पूनम बेसब्र हुए जा रही थी मनोज से बात करने के लिए,,,, वह अपनी चाची से मोबाइल मांगना चाह रही थी लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे मांगे क्योंकि इससे पहले वहं बार बार मोबाइल को नहीं मांगती थी,,,,,,
रात को खाना खाने के बाद यूंही सब गप्पे लड़ाते हुए छत पर बैठे थे,,,, पूनम इसी ताक में थे कि कब वह अपनी चाची से मोबाइल मांगे लेकिन उसे मोबाइल मांगने का मौका नहीं मिल रहा था,,, कड़ाके की ठंडी पड़ रही थी और छत पर घर की औरतें लकड़ी जलाकर उस आग से अपने बदन को गर्माहट पहुंचाने की कोशिश कर रही थी,,, इन सबके साथ पूनम तो वहां बैठी थी लेकिन उसका ध्यान कहीं और था वह तो मनोज के ख्यालों में खोई हुई थी,,,, काफी देर तक उन लोगों को बात करने की वजह से काफी समय बीत गया,,,, को धीरे-धीरे करके सब अपने कमरे में चले गए लेकिन संध्या और पूनम वहीं बैठ कर इधर-उधर की बातें कर रहे थे पूनम को अगर संध्या का मोबाइल मिल जाता तो वह भी तबका चली गई होती लेकिन वह मोबाइल लेने के लिए ही अपनी चाची के साथ वहां बैठीे रह गई,,,, तभी बात बात मैं संध्या नें पूनम के साथ सोहन का जिक्र करते हुए बोली,,,,
Sandhya doodh nikalti huyi
पूनम तुम्हें ऐसा नहीं लगता कि अपने पास का लड़का सोहन दूध लेने के बहाने अपने घर की औरतों को कुछ ज्यादा ही ताक झांक करता रहता है,,,,
हां चाची मुझे भी ऐसा ही लगता है,,,, घर में आते ही उसकी नजरें इधर-उधर भटकती रहती हैं,,,,
( पूनम झट से संध्या की बात का जवाब देते हुए बोली क्योंकि पूनम को भी इस बात का एहसास अच्छी तरह से हो गया था कि सोहन की नजरें ठीक नहीं है,,,, क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी की जब वह दूध लेने आया था,,, तो उसकी बात करने का ढंग और उसका मतलब दो अर्थ वाला था और वह बार-बार उसके शरीर को ऊपर से नीचे की तरफ घूरता रहता था,,, और तो और वह बात करते समय अपने पेंट में बने तंबू को भी बिलकुल छिपाने की कोशिश नहीं कर रहा था बल्कि वह जानबूझकर इस तरह से बर्ताव कर रहा था कि उसकी नजर उसके पेंट मैं बनी तंबू पर चली जाए,,, और ऐसा हुआ भी था पूनम की भी नजर उसके पैंट में बड़े तंबू कर चली गई थी और जिस पर नजर पड़ते ही पूनम शर्मा कर अपनी नजरें दूसरी तरफ फेर ली थी,,,, वह पल याद आते हैं पूनम के बदन में झनझनाहट से फैल गई,,,, लेकिन पूनम उस दिन वाली बात को अपनी चाची से बताई नहीं क्योंकि उस बात को बताने में उसे शर्म सी महसूस हो रही थी लेकिन फिर भी वह अपनी चाची से बोली,,,,।)
Ghar k kam karti huyi Sandhya
लेकिन चाची तुम ऐसा क्यों पूछ रही हो क्या तुम्हें कभी कुछ ऐसा लगा है,,,,
( पूनम की यह बात सुनते ही संध्या को तबेले वाला नजारा याद आ गया जब सोहन के लंड के कड़कपन को वह अपनी बड़ी बड़ी गांड पर महसूस करके एकदम से गंनगना गई थी।
और जब वह है उसके पैंट में बने बहुत ही ऊंचे तंबू को देख कर अपने बदन में उत्तेजना की लहर को साफ-साफ महसूस करी थी,,,, एक पल के लिए उसका मन भी बहक सा गया था। लेकिन संध्या जी पूनम सरिता पहले वाली बात को ना बता कर उसे छुपाते हुए बोली,,,,।)
नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है लेकिन जब देखो तब जब भी वह घर में आता है,, तब ऊसकी नजरें घर की औरतों को ही ढूंढती रहती है,,,।खैर जाने दो हो सकता है कि अपना वहम भी हो,, पूनम रात काफी हो चुकी है अब हमें सोना चाहिए,,,,
हां चाची हो गई है और धीरे-धीरे करके घर के सभी लोग सो चुके हैं सिर्फ हम दोनों ही जग रहे हैं,,,,,( पूनम बार-बार अपनी चाची से मोबाइल मांगना चाह रही थी लेकिन मांग नहीं पा रही थी।)
पूनम मुझे तो जोरों की पेशाब लगी हो,, ( खड़ी होकर छत पर से चारों तरफ देखते हुए और चारों तरफ धू्प्प अंधेरा छाया हुआ था,,,, अंधेरे से थोड़ा घबराते हुए संध्या बोली,,,।) पूनम चल पहले पेशाब कर लेते हैं उसके बाद आकर सो जाएंगे,,,
लेकिन चाची मुझे तो बिल्कुल भी नहीं लगी है मैं सोने जा रही हूं आप अकेले ही चली जाओ ऐसा क्यों नहीं करती बाथरूम में ही कर लो,,,,
( पूनम अच्छी तरह से जानती थी कि संध्या बाथरूम में जल्दी पेशाब नहीं करती क्योंकि ऊन्हे बड़ा अजीब लगता था। पूनम इस बात को अच्छी तरह से जानती थी की इतनी रात को इतने घने अंधेरे में वह उसे लेकर गए बिना पेशाब नहीं करेंगी,,।)
अरे पूनम नहीं लगी है तो मेरे साथ तो चल तू तो अच्छी तरह से जानते हैं कि बाथरूम में मुझसे पेशाब नहीं होती,,,।
Sandhya apne pati se maje leti huyi
ठीक है मैं तुम्हारे साथ चलूंगी लेकिन तुम्हें मुझे मोबाइल देना होगा वह क्या है कितनी जल्दी मुझे नींद नहीं आने वाली इसलिए गाना सुनते सुनते सो जाऊंगी,,,,
( संध्या का प्रेशर धीरे-धीरे बढ़ रहा था और उसी से उस प्रेशर पर काबू कर पाना मुश्किल हो जा रहा था इसलिए वह अपना मोबाइल पूनम के हाथ में देते हुए बोली,,,।)
तो लेना मोबाइल मैं तुझे मना की हूं क्या अब चल जल्दी,,,
( पूनम के हाथ में मोबाइल थमाते हुए संध्या बोली और मोबाइल पाकर पूनम बहुत खुश हो गई,,,, इसके बाद दोनों घर के बाहर आ गए बाहर एकदम घना अंधेरा छाया हुआ था
और कोहरे की वजह से कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था,,,।
संध्या घने कोहरे को देखकर बोली,,,।
चल यहीं बैठ कर कर लेते हैं,,,, इतने अंधेरे में कहां कोई देखने वाला है,,,,
चाची इतने अंधेरे में कोई देखने वाला नहीं है इस बात से मायूस हो रही हो कि इस अंधेरे पन का फायदा उठा रही हो,,,
Poonam ki chalakti huyi dono mastiya
बहुत बोलने लगी है तू,,,,
मैं ठीक ही कह रही हूं,,, अगर यहीं पर बैठकर के पैशाब करोगी तो सुबह किसी को भी पता चल जाएगा कि किसी ने यहां पर पेशाब किया है और घर के इतने नजदीक पैशाब करोगी तो अच्छा नहीं लगेगा,,,,
चल अच्छा दो कदम और चल लेते हैं एक तो मुझे इतनी जोरों की पेशाब लगी है कि चलना भी मुश्किल हुए जा रहा है,,,
चाची तुम इतना रोकती ही क्यों जब काम लगा रहता है तभी कर लेना चाहिए ना कहीं ऐसा ना हो कि तुम अपनी साडी गीली कर लो,,,
पूनम बोल ले बेटा आज तेरा दिन है तो बहुत मजाक उड़ा रही हैं मेरा भी वक्त आएगा तब तुझे बताऊंगी,,,,
( अपनी चाची की बात सुनकर और उनकी हालत को देखकर पूनम हंसने लगी और उसे शांत कराते हुए संध्या बोली,,,,।)
पागल हो गई है क्या इतनी जोर से हंस रही है अभी सारा घर उठ जाएगा और उन्हें पता चल जाएगा कि यह दोनों पेशाब करने जा रही हैं,,।
सॉरी चाची (पूनम हंसते हुए बोली,,,)
अरे अब मुझे कितनी दूर ले जाएगी तो इससे अच्छा तो घर के पीछे ही चले गए होते तो अच्छा था,,,
चले तो गए होते चाची लेकिन देख रही हो समय कितना हो रहा है और वहां पर इतनी रात को जाने से दादी ने सब को मना करके रखी है,,,
अरे कौन सा कोई वहां पर उठाकर लेकर चला जाएगा,,, हां मुझे तो नहीं लेकर जा पाएगा क्योंकि मेरा वजन कुछ भारी है लेकिन तुझे जरूर उठा ले जाएंगा,,,,
ऐसा मत बोलो चाची उठाने वाला तो तुम्हें भी उठाकर लेकर चला जाएगा बस उसे मौका मिलना चाहिए,,,,,
चल अब बहुत हो गया मैं तो यहीं बैठ कर मुंतने जा रही हूं,,,। अब मुझसे ज्यादा नहीं चला जाएगा,,,।
ठीक है चाची यही कर लो मैं नहीं चाहती थी इतनी रात को तुम्हें नहाना पड़े,,,,
हां अगर दो चार कदम और चलूंगी तो शायद मेरे कपड़े गीले हो जाए और मुझे नहाना ही पड़ेगा लेकिन ऐसी ठंड में नहाकर मुझे मरना नहीं है इसलिए मैं यही पर मुंतने जा रही हूं
( अपनी संध्या चाची की बात सुनकर पूनम हंसने लगी और संध्या वहीं खड़ी होकर झट से अपनी साड़ी को ऊपर कमर तक उठा ली,,, अपनी चाची को इस तरह की जल्दबाजी दिखाते हुए पूनम चुटकी लेते हुए बोली,,,।)
देखना चाची ध्यान देना पेंटी भी पहन रखी हो ऐसा ना हो कि जल्दबाजी में बिना पैंटी निकाले ही बैठ जाओ,,,,
ले ले मजा पूनम रानी,,, वक्त आने पर गिन गिन कर तुझसे बदला लूंगी,,,,( इतना कहने के साथ ही संध्या अपनी काली रंग की पेंटिं को नीचे की तरफ खींच कर घुटनों तक कर दी इतने अंधेरे में भी संध्या की काली रंग की पेंटी एकदम साफ नजर आ रही थी क्योंकि,,, संध्या एकदम दूध की तरह गोरी थी जो कि इतने अंधेरे में भी उसका गोरापन एकदम चमक रहा था इसलिए उसकी काली रंग की चड्डी आराम से नजर आ रही थी,,,,,,, संध्या जैसे ही अपनी चड्डी को अपनी घुटनो सरकाई,,, वैसे ही तुरंत वहलमूतने के लिए बैठ गई,,,, पूनम अपनी चाची के उतावलेपन को देखकर फिर से हंस लेकिन इस बार संध्या पूनम को कुछ बोले बिना ही मूतने में मस्त हो गई वैसे तो यह नजारा एक औरत के लिए केवल एक औपचारिक ही होता है लेकिन यह नजारा एक मर्द के लिए पूरी तरह से बेहद उन्मादक और कामोत्तेजना से भरपूर होता है हर मर्द की यही लालसा और ख्वाहिश होती है कि वह खूबसूरत औरत को पेशाब करते हुए देखें,,,, क्योंकि पेशाब करते वक्त उन की सामान्य सी हरकत भी मर्दों के लिए उत्तेजना का साधन बन जाती है,,,, यही ख्वाहिश पूनम के चाचा के मन में भी बरसों से बनी हुई थी वह बार-बार संध्या को अपनी आंखों के सामने पेशाब करने के लिए मनाते रहते लेकिन संध्या शर्म के मारे आज तक उनकी आंखों के सामने कभी भी पेशाब करने के लिए नहीं बैठी,, और पूनम के चाचा की यही ख्वाहिश उनके मन में दबी की दबी रह गई थी,,, वास्तव में संध्या को बेहद जोरों से पेशाब लगी थी तभी तो वजह से ही पेशाब करने के लिए बैठी थी वैसे ही उसकी बुर से तेज फव्वारा छुट पड़ा,,, जिसकी आवाज एकदम सीटी की तरह सुनाई दे रही थी,,,, संध्या अभी मूतने बैठी ही थी कि पूनम भी अपने सलवार की डोरी खोलने लगी,,, लेकिन संध्या का ध्यान पूनम पर बिल्कुल भी नहीं था वहां तो बड़े मजे ले करके मुतने में व्यस्त थी उसे बेहद सुकून मिल रहा था तब तक पूनम अपने सलवार की डोरी खोल कर अपनी गुलाबी रंग की चड्ढ को अपनी जांघो तक खींचकर सरकादी , और बिना कुछ बोले बैठकर मुतने लगी,,, क्योंकि पूनम को भी बहुत जोरों से पेशाब लगी थी वह तो अपनी चाची को सिर्फ मोबाइल लेने के लिए झूठ बोल रही थी उसकी गुलाबी बुर की फांकों के बीज से नमकीन पानी का फव्वारा छूट पड़ा था,,, उसकी बुर से निकल रही पेशाब का फव्वारा इतनी तेज था की,,,
Sandhya ki madmast chut
उसमें से आ रही सीटी की आवाज रात के सन्नाटे को चीर दे रही थी संध्या को इस बात का कुछ भी पता नहीं चलता बातों उसके कानों में जब अपने पास से आ रही है सीटी की आवाज सुनाई दी तब वह अपने बगल में बैठी पूनम को पेशाब करते हुए देखकर बोली,,,,
अरे तुम तो कह रही थी तुम्हें पेशाब नहीं लगी है और अब इतने जोरों से अपनी बुर से सीटी बजा रही होकी ऐसा लग रहा है कि पूरे गांव को जगा दोगी,,,,,
( अपनी संध्या चाची की बात सुनकर पूनम बोली,,,।)
नहीं चाची ऐसी कोई भी बात नहीं है तुम्हें देखकर मुझे भी पैशाब लग गई इसलिए मैं भी बैठ गई,,,।
Poonam pesab karte huye
चल कोई बहाना मत मार मुझे सब पता है,,,
( इतना कहकर दोनों हंसने लगी,,, थोड़ी ही देर में दोनों के साथ करके मुक्त हो चुके थे दोनों खड़ी होकर के अपने अपने कपड़ों को दुरुस्त करके घर में आ गए,,,, पूनम अपने कमरे में आते ही घड़ी की तरफ देखी तो रात के 12:30 बज रहे थे,
उसे उम्मीद तो नहीं थी थी इतनी रात को मनोज जाग रहा होगा,,,, लेकिन फिर भी वह एक बार कोशिश करके देख लेना चाहती थी वह दरवाजे की कुंडी लगा कर आराम से अपने बिस्तर पर आ गई हो गद्दे की नरम नरम गर्माहट को अपने बदन पर महसूस करते हुए रजाई को अपने बदन पर डाल ली,,, और अपनी नोटबुक मैसेज मनोज का नंबर डायल करने लगी जैसे ही वह नंबर डायल करके कॉल वाली बटन दबाएं वैसे ही सामने घंटी की आवाज बजने लगी और उस घंटी की आवाज़ के साथ-साथ पूनम की दिल की धड़कन भी तेज होने लगी,,