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Incest घर-पड़ोस की चूत और गांड़, घर के घोड़े देंगे फाड़

ajey11

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Bhai kahani jab tak incest thi ya ganv ka alhadpan dikhaya gaya tab tak to mast tha lekin aapne isme adultry ghusake pura maza kharab kar diya... Yaha to kahani ka main kirdar baba hi ban gaye h jo maze me chudai kar rahe h aur baki apne hath se hila rahe h side character ko hi maza h....
ऐसा कुछ भी नही है बिना किसी बाह्य कारक के विशुद्ध गांव में incest की कल्पना कैसे की जा सकती है सजिया, सविता, प्रेमा की एडल्टरी और इनके बच्चों की जवानी का उफान ही ........
और कहानी लंबी चल सके इसलिए भी कुछ अन्य पात्रों का होना जरूरी है।
 
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ajey11

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बहुत ही बड़िया कहानी है। लेकिन कहानी पारिवारिक रहे तो और ज़्यादा मज़ा देगी।
बाबा का किरदार कहानी को पारिवारिक नही रहने दे रहा।
और सजिया अम्मी अपने बेटे से खुब जम कर चुद्वाए ।

बाक़ी आप लेखक हो आप ज़्यादा बेहतर जानते हो।

मै इनसेस्ट फैन हू बस इसलिये अपने विचार बता दिये
कहानी के मूल में इंसेस्ट ही है इसके लिए थोड़ा इंतजार करना होगा ।
 

Lutgaya

Well-Known Member
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ऐसा कुछ भी नही है बिना किसी बाह्य कारक के विशुद्ध गांव में incest की कल्पना कैसे की जा सकती है सजिया, सविता, प्रेमा की एडल्टरी और इनके बच्चों की जवानी का उफान ही ........
और कहानी लंबी चल सके इसलिए भी कुछ अन्य पात्रों का होना जरूरी है।
आप अपने हिसाब से कहानी चलाओ मित्र आपकी कल्पना के अनुसार अडल्टरी में इन्सेस्ट का तडका लगाकर
 

ajey11

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अपडेट-11​
सजिया शाम को तो खुशी खुशी सो गई क्योंकि वह जो मुंह काला करवाके आई थी उसके बारे में किसी को भनक नहीं लगी। सविता, प्रेमा के साथ लगभग हरदिन बात बतकही करने वाली सजिया जब तीन दिन नही आई तब ।​
सविता: प्रेमा! सजिया नही दिखाई दे रही कई दिन से।​
प्रेमा: क्या पता उसका मंसेधु (पति) आ गया हो बंबई से।​
सविता: उसका भतार (पति) आया होता तो वह भी तो गांव में आते जाते दिखाता।​
प्रेमा: चल सविता देख ही आते हैं अकेली रहती है बेचारी क्या पता धूप में जाने के कारण जूड़ी (सर्दी) बुखार आ गया हो।​
दोनों उसके घर गईं प्रेमा ने आवाज लगाई: सजिया ओ सजिया क्या बात है हमसे रूठ गई क्या..... किसी बात से...... बता देना ।​
सजिया जो खाट पर सलवार घुटने तक करके ऊपर से हल्की चादर रखकर आराम कर रही थी। अचानक से सलवार बांधी।​
सजिया: आई दीदी ।​
किसी तरह उठकर धीरे धीरे मंद गति से दरवाजे तक आई।​
सविता: हे भगवान! क्या हो गया सजिया तुझे तभी मै कहूं आजकल काहे नहीं दिखाई दे रही।​
सजिया: आप दोनो अंदर आ जाओ बाहर क्यों खड़ी हो।​
प्रेमा: कोई बात नही, बाहर ही ठीक है ।​
सजिया: चलो आंगन में बैठ कर बाते करेंगे।​
सविता: चल प्रेमा।​
सविता: अब बता सजिया क्या हो गया तुझे इतने दिन क्यों नहीं आई।​
सजिया: कुछ नही बस कमर चमक गई थी।​
प्रेमा: कमर इतने दिन चमकती है कहीं।​
सजिया: मेरा मतलब मोच आ गई थी।​
सविता: चल खाट पर लेट, तेरी कमर की मालिश कर देती हैं हम दोनों ।​
सजिया मुस्कुराते हुए: नही नही अब तो ठीक हो गई हूं।​
प्रेमा: ठीक कितनी है तेरी चाल ही बता रही है। चल खाट पर लेट नही तो चोट एक बार घर कर गई तो हर साल सर्दी बरसात में चलने नही पाएगी.....और हां कमर में कैसे मोच आ गई तेरे....तू कौन सा खेत में फावड़ा भांज रही थी तेरे जानवर भी तो छोटे हैं...वह भी तो तुझे नही घसीट सकते।​
दोनो को शक होने लगा प्रश्नों की बौछार देखकर सजिया खाट पर लेट गई।​
सजिया ने कमर में मोच का बहाना तो बना दिया था लेकिन उसमे कैसी प्रतिक्रिया देनी है इससे अनजान थी। खाट के एक ओर प्रेमा बैठी दूसरी ओर सविता दोनो ने मालिश करना शुरू किया गुदगुदी के मारे सजिया केवल हंसती रही। सविता ने अपने शक को विश्वास में बदलने के लिए बीच बीच में कमर की हड्डियों और मांसपेशियों को तेज दबा देती थी लेकिन सजिया की ओर से किसी दर्द की प्रतिक्रिया नहीं आई। सविता से रहा नही गया और उसने प्रेमा से इशारे में दरवाजा लगाने के लिए कहा जैसे ही प्रेमा वापस आई सविता ने सजिया की सलवार का नाड़ा खींच दिया और सलवार उतारने लगी लेकिन सजिया ने मजबूती से अपनी सलवार पकड़ ली। प्रेमा और सविता ने उसकी सलवार उतार दी।​
प्रेमा: हाय दईया! कहां मुंह काला करवाके आ गई अनवर को पता चला तो तुझे घर से निकाल देगा।​
सविता: प्रेमा इसकी बुर तो तेरी तरह ही फट गई है चिथड़े निकल गए हैं इसके।​
प्रेमा: चुपकर सविता क्या बोल गई।​
सविता: कहीं तू उस बाबा के चक्कर में तो नहीं फंस गई ।​
सजिया: नही दीदी ये तो मैने जोश में इसमें खीरा डाल लिया था।​
प्रेमा: चुपकर अपने हाथ से कोई बदन का एक बूंद खून निकालने में डर जाता है। और तेरी चूत के आस पास की सूजन बता रही है कि उस बाबा ने ही तेरा मुंह काला किया है।​
सविता: सच सच बता दे सजिया ताकि हम लोग तेरी मदद कर सकें नही तो किसी और को पता चल गया तो गांव में मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगी।​
सजिया ने अब जाके हामी भरी।​
प्रेमा जो ये सब झेल चुकी थी।​
प्रेमा: फिर तू घर कैसे आ गई अकेली?​
सजिया: बाबाजी छोड़ने आए थे।​
सविता: हाय दईया! इस बाबा ने बेचारी सजिया की बुर का भरता बना दिया ।​
सजिया: लेकिन बाबाजी के बारे में आपको कैसे पता।​
प्रेमा: तुझसे क्या छिपाना सजिया इस गांड़चोदी सविता ने मुझे भी उस बाबा से हलाल करवा दिया था।​
सजिया: कैसे कब क्यों कहां?​
प्रेमा ने संक्षिप्त वाकया सुना दिया। सविता मुस्कुराए जा रही थी।​
प्रेमा: हंस ले और हंस ले किसी दिन मौका मिला न तो तुझे भी नही छोडूंगी। और तू सजिया ये सलवार सूट की बजाय साड़ी ब्लाउज पहन ले चूत को आराम मिलेगा और कम चलाकर जिससे चूत की दोनो फांके रगड़ेंगी नही आपस में और तू जल्दी ठीक हो जाएगी।​
सजिया ने प्रेमा की बातों का पालन किया और हफ्ते भर में चूत की फटी कोशिकाएं पपड़ी बनकर निकल गईं उनकी जगह नई कोशिकाओं ने ले ली। अब उसका फिर से प्रेमा और सविता के पास आना जाना प्रारंभ हो गया ।​
चुदाई के बाद जब पहली बार सजिया बाबा से मिली तो उसने बाबाजी के सामने सवालों की झड़ी लगा दी। दो सवाल प्रमुख थे कि जब आप वानप्रस्थ सन्यासी बाबा हैं तो आपने उस दिन मेरे साथ सहवास क्यों किया मैं भले ही कितना क्यों न बहक गई रही होऊं? इसका जवाब बाबा को विस्तार देना पड़ा। दूसरा प्रमुख सवाल कि आपका लिंग इतना मोटा और लंबा कैसे है?​
बाबाजी: सजिया बेटी​
सजिया टोकते हुए: बेटी मत कहो आप​
बाबा: बात ऐसी है कि यहीं पहले मेरे गुरुजी रहते थे मै उनसे प्रभावित होकर उनसे उनका शिष्य बनने की इच्छा प्रकट की। उन्होंने मुझसे पहली बार ही कह दिया था तुम बाबा नही बन सकते इसमें कठोर इंद्रिय वश की जरूरत होती है और तुम्हारी उम्र भी कम है। बहुत हठ करने पर बाबाजी ने मुझे अपना शिष्य बनाया, अनुशासन सिखाया और पंद्रह वर्ष बाद वह नही रहे । वैसे तो उन्होंने मुझे कई औषधियां दी थीं लेकिन उसी के साथ एक दवा दी थी जो मनुष्य के लिंग में वृद्धि करती थी उस समय मैने बाबाजी से पूछा भी था कि इसे आप मुझे क्यों दे रहे हैं? तब उन्होंने मुझे देकर कहा था कि मैने इसका सेवन करके अपना लिंग बेहद लंबा और मोटा कर लिया है लेकिन मेरे सामने किसी नग्न स्त्री को भी खड़ा करदो तब भी मेरा इंद्रिय संयम कायम रहेगा। मैं तुम्हे इस औषधि को दे रहा हूं इसका सेवन करते रहो और इंद्रिय पर संयम रखो अगर तुमने अपनी इंद्रिय पर उस आयु तक संयम बनाए रखा जब तक कि तुम्हारे इंद्रिय का वीर्य समाप्त न हो जाए तब ही खुद को मेरा शिष्य समझना अन्यथा नहीं।​
मुझे भी अपने लिंग पर काबू था क्योंकि इस कुटिया के पास कभी कोई स्त्री नही आती थी। जब बाहर जाता तो भी कभी किसी स्त्री के नाजुक अंगों का दर्शन नहीं होता था। किंतु उसके बाद की घटना तो मैने पहले उत्तर में ही सुना दी।​
सजिया: क्या वह औषधि आपके पास अभी भी है?​
बाबाजी: हां है लेकिन किस काम की वह तो युवावस्था में ही काम करती है।​
सजिया: वह औषधि मुझे चाहिए।​
बाबा: क्यों किसके लिए?​
सजिया: मेरे पुत्र के लिए।​
बाबा: नही, तुम्हारी बहू का क्या हाल होगा?​
सजिया: आपने उस दिन मेरा क्या हाल किया था? मुझे वह औषधि दे दीजिए।​
बाबा: ठीक है ले जाओ जिस औषधि कि वजह से मै अपने गुरु जी का आदर्श शिष्य न बन सका उस औषधि का इस कुटिया में क्या काम? इसे ले जाओ इसे किंतु इसका सेवन दूध के साथ ही करना है घी का सेवन बढ़ा देना है इसका सही असर लगातार 108 दिनो के सेवन पर होता है। यह औषधि ज्यादा है कम से कम दस लोगों के लिए इसका समुचित उपयोग करना बची औषधि को फेंक देना जो तुम्हारी इच्छा हो किंतु यह औषधि मेरी कुटिया में अब नही रहेगी। लेकिन एक बात और बता दूं सजिया इसका कुटिया में सेवन कर रहा था और कुटिया के आस पास दूर दूर तक किसी स्त्री का आगमन नही होता था घर में किसी को सेवन कराओगी तो उसकी कैसी प्रतिक्रिया होगी इस बारे में मुझे तनिक भी अनुभव नहीं उसकी जिम्मेवार तुम होवोगी। सजिया ने औषधि ली और वापिस आने लगी तभी पीछे से बाबाजी ने उसकी गांड़ पकड़ के चूत तक भींच लिया। बाबाजी को एहसास हो गया चूत ठीक होकर फैल गई है।​
सजिया घर आ गई औषधि को एक जगह छिपा दिया और सोचने लगी जब मेरा बेटा हैदर आएगा तब उसे बिना बताए दूध में सेवन करा दूंगी ।​
किंतु जब अनवर की एक माह तक घर आने की कोई योजना नहीं बनी तो सजिया बाबाजी की दी हुई औषधि की सच्चाई जानने के लिए उसे आजमाने की सोचने लगी।​
इस बारे में अपनी सच्ची सहेलियों प्रेमा और सविता से बताया। पहले तो कहने लगी बाबा बेवकूफ बना रहा होगा तुझे। बाद में वह दोनो भी तैयार हो गईं राजू और अंबर पर आजमाने के लिए।​
सजिया, प्रेमा सविता तीनों ही अब काम क्रीड़ाओं के मामले में बिलकुल खुल कर बातें करने लगी थीं । किंतु मनुष्य की यह प्रवृत्ति होती है कि पिता हमेशा अपनी बेटियों को बच्ची समझता है कम से कम तब तक जब तक उसके हाथ न पीले करवा दे। यही हाल मांओं का होता है वह अपने बेटों को बच्चा ही समझती हैं जब तक वह बाप न बन जाए। कहने का आशय यह है कि राजू और अंबर पर दवा आजमाने तक सविता और प्रेमा के दिमाग में कौटुंभिक व्यभिचार की कोई विचार मात्र तक नहीं था।​
राजू और अंबर की जवानी तो उफान मार ही रही थी प्रारंभ में मुट्ठ मारने की वजह से दोनो का लंड लंबा और पतला हो गया था दोनो शारीरिक रूप से भी कमजोर हो गए थे किंतु जब उन्हें बालिकाओं से दूर होना पड़ा तो शरीर ने आकार लेना शुरू किया, कंधे चौड़े हो गए, दोनो हाथ और जांघें मांसल हो गईं । दोनो को भाई बहन का रिश्ता भी समझ आ गया था। किंतु इसी बीच उनकी बिना जानकारी के दोनो के साथ औषधि का प्रयोग प्रारंभ हो गया । दो महीने तक तो दोनो को पता नहीं चला, लेकिन उसके बाद जब औषधि ने लंड की मोटाई बढ़ान शुरू की तब उन्हे चड्डी का साइज बदलना पड़ा लेकिन औषधि यहां तक नहीं रुकी जब दोनो के लंड 10 इंच लंबे साढ़े तीन इंच मोटे हो गए तब औषधि ने लंड में वीर्य का संचय बढ़ा दिया। अब राजू और अंबर के बस की भी बात नही थी वीर्य को बाहर निकलने से रोकना। रात्रि को स्वयं ही स्वप्न आ जाते और उत्तेजना में नागराज फन फुला के थूक देते वह स्वप्नदोष का शिकार हो गया को कि लाजमी था क्योंकि उसने मुट्ठ मारना लगभग बंद कर दिया था तो नागराज के पास यही एक विकल्प बचा था। यहां तक भी सहने योग्य था। अक्सर उसके सपने में अनजान सुंदरी आती थी धीरे धीरे झड़ने से पूर्व उसकी नींद खुलने लगी और वह पेट को पीछे खींच कर वीर्य निकलने से रोक देता। अब नागराज हैरान परेशान उन्होंने संकेत (सिग्नल) मस्तिष्क को भेजा और मस्तिष्क ने वीर्य बाहर निकालने के प्रयास जारी कर दिए । एक रात्रि राजू के स्वप्न में उसकी मां आ गई वह भी बहुत ही कामुक अंदाज में सपना छोटा था जिसमे उसे जगने से पांच मिनट पहले तक स्मरण रहा प्रेमा का पेटीकोट चूत से एक फीट नीचे खिसका हुआ था और उसने चूत में लंड डाल के पांच मिनट तक चुदाई की और उसकी नींद खुल गई चड्डी भीग गई रात के तीन बज रहे थे सुबह तक सूखने की कोई आशंका न होते देख उसे उठना पड़ा और चड्डी बदलनी पड़ी।​
 

Fucker singh

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अपडेट-11​
सजिया शाम को तो खुशी खुशी सो गई क्योंकि वह जो मुंह काला करवाके आई थी उसके बारे में किसी को भनक नहीं लगी। सविता, प्रेमा के साथ लगभग हरदिन बात बतकही करने वाली सजिया जब तीन दिन नही आई तब ।​
सविता: प्रेमा! सजिया नही दिखाई दे रही कई दिन से।​
प्रेमा: क्या पता उसका मंसेधु (पति) आ गया हो बंबई से।​
सविता: उसका भतार (पति) आया होता तो वह भी तो गांव में आते जाते दिखाता।​
प्रेमा: चल सविता देख ही आते हैं अकेली रहती है बेचारी क्या पता धूप में जाने के कारण जूड़ी (सर्दी) बुखार आ गया हो।​
दोनों उसके घर गईं प्रेमा ने आवाज लगाई: सजिया ओ सजिया क्या बात है हमसे रूठ गई क्या..... किसी बात से...... बता देना ।​
सजिया जो खाट पर सलवार घुटने तक करके ऊपर से हल्की चादर रखकर आराम कर रही थी। अचानक से सलवार बांधी।​
सजिया: आई दीदी ।​
किसी तरह उठकर धीरे धीरे मंद गति से दरवाजे तक आई।​
सविता: हे भगवान! क्या हो गया सजिया तुझे तभी मै कहूं आजकल काहे नहीं दिखाई दे रही।​
सजिया: आप दोनो अंदर आ जाओ बाहर क्यों खड़ी हो।​
प्रेमा: कोई बात नही, बाहर ही ठीक है ।​
सजिया: चलो आंगन में बैठ कर बाते करेंगे।​
सविता: चल प्रेमा।​
सविता: अब बता सजिया क्या हो गया तुझे इतने दिन क्यों नहीं आई।​
सजिया: कुछ नही बस कमर चमक गई थी।​
प्रेमा: कमर इतने दिन चमकती है कहीं।​
सजिया: मेरा मतलब मोच आ गई थी।​
सविता: चल खाट पर लेट, तेरी कमर की मालिश कर देती हैं हम दोनों ।​
सजिया मुस्कुराते हुए: नही नही अब तो ठीक हो गई हूं।​
प्रेमा: ठीक कितनी है तेरी चाल ही बता रही है। चल खाट पर लेट नही तो चोट एक बार घर कर गई तो हर साल सर्दी बरसात में चलने नही पाएगी.....और हां कमर में कैसे मोच आ गई तेरे....तू कौन सा खेत में फावड़ा भांज रही थी तेरे जानवर भी तो छोटे हैं...वह भी तो तुझे नही घसीट सकते।​
दोनो को शक होने लगा प्रश्नों की बौछार देखकर सजिया खाट पर लेट गई।​
सजिया ने कमर में मोच का बहाना तो बना दिया था लेकिन उसमे कैसी प्रतिक्रिया देनी है इससे अनजान थी। खाट के एक ओर प्रेमा बैठी दूसरी ओर सविता दोनो ने मालिश करना शुरू किया गुदगुदी के मारे सजिया केवल हंसती रही। सविता ने अपने शक को विश्वास में बदलने के लिए बीच बीच में कमर की हड्डियों और मांसपेशियों को तेज दबा देती थी लेकिन सजिया की ओर से किसी दर्द की प्रतिक्रिया नहीं आई। सविता से रहा नही गया और उसने प्रेमा से इशारे में दरवाजा लगाने के लिए कहा जैसे ही प्रेमा वापस आई सविता ने सजिया की सलवार का नाड़ा खींच दिया और सलवार उतारने लगी लेकिन सजिया ने मजबूती से अपनी सलवार पकड़ ली। प्रेमा और सविता ने उसकी सलवार उतार दी।​
प्रेमा: हाय दईया! कहां मुंह काला करवाके आ गई अनवर को पता चला तो तुझे घर से निकाल देगा।​
सविता: प्रेमा इसकी बुर तो तेरी तरह ही फट गई है चिथड़े निकल गए हैं इसके।​
प्रेमा: चुपकर सविता क्या बोल गई।​
सविता: कहीं तू उस बाबा के चक्कर में तो नहीं फंस गई ।​
सजिया: नही दीदी ये तो मैने जोश में इसमें खीरा डाल लिया था।​
प्रेमा: चुपकर अपने हाथ से कोई बदन का एक बूंद खून निकालने में डर जाता है। और तेरी चूत के आस पास की सूजन बता रही है कि उस बाबा ने ही तेरा मुंह काला किया है।​
सविता: सच सच बता दे सजिया ताकि हम लोग तेरी मदद कर सकें नही तो किसी और को पता चल गया तो गांव में मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगी।​
सजिया ने अब जाके हामी भरी।​
प्रेमा जो ये सब झेल चुकी थी।​
प्रेमा: फिर तू घर कैसे आ गई अकेली?​
सजिया: बाबाजी छोड़ने आए थे।​
सविता: हाय दईया! इस बाबा ने बेचारी सजिया की बुर का भरता बना दिया ।​
सजिया: लेकिन बाबाजी के बारे में आपको कैसे पता।​
प्रेमा: तुझसे क्या छिपाना सजिया इस गांड़चोदी सविता ने मुझे भी उस बाबा से हलाल करवा दिया था।​
सजिया: कैसे कब क्यों कहां?​
प्रेमा ने संक्षिप्त वाकया सुना दिया। सविता मुस्कुराए जा रही थी।​
प्रेमा: हंस ले और हंस ले किसी दिन मौका मिला न तो तुझे भी नही छोडूंगी। और तू सजिया ये सलवार सूट की बजाय साड़ी ब्लाउज पहन ले चूत को आराम मिलेगा और कम चलाकर जिससे चूत की दोनो फांके रगड़ेंगी नही आपस में और तू जल्दी ठीक हो जाएगी।​
सजिया ने प्रेमा की बातों का पालन किया और हफ्ते भर में चूत की फटी कोशिकाएं पपड़ी बनकर निकल गईं उनकी जगह नई कोशिकाओं ने ले ली। अब उसका फिर से प्रेमा और सविता के पास आना जाना प्रारंभ हो गया ।​
चुदाई के बाद जब पहली बार सजिया बाबा से मिली तो उसने बाबाजी के सामने सवालों की झड़ी लगा दी। दो सवाल प्रमुख थे कि जब आप वानप्रस्थ सन्यासी बाबा हैं तो आपने उस दिन मेरे साथ सहवास क्यों किया मैं भले ही कितना क्यों न बहक गई रही होऊं? इसका जवाब बाबा को विस्तार देना पड़ा। दूसरा प्रमुख सवाल कि आपका लिंग इतना मोटा और लंबा कैसे है?​
बाबाजी: सजिया बेटी​
सजिया टोकते हुए: बेटी मत कहो आप​
बाबा: बात ऐसी है कि यहीं पहले मेरे गुरुजी रहते थे मै उनसे प्रभावित होकर उनसे उनका शिष्य बनने की इच्छा प्रकट की। उन्होंने मुझसे पहली बार ही कह दिया था तुम बाबा नही बन सकते इसमें कठोर इंद्रिय वश की जरूरत होती है और तुम्हारी उम्र भी कम है। बहुत हठ करने पर बाबाजी ने मुझे अपना शिष्य बनाया, अनुशासन सिखाया और पंद्रह वर्ष बाद वह नही रहे । वैसे तो उन्होंने मुझे कई औषधियां दी थीं लेकिन उसी के साथ एक दवा दी थी जो मनुष्य के लिंग में वृद्धि करती थी उस समय मैने बाबाजी से पूछा भी था कि इसे आप मुझे क्यों दे रहे हैं? तब उन्होंने मुझे देकर कहा था कि मैने इसका सेवन करके अपना लिंग बेहद लंबा और मोटा कर लिया है लेकिन मेरे सामने किसी नग्न स्त्री को भी खड़ा करदो तब भी मेरा इंद्रिय संयम कायम रहेगा। मैं तुम्हे इस औषधि को दे रहा हूं इसका सेवन करते रहो और इंद्रिय पर संयम रखो अगर तुमने अपनी इंद्रिय पर उस आयु तक संयम बनाए रखा जब तक कि तुम्हारे इंद्रिय का वीर्य समाप्त न हो जाए तब ही खुद को मेरा शिष्य समझना अन्यथा नहीं।​
मुझे भी अपने लिंग पर काबू था क्योंकि इस कुटिया के पास कभी कोई स्त्री नही आती थी। जब बाहर जाता तो भी कभी किसी स्त्री के नाजुक अंगों का दर्शन नहीं होता था। किंतु उसके बाद की घटना तो मैने पहले उत्तर में ही सुना दी।​
सजिया: क्या वह औषधि आपके पास अभी भी है?​
बाबाजी: हां है लेकिन किस काम की वह तो युवावस्था में ही काम करती है।​
सजिया: वह औषधि मुझे चाहिए।​
बाबा: क्यों किसके लिए?​
सजिया: मेरे पुत्र के लिए।​
बाबा: नही, तुम्हारी बहू का क्या हाल होगा?​
सजिया: आपने उस दिन मेरा क्या हाल किया था? मुझे वह औषधि दे दीजिए।​
बाबा: ठीक है ले जाओ जिस औषधि कि वजह से मै अपने गुरु जी का आदर्श शिष्य न बन सका उस औषधि का इस कुटिया में क्या काम? इसे ले जाओ इसे किंतु इसका सेवन दूध के साथ ही करना है घी का सेवन बढ़ा देना है इसका सही असर लगातार 108 दिनो के सेवन पर होता है। यह औषधि ज्यादा है कम से कम दस लोगों के लिए इसका समुचित उपयोग करना बची औषधि को फेंक देना जो तुम्हारी इच्छा हो किंतु यह औषधि मेरी कुटिया में अब नही रहेगी। लेकिन एक बात और बता दूं सजिया इसका कुटिया में सेवन कर रहा था और कुटिया के आस पास दूर दूर तक किसी स्त्री का आगमन नही होता था घर में किसी को सेवन कराओगी तो उसकी कैसी प्रतिक्रिया होगी इस बारे में मुझे तनिक भी अनुभव नहीं उसकी जिम्मेवार तुम होवोगी। सजिया ने औषधि ली और वापिस आने लगी तभी पीछे से बाबाजी ने उसकी गांड़ पकड़ के चूत तक भींच लिया। बाबाजी को एहसास हो गया चूत ठीक होकर फैल गई है।​
सजिया घर आ गई औषधि को एक जगह छिपा दिया और सोचने लगी जब मेरा बेटा हैदर आएगा तब उसे बिना बताए दूध में सेवन करा दूंगी ।​
किंतु जब अनवर की एक माह तक घर आने की कोई योजना नहीं बनी तो सजिया बाबाजी की दी हुई औषधि की सच्चाई जानने के लिए उसे आजमाने की सोचने लगी।​
इस बारे में अपनी सच्ची सहेलियों प्रेमा और सविता से बताया। पहले तो कहने लगी बाबा बेवकूफ बना रहा होगा तुझे। बाद में वह दोनो भी तैयार हो गईं राजू और अंबर पर आजमाने के लिए।​
सजिया, प्रेमा सविता तीनों ही अब काम क्रीड़ाओं के मामले में बिलकुल खुल कर बातें करने लगी थीं । किंतु मनुष्य की यह प्रवृत्ति होती है कि पिता हमेशा अपनी बेटियों को बच्ची समझता है कम से कम तब तक जब तक उसके हाथ न पीले करवा दे। यही हाल मांओं का होता है वह अपने बेटों को बच्चा ही समझती हैं जब तक वह बाप न बन जाए। कहने का आशय यह है कि राजू और अंबर पर दवा आजमाने तक सविता और प्रेमा के दिमाग में कौटुंभिक व्यभिचार की कोई विचार मात्र तक नहीं था।​
राजू और अंबर की जवानी तो उफान मार ही रही थी प्रारंभ में मुट्ठ मारने की वजह से दोनो का लंड लंबा और पतला हो गया था दोनो शारीरिक रूप से भी कमजोर हो गए थे किंतु जब उन्हें बालिकाओं से दूर होना पड़ा तो शरीर ने आकार लेना शुरू किया, कंधे चौड़े हो गए, दोनो हाथ और जांघें मांसल हो गईं । दोनो को भाई बहन का रिश्ता भी समझ आ गया था। किंतु इसी बीच उनकी बिना जानकारी के दोनो के साथ औषधि का प्रयोग प्रारंभ हो गया । दो महीने तक तो दोनो को पता नहीं चला, लेकिन उसके बाद जब औषधि ने लंड की मोटाई बढ़ान शुरू की तब उन्हे चड्डी का साइज बदलना पड़ा लेकिन औषधि यहां तक नहीं रुकी जब दोनो के लंड 10 इंच लंबे साढ़े तीन इंच मोटे हो गए तब औषधि ने लंड में वीर्य का संचय बढ़ा दिया। अब राजू और अंबर के बस की भी बात नही थी वीर्य को बाहर निकलने से रोकना। रात्रि को स्वयं ही स्वप्न आ जाते और उत्तेजना में नागराज फन फुला के थूक देते वह स्वप्नदोष का शिकार हो गया को कि लाजमी था क्योंकि उसने मुट्ठ मारना लगभग बंद कर दिया था तो नागराज के पास यही एक विकल्प बचा था। यहां तक भी सहने योग्य था। अक्सर उसके सपने में अनजान सुंदरी आती थी धीरे धीरे झड़ने से पूर्व उसकी नींद खुलने लगी और वह पेट को पीछे खींच कर वीर्य निकलने से रोक देता। अब नागराज हैरान परेशान उन्होंने संकेत (सिग्नल) मस्तिष्क को भेजा और मस्तिष्क ने वीर्य बाहर निकालने के प्रयास जारी कर दिए । एक रात्रि राजू के स्वप्न में उसकी मां आ गई वह भी बहुत ही कामुक अंदाज में सपना छोटा था जिसमे उसे जगने से पांच मिनट पहले तक स्मरण रहा प्रेमा का पेटीकोट चूत से एक फीट नीचे खिसका हुआ था और उसने चूत में लंड डाल के पांच मिनट तक चुदाई की और उसकी नींद खुल गई चड्डी भीग गई रात के तीन बज रहे थे सुबह तक सूखने की कोई आशंका न होते देख उसे उठना पड़ा और चड्डी बदलनी पड़ी।​

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