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Incest घर-पड़ोस की चूत और गांड़, घर के घोड़े देंगे फाड़

Blackmamba

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Kuch aise Ch_t_ye log bhi hote hai, jinhe Story me sirf Hi_du Ladkiyo / Aurato ki hi Mus__mo se Chudte hue dekhne me hi Maza aata hai, aur unhi Kahani ko hi Accha kahte hai.

Jaha Mu_lim Aurato ki Chudai H_nd_ se dikha de to inki GAND me AAG lag jati hai. :fuck1:
Abe tune kabhi mere comment dekhe bhi hain, mujhe to tab maza aata hai h_n_d mard m_s_l_m aurat ki chut aur gaand ke parkhacche uda ke chodta hai.... Tum to ulta hi soch baithe.... Kya bhai.... Mai writer se isliye na khush tha ki faltu me usne sajiya ke ghar ke sadasyo ko add kiya woh jab Raju aur ambar se chudti tab maza aata aur bhai aap apni juban par lagam lagao , maine kisi ko gaali nahi di jo tum mujhe gaali bak rahe ho....
 
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Blackmamba

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xforum pe dharam kaha or kabse gus gaya be maine tho kabhi bhi nahi dekha ki jo ab tak maine story padi hai unme bahut se log antar dharm sahavaas karte hai maine badi chaav se padi hai saari story

pls bhai log jo koi bi ho kisi bi dharm ki ho xf me ane ke baad wo ek hi maa ki bache hote hai isliye tho yaha baat baat pe bhai bhai karle baat ki jaati hai so pls xf me dharm ko mat laavo story pado pasanad nahi aya mat pado bas
Ok bhai I agree to your point
 
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Blackmamba

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Ek suggestion deta hun bhai shayad aapko pasand aaye, sajiya ko sadhu baba ki rakhail bana do aur uske bete ko uske abbu ke pass sheher bhej do phir kahani ko Raju ambar unki dono behen aur savita prema par focus karo
 
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Sanju@

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अपडेट-11​
सजिया शाम को तो खुशी खुशी सो गई क्योंकि वह जो मुंह काला करवाके आई थी उसके बारे में किसी को भनक नहीं लगी। सविता, प्रेमा के साथ लगभग हरदिन बात बतकही करने वाली सजिया जब तीन दिन नही आई तब ।​
सविता: प्रेमा! सजिया नही दिखाई दे रही कई दिन से।​
प्रेमा: क्या पता उसका मंसेधु (पति) आ गया हो बंबई से।​
सविता: उसका भतार (पति) आया होता तो वह भी तो गांव में आते जाते दिखाता।​
प्रेमा: चल सविता देख ही आते हैं अकेली रहती है बेचारी क्या पता धूप में जाने के कारण जूड़ी (सर्दी) बुखार आ गया हो।​
दोनों उसके घर गईं प्रेमा ने आवाज लगाई: सजिया ओ सजिया क्या बात है हमसे रूठ गई क्या..... किसी बात से...... बता देना ।​
सजिया जो खाट पर सलवार घुटने तक करके ऊपर से हल्की चादर रखकर आराम कर रही थी। अचानक से सलवार बांधी।​
सजिया: आई दीदी ।​
किसी तरह उठकर धीरे धीरे मंद गति से दरवाजे तक आई।​
सविता: हे भगवान! क्या हो गया सजिया तुझे तभी मै कहूं आजकल काहे नहीं दिखाई दे रही।​
सजिया: आप दोनो अंदर आ जाओ बाहर क्यों खड़ी हो।​
प्रेमा: कोई बात नही, बाहर ही ठीक है ।​
सजिया: चलो आंगन में बैठ कर बाते करेंगे।​
सविता: चल प्रेमा।​
सविता: अब बता सजिया क्या हो गया तुझे इतने दिन क्यों नहीं आई।​
सजिया: कुछ नही बस कमर चमक गई थी।​
प्रेमा: कमर इतने दिन चमकती है कहीं।​
सजिया: मेरा मतलब मोच आ गई थी।​
सविता: चल खाट पर लेट, तेरी कमर की मालिश कर देती हैं हम दोनों ।​
सजिया मुस्कुराते हुए: नही नही अब तो ठीक हो गई हूं।​
प्रेमा: ठीक कितनी है तेरी चाल ही बता रही है। चल खाट पर लेट नही तो चोट एक बार घर कर गई तो हर साल सर्दी बरसात में चलने नही पाएगी.....और हां कमर में कैसे मोच आ गई तेरे....तू कौन सा खेत में फावड़ा भांज रही थी तेरे जानवर भी तो छोटे हैं...वह भी तो तुझे नही घसीट सकते।​
दोनो को शक होने लगा प्रश्नों की बौछार देखकर सजिया खाट पर लेट गई।​
सजिया ने कमर में मोच का बहाना तो बना दिया था लेकिन उसमे कैसी प्रतिक्रिया देनी है इससे अनजान थी। खाट के एक ओर प्रेमा बैठी दूसरी ओर सविता दोनो ने मालिश करना शुरू किया गुदगुदी के मारे सजिया केवल हंसती रही। सविता ने अपने शक को विश्वास में बदलने के लिए बीच बीच में कमर की हड्डियों और मांसपेशियों को तेज दबा देती थी लेकिन सजिया की ओर से किसी दर्द की प्रतिक्रिया नहीं आई। सविता से रहा नही गया और उसने प्रेमा से इशारे में दरवाजा लगाने के लिए कहा जैसे ही प्रेमा वापस आई सविता ने सजिया की सलवार का नाड़ा खींच दिया और सलवार उतारने लगी लेकिन सजिया ने मजबूती से अपनी सलवार पकड़ ली। प्रेमा और सविता ने उसकी सलवार उतार दी।​
प्रेमा: हाय दईया! कहां मुंह काला करवाके आ गई अनवर को पता चला तो तुझे घर से निकाल देगा।​
सविता: प्रेमा इसकी बुर तो तेरी तरह ही फट गई है चिथड़े निकल गए हैं इसके।​
प्रेमा: चुपकर सविता क्या बोल गई।​
सविता: कहीं तू उस बाबा के चक्कर में तो नहीं फंस गई ।​
सजिया: नही दीदी ये तो मैने जोश में इसमें खीरा डाल लिया था।​
प्रेमा: चुपकर अपने हाथ से कोई बदन का एक बूंद खून निकालने में डर जाता है। और तेरी चूत के आस पास की सूजन बता रही है कि उस बाबा ने ही तेरा मुंह काला किया है।​
सविता: सच सच बता दे सजिया ताकि हम लोग तेरी मदद कर सकें नही तो किसी और को पता चल गया तो गांव में मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगी।​
सजिया ने अब जाके हामी भरी।​
प्रेमा जो ये सब झेल चुकी थी।​
प्रेमा: फिर तू घर कैसे आ गई अकेली?​
सजिया: बाबाजी छोड़ने आए थे।​
सविता: हाय दईया! इस बाबा ने बेचारी सजिया की बुर का भरता बना दिया ।​
सजिया: लेकिन बाबाजी के बारे में आपको कैसे पता।​
प्रेमा: तुझसे क्या छिपाना सजिया इस गांड़चोदी सविता ने मुझे भी उस बाबा से हलाल करवा दिया था।​
सजिया: कैसे कब क्यों कहां?​
प्रेमा ने संक्षिप्त वाकया सुना दिया। सविता मुस्कुराए जा रही थी।​
प्रेमा: हंस ले और हंस ले किसी दिन मौका मिला न तो तुझे भी नही छोडूंगी। और तू सजिया ये सलवार सूट की बजाय साड़ी ब्लाउज पहन ले चूत को आराम मिलेगा और कम चलाकर जिससे चूत की दोनो फांके रगड़ेंगी नही आपस में और तू जल्दी ठीक हो जाएगी।​
सजिया ने प्रेमा की बातों का पालन किया और हफ्ते भर में चूत की फटी कोशिकाएं पपड़ी बनकर निकल गईं उनकी जगह नई कोशिकाओं ने ले ली। अब उसका फिर से प्रेमा और सविता के पास आना जाना प्रारंभ हो गया ।​
चुदाई के बाद जब पहली बार सजिया बाबा से मिली तो उसने बाबाजी के सामने सवालों की झड़ी लगा दी। दो सवाल प्रमुख थे कि जब आप वानप्रस्थ सन्यासी बाबा हैं तो आपने उस दिन मेरे साथ सहवास क्यों किया मैं भले ही कितना क्यों न बहक गई रही होऊं? इसका जवाब बाबा को विस्तार देना पड़ा। दूसरा प्रमुख सवाल कि आपका लिंग इतना मोटा और लंबा कैसे है?​
बाबाजी: सजिया बेटी​
सजिया टोकते हुए: बेटी मत कहो आप​
बाबा: बात ऐसी है कि यहीं पहले मेरे गुरुजी रहते थे मै उनसे प्रभावित होकर उनसे उनका शिष्य बनने की इच्छा प्रकट की। उन्होंने मुझसे पहली बार ही कह दिया था तुम बाबा नही बन सकते इसमें कठोर इंद्रिय वश की जरूरत होती है और तुम्हारी उम्र भी कम है। बहुत हठ करने पर बाबाजी ने मुझे अपना शिष्य बनाया, अनुशासन सिखाया और पंद्रह वर्ष बाद वह नही रहे । वैसे तो उन्होंने मुझे कई औषधियां दी थीं लेकिन उसी के साथ एक दवा दी थी जो मनुष्य के लिंग में वृद्धि करती थी उस समय मैने बाबाजी से पूछा भी था कि इसे आप मुझे क्यों दे रहे हैं? तब उन्होंने मुझे देकर कहा था कि मैने इसका सेवन करके अपना लिंग बेहद लंबा और मोटा कर लिया है लेकिन मेरे सामने किसी नग्न स्त्री को भी खड़ा करदो तब भी मेरा इंद्रिय संयम कायम रहेगा। मैं तुम्हे इस औषधि को दे रहा हूं इसका सेवन करते रहो और इंद्रिय पर संयम रखो अगर तुमने अपनी इंद्रिय पर उस आयु तक संयम बनाए रखा जब तक कि तुम्हारे इंद्रिय का वीर्य समाप्त न हो जाए तब ही खुद को मेरा शिष्य समझना अन्यथा नहीं।​
मुझे भी अपने लिंग पर काबू था क्योंकि इस कुटिया के पास कभी कोई स्त्री नही आती थी। जब बाहर जाता तो भी कभी किसी स्त्री के नाजुक अंगों का दर्शन नहीं होता था। किंतु उसके बाद की घटना तो मैने पहले उत्तर में ही सुना दी।​
सजिया: क्या वह औषधि आपके पास अभी भी है?​
बाबाजी: हां है लेकिन किस काम की वह तो युवावस्था में ही काम करती है।​
सजिया: वह औषधि मुझे चाहिए।​
बाबा: क्यों किसके लिए?​
सजिया: मेरे पुत्र के लिए।​
बाबा: नही, तुम्हारी बहू का क्या हाल होगा?​
सजिया: आपने उस दिन मेरा क्या हाल किया था? मुझे वह औषधि दे दीजिए।​
बाबा: ठीक है ले जाओ जिस औषधि कि वजह से मै अपने गुरु जी का आदर्श शिष्य न बन सका उस औषधि का इस कुटिया में क्या काम? इसे ले जाओ इसे किंतु इसका सेवन दूध के साथ ही करना है घी का सेवन बढ़ा देना है इसका सही असर लगातार 108 दिनो के सेवन पर होता है। यह औषधि ज्यादा है कम से कम दस लोगों के लिए इसका समुचित उपयोग करना बची औषधि को फेंक देना जो तुम्हारी इच्छा हो किंतु यह औषधि मेरी कुटिया में अब नही रहेगी। लेकिन एक बात और बता दूं सजिया इसका कुटिया में सेवन कर रहा था और कुटिया के आस पास दूर दूर तक किसी स्त्री का आगमन नही होता था घर में किसी को सेवन कराओगी तो उसकी कैसी प्रतिक्रिया होगी इस बारे में मुझे तनिक भी अनुभव नहीं उसकी जिम्मेवार तुम होवोगी। सजिया ने औषधि ली और वापिस आने लगी तभी पीछे से बाबाजी ने उसकी गांड़ पकड़ के चूत तक भींच लिया। बाबाजी को एहसास हो गया चूत ठीक होकर फैल गई है।​
सजिया घर आ गई औषधि को एक जगह छिपा दिया और सोचने लगी जब मेरा बेटा हैदर आएगा तब उसे बिना बताए दूध में सेवन करा दूंगी ।​
किंतु जब अनवर की एक माह तक घर आने की कोई योजना नहीं बनी तो सजिया बाबाजी की दी हुई औषधि की सच्चाई जानने के लिए उसे आजमाने की सोचने लगी।​
इस बारे में अपनी सच्ची सहेलियों प्रेमा और सविता से बताया। पहले तो कहने लगी बाबा बेवकूफ बना रहा होगा तुझे। बाद में वह दोनो भी तैयार हो गईं राजू और अंबर पर आजमाने के लिए।​
सजिया, प्रेमा सविता तीनों ही अब काम क्रीड़ाओं के मामले में बिलकुल खुल कर बातें करने लगी थीं । किंतु मनुष्य की यह प्रवृत्ति होती है कि पिता हमेशा अपनी बेटियों को बच्ची समझता है कम से कम तब तक जब तक उसके हाथ न पीले करवा दे। यही हाल मांओं का होता है वह अपने बेटों को बच्चा ही समझती हैं जब तक वह बाप न बन जाए। कहने का आशय यह है कि राजू और अंबर पर दवा आजमाने तक सविता और प्रेमा के दिमाग में कौटुंभिक व्यभिचार की कोई विचार मात्र तक नहीं था।​
राजू और अंबर की जवानी तो उफान मार ही रही थी प्रारंभ में मुट्ठ मारने की वजह से दोनो का लंड लंबा और पतला हो गया था दोनो शारीरिक रूप से भी कमजोर हो गए थे किंतु जब उन्हें बालिकाओं से दूर होना पड़ा तो शरीर ने आकार लेना शुरू किया, कंधे चौड़े हो गए, दोनो हाथ और जांघें मांसल हो गईं । दोनो को भाई बहन का रिश्ता भी समझ आ गया था। किंतु इसी बीच उनकी बिना जानकारी के दोनो के साथ औषधि का प्रयोग प्रारंभ हो गया । दो महीने तक तो दोनो को पता नहीं चला, लेकिन उसके बाद जब औषधि ने लंड की मोटाई बढ़ान शुरू की तब उन्हे चड्डी का साइज बदलना पड़ा लेकिन औषधि यहां तक नहीं रुकी जब दोनो के लंड 10 इंच लंबे साढ़े तीन इंच मोटे हो गए तब औषधि ने लंड में वीर्य का संचय बढ़ा दिया। अब राजू और अंबर के बस की भी बात नही थी वीर्य को बाहर निकलने से रोकना। रात्रि को स्वयं ही स्वप्न आ जाते और उत्तेजना में नागराज फन फुला के थूक देते वह स्वप्नदोष का शिकार हो गया को कि लाजमी था क्योंकि उसने मुट्ठ मारना लगभग बंद कर दिया था तो नागराज के पास यही एक विकल्प बचा था। यहां तक भी सहने योग्य था। अक्सर उसके सपने में अनजान सुंदरी आती थी धीरे धीरे झड़ने से पूर्व उसकी नींद खुलने लगी और वह पेट को पीछे खींच कर वीर्य निकलने से रोक देता। अब नागराज हैरान परेशान उन्होंने संकेत (सिग्नल) मस्तिष्क को भेजा और मस्तिष्क ने वीर्य बाहर निकालने के प्रयास जारी कर दिए । एक रात्रि राजू के स्वप्न में उसकी मां आ गई वह भी बहुत ही कामुक अंदाज में सपना छोटा था जिसमे उसे जगने से पांच मिनट पहले तक स्मरण रहा प्रेमा का पेटीकोट चूत से एक फीट नीचे खिसका हुआ था और उसने चूत में लंड डाल के पांच मिनट तक चुदाई की और उसकी नींद खुल गई चड्डी भीग गई रात के तीन बज रहे थे सुबह तक सूखने की कोई आशंका न होते देख उसे उठना पड़ा और चड्डी बदलनी पड़ी।​

Very hot update :bounce:
 
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Sanju@

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अपडेट-12​
आए दिन वीर्यस्खलन से राजू चिड़चिड़ेपन में रहने लगा। इसी बीच एक रात राजू की चड्डी बदलने/ धुलने की उठापटक में प्रेमा की नींद खुल गई उसने झरोखे से देखा तो उसका बेटा राजू रात के साढ़े तीन बजे नल के पास बैठा कोई कपड़ा धुल रहा था। उसने यह सोचकर कि सुबह पूछूंगी अपनी जिज्ञासा को मन में समेटे पुनः नींद की आगोश में सो गई। उधर अंबर ने राजू के चिड़चिड़ेपन से परेशान होकर उससे पूछा।​
अंबर: क्या हुआ भाई? अब तुम्हारे चेहरे का तेज कैसे गायब हो गया है?​
राजू: कुछ नही बस ऐसे ही?​
अंबर: कुछ तो है......हम दोनों अपनी बात आपस में नही साझा करेंगे तो किससे करेंगे।​
राजू: अंबर भाई! जब मै रात को सोता हूं तो सुबह करीब साढ़े तीन चार बजे किसी नग्न स्त्री का सपना आता है और मेरा वीर्यस्खलन हो जाता है और मैं कुछ नही कर पाता ।​
अंबर: क्या बात कर रहा है! सपने में नग्न स्त्री....​
राजू (झूठ बोलते हुए): हद तो तब हो गई जब एक दिन स्वप्न में तेरी मम्मी आ गईं।​
अंबर: तू झूठ बोल रहा है ऐसा नहीं हो सकता।​
राजू: मै इसीलिए नही बता रहा था तूने ही जिद की थी।​
इस संवाद से अंबर के मन में विभिन्न प्रकार की जिज्ञासाएं उत्पन्न हुईं जिसे उसकी कमर के नीचे कुंडली मारकर बैठे नागराज भी महसूस कर रहे थे। यही कारण था कि उसके स्वप्न में भी उसके आसपास के परिवार के सदस्यों आने लगे जैसे जिससे उसे अधिक लगाव था कंचन से । लेकिन स्वप्नदोष किसी तर्क या लॉजिक के आधार पर नही होता इसलिए उसके सपने में किरन और सविता यहां तक कि अंजली और प्रेमा का भी आगमन हुआ। अब उसे राजू की बातों पर विश्वास हो गया।​
इधर प्रेमा ने राजू से सवाल किया......प्रेमा: राजू बेटा रात में तीन चार बजे नल पर कपड़े क्यों धुल रहा था दिन में धुल लेता।​
राजू जो इस बात से अनजान था कि कपड़े धुलते हुए उसे किसी ने देखा है......हड़बड़ाहट में उसने कहा....….. कुछ नही मां मै गमछा धुल रहा था। प्रेमा: रात में गमछा धुलने की क्या जरूरत आन पड़ी।​
राजू: मां वो कल रात पशुओं को बांधते समय गोबर लग गया था। ........प्रेमा ने और कोई प्रश्न न करके अपने बेटे की असहजता खत्म कर दी। .........औषधि या दवा जो उपयोग करता है वह अक्सर उसका उपयोग करना भूल जाता है लेकिन देने वाले को उसका असर देखने की जल्दी रहती है इसीलिए...........एक दिन सजिया, सविता और प्रेमा की नीम की चबूतरे पर जमी महफिल में उस बाबा की दी हुई औषधि का जिक्र किया तो प्रेमा और सविता ने औषधि के नियमित सेवन की बात तो स्वीकारी लेकिन उसके परिणाम के बारे में सजिया को कोई जानकारी न दे सकीं। किंतु प्रेमा के मन में रात की घटना और राजू के गमछा धुलने की बात स्वीकारना पुनः स्मृति में आ गई और अब तो उसे गमछे में मुट्ठ मारने का भी शक हुआ...... उसे औषधि के सेवन से जोड़ना चाहा किंतु किसी ठोस पुष्टि के बगैर उसने इस बात को महफिल से दूर ही रखा और दोनो इस बात पर तैयार हुईं कि राजू और अंबर पर नजर रखकर औषधि के असर को जानना है अन्यथा इसका सेवन बंद कर देना चाहिए ताकि किसी प्रतिकूल प्रभाव से बचा जा सके।​
एक दिन शाम को कंचन और किरन के कमरे में कंचन, किरन, अंबर तीनों लूडो खेल रहे थे जिसमे कंचन बार बार हार जाती थी इसलिए वह दोबारा जिद करके खेल प्रारंभ करवाती.....तभी सविता ने डांट लगाई तो किरन रोटी सेंकने चली गई......कुछ देर में वापस आई और दोनो को खाना खाने के लिए कहा.....किंतु कंचन ने जिद करके दोनों का भोजन वहीं मंगा लिया। किरन तो अपना खाना खाकर सो गई.....किंतु ये दोनो खेलते रहे......कब नींद आई दोनो में से किसी को पता नहीं चला। अंबर की नींद तब खुली जब वह करीब सुबह चार बजे कंचन को बाहों में लिए झटके लगाते हुए पैंट गीली कर चुका था वह चुपचाप उठकर अपने बिस्तर की ओर भागा लेकिन उसी समय पेशाब करने उठी सविता ने उसे देख लिया।........ कंचन की नींद खुल गई उसे लगा कोई और है वह डर गई उसने किरन को यह बात बताई। किरन ने चुपके से जाकर यही बात अपनी मां से बताई ताकि उसके पिता की नींद में व्यवधान न उत्पन्न हो। सविता ने मामले की गंभीरता समझते हुए किरन और कंचन को बहला कर सुला दिया........सविता को शक था कि अंबर ने यह जानबूझकर किया है......इसलिए उसी वक्त उसके पास जाकर बोली: अंबर ओ अंबर! अंबर सोने का नाटक करने लगा । सविता का शक और ज्यादा गहरा हो गया । सविता: अंबर नाटक मत कर तू कंचन के कमरे में क्या कर रहा था? अंबर की चड्डी तो गीली थी ही डर के मारे गांड़ भी फट गई.....दांव उल्टा पड़ गया.....जहां शर्म के मारे वह सब कुछ छुपा लेना चाहता था उसे सब कुछ विस्तार से समझाना पड़ा.....अंत में तो सविता ने चुपके से अचानक चादर हटा दिया.....अंबर: मां क्यों परेशान कर रही हो.....सविता: तुझे मैने अपने हाथ से हगाया शौंचाया है तू मुझ से क्या शर्म कर रहा है। सविता को लगा आज उसका बेटा सही मौके से फंस गया है आज इसकी जांच कर ही लेती हूं कि औषधि ने काम किया या नहीं? यही सोच कर सविता ने उसकी चढ्ढी भी नीचे खिसका दी और टॉर्च का फोकस उसी पर कर दिया ....सविता ने जब चड्डी हटाई तो देखा अंबर का लिंग शांत किंतु तनाव में कच्छे के अंदर बैठा है जैसे फिर किसी से लड़ने की मुद्रा में हो और पूरी चड्ढी वीर्य से सन गई थी.....अंबर ने तुरंत ही चढ्ढी फिर से पहन ली ......लेकिन इस बार किसी महिला के निकट होने से नागराज आकर्षित होकर बीच से सिर निकालकर झांकने लगे ......अंबर शर्म के मारे कोशिश करता रहा कि लिंग अंदर हो जाए लेकिन 10 इंच लंबे और साढ़े तीन इंच लंबे नागराज ने फन फुलाए रखा......अंत में अंबर ने उन्हें चादर से ढंक दिया और सविता भी अपने बेटे को और देर असहजता में नही रखना चाहती थी। सविता: ठीक है बेटा सो जा लेकिन चड्डी बदल ले और हां ध्यान रखा कर कंचन और किरन के साथ भूल से मत सोया कर। ......इस घटना से सविता का तो दिमाग ही घूम गया ....वह उत्साहित हो उठी कि औषधि ने तो कमाल कर दिया सजिया को आज ही बताऊंगी।​
वहीं राजू दोपहर में खेत में कुछ काम करके आया मां से कुछ खाने को मांगा। प्रेमा अपने बेटे का परिश्रम देखकर खुश हो गई उसे अचार सहित दो पराठे दिए पानी भी लाकर दिया......दोपहर का खाली समय था प्रेमा खुशी के मारे अपने बेटे को खाते हुए देखकर वहीं बैठ गई उसे बेना (पंखी) झलने लगी। राजू: आप ये सब क्यों कर रही हो मुझे इतनी गर्मी नही लग रही है....और ये पानी क्यों ला कर रख दिया...पाने मै खुद ही नल से ले आऊंगा या वहीं जाकर पी लूंगा।​
प्रेमा: तू मेरा बेटा है। तेरी सेवा नही करूंगी तो और किसकी करूंगी वह भी तब जब तो खेत के काम में हाथ बंटा कर आया है । राजू भोजन करने के बाद सो गया। लेकिन प्रेमा वहीं बैठी रही। क्योंकि वह हाथ में लोकगीत की एक किताब लेकर पढ़ रही थी और मुस्कुराए जा रही थी क्योंकि उसमे विभिन्न प्रकार के लोकगीत थे भक्ति, श्रृंगार, विरह और गारी (गाली) भी।​
जैसे: -​
दूल्हा के माई मौसी खुब करवावैं, हाँ खोब करवावैं कि नित करवावैं।​
लिकिन काव? अरे सखियन से सोरहो सिंगार रसिया राम लला।​
तुहैं गारी कवन विधि देंव रसिया राम लला।।​
दुलहा के मम्मी खूब मिंजवावैं, हाँ खूब मींजवावैं कि रोज मिंजवावैं।​
लिकिन काव? भला नाउन से बुकवा तेल रसिया राम लला।​
तुहैं गारी तुहैँ गारी कवन विधि देंव रसिय राम लला।।​
दुलहा के मम्मी जी खूब मरवावैं कि नित मरवावैं​
लिकिन काव! श्री के साथे शिकार रसिया राम लला​
तुहैं गारीऽ तुहैं गारी कवन विधि देंव रसिया राम लला।​
.......प्रेमा लोकगीत पढ़ने में मग्न थी कि तभी उसे लगा कि राजू के बिस्तर पर कुछ हलचल है जब उसने राजू की ओर देखा तो दंग रह गई उसके पजामे में एक बड़ा तंबू बन गया था और उसमें लिंग के झटके दिखाई दे रहे थे तभी प्रेमा उठकर बाहर चली गई थोड़ी देर में वापिस आई । प्रेमा: राजू राजू: हां मां। प्रेमा: सो गया था क्या? राजू: हां मां नींद आ गई थी । प्रेमा: अरे ये बेटा तेरा पायजामा कैसे भीग गया है छी छी। पजामे में ही मूत दिया क्या बचपन की तरह। राजू: नही मां । प्रेमा: उतार ये पजामा दूसरा पहन। राजू: मां बाहर जाओ। प्रेमा: चुपचाप उतार के बदल ले ज्यादा नाटक मत कर मां से। राजू ने पजामा तो उतार दिया लेकिन उससे ज्यादा उसकी चड्डी भीगी हुई थी। वह दूसरा पैंट पहनने लगा तभी उसकी मां ने टोका अरे कच्छा तो बदल ले फिर पैंट बदलने का क्या मतलब रहा। उसने अपनी चड्डी बदलने के लिए तम्हक (लुंगी) पहन ली और गीली चड्डी उतार दी जब लिंग को खुला वातावरण मिला और लिंग में लगे वीर्य में हवा से ठंडक पहुंची तो लिंग ने अकड़ना शुरू कर दिया और ढीली बंधी लुंगी गिर गई । इस तरह होगा प्रेमा को भी आशंका न थी उसने झट से दौड़कर दरवाजा बंद कर दिया ताकि कोई अन्य न देख सके । राजू चूतड़ मां की ओर करते हुए मां मेरा कच्छा बाहर सूख रहा है कृपया लेते आओ। प्रेमा: अच्छा रुक मैं ले आती हूं।​
प्रेमा चढ्ढी ले आई राजू के दस इंच लंबे लंड के कारण उसे थोड़ी दूरी बनाकर खड़ा होना पड़ा राजू बेचारा इतनी बेइज्जती होती देख शर्म से लाल हो गया था उसने तुरंत ही चड्डी पहनी लेकिन लंड बिल्कुल खड़ा रहा ....फिर उसने लंड को पेट की ओर करके चढ्ढी बंद कर दी और पैंट पहन लिया। प्रेमा तो चड्डी देकर ही बाहर आ गई थी। वह भी सविता की ही तरह इतना बड़ा और मोटा लंड देखकर चकरा गई और सजिया को सूचित करने के लिए उत्साहित थी ।​
नीम के पेड़ के पास महफिल जमी।​
सविता: सजिया तेरा बेटा कब आएगा?​
सजिया: उसके पिता जी आ रहे हैं अगले सप्ताह तो साथ ही आएगा। क्यों क्या हुआ?​
सविता: नही ऐसे ही पूछ लिया मैने कई महीने हो गए बंबई रहते हुए।​
सजिया: उस दवा के बारे में कुछ पता चला।​
सविता: अरे दवा कमाल की है सजिया.......10 का गया है बस इतना समझ ।​
सजिया: सच ।​
सविता (धीमी आवाज में): हां बहन मैने अंबर को सूसू करते हुए देखा था 10 इंच लंबा और तीन ईंच से ज्यादा मोटा हो गया है।​
सजिया: सच्ची सविता: हां ।​
प्रेमा: कहो क्या कानाफूसी चल रही है आपस में।​
सजिया: तेरे बेटे राजू की बात चल रही है।​
प्रेमा: उसकी क्या बात?​
सजिया: उस पर दवा ने असर किया कि नही।​
प्रेमा: हां सविता सजिया की दवा ने तो मेरे बेटे को घोड़ा बना दिया 10 लंबा और तीन से जादा मोटा है । सजिया ने तो कमाल कर दिया ऐसी औषधि लाकर दे दी कि बाजार में बेचने लगें तो दुनिया टूट पड़े।​
सजिया: सच कह रही हो तुम दोनों।​
प्रेमा और सजिया: यकीन न हो तो तुमको भी दर्शन करा दें।​
सजिया शर्मा गई लेकिन: तुम दोनों ने दर्शन कर लिया क्या? हा हा हा​
प्रेमा: हां री सविता तुझे कैसे पता अब भी अंबर की नुन्नी पकड़कर मुतवाती है क्या?​
सविता: तुझे कैसे पता तू इंची टेप लेकर गई थी क्या?​
प्रेमा: नही री इतना तो मैं देख कर बता दूं।​
सविता: हां तूने कई लंड देखे हैं न।​
प्रेमा: हरामजादी क्या बोल रही है।​
सविता: बाबाजी का तो देखा है फुट लंबा लंड।​
सजिया: चुप रहो दीदी आपस में मत लड़ो कोई सुन लेगा तो क्या कहेगा।​
प्रेमा: मैने तो सोते हुए उसकी चढ्ढी उतार के देखा था। तू बता तूने कैसे देखा?​
सविता: मैने तो अंबर को पेशाब करते हुए देखा था।​
सजिया: चलो ठीक है औषधि ने काम तो किया मुझे तो उसपर ही संदेह था।​
सविता: वह सब छोड़ ये बता अनवर आ रहा है और तू अपनी चूत बाबा से फड़वाके बैठी है उसका क्या करेगी।​
सजिया: उसको तो कई महीने हो गए, लेकिन फिर भी जगह तो ज्यादा बन ही गई है क्या करूं आप बताओ।​
प्रेमा: खेल चूसकर मत शुरू करना नही तो ढीला लंड बड़ी चूत में जाएगा तो कहीं खो जायेगा सीधा चूत से शुरू करवाना और बाद में चूस देना अपनी चूंची भी बाद में मसलवाना दूध भी बाद में पिलाना नही तो चूत पानी छोड़ेगी नाली नाला बन जाएगी फिर अनवर तेरी गांड़ की ऐसी तैसी करेगा।​
इस बहस में अगर कुछ हुआ तो वह ये कि तीनों की चूत में चींटियां रेगने लगीं।​
सजिया मन ही मन प्रसन्न हो गई हैदर पर आजमाने के लिए वह भी तो हफ्ते भर में आने वाला था।​

Bahut hi excellent update
 

Sanju@

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आखिर अनवर आ ही गया साथ ही हैदर भी आया था । उसके गौण लैंगिक लक्षण जैसे हल्की मूछ दाढ़ी आ गई थी कंधे आकार लेने लगे थे यह देखकर सजिया फूले नहीं समा रही थी वहीं अनवर और हैदर ढेर सारा सामान लेकर आए थे उसे देखकर भी सजिया प्रसन्न थी। वैसे तो सजिया ने सारा इंतजाम कर रखा था लेकिन उसे एक ही चिंता थी सेज पर सेवा कैसे करेगी कई महीने हो गए पति के साथ सेज पर कबड्डी खेले हुए। अनवर ने सजिया का अवलोकन किया तो मन ही मन मुस्कुराने लगा उसकी गाय एकदम पुष्ट भैंस हो गई थी भरे हुए थन भरी हुई कमर ऊपर से नीला सूट ।​
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फिर वह सामान्य हालचाल लेने लगा जैसे गांव में सब कुशल मंगल तो है? आते समय अपने गांव का चकरोड पर डामर पड़ रहा है अब तो बारिश में भी ट्रैक्टर आने जाने की समस्या खत्म हो जाएगी। सजिया: हां जी सही कह रहे हो। उस पर काम लगे हुए 20 दिन से ज्यादा हो गया खैर अब काम लगा है तो बन ही जाएगी बारिश में कीचड़ भरी कच्ची रोड से तो सच में निजात मिल जाएगी। अनवर और हैदर ने दोनो को जलपान कराया। फिर दोनो ने तीन घंटे विश्राम करके यात्रा से हुई थकान दूर की सजिया दोनों खाटों के बीच में बैठ कर बेना (पंखी) झलती रही । उसे आज अनवर और हैदर दोनो पर गर्व हो रहा था अनवर कमा कर लौटा था तो वहीं हैदर जवानी में कदम रख कर । करीब साढ़े तीन बजे दोनो गांव में घूमने निकल गए अपने अपने साथी संघातियों से मिलने । .........अनवर ने जमुना और चंद्रभान से भेंट के, एक दूसरे का हालचाल लिया।अनवर: प्रणाम भैया। चंद्रभान: कहो अनवर कैसे हो बड़े दिन बाद दिखाई दिए लगता है बंबई की हवा लग गई। वैसे तुम्हारा सिलाई का काम कैसे चल रहा है? अनवर: ठीकय ठाक चल रहा है केतनो मंदी आ जाए लोगबाग कपड़ा तो पहनेंगे ही तब तक मेरा भी काम रोजगार चलता रहेगा। चंद्रभान: का अनवर तुम तो एक दम हुशियार हो गए एक दम बिजनेस वाले की तरह बतिया रहे हो। अनवर: बस आप सब का और इस गांव की माटी का आशीर्वाद है। ..........वहीं हैदर की मुलाकात अन्य साथियों के साथ ही अंबर और राजू से हुई । अंबर और राजू ने बंबई शहर के बारे में बहुत कुछ जानना चाहा हैदर से कई सवाल किए उसने भी अपनी जानकारी अनुसार जवाब दिया। वहीं सजिया अनवर के लाए हुए सामान को देखने लगी फिजा और उसके लिए कपड़े आदि के साथ ही सजिया के लिए उसने रेडिमेड चोली और कच्छी खरीदी थी। सजिया देखते ही शर्मा गई । इस प्रकार धीरे धीरे सांझ हो गई। सजिया ने तीनों को भोजन करवाया फिजा को सुलाया । अब सजिया और अनवर बिस्तर पर आ गए । सजिया: तुम कपड़े सिलने का काम करते हो तो फिर रेडीमेड चोली लाने की क्या जरूरत थी वह भी इस उमर में। अनवर: तुम्हे पसंद आई।​
सजिया शरमाते हुए: हां लेकिन बहुत टाइट है।​
अनवर: कोई बात नही दूध ज्यादा इकट्ठा हो गया है जब पी लूंगा तब आ जायेगी ।​

सजिया पीठ पर दोनो हाथ रखकर धकेलते हुए धत! और वो कच्छी लेते हुए शरम नही आई उसमे आगे तो सिर्फ एक डोरी जैसी लगी है। फिर अनवर ने सजिया को बाहों में भरकर अपने ऊपर लिटा लिया। सजिया डर रही थी कहीं अनवर को पता न चल जाए उसकी फटी चूत के बारे में इसलिए उसने अनवर के पजामे के नाड़ा पकड़कर खींच दिया लंड बाहर आ गया। सजिया ने अनवर के कान के पास कहा एक बार इसकी खुजली मिटा दो उसके बाद दूध पीना और पीछे हाथ करके सलवार ऊपर खींच दिया अनवर के लंड को जैसे ही सजिया की गांड़ का स्पर्श हुआ वह फनफनाने लगा अनवर भी तैयार हो गया उसने सजिया की सलवार पूरी निकालकर दूर फेंक दी आज पहली बार सजिया को बिना गरम किए चोदने जा रहा था इसलिए उसने लेटे लेटे ही अपने हाथ में थूक लिया और पीछे गांड़ की ओर से सजिया की चूत पे लगा दिया। लंड को चूत पर सेट किया और जोर का धक्का लगाया..... पता नही सजिया की किस्मत अच्छी थी या बुरी......अनवर के ऊपर सजिया का वजन होने और थूक लगे होने से लंड फिसल कर गांड़ में घुस गया साढ़े तीन इंच तक ।​
सजिया: आइ मां मर गई आई ई ईई। .... डर के मारे सजिया की गांड़ कस गई इससे अनवर का लंड हल्का सा छिल गया उसे थोड़ा गुस्सा आया अनवर: साली गांड़ क्यों सिकोड़ रही है... और सजिया की छाती के पीछे पीठ पकड़ी कस कर और पूरा 8 इंच का लंड सजिया की गांड़ में उतार दिया।​
सजिया को लगा जैसे किसी ने गरम लोहा गांड़ में डाल दिया हो । आवाज दूर तक न जाए इसलिए वह दर्द सहने लगी लेकिन उसकी आंखों में आसूं आ गए साथ ही गांड़ की मुलायम दीवार से खून रिस आया। अनवर को सजिया पर दया आ गई वह रुक गया । अनवर: सजिया! गांड़ ढीली छोड़ो । सजिया ने गांड़ ढीली छोड़ी और अनवर ने भी पीठ पर से हाथ हटाकर सजिया को आजाद कर दिया.......दोनों टांगे पकड़ कर अपने पेट की ओर खींच लिया जिससे सजिया की गांड़ जितना खुल सकती थी उतना खुल गई।​
अब अनवर ने धीरे धीरे गांड़ मारना शुरू किया सजिया के आंसुओ की धार बहती रही .....अब अनवर को आनंद की अनुभूति हुई तो उसने धक्के लगाने शुरू कर दिए सजिया सिसियाने लगी । अनवर ने स्पीड बढ़ा दी इससे सजिया की चूत के आस पास के क्षेत्र में रक्त संचार बढ़ गया जिससे उसकी गांड़ में ऐसी खुजली हुई कि उसने खुद ही अनवर के लंड पर गांड़ ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया ।​
सजिया: आह आह आ आ आह। जब आज इसका उद्घाटन कर ही दिया है तो इसकीईईई खुजली मिटा ही दो आ उई मां बिना बवासीर के इसमें बहुत खुजली रहती है।​
अनवर: आह आज तू गजब मेरे लंड को चोद रही है आह आह आह आआआआह। और लंड को गांड़ में सटा कर झड़ गया । लेकिन सजिया तब तक लंड पर गांड़ चलाती रही जब तक कि अनवर का लंड सिकुड़ कर बाहर नही आ गया । लंड बाहर आ गया गांड़ को आराम मिला लगा जैसे कुछ फंसा हुआ था निकल गया। लेकिन गांड़ मराने की वजह से चूत की रक्त वाहिनियों में रक्त संचार जो बढ़ा था उसने और तेजी से पंप करना शुरू कर दिया जैसे मोटर साइकिल का हाथ पकड़ कर साइकिल वाला चल रहा होता है लेकिन हाथ छोड़ते ही साइकिल बहुत तेज अनियंत्रित दिशा में आगे बढ़ती है। सजिया की चूत में चींटियां रेंगने लगी उसे मालूम हो गया था कि अनवर को मात्र दुग्ध पान कराना है लंड फिर से तैयार उसने अपनी चूंचियां अनवर के सामने कर दीं। अनवर जो झड़ने की वजह से थोड़ा थका हुआ था वह तुरंत झपट पड़ा और दूध पीने लगा । अब तो सजिया की हालत खराब हो गई उसकी दोनो ग्रंथियां चूत को उकसाने लगी जिससे वह भी बीच बीच में तरल पदार्थ उगलने लगी।​
सजिया: अब डाल दो आह अब नही रहा जाता कई महीने से तड़प रही है आह।​
अनवर: घोड़ी बन जा आज तुझे भैंस की तरह चोदूंगा।​
सजिया बहुत मोटी तो नही थी लेकिन इतनी पुष्ट थी कि घोड़ी की स्थिति में खड़ा कर दिया जाए तो उसी स्थिति में खड़ी रहेगी यानी सचमुच भैंस थी।​
सजिया तुरंत नीचे उतरकर घोड़ी बन गई।​
अनवर ने पीछे से उसकी गांड़ टटोली तो उसमे वीर्य लगा हुआ था साथ ही खून भी सूख गया था उसने अपना हाथ चूत पर लगाया तो चूत एकदम जल रही थी एक बार तो अनवर कांप गया लगा जैसे उसका लंड तो इसमें जल जाएगा। साथ ही बुर एक दम पनिया गई थी। अनवर ने लंड चूत पर सेट किया तो सजिया पीछे आने लगी तभी अनवर ने सजिया के दोनों दूध पकड़कर एक्सीलेटर लिया और पूरा लंड सजिया की चूत में उतार दिया। सजिया जानबूझकर चिल्लाई है हाय अल्ला मार दिया निकालो उई मां आह। अनवर: मेरा लंड तो इसमें ऐसे चला गया जैसे घी में उंगली ।​
सजिया: वो सब छोड़ो जोर जोर से चोदो इसे फाड़ डालो।​
सजिया की चूत बाबाजी के पास दोबारा न जाने से टाइट तो हो गई थी लेकिन अनवर कई महीने बाद आया था उसे इससे ज्यादा उम्मीद थी। उसने चूत में लंड रखकर ही चुदाई बंद कर दी।​
अनवर: सच सच बता मेरे न रहते हुए कहां आग बुझाती थी बोल जल्दी।​
सजिया को दोहरा करंट लग गया उसकी चूत ये रुकावट बर्दाश्त न कर सकी और सजिया खुद ही आगे पीछे होकर चुदने लगी।​
सजिया: ख्वामखाह ही आह आह लड़ाई की जड़ ढूंढतेएए रहते हो ओओह अभी अभी मेरी कुंवारी गांड़ मार दी अब भला मेरी चूत गांड़ के आगे तो भोसड़ा ही लगेगी न।​
अनवर: सही कह रही है तू कुछ भी हो लेकिन मजा बहुत आ रहा है जैसे लंड आसमान में गोते खा रहा हो। ले मादरचोद। आह आह आह ।​
सजिया: और जोर से आह और जोर से फाड़ डालो इसे इसने मुझे बहुत परेशान किया है आहि रे आह आह उईई आह ।​
अनवर ने 15 मिनट चोदने के बाद अनियंत्रित स्पीड में से लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया उधर सजिया भी आगे पीछे हो रही थी इससे परिणामी गति बहुत तेज हो गई थी और पूरे कमरे में फच फच फच फचा फच्च की आवाज आ रही थी इसी बीच सजिया झड़ गई अनवर का लंड इतनी अधिक चिकनाई बर्दाश्त न कर सका और वह भी चूंचियों को खींचते हुए झड़ गया। दोनो का काम रस नीचे बहने लगा सजिया की चूत में तो इतनी गर्मी थी कि करीब एक पाव रजोरस नीचे फैल गया था। अनवर को भी लगा कि सजिया की चूत आज ही चुदी है जाने के बाद। इसके बाद जब अनवर का लंड फिर से खड़ा हुआ तो उसने सजिया के मुंह में डाल दिया, सजिया तो ऐसे लंड चूस रही थी जैसे बछड़ा गाय का दूध पीता है इसी वजह से अनवर का शरीर बहुत जल्दी अकड़ गया और सजिया ने पूरा वीर्य पी लिया। अनवर बहुत ही कामुक था उसका लंड रह रह कर फिर खड़ा हो जाता था इसलिए उसने चार बार फिर सजिया को चोदा एक बार गांड़ मारी और से गया। सजिया आज असीम आनंद पाकर सो गई । सजिया सुबह उठती उससे पहले ही उसकी चूत में लंड पड़ गया था। जब लंड ने चूत की दीवारों पर रगड़ना शुरू किया तब जाकर सजिया की नींद खुली। सजिया: तुम्हे लाज शरम नही आती अभी चार घंटे पहले ही तो सोई हूं।​
अनवर: सो तो मैं भी रहा था लेकिन इसका क्या करूं ये मानता ही नहीं है।​
सजिया: सो जाओ चुपचाप।​
लेकिन अनवर चोदता रहा चूत के आगे सजिया भी हार गई उसे भी साथ देना पड़ा दोनों साथ ही बिस्तर पर गिर कर दोबारा सो गए।​

गरमा गर्म चूदाई हो रही हैं :sex: :sex: :sex:
 
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बहुत ही सुंदर लाजवाब और रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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