कुछ इंस्टा पर पोस्ट की है.. देखो कितनी अच्छी तस्वीरे आई है आज..
रमन - मेरी तस्वीर क्यों पोस्ट की?
तितली - 2-3 पिक ही तो पोस्ट की है तुम्हारी.. उसमे क्या हो गया.. रियेक्ट तो ऐसे कर रहे हो जैसे कोई नंगी तस्वीर पोस्ट कर दी हो तुम्हारी.. देखो कितने प्यारे लग रहे हो.. शकल देखकर कौन कहेगा तुम पैसो के पीछे पागल हो..
रमन - कुछ भी बोलने लगी हो.. बाप की जायेदाद बेटे की ही तो होती है.. तुम कुछ ज्यादा नहीं खुल गई मेरे साथ?
तितली फ़ोन रखकर - तो? क्या करोगे तुम? रिपोर्ट लिखाओगे मेरे खिलाफ?
रमन का मन तितली को इस वक़्त चुम लेने का हो रहा था मगर वो अपने आप पर काबू रखने को मजबूर था और नहीं चाहता था कुछ ऐसा वैसा करें.. मगर तितली तो दुआ करने लगी थी की रमन कोई पहल करें और दोनों मोहब्बत के सागर में कश्ती हाँकने लगे.. मगर ऐसा हुआ नहीं.. दोनों एक दूसरे को देखे जा रहे थे और चुप थे.. फिर रमन ने करवट बदल ली और बोला - गुडनाईट..
रमन से गुडनाइट सुनकर तितली का मुंह उतर गया उसे लगा था की रमन शायद उसे चुम लेगा और अपनी बाहों में भरके उसके साथ आज रात प्यार मोहब्बत की हद तक आ जाएगा.. मगर ऐसा हुआ नहीं..
दिल पर पत्थर रखकर तितली ने भी कहा - गुडनाइट...
तितली की आँखों में नींद नहीं थी.. वो रमन को देखकर कभी प्यार से भर जाती तो कभी उसकी तरफ देखकर रमन को मन ही मन गालिया देते हुए उसकी ऐसी हालात करने का दोष देकर कोसने लगती..
तितली की मोहब्बत रमन के लिए बढ़ती जा रही थी और तितली अच्छे से इस बात को जानती थी उसे रमन से इन कुछ दिनों में इश्क़ हो गया था.. ये जानते हुए भी कि रमन उसका सौतेला भाई है.. तितली रमन के साथ जीने के ख़्वाब देखने लगी थी और अब उसने रमन के मुताबिक खुदको ढालने का निर्णय ले लिया था.. पूरी रात रमन उसी तरह सोता और नींद में भी उसका हाथ तितली को नहीं छुआ.. तितली चाहती थी की कम से कम नींद में ही रमन उसके साथ कोई छेड़खानी करें मगर ऐसा कुछ हुआ नहीं..
सुबह रमन की आँख खुली तो उसने देखा तितली नहाकर बाथरूम से बाहर आइ है और उसके बाल उसकी कमर तक ऐसे लहरा रहे थे जैसे नागिन हो.. तितली ने एक आसमानी रंग का लाहौरी सूट पहना था जिसमे वो गज़ब की खूबसूरत लग रही थी..
तितली ने रमन को जागते देखा तो रूम में रखे सामान से एक कप चाय बनाकर रमन को देते हुए बोली - नहा लो.. आज वापस घर के लिए निकलना था ना..
रमन चाय लेकर पीते हुए - थैंक्स..
रमन चाय पीकर नहाने चला जाता है ब्रश वगैरा करके नहाकर बाहर आ जाता है आज उसने जान बूझकर सिर्फ तौलिया अपने बदन पर लपेटा था और कमर से ऊपर वो नंगा था.. तितली ने पहली बार तिरछी नज़रो से रमन को घुरा था और वो उसके गठिले सुन्दर शरीर को आँखों से भोग रही थी.. रमन ने जल्दी से कपड़े पहने फिर तितली के साथ होटल में ही खाना खाकर अपना सामान उठाकर तितली के साथ बाहर गाडी में आकर बैठ गया...
रमन गाडी चलाने लगा और अब काफी देर तक दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई....
तितली ने काफी देर बाद रमन को देखकर कहा - मोन वर्त है तुम्हारा आज?
नहीं तो.. क्यों?
तो कुछ बात करो ना.. इतना चुप क्यों हो? बोर हो रही हूँ..
ऐसा है.. मैं तुम्हे इंटरटेन करने के लिए यहां नहीं लाया हूँ समझी? अभी मेरा मन नहीं है कुछ बोलने का.. जब होगा तब बोलूंगा..
तितली सिगरेट होंठों पर लगाती है तो रमन सिगरेट छीनकर बाहर फेंकता हुआ कहता है - और बार बार ये सिगरेट पीना बंद करो.. बीमार हो जाउंगी तो मूझे ही संभालना पड़ेगा..
तितली मुस्कुराते हुए - लगता है दिल आ गया जनाब का मुझ पर.. क्या बोलते थे? छिनाल.. गोल्डडीग्गर.. अब इतना ख्याल रखने लगे हो मेरा..
तुम्हारी गलतफहमी है.. मैं कोई ख्याल नहीं रख रहा बस बिना किसी परेशानी के घर पहुंचना चाहता हूँ.. फिर शान्ति संभाल लेगी तुम्हे..
तितली हसते हुए - मैं अपना ख्याल रख सकती हूँ.. कम से कम गाने तो चला दो इसमें..
तुम ही चला लो..
तितली एक पुराना गाना चलाते हुए - तुम्हारे लिए चलाती हूँ.. लो सुनो.. मैं तो बेघर हूँ.. अपने घर ले चलो.. घर में मुश्किल.. तो दफ़्तर ले चलो..
रमन मुस्कुराते हुए - पागल हो तुम..
तितली हसते हुए - और तुम पैसो के लिए एक पागल से शादी करना चाहते हो..
रमन - बार बार वही बात क्यों लाती हो?
तितली - सच ही तो कहती हूँ.. कुछ गलत तो नहीं कहा मैंने..
रमन - तो तुम ही छोड़ ना प्रॉपर्टी.. तुम क्यों पीछे पड़ी हो प्रॉपर्टी के?
तितली - और बिना पैसो के क्या करु? साध्वी बन जाऊ?
रमन - वो सब तुमसे नहीं हो पायेगा.. तुम मेरी PA बन जाना.. सारा काम संभाल लेना.. जो सेलेरी लेना चाहो ले लेना..
तितली - और मैं कोर्ट में केस करके पूरी प्रॉपर्टी लेकर तुम्हे अपना PA बना लू तो? आईडिया तो वो भी अच्छा है.. बोलो बनोगे मेरे PA?
रमन - उससे अच्छा तो मैं यहां किसी नदी में कूद जाऊ और जान दे दू...
तितली गुस्से में - रमन... क्या कुछ भी बोलते हो.. तुमसे बात ही नहीं करनी मूझे..
रमन - तुम्हे क्या हो गया एक दम से?
तितली सिगरेट जलाकर कश लेते हुए - कुछ नहीं.. तुम्हे बात नहीं करनी ना.. कुछ नहीं बोलूंगी मैं अब..
रमन - हुआ क्या है?
तितली बाहर देखते हुए - कुछ नहीं..
तितली रमन के खुदखुशी करने की बात पर उससे नाराज़ हो गई थी भले ही रमन ने ये बात यूँही कही थी मगर तितली को वो मज़ाक़ भी पसंद नहीं आया था उसे रमन से प्यार हो गया था और वो उसके लिए अब कुछ भी बुरा सुनने को तैयार नहीं थी.. रमन के खुदके मुंह से भी नहीं.. रमन गाडी चला रहा था और तितली सिगरेट के कश लगाते हुए रमन के साथ जिंदगी बिताने के ख़्वाब देखने लगी थी.. कुछ ही दिनों में रमन और तितली वापस घर लौट आये..