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Adultery चढ़ती जवानी की अंगड़ाई

rohnny4545

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पपपपप,,, पुनम,,,
( फोन पर पूनम कांपते स्वर में बोली और यह नाम सुनते ही मनोज के दिल की धड़कन तेज चलने लगी,, उसे अपने कानों पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हुआ उसे ऐसा लग रहा था कि जो वहां सुन रहा है कहीं सपना तो नहीं कहीं उसके कान तो नहीं बज रहे हैं,,, इसलिए वह अपने कानों से भी बात की पुष्टि करने के लिए एक बार फिर से बोला,,,।)

कौन बोल रहा है,,,

SSandhya chachi ki chudai ki


( सामने से आ रही मनोज की आवाज सुनकर पूनम के बीच दिल की धड़कन बढ़ने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या बोलें यह तो बड़ी मुश्किल से उसके मुंह से कांपते हुए उसका नाम निकला था,,,, फिर भी जैसे-तैसे करके हिम्मत जुटाकर वह फिर से बोली,,,।)

मैं पूनम बोल रही हूं,,,,

( इस बार सामने से आ रही पूनम की आवाज सुनकर उसकी आंखों की चमक बढ़ गई वह तुरंत बिस्तर पर उठ कर बैठ गया,,,,, वह मारे खुशी के चहकते हुए बोला,,,,।)

Sandhya chachi ki piche se chudai

पुनम तुम ओहह गोड मुझे तो बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा है कि तुम मुझे फोन कर सकती हो,,,, अच्छा तुम रूको मैं यहां से फोन करता हूं ,,,,, ( और इतना कहने के साथ ही वह फोन काट दिया,,,, पूनम के चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गई वह मन ही मन खुश होने लगी जिंदगी में पहली बार उसने किसी को फोन की थी इसलिए इस बात की थी रोमांच उसके तन बदन को झकझोर कर रख दे रही थी,,,, फोन कट चुका था वह बार-बार फोन की तरफ देखे जा रही थी,,,, मनोज के तन-बदन में हलचल सी मची हुई थी वह तुरंत आई हुई कॉल पर कॉल कर दिया और सामने पूनम के मोबाइल में रिंग बजने लगी जिसकी आवाज सुनकर दोनों के दिल की धड़कन मोबाइल की रिंगटोन की तरह ही बजने लगी,,,, पूनम का मोबाइल मनोज की कॉल की वजह से बजने लगा लेकिन रिंगटोन की आवाज कमरे से बाहर जाती इससे पहले ही वह फोन रिसीव कर ली,, वह नहीं चाहती थी कि किसी को कुछ भी पता चले,,,, फोन रिसीव करने के बाद व कान पर लगाकर
सिर्फ सुनने की कोशिश करने लगी मनोज सामने से बोला,,,

पूनम तुम नहीं जानती कि मैं तुम्हारे फोन का कितने दिनों से पागलों की तरह इंतजार कर रहा हूं मैं तो उम्मीद ही छोड़ दिया था कि तुम मुझे फोन करोगी,,,,( मनोज की बेसब्री और उसका इंतजार देखकर उसके प्रति प्यार देखकर पूनम मन ही मन खुश हो रही थी मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि उसे कोई इस तरह से भी चाहेगा,,,) पूनम आज मैं बहुत खुश हूं,,, तुम कुछ बोल क्यों नहीं रहे हो तुम भी कुछ बोलो ना तुम्हारी आवाज सुनने के लिए मैं हमेशा बेकरार रहता हूं जानती हो कि मैं तुम्हारे मधुर आवाज मेरे कानों में पड़ते ही मैं दुनिया के दुख दर्द भूल जाता हूं,,,, तुम्हारी बोली मुझे कोयल की आवाज की तरह एकदम मीठी लगती है मन करता है बस सुनता जाऊं सुनता जाऊं,,,,, ( पुनम मनोज की बात सुन कर मुस्कुरा रही थी और उसकी बातों की झनझनाहट उसके तन बदन में एक अजीब प्रकार की सुखद एहसास करा रही थी। लेकिन वह कुछ बोल नहीं रही थी बस मनोज की बात को सुनते जा रही थी उसकी खामोशी देखकर मनोज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,।)
पूनम तुम तो कुछ बोलो या मैं ही बोलता रहूंगा आज ना जाने कितने दिनों के बाद मेरे दिल के अरमान पूरे हो रहे हैं एक-एक दिन एक 1 साल की तरह गुजारा हूं मैंने,,,,
संध्या चाची की मस्ती


मैं क्या बोलूं,,,,( इतना कहकर फिर खामोश हो गई,,,।)

कुछ भी कहो जो तुम्हें अच्छा लगता है तुम कुछ भी कहती हो मुझे सब अच्छा लगता है मुझे बस तुम्हारी आवाज सुनना है,,,।
( पूनम भी बहुत खुश हो रही थीे,, ऊसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह किसीे लड़के से इस तरह से रात को फोन पर बात कर रही है,,,। उसके तन-बदन में अजीब सी सुरसुराहट फैल रही थी,,, बहुत कुछ सेकंड खामोश रहने के बाद बोली,,,।)

मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि क्या बोलूं तुम ही कुछ बोलो,,,

( पूनम की बात सुनकर मनोज खुश हो रहा था आज पहली बार किसी ऐसी लड़की से बात कर रहा था जो इतनी ज्यादा शर्माती थीे जिसे फोन पर क्या कहना है इस बारे में भी पता नहीं था,,,, पूनम को वह सामने से कुछ बोलने के लिए ज्यादा जोर भी नहीं देना चाहता था इसलिए वह बोला,,,।)
संध्या चाची की रसीली चूत


पूनम मैंने अपने दिल की बात तुम्हारी इंग्लिश की नोट्स में लिख कर तुम्हें दे दिया था,,, मैं चाहता था अपने दिल की बात तुम्हें सामने से खुद बोलकर कह सकता था लेकिन ना जाने तुम्हारे सामने आते ही मुझे क्या होने लगता है,, इसलिए अपने दिल की बात पत्र के जरिए तुम्हें देना उचित लगा,,,,
( पूनम मनोज की बात को बड़े गौर से सुन रही थी उसे मनोज की बातें अच्छी लग रही थी,,,।)
पूनम क्या तुम मेरा लेटर पड़ी थी,,,,,

हां,,,,,

मेरा लेटर पढ़कर तुम्हें गुस्सा तो नहीं आया था,,,,।
( पूनम मन ही मन मुस्कुरा रही थी मनोज की हर बात सुनने में उसे बेहद प्यारी लग रही थी और मनोज की बात का जवाब देते हुए बोली,,,।)

आया था ना मुझे बहुत गुस्सा आया था,,,,

( पुनम की बात सुनते ही मनोज चिंतित हो गया और वह घबराते हुए बोला,,,,)

कककक,, क्यों पुनम,, ?

अरे तुम एकदम पागल हो तुम यह बात मुझे,,, अपने मुंह से भी तो बोलकर कह सकते थे,,,, अगर तुम्हारा लिखा खत मेरे घर में किसी के हाथ लग जाता तो तुम जानते हो मेरी क्या हालत होती,,,,
संध्या चाची

hell smileys
सॉरी पूनम मैं उस गलती के लिए तुमसे बार-बार माफी मांगता हूं क्या करूं तुमसे सामनेे कहने की मेरी हिम्मत ही नहीं हो पा रही थी,,, इसलिए मजबूर होकर मुझे वह खत लिखना पड़ा,,,
( मनोज पूनम को अपनी सफाई दे रहा था और यह बात सुनकर पूनम मन ही मन हंस रही थी,,,। उसे मनोज का ईस तरह से सफाई देना बहुत अच्छा लग रहा था।)

फिर भी तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी है वहां पर मेरी किस्मत अच्छी थी कि वह खत किसी के हाथ नहीं लगा,,,

देखो पूनम मैं तुमसे हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं मैं जानता हूं कि मैं बहुत बड़ा बेवकूफ हूं इसलिए तुम्हारे सामने लो कान पकड़कर तुमसे माफी मांगता हूं,,,,,

क्या सच में तुम कान पकड़कर माफी मांग रहे हो,,,
,
हां मैं सच कह रहा हूं कसम से,,,, क्यों तुम्हें विश्वास नहीं हो रहा है क्या अगर तुम मेरे सामने होता तो मैं सच में तुम्हारे सामने कान पकड़कर घुटनों के बल बैठकर तुमसे माफी मांगता,,,,
( इस बात को सुनकर पूनम बहुत खुश हुई,,,)

तुम्हें यकीन नहीं आ रहा हो तो,,, मैं स्कूल में सबके सामने तुमसे माफी मांगने को तैयार हूं,,,

ननननन,,, नननन,,, ऐसा पागलपन बिल्कुल भी मत करना क्या तुम मुझे बदनाम करना चाहते हो,,

नहीं पूनम भला मैं ऐसा क्यों चाहूंगा,,,


तभी तो सबके सामने मुझसे माफी मांगने की बात कर रहे हो जानते हो तुम्हारे ऐसा करने से मेरी कितनी बदनामी होगी,,,

सॉरी पूनम ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा जिससे तुम्हारी जरा सी भी बदनामी हो,,, अच्छा एक बात बताओ खोलो मैंने जो बात खत में लिखा था उसे पढ़कर तुम्हें अच्छा तो लगा ना,,,

क्या मतलब (पूनम अनजान बनते हुए बोली)


मतलब यही कि क्या तुम मेरे प्यार को स्वीकार की हो क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो,,,,
( मनोज की यह बात सुनकर पूनम खामोश हो गई उसे अपने प्यार का इजहार करने में शर्म सी महसूस हो रही थी लेकिन मनोज की यह बातें उसे अच्छी भी लग रही थी पूनम को इस तरह से खामोश देखकर मनोज बोला,,,।)

क्या हुआ पूनम तुम खामोश क्यों हो गई क्या तुम्हें मेरा प्यार स्वीकार नहीं है,,, बोलो,,,

( कुछ सेकंड खामोश रहने के बाद पूनम बोली)

तुम बिल्कुल बेवकूफ हो अगर ऐसी कोई बात होती तो मैं भला तुम्हें फोन क्यों करती,,,,


मतलब,,, क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो,,,

हां,,, ( शरमाते हुए बोली)

ओहहहहह पुनम मैं बता नहीं सकता कि कितना खुश हूं मुझे तो अपनी किस्मत पर यकीन ही नहीं हो रहा है कि तुम जैसी खूबसूरत लड़की मुझसे प्यार करने लगी है,,,, मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा है क्या तुम मेरी एक बात मानोगी,,,

क्या?,,,,
( प्राकृतिक रूप से मनोज के तन-बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी कारण बिल्कुल साफ था क्योंकि आज वह अपनी बेहद पसंदीदा लड़की से बात कर रहा था जिसकी वजह से उसके लंड में तनाव आना शुरू हो गया था,, जो कि बेहद प्राकृतिक था भले ही दोनों के बीच गंदी तरीके की अश्लील बातचीत ना हो रही हो लेकिन फिर भी पूनम की आवाज़ भी उसके लिए बेहद मादक साबित होती थी जिसकी वजह से उसका लंड पूरी तरह से पेंट में खड़ा हो चुका था,,, वैसे भी पूनम की सामान्य सी बात में ही मनोज उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुंच जाता था और इस समय तो वह रात के एकांत में अपने कमरे में लेट कर पूनम कि बेहद सुरीली और मादक आवाज का आनंद लेते हुए उस से बातें कर रहा था जिसकी वजह से उसका लंड अपनी अपनी औकात में आ चुका था।,,, मनोज से अपनी यह स्थिति बिल्कुल भी संभाले नहीं जा रही थी,,, और वह एक हाथ से अपने पजांमे को नीचे की तरफ सरकाने लगा,,, ठीक ऐसा ही पूनम के साथ हो रहा था जिंदगी में पहली बार बार रात के सन्नाटे में अपने कमरे में बैठकर मनोज से बात कर रही थी या यूं कह लो कि आज वह पहली बार जिंदगी में किसी लड़के से इस तरह से बात कर रही थी,,,, ईस रोमांचकारी अनुभव का असर उसके खूबसूरत तन-बदन में अद्भुत प्रकार से हो रहा था,,,,, एक अजीब सा सुखद एहसास उसके तन बदन मैं कसमसाहट भर रहा था लेकिन पूनम अनुभवहीन थी उसे अवस्था के बारे में बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था,,,,, वह अपने बदन में हो रही उत्तेजना को पहचान नहीं पा रही थी,,, रात में एक लड़के से बात करने की वजह से उसके तन-बदन में भी हलचल सी मची हुई थी जिसका सीधा असर उसकी जांघों के बीच डेढ़ ईंच की पतली दरार में पूरी तरह से हो रही थी,,,
उसमें से हल्का हल्का मदन रस हो रहा था जिसे पूनम बिल्कुल भी नहीं पहचान पा रही थी कि ऐसा क्यों हो रहा है
लेकिन इस तरह का शरीर में हो रहे बदलाव और कसमसाहट भरी मीठी चुभन पूनम को अच्छा लग रहा था।,,, पूनम समझ नहीं पा रही थी कि मनोज उससे कौन सी बात मनवाना चाहता है इसलिए फोन को अपने कान पर बराबर लगाकर उसकी बात सुनने की कोशिश करने लगी,,,,, तभी सामने से मनोज की आवाज आई,,,।)

पूनम क्या तुम मेरे लिए सिर्फ एक बार अपने मुंह से अपने प्यार का इजहार कर सकती हो,,, मैं तुम्हारे मुंह से सुनने के लिए तड़प रहा हूं,,,,, बस एक बार बस एक बार तुम मुझे,,,, अपने मुंह से,,, आई लव यू बोल दो मेरा जन्म सुधर जाएगा,,,, प्लीज पूनम मुझ गरीब पर इतना रहम कर दो मैं तुम्हारे प्यार का प्यासा हूं अपने मुंह से यह 3 शब्द कहकर मेरी प्यास बुझा दो,,,,
( पूनम मनोज की बातें सुनकर मन ही मन खुश हो रही थी उसे मनोज के मुंह से यह सुनना बेहद अच्छा लग रहा था वास्तव में मनोज शब्दों का जादूगर था और लड़कियों के साथ इसी तरह से फ्लर्ट कर के उन्हें अपने प्यार के झांसे में फंसाया करता था,,,, और वही सब तरकिब वह पूनम के सामने आजमा रहा था,,, क्योंकि कुछ भी हो वह दूसरी लड़कियों के साथ भले ही किसी भी तरह से पेश आता हो लेकिन वह पूनम से मन ही मन प्यार करने लगा था तभी तो उसकी याद में ईस तरह से बावला हुआ था,,, पूनम मनोज की बातें सुन कर बहुत खुश हो रही थी लेकिन जिस तरह का वह जिद कर रहा था उस शब्द को बोलने में पूनम को हिचकिचाहट हो रही थी क्योंकि आज तक उसने यह 3 शब्द ना तो कभी अपने मुंह से बोलीे थी और भाई कभी अपने कानो से सुनी थी उसे बेहद शर्म सी महसूस हो रही थी लेकिन जिस तरह से वह मुझसे मिन्नतें कर रहा था उसकी बात तो मानना ही था इसलिए बहुत ही हिम्मत जुटाकर वह,,ं मनोज की बात रखते हुए बोली।)

क्या मनोज तुम भी इतना जिद कर रहे हो आखिरकार मैं तुम्हें सामने से फोन करके अपने मन की बात का एहसास तो तुम्हें दिला ही दी हूं फिर भी तुम इस तरह से क्यों जिद कर रहे हो,,,,,
( पूनम के मुंह से अपना नाम सुनकर मनोज बहुत खुश हो गया और वह 3 लब्ज सुनने के लिए बेकरार होने लगा,,,,)

पूनम मैं जिद नहीं कर रहा हूं बस मेरे मन की यही ख्वाहिश है कि मैं वह तान शब्द तुम्हारे मुंह से सुनना चाहता हूं,,, प्लीज ना मत कहना,,,,

आई लव यू,,,,( मनोज अपनी बात खत्म कर पाता इससे पहले ही पूनम ने झट से यह तीन शब्द बोल दी,,,, यह 3 शब्द बोलने में पूनम की हालत खराब हो गई,,,, जिंदगी में पहली बार इस 3 शब्दों का उपयोग की थी,,,, उसके बदन में अजीब सा रोमांच फैल गया था,,, पूनम के साथ साथ मनोज के तन-बदन में भी यह 3 शब्द उसके मुंह से सुनकर उत्तेजना की लहर दौड़ गई थी मनोज मन ही मन बहुत खुश हुआ उसे कभी भी उम्मीद नहीं थी कि वह पूनम के मुंह से अपने लिए यह तीन सब्द सुन पाएगा,,, लेकिन इस समय ऊसके मन की बात सच हो रही थी,,, )

पूनम आज मैं बहुत खुश हूं मैं तुम्हें बता नहीं सकता कि मैं कितना खुश हूं,,,, मुझे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा है कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा,,,,
( मनोज की यह बात सुनकर पूनम खिलखिलाकर हंसने लगी उसे मनोज की यह बात बहुत ही मासूम और प्यारी लग रही थी,,, और पूनम की मुस्कुराहट और उसकी हंसी की आवाज सुनकर मनोज की उत्तेजना बढ़ने लगी वह अपने टनटनाए हुए लंड को हाथ में लेकर हिलाने लगा मनोज की हालत पल-पल खराब हुए जा रही थी ऐसा नहीं था कि वह पहली बार किसी लड़की से बात कर रहा था बल्कि उसकी हर बात किसी ने किसी लड़कियों के साथ फोन पर गुजरती थी और वह फोन पर लड़कियों के साथ भी है अश्लील और एकदम गंदी बातें करके अपने लंड का पानी निकाल देता था लेकिन,,,, पूनम के साथ हुआ बेहद सभ्यता के साथ और सामान्य शब्दों में ही बातें कर रहा था लेकिन फिर भी पूनम की कशिश इतनी ज्यादा थी कि उसकी बातों से ही मनोज पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और वह पूनम से बातें करते हुए कल्पना में ही उसके खूबसूरत बदन के साथ मस्ती करते हुए अपने लंड को जोर जोर से हीलाना शुरु कर दिया था।,,,, तभी पूनम मनोज की बात का जवाब देते हुए बोली,,

तुम सपना नहीं हकीकत देख रहे हो ओर जोे सुन रहे हो वह बिल्कुल सही सुन रहे हो,,,,

पूनम क्या सच में तुम मुझसे प्यार करने लगी हो कहीं तुम मुझसे मजाक तो नहीं कर रही हो,,,( ऐसा कहते हुए मनोज अपने लंड को जोर-जोर से मुठीयानी लगा,,,,)

मैं मजाक नहीं करती मैं जों कहतीे हूं एक दम सच कहतीे हुं।
मैं कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि मैं किसी को दिल दे दे दूंगी क्योंकि मैं इन सब बातों से एकदम दूर ही रहती थी और दूर रहना चाहती थी,,,,लेकीन तुम्हारी वजह से मुझे अपना फैसला बदलना पड़ा तुम्हारी जिद के आगे मुझे झुकना पड़ा वेसे भी धीरे-धीरे तुम मुझे अच्छे लगने लगे हो,,,।( मनोज पूनम की ऐसी बातें सुनकर उत्तेजना के चरम शिखर पर पहुंच गया था वह कल्पना में ही पूनम के बदन पर से एक-एक करके सारे कपड़े उतारने लगा था,,,,)

सच बोल रही हो पुनम,,, मुझे तो सच बताऊं अभी भी यकीन नहीं हो रहा है।,,, कहीं ऐसा ना हो जाए कि मैं खुशी से एकदम पागल हो जाऊं,,,,

प्लीज ऐसा मत कहो अगर तुम पागल हो गए तो मेरा क्या होगा,,,,

( पूनम की यह बात सुनकर मनोज तो एकदम पागल ही हो गया,,, वह इस बार कल्पना के सागर में गोते लगाते हुए पूनम के बदन उसकी पैंटी उतार रहा था,, और उस कल्पना मैं खोकर मनोज जोर-जोर से अपने लंड को हिला रहा था।)

मैं भी तुम्हारे बिना अधूरा हूं पूनम,,,,

मुझे भी ऐसा लगने लगा है कि मैं भी तुम्हारे बिना अधूरी हूं,,,
( दोनों के बदन में आग बराबर लगी हुई थी पूनम इस तरह से रात को एक लड़के से बात करके अंदर ही अंदर मस्त हुए जा रही थी लेकिन उसे इस मस्ती का सबब पता नहीं चल रहा था धीरे-धीरे करके उसकी पैंटी गीली होने लगी थी जिसका एहसास उसे होते ही उसका एक हाथ झट से उसकी पैंटी पर चला गया और वह सलवार के ऊपर से उसे टटोलकर पेंटिं गीली होने की पुष्टि करने लगी,,,, उसकी खूबसूरत अनछुई बुर मस्ती के रस में पूरी डूब चुकी थी,,,, लेकिन पूनम को इस मस्ती के हिसाब के बारे में कुछ भी पता नहीं था उसे तो यह लग रहा था कि उसे जोर से पेशाब लगी है जिसकी वजह से बूंद बूंद करके उसकी पैंटी गीली होने लगी है,,,, दूसरी तरफ मनोज जोर-जोर से अपने लंड को हिलाते हुए अपने चरम सुख की तरफ आगे बढ़ रहा था,,,, अब वह कल्पना में ही पूनम की जांघों के बीच अपने लिए जगह बना लिया था,,,, और अपने लंड के सुपाड़े को पूनम की खूबसूरत बुर के मुहाने सटा दिया था,,,,, मनोज उत्तेजना की गर्मी के कारण पूरा पसीने से तरबतर हो चुका था।। पूनम दीवार पर टंगी घड़ी की तरफ देखी तो काफी समय हो चुका था उसे इस बात का भी डर था कि कहीं कोई आते जाते उसकी बात न सुन ले नहीं तो उसका प्यार शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाएगा,,, और वैसे भी उसे जोरों से पेशाब भी लगी थी इसलिए वह बोली,,,

मनोज आप काफी समय हो गया है मुझे फोन रखना होगा,,,

नहीं पूनम ऐसा मत बोलो मैं तो चाहता हूं कि रात भर तुम यूं ही मुझसे बातें करती रहो,,,

मैं भी तो यही चाहती हूं (हंसकर) लेकिन मजबूर हूं सुबह जल्दी उठकर स्कूल भी तो जाना है,,,

( मनोज उसकी बात सुनते हुए अपनी कल्पना का घोड़ा पूरी जोर से दौड़ रहा था क्योंकि इस बार वह कल्पना करते हुए अपने लंड को पूनम की बुर में उतार चुका था और उसे चोदना शुरू कर दिया था उसका हाथ उसकी लंड पर बड़ी तेजी से ऊपर नीचे हो रहा था।,,,,
( पूनम की नजर दीवार पर टंगी घड़ी पर पड़ी थी काफी समय हो चुका था इसलिए वह मनोज से बोली,,,।)

मनोज अब काफी समय हो चुका है अब मुझे सोना चाहिए क्योंकि जल्दी उठकर मुझे स्कूल भी तो जाना है,,, अगर ऐसे ही बातें करती रहुंगी तो सुबह आंख नहीं खुलेगी,,

मनोज नहीं चाहता था कि पूनम फोन कट करें क्योंकि वहां से रात भर बात करना चाहता था,,, लेकिन उससे बात करने के लिए दबाव भी नहीं दे सकता था क्योंकि आज पहली बार वह ऊससे इस तरह से बात कर रहा था,,, वैसे भी वह कल्पना करते हुए अपने चरम सुख के बिल्कुल करीब पहुंच चुका था वह जोर-जोर से लंड हिलाते हुए बोला,,

कोई बात नहीं पूनम लेकिन कल स्कूल में तो मिलोगी ना,,,

नहीं बिल्कुल भी नहीं हम जैसे पहले मिलते थे वैसे ही मिलेंगे किसी को भी कानो कान खबर नहीं होनी चाहिए कि हम दोनों के बीच में कुछ चल रहा है वरना मेरी हालत मेरे घरवाले खराब कर देंगे,,,,

ठीक है पूनम जैसा तुम कहो,,,,



और हां मनोज यह मोबाइल मेरी चाची का है तो जब तक मैं तुम्हें मिस कॉल ना करूं तुम किसी भी हालत में कभी भी फोन मत करना तुम्हें यह प्रॉमिस करना पड़ेगा,,, वरना ऐसा हुआ तो मुझे यह रिश्ता यहीं खत्म करना होगा,,

नहीं पूनम ऐसा कभी भी नहीं होगा (और इतना कहने के साथ ही उसके लंड ने पिचकारी छोड़ दिया,,,।)

ठीक है बाय मैं फोन रखती हूं,,,

ठीक है पूनम आई लव यू,,,

लव यू टू मनोज,,
( इतना कहने के साथ ही फोन कट गया
 
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PRAVAS DALEI

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बहुत ही सुंदर update ronny brother | दोनों की मन और तन मैं जोरों की आग लगी है | धीरे धीरे दोनों की प्यास बुझा दो | phone sex की बात हो तो और मजा आएगा | पूनम की घर की दूसरी औरतों को भी chudao |
 

Sanju@

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मनोज के साथ साथ पूनम की भी रातों की नींद दिन का चैन खो चुका था। पूनम को भी सोते जागते उठते बैठते बस मनोज का ही चेहरा नजर आता था। जब से वह पैर फिसलने की वजह से मनोज के ऊपर गिरी है तब से तो वह उसके ख्यालों में पूरी तरह से खो चुकी है। उसे भी अब रास्ते में मनोज के खड़े रहने का बेसब्री से इंतजार रहने लगा,,, वह सामने से तो कुछ नहीं बोलती थी लेकिन उसके बोलने का इंतजार उसे हमेशा रहने लगा। बेला उसे बातों ही बातों में उसका नाम लेकर छेड़ देती थी,,,, लेकिन अब पूनम को भी मनोज का नाम लेकर एक छेड़खानी का मजा आने लगा था लेकिन वह बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोला को डांट. देती थी। पूनम के हृदय में भी मनोज के नाम का अंकुर अब अंकुरित होने लगा था। दूसरी तरफ मनोज की हालत और ज्यादा खराब होने लगी थी उसने तो अभी तक अपनी आंखों से ही पूनम के भजन का जायजा लेते हुए नापतोल किया था। लेकिन पूनम को गिरते-गिरते संभालने में जिस तरह से वह अपनी हथेलियों का उपयोग ऊसको उठाते समय उसके खूबसूरत बदन के उतार-चढ़ाव के रुपरेखा के अवलोकन करने में लगाया था तब से तो उसके सांसो की गति जब भी वह उसको याद करता तीव्र हो जाती थी।,,,, मनोज उसको अर्धनग्न अवस्था में उसके भरे हुए नितंब को तो देख लिया था और कपड़ों के ऊपर से उसे स्पर्श करने का सुख भी बहुत चुका था लेकिन इतने से दीवाना दिल कहां मानने वाला था वह तो उसको पूरी तरह से निर्वस्त्र देखना चाहता था और वह भी अपनी बाहों में,,,, यह उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा सपना था। मनोज के मन में पूनम को लेकर उसके प्रति प्यार के साथ साथ वास्ना का गंदा मिश्रण भी था मनोज ज्यादातर उसे भागने की ही इच्छा रखता था। लेकिन पूनम के मन में उसके प्रति प्यार पनप रहा था।,,, यूं ही एक दूसरे को देखते देखते ही चार-पांच दिन और गुजर गए,,,,,

पूनम के घर पर गाय भैंसों का तबेला होने की वजह से कभी-कभी उसे भी गाय भैंस का दूध निकालना पड़ता था। उसे यह काम तो बिल्कुल पसंद नहीं था लेकिन फिर भी जब मजबूर हो जाती थी तो उसे करना ही पड़ता था उसी तरह से आज भी सभी को काम में व्यस्त होने की वजह से पूनम को ही दूध निकालना था और सुबह सुबह गांव के सभी लोग पूनम के घर दूध खरीदने आ जाया करते थे। पूनम अपने आप को दूसरे कामों में व्यस्त करने में लगी हुई थी ताकि कोई उसे दूध निकालने के लिए ना बोले और वैसे भी उसे आज कोई दिक्कत भी नहीं थी क्योंकि आज छुट्टी का दिन था लेकिन फिर भी वह दूध निकालना पसंद नहीं करती थी,,,, इसलिए वह घर के अंदर झाड़ू लगाने लगी,,,, तभी दूध लेने के लिए उधर सोहन आ गया,,,, सभी दिनों में उसकी मां भी दूध लेने आती थी लेकिन रविवार के दिन छुट्टी की वजह से वही घर पर दूध लेने आता था इसकी एक खास वजह थी। उसे मालूम था कि छुट्टी के दिन पुनम हीं दूध निकालती थी,,, और उसे आंख भर कर देखने का इससे अच्छा मौका दूसरे किसी भी दिन नहीं मिल पाता था,,,,, वह घर के आंगन में आकर आवाज लगाते हुए बोला,,,,,,

चाची,,,,,,,,, वो,,,,, चाची दूध लेना है,,,,, कब से खड़ा हूं कौन निकाल कर देगा,,,,,,,


अरे मुझे सुनाई दे रहा है बहरी नहीं हूं जो इतनी जोर से चिल्ला रहा है,,,,, ( पूनम की मम्मी सोहन को बोलते हुए उसकी तरफ घूम गई जो कि अभी तक रस्सियों पर धुले कपड़े डाल रही थी,,,, और कपड़े डालने की वजह से उसके भारी-भरकम नितंबों में गजब की धड़कन हो रही थी और उसी नितंबों की धड़कन को देखते हुए सोहन मस्त होता हुआ उन्हें आवाज लगाया था। )

अरे चाची गुस्सा कांहे रही हो,,,, दूध ही तो मांग रहे हैं थोड़ी ना तुम्हारी गाय भैंस मांग ले रहे हैं,,,,,,

अच्छा तू मांगेगा तो मिल जाएगा,,,,, दिन में सपना देख रहा है क्या,,,

अरे चाची मांगने से मिल गया होता तो अब तक ना जाने क्या क्या मांग लिया होता,,,,

क्या क्या मांग लिया होता,,,( पूनम की मम्मी गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)


अरे कुछ नहीं चाहती मैं तो मजाक कर रहा हूं और वैसे भी मुझे बहुत देर हो रही है जल्दी से दूध निकाल कर दे दो,,,,( पूनम की मां का गुस्सा देखते हुए वह बोला,,,,।)

पूनम,,,, जा बेटा जाकर जल्दी से दूध निकाल कर दे,,दे,,,, देख नहीं रही है कितना उतावला हुआ है,,,, अंदर घर में झाड़ू लगाना बंद कर और जल्दी आ,,,,( इतना कहने के साथ हीवह फिर से कपड़ों को रस्सी पर डालने लगी,,,, उसकी आवाज सुनकर सुजाता जो की छत की सफाई कर रही थी वह छत के ऊपर खड़ी होकर उसको देख कर मुस्कुराने लगी,,,,, तो हिंदी जवाब में हाथ हिलाते हुए उसे हवा में ही चुंबन को गेंद बनाकर उसकी तरफ उछाल दिया,,,, वह भी नजरें बचाकर जैसे कि किसी गेंद को लपक रही हो इस तरह से लपकते हुए उसे अपनी कुर्ती में डाल दी,,, सुजाता की यह अदा देखकर सोहन खुश हो गया,,,, और वह अपने मन की इच्छा को इशारों से दर्शाता हुआ,,, एक हाथ के अंगूठे और उंगली को जोड़कर गोल बना लिया और दूसरे हाथ की एक लंबी वाली उंगली को,,, ऊस गोलाई मे डालकर अंदर बाहर करते हुए उसे चोदने की ईच्छा बता दिया,,, पूनम की बुआ तो सोहन की इस हरकत को देखकर पूरी तरह से गंनगना गई,,,, और उसके इस इशारे को कोई और भी ना देख ले इसलिए वह झट से पीछे कदम हटा ली,,,, कब तक घर में से संध्या बर्तनों का ढेर हाथों में लिए बाहर आने लगी तो सोहन की नजर सीधे उसके बड़े बड़े ब्लाऊज से झांक रहे चुचियों पर गई,,,, सोहन चूचियों को खा जाने वाली नजर से देख रहा था,,, जिस पर संध्या की नजर गई तो वह अपने बदन को उसकी नजरों से छुपाते हुए गुस्से में बोली,,,,

क्या काम है,,,,, ऐसे क्या उल्लुओं की तरह घूर रहा है।

दददद,,, दुध,,,, दुध,,,, चाहिए कब से इंतजार कर रहा हूं,,,,
( सोहन समझ गया कि संध्या उसकी चूचियों को घूरते हुए उसे देख लि है,,, इसलिए हकलाते हुए बोला,,,, और उन दोनों की आवाज सुनकर पूनम की मम्मी जौकी कपड़े रस्सी पर डाल चुकी थी वह उनकी तरफ घूमते हुए बोली,,

अरे तू अभी तक यहीं खड़ा है,,,,, पूनम कहां गई,,,

दीदी वह तो अंदर वाले कमरे में झाडू लगा रही है । (संध्या बर्तन मांजने के लिए नीचे बैठते हुए बोली,, और उसे देखते देखते सोहन अपनी नजरों को बेठती हुई संघ्या के भारी भरकम गद्देदार गांड को देखने लगा,,,,, और उसे देखते हुआ लंबी आहें भरने लगा,,,। )

यह लड़की देना इसे कब से आवाज लगा रही हूं लेकिन यह है कि कुछ सुनती ही नहीं,,,,
( उसका यह कहना था कि तभी अंदर के कमरे से पूनम दुपट्टे को अपनी कमर से बांधते हुए बाहर आई और बोली,,,,)

क्या मम्मी आप भी ना तुम्हें अच्छी तरह से मालूम है कि मुझे दूध निकालना अच्छा नहीं लगता फिर भी मुझे ही कहती हो,,


बेटा तुझे मालूम तो है की आज के दिन तेरे चाचा बाजार जाते हैं और वहां से घर के जरुरतों का सामान लेकर आते हैं।
और उन्हें आते आते ही दोपहर हो जाएगी,,,, इसलिए कह रही हूं जा बेटा जल्दी से दूध निकाल कर उन्हें चारा भी दे दे,,,

चाची मैं अब और कितनी देर तक इंतजार करूं,,,,( सोहन उन लोगों की बहुत सारी देखते हुए बीच मे हीं बोल पड़ा,,,, लेकिन उसकी नजर अब पूनम के बदन के उपर घूम रही थी,,,, और यही ताक-झांक करने के लिए तो वह आज के दिन दूध लेने आता था और उसे आंख सेंकने के लिए काफी कुछ नजर आ ही जाता था,,,, उसे इस बात से ही तसल्ली थी कि भले ही वह उन औरतो के नंगे बदन के दर्शन नहीं कर पाता था लेकिन वह उन औरतों के खूबसूरत बदन के उतार-चढ़ाव का जायजा कपड़ो के ऊपर से ही भली भांति ले लेता था। इतने से ही सप्ताह भर तक लंड हिलाने का काम चल जाता था। वह प्रतिदिन अपनी प्यास को अपने ही हाथों से मुठ मारकर बुझाता था,, हालांकि मुठ मारते समय उसकी कल्पना हो की अभिनेत्री रोज ही कोई ना कोई और होती थी कभी वह सुजाता को याद करके,,, मुट्ठ मारता था तो कभी संध्या के भरावदा़र गद्देदार नितंबों की थिरकन तो कभी उसकी बड़ी बड़ी चूचियां का सहारा लेता था,,,तो कभी रीतु के खूबसूरत दूरियां बदन को याद करके तो कभी पूनम की मां की गांड को याद करके मुट्ठ मारता था और जब कभी उसके बदन में कामोत्तेजना का असर अपना जलवा दिखाता तो वह पूनम के खूबसूरत बदन की कल्पना करके बहुत ही तीव्र गति से अपने लंड को हिलाते हुए पूनम की कल्पना में ही उसके साथ संभोग सुख का सपना देखते हुए अपना पानी निकाल देता था।,,,,)

आ रही हूं ऐसा लग रहा है कि दूध नहीं मिलेगा तो भूचाल आ जाएगा,,,,,,,,
( सोहन पूनम की जवानी के रस को अपनी आंखों से पीते हुए बोला,,,)

तो दे दो ना कितनी देर से तो खड़ा हूं,,,,,

( इतना कहने के साथ ही पूनम आगे आगे चलने लगी और सोहन भी उसके पीछे हो चला सोहन कोे जाते हुए देख रही
संध्या गुस्से में मन ही मन में बड़ बड़ाते हुए बोली,,,,)

निठ्ठल्ला कहीं का।,,,,

क्या हुआ किसे गाली दे रहीे हैं,,,,,
( पूनम की मां संध्या को बड़बड़ाते हुए देख कर बोली,,,)

अरे इसी सोहन को देखते ही नहीं हो इसे बात करने का ढंग बिल्कुल भी नहीं है जब देखो तब औरतों के बदन को घुरता रहता है।

जाने दे उसकी तो आदत ही ऐसी है,,,,( इतना कहकर दोनों फिर से अपने अपने काम में लग गए,,,, दूसरी तरफ पूनम आगे आगे चली जा रही थी दुपट्टे को कमर से बांधने की वजह से,,, कमर के नीचे वाला भाग जो कि अब काफी उभरा हुआ नजर आ रहा था पूनम के हर चाल के साथ-साथ वह बड़े ही उन्मादक अंदाज में मटक रहा था। जिसको देखते हुए सोहन बार-बार अपने लंड को पेंट के ऊपर से ही मसल दे रहा था। पूनम की गदराई जवानी सोहन के बदन में कड़कड़ाती ठंडी में भी गर्मी पैदा कर रही थी। पूनम की बलखाती कमर के साथ साथ उसकी मटकती हुई गांड कभी दांएं को लचकती तो कभी बांए को,,, और उसके साथ-साथ सोहन कि काम लोलुपता से भरी आंखें भी दाएं बाएं घूम रही थी।,,, तभी वह आगे चल रही पूनम से बात करने की कोशिश करते हुए बोला,,,,,।

पूनम तुम हमेशा छुट्टी के दिन ही क्यों दूध निकालती है बाकी के दिन क्यों नहीं निकालती,,,,

क्यों तुम्हें कोई तकलीफ है क्या,,,( पूनम सोहन की तरफ बिना देखे ही बोली,,,)

नहीं ऐसी कोई बात नहीं है लेकिन वह क्या है कि तुम दूध अच्छा दिखाती हो मेरा मतलब है कि दूध अच्छी तरह से निकालती हो,,,( सोहन झट से अपनी कही बात को संभालते हुए बोला वैसे उसका इरादा दूसरा ही था,,,, पूनम उसके कहने का मतलब अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए वह गुस्से से उसकी तरफ देखने लगी तो वहां लुच्चे भरी मुस्कुराहट से उसे देखने लगा,,,)
वैसे सुना है पूनम की तुम पढ़ने में काफी होशियार हो,,,,

किसने कहा,,,,

गांव वालों ने और किसने कहा,,,,, गांव वाले बता रहे थे कि तुम इंग्लिश में काफी तेज हो,,,, और हमें तो ठीक से ABCD भी नहीं आती,,,,,
( इस बार पूनम उस पर गुस्सा नहीं हुई लेकिन चेहरे का एक्सप्रेशन गुस्से वाला ही था उसे अंदर ही अंदर सोहन कि इस बात पर खुशी होने लगी,,, लेकिन वह आगे से कुछ भी नहीं बोली)
कभी जरुरत पड़े तो हमें भी कुछ बता देना,,, हमें इंग्लिश बिल्कुल भी पढ़नी नहीं आती,,,

ठीक है,,, ठीक है,,, ( पूनम आंखें तैरते हुए बोली,,,, तब तक वह तबेले के अंदर आ गई और भैंस को पूचकारते हुए बाल्टी लेकर उसके थन के नीचे लगाते हुए बैठ गई,,,, सोहन ठीक उसके करीब ऐसे खड़े हो गया जहां से भैंस के दूध के साथ-साथ पूनम के भी दूध अच्छी तरह से नजर आने लगे,,,, पूनम इस तरह से बैठी हुई थी की कुर्ती में से झांक रहे दोनों दूध सोहन को साफ साफ नजर आ रहे थे,,, शायद सोहन की किस्मत भी बड़े जोरों पर थी क्योंकि पूनम ब्रा नहीं पहनी हुई थी वह रात को सोते समय,, तंग होने की वजह से उसे रात को ही निकाल दी थी,,, जैसे-जैसे पूनम भैंस के थन को पकड़ कर खींच खींच कर दूध निकालती वैसे वैसे बदन में जलन जलन की वजह से उसके दोनों नारंगीया भी कुर्ती के अंदर उच्छल कूद मचाने लगती,,, और उन दोनों कबूतरों को फड़फड़ाता हुआ देखकर सोहन का अंडर वियर तंग होने लगा था। पूनम बड़े मजे से बाल्टी के अंदर दूध का धार छोड़ते हुए थन में से दूध निकाल रही थी,,, और सोहन उसकी कुर्ती में झांकता हुआ बोला,,,,

लगता नहीं है कि इसमें ज्यादा दूध होगा,,,,,( सोहन उत्तेजना के मारे थूक को गले में निगलता हुआ बोला,,)

यह तो देखने वाली बात है देखना में धीरे धीरे करके पुरी बाल्टी भर दूंगी,,,( पूनम,, सोहन की बात का मतलब समझे बिना ही बड़े ही औपचारिक ढंग से बोल रही थी,,)

भगवान करे जैसा तुम कह रही हो ठीक वैसा ही हो तभी तो मजा आएगा,,,( मजा वाली बात सुनकर पूनम सोहन की तरफ आश्चर्य से देखें तो सोहन बात को बदलते हुए बोला,,,)
मतलब कि अच्छा लगेगा कि तुम्हारे कहने से बाल्टी भर गई,,,

( पूनम फिर से उसकी बात पर गौर ना करते हुए दूध निकालने लगी धीरे धीरे करके आधी बाल्टी भर गई थी,,, सोहन लगातार अपनी नजरें कुर्ती के अंदर गड़ाए हुए था नजरों को तेज कर के वह बड़े गौर से कुर्ती के अंदर के खजाने को निहारने में लगा हुआ था,,,, कुर्ती में छिपा यह एक अनमोल और अमूल्य खजाना था जिसका मोल दुनिया की किसी भी कीमती चीज से चुकाकर हासिल नहीं किया जा सकता था,,,, यह अनमोल खजाना किस्मत और प्यार की बदौलत ही पाया जा सकता था और उस खजाने को सोहन अपनी नजरों से चुरा रहा था। नजरों को काफी जोर देने पर उसे पूनम की भूरे रंग की निप्पल नजर आने लगी,,,, जिस पर नजर पड़ते ही सोहन की तो हालत खराब होने लगी उसके बदन में उत्तेजना के सुरसुराहट दौड़ने लगी,,,, उसके पैंट में तंबू सा बन गया उसकी अंडरवियर काफी तंग होने लगी,,
पूनम के संतरो की निप्पल किसी स्ट्रो की तरह लग रही थी,,,
जिसको मुंह में भरकर दूधीया रंग के संतरो के स्वादिष्ट रस को पिया जा सके,,, सोहन की तो इच्छा कर रही थी कि यही पकड़ कर उसकी चूची को मुंह में भर कर पीना शुरु कर दे,,
लेकिन मन में एक कसक उठकर शांत हो जाती थी क्योंकि वह जानता था कि ऐसा होने वाला नहीं है। पूनम ऐसी लड़की नहीं थी हां अगर पूनम की जगह उसकी बुआ होती तो सोहन जरूर अपनी मनमानी कर सकता था। उसके मन में इस बात को लेकर भी काफी उत्तेजना थी कि पूनम के घर में जितनी भी औरतें थी सब का बदन एकदम मदमस्त था। सब की सब गदराई जवानी की मालकिन थी। चाहे उनके पास छोटी-छोटी संतरे जैसी चूचियां हो या फिर खरबूजे की तरह बड़ी-बड़ी मजा सब में भरा हुआ था। सोहन मन ही मन में सोच रहा था कि अगर पूनम की छोटी-छोटी संतरे जैसी चूचियों को मुंह में भरकर पीना हो तो किस्मत बन जाए,,, यह सब सोचकर उसका अंडरवीयर ऐसा लग रहा था मानो लंड के भार से अभी फट जाएगा,,, पैंट के अंदर ग़दर मचाया हुआ था। पेंट में पूरी तरह से तंबू बन चुका था। धीरे-धीरे करके पूनम ने दूध से पूरी बाल्टी लबालब भर दी,,, भरी हुई बाल्टी देखकर पूनम बहुत खुश हुई,,,, और खुश होते हुए बोली,,

देखा कहती थी ना कि मैं यह पूरी बाल्टी दूध से भर दूंगी,,,,

( वह सोहन से बोल रही थी लेकिन सोहन का ध्यान तो कहीं और लगा हुआ था वह पूनम की छोटी-छोटी चूचियों को देखने में व्यस्त था,,, तभी तो वह पूनम की बात पर ध्यान दिए बिना ही जवाब देते हुए बोला,,,,।)

हां लेकिन बहुत छोटी छोटी हैं,,,

छोटी छोटी है,,,, क्या छोटी छोटी है,,,,, (इतना कहने के साथ ही वह नजरें उठाकर सोहन की तरफ देखीे तो उसे अपनी कुर्ती में झांकता हुआ पाकर एकदम से सकपका गई और शर्म के मारे अपने कपड़े को ठीक करने लगी,,,, और सोहन हड़बड़ाकर अपनी बात बदलते हुए बोला,,,,)

ममममम,,,, मेरा बर्तन छोटा,,,,,,, छोटा है,,,, वरना एकाद लीटर और ले लिया होता,,,,
( पूनम समझ गई थी कि उसकी नजर किस पर थी और उसकी किस्मत खराब थी कि आज उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी जिसकी वजह से उसे इतना तो मालूम ही था कि सोहन को कुर्ती कें अंदर बिना ब्रा के उसकी नंगी चूचियां बहुत साफ नजर आती होंगी इस बारे में सोच करवा एकदम से शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी,,, वह समझ गई थी कि सोहन इन चुचीयों के बारे में ही कब से बातें किए जा रहा था और वह बुद्धू की तरह समझ नहीं पा रही थी।,, वह गुस्से से बोली,,,)

लाओ अपना बर्तन,,,,

मे तो कबसे देने को तैयार हूं लेकिन तुम ही टाइम लगा रही हो,,,, ( इतना कहते हुए वह बर्तन पूनम को दबाने लगा जिससे वह अपनी पेंट में बने तंबू को छिपा रखा था उस जगह से बर्तन हटाकर पूनम को थमाते समय सोहन बिल्कुल भी अपने तंबू को छिपाने की कोशिश नहीं कर रहा था बल्कि वह मन ही मन किया जा रहा था कि पूनम की नजर उस तंबू पर पड़ जाए और ऐसा हुआ भी,,, सोहन के हाथ से बर्तन थामते समय अचानक ही पुनम की नजर उसके पैंट में बने तंबू पर चली गई,,,, और पूनम पेंट में बने उस तंबू को देखकर एकदम से सिहर गई,,, सोहन जान गया था कि पूनम की नजर उसके पेंट में बने तंबू पर पड़ चुकी है इसलिए वह दांत दिखाते हुए हंस रहा था,,,, और पूनम मन ही मन गुस्सा कर रही थी,,,, उसे शर्म भी बेहद महसूस हो रही थी लेकिन सोहन को कुछ बोल सकने की स्थिति में वह बिल्कुल भी नहीं थी उससे कहती थी तो क्या कहती,,,, क्योंकि पूनम उस तरह की लड़की नहीं थी कि इस बारे में भले ही गुस्से में ही सही उससे कुछ कह सके,,, वह जल्दी जल्दी बाल्टी से दूध उसके बर्तन में निकाल कर उसे थमा दी,, वह कुटिल हंसी हंसते हुए चला गया पूनम वहीं खडी सोहन को जाते हुए क्रोध और लज्जा के साथ देखती रही। पूनम के सामने पहली बार किसी ने इस हद तक अश्लील हरकत की थी जिसकी वजह से पूनम का पूरा बदन गनगना गया था। पूनम भी उम्र के ऐसे दौर से गुजर रही थी कि सोहन के पेंट में बने तंबू के अंदर के अंग के बारे में सोच कर उस की उत्सुकता बढ़ने लगी थी।
बहुत ही सुंदर लाजवाब और रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
सोहन सुजाता को लेटर दे देता है और घर की सभी औरतों को घूरता रहता है वह पूनम पर ट्राई कर रहा है देखते हैं क्या होता है
 
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Sanju@

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मनोज पूनम का पूरी तरह से दीवाना हो चुका था। जब भी उसे समय मिलता तो वहां पूनम की दी हुई नोट्स को अपने बैग में से बाहर निकाल कर घंटो उसे देखता ही रहता उसकी लिखावट पर अपनी उंगलियों का स्पर्श करके एक अद्भुत सुख की अनुभूति करता रहता,,, कभी-कभी तो वह उसके लिखावट को अपने होठों पर रखकर चूम लेता,,, कुछ दिनों से यही चल रहा था हालांकि उसे तो उस नोट्स में से अपना अधूरा काम पूरा करना नहीं था बस उसे अपने पास रख कर ऐसा प्रतीत होता था कि उसके पास पूनम की नोट ना हो करके पूनम खुद उसके करीब है।,,,, पूनम को दिया गया दो-तीन दिन का वक़्त भी मनोज ने यूं ही बिता दिया आखिरकार उसे उस नोट्स को तो लौटाना ही था,,, मनोज को पूनम से अपनी प्रेम का इजहार भी करना था लेकिन उसे किस तरह से अपने प्रेम का इजहार करना है समझ में नहीं आ रहा था।
उसने बहुत सी लड़कियों को प्रेम का इजहार करके अपने प्रेम के जाल में फंसा रखा था। लेकिन पूनम को किन शब्दों में वह अपने दिल की बात बयां करें इस बारे में उसे बिल्कुल भी नहीं सूझ रहा था। वह अपने कमरे में बैठकर पूनम की दी हुई नोट के पन्ने पलट रहा था कि तभी उसके दिमाग में एक युक्ति सूझी,,,, और वह,, इस बार अपने मुंह से नहीं बल्कि अपने प्रेम का इजहार को अपने शब्दों में डालकर कागज पर लिखने की ठान लीया,,, और अपने मन की बात को उस कागज पर उतार दिया,,,, और कागज के नीचे अंत में अपना नाम लिखकर साथ में पूनम का भी नाम लिख कर अपना मोबाइल नंबर भी लिख दिया,,,,,, उसे अपने ऊपर विश्वास था कि पूनम जरूर उसके लिए प्रेम पत्र को पढ़कर उसके प्यार को स्वीकार कर लेगी लेकिन उसे डर भी लग रहा था कि कहीं अगर पूनम ने उसके लिए प्रेम पत्र को पढ़कर फाड़ दी तो सारे अरमान धरे के धरे रह जाएंगे,,,,, वह इस खत को इंग्लिश की नोट में आखरी पन्नों के बीच रख कर अपने बैग में रख दिया क्योंकि उसे कल नोट्स को वापस लौटाना था।

दूसरी तरफ पूनम रात को अपने कमरे में सोते हुए मनोज के बारे में ही सोच रही थी बार-बार उसकी आंखों के सामने मनोज का चेहरा नजर आ जा रहा था उसका हंसता हुआ उसकी बोली भाषा उसका स्टाइल सब कुछ पूनम को अच्छा लगने लगा था। कड़ाके की ठंडी में रजाई ओढ़ कर मनोज के ख्यालों की गर्माहट से उसका बदन सुकून अनुभव कर रहा था। कभी उसे जांघों के बीच खुजली सी महसूस हुई तो वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर सलवार के ऊपर से ही,,, बुर के उपसे हुए भाग पर खुजलाने लगी,,,,,,की तुरंत उसके जेहन में सोहन का ख्याल आ गया,,, और सोहन का ख्याल आते ही उसकी आंखों के सामने उसके पैंट में बना जबरदस्त तंबू नजर आने लगा,,,, उस नजारे को याद करके पूनम के बदन में उत्सुकता के कारण सुरसुराहट सी दौड़ने लगी,,,, इतना तो उसे पता ही था की सोहन के पेंट में जिस वजह से तंबू बना हुआ है उसके पीछे उसकी जांघों के बीच के हथियार ही जिम्मेदार था,, उस हथियार को सामान्य भाषा में लंड के उपनाम से जाना जाता है यह भी,,, उसे अच्छी तरह से पता था,,,, लेकिन उन शब्दों का उच्चारण वह अभी तक मन से ही जानती थी कभी भी वह उन शब्दों को अपनी जुबान पर आने नहीं दी थी,,,,। उसे इस बात से हैरानी हो रही थी क्या उस अंग में इतनी ज्यादा ताकत होती है कि वह पेंट के आगे वाले भाग को इतना उठा देता है कि तंबू जैसा दिखने लगता है,,,, उस बारे में सोच कर उसके बदन की सुरसुराहट बढ़ने लगी थी,,,। उसके मन में इस बात को लेकर उत्सुकता होना लाजमी ही था क्योंकि उसने अभी तक किसी बड़े लड़के या एक संपूर्णता मर्द के लंड को कभी भी अपनी आंखों से नहीं देख पाई थी। उसने अभी तक सिर्फ बच्चों के ही लंड को देखी थी जिनके छोटे छोटे लंड को लंड नहीं बल्की नुनु जेसे शब्दों से जाना जाता था,,, इसलिए वह मर्दों के लंडके आकार लंबाई और उसकी मोटाई के बारे में बिल्कुल ही अनजान थी। उसे यह भी नहीं पता था कि मर्दों का लंड सुषुप्तावस्था में एकदम बच्चे की तरह हो जाता है और उसमें रक्त के तेज परिभ्रमण के कारण उसकी लंबाई में वृद्धि होने के कारण वह पूरी तरह से लंड में तब्दील हो जाता है और तब जाकर के,,, औरत की बुर में प्रवेश करने लायक बन जाता है। लेकिन पूनम इन सब बातों से बिल्कुल भी अनजान थी,, इसलिए तो वहां सोहन के तंबू के बारे में इतना कुछ सोच रही थी लेकिन उसके बारे में सोचते हुए उसे अपनी बुर के अंदर से कुछ चिपचिपा सा रिसाव होता महसूस होने लगा तो वहां उत्सुकतावश अपने हाथ को बुर. ़ के ऊपरी सतह पर रख कर,,, जानना चाहि कि ऐसा क्यों हो रहा है तो ऊसे कुछ समझ में नहीं आया कि यह गीला गीला क्यों हो गया है उसे बस ऐसा लगने लगा कि शायद तेज पेशाब लगने की वजह से पेशाब की बूंदे अपने आप ही बुर से बाहर आने लगी हैं,,,,, और उसे तेज पेशाब का एहसास भी हो रहा था और वैसे भी प्राकृतिक रूप से उत्तेजनात्मक परिस्थिति में पेशाब लग ही जाती है। सुबह जल्दी से अपने बिस्तर पर से ऊठी कड़ाके की ठंडी पड़ रही थी,,, वह अपने बदन पर गर्म साल लपेट कर जल्दी से कमरे से बाहर आ गई,,, वह घर का मुख्य दरवाजा खोलने चली ही थी की,,,, उसे पीछे से बर्तन गिरने की आवाज आई और वह तुरंत पीछे मुड़कर देखी तो उसकी ऋतु चाची अपने कमरे से बाहर चली आ रही थी। उन्हें देखते ही वह बोली,,,,

क्या हुआ चाची अभी तक आप सोई नहीं,,?
( पूनम बहुत धीमे से बोली थी जो कि सिर्फ उसकी चाची को ही सुनाई दे ताकि उसकी आवाज सुनकर दूसरा कोई न जग जाए,,,, तभी उसकी चाची कुछ बोलती से पहले ही उसके कमरे से उसके चाचा की आवाज आई,,,,।)

जल्दी आना ज्यादा देर मत लगा देना,,,

आ जल्दी आ रही हूं वहां कोई मैं सोने नहीं जा रही हूं जरा सा भी सब्र नहीं हो रहा है,,,,,( रितु यह बात फुसफुसाते हुए बोली थी लेकिन उसकी कहीं बात पूनम के कानों तक पहुंच गई अपने चाचा की बात सुनकर और चाची का जवाब सुनकर उसे समझते देर नहीं लगी कि सारा माजरा क्या है,,,, इसका साफ-साफ मतलब था कि उसके चाचा और चाची चुदाई का खेल खेल रहे थे,,,, जो कि आगे भी खेला जाना बाकी था इसलिए वहां पूनम की चाची को जल्द ही आने के लिए बोल रहे थे पूनम को सब कुछ समझते ही उसके चेहरे पर मुस्कुान फैल गई। उसकी चाची उसे मुस्कुराते हुए देख ली।,,,,
और थोड़ा चिढ़ते हुए बोली,,,,

तू क्यों हंस रही है,,,,

कुछ नहीं चाची बस ऐसे ही हंसी आ गई,,,

मैं सब जानती हूं कि तुझे हंसी क्यों आ गई तू जहां दांत निकाल कर हंस रही है पर तेरे चाचा इतनी कड़ाके की ठंडी में भी शांति से नहीं सोते,,,,,,( इतना कहते हुए वह खुद ही घर का मुख्य दरवाजा खोलकर बाहर आ गई और साथ ही पूनम भी,,,, चांदनी रात होने के कारण सब कुछ साफ साफ नजर आ रहा था हां लेकिन चारों तरफ कोहरा छाया हुआ था बाहर ठंडी कुछ ज्यादा हीं थी,,,, दोनों को जोरों से पेशाब लगी हुई थी पूनम घर के पीछे की तरफ जाने लगी तभी ऋतु उसे रोकते हुए बोली,,,,


अरे वहां कहां जा रही है।

अरे वही जो करने आए हैं,,,,

लेकिन तू घर के पीछे इतनी रात गए क्यों जा रही है पागल तो नहीं हो गई है,,, सब साथ में रहे तभी वहां जाया कर,,,

क्यों चाची,,,?

अब यह भी तुझे बताना पड़ेगा कितने आवारा लफंगे घूमते रहते हैं ऐसे अकेले पाकर कोई कुछ भी कर सकता है,,,, चल ऊधर सामने कर लेते हैं,,,,( इतना कहकर वह आगे आगे चलने लगी और पूनम उनके पीछे पुनम मन में सोच रही थी कि उसकी चाची सच ही कह रही है,,, इस तरह से अकेले घर के पीछे और वहां भी पेशाब करने जाना मतलब मुसीबत मोल लेने के बराबर है,,,, तभी उसके मन में सुबह वाली बात याद आ गई जब सोहन अपने पैंट में बना तंबू बिना किसी शर्म के उसे दिखाते हुए हंस रहा था ऐसे लोगों से बचकर रहने में ही भलाई है,,, वह मन मे यही सोच रही थी कि तब तक उसकी चाची रुक गई,,, और एक बार मन में तसल्ली करते हुए अपने चारों तरफ नजर दौड़ा कर देखने लगे कि कहीं कोई छुप कर उन्हें देख तो नहीं रहा है चारों तरफ कोहरे का धुंध फैला हुआ था इतनी दूर तक देख पाना मुश्किल ही था।
फिर भी आदत अनुसार निश्चिंत कर लेना चाहती थी और सब को निश्चित कर लेने के पश्चात वहां धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी ठीक उसके पीछे पूनम खड़ी होकर के इधर-उधर नजरे घुमाते हुए अपनी चाची को देख ले रही थी,,,, जो की उसके सामने अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी और यह कोई नई बात नहीं थी अक्सर वह लोग साथ में ही बातें करने के पश्चात घर के पीछे पेशाब करने जाया करते थे और वहां इसी तरह का दृश्य हमेशा ही देखने को मिलता था। धीरे-धीरे करके उसकी ऋतु चाची ने अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी,,, कमर तक साड़ी के उठते ही
रितु चाची के पिछवाड़े का सारा भूगोल पूनम के सामने खुली किताब की तरह नजर आने लगा,,,, घर में रितु चाची का रंग सबसे ज्यादा गोरा था इस वजह से कोेहरा होने के बावजूद भी,,, उसकी मदमस्त भरावदार बड़ी बड़ी गांड किसी बल्ब की तरह चमक रही थी,,,, पूनम पहली बार अपनी चाची की मदमस्त गोरी गांड को नहीं देख रही थी वह काफी बार देख चुकी है लेकिन इस कड़ाके की सर्दी में और कोहरे से छाई धुंध में भी जिस तरह से,,, उसकी गांड बल्ब की तरह चमक रही थी यह देखकर पूनम की आंखें भी चमक गई वह टिकटिकी लगाए,, अपनी चाची की गांड को ही देखे जा रही थी जो कि वह अब नीचे बैठ कर पेशाब करना शुरू कर दी थी,,, तभी पूनम का ध्यान गया कि उसकी चाची नहीं आज पैंटी नहीं पहन रखी थी और पहेली भी होंगी तो वह शायद कमरे में चाचा के साथ मस्ती करते समय उतारकर आई है यह सब ख्याल उसके दिमाग में आने लगा था एक पल के लिए तो यह सब सोचकर उसके बदन में भी उत्तेजना की सुरसुरी फैल गई,,,, मन में तो आया कि वह अपनी चाची से पूछ ही ले कि तुम्हारी पैंटी कहां है तब देखे कि वह क्या बोलती है। लेकिन शर्म के मारे वह पूछ ना सकी लेकिन अपनी चाची को पेशाब करते हुए देखकर उनकी मदमस्त गांड पर नजरें गड़ाए हुए वह बोली,,,,

चाची तुम्हारी गांड बहुत खूबसूरत है ।(गांड शब्द पूनम के मुंह से पहली बार निकला था इसलिए उसके बदन में रोमांच सा फ़ैल गया,,, पूनम की बात सुनकर पेशाब करते हुए ही रितु मुस्कुरा कर बोली,,,)

देखना नजर मत लगा देना ईसी के तो तेरे चाचा दीवाने हैं अगर नजर लगा दी तो शायद वह मुझ पर इतना ध्यान भी नहीं देंगे,,,,

तब तो चाची उस पर नींबू मरचा लटका कर घूमा करो क्योंकि इस तरह से कोई देखेगा तो उसकी नजर लगेगी ही लगेगी,,,,( इतना कहकर वह हंसने लगी तब तक उसकी चाची के साथ कर चुकी थी वह खड़ी होते हुए साड़ी को ठीक से झाड़ते हुए अपने कपड़ों को दुरुस्त कर ली और उससे बोली,,,)

अगर ऐसा है तो फिर घर में सब को ही लिंबू मरचा लटका कर घूमना पड़ेगा,,,, क्योंकि अपने घर में तो सभी औरतों की गांड बेहद खूबसूरत है । (इतना कहकर वह भी हंसने लगी और हंसते हुए बोली)

अब तू भी जल्दी से कर ले वरना मैं चली जाऊंगी,,,, तेरे चाचा इंतजार कर रहे हैं,,,,।

( अपनी चाची की बात सुनकर पूनम भी आगे बढ़ी और धीरे-धीरे अपने सलवार की डोरी को खोल दी उसकी चाची की भी नजर उसके ऊपर टिकी हुई थी,,,, डोरी के खुलते ही पूनम पेंटी सहित अपनी सलवार को पकड़ कर नीचे जांघो तक कर दी,,, सलवार को नीचे सरका आते ही उसकी उजली उजली गौरी गांड वातावरण में गर्माहट फैलाने लगी,, पूनम की खूबसूरत गांड पर अभी तक किसी मर्द के हाथों का स्पर्श नहीं हुआ था इसलिए उसकी गांड का घेराव सीमित मर्यादित रूप में ही था। जिसकी वजह से पूनम की गांड हल्की-हल्की कठोर लगती थी लेकिन ऐसी थी नहीं वह एकदम रुई की तरह नरम नरम थी तभी तो कमर पर हल्की सी बलखाहट आते ही उसमें इतनी लचक अा जाती थी कि,,, गांड के बीच की फांक रबड़ की तरह इधर उधर फैलने लगती थी ऋतु के देखते ही देखते पूनम नीचे बैठ कर पेशाब करना शुरू कर दी और वातावरण को अपने बुर के अंदर से आ रही मधुर आवाज की ध्वनि से,,, शुमधुर कर दी,,,, पूनम की खूबसूरत मदमस्त गांड को देखते हुए उसकी ऋतु चाची बोली,,,,

पूनम तुमको तो दो दो मिर्ची और नींबू लटकाने पड़ेंगे,,,

ऐसा क्यों चाची (वह पेशाब करते हुए ही बोली,,,,)

हम लोगों से भी ज्यादा खूबसूरत तुम्हारी गांड है इसलिए,,,,


क्या चाची तुम भी बस,,,,

अरे सच पूनम मैं सच कह रही हूं,,,,, बहुत ही किस्मत वाला होगा जिसे तुम मिलोगी और तुम्हारी यह खूबसूरत गांड,,,

धत्त,,,, चाची कैसी बातें करती हो,,,,( इतना कहने के साथ ही वह जल्दी से खड़ी होकर के,,, अपनी सलवार की डोरी बांधने लगी और खूबसूरत नज़ारे पर पर्दा डाल दी,,, लेकिन किस्मत वाले अपनी चाची की बात को सुनते ही उसके जेहन में मनोज का ख्याल आ गया था जिसका ख्याल आते ही उसके बदन में एक बार फिर से उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी।
बाहर ठंड ज्यादा थी इसलिए बाहर रुकने का कोई मतलब नहीं था वह दोनों जल्दी से घर में प्रवेश कर गई,,,

सुबह उठकर पूनम जल्दी जल्दी नहाकर स्कूल जाने के लिए तैयार हो गई उसकी दोनों सहेलियां भी आ गई दूसरी तरफ मनोज अपने लिखे प्रेम पत्र को उसकी इंग्लिश के नोट्स में रखकर उसे देने के लिए उसी मोड़ पर खड़ा होकर उसका इंतजार करने लगा,,,, पूनम के मन में भी बेचैनी छाई हुई थी वह भी मनोज से मिलने के लिए आतुर थी इसलिए अपनी सहेलियों के साथ वह स्कूल जाने के लिए निकल गई।

रितु की मदमस्त बड़ी-बड़ी गांड

बहुत ही गरमागरम कामुक और मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया पुनम की कामुकता दिन ब दिन बढती ही जा रही है और अपने मन ही मन चुदाई के सपने देख कर खयाली पुलाव में खो रही है
देखते हैं मनोज के प्रेम पत्र का क्या असर होता है पुनम के कोमल मनपर
 
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