अपडेट- 16
चंद्रभान और जमुना की बड़ी ट्यूबवेल साझे में थी जो खेत दूर था उसके लिए किन्तु घर पर साग सब्जी उगाने के लिए छोटे खेत के लिए केवल चंद्रभान की ट्यूबवेल थी।
उसी ट्यूबवेल से सविता ने राजू को कहकर पानी लगाया था बरसीम का छोटा खेत जल्द ही भर गया बगल के खेत में आलू बोई हुई थी जो कि खोदने लायक हो गई थी......सविता की साड़ी नीचे पैरों के पास भीगी हुई थी....उसने तेजी से चलकर पानी बंद करवाना चाहा.....किंतु साड़ी में पैर अटक गया और वह गिर पड़ी..छपाक से... बरहे (सिंचाई हेतु पानी की नाली) में पूरी क्षमता से पानी जा रहा था और मिट्टी भी पिघल गई थी ......सविता की छातियों और एक तरफ के बाल में भी रेत जैसी मिट्टी घुस गई...... छपाक की आवाज सुनकर राजू दौड़कर आया अपनी चाची को पकड़कर उठाया।
राजू: क्या हुआ चाची कैसे गिर पड़ीं।
सविता: अरे बेटा पानी बंद कर पहले इसी के लिए मै तेज चलके आ रही थी साड़ी की वजह से गिर गई।
राजू जाते हुए: तो आवाज लगा देती दौड़ने की क्या जरूरत थी।
सविता पीछे पीछे आते हुए: बेटा मुझे थोड़ी मालूम था गिर जाऊंगी।
राजू: ठीक है आप जाओ जल्दी से नहा लो।
सविता: इसे ही फिर चला दे न टंकी में ही नहा लूं ....कहां जाऊंगी कीचड़ लपेट कर घर पर भी सब हंसेंगे।
राजू: लेकिन पानी कहां जाएगा?
सविता: इसी छोटे गड्ढे में काट दे पशुओं के लिए भी पानी भर जाएगा फिर पांच मिनट का ही तो काम है।
राजू: चला तो देता मै लेकिन उसमे पानी काट कर मै नहाऊंगा।
सविता: मै नहाऊंगा.....जैसे तू नहाएगा वैसे मै भी नहा लूंगी।
राजू ने पानी चला दिया सविता ने टंकी में डुबकी लगाई लगभग सारी मिट्टी जो ऊपर से दिख रही थी छूट गई।
लेकिन राजू नहाने नही उतरा उसे शरम आ रही थी सविता को लगा मेरी वजह से ही बेचारा नही नहा रहा है अब नल से पानी भर कर नहाएगा और रूष्ट भी हो जाएगा।
सविता टंकी से शरीर की मैल साफ करने की मुद्रा में बाहर निकली राजू को धकेल कर गिरा दिया टंकी में।
सविता: चल बड़ा आया ख्वामखाह ही शरमा रहा है तू नहा ले मै बाहर हूं.....बाहर आ जा मै नहा लूं...बस हो गया ....।
जब राजू अंदर होता तो सविता बिना उसके निकलने का इंतजार किए ही घुस जाती लेकिन झट से राजू बाहर आ जाता....आता भी क्यों न शरम के बहाने स्तन के भी दर्शन हो रहे थे क्योंकि सविता टंकी में घुसकर बालों और चूंचियों में घुसी मिट्टी निकाल रही थी।
राजू ने भी टंकी में गिरने के बाद शर्ट तो उतार दी लेकिन पैंट नही उतारी क्योंकि उसे लंड का कारनामा पता था।
दोनो नहाकर बाहर आए सविता भागते हुए घर गई कपड़े बदलने और राजू ने भीगे कपड़े में ही ट्यूबवेल बंद की और घर चला गया......इस घटना ने राजू के मस्तिष्क में पानी के कारण सविता की बाहर से झलक रही चूंचियों का वास्तविक दर्शन करने की तीव्र इच्छा जगा दी।
चूंकि यह घटना नहाते वक्त घटी थी इसलिए राजू को लगा कि नहाते हुए ही चाची के चूचों के दर्शन किए जा सकते हैं ।
उसने अस्थाई स्नानघर में मौका पाकर झांकना शुरू कर दिया । चूंकि सविता तीन बच्चों की मां थी इसलिए वह नहाते समय इतना ध्यान नहीं देती थी उसे यह उम्मीद भी नही थी कि कोई उसके स्तन देखने के लिए स्नानघर में झांकेगा यही कारण था कि राजू बचता रहा। एक दिन वह ईंट खिसक गई जिस पर खड़ा होकर वह झांकता था तीन चार ईंटें एक साथ गिरीं राजू नौ दो ग्यारह हो गया......सविता झट से बाहर निकली कोई नही दिखा..... चार पांच ईंटें दिखीं लेकिन ये क्या ये ईंटें तो ऐसे लग रहा था जैसे महीनों से रखी हों ....दोबारा आ कर नहाने लगी ....उसे यह तो मालूम हो गया था कि उसे कोई कई दिन से निहार रहा है लेकिन कौन है यह अंदाजा नही लगा पाई......वह अपने स्तन देखकर मुस्कुरा उठी जो धीरे धीरे सख्त हो रहे थे।
सविता भी कम शातिर नही थी ....उसने फिर लापरवाही करनी शुरू कर दी और एक दिन रंगे हाथ पकड़ लिया राजू को।
किंतु सविता ने हो हल्ला करने की बजाय दिमाग से काम लिया उसे पकड़कर अपने शयनकक्ष में ले गई।
राजू: माफ करदो चाची!
सविता: क्या देख रहा था बेटा?
राजू: कुछ नही?
सविता: तू महीने भर से झांक रहा है मुझे पता है सच सच बोल दे वरना तेरी मम्मी से बताऊंगी तब तू सुधरेगा।
राजू: ये देख रहा था।
सविता: ये क्या?
राजू: आपका दूध।
राजू: दोबारा ऐसी गलती नही होगी माफ करदो चाची।
सविता: ठीक है जा दोबारा ऐसी हरकत की तो सीधा तेरी मम्मी से बताऊंगी।
राजू बेचारे ने पहला प्रयास किया था उसमे भी पकड़ा गया।
एक दिन पशुशाला के चढ़े छप्पर पर लगी सब्जी तोड़ने का प्रयास कर रही थी लेकिन पहुंच नही रही थी पास ही राजू अपनी पशुशाला में चारा पानी दे रहा था।
सविता: राजू चल सब्जी तोड़ दे मैं पहुंच नही रही हूं।
राजू: चलो चाची।
राजू भी नही पहुंच रहा था।
राजू: रुको मैं साइकिल लाता हूं...उस पर चढ़कर तोड़ लेना।
सविता: हां...और मैं गिर गई तो मेरा दांत भी तोड़ लेना। हाथ से ही उठा दे थोड़ी कसर तो रह रही है।
राजू ने कमर पकड़ी और उठा दिया सविता ने सब्जी तोड़ी ...राजू ने पहली बार किसी महिला को अपनी बाहों में पकड़ा था वह उतार ही नही रहा था।
सविता: नीचे उतार बेटा! आज के लिए बहुत हो गई सब्जी।
सविता को आज किसी कुंवारे लड़के के बदन की गर्मी का एहसास हुआ था।
मास्टरमाइंड तो लंड महोदय थे वही ये सब कर रहे थे उन्हें तो सभी बाधाएं पार करके चूत में प्रवेश करना था।
सविता अपने दूर वाले अरहर के खेत में जोंधरी (बाजरे का एक प्रकार जो अरहर के साथ बो दिया जाता है और भुट्टा निकलने पर काटा जाता है) काटने जाया करती थी।
राजू भी दूसरे छोर से प्रवेश कर जाता था सोचकर जाता था कि पीछे से पकड़ लूंगा चाची को लेकिन गांड़ फट जाती थी वापस आ जाता था।
एक दिन सविता ने साड़ी उठाई और मूतने लगी सूर्र सुर्र सूूूू ूूूू ूूूू ूूूू ूूूू ूूूू ूूूूर्र सुर्र राजू को सविता की नंगी गांड़ दिख गई गोरी गोरी गोल बड़ी गांड़ लंड को पैंट से बाहर निकाला पीठ दूसरी ओर की दोनो हाथों से मुट्ठ मारने लगा। औरतों की आदत होती है मूतने पहले इधर उधर देखेंगी और मूतने के बाद भी....कोई है तो नही ....पहली बार तो राजू बैठा हुआ था बच गया लेकिन दूसरी बार सविता की गांड़ देखने के लिए खड़ा हो गया था और मुट्ठ मार रहा था सविता ने देख लिया राजू खड़ा है उसका पैंट ढीला है दोनों हाथ आगे पीछे कर रहा है।
सविता (मन में) : हे भगवान मेरा पीछा करते करते यहां तक आ गया .....क्या करूं इसका प्रेमा से बताऊं तो मुझ पर ही शक करेगी, इसके पापा से ये सब कह नहीं पाऊंगी कह भी दिया तो इसकी हड्डी पसली एक कर देंगे। इसी से बात करनी पड़ेगी।
एक दिन राजू अरहर के खेत में छिप कर बैठा था घुटनों के बल हाथ में लंड लिए.....तभी सविता ने आवाज लगा दी राजू बेटा क्या कर रहे हो इसमें शौच मत किया करो इसमें मै जोंधरी काट कर ले जाती हूं। और उसी की ओर आगे बढ़ने लगी उसे तो पता ही था ये शौच करने नही आता।
राजू की फट गई बेचारे ने आज पजामा पहना था जो लंड को संभाल नही पा रहा था और तंबू बन जा रहा था।
राजू: हां ...हां! चाची नहीं आऊंगा ।
और बाहर निकलने लगा।
सविता: रुक बेटा रुक कहां जा रहा है।
राजू रुक गया ।
सविता: अरे बेटा तेरा लोटा कहां है।
राजू: लोटा नही है।
सविता: तो क्या कर रहा था यहां?
राजू: कुछ नही भुट्टा ले जाने आया था चूल्हे में भूनकर खाता हूं।
सविता: तो तेरी हंसिया कहां है? किससे काटेगा?
राजू: हाथ से तोडूंगा।
सविता: चुपकर! मुझे बेवकूफ मत बना । हाथ से तू क्या तोड़ता है मुझे अच्छी तरह मालूम है। सच सच बता यहां क्या करने आता है वरना इस बार सीधे तेरे पापा से बताऊंगी।
राजू: नही नही पापा से मत बताना आपके पांव पड़ता हूं।
सविता: जल्दी बता फिर।
राजू: मुट्ठ मारने आता हूं।
सविता: तो इसके लिए यहां आने की क्या जरूरत है? कलमुहे! घर में मार लिया कर जब जवानी नही संभलती।
राजू: आपके ये देखकर मारने में आनंद आता है।
सविता: ये क्या?
राजू सिर नीचे करते हुए: आपके चूतड़।
सविता (मन में): अब क्या करूं ये तो पीछे ही पड़ गया है आगे वाला छेद देख लिया तो क्या कर बैठेगा कुछ पता नहीं।
सविता कुछ देर के लिए निरुत्तर हो गई । उसे गुस्सा आ गया।
सविता ने ब्लाउज के बटन खोलकर राजू के सामने परोस दिए
सविता: ले देख ले जी भर ले मेरे पीछे क्यों पड़ा है तू ....तेरे साथ साथ मेरे ऊपर भी लांछन लग जाएगा।
राजू को दूध भरी चूंचियां देखकर लालच आ गया आपा खो बैठा और एक चूंची मुंह में भरकर पीने लगा।
सविता का गुस्सा दिखाकर सद्बुद्धि लाने वाला दांव फेल हो गया ....अब वह हटा भी नही सकती थी चूचक में दांत लग जाता....बेचारी सिसियाती रही और राजू एक चूंची तब तक पीता रहा जब तक कि दूध आना बंद नही हो गया।
राजू ने दुग्ध पान करने के बाद रुकना ठीक नही समझा और जाने लगा तभी सविता ने उसका हाथ पकड़ लिया ....सविता को पता था एक चूंची खाली हो गई और एक भरी रह गई तो रात में दर्द करेगी...
सविता: इसे कौन खाली करेगा?
राजू दूसरी चूंची पकड़ कर पीने लगा। इस बार सविता ने कहा था इसलिए वह चूचियों को मसल मसल कर पीने लगा। कुंवारे लड़के के स्पर्श से सविता की दुग्ध ग्रंथियों से लेकर योनि कि रक्तवाहिनियां तक सक्रिय हो गईं उसे पता चल गया था आज चूत राजू का लंड लिए बिना नही मानेगी आग भड़क चुकी थी लेकिन तीली तो स्वयं नहीं मार सकती थी ....वह इंतजार कर रही थी कि राजू कोई पहल करे लेकिन राजू ने इतना बड़ी हिम्मत करके चाची की चूंचियों को चूस लिया था उसकी गांड़ फटी हुई थी उसका लंड भी अब कह रहा था अरहर से बाहर हो जा राजू।
राजू: ठीक है चाची मै चलता हूं।
सविता: बेटा तू यहां क्या करता था पूरा विस्तार से बता तभी जाएगा तूने मेरा दूध भी पी लिया हां।
राजू डरते हुए: बताता हूं चाची।
राजू: मै आपके मूतने का इंतजार करता था।
सविता: उसके बाद।
राजू: आपके चूतड़ देखता था।
सविता पेटीकोट सहित साड़ी उठाकर मूतने लगी।
सविता: फिर क्या करता था।
राजू : अपना लिंग निकालकर आगे पीछे करता था।
सविता: जैसे मैने मूत कर दिखाया वैसे करके दिखा।
राजू ने अपना लंड निकाला जो कि नजदीक से गांड़ के दर्शन करने के बाद उसी छेद में घुसने के लिए लालायित हो गया था......सविता के निर्देश अनुसार .....मुट्ठ मार कर दिखाने लगा ।
सविता अचंभित रह गई 10 इंच लंबा कुंवारा लंड देखकर उसने हाथ में पकड़कर महसूस करना चाहा.....उत्तेजना में आकर राजू ने सविता का हाथ लंड पर पकड़कर आगे पीछे करने लगा ....पांच मिनट तक रगड़ने के बाद सामने बैठी सविता के माथे पर फिर आंख पर नाक पर और रफ्तार कम होने पर होंठ पर वीर्य की पिचकारी फैल गई।
इस बार सविता को सामने का पेटीकोट उठाकर आंख साफ करने लगी तभी राजू को झांटों मध्य ध्यान से देखने पर दो गुलाबी रंग की फलकें दिखाईं दीं जिनके बीच से सफेद द्रव्य की पतली धार लगातार रिस रही थी। उसने उसकी गहराई नापनी चाही इसलिए उसने उसमे बीच वाली उंगली घुसाई उंगली पूरी अंदर घुस गई लेकिन राजू को छेद का अंत नही मिला।
अब जब लंड को अपना अंतिम लक्ष्य एकदम नजदीक दिख रहा था उसने पूरा जोर लगा दिया तड़फड़ाने लगा फन फुलाकर विष छिड़कने लगा।
अब सविता ने अपना दांव चला।
सविता: ठीक है जा बेटा तू जो चाहता था वह सब मैने दिखा दिया अब घर जा और इस तरह की हरकत मत करना।
राजू रूआंसा होकर: चाची एक बार दे दो बस......केवल एक बार।
सविता: क्या दे दूं मेरे पास क्या है?
राजू लंड को सहलाते हुए: अपनी बुर दे दो एक बार।
सविता: कैसे दे दूं निकाल कर खुद को लगवाएगा क्या?
राजू: राजू एक बार ये लंड इस छेद में घुसाने दो बस हाथ जोड़ता हूं ।
सविता: चल ठीक है तेरी खुशी के लिए यह भी सही जल्दी डाल के निकाल।
राजू लंड को हाथ में पकड़कर सीधा किया जो पता नही क्यों पेट की ओर भाग रहा था चूत पर लगाया और धीरे धीरे घुसाना शुरू किया टोपा तो रजोरस से भीगकर अंदर घुस गया लेकिन बाकी लंड अंदर नही जा रहा था।
सविता को पता था यह पहली बार कर रहा है इसलिए मुझे ही सहना पड़ेगा और सिखाना पड़ेगा।
सविता ने चूत को अधिकतम सीमा तक ढीली छोड़ दिया।
सविता: डाल अब देर क्यों कर रहा है?
राजू ने तीन चार बार में लड़ को अंदर कर दिया।
अब जब लंड अंदर प्रवेश कर गया तो प्यासी चूत ने उसे पकड़कर रखने किए कसना चाहा लेकिन चूत की पूरी त्वचा लंड की मोटाई को समायोजित (एडजस्ट) करने में लग गई थी इसलिए जब चूत ने कसना शुरू किया तो उसके किनारे फटने शुरू हो गए ।
सविता को तेज दर्द हुआ लेकिन आस पास खेतों लोगों के काम करने की संभावना थी इसलिए वह सहती रही इसीलिए उसकी आंख से आंसू छलक पड़े । वह यह भी जानती थी कि चाहूं तो एक बार में झटका देकर निकाल दूं लेकिन दोबारा ये फट चुकी चूत लंड नही लेने देगी जबरदस्ती डालने की इसकी हिम्मत होगी नही ।
राजू की पहली चुदाई थी गरम खून था उसने धीरे धीरे आगे पीछे करना शुरू कर दिया ।
सविता का मन कर रहा था राजू की पीठ को खरोंच दे लेकिन उसने पीठ पकड़कर तेज तेज सहलाना शुरू कर दिया।
राजू कुछ पता नही था उसने प्रेमा को खूब कसकर पकड़ा और उत्तेजना में लंड को तेज गति से आगे पीछे करना शुरू कर दिया।
सविता की चूत के चीथड़े उड़ने लगे उसका सब्र का बांध टूट गया ....उसने राजू की बांह से निकलने का प्रयास किया लेकिन राजू ने बेहद तेजी से पकड़ा हुआ था।
सविता बेहद धीमी और पस्त आवाज में अपना दर्द बयां कर रही थी।
सविता: हे माई रे ई प्रेमा का घोड़ा जान ले लिहिस हमाऽऽऽर..... हाई रे कोई बचा ले इससे आहि रे माई मर गई ... सजिया रंडी का खिला दी लाके .......उसकी गांड़ में यही लंड डालूंगी.... हाय रे....बस कर राजू...चाची समझकर छोड़ दे...
ये आवाजें बेहद धीमी थी राजू को लग रहा था उसकी चाची जोश में बडबडा रही हैं ।
राजू को परम आनंद की अनुभूति हो रही थी उसने चूत को फ़ाड़ दिया था अब चूत से आवाज आ रही फच फ़च फ़च फच्च फच्च ।
करीब पंद्रह मिनट तक चोदने के बाद राजू झड़ गया।
सविता का शरीर अकड़ गया उसकी चूत हलाल होने के बावजूद तीन बार झड़ी थी उसका जो दर्द जोश में थोड़ा बहुत छिप गया था वह जाहिर होने लगा चूत ने ढेर सारा पानी भी छोड़ा ।
राजू ने जब चाची को अलग करना चाहा तब उसे पता चला उसकी चाची को तो चक्कर आ गया था ।
राजू डर गया उसने सविता को धीरे धीरे नीचे बैठाया अपने पैर पर सिर रखकर बिठाया साड़ी पेटीकोट सही किया ।शरीर के लेटने की मुद्रा में आने पर रक्त संचार संतुलित हुआ तो सविता होश में आई।
उसकी आंखों से बहे आंसू देखकर राजू बोला
राजू: क्या हुआ चाची रो क्यों रही हो।
सविता: कुछ नही बेटे। अब तू जल्दी घर जा नही तो समस्या खड़ी हो जाएगी।
राजू: आप कैसे आओगी?
सविता: सुन एक काम कर वो वहां मैने जोंधरी रखी है तू जल्दी जल्दी इतनी और काटकर दूसरी तरफ से जाकर मेरी पशुशाला में रख देना अगर वहां कोई हो तो अपनी में रख लेना बाद में मेरी वाली में रख देना।
सविता: मै किसी तरह आ ही जाऊंगी।
राजू ने अपना काम झटपट निपटा दिया।और सविता चाची का इंतजार करने लगा।
सविता आते हुए रास्ते में दो बार बैठ गई। किसी तरह घर पहुंची खाना भी खुद ही बनाया जबरदस्ती दर्द सहन करके। चुपके से रसोई में तेल गरम करके ठंडा किया अपने बिस्तर पर ले जाकर चूत पर मालिश किया । आज उसे किसी पर गुस्सा आ रहा था तो सजिया पर ।
सजिया और प्रेमा ने तो इससे भी बड़ा और मोटा लंड लिया था लेकिन वहां पर कोई न कोई मदद करने वाला था।
यहां तो सविता अपने दम पर चुदी थी चिल्लाने की भी गुंजाइश नहीं थी। सविता के मन में एक ही खयाल आ रहा था मौका मिला तो इसी लंड से सजिया की गांड़ मरवाऊंगी तब जाकर मुझे इस मामले में संतुष्टि मिलेगी... सजिया रंडी ने हमारे बच्चों को पता नही कौन सी दवा लाकर खिला दी....बेचारा अंबर किस स्थिति से गुजर रहा होगा यह भी देखना पड़ेगा।